किराएदारनी की चुदाई उसी के कमरे में
हैलो दोस्तो, कैसे हो आप सब.. मैं आप सबके लिए अपनी सच्ची कहानी लिख रहा हूँ.. आशा करता हूँ.. आप सबको पसंद आएगी।
मेरा नाम सन्तोष कुमार.. मैं आग़रा से हूँ मेरी उम्र 23 साल है.. मैं दिखने में काफ़ी आकर्षक हूँ.. मेरा रंग गोरा और कद 170 सेंटीमीटर का है। मेरा लण्ड काफी लंबा और 3 इंच मोटा है। मुझे सेक्स की बहुत भूख है.. मैं अब तक 5 लड़कियाँ.. 4 आंटियों और 2 भाभियों को चोद चुका हूँ। अब भी मेरी 2 गर्लफ्रेंड हैं जो गाहे बगाहे मुझसे चुदती रहती हैं।
यह कहानी 2012 की है। एक दिन हमारे सामने वाली आंटी के यहाँ मैंने एक सेक्सी हॉट आन्टी देखी, वो चेहरे से ज़्यादा दिलकश नहीं थी.. लेकिन थी बड़ी सेक्सी, उसे देखते ही चोदने का मन करने लगता था।
उन सामने वाली आंटी के यहाँ हमारा काफ़ी आना-जाना था.. क्योंकि वो मेरी मम्मी की सहेली थीं।
उस चोदने लायक औरत को देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं आंटी के पास पता करने चला गया कि यह कौन है।
आंटी ने बताया- ये नए किराएदार हैं।
मुझे उसकी गाण्ड बहुत ही मस्त लगती थी और मेरे मन में उसकी उठी हुई गाण्ड मारने के और भी अरमान जाग गए। वो ऊपरी मंजिल पर रहती थी.. अब मैं बस उसे ही पटाने में लग गया। सुबह और शाम को अपने दरवाजे पर खड़े होकर उसे ही देखता रहता और दोपहर को आंटी के घर जाकर उससे बात करने की कोशिश करता।
कुछ दिन बाद वो भी मुझे देख कर मुस्कुराने लगी। मेरे अरमान और भी मचलने लगे थे, अब तो मैं उसकी गाण्ड के बारे में सोच सोच कर मुठ्ठ भी मारने लगा था।
एक दिन दोपहर को मैं आंटी के पास बैठ कर आंटी से बातें कर रहा था.. तो वो भी हमारे पास आकर बैठ गई.. और आंटी से बात करने लगी।
तब पहली बार उसकी आवाज़ सुनी.. उसकी आवाज़ बड़ी ही सेक्सी और मीठी थी। वो तो मेरे दिल में ही उतर गई।
फिर कुछ देर आंटी और वो बात करती रहीं। मैं उसको देखता रहा और सोचता रहा कि कैसे चोदा जाए।
कुछ देर बाद आंटी चाय बनाने चली गईं। अब मुझे भी उससे बात करने का चांस मिल गया, मैंने मौका न गंवाते हुए.. उनसे उनके बारे में बात करने लगा और वो भी जबाव देती रही.. और मुस्कराती रही।
उसका नाम विनीता शर्मा था.. उसकी उम्र करीब 22 साल थी.. उस को अभी कोई बच्चा नहीं हुआ था। अभी उसके जिस्म का कटाव करीब 34-32-34 रहा होगा। उसका पति एक कंपनी मैं जॉब करता था। वो इतना पतला था कि अगर तेज हवा भी आए.. तो ऐसा लगता था कि उड़ ही जाएगा।
मैं विनीता से बात करता रहा और मेरे मन ही मन लड्डू फूट रहे थे, आंटी चाय बना कर आने ही वाली थीं.. तो मैंने विनीता से पूछा- क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगीं?
