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दोस्त की आवारा बहन की मस्त चूत dost ki awara bahan ki mast chut
दोस्त की आवारा बहन की मस्त चूत dost ki awara bahan ki mast chut, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.
हेल्लो दोस्तों, मैं नॉन वेज स्टोरी का बहुत बड़ा प्रशंशक हूँ। मेरा नाम श्यामू है। कुछ सालों पहले मेरे एक दोस्त ने मुझे इस वेबसाइट के बारे में बताया था, तब से मैं रोज यहाँ की मस्त मस्त कहानियां पढता हूँ और मजे लेता हूँ। मैं अपने दूसरे दोस्तों को भी इसे पढने को कहता हूँ। पर दोस्तों, आज मैं नॉन वेज स्टोरी पर स्टोरी पढ़ने नही, स्टोरी सुनाने हाजिर हुआ हूँ। आशा करता हूँ की यह कहानी सभी पाठकों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी सच्ची कहानी है।
मेरे दोस्त दीपक की बहन दिव्या बहुत बड़ी अल्टर थी। वो मेरे मोहल्ले में बदनाम थी। वो बहुत लालची स्वाभाव की थी और उसे नई नई ड्रेस और कपड़े खरीदना बहुत पसंद थे। वो कई लड़कों से चुदवा चुकी थी और कई बार तो पैसे के लिए ही चुदवा लेती थी। मुझे ये बात नही मालुम थी की दीपक की बहन दिव्या एक अल्टर माल है। मैं तो उसे बहुत सुंदर और सरीफ लड़की समझता था। सच्चाई और प्रेम की देवी मैं उसे मांगता था। मैं जब भी दीपक से मिलने जाता था दिव्या मुझे जींस टॉप में दिखाई देती थी और मुझे देखकर मुस्कुराने लग जाती थी। धीरे धीरे मैं भी उससे बात करने लगा। धीरे धीरे दिव्या मुझे बहुत ही अच्छी लगने लगी और मैं उससे शादी करने का ख्वाब भी देखने लगा। पर एक दिन जब मैं दीपक के घर गया तो दीपक कहीं बाहर गया था। मैं दिव्या –दिव्या आवाज देने लगा पर मुझे कोई नही दिखाई दिया। फिर आगे के एक कमरे में जो मैंने देखा उसे देखकर मुझे चककर आ गया।
एक कमरे में दिव्या पूरी तरह नंगी लेती हुई थी और किसी लड़के का लौड़ा जल्दी जल्दी चूस रही थी। मैं वहीं पर छिप गया और मैंने सारी चुदाई अपनी आखों से देखी। उस जवान लड़के से दीपक की बहन दिव्या को दोनों छेदों में २ घंटे तक चोदा और जब जाने लगा तो उसने ५०० रूपए निकालकर दिव्या को दे दिए और उसके गाल पर किस करके चला गया। अब मैं जान गया था की दिव्या एक नम्बर की अल्टर और चुदक्कड़ लड़की थी। वो एक लौड़े पर टिकने वाली लड़की नही थी। उसे नये नये रोज लंड खाना पसंद था। और वो जवान लड़कों से चुदवाकर पैसे भी कमा लेती थी। इसलिए दिव्या शरीफ लड़की तो बिलकुल नही थी। अगले दिन जब मैं दीपक से मिलने गया तो दिव्या मुझसे मीठी मीठी बात करने लगी।
“श्यामू !! तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। पर तुम तो मेरी तरफ देखते भी नही!!” दिव्या कहने लगी। मैंने सोचा की मैं झूठ मुठ इससे प्यार का नाटक कर लेता हूँ और जब रोज नये नये मर्द इस मादरचोद अल्टर की बुर चोद लेते है तो मैं ही क्यूँ पीछे रहूँ। इस रंडी की बुर मुझे भी कसके चोद लेना चाहिए। इसलिए दोस्तों धीरे धीरे मैं दिव्या से झूठ मूठ प्यार का नाटक करने लगा।
“दिव्या मैं भी तुम्हारे बारे में अक्सर ही सोचता रहता हूँ। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो!!” मैंने कहा और धीरे धीरे दिव्या को लाइन मारने लगा। कुछ दिनों में वो मुझसे पट गयी। मैं उसे फिल्म दिखाने भी ले गया। वहां पर मैंने अपने दोस्त दीपक की बहन को ओठो पर किस किया। एक दिन मैंने उसे अपने घर डिनर पर बुलाया और खाने खाने के बाद मैं दिव्या को अपने कमरे में ले आया। हम दोनों रोमाटिक हो गये थे। आज मुझे इस अल्टर लड़की की बुर चोदनी थी। हम दोनों खड़े होकर ही किस करने लगे।
