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मामी के साथ बिताई एक रात बनी सुहागरात Mami ke sath bitai ek raat bani suhagraat
मामी के साथ बिताई एक रात बनी सुहागरात Mami ke sath bitai ek raat bani suhagraat, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.
मेरी उम्र 20 साल है. बात उन दिनों की है जब मेरे मामा जी की तबीयत खराब हो गयी थी और वो मुंबई के हॉस्पिटल में भरती थे. इधर मेरी मामी जी को गाँव से लाने का काम मुझे करना था इसलिए मैं गाँव चला गया. मामा की शादी अभी 2 बरस पहले ही हुई थी और शादी के कुछ ही महीने बाद से वो मुंबई में काम करने लगे थे. दो तीन महीने में एक दो दिन के लिए वो गाँव जाते थे. इधर बीमारी के वजह से वो तीन महीने से गाँव नहीं जा सके थे.
गाँव में पहुँचा तो नानी जी किसी रिश्तेदार के यहाँ गई हुई थी. रात में खाना खाने के बाद मैं मामी के कमरे में टीवी देखने लगा. नाना जी घर के बाहर बरामदे में सो गए. मामी जी के कमरे में एक ही पलंग था. जब मामी जी कमरे में सोने के लिए आई तो मैं उठकर बाहर जाने लगा. मामी जी ने कहा कि तुम भी अंदर ही सो जाओ. मैंने पूंछा कि आप कहाँ सोएंगी. वो बोली कि मैं नीचे ज़मीन पर सो जाउंगी. मैंने कहा कि नहीं, आप पलंग पर सो जाओ मैं नीचे सो जाता हूँ. वो बोली नहीं तुम पलंग पर सो जाओ. मैं नहीं माना और मज़ाक में बोला कि आप इसी पलंग पर सो जाओ, काफ़ी बड़ा तो है, दिक्कत नहीं होगी. पहले तो वो हँसी पर फिर बोली कि ठीक है, तुम दीवार के तरफ सरको मैं ऊपर ही आती हूँ. मैं दीवार के तरफ सरक गया और मामीजी ने लालटेन बिल्कुल धीमा करके मेरे बगल में आकर लेट गयी. लगभग आधा घंटा हम लोग बात करते हुए सो गये. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
अब तक मैं सिर्फ़ मामीजी को अपनी मामी के तरह ही देखता था. वो जबकि काफ़ी जवान थी, लगभग 21 - 22 साल की, पर मेरे मन में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी. लेकिन वहाँ मामीजी को अकेले में एक ही बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी. मेरा लंड खड़ा था और दिमाग़ में सिर्फ़ मामी की जवानी ही दिख रही थी. किसी तरह मैं इन सब गंदी बातों से ध्यान हटाकर सो गया. लगभग आधी रात में मेरी नींद खुली और मुझे ज़ोर से पेशाब लगी थी. मैं तो दीवार के तरफ था और उतरने के लिए मामी के उपर से लाँघना पड़ता था. लालटेन भी बहुत धीमी जल रही थी और अंधेरे में कुछ साफ दिख नहीं रहा था. अंदाज़ से मैं उठा और मामीजी को लाँघने के लिए उनके पांव पर हाथ रखा. हाथ रखा तो जैसे करेंट लग गया. मामी जी की साडी उनके घुटनों के उपर सरक गयी थी और मेरा हाथ उनके नंगी जांघों पर पड़ा था. मामीजी को कोई आहट नहीं हुई और मैं झट से उठकर रूम के बाहर पेशाब करने चला गया. पेशाब करने के बाद मेरा मन फिर मामीजी के तरफ चला गया और लंड फिर से टाइट हो गया.
