Kal raat online mili ek ladki ki chudai khub chodi - कल रात ऑनलाइन मिली एक लड़की की चूत चुदाई

Kal raat online mili ek ladki ki chudai khub chodi - कल रात ऑनलाइन मिली एक लड़की की चूत चुदाई

मैं शाम के समय गली में टहल रहा था और नजारा बड़ा ही सुंदर लग रहा था. वहां पर टिमटिमाते हुए लाइट जैसे एक अलग ही नजारा पैदा कर रहे थे और सब कुछ बहुत अच्छा सा लग रहा था. अचानक मन में फेसबुक पर चैटिंग करने का इरादा दिमाग में आया. मैंने मोबाइल निकाला और फेसबुक ओपन किया. एक लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई हुई थी. मैंने जैसे ही एक्सेप्ट किया तो देखा कि वो भी ऑनलाइन थी.

मैंने उसे हाय! लिखकर भेजा. उसने भी तुरंत हेल्लो लिखकर रिप्लाई किया. फिर काफी देर तक मैं उससे चैटिंग करता रहा. उसने मुझे बताया कि वो भी मेरे ही मोहल्ले में रहती है और मुझे पसंद भी करती है लेकिन यह कहने की हिम्मत नहीं कर पाई. उसने अपना नाम सुमोना बताया. मैंने उससे अभी मिलने को कहा तो उसने मुझे पार्क में बुला लिया. तब तक काफी रात भी हो चुकी थी. मैंने कहा अब तो पार्क में कोई नहीं होगा. उसने कहा ये तो और भी अच्छी बात है हम दोनों एक दुसरे से खुलकर बात करेंगें और कोई हमारी बात सुन भी नहीं पाएगा.

मैं सुमोना का इरादा समझ गया. कुछ देर में ही मैं पार्क में पहुँच गया और सुमोना भी वहां आ गई. हम दोनों एक बगीचे में बैठ गए. सुमोना ने मुझसे पूछा कि तुम्हारी शादी को कितने वर्ष हो चुके हैं तो मैंने उसे बताया कि अब तक मेरी शादी नहीं हुई है. ये सुनकर वो खुश हुई.

धीरे-धीरे बातें बढ़ते हुए सेक्स के बारे में बातें होने लगी. सुमोना ने पूछा - तुमने किसी से सेक्स किया है. मैंने कहा - नहीं, लेकिन फिल्मों में देखा बहुत है. सुमोना बोली - मैंने भी कभी नहीं किया लेकिन मेरी सहेली जब ऐसी बातें करती है तो मेरा भी चुदने का मन करता है. इसलिए आज तुम मुझे चोद दो. वो ये कहकर मुझसे लिपट गई.

मैंने सुमोना की ड्रेस को उतारते हुए उसकी लाल रंग की पैंटी को नीचे उतार दिया और उसे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया। वह अपने मुंह से बड़ी मादक आवाज निकाल रही थी लेकिन उसकी गोरी गोरी गांड जब मेरे लंड से टकराती तो मुझे बड़ा मजा आता मैं उसके स्तनों को भी दबाए जा रहा था उसका बदन बड़ा ही सेक्सी है। सुमोना को चोदकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था. सुमोना ने उस दिन मेरी बरसो की इच्छा को पूरा कर दिया उसकी चूत मारने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

मैंने काफी देर तक सुमोना के बदन के मजे लिए जब उसकी चूत से पानी बाहर छूटने लगा तो मैं भी झडने वाला था मैंने अपने वीर्य को सुमोना की गोरी गांड पर गिरा दिया। हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए हम लोग काफी देर तक बात करते रहे रात के 4:00 बज चुके थे. मैंने सुमोना से कहा - अब हमें अपने घर चलना चाहिए. वो भी कहने लगी मुझे भी बहुत नींद आ रही है अब मेरे कमरे पर जाती हूँ. मैं अपने घर चला गया और सुमोना भी अपने घर चली गई। अगली सुबह जब हम मिले तो जैसे सुमोना बहुत खुश थी.

खेत में माँ को चुदते देखा - Khet Me Maa Ko Chudte Dekha

खेत में माँ को चुदते देखा - Khet Me Maa Ko Chudte Dekha - Maa ki chudai , Tau ne Meri man chod di. मम्मी और ताऊ की अन्तर्वासना कहानी.

मेरा नाम राज है हमांरे परिवार में मैं, माँ और पापा हैं। मेरे पापा सेल्समैन हैं, वो कई कई दिनो तक बाहर रहते हैं…।

वैसे भी हमांरे सारे सम्बन्धी गांव में रहते हैं, हम साल में दो या तीन बार जाते हैं। वहाँ हमांरे ताऊ जी रहते हैं, उनकि पत्नी की मौत के बाद वो अकेले ही रहते हैं। हम नवरात्रि में गाँव जाने वाले थे। पापा भी आने वाले थे लेकिन उनको कुछ काम आ गया तब उन्होंने हम दोनों को गांव जाने के लिये कहा।

माँ ने कहा- ठीक है।

तब मैंने देखा कि माँ खुश थी और पैकिंग करने लगी। हम लोग सुबह की ट्रेन से गाँव पहुँच गये। वहाँ ताऊ जी हमें लेने के लिये आये हुये थे। माँ उनको देख कर खुश हो गई और ताऊ जी भी खुश हुए, उन्होंने पूछा- परिमल नहीं आया?

माँ ने कहा- उनको कुछ काम आ पड़ा है, वो दो तीन दिन बाद आयेंगे।

और ताऊ जी माँ को देखते रहे और माँ भी उनको देखते रही। मुझे कुछ दाल में काला नजर आया…

हम लोग बैलगाड़ी में बैठे और ताऊ जी ने मुझे कहा- तुम चलाओ।

मैंने कहा- ठीक है।

माँ और ताऊ जी पीछे बैठ गये। थोड़ी दूर चलने के बाद मैंने माँ की आवाज़ सुनी, पीछे देखा तो ताऊ जी का पैर माँ के साये में था और माँ ने मुझ से कहा कि सामने देख कर चलो।

हमें लोग घर पहुंचे तब माँ बाथरूम में चली गई और थोड़ी देर बाद बाहर आई…

ताऊ जी ने कहा- चलो, तुमको खेत में ले चलता हूँ।

माँ मुस्कुराते हुए बोली- हाँ चलिये।

मैं भी साथ था। हम लोग खेत में पहुँचे तो मैंने ताऊ को जी माँ की गाण्ड पर हाथ फिराते हुए देखा।

तब माँ ने कहा- लड़का इधर है, वो देख लेगा।

उनको पता नहीं था कि मैंने देख लिया था।

तब ताऊ जी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम दूर जा कर खेलो। मुझे तुम्हारी माँ से बातें करनी हैं।

तो मैंने माँ को देखा तो माँ ताऊ जी के सामने देख कर मुस्कुरा रही थी और मुझे कहा कि तुम यहाँ से जाओ…

मैं वहाँ से चलने लगा और माँ-ताऊ जी भी खेत के अन्दर दूर जाने लगे। मुझे दाल में काला नज़र आया। मैं भी उनके पीछे पीछे गया तो देखा कि ताऊ जी माँ की दोनों एक पेड़ की आड़ में चले गये और माँ पेड़ से लग कर खड़ी हो गई। अब ताऊ जी अपना हाथ माँ के साये में डालने लगे और माँ भी अपना साया उठा कर उनका साथ देने लगी। लेकिन मुझे उनकी कोई भी बातें सुनाई नहीं दे रही थी, इसलिये मैं और नज़दीक गया और सुनने लगा। तब वो दोनों पापा की बातें कर रहे थे।

माँ कह रही थी- कितने दिन बाद मुझे यह तगड़ा लौड़ा मिल रहा है, वरना परिमल का लौड़ा तो बेकार है।

अब माँ के बुर को दोनों हाथ से फैलाया। माँ थोड़ा सा विरोध कर रही थी लेकिन उनके विरोध में उनकी हामी साफ दिख रहा थी। इसके बाद ताऊ जी माँ के बुर पर लण्ड सटा कर हलका सा कमर को धक्का लगाया। माँ के मुँह से अह्हहह की आवाज निकल गई।

मैं समझ गया कि माँ के बुर में ताऊ जी का लण्ड चला गया है। ताऊ जी ने कमर को झटका देना शुरू किया। ताऊ जी जब जब जोर से झटका लगाते थे माँ के मुँह से आआअहह की आवाज सुनाई पड़ती थी। कुछ देर के बाद जब ताऊ जी ने माँ की चूचियों को मसलना शुरु किया तो उनका जोश और भी बढ़ गया। एक तरफ़ ताऊ जी बुर में जोर से झटके लगाने लगे तो दूसरी तरफ़ माँ के चूचियों को जोर जोर से मसलने लगे।

अब माँ की बुर में लण्ड जब आधे से ज्यादा चला गया तो माँ के मुंह से आआहह्ह नहीं आआ आह्हह की आवाज आने लगी। ताऊ जी ने माँ के होठों को चूसना शुरु कर दिया। लगभग आधे घण्टे चोदने के बाद ताऊ जी का बीज माँ की चूत में गिरा। माँ भी बहुत ही खुश थी। कुछ देर के बाद ताऊ जी ने लण्ड निकल लिया। माँ पांच मिनट तक लेटी रही।

माँ तब उठ कर जाना चाहती थी। ताऊ जी ने उनको रोक लिया, उन्होंने माँ से कहा- कहाँ जा रही हो?

तब माँ ने कहा- आज के लिये इतना बस!

ताऊ जी ने कहा- अभी तो और चुदाई बाकी है, रुक जाओ तुम।

तब ताऊ जी ने माँ के पीछे जा कर माँ की गाण्ड पर लण्ड रखा और कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका मारा। माँ के मुँह से आआ आअह्हह हह्ह की आवाज निकलते ही मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में लण्ड चला गया। अब ताऊ जी ने अपनी कमर को हिलाना शुरू किया और कुछ ही देर में पूरा लण्ड को माँ के गाण्ड में घुसा दिया। ताऊ जी माँ के गाण्ड को लगभद दस मिनट तक मारने के बाद जब धीरे धीरे शान्त पड़ गये तो मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में बीज गिर गया है।

ताऊ जी ने लण्ड को निकाल लिया तब माँ के पैर को थोड़ा सा फैला दिया क्योंकि माँ ने दोनों पैरों को पूरा सटा रखा था। ताऊ जी ने माँ की बुर को देखा, माँ से पूछा- पेशाब नहीं करोगी?

माँ ने गरदन हिला कर कहा- नहीं।

अब ताऊ जी ने जैसे ही लण्ड को माँ की बुर के ऊपर सटाया माँ ने अपने दोनों हाथों से अपनी बुर को फैला दिया। ताऊ जी ने लण्ड के अगले भाग को माँ की बुर में डाल दिया और माँ की चूचियों को पकड़ कर एक जोरदार झटके के साथ अपने लण्ड को अन्दर घुसा दिया।

माँ मुँह से आआह्ह फ़्फ़फ़ईई रीईई धीईई आआह्हह्स इस्सस्स स्सस्हह्हह कर रही थी। ताऊ जी पर उनके इस बात का कोई असर नहीं हो रहा था। वो हर चार पांच छोटे झटके के बाद एक जोर का झटका दे रहे थे। उनका लण्ड जब आधे से ज्यादा अन्दर चला गया तो माँ ने ताऊ जी से कहा- अब और अन्दर नहीं डालियेगा वरना मेरी बुर फट जायेगी।

ताऊ जी ने कहा- अभी तो आधा बाहर ही है।

माँ ने यह समझ लिया कि आज उनकी गोरी चूत फटने वाली है। माँ की हर कोशिश को नाकाम करते हुए ताऊ जी माँ के चूत में अपने लण्ड को अन्दर ले जा रहे थे। माँ ने जब देखा कि अब बरदाश्त से बाहर हो रहा है तो उन्होंने ताऊ जी से कहा- मैं आपसे बहुत छोटी हूँ आआह पल्लीईज़ आआह्हह… नहीईई उई आआअह्ह्ह ह्हह…

ताऊ जी ने लगातार कई जोरदार झटके मार कर पूरे लण्ड को माँ के बुर में घुसा दिया तथा माँ की चूचियों को मसला। अब माँ को भी मजा आने लगा था। शायद माँ को इसी का इन्तजार था। ताऊ जी ने अपने झांट को माँ की झाँट में पूरी तरह से सटा दिया और इस तरह से उन्होंने पूरे बीस मिनट तक माँ की चुदाई की। इसके बाद माँ और ताऊ जी शान्त पड़ गये तब मैं समझ गया कि माँ की बुर में ताऊ जी का बीज गिर गया है। वो दोनों पूरी तरह से थक चुके थे। अब ताऊ जी ने लण्ड को निकाल दिया और माँ की बगल में लेट गये। फ़िर दोनों ने कपड़े पहने और वहाँ से चलने लगे। तब मैं भी वहाँ से हट गया ताकि उनको पता ना चले कि मैंने सब कुछ देख लिया है। हम तीनों घर वापस आ गये।

ताऊ जी माँ को देख कर मुस्कुराने लगे कि तुम्हारे बेटे को कुछ नहीं पता चला। लेकिन मैंने भी उनको ऐसा ही दिखाया कि मुझे कुछ नहीं पता है।

मुझे चुदते हुए आज 4 साल हो गए हैं - 4 saal se meri chudai ho rahi hai

मुझे चुदते हुए आज 4 साल हो गए हैं - 4 saal se meri chudai ho rahi hai घर की लाडो की कमसिन चूत भाग -4 - Ghar Ki Lado Ki Kamsin Choot Part -4, अपनी ही बेटी को गैर आदमियों से चुदवा दिया, दोस्तों से खुद की लड़की को चुदवाया, छोटी लड़की को बुड्ढों ने चोदा.

पापा- अरे वाहह.. मेरी रानी आज तो एकदम गुड़िया जैसी लग रही हो.. कसम से आज मज़ा आ जाएगा.. मगर मेरी एक बात गौर से सुन.. वहाँ किसी को पता ना चले कि तू मेरी बेटी है.. मुझे बस अंकल बोलना वहाँ.. ओके.. आज से तेरा नया जीवन शुरू होने जा रहा है। अब तू फ्री में नहीं चुदेगी.. हम पैसे कमाएँगे तेरी चूत से.. बस तू उनकी हर बात मान लेना.. थोड़े पागल किस्म के लोग हैं वो लोग चुदाई की हर हद पार कर चुके हैं मगर पैसे भी खूब देंगे…

पापा की बात सुनकर मैं एकदम सन्न रह गई क्योंकि चुदाई के चक्कर में अब ना जाने मेरे साथ क्या-क्या होने वाला था। पापा ने तो मुझे सचमुच की रंडी बना दिया था।

रानी- म..म..मगर पापा आपने तो कहा था कि आपके दोस्त हैं और मैंने बस मज़ा लेने ले लिए ‘हाँ’ की थी.. ये पैसे किस बात के लिए?

पापा- अरे रानी वो दोस्त ही हैं और मज़े तो हम करेंगे ही.. अब पैसे तो वो लोग अपनी ख़ुशी से दे रहे हैं समझी.. चल अब ज़्यादा सवाल मत कर.. वहाँ जाकर सब समझ जाएगी।

पापा मुझे टैक्सी में बिठा कर घर से ले गए। हम करीब 25 मिनट तक चलते रहे उसके बाद हम एक फार्म-हाउस पर पहुँचे, जो दिखने में काफ़ी आलीशान लग रहा था।

दरवाजे के अन्दर जाते ही दरबान ने हमें सलाम किया और हम अन्दर चले गए।

दोस्तो, अन्दर एक बहुत ही बड़ा घर था मैं तो बस देखते ही रह गई।

पापा- देखो रानी कोई गड़बड़ मत करना.. बस चुपचाप मज़े लेना.. समझी, ये बड़े लोग हैं इनको ‘ना’ सुनना पसन्द नहीं है। चलो अब ऊपर वो लोग इंतजार कर रहे होंगे।

मैं बोल भी क्या सकती थी.. चुपचाप पापा के पीछे हो गई।

पापा ने कमरे का दरवाजा खोला तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं.. अन्दर काफ़ी आलीशान सजावट थी और चार आदमी जो 50 या 60 साल से कम के नहीं थे.. मुझे घूरने लगे।

उनमें से एक खड़ा हो गया जिसका नाम राजन था।

राजन- आओ आओ.. किशोरी लाल.. बड़ी देर कर दी आने में और ये कौन है.. तेरे साथ?

दोस्तो, मैंने शायद आपको बताया नहीं मेरे पापा का नाम किशोरी लाल है।

चलो अब आगे का हाल सुनाती हूँ।

पापा- सर जी.. मैंने बताया था ना आपको.. यह वही है…

राजन- दिमाग़ तो ठीक है.. ना तुम्हारा.. ये छोटी सी लड़की के बारे में बता रहे थे तुम.. विश्रान्त भाई.. सब सुना आपने?

विश्रान्त- हाँ सुन रहा हूँ.. किशोरी लाल तूने कहा था.. लड़की छोटी है खूब मज़ा देगी.. मगर इतनी छोटी है ये नहीं बताया था.. इसके साथ चुदाई करेंगे.. साली कहीं मर-वर गई तो.. ना बाबा हम ये रिस्क नहीं लेंगे.. तू इसको वापस ले जा.. हमारे पैसे वापस कर दे।

पापा- अरे विश्रान्त साब.. आप मेरी बात तो सुनो.. मैंने साफ-साफ कहा था लड़की छोटी है.. खूब मज़ा देगी और गुप्ता जी और दयाल साब भी तो वहीं थे.. आप भरोसा करो इसको कुछ नहीं होगा…

गुप्ता जी- भाई एक बात तो है.. साला किशोरी माल तो तगड़ा लाया है.. इतनी कमसिन कली को ऐसे ही मत जाने दो यार कुछ तो मज़ा करो…

दयाल साब- अरे राजन.. इसकी पूरी बात तो सुन लो.. क्या पता लड़की पहले से खेली-खाई हो.. तभी किशोरी यहाँ लाया है.. वरना इतना भी पागल नहीं है ये.. कि सील पैक लड़की हम शैतानों के हाथ सौंप दे…

पापा- हाँ राजन साब, यही बात है.. आप सुन ही नहीं रहे हो.. लड़की के तीनों छेद अच्छे से खुले हुए हैं.. हाँ बस फ़र्क इतना है कि थोड़ी जल्दी ही ये लड़की चुद गई वरना इस उमर में तो इसके खेलने के दिन हैं.. जवान लौंडों से चुदी है.. जिनको कुछ समझ ही नहीं.. अब आप लोगों के पास आ गई है तो सब सीख जाएगी।

दोस्तों पापा ऐसे बात कर रहे थे जैसे मैं कोई चीज हूँ और बाजार में मुझे बेचने गए हों और वो सब भी मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूर रहे थे।

गुप्ता जी- नाम क्या है तेरा?

रानी- ज्ज..जी रानी।

गुप्ता जी- वाहह.. क्या नाम है तेरा.. रानी.. मज़ा आएगा, यहाँ आओ रानी.. तेरे चूचे तो देखूँ.. देखने में तो छोटे-छोटे अमरूद से लग रहे हैं।

विश्रान्त- छोटे हैं तो क्या हुआ.. हम हैं ना.. बड़े कर देंगे.. आजा रानी डर मत आ जा…

मैं एकदम सहम गई थी और पापा की तरफ़ देखने लगी.. मगर पापा तो हरामी थे, मुझे ऐसे घूर कर देखा कि मैं डर गई।

पापा- जाओ रानी ये बड़े सेठ हैं तेरी जिंदगी बना देंगे.. मैं अब चलता हूँ.. हाँ शाम तक तू इनको खुश कर दे.. मैं आकर तुझे ले जाउंगा.. ठीक है ना…

रानी- पा…. अंकल आपने तो कहा था आप साथ में रहोगे.. मगर आप तो जा रहे हो।

पापा- अरे मैं क्या करूँगा.. चार तो हैं अब मेरा यहाँ क्या काम, अब चुपचाप जा.. बाकी की बात शाम को करेंगे..

मेरी पीठ को सहला कर पापा मुझे उन भूखे भेड़ियों के सामने खड़ा करके वहाँ से चले गए।

गुप्ता जी- अब आ भी जा रानी.. क्यों तड़पा रही है.. आ देख सब कैसे तेरा इंतजार कर रहे हैं।

मैं धीरे-धीरे चलते हुए उनके पास गई।

एक बड़े से बिस्तर पर चारों बैठे बस मेरे करीब आने का इंतजार कर रहे थे।

जैसे ही मैं उनके नज़दीक गई, विश्रान्त ने मुझे खींच कर बिस्तर पर ले लिया।

यह एक रबड़ के गद्दे वाला पलँग था जिसके गद्दे में पानी भरा हुआ था। बड़ा ही लचीला बिस्तर था। मैं ऊपर गिरते ही उछल गई।

चारों मुझे वासना की नज़रों से घूरने लगे, कोई मेरे चूचे दबा रहा था तो कोई मेरी जाँघों को चूसने लगा।

मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि अचानक ये क्या हो गया। बस बिना कुछ बोले सब के सब मुझ पर टूट पड़े।

गुप्ता जी- यारों कुछ भी कहो किशोरी लड़की बहुत मस्त लाया है.. साली के चूचे छोटे से हैं.. मगर हैं बड़े रसीले.. उफ्फ.. क्या मज़ा आ रहा है।

दोस्तों उन चारों को मुझे नंगा करने में एक मिनट भी नहीं लगा।

अब मैं नग्न उनके सामने पड़ी थी और वो मेरे चूचुकों को चूस रहे थे।

विश्रान्त मेरी चूत को चाट रहा था, पहले उसने अपनी उंगली से मेरी चूत का मुआयना किया था कि कहीं सील पैक तो नहीं हूँ ना.. पहले एक उंगली डाली.. उसके बाद दो और फिर तीन उंगलियाँ ठूंस कर मेरी चूत की सील चैक की और मेरी चूत के रस से सनी अपनी उंगलियों को अपने मुँह में डाल कर चूसा।

राजन- क्यों विश्रान्त चूत चैक कर ली है क्या हुआ कैसी है.. और चूत का स्वाद कैसा है?