“चलो कपड़े उतार दो और बिस्तर में आ जाओ!!” मैंने दीपक की बहन दिव्या से कहा तो वो छिनाल नखड़ा चोदने लगी।
“नही श्यामू!! एक लड़की को शादी से पहले किसी लड़के से नही चुदवाना चाहिए। ये नियम के खिलाफ है। पहले हम दोनों शादी कर लेंगे फिर सेक्स करेंगे” दिव्या बोली। उसकी बात सुनते ही मेरी झाट सुलग गयी। उसकी सच्चाई तो मैं जानता था की वो कितनी बड़ी अल्टर और चुदक्कड़ लड़की है। पर दिव्या नही जानती थी की उसकी सच्चाई मैं जानता हूँ। दोस्तों अगर मैं उससे कह देता की उसके बारे में मैं सब जानता हूँ तो वो कभी मुझे चूत नही देती। इसलिए मैं अनजान ही बना रहा।
“दिव्या मेरी जान!! लाओ मैं तुम्हारी मांग भर लो और तुम्हारे गले में मंगलसूत्र बाँध दूँ!!” मैंने कहा और अलमारी से मैं एक सिंदूर की डिब्बी निकाली और दिव्या के बाल में सिंदूर लगा दिया। मैंने एक सस्ता मंगल सूत्र ले रखा था। मैंने उसे दिव्या के गले में बाँध लिया और एक मोमबत्ती जलाकर मैंने उसके ७ चक्कर लगा लिए। अब हमारी शादी हो गयी थी। मेरे इस काम पर दिव्या बहुत इमोशनल और भाव विभोर हो गयी थी। मुझे उसकी बुर चोदने के लिए ये सब नाटक करना पड़ा।
“ओह्हह्हह श्यामू यू आर सच ए डार्लिंग!!” दिव्या हसंकर बोली और उसने मुझे गले लगा लिया। अब वो मुझ पर पूरा विश्वास करने लगी थी।
“आओ दिव्या आज हम दोनों अपनी पहली सुहागरात मनाते है और अपने रिश्ते को आज पक्का कर देते है!!” मैंने कहा। फिर दिव्या मुझे मना नही कर सकी। क्यूंकि शादी तो हम दोनों की हो ही गयी थी। इसलिए मजबूरन उसे मेरा साथ निभाना पड़ा। वो सोच रही थी की मैं उसके प्यार में पूरी तरह से पागल हो गया हूँ। फिर दिव्या ने अपनी और टॉप निकाल दिया और मेरे पास आकर बिस्तर में लेट गयी। हम दोनों किस करने लगे और मैंने उसे बाहों में भर लिया। वो मेरे उपर लेट गयी थी। फिर हम दोनों लब से लब जोडकर किस करने लगे। सच में मेरे दोस्त दीपक की बहन बहुत खूबसूरत लड़की थी। बस वो जो अल्टर और चुदक्कड टाइप की थी वही काम गडबड था। मैंने उसे पकड़ लिया और सीने से लगा लिया। हम दोनों एक दूसरे के होठ पी रहे थे और अपनी जीभ एक दूसरे के मुंह में डाल रहे थे।
एक दूसरे की जीभ हम चूस रहे थे। कुछ ही देर में हम दोनों गर्म हो गये। मैंने दिव्या को पलट दिया। अब वो नीचे आ गयी और मैं उसके उपर आ गया। फिर मैंने ही उसकी ब्रा खोल दी। उसके मम्मे बहुत खूबसूरत थे। मेरे दोस्त दीपक की चुदासी बहन थी तो बहुत खूबसूरत माल। उसका फिगर ४० ३६ ३४ था और वो बहुत ही सेक्सी और हॉट माल लग रही थी। मैंने अपने हाथ दिव्या के गोल गोल सफ़ेद मखमली मम्मो पर रख दिए। और तेज तेज दबाने लगा। भाई आइटम तो वो सॉलिड थी। जिन जिन लड़कों से उसे चोदा और बजाया होगा मजा तो उन्हें बहुत आया होगा। आज मैं भी दिव्या की चूत में लंड देकर चोदने वाला था। जैसे ही मैं उसके मस्त मक्खन जैसे मम्मे अपने हाथ से दबाने लगा दिव्या “……हाईईईईई…. उउउहह…. आआअहह” करने लगी। मुझे मौज आ गयी। मैं और तेज तेज उसके दूध दबाने लगा। इतने मस्त टमाटर मैंने आजतक नही देखे थे। इतने मस्त आम मैंने आजतक नही देखे थे। फिर मैं दीपक की आवारा अल्टर चुदक्कड़ बहन के उपर लेट गया और उसके मम्मो को मुंह में लेकर पीने लगा। दोस्तों मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने आजतक कई लड़कियों को चोदा था पर दिव्या के दूध तो बहुत ही मुलायम और खूबसूरत थे। मैं कस कसके उसके आमो को चूस रहा था। भाई वाह आज तो मेरी लोटरी लग गयी थी। दिव्या भले ही आवारा चुदक्कड़ माल थी पर उसका फिगर बहुत कमाल का था।