तो वो चुप हो गई.. कुछ नहीं बोली।
तब तक आंटी आ गई थीं.. फिर हम सबने चाय पी और बात करते रहे। चाय पीने के बाद आंटी कप रखने गईं तो मैंने दुबारा से पूछा.. अबकी बार वो मुस्कुरा कर चुप हो गई थी।
जब मैंने कई बार पूछा तो बोली- सोचकर बताऊँगी.. और फिर कटीली मुस्कान देकर अपने कमरे में चली गई।
मैं भी उम्मीद लिए अपने घर आ गया। अब मैं बस उसके जवाब का इन्तजार कर रहा था.. लेकिन दो दिन तक कोई जबाब नहीं आया था। अब तो मुझे उसे चोदने का सपना टूटता सा नज़र आ रहा था। मैं बहुत परेशान रहने लगा था.. कुछ भी अच्छा नहीं लगता था और अब वो दिखाई भी नहीं देती थी.. तो मुझे लगा कि शायद वो मेरी बात से नाराज़ हो गई है।
दो दिन बाद अचानक रात को करीब 11 बजे मेरे फ़ोन पर किसी नए नम्बर से मिस कॉल आई.. मैं तब टीवी देख रहा था।
मैंने कॉल बैक की.. तो दूसरी तरफ जो आवाज़ थी उसे सुनते ही शॉक्ड हो गया और मेरे दिल में बहुत ही खुशी होने लगी, यह विनीता ही थी।
फिर उनसे दोस्ती का जबाव माँगा.. तो विनीता ने ‘हाँ’ कर दी।
अब तो बस मैं पागल सा होने लगा और मेरी कुछ भी समझ नहीं आ रहा था.. कि क्या करूँ!
फिर हम दोनों ने करीब 3 घंटे फ़ोन पर बात की.. उसने बताया कि वो भी यही चाहती थी.. लेकिन कह नहीं पा रही थी। उसने बताया कि उसके पति का लण्ड बहुत छोटा सा है.. उसे उसके साथ चुदाई करने में मजा नहीं आता… उसे तृप्ति नहीं मिलती.. वो वासना की आग में जलती रहती है।
अभी उसके पति की नाइट ड्यूटी चल रही थी तो अब हम रोजाना फ़ोन पर रात को बात करते थे। कई दिन बाद.. उससे रोमान्टिक बातें करने लगा, उसे फ़ोन पर ही चुम्बन करने लगा, उसकी पोपो (दूध) और उसकी चूत के बारे में पूछता रहा।
अब वो गरम हो गई थी और मेरा लण्ड भी कड़क हो गया था। मैं अपने लण्ड को हाथ से सहला रहा था।
मैंने उससे मिलने के लिए कहा तो वो मना करने लगी.. लेकिन जब मैंने ज़्यादा कहा तो वो मान गई..
मेरे और उसके घर सब सो चुके थे तो मैं फोन कट किया.. मैंने कमरे की लाइट और टीवी बंद करके बाहर आया और धीरे से अपने कमरे दरवाजा खोला, मैं बाहर सड़क पर निकल आया और घर का दरवाजा बाहर से ही बंद कर दिया जिससे बाद में वापस आने में परेशानी न हो।
अब मैं आंटी के दरवाजे के सामने खड़ा हो गया.. करीब 10 मिनट बाद आंटी का दरवाजा धीरे से खुला और बिना आवाज किए मैं अन्दर चला गया, उसने धीरे से दरवाजा बंद किया और मैं उसके साथ उसके कमरे की तरफ चलने लगा।
सब लोग अपने-अपने कमरों में सोए हुए थे तो हमको ज़्यादा परेशानी नहीं हुई।
हम दोनों कमरे में पहुँच गए.. कमरे में जाते ही कमरे को अन्दर से बन्द कर लिया। विनीता मुझसे लिपट गई.. उसने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और दबाने लगी, मैंने भी उसे अपनी बाँहों में ले लिया और उसके गुलाबी होंठों को चूसने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था.. जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया होऊँ, मुझ पर एक नशा सा छाता जा रहा था।
करीब 10 मिनट तक मैं उसके रसीले होंठों को चूसता रहा.. उसके बड़े-बड़े मम्मों को उसके ब्लाउज से ऊपर से भींचता रहा.. उसके मम्मे तो ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहे थे।
अब मैंने उसे उल्टा खड़ा किया.. अपनी तरफ पीठ करके.. और अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबाने लगा। मैं उसकी गर्दन पर.. कंधे पर.. पीठ पर.. चुम्बनों की बौछार कर रहा था। वो अब गरम हो रही थी और मेरा लण्ड भी खड़ा हो रहा था।
जब मैं ज़ोर से उसकी रसभरी चूचियों को दबाता.. तो उसके मुँह से सिसकारी की आवाज़ निकल जाती.. ये मादक दर्द की आवाज़.. हम दोनों को मदहोश कर रही थी।
अब मैंने जल्द ही उसका ब्लाउज और ब्रा उतार फैंके.. उसके लॉन-टेनिस की बॉल की तरह के सख्त और गोल.. गोरे-गोरे मम्मे बड़े मस्त लग रहे थे।
मैंने उसको अपनी तरफ घुमा कर देखा तो उसकी चूचियों देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसके एक सन्तरे को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को.. दबाने लगा, वो भी अपने हाथों से मेरी पीठ और चूतड़ों को सहला रही थी..