विश्रान्त- अरे क्या बताऊँ यार.. चूत तो एकदम मस्त कसी हुई है.. हाँ साली चुदी-चुदाई है.. मगर अभी ज़्यादा नहीं चुदी.. इसका पानी तो बड़ा स्वादिष्ट है।

सब एक से बढ़कर एक मादरचोद और हरामी थे, आधे घंटे तक मुझे ऐसे चूसते और चाटते रहे कि मेरी हालत खराब कर दी और हाँ एक बार तो मैं झड़ भी गई थी।

राजन- बस भाई इसको तो बहुत चूस लिया.. अब इसको अपने लौड़े चुसवाओ.. इसकी चूत और गाण्ड के मज़े लो.. अब बर्दाश्त नहीं होता।

चारों ने अपने कपड़े निकाल दिए.. मेरी नज़र उनके लौड़े पर गई जो तन कर एकदम फुंफकार रहे थे।

दोस्तों उनकी उमर के हिसाब से मुझे लगा.. सालों के लौड़ों में इतनी कहाँ जान होगी.. मगर उनको देख कर मेरी हालत पतली हो गई।

दयाल का लौड़ा कोई 8 इन्च का होगा पापा के लंड से मिलता-जुलता, गुप्ता जी का लंड एकदम काला.. किसी घोड़े जैसा वो कोई 9 इन्च का होगा और मोटा भी काफ़ी था।

अजय और विजय दोनों के लंड को जोड़ लो.. उतना अकेला तो उसका था। राजन का लौड़ा भी कोई 8 इन्च से ज़्यादा ही बड़ा था.. वो भी मोटा था।

आखिर में विश्रान्त के लंड पर नज़र गई तो वो भी करीब 9 इन्च का थोड़ा टेढ़ा लौड़ा था बिल्कुल केला जैसा घुमावदार लौड़ा था।

मेरे तो पसीने छूटने लगे, मगर मैं चुपचाप पड़ी रही।

दयाल- अबे गुड़िया.. अभी भी यूँ ही पड़ी रहेगी क्या.. चल आ जा.. अब लौड़े चूस.. उसके बाद देखते हैं तुझमें कितना दम है, आज तू शाम तक हम लोगों की है, कसम से आज तुझे इतना चोदेंगे कि सारी जिंदगी तुझे सपने में भी लौड़े ही दिखेंगे।

सारे कुत्ते मेरे आजू-बाजू खड़े हो गए, मैं उनके बीच बैठ गई और विश्रान्त का लौड़ा चूसने लगी, कभी राजन मेरे बाल खींच कर मुझे अपना लौड़ा चुसवाता तो कभी दयाल.. बस मैं तो उनके बीच कठपुतली बनकर रह गई थी।

रानी- आहह.. ऑऊच ये आप क्या कर रहे हो.. दुखता है ना…

राजन- चुप साली रंडी.. अगर इतना ही दर्द होता है, तो यहाँ क्या अपनी माँ चुदवाने आई है.. साली पैसे दिए है तेरे दलाल को.. शाम को तुझे तेरा हिस्सा भी मिल जाएगा.. वैसे एक बात तो बता, किशोरी को तू कहाँ से मिल गई.. साला कल तक तो हमसे कर्जे लेता था मगर आज सेठ बन गया.. पता है उसने तेरी एडवाँस बुकिंग कर दी है.. ये महीना पूरा तू बस चुदती ही रहेगी.. साला बड़ा हरामी है, एक ही दिन में लाखों कमा गया है वो।

उनकी यह बात सुनकर सोचने लगी.. जिस बाप के प्यार के लिए मैंने उसे अपना जिस्म सौंपा था वो ही कमीना मेरा दलाल बन गया।

उसे मुझसे कोई प्यार नहीं था, बस अपना काम निकाल कर अब मुझे बेच दिया उसने, पर मुझे भी बड़े लौड़ों से चुदवाने की चाह थी और पापा की चुदाई से मुझे लगने लगा था कि कम उम्र के लौंडों से ज्यादा अच्छी चुदाई उम्रदराज अनुभवी लौड़ों से मिलती है और मुझे इस नजर से ये चारों बहुत ठीक लग रहे थे।

वो सभी कुत्ते मुझ पर टूट पड़े, सबसे पहले विश्रान्त ने मुझे घोड़ी बना कर अपना लंबा लौड़ा मेरी चूत में एक बार में ही घुसा दिया, मैं ज़ोर से चीखी। राजन- वाहह.. भाई मान गए विश्रान्त साहब.. क्या शॉट मारा है आपने.. एक ही झटके में पूरा लौड़ा अन्दर कर दिया।

दयाल- चीख साली.. इसी बात के तो तुझे पैसे मिलेंगे.. तू जितना चिल्लाएगी हमें उतना ही मज़ा आएगा.. विश्रान्त साहब.. जरा एक और शॉट मारो ना.. साली की गाण्ड बड़ी मस्त है.. इसका भी उद्घाटन आप ही कर दो।

मैं भी समझ चुकी थी कि भले मुझे मजा आए पर मुझे ज्यादा चिल्लाना है ताकि इनको अधिक मजा आए।

विश्रान्त ने झटके के साथ लौड़ा चूत से निकाल लिया और गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा.. साला हरामी बड़ा ही एक्सपर्ट था..

एक ही बार में पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया।

मैं तो चूत के दर्द से अभी उबरी भी नहीं थी कि मेरी गाण्ड में भी दर्द हो गया। मेरी चीखें बदस्तूर जारी रहीं और विश्रान्त गाण्ड मारता रहा।

राजन- बस भी करो.. पहले सब को मुहूर्त करने दो.. उसके बाद इसकी चुदाई शुरू करेंगे.. रानी घबराओ मत.. यह तो बस हम टेस्ट ले रहे हैं.. उसके बाद आराम से चारों एक साथ तुझे चोदेंगे.. तू सोच भी नहीं सकती कि चार लौड़े एक साथ तू कैसे लेगी हा हा हा हा हा…

सब के सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे और बारी-बारी से जैसा विश्रान्त ने किया था सबने पांच मिनट तक मेरी चूत और गाण्ड का टेस्ट-ड्राइव लिया।

मैं अब भी यही सोच रही थी कि तीन तो समझ में आ रहे थे पर चौथा लौड़ा कहाँ डाला जाएगा.. बस इसी सोच में घोड़ी बनी हुई अपना इम्तिहान दे रही थी और इस टेस्ट के दौरान ही मैं झड़ गई।

विश्रान्त- बस अब टेस्ट पूरा हो गया.. साली रंडी तुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.. टेस्ट में कैसे कूल्हे हिला-हिला कर झड़ रही थी.. आजा.. आज पहले तेरी चूत को मैं ही चोदूँगा.. आ जा मेरे लौड़े पर बैठ जा.. राजन तू पीछे से गाण्ड मार ले.. बाकी ये दोनों मुँह को संभाल लेंगे।

दोस्तो, अब वो लम्हा मेरी जिंदगी में कैसा था.. आपको शब्दों में नहीं बता सकती हूँ।

विश्रान्त का लौड़ा मेरी चूत की दीवारों को सरकाने की कोशिश कर रहा था, राजन मेरी गाण्ड को ठोक रहा था। मैं दर्द के मारे चिल्ला भी नहीं पा रही थी..

वो दोनों कुत्ते एक साथ मेरे मुँह में अपने लौड़े घुसा रहे थे।

अब तो मैं हिल भी नहीं पा रही थी, बस चुदी जा रही थी।

कमीने थे भी बड़े तगड़े.. झपा- झप चोदे जा रहे थे.. बहुत तक दोनों मेरी चूत और गाण्ड मारते रहे.. मेरा दो बार पानी निकल गया, तब जाकर वो दोनों रुके।

अभी भी उनका पानी नहीं निकला था मेरी आँखें बन्द होने लगी थीं।

राजन- आह मज़ा आ गया.. अब पानी निकलने वाला है.. आ जाओ अब तुम दोनों लग जाओ.. हम इसके मुँह में पानी निकालेंगे…

वो दोनों मुँह से हट गए और उसी पोज़ में अब वो आ गए।

राजन का लौड़ा मेरे मुँह में गले तक घुसा हुआ था, मैं बड़ी मुश्किल से उसको चूस पा रही थी।

कोई 5 मिनट बाद वो मेरे मुँह में झड़ गया, सारा पानी मुझे मजबूर होकर पीना पड़ा।

उसके बाद विश्रान्त ने भी वैसे ही मेरे मुँह को चोदा और सारा पानी मुझे पिला दिया।

दयाल- वाहह.. क्या मस्त चूत है तेरी रानी.. मज़ा आ गया.. उह्ह उह्ह ले आह उफ़फ्फ़ आह… उधर गुप्ता मेरी गाण्ड को ऐसे मार रहा था जैसे ये दुनिया की आखरी गाण्ड हो, उसके बाद उसे कभी चोदने का मौका ही नहीं मिलेगा… साला लौड़े को पूरा बाहर निकालता उसके बाद सर्रररर से फिर घुसा देता।

अब मैं एकदम टूट गई थी.. मेरी चूत में अब पानी भी नहीं बचा था.. जो मैं झड़ जाती।

ये दोनों भी 30 मिनट तक मुझे चोदने के बाद मेरे मुँह में ही झड़े थे।

विश्रान्त- वाहह.. रानी तू वाकयी बहुत मस्त चुदवाती है.. अब आ जा मेरे लौड़े को चूस.. अबकी बार मैं तेरी गाण्ड मारूँगा और पानी भी गाण्ड में ही निकालूँगा।

रानी- आआ आह आप पागल हो.. सीसी क्या थोड़ा सांस तो लेने दो.. चार-चार लौड़े मैंने लिए हैं अब क्या मेरी जान लेने का इरादा है?

राजन- साली दो कौड़ी की छोकरी.. विश्रान्त साहब से ज़ुबान लड़ाती है.. अब देख तेरा क्या हाल करता हूँ.. अब तक तो हम प्यार से पेश आ रहे थे.. साली छिनाल इधर आ…

राजन ने मुझे अपनी ओर खींच कर अपना लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दिया और ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा, मैं पेट के बल लेटी थी और पीछे से विश्रान्त ने अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया और वो भी ज़ोर-ज़ोर से मुझे चोदने लगा।

दोस्तो, माना कि घर में मुझे चुदाई में मज़ा आने लगा था, मगर आज तो मेरी जान पर बन आई थी, वो तो घर के लौड़े थे, उनको मैं सहन कर लेती थी, मगर ये इंसान नहीं जानवर थे, जो बस चोदे ही जा रहे थे।

मेरा जरा भी इनको ख्याल नहीं आ रहा था।

उनसे चुदवाते-चुदवाते ना जाने मैं कब बेहोश हो गई और वो कुत्ते तब भी मुझे चोदने में लगे हुए थे।

शाम को जब मेरी बेहोशी टूटी, मेरी नज़र दीवार घड़ी की ओर गई, अब 6 बज रहे थे और वो चारों अब भी मेरे पास नंगे ही लेटे हुए थे।

राजन- क्यों रानी उठ गई क्या.. साली बड़ी कुत्ती चीज है.. तू बेहोशी में भी गाण्ड हिला-हिला कर मज़े लूट रही थी।

उसकी बात सुनकर मेरा ध्यान मेरी गाण्ड और चूत पर गया.. जो बहुत दर्द कर रही थी। लगता है कुत्तों ने बहुत बुरी तरह से मेरी ठुकाई की होगी।

रानी- आहह.. कमीनों उफ्फ.. मुझसे उठा भी नहीं जा रहा है.. क्या कर दिया तुम लोगों ने.. उहह.. मेरी चूत और गाण्ड बुरी तरह से दुख रही है.. उफ़फ्फ़ कमर भी अकड़ गई.. मेरी तो…

दयाल- हा हा हा.. साली चार-चार बार तुझे चोद कर भी मन नहीं भरा हमारा.. तू बड़ी मजेदार है.. उफ़फ्फ़ मैंने तो दे दनादन तेरी गाण्ड के ही मज़े लिए हैं और विश्रान्त साहब तेरी चूत के दीवाने हो गए.. साली बड़ा मज़ा दिया तूने आज…

उनकी बात सुनकर मेरे होश उड़ गए यानि 16 बार उन्होंने मुझे चोदा..

उफ्फ तभी मेरा यह हाल हो गया..

बड़ी मुश्किल से मैं उठी, अपने कपड़े लिए और बाथरूम में जाकर टब में गर्म पानी में बैठ कर चूत और गाण्ड को सेंकने लगी।

मेरी अब वहाँ से उठने की हिम्मत नहीं थी।

लगभग 7 बजे के आस-पास पापा वहाँ आ गए, मुझे उनकी आवाज़ सुनाई दी।

पापा- नमस्ते राजन सर, क्या बात है.. बड़े खुश दिखाई दे रहे हो.. लड़की ने कुछ गड़बड़ तो नहीं की ना.. आप लोगों को मज़ा आया या नहीं?

राजन- अरे आओ.. आओ.. किशोरी लाल.. कसम से मज़ा आ गया.. ऐसा माल पहले कभी नहीं मिला हमको यार.. क्या बताऊँ साली बड़ी गजब की लौंडिया है यार.. एक दो दिन बाद दोबारा लाना इसको.. आज तो हमने बस इसको चखा है.. अबकी बार ठीक से मज़ा लेंगे इसका…

मुझे उनकी बातें साफ सुनाई दे रही थीं.. कुत्तों ने चोद-चोद कर मेरी तो हालत खराब कर दी और कहते हैं कि आज बस ‘चखा’ है.. अबकी बार ठीक से चोदेंगे..

मैं जल्दी से उठी और अपने बदन को साफ किया.. अपने कपड़े पहने और बाहर आ गई।

पापा- अरे वाहह.. रानी.. तुम तो नहा कर तैयार हो गईं.. आ जाओ.. सब तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे हैं।

मैं कुछ नहीं बोली बस चुपके से पापा के पास आकर खड़ी हो गई।

राजन- ले भाई किशोरी.. 50 तो तुझे पहले दे दिए थे हमने.. बाकी के डेढ़ ये ले… कसम से पैसे वसूल हो गए.. और ये दस हजार मेरी तरफ़ से एक्सट्रा रानी के लिए… अबकी बार और मज़ा देना मेरी जान…

पापा ने खुश होकर उनसे पैसे ले लिए। हमारे निकलते हुए भी उस कुत्ते ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा एक मम्मा पकड़ कर दबाते हुए मुझे चूम लिया और मेरी गाण्ड को ज़ोर से मसक दिया।

हम लोग उधर से बापस आने लगे, रास्ते में पापा बोलते रहे.. मैं गुस्से की वजह से चुप बैठी रही।

पापा ने होटल से खाना ले लिया आज उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था।

हम जब घर पहुँचे तब मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।

पापा- अरे रानी क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रही.. पूरे रास्ते भी चुप थी.. देख आज तूने क्या कमाल कर दिया.. एक ही दिन में 2 लाख कमा लिए.. वाहह.. अब तो बहुत जल्दी हम अमीर हो जाएँगे।

रानी- बन्द करो अपनी गंदी ज़ुबान साले.. तू इतना बड़ा हरामी निकलेगा.. मैंने सोचा भी नहीं था.. तूने मुझे रंडी बना दिया और उन कुत्तों के सामने फेंक दिया.. तुम्हें शर्म नहीं आई.. मुझ नन्ही सी जान को चार हरामियों को सौंपते हुए.. मेरी हालत खराब कर दी उन लोगों ने… वे हैवान से कम नहीं थे.. कितना बेरहमी से चोदा मुझे.. मेरी हालत खराब कर दी।

पापा- चुप साली छिनाल की औलाद.. तुझे ही बड़ा शौक चढ़ा था… तीन-तीन से चुदने का.. साली फ्री में चुदवाने से तो अच्छा है ना.. घर में चार पैसे आयें… अब ज़्यादा बात मत कर.. अपनी औकात में रह!

मैंने पापा को खूब सुनाया.. मगर वो कहाँ मानने वाले थे.. उनको तो पैसों से मतलब था और मुझे भी अब समझ आ गया था कि मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई है, अब जो भी होगा मुझे ही सहना पड़ेगा.. बस वक़्त और हालत से मैंने समझौता कर लिया..

अजय और विजय को भी सब मालूम हो गया।

वो भी उस हरामी बाप के हरामी बेटे निकले…

अब वो भी अपने दोस्तों से पैसे लेकर मुझे उनसे चुदवाने लगे।

दोस्तो, उन सब के मज़े हो गए.. बड़े लोगों की पार्टी में मुझे अच्छे पैसे मिल जाते और इन टुच्चे लोगों से भी 2-4 हजार मिल ही जाते हैं।

अब तो लंड ही मेरी ज़िंदगी में कमाई का जरिया बन गया है।

मुझे चुदते हुए आज 4 साल हो गए हैं। मेरी चूत का तो भोसड़ा बन गया है, मेरी गाण्ड सबको बेहद पसंद आती है, साले कुत्ते सब मेरी गाण्ड ही मारते हैं।

बस दोस्तो, यही है मेरी बर्बादी की कहानी..

पापा ने रात भर चोद कर मुझे ऐसी रंडी बना दिया - Papa ne puri raat chodi

पापा ने रात भर चोद कर मुझे ऐसी रंडी बना दिया - Papa ne puri raat chodi , बाप बेटी की चुदाई, free sex video , बाप बेटी सेक्स सम्बन्धों पर आधारित चूत चुदाई की कहानियाँ Incest Sex Stories on Father-Daughter Sex.

रानी- आहह पापा ऊउउहह बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ बस अब निकाल लो… आह मैं मर जाऊँगी ऊउउहह…

पापा- अरे कुछ नहीं होगा.. मेरा जान ये तो आज तेरा कौमार्य भंग हुआ है.. इसलिए इतना दर्द हुआ.. बस आज बर्दाश्त कर ले.. फिर तू खुद मेरे लौड़े पर बैठ कर उछल-उछल कर चुदेगी.. अब जितना लौड़ा अन्दर गया है उसी को आगे-पीछे करूँगा.. थोड़ा दर्द होगा और कुछ नहीं.. जब दर्द कम हो जाए तो बता देना, एक ही बार में पूरा हथियार घुसेड़ दूँगा.. उसके बाद मज़ा ही मज़ा है।

मैं मुँह से कुछ नहीं बोली बस ‘हाँ’ में सर हिला दिया। अब पापा अपने लौड़े को आगे-पीछे करने लगे मुझे दर्द हो रहा था, पर मैं दाँत भींचे पड़ी रही।

कुछ देर बाद मेरी चूत का दर्द मज़े में बदल गया। अब मेरी चूत में वही खुजली फिर से होने लगी थी, ऐसा लग रहा था पापा का लौड़ा आगे तक क्यों नहीं जा रहा।

रानी- आहह.. हह उईईई उफफफ्फ़.. पापा आहह अब दर्द कम है.. आहह घुसा दो.. आह फाड़ दो.. मेरी चूत को उफ़फ्फ़ अब बर्दाश्त नहीं होता आह.. घुसाओ ना आहआह…

पापा के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई और पापा ने मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी कमर पर दबाव बनाया जिससे थोड़ा और लंड अन्दर सरक गया।

पापा ऐसे ही धीरे-धीरे आगे-पीछे करते रहे और थोड़ा-थोड़ा करके लौड़ा अन्दर करते रहे। दोस्तों सच बताऊँ मुझे पता ही नहीं चला कि उस हल्के दर्द में ही पापा ने अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत में जड़ तक घुसा दिया था।

पापा बहुत ही मंजे हुए खिलाड़ी हैं, उनको हक़ था मेरी सील तोड़ने का.. वरना कोई नया होता तो दर्द के मारे मेरी जान निकल जाती।

रानी- आहह उफफ्फ़ ससस्स कक.. पापा आहह घुसा दो.. आहह मज़ा आह रहा है.. आह अब जल्दी से झटका मार कर पूरा डाल दो.. अब दर्द कम हो गया आहअहह…

पापा- हा हा हा.. साली रंडी कहीं की.. कौन सी दुनिया में खोई है.. लौड़ा कब का जड़ तक तेरी चूत की गहराइयों में खो गया.. साला किसी ने सच ही कहा है लौड़ा कितना भी बड़ा हो.. चूत में जाकर गुम ही होता है और चूत दिखने में छोटी लगती है, मगर साली बड़े से बड़े लौड़े को निगल जाती है। अब देख मैं कैसे तेरी सवारी करता हूँ.. अब आएगा असली मज़ा, जब तेरी चूत में रफ्तार से लौड़ा अन्दर-बाहर करूँगा।

इतना बोल कर पापा ने रफ्तार बढ़ा दी, और दे झटके पे झटके मुझे चोदने लगे। मुझे भी दर्द के साथ मज़ा आने लगा। एक मीठा सा दर्द होने लगा, अब मैं भी पापा का साथ देने लगी और नीचे से गाण्ड उठा-उठा कर चुदने लगी।

रानी- आहह चोदो.. मेरे हरामी पापा.. आह चोद दो.. अपनी बेटी को.. आहह फाड़ दो आज मेरी चूत.. आह बना लो अपनी बीवी.. आहआह…

पापा- उह उह उह.. ले साली छिनाल की औलाद.. मेरे झटके अब ले.. आहह.. क्या गर्मी है तेरी चूत में आहह मज़ा आह.. गया आहह..

दस मिनट तक पापा मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करते रहे, मैं इस दौरान दो बार झड़ गई। अब पापा भी झड़ने के करीब आ गए।

उन्होंने रफ्तार और बढ़ा दी, पूरा बिस्तर हिलने लगा, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं ट्रेन में हूँ और आख़िर पापा के लौड़े ने लावा उगल दिया, मेरी प्यासी चूत पानी से भर गई।

काफ़ी देर तक पापा मेरे ऊपर पड़े रहे हाँफते रहे.. उसके बाद वे ऊपर से हटे…

रानी- उफ़फ्फ़ पापा.. यह क्या कर दिया.. आपने मेरी चूत को फाड़ दिया.. देखो पूरा बिस्तर खून से लाल हो गया, उफ़फ्फ़.. कितनी जलन हो रही है चूत में..

पापा ने मुझे समझाया- यह तो सील टूटी.. इसलिए खून आया, आज के बाद दोबारा कभी नहीं आएगा.. अब तू हर तरह से चुदने के लायक हो गई है।

उनकी बात सुनकर मेरा डर निकल गया, मैं जब उठी तो मेरे पैरों में दर्द हुआ और चूत में भी अंगार सी जलन हो रही थी।

मैंने हिम्मत करके खुद को उठाया और कमरे में थोड़ा चहलकदमी की, यह भी मुझे पापा ने ही बताया।

दस मिनट में मेरा दर्द कम हो गया और मैंने चादर हटा कर बाथरूम में धुलने में रख दी, पापा और मैं एक साथ नहाए।

पापा ने बड़े प्यार से मल कर मेरी चूत साफ की.. गर्म पानी से मुझे बड़ा आराम मिल रहा था।
मैंने भी पापा के लौड़े को साफ किया।

नहाते-नहाते पापा का लौड़ा दोबारा खड़ा हो गया और पापा ने कहा- चलो अब इसको दोबारा ठण्डा करो।

उस रात पापा ने मेरी 3 बार चूत और आखिर में एक बार गाण्ड मारी।

दोस्तों एक ही रात में पापा ने मुझे चुदाई के ऐसे-ऐसे नियम बताए और हर तरह के आसन में मुझे चोदा, मैं आपको कैसे बताऊँ…
चुदाई से थक कर हम नंगे ही सो गए।

सुबह 9 बजे मेरी आँख खुली तो मैं जल्दी से उठी, नहा कर पापा को उठाने गई, वो नंगे सोए हुए थे, उनका लंड भी सोया हुआ था, मुझे मस्ती सूझी, मैंने झट से उनका लौड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

पापा- आहह… उफ़ पूरा बदन दर्द कर रहा है.. अरे वाहह.. रानी तू तो नहा कर तैयार हो गई और साली लंड की भूखी सुबह-सुबह ही लौड़े को चूसने लगी.. रात को मन नहीं भरा क्या तेरा?

