में चुपचाप बैठकर उसका लंड चूसने लगा - Main chupchap baithkar uska lund chusne lagaa
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अब ये सुनते ही में समझ गया कि माँ क्या चाहती है? फिर उसने बोला कि घर पर तो तेरा लड़का रहता है, उसका क्या? तो माँ ने बोला कि में उसे स्कूल में डलवा रही हूँ, फिर घर खाली रहेगा। अब ये सुनते ही अनीश की आँखों में चमक आ गई और उसने माँ को अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया। फिर माँ ने अपनी ब्रा पहनी और ब्लाउज पहनकर जाने लगी। तभी अनीश ने बोला कि यहीं पास में एक लड़को का सरकारी स्कूल है वहीं डलवा दे अपने लड़के को। फिर माँ ने बोला कि ठीक है और मुझे लड़को के सरकारी स्कूल में डलवा दिया गया। इस सबके बाद मेरे मन में अजीब सी हलचल होने लगी, उस दिन के बाद से में माँ को अलग नज़र से देखने लगा। अब में कभी-कभी अपनी माँ को नंगे नहाता हुआ देखता, लेकिन मुझे औरतो से ज़्यादा मर्दों में रूचि होने लगी थी। फिर ऐसे ही 1 महीना बीत गया, अब में स्कूल जाने लगा था। में 10वीं क्लास में था और मेरी क्लास में सब लड़के थे, क्योंकि वो लड़को का सरकारी स्कूल था।
अब वहाँ कुछ लड़के मुझसे काफ़ी बड़े भी थे, क्योंकि वो एक ही क्लास में दो तीन बार फैल हो चुके थे। उनमें से दो थे, जितेन्द्र जिसे सब जीतू भाई बुलाते थे और सौरभ, वो दोनों क्लास में डॉन की तरह रहते थे, जो कभी भी किसी से भी लड़ते रहते थे, सब लड़के उन दोनों से डरते थे। उन दोनों की नज़र अभी तक मुझ पर नहीं पड़ी थी, क्योंकि जब से मेरा एडमिशन हुआ था, तब से वो दोनों स्कूल नहीं आए थे। फिर एक दिन वो दोनों स्कूल आए, जब में क्लास में पहुँचा तब तक वो आ चुके थे। फिर मुझे देखते ही जीतू ने बोला कि ये साला कौन नया आया है? तो उसे किसी ने बताया कि मेरा न्यू एडमिशन है। फिर वो दोनों मेरे पास आकर बैठ गये और मुझसे बातें करने लगे। फिर मैंने उनको अपने बारे में बताया कि कैसे में और मेरी माँ दिल्ली आकर रह रहे है? फिर वो दोनों धीरे-धीरे मेरे दोस्त बन गये और में स्कूल में उनके साथ ही रहने लगा।
अब उन दोनों ने मुझे सब कुछ सिखा दिया था, दारू पीना, सिगरेट पीना, ब्लू फिल्म देखना और मुझे उन दोनों के साथ बहुत मज़ा आता था। वो दोनों एक नम्बर के ठरकी भी थे और हमेशा आंटीयो को छेड़ते रहते थे, वो दोनों मुझे कभी-कभी लड़कियों की तरह तैयार करके मेरे साथ नंगे होकर डांस करते थे। फिर एक दिन जितेन्द्र ने मुझे अपने मोबाईल पर एक वीडियो दिखाया, जिसमें एक लड़का दो लड़को का लंड चूस रहा था। फिर जितेन्द्र बोला कि रिकी जानेमन अब तुझे भी यहीं करना है और ये बोलते ही उसने अपना लंड अपनी पेंट से बाहर निकाल लिया। अब उसका लंड देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई, उसका लंड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था, मेरा लंड तो उसके सामने बच्चा था। फिर उसने मुझे घुटने पर बैठने को कहा और अपना लंड चूसने को बोला तो में चुपचाप बैठकर उसका लंड चूसने लगा। अब में उसका लंड चूस ही रहा था कि तभी रूम में सौरभ भी आ गया, उसने मुझे ऐसे देखा तो वो हंसकर जीतू से कहने लगा कि अरे तूने इसे आज ही काम पर लगा दिया तो जीतू बोला कि हाँ यार अब रहा नहीं जा रहा था।
