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वर्जिन कामवाली की चूत का खून निकाला vergin kamwali ki chut ka khun nikala
वर्जिन कामवाली की चूत का खून निकाला vergin kamwali ki chut ka khun nikala, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.
दोस्तों मेरा नाम अग्निश हे और मैं पटियाला का हूँ. और ये बात आज से बहुत समय पहले की हे. जब मैं 12वी में था तब की ये बात हे. हमारे घर में एक कामवाली थी उसकी दो बेटियाँ थी. और दोनों में जो छोटी थी, रोहिणी, उसका फिगर एकदम ही सेक्सी था. उसको देख के किसी के मुहं में भी पानी आ जाए. मैं उसे काफी दिनों से लाइन मार रहा था.
एक बार ये जवान कामवाली झाड़ू लगा रही थी और मैं उसके पीछे से निकला. मैंने धीरे से उसकी गांड के ऊपर हाथ रख दिया. वो थोड़ी चौंकी लेकिन कुछ बोली नहीं. मैं ऐसे अब बार बार करने लगा था. वो कुछ नहीं कहती थी इसलिए मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी. लेकिन मुझे डर सा था की कही वो मेरी मम्मी को ना बोल दे इसलिए मैं आगे नहीं बढ़ रहा था.
लेकिन एक दिन मैंने सही हिम्मत दिखा ही दी. घर के बाकी के लोग बहार हाल में थे और वो मेरे कमरे में झाड़ू लगाने के लिए गई. मैं उसके पीछे गया. वो आगे की और झुक के झाड़ू लगा रही थी. मैं उसके पीछे दबे पाँव गया. और मैंने उसे ले दबोचा. वो घबरा गई लेकिन कुछ नहीं बोली. वो बोलती भी कैसे मैंने सीधे ही उसके होंठो को अपने होंठो से लगा के थूंक की लेनदेन चालु भी कर दी थी. और फिर मैंने अपने एक हाथ से उसके बूब्स के लड्डू दबाये. तभी मुझे किसी के कदमो की आवाज आती लगी तो मैंने उसे छोड़ दिया.
वो उसकी माँ थी जो कहने के लिए आई थी की बहार का झाड़ू पहले लगा दो मुझे पोछा करना हे. मैंने मन ही मन कहा तेरी माँ की चूत मारू साली कुछ देर लेट आती तो तेरी माँ चुदती थी.
वो मेरे तरफ देख के चली गई. लेकिन एक बात थी की उसके चहरे के ऊपर स्माइल थी. और मुझे लगा की अब तो इसको चोदना ही हे कुछ भी कर के.
शाम को मुझे फिर से मौका मिल गया रोहिणी के साथ में. शाम को वो कमरे में आई तो मैंने उसे वापस पकड़ लिया. और कपड़ो के साथ ही उसके साथ सेक्स करने लगा. वो पोछा करने के लिए निचे बैठी थी तो मैंने उसके बालों को पकड के उसके चहरे पर पेंट के साथ ही लंड को घिसा. वो मुझे छोड़ने के लिए कह रही थी पर मैं तो चोदने के मुड में था. मैने अपने एक हाथ को उसके ढीले कुरते में डाला और उसके लड्डू मसलने लगा. मैंने उसकी एक चुन्ची को बहार निकाल के अपने होंठो से चाट ली. साला फिर से कोई आ गया और मेरा काम बिगड़ गया.
फिर तो मैं जब भी मौका मिलता था उसे पकड़ के किस कर लेता था. और उसके हाथ से अपने लंड को पकड़ा देता था. उसके बूब्स मसलता था और वो निचे झुके तो उसकी गांड पर अपना लंड टच करता था. पर चोदने के लिए सही मौका मुझे नहीं मिल रहा था.
मैं वर्जिन लड़कियों की चुदाई की कहानियाँ पढने लगा था. और एक दिन मैंने उसे पूछा की झांट साफ़ करती हो क्या तुम?
रोहिणी एकदम से शर्मा के अन्दर के रूम में भाग खड़ी हुई. मैं उसके पीछे गया और उसके हातथ को पकड़ के अपने लंड पर रख दिया. आज मौका था कुछ टाइम के लिए. मम्मी छत पर कपडे लेने गई थी अपने.