मैंने हँसते हुए पापा से कहा- वो बात नहीं है.. आपको उठाने आई तो पहले लौड़ा ही दिखा.. बस आपको छेड़ने के लिए इसको चूसने लगी।

पापा- ओह्ह ये बात है वक्त क्या हुआ है?

रानी- पापा 9.30 बज गए हैं।

पापा- अरे बाप रे.. आज तो बहुत लेट हो गया और बदन भी दु:ख रहा है.. चल अब तो तू लौड़े को चूस कर पानी निकाल दे.. उसके बाद नहा कर आराम से नाश्ता करके ही जाऊँगा.. सच में तूने मेरी जिंदगी बना दी, इतना मज़ा तो मुझे मेरी सुहागरात पर भी नहीं आया था। चल साली अब चूस…

मेरा भी मन था कि लौड़ा चूसूँ… तो मैं अपने काम पर लग गई।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि मैं कितनी बेशर्म हूँ जो अपने बाप के साथ ऐसा कर रही हूँ, पर दोस्तो, यकीन करो इतने सालों में मुझे कभी उनका प्यार नहीं मिला, आज चुदाई के बहाने ही सही, वो मेरे साथ ठीक से पेश आ रहे हैं.. बस मेरे लिए यही काफ़ी है।

मैंने पूरा लौड़ा मुँह में भर लिया और उसको चूसने लगी, मुझे बड़ा मज़ा आह रहा था…

पापा- आह उफ़फ्फ़ चूस साली.. आहह तू तो तेरी माँ से भी अच्छा चूसती है.. रंडी.. वो तो नखरे करती थी.. आह मज़ा आह गया उफ़…

पापा की बात सुनकर मैंने लंड मुँह से निकाल दिया और हाथ से सहलाने लगी।

रानी- सच पापा.. क्या मेरी माँ भी चूसती थी और क्या आपको उनको चोदने में मज़ा आता था।

पापा- अरे हाँ.. उसने शादी की रात तो.. साली ने नहीं चूसा.. नाटक किया.. मगर धीरे-धीरे लाइन पर आ गई, मगर उसको चोदने में मज़ा नहीं था.. साली की चूत नहीं भोसड़ा था.. लगता था तेरे बाप ने दिन-रात उसको चोद-चोद कर चूत का भोसड़ा बना दिया होगा..
तभी साला मर गया।

रानी- पापा प्लीज़ वो दोनों इस दुनिया में नहीं हैं.. उनके बारे में ऐसा तो ना कहो…

पापा- साली छिनाल.. तूने पूछा तभी मैंने बताया.. अब तू खुद अपनी माँ चुदवा रही है तो मैं क्या करूँ।

रानी- अच्छा जाने दो.. अपनी पहली बीवी के बारे में कुछ बताओ ना प्लीज़…

पापा- आह तू हाथ को छोड़.. मुँह से चूस.. मैं सब बताता हूँ.. मैं 23 साल का था जब मेरी शादी हुई थी और राधा 21 की.. बस सुहागरात को तेल लगा कर उसकी चूत में लौड़ा घुसाया था, मगर उसकी सील बचपन में खेल-कूद में टूट गई थी, तो खून तो नहीं आया.. हाँ दर्द उसको बहुत हुआ था। मैं भी नया खिलाड़ी था, तो उस वक़्त इतना मज़ा नहीं आया। असली सुहागरात तो मैंने रात तेरे साथ मनाई है.. आहह उफ़फ्फ़ साली.. आराम से चूस उफ़फ्फ़.. हा ऐसे ही.. मज़ा आह रहा है.. उफ़फ्फ़ ज़ोर से कर.. आह मेरा पानी आ रहा है साली बाहर मत निकालना.. पी जा पूरा.. आह…अहहा उफफ्फ़…

पापा के लौड़े ने मेरे मुँह को पानी से भर दिया, मैं पीना तो नहीं चाहती थी, मगर पापा को खुश करने के लिए पी गई और जीभ से चाट कर उनके लौड़े को साफ कर दिया।
पापा खुश होकर नहाने चले गए और मैं नाश्ते की तैयारी में लग गई।

लगभग 11 बजे तक हम नाश्ते से निपट गए।

पापा ने मुझे एक लंबा सा चुम्बन किया और जाने लगे, दरवाजे तक जाकर वो वापस आ गए।

पापा- रानी मेरी जान.. एक बहुत जरूरी बात बताना भूल गया, शाम को तेरे भाई आएँ.. तो उन्हें ज़रा भी शक ना हो कि हमने रात क्या किया है और तुमने मुझे उनके बारे में कुछ भी नहीं बताया ओके!

रानी- लेकिन पापा अगर उन्होंने दोबारा मेरे साथ करने की कोशिश की तो?

पापा- देख तू मना करेगी तो वो तुझे मारेंगे और मैं नहीं चाहता कि तेरे जिस्म पर ज़रा भी खरोंच आए और वो भी जवान हो गए हैं उनका भी लौड़ा फड़फड़ाता होगा, तुझे क्या है उनसे भी मरवा लेना.. कौन सी तू उनकी सग़ी बहन है.. अब तो तू एक्सपर्ट हो गई है दोनों को झेल लेगी…

पापा की बात सुन कर मुझे थोड़ा दु:ख हुआ कि वो खुद तो मुझे अपनी बीवी बना चुके और अब अपने बेटों की भी रखैल बना रहे हैं।

रानी- आप जो ठीक समझो.. मगर उन्होंने मेरी चूत में लौड़ा डाला तो उनको पता चल जाएगा कि मेरी सील टूट चुकी है, तब मैं उनको क्या जवाब दूँगी?

पापा- अरे पागल, वो दोनों एक साथ तो तुझे चोदेंगे नहीं, जो भी पहले चूत में लौड़ा डाले.. उसको दूसरे का नाम बता देना कि उसने सील तोड़ी है.. समझी…

पापा की बात मुझे अच्छे से समझ में आ गई थी।

अब मुझे किसी किस्म का डर नहीं था.. सच ही कहा है किसी ने.. छोटी सी चूत बड़े से बड़े आदमी को कुत्ता बना देती है, अब ये तीनों बाप बेटे मेरे गुलाम बनने वाले थे। पापा- रानी मेरी जान.. एक बहुत जरूरी बात बताना भूल गया, शाम को तेरे भाई आएँ.. तो उन्हें ज़रा भी शक ना हो कि हमने रात क्या किया है और तुमने मुझे उनके बारे में कुछ भी नहीं बताया ओके!

रानी- लेकिन पापा अगर उन्होंने दोबारा मेरे साथ करने की कोशिश की तो?

पापा- देख तू मना करेगी तो वो तुझे मारेंगे और मैं नहीं चाहता कि तेरे जिस्म पर ज़रा भी खरोंच आए और वो भी जवान हो गए हैं उनका भी लौड़ा फड़फड़ाता होगा, तुझे क्या है उनसे भी मरवा लेना.. कौन सी तू उनकी सग़ी बहन है.. अब तो तू एक्सपर्ट हो गई है दोनों को झेल लेगी…

पापा की बात सुन कर मुझे थोड़ा दु:ख हुआ कि वो खुद तो मुझे अपनी बीवी बना चुके और अब अपने बेटों की भी रखैल बना रहे हैं।

रानी- आप जो ठीक समझो.. मगर उन्होंने मेरी चूत में लौड़ा डाला तो उनको पता चल जाएगा कि मेरी सील टूट चुकी है, तब मैं उनको क्या जवाब दूँगी?

पापा- अरे पागल, वो दोनों एक साथ तो तुझे चोदेंगे नहीं, जो भी पहले चूत में लौड़ा डाले.. उसको दूसरे का नाम बता देना कि उसने सील तोड़ी है.. समझी…

पापा की बात मुझे अच्छे से समझ में आ गई थी।

अब मुझे किसी किस्म का डर नहीं था.. सच ही कहा है किसी ने.. छोटी सी चूत बड़े से बड़े आदमी को कुत्ता बना देती है, अब ये तीनों बाप बेटे मेरे गुलाम बनने वाले थे।

पापा के जाने के बाद मैंने घर की साफ-सफ़ाई की, मेरा पूरा बदन दर्द से दु:ख रहा था मगर ना जाने कहाँ से मुझमें इतनी ताक़त आ गई थी कि मैं फटाफट सारा काम कर रही थी।

दोपहर का खाना तो बनाना नहीं था, सो मैं सारा काम निपटा कर सो गई।

लगभग 5.30 बजे तक सुकून की नींद लेने के बाद मेरी आँख खुली, तभी अजय आ गया और मुझे देख कर मुस्कुराने लगा।

रानी- क्या हुआ क्यों मुस्कुरा रहे हो?

अजय- कुछ नहीं देख रहा हू तेरी अकड़ अभी निकली नहीं.. तुझे दोबारा डोज देना पड़ेगा।

मैं कुछ नहीं बोली और मुँह-हाथ धोकर रसोई में खाना बनाने चली गई।

अजय भी पजामा पहन कर मेरे पीछे आ गया।

मैंने सफ़ेद टॉप और पीला स्कर्ट पहना हुआ था, यह मुझे पड़ोस की मिश्रा आंटी ने दिया था, जो मेरे लिए भी छोटा ही था।

मैं कभी ऐसे कपड़े नहीं पहनती, मगर अब तो ऐसे ही कपड़े इन तीनों को काबू करने के काम आएँगे।

अजय- आज तो बड़ी क़यामत लग रही हो.. क्या इरादा है?

मैंने उसकी बात का कोई जबाव नहीं दिया और अपने काम में लगी रही।

अजय ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मेरी जाँघों पर हाथ घुमाने लगा।

मुझे अच्छा लग रहा था मगर मैंने ना चाहते हुए भी पीछे मुड़ कर उसको धक्का दे दिया।

रानी- शर्म करो.. मैं तुम्हारी बहन हूँ.. कल भी तुमने मेरी गाण्ड मार ली.. मैंने पापा से कुछ नहीं कहा। अब अगर तुमने कुछ किया ना, तो पापा को बता दूँगी।

अजय- अबे चल.. साली राण्ड.. पापा तेरी बात कभी नहीं सुनेंगे, कल की बात भूल गई क्या? विजय ने कैसे तुझे ठोका था.. चल नाटक मत कर चुपचाप कमरे में आजा, मेरा बहुत मन कर रहा है तेरी गाण्ड मारने का.. तू अगर चुपचाप आ जाएगी ना.. तो कल तुझे पक्का एक प्यारा सा गिफ्ट लाकर दूँगा और आज के बाद तुझे कभी परेशान नहीं करूँगा।

मुझे तो इसी मौके का इन्तजार था, मगर ऐसे सीधे ‘हाँ’ बोल देती तो गड़बड़ हो जाती। पापा ने रात भर चोद कर मुझे ऐसी रंडी बना दिया था कि आइडिया अपने आप मेरे दिमाग़ में आ गया।

रानी- ठीक है भाई.. मगर आप इस बारे में विजय से कुछ नहीं कहोगे और आराम से करोगे.. कल ही तुमने मेरी जान निकाल दी थी.. तुम्हारा बहुत मोटा है।

मेरी बात सुनकर अजय के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसकी पैन्ट में तंबू बन गया।

अजय- अरे नहीं मेरी रानी.. मैं भला विजय को क्यों बोलूँगा, इसमे मेरा ही नुकसान है और आज बड़े प्यार से तेरी गाण्ड मारूँगा.. ज़रा भी दर्द नहीं होने दूँगा.. बस तू आ जा कमरे में.. कसम से लौड़े में बहुत दर्द हो रहा है, मेरी तमन्ना पूरी कर दे.. मैं तुझे सच्ची की रानी बना कर रखूँगा।

मैं मन ही मन सोच रही थी कि कितने हरामी है मेरे भाई और बाप.. साले कुत्ते सब मुझे चोदने के लिए कैसे मेरे आगे गिड़गिड़ा रहे हैं।

मैं उसके पीछे-पीछे कमरे में गई, वो बिस्तर पर बैठा अपने लौड़े को पैन्ट के ऊपर से मसल रहा था। मुझे देख कर उसने मुझे आँख मारी, बदले में मैंने भी एक कामुक मुस्कान दे दी।

अजय- आजा मेरी रानी अब बर्दाश्त नहीं होता.. आज तो मैं घोड़ी बना कर तेरी गाण्ड मारूँगा।

रानी- पहले कपड़े तो निकाल दो.. क्या ऐसे ही मारोगे?

मेरी बात सुनकर अजय खुश हो गया और जल्दी से अपने कपड़े निकाल कर फेंक दिए, उसका लंड मुझे सलामी दे रहा था।

कल तो मैंने ठीक से नहीं देखा था मगर आज उसका गोरा लौड़ा मुझे अच्छा लग रहा था।
मैं उसके पास जाकर खड़ी हो गई और एक-एक करके अपने कपड़े निकालने लगी.

मुझे ऐसे कपड़े निकालते देख कर अजय की तो हालत खराब हो गई क्योंकि मेरा अंदाज थोड़ा मादक था।

अजय- वाह.. क्या मस्त फिगर है तेरा.. मज़ा आएगा आज तो आजा रानी.. देख मेरा लौड़ा कैसे तेरे इन्तजार में फुंफकार रहा है।

इतना कहकर अजय मुझ पर टूट पड़ा.. मेरे मम्मों को दबाने लगा.. चूसने लगा।

मैं उसको धक्का मार रही थी मगर वो चिपका जा रहा था आख़िर मैंने उसे अपने आप से दूर किया।

रानी- ऐसे नहीं भाई.. पहले अपनी आँखें बन्द करो.. उसके बाद मैं आपके पास आऊँगी।

अजय ने झट से मेरी बात ली और आँखें बन्द करके बिस्तर पर लेट गया। मैं बिस्तर पर चढ़ गई और उसके लौड़े को हाथ से सहलाने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने उसको मुँह में भर लिया और चूसने लगी। अजय ने झट से आँखें खोल दीं और मुझे देखने लगा।

अजय- अरे वाह साली… तू तो एक ही दिन में इतना बदल गई.. लौड़ा भी चूसने लगी.. आहह मज़ा आ गया उफ़.. साली काट मत.. चूस रानी.. .. मज़ा आ रहा है…

करीब 5 मिनट की ज़बरदस्त चुसाई के बाद मेरी चूत में भी खुजली होने लगी.. मगर मैंने अपने आप पर काबू किया।

अजय- आह आहह.. उफफफ्फ़ साली बस भी कर.. पानी मुँह से ही निकलेगी क्या.. चल अब घोड़ी बन जा.. तेरी गाण्ड मारने की मेरी बहुत इच्छा हो रही है।

मैंने लंड मुँह से निकाल दिया और घोड़ी बन गई, अजय मेरे पीछे आ गया उसने मेरी गाण्ड पर हाथ घुमाया और गाण्ड की तारीफ की, उसके बाद उसने लंड को मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा.. पूरा लौड़ा आराम से गाण्ड में घुस गया, मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

अजय- आहह तेरी गाण्ड में जाकर लंड को कितना सुकून मिला है.. अब ले रानी मेरे झटके संभाल.. आह.. उहह ले आहह…

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था उसके धक्कों से मेरी चूत की आग बढ़ने लगी थी मगर वो कच्चा खिलाड़ी था।

अचानक उसने रफ्तार बढ़ा दी और 2 ही मिनट में उसके लौड़े ने रस छोड़ दिया।

अब वो निढाल सा होकर मेरे पास लेट गया। मेरी चूत की आग चरम पर थी.. मैंने जल्दी से अपनी ऊँगली डाल कर चूत को ठंडा करना चाहा, मगर ऐसा करना ठीक नहीं था वरना अजय को शक हो जाता।

मैं उसके पास ही लेट गई और उसकी नजरों से बचा कर एक हाथ से चूत को रगड़ने लगी।

अजय- उफ़ साली.. क्या हो गया तुझे.. कल तो रो-रो कर बुरा हाल था और आज ऐसे चुदी.. जैसे कई सालों की प्यासी हो.. जान तेरी चूत की सील तोड़ने दे ना.. प्लीज़ तू जैसा कहेगी मैं वैसा ही करूँगा.. प्लीज़ बस एक बार दर्द होगा.. उसके बाद तुझे बड़ा मज़ा आएगा प्लीज़…

रानी- नहीं भाई.. आज नहीं कल पक्का.. अभी पापा आने वाले होंगे.. अच्छा विजय कहाँ है? आया नहीं अभी तक?

‘वो आता ही होगा.. अच्छा तेरी चूत को चुम्मी तो करने दे अभी.. प्लीज़ अब मना नहीं करना..’

उसकी बात सुनकर मेरी तो मन की मुराद पूरी हो गई, चूत तो वैसे ही जल रही थी, मैंने झट से ‘हाँ’ कर दी और अपनी टाँगें फैला लीं।

अजय- वाह.. क्या मस्त गुलाबी चूत है तेरी.. मगर ये ऐसे सूजी हुई क्यों है.. क्या हुआ?

उसकी बात सुनकर मैं भी असमंजस में पड़ गई कि अब क्या जवाब दूँ।

अब दोस्तो, माना कि पापा ने मुझे रात भर चोदा और कई बातें भी सिखाईं मगर ऐसी नौबत भी आएगी, यह हमने सोचा ही नहीं था। मैंने पापा की वही बात बोल दी।

रानी- भाई इतने भी अंजान मत बनो कल विजय ने गाण्ड के साथ-साथ मेरी चूत में भी लौड़ा घुसाया था इसी कारण ये ऐसी हो गई।

अजय- क्या.. मगर मैंने तो नहीं देखा.. मैं वहीं खड़ा छुप कर देख रहा था.. उसने चूत कहाँ मारी थी।

अब तो मेरी मुश्किल और बढ़ गई थी.. क्या जबाव देती उसे? मेरे चेहरे का रंग उड़ गया था चूत की सारी आग ठंडी पड़ गई थी।

अब तो कैसे भी करके मैं अजय को वहाँ से भगाना चाहती थी।

रानी- वो व्व वो.. विजय भाई गुस्से में लौड़े को ज़ोर ज़ोर से अन्दर-बाहर कर रहे थे तो अचानक लौड़ा गाण्ड से निकल कर चूत में घुस गया था, उस वक्त मैं ज़ोर से चीखी भी थी.. याद है ना..? बस उसी वक्त चूत की सील टूट गई थी।

सॉरी दोस्तो.. मुझे पता है, यह बात मुमकिन नहीं है, मगर उस वक़्त मैं भी चुदाई के मामले में नई ही थी.. तो जो मुँह में आया.. सो बोल दिया और अजय कौन सा पक्का चोदू था.. वो हरामी भी नया ही चोदू था तो उसको कहाँ समझ में आया ये सब.. उसने मेरी बात झट से मान ली।

अजय- ओह्ह.. तो ये बात है.. ‘हाँ’.. तुम एक बार ज़ोर से चीखी थी’.. भाई भी ना.. उनको पता ही नहीं चला कि लौड़ा कहाँ जा रहा है.. बस दे दनादन चोद रहे थे। अगर कुछ हो जाता तो? उनको पता भी नहीं चला और तुम्हारी सील टूट गई.. चलो अच्छा ही है अब मुझे किसी बात का डर नहीं है। कल आराम से तुम्हारी चूत के मज़े लूँगा.. अच्छा अब जल्दी से कपड़े पहन लो वरना कोई आ गया तो तेरी शामत आ जाएगी.. कल तेरे लिए एक नई ड्रेस लेकर आऊँगा.. अच्छा सा ओके…

इतना बोलकर वो कड़े पहनने लगा।

मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े पहने और उसको एक पप्पी कर के अपने काम में लग गई।

करीब 7 बजे पापा और विजय साथ में ही घर आए।
पापा के हाथ में कोई पैकेट था.. विजय भाई मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे क्योंकि आज से पहले उन्होंने भी मुझे ऐसे कपड़ों में नहीं देखा था। पापा- अरे वाहह.. क्या बात है रानी.. आज तो बड़े अच्छे कपड़े पहने हैं।

विजय- पापा आप भी ना.. इसने बेढंगे कपड़े पहने हैं और आप इसकी तारीफ कर रहे हो..

पापा- अरे बेटा कौन सा हम इसको कपड़े लाकर देते हैं? आस-पड़ोस से माँग कर पहनती है। अब कोई सलवार सूट देता है तो कोई ऐसे कपड़े दे देता है.. हमको क्या लेना-देना.. ओए रानी की बच्ची.. खाना बनाया कि नहीं.. वरना आज तेरी खैर नहीं..

रानी- ज.. जी.. पापा खाना तैयार है.. आप हाथ-मुँह धो लो अभी लगा देती हूँ।

‘मुझे अभी भूख नहीं है.. बाद में खा लूँगा..’ इतना कहकर विजय अपने कमरे में चला गया।

उधर अजय भी अपने कमरे में आराम कर रहा था। खाना खाने के वक्त तो कुछ खास नहीं हुआ।

रात को करीब दस बजे तक अजय और विजय ने भी खाना खा लिया और अपने-अपने कमरों में चले गए।

पापा- अरे ओ रानी की बच्ची.. कहाँ मर गई.. इधर आ साली.. मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है.. जल्दी आ कुतिया..

दोस्तों पापा ने ज़ोर से मुझे आवाज दी ताकि दोनों भाइयों को किसी तरह का शक ना हो.. मैं चुपचाप पापा के कमरे में गई, पापा मुझे देख कर मुस्कुराए।

पापा- आजा मेरी जान तेरे इन्तजार में लौड़ा मेरी पैन्ट फाड़ रहा है.. साली आज बड़ी क़यामत लग रही है.. ऐसे कपड़े पहनेगी तो मेरा क्या मेरे दोनों बेटों का भी सत्यानाश कर देगी तू.. चल आ जा.. ये ले आज ये पहन कर आ।

पापा ने मुझे वो पैकेट दिया जिसमे गुलाबी रंग की एक सेक्सी नाइटी थी और उसके साथ एक वीट की ट्यूब थी, जिससे मेरी झांटों के बाल साफ़ किए जाते हैं।

पापा- मेरी जान जल्दी से गुसलखाने में जाकर अपने सारे बाल साफ करके ये नाइटी पहन कर आजा… तब तक मैं भी दो-चार पैग लगा लेता हूँ।

दोस्तों मैंने कभी ऐसी क्रीम इस्तेमाल नहीं की थी तो मुझे कुछ समझ नहीं आया।

रानी- पापा मुझे नहीं आता.. आप ही साफ कर दो ना प्लीज़…

पापा- ओह्ह.. चल आज तुझे सिखाता हूँ कि बाल कैसे उतारते हैं.. चल इसी बहाने मेरे लौड़े को भी चिकना कर लूँगा।

हम दोनों नंगे होकर बाथरूम में घुस गए। पापा ने मेरी चूत और हाथ-पाँव पर वीट लगा दी और खुद एक रेजर से अपने बाल उतारने लगे।

दोस्तो, वीट लगाते हुए पापा ने मेरी चूत को ऐसा रगड़ा की बस क्या बताऊँ.. शाम को अजय ने मुझे अधूरा छोड़ दिया था.. अब वो आग वापस जल उठी थी।

करीब 15 मिनट में सारे बाल साफ करके हम नहा कर कमरे में आ गए। हमने एक-दूसरे को साफ किया और पापा नंगे ही बैठ कर पैग बनाने लगे।

पापा- क्यों रानी आज तेरा भी पैग बना दूँ.. बड़ा मज़ा आएगा और सुना आज कुछ हुआ क्या? अजय पहले आ गया था ना.. उसने तुझे चोदा कि नहीं?

