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कुत्ते के लंड को सहलाया चाटा और चूसा kutte ke lund ko sahlaya chata aur chusa
कुत्ते के लंड को सहलाया चाटा और चूसा kutte ke lund ko sahlaya chata aur chusa, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.
पिछली कहानी में आपने पढ़ा की समिरती कुत्ते से चूत चटवा कर बहुत खुश थी, अब आगे का हाल पढ़ें .... दो दिन के अंदर ही समिरती जैसी इज़्ज़तदार और खूबसूरत औरत इस हद तक खुल चुकी हुई थी कि इस वक़्त वो बिल्कुल नंगी हो कर बैठी हुई अपने कुत्ते से अपनी चूत चटवा रही थी। इसमें इस बेचारी औरत का भी कोई क़सूर नहीं था। ये तो कमाल था टॉमी जैसे समझदार और तजुर्बेकार कुत्ते का जो अपनी हरकतों और अपनी ज़ुबान के साथ किसी भी औरत को मदहोश करके अपने सामने बेबस कर देने में माहिर था। हक़ीकत में टॉमी कोई आम कुत्ता नहीं था। वो खास तौर से तरबियत-याफ़्ता था।
अपने काम में माहिर था यानी उसे तरबियत ही ये दी गयी हुई थी कि एक औरत को कैसे गरम करना और कैसे उसे चोदना है। अपनी इसी खूबी और अपने काम में मुकम्मल महारत की वजह से ही टॉमी अपनी पुरानी मालकिन रश्मि का पसंदीदा कुत्ता था जिससे चुदवा-चुदवा कर रश्मि कभी भी बोर नहीं हुई थी। और आज समिरती भी सिर्फ़ एक दिन की मुज़ाहमत के बाद ही टॉमी के सामने अपनी सारी मुज़ाहमत खतम कर बैठी हुई थी और इस वक़्त इस कुत्ते के सामने अपनी चूत खोल के बैठी इससे अपनी चूत चटवाती हुई मज़े ले रही थी। कुत्ता भी ऐसे मज़े ले-ले के समिरती की चूत से बह कर निकलने वाले पानी को ऐसे चाट रहा था कि जैसे अंदर से कोई शहद निकल रहा हो जिसका वो एक क़तरा भी ज़ाया जाने नहीं देना चाहता हो। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
टॉमी की खुरदरी, लंबी गुलाबी ज़ुबान इतनी बुरी तरह से समिरती की चूत को चाट रही थी कि समिरती के जिस्म से उसकी जान निकली जा रही थी। उसके मुँह से ज़ोर दार सिसकरियाँ निकल रही थीं जोकि पूरे कमरे में फैल रही थीं। शराब के नशे और कुत्ते की ज़ुबान के चाटने की मस्ती में चूर समिरती के लिये सोफ़े की कुर्सी पर टिक कर बैठना और अपना तवज़ुन बरकरार रखना बहुत मुश्किल हो रहा था क्योंकि उसके चूतड़ फिसल कर आगे किनारे पे टिके हुए थे और सोफ़े की कुर्सी भी बिना हथों वाली थी। मगर फ़िर भी वो किसी ना किसी तरह टॉमी को पकड़ कर अपने थरथराते हुए जिस्म को सहारा देने की कोशिश कर रही थी। अचानक टॉमी की लंबी ज़ुबान फिसल कर समिरती की चूत के सुराख के अंदर चली गयी... सिर्फ़ एक लम्हे के लिये। मगर वो लम्हा तो जैसे कोई करंट सा लग गया समिरती के जिस्म में और समिरती का पूरे का पूरा जिस्म अपनी जगह से उछल पड़ा और अगले ही लम्हे समिरती नीचे कार्पेट पे गिरी हुई थी। उसने नीचे कार्पेट से उठने की कोई कोशिश नहीं की और ना ही टॉमी ने उसे उठने का कईं मौका दिया। वो जल्दी से अपनी जगह से घूम कर एक बार फ़िर से समिरती की चूत की तरफ़ आ गया और समिरती की रानों को चाटने लगा। समिरती ने भी फौरन अपनी टाँगों को खोलते हुए टॉमी को दोबारा अपनी चूत की तरफ़ मुतवज्जह कर लिया था। अब तो जैसे टॉमी चाहता था... जो चाहता था... समिरती के साथ वो ही कर रहा था और समिरती भी बिल्कुल वैसा ही कर रही थी... बिना कोई मुज़ाहमत किये... बिना कोई इंकार किये।