मैंने फिर से पूछा, रोहिणी झांट साफ़ करती हो क्या तूम?
वो बोली, वो क्या होता हे?
मैंने कहा, जो चूत के ऊपर बाल उगे होते हे उसे झांट कहते हे. निकाले हे कभी?
वो हंस के बोली, नहीं!
मैंने कहा एक बार दिखाओ ना अपनी चूत.
वो बोली, मेडम आ जायेंगी.
मैंने कहा., मेडम के आने से पहले तू बंद कर लेना चूत को.
वो डर सी रही थी. मैं उसे ले के दरवाजे के पीछे आ गया. उसने अपना नाडा खोला और अपनी घाघरी को निचे किया. उसने सच कहा था उसकी चूत झांटदार थी और एकदम कडक और कसी हुई देसी वर्जिन चूत थी वो. उसे देख के ही मेरे मुहं में पानी आ गया. मैंने अपने हाथ से उसे सहलाया तो रोहिणी के मुहं से सिसकी निकल गई. तभी सीड़ियों की तरफ से मम्मी की चप्पल की आवाज आई. मैंने दरवाजा खोला और वो भाग गई.
अब मैंने इस नादान कामवाली की बेटी को चोदने के लिए एक प्लान बनाया. मेरे एक दोस्त के पास ब्ल्यू गंदे फोटोस की एक मेग्जिन थी. उसे मेग्जिन के अन्दर बड़े लंड से बुर चुदाई के पिक्स थे. मैंने दोस्त से कहा की मुझे एक हफ्ते के लिए दे दे. वो बोला, साले एक हफ्ते तक मुठ मारेगा क्या!
मैंने कहा, अरे वो बाद में बताऊंगा.
दोस्त की मैगज़ीन मैंने अपने कमरे में तकिये के निचे रख दी. दुसरे दिन रोहिणी जब कमरे की सफाई कर रही थी तो मैं छिप गया. उसने तकिये को उठा के बिस्तर साफ़ करने का अपना रोज का काम चालू किया. मैंने मैगज़ीन ऐसे रखा था की तकिया उठाते हुए बुर के अन्दर घुसा हुआ लंड दिखे. रोहिणी वो देख के एकदम से खड़ी हो गई. उसने मैगज़ीन को उठा ली और एक एक कर के सब फोटो देखने लगी. वो एकदम हार्डकोर पिक्स थे जिसमे बड़े 9-10 इंच के लंड से भी चुदाई होती दिखाई गई थी. रोहिणी ने पन्ने पलटे और मैंने पीछे से उसके पास आ गया. मैंने उसे पकड लिया.
वो बोली, साहब मेडम हे घर पर.
मैंने कहा वो अपने कमरे में हे मैं देख के आया हूँ.
फिर मैं उसे अलग अलग फोटो दिखाने लगा. एक फोटो में एक लड़की को लंड चूसते दिखाया गया था. मैंने कहा, ऐसे करो ना!
वो बोली, नहीं नहीं साहब कोई आ जाएगा!
साला फिर से वो भाग गई!
मैं दुखी हो रहा था और रोज उसके नाम की मुठ मारने लगा था. फिर एक दिन आशा का किरन निकला. मम्मी ने एक दिन कहा की मैं कल नाना जी के वहां जा रही हूँ तू आएगा?
मैंने कहा नहीं मम्मी मेरी क्रिकेट की मेच हे कल.
दुसरे दिन मम्मी सुबह में ही निकल गई. उसने जाते हुए कहा रोहिणी आये तो उन्हें कहना की आज काम नहीं हे.
मैंने कहा ठीक हे.
माँ के जाने के कुछ देर में पापा भी ऑफिस चले गए. मैंने कहा आज तो रोहिणी का बुर पेलूँगा ही. मैंने रोहिणी के आते ही उसे अपने कमरे में ले जा के बहुत किस दिए. वो बोली, साहब मेडम देख लेंगी.
मैंने कहा आज घर में सिर्फ हम दोनों ही हे!