फिर मैंने सौरभ को देखते ही जीतू का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल लिया और सौरभ को हाय बोला, तो उसने मेरी गांड पर एक थप्पड़ मारा और बोला कि बहनचोद चूसता जा, अभी इसके बाद तुझे मेरा भी लंड चूसना है। अब उन दोनों ने मुझे नंगा करके बिस्तर पर लेटा दिया और मुझे घोड़ी बनाकर अपना अपना लंड मेरे सामने रख दिया। अब मुझे और मज़ा आने लगा था, अब में उन दोनों के लंड बारी-बारी चूसने लगा था। फिर थोड़ी देर के बाद जीतू बोला कि अब मुझे इसकी गांड मारनी है और बिस्तर पर चढ़ गया। फिर उसने अपना लंड मेरी गांड के छेद में सटाया ही था कि मैंने बोला कि जीतू भाई थोड़ा सा तेल लगा दो नहीं तो मुझे बहुत दर्द होगा। फिर उसने पास में ही पड़ी वैसलिन क्रीम निकाल कर मेरी गांड के छेद पर लगा दी और अपना लंड मेरी गांड मे डालते हुए बोला कि पहले कभी गांड में लंड लिया है क्या? तो में बोला कि हाँ एक बार एक अंकल ने मुझे चोदा था।
फिर वो बोला कि साले में चुदवाने की बहुत गर्मी है और अपना लंड मेरी मुलायम गांड में डाल दिया। अब उसका लंड मेरी गांड में आधा ही गया था कि मेरी चीख निकल गई। फिर उन दोनों ने मुझे बारी-बारी से चोदा और तब से में उनकी रंडी बन गयी। अब उन दोनों को जब भी मौका मिलता तो कभी स्कूल में या सौरभ के फ्लेट पर तो वो दोनों मुझे चोदते और मुझसे अपना लंड चुसवाते थे। इस तरह 3 महीने बीत गये। अब में अपनी माँ के साथ अकेला दो कमरों के घर में रहता था। फिर एक दिन पेरेंट्स मिटिंग थी तो मेरी माँ स्कूल आई। फिर टीचर से मिलने के बाद सौरभ और जीतू मेरे पास आए और मुझे माँ से उन्हें मिलवाना पड़ा। अब जीतू तो माँ को देखता ही रह गया। फिर कुछ देर के बाद हम घर चले गये।
फिर अगले दिन स्कूल की टॉयलेट में जीतू ने मुझे बुलाया और मेरे आते ही मुझे अंदर ले जाकर सौरभ को बुलाया। फिर सौरभ के आते ही उन दोनों ने टॉयलेट का दरवाजा बंद कर दिया और जीतू ने मुझे घुटने पर बैठा दिया और अपना लंड निकाल कर मुझसे चूसने को कहा। फिर मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। अब में जीतू का लंड चूस ही रहा था कि सौरभ ने अपनी जेब से मोबाईल निकाला और मेरा वीडियो बनाने लगा। फिर जीतू ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और मुझसे बोला कि तेरी माँ का क्या नाम है? तो में बोला कि उर्मिला। फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह डालते हुए बोला कि तेरी माँ बहुत हॉट हैं और में उसको चोदना चाहता हूँ। अब में ये सुनकर हैरान रह गया और बोला कि ये क्या कह रहे हो जीतू? तो उसने मुझे एक थप्पड़ मारा और बोला कि हाँ मादरचोद सही कह रहा हूँ, ऐसी माल को कोई जाने देता है क्या? तो में बोला कि मेरी माँ बहुत सीधी है और वो ये सब नहीं करती है।