मुज़ाहमत और इंकार... ये तो वहाँ होते हैं ना जहाँ इंसान को मज़ा नहीं आ रहा हो जबकि यहाँ... यहाँ तो समिरती को इस सब में पूरा-पूरा मज़ा आ रहा था। टॉमी की ज़ुबान समिरती की चूत पर चल रही थी और उसके पूरे जिस्म को जला रही थी उसमें पैदा होने वाली आग के साथ। समिरती तो अपनी रानों को पूरा खोले हुए टॉमी के आगे पड़ी हुई थी और वो उसकी दोनों टाँगों के बीच में खड़ा... अपना सिर झुकाये... अपना मुँह समिरती की चूत पर रखे हुए... अपनी लंबी ज़ुबान के साथ समिरती की चूत को चाटता जा रहा था। टॉमी की लंबी ज़ुबान तेज़ी के साथ चल रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। कभी वो उसकी पूरी की पूरी चूत को अपनी ज़ुबान से एक साथ ही चाटने लगता और कभी उसकी चूत के ऊपरी हिस्से पर अपनी पूरी तवज्जो लगा देता। समिरती की चूत के दोनों लबों के दर्मियान... बिल्कुल ऊपर के हिस्से में उसकी चूत का दाना... टॉमी की बेरहम खुरदरी ज़ुबान के रहम-ओ-करम पर था... जिसे टॉमी की ज़ुबान रगड़ रही थी... चाट रही थी और कुछ ही देर पहले तक टॉमी को रोकने का इरादा करने वाली समिरती अब अपनी आँखें बंद किये हुए उसके सामने सिर्फ सैंडल पहने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी... तड़प रही थी... सिसक रही थी। मगर ये तड़प और सिसक किसी तकलीफ या दर्द के मारे नहीं थी बल्कि लज़्ज़त की वजह से थी और उसके मुँह से निकलने वाली तेज़ सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। उसके दोनों हाथ टॉमी के सिर पर थे... उसे अपने से दूर करने के लिये नहीं बल्कि उसके मुँह को और भी अपनी तरफ़ खींचने के लिये।
कुछ ही देर में समिरती ने अपनी दोनों टाँगें उठायीं और उनको टॉमी की कमर के ऊपर रखते हुए उसके हेवानी जिस्म को अपनी गोरी-गोरी नाज़ुक और सैक्सी टाँगों के बीच में दबाने लगी ताकि वो कहीं भाग ना जाये। समिरती अपने सैंडल के तलवों और गोरे-गोरे पैरों के ऊपरी हिस्से के साथ टॉमी की नरम-नरम फ़र को सहला रही थी। उसके पैर उसकी पूरी कमर पर सरक रहे थे और कभी वहाँ से नीचे उसकी टाँगों को सहलाने लगती... कुछ भी ना सोचते हुए... बस आँखें बंद किये हुए। अपनी चूत पर उसकी ज़ुबान के मज़े लेते हुए उस जानवर के जिस्म को अपने पैरों से सहलाना उसे अच्छा लग रहा था। टॉमी के जिस्म और उसकी टाँगों को अपने सैंडल और पैरों के साथ सहलाते हुए पता नहीं कब और कैसे उसका पैर नीचे जाने लगा... टॉमी के पेट के नीचे की तरफ़ और ऐसे ही उसका पैर किसी सख्त सी चीज़ से टकराया... जिसकी समिरती को फौरी तौर पे कुछ समझ नहीं आयी। वो उसे भी उसकी टाँग की कोई हड्डी ही समझी... सख्त सी, लंबी सी।
आँखें बंद थीं समिरती की मगर दिमाग जैसे किसी नशे से बाहर आ रहा था और अपने पैरों के साथ इस चीज़ को जाँचने की कोशिश कर रहा था। जानने की कोशिश में था कि ये क्या है जो उसके पैरों के साथ टकरा रहा है। दोनों पैर अब उसके दिमाग की मदद कर रहे थे... इस चीज़ को कोई नाम देने के लिये और फ़िर समिरती के दिमाग में एक छनका सा हुआ... लंड... लौड़ा... लन्न... एक साथ ही इस चीज़ के कईं नाम उसके दिमाग में आये और अचानक से ही उसके दोनों पैर इस चीज़ से दूर हट गये। मगर टॉमी की ज़ुबान की उसकी चूत पर रगड़ और चूत से बहते हुए चिकने पानी ने उसे सब कुछ एक बार फ़िर से भूलने पर मजबूर कर दिया और वो फ़िर से सिसकने लगी। थोड़ी ही देर में उसका पैर एक बार फ़िर से टॉमी के पेट