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मकान मालकिन और उसकी बेटी की एकसाथ चुदाई Makan malkin aur uski beti ki eksath chudai
मकान मालकिन और उसकी बेटी की एकसाथ चुदाई Makan malkin aur uski beti ki eksath chudai, मकान मालकिन की बेटी संग मज़े किए, मकान मालकिन की बेटी की चुदाई, मकान मालकिन की बेटी को चोदा, मकान मालकिन की बेटी को चोद दिया, मकान मालकिन की बेटी को बेटे का तोहफा दिया, मेरी मकान मालकिन की बेटी की कामुकता, मजे ले-ले कर चोदा. मकान मालिक की चुद्क्कड़ बेटी को चाहिए बड़े लंड.
मेरे घर मे मम्मी पापा और मैं हूँ, हम किराए के मकान में रहते है, मकान मलिक की मृत्यु हो गई थी, और घर मे बस आंटी और उनकी लड़की जिन्हे मैं दीदी कहता था रहते थे, ह्म दोनो की फॅमिली मे अच्छी बनने लगी. पर मैं बहुत शर्माता था इसलिए उन लोगो से बात नहीं करता था. एक बार की बात है दीदी कही शादी मे गई थी जो सुबह आने वाली थी, तो आंटी ने कहा की मैं उनके यहा सोने आ जाऊं क्यों की आंटी को डर लगता था अकेले सोने में, मम्मी ने मुझे भेज दिया.आंटी की उम्र 50 साल थी, और चुचे बड़े थे पर उतने टाइट नहीं थे, पर मुझे फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि चोदने मे हमेशा ही मूठ मारने से ज़्यादा ही मज़ा आता है. मैं खाना खाने के बाद आंटी के पास सोने के लिए चला गया...
मेरे घर मे मम्मी पापा और मैं हूँ, हम किराए के मकान में रहते है, मकान मलिक की मृत्यु हो गई थी, और घर मे बस आंटी और उनकी लड़की जिन्हे मैं दीदी कहता था रहते थे, ह्म दोनो की फॅमिली मे अच्छी बनने लगी. पर मैं बहुत शर्माता था इसलिए उन लोगो से बात नहीं करता था. एक बार की बात है दीदी कही शादी मे गई थी जो सुबह आने वाली थी, तो आंटी ने कहा की मैं उनके यहा सोने आ जाऊं क्यों की आंटी को डर लगता था अकेले सोने में, मम्मी ने मुझे भेज दिया.आंटी की उम्र 50 साल थी, और चुचे बड़े थे पर उतने टाइट नहीं थे, पर मुझे फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि चोदने मे हमेशा ही मूठ मारने से ज़्यादा ही मज़ा आता है. मैं खाना खाने के बाद आंटी के पास सोने के लिए चला गया...
मैं और आंटी दोनो एक ही बेड पर सो गये. आंटी ने नाईटी पहनी थी, शायद वो शर्मा रही थी, पर डर लग रहा था इसलिए मुझे बुला लिया था. और एकदम किनारे पर सोई थी बेड के, की तभी फिसल के बेड से नीचे गिर गई. मैं तुरंत उनके पास गया और तुरंत उनके कमर मे हाथ डाल के उठाने लगा मैने सोचा इसी बहाने छूने को तो मिलेगा मैने उन्हे बेड पर लेटाया, उनकी गांड मे चोट लगी थी पर मेरे सामने वो सहला नहीं पा रही थी, उन्होने मुझे किचन से पानी लाने को कहा, मैं समझ गया और दरवाजे से देखने लगा मेरे जाते वो गांड को सहलाने लगी, और दर्द से अजीब फेस बना रही थी, मीन्स ज़्यादा चोट लगी थी, मैं पानी ले के आया ,वो फिर नॉर्मल होने की कोसिस करने लगी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैने पूछा आंटी कहा चोट लगी है, कोई क्रीम लगा लो, वो बोली - कहीं नहीं लगी. पर उनके आँखो मे आँशु थे, मुझे दया आई और मैने कहा आंटी डोंट वरी आप लगा लो मैंने एक क्रीम अलमारी से निकाल के दिया और कहा तब तक आप लगा लो मैं छत पर से घूम कर आता हूँ. मैं उन्हे क्रीम देकर चला गया. जब कुछ देर बाद आया तब आंटी रो रही थी, मैने पूछा क्या हुआ, तो उन्होने कहा मैं क्रीम नहीं लगा पा रही हूँ और दर्द भी काफी हो रहा है, तो मैने तुरंत कहा मैं लगा देता हूँ,आप शरमाइए मत मैं आपकी बेटी से भी छोटा हूँ मुझसे क्या शरमाना.