शायद तभी सारे लड़के उसके पीछे मरते थे और उसकी चूत बजा बजाकर फाड़ देते थे। और उसे चोद चोदकर उसे खूब पैसे देते थे। पर मैं तो इस रंडी की चूत फ्री में चोदने जा रहा था। मैं जोर जोर से उसकी मस्त मस्त गोल मटोल चूचियों को हाथ से दबा रहा था और पी रहा था। दोस्तों बहुत मजा मिल रहा था। दिव्या बड़ी लड़कों से चुदवा चुकी थी इसलिए उसका फिगर बहुत ही मस्त और छरहरा हो गया था। मैंने तो उसकी नर्म नर्म चुचियों को मजे से चूस रहा था। दिव्या बार बार मचल रही थी और कुलांचे भर रही थी। मैं उसकी चूचियों को हाथ से कसके दबा देता था। वो “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…आह आह उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” करके चिल्ला रही थी। दोस्तों उसकी निपल्स तो बहुत ही सुंदर थी। उसकी काली काली निपल्स को जब मैंने अपने हाथों में ले लिया तो उसकी चूचियां और भी जादा कड़ी हो गयी और टनटना गयी। दिव्या की निपल्स मेरे हाथ से स्पर्श से खड़ी हो गयी थी। उसकी चूचियां के चारो पर बड़े बड़े काले घेरे थे जो बहुत ही सेक्सी लग रहे थे। मैंने आधे घंटे तक दीपक की आवारा चुदक्कड बहन के दूध मनभर कर पिए। बिना कपड़ों में वो बहुत सुंदर और गजब की सामान लग रही थी।
उसके बाद मैंने दिव्या को पेट के बल लिटा दिया और उसकी पेंटी भी निकाल दी। दोस्तों अब वो मेरे सामने पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। मैंने उसकी चिकनी नंगी और सेक्सी पीठ को चूम रहा था। पीछे से भी दिव्या बड़ी गजब की माल लग रही थी। मैं उसकी नंगी पीठ पर अपनी जीभ घुमा रहा था और उसे चूम रहा था। मैं अपने दांत सेक्सी अंदाज में दिव्या की नंगी पीठ पर गड़ा देता था। वो “आआआअह्हह्हह……ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” कहने लग जाती थी। अब मैं उसकी नंगी कमर को अपने हाथो से छू और सहला रहा था। फिर मैंने जोर से उसके गोल मटोल ३६” के पुट्ठों पर अपना हाथ चट से मारा दिया। मुझे बहुत मजा मिला। फिर मैंने कई बार उसके लपर लपर करते पुट्ठों पर अपने हाथ से कई चांटे मार दिए। दिव्या के पुट्ठे बहुत ही गोरे और गुलाबी थे। जहाँ पर मैं चांटे मारता था मेरी उँगलियों के निशाँन पड़ जाते थे।
फिर मैंने दिव्या को पलट दिया और सीधा पीठ के बल लिटा दिया। उसकी चूत मेरे सामने थी। दोस्तों दिव्या का भोसडा बहुत ही खूबसूरत था। मैं मुंह लगाकर उसका गदराया हुआ भोसड़ा पीने लगा। दिव्या मेरे बालों को नोचने लगी क्यूंकि उसे बहुत सेक्स उत्ज्जेना हो रही थी। मैं जल्दी जल्दी किसी कुत्ते की तरह दीपक की चुदक्कड़ बहन की चूत को पी रहा था। मेरी जीभ उसकी चूत को चाट रही थी। धीरे धीरे दिव्या कुलांचे भरने लगी और “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाजे निकालने लगी। मैं और जोश में आ गया और जल्दी जल्दी दिव्या की चूत को चाटने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना मोटा अंगूठा ही उसकी चूत में डाल दिया और जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगी। दिव्या बार बार अपना मुंह खोल रही थी जैसे उसे साँस ही नही आ रही हो। मैं जल्दी जल्दी उसकी रसीली चूत को अपने मोटे अंगूठे से चोद रहा था।