मैंने सोचा की मामी तो सो रही है, अगर मैं भी थोड़ा हाथ फेर लूं तो उनको मालूम नहीं पड़ेगा. और अगर वो जाग गयी तो सोचेगी कि मैं नींद में हूँ और कुछ नहीं कहेंगी. दोबारा पलंग पर आने के बाद मैं मामी के बगल में लेट गया. मामीजी अब भी निश्चिंत भाव से सो रही थी. मैंने लालटेन बिल्कुल बुझा दी जिससे कि कमरे में घुप अंधेरा हो गया. लेटने के बाद मैं मामी के पास सरक कर अपना एक हाथ मामीजी के पेट पर रख दिया. थोड़े इंतजार के बाद जब देखा कि वो अब भी सो रही थी मैंने अपना हाथ थोडा उपर सरकाया और उनके ब्लाउस के उपर तक ले गया. उनकी एक चुची की आधी गोलाई मेरे उंगलियों के नीचे आ गयी थी. धीरे धीरे मैंने उनकी चुची दबाना शुरू किया और कुछ ही देर में उनकी वो पूरी चुची मेरे हांथों में थी. मुझे ब्लाउस के उपर से उनकी ब्रा फील हो रही थी पर निपल कुछ मालूम नहीं पड़ रहा था.
मामीजी अब भी बेख़बर सो रही थी और मेरा लंड एकदम फड़फड़ा रहा था. सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से चुची दबाकर मज़ा नहीं आ रहा था. मैंने सोचा कि अब असली माल टटोला जाए और अपना हाथ उठा कर मामीजी की जाँघ पर रख दिया. मेरा हाथ मामी की साड़ी पर पड़ा. पर मुझे मालूम था की थोडा नीचे हाथ सरकाउं तो जाँघ खुली मिलेगी. मैंने हाथ नीचे सरकाया मामी की नंगी जांघ मेरे स्पर्श में आ गयी क्या नरम गरम जाँघ थी मामी की। तभी मेरा स्पर्श पाकर मामीजी ने थोड़ी हलचल की और फिर शांत हो गयी.
मैं भी थोड़ा देर रुक कर फिर अपना हाथ उपर सरकाने लगा. साथ में साड़ी भी उपर होते जा रही थी. मामीजी फिर से कुछ हिली पर फिर शांत हो गयी. मेरा मन अब मेरे बस में नहीं था और मैंने अपना हाथ मामी के दोनो जांघों के बीच में ले जाने की सोची. पर मैंने पाया कि मामी की दोनो जाँघ आपस में उपर सटे हुए थे और उनकी बुर तक मेरी उंगलियाँ नहीं पहुँच सकती थी. फिर भी मैंने अपना हाथ उपर सरकाया और साथ में मेरी उंगली दोनो जांघों के बीच में घुसाने की कोशिश की. मामी फिर से हिली और नींद में ही उन्होने अपना एक पैर घुटनों से मोड़ लिया जिससे उनकी जांघें फैल गयी.
मौके का फ़ायदा उठाकर मैं भी अपना हाथ उनके जांघों तक ले गया और जब की मेरा अंगूठा अब मेरे मामी के बुर के उपरी उभार पर था, मेरी पहली उंगली मामी के जांघों के बीच उनकी पैंटी के थ्रू बुर के असली पार्ट पर थी. मामी की बुर की गर्माहट मेरी उंगली पर महसूस हो रही थी और कुछ कुछ गीलापन भी था. मेरा दिल अब ज़ोरो से धड़क रहा था. मेरा हाथ मामी के बुर पर था और कमरे में बिल्कुल अंधेरा था. मैंने सोचा कि अब क्या करूँ. मामी की बुर तो उनकी पैंटी से ढकी है और पैंटी में हाथ तो डाला तो वो ज़रूर जाग जाएँगी.