के नीचे उसके लंड की तरफ़ बढ़ा और अगले ही लम्हे उसके पैरों ने एक बार फ़िर से टॉमी के लंड को छूना शुरू कर दिया... आहिस्ता-आहिस्ता... टॉमी को डिस्टर्ब किये बिना। फ़िर वो आहिस्ता-आहिस्ता टॉमी के लंड को अपने दोनों पैरों के बीच में ले कर... एक सैंडल के तलवे से दूसरे पैर के ऊपर दबाते हुए... सहलाने लगी। टॉमी की ज़ुबान के लम्स के साथ ही वो अपनी मंज़िल को पहुँच रही थी। उसकी चूत के अंदर गर्मी बढ़ती जा रही थी और वो पानी छोड़ने वाली थी।
अगले ही लम्हे समिरती ने मज़बूती से टॉमी के सिर को अपने हाथों से जकड़ लिया और फ़िर उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। चंद लम्हों में ही समिरती का जिस्म ढीला पड़ने लगा। उसकी साँसों की रफ़्तार तेज़ हो गयी। वो लंबे-लंबे साँस लेती हुई अब खुद को नॉर्मल कर रही थी और टॉमी अपनी ज़ुबान के साथ समिरती की चूत से निकलने वाला गाढ़ा-गाढ़ा पानी चाटता जा रहा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। चूत का पानी निकलने के बाद समिरती ने टॉमी को खुद से आहिस्ता से पीछे को ढकेला और इस बार टॉमी उसको छोड़ कर उससे दूर हो गया... मगर उसके सिर की तरफ़... उसके हाथों की पहुँच में ही उसके करीब बैठ कर हाँफने लगा। उसका जिस्म भी हिल रहा था और ज़ुबान भी बाहर लटक रही थी। समिरती उसी की तरफ़ देख रही थी... बड़े ही प्यार से... बड़ी ही चाहत से... क्योंकि आज जिस कदर इस जानवर ने उसे मज़ा दिया था वो उसे कभी पहले नहीं आया था और इस मज़े के लिये वो दिल से टॉमी की शुक्र गुज़ार थी। वहाँ क़लीन पर से उठने को उसका दिल भी नहीं कर रहा था... चेहरे पर सुकून ही सुकून था... और एक मुस्कान...!
समिरती का बेडरूम अजीब मंज़र पेश कर रहा था। समिरती जैसी खूबसूरत औरत अपने खूबसूरत जिस्म के साथ बिल्कुल नंगी... सिर्फ़ ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल पहने अपने कमरे के कार्पेट पर पड़ी हुई थी और उसका वफ़ादार कुत्ता उसके करीब ही बैठा हुआ था। चूत का पानी निकलने के बाद समिरती ने अपना सिर घुमा के टॉमी की तरफ़ देखा और फ़िर मुस्कुरा के अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके मुँह को सहलाने लगी। कुत्ता भी अपनी मालकिन की तरफ़ से अपने काम को... अपनी करकरदगी को पसंद किये जाने पर खुश हो रहा था। समिरती आहिस्ता-आहिस्ता उसके सिर को सहला रही थी। समिरती मुस्कुराते हुए उसको देखते हुए अपनी उंगली को उसके नोकीले दाँतों पर फिराने लगी। उसे थोड़ा अजीब लग रहा था मगर उसे ये भी पता था... ये भी एहसास था कि उसके उन दाँतों ने उसे किस तरह मज़ा दिया था... उसके मम्मों को काटते हुए।
टॉमी के मुँह पर से समिरती का हाथ उसकी गर्दन पर आ गया और फिर उसके पेट को सहलाने लगी। जब समिरती की नज़र टॉमी की खुली और फ़ैली हुई टाँगों पर पड़ी... और उसे वहाँ वो ही चीज़ नज़र आयी जिसे वो थोड़ी देर पहले अपने पांव और सैंडल से सहला रही थी। समिरती की नज़र उसी पर जम कर रह गयी... टॉमी के लंड पर! वो उसे देखे जा रही थी... बिना किसी और तरफ़ देखे... बिना अपनी पलकें झपकाये। वो सुर्ख रंग का लंबा सा... चमकता हुआ किसी हड्डी की तरह ही लग रहा था। मगर इस वक़्त बहुत ज्यादा अकड़ा हुआ नहीं था फ़िर भी काफ़ी लंबा लग रहा था। करीब-करीब आठ इंच तो होगा वो इस वक़्त भी। आगे से बिल्कुल पतला सा नोकदार और पीछे को जाते हुए मोटा होता जाता था... फैलता जाता था। उसके लंड के अगले सुराख में से भी हल्का-हल्का पानी रिस रहा था। समिरती का हाथ अभी भी टॉमी के जिस्म पर था और उसकी पसलियों को सहला रहा था। समिरती का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता आगे को सरकने लगा... टॉमी के लंड की तरफ़! उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। वो खुद को रोकना चाह रही थी मगर उसका जिस्म उसके काबू में नहीं था। हाथ आहिस्ता-आहिस्ता सरकता हुआ आगे को बढ़ रहा था। चंद लम्हों में ही समिरती का हाथ टॉमी के लंड के करीब पहुँच चुका हुआ था। अपने धड़कते हुए दिल के साथ समिरती ने अपनी उंगली से उसके लंड की नोक को छुआ और फ़ौरन ही अपना हाथ वापस खींच लिया... जैसे उसमें कोई करंट हो... या जैसे उसका लंड उसकी उंगली को काट लेगा... या उसे डंक मार देगा! मगर टॉमी के लंड में ज़रा सी हरकत पैदा होने के सिवा और कुछ भी नहीं हुआ। उसका लंड वैसे का वैसे ही उसकी रान के ऊपर पड़ा रहा।
कुछ ही देर के बाद समिरती ने दोबारा से अपनी उंगली से टॉमी के लंड को छूना शुरू कर दिया। इस पोज़िशन में लेटे हुए समिरती का हाथ बड़ी ही मुश्किल से टॉमी के लंड तक पहुँच रहा था। कुछ सोच कर समिरती थोड़ा सी हरकत करते हुए टॉमी के जिस्म के निचले हिस्से की तरफ़ सरक गयी। अब उसकी उंगली बड़ी आसानी के साथ टॉमी के पूरे लंड पर सरक रही थी... उसे सहला रही थी। समिरती ने टॉमी के चेहरे की तरफ़ देखा मगर उस जानवर ने कौनसा कोई अपने चेहरे से तासुरात देने थे जो वो समिरती की हरकत से खुशी का इज़हार करता। लेकिन एक बात की समिरती को तसल्ली थी कि टॉमी कोई नापसंदीदगी भी नहीं दिखा रहा था और उसी की तरफ़ देखते हुए समिरती के हाथ की पूरी उंगलियाँ उसके लंड के गिर्द लिपट गयीं। बहुत ही गरम... चिकना-चिकना और सख्त और लंबा और मज़बूत महसूस हो रहा था उसे टॉमी का लंड। समिरती ने उसे अपने हाथ में ले कर आहिस्ता-आहिस्ता अपनी मुठ्ठी के अंदर ही उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया। टॉमी का लंड उसकी मुठ्ठी में आगे पीछे को सरक रहा था और उसके लंड के चिकनेपन से समिरती का हाथ भी चिकना हो रहा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। उसके लंड को महसूस करती हुई वो उसका मवाज़ना इंसानी लंड के साथ भी कर रही थी यानी अपने शौहर के लंड के साथ और बिना किसी चीज़ को नापे वो आसानी से कह सकती थी कि टॉमी का लंड उसके शौहर के लंड से लंबा और मोटा है।
समिरती के सहलाने से... उसकी मुठ मारने से... टॉमी को भी शायद मज़ा आने लगा था। वो पहले तो उसी तरह लेटा रहा मगर फ़िर अपनी जगह से उठ कर खड़ा हो गया। समिरती अभी भी टॉमी के करीब नीचे कार्पेट पर ही लेटी हुई थी और अब टॉमी उसके सामने खड़ा था। मगर अब समिरती को उससे कोई भी... किसी किस्म का भी खौफ़ महसूस नहीं हो रहा था। उसके अचानक उठ कर खड़ा होने से उसका लंड समिरती के हाथ से निकल गया था मगर उसे अपनी जगह से कहीं आगे ना जाते हुए देख कर समिरती ने एक बार फ़िर से उसका लंड पकड़ लिया और आहिस्ता-आहिस्ता उसे सहलाने लगी। टॉमी अगर अपने लंड को अभी भी समिरती के हाथ में दिये रखना चाहता था तो समिरती का दिल भी उसके लंड को अपने हाथ से छोड़ने को नहीं चाह रहा था। अब वो नीचे कार्पेट पर पड़ी हुई टॉमी के पेट के नीचे उसके फ़र में से खाल में हो रहे हुए सुराख में से