रानी- नहीं पापा.. ये आप ही पियो.. मुझे तो आपके लौड़े का रस अच्छा लगता है.. बस उसी को पीऊँगी।

मैंने अजय के साथ की सारी बात पापा को बता दी।

पापा- हा हा हा बेचारा अजय.. बहुत बुरा हुआ उसके साथ तो.. साली रंडी तुझे क्या जरूरत है एक ही दिन में उसके लौड़े को चूसने की.. चुपचाप चुद गई होती और क्या चूतिया बनाया बेचारे को।

मैंने बिना कुछ बोले पापा के लौड़े को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

पापा- अरे जान ऐसे ही शुरू हो गई.. वो नाइटी पहन कर तो आ.. जरा देखने तो दे.. कैसी लगती है तू?

रानी- पापा मेरी चूत पानी-पानी हो रही है आपको नाइटी की पड़ी है। वैसे भी उसे पहन कर उतारना ही तो है और आप भी गर्म हो.. ऐसा करूँगी जब दोनों भाई घर पर नहीं होंगे, तब उसको पहन कर आप को रिझाऊँगी ताकि कभी दिन में भी आप मुझे छोड़ कर ना जा पाओ और मुझे चोदने को बेकरार हो जाओ।

पापा- हाँ.. ये सही कहा.. कभी मेरा मूड नहीं होगा उस दिन उस नाइटी में तुझे देख कर मूड अपने आप बन जाएगा.. चल अब मुझे पीने दे और तू भी अपने काम पर लग जा।

दस मिनट में पापा ने 3 पैग पी लिए और तब तक मैंने उनके लौड़े को चूस कर एकदम लोहे जैसा बना दिया। अब पापा को बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने बिना मुझे चूमे-चाटे बस सीधा बिस्तर पर लिटा कर लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया।

दोस्तो, कल तो दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी मगर आज जो मज़ा आ रहा था। मैं क्या बताऊँ पापा ने आसन बदल-बदल कर मुझे मुझे 40 मिनट तक चोदा, मेरा दो बार पानी निकल गया था।

पापा ने अपना सारा पानी मेरी चूत में भर दिया और हाँफने लगे।

पापा- उफ़फ्फ़ लौड़े में दर्द होने लगा, क्या मस्त कसी चूत है तेरी.. साली एक ही दिन में ऐसी पक्की राण्ड बन गई है कैसे मेरे लौड़े पर उछल कर मज़े ले रही थी।

रानी- पापा ये सब आपका कमाल है.. कमसिन कली को एक ही दिन में तीन-तीन हरामी चोदेंगे तो वो बेचारी राण्ड ही बनेगी।

पापा- साली हरामखोर गाली देती है.. रंडी मैंने तेरी लाइफ बना दी.. कुत्तों से बदतर जिंदगी जी रही थी.. अब मज़े करेगी।

रानी- सॉरी पापा.. आपको बुरा लगा तो मगर आपने ही कहा था गाली देने से चुदाई में मजा बढ़ता है.. अच्छा अबकी बार कैसे चोदेंगे मुझे?

पापा- अरे रानी चोदने के वक्त गाली देने से मजा बढ़ता है.. ऐसे क्या फायदा और अभी के लिए इतना काफ़ी है.. वरना दोनों को शक हो जाएगा.. जा अपने कमरे में चली जा.. विजय आता ही होगा.. उसकी नज़रें साफ बता रही थीं कि वो तुझे आज कच्चा खा जाएगा।

रानी- सच्ची विजय आएगा… कसम से कल कुत्ते ने बड़ी बेदर्दी से मेरी गाण्ड मारी थी.. आज अगर आ गया तो रात भर जाने नहीं दूँगी.. बोलूँगी चोद बहन के लौड़े.. आज जितना दम है निकाल ले साला हरामी बड़ा अकड़ता है।

पापा- अरे आएगा कैसे नहीं.. मेरा खून है उसकी नज़र को बहुत अच्छे से पहचानता हूँ.. जा अब देर मत कर…

मैं झट से गुसलखाने में गई.. अपनी चूत को अच्छे से साफ किया। बाहर आकर अपने कपड़े पहने और सीधी अपने कमरे में चली गई।

वहाँ विजय पहले से ही बैठा मेरा इन्तजार कर रहा था। उसको देख कर मैं सन्न रह गई।

विजय- आओ रानी.. मैं तेरा ही इन्तजार कर रहा था.. कहाँ थी अब तक हाँ?

रानी- व व.. वो वो.. पापा के सर में दर्द था.. इसलिए उनका सर दबा रही थी।

विजय- चुप साली छिनाल.. बहुत झूट बोलती है… मैंने दरवाजे के पास खड़े होकर सब कुछ देखा है… साली रंडी तुझे शर्म नहीं आई पापा से चुदवाते हुए?

दोस्तो, उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया, ना जाने कितने सालों से मैं घुट-घुट कर जी रही थी.. मगर इन दो दिनों की चुदाई ने मुझे निडर बना दिया था। वो कहते है ना औरत को नंगी कर दो, तो उसके बाद उसकी शर्म के साथ-साथ उसकी ज़ुबान भी खुल जाती है।

रानी- अबे ओ बहनचोद.. किसको तेवर दिखा रहा है हरामजादे कल तूने मुझे चोदा.. तब तुझे शर्म नहीं आई कि मैं तेरी बहन हूँ और वो कुत्ता अजय उसने मुझे चोदना चाहा.. उसकी बातों में आकर तूने मेरी गाण्ड मारी.. तेरे जाने के बाद उस कुत्ते ने मेरी गाण्ड मारी…

मैंने तेरे हरामी बाप को बताया तो उसने तुमको कुछ कहने की बजाए मेरी चूत को फाड़ दिया… हाँ साले.. शर्म उसको नहीं आई अपनी बेटी के साथ चुदाई करते हुए।

उसके बाद आज फिर उस कुत्ते अजय ने मुझे चोदा… अभी तेरे बाप के पास मैं नहीं गई थी.. उस हरामी ने मुझे बुलाया था चोदने के लिए समझे…

विजय- साली छिनाल.. बहुत ज़ुबान चल रही है तेरी… काट कर फेंक दूँगा।

रानी- बस ज़्यादा तेवर मत दिखाओ… मैं जानती हूँ तू यहाँ क्यों आया है। अब चुपचाप अपना काम कर और चलता बन मुझे नींद आ रही है।

विजय- क.. कौन सा काम?

रानी- इतना भी पागल मत बन.. आधी रात को तू मेरे कमरे में क्या माँ चुदाने आया है… साला बहनचोद.. मुझे चोदने आया है ना.. तो क्यों बेकार में वक्त खराब कर रहा है.. चल निकल अपने कपड़े.. आज तुझे असली मज़ा देती हूँ। तेरे हरामी बाप ने कल से लेकर आज तक मुझे इतना बेशर्म बना दिया है कि एक रंडी भी अपने ग्राहक को इतना मज़ा नहीं देती होगी जितना मैं तुझे आज दूँगी।
कहानी जारी है।

पापा का हाथ मेरी चूत पर आ गया था - Papa ka hath meri chut par lag gayaa

पापा का हाथ मेरी चूत पर आ गया था - Papa ka hath meri chut par lag gayaa , बाप बेटी की चुदाई, free sex video , बाप बेटी सेक्स सम्बन्धों पर आधारित चूत चुदाई की कहानियाँ Incest Sex Stories on Father-Daughter Sex.

हाय दोस्तो, मैं रानी हूँ, मेरी उम्र 20 साल है मेरा रंग गोरा है और लंबे बाल हैं। मेरे होंठ पतले हैं और ऊपर के होंठ के दाहिनी ओर एक तिल है। मेरी सहेलियां कहती हैं कि उस तिल से मेरी सुंदरता में चार चाँद लग गए हैं।

मेरे चूचे अभी 36 इन्च के हो गए हैं। मेरी कमर 32 इन्च की है और मेरे चूतड़ बहुत ज़्यादा बाहर को आ गए हैं।

क्या करूँ सभी मेरी गाण्ड में ही लौड़ा डालने को मरते हैं, इसलिए मेरी गाण्ड उभर कर बाहर को आ गई है।

आज मेरी ये हालत है कि मेरी चूत और गाण्ड में गधे का लौड़ा भी घुस जाए क्योंकि वक़्त और हालत ने मुझे इतनी बड़ी चुदक्कड़ बना दिया है कि मैं आपको क्या बताऊँ।

मैं एक सीधी-सादी लड़की थी पर जब आप कहानी पढ़ेगे तो सब जान जाएंगे कि कैसे हवस के पुजारियों ने मेरी जिंदगी बर्बाद की है।

अब आपको ज़्यादा बोर नहीं करूँगी, चलो सीधे मेरी बर्बादी की दास्तान आपको सुनाती हूँ।

यह बात 14 जून 2006 की है, जब मैं कमसिन थी, मेरे पापा की बीमारी के कारण मौत हो गई थी तो माँ एकदम टूट सी गई थीं।
उनका बस मैं ही अकेली सहारा थी।
इस हादसे ने हमारी जिंदगी बदल थी, पैसों की तंगी रहने लगी थी, तब हमारे दूर के रिश्तेदारों ने माँ पर दबाव डाला कि वो दूसरी शादी कर लें। मगर माँ न मानी, मगर वक़्त के साथ माँ भी टूट गईं और आख़िर एक साल बाद माँ ने दूसरी शादी कर ली।

मेरे नए सौतेले पापा शराबी थे, उनके दो बेटे थे जो करीब मेरी ही उम्र के थे या शायद मुझसे थोड़े बड़े थे।

शुरू में तो सब ठीक तक चलता रहा मगर साल भर में ही पापा माँ को मारने लगे और वे मुझे भी पसन्द नहीं करते थे सो मेरी पढ़ाई भी बन्द हो गई थी।

मेरे दोनों भाई भी हमेशा मुझे मारते रहते थे, घर का सारा काम हम माँ-बेटी मिल कर करती थे और धीरे-धीरे माँ टूट सी गई और बीमार रहने लगी।
आख़िरकार 12 फरवरी 2010 को माँ भी मुझे छोड़ कर चली गईं। अब तो मुझ पर ज़ुल्म बढ़ने लगे। मैं भी धीरे-धीरे इनकी मार की आदी हो गई।

सॉरी दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि यह तो पका रही है, मगर क्या करूँ ये सब कुछ सत्य है और आपको इसके बारे में बताना जरूरी भी है।

अब आपको मेरी चुदाई की कहानी बताती हूँ।

8 सितम्बर 2010 को मेरा जन्मदिन था अब कौन मेरा जन्मदिन मनाता, कहाँ नए कपड़े थे, कहाँ पार्टी थी और कहाँ प्यार.. बस मैं काम में पिस रही थी।

उस दिन तक मैं पूरी जवान हो गई थी। मेरे सीने के उभार दिखने लगे थे। मेरा सौतेला भाई अजय जो 18 साल का था, अक्सर मुझे मारने के बहाने मेरे चूतड़ों को दबा देता तो कभी मेरे सीने पर हाथ रख देता था।

दोपहर को मैं छत से कपड़े उतारने गई तो अजय वहाँ आ गया और मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। उस वक़्त मैंने एक पुरानी सी सलवार-कमीज़ पहनी हुई थी, दुपट्टा मैंने एक तरफ रख दिया था।
आपको बता दूँ मैं हमेशा दुपट्टा ही अपने सीने पर रखती हूँ।

अजय- अरे रानी, आज ये दुपट्टा तूने एक तरफ क्यों रखा है नहीं तो इसके बिना तू रहती ही नहीं है?

रानी- वो क्या है ना भाई, आज मुझे गर्मी लग रही है इसलिए मैंने सोचा छत पर हवा अच्छी आ रही है, थोड़ी हवा खा लूँ।

अजय- अरे मेरी रानी, बहना आज तो मस्त लग रही हो आओ आज तुम्हें एक चीज दिखाता हूँ।

अजय ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे घूरने लगा।

मुझे अच्छा नहीं लगा तो मैं घूम गई। तभी वो मेरे पीछे चिपक गया।

रानी- भाई क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे प्लीज़…

मैंने उसको हटाने की लाख कोशिश की, मगर वो माना नहीं और छत पर बने कमरे में मुझे जबरदस्ती ले गया।
वहाँ वो मेरे होंठ चूसने लगा और एक हाथ से मेरी गाण्ड सहलाने लगा।

मैं छटपटा रही थी मगर वो मेरी एक ना सुन रहा था इतने में विजय जो मेरा बड़ा भाई है, वो आ गया, वो करीब 20 साल का था।

विजय- क्या हो रहा है यहाँ?

अजय- क.. क.. कुछ नहीं भाई.. देखो ये रानी है.. मुझसे चिपक रही है.. पता नहीं क्या चाहती है?

रानी- न.. न.. नहीं भाई.. अजय झूठ बोल रहा है।

अजय ने झट से मुझे एक थप्पड़ मारा।

अजय- चुप साली मुझे झूठा बोलती है.. भाई इसने खुद ही मुझे यहाँ बुलाया और मुझसे चिपक गई। मुझसे बोल रही है, मुझे गर्मी लग रही है।

विजय ने मुझसे पूछा- क्या अजय सही बोल रहा है?

रानी- वो तो दुपट्टे की बात पर मैंने कहा था, मगर मेरा मतलब ऐसा कुछ नहीं था।

विजय- अच्छा यह बात है साली छिनाल हमने सोचा तू जैसी भी है हमारी बहन है.. तुझे खाना देते हैं मगर तू तो पता नहीं किसका गंदा खून है.. रुक आज मैं तेरी सारी गर्मी निकाल दूँगा और तेरे सारे मतलब पूरे कर दूँगा।

रानी- भाई प्लीज़.. मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो…
पर असल में तो मैं सब समझ रही थी कि ये दोनों भाई मुझे चोदने के ख्याल से यह नौटंकी कर रहे हैं। जवान तो मैं भी हो चुकी थी, मेरे बदन में भी वासना की अग्नि तो उठती ही रहती थी, कहीं मेरे अन्तर्मन में भी कुछ तमन्ना थी नर-नारी के तन के मिलन का मज़ा लेने की, पर मैंने विरोध तो करना ही था ना अपने सौतेले भाइयों की हरकतों का।

अजय वहाँ खड़ा मुस्कुरा रहा था और विजय से नजरें चुरा कर मुझे चिढ़ा रहा था।

विजय- अजय तू नीचे जा और ऊपर मत आना.. आज मैं इसको बताता हूँ कि मैं क्या चीज हूँ।

अजय वहाँ से चला गया और विजय ने मुझे कपड़े निकालने को कहा।

मेरे मना करने पर विजय ने मेरे कपड़े फाड़ दिए। मैं एकदम नंगी हो गई क्योंकि उस वक़्त मुझे कौन ब्रा-पैन्टी लाकर देता.. बस पुराने कपड़े ही नसीब में थे।

अब मैं एकदम नंगी दीवार के पास खड़ी थी, मेरे बेदाग गोरे बदन को देख कर भाई की आँखों में चमक आ गई थी।

मेरे मम्मे उस वक्त कोई 28 इन्च के रहे होंगे।
भाई की पैन्ट में तंबू बन गया था, उनका लौड़ा मेरे जिस्म को देख कर फुंफकार मार रहा था।

विजय- वाह.. साली तू तो बड़ी ‘हॉट-आइटम’ है.. तभी तुझमें गर्मी ज़्यादा है.. आजा आज तेरी सारी गर्मी निकाल देता हूँ।

रानी- नहीं भाई.. प्लीज़ मुझे जाने दो.. मैं आपकी बहन हूँ प्लीज़…

विजय- चुप साली.. छिनाल की औलाद.. तू कहाँ से मेरी बहन हो गई.. हाँ.. आज तुझे अपनी बीवी जरूर बनाऊँगा।

इतना बोलकर भाई मुझ पर टूट पड़ा। मेरे होंठों को चूसने लगा, मेरे मम्मों को दबाने लगा। मुझे बहुत दर्द हो रहा था मगर उस पर भूत सवार था, वो कहाँ मानने वाला था। मैंने उससे छूटने की कोशिश की, उसको गुस्सा आ गया और वो मेरे गाल पर थप्पड़ मारने लगा।

विजय- क्या हुआ.. साली अब आया समझ में.. कुतिया बहुत नाटक कर रही थी।

इतना बोल कर भाई अपने कपड़े निकालने लगा। धीरे-धीरे वो पूरा नंगा हो गया, उसका 6 इन्च का लौड़ा एकदम तना हुआ मेरी आँखों के सामने लहरा रहा था।

मैं घबरा गई और जल्दी से पलट गई यानि पेट के बल लेट गई।

विजय- अरे वाह.. तेरी गाण्ड तो बड़ी मस्त है.. साली आज इसी का मुहूर्त करूँगा।

इतना बोलकर वो बिस्तर पर चढ़ गया और मेरे मम्मे दबाने लगा, अपनी ऊँगली से मेरी गाण्ड के छेद को खोलने लगा।

मैं थोड़ी कसमसाई तो उसने ज़ोर से मेरी गाण्ड पर मार दिया, मैं दर्द के कारण सिहर गई।

अब मुझे समझ आ गया था कि यह हरामी मुझे पीछे से ही चोदने वाला है, इसकी मार खाने से अच्छा है अब चुपचाप पड़ी रहूँ।

भाई ने काफ़ी देर मेरे चूतड़ सहलाए अब मैं चुप पड़ी थी उसने अपने लौड़े पर ढेर सारा थूक लगाया और मेरे छेद पर भी थूक लगाया।

विजय- हाँ.. अब आई ना लाइन पर बस ऐसे ही चुपचाप पड़ी रह.. नहीं तो मार खाएगी.. आहह.. क्या मस्त गाण्ड है। अब अपना बदन ढीला छोड़ दे.. मैं लौड़ा डाल रहा हूँ अगर जरा भी हिली ना तो तेरी खैर नहीं…

भाई ने लंड की टोपी गाण्ड के छेद पर रखी और ज़ोर से एक धक्का मारा.. एक ही बार में आधा लौड़ा मेरी गाण्ड को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।

रानी- आआ.. उईईई माआ..मर गई.. आआआ आह.. भाई आह.. मेरी जान निकल रही है.. आह निकाल.. लो..

विजय कहाँ मानने वाला था उसने एक और जोरदार झटका मारा अबकी बार पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड की गहराइयों मैं खो गया और मेरा दर्द के मारे बुरा हाल हो गया।

मैं चीखती रही वो झटके मारता रहा.. मज़ा लेता रहा।
विजय- आ उह..साली तेरी गाण्ड तो बड़ी मस्त है.. आह मज़ा आ गया उह ले आह उह उह उफ़ क्या कसी गाण्ड है.. आह आह आह…

मैं चिल्लाती रही.. 20 मिनट तक वो मेरी गाण्ड मारता रहा और आख़िरकार उसके लौड़े ने लावा उगल दिया, जो मेरी गाण्ड के कोने-कोने में समा गया। दो मिनट तक विजय मेरे ऊपर पड़ा रहा, उसके बाद एक तरफ लेट गया।

मैं वैसी की वैसी पड़ी रही, उसका वीर्य मेरी गाण्ड से बह कर बाहर आ रहा था।

मेरी गाण्ड में अब भी ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई मोटा डंडा घुसा हुआ हो, बड़ी जलन हो रही थी।
विजय उठा और मेरे कपड़ों से अपना लौड़ा साफ किया अपने कपड़े पहनने लगा।

विजय- साली बड़ी कमाल की गाण्ड है तेरी.. मुझे अभी कहीं जाना है.. नहीं तो तेरी और ठुकाई करता। अब ध्यान से सुन अगर किसी को ये बात बताई ना.. तो तेरा वो हाल करूँगा कि ज़िंदगी भर पछताएगी समझी।

विजय वहाँ से चला गया और मैं वैसे ही पड़ी रोती रही कोई 5 मिनट बाद अजय अन्दर आया।

अजय- हरामजादी.. अगर मेरी बात मान लेती तो तेरा ये हाल ना होता.. अब फट गई ना तेरी गाण्ड.. साली कुतिया भाई का लौड़ा लेकर मज़ा नहीं आया तो अब मेरा लेकर देख.. शायद तुझे मज़ा आ जाए।

इतना बोलकर वो भी नंगा हो गया, उसका भी लौड़ा 6 इन्च का ही था, पर विजय के लौड़े से ज़रा मोटा था। मेरी कहाँ हिम्मत बची थी उसको रोकने की, वो भी मुझ पर सवार हो गया और एक ही झटके में पूरा लौड़ा मेरी खुली हुई गाण्ड में घुसा दिया।

मैं फिर दर्द से कराहने लगी और वो मेरी गाण्ड मारता रहा, मज़े लेता रहा।

अजय- आहह.. आह.. मज़ा आ गया.. साली तेरी गाण्ड में तो बड़ी गर्मी है.. आहह.. साला लौड़ा बर्दाश्त ही नहीं कर पा रहा आहह.. जल्दी ही पानी छोड़ देगा.. आहह.. मन तो तेरी चूत की सील तोड़ने का है.. मगर डर है कहीं साली तू मर-वर गई तो हमें मुफ़्त की नौकरानी कहाँ से मिलेगी.. आह.. उहह.. मेरा निकलने वाला ही है.. आह उहह…

करीब 7-8 मिनट में वो ठंडा हो गया और मेरी गाण्ड को पानी से भर कर चला गया।

मैं काफ़ी देर तक उसी हालत में पड़ी रही और न जाने कब मेरी आँख लग गई।

शाम को 6.30 बजे मेरी आँख खुली.. गाण्ड में अब भी दर्द था।

मैं जल्दी से उठी और गुसलखाने में चली गई, वहाँ से नहा कर कपड़े पहने।

हाँ.. एक बात मैं आपको बता दूँ.. यहाँ पड़ोस के लोग जानते हैं कि इस घर में मेरी क्या हालत है, इसी लिए बेचारे अपने बच्चों के पुराने कपड़े मुझे दे देते हैं बस मेरा गुजारा चल जाता है।

उन्हीं कपड़ों में से एक गुलाबी टी-शर्ट और नीला पजामा मैंने पहना और खाना बनाने की तैयारी में लग गई।

पापा- रानी कहाँ हो.. यहाँ आओ।

दोस्तो, मैं आपको बताना भूल गई, पापा की खुद की दुकान है, तो वो सुबह 8 बजे जाते हैं तो सीधे शाम को 7 बजे ही आते हैं और आने के साथ ही उनको खाना चाहिए।

मैं भाग कर रसोई से बाहर आई और कहा- बस 15 मिनट में खाना बन जाएगा।

पापा- हरामखोर किसी काम की नहीं है तू.. अब तक खाना नहीं बना.. इतनी देर क्या कर रही थी?