वो पागल हो रही थी और अपनी गांड उठा रही थी। दिव्या “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” चिल्ला रही थी। मैं जोश में आ गया और बिजली की रफतार से उसकी चूत को अपने अंगूठे से चोदने लगा। दिव्या तरह तरह की आवाजे निकालने लगी। फिर मैंने उसकी दोनों टांगो को खोल दिया और अपना ८” का मोटा लौड़ा उस रंडी की चूत में डाल दिया और मजे लेकर चोदने लगा। दिव्या कुवारी नही थी। उसकी सील टूटी हुई थी। मेरा ८” का लंड जल्दी जल्दी उसकी चूत में गच गच्च अंदर घुस जाता था। मैं जन्नत के मजे लेने लगा और दीपक की चुदक्कड बहन को चोदने लगा और उसका भोसडा फाड़ने लगा। दिव्या चुद रही थी और “उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की आवाज निकाल रही थी। आज मैं एक रंडी की बजा रहा था। आज मैं इस बहती गंगा में हाथ धो रहा था।
मैं दिव्या की कमर को दोनों हाथो से पकड़ लिया था और सट सट करके उसे चोद रहा था। मेरा ८” का लौड़ा बिना किसी दिक्कत के दिव्या के चिकने भोसड़े में फिसल रहा था। कुछ देर में तो हम दोनों को चुदाई का नशा सा चढ़ गया था। हम दोनों जल्दी जल्दी चुदाई करने लगे। दिव्या मेरा साथ निभा रही थी। “ओह्ह गॉड!… ओह्ह गॉड!….फक मी हार्डर!….कमाँन फक मी हार्डर!…फक माई पुसी!!” दिव्या इस तरह से चिल्ला रही थी। मैं चुदास में २ ४ चांटे कसके उसके गाल पर जड़ दिये। उसका मुंह लाल हो गया। मैं जल्दी जल्दी दिव्या की चूत का केक काट रहा था। मुझे स्वर्ग जैसा मजा मिल रहा था। फिर मैं उसे चोदते चोदते ही उसकी चूत के दाने को अपने हाथ से जल्दी जल्दी घिसने लगा। इससे दिव्या को बहुत उतेज्जना मिलने लगी। मैं और जोर जोर से गपाक गपाक उसकी रसीली चूत बजाने लगा और ४५ मिनट बाद मैंने अपना माल उसकी चूत में ही गिरा दिया।
मेरा दिव्या की गांड मारने का बहुत मन था। उसके बाद मैंने दिव्या की टांगे खोल दी और उसकी गांड के नीचे २ मोटी तकिया लगा दी। अब उसकी गांड का छेद अब उपर आ गया था। मैं झुककर उसकी गांड में थूक दिया और झुककर अपनी जीभ से उसकी कसी कसी गांड पीने लगा। दोस्तों दिव्या बहुत गोरी थी इसलिए उसकी गांड भी बहुत खूबसूरत और सफ़ेद सुंदर थी। मैं बड़ी देर तक दिव्या की गांड को जीभ लगाकर चाटा और मजा लिया। फिर मैंने अपना ८” का मोटा लंड उसकी गांड पर रख दिया और जोर का धक्का मारा। दिव्या “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” बोलकर चिल्लाने लगी।
मेरे मजबूर और ताकतवर लौड़े से दिव्या की कसी गांड की सील तोड़ दी थी। उसमे से खून निकल रहा था। वो चीख रही थी। मैं धीरे धीरे उसकी कुवारी गांड को चोदने लगा। उसकी गांड बहुत कसी थी। मैं धीरे धीरे अपने लौड़े को अंदर बाहर करने लगा। आधे घंटे बाद दिव्या की गांड का दर्द खत्म हो गया और मैंने १ घंटे उसकी गांड चोदी और माल भी उसे में गिरा दिया। फिर दोस्तों मैंने ६ महीने तक अपने दोस्त दीपक की आवारा बहन की चूत चोदी। एक दिन दिव्या मुझसे बहुत नाराज हो गयी।
“श्यामू!! सच सच बताओ की तुम कब मुझसे शादी करोगे????” दिव्या ने चिल्लाकर पूछा