फिर भी मैं नहीं माना और मैंने सोचा कि धीरे से अपनी एक उंगली उनकी पैंटी के साइड में से अंदर डालूं. मैंने धीरे से अपनी उंगली मोड़ी और उनकी जांघों के बीच में पैंटी को थोड़ा खीच कर एक उंगली अंदर डाल दी. मेरी उंगली उनकी बुर के फोल्ड्स पर पहुँच गयी और मैंने पाया कि उनकी बुर एकदम गीली थी जिससे मेरी उंगली का टिप उनके बुर के मुहाने के अंदर आसानी से घुस गया. मैंने अपनी उंगली धीरे धीरे से मामी के बुर में हिलाने लगा और तीन चार बार हिलाने पर ही मामी जी एक झटके से जाग गयी. मैं तो एकदम से सन्न रह गया और सोचा कि अब तो मरा. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
पर मामी ने अपना हाथ से अपने बुर को टटोला और मेरा हाथ वहाँ पाकर थोड़ी देर उनका हाथ वहीं रुक गया. शायद वो भी सन्न रह गयी थी. मैं चुप चाप सोने का नाटक कर रहा था और सोचा कि अब मामी मेरा हाथ वहाँ से निकाल कर मुझे दूर धकेल देंगी. पर मामी जी ने वो किया जो मैं सोच भी नहीं सकता था. उन्होने मेरा हाथ ना हटाते हुए अपनी बुर खुजाने लगी और खुजाते खुजाते अपनी पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी जिससे कि उनका बुर आधा खुल गया और फिर सोने का नाटक करने लगी. मेरी उंगली अब भी उनकी पैंटी में थी पर अब जब उन्होने पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी तब मैं भी समझ गया कि मामी जी चुप चाप मज़ा ले रही है.
फिर भी मैं थोडा रुका और फिर अपना हाथ बिल्कुल उनकी जाँघ पर से उठाकर सीधे उनके बुर पर रख दिया. मामी की पैंटी का एलास्टिक अब भी मेरी उँगलियों और उनके बुर के बीच आ रहा था तो मैंने हिम्मत करके धीरे से एलास्टिक उठा कर अपनी उंगलियों को उनकी पैंटी के अंदर घुसा दिया. मेरी बीच की उंगली मामी के बुर के स्लिट पर थी और जब मैंने धीरे से अंपनी उंगली मोड़ी तो वो उनकी गीली बुर में चली गयी मामी ने भी अब पैर और फैला दिए और अपना एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख दिया. लेकिन वो अब भी सोने का नाटक कर रही थी. मैंने भी अब अपनी दूसरी उंगली मोड़ी और वो भी मामी की बुर में पेल दी.
रूम में वैसे भी सन्नाटा था और अब मामीजी की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. अब तक तो सिर्फ़ मेरे हाँथ मामी की जवानी को टटोल रहे थे पर अब मैं बिल्कुल मामी के करीब उनसे सट गया और अपना मूह उनके मूह के पास ले गया. हमारी गाल आपस में छू गये और मामी ने अपना चेहरा इतना घुमाया की उनके होंठ मेरे होंठों से बस धीरे से छू भर गये. उनकी साँस की गर्मी मेरे होंठों पर आ रही थी. मैं भी थोडा सा इस तरह एडजस्ट हो गया की मेरा होंठ बिल्कुल उनकी होंठों पर सट गया.
उधर मेरी उंगलियाँ मामी की बुर में अपना कमाल दिखा रही थी और मामी भी अपने हाथ से मेरे हाथ को अपनी बुर पर दबा के रखा था. मामी की गरम गरम गीली बुर में अब मैं खुल्लम खुल्ला उंगली कर रहा था और मामी अब भी नींद में होने का नाटक कर रही थी. मैंने सोचा अब बहुत नाटक हो गया. अब तो असली जवानी का खेल हो जाए. मैंने मामी की बुर में अपनी तीन उंगली डाल कर ज़ोर से दबा दिया और साथ में मामी के होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए.
