Mera Gupt Jeewan-1
कहानी : मेरा गुप्त जीवन-1
शुरू के दिन
यह कहानी नहीं अपनी आपबीती है।
मेरी उम्र इस वक्त काफी हो गई है लेकिन फिर भी वे पुरानी यादें अभी भी वैसे ही ताज़ा हैं और मेरे ज़हन में वैसे ही हैं जैसे कि कल की बात हो।
यह ऑटोबायोग्राफी लिखने से पहले मैं आपको अपना थोड़ा सा परिचय दे दूँ।
मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में एक बड़े जमींदार के घर में पैदा हुआ था, मैं अपने माता-पिता की एकलौती औलाद हूँ और बड़े ही नाज़ों से पाला गया हूँ।
ढेर सारे मिले लाड़ प्यार के कारण मैं एक बहुत ही ज़िद्दी और झगड़ालू किस्म के लड़के के रूप में जाना जाता था।
एक बहुत बड़ी हवेली में हमारा घर होता था। मुझ आज भी याद है कि हमारे घर में दर्जनों नौकर नौकरानियाँ हुआ करते थे जिनमें से 3-4 जवान नौकरानियाँ सिर्फ मेरे काम के लिए हुआ करती थी। यह सब हमारे खेतों पर काम करने वालों मज़दूरों की बेटियाँ होती थी। इनको भर पेट भोजन और अच्छे कपड़े मिल जाते थे तो वे उसी में खुश रहती थीं।
यहाँ यह बता देना ज़रूरी है कि मैं जीवन की शुरुआत से ही औरतों की प्रति बहुत आकर्षित था। मेरी आया बताया करती थी कि मैं हमेशा ही औरतों के स्तनों के साथ खेलने का शौक़ीन था। जो भी औरत मुझको गोद में उठाती थी उसका यही कहना होता था कि मैं उनके स्तनों के साथ बहुत खेलता था।
और यही कारण रहा होगा जो आगे चल कर मैं सिर्फ औरतों का दास बन गया, मेरा सारा जीवन केवल औरतों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने में बीत गया।
मेरा जीवन का मुख्य ध्येय शायद स्त्रियों के साथ काम-क्रीड़ा करना ही था, यह मुझको अब बिल्कुल साफ़ दिख रहा है क्योंकि मैंने जीवन में और कुछ किया ही नहीं… सिर्फ स्त्रियों के साथ काम क्रीड़ा के सिवाये!
जैसा कि आप आगे मेरी जीवन कथा में देखेंगे कि मैं अल्पायु में ही काम वासना में लीन हो गया था और उसका प्रमुख कारण मेरे पास धन की कोई कमी न होना था और मेरे माँ बाप अतुल धन और सम्पत्ति छोड़ गए थे कि मुझ को जीवन-यापन के लिए कुछ भी करने की कोई ज़रुरत नहीं थी।
ऐसा लगता है कि विधि के विधान के अनुसार मेरा जीवन लक्ष्य केवल स्त्रियाँ ही थी और इस दिशा में मेरी समय समय पर देखभाल करने वाली नौकरानियों को बहुत बड़ा हाथ रहा था। जवान होने तक मेरे सारे काम मेरी नौकरानियाँ ही किया करती थी, यहाँ तक कि मुझे नहलाना आदि भी…
मुझे आज भी याद है कि जब मुझको मेरी आया नहलाती थी तो मेरे लंड के साथ ज़रूर खेलती थी। वह कभी उसको हाथों में लेकर खड़ा करने की कोशिश करती थीं।
उस खेल में मुझ को बड़ा ही मज़ा आता था। वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर ही मुझको नहलाती थीं और नहाते हुई छेड़छाड़ में कई बार मेरे हाथ उनके पेटीकोट के अंदर भी चले जाते थे और उनकी चूत पर उगे हुए घने बाल मेरे हाथों में आ जाते थे।
एकभी कभार मेरा हाथ उनकी चूत के होटों को भी छू लेता था जो कई बार पानी से भरी हुई होती थी, एक अजीब चिपचापा रस मेरी उँगलियों पर लग जाता था जो कई बार मैंने सूंघा था। बड़ी ही अजीब मादक गंध मुझ को अपने उन हाथों से आती थी जो उन लड़कियों की चूत को छू कर आते थे। उनकी गीली चूतों का रहस्य मुझे आज समझ आता है।