निकालते हुए लंड को देख रही थी... उसे छू रही थी और अपने हाथ में ले कर एक बार फ़िर से उसे आगे-पीछे कर रही थी। टॉमी के लंड में से निकलने वाला कोई लेसदार सा मवाद... साफ़ ज़ाहिर है कि... टॉमी की मनी ही थी वो... निकल-निकल कर समिरती के हाथ पर लग रही थी। मगर वो अपनी ही इस नयी दुनिया में मगन... उसे अपने हाथ आयी हुई ये नयी चीज़ अच्छी लग रही थी। समिरती को महसूस हुआ कि अब टॉमी का लंड पहले की निस्बत अकड़ चुका हुआ है... और भी सख्त हो चुका है! समिरती का हाथ उसके लंड पर पीछे को जाने लगा... उसकी जड़ तक... और पीछे उसे कुछ और ही चीज़ महसूस हुई... कुछ मोटी सी... गोल सी... बहुत बड़ी सी! समिरती अब थोड़ा और भी टॉमी के लंड की तरफ़ सरक आयी। काफ़ी करीब पहुँच चुकी थी वो उसके लंड के और अब वो उसकी तरफ़ देखने लगी। ये टॉमी के लंड का आखिरी हिस्सा था जोकि किसी गेंद की तरह मोटा और फूला हुआ था... मुर्गी के अंडे के जितना मोटा और बड़ा। अब बहुत करीब से टॉमी का लंड देखने पर उसे और भी ये अजीब लग रहा था। लंबा सा मोटा सा हथियार था कुत्ते का जिस पर छोटी-छोटी रग़ें ही रग़ें थीं.... गहरे नीले रंग की! उन गहरी नीली रग़ों की तादाद इतनी ज्यादा थी उसके लंड पर कि उसके लंड का सुर्ख रंग अब जामुनी सा हो रहा था।
अपने हाथ में पकड़ कर टॉमी के सुर्ख लंड को सहलाते हुए समिरती की नज़रों में वो तमाम फ़िल्में चल रही थीं जानवरों से चुदाई की जो उसने पहले देख रखी थीं। उसके दिमाग में घूम रहा था कि कैसे औरतें कुत्तों के लन्न मुँह में ले कर चूसती हैं... कैसे उसे अपनी ज़ुबान से चाटती हैं! पहले जब उसने ये सब देखा था तो उसे हैरत होती थी मगर अब इस वक़्त हक़ीक़त में एक कुत्ते का लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसे सहलाते हुए उसका ज़हन कुछ बदल रहा था। अब उसे इतना अजीब नहीं लग रहा था। बल्कि उसका दिल चाह रहा था कि आज एक बार... सिर्फ़ एक बार... पहली और आखिरी बार... वो भी इस कुत्ते के लंड को अपनी ज़ुबान लगा कर चेक तो करे कि कैसा लगता है उसका ज़ायका! और क्या सच में कोई मज़ा भी आता है या कि नहीं! यही सोचते हुए बिल्कुल ग़ैर-इरादी तौर पर और ऐसे कि जैसे वो किसी जादू के ज़ैर असर हो... आहिस्ता-आहिस्ता टॉमी के लंड की तरफ़ बढ़ रही थी... बिल्कुल करीब! उसके होंठ टॉमी के लंड के बिल्कुल करीब पहुँच चुके थे। उसका अपना दिमाग बिल्कुल बंद हो चुका हुआ था। वो कुछ भी और नहीं सोच रही थी। बस उसे टॉमी का लंड ही नज़र आ रहा था। बिना सोचे समझे आखिरकार समिरती ने अपने होंठों के साथ टॉमी के लंड को छू लिया... सिर्फ़ एक लम्हे के लिये... और फ़ौरन ही उसका मुँह पीछे हट गया। समिरती को हैरत हुई कि उसे ये बुरा नहीं लगा था। डरते-डरते समिरती ने टॉमी की तरफ़ देखा... फ़िर अपने इर्द गिर्द एक नज़र दौड़ाई... ये देखने के लिये कि कोई उसे देख तो नहीं रहा। फ़िर अपनी तसल्ली करने के बाद उसने दोबारा अपने होंठ टॉमी के लंड की तरफ़ बढ़ाये और एक बार फ़िर उसके लंड को अपने होंठों से छुआ। अपना हाथ पीछे के हिस्से में ले जा कर समिरती ने उसके लंड के मोटे गोल हिस्से के पीछे से टॉमी के लंड को अपने हाथ की गिरफ़्त में लिया और अपने होंठों को जोड़ कर उसके लंड पर लंबाई के रुख फिराने लगी। अजीब सा मज़ा आने लगा था समिरती को। वो अपने होंठों से जैसे उसके लंड को सहला रही थी... चूस रही थी!