रानी- वो वो.. पापा मेरी आँख लग गई थी, इसी लिए…जरा देर हो गई।

मैं आगे कुछ बोल पाती इससे पहले पापा ने एक जोरदार तमाचा मुझे जड़ दिया।

मैं रोने लगी और अपने आप को बचाने के लिए मैंने वो बोल दिया जो शायद मुझे नहीं बोलना चाहिए था।

रानी- उउउ उउउ पापा.. प्लीज़ मेरी बात तो सुनिए.. इसमें मेरी ग़लती नहीं है.. वो वो.. विजय भाई ने मेरे साथ दोपहर को उूउउ उउउ…
पापा- क्या किया विजय ने.. हाँ.. बताओ?

रानी- उउउ.. वो वो.. उन्होंने मेरे साथ गंदा किया उउउ मेरे कपड़े निकाल कर उूउउ.. उसके बाद अजय ने भी उूउउ…
मैंने पूरी दास्तान कह दी।

मेरी बात सुनकर पापा गुस्सा हो गए और मुझे प्यार से चुप करवाया और कहा- आज आने दो दोनों को, उनकी आज खैर नहीं..

आज पहली बार पापा ने मुझसे प्यार से बात की थी, मैं खाना बनाने चली गई।

पापा अपने कमरे में चले गए, उन्होंने कपड़े बदले.. तब तक खाना भी तैयार हो गया था।

आज पापा ने मेरे साथ बैठ कर खाना खाया और मुझे भी अपने हाथ से खाना खिलाया।

खाने के बाद मैं बर्तन धोकर अपने कमरे में चली गई और बिस्तर पर लेट कर रोने लगी। मुझे माँ की बहुत याद आ रही थी, तभी पापा मेरे कमरे में आ गए।

पापा- अरे रानी.. बेटी रो क्यों रही है? उन दोनों का फ़ोन आया था किसी दोस्त की शादी में गए हैं.. कल शाम तक वापस आएँगे, अब फ़ोन पर तो उनको क्या कहता, कल आने दो उनको अच्छा सबक सिखाऊँगा.. तू मेरे कमरे में आ.. कुछ बात पूछनी है।

इतना बोलकर पापा चले गए, मैंने आँसू पौंछे और उनके पीछे चली गई।

पापा- आओ.. यहाँ बैठो.. मेरी रानी बेटी तू रो रही है.. क्या बहुत दर्द हो रहा है? मुझे ठीक से बता हुआ क्या था?

रानी- पापा अब मैं कैसे बताऊँ मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा।

पापा ने बहुत ज़िद की, तब मैंने उनको बताना शुरू किया कि बात कैसे शुरू हुई और मेरी गाण्ड तक कैसे पहुँची। पापा मेरे एकदम करीब चिपक कर बैठे थे, उन्होंने शराब पी हुई थी, उसकी बदबू आ रही थी।

मेरी बात को सुनते-सुनते लुँगी के ऊपर से वो अपना लौड़ा मसल रहे थे और एक हाथ से मेरी पीठ सहला रहे थे।
‘अच्छा ये बात है… कितने कमीने हैं दोनों.. अच्छा ये बता.. यहाँ ज़ोर से दबाया क्या विजय ने?’ मेरे मम्मों को सहलाते हुए पापा ने पूछा।

मेरी तो हालत खराब हो गई.. उनका छूना मेरे लिए ऐसा था जैसे किसी ने जलते हुए अंगारे मेरे मम्मों पर रख दिए हों।

रानी- पापा ये आप क्या कर रहे हो?

पापा- अरे मैं तो पूछ रहा हूँ.. अब तू ठीक से बताएगी तब ही तो पता चलेगा ना.. अब जो पूछूँ.. चुपचाप बता समझी…

इस बार पापा के तेवर एकदम बदल गए थे, उनकी आँखों में गुस्सा आ गया था और पापा का गुस्सा मैं खूब जानती थी कि अगर वो मारने पर आ गए तो हालत खराब कर देंगे।

रानी- हाँ.. पापा यहाँ ज़ोर से दबाया था, अभी भी दर्द हो रहा है।

पापा ने उनको देखने के बहाने से टी-शर्ट ऊपर कर दी, ब्रा तो थी नहीं, उनको मेरे मम्मों के दीदार हो गए।

पापा- अरे अरे.. कुत्तों ने कैसे ज़ोर से दबाए हैं तेरे छोटे-छोटे चूचे.. देखो तो कैसे लाल निशान पड़ गए हैं।

मेरे सौतेला पिता अपनी औकात दिखा रहे थे, मेरे मम्मों को हल्के-हल्के सहला रहे थे। अब पापा का हाथ मेरी चूत पर आ गया था और उन्होंने अपनी ऊँगली चूत पर घुमा कर पूछा।

पापा- रानी.. उन दोनों ने पीछे से ही मारी.. या यहाँ भी कोई छेड़छाड़ की?

मैं एकदम कसमसा गई थी और मैंने ‘ना’ मैं सिर हिलाया।

पापा – चलो अच्छा है.. तेरी सील नहीं टूटी वरना मेरा बड़ा नुकसान हो जाता.. बेटी ये पजामा निकाल तो देखूँ तेरी गाण्ड का क्या हाल किया दोनों ने।

पापा की बात सुनकर मेरी अच्छी तरह समझ में आ गया कि ये कुत्ता मेरा बाप नहीं हवस का पुजारी है। उन दो हरामियों ने तो मेरी गाण्ड मारी थी.. ये मादरचोद मेरे चूत को फाड़ने वाला है।

रानी- नहीं पापा.. रहने दो अब दर्द कम है, मुझे जाने दो नींद आ रही है।

पापा- मैंने कहा ना.. दिखाओ कहीं कुछ उल्टा-सीधा हो गया तो..? चल खड़ी हो जा तुझे शर्म आ रही है तो मैं खुद देख लूँगा।

मैं कर भी क्या सकती थी सो चुपचाप खड़ी हो गई। पापा ने मेरा पजामा नीचे सरकाया और मेरी गोल गाण्ड पर हाथ फेरने लगे।

पापा- आह ह.. क्या कोमल गाण्ड है तेरी.. कमीनों ने कैसे मार कर लाल कर दी है.. देखो सूजन भी आ रही है.. तू पूरे कपड़े निकाल कर लेट जा.. तुझे मालिश की जरूरत है.. तभी तेरा दर्द जाएगा।

मैं ‘ना’ भी करती तो भी पापा नहीं मानते, तो मैंने सोचा अब जो होगा देखा जाएगा.. इसी बहाने पापा मुझे प्यार से तो पेश आएँगे।

मैं चुपचाप नंगी होकर बिस्तर पर लेट गई।
पापा ने पास रखी तेल की बोतल ले ली और मेरी गाण्ड पर मालिश करने लगे।
अपने हाथ चलाते-चलाते वो मेरी चूत पर भी ऊँगली घुमा देते।

वहाँ हल्की-हल्की झांटें थीं जो एकदम रुई की तरह मुलायम थीं।

रानी- आहह.. ककककक पापा उह.. गुदगुदी सी हो रही है।

पापा- अरे रानी बेटी.. ये तो शुरूआत है.. आगे देखना तुझे कितना सुकून मिलेगा.. मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इस उम्र में आकर तेरी जैसी कच्ची कली की मालिश करने का मौका मिलेगा.. रानी अगर तू मेरी बात इसी तरह मानती रहेगी ना.. तो तेरे सारे दु:ख दूर हो जाएँगे.. तुझे मैं सच्ची की रानी बना कर रखूँगा.. मानेगी ना मेरी बात?

रानी- हाँ.. पापा आपका प्यार पाने के लिए मैं आपकी हर बात मानूँगी.. मगर पापा ये गलत है.. मैं आपकी बेटी हूँ।

पापा- अरे कहाँ की बेटी.. तेरी माँ तुझे साथ लाई थी यहाँ और ऐसी कमसिन कली सामने हो तो कौन रिश्ते देखता है.. अगर तू मेरी सग़ी बेटी भी होती ना.. तो भी मैं तुझे नहीं छोड़ता.. भला हो उन दोनों का जो उन्होंने तेरी गाण्ड मार कर मेरा रास्ता आसान कर दिया, वरना मैंने तो ये कभी सोचा ही नहीं था।

रानी- ठीक है.. पापा जैसा आपको अच्छा लगे.. अब मैं कुछ नहीं बोलूँगी।

पापा- ये हुई ना बात.. चल अब सीधी हो जा आज बरसों बाद दोबारा सुहागरात मनाऊँगा तेरे साथ.. अब तू मेरी बीवी बनकर इस घर में राज करेगी.. आज से तेरे दु:ख के दिन ख़त्म हो गए हैं।

अब मुझे किसी बात का डर नहीं था क्योंकि अगर मैं मना भी करती तो भी पापा मुझे छोड़ते नहीं, तो क्यों ना उनकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला कर कम से कम अपनी आगे की जिंदगी तो ठीक करूँ।

मैं सीधी होकर लेट गई, पापा भी एकदम नंगे हो गए, उनका लौड़ा किसी काले नाग की तरह फुंफकार मार रहा था वो करीब कोई 8 इन्च से ज़्यादा ही होगा और मोटा इतना कि मेरी हथेली में भी ना समा पाए। रानी- पापा आपका तो अजय और विजय से भी बड़ा है, उन्होंने ही इतना दर्द दिया और आप तो मेरी जान ही निकाल दोगे।

पापा- अरे रानी… बड़ा कैसे नहीं होगा.. मैं उनका बाप हूँ और तू डर मत.. वो तो नए खिलाड़ी थे, उनको क्या पता चुदाई क्या होती है.. तू बस देखती जा.. मैं तुझे कैसे सात आसमानों की सैर करवाता हूँ। वो दोनों गधे थे जो तेरी जैसी कच्ची कली की चूत का स्वाद चखने की बजाए गाण्ड से खुश हो गए। अब तुझे ऐसा चूसूंगा कि तू खुद मुझसे कहेगी कि मेरे राजा जल्दी से लौड़ा चूत में पेल दो..

रानी- हा हा हा हा.. पापा मैं आपको राजा बोलूँगी.. हा हा हा.. मैं रानी.. आप राजा.. मज़ा आएगा…

मेरी बात सुनकर पापा हँसने लगे और मेरे ऊपर आ गए, मेरे होंठ चूसने लगे।

मैं भी उनका साथ देने लगी.. बड़ा मज़ा आ रहा था।

पापा अपनी जीभ मेरे मुँह में दे रहे थे मैं उसको चूस रही थी। पापा मेरे छोटे-छोटे अमरूदों जैसे मम्मों को भी हल्के-हल्के दबा रहे थे, मुझे पता नहीं क्या हो रहा था।

लेकिन ‘हाँ’ इतना जरूर कहूँगी कि मज़ा बहुत आ रहा था।

पापा अब मेरे चूचुकों को चूस रहे थे और अपना हाथ मेरी चूत पर घुमा रहे थे। मेरे जिस्म में न जाने कहाँ से इतनी गर्मी आ गई थी कि मेरी चूत आग की भट्टी की तरह जलने लगी थी।

रानी- आह उईईइ.. उफ़ ककक.. सस्स आह.. पापा आहह.. मज़ा आह रहा है.. आराम से पापा आह.. काटो मत दु:खता है आहह…

पापा- अरे मेरी रानी.. अब पापा नहीं.. राजा बोलो और जितने गंदे शब्द आते हैं.. सब बोलो.. उससे चुदाई का मज़ा दुगुना हो जाएगा।

रानी- आहह उईईइ मुझे नहीं समझ आहआह आह रहा है.. क्या बोल रहे हो?

पापा- सीधी सी तो बात है.. तुम मुझे गाली दो.. चूत और लंड की बात करो.. बस जो भी तुम्हें समझ आए.. आह्ह.. जैसे उहह साली रंडी आह्ह.. क्या मस्त दूध हैं तेरे.. आह आज तो तेरी चूत को भोसड़ा बना दूँगा.. आहह…

इतना बोलकर पापा मेरी चूत चाटने लगे.. अब तो मेरा मज़ा दुगुना हो गया था.. मेरी आँखें अपने आप बन्द होने लगी थीं।

रानी- आहह ससस्स उफ़फ्फ़.. मेरे राजा आह.. मज़ा आह रहा है.. आह चाटो मेरी चूत को आह.. और ज़ोर से चाटो उफ़ आह…

पापा- ये लो मेरी रानी बिटिया.. क्यों मज़ा आया ना.. गाली निकाल साली.. और मज़ा आएगा…

रानी- आहह.. अब मज़ा आया तू एक नम्बर का कुत्ता है आह.. हरामी अपनी ही बेटी की चूत चाट रहा है.. आहह पापा आह.. मेरी चूत में कुछ हो रहा है आहह…

पापा- हा हा हा.. ये हुई ना बात.. अब तू झड़ने के करीब है.. झड़ जा बेटी आज तेरा झड़ने का पहला मौका है, भर दे मेरा मुँह अपने रस से.. आह.. क्या मजेदार माल है.. बरसों बाद मेरी जीभ को चूत रस चखने को मिलेगा।

पापा ने अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा दी थी और जीभ से मुझे चोद रहे थे।

दोस्तो, क्या बताऊँ वो पल ऐसा था जिसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती। मेरी चूत का फव्वारा फूट पड़ा।
मैं गाण्ड उठा-उठा कर झड़ने लगी और पापा ने मेरा सारा रस पी लिया।
मेरी आँखें बन्द थीं मैं दो मिनट तक झड़ती रही और फिर शान्त पड़ गई.. मेरा बदन ठंडा पड़ गया।

पापा- उफ़ कितना गर्म और स्वादिस्ट रस था.. मज़ा आ.. गया.. क्यों मेरी जान तुमको मज़ा आया ना?

रानी- आहह पापा उफ़फ्फ़.. क्या बताऊँ.. आह.. पता नहीं क्या हुआ.. मेरा बदन एकदम हल्का हो गया.. बहुत मज़ा आया आहह…

पापा- यह तो शुरूआत है.. रानी अब देख आगे क्या होता है.. ले मेरे लौड़े को चूस.. इसमें भी बहुत मज़ा आएगा।

पहले तो मैं थोड़ी झिझकी मगर जैसे ही पापा का सुपारा जीभ से चाटा.. उस पर पानी की बूँदें थीं जो अजीब से स्वाद की थीं, मगर उसको चूसने में एक अलग ही मज़ा आ रहा था.. अब मैं खुल कर पापा का लौड़ा चूसने लगी थी।

अब तो पापा पूरा लौड़ा मेरे मुँह में ठूंस कर झटके मार रहे थे।

दस मिनट तक उनका लौड़ा चूसने के बाद मेरी चूत में दोबारा खुजली होने लगी और मैं अपने हाथ से चूत मसलने लगी।

पापा- अच्छा.. तो मेरी रानी बिटिया दोबारा गर्म हो गई.. क्यों लौड़े का स्वाद कैसा लगा?

रानी- उफ़.. पापा बहुत मज़ा आ रहा है.. आपका लंड चूसने में.. पर क्या करूँ मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है।

पापा- अच्छा ये बात है.. चल घूम कर मेरे ऊपर आजा, इस तरह तू मेरा लौड़ा चूसना.. मैं तेरी चूत चाटूँगा ताकि दोनों को बराबर मज़ा मिले।

रानी- ओह्ह वाह.. मज़ा आएगा.. ये आइडिया अच्छा है.. पापा आप तो बहुत दिमाग़ वाले हो.. अच्छा एक बात तो बताओ.. आप ये लौड़ा मेरी चूत में कब डालोगे.. विजय ने तो इतना वक्त लिया ही नहीं था.. बस सीधा लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया था।

पापा- हा हा हा.. अरे इसमें दिमाग़ की क्या बात है.. तू अभी बच्ची है.. तुझे नहीं पता इसे 69 का आसन कहते हैं और लौड़ा भी डालूँगा.. तेरे जैसी कच्ची कली को पहले पूरा गर्म करना जरूरी है ताकि तू लौड़े को सहन कर सके समझी.. विजय तो खुद बच्चा है उसे क्या पता लौड़ा कब और कैसे डालते हैं?

हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए.. अब मैं पापा के ऊपर लेट कर उनका लौड़ा चूस रही थी और पापा कभी जीभ से तो कभी ऊँगली से मेरी चूत को चोद रहे थे या यूँ कहो कि मेरी कसी चूत को पापा ऊँगली से खोल रहे थे।

करीब दस मिनट तक ये खेल चलता रहा। अब मैंने पापा के लौड़े को बेदर्दी से चूसना शुरू कर दिया था। मेरा बदन एकदम अंगार उगलने लगा था, मेरी चूत रिसने लगी थी और चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी थी।

तभी पापा ने मेरी चूत को चाटना बन्द कर दिया और मुझे ऊपर से नीचे उतार दिया।

रानी- उफ़फ्फ़ पापा प्लीज़ आह.. बीच में क्यों छोड़ दिया.. आह.. अभी तो मज़ा आ रहा था।

पापा- मेरी जान.. अब सही वक्त है लौड़ा तेरी चूत में घुसेड़ने का.. अब तू इसको लेने के लायक हो गई है.. तेरी चूत एकदम रसीली है… और मेरा लौड़ा भी तेरे थूक से सना हुआ है.. चल अब पैरों को मोड़ ले और ले ये तकिया कमर के नीचे रख ले ताकि तेरी चूत का उभार ऊपर आ जाए.. आज तुझे कली से फूल बनाने का वक्त आ गया है।

पापा ने एक हाथ से मेरी चूत को खोला और लौड़ा मेरी चूत पर सैट किया।

पापा- रानी.. अब मैं लौड़ा पेल रहा हूँ.. बस तू अपने दांत भींच लेना.. शुरू में दर्द होगा, उसके बाद हम रोज चुदाई करेंगे.. बड़ा मज़ा आएगा…

रानी- आहह आहह आहह.. उफ़फ्फ़ पापा डाल दो.. अब जो होगा, देखा जाएगा.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा आहअहह…

पापा ने अपने लौड़े की टोपी चूत में फँसाई और धीरे से आगे को धक्का मारा, कोई 2 इन्च लौड़ा मेरी चूत में फँस गया।
मुझे बहुत दर्द हुआ मगर मेरे ऊपर मस्ती सवार थी, मैंने दाँत भींच लिए।
पापा ने कमर को पीछे किया और एक जोरदार झटका मारा, अबकी बार आधा लौड़ा मेरी सील को तोड़ता हुआ अन्दर घुस गया।

अबकी बार दर्द की इंतहा हो गई और मेरे मुँह से एक जोरदार चीख निकली, जो शायद बाहर तक किसी ना किसी ने जरूर सुनी होगी। पापा ने जल्दी से अपने होंठ मेरे मुँह पर रख दिए और मेरी दूसरी चीख उनके मुँह से दब कर रह गई।
करीब 5 मिनट तक पापा बिना हिले वैसे ही पड़े रहे। अब मुझे भी दर्द कम हो गया था और मेरा शरीर ढीला पड़ गया था, तब पापा ने अपना मुँह हटाया।

रानी- आहह पापा ऊउउहह बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ बस अब निकाल लो… आह मैं मर जाऊँगी ऊउउहह…
पापा- अरे कुछ नहीं होगा.. मेरा जान ये तो आज तेरा कौमार्य भंग हुआ है.. इसलिए इतना दर्द हुआ.. बस आज बर्दाश्त कर ले.. फिर तू खुद मेरे लौड़े पर बैठ कर उछल-उछल कर चुदेगी.. अब जितना लौड़ा अन्दर गया है उसी को आगे-पीछे करूँगा.. थोड़ा दर्द होगा और कुछ नहीं.. जब दर्द कम हो जाए तो बता देना, एक ही बार में पूरा हथियार घुसेड़ दूँगा.. उसके बाद मज़ा ही मज़ा है।

मैं मुँह से कुछ नहीं बोली बस ‘हाँ’ में सर हिला दिया। अब पापा अपने लौड़े को आगे-पीछे करने लगे मुझे दर्द हो रहा था, पर मैं दाँत भींचे पड़ी रही।
कहानी जारी है।

सेक्सी आंटी की प्यासी चूत - Sexy Aunty Ki Pyasi Choot Chudai

सेक्सी आंटी की प्यासी चूत - Sexy Aunty Ki Pyasi Choot Chudai , Aunty ko choda , gand bhi mari , lund bhi chusaya , garm chut ki chudai.

मेरा नाम मयंक है, मैं बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में रहता हूं. बात तब की है जब मैं बिलासपुर में कोचिंग क्लास कर रहा था. मेरी सोशल नेटवर्किंग साइट के अकाउंट पर एक कोरबा की आंटी थी जिनसे मैं कभी-कभी बात करता था.
कुछ दिनों तक बात करने के बाद हम दोनों एकदम क्लोज़ हो गए. वो अपने बारे में हर बात मुझे बताने लगी. उसकी 3 बेटियाँ थीं जो अभी कम उम्र की ही थीं.

एक बार आंटी ने मुझे कोरबा मिलने के लिये बुलाया तो मैं उनके घर जाने के लिए राज़ी हो गया.
जब मैं उससे पहली बार मिलने गया तो उसने मुझे एक रेस्तराँ में बुलाया. उसे देख कर मैं हैरान रह गया. उसको देख कर लगा ही नहीं कि वो तीन बच्चों की माँ है. देखने में वह केवल 25-26 साल की लग रही थी. वो जीन्स और टॉप पहन कर आई थी.

रेस्तराँ में हम दोनों ने कॉफी पी. फिर वह मुझसे यह कहकर चली गई कि तुम कुछ देर इंतजार करो, मैं थोड़ी देर के बाद तुम्हें फोन करूंगी. मैं वहीं पर होटल में उसका इंतजार करने लगा. दस मिनट के बाद उसका फोन आया और उस लेडी ने मुझे अपने घर बुला लिया.

पहले तो मैं थोड़ा घबरा रहा था क्योंकि मैं इससे पहले कभी किसी शादीशुदा औरत से नहीं मिला था. मैं सोच रहा था कि जाऊं या न जाऊं. उसके बाद मैंने हिम्मत करके उसको आने के लिए हाँ कर दी. उसने अपने घर की लोकेशन मुझे इंटरनेट के जरिये फोन पर भेज दी.

उसकी बताई जगह पर पहुंचकर मैंने उसको फोन किया तो उसने अपना क्वार्टर नम्बर बता दिया. उसके बाद मैं उसके घर पर पहुंच गया और जाकर डोर बेल बजाई. जब अंदर से दरवाजा खुला तो वह नाइट ड्रेस में थी. जब तक मैं कुछ समझ पाता उसने मुझे अंदर खींच लिया और घर का दरवाजा बंद कर दिया. अंदर आते ही वह मुझे अपने बेडरूम में ले गयी.

हम दोनों बेड पर जाकर बैठ गये और कुछ बातें करने लगे. उसने बताया कि उसके पति सरकारी नौकरी करते हैं. उसको पता नहीं क्या हुआ कि कहते-कहते वो रोने लगी कि उसके पति उसको टाइम ही नहीं देते हैं.
मैंने उससे चुप होने के लिए कहा. मगर वह नहीं रुकी. फिर मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया. वह मुझसे लिपट गई और सुबकने लगी.