ये सुनते ही उसके अन्दर भी अजीब सी हिम्मत आ गई. मैंने उसके कपडे फटाक से खोल के उसके बाल वाले बुर को देखा. मैंने फिर अपनी पेंट को खोली, मेरे लंड को वो एकदम अजीब नजरों से देख थी. मैं फिर समझा. मैंने कहा, अरे वो फोटो में जो होते हे वो तो बहुत बड़े होते हे ऐसे असली में बहुत कम होते हे.
वो हंस पड़ी. मैंने उसकी बुर को खोल के देखा. वो ऊपर से काली और अन्दर से डार्क लाल थी. मैंने एक ऊँगली अन्दर की तो वो हिल उठी. मैंने फिर अपने लंड को उसके मुहं के पास रख के कहा, फोटो के जैसे इसे चुसो. रोहिणी ने फट से लंड को मुहं में ले लिया और चूसने लगी. रोहिणी सिर्फ सुपाडे को और निचे के एक इंच जितने लंड को चूस रही थी. लेकिन मेरे लिए उतना भी काफी था. साला बहुत दिनों से हाथ से काम चलाना पड रहा था.
फिर मैंने रोहिणी को कहा चलो अब मैं बुर चाटूं. वो पलंग के ऊपर लेट गई. मैंने उसकी टांग को पूरा खोला और अपने हाथ से उसकी मुनिया सहलाने लगा. वो सेक्स के नशे में चढ़ सी गई थी. मैंने अपनी ऊँगली से उसकी बुर हिलाई और फिर अपनी जबान से उसके दाने वाले हिस्से को चाटने लगा. रोहिणी की बुर से एकदम गन्दी मूत यानी की पेशाब की जैसी स्मेल आ रही थी पर चाटने में तो मजा आ ही रहा था मुझे. मैंने कुछ देर उसकी चूत चाटी.
मैंने फिर से अपने लंड को उसके मुहं में दिया और कहा अब थोडा अंदर तक ले लो इसे और चुसो.
वो समझ गई की मैं क्या कहना चाहता था. उसने लंड तिन इंच जितना अन्दर ले के चूसा. मैंने उसके माथे को पकड़ के अपनी तरफ दबाया और आधा इंच जितना और अन्दर किया लंड. वो मजे से लंड को चुस्से लगा रही थी.
मैंने कुछ देर लंड चूसा के उसकी टाँगे खोली. वो बोली, दर्द तो नहीं होगा ना?
मैंने कहा तुझे किसने बताया की दर्द होता हे.
वो बोली, बाबा जब माँ की टाँगे खोल के ये सब करते हे तो माँ रोने लगती हे.
मैंने कहा, फिर कुछ देर बाद माँ हंसती भी होगी ना?
वो बोली, हां.
मैंने कहा तेरे साथ भी ऐसे ही होगा.
मैंने अपने लंड के ऊपर एक कंडोम चढ़ाई. मैंने सब इंतजाम कर के ही रखा था. फिर धीरे से अपने लंड को उसकी बुर पर लगाया. ग्लिसरीन की बोतल से थोडा निकाल के लंड के ऊपर लगाया और उसकी चूत पर भी. फिर एक हौले से झटका दिया. सुपाड़ा ही अन्दर घुसा था पर वो ऐसे चिल्लाई की जाने क्या हो गया हो उसके साथ में.
मैंने उसके कंधे पकड के एक कस के धक्का लगाया. आधा लंड अन्दर गया और उसकी बुर से खून निकल गया. उसकी सिल टूट चुकी थी. और वो एकदम रोने लगी थी और कह रही थी, अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह निकाल लो बाबु जी बड़ा दर्द हो रहा हे.
,मैंने कहा अभी मजा आएगा जानेमन.
और ये कह के मैं उसके छोटे छोटे बूब्स को चूसने लगा. वो कुछ देर तक गिडगिडाती रही और मैं हौले हौले से आधे लंड से उसे चोदता रहा. कुछ देर के बाद उसे भी सेक्स के अन्दर मजा आने लगा था. मैंने उसके होंठो को अपने होंठो से जकड़ के फिर ऐसा झटका लगाया की पूरा 6 इंच का लंड उसकी देसी बुर के आरपार निकल गया. वो छटपटा उठी लेकिन मैंने उसे हिलने नहीं दिया. ;लंड को कुछ देर ऐसे ही रोहिणी के बुर में रहने दिया मैंने. जब उसे थोड़ी शांति हुई तो उसने रोना कम कर दिया. फिर मैंने धीरे धीरे से अपने खून से सने हुए लंड को उसकी चूत में हिलाने लगा. वो मचल उठी थी. अब उसे भी अच्छा लग रहा था लंड लेना.