यह कहानी आप अंतराग्नि डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उन्हीं दिनों एक बहुत ही शौख और तेज़ तरार लड़की मेरे काम के लिए रखी गई थी, वह होगी 18-19 साल की और उसका जिस्म भरा हुआ था, रंग भी काफी साफ़ और खिलता हुआ था।
वैसे रात को मेरी मम्मी मेरे साथ नहीं सोती थी और कोई भी बड़ी उम्र की काम वाली को मेरे साथ सोना होता था। वह मेरे कमरे में नीचे ज़मीन पर चटाई बिछा कर सोती थीं।
जब से वह नई लड़की मेरा काम देखने लगी तो मेरा मन उस के साथ सोने को करता था। उस लड़की का नाम सुंदरी था और वह अपने नाम के अनूरूप ही थी।
इस लिए मैं नहाते हुए उससे काफी छेड़ छाड़ करने लगा। अब मैं उसकी चूत को कभी कभी चोरी से छू लेता था और उसकी चूत के बालों में उँगलियाँ फेर देता लेकिन वह भी काफी चतुर थी। वह अब अपना पेटीकोट कस कर चूत के ऊपर रख लेती थी ताकि मेरी उंगली या हाथ उसके पेटीकोट के अंदर न जा सके लेकिन मैं भी छीना झपटी में उसके उरोजों के साथ खेल लिया करता था।
अक्सर उस के निप्पल उसके पतले से ब्लाउज में खड़े हो जाते थे और मैं उनको उंगली से छूने की भरसक कोशिश करता था।
यह सब कैसे हो रहा था, यह आज तक मैं समझ नहीं पाया। जबकि मेरे दोस्त खूब खेल कूद में मस्त रहते थे, मैं चुपके से नौकरानियों की बातें सुनता रहता या फिर उनसे छेड़ छाड़ में लगा रहता।
यह बात मेरी माँ और पिता से छुपी न रह सकी और वे मुझको हॉस्टल में डालने के चक्कर में पड़ गये क्योंकि उनको लगा कि मैं नौकरानियों के बीच रह कर उनकी तरह की बुद्धि वाला बन जाऊँगा।
लेकिन मैं भी झूठ मूठ की बेहोशी आने का बहाना करने लगा। मैं अक्सर रात को डर कर चिल्लाने लगता और यह देख कर मेरे माँ बाप ने मुझको हॉस्टल में डालने का विचार रद्द कर दिया।
जो सुन्दर लड़की मेरे काम के लिए रखी गयी थी वह काफी होशियार थी और वह मेरी उच्छशृंख्ल प्रकृति को समझ गई थी।
एक दिन वो कहने लगी- कितना अच्छा होता अगर मैं आपके कमरे में ही सो पाती।
मैंने उससे पूछा कि यह कैसे हो सकता है तो वह बोली- तुमको रात में बड़ा डर लगता है ना?
मैंने कहा- हाँ!
तो वह बोली- मम्मी से कहो कि सुंदरी ही तुम्हारे कमरे में सोयेगी।
बस उस रात मैंने काफी डर कर शोर मचाया और मम्मी को मेरे साथ सोना पड़ा लेकिन अगले दिन ही उन्होंने एक बहुत बुड्ढी सी नौकरानी को मेरे कमरे में सुला दिया।
हमारी योजना फ़ेल हो गई लेकिन सुंदरी काफी चतुर थी, उसने बुड्ढी को तंग करने का उपाय मुझ को सुझाया और उसी ही रात बुड्ढी काम छोड़ कर चली गई।
हुआ यूं कि रात को एक मेंढक को लेकर मैंने बुड्ढी के घागरे में डाल दिया जब वह गहरी नींद में सोयी थी। जब मेंढक उसके घगरे में हलचल मचाने लगा तो वह चीखती चिल्लाती बाहर भाग गई और उस दिन के बाद वापस नहीं आई।
तब मैंने मम्मी को कहा कि सुंदरी को मेरे कमरे में सुला दिया करो और मम्मी थोड़ी न नकुर के बाद मान गई।
दिन भर मैं स्कूल में रहता था और दोपहर को लौटता था। मेरे साथ के लड़के बड़े भद्दे मज़ाक करते थे जिनमें चूत और लंड का नाम बार बार आता था लेकिन मैं उन सबसे अलग रहता था।
मेरे मन में औरतों को देखने की पूरी जिज्ञासा थी लेकिन कभी मौका ही नहीं मिलता था।