मैंने उससे कहा- ऐसे नहीं रोते, आपको जो चाहिए वो मैं आपका दूंगा. लेकिन आप दिल छोटा मत करो.
मेरा हाथ उसकी चूची पर टच हो गया. उसकी चूची का स्पर्श पाते ही मेरा ध्यान उसके बूब्स पर चला गया. अब मैंने जान-बूझकर उसको सांत्वना देने के बहाने से उसकी चूचियों को दो बार और टच कर दिया. उसकी तरफ से कोई रिएक्शन नहीं हो रहा था. वह चुप हो गई थी. उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने उसकी चूची को अपने हाथ में भर लिया और उसको दबाने लगा.

मेरी इस हरकत पर वह थोड़ी सहम सी गई और उसने मुझे अपने से अलग कर दिया.
वह बोली- मैं जानती हूँ कि तुम्हारा मन कर रहा है. लेकिन तुम इस बात के बारे में किसी को नहीं बताओगे, मुझसे वादा करो.
मैंने कहा- ठीक है, जब तक तुमको मुझ पर भरोसा नहीं हो जाता मैं तुम्हारी तरफ देखूंगा भी नहीं.

मैं उठ कर बेडरूम से बाहर जाने लगा और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया. मैंने पीछे पलट कर देखा तो वह खड़ी हो गयी और एकदम से मुझे अपनी बांहों में भर कर मुझसे लिपट गई.
वह बोली- तुम मुझे छोड़ कर मत जाओ प्लीज.
कहकर उसने मेरे गाल पर किस कर दिया.
मैंने कहा- तो अब तुमको मुझ पर विश्वास हो गया या नहीं?
वह बोली- हाँ, मुझे तुम पर विश्वास है.

उसके बाद मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर लिया और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को वहीं खड़े होकर चूसने लगे. मैंने उसके होंठों को चूसते हुए उसकी नाइटी के ऊपर से ही उसकी गांड को सहलाना शुरू कर दिया. मेरा लंड मेरी पैंट में तन गया था और उसके शरीर से रगड़ खा रहा था. मेरा लंड उसकी जांघों के बीच में घुस जाना चाहता था मगर बीच में उसकी नाइटी आ रही थी.
मैं उसको जल्दी से नंगी कर देना चाहता था ताकि उसकी चूत में अपने लंड को डाल सकूं लेकिन मैंने सब कुछ धीरे-धीरे करना ही ठीक समझा ताकि उसका विश्वास मुझ पर बना रहे.

कई मिनट तक ऐसे ही किस करने के बाद वह बोली- मयंक, मेरे पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाते.
मैंने कहा- तो क्या हुआ, मैं हूँ न. मुझे अपना पति मान सकती हो तुम.

कहकर मैंने उसकी नाइटी को निकलवा दिया और अब वह मेरे सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी थी. उसके बदन को देखकर मेरी हवस जाग गई. मैंने उसकी ब्रा को किस किया और फिर उसकी गर्दन पर चूमने लगा. वह भी गर्म होने लगी. उसने मुझे अपने से लिपटा लिया और मुझे बांहों में लेकर मेरी गर्दन पर किस करने लगी.

उसके बाद मैंने उसको पलटा कर उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और उसकी ब्रा को निकाल कर बेड पर फेंक दिया. उसके लम्बे बाल उसकी कमर पर बिखरे हुए थे. पीछे से उसकी कमर नंगी हो गई थी. उसकी गोरी, नंगी पीठ, जो काले बालों के नीचे ढकी हुई थी, को देख लग रहा था जैसे किसी फिल्म की हिरोइन हॉट सीन देने के लिए तैयार खड़ी हो.
मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया और उसके चूचों को देखते ही मैं उन पर टूट पड़ा. मैंने उसके चूचों को सीधा मुंह में भर लिया और उसकी गांड को दबाते हुए मैं उसके चूचों को चूसने लगा. बहुत मजा आ रहा था दोस्तो. वह खूबसूरत तो थी ही, साथ ही उसका बदन भी सुडौल था.

मेरा लंड मेरी पैंट में तन कर फटने को हो रहा था. जब मैंने नीचे झांक कर देखा तो मेरे लंड ने मेरी पैंट पर पानी का निशान बना दिया था. मैंने उस लेडी को नीचे बैठा दिया और वह घुटनों पर मेरे सामने बैठ गई. मैंने अपनी पैंट को खोल दिया और अंडरवियर समेत उसको नीचे गिरा दिया. मेरा लौड़ा तन कर उसके मुंह के सामने आ गया.

वह भी समझ गई कि मैं उसको अपना लंड चुसवाना चाहता हूँ. उसने मेरे लंड को हाथ में लिया तो मेरी आह्ह … निकल गई. बड़े ही नर्म हाथ थे उसके. फिर उसने एक दो बार मेरे लंड की मुट्ठ मारी और उसको मुंह में लेकर चूसने लगी. उसके मुंह में लंड गया तो मुझे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना होने लगी. मैंने उसके सिर को हल्के से पकड़ कर अपने लंड को उसके मुंह में धीरे-धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

वह पूरी तबियत के साथ मेरे लंड को चूस रही थी. बीच-बीच में वह मेरी गोलियों को किस कर लेती थी और कभी पूरी की पूरी मुंह में भर लेती थी. वह मुझे पागल बना रही थी. मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था.

कुछ देर चूसने के बाद मेरा जोश पूरा भर गया और उसने मेरे लंड को सही वक्त पर बाहर निकाल दिया नहीं तो मैं उसके मुंह में ही झड़ जाता. उसके बाद मैंने उसको बेड पर लेटा दिया और उसके चूचों के बीच में तने हुए निप्पलों को चूसने लगा. उसके मुंह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं. मैं नीचे से नंगा था लेकिन ऊपर मैंने शर्ट पहनी हुई थी.

वो उठ कर मेरी शर्ट उतारने लगी और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया. उसने मेरी छाती पर चूमना शुरू कर दिया और मैंने नीचे से हाथ ले जा कर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर फिराना शुरू कर दिया.

मैं फिर से उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को चूसते हुए उसके चूचों से होते हुए उसके पेट पर चूमने लगा. वो तड़प सी जाती थी मेरे चुम्बन पर. उसके बाद मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया. उसकी टांगें मचलने लगी.

मैंने उसकी टांगों को रोका और उसकी पैंटी को निकाल दिया. उसकी चूत मेरे सामने नंगी हो गई. उसकी चूत पर काफी बाल थे जो गहरे काले रंग के थे. मगर उसकी जांघें बिल्कुल गोरी थी जिनके बीच में उसकी चूत गजब की लग रही थी. उसकी चूत से चिकना सा पदार्थ निकल कर उसकी पूरी चूत को चिकना कर रहा था.

उसके बाद मैंने उसकी टांगों को चौड़ी कर दिया और उसकी चूत पर हथेली से रगड़ने लगा. उसने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को किस करने लगी. मेरा लंड उसकी चूत से टच होने लगा. मन कर रहा था कि उसकी चूत को फाड़ दूं चोद-चोद कर. मगर अभी मैं उसको और तड़पना चाहता था.

मैंने दोबारा से उसकी चूत के पास अपने होंठ ले जाकर उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया और वो तड़प उठी, बोली- बस, अब और नहीं रुका जा रहा मयंक. मेरी चूत बहुत दिनों से प्यासी है. इसकी प्यास बुझा दो.
मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी और चीख पड़ी- आह्ह … मर जाऊंगी मैं. क्या कर रहे हो! जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो प्लीज!

मैं उसकी चूत में जीभ डालकर उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदने लगा. उसकी हालत खराब होने लगी जिसका अंदाजा मुझे उसकी चूत से निकल रहे पानी से हो रहा था. उसने मेरे मुंह को अपनी चूत पर दबा लिया था. वह अपनी गांड को उठा-उठा कर मेरी जीभ से अपनी चूत को चुदवा रही थी. उसकी आवाजें बहुत तेज हो गई थीं.

मैंने सोचा कि अब यह पूरी तरह से गर्म हो चुकी है. मेरे लंड ने पानी छोड़-छोड़ कर बिस्तर की चादर को गीला कर दिया था. मैंने अपने लंड को हाथ में लिया और उसकी चूत पर लगा कर रगड़ने लगा.

उस आंटी ने … वैसे उसको आंटी कहने में अच्छा नहीं लग रहा क्योंकि वह बिल्कुल जवान लग रही थी. किसी लड़की की तरह. उसने मुझे फिर से अपने ऊपर खींच लिया और मेरी छाती के नीचे उसके चूचे दब गये. वह मुझे अपनी बांहों में पकड़ कर बुरी तरह से चूमने-काटने लगी. उसके हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे. मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था.

दो मिनट तक मेरे होंठों को चूसने के बाद उसने अपनी टांगों को मेरी कमर पर लपेट दिया. फिर उसने नीचे हाथ ले जाकर खुद ही मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट कर लिया और मुझे अपने ऊपर लेटा लिया. मेरा लंड उसकी चिकनी हो चुकी चूत में अंदर घुसने लगा. उसके मुंह से कामुक सीत्कार बाहर आने लगे. उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए सेक्सी आंटी ने गांड को हिला-हिला कर उसने पूरा लंड अपनी चूत में समा लिया. मेरा पूरा लंड जब उसकी चूत में उतर गया तो वह मुझे फिर से चूमने और चूसने लगी.

उसने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिये. मैं समझ गया कि अब यह और इंतजार नहीं कर सकती. मैंने उसकी चूत में अपनी तरफ से धक्के लगाने शुरू कर दिये. नीचे से वह भी अपनी गांड को उकसा कर मेरा साथ देने की पूरी कोशिश कर रही थी. उसको चुदाई का बहुत तजुरबा था.
जब मेरा धक्का लगता तो वह रुक जाती और जब मैं रुक जाता तो वह धक्का लगा देती. इस तरह से वह पूरे ताल-मेल के साथ मेरे लंड से चुदने लगी. मैंने अपने हाथ बेड पर उसकी बगल में टिका लिये और उसकी चूत में जोर से अपने लंड को पेलने लगा. उसके मुंह आह-आह-आह की आवाजें और तेज निकलने लगीं.

वह अपने चूचों को अपने हाथ में लेकर दबा रही थी. बीच-बीच में मैं भी उसके निप्पलों को काट लेता था. उसकी चुदाई करते हुए मुझे भी गजब का मजा आ रहा था. उसकी चूत में मेरा लंड गपागप अंदर जा रहा था. कुछ मिनटों तक मैं उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत को चोदता रहा.
फिर मेरा जोश और बढ़ा तो मैंने उसको उठा कर घोड़ी बना दिया. पीछे घुटनों के बल खड़ा होकर मैंने उसकी गोरी और मोटी गांड को पकड़ लिया और उसकी चूत पर लंड को सेट करके एक जोर का धक्का दे मारा. मगर गलती से लंड उसकी चूत में न जाकर उसकी गांड में जा लगा. वह दर्द के मारे चीख पड़ी. मैंने नीचे देखा तो लंड उसकी गांड पर लगा हुआ था.

मैंने दोबारा से उसकी चूत पर लंड को सेट किया और अबकी बार धीरे से लंड को चूत में अंदर कर दिया. लंड को चूत में अंदर करने के बाद मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और उसकी चूत की चुदाई चालू कर दी. वह फिर से कामुक सिसकारियाँ लेने लगी.

उसकी गांड से मेरी जांघें टकरा रही थीं जिससे फट्ट-फट्ट की आवाज पैदा हो रही थी. पूरे कमरे में हम दोनों की सेक्स की गर्माहट से गर्मी भर गई थी और पंखे के नीचे चुदाई करते हुए भी दोनों के बदन पसीने से भीगने लगे थे.

मैंने कुछ देर तक उसकी चूत की पिलाई की और फिर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. उसके बाद मैंने उसको करवट के बल लेटा लिया और खुद भी उसके साथ लेट कर उसकी टांग को उठवा दिया. मैंने उसकी टांग को उठवा कर अपना लंड फिर से साइड में से ही उसकी चूत में धकेल दिया. फिर से उसकी चुदाई शुरू की और अबकी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा.

इस पोजीशन में मुझे थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी लेकिन मजा भी दोगुना मिल रहा था. मैंने उसके हिलते-डोलते चूचों को अपने हाथ में बारी-बारी से भर कर दबाना शुरू कर दिया और कुछ ही मिनट के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

उसकी चूत और भी ज्यादा चिकनी हो गई और मैंने ताबड़तोड़ उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. पांच मिनट के बाद मेरे लंड ने भी उसकी चूत में वीर्य छोड़ दिया. मैं थक कर एक तरफ लेट गया. मेरी सांस फूल गई थी और वह भी लेट कर हाँफने लगी.

उसके बाद उसने मेरी छाती पर सिर रख लिया और मेरे सिकुड़ रहे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी. मैंने उसके चूचों को सहलाना शुरू कर दिया. फिर वह उठी और मेरे सोये हुए लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. मेरे लंड में गुदगुदी सी होने लगी. मगर मजा भी आ रहा था. पांच-सात मिनट के बाद लंड फिर से खड़ा होना शुरू हो गया. उसके बाद जब लंड पूरा तन गया तो वह खुद आकर मेरे लंड पर बैठ गई.
मेरे लंड पर बैठने के बाद वह उछलने लगी और खुद ही अपनी चूत को चुदवाने लगी. आधे घंटे तक वह ऐसे ही मेरे लंड पर उछलती रही और इस तरह चुदाई के बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गये.

उस दिन मैंने उसकी तीन बार चुदाई की. वह मेरी दीवानी हो गई थी. मैं भी उसकी चूत चोद कर सातवें आसमान पर पहुंच गया था. उसके बाद तो जब भी वह घर पर अकेली होती तो वह मुझे फोन करके बुला लेती थी और मैं उस सेक्सी जवान आंटी की चूत चुदाई का पूरा मजा लेता था. वह भी मेरे लंड का पूरा मजा लेती थी.

ऋतु ने भी अपनी चूत में उंगलियाँ डाली - Reetu ne chut chudai ke liye ungli daali

ऋतु ने भी अपनी चूत में उंगलियाँ डाली - Reetu ne chut chudai ke liye ungli daali लंड के कारनामे, Apni Chut Ke Liye Mota Lund Pa Liya, चूत ने लंड निचोड़ दिया, मेरे लंड को चुत की कमी नहीं, Hindi Sex Stories, Hindi Porn Stories, मोटा लंड अपनी चूत और गांड की गहराइयो तक.

ऋतु और नेहा भी वापिस आ चुकी थी, नेहा थोड़ी लड़खड़ा कर चल रही थी, उस की मासूम चूत सूज गयी थी मेरे लंड के प्रहार से। ऋतु ने उसे पेनकिलर दी और नेहा उसे खा कर सो गयी।

मैं भी घुस गया उन दोनों के बीच एक ही पलंग में और रजाई ओढ़ ली.

मजे की बात ये थी कि हम तीनों भाई बहन नंगे थे। सुबह मेरी आँख जल्दी खुल गयी और मैंने पाया की नेहा वहीं शीशे वाली जगह से अन्दर देख रही है। मैंने ऋतु की तरफ देखा पर वो सो रही थी। नेहा नंगी खड़ी दूसरे रूम में देख रही थी।

मैं उठ कर पास गया और उसके गोल गोल चूतड़ों पर अपना लंड टिका कर उसके पीछे खड़ा हो गया। उसने मुस्कुरा कर पीछे देखा और मुझे जगह देते हुए साइड हो गयी। मैंने अन्दर देखा कि चाचू और चाची 69 की अवस्था में एक दूसरे के गुप्तांगों को चूस रहे थे… क्या गजब का सीन था।

मैंने मन ही मन सोचा ‘सुबह सुबह इन को चैन नहीं है.’ और नेहा की तरफ देखा… उस की साँसें तेजी से चल रही थी; अपने मम्मी पापा को ऐसी कामुक अवस्था में सुबह देखकर वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी; उसकी चूत में से रस बहकर जांघों से होता हुआ नीचे बह रहा था।

मैंने मन ही मन सोचा कितना रस टपकाती है साली… उसके होंठ कुछ कहने को अधीर हो रहे थे। उसकी आँखों में कामुकता थी, एक निमंत्रण था… पर मैंने सोचा चलो इसको थोड़ा और तड़पाया जाए और मैंने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और वापिस अन्दर देखने लगा।

अन्दर उन्होंने अपना आसन तोड़ा और चाची उठ कर चाचू के सामने आ गयी और उनका लंड मुंह में डाल कर चूसने लगी। अजय चाचू की आँखें बंद होती चली गयी। आरती चाची किसी प्रोफेशनल पोर्न आर्टिस्ट की तरह चाचू का लंड चूस रही थी।
मेरा तो दिल आ गया था अपनी रांड चाची पर… जी कर रहा था कि अभी अन्दर जाऊं और अपना लौड़ा उसके मुंह में ठूस दूं… साली कुतिया।

यहाँ नेहा काफी गरम हो चुकी थी, वो अपना शरीर मेरे शरीर से रगड़ रही थी, अपने चुचे मेरे हाथों से रगड़ कर मुझे उत्तेजित कर रही थी। मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की और अन्दर ही देखता रहा पर मेरा लंड मेरी बात कहाँ मानता है, वो तो खड़ा हो गया पूरी तरह।

जब नेहा ने देखा कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ तो वो मेरे सामने आई और मेरे लबों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूसने लगी और अपना पूरा शरीर मुझ से रगड़ने लगी। अब मेरी सहन शक्ति ने जवाब दे दिया और मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया और मैं उसे जोरों से चूसने और चाटने लगा। मैंने अपने हाथ उसके गोल और मोटे चूतड़ों पर टिकाया और उसकी गांड में उंगली डाल दी।
वो चिहुंक उठी और उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टाँगें मेरे चारों तरफ लपेट ली।

मेरी उंगली मेरी बहन की गांड में अन्दर तक घुस गयी। वो उसे जोर जोर से हिलाने लगी; मेरे मन में उसकी गांड मारने का विचार आया पर फिर मैंने सोचा अभी कल ही तो इसने चूत मरवाई है… इतनी जल्दी गांड भी मार ली तो बेचारी का चलना भी दूभर हो जाएगा इसलिए मैंने अपनी उंगली निकाल कर उसकी रस उगलती चूत में डाल दी।

नेहा तो मस्ती में आकर मुझे काटने ही लगी और इशारा करके मुझे बेड तक ले जाने को कहा। मैं उल्टा चलता हुआ बेड तक आया और उसे अपने ऊपर लिटाता हुआ नीचे लेट गया। उस से सहन नहीं हो रहा था, उसने मेरे लंड को निशाना बनाया और एक ही बार में मेरे लंड को अपनी कमसिन चूत में उतारती चली गयी।

उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज के साथ मेरा पप्पू उसकी पिंकी के अन्दर घुसता चला गया…”म्म्म्म म्म्म्मम्म…” आनंद के मारे उसकी आँखें बंद होती चली गयी। पास सो रही ऋतु को अंदाजा भी नहीं था कि हम भाई बहन सुबह सुबह फिर से चूत लंड खेल रहे हैं।
नेहा मेरा लंड अपने तरीके से अपनी चूत के अन्दर ले रही थी, वो ऊपर तक उठ कर आती और मेरे लंड के सुपारे को अपनी चूत के होंठों से रगड़ती और फिर उसे अन्दर डालती। इस तरह से वो हर बार पूरी तरह से मेरे लंड को अन्दर बाहर कर रही थी।

नेहा की चूत के रस से काफी चिकनाई हो गयी थी इसलिए आज उसे कल जितनी तकलीफ नहीं हो रही थी बल्कि उसे आज मजे आ रहे थे। उसके बाल्स जैसे चुचे मेरी आँखों के सामने उछल रहे थे, मैंने उन्हें पकड़ा और मसल दिया; वो सिहर उठी और अपनी आँखें खोल कर मुझे देखा और फिर झटके से मेरे होंठों को दबोच कर उन्हें अपना अमृत पिलाने लगी।

उसके धक्के तेज होने लगे और अंत में आकर वो जोरो से हांफती हुई झड़ने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ाई और 8-10 धक्कों के बाद मैं भी झड़ने लगा… अपनी सेक्सी बहन की चूत के अन्दर ही।
नेहा धीरे से उठी और मेरे साइड में लुढ़क गयी और मेरा लंड अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी और उसे साफ़ करके अपनी चूत में इकठ्ठा हुए मेरे रस में उंगलियाँ डालकर उसे भी चाटने लगी और फिर वो उठी और बाथरूम में चली गयी।

मैं थोड़ा ऊपर हुआ और सो रही नंगी ऋतु के साथ जाकर लेट गया। उसने भी अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया और मुझ से चिपक कर सो गयी। मैं बेड पर पड़ा अपनी नंगी बहन को अपनी बाँहों में लिए अपनी किस्मत को सराह रहा था।

9 बजे तक ऋतु भी उठ गयी और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर मेरे होंठों पर एक मीठी सी पप्पी दी और बोली- गुड मोर्निंग जानू…
जैसे कोई नव-विवाहित अपने पति को बोलती है।
मैंने भी उसे जवाब दिया और चूम लिया। मैंने नेहा को भी उठाया और उसे भी उसी अंदाज में गुड मोर्निंग बोला।

हम जल्दी से उठे और कपड़े पहन कर बाहर की तरफ चल दिए। बाहर मम्मी पापा, चाचू चाची सेंट्रल टेबल पर बैठे न्यूज़ पेपर के साथ चाय पी रहे थे।

हमें देख कर पापा बोले- अरे बच्चो, गुड मोर्निंग… कैसी रही तुम्हारी रात, नींद तो ठीक से आई ना?
मैं- गुड मोर्निंग पापा, हाँ हमें बहुत बढ़िया नींद आई… मैं तो घोड़े बेच कर सोया।
ऋतु- और मैं भी, मुझे तो सोने के बाद पता ही नहीं चला कि मैं हूँ कहाँ?