उसके मुँह से आवाज़ निकलने लगी थी- आअहह.. ऊऊहह.. आअहह सस्स्स्स्स्.. ईईई..
मुझे बहुत मजा आ रहा था.. उसकी रसीली चूचियों को पीने और चूसने में..
फिर उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़े खोल दिए और मैंने उसके पेटीकोट और पैन्टी को भी उतार दिया। उसका फोम जैसा मुलायम जिस्म मुझे मदहोश कर रहा था। अब उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी, उसने कहा- मैंने इतना बड़ा लण्ड कभी नहीं देखा है.. आज मैं इससे अपनी चूत की प्यास बुझवाऊँगी।
अब हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।
मैं एक हाथ उसकी चूत पर ले गया तो देखा.. उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैं उसकी चूत को सहलाने लगा। कभी चूत में ऊँगली डाल देता और अन्दर-बाहर करता।
वो मेरे लण्ड को खींच कर अपनी चूत के छेद पर लगाने की कोशिश कर थी, यह देख कर मैंने उसे मेरा लण्ड चूसने को कहा.. तो वो बैठ गई और मेरा लण्ड मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
वो मेरा लवड़ा चूसने के साथ ही एक हाथ से मेरे गोटियों को भी दबाने लगी.. जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरी मादक आवाज़ निकलने लगी- आआअहह.. आहहुउऊ.. उउफफ्फ़..
फिर मैंने उसके बाल पकड़े और पूरा लण्ड उसके मुँह में पेल दिया.. मेरा लौड़ा उसके गले तक जा रहा था.. एक तरह से मैं उसके मुँह को चोद रहा था।
वो लण्ड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन मैं निकालने नहीं दे रहा था.. और तेज-तेज उसके मुँह को चोद रहा था।
कुछ मिनट बाद ‘आआहह.. आआआआ..’ करके मेरे लण्ड का रस निकल गया। मेरा पूरा माल उसके मुँह में ही झड़ गया और वो भी मेरे लण्ड का सारा रस पी गई।
अब मैंने उसे खड़ा किया और पलंग के किनारे पर लिटा दिया। मैं एक बार उसके पूरे जिस्म को चूमने लगा.. फिर चुम्बन करते-करते उसकी चूत तक पहुँच गया। उसकी चिकनी की हुई गुलाबी चूत बड़ी मस्त लग रही थी.. मेरा मन कर रहा था कि उसकी चूत को खा जाऊँ।
अब मैं उसकी चूत को चुम्बन करने लगा उसकी चूत से पानी निकल रहा था.. मैं उसे चाटने लगा और वो ‘आहें’ भरने लगी, वो चुदास की मस्ती में मदहोश होने लगी और तेज-तेज मादक आवाजें निकाल रही थी- आअहह.. ऊऊहह.. आआहह..