जब से सुंदरी आई थी, मेरी औरतों के बारे में जानकारी लेने की इच्छा बड़ी प्रबल हो उठी थी। यहाँ तक कि मैं मौके ढूंढता रहता था ताकि में औरतों को नग्न देख सकूँ।
इसीलिए साइकिल लिए मैं कई बार गाँव के तालाब और पोखरे जाता रहता था लेकिन कभी कुछ दिखाई नहीं दिया।
एक दिन मैं साइकिल पर यों ही घूम रहा था कि मुझको कुछ आवाज़ें सुनाई दी जो एक झाड़ी के पीछे से आ रही थी।
मैंने सोचा कि देखना चाहिये कि क्या हो रहा है।
थोड़ी दूर जाकर मैंने साइकिल को एक किनारे छुपा दिया और खुद धीरे से उसी झड़ी की तरफ बढ़ गया।
झाड़ी के एक किनारे से कुछ दिख रहा था। ऐसा लगा कि कोई आदमी और औरत है उसके पीछे, झाड़ी को ज़रा हटा कर देखा तो ऐसा लगा एक आदमी एक औरत के ऊपर लेटा हुआ है और ऊपर से वो धक्के मार रहा है और औरत की नंगी टांगें हवा में ऊपर लहरा रही थीं।
मुझको कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। फिर भी लगा कि कोई काम छिपा कर करने वाला हो रहा है यहाँ।
मैं अपनी जगह पर चुपचाप खड़ा रहा और देखता रहा।
थोड़ी देर बाद वो आदमी अपनी धोती को ठीक करते हुए उठा और औरत की नंगी टांगों और जांघों पर हाथ फेरता रहा था।
तभी वो औरत भी उठी और अपनी धोती ठीक करती हुई खड़ी हो गई। मैं भी वहाँ से खिसक गया, साइकिल उठा कर घर आ गया।
और यहाँ से शुरू होती है मेरी और सुंदरी की कहानी।
कहानी जारी रहेगी।
ydkolaveri@gmail.com
शुरू के दिन
यह कहानी नहीं अपनी आपबीती है।
मेरी उम्र इस वक्त काफी हो गई है लेकिन फिर भी वे पुरानी यादें अभी भी वैसे ही ताज़ा हैं और मेरे ज़हन में वैसे ही हैं जैसे कि कल की बात हो।
यह ऑटोबायोग्राफी लिखने से पहले मैं आपको अपना थोड़ा सा परिचय दे दूँ।
मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में एक बड़े जमींदार के घर में पैदा हुआ था, मैं अपने माता-पिता की एकलौती औलाद हूँ और बड़े ही नाज़ों से पाला गया हूँ।
ढेर सारे मिले लाड़ प्यार के कारण मैं एक बहुत ही ज़िद्दी और झगड़ालू किस्म के लड़के के रूप में जाना जाता था।
एक बहुत बड़ी हवेली में हमारा घर होता था। मुझ आज भी याद है कि हमारे घर में दर्जनों नौकर नौकरानियाँ हुआ करते थे जिनमें से 3-4 जवान नौकरानियाँ सिर्फ मेरे काम के लिए हुआ करती थी। यह सब हमारे खेतों पर काम करने वालों मज़दूरों की बेटियाँ होती थी। इनको भर पेट भोजन और अच्छे कपड़े मिल जाते थे तो वे उसी में खुश रहती थीं।
यहाँ यह बता देना ज़रूरी है कि मैं जीवन की शुरुआत से ही औरतों की प्रति बहुत आकर्षित था। मेरी आया बताया करती थी कि मैं हमेशा ही औरतों के स्तनों के साथ खेलने का शौक़ीन था। जो भी औरत मुझको गोद में उठाती थी उसका यही कहना होता था कि मैं उनके स्तनों के साथ बहुत खेलता था।
और यही कारण रहा होगा जो आगे चल कर मैं सिर्फ औरतों का दास बन गया, मेरा सारा जीवन केवल औरतों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने में बीत गया।
मेरा जीवन का मुख्य ध्येय शायद स्त्रियों के साथ काम-क्रीड़ा करना ही था, यह मुझको अब बिल्कुल साफ़ दिख रहा है क्योंकि मैंने जीवन में और कुछ किया ही नहीं… सिर्फ स्त्रियों के साथ काम क्रीड़ा के सिवाये!
जैसा कि आप आगे मेरी जीवन कथा में देखेंगे कि मैं अल्पायु में ही काम वासना में लीन हो गया था और उसका प्रमुख कारण मेरे पास धन की कोई कमी न होना था और मेरे माँ बाप अतुल धन और सम्पत्ति छोड़ गए थे कि मुझ को जीवन-यापन के लिए कुछ भी करने की कोई ज़रुरत नहीं थी।
ऐसा लगता है कि विधि के विधान के अनुसार मेरा जीवन लक्ष्य केवल स्त्रियाँ ही थी और इस दिशा में मेरी समय समय पर देखभाल करने वाली नौकरानियों को बहुत बड़ा हाथ रहा था। जवान होने तक मेरे सारे काम मेरी नौकरानियाँ ही किया करती थी, यहाँ तक कि मुझे नहलाना आदि भी…
मुझे आज भी याद है कि जब मुझको मेरी आया नहलाती थी तो मेरे लंड के साथ ज़रूर खेलती थी। वह कभी उसको हाथों में लेकर खड़ा करने की कोशिश करती थीं।
उस खेल में मुझ को बड़ा ही मज़ा आता था। वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर ही मुझको नहलाती थीं और नहाते हुई छेड़छाड़ में कई बार मेरे हाथ उनके पेटीकोट के अंदर भी चले जाते थे और उनकी चूत पर उगे हुए घने बाल मेरे हाथों में आ जाते थे।
एकभी कभार मेरा हाथ उनकी चूत के होटों को भी छू लेता था जो कई बार पानी से भरी हुई होती थी, एक अजीब चिपचापा रस मेरी उँगलियों पर लग जाता था जो कई बार मैंने सूंघा था। बड़ी ही अजीब मादक गंध मुझ को अपने उन हाथों से आती थी जो उन लड़कियों की चूत को छू कर आते थे। उनकी गीली चूतों का रहस्य मुझे आज समझ आता है।
यह कहानी आप अंतराग्नि डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उन्हीं दिनों एक बहुत ही शौख और तेज़ तरार लड़की मेरे काम के लिए रखी गई थी, वह होगी 18-19 साल की और उसका जिस्म भरा हुआ था, रंग भी काफी साफ़ और खिलता हुआ था।
वैसे रात को मेरी मम्मी मेरे साथ नहीं सोती थी और कोई भी बड़ी उम्र की काम वाली को मेरे साथ सोना होता था। वह मेरे कमरे में नीचे ज़मीन पर चटाई बिछा कर सोती थीं।
जब से वह नई लड़की मेरा काम देखने लगी तो मेरा मन उस के साथ सोने को करता था। उस लड़की का नाम सुंदरी था और वह अपने नाम के अनूरूप ही थी।
इस लिए मैं नहाते हुए उससे काफी छेड़ छाड़ करने लगा। अब मैं उसकी चूत को कभी कभी चोरी से छू लेता था और उसकी चूत के बालों में उँगलियाँ फेर देता लेकिन वह भी काफी चतुर थी। वह अब अपना पेटीकोट कस कर चूत के ऊपर रख लेती थी ताकि मेरी उंगली या हाथ उसके पेटीकोट के अंदर न जा सके लेकिन मैं भी छीना झपटी में उसके उरोजों के साथ खेल लिया करता था।
अक्सर उस के निप्पल उसके पतले से ब्लाउज में खड़े हो जाते थे और मैं उनको उंगली से छूने की भरसक कोशिश करता था।
यह सब कैसे हो रहा था, यह आज तक मैं समझ नहीं पाया। जबकि मेरे दोस्त खूब खेल कूद में मस्त रहते थे, मैं चुपके से नौकरानियों की बातें सुनता रहता या फिर उनसे छेड़ छाड़ में लगा रहता।
यह बात मेरी माँ और पिता से छुपी न रह सकी और वे मुझको हॉस्टल में डालने के चक्कर में पड़ गये क्योंकि उनको लगा कि मैं नौकरानियों के बीच रह कर उनकी तरह की बुद्धि वाला बन जाऊँगा।
लेकिन मैं भी झूठ मूठ की बेहोशी आने का बहाना करने लगा। मैं अक्सर रात को डर कर चिल्लाने लगता और यह देख कर मेरे माँ बाप ने मुझको हॉस्टल में डालने का विचार रद्द कर दिया।
जो सुन्दर लड़की मेरे काम के लिए रखी गयी थी वह काफी होशियार थी और वह मेरी उच्छशृंख्ल प्रकृति को समझ गई थी।
एक दिन वो कहने लगी- कितना अच्छा होता अगर मैं आपके कमरे में ही सो पाती।
मैंने उससे पूछा कि यह कैसे हो सकता है तो वह बोली- तुमको रात में बड़ा डर लगता है ना?
मैंने कहा- हाँ!