काफ़ी सोचने के बाद उन्होने कहा ठीक है लगा दे. वो पेट क बल लेट गई, मैने तुरंत उनकी नाईटी कमर से ऊपर तक की, और इससे पहले वो कुछ कह पाती मैने उनकी पेंटी खीच के उतार दी और गांड पे मूव लगाने लगा, फिर वो कुछ नहीं बोली, आंटी मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी. उनकी गांड भी बहुत बड़ी थी. मैं दोनों चुतड़ो को फैला कर मालिश कर रहा था ताकि उनका छेद दिख सके, छेद बहुत छोटा था जैसे किसी ने आज तक उनकी गांड मारी ही नहीं हो, मैं खूब अच्छे से मालिश कर रहा था ,और उनके छेद पर व उंगली ले जा रहा था.
वो मजे से मालिश करवा रही थी उन्हें आराम लग रहा था वो कुछ नहीं कह रही थी, मैने पूछा आंटी कैसा लग रहा है, तो उन्होने कहा अब रहने दो, मैने कहा थोड़ी देर और कर दूं वरना फिर दर्द करने लगेगा तो उन्होने कहा ठीक है. मैं मालिस करता रहा इसी दौरान वो सो गई. मैने उन्हे सीधा घुमाया मेरे सामने उनकी एकदम नंगी बूर थी मैने उनकी टाँगे फैलाई तो मुझे वहाँ गीला महसूस हुआ. मैं समझ गया आंटी को मजा आ रहा था, बस अब तो मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैने तुरंत उनकी बूर पर अपना मुंह रख दिया और चाटने लगा
मैं जानता था अगर वो जाग गई तो चाटने से उन्हे इतना मज़ा आएगा की वो ना नहीं करेंगी. उनके मूह से सिसकियाँ लेने की आवाज़ आ रही थी पर आँखे बंद थी मैने उनकी नाइटी को पूरा निकल दिया,उन्होने ब्रा नहीं पहना था. अब वो बिल्कुल नंगी थी. मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए और उनके उपर लेट गया. बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरे सीने के नीचे उनके चुचे थे और मेरे लंड के नीचे उनकी बूर. मैं जानता था वो जाग रही है और उनकी बूर चाटने की वजह से वो गरम हो चुकी है. पर मैं चाहता था वो सोने का नाटक छोड़े,क्यूकी अगर सोने क नाटक मे चोदा तो वो फिर शायद मौका ना दे, पर अगर जागते हुआ चोदा तो जब चाहूँगा तब बूर मिलेगी.
मैं उनके शरीर से उतरा और किनारे जाके सो गया. उन्हे समझ नहीं आया मैं ये क्या कर रहा हूँ. उसे बूर की गर्मी पागल कर रही थी इसलिए वो मेरी तरफ आई और मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी. मेरा 7 इंच का लंड एकदम तन गया था. उन्होने मुंह में लिया और चूसने लगी. मैं उनके बाल को सहलाने लगा वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी. फिर उन्होने कहा अब प्लीज मुझे चोद दो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मैने कहा - जानू थोड़ा और चूसो ना मेरा लंड. फिर हम 69 पोज़िशन मे आ गये.वो तैयार नहीं थी वो बस चुदना चाह रही थी, पर मेरे ज़ोर देने पर मान गई. मैं उनकी बूर चाट रहा था और अपनी एक उंगली मे थूक लगा कर उनकी गांड मे घुसा रहा था. एक उंगली किसी तरह घुसी, पर वो चिल्लाई, दर्द होता है गांड में और तुम्हे गांड में क्या मिल रहा है गांडू. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
फिर उन्होने मेरी तरफ गुस्से से देखा मैं डर गया,वो घुमी और मुझे खीच के अपने उपर किया और मेरे लंड को हाथ मे पकड़ कर अपनी बूर के छेद पे रखा और बोली - जितना दम है यहाँ लगा लें. मैने ज़ोर से धक्का मारा जिससे मेरा लंड आधा अंदर चला गया, बूर गीली थी पर टाइट भी थी. इतने दिन से चूदी नहीं होगी ना, मैं धक्के पे धक्के मारता रहा 10 मिनट बाद उन्होने कहा - अंदर अपना माल मत निकालना, जब मेरा निकलने वाला हुआ तब मैने अपना लंड बाहर निकाला और वो मुंह मे लेकर चूसने लगी. कुछ देर बाद मैं उनके मुंह में झड़ गया.
वो 3 बार झड़ चुकी थी, फिर हम वैसे ही नंगे सोए रहे. सुबह होने वाली थी, हम दोनों एक दूसरे को पकड़ के सो गए, सुबह जब नींद खुली तो उनकी बेटी ने खिड़की से झांक कर आवाज लगाई. उसने हम दोनों को नंगे देख लिया, फिर आंटी ने फटा - फट नाइटी पहन के दरवाजा खोला. उनकी बेटी अंदर आई और बोली यहाँ रात भर क्या चल रहा था मम्मी. उसकी मम्मी और मैं एक दूसरे का मुंह देख रहे थे. आंटी बोली कुछ भी नहीं बस वो मेरा मालिश कर रहा था मैं बाथरूम में गिर गयी थी. उसकी बेटी को मजबूरन उसकी बात को स्वीकार करना पड़ा.