मैं अपनी जीभ से ही उसे चोदे जा रहा था। मैं कभी-कभी उसकी चूत पर प्यार से काट भी लेता था.. वो चिहुंक जाती थी।
अब उसने अपनी चूत को चिपका कर छुपा सा लिया। वो अकड़ सी गई और ज़ोर-ज़ोर से ‘आहें’ भरी.. और झड़ गई।
मैं उसकी चूत का सारा पानी पी गया.. उसकी चूत के पानी कुछ अजीब सा स्वाद था.. लेकिन मजा आया था।
चूत पीने के बाद मैं अब उसके ऊपर लेट गया और उसे होंठों पर.. उसके गालों पर.. चुम्बन करने लगा और उसकी चूचियों को दबाने लगा।
वो मेरे लण्ड को सहलाने लगी। कुछ देर की इस तरह की मस्ती के बाद मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था। अब हमने फिर से 69 की अवस्था बनाई और वो मेरे लण्ड को चूस कर खड़ा करने लगी। मैं उसकी चूत को चाट कर गरमा रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद हम दोनों गरम हो चुके थे।
अब हम दोनों का रुकना मुश्किल हो रहा था तो उसने नशीली सी आवाज में कहा- अब डाल भी दो.. या मेरी जान लेके रहोगे।
फिर मैं उठा और बिस्तर से नीचे खड़ा हो गया और उसे बिस्तर के किनारे खींच लिया। मैंने उसकी टाँगों को फैला कर उसकी चूत पर अपना लण्ड रगड़ने लगा।
वो मचलने लगी- आअहह.. ऊहह..ओह..
उसने बेकाबू होकर मेरे लण्ड को हाथ से पकड़ कर चूत में घुसेड़ने की कोशिश करने लगी.. पर उसकी चूत टाइट थी तो मैंने सुपारे को चूत की दरार में फंसा कर एक ज़ोर से धक्का लगाया.. 3 इंच लण्ड चूत में घुस गया।
वो मेरे मोटे लौड़े के दर्द से बैचेन होने लगी.. लेकिन मैं जरा भी नहीं रुका और एक और तगड़ा धक्का लगा दिया। मेरा आधा लण्ड घुस चुका था और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे। वो मुझे हटाने की कोशिश कर थी।
फिर मैं उसे परेशान देख कर जरा रुका और उसकी चूचियों को दबाने और सहलाने लगा। कुछ देर में वो थोड़ी शांत हुई.. तो मैं एक और करारा धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया।
इस बार उसकी चीख निकल गई.. तो मैंने अपने हाथ से उसका मुँह दबा लिया, मैं रुक गया और उसे चुम्बन करने लगा.. उसकी चूचियों को दबाने लगा.. ताकि उसे मजा आने लगे और दर्द कम हो जाए।
दो मिनट चुम्बन करने के बाद मैं अब धीरे-धीरे धक्का मारने लगा और उसे चोदने लगा।
कुछ देर चुदने के बाद उसे भी मजा आने लगा और वो नीचे से चूतड़ों को उछाल कर धक्का लगाने लगी।
अब मैं बहुत तेज-तेज धक्के मार रहा था। वो दर्द से भरी मीठी-मीठी आवाजें निकाल रही थी.. जो मेरा जोश बढ़ा रही थी- आअहह.. ओहह.. और जोर से..
वो एकदम से इठ गई और कुछ निढाल सी हो गई.. पर मेरी धकापेल चालू थी। उसे आधा घंटा चोदने के बाद अब मैं झड़ने वाला था.. मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ.. तो उसने कहा- मैं भी आने वाली हूँ। उसने अपनी चूत को टाइट किया और मुझे चुम्बन करने लगी। फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए ‘आआअहह ऊहह..ऊओ.. अहह..’
मैंने सारा पानी उसकी चूत मैं निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।
हम चुम्बन करने लगे। थोड़ी देर बाद हम दोनों फिर से गरम होने लगे और अब मैं उसे गाण्ड के लिए कहने लगा.. तो उसने मना कर दिया.. फिर किसी और दिन चुदवाने का वादा किया।
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने उसे कुतिया की तरह उल्टा करके दो बार और चोदा..