कुछ देर की मस्त चुदाई के बाद मैंने रोहिणी की दोनों टांगो को अपने हाथ में ले लिया. और उन्हें उठा के अपने कंधे के ऊपर चढ़ा दिया. वो बोली, साहब दर्द चालू हो गया वापस.
मैंने कहा, लंड पूरा जो घुसा तेरे झांटवाले बुर में जानेमन.
वो हसं पड़ी.
मैंने धक्के लगाने चालू कर दिए. वो भी अब अपनी कमर को थोडा ऊपर कर के गांड को हिला रही थी. मेरा लंड उसके सेक्सी बुर को ठोक रहा था. बहुत दिनों के बाद रोहिणी को चोदने का सपना पूरा हो रहा था मेरा इसलिए मैं भी बहुत खुश था.
पांच मिनिट की बेबाक और मस्त चुदाई के बाद मेरे लंड का पानी छुट गया. कंडोम के आगे के हिस्से में चिकना कम निकाल दिया मैंने. फिर धीरे से कंडोम ना फटे ऐसे लंड को आराम से उसकी चूत से निकाल लिया. हमारी चद्दर पूरी लाल हो गई थी. उसकी चूत से खून निकल के वहाँ गिरा था. उसने खून देखा तो बोली, ये कहा से आया?
मैंने कहा, मेरी जान आज मेरे लंड ने तुम्हारी चूत को लड़की से औरत बनाया न उसका ही खून हे.
वो बोली, मेरी माँ ऐसा करती हे उसे तो नहीं आता.
मैंने कहा अब हम करेंगे तो तुझे भी नहीं आएगा.
फिर मैंने उसे कहा जाओ ये चद्दर धो के अपने घर पर चली जाओ आज काम की छुट्टी.
वो बोली, मेरे से भी आज काम नहीं होना हे.
मैंने उसे 200 रूपये दिए और कहा, आगे भी मौका मिला तो मैं ये करूँगा तुम्हारे साथ.
वो बोली, हां बाबु जी मुझे भी मजा आ गया.
दोस्तों मेरा नाम अग्निश हे और मैं पटियाला का हूँ. और ये बात आज से बहुत समय पहले की हे. जब मैं 12वी में था तब की ये बात हे. हमारे घर में एक कामवाली थी उसकी दो बेटियाँ थी. और दोनों में जो छोटी थी, रोहिणी, उसका फिगर एकदम ही सेक्सी था. उसको देख के किसी के मुहं में भी पानी आ जाए. मैं उसे काफी दिनों से लाइन मार रहा था.
एक बार ये जवान कामवाली झाड़ू लगा रही थी और मैं उसके पीछे से निकला. मैंने धीरे से उसकी गांड के ऊपर हाथ रख दिया. वो थोड़ी चौंकी लेकिन कुछ बोली नहीं. मैं ऐसे अब बार बार करने लगा था. वो कुछ नहीं कहती थी इसलिए मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी. लेकिन मुझे डर सा था की कही वो मेरी मम्मी को ना बोल दे इसलिए मैं आगे नहीं बढ़ रहा था.
लेकिन एक दिन मैंने सही हिम्मत दिखा ही दी. घर के बाकी के लोग बहार हाल में थे और वो मेरे कमरे में झाड़ू लगाने के लिए गई. मैं उसके पीछे गया. वो आगे की और झुक के झाड़ू लगा रही थी. मैं उसके पीछे दबे पाँव गया. और मैंने उसे ले दबोचा. वो घबरा गई लेकिन कुछ नहीं बोली. वो बोलती भी कैसे मैंने सीधे ही उसके होंठो को अपने होंठो से लगा के थूंक की लेनदेन चालु भी कर दी थी. और फिर मैंने अपने एक हाथ से उसके बूब्स के लड्डू दबाये. तभी मुझे किसी के कदमो की आवाज आती लगी तो मैंने उसे छोड़ दिया.