नेहा भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, वो बोली- और मेरा तो अभी भी उठने को मन नहीं कर रहा था… कितनी प्यारी नींद आई कल रात।
वो हल्के से मुस्कुरायी और हम दोनों की तरफ देखकर एक आँख मार दी।
मम्मी- अरे इन पहाड़ों पर ऐसी ही नींद आती है… अभी तो पूरे दस दिन पड़े हैं अपनी नींद का पूरा मजा लो बच्चो…
मैं- मम्मी पापा, हमें इस बात की बहुत ख़ुशी है कि इस बार आप लोग हमें भी अपने साथ लाये.. थैंक्स ए लोट…
पापा- यू आर वेल्कम बेटा, चलो अब जल्दी से नहा धो लो और फिर हमें बाहर जा कर सभी लोगों के साथ नाश्ता करना है।

हम सभी नहाने लगे। मेरी पेनी नजरें यह बात पता करने की कोशिश कर रही थी कि ये दोनों जोड़े कल रात वाली बात का किसी भी तरह से जिक्र कर रहे है या नहीं… पर वो सब अपने में मस्त थे, उन्होंने कोई भी ऐसा इशारा नहीं किया।

तैयार होने के बाद हम सभी बाहर आ गए और नाश्ता किया। हम तीनों एक कोने में जाकर टेबल पर बैठ गए, वहां हमारी उम्र के और भी युवा जन थे, बात करने से पता चला कि वो सभी भी पहली बार इस जगह पर आये हैं और ये भी कि यहाँ की टीम ने बच्चे लाने की छूट पहली बार ही दी है।

हम तीनों ने नाश्ता किया और वहीं टहलने लगे। ऋतु ने नेहा को गर्भनिरोधक गोलियां दी और उन्हें लेने का तरीका भी बताया। वो भी ये गोलियां पिछले 15 दिनों से ले रही थी और वो जानती थी की नेहा को भी अब इनकी जरूरत है।
नेहा गोली लेने वापिस अपने रूम में चली गयी। मैं और ऋतु थोड़ी और आगे चल दिए।

पहाड़ी इलाका होने की वजह से काफी घनी झाड़ियाँ थी। थोड़ी ऊंचाई पर ऋतु ने कहा- चलो वहां चलते हैं।
हम बीस मिनट की चढाई के बाद वहां पहुंचे और एक बड़ी सी चट्टान पर पहुँच कर बैठ गए। चट्टान के दूसरी तरफ गहरी खायी थी। वहां का प्राकृतिक नजारा देखकर मैं मंत्रमुग्ध सा हो गया और अपने साथ लाये डिजिकैम से हसीं वादियों के फोटो लेने लगा।

मेरे पीछे से ऋतु की मीठी आवाज आई- जरा इस नज़ारे की भी फोटो ले लो।
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी… मेरी जवान बहन ऋतु उस बड़ी सी चट्टान पर मादरजात नंगी लेटी थी। उस ने ‘कब अपने कपड़े उतारे और यहाँ क्यों उतारे’ मेरी समझ में कुछ नहीं आया… उस ने अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाली और अपना रस खुद ही चूसते हुए मुझे फिर बोली- कैसा लगा ये नजारा?

मैं- ये क्या पागलपन है ऋतु… कोई आ जाएगा, यहाँ ये सब करना ठीक नहीं है…
पर मेरा लण्ड ये सब तर्क नहीं मान रहा था, वो तो अंगड़ाई लेकर चल दिया अपने पूरे साइज़ में आने के लिए।
ऋतु- कोई नहीं आएगा यहाँ… हम काफी ऊपर हैं अगर कोई आएगा भी तो दूर से आता हुआ दिख जाएगा… और अगर आ भी गया तो उन्हें कौन सा मालूम चलेगा कि हम दोनों भाई बहन हैं। मुझे हमेशा से ये इच्छा थी कि मैं खुले में सेक्स के मजे लूं.. आज मौका भी है और दस्तूर भी।

मैंने उसकी बातें ध्यान से सुनी, अब मेरे ना कहने का कोई सवाल ही नहीं था, मैंने बिजली की तेजी से अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया। मेरा खड़ा हुआ लंड देख कर उसकी नजर काफी खूंखार हो गयी और उसकी जीभ लपलपाने लगी मेरा लंड अपने मुंह में लेने के लिए।

मैंने अपना कैमरा उठाया और उसकी तरफ देखा, वो समझ गयी और उसने चट्टान पर लेटे लेटे एक सेक्सी पोज लिया और मैंने उसकी फोटो खींच ली।
बड़ी सेक्सी तस्वीर आई थी।
फिर उसने अपनी टाँगें चौड़ी करी और अपनी उंगलियों से अपनी चूत के कपाट खोले। मैंने झट से उसका वो पोज कैमरे में कैद कर लिया। फिर तो तरह तरह से उसने तस्वीरे खिंचवाई।
ऋतु की रस टपकाती चूत से साफ़ पता चल रहा था कि वो अब काफी उत्तेजित हो चुकी थी। मेरा लंड भी अब दर्द कर रहा था, मैं आगे बढ़ा और अपना लम्बा बम्बू उसके मुंह में ठूस दिया- ले बहन की लोड़ी… चूस अपने भाई का लंड… साली हरामजादी… कुतिया… चूस मेरे लंड को… आज मैं तेरी चूत का ऐसा हाल करूँगा कि अपनी फटी हुई चूत लेकर पूरे शहर में घूमती फिरेगी।

ऋतु ने मेरी गन्दी गालियों से उत्तेजित होते हुए मेरे लंड को किसी भूखी कुतिया की तरह लपका और काट खाया। उस ठंडी चट्टान पर मैंने अपने हिप्स टिका दिए और वो अपने चूचों के बल मेरे पीछे से होती हुई मेरे लंड को चूस रही थी।
मैंने अपना हाथ पीछे करके उसकी गांड में एक उंगली डाल दी.
“आआआ आआआह आअह्ह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… म्म्म्म म्म्म्म” उसने रसीली आवाज निकाली।

ठंडी हवा के झोंकों ने माहौल को और हसीं बना दिया था। मुझे भी इस खुले आसमान के नीचे नंगे खड़े होकर अपना लंड चुसवाने में मजा आ रहा था। ऋतु काफी तेजी से मेरे लंड को चूस रही थी और चूसे भी क्यों न… आज उसकी एक सीक्रेट फैंटसी जो पूरी हो रही थी।

ऋतु चिल्लाई- साआआले… भेनचोद… हरामी कुत्ते… अपनी बहन को तूने अपने लम्बे लंड का दीवाना बना दिया है. मादरचोद… जी करता है तेरे लंड को खा जाऊं… आज मैं तेरा सारा रस पी जाऊँगी… साले… जब से तूने मेरी गांड मारी है… उस में खुजली हो रही है… भेन के लौड़े… आज फिर से मेरी गांड मार…
मैंने उसे गुड़िया की तरह उठाया और अपना लंड उसकी दहकती हुई भट्टी जैसी गांड में पेल दिया.
“आय्य्य्यीईई… आअह्ह्ह…” उसकी चीख पूरी वादियों में गूँज गयी। मैंने उसे चुप करने के लिए अपने होंठ उसके मुंह से चिपका दिए।

आज मुझे भी गाली देने और सुनने में काफी मजा आ रहा था। आज तक ज्यादातर हमने चुपचाप सेक्स किया था। घर वालों को आवाज न सुनाई दे जाए इस डर से… पर यहाँ ऐसी कोई परेशानी नहीं थी इसलिए हम दोनों काफी जोर से सिसकारियां भी ले रहे थे और एक दूसरे को गन्दी गन्दी गालियाँ भी दे रहे थे।

मैं भी उत्तेजक था और ऋतु से बोला- ले साली कुतिया… हरामजादी… मेरे लंड से चुदवाने के बाद अब तेरी नजर अपने बाप के मोटे लंड पर है… मैं सब जानता हूँ… तू अपनी रसीली चूत में अब अपने बाप का लंड लेना चाहती है… छिनाल… और उसके बाद चाचू से भी चुदवायेगी… है ना… और फिर वापिस शहर जाकर मेरे सभी दोस्तों से भी जिनसे अभी तक तूने अपनी चूत ही चटवाई है… बोल रंडी?

ऋतु- हाँ हाँ… चुदूँगी अपने बाप के मोटे लंड से… और अपने चाचू के काले सांप से… साले कुत्ते… तू भी तो अपनी माँ की चूचियां चूसना चाहता है और अपने मुंह से उनकी चूत चाटना चाहता है.. और चाची मिल गयी तो उसकी चूत के परखच्चे उड़ा देगा तू अपने इस डंडे जैसे लंड से… साला भड़वा… अपनी बहन को पूरी दुनिया से चुदवाने की बात करता है… तू मेरे लिए लंड का इंतजाम करता जा और मैं चुदवा चुदवा कर तेरे लिए पैसों का अम्बार लगा दूंगी।

ये सब बातें हमारे मुंह से कैसे निकल रही थी हमें भी मालूम नहीं था; पर यह जरूर मालूम था कि इन सबसे चुदाई का मजा दुगुना हो गया था।

मेरा लंड अब किसी रेल इंजन की तरह उस की कसावदार गांड को खोलने में लगा हुआ था। उस का एक हाथ अपनी चूत मसल रहा था और मेरे दोनों हाथ उसके गोल चूचों पर थे और मैं ऋतु के निप्पलों पर अपने अंगूठे और उंगली का दबाव बनाये उन्हें पूरी तरह दबा रहा था।

ऋतु के चूतड़ हवा में लटके हुए थे और पीठ कठोर चट्टान पर… मैं जमीन पर खड़ा उसकी टांगों को पकड़े धक्के लगा रहा था।
मैंने हाँफते हुए कहा- ले चुद साली… बड़ा शौक है ना खुले में चुदने का… आज अपनी गांड में मेरा लंड ले और मजे कर कुतिया…
ऋतु- मेरा बस चले तो मैं पूरी जिंदगी तेरे लंड को अपनी चूत या गांड में लिए पड़ी रहूँ इन पहाड़ियों पर… चोद साले… मार मेरी गांड… फाड़ दे अपनी बहन की गांड आज अपने मूसल जैसे लंड से… मार कुत्ते… भेन के लंड… चोद मेरी गांड को… आआअह… हयीईईई ईईईईई… आआअह्ह…
और फिर उस की चूत में से रस की धार बह निकली… उसका रस बह कर मेरे लंड को गीला कर रहा था, उसके गीलेपन से और चिकनाहट आ गयी।

मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी- ले छिनाल… आआआह… ले मेरा रस अपनी मोटी गांड में… आआह्ह्ह… हुन्न्न्न न्न्न्न आआआ…
भाई ने बहन की गांड में लंड दिया मेरे मुंह से अजीब तरह की हुंकार निकल रही थी, काफी देर तक मेरा लंड बहन की गांड में होली खेलता रहा और फिर मैं उसकी छातियों पर अपना सर टिका कर हांफने लगा।

ऋतु ने मेरे सर पर अपना हाथ रखा और हौले हौले मुझे सहलाने लगी; मेरा लंड फिसल कर बाहर आ गया; मैंने नीचे देखा तो उसकी गांड में से मेरा रस बह कर चट्टान पर गिर रहा था.
उसकी चूत में से भी काफी पानी निकला था; ऐसा लग रहा था कि वहां किसी ने एक कप पानी डाला हो… इतनी गीली जगह हो गयी थी।

ऋतु उठी और मेरे लंड को चूस कर साफ़ कर दिया; फिर अपनी गांड से बह रहे मेरे रस को इकठ्ठा किया और उसे भी चाट गयी.
मेरी हैरानी की सीमा न रही जब उसने वहां चट्टान पर गिरे मेरे वीर्य पर भी अपनी जीभ रख दी और उसे भी चाटने लगी और बोली- ये तो मेरा टोनिक है!
और मुझे एक आँख मार दी।

उसे चट्टान से रस चाटते देखकर मेरे मुंह से अनायास ही निकला “साली कुतिया…”
और हम दोनों की हंसी निकल गयी। फिर हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और नीचे की तरफ चल दिए। हम दोनों नीचे पहुंचे और वापिस टेबल पर आ कर बैठ गए और भीड़ का हिस्सा बन गए। किसी को भी मालूम भी नहीं चला कि हम दोनों कहाँ थे और हमने क्या किया।
टेबल पर मैंने देखा कि दो लड़कियां बैठी है एक ही उम्र की… वो शायद जुड़वाँ बहनें थी क्योंकि उनका चेहरा काफी हद तक एक दूसरे से मिलता था।
ऋतु ने उनसे बात करनी शुरू की।

ऋतु- हाय… मेरा नाम ऋतु है… और ये है मेरा भाई रोहण!
उनमें से एक लड़की बोली- हाय ऋतु… मेरा नाम मोनी है और ये मेरी जुड़वाँ बहन सोनी।

वो दोनों बातें कर रहे थे और मैं अपनी आँखों से उन्हें चोदने में…दोनों ने जींस और टी शर्ट पहन रखी थी, दोनों काफी गोरी चिट्टी थीं। एक समान मोटी मोटी छातियाँ, पतली कमर, फैले हुए कूल्हे और स्किन टाइट जींस से उभरती उनकी मोटी-२ टांगें।
वो देखने से किसी बड़े घर की लग रही थी।

सोनी जो चुपचाप बैठी हुई थी… मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दी। मैंने भी उसे स्माइल पास की। फिर हमने काफी देर तक एक दूसरे से बात की। उन्होंने बताया कि वो भी पहली बार यहाँ आई हैं और उनके पापा काफी बड़े बिज़नेसमैन हैं।

उनका रूम सामने ही था, मैंने कुछ सोच कर उनसे कहा- चलो, हमें भी अपना रूम दिखाओ!
और हम उनके साथ चल पड़े।
अन्दर जाकर देखा तो वो बिल्कुल हमारे जैसा रूम ही था। मैंने शीशे के पास जाकर देखा और उसे थोडा हिलाया… दूसरी तरफ का नजारा मेरे सामने था। मैं समझ गया कि यहाँ हर रूम ऐसे ही बना हुआ है जिस में शीशा हटाने से दूसरे रूम में देख सकते हैं।

हम ने थोड़ी देर बातें करी और वापिस लौट आये। मेरे दिमाग में अलग अलग तरह के विचार आ रहे थे। शाम को हम सभी बच्चों के लिए रंगारंग कार्यक्रम था। हम सब वहां जा कर बैठ गए।

थोड़ी देर में ही मैंने पेशाब का बहाना बनाया और वहां से बाहर आ गया और पास के ही एक रूम में जहाँ से रोशनी आ रही थी… चुपके से घुस गया। ड्राइंग रूम में कोई नहीं था। एक बेडरूम में से रोशनी आ रही थी, मैं उसके साथ वाले रूम में घुस गया, वहां भी कोई नहीं था।
मैंने जल्दी से दीवार पर लगे शीशे को हटाया और दूसरी तरफ देखा। मेरा अंदाजा सही था… वहां भी ओर्गी चल रही थी… दो औरतें और दो मर्द एक ही पलंग पर चुदाई समारोह चला रहे थे।

दोनों औरतें काफी मोटी और भरी छाती वाली थी। एक की गांड तो इतनी बड़ी थी कि मैं भी हैरान रह गया। वो एक आदमी का लंड चूस रही थी और दूसरी उसकी चूत चाट रही थी और उसकी गांड दूसरा आदमी मार रहा था।
पूरे कमरे में सिसकारियां गूंज रही थी।

मैंने जींस से अपना लंड बाहर निकाला और मुठ मारना शुरू कर दिया। जो औरत लंड चूस रही थी.. वो उठी और मेरी तरफ अपनी मोटी सी गांड करके कुतिया वाले आसन में बैठ गयी। एक आदमी पीछे से आया और अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया।
दूसरी औरत भी उठी और उसके साथ ही उसी आसन मैं बैठ गयी और दूसरे आदमी ने अपना मोटा काला लंड उसकी गांड में पेल दिया। दोनों ने एक दूसरे को देखा और ऊपर हाथ करके हाई फाइव किया और एक आदमी दूसरे से बोला- यार, तू सही कह रहा था.. तेरी बीवी मंजू की गांड काफी कसी है.. हा हा!
दूसरे ने जवाब दिया- और तेरी बीवी की चूत भी कम नहीं है। शशि भाभी की मोटी गांड को मारने के बाद इनकी चूत में भी काफी मजा आ रहा है.
और दोनों हंसने लगे।

मैंने गौर किया कि उनकी बीवियाँ… मंजू और शशि भी उनकी बातें सुनकर मुस्कुरा रही है.
मैंने ये सोचकर कि वो दोनों कितने मजे से एक दूसरे की बीवियों की गांड और चूत मार रहे हैं, अपने हाथ की स्पीड बढ़ा दी। वहां चर्म-स्तर पर पहुँच कर मंजू और शशि की चीख निकली और यहाँ मेरे लंड से गाढ़ा गाढ़ा वीर्य उस दीवार पर जा गिरा।

मैंने अपना लंड अन्दर डाला और बाहर निकल गया। मैंने वापिस पहुँच कर ऋतु को इशारे से बाहर बुलाया। उसे भी प्रोग्राम में मजा नहीं आ रहा था, बाहर आकर मैंने ऋतु को सारी बात बताई। वो मेरी बात सुन कर हैरान हो गयी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं ऐसे किसी और रूम में घुस गया पर जब चुदाई की बात सुनी तो वो भी काफी उत्तेजित हो गयी।

मैंने उसे अपना प्लान बताया। मैंने कहा- यहाँ कुछ ही लोग अपने बच्चे साथ लाये है। बाकी फॅमिली अकेली हैं और रोज शाम को प्रोग्राम के बहाने से बच्चों को बाहर निकाल कर वो अपने रूम में ओर्गी कर सकते हैं।

मैंने ऋतु से कहा- हम रोज किसी भी रूम में घुसकर देखेंगे कि वहां क्या हो रहा है. और अगर इस खेल को और भी मजेदार बनाना है तो कुछ और बच्चों को भी इसमें शामिल कर लेते हैं।

ये सब तय करने के बाद हम दोनों वापिस अपने रूम की तरफ आ गए। नेहा वहीं प्रोग्राम में बैठी थी। अन्दर आकर हमने नोट किया कि अजय चाचू के रूम की लाइट जल रही है। मेरे चेहरे पर मुस्कान दौड़ गयी और हम चुपके से अपने रूम में घुस गए।

शीशा हटा कर देखा तो अंदर वासना का वो ही नंगा नाच चल रहा था। आरती चाची और मेरी माँ पूर्णिमा नंगी लेटी हुई एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रही थी। मेरी माँ की गांड हवा में थी जबकि चाची पीठ के बल लेटी हुई अपनी टाँगें ऊपर किये हुए मेरे पापा का मूसल अपनी चूत में पिलवा रही थी।

मैंने ऋतु के कान में कहा- देखो तो साली आरती चाची कैसे चुदक्कड़ औरत की तरह अपनी चूत मरवा रही है… कमीनी कहीं की… कैसे हमारे बाप का लंड अपनी चूत में ले कर हमारी माँ के होंठ चूस रही है कुतिया…
ऋतु भी हमारी चाची की कामुकता और अन्दर का नजारा देखकर गर्म हो चुकी थी, मेरी गन्दी भाषा सुन कर वो भी उत्तेजित होते हुए बोली- हाँ भाई देखो तो जरा, हमारी कुतिया माँ को, कैसे अजय चाचू के घोड़े जैसे काले लंड को अपनी गांड में ले कर चीख रही है मजे से… मम्मी के चुचे कैसे झूल रहे हैं और आरती चाची कितने मजे से उन्हें दबा रही है और पापा का लंड तो देखो कितना शानदार और ताकतवर है, कैसे चाची की चूत में डुबकियां लगा रहा है… काश मैं होती चाची की जगह!

मैं समझ गया कि अगर ऋतु को मौका मिला तो वो अपने बाप का लंड भी डकार जायेगी।

पापा ने अपनी स्पीड तेज कर दी, आरती चाची की आवाजें तेज हो गयी, वो लोग समझ रहे थे कि घर में वो अकेले हैं, बच्चे तो बाहर गए हैं इसलिए वो तेज चीखें भी मार रहे थे और तरह तरह की आवाजें भी निकाल रहे थे।

तभी चाची चिल्लाई- आआह्ह… माआआह… जेठ जी… चोदो मुझे… और जौरर सेईईई… आआहहह… फाड़ डालो मेरी चूत… बड़ा अच्छा लगता है आपका लंड मुझे… चोदो… आआअह्ह…
चाची ने एक हाथ से मेरी माँ के चुचे बुरी तरह नोच डाले।
मेरी माँ तड़प उठी और जोर से चिल्लायी- आआआ आआअह्ह कुतियाआअ… छोड़ मेरी छाती… साली हरामजादी… मेरे पति का लंड तुझे पसंद आ रहा है… हांन्न… और तेरा ये घोड़े जैसा पति जो मेरी गांड मार रहा है उसका क्या… बोल कमीनी… उसका लंड नहीं लेती क्या घर में… मेरा बस चले तो मैं अपने प्यारे देवर का लंड ही लूं…
मेरी माँ चिल्लाये जा रही थी और अपनी मोटी गांड हिलाए जा रही थी।

अजय चाचू ने अपनी स्पीड बढ़ाई और मेरी माँ के कूल्हे पकड़ कर जोर से झटके देते हुए बोले- भाभी… ले अपने प्यारे देवर का लण्ड अपनी गांड में… सच में भाभी आपकी गांड मार कर वो मजा आता है कि क्या बोलूं… आआआह्ह्ह… तेरे जैसी हरामजादी भाभी की गांड किस्मत वालों को ही मिलती है… चल मेरी कुतिया… ले ले मेरा लंड अपनी गांड के अन्दर तक्क्क…
और चाचू ने अपना लावा मेरी माँ की गांड में उड़ेलना शुरू कर दिया।

मेरी माँ के मुंह से अजीब तरह की चीख निकली- आय्यय्य्य्यी… आआआह..
और उन्होंने आधे खड़े होकर अपनी गर्दन पीछे करी और अजय चाचू के होंठ चूसने लगी। चाचू का हाथ माँ की चूत में गया और माँ वहीं झड़ गयी- आआआह्ह… म्मम्मम…

वहां मेरे पापा भी कहाँ पीछे रहने वाले थे- ले आरती… मेरी जान… मेरी कुतिया… अपने आशिक जेठ का लंड अपनी चूत में ले… तेरी चूत में अभी भी वो ही कशिश है जो सालों पहले थी… और तेरे ये मोटे मोटे चुचे… इन पर तो मैं फ़िदा हूँ…
यह कह कर पापा ने झुक कर आरती चाची के दायें चुचे को मुंह में भर लिया और जोर से काट खाया।

चाची चीखी- आआअह कुत्त्त्ते… छोड़ मुझे… आह्ह्ह्ह… म्म्म्म म्म्म्मम्म
और मेरे पापा का मुंह ऊपर कर के उनके होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए और चूसने लगी किसी पागल बिल्ली की तरह।
पापा से सहन नहीं हुआ और अपना रस उन्होंने चाची के अन्दर छोड़ दिया। चाची भी झड़ने लगी और अपनी टाँगें पापा के चारों तरफ लपेट ली।
सभी हाँफते हुए वहीँ पलंग पर गिर गए।

ऋतु ने घूम कर मुझे देखा, उसकी आँखें लाल हो चुकी थी, उसने अपने गीले होंठ मुझ से चिपका दिए और मेरे हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रख दिए। मैंने उन्हें दबाया तो उसके मुंह से आह निकल गयी।
मैंने उसे उठा कर पलंग पर लिटाया और उसके कपड़े उतार दिए। ऋतु की चूत रिस रही थी अपने रस से… मैंने अपना मुंह लगा दिया उसकी रस टपकाती चूत पर और पीने लगा.