इस चुदाई का दोनों ने भरपूर मजा लिया। सुबह के 4 बजे मैं अपने घर आ गया और सो गया।
अब उसके पति की जब भी नाइट-ड्यूटी होती है तो हम मिलते हैं और चुदाई का आनन्द लेते हैं। मैं उसे बहुत बार चोद चुका हूँ।
अब उसके पेट में मेरा बच्चा भी है। अब विनीता की गाण्ड की चुदाई कैसे की.. आगे फिर कभी मौका मिला तो मैं आप सबको बताऊँगा।
दोस्तो.. अपनी राय देना मत भूलिएगा कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी।
मेरा नाम सन्तोष कुमार.. मैं आग़रा से हूँ मेरी उम्र 23 साल है.. मैं दिखने में काफ़ी आकर्षक हूँ.. मेरा रंग गोरा और कद 170 सेंटीमीटर का है। मेरा लण्ड काफी लंबा और 3 इंच मोटा है। मुझे सेक्स की बहुत भूख है.. मैं अब तक 5 लड़कियाँ.. 4 आंटियों और 2 भाभियों को चोद चुका हूँ। अब भी मेरी 2 गर्लफ्रेंड हैं जो गाहे बगाहे मुझसे चुदती रहती हैं।
यह कहानी 2012 की है। एक दिन हमारे सामने वाली आंटी के यहाँ मैंने एक सेक्सी हॉट आन्टी देखी, वो चेहरे से ज़्यादा दिलकश नहीं थी.. लेकिन थी बड़ी सेक्सी, उसे देखते ही चोदने का मन करने लगता था।
उन सामने वाली आंटी के यहाँ हमारा काफ़ी आना-जाना था.. क्योंकि वो मेरी मम्मी की सहेली थीं।
उस चोदने लायक औरत को देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं आंटी के पास पता करने चला गया कि यह कौन है।
आंटी ने बताया- ये नए किराएदार हैं।
मुझे उसकी गाण्ड बहुत ही मस्त लगती थी और मेरे मन में उसकी उठी हुई गाण्ड मारने के और भी अरमान जाग गए। वो ऊपरी मंजिल पर रहती थी.. अब मैं बस उसे ही पटाने में लग गया। सुबह और शाम को अपने दरवाजे पर खड़े होकर उसे ही देखता रहता और दोपहर को आंटी के घर जाकर उससे बात करने की कोशिश करता।
कुछ दिन बाद वो भी मुझे देख कर मुस्कुराने लगी। मेरे अरमान और भी मचलने लगे थे, अब तो मैं उसकी गाण्ड के बारे में सोच सोच कर मुठ्ठ भी मारने लगा था।
एक दिन दोपहर को मैं आंटी के पास बैठ कर आंटी से बातें कर रहा था.. तो वो भी हमारे पास आकर बैठ गई.. और आंटी से बात करने लगी।
तब पहली बार उसकी आवाज़ सुनी.. उसकी आवाज़ बड़ी ही सेक्सी और मीठी थी। वो तो मेरे दिल में ही उतर गई।
फिर कुछ देर आंटी और वो बात करती रहीं। मैं उसको देखता रहा और सोचता रहा कि कैसे चोदा जाए।
कुछ देर बाद आंटी चाय बनाने चली गईं। अब मुझे भी उससे बात करने का चांस मिल गया, मैंने मौका न गंवाते हुए.. उनसे उनके बारे में बात करने लगा और वो भी जबाव देती रही.. और मुस्कराती रही।
उसका नाम विनीता शर्मा था.. उसकी उम्र करीब 22 साल थी.. उस को अभी कोई बच्चा नहीं हुआ था। अभी उसके जिस्म का कटाव करीब 34-32-34 रहा होगा। उसका पति एक कंपनी मैं जॉब करता था। वो इतना पतला था कि अगर तेज हवा भी आए.. तो ऐसा लगता था कि उड़ ही जाएगा।
मैं विनीता से बात करता रहा और मेरे मन ही मन लड्डू फूट रहे थे, आंटी चाय बना कर आने ही वाली थीं.. तो मैंने विनीता से पूछा- क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगीं?