उसने अपनी बेटी से कहा कि उसे ज्यादा दर्द हो रहा है इसलिए आज चाय वो बना दे. उसकी बेटी चाय बनाने चली गई. उसके जाने के बाद आंटी बोली - इसने हमें नंगे देख लिया है अब क्या करें? मैंने कहा - आंटी यदि आप बुरा ना मानों तो मैं इसकी भी चुदाई कर दूँ, फिर हम सब बराबर हो जाएँगे. आंटी मान गई. मैंने आंटी से कहा कि मेरे जाने के बाद इसे अपनी गांड पर दवाई लगाने के लिए कहना और अच्छी तरह से मालिस करवाना.
वह लड़की चाय लेकर आ गई और मेरी तरफ घुर - घुर कर देख रही थी. हम सभी ने चाय पी और मैंने आंटी से जाने के लिए कहा और वहां से चला आया. मेरे जाने के बाद आंटी ने उससे दवाई लगाकर मालिस करने को कहा तो वो शर्माने लगी. लेकिन आंटी के बार - बार कहने से उसने आंटी की गांड पर दवाई लगाकर मालिस करनी शुरू कर दी. आंटी ने जान - बुझकर उससे कहा कि उसे इस मालिस से कोई आराम नहीं हो रहा है इसलिए उस लड़के को बुला कर ले आए. मज़बूरी में कुछ भी करना पड़ता है.
उसकी बेटी मुझे बुलाने आ गई, मैं उसी समय उसके साथ चला गया. मैंने उसके घर जाने के बाद कहा कि यह मालिस कई दिन करनी पड़ेगी इसलिए मैं शायद हर बार ना आ सकू क्योंकि मुझे कोलेज भी जाना होता है इसलिए मैं आज तुम्हे अच्छी तरह से मालिस करना सिखा दूंगा. मैंने उसके सामने ही आंटी को नंगा करके उसे उल्टा लेता दिया और उससे कहा कि वो अपनी ऊँगली से आंटी की गांड में अंदर तक मालिस करें. वह शर्माते हुए ऐसा करने लगी.
मैं भी बिलकुल उसके पास ही बैठ गया और मेरा लंड अब पैंट में पूरा खड़ा हो गया था. वो एक हाथ से उसकी माँ की मालिस कर रही थी उसके दुसरे हाथ को मैंने चुपके से पकड़ा और अपने खड़े लंड पर रख दिया. वह मेरे खड़े लंड को महशुश कर चुकी थी इसलिए तिरछी नजर से मेरी उठी हुई पैंट की तरफ देखने लगी. मैंने धीरे से उसके चुतड़ो पर हाथ फेरना शुरू कर दिया, वो कुछ नहीं बोली और मुझे ऐसा लगा कि अब वह पहले से काफी ज्यादा खुश हो गई थी.
मैं अब उसकी छोटी - छोटी चुच्चियों को सहलाने लगा उसने आँखे बंद कर ली और मेरे सिने से लग गई. मैंने आंटी से कहा कि वो अब कुछ समय ऐसे ही आराम करें. यह कहकर मैंने उस लड़की को आंटी के लिए गर्म दूध लाने को कहा. वह दूध लेने रसोई में चली गई. उसके जाने के बाद मैंने धीरे से आंटी से बोला कि अब वह बाहर ना आए सब मामला सही से निपट रहा है. यह कहकर मैं भी रसोई में चला गया और उस लड़की को धीरे से पीछे से पकड़ लिया और आगे की तरफ हाथ करके उसके बूब्स दबाने लगा.
5 मिनट बूब्स दबाने के बाद मैं उसे किस करने लगा वह भी मेरा साथ देने लगी. मैंने रसोई में ही उसे नंगा कर लिया और उसे घोड़ी बनाकर पीछे की तरफ से चूत में धीरे - धीरे अपना लंड सरकाने लगा. वह मुझे रोकने लगी लेकिन मैंने एक ही झटके में आधे से भी ज्यादा लंड उसकी बुर में घुसेड़ दिया. वो उछलने लगी. मैंने एक झटका और लगाया जिससे पूरा लंड बुर में चला गया. उसके मुंह से "हाय माँ" निकला. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैं उसे धीरे - धीरे लंड पेलने लगा और एक हाथ से उसकी बुर को भी सहलाने लगा.उसकी चूत काफी टाईट थी इसलिए मुझे बहुत मजा आ रहा था. 20 मिनट लगातार लंड पेलने से जब मुझे महशुश हुआ की मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने एकदम से लंड बाहर निकाला और सारा माल उसके कूल्हों पर डाल दिया. वह वहीँ बैठकर अपनी चूत को सहलाने लगी. उसकी चूत से थोडा - थोड़ा खून बहने लगा. मुझे काफी अच्छा लगा क्योंकि उसकी सील तोड़ने का सोभाग्य मुझे प्राप्त हुआ था. इस प्रकार मैंने दोनों माँ - बेटी की चुदाई की. अब भी जब भी मन करता है मैं उन दोनों को एक साथ ही चोद लेता हूँ.
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