कटनी (MP) वाली भाभी को तड़पाकर चोदा Katni wali bhabhi ko tadapakar choda
कटनी (MP) वाली भाभी को तड़पाकर चोदा Katni wali bhabhi ko tadapakar choda, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.
मैं कटनी शहर के पास के गाँव का एक ठाकुर परिवार से हूँ। मैं जब क्लास 11Th में पढता था तब भाभी जी मेरे भइआ से शादी करके में घर आई थी। भाभी मेरे से कुछ महीने की बड़ी होंगी। भाभी और भैया की उम्र में 10-12 साल का लंबा फासला है। भाभी के घर वाले गरीब थे इस लिए उन्होंने अपनी लड़की की शादी 10-12 साल बड़े लड़के से कर दिया था। भैया उस समय सरकारी नौकरी में थे इस लालच में शादी हो गई। भाभी की शादी हुई उस समय भाभी करीब 17-18 साल की गजब की खूबसूरत थी,पूरी कैटरीना कैफ लगती थी। उनकी खूबसूरती को देखकर मैं उस समय से लेकर तो आज तक भाभी को चोदने का सपना लिए जीवन बिताता रहा। पर ये सपना पूरा हुआ पुरे 28 साल बाद।
भाई साहब मिलेट्री में थे और रिटायर होने के बाद कटनी से 50 किलोमीटर दूर एक प्राइवेट कम्पनी में गार्ड की नौकरी कर लिया। और कम्पनी के ही परिषर में रहने लगे। कभी कभी महीने में एकात दिन के लिए आते और फिर वापस चले जाते। भाभी जी शहर के घर में अपने छोटे भाई और उसकी 8 साल की लड़की के साथ अकेले रहती है। भाई स्थाई नहीं रहता, गांव और शहर आता जाता रहता। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। गाँव में मैं भाभी जी का सबसे प्रिया देवर हूँ, जब कालेज की पढ़ाई करता था तब भाभी जी भैया के छुट्टी आने पर हमारे किराए के रूम में भैया के साथ रहने आती थी और रात में दोनों खूब चुदाई करते तब हम बिना प्लासटर के मकान के ईंटों के बीच छेद करके चुदाई का लाइव मजा उठाया करते थे। भइआ की चुदाई से भाभी बहुत कम संतुष्ट होती थी ये मैंने कई बार देखा था,पर तब समझ नहीं आता था,आज उस दृश्य को याद करता हूँ तो समझ आता है।
समय बीता मैं पढाई करके बाहर शहर नौकरी करने लगा। जब पढता था तब कई बार भाभी के साथ बस में गाँव आता जाता था तो भाभी के साथ खूब चिपक कर यात्रा करता था। कई बार भाभी के साथ फिल्म देखने भी गया और भाभी के कंधे में हाथ रखकर फिल्म देखा। होली में खूब रंग खेलते थे। भाभी ने एक दो बार हिंट भी दिया था पर मैं ठहरा एक नंबर का फट्टू हिम्मत नहीं कर पाया। समय बीतता गया और मेरी भी शादी हो गई,बड़े बड़े बच्चे हो गए, भाभी ने भी लड़की की शादी कर दिया ओ अपने घर चली गई और एक लड़का पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनयर की नौकरी करने लगा। भैया और भाभी में कभी भी नहीं पटी दोनों में खूब झगडे होते रहते है। झगडे का मेन कारण भाभी का ज्यादा पढ़ा होना (भाभी MA है ) और भैया का कम पढ़ा (मात्र 12 वी) हालांकि की भाभी ने अपनी पढ़ाई शादी के बाद तक पूरी किया। लड़ाई का एक कारण ये भी है भाभी का बहुत आधुनिक और हँस-मुंह हैं जबकि भैया बहुत ही रिजर्व नेचर के है उन्हें ये सब पसंद नही,।
भैया बहुत कंजूस है और सामन्य जीवन बिताना पसंद करते है जबकि भाभी बहुत ही फ्रैंक,एडवांस और लीविंग स्टैंडर्ड बहुत है इस लिए भी दोनों में आये दिन झगडे होते रहते। झगडे की बजह से भैया ज्यादा साथ रहना पसंद नहीं करते। पर भैया और भाभी जी मेरी बातों को बहुत महत्व देती है इस लिए मैं दोनों को समझाता और प्रेम से रहने की सीख देता, भाभी मेरे से बहुत प्रभावित है। जब भाभी से मिलता बहुत प्रेम से मिलती। भाभी इतनी उम्र हो जाने के बाद भी मस्त टनाटन माल रखी है। ज़रा सा पेट बाहर नहीं निकला है। शरीर की मांसपेशिया आज भी खूब टाइट लगती है। न तो ज्यादा मोटी हुई और न ही दुबली है। रोज सुबह घर में मशीन में दौड़ती है एक्सर्साइज़ करती है इस लिए एकदम से फिट रहती है।
भैया के अनुपस्थित में भाभी खूब ओपन हँसी मजाक करती रहती है, द्विअर्थी शब्दो में भद्दे भद्दे मजाक भी करती। मेरी शादी हो जाने के बाद बाद भी भाभी को चोदने का ख्याल कई बार आया पर मौका नहीं मिलता क्योकि जब भी अपने शहर से भाभी के घर जाता कोई न कोई भाभी के घर में रहता, इस बार मौका मिला तो भाभी की चुदाई कर लिया। कैसे चुदाई किया आगे पढ़ो ............