तो वो चुप हो गई.. कुछ नहीं बोली।
तब तक आंटी आ गई थीं.. फिर हम सबने चाय पी और बात करते रहे। चाय पीने के बाद आंटी कप रखने गईं तो मैंने दुबारा से पूछा.. अबकी बार वो मुस्कुरा कर चुप हो गई थी।
जब मैंने कई बार पूछा तो बोली- सोचकर बताऊँगी.. और फिर कटीली मुस्कान देकर अपने कमरे में चली गई।
मैं भी उम्मीद लिए अपने घर आ गया। अब मैं बस उसके जवाब का इन्तजार कर रहा था.. लेकिन दो दिन तक कोई जबाब नहीं आया था। अब तो मुझे उसे चोदने का सपना टूटता सा नज़र आ रहा था। मैं बहुत परेशान रहने लगा था.. कुछ भी अच्छा नहीं लगता था और अब वो दिखाई भी नहीं देती थी.. तो मुझे लगा कि शायद वो मेरी बात से नाराज़ हो गई है।
दो दिन बाद अचानक रात को करीब 11 बजे मेरे फ़ोन पर किसी नए नम्बर से मिस कॉल आई.. मैं तब टीवी देख रहा था।
मैंने कॉल बैक की.. तो दूसरी तरफ जो आवाज़ थी उसे सुनते ही शॉक्ड हो गया और मेरे दिल में बहुत ही खुशी होने लगी, यह विनीता ही थी।
फिर उनसे दोस्ती का जबाव माँगा.. तो विनीता ने ‘हाँ’ कर दी।
अब तो बस मैं पागल सा होने लगा और मेरी कुछ भी समझ नहीं आ रहा था.. कि क्या करूँ!
फिर हम दोनों ने करीब 3 घंटे फ़ोन पर बात की.. उसने बताया कि वो भी यही चाहती थी.. लेकिन कह नहीं पा रही थी। उसने बताया कि उसके पति का लण्ड बहुत छोटा सा है.. उसे उसके साथ चुदाई करने में मजा नहीं आता… उसे तृप्ति नहीं मिलती.. वो वासना की आग में जलती रहती है।
अभी उसके पति की नाइट ड्यूटी चल रही थी तो अब हम रोजाना फ़ोन पर रात को बात करते थे। कई दिन बाद.. उससे रोमान्टिक बातें करने लगा, उसे फ़ोन पर ही चुम्बन करने लगा, उसकी पोपो (दूध) और उसकी चूत के बारे में पूछता रहा।
अब वो गरम हो गई थी और मेरा लण्ड भी कड़क हो गया था। मैं अपने लण्ड को हाथ से सहला रहा था।
मैंने उससे मिलने के लिए कहा तो वो मना करने लगी.. लेकिन जब मैंने ज़्यादा कहा तो वो मान गई..
मेरे और उसके घर सब सो चुके थे तो मैं फोन कट किया.. मैंने कमरे की लाइट और टीवी बंद करके बाहर आया और धीरे से अपने कमरे दरवाजा खोला, मैं बाहर सड़क पर निकल आया और घर का दरवाजा बाहर से ही बंद कर दिया जिससे बाद में वापस आने में परेशानी न हो।
अब मैं आंटी के दरवाजे के सामने खड़ा हो गया.. करीब 10 मिनट बाद आंटी का दरवाजा धीरे से खुला और बिना आवाज किए मैं अन्दर चला गया, उसने धीरे से दरवाजा बंद किया और मैं उसके साथ उसके कमरे की तरफ चलने लगा।
सब लोग अपने-अपने कमरों में सोए हुए थे तो हमको ज़्यादा परेशानी नहीं हुई।
हम दोनों कमरे में पहुँच गए.. कमरे में जाते ही कमरे को अन्दर से बन्द कर लिया। विनीता मुझसे लिपट गई.. उसने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और दबाने लगी, मैंने भी उसे अपनी बाँहों में ले लिया और उसके गुलाबी होंठों को चूसने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था.. जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया होऊँ, मुझ पर एक नशा सा छाता जा रहा था।
करीब 10 मिनट तक मैं उसके रसीले होंठों को चूसता रहा.. उसके बड़े-बड़े मम्मों को उसके ब्लाउज से ऊपर से भींचता रहा.. उसके मम्मे तो ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहे थे।
अब मैंने उसे उल्टा खड़ा किया.. अपनी तरफ पीठ करके.. और अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबाने लगा। मैं उसकी गर्दन पर.. कंधे पर.. पीठ पर.. चुम्बनों की बौछार कर रहा था। वो अब गरम हो रही थी और मेरा लण्ड भी खड़ा हो रहा था।
जब मैं ज़ोर से उसकी रसभरी चूचियों को दबाता.. तो उसके मुँह से सिसकारी की आवाज़ निकल जाती.. ये मादक दर्द की आवाज़.. हम दोनों को मदहोश कर रही थी।
अब मैंने जल्द ही उसका ब्लाउज और ब्रा उतार फैंके.. उसके लॉन-टेनिस की बॉल की तरह के सख्त और गोल.. गोरे-गोरे मम्मे बड़े मस्त लग रहे थे।
मैंने उसको अपनी तरफ घुमा कर देखा तो उसकी चूचियों देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसके एक सन्तरे को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को.. दबाने लगा, वो भी अपने हाथों से मेरी पीठ और चूतड़ों को सहला रही थी..
उसके मुँह से आवाज़ निकलने लगी थी- आअहह.. ऊऊहह.. आअहह सस्स्स्स्स्.. ईईई..
मुझे बहुत मजा आ रहा था.. उसकी रसीली चूचियों को पीने और चूसने में..
फिर उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़े खोल दिए और मैंने उसके पेटीकोट और पैन्टी को भी उतार दिया। उसका फोम जैसा मुलायम जिस्म मुझे मदहोश कर रहा था। अब उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी, उसने कहा- मैंने इतना बड़ा लण्ड कभी नहीं देखा है.. आज मैं इससे अपनी चूत की प्यास बुझवाऊँगी।
अब हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।
मैं एक हाथ उसकी चूत पर ले गया तो देखा.. उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैं उसकी चूत को सहलाने लगा। कभी चूत में ऊँगली डाल देता और अन्दर-बाहर करता।
वो मेरे लण्ड को खींच कर अपनी चूत के छेद पर लगाने की कोशिश कर थी, यह देख कर मैंने उसे मेरा लण्ड चूसने को कहा.. तो वो बैठ गई और मेरा लण्ड मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
वो मेरा लवड़ा चूसने के साथ ही एक हाथ से मेरे गोटियों को भी दबाने लगी.. जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरी मादक आवाज़ निकलने लगी- आआअहह.. आहहुउऊ.. उउफफ्फ़..
फिर मैंने उसके बाल पकड़े और पूरा लण्ड उसके मुँह में पेल दिया.. मेरा लौड़ा उसके गले तक जा रहा था.. एक तरह से मैं उसके मुँह को चोद रहा था।
वो लण्ड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन मैं निकालने नहीं दे रहा था.. और तेज-तेज उसके मुँह को चोद रहा था।
कुछ मिनट बाद ‘आआहह.. आआआआ..’ करके मेरे लण्ड का रस निकल गया। मेरा पूरा माल उसके मुँह में ही झड़ गया और वो भी मेरे लण्ड का सारा रस पी गई।
अब मैंने उसे खड़ा किया और पलंग के किनारे पर लिटा दिया। मैं एक बार उसके पूरे जिस्म को चूमने लगा.. फिर चुम्बन करते-करते उसकी चूत तक पहुँच गया। उसकी चिकनी की हुई गुलाबी चूत बड़ी मस्त लग रही थी.. मेरा मन कर रहा था कि उसकी चूत को खा जाऊँ।
अब मैं उसकी चूत को चुम्बन करने लगा उसकी चूत से पानी निकल रहा था.. मैं उसे चाटने लगा और वो ‘आहें’ भरने लगी, वो चुदास की मस्ती में मदहोश होने लगी और तेज-तेज मादक आवाजें निकाल रही थी- आअहह.. ऊऊहह.. आआहह..