मामी के मुंह से आह निकल गयी और उनका मुंह थोडा सा खुल गया. तुरंत ही मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी और मामी की बुर से हाथ निकाल कर तुंरत उनको अपने बाहों में कस कर लिपट लिया. "उह्ह... ये क्या रहा है तू...छोड़ मुझे तू.. मामी ने मुझे यह कहते हुए धकेलना चाहा. पर मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और बोला कि मुझे मालूम है तुम पिछले आधे घंटे से जाग रही हो मेरी उंगली करने का मज़ा ले रही हो. तब मामी ने मचलना बंद कर दिया और मेरी बाहों में शांत हो कर पड़ी रही. मामी बोली" शैतान कहीं के, तुझे डर नहीं लगा मेरे साथ यह करते हुए ?"
मैंने कहा कि डर तो बहुत लगा था पर अब डर कैसा. अब तो तुम ना भी बोलोगी, तब भी तुम्हारी गांड मारकर ही दम लूँगा इसी बिस्तर पर. कौन जानेगा कि इस घर के अंदर यह भानजा अपनी मामी के साथ क्या कर रहा है. यह कहते हुए मैंने अपना हाथ मामी के पीठ पर से नीचे सरकते हुए उनके गांड के गोलाईयों पर ले गया और पीछे से उनकी पैंटी की एलास्टिक को पकड़कर पैंटी नीचे सरका दी.
वो बोली "लल्ला तूने तो मुझे गरम कर दिया है.
बस अब क्या था. मामी जी ने अपना पैंटी पैर में से निकालकर साड़ी उतार दी. मैंने भी अपना लूँगी खोल कर अंडरवीयर निकाल फेंका. फिर मामी को बिस्तर पर पीठ के बल दबाकर उनके ब्लाउस के बटन खोलने लगा.
"आज तुम्हारी जवानी का स्वाद लूँगा मेरी जान" मैंने ब्लाउस खोलते हुए एकदम फिल्मी अंदाज़ में मामी से बोला. मामी ने भी उसी अंदाज़ में कहा, "भगवान के लिए मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारे पांव पड़ती हूँ"
सारे बटन खोलने पर मैंने ब्लाउस को पकड़ कर साइड में कर दिया और मामी के ब्रा से ढके हुए चुचियों पर अपना मुह रख दिया. मामी ने भी अब बेशरम हो कर मेरा सर को अपनी चूची पर दबा दिया और बोली, "लल्ला क्या यह पैकेट नहीं खॉलोगे"
उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था. मैंने तुंरत उन्हे उठाया और पलंग के बगल में खड़ा करके उनकी ब्लाउस और ब्रा उनसे अलग कर दी. फिर पेटिकोट का नाडा भी खींच कर खोल दिया और वो भी उनके पैरों के पास ज़मीन पर गिर गया. मामी को इस तरह नंगा कर उनको पलंग पर खींच लिया और सीधे उनके उपर लेट गया. अब मैं उनकी चुचियों को आराम से चूस रहा था और वो मेरा सर अपने हाथों से सहला रही थी.
कुछ देर बाद मामी अपना हाथ मेरे लंड पर ले गयी और बोली" लल्ला नाश्ता हो गया. अब डिनर हो जाए?"
मैं भी तैयार था, पूछा वेज या नॉन वेज ?"
वो बोली की वेज तो रोज़ ही लेते हो आज नॉन वेज चख लो" यह कहते हुए मामी ने मेरा लंड उनके बुर के मुहाने पर रखा और मैंने उनको फाइनली पेल दिया. पेलते पेलते मामी एकदम मस्त हो गयी और अपने दोनो पांव मेरे कमर के उपर लपेट दिया. मैं उनको पेलता रहा और साथ साथ चूमता रहा.