“जान….सच्चाई तो ये है की मैं तुमसे शादी कभी नही करूँगा। तुम्हारे जैसी अल्टर चुदक्कड लड़की को कौन अपनी बीबी बनाएगा। जान वो झूठ मुठ का प्यार का नाटक तो मैंने तुम्हारी जवानी को भोगने के लिए किया था। मैं बस तुमको चोदना चाहता था” मैंने कहा। उसके बाद दिव्या ने मुझसे बोलचाल बंद कर दी थी। क्यूंकि उसकी सच्चाई मैं जान चुका था। वो पैसो के लिए किसी से भी चुदवा लेती थी। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स जरुर दे।
मेरे दोस्त दीपक की बहन दिव्या बहुत बड़ी अल्टर थी। वो मेरे मोहल्ले में बदनाम थी। वो बहुत लालची स्वाभाव की थी और उसे नई नई ड्रेस और कपड़े खरीदना बहुत पसंद थे। वो कई लड़कों से चुदवा चुकी थी और कई बार तो पैसे के लिए ही चुदवा लेती थी। मुझे ये बात नही मालुम थी की दीपक की बहन दिव्या एक अल्टर माल है। मैं तो उसे बहुत सुंदर और सरीफ लड़की समझता था। सच्चाई और प्रेम की देवी मैं उसे मांगता था। मैं जब भी दीपक से मिलने जाता था दिव्या मुझे जींस टॉप में दिखाई देती थी और मुझे देखकर मुस्कुराने लग जाती थी। धीरे धीरे मैं भी उससे बात करने लगा। धीरे धीरे दिव्या मुझे बहुत ही अच्छी लगने लगी और मैं उससे शादी करने का ख्वाब भी देखने लगा। पर एक दिन जब मैं दीपक के घर गया तो दीपक कहीं बाहर गया था। मैं दिव्या –दिव्या आवाज देने लगा पर मुझे कोई नही दिखाई दिया। फिर आगे के एक कमरे में जो मैंने देखा उसे देखकर मुझे चककर आ गया।
एक कमरे में दिव्या पूरी तरह नंगी लेती हुई थी और किसी लड़के का लौड़ा जल्दी जल्दी चूस रही थी। मैं वहीं पर छिप गया और मैंने सारी चुदाई अपनी आखों से देखी। उस जवान लड़के से दीपक की बहन दिव्या को दोनों छेदों में २ घंटे तक चोदा और जब जाने लगा तो उसने ५०० रूपए निकालकर दिव्या को दे दिए और उसके गाल पर किस करके चला गया। अब मैं जान गया था की दिव्या एक नम्बर की अल्टर और चुदक्कड़ लड़की थी। वो एक लौड़े पर टिकने वाली लड़की नही थी। उसे नये नये रोज लंड खाना पसंद था। और वो जवान लड़कों से चुदवाकर पैसे भी कमा लेती थी। इसलिए दिव्या शरीफ लड़की तो बिलकुल नही थी। अगले दिन जब मैं दीपक से मिलने गया तो दिव्या मुझसे मीठी मीठी बात करने लगी।
“श्यामू !! तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। पर तुम तो मेरी तरफ देखते भी नही!!” दिव्या कहने लगी। मैंने सोचा की मैं झूठ मुठ इससे प्यार का नाटक कर लेता हूँ और जब रोज नये नये मर्द इस मादरचोद अल्टर की बुर चोद लेते है तो मैं ही क्यूँ पीछे रहूँ। इस रंडी की बुर मुझे भी कसके चोद लेना चाहिए। इसलिए दोस्तों धीरे धीरे मैं दिव्या से झूठ मूठ प्यार का नाटक करने लगा।
“दिव्या मैं भी तुम्हारे बारे में अक्सर ही सोचता रहता हूँ। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो!!” मैंने कहा और धीरे धीरे दिव्या को लाइन मारने लगा। कुछ दिनों में वो मुझसे पट गयी। मैं उसे फिल्म दिखाने भी ले गया। वहां पर मैंने अपने दोस्त दीपक की बहन को ओठो पर किस किया। एक दिन मैंने उसे अपने घर डिनर पर बुलाया और खाने खाने के बाद मैं दिव्या को अपने कमरे में ले आया। हम दोनों रोमाटिक हो गये थे। आज मुझे इस अल्टर लड़की की बुर चोदनी थी। हम दोनों खड़े होकर ही किस करने लगे।
“चलो कपड़े उतार दो और बिस्तर में आ जाओ!!” मैंने दीपक की बहन दिव्या से कहा तो वो छिनाल नखड़ा चोदने लगी।