वो उसकी माँ थी जो कहने के लिए आई थी की बहार का झाड़ू पहले लगा दो मुझे पोछा करना हे. मैंने मन ही मन कहा तेरी माँ की चूत मारू साली कुछ देर लेट आती तो तेरी माँ चुदती थी.
वो मेरे तरफ देख के चली गई. लेकिन एक बात थी की उसके चहरे के ऊपर स्माइल थी. और मुझे लगा की अब तो इसको चोदना ही हे कुछ भी कर के.
शाम को मुझे फिर से मौका मिल गया रोहिणी के साथ में. शाम को वो कमरे में आई तो मैंने उसे वापस पकड़ लिया. और कपड़ो के साथ ही उसके साथ सेक्स करने लगा. वो पोछा करने के लिए निचे बैठी थी तो मैंने उसके बालों को पकड के उसके चहरे पर पेंट के साथ ही लंड को घिसा. वो मुझे छोड़ने के लिए कह रही थी पर मैं तो चोदने के मुड में था. मैने अपने एक हाथ को उसके ढीले कुरते में डाला और उसके लड्डू मसलने लगा. मैंने उसकी एक चुन्ची को बहार निकाल के अपने होंठो से चाट ली. साला फिर से कोई आ गया और मेरा काम बिगड़ गया.
फिर तो मैं जब भी मौका मिलता था उसे पकड़ के किस कर लेता था. और उसके हाथ से अपने लंड को पकड़ा देता था. उसके बूब्स मसलता था और वो निचे झुके तो उसकी गांड पर अपना लंड टच करता था. पर चोदने के लिए सही मौका मुझे नहीं मिल रहा था.
मैं वर्जिन लड़कियों की चुदाई की कहानियाँ पढने लगा था. और एक दिन मैंने उसे पूछा की झांट साफ़ करती हो क्या तुम?
रोहिणी एकदम से शर्मा के अन्दर के रूम में भाग खड़ी हुई. मैं उसके पीछे गया और उसके हातथ को पकड़ के अपने लंड पर रख दिया. आज मौका था कुछ टाइम के लिए. मम्मी छत पर कपडे लेने गई थी अपने.
मैंने फिर से पूछा, रोहिणी झांट साफ़ करती हो क्या तूम?
वो बोली, वो क्या होता हे?
मैंने कहा, जो चूत के ऊपर बाल उगे होते हे उसे झांट कहते हे. निकाले हे कभी?
वो हंस के बोली, नहीं!
मैंने कहा एक बार दिखाओ ना अपनी चूत.
वो बोली, मेडम आ जायेंगी.
मैंने कहा., मेडम के आने से पहले तू बंद कर लेना चूत को.
वो डर सी रही थी. मैं उसे ले के दरवाजे के पीछे आ गया. उसने अपना नाडा खोला और अपनी घाघरी को निचे किया. उसने सच कहा था उसकी चूत झांटदार थी और एकदम कडक और कसी हुई देसी वर्जिन चूत थी वो. उसे देख के ही मेरे मुहं में पानी आ गया. मैंने अपने हाथ से उसे सहलाया तो रोहिणी के मुहं से सिसकी निकल गई. तभी सीड़ियों की तरफ से मम्मी की चप्पल की आवाज आई. मैंने दरवाजा खोला और वो भाग गई.
अब मैंने इस नादान कामवाली की बेटी को चोदने के लिए एक प्लान बनाया. मेरे एक दोस्त के पास ब्ल्यू गंदे फोटोस की एक मेग्जिन थी. उसे मेग्जिन के अन्दर बड़े लंड से बुर चुदाई के पिक्स थे. मैंने दोस्त से कहा की मुझे एक हफ्ते के लिए दे दे. वो बोला, साले एक हफ्ते तक मुठ मारेगा क्या!
मैंने कहा, अरे वो बाद में बताऊंगा.