मैंने अपना एक हाथ मामी के गांड के पीछे ले जाकर उनकी गांड में एक उंगली घुसा दी. तभी मामी एकदम ऐंठने लगी और कस कर मुझे पकड़ लिया. लल्ला और ज़ोर से चोदो......बोलते बोलते वो आख़िर झड़ गयी और फिर शांत हो गयी. पर मेरा पेलना अभी चालू था और लगभग 10 - 15 झटकों के बाद मैं भी मामी के बुर में ही झड़ गया. हम दोनो पसीने पसीने हो गये थे और में मामी के उपर ही पड़ा हुआ था. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
कुछ देर बाद मामी उठी और बाथरूम जाकर आई. मैं भी अब अंडरवीअर पहन चुका था. मामी ने सिर्फ़ पेटिकोट पहन रखा था. आकर बोली " लल्ला, तुम्हारे साथ जो किया वो तो अभी हम आगे भी बहुत बार करेंगे. पर यह बात किसी और को मालूम नहीं होने पाए. सबके सामने मैं तुम्हारी मामी ही हूं" मैंने भी उनको अपने बाहों में लेते हुए बोला" सबके सामने क्यों मामी, यहाँ पलंग पर भी तुम मेरी मामी ही हो. और तुम्हारी यह जवानी की मिठाई तो मैं अकेले ही खाऊँगा. सब मामाजी को ही मत खिला देना मामी हँसी और अपना हाथ फिर से मेरे अंडरवीअर में डाल दिया.
अब तक मैं सिर्फ़ मामीजी को अपनी मामी के तरह ही देखता था. वो जबकि काफ़ी जवान थी, लगभग 21 - 22 साल की, पर मेरे मन में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी. लेकिन वहाँ मामीजी को अकेले में एक ही बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी. मेरा लंड खड़ा था और दिमाग़ में सिर्फ़ मामी की जवानी ही दिख रही थी. किसी तरह मैं इन सब गंदी बातों से ध्यान हटाकर सो गया. लगभग आधी रात में मेरी नींद खुली और मुझे ज़ोर से पेशाब लगी थी. मैं तो दीवार के तरफ था और उतरने के लिए मामी के उपर से लाँघना पड़ता था. लालटेन भी बहुत धीमी जल रही थी और अंधेरे में कुछ साफ दिख नहीं रहा था. अंदाज़ से मैं उठा और मामीजी को लाँघने के लिए उनके पांव पर हाथ रखा. हाथ रखा तो जैसे करेंट लग गया. मामी जी की साडी उनके घुटनों के उपर सरक गयी थी और मेरा हाथ उनके नंगी जांघों पर पड़ा था. मामीजी को कोई आहट नहीं हुई और मैं झट से उठकर रूम के बाहर पेशाब करने चला गया. पेशाब करने के बाद मेरा मन फिर मामीजी के तरफ चला गया और लंड फिर से टाइट हो गया.
मैंने सोचा की मामी तो सो रही है, अगर मैं भी थोड़ा हाथ फेर लूं तो उनको मालूम नहीं पड़ेगा. और अगर वो जाग गयी तो सोचेगी कि मैं नींद में हूँ और कुछ नहीं कहेंगी. दोबारा पलंग पर आने के बाद मैं मामी के बगल में लेट गया. मामीजी अब भी निश्चिंत भाव से सो रही थी. मैंने लालटेन बिल्कुल बुझा दी जिससे कि कमरे में घुप अंधेरा हो गया. लेटने के बाद मैं मामी के पास सरक कर अपना एक हाथ मामीजी के पेट पर रख दिया. थोड़े इंतजार के बाद जब देखा कि वो अब भी सो रही थी मैंने अपना हाथ थोडा उपर सरकाया और उनके ब्लाउस के उपर तक ले गया. उनकी एक चुची की आधी गोलाई मेरे उंगलियों के नीचे आ गयी थी. धीरे धीरे मैंने उनकी चुची दबाना शुरू किया और कुछ ही देर में उनकी वो पूरी चुची मेरे हांथों में थी. मुझे ब्लाउस के उपर से उनकी ब्रा फील हो रही थी पर निपल कुछ मालूम नहीं पड़ रहा था.