मुझे अभी 7 जनवरी 2016 को गाँव में कुछ काम था इस लिए अपने शहर से गाँव के लिए चला और जब दमोह पहुंचा तो भाभी को फोन करके बताया की ''खाना बना लीजिये मैं आ रहा हूँ''। तो भाभी पूछी ''अकेले अकेले या वन्दना भी है'' (वन्दना मेरी पत्नी का नाम है) तब मैंने बताया की अकेला ही हूँ तो भाभी चहकते हुए पूछी ''क्या खाएंगे '' तो मैंने कहा ''जो आपको पसंद है बना लीजिये'' तो हस्ते हुए बोली ''मुझे तो लम्बे वाले भाटे का भुर्ता बहुत पसंद है'' तब मैंने खिलखिलाते हुए कहा '' भुर्ता तो बहुत लूज हो जाता है'' तो चहकते हुए बोली '' तो क्या हुआ कड़क खा लुंगी'' और जोर से हँसने लगी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं भाभी का इसारा समझ गया और मन ही मन चुदाई की कल्पना से लण्ड कड़क होकर खड़ा हो गया। बहुत देर तक द्विअर्थी संवाद होता रहा भाभी से,बात बात में पता चला की की भाभी का भाई आज नहीं है ओ गाँव गया हुआ है। मुझे पूरा विश्वास हो गया की इस बार बढ़िया मौका है भाभी को चोदने का।
करीब 7 मिनट तक बात करने के बाद फोन का नेटवर्क नहीं मिलने से अपने आप कट गया। करीब 10:15 बजे ट्रेन कटनी पहुंच गई, तो भाभी से पूछा ''कुछ लाना है क्या'' तो भाभी बोली ''सलाद के लिए लाल लाल टमाटर और बढ़िया कड़क,लाल,मोटी और लंबी सी गाजर एक किलो ले आना'' तब मैं हँसते हुए बोला ''ज्यादा मोटी गाजर में मिठास कम हो जाती है'' तो भाभी जोर से खिलखिलाते हुए बोली ''मुझे तो मोटी,लम्बी और कड़क गाजर ही पसंद है'' तब मैंने कहा ''ठीक है आज आपकी पसंद की ही खिलाऊंगा'' तो भाभी बोली ''मैं इन्तजार कर रही हूँ आपकी मोटी, कड़क, लम्बी ........... की'' और फिर रुक कर बोली ''गाजर की'' और खूब जोर जोर से हँसने लगी। मैं समझ गया कि भाभी इस बार लण्ड खाने मूड में है। एक ऑटो पकड़ा और रस्ते में बढ़िया ताज़ी मोटी,लम्बी,कड़क गाजर और टमाटर लिया व कुछ देर में भाभी के घर पहुंच गया। रास्ते में बियाग्रा की टेबलेट और कंडोम ले लिया और एक चाय की गुमटी से पानी लेकर वियाग्रा की 2 टेबलेट खा लिया।
पहुँचते ही भाभी ने खूब स्वागत किया, मैंने गाजर और टमाटर रख दिया तो भाभी गाजर को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए बोली ''बहुत अच्छी गाजर लाये आप, मजा आएगा खाने में'' और हँसी मजाक करते हुए करीब 11 बजे दोनों ने साथ में खाना खाए। भाभी की भतीजी सो गई थी। मैं बार बार सिर को दबाता और सिर दर्द होने का बहाना बनाता। तो भाभी बोली ''लाल साहब (देवर को लाल साहब कहती है) जाइए टीवी वाले रूम में लेट जाइए अभी आती हूँ।
सिर दबा देती हूँ,ठीक हो जाएगा '' तब मैं जाकर टीवी ऑन कर लेट के टीवी देखने लगा तो कुछ देर में भाभी डाबर आँवले के तेल की सीसी लेकर आई और सोफे में बैठ कर मेरे सर में तेल डालकर मालिस करने करने। उस दिन खूब ठंडी थी भाभी सोफे में बैठे बैठे कापने लगी तो उन्हें बोला '' भाभी जी बिस्तर में आ जाइए और रजाई ओढ़ लीजिये नहीं तो ठंडी लग जाएगी'' तो भाभी तुरंत ही उठकर मेरे बिस्तर में आ गई और रजाई ओढ़कर अपने पाँव को मेरे बगल में फैलाकर बैठ गई और मेरे सिर में मालिस करने लगी तो मैं भाभी के स्वभाव और खूबसूरती की तारीफ करने लगा। और तारीफ करते करते भाभी के गोरे गोरे चिकने चिकने हाँथ पर अपने हाँथ को घुमाने लगा और हाथ को किस कर लिया। भाभी बड़े प्यार से दोनों हाथों से मेरे सिर को दबा रही थी। चूचियाँ मेरे गाल से टकराती। मुझे ऐसा लगा जैसे भाभी ने ब्रा नहीं पहन रखी थी।