फिर जीतू बोला कि अरे सब करती हैं और मैंने बहुत को चोदा है समझा, अब तू हमारी दोस्ती अपनी माँ से करवा, नहीं तो ये वीडियो पूरे स्कूल में बाँट देंगे और तेरी माँ को भी दिखायेंगे। अब में कुछ भी नहीं कर सकता था, क्योंकि वो दोनों मुझसे बड़े और तगड़े थे। फिर मैंने बोला कि ठीक है। फिर हम टॉयलेट से बाहर आ गये। अब में अपना मुँह पोंछ रहा था कि तभी सौरभ मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला कि आज साले की गांड नहीं मारी, तो जीतू बोला कि कोई बात नहीं इसको शाम को घर बुला ले, वहीं पर इसकी गांड मार लेते हैं और मुझसे अपनी माँ की ब्रा और पेंटी लाने को बोला और वहीं पर इसकी माँ को चोदने का प्लान भी बनाते है। दोस्तों ये थी मेरी लंड की तड़प जो मुझे यहाँ तक ले आई ।।
धन्यवाद …
अब ये सुनते ही में समझ गया कि माँ क्या चाहती है? फिर उसने बोला कि घर पर तो तेरा लड़का रहता है, उसका क्या? तो माँ ने बोला कि में उसे स्कूल में डलवा रही हूँ, फिर घर खाली रहेगा। अब ये सुनते ही अनीश की आँखों में चमक आ गई और उसने माँ को अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया। फिर माँ ने अपनी ब्रा पहनी और ब्लाउज पहनकर जाने लगी। तभी अनीश ने बोला कि यहीं पास में एक लड़को का सरकारी स्कूल है वहीं डलवा दे अपने लड़के को। फिर माँ ने बोला कि ठीक है और मुझे लड़को के सरकारी स्कूल में डलवा दिया गया। इस सबके बाद मेरे मन में अजीब सी हलचल होने लगी, उस दिन के बाद से में माँ को अलग नज़र से देखने लगा। अब में कभी-कभी अपनी माँ को नंगे नहाता हुआ देखता, लेकिन मुझे औरतो से ज़्यादा मर्दों में रूचि होने लगी थी। फिर ऐसे ही 1 महीना बीत गया, अब में स्कूल जाने लगा था। में 10वीं क्लास में था और मेरी क्लास में सब लड़के थे, क्योंकि वो लड़को का सरकारी स्कूल था।
अब वहाँ कुछ लड़के मुझसे काफ़ी बड़े भी थे, क्योंकि वो एक ही क्लास में दो तीन बार फैल हो चुके थे। उनमें से दो थे, जितेन्द्र जिसे सब जीतू भाई बुलाते थे और सौरभ, वो दोनों क्लास में डॉन की तरह रहते थे, जो कभी भी किसी से भी लड़ते रहते थे, सब लड़के उन दोनों से डरते थे। उन दोनों की नज़र अभी तक मुझ पर नहीं पड़ी थी, क्योंकि जब से मेरा एडमिशन हुआ था, तब से वो दोनों स्कूल नहीं आए थे। फिर एक दिन वो दोनों स्कूल आए, जब में क्लास में पहुँचा तब तक वो आ चुके थे। फिर मुझे देखते ही जीतू ने बोला कि ये साला कौन नया आया है? तो उसे किसी ने बताया कि मेरा न्यू एडमिशन है। फिर वो दोनों मेरे पास आकर बैठ गये और मुझसे बातें करने लगे। फिर मैंने उनको अपने बारे में बताया कि कैसे में और मेरी माँ दिल्ली आकर रह रहे है? फिर वो दोनों धीरे-धीरे मेरे दोस्त बन गये और में स्कूल में उनके साथ ही रहने लगा।
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