मामीजी अब भी बेख़बर सो रही थी और मेरा लंड एकदम फड़फड़ा रहा था. सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से चुची दबाकर मज़ा नहीं आ रहा था. मैंने सोचा कि अब असली माल टटोला जाए और अपना हाथ उठा कर मामीजी की जाँघ पर रख दिया. मेरा हाथ मामी की साड़ी पर पड़ा. पर मुझे मालूम था की थोडा नीचे हाथ सरकाउं तो जाँघ खुली मिलेगी. मैंने हाथ नीचे सरकाया मामी की नंगी जांघ मेरे स्पर्श में आ गयी क्या नरम गरम जाँघ थी मामी की। तभी मेरा स्पर्श पाकर मामीजी ने थोड़ी हलचल की और फिर शांत हो गयी.
मैं भी थोड़ा देर रुक कर फिर अपना हाथ उपर सरकाने लगा. साथ में साड़ी भी उपर होते जा रही थी. मामीजी फिर से कुछ हिली पर फिर शांत हो गयी. मेरा मन अब मेरे बस में नहीं था और मैंने अपना हाथ मामी के दोनो जांघों के बीच में ले जाने की सोची. पर मैंने पाया कि मामी की दोनो जाँघ आपस में उपर सटे हुए थे और उनकी बुर तक मेरी उंगलियाँ नहीं पहुँच सकती थी. फिर भी मैंने अपना हाथ उपर सरकाया और साथ में मेरी उंगली दोनो जांघों के बीच में घुसाने की कोशिश की. मामी फिर से हिली और नींद में ही उन्होने अपना एक पैर घुटनों से मोड़ लिया जिससे उनकी जांघें फैल गयी.
मौके का फ़ायदा उठाकर मैं भी अपना हाथ उनके जांघों तक ले गया और जब की मेरा अंगूठा अब मेरे मामी के बुर के उपरी उभार पर था, मेरी पहली उंगली मामी के जांघों के बीच उनकी पैंटी के थ्रू बुर के असली पार्ट पर थी. मामी की बुर की गर्माहट मेरी उंगली पर महसूस हो रही थी और कुछ कुछ गीलापन भी था. मेरा दिल अब ज़ोरो से धड़क रहा था. मेरा हाथ मामी के बुर पर था और कमरे में बिल्कुल अंधेरा था. मैंने सोचा कि अब क्या करूँ. मामी की बुर तो उनकी पैंटी से ढकी है और पैंटी में हाथ तो डाला तो वो ज़रूर जाग जाएँगी.
फिर भी मैं नहीं माना और मैंने सोचा कि धीरे से अपनी एक उंगली उनकी पैंटी के साइड में से अंदर डालूं. मैंने धीरे से अपनी उंगली मोड़ी और उनकी जांघों के बीच में पैंटी को थोड़ा खीच कर एक उंगली अंदर डाल दी. मेरी उंगली उनकी बुर के फोल्ड्स पर पहुँच गयी और मैंने पाया कि उनकी बुर एकदम गीली थी जिससे मेरी उंगली का टिप उनके बुर के मुहाने के अंदर आसानी से घुस गया. मैंने अपनी उंगली धीरे धीरे से मामी के बुर में हिलाने लगा और तीन चार बार हिलाने पर ही मामी जी एक झटके से जाग गयी. मैं तो एकदम से सन्न रह गया और सोचा कि अब तो मरा. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
पर मामी ने अपना हाथ से अपने बुर को टटोला और मेरा हाथ वहाँ पाकर थोड़ी देर उनका हाथ वहीं रुक गया. शायद वो भी सन्न रह गयी थी. मैं चुप चाप सोने का नाटक कर रहा था और सोचा कि अब मामी मेरा हाथ वहाँ से निकाल कर मुझे दूर धकेल देंगी. पर मामी जी ने वो किया जो मैं सोच भी नहीं सकता था. उन्होने मेरा हाथ ना हटाते हुए अपनी बुर खुजाने लगी और खुजाते खुजाते अपनी पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी जिससे कि उनका बुर आधा खुल गया और फिर सोने का नाटक करने लगी. मेरी उंगली अब भी उनकी पैंटी में थी पर अब जब उन्होने पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी तब मैं भी समझ गया कि मामी जी चुप चाप मज़ा ले रही है.