भाभी के हाथों को सहलाते सहलाते धीरे से जांघो पर हाँथ घुमाने लगा तो भाभी जी को कोई नकारत्मक प्रतिक्रिया नहीं हुई तो उनकी गाउन को एड़ी की तरफ से जांघो तक खींचा और जांघो को सहलाने लगा तो भाभी ने मेरे हाँथ को पकड़ कर रोक दिया और उठने लगी तो मैंने पूछा ''क्या हुआ भाभी जी'' तो कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा का उठ कर कमरे से चली गई। मैं सोचा भाभी की चुदाई का वीडिओ बनाया जाय , ये सोचकर टीवी स्टैंड में टीवी और सेटपबॉक्स के बीच मेरा सैमसंग नोट 3 मोबाइल को वीडिओ रिकॉर्डिंग मोड़ में बिस्तर की तरफ सेट करके रख दिया।
करीब 5 मिनट बाद दरबाजा जोर से बंद करने की आवाज आई तो मैं समझा भाभी सोने चली गई और ये सोच कर पछताते हुए टीवी बंद करने की सोचने लगा, तो देखा की भाभी टीवी वाले कमरे का दरवाजा बंद करके ''रूम हीटर'' हाथ में लिए आई और प्लग में लगाकर पलंग के सिराहने रख दिया और खड़ी होकर बात करने लगी तो मैंने उनका हाँथ पकड़ कर पलंग में खीचते हुए बोला ''रजाई ओढ़ लीजिये नहीं तो ठण्ड लग जाएगी'' तो वो कुछ नहीं बोली और पलंग में आकर अपने पाँव फैलाकर मेरे सिरहाने बैठ गई और वापस सिर दबाने लगी तो कुछ ही देर में मैंने भाभी की गाउन को खिसकाया और नंगी चिकनी जांघों पर हाथ घुमाने लगा तो भाभी ने मेरे हाथ को हटा दिया और मुस्कुराते हुए बोली '' सिर दर्द ठीक हो गया तो सैतानी सुरु कर दिया'' तब मैंने भाभी के सिर को पकड़ कर झुकाया और गाल में किस कर लिया तो भाभी बोली ''मत करिये सैतानी'' तब मैंने भाभी को खीचकर अपने ऊपर लिटा लिया और कस कर पकड़ते हुए जल्दी जल्दी उनके गालो को चूमने लगा और चूची को दबा दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी इस लिए चूचियों की टाइट निप्पल साफ़ साफ़ समझ आ रही थी। भाभी ने कोई बिरोध नहीं किया तो उन्हें में पलट कर अपने बगल में लिटा लिया और रजाई ओढ़ा कर अपने सीने से चिपकाते हुए किस करने लगा और चूचियों पर हाथ घुमाने लगा तो भाभी ने अपना दायाँ हाथ मेरे लण्ड के ऊपर रखकर जायजा लिया, मैं समझ गया की ये मेरी पोजीसन समझ रही है। तब मैंने रजाई को फेका और उठकर दरवाजे की सिटकनी अंदर से लगाकर वापस बिस्तर में आया और भाभी की गाउन को खीच कर जांघो को चूमने लगा और एक हाथ से चूची को सहलाने लगा। उनकी चूचियाँ हाई ब्लड सर्कुलेसन से एकदम से कड़क पड़ चुकी थी (चुदाई के समय ब्लड़ का सर्कुलेसन बढ़ जाने से पुरुष का लण्ड कड़क पड़ता है ठीक उसी तरह महिलाओं के शरीर में भी ब्लड सर्कुलेसन हाई होता है जिससे चूचियाँ कड़क पड़ती है, चूत की मांसपेशिया भी टाइट पड़कर चूत का छेद संकीर्ण करती है जिससे सम्भोग का पूरा आनंद मिले और गर्भ रुक सके, ये नेचुरल क्रिया है जो सभी पुरुष-महिलाओं में होती है )।