कुछ देर तक ऐसे ही अपने होंठों के साथ टॉमी के लंड को सहलाने के बाद समिरती का खौफ़ और झिझक खतम हो रही थी। उसे जैसे-जैसे ये सब अच्छा लग रहा था... वो वैस- वैसे ही खुलती जा रही थी। साथ ही उसके होंठ भी खुले और उसकी ज़ुबान बाहर निकली और उसने अपनी ज़ुबान की नोक के साथ टॉमी के लंड को सहलाना शुरू कर दिया। वो उसके लंड पर अपनी ज़ुबान आहिस्ता-आहिस्ता फिराने लगी... उसकी नोक से ले कर उसकी पीछे की मोटी गोलाई तक। समिरती अब अपनी ज़ुबान फिराती हुई उसके लंड को महसूस कर रही थी। कुछ अजीब सी चीज़ लग रही थी... नयी सी... जमाद के लंड से मुखतलीफ़... अजीब सा मगर अच्छा! समिरती ने अपनी ज़ुबान को टॉमी के लंड की नोक पर रखा और उसे अपनी ज़ुबान से चाटने लगी। समिरती को हैरत हुई कि उसमें से वक्फ़े-वक्फ़े से थोड़ा-थोड़ा पानी निकल रहा था... हल्की सी धार की सूरत में और एक बार तो जब समिरती की ज़ुबान उसकी नोक पर थी तो वो ही पानी उसकी ज़ुबान पर आ गया। समिरती ने फ़ौरन अपना मुँह पीछे हटा लिया मगर ज़ुबान पर उसका ज़ायका रह गया। तभी समिरती को लगा... एहसास हुआ कि उसका ज़ायका कुछ इतना भी बुरा नहीं है। समिरती ने अब एक बार फ़िर अपनी ज़ुबान से उसके लंड को चाटना शुरू कर दिया और फ़िर पीछे अपनी ज़ुबान ले जा कर उसकी मोटी गेंद को चाटा। समिरती ने एक बार फ़िर हिम्मत करके उसके लंड की टोपी को अपने होंठों के बीच में लिया और उसे चूसने लगी... आँखें बंद करके... कुछ भी ना सोचते हुए... मगर उसके लंड से निकलने वाले पानी को कबूल करते हुए! आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
फ़िर टॉमी के लंड से उसका हल्का-हल्का पानी निकल कर समिरती के मुँह के अंदर गिरने लगा मगर इस बार समिरती ने उसके लंड को अपने मुँह से बाहर नहीं निकाला और उसे चूसने लगी। उसके लंड का पानी निकल-निकल कर समिरती के मुँह के अंदर गिरने लगा। कुछ अजीब सा ज़ायका लग रहा था उसे... मर्द के लंड से मुखतलीफ़! गाढ़ा पानी नहीं था मर्द की तरह बल्कि पतला-पतला सा था... नमकीन सा... कसैला सा... जोकि अब समिरती के हलक़ से नीचे उतर रहा था... उसके गले में से होता हुआ उसके पेट के अंदर। समिरती को ये ज़रा भी बुरा नहीं लग रहा था। वो अब अपने हाथों और घुटनों के बल झुकी हुई थी और टॉमी का लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसे अपनी ज़ुबान से चाट रही थी और कभी उसे मुँह के अंदर लेती और चूसने लगती। सब कुछ भूलभाल कर समिरती अब सिर्फ़ मज़ा ले रही थी। खुद को पूरी तरह से अपने कुत्ते के साथ मस्त कर चुकी हुई थी... जानवर और इंसान का फ़र्क़ खतम कर चुकी थी और उसके लंड को चूसती चली जा रही थी। किस प्रकार कुत्ते ने समिरती को चोदा जानने के लिए अगली कहानी जरुर पढ़ें...
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