वो मचल रही थी बेड पर नंगी पड़ी हुई, उसने मेरे बाल पकड़ कर मुझे ऊपर खींचा और अपनी चूत में भीगे मेरे होंठ चाटने लगी और अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मेरे लंड को अपनी चूत पर टिकाया और “सुर्रर” करके मेरे मोटे लण्ड को निगल गयी।

ऋतु ने किस तोड़ी और धीरे से चिल्लाई- आआआहहह…
आज वो काफी गीली थी। मैंने अपना मुंह उसके एक निप्पल पर रख दिया… वो सिहर उठी और प्यार से मेरी तरफ देखकर बोली- मेरा बच्चा…
ये सुनकर मैंने और तेजी से उसका “दूध” पीना शुरू कर दिया।

ऋतु ने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर आ गयी.. बिना अपनी चूत से मेरा लंड निकाले और अपने बाल बांध कर तेजी से मेरे ऊपर उछलने लगी। मैंने हाथ ऊपर करे और उसके चुचे दबाते हुए अपनी आँखें बंद कर ली।
जल्दी ही वो झड़ने लगी और उसकी स्पीड धीरे होती चली गयी और अंत में आकर उसने एक जोर से झटका दिया और हुंकार भरी और मेरे सीने पर गिर गयी।

अब मैंने उसे धीरे से नीचे लिटाया, वो अपने चार पायों पर कुतिया की तरह बैठ गयी और अपनी गांड हवा में उठा ली। मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला और झटके देने लगा। मेरी एक उंगली उसकी गांड में थी।

मैंने किसी कसाई की तरह उसे दबोचा और अपना घोड़ा दौड़ा दिया। वो मेरे नीचे मचल रही थी। मैंने हाथ आगे करे और उसके झूलते हुए सेब पर टिका दिए। मेरा लंड इस तरह काफी अन्दर तक घुस गया।
मेरे सामने आज शाम की घटना और दूसरे रूम में हुई शानदार चुदाई की तसवीरें घूम रही थी। ये सोचते सोचते जल्दी ही मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैंने भी अपने लंड का ताजा पानी अपनी बहन के गर्भ में छोड़ दिया।

बुरी तरह से चुदने के बाद ऋतु उठी और बाथरूम में चली गयी।
मुझे भी बड़ी जोर से सुसु आया था, मैंने सिर्फ अपनी चड्डी पहनी और दरवाजा खोल कर बाहर बने कॉमन बाथरूम में चला गया। मैंने अपना लंड निकाला और मूत की धार मारनी शुरू कर दी।

मैंने मूतना बंद ही किया था कि बाथरूम का दरवाजा खुला और आरती चाची नंगी अन्दर आई और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया, पर जैसे ही मुझे देखा तो वहीं दरवाजे पर ठिठक कर खड़ी हो गयी। मेरे हाथ में मेरा मोटा लंड था।
आरती चाची ने कहा- ओह्ह्ह… सॉरी…
मैंने वहीं खड़े हुए कहा- क्या आपको दरवाजा खड़काना नहीं आता?
मेरा लंड अभी भी मेरे हाथ में था।

आरती चाची ने शर्माते हुए कहा- सॉरी… मुझे माफ़ कर दो रोहण… अन्दर अँधेरा था तो मैंने सोचा अन्दर कोई नहीं है… और वैसे भी तुम लोग तो बाहर प्रोग्राम देख रहे थे न?
वो अपने नंगे जिस्म को छुपाने की कोशिश कर रही थी।

मैंने उनकी आँखों में देखकर कहा- मेरा वहां मन नहीं लगा इसलिए वापिस आ गया… और…
आरती चाची ने सकुचाते हुए और मेरी बात काटते हुए कहा- और ये कि… मुझे शू शू आया है।
मैं- हाँ तो कर लो न…

चाची का चेहरा शर्म से लाल हो रहा था- तुम बाहर जाओगे तभी करुँगी न!
मैं- तुमने मुझे देखा है सू सू करते हुए… तो मेरा भी हक बनता है तुम्हें सू सू करते हुए देखने का…
और मैं दीवार के सहारे खड़ा हो गया और अपना लम्बा लंड उनके सामने मसलने लगा।

चाची ने ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा और जल्दी से सीट पर आकर बैठ गयी। पेशाब की धार अन्दर छुटी और मैंने देखा कि उनके निप्पल कठोर होते चले जा रहे हैं।
सू सू करने के बाद उन्होंने पेपर से अपनी चूत साफ़ करी और खड़ी हो गयी।
आरती ने कहा- ठीक है… अब खुश हो?
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- हाँ… पर मैं तुम्हें कुछ दिखाना भी चाहता हूँ…
मैंने अपनी योजना के आधार पर उन्हें कहा।
“अभी…? तुम्हें नहीं लगता कि मुझे कुछ कपड़े पहन लेने चाहियें… और तुम्हें भी!” चाची ने अपनी नशीली आँखें मेरी आँखों में डाल कर कहा।
मैंने कहा- इसमें सिर्फ दो मिनट लगेंगे… आपको हमारे रूम में चलना होगा।
“चलो फिर जल्दी करो… देखूँ तो सही तुम मुझे क्या दिखाना चाहते हो?” चाची ने कहा और दरवाजा खोलकर मेरे साथ चल दी… नंगी।

मैंने अपने रूम का दरवाजा खोला और अन्दर आ गया। ऋतु का चेहरा देखते ही बनता था… जब उसने चाची को मेरे पीछे अपने रूम में घुसते हुए देखा… वो भी बिल्कुल नंगी।
ऋतु उस समय बेड पर लेटी अपनी चूत में उंगलियाँ डाल कर मुठ मार रही थी।

मैंने ऋतु से कहा- चाची मुझे बाथरूम में मिली थी, मैं इन्हें कुछ दिखने के लिए लाया हूँ।
चाची भी ऋतु को नंगी बिस्तर पर लेटी देखकर हैरान रह गयी। मैं जल्दी से शीशे वाली जगह पर गया और बोला- आप इधर आओ चाची… ये देखो।
चाची झिझकते हुए आगे आई। वो समझ तो गयी थी कि मैं उन्हें क्या दिखाने वाला हूँ। जब उन्होंने अन्दर देखा तो पाया कि मम्मी ने चाचू का लंड मुंह में ले रखा है और चूस रही है और पीछे से पापा उनकी चूत मार रहे हैं।

चाची ने थोड़ा कठोर होते हुए कहा- तो तुम लोग हमारी जासूसी कर रहे थे, हमें ये सब करते हुए देख रहे थे। इसका क्या मतलब है, ऐसा क्यों कर रहे थे तुम?
मैंने कहा- मुझे लगा आपको अच्छा लगेगा कि आपकी कोई औडिएंस है और इस से एक्साइटमेंट भी आएगी।
उन्होंने कहा- अब से हम तुम्हारे परेंट्स का रूम यूज़ करेंगे.

मैंने उन्हें डराते हुए कहा- फिर तो मैं उन्हें बता दूंगा कि आप बाथरूम में आई और मुझे शीशे वाली जगह दिखाई और हमें अन्दर देखने के लिए भी कहा।
चाची का मुंह तो खुला का खुला रह गया मेरी इस धमकी से… उन्होंने हैरानी से ऋतु की तरफ देखा जो अब उठ कर बैठ गयी थी, पर वो भी उतनी ही हैरान थी जितनी की चाची।
“तुम क्या चाहते हो रोहण…?” चाची ने थोड़ा नर्म होते हुए कहा।

“मैं भी कुछ खेल खेलना चाहता हूँ.” मैंने कहा और आगे बढ़ कर चाची के मोटे चुचे पर हाथ रख दिया और उनके निप्पल को दबा दिया।
चाची ने गंभीरता से कहा- आआउच…
वो बिदकी और बोली- तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि इटनी छोटी सी उम्र में तुम ये खेल खेलने के लिए तैयार हो?
मैंने अपना अंडरवियर नीचे गिरा दिया और अपना पूरा खड़ा हुआ मोटा लंड उनके हाथों में दे दिया और कहा- मुझे ये इसकी वजह से लगता है।
“तुम्हारी उम्र के हिसाब से तो ये काफी बड़ा है…” चाची ने मेरे लंड से बिना हाथ और नजरें हटाये हुए कहा।
वो जैसे मेरे लंड को देखकर सम्मोहित सी हो गयी थी।

मैंने उनसे कहा- चाची, मेरा लंड चूसो…
उन्होंने झिझकते हुए कहा- पर ऋतु… वो भी तो है यहाँ…
मैंने कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए कहा- आप उसकी चिंता न करो, वो ये सब होते हुए देखेगी… और उसके बाद आप उसकी चूत को भी चाट देना… वो शायद आपको भी पसंद आएगी।

मैंने चाची को घुमा कर बेड की तरफ धकेल दिया, बेड के पास पहुँच कर मैंने उन्हें धीरे से किनारे पर बिठा दिया मेरा खड़ा हुआ लण्ड उनकी आँखों के सामने था। उन्होंने ऋतु की तरफ देखा, वो भी काफी उत्तेजित हो चुकी थी ये सब देख कर और उछल कर वो भी सामने आ कर बैठ गयी।

फिर चाची ने मेरा लंड पकड़ा और धीरे से अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिराई और फिर पूरे लंड पर अपनी जीभ को फिराते हुए उन्होंने एक एक इंच करके किसी अजगर की तरह मेरा लंड निगल लिया।
मैंने मन ही मन सोचा- एक्सपेरिएंस भी कोई चीज होती है…
उनका परिपक्व मुंह मेरे लंड को चूस भी रहा था, काट भी रहा था और अन्दर बाहर भी कर रहा था।

मेरे लंड का किसी अनुभवी मुंह में जाने का ये पहला अवसर था, मुझ से ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ, चाची के गर्म मुंह ने जल्दी ही मुझे झड़ने के कगार पर पहुंचा दिया। मेरे लंड से वीर्य की बारिश होने लगी चाची के मुंह के अन्दर… उन्होंने एक भी बूँद जाया नहीं जाने दी और सब पी गयी।
चाची ने मेरे लंड को आखिरी बार चूसा और छोड़ दिया- तुम यही चाहते थे न?

मैंने उनके कंधे पर दबाव डाला और उन्हें बेड पर लिटा दिया- हाँ बिल्कुल यही… तुम बिल्कुल परफेक्ट हो चाची… अब लेट जाओ।
पीछे से ऋतु ने उन्हें कंधे से पकड़ा और चाची के मुंह के दोनों तरफ टाँगें करके उनके मुंह के ऊपर बैठ गयी.
“आआअह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… म्मम्म म्मम्म…” और अपनी गीली चूत उनके मुंह से रगड़ने लगी।
मैंने चाची की टाँगें पकड़ी और हवा में उठा ली और उनकी जांघो पर हाथ टिका कर अपना मुंह उनकी दहकती हुई चूत में दे मारा। मैंने जैसे ही अपनी जीभ उनकी चूत में डाली, उन्होंने एक झटका मारा…”आआअह्ह…यीईईईईईई…” और मेरी गर्दन के चारों तरफ अपनी टाँगें लपेट ली और अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरा मुंह चोदने लगी।

चाची की चूत ऋतु और उसकी सहेलियों की चूत से बिल्कुल अलग थी। वो एक पूरी औरत की चूत थी जिसकी एक जवान लड़की भी थी और मजे की बात ये थी कि मैं उनकी लड़की की चूत भी चाट और मार चुका था।
ऋतु भी बड़ी तेजी से अपनी बिना बालों वाली चूत को उनके मुंह में घिस रही थी। मैंने चाची की चूत पर काटना और चुसना शुरू कर दिया। जल्दी ही उनकी चूत के अन्दर से एक सैलाब सा उमड़ा और मेरे पूरे मुंह को भिगो दिया।

उनका रस भी बड़ा मीठा था, मैंने जल्दी से सारा रस पी लिया।
उधर ऋतु ने भी अपनी टोंटी चाची के मुंह में खोल दी और अपना अमृत उन्हें पिला दिया।

हम सभी धीरे से अलग हुए और थोड़ी देर तक सांस ली। चाची का चेहरा उत्तेजना के मारे तमतमा रहा था, उन्होंने उठने की कोशिश की पर उनके पैर लड़खड़ा रहे थे।
चाची बिस्तर से उठते हुए बोली- मुझे अब वापिस जाना चाहिए उस रूम में।
“प्लीज चाची दुबारा आना!” मैंने उन्हें कहा।

ऋतु- और अजय अंकल को भी लेकर आना और मॉम डैड को मत बताना।
चाची ने हँसते हुए कहा- ठीक है आऊँगी… और तुम्हारे मम्मी पापा को भी नहीं बताऊँगी.
और फिर चली गयी।

चाची के जाते ही मैंने शीशा हटा कर देखा। वो अन्दर गयी और चुदाई समारोह में जाकर वापिस शरीक हो गयी। पापा ने अपना रस मम्मी की चूत में निकाल दिया था। चाची ने जाते ही अपनी डिश पर हमला बोल दिया और माँ की चूत में से सारी मलाई खा गयी।

चाची को झड़े अभी 5 मिनट ही हुए थे पर जैसे ही चाचू ने उनकी चूत में लौड़ा डाला वो फिर से मस्ता गयी और अपनी मोटी गांड हिला हिला कर चुदवाने लगी। जल्दी ही चाचू का लंड… जो मम्मी के चूसने की वजह से झड़ने के करीब था, चाची की गीली चूत में आग उगलने लगा।
सभी हाँफते हुए वहीं बेड पर लुढ़क गए।
थोड़ी देर में मम्मी और पापा उठे और अपने रूम में चले गए।

मम्मी पापा के जाते ही मैंने ऋतु को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके गीले और लरजते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो भी दोबारा गर्म हो चुकी थी, उसके होंठ चूसते हुए मैंने उसके चुचे दबाने शुरू किये और जल्दी ही उसके निप्प्ल्स को अपने होंठों के बीच रख कर चबाने लगा।

ऋतु पागल सी हो गयी मेरे इस हमले से… वो चिल्लाई- आआआ आअयीईईई ईईईइ… म्म्म्म म्म्म्मम… चुसो ऊऊऊ… इन्हें… अयीईईईईइ थोड़ा धीरेईईईए… अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह…
वो बुदबुदाती जा रही थी, जल्दी ही मैं उन्हें चूसता हुस नीचे की तरफ चल दिया और उसकी रस टपकाती चूत में अपने होंठ रख दिए। ऋतु से भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, उसने पलट कर 69 की अवस्था ली और मेरा फड़कता हुआ लंड अपने मुंह में भर लिया और तेजी से चूसने लगी।

उधर दूसरे रूम में मम्मी पापा के जाते ही… थोड़ी देर लेटने के बाद चाची उठ कर शीशे के पास आई और शीशा हटा कर झाँकने के बाद देखा… तो मुझे और ऋतु को 69 की अवस्था में देख कर मुस्कुरा दी।

उन्होंने इशारे से अजय चाचू को अपने पास बुलाया। वो उठे और नंगे आकर चाची के पीछे खड़े हो गए। अन्दर झांकते ही वो सारा माजरा समझ गए और मुझे और ऋतु को ऐसी अवस्था में देख कर आश्चर्य चकित रह गए। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि हम दोनों भाई बहन ऐसा कर सकते हैं पर फिर उन्होंने सोचा की जब वो अपने भाई और भाभी के साथ खुल कर अपनी पत्नी को शामिल कर के मजा ले सकते हैं तो ये भी मुमकिन है।
उनकी नजर जब ऋतु की मोटी गांड पर गयी तो उन का मुरझाया हुआ लंड फिर से अंगड़ाई लेने लगा।

चाची ने अजय को सारी बात बता दी कि कैसे हम दोनों उनके रूम में देखते हैं और शायद वो ही देख देख हम दोनों भाई बहन भी एक दूसरे की चुदाई करने लगे हैं।

मेरी एक उंगली ऋतु की गांड के छेद में थी और मेरा मुंह उसकी चूत में। वो अपनी गांड को गोल गोल घुमा रही थी और मुंह से सिसकारियां ले लेकर मेरा लंड चूस रही थी।

चाचू ने जब ऋतु की गोरी, मोटी घूमती गांड देखी तो वो पागल ही हो गए। उन्होंने पहले ऐसा कभी ऋतु के बारे में सोचा नहीं था। चाची ने बताना चालू रखा कि कैसे वो बाथरूम में गयी और नंगी मुझ से मिली और वापिस उनके रूम में जा कर उन्होंने मेरा लंड चूसा और ऋतु की चूत चाटी।

चाचू चकित हो कर सभी बातों को सुन रहे थे, उनकी नजर ऋतु के नंगे बदन से हट ही नहीं रही थी और जब चाची ने ये बताया कि उन्होंने उन दोनों को अपने रूम में बुलाया है और खास कर ऋतु ने बोला है कि ‘चाचू को भी लेकर आना…’ तो अजय समझ गया कि उसकी भतीजी की चूत तो अब चुदी उस के लंड से।

चाचू ने झट से आरती को कहा- तो चलो न, देर किस बात की है, चलते हैं उनके रूम में…
चाची- अभी…? अभी चलना है क्या?
चाचू- और नहीं तो क्या… देख नहीं रही कैसे दोनों गर्म हुए पड़े हैं।
चाची- हाँ…! ठीक है, चलते हैं, मुझे वैसे भी रोहण के लंड का स्वाद पसंद आया, देखती हूँ कि उसे इस्तेमाल करना भी आता है या नहीं।

दोनों धीरे से अपने कमरे से निकले और हमारे रूम में आ गए। हम दोनों एक दूसरे में इतने खो गए थे कि हमें उनके अन्दर आने का पता ही नहीं चला। चाचू बेड के सिरे की तरफ जा कर खड़े हो गए। वहां ऋतु का चेहरा था जो मेरा लंड चूसने में लगा हुआ था।

ऋतु ने जब महसूस किया कि कोई वहां खड़ा है तो उसने अपना सर उठा कर देखा और चाचू को पा कर वो सकपका गयी। नजरें घुमा कर जब चाची को देखा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए अपनी आँखों के इशारे से ऋतु को चाचू की तरफ जाने को कहा।
वो समझ गयी और अपना हाथ ऊपर करके अपने सगे चाचा का काला लंड अपने हाथों में पकड़ लिया।

चाचू के मोटे लंड पर नन्हे हाथ पड़ते ही वो सिहर उठे…”आआआ आअह्ह्ह…” और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली।
ऋतु थोड़ा उठी और अपने होंठों को चाचू के लंड के चारों तरफ लपेट दिया।

मैंने जब महसूस किया कि ऋतु ने मेरा लंड चूसना बंद कर दिया है तो मैंने अपना सर उठा कर देखा और अपने सामने चाची को मुस्कुराते हुए पाया। मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही चाची ने अपनी टाँगें घुमाई और मेरे मुंह की सवारी करने लगी।
चाची की चूत काफी गीली थी, शायद दुसरे कमरे में चल रही चुदाई की वजह से और हमें देखने की वजह से भी।
“आआआ आआआ आआह्ह्ह” चाची ने लम्बी सिसकारी ली।

चाची ने भी झुक कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। मैंने अपनी जीभ चाची की चूत में काफी गहरायी तक डाल दी। इतना गहरा आज तक मैं नहीं गया था। उनकी चूत और चूतों के मुकाबले थोड़ी बड़ी थी, शायद इस वजह से।

चाची मेरे ऊपर पड़ी हुई मचल रही थी, उन्होंने मेरा लंड एक दम से छोड़ दिया और घूम कर मेरी तरफ मुंह कर लिया और अपनी गीली चूत में मेरा लंड लगाया और नीचे होती चली गयी.
“म्मम्म म्मम… आआआ आआआह्ह्ह… मजा आ गया…” वो बुदबुदाई और अपने गीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।

मेरे हाथों ने अपने आप बढ़ कर उनके हिलते हुए स्तनों को जकड़ लिया। बड़े मोटे चुचे थे चाची के… उनके निप्पल के चारों तरफ लम्बे लम्बे बाल थे। मैं जब उनके दानों को चूस कर छोड़ता तो उनके लम्बे बाल में रह जाते जिनको मैं दांतों से दबा कर काफी देर तक खींचता।

चाची मेरे इस खेल से सिहर उठी, उन्हें काफी दर्द हो रहा था पर मजा भी आ रहा था इसलिए वो बार बार अपने निप्पल फिर से मेरे मुंह में भर देती।

उधर, ऋतु के मुंह को काफी देर तक चोदने के बाद चाचू ने उसे घुमाया जिससे मेरी बहन की गांड हवा में उठ गयी। उन्होंने अपना मोटा लंड ऋतु की चूत पर टिकाया और एक तेज झटका मारा, चाचू का लंड अपनी भतीजी की कसी चूत में उतरता चला गया।

ऋतु चीखी- आआ अयीईईई ईईईईइ… आआह्ह्ह… चाचू धीरे… आआआह…
ऋतु अपनी कोहनियों के बल बैठी थी, उसका चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल ऊपर था। चाचू के लंड डालते ही उसकी आँखें फ़ैल गयी और फिर थोड़ी ही देर में उत्तेजना के मारे बंद होती चली गयी। वो थोड़ा झुकी और मेरे होंठ चूसने लगी। उसकी चूत में उसके चाचू का लंड था और मेरे लंड के चारों तरफ चाची की चूत लिपटी हुई थी। पूरे कमरे में गर्म सांसों की आवाज आ रही थी।

मेरे लंड पर चाची बुरी तरह से उछल रही थी जैसे किसी घोड़े की सवारी कर रही हो। उनकी चूत बड़ी मजेदार थी, वो ऊपर नीचे भी हो रही थी और बीच बीच में अपनी गांड घुमा घुमा कर घिसाई भी कर रही थी।
जल्दी ही मेरे लंड की सवारी करते हुए चाची झड़ने लगी- आआअह्ह्ह… मैं…आयीईईई ईईइ…
और उनके रस ने मेरे लंड को नहला दिया।
मेरा लंड भी आखिरी पड़ाव पर था, उसने भी बारिश होते देखी तो अपना मुंह खोल दिया और चाची की चूत में पिचकारियाँ मारने लगा।

ऋतु से भी चाचू के झटके ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुए, वो तो अपने चाचू का लंड अपनी चूत में लेकर फूली नहीं समा रही थी, उसने भी जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया। चाचू ने भी दो चार जोर से झटके दिए और अपना रस अपनी भतीजी की कमसिन चूत में छोड़ दिया।

चाचू ने अपना लंड बाहर निकला और ऋतु के चेहरे के सामने कर दिया। ऋतु ने बिना कुछ सोचे उन का रस से भीगा लंड मुंह में लिया और चूस चूस कर साफ़ करने लगी।

चाची भी मेरे लंड से उठी और खड़ी हो गयी, चाची की चूत में से हम दोनों का मिला जुला रस टपक रहा था। वो थोड़ा आगे हुई और मेरे पेट पर पूरा रस टपका दिया। फिर नीचे उतर कर मेरे लंड को मुंह में भरा और साफ़ कर दिया। फिर अपनी जीभ निकाल कर ऊपर आती चली गयी और मेरे पेट पर गिरा सारा रस समेट कर चाट गयी।

ऋतु ने भी अपनी चूत में उंगलियाँ डाली और चाचू का रस इकट्ठा कर के चाट गयी।
© Copyright 2013-2019 - Hindi Blog - ALL RIGHTS RESERVED - POWERED BY BLOGGER.COM