दोस्त की मैगज़ीन मैंने अपने कमरे में तकिये के निचे रख दी. दुसरे दिन रोहिणी जब कमरे की सफाई कर रही थी तो मैं छिप गया. उसने तकिये को उठा के बिस्तर साफ़ करने का अपना रोज का काम चालू किया. मैंने मैगज़ीन ऐसे रखा था की तकिया उठाते हुए बुर के अन्दर घुसा हुआ लंड दिखे. रोहिणी वो देख के एकदम से खड़ी हो गई. उसने मैगज़ीन को उठा ली और एक एक कर के सब फोटो देखने लगी. वो एकदम हार्डकोर पिक्स थे जिसमे बड़े 9-10 इंच के लंड से भी चुदाई होती दिखाई गई थी. रोहिणी ने पन्ने पलटे और मैंने पीछे से उसके पास आ गया. मैंने उसे पकड लिया.
वो बोली, साहब मेडम हे घर पर.
मैंने कहा वो अपने कमरे में हे मैं देख के आया हूँ.
फिर मैं उसे अलग अलग फोटो दिखाने लगा. एक फोटो में एक लड़की को लंड चूसते दिखाया गया था. मैंने कहा, ऐसे करो ना!
वो बोली, नहीं नहीं साहब कोई आ जाएगा!
साला फिर से वो भाग गई!
मैं दुखी हो रहा था और रोज उसके नाम की मुठ मारने लगा था. फिर एक दिन आशा का किरन निकला. मम्मी ने एक दिन कहा की मैं कल नाना जी के वहां जा रही हूँ तू आएगा?
मैंने कहा नहीं मम्मी मेरी क्रिकेट की मेच हे कल.
दुसरे दिन मम्मी सुबह में ही निकल गई. उसने जाते हुए कहा रोहिणी आये तो उन्हें कहना की आज काम नहीं हे.
मैंने कहा ठीक हे.
माँ के जाने के कुछ देर में पापा भी ऑफिस चले गए. मैंने कहा आज तो रोहिणी का बुर पेलूँगा ही. मैंने रोहिणी के आते ही उसे अपने कमरे में ले जा के बहुत किस दिए. वो बोली, साहब मेडम देख लेंगी.
मैंने कहा आज घर में सिर्फ हम दोनों ही हे!
ये सुनते ही उसके अन्दर भी अजीब सी हिम्मत आ गई. मैंने उसके कपडे फटाक से खोल के उसके बाल वाले बुर को देखा. मैंने फिर अपनी पेंट को खोली, मेरे लंड को वो एकदम अजीब नजरों से देख थी. मैं फिर समझा. मैंने कहा, अरे वो फोटो में जो होते हे वो तो बहुत बड़े होते हे ऐसे असली में बहुत कम होते हे.
वो हंस पड़ी. मैंने उसकी बुर को खोल के देखा. वो ऊपर से काली और अन्दर से डार्क लाल थी. मैंने एक ऊँगली अन्दर की तो वो हिल उठी. मैंने फिर अपने लंड को उसके मुहं के पास रख के कहा, फोटो के जैसे इसे चुसो. रोहिणी ने फट से लंड को मुहं में ले लिया और चूसने लगी. रोहिणी सिर्फ सुपाडे को और निचे के एक इंच जितने लंड को चूस रही थी. लेकिन मेरे लिए उतना भी काफी था. साला बहुत दिनों से हाथ से काम चलाना पड रहा था.
फिर मैंने रोहिणी को कहा चलो अब मैं बुर चाटूं. वो पलंग के ऊपर लेट गई. मैंने उसकी टांग को पूरा खोला और अपने हाथ से उसकी मुनिया सहलाने लगा. वो सेक्स के नशे में चढ़ सी गई थी. मैंने अपनी ऊँगली से उसकी बुर हिलाई और फिर अपनी जबान से उसके दाने वाले हिस्से को चाटने लगा. रोहिणी की बुर से एकदम गन्दी मूत यानी की पेशाब की जैसी स्मेल आ रही थी पर चाटने में तो मजा आ ही रहा था मुझे. मैंने कुछ देर उसकी चूत चाटी.
मैंने फिर से अपने लंड को उसके मुहं में दिया और कहा अब थोडा अंदर तक ले लो इसे और चुसो.
वो समझ गई की मैं क्या कहना चाहता था. उसने लंड तिन इंच जितना अन्दर ले के चूसा. मैंने उसके माथे को पकड़ के अपनी तरफ दबाया और आधा इंच जितना और अन्दर किया लंड. वो मजे से लंड को चुस्से लगा रही थी.
मैंने कुछ देर लंड चूसा के उसकी टाँगे खोली. वो बोली, दर्द तो नहीं होगा ना?