“नही श्यामू!! एक लड़की को शादी से पहले किसी लड़के से नही चुदवाना चाहिए। ये नियम के खिलाफ है। पहले हम दोनों शादी कर लेंगे फिर सेक्स करेंगे” दिव्या बोली। उसकी बात सुनते ही मेरी झाट सुलग गयी। उसकी सच्चाई तो मैं जानता था की वो कितनी बड़ी अल्टर और चुदक्कड़ लड़की है। पर दिव्या नही जानती थी की उसकी सच्चाई मैं जानता हूँ। दोस्तों अगर मैं उससे कह देता की उसके बारे में मैं सब जानता हूँ तो वो कभी मुझे चूत नही देती। इसलिए मैं अनजान ही बना रहा।
“दिव्या मेरी जान!! लाओ मैं तुम्हारी मांग भर लो और तुम्हारे गले में मंगलसूत्र बाँध दूँ!!” मैंने कहा और अलमारी से मैं एक सिंदूर की डिब्बी निकाली और दिव्या के बाल में सिंदूर लगा दिया। मैंने एक सस्ता मंगल सूत्र ले रखा था। मैंने उसे दिव्या के गले में बाँध लिया और एक मोमबत्ती जलाकर मैंने उसके ७ चक्कर लगा लिए। अब हमारी शादी हो गयी थी। मेरे इस काम पर दिव्या बहुत इमोशनल और भाव विभोर हो गयी थी। मुझे उसकी बुर चोदने के लिए ये सब नाटक करना पड़ा।
“ओह्हह्हह श्यामू यू आर सच ए डार्लिंग!!” दिव्या हसंकर बोली और उसने मुझे गले लगा लिया। अब वो मुझ पर पूरा विश्वास करने लगी थी।
“आओ दिव्या आज हम दोनों अपनी पहली सुहागरात मनाते है और अपने रिश्ते को आज पक्का कर देते है!!” मैंने कहा। फिर दिव्या मुझे मना नही कर सकी। क्यूंकि शादी तो हम दोनों की हो ही गयी थी। इसलिए मजबूरन उसे मेरा साथ निभाना पड़ा। वो सोच रही थी की मैं उसके प्यार में पूरी तरह से पागल हो गया हूँ। फिर दिव्या ने अपनी और टॉप निकाल दिया और मेरे पास आकर बिस्तर में लेट गयी। हम दोनों किस करने लगे और मैंने उसे बाहों में भर लिया। वो मेरे उपर लेट गयी थी। फिर हम दोनों लब से लब जोडकर किस करने लगे। सच में मेरे दोस्त दीपक की बहन बहुत खूबसूरत लड़की थी। बस वो जो अल्टर और चुदक्कड टाइप की थी वही काम गडबड था। मैंने उसे पकड़ लिया और सीने से लगा लिया। हम दोनों एक दूसरे के होठ पी रहे थे और अपनी जीभ एक दूसरे के मुंह में डाल रहे थे।
एक दूसरे की जीभ हम चूस रहे थे। कुछ ही देर में हम दोनों गर्म हो गये। मैंने दिव्या को पलट दिया। अब वो नीचे आ गयी और मैं उसके उपर आ गया। फिर मैंने ही उसकी ब्रा खोल दी। उसके मम्मे बहुत खूबसूरत थे। मेरे दोस्त दीपक की चुदासी बहन थी तो बहुत खूबसूरत माल। उसका फिगर ४० ३६ ३४ था और वो बहुत ही सेक्सी और हॉट माल लग रही थी। मैंने अपने हाथ दिव्या के गोल गोल सफ़ेद मखमली मम्मो पर रख दिए। और तेज तेज दबाने लगा। भाई आइटम तो वो सॉलिड थी। जिन जिन लड़कों से उसे चोदा और बजाया होगा मजा तो उन्हें बहुत आया होगा। आज मैं भी दिव्या की चूत में लंड देकर चोदने वाला था। जैसे ही मैं उसके मस्त मक्खन जैसे मम्मे अपने हाथ से दबाने लगा दिव्या “……हाईईईईई…. उउउहह…. आआअहह” करने लगी। मुझे मौज आ गयी। मैं और तेज तेज उसके दूध दबाने लगा। इतने मस्त टमाटर मैंने आजतक नही देखे थे। इतने मस्त आम मैंने आजतक नही देखे थे। फिर मैं दीपक की आवारा अल्टर चुदक्कड़ बहन के उपर लेट गया और उसके मम्मो को मुंह में लेकर पीने लगा। दोस्तों मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने आजतक कई लड़कियों को चोदा था पर दिव्या के दूध तो बहुत ही मुलायम और खूबसूरत थे। मैं कस कसके उसके आमो को चूस रहा था। भाई वाह आज तो मेरी लोटरी लग गयी थी। दिव्या भले ही आवारा चुदक्कड़ माल थी पर उसका फिगर बहुत कमाल का था।
शायद तभी सारे लड़के उसके पीछे मरते थे और उसकी चूत बजा बजाकर फाड़ देते थे। और उसे चोद चोदकर उसे खूब पैसे देते थे। पर मैं तो इस रंडी की चूत फ्री में चोदने जा रहा था। मैं जोर जोर से उसकी मस्त मस्त गोल मटोल चूचियों को हाथ से दबा रहा था और पी रहा था। दोस्तों बहुत मजा मिल रहा था। दिव्या बड़ी लड़कों से चुदवा चुकी थी इसलिए उसका फिगर बहुत ही मस्त और छरहरा हो गया था। मैंने तो उसकी नर्म नर्म चुचियों को मजे से चूस रहा था। दिव्या बार बार मचल रही थी और कुलांचे भर रही थी। मैं उसकी चूचियों को हाथ से कसके दबा देता था। वो “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…आह आह उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” करके चिल्ला रही थी। दोस्तों उसकी निपल्स तो बहुत ही सुंदर थी। उसकी काली काली निपल्स को जब मैंने अपने हाथों में ले लिया तो उसकी चूचियां और भी जादा कड़ी हो गयी और टनटना गयी। दिव्या की निपल्स मेरे हाथ से स्पर्श से खड़ी हो गयी थी। उसकी चूचियां के चारो पर बड़े बड़े काले घेरे थे जो बहुत ही सेक्सी लग रहे थे। मैंने आधे घंटे तक दीपक की आवारा चुदक्कड बहन के दूध मनभर कर पिए। बिना कपड़ों में वो बहुत सुंदर और गजब की सामान लग रही थी।
उसके बाद मैंने दिव्या को पेट के बल लिटा दिया और उसकी पेंटी भी निकाल दी। दोस्तों अब वो मेरे सामने पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। मैंने उसकी चिकनी नंगी और सेक्सी पीठ को चूम रहा था। पीछे से भी दिव्या बड़ी गजब की माल लग रही थी। मैं उसकी नंगी पीठ पर अपनी जीभ घुमा रहा था और उसे चूम रहा था। मैं अपने दांत सेक्सी अंदाज में दिव्या की नंगी पीठ पर गड़ा देता था। वो “आआआअह्हह्हह……ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” कहने लग जाती थी। अब मैं उसकी नंगी कमर को अपने हाथो से छू और सहला रहा था। फिर मैंने जोर से उसके गोल मटोल ३६” के पुट्ठों पर अपना हाथ चट से मारा दिया। मुझे बहुत मजा मिला। फिर मैंने कई बार उसके लपर लपर करते पुट्ठों पर अपने हाथ से कई चांटे मार दिए। दिव्या के पुट्ठे बहुत ही गोरे और गुलाबी थे। जहाँ पर मैं चांटे मारता था मेरी उँगलियों के निशाँन पड़ जाते थे।
फिर मैंने दिव्या को पलट दिया और सीधा पीठ के बल लिटा दिया। उसकी चूत मेरे सामने थी। दोस्तों दिव्या का भोसडा बहुत ही खूबसूरत था। मैं मुंह लगाकर उसका गदराया हुआ भोसड़ा पीने लगा। दिव्या मेरे बालों को नोचने लगी क्यूंकि उसे बहुत सेक्स उत्ज्जेना हो रही थी। मैं जल्दी जल्दी किसी कुत्ते की तरह दीपक की चुदक्कड़ बहन की चूत को पी रहा था। मेरी जीभ उसकी चूत को चाट रही थी। धीरे धीरे दिव्या कुलांचे भरने लगी और “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाजे निकालने लगी। मैं और जोश में आ गया और जल्दी जल्दी दिव्या की चूत को चाटने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना मोटा अंगूठा ही उसकी चूत में डाल दिया और जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगी। दिव्या बार बार अपना मुंह खोल रही थी जैसे उसे साँस ही नही आ रही हो। मैं जल्दी जल्दी उसकी रसीली चूत को अपने मोटे अंगूठे से चोद रहा था।