फिर भी मैं थोडा रुका और फिर अपना हाथ बिल्कुल उनकी जाँघ पर से उठाकर सीधे उनके बुर पर रख दिया. मामी की पैंटी का एलास्टिक अब भी मेरी उँगलियों और उनके बुर के बीच आ रहा था तो मैंने हिम्मत करके धीरे से एलास्टिक उठा कर अपनी उंगलियों को उनकी पैंटी के अंदर घुसा दिया. मेरी बीच की उंगली मामी के बुर के स्लिट पर थी और जब मैंने धीरे से अंपनी उंगली मोड़ी तो वो उनकी गीली बुर में चली गयी मामी ने भी अब पैर और फैला दिए और अपना एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख दिया. लेकिन वो अब भी सोने का नाटक कर रही थी. मैंने भी अब अपनी दूसरी उंगली मोड़ी और वो भी मामी की बुर में पेल दी.
रूम में वैसे भी सन्नाटा था और अब मामीजी की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. अब तक तो सिर्फ़ मेरे हाँथ मामी की जवानी को टटोल रहे थे पर अब मैं बिल्कुल मामी के करीब उनसे सट गया और अपना मूह उनके मूह के पास ले गया. हमारी गाल आपस में छू गये और मामी ने अपना चेहरा इतना घुमाया की उनके होंठ मेरे होंठों से बस धीरे से छू भर गये. उनकी साँस की गर्मी मेरे होंठों पर आ रही थी. मैं भी थोडा सा इस तरह एडजस्ट हो गया की मेरा होंठ बिल्कुल उनकी होंठों पर सट गया.
उधर मेरी उंगलियाँ मामी की बुर में अपना कमाल दिखा रही थी और मामी भी अपने हाथ से मेरे हाथ को अपनी बुर पर दबा के रखा था. मामी की गरम गरम गीली बुर में अब मैं खुल्लम खुल्ला उंगली कर रहा था और मामी अब भी नींद में होने का नाटक कर रही थी. मैंने सोचा अब बहुत नाटक हो गया. अब तो असली जवानी का खेल हो जाए. मैंने मामी की बुर में अपनी तीन उंगली डाल कर ज़ोर से दबा दिया और साथ में मामी के होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए.
मामी के मुंह से आह निकल गयी और उनका मुंह थोडा सा खुल गया. तुरंत ही मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी और मामी की बुर से हाथ निकाल कर तुंरत उनको अपने बाहों में कस कर लिपट लिया. "उह्ह... ये क्या रहा है तू...छोड़ मुझे तू.. मामी ने मुझे यह कहते हुए धकेलना चाहा. पर मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और बोला कि मुझे मालूम है तुम पिछले आधे घंटे से जाग रही हो मेरी उंगली करने का मज़ा ले रही हो. तब मामी ने मचलना बंद कर दिया और मेरी बाहों में शांत हो कर पड़ी रही. मामी बोली" शैतान कहीं के, तुझे डर नहीं लगा मेरे साथ यह करते हुए ?"
मैंने कहा कि डर तो बहुत लगा था पर अब डर कैसा. अब तो तुम ना भी बोलोगी, तब भी तुम्हारी गांड मारकर ही दम लूँगा इसी बिस्तर पर. कौन जानेगा कि इस घर के अंदर यह भानजा अपनी मामी के साथ क्या कर रहा है. यह कहते हुए मैंने अपना हाथ मामी के पीठ पर से नीचे सरकते हुए उनके गांड के गोलाईयों पर ले गया और पीछे से उनकी पैंटी की एलास्टिक को पकड़कर पैंटी नीचे सरका दी.
