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दिलों में ग़दर मचाती भाभी - dilo me gaddar machati bhabhi
दिलों में ग़दर मचाती भाभी - dilo me gaddar machati bhabhiSunder Khubsurat Ladki ki chudai , Chut ke Maje , gand mari , khub choda , Masti se chod diya , Jabardast manoranjan ke sath chudwayi.
हैल्लो मित्रों.. में आप सभी के सामने एक और सेक्स एनकाउंटर लेकर आया हूँ। एक दिलचस्प सेक्स स्टोरी जो पूरी तरह एक सच्ची स्टोरी है। जिसमे में आज आप सभी को उस स्टोरी की सभी सच्चाई बताऊंगा और अब में आप सभी का ज्यादा समय खराब ना रकते हुए सीधा अपनी स्टोरी पर आता हूँ। मित्रों हमारी एक दूर के रिश्ते में भाभी है उनकी उम्र करीब 28 साल के करीब होगी और उनके फिगर का साईंज हमे पूरा पता नहीं है बूब्स बड़े और भरे हैं, कमर हेल्थी है और पेट पर सल पड़ते हैं, रंग एकदम गोरा है। ये स्टोरी उस समय की है जब में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ता था। हमारे गाँव के एक ताऊजी अपनी परिवार के साथ हमारे कॉलेज के पास वाली एक कोलोनी में रहते हैं।
में स्कूल टाईम से ही उनकी परिवार से बहुत करीब हूँ और हमारी उनसे बहुत अच्छी तरह बातचीत हैं। हमारे ताऊ जी की परिवार में उनके दो बेटे और एक बड़े बेटे की बहू यहाँ पर रहती है और बाकी लोग गावं में रहते हैं। तो हमारे ताऊ जी के दोनों बेटे यानी हमारे भाई नौकरी करते हैं और ताऊ जी की भी गावं में एक अच्छी नौकरी है। बड़े भैया की शादी को 6 साल हो गये हैं और उनके दो बच्चे है वो एक स्कूल में प्री-नर्सरी और नर्सरी क्लास में पढ़ते है और भाभी सारे दिन घर में ही रहती हैं और घर के सभी काम ख़त्म करके टीवी पर मजे करती हैं।
में शुरू से ही ज़रा सेक्स के प्रति ज्यादा रूचि लेता रहा हूँ.. तो में भाभी की शादी के टाईम से ही उनका एक अच्छा दोस्त बनने की कोशिश करता रहता था और इसी तरह एक दिन हमारी दोस्ती भी हो गयी थी। वो हमारे साथ बहुत मजाक भी किया करती थी.. लेकिन उन्होंने शायद हमारे साथ सेक्स करने के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। अभी तो में कॉलेज में हूँ लेकिन जब में स्कूल में था तब एक बार में भैया के साथ उनके घर चला गया। हमारी स्कूल में दो दिन की छुट्टियाँ थी तो सोचा थोड़ा मूड चेंज हो जाएगा। भैया और बाकी सभी लोग ऑफीस चले गये और में भाभी के साथ घर में वही नॉर्मल काम काज में लगा था। हमे भाभी के साथ बातें करना, उन्हें हंसते हुए देखना और उन्हें छूना करना बहुत पसंद है। वो भी हमे अपने हाथों से खाना खिलाती, हमारे गले में बाहें डालती और हँसी मज़ाक करती और हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत मजे करते थे।
फिर दोपहर में लंच करने के बाद भाभी सोने चली गयीं और हमसे कहा कि जब सोना हो तो हमारे पास आ जाना। में उस वक्त एक स्कूल बॉय ही था और थोड़ी देर टाईम पास करने के बाद में भाभी के साथ ही लेट गया सर्दी का मौसम था और भाभी कंबल में थी.. तो में भी उसी में घुस गया।
भाभी गहरी नींद में थी लेकिन हमे तो नींद नहीं आनी थी तो में यूँ ही लेटा रहा। तभी थोड़ी देर बाद जब शरीर गरम होने लगा तो हमारी नियत खराब होने लगी.. लेकिन में सेक्स के बारे में ज़्यादा नहीं जानता था। हमे सिर्फ किस्सिंग और टचिंग का पता था और असली काम नहीं पता था.. लेकिन लंड का खड़ा होना और सेक्सी विचारों का आना हमारे साथ उस उम्र में बहुत स्वभाविक था जैसा हर किसी के साथ होता है। तभी हमारे दिमाग़ में भाभी को छूने का ख्याल आया तो हमने धीरे से अपना हाथ पहले उनके लाल होठों पर लगाया वो सीधी होकर लेटी हुई थी और हमारा बेड भी एक ही था तो बीच में ज्यादा जगह होने का सवाल ही नहीं उठता।
फिर भाभी ने नींद में ही हमे अपनी बाहों के घेरे में भर लिया और अब में उनसे बिल्कुल चिपका हुआ था। मित्रों सही में तो कहूँ तो वो बहुत सेक्सी थी उनको देखकर अच्छे अच्छे के लंड खड़े हो जाए। हमारा लंड खड़ा था और में उसे उनके शरीर पर रगड़ रहा था। फिर धीरे से में अपना हाथ उनके पेट पर घुमाता रहा उन्हें कुछ पता नहीं था कि क्या हो रहा है और फिर हमने हाथ और ज्यादा अंदर घुसाया और उनके पेटीकोट के नाडे के नीचे से होते हुए हाथ उनकी झांटो के एरिया में घूमता रहा और उनकी सांसो की महक भी ले रहा था और सावधानी भी बरत रहा था.. जिससे कि वो एकदम से जाग ना जायें। फिर हमने बहुत देर तक इसी मुद्रा को कायम रखा.. लेकिन इसके आगे कुछ नहीं हुआ और फिर में भी सो गया और शाम को भाभी के साथ ही जागा।
तभी शाम को हम सभी ने साथ में चाय पी और भैया भी आ गये और फिर कभी कभी में चुपकर उनकी आपसी छेड़छाड़ भी देखता था और फिर ऐसे ही टाईम खत्म होता गया। फिर पढ़ाई की वजह से में उनके साथ ज़्यादा वक़्त नहीं बिता सका.. लेकिन अब स्कूल ख़त्म करने के बाद में कॉलेज में हूँ और किस्मत हमारा कॉलेज उनके घर के पास ही है। अब में अक्सर उनके घर जाता हूँ कभी कभी तो कॉलेज न जाकर में केवल भाभी से मिलने के लिए उनके घर जाता हूँ और ऐसा करते वक़्त में इस बात का ज्यादा ख़याल भी रखता हूँ कि में उनके घर तब जाऊँ कि जब सब लोग ऑफीस जा चुके हो। इसलिए में अक्सर 10 बजे के बाद ही उनके घर जाता था और दिन भर वहाँ रहकर शाम को अपने घर लौट जाता वैसे भी कॉलेज पास होने की वजह से भैया कहते थे कि घर आ जाया करो लंच वगेरह और कभी आकर आराम कर लिया करो।
फिर एक दिन में भाभी के घर गया और भाभी ने बड़े खुश होकर हमारा वेलकम किया और कहने लगी कि क्या बात है आज बहुत दिनों के बाद भाभी की याद आई? आओ आओ अंदर आओ बैठो कैसे हो। तभी हमने भी अच्छे से उनका जवाब दिया और फिर वो चाय बनाने के लिए उठी तो हमने उनका हाथ पकड़ कर उनसे मना किया लेकिन वो नहीं मानी फिर हमने चाय पी उन्होंने शिफान की साड़ी पहनी थी और उसी के रंग का ब्लाउज बूब्स बड़े होने के कारण ब्लाउज नीचे की तरफ झुक रहा था और बाल खुले हुए थे। शायद हमारे आने से पहले वो बाल ही बना रही थी। फिर उन्हें देखते देखते चाय कब ख़त्म हो गयी पता ही नहीं चला। चाय पीते हुए एक बूँद उनके निचले होंठ पर लग गयी जिसे देखकर मन कर रहा था कि में उसे अपने होठों और जीभ से साफ कर दूँ लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था। इतने में भाभी ने स्वयं ही होठों पर जीभ फेरते हुए उसे साफ कर दिया उनके गुलाबी होंठ बहुत सुंदर हैं। फिर हम दोनों टीवी देखने लगे कोई एक पुरानी फिल्म आ रही थी में बेड पर लेटा हुआ था और भाभी नीचे जमीन पर लेटी हुई थी और में फिल्म कम और भाभी को ज़्यादा देख रहा था। उनका गोरा और मोटा पेट देखकर हमारा लंड तनकर खड़ा हो गया था।
तभी इतने में फिल्म में सुहागरात का सीन आ गया.. पुरुष ने महिला की गर्दन पर किस किया फिर उसके होंठो पर अपने होंठ रगड़ने लगा। ये देखते हुए हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और में थोड़ा शरमाने का नाटक करने लगा.. भाभी फिर टीवी देखने लगी। हमारा दिल कर रहा था कि अभी बेड से नीचे उतरकर भाभी के पास लेट जाऊं और उन पर चड़ जाऊं.. लेकिन ख़ैर जैसे तैसे शाम हुई और सभी लोग ऑफिस से घर आ गये। फिर हमने अपने घर फोन कर दिया कि हमे आज भैया के घर पर ही रुकना है और हमने भैया से बात भी करवा दी। फिर रात को हमने भैया की लूँगी पहनी और शर्ट पहनकर सारे घर में घूमता रहा और उनके साथ वक़्त बिताया। रात को बहुत देर तक हम सब बातें करते रहे और टीवी पर कार्यक्रम देखते रहे.. भाभी हमसे भैया के सामने ही मजाक़ करती लेकिन में कोई जवाब नहीं देता और एक अच्छे बच्चे की तरह बर्ताव करता। सुबह फिर सब लोग अपने अपने काम में लग गये।
फिर सबके जाने के बाद हमने देखा कि भाभी अपनी छत के पंखे को साफ कर रही हैं तो हमने पास जाकर उनकी मदद करने को कहा.. पहले तो वो मना करने लगी फिर हमने ही उनको कमर से पकड़ कर साईड में किया और पंखा साफ कर दिया। उस वक्त में लूँगी में ही था। तभी उन्होंने कहा कि उन्हें हमारा लूँगी पहनने का तरीका बहुत अच्छा लगा। तभी हमारी आँख में कुछ गिर गया तो में वहीं बेड पर बैठ गया और भाभी ने जल्दी से अपनी साड़ी के पल्लू से हमारी आँख साफ की। फिर उसे फूँक मारी अब सब ठीक था और भाभी बहुत घबरा गयी और कहने लगी कि में मना कर रही थी.. तुम माने ही नहीं। तभी हमने कहा कि चिंता मत करो.. में बिल्कुल ठीक हूँ।
फिर में नहाने चला गया और जब नहाकर बाहर आया तो हमने भाभी से कहा कि हमारे अंडर गारमेंट्स हमने धो दिए हैं भैया की कोई रखी हो तो दे दो। फिर वो थोड़ी देर बाद आई और जानबूझ कर हमे अपनी एक सफेद कलर की ब्रा देकर हमे चिड़ाती हुई चली गयी हमने भी हंसते हुए वो ब्रा रख ली और फिर में अपने कपड़े पहनकर तैयार हो गया लेकिन वो ब्रा हमने अपने पास रख ली और भाभी को वापस नहीं दी। उस दिन शाम को जब में घर जाने लगा तो उन्होंने हमे बहुत रोका.. लेकिन में नहीं रुक सकता था। तभी वो थोड़ी नाराज़ हुई.. लेकिन हमारा वहाँ पर रुकने का कोई रास्ता नहीं था और में निकल ही रहा था कि उन्होंने हमे अपने रूम के गेट पर रोका और बोली कि में तुम्हे तब जाने दूँगी जब तुम हमे एक किस करोगे? तभी में सन्न रह गया और हमारी समझ में नहीं आ रहा था कि ये भाभी क्या कह गयीं? तभी भाभी कहने लगी कि शरमाओ मत हमे चुम्मा दे दो और फिर चले जाना। अब अंधे को जैसे आँखें मिल गयी हो में बड़ा खुश हुआ और समझ गया कि जैसे में भाभी को पाना चाहता हूँ वैसे ही भाभी भी हमे चाहती है। उनकी दोनों बेटियाँ उसी रूम में थी.. इसलिए हमने भाभी के गले में बाहें डालकर कहा कि भाभी यहाँ पर नहीं.. चलो दूसरे रूम में चलते हैं। फिर हमने वहाँ पर जाकर पहले उनके गालों पर बहुत चूमा चाटा और पप्पियाँ ली। फिर हमने होठों को बहुत रगड़ा जमकर जीभ से चटाई की उनकी गर्दन और कानों को चूमा.. फिर उनकी कमर में हाथ डालकर उन्हें सीने से चिपका लिया और आखरी में उनकी छाती को किस किया।
अब हम दोनों का चेहरा लाल हो रहा था हम इसके आगे नहीं बड़ सके क्योंकि हमे जाना भी था और फिर सबके घर पर आने का टाईम भी होने वाला था। तभी वो हमारे साथ गेट तक आईं और में उनसे गले मिला फिर उनके कूल्हों को सहलाकर वहाँ से बाहर चला गया। फिर घर पहुँचते पहुँचते हमारी हालत खराब हो गयी थी। में रास्ते भर भाभी के बारे में सोचता रहा और जब घर पहुँचा तो हमारा लंड तना हुआ था और इस तरह अकड़ गया था कि सू सू करना भी मुश्किल हो गया था और हमने भाभी को अपने सामने महसूस करते हुए मुट्ठी मारी तब कहीं जाकर लंड कुछ शांत हुआ लेकिन लंड के नीचे आंड में बहुत दर्द अभी भी था.. ऐसा लग रहा था कि जैसे सारा वीर्य यहीं पर जमा हो गया है।
अब तो हमारा सारा ध्यान उन्हीं में लगा रहता था। में घर से कॉलेज निकलता और फिर कुछ समय कॉलेज में रहने के बाद भाभी के घर पहुँच जाता। तभी में भाभी के घर पहुँचा दरवाजे पर लगी घंटी बजाई तो कोई जवाब नहीं मिला.. थोड़ी देर बाद भाभी की आवाज़ आई (उन्होंने हमे दरवाजे के होल से देखा) और कहा कि में नहा रही हूँ लेकिन में कुण्डी खोल रही हूँ तुम दो मिनट बाद अंदर आ जाना तब तक में बाथरूम में वापस चली जाऊंगी। तभी हमने कहा कि ठीक है और हमने वैसा ही किया फिर अंदर घुसते ही दरवाज़ा बंद करके कुण्डी लगा दी और कमरे में बैठ गया। तभी थोड़ी देर बाद भाभी नहाकर बाहर आई.. उन्होंने ब्लाउज और पेटिकोट पहना हुआ था और उनके बालों से पानी टपक रहा था जो ब्लाउज को गीला कर रहा था और उनकी ब्रा के दर्शन भी करवा रहा था। में तो घर से ही लंड खड़ा करके आया था और ये सब देखकर हमारे लंड महाराज और भी कड़क हो गये। फिर हमने झट से उनको बाहों में भर लिया और गालों को थोड़ी देर चूमने के बाद में उनका पेट को चाटने और चूमने लगा वो हमारे बालों में उंगलियाँ घूमाती हुई बोली कि इसमे क्या रखा है ऊपर आओ ना और तेज़ी से हमे अपने होठों से लगा लिया उम्म्म ऊऊ ऐसी आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था।
में तो इतना गरम हो गया कि समझ में ही नहीं आ रहा था कि कहाँ से शुरू करूँ और कैसे करूँ? तभी भाभी हमारा उतावलापन समझ रही थी। फिर उन्होंने हमे रोका और कहा कि अभी तो सारा दिन है हमारे पास आराम से करेंगे.. अब में तुम्हारी ही हूँ। फिर हमे अलग करके उन्होंने अपनी साड़ी जो टेबल पर रखी थी वो पहनने लगी थोड़ी ही पहनी होगी की हमने उन्हें रोका और कहा कि
में : भाभी तुम्हारे गीले बालों से तुम्हारा ब्लाउज और ब्रा गीले हो गये हैं इन्हें चेंज कर लो।
भाभी : हमारी एक ब्रा धुल गयी और दूसरी ये भीग गयी अब तीसरी कहाँ से लाऊँ।
में : में ला सकता हूँ तीसरी ब्रा।
भाभी : वो कैसे?
तभी हमने अपनी जेब में रखी हुई उनकी वही ब्रा निकाली जो उन्होंने हमे मजाक़ में दी थी.. भाभी हंस पड़ी और हमे सीने से लगा लिया।
में : अब में आपकी ये भीगी हुई ब्रा उतारूंगा और ये पहनाऊँगा जो में लाया हूँ।
भाभी : नहीं में खुद चेंज कर लूँगी.. तुम क्यों परेशान होते हो?
में : भाभी इस परेशानी के लिए ही तो में कब से तैयार हूँ.. इतना कहकर हमने भाभी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और उनके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही दबाने और चूसने लगा। फिर हमने उन्हें खुद से चिपका लिया और उनकी पीठ पर हाथ ले जाते हुए उनकी ब्रा को खोल दिया.. उनकी दोनों बड़ी चूच जब बाहर आ गये थे। वो हमारे सामने तनकर खड़े थे। फिर हमने उन्हें बारी बारी से मुँह में भरकर बहुत चूसा.. हमारी उंगलियों और हाथों के निशान उन पर बन गये थे। भाभी के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी और कह रही थी वाह तुम हमारे कितने अच्छे देवर हो उई माँ रे। अब हमने उनके पेट को चूमते हुए पेटिकोट को ऊपर उठाया और भाभी को वहीं बेड पर लेटा दिया.. उनकी जांघें मोटी और भरी हुई थी.. रंग गोरा और हाथ फैरने पर उन्हें करंट सा लग जाता था।
फिर जब में उनकी जांघों को सहलाते हुए इनकी चूत में उंगली डालता तो ऐसा लगता कि उनकी चूत के अंदर पानी उबल रहा हो। में उत्तेजित हुआ जा रहा था और अपने कपड़े उतारकर फेंक चुका था। फिर में भाभी की चूत में ऊँगली कर रहा था और भाभी हमारे लंड को हाथ में लेकर चमड़ी को आगे पीछे कर रही थी। फिर थोड़ी देर बाद भाभी सीधी होकर हमारे लंड को चूसने लगी।
में : ओह भाभी उफ़फ्फ़ ओह क्या नशा है भाभी उम्म्म और में भाभी के बालों में उंगलियाँ डालकर सहला रहा था और उनके शरीर को भी छेड़ रहा था।
भाभी : अब तुम तैयार हो जाओ और हमे आसमान की सैर करवाओ.. में भी तो देखूं इस लंड में कितनी जान है ओह अह्ह्ह। तभी हमने भाभी से कहा कि में पहले नीचे लेटता हूँ तुम ऊपर से सवारी करो। तभी भाभी ने वैसा ही किया उनकी चूत पहले से ही खुली हुई थी.. हमने लंड को सीधा किया और भाभी को उस पर बैठा लिया उनकी चूत बिना किसी परेशानी के एक बार में ही हमारा पूरा लंड निगल गयी और हमे पता भी नहीं चला कि कब हमारा लंड उनकी चूत की गहराइयों में डूब चूका था।
भाभी : ओहं अह्ह्ह्ह मर गयी मजा आ गया है देवर जी बड़ी गुदगुदी हो रही है देवर जी और तेज़ करो और तेज़।
तभी में नीचे से और तेज़ी के साथ धक्के मारने लगा और वो ऊपर से अपना संतुलन बनाकर पूरा पूरा लंड चूत के आखरी छोर तक ले जा रही थी और में उनकी कमर पकड़ कर उन्हें सहारा दे रहा था.. जिससे वो बड़ी आसानी से लंड को चूत से बिना बाहर निकाले अंदर बाहर कर रही थी और पूरे कमरे में आवाज़ें गूँज रही थी.. फूच स्लूप उम्म्म। तभी थोड़ी देर बाद हमने पोज़िशन बदली। अब भाभी नीचे और में उनके ऊपर था। हमने अपना तना हुआ लंड उनकी चूत से निकाला और एक हाथ से गीला लंड पकड़ा और सीधे उनकी चूत के मुँह पर निशाना लगा दिया और एक ही झटके में पूरा लंड चूत के अंदर और भाभी सातवें आसमान पर और हमे भी इतना मज़ा आ रहा था कि समझ ही नहीं आ रहा था कि कहाँ कहाँ पर गुदगुदी हो रही है बहुत देर तक हम उसी पोज़िशन में अंदर बाहर करते रहे।
भाभी : ऐ हमारे छोटे से देवर तुम कितने बड़े हो गये हो.. हमे पता नहीं चला ओह्ह्हहू तुम हमारे राजा हो ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह कहते कहते भाभी का शरीर अकड़ गया और कमान बनकर छूट गया और वो झड़ गई। तभी हमने भी अपनी स्पीड बड़ाई और थोड़ी देर में ही सारा वीर्य भाभी की चूत में ही छोड़ दिया। हम दोनों इस चूत चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थे और भाभी हमे बहुत देर तक चूम रही थी और फिर में उनके बूब्स का चूस चूसकर मजा ले रहा था। फिर हमारा ये प्यार बहुत दिनों तक चलता रहा और में उनकी चुदाई करता रहा ।
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