वो पागल हो रही थी और अपनी गांड उठा रही थी। दिव्या “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” चिल्ला रही थी। मैं जोश में आ गया और बिजली की रफतार से उसकी चूत को अपने अंगूठे से चोदने लगा। दिव्या तरह तरह की आवाजे निकालने लगी। फिर मैंने उसकी दोनों टांगो को खोल दिया और अपना ८” का मोटा लौड़ा उस रंडी की चूत में डाल दिया और मजे लेकर चोदने लगा। दिव्या कुवारी नही थी। उसकी सील टूटी हुई थी। मेरा ८” का लंड जल्दी जल्दी उसकी चूत में गच गच्च अंदर घुस जाता था। मैं जन्नत के मजे लेने लगा और दीपक की चुदक्कड बहन को चोदने लगा और उसका भोसडा फाड़ने लगा। दिव्या चुद रही थी और “उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की आवाज निकाल रही थी। आज मैं एक रंडी की बजा रहा था। आज मैं इस बहती गंगा में हाथ धो रहा था।
मैं दिव्या की कमर को दोनों हाथो से पकड़ लिया था और सट सट करके उसे चोद रहा था। मेरा ८” का लौड़ा बिना किसी दिक्कत के दिव्या के चिकने भोसड़े में फिसल रहा था। कुछ देर में तो हम दोनों को चुदाई का नशा सा चढ़ गया था। हम दोनों जल्दी जल्दी चुदाई करने लगे। दिव्या मेरा साथ निभा रही थी। “ओह्ह गॉड!… ओह्ह गॉड!….फक मी हार्डर!….कमाँन फक मी हार्डर!…फक माई पुसी!!” दिव्या इस तरह से चिल्ला रही थी। मैं चुदास में २ ४ चांटे कसके उसके गाल पर जड़ दिये। उसका मुंह लाल हो गया। मैं जल्दी जल्दी दिव्या की चूत का केक काट रहा था। मुझे स्वर्ग जैसा मजा मिल रहा था। फिर मैं उसे चोदते चोदते ही उसकी चूत के दाने को अपने हाथ से जल्दी जल्दी घिसने लगा। इससे दिव्या को बहुत उतेज्जना मिलने लगी। मैं और जोर जोर से गपाक गपाक उसकी रसीली चूत बजाने लगा और ४५ मिनट बाद मैंने अपना माल उसकी चूत में ही गिरा दिया।
मेरा दिव्या की गांड मारने का बहुत मन था। उसके बाद मैंने दिव्या की टांगे खोल दी और उसकी गांड के नीचे २ मोटी तकिया लगा दी। अब उसकी गांड का छेद अब उपर आ गया था। मैं झुककर उसकी गांड में थूक दिया और झुककर अपनी जीभ से उसकी कसी कसी गांड पीने लगा। दोस्तों दिव्या बहुत गोरी थी इसलिए उसकी गांड भी बहुत खूबसूरत और सफ़ेद सुंदर थी। मैं बड़ी देर तक दिव्या की गांड को जीभ लगाकर चाटा और मजा लिया। फिर मैंने अपना ८” का मोटा लंड उसकी गांड पर रख दिया और जोर का धक्का मारा। दिव्या “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” बोलकर चिल्लाने लगी।
मेरे मजबूर और ताकतवर लौड़े से दिव्या की कसी गांड की सील तोड़ दी थी। उसमे से खून निकल रहा था। वो चीख रही थी। मैं धीरे धीरे उसकी कुवारी गांड को चोदने लगा। उसकी गांड बहुत कसी थी। मैं धीरे धीरे अपने लौड़े को अंदर बाहर करने लगा। आधे घंटे बाद दिव्या की गांड का दर्द खत्म हो गया और मैंने १ घंटे उसकी गांड चोदी और माल भी उसे में गिरा दिया। फिर दोस्तों मैंने ६ महीने तक अपने दोस्त दीपक की आवारा बहन की चूत चोदी। एक दिन दिव्या मुझसे बहुत नाराज हो गयी।
“श्यामू!! सच सच बताओ की तुम कब मुझसे शादी करोगे????” दिव्या ने चिल्लाकर पूछा
“जान….सच्चाई तो ये है की मैं तुमसे शादी कभी नही करूँगा। तुम्हारे जैसी अल्टर चुदक्कड लड़की को कौन अपनी बीबी बनाएगा। जान वो झूठ मुठ का प्यार का नाटक तो मैंने तुम्हारी जवानी को भोगने के लिए किया था। मैं बस तुमको चोदना चाहता था” मैंने कहा। उसके बाद दिव्या ने मुझसे बोलचाल बंद कर दी थी। क्यूंकि उसकी सच्चाई मैं जान चुका था। वो पैसो के लिए किसी से भी चुदवा लेती थी। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स जरुर दे।
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