वो बोली "लल्ला तूने तो मुझे गरम कर दिया है.
बस अब क्या था. मामी जी ने अपना पैंटी पैर में से निकालकर साड़ी उतार दी. मैंने भी अपना लूँगी खोल कर अंडरवीयर निकाल फेंका. फिर मामी को बिस्तर पर पीठ के बल दबाकर उनके ब्लाउस के बटन खोलने लगा.
"आज तुम्हारी जवानी का स्वाद लूँगा मेरी जान" मैंने ब्लाउस खोलते हुए एकदम फिल्मी अंदाज़ में मामी से बोला. मामी ने भी उसी अंदाज़ में कहा, "भगवान के लिए मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारे पांव पड़ती हूँ"
सारे बटन खोलने पर मैंने ब्लाउस को पकड़ कर साइड में कर दिया और मामी के ब्रा से ढके हुए चुचियों पर अपना मुह रख दिया. मामी ने भी अब बेशरम हो कर मेरा सर को अपनी चूची पर दबा दिया और बोली, "लल्ला क्या यह पैकेट नहीं खॉलोगे"
उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था. मैंने तुंरत उन्हे उठाया और पलंग के बगल में खड़ा करके उनकी ब्लाउस और ब्रा उनसे अलग कर दी. फिर पेटिकोट का नाडा भी खींच कर खोल दिया और वो भी उनके पैरों के पास ज़मीन पर गिर गया. मामी को इस तरह नंगा कर उनको पलंग पर खींच लिया और सीधे उनके उपर लेट गया. अब मैं उनकी चुचियों को आराम से चूस रहा था और वो मेरा सर अपने हाथों से सहला रही थी.
कुछ देर बाद मामी अपना हाथ मेरे लंड पर ले गयी और बोली" लल्ला नाश्ता हो गया. अब डिनर हो जाए?"
मैं भी तैयार था, पूछा वेज या नॉन वेज ?"
वो बोली की वेज तो रोज़ ही लेते हो आज नॉन वेज चख लो" यह कहते हुए मामी ने मेरा लंड उनके बुर के मुहाने पर रखा और मैंने उनको फाइनली पेल दिया. पेलते पेलते मामी एकदम मस्त हो गयी और अपने दोनो पांव मेरे कमर के उपर लपेट दिया. मैं उनको पेलता रहा और साथ साथ चूमता रहा.
मैंने अपना एक हाथ मामी के गांड के पीछे ले जाकर उनकी गांड में एक उंगली घुसा दी. तभी मामी एकदम ऐंठने लगी और कस कर मुझे पकड़ लिया. लल्ला और ज़ोर से चोदो......बोलते बोलते वो आख़िर झड़ गयी और फिर शांत हो गयी. पर मेरा पेलना अभी चालू था और लगभग 10 - 15 झटकों के बाद मैं भी मामी के बुर में ही झड़ गया. हम दोनो पसीने पसीने हो गये थे और में मामी के उपर ही पड़ा हुआ था. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
कुछ देर बाद मामी उठी और बाथरूम जाकर आई. मैं भी अब अंडरवीअर पहन चुका था. मामी ने सिर्फ़ पेटिकोट पहन रखा था. आकर बोली " लल्ला, तुम्हारे साथ जो किया वो तो अभी हम आगे भी बहुत बार करेंगे. पर यह बात किसी और को मालूम नहीं होने पाए. सबके सामने मैं तुम्हारी मामी ही हूं" मैंने भी उनको अपने बाहों में लेते हुए बोला" सबके सामने क्यों मामी, यहाँ पलंग पर भी तुम मेरी मामी ही हो. और तुम्हारी यह जवानी की मिठाई तो मैं अकेले ही खाऊँगा. सब मामाजी को ही मत खिला देना मामी हँसी और अपना हाथ फिर से मेरे अंडरवीअर में डाल दिया.
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