तो वह बोली- मम्मी से कहो कि सुंदरी ही तुम्हारे कमरे में सोयेगी।
बस उस रात मैंने काफी डर कर शोर मचाया और मम्मी को मेरे साथ सोना पड़ा लेकिन अगले दिन ही उन्होंने एक बहुत बुड्ढी सी नौकरानी को मेरे कमरे में सुला दिया।
हमारी योजना फ़ेल हो गई लेकिन सुंदरी काफी चतुर थी, उसने बुड्ढी को तंग करने का उपाय मुझ को सुझाया और उसी ही रात बुड्ढी काम छोड़ कर चली गई।
हुआ यूं कि रात को एक मेंढक को लेकर मैंने बुड्ढी के घागरे में डाल दिया जब वह गहरी नींद में सोयी थी। जब मेंढक उसके घगरे में हलचल मचाने लगा तो वह चीखती चिल्लाती बाहर भाग गई और उस दिन के बाद वापस नहीं आई।
तब मैंने मम्मी को कहा कि सुंदरी को मेरे कमरे में सुला दिया करो और मम्मी थोड़ी न नकुर के बाद मान गई।
दिन भर मैं स्कूल में रहता था और दोपहर को लौटता था। मेरे साथ के लड़के बड़े भद्दे मज़ाक करते थे जिनमें चूत और लंड का नाम बार बार आता था लेकिन मैं उन सबसे अलग रहता था।
मेरे मन में औरतों को देखने की पूरी जिज्ञासा थी लेकिन कभी मौका ही नहीं मिलता था।
जब से सुंदरी आई थी, मेरी औरतों के बारे में जानकारी लेने की इच्छा बड़ी प्रबल हो उठी थी। यहाँ तक कि मैं मौके ढूंढता रहता था ताकि में औरतों को नग्न देख सकूँ।
इसीलिए साइकिल लिए मैं कई बार गाँव के तालाब और पोखरे जाता रहता था लेकिन कभी कुछ दिखाई नहीं दिया।
एक दिन मैं साइकिल पर यों ही घूम रहा था कि मुझको कुछ आवाज़ें सुनाई दी जो एक झाड़ी के पीछे से आ रही थी।
मैंने सोचा कि देखना चाहिये कि क्या हो रहा है।
थोड़ी दूर जाकर मैंने साइकिल को एक किनारे छुपा दिया और खुद धीरे से उसी झड़ी की तरफ बढ़ गया।
झाड़ी के एक किनारे से कुछ दिख रहा था। ऐसा लगा कि कोई आदमी और औरत है उसके पीछे, झाड़ी को ज़रा हटा कर देखा तो ऐसा लगा एक आदमी एक औरत के ऊपर लेटा हुआ है और ऊपर से वो धक्के मार रहा है और औरत की नंगी टांगें हवा में ऊपर लहरा रही थीं।
मुझको कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। फिर भी लगा कि कोई काम छिपा कर करने वाला हो रहा है यहाँ।
मैं अपनी जगह पर चुपचाप खड़ा रहा और देखता रहा।
थोड़ी देर बाद वो आदमी अपनी धोती को ठीक करते हुए उठा और औरत की नंगी टांगों और जांघों पर हाथ फेरता रहा था।
तभी वो औरत भी उठी और अपनी धोती ठीक करती हुई खड़ी हो गई। मैं भी वहाँ से खिसक गया, साइकिल उठा कर घर आ गया।
और यहाँ से शुरू होती है मेरी और सुंदरी की कहानी।
कहानी जारी रहेगी।
ydkolaveri@gmail.com
...
Tags
Chut Chudaai
- लड़कियों के नंबर की लिस्ट चाहिए बात करने के लिए - Ladki Ke Mobile Number
- Randi ka mobile whatsapp number - रण्डी मोबाइल व्हाट्सअप्प कांटेक्ट नंबर
- Sex video download karne ka tarika - सेक्स वीडियो डाउनलोड कैसे करें
- धंधे वाली का मोबाइल नंबर चाहिए - Dhandha karne wali ladkiyon ke number chahiye
- किन्नर व्हाट्सप्प मोबाइल नंबर फोन चाहिए - Kinner whatsapp mobile phone number
- सेक्स करने के लिए लड़की चाहिए - Sex karne ke liye sunder ladki chahiye
- अमीर घर की औरतों के मोबाइल नंबर - Amir ghar ki ladkiyon ke mobile number
- किन्नर के जननांग या गुप्तांग कैसे दिखते हैं - Kinner ke gupt ang kaise hote hai hindi jankari
- कॉल गर्ल लिस्ट, सेक्सी लड़कियों के नंबर - Call girls mobile whatsapp phone numbers
- लड़कियों के नंबर गर्ल का whatsapp नंबर - Real Girls Mobile Whatsapp Contact Phone List