वियाग्रा के असर से मेरे लण्ड में जापान वाली सुनामी दौड़ रही थी। भाभी जी बेड में चुपचाप लेटी हुई मेरी एक एक हरकत को आराम से करने दे रही थी। मैंने धीरे से भाभी की गाउन को जांघो से ऊपर कमर तक खिसकाया काले रंग की पेंटी को खीचकर बाहर निकाला और टांगो को फैलाकर क्लीन सेव बुर को चाटने लगा। बुर एकदम से चिकनी थी, बालों का खुरदुरापन ज़रा सा भी नहीं था, ऐसा लग रहा था जैसे कुछ घंटे पहले ही सेविंग किया हो। जैसे गाल चिकने है वैसी ही भाभी की बुर चिकनी है। थोड़ी देर तक चूत चाटने से भाभी गर्म पड़ गई और मेरी मजबूत भुजाओं को पकड़ कर सहलाने लगी और पकड़ कर अपने ऊपर खीचने लगी तो मैंने उनकी गाउन को ऊपर तक खिस काया और मस्त मस्त चूचियों को चूसने लगा तो भाभी मेरे लण्ड को चढ्ढि के ऊपर से ही पकड़ कर खिलाने लगी तो मैं उठा और भाभी को भी उठाया और गाउन उतारने का इसारा किया तो भाभी बैठे बैठे ही गाउन को उतारकर सोफे में रख दिया।
मैंने खड़ा होकर जल्दी से अपनी टी सर्ट-बनियान / लोवर-चड्डी को उतारकर भाभी की गाउन के ऊपर फेंक दिया। भाभी मेरे 7 इंच लम्बे और भाभी की कलाइयों की तरह मोटे ऊपर की तरफ खड़े लण्ड को अपलक देखने लगी तो मैंने लण्ड में झटके मारा तो लण्ड ऊपर नीचे हिलने लगा तो उसने बैठे - बैठे ही लण्ड को पकड़ कर नीचे झुकाया और छोड़ दिया तो लण्ड वापस ऊपर की तरफ 10 डिग्री में खड़ा हो गया, तब भाभी ने फिर से लण्ड को पकड़ कर छोड़ दिया इस तरह से लण्ड चूसते हुए भाभी कई बार लण्ड को पकड़ने छोड़ने लगी और फिर उठकर घुटने के बल बिस्तर पर खड़ी हो गई और लण्ड के सुपाड़े को नंगा किया और लाल सुर्ख सुपाड़े को चाटने लगी तो मैंने पूछा ''गाजर अच्छी लगी'' तो मेरे तरफ बड़े प्यार से देखी और हाथ की दो उँगलियों से ज़ीरो बनाकर इसारा किया और फिर गप्प से आधा लण्ड मुँह में डाल किया और चूसने लगी करीब 3 मिनट तक लण्ड को चूसती रही, तो ऐसा लगा की मैं झड़ जाऊंगा, तब मैंने लण्ड को भाभी के मुंह से बाहर निकाल लिया और भाभी के पास बैठकर उनकी चूचियों को पीने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। भाभी की चूचियाँ एकदम से टाइट हो गई थी।
भाभी को लिटा दिया और पास में रखी तेल की सीसी से तेल निकालकर भाभी की चूचियों में डाल दिया और फिर बढ़िया मालिस करने लगा, तो भाभी ने अपनी दोनों आँखे बंद कर लिया और मालिस का मजा लेने लगी मैं जैसे जैसे चूचियों का मर्दन करता वैसे वैसे भाभी अपने होठो को दाँतों से दबाने लगी। चूचियों का मर्दन करते करते चिकनी चिकनी जांघो पर तेल डाला और जांघो को मालिस करने लगा, एड़ी से लेकर तो चूत तक खूब तेल डॉल कर पाँव की मालिस करने लगा तो भाभी ने आँख खोली और मेरे तरफ बड़े प्यार से देखते हुए अपनी दोनों बाहो को फैलाया और अपनी तरफ आने का इशारा किया तब मैं उनकी टांगो को फैला कर चूत को चाटने लगा करीब 5 मिनट तक चूत को चाटा होगा कि भाभी गर्म आग हो गई और बार बार मेरे हाथो को पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी तो तकिया के नीचे रखे कंडोम को निकाला और लण्ड के सुपाड़े की चमड़ी को आगे कर सुपाड़ा ढक दिया और कंडोम चढ़ा लिया (कंडोम पहले ही तकिया के नीचे छिपा दिया था,सुपाड़े की चमड़ी ढक कर कंडोम लगाने से चुदाई में बहुत देर तक स्खलन को रोका जा सकता है) और फिर झुक कर चूत चाटने लगा।
भाभी थोड़ा सा उठी और मेरी तरफ बड़ी कातर निगाह से देखकर कर बोली ''जान मत लो मेरी प्लीज़'' और मुझे पकड़ कर अपनी भाभी ने खीचकर सीने से चिपका लिया तो मैं भाभी के ऊपर लेट गया और धीरे से लण्ड को चूत में घुसेड़ दिया। जैसे ही लण्ड अंदर घुसा भाभी ने अपना मुह ''आह'' करते हुए फाड़ दिया और फिर धीरे से बोली ''उ उ ऊ ऊ उ उह आह आह उफ़ मजा आ गया'' और मेरे गाल पर किस की बौछार कर दिया। मै लण्ड डालकर कर चुपचाप भाभी के ऊपर लेटा रहा। भाभी अपनी चूत को सिकोड़ती और छोड़ती। चूत को इतनी जोर से सिकोड़ती की लण्ड पर अच्छा दबाब महसूस होता। जब ओ चूत को सिकोड़ती तभी मैं लण्ड को थोड़ा सा बाहर की और निकालने लगता तो ओ और जोर से चूत सिकोड़ लेती जैसे ओ चाहती हो लण्ड अंदर ही रहे। इस तरह मैं एक-दो सेंटीमीटर लण्ड को बाहर की और खींचता और जब ओ जोर से चूत को सिकोड़ती तो फिर से खूब धीरे-धीरे लण्ड को चूत के अंदर की तरफ करता। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
इस तरह से यही क्रिया करीब 4-5 मिनट तक करता रहा। भाभी अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ में डालकर खूब कस कर पकड़ लिया और मेरे गालों को जोर जोर से चूमते हुए मेरे होठो को चूसने लगी और फिर अपनी जीभ निकालकर मेरे होठो पर घुमाने लगी तो मैंने भी अपनी जीभ निकाला और भाभी की जीभ को चाटने लगा। लण्ड को पहले की तरह थोड़ा आगे-पीछे करता फिर रुक कुछ देर के लिए रुक जाता इससे भाभी इतनी ज्यादा गर्म पड़ गई की अपने चूतड़ों को जोर जोर से ऊपर की तरफ उठाने लगी और बोली ''जल्दी जल्दी करो न प्लीज़'' तो मैं भाभी के ऊपर से उठकर एक तकिया को भाभी के कमर और चूतड़ों के नीचे रख दिया जिससे लण्ड पूरी गहराई तक अंदर तक जा सके और फिर अपने फिर दोनों हाथो को भाभी के चूचियों के अगल-बगल बेड पर रख लिया और फिर से लण्ड डालकर धीरे धीरे लण्ड को लगातार आगे पीछे करने लगा।
भाभी अपनी बुर को खूब सिकोड़ लेती और फिर ढीली करती फिर सिकोड़ती ढीली करती इस तरह लगातार ऐसे करने लगी लण्ड पर जितना अधिक दबाब पड़ता मुझे उतना ही अधिक मजा आता। (मेरी बीबी चुदाने में इतना इंट्रेस्ट नहीं लेती और ओ बहुत जल्दी स्खलित भी हो जाती है) जैसे जैसे लण्ड की गति बढ़ती जाती वैसे वैसे भाभी अपनी दोनों टांगों को ऊपर उठाती और जब जल्दी जल्दी लण्ड के झटके मारने लगा तो भाभी ने अपनी दोनों टांगों को मेरे कमर में रखकर आपस में एक दूसरी टांग के ऊपर चढ़ा लिया और ताकत से टांगो को आपस में खींचती। मैं लण्ड की गति बढ़ाने लगा और जोर जोर से झटