लण्ड को चूत की चुदास लग गई
Lund Ko Chut Ki Chudas Lag Gai
नमस्कार दोस्तो, जैसे कि आपने मेरी पहली कहानी में पढ़ा था कि कैसे मुझे पहली बार नीता के साथ चोदने का मौका मिला.. अब मैं अपनी कहानी को आगे बढ़ाता हूँ।
नीता के साथ मेरा पहली चुदाई अचानक ही हुई थी और यह मेरा पहला सेक्स का अनुभव भी था। अब तक वो मुझसे सिर्फ़ मज़ाक तक ही सीमित थी.. लेकिन अब उसके मेरे प्रति व्यवहार में परिवर्तन आ चुका था।
दोस्तो, चुदाई का भी अपना एक नशा होता है.. जब तक आपने नहीं किया.. शायद ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता.. आप मुठ्ठ मार कर या कामुक साहित्य से भी काम चला सकते हो। लेकिन एक बार चूत का स्वाद लग जाने के बाद लण्ड और आदमख़ोर बाघ में कोई फ़र्क नहीं होता, ये दोनों बस अपने शिकार की तलाश में ही लगे रहते हैं।
अभी तक मैंने आपको नीता के बारे में नहीं बताया है। नीता की कद काठी 5 फुट 4 इंच की थी और उसका 32 इंच के चूचे 26 इंच की कमर और ठोस नितंब 36 इंच के उठे हुए थे। नीता दिखने में सामान्य थी.. पर उसमे जो बात ख़ास थी.. वो था उसका व्यक्तित्व.. वो किसी भी माहौल में जान डाल सकती थी।
सच कहा जाए तो उन तीनों लड़कियों में वो सबसे ज़्यादा ऊर्जावती और रचनात्मक व्यक्तित्व की स्वामिनी थी।
अब तक मेरा अधिकतर वक़्त शिवानी के साथ बीतता था और मेरे मन में आकर्षण भी शिवानी के लिए था.. पर यह दिल अब नीता की तरफ खिंचता जा रहा था। उसका हर अंदाज़ मेरे लिए नया था और हर अदा दिलकश थी। वो भी मुझे पसंद करने लगी थी और हम दोनों एक-दूसरे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताने की कोशिश करने लगे थे।
जहाँ तक मैं आज तक समझा हूँ.. हमें प्यार उसी से होता है.. जिसके साथ हमारा अच्छा वक़्त बीतता है।
पहली बार चुदाई करने के बाद हम एक-दूसरे से खूब बातें करने लगे थे। अपनी उम्मीदें.. सपने.. सब कुछ एक-दूसरे से साझा करने लगे थे।
अब तक मुझे दिल्ली में 6 महीने से ज़्यादा वक़्त होने वाला था। पढ़ने के वक़्त मेरा पूरा वक़्त शिवानी के साथ बीतता था।
मामाजी के यहाँ रहने के कारण नीता से अकेले मिलने का मौका कम था.. इसलिए मैं अपने लिए एक कमरा तलाश करने लगा।
इसी बीच मेरे मैनेजर को कंपनी के एक प्रॉजेक्ट के लिए 2 साल तक गोवा जाने का मौका मिला। वो अपनी पत्नी के साथ गोवा जाना चाहता था.. पर किसी को अपना अपार्टमेंट किराए पर देने में डर रहा था।
आप लोग तो जानते ही हैं कि दिल्ली में कमरा किराए पर देना आसान है.. पर खाली करवाना उतना ही मुश्किल है। इसलिए उसने मुझे अपने अपार्टमेंट का केयर-टेकर बनकर वहाँ रहने को कहा.. तो मैं तुरंत तैयार हो गया।
एक महीने बाद मेरे पास एक अच्छा अपार्टमेंट था और अब मैं नीता के साथ वक़्त गुजारना चाहता था। इसलिए मैंने नीता से अगले शनिवार को अपने साथ वक़्त गुजारने के लिए कहा.. तो नीता तुरन्त मान गई।
शाम को ड्यूटी से फ्री होने के बाद मैंने कंपनी की कार ले ली और नीता को पिक-अप करके डिनर के लिए ले गया।
उस शाम नीता के अलावा मेरे दिमाग में कुछ नहीं था। डिनर के वक़्त वो सिर्फ मुझे देख कर मुस्कुराती रही और मैं उस रात इतना उत्साहित हो रहा था कि मेरा अपने ऊपर काबू नहीं था।
तभी मुझे अपनी टाँगों के बीच उसके पैरों का स्पर्श महसूस हुआ.. वो अपने पंजों से मेरे पैर सहला रही थी। एक हाथ से खाते हुए दूसरे हाथ से मेरे हाथों को पकड़े हुई थी और शक्ल ऐसी बना रही थी जैसे उससे मासूम पूरी दुनिया में कोई नहीं है।
शायद उसकी यही अदाएँ थीं.. जो मुझे उसका दीवाना बनाती जा रही थीं।
खैर.. मैंने भी उसको उसी की तरह से रगड़ना शुरू किया और उसका हाथ सहलाते हुए अपने दाएं पैर के अंगूठे से उसके पैरों को ऊपर से नीचे तक सहलाना शुरू किया। फिर धीरे-धीर पैर से उसकी चूत को सहलाने लगा।
हमारे चारों ओर लोग अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ अलग-अलग टेबलों पर बैठे थे और हम इस माहौल में भी जो हरकतें कर रहे थे.. उसका उत्तेजक आनन्द भी अलग ही था।
इस प्रकार से उसकी चूत को रगड़ते हुए ही नीता एक बार झड़ गई।
फिर उसने कहा- आज तो पूरी रात हमारे पास है और आज हमें किसी के डिस्टर्ब करने का खतरा भी नहीं है.. चलो अब डिनर कर लें।
मैं भी मान गया। डिनर करने के बाद हम अपार्टमेंट में गए। जैसे ही हम अन्दर घुसे.. नीता ने मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को जो चुम्बन किया तो एक बार तो लगा कि ये लड़की मुझे आज कच्चा ही खा जाएगी।
खैर.. मैंने भी उसके चुम्बन का जबाब उसी जोश से दिया और ना जाने हम एक-दूसरे को कितनी देर तक चूमते रहे।
फिर हम जब अलग हुए तो नीता ने पूछा- पहली बार किसी को यहाँ लाए हो.. पार्टी के लिए कुछ रखा है?
मैंने फ्रिज खोल कर उसको बियर ऑफर की.. तो उसने ख़ुशी से ले ली और मैंने अपने लिए स्कॉच का एक पैग बना लिया।
इस बीच नीता अपार्टमेंट के कमरों को देखने लगी।
जब हम दोनों मुख्य शयनकक्ष में गए तो नीता का मुँह हैरानी से खुला रह गया.. और होता भी क्यों ना.. उस कमरे को बनाया ही ऐसा गया था बीच में ‘किंग साइज़’ पलंग और कमरे की चारों दीवारों और छत पर फुल साइज़ शीशे लगे हुए थे। उस कमरे में किसी भी तरफ देखो.. तो अपना ही प्रतिबिम्ब नज़र आता था।
हम दोनों बिस्तर पर बैठ गए और एक-दूसरे को फिर से चुम्बन करने लगे।
चुम्बन करते हुए ही नीता ने मेरी शर्ट उतार दी और इसी के साथ मैं उसकी कुर्ती के सारे बटन खोल चुका था और उसको उतार कर हटा दिया। मैं उसके उरोजों को एक-एक करके चूसने लगा और वो शीशों में मेरी हरकत को देखकर और उत्तेजित हो रही थी। मैंने उसकी ब्रा उतारकर एक कोने में फ़ेंक दी और उसके उरोजों से होते हुए उसकी नाभि को चूमने लगा।
फिर मैंने उसकी जींस उतार दी और उसके होंठों को चूसते हुए एक हाथ से उसकी चूत को चड्डी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
अब तक नीता काफी उत्तेजित हो चुकी थी और मेरा लंड हाथ में पकड़कर सहलाने लगी.. पर आज की रात मैं किसी भी तरह की जल्दी में नहीं था। मुझे इस पूरी रात का पूरा मज़ा लेना था इसलिए मैंने ‘फोरप्ले’ को जारी रखा। अब तब नीता एक बार फिर से झड़ चुकी थी।
अब नीता मेरे लंड को बड़े प्यार से चूस रही थी.. वो मेरे लौड़े पर अपनी जीभ को नीचे से ऊपर लाते हुए चाटती और कभी उसे पूरा ही जड़ तक अन्दर ले रही थी। मैं इस जन्नत के मजे ले रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे रोक दिया और अब उसे बिस्तर पर लिटा कर उसके बदन के हर हिस्से को चूमा।
अब तक नीता पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और अब उसे मेरे लंड की जरूरत थी। मैं मिशनरी अवस्था में आ गया और उसकी आँखों में आँखें डालते हुए अपने लंड को उसकी चूत की गहराई में उतारकर धक्के पर धक्के लगाने लगा।
वो धीरे-धीरे सिसकारियाँ ले रही थी और थोड़ी देर में यही सिसकारियाँ ‘आहों’ में बदलने लगीं।
उसकी ये मदभरी ‘आहें’ मुझे और उत्तेजित कर रही थीं। करीब 10-12 मिनट की मस्त चुदाई के बाद हम दोनों झड़ चुके थे। वो मेरे सीने पर सर रखकर मुझसे बातें करने लगी और थोड़ी देर में सो गई।
मेरा लंड दुबारा खड़ा हो चुका था.. पर उसको सोया जानकर मैंने उसे डिस्टर्ब करना सही नहीं समझा और मैं भी सो गया।
अगली सुबह अचानक मुझे अपने खड़े लंड के चूसे जाने का अहसास हुआ तो मेरी नींद तुरंत खुल गई। देखा तो सामने नीता अपनी चूत मेरी ओर किए हुए बड़े प्यार से मेरे लंड की सेवा कर रही थी।
आप सबने शायद सुना होगा जो किसी मुग़ल शहँशाह ने कश्मीर की तारीफ में कहा था कि अगर दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो यहीं है.. यहीं है.. यहीं है.. वो अनुभव.. वो नज़ारा.. ठीक उसी कश्मीर की तरह मेरा स्वर्ग था।
खैर.. उसी पल मेरे दिमाग में एक खुराफात आई.. मैंने बड़े प्यार से उसकी कमर को पकड़ा और मज़बूत पकड़ रखते हुए वहीं बिस्तर पर खड़ा हो गया।
अब वो उलटी लटककर मुझे मुँह-मैथुन का मज़ा दे रही थी और मैं उसकी चूत को चाट रहा था।
इस हालत में उसको उठा कर मैं शीशे की दीवार के पास ले गया और बिना उसके पैर जमीन पर लगाए.. उसको सीधा कर दिया और मेरा खड़ा लवड़ा उसकी चुदासी चूत में घुस गया।
अब मैं उसको खड़े-खड़े ही चोद रहा था। थोड़ी देर के बाद मैं उसको बिस्तर के पास लाया और उसको लिटा कर पूरी ताकत से उसकी चूत में धक्के लगा रहा था।
जहाँ पिछली रात उसकी सिसकारियाँ और ‘आहें’ सुन रहा था.. वही रात की ‘आहें’ आज सुबह चीखों में बदल गई थीं।
करीब 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों बिस्तर पर पड़े एक-दूसरे की आँखों में आँखें डाले वक़्त बिता रहे थे।
फिर अगले 3 महीने तक नीता और मैं एक गहरी और जिस्मानी रिश्ते में रहे।
आगे की कहानी चलती रहेगी। अपने विचार मेल पर भेजिएगा।
नमस्कार दोस्तो, जैसे कि आपने मेरी पहली कहानी में पढ़ा था कि कैसे मुझे पहली बार नीता के साथ चोदने का मौका मिला.. अब मैं अपनी कहानी को आगे बढ़ाता हूँ।
नीता के साथ मेरा पहली चुदाई अचानक ही हुई थी और यह मेरा पहला सेक्स का अनुभव भी था। अब तक वो मुझसे सिर्फ़ मज़ाक तक ही सीमित थी.. लेकिन अब उसके मेरे प्रति व्यवहार में परिवर्तन आ चुका था।
दोस्तो, चुदाई का भी अपना एक नशा होता है.. जब तक आपने नहीं किया.. शायद ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता.. आप मुठ्ठ मार कर या कामुक साहित्य से भी काम चला सकते हो। लेकिन एक बार चूत का स्वाद लग जाने के बाद लण्ड और आदमख़ोर बाघ में कोई फ़र्क नहीं होता, ये दोनों बस अपने शिकार की तलाश में ही लगे रहते हैं।
अभी तक मैंने आपको नीता के बारे में नहीं बताया है। नीता की कद काठी 5 फुट 4 इंच की थी और उसका 32 इंच के चूचे 26 इंच की कमर और ठोस नितंब 36 इंच के उठे हुए थे। नीता दिखने में सामान्य थी.. पर उसमे जो बात ख़ास थी.. वो था उसका व्यक्तित्व.. वो किसी भी माहौल में जान डाल सकती थी।
सच कहा जाए तो उन तीनों लड़कियों में वो सबसे ज़्यादा ऊर्जावती और रचनात्मक व्यक्तित्व की स्वामिनी थी।
अब तक मेरा अधिकतर वक़्त शिवानी के साथ बीतता था और मेरे मन में आकर्षण भी शिवानी के लिए था.. पर यह दिल अब नीता की तरफ खिंचता जा रहा था। उसका हर अंदाज़ मेरे लिए नया था और हर अदा दिलकश थी। वो भी मुझे पसंद करने लगी थी और हम दोनों एक-दूसरे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताने की कोशिश करने लगे थे।
जहाँ तक मैं आज तक समझा हूँ.. हमें प्यार उसी से होता है.. जिसके साथ हमारा अच्छा वक़्त बीतता है।
पहली बार चुदाई करने के बाद हम एक-दूसरे से खूब बातें करने लगे थे। अपनी उम्मीदें.. सपने.. सब कुछ एक-दूसरे से साझा करने लगे थे।
अब तक मुझे दिल्ली में 6 महीने से ज़्यादा वक़्त होने वाला था। पढ़ने के वक़्त मेरा पूरा वक़्त शिवानी के साथ बीतता था।
मामाजी के यहाँ रहने के कारण नीता से अकेले मिलने का मौका कम था.. इसलिए मैं अपने लिए एक कमरा तलाश करने लगा।
इसी बीच मेरे मैनेजर को कंपनी के एक प्रॉजेक्ट के लिए 2 साल तक गोवा जाने का मौका मिला। वो अपनी पत्नी के साथ गोवा जाना चाहता था.. पर किसी को अपना अपार्टमेंट किराए पर देने में डर रहा था।
आप लोग तो जानते ही हैं कि दिल्ली में कमरा किराए पर देना आसान है.. पर खाली करवाना उतना ही मुश्किल है। इसलिए उसने मुझे अपने अपार्टमेंट का केयर-टेकर बनकर वहाँ रहने को कहा.. तो मैं तुरंत तैयार हो गया।
एक महीने बाद मेरे पास एक अच्छा अपार्टमेंट था और अब मैं नीता के साथ वक़्त गुजारना चाहता था। इसलिए मैंने नीता से अगले शनिवार को अपने साथ वक़्त गुजारने के लिए कहा.. तो नीता तुरन्त मान गई।
शाम को ड्यूटी से फ्री होने के बाद मैंने कंपनी की कार ले ली और नीता को पिक-अप करके डिनर के लिए ले गया।
उस शाम नीता के अलावा मेरे दिमाग में कुछ नहीं था। डिनर के वक़्त वो सिर्फ मुझे देख कर मुस्कुराती रही और मैं उस रात इतना उत्साहित हो रहा था कि मेरा अपने ऊपर काबू नहीं था।
तभी मुझे अपनी टाँगों के बीच उसके पैरों का स्पर्श महसूस हुआ.. वो अपने पंजों से मेरे पैर सहला रही थी। एक हाथ से खाते हुए दूसरे हाथ से मेरे हाथों को पकड़े हुई थी और शक्ल ऐसी बना रही थी जैसे उससे मासूम पूरी दुनिया में कोई नहीं है।
शायद उसकी यही अदाएँ थीं.. जो मुझे उसका दीवाना बनाती जा रही थीं।
खैर.. मैंने भी उसको उसी की तरह से रगड़ना शुरू किया और उसका हाथ सहलाते हुए अपने दाएं पैर के अंगूठे से उसके पैरों को ऊपर से नीचे तक सहलाना शुरू किया। फिर धीरे-धीर पैर से उसकी चूत को सहलाने लगा।
हमारे चारों ओर लोग अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ अलग-अलग टेबलों पर बैठे थे और हम इस माहौल में भी जो हरकतें कर रहे थे.. उसका उत्तेजक आनन्द भी अलग ही था।
इस प्रकार से उसकी चूत को रगड़ते हुए ही नीता एक बार झड़ गई।
फिर उसने कहा- आज तो पूरी रात हमारे पास है और आज हमें किसी के डिस्टर्ब करने का खतरा भी नहीं है.. चलो अब डिनर कर लें।
मैं भी मान गया। डिनर करने के बाद हम अपार्टमेंट में गए। जैसे ही हम अन्दर घुसे.. नीता ने मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को जो चुम्बन किया तो एक बार तो लगा कि ये लड़की मुझे आज कच्चा ही खा जाएगी।
खैर.. मैंने भी उसके चुम्बन का जबाब उसी जोश से दिया और ना जाने हम एक-दूसरे को कितनी देर तक चूमते रहे।
फिर हम जब अलग हुए तो नीता ने पूछा- पहली बार किसी को यहाँ लाए हो.. पार्टी के लिए कुछ रखा है?
मैंने फ्रिज खोल कर उसको बियर ऑफर की.. तो उसने ख़ुशी से ले ली और मैंने अपने लिए स्कॉच का एक पैग बना लिया।
इस बीच नीता अपार्टमेंट के कमरों को देखने लगी।
जब हम दोनों मुख्य शयनकक्ष में गए तो नीता का मुँह हैरानी से खुला रह गया.. और होता भी क्यों ना.. उस कमरे को बनाया ही ऐसा गया था बीच में ‘किंग साइज़’ पलंग और कमरे की चारों दीवारों और छत पर फुल साइज़ शीशे लगे हुए थे। उस कमरे में किसी भी तरफ देखो.. तो अपना ही प्रतिबिम्ब नज़र आता था।
हम दोनों बिस्तर पर बैठ गए और एक-दूसरे को फिर से चुम्बन करने लगे।
चुम्बन करते हुए ही नीता ने मेरी शर्ट उतार दी और इसी के साथ मैं उसकी कुर्ती के सारे बटन खोल चुका था और उसको उतार कर हटा दिया। मैं उसके उरोजों को एक-एक करके चूसने लगा और वो शीशों में मेरी हरकत को देखकर और उत्तेजित हो रही थी। मैंने उसकी ब्रा उतारकर एक कोने में फ़ेंक दी और उसके उरोजों से होते हुए उसकी नाभि को चूमने लगा।
फिर मैंने उसकी जींस उतार दी और उसके होंठों को चूसते हुए एक हाथ से उसकी चूत को चड्डी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
अब तक नीता काफी उत्तेजित हो चुकी थी और मेरा लंड हाथ में पकड़कर सहलाने लगी.. पर आज की रात मैं किसी भी तरह की जल्दी में नहीं था। मुझे इस पूरी रात का पूरा मज़ा लेना था इसलिए मैंने ‘फोरप्ले’ को जारी रखा। अब तब नीता एक बार फिर से झड़ चुकी थी।
अब नीता मेरे लंड को बड़े प्यार से चूस रही थी.. वो मेरे लौड़े पर अपनी जीभ को नीचे से ऊपर लाते हुए चाटती और कभी उसे पूरा ही जड़ तक अन्दर ले रही थी। मैं इस जन्नत के मजे ले रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे रोक दिया और अब उसे बिस्तर पर लिटा कर उसके बदन के हर हिस्से को चूमा।
अब तक नीता पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और अब उसे मेरे लंड की जरूरत थी। मैं मिशनरी अवस्था में आ गया और उसकी आँखों में आँखें डालते हुए अपने लंड को उसकी चूत की गहराई में उतारकर धक्के पर धक्के लगाने लगा।
वो धीरे-धीरे सिसकारियाँ ले रही थी और थोड़ी देर में यही सिसकारियाँ ‘आहों’ में बदलने लगीं।
उसकी ये मदभरी ‘आहें’ मुझे और उत्तेजित कर रही थीं। करीब 10-12 मिनट की मस्त चुदाई के बाद हम दोनों झड़ चुके थे। वो मेरे सीने पर सर रखकर मुझसे बातें करने लगी और थोड़ी देर में सो गई।
मेरा लंड दुबारा खड़ा हो चुका था.. पर उसको सोया जानकर मैंने उसे डिस्टर्ब करना सही नहीं समझा और मैं भी सो गया।
अगली सुबह अचानक मुझे अपने खड़े लंड के चूसे जाने का अहसास हुआ तो मेरी नींद तुरंत खुल गई। देखा तो सामने नीता अपनी चूत मेरी ओर किए हुए बड़े प्यार से मेरे लंड की सेवा कर रही थी।
आप सबने शायद सुना होगा जो किसी मुग़ल शहँशाह ने कश्मीर की तारीफ में कहा था कि अगर दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो यहीं है.. यहीं है.. यहीं है.. वो अनुभव.. वो नज़ारा.. ठीक उसी कश्मीर की तरह मेरा स्वर्ग था।
खैर.. उसी पल मेरे दिमाग में एक खुराफात आई.. मैंने बड़े प्यार से उसकी कमर को पकड़ा और मज़बूत पकड़ रखते हुए वहीं बिस्तर पर खड़ा हो गया।
अब वो उलटी लटककर मुझे मुँह-मैथुन का मज़ा दे रही थी और मैं उसकी चूत को चाट रहा था।
इस हालत में उसको उठा कर मैं शीशे की दीवार के पास ले गया और बिना उसके पैर जमीन पर लगाए.. उसको सीधा कर दिया और मेरा खड़ा लवड़ा उसकी चुदासी चूत में घुस गया।
अब मैं उसको खड़े-खड़े ही चोद रहा था। थोड़ी देर के बाद मैं उसको बिस्तर के पास लाया और उसको लिटा कर पूरी ताकत से उसकी चूत में धक्के लगा रहा था।
जहाँ पिछली रात उसकी सिसकारियाँ और ‘आहें’ सुन रहा था.. वही रात की ‘आहें’ आज सुबह चीखों में बदल गई थीं।
करीब 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों बिस्तर पर पड़े एक-दूसरे की आँखों में आँखें डाले वक़्त बिता रहे थे।
फिर अगले 3 महीने तक नीता और मैं एक गहरी और जिस्मानी रिश्ते में रहे।
आगे की कहानी चलती रहेगी। अपने विचार मेल पर भेजिएगा।
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