मैं अपनी जीभ से ही उसे चोदे जा रहा था। मैं कभी-कभी उसकी चूत पर प्यार से काट भी लेता था.. वो चिहुंक जाती थी।
अब उसने अपनी चूत को चिपका कर छुपा सा लिया। वो अकड़ सी गई और ज़ोर-ज़ोर से ‘आहें’ भरी.. और झड़ गई।
मैं उसकी चूत का सारा पानी पी गया.. उसकी चूत के पानी कुछ अजीब सा स्वाद था.. लेकिन मजा आया था।
चूत पीने के बाद मैं अब उसके ऊपर लेट गया और उसे होंठों पर.. उसके गालों पर.. चुम्बन करने लगा और उसकी चूचियों को दबाने लगा।
वो मेरे लण्ड को सहलाने लगी। कुछ देर की इस तरह की मस्ती के बाद मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था। अब हमने फिर से 69 की अवस्था बनाई और वो मेरे लण्ड को चूस कर खड़ा करने लगी। मैं उसकी चूत को चाट कर गरमा रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद हम दोनों गरम हो चुके थे।
अब हम दोनों का रुकना मुश्किल हो रहा था तो उसने नशीली सी आवाज में कहा- अब डाल भी दो.. या मेरी जान लेके रहोगे।
फिर मैं उठा और बिस्तर से नीचे खड़ा हो गया और उसे बिस्तर के किनारे खींच लिया। मैंने उसकी टाँगों को फैला कर उसकी चूत पर अपना लण्ड रगड़ने लगा।
वो मचलने लगी- आअहह.. ऊहह..ओह..
उसने बेकाबू होकर मेरे लण्ड को हाथ से पकड़ कर चूत में घुसेड़ने की कोशिश करने लगी.. पर उसकी चूत टाइट थी तो मैंने सुपारे को चूत की दरार में फंसा कर एक ज़ोर से धक्का लगाया.. 3 इंच लण्ड चूत में घुस गया।
वो मेरे मोटे लौड़े के दर्द से बैचेन होने लगी.. लेकिन मैं जरा भी नहीं रुका और एक और तगड़ा धक्का लगा दिया। मेरा आधा लण्ड घुस चुका था और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे। वो मुझे हटाने की कोशिश कर थी।
फिर मैं उसे परेशान देख कर जरा रुका और उसकी चूचियों को दबाने और सहलाने लगा। कुछ देर में वो थोड़ी शांत हुई.. तो मैं एक और करारा धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया।
इस बार उसकी चीख निकल गई.. तो मैंने अपने हाथ से उसका मुँह दबा लिया, मैं रुक गया और उसे चुम्बन करने लगा.. उसकी चूचियों को दबाने लगा.. ताकि उसे मजा आने लगे और दर्द कम हो जाए।
दो मिनट चुम्बन करने के बाद मैं अब धीरे-धीरे धक्का मारने लगा और उसे चोदने लगा।
कुछ देर चुदने के बाद उसे भी मजा आने लगा और वो नीचे से चूतड़ों को उछाल कर धक्का लगाने लगी।
अब मैं बहुत तेज-तेज धक्के मार रहा था। वो दर्द से भरी मीठी-मीठी आवाजें निकाल रही थी.. जो मेरा जोश बढ़ा रही थी- आअहह.. ओहह.. और जोर से..
वो एकदम से इठ गई और कुछ निढाल सी हो गई.. पर मेरी धकापेल चालू थी। उसे आधा घंटा चोदने के बाद अब मैं झड़ने वाला था.. मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ.. तो उसने कहा- मैं भी आने वाली हूँ। उसने अपनी चूत को टाइट किया और मुझे चुम्बन करने लगी। फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए ‘आआअहह ऊहह..ऊओ.. अहह..’
मैंने सारा पानी उसकी चूत मैं निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।
हम चुम्बन करने लगे। थोड़ी देर बाद हम दोनों फिर से गरम होने लगे और अब मैं उसे गाण्ड के लिए कहने लगा.. तो उसने मना कर दिया.. फिर किसी और दिन चुदवाने का वादा किया।
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने उसे कुतिया की तरह उल्टा करके दो बार और चोदा..
इस चुदाई का दोनों ने भरपूर मजा लिया। सुबह के 4 बजे मैं अपने घर आ गया और सो गया।
अब उसके पति की जब भी नाइट-ड्यूटी होती है तो हम मिलते हैं और चुदाई का आनन्द लेते हैं। मैं उसे बहुत बार चोद चुका हूँ।
अब उसके पेट में मेरा बच्चा भी है। अब विनीता की गाण्ड की चुदाई कैसे की.. आगे फिर कभी मौका मिला तो मैं आप सबको बताऊँगा।
दोस्तो.. अपनी राय देना मत भूलिएगा कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी।
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