मैंने कहा तुझे किसने बताया की दर्द होता हे.
वो बोली, बाबा जब माँ की टाँगे खोल के ये सब करते हे तो माँ रोने लगती हे.
मैंने कहा, फिर कुछ देर बाद माँ हंसती भी होगी ना?
वो बोली, हां.
मैंने कहा तेरे साथ भी ऐसे ही होगा.
मैंने अपने लंड के ऊपर एक कंडोम चढ़ाई. मैंने सब इंतजाम कर के ही रखा था. फिर धीरे से अपने लंड को उसकी बुर पर लगाया. ग्लिसरीन की बोतल से थोडा निकाल के लंड के ऊपर लगाया और उसकी चूत पर भी. फिर एक हौले से झटका दिया. सुपाड़ा ही अन्दर घुसा था पर वो ऐसे चिल्लाई की जाने क्या हो गया हो उसके साथ में.
मैंने उसके कंधे पकड के एक कस के धक्का लगाया. आधा लंड अन्दर गया और उसकी बुर से खून निकल गया. उसकी सिल टूट चुकी थी. और वो एकदम रोने लगी थी और कह रही थी, अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह निकाल लो बाबु जी बड़ा दर्द हो रहा हे.
,मैंने कहा अभी मजा आएगा जानेमन.
और ये कह के मैं उसके छोटे छोटे बूब्स को चूसने लगा. वो कुछ देर तक गिडगिडाती रही और मैं हौले हौले से आधे लंड से उसे चोदता रहा. कुछ देर के बाद उसे भी सेक्स के अन्दर मजा आने लगा था. मैंने उसके होंठो को अपने होंठो से जकड़ के फिर ऐसा झटका लगाया की पूरा 6 इंच का लंड उसकी देसी बुर के आरपार निकल गया. वो छटपटा उठी लेकिन मैंने उसे हिलने नहीं दिया. ;लंड को कुछ देर ऐसे ही रोहिणी के बुर में रहने दिया मैंने. जब उसे थोड़ी शांति हुई तो उसने रोना कम कर दिया. फिर मैंने धीरे धीरे से अपने खून से सने हुए लंड को उसकी चूत में हिलाने लगा. वो मचल उठी थी. अब उसे भी अच्छा लग रहा था लंड लेना.
कुछ देर की मस्त चुदाई के बाद मैंने रोहिणी की दोनों टांगो को अपने हाथ में ले लिया. और उन्हें उठा के अपने कंधे के ऊपर चढ़ा दिया. वो बोली, साहब दर्द चालू हो गया वापस.
मैंने कहा, लंड पूरा जो घुसा तेरे झांटवाले बुर में जानेमन.
वो हसं पड़ी.
मैंने धक्के लगाने चालू कर दिए. वो भी अब अपनी कमर को थोडा ऊपर कर के गांड को हिला रही थी. मेरा लंड उसके सेक्सी बुर को ठोक रहा था. बहुत दिनों के बाद रोहिणी को चोदने का सपना पूरा हो रहा था मेरा इसलिए मैं भी बहुत खुश था.
पांच मिनिट की बेबाक और मस्त चुदाई के बाद मेरे लंड का पानी छुट गया. कंडोम के आगे के हिस्से में चिकना कम निकाल दिया मैंने. फिर धीरे से कंडोम ना फटे ऐसे लंड को आराम से उसकी चूत से निकाल लिया. हमारी चद्दर पूरी लाल हो गई थी. उसकी चूत से खून निकल के वहाँ गिरा था. उसने खून देखा तो बोली, ये कहा से आया?
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वो बोली, मेरी माँ ऐसा करती हे उसे तो नहीं आता.
मैंने कहा अब हम करेंगे तो तुझे भी नहीं आएगा.
फिर मैंने उसे कहा जाओ ये चद्दर धो के अपने घर पर चली जाओ आज काम की छुट्टी.
वो बोली, मेरे से भी आज काम नहीं होना हे.
मैंने उसे 200 रूपये दिए और कहा, आगे भी मौका मिला तो मैं ये करूँगा तुम्हारे साथ.
वो बोली, हां बाबु जी मुझे भी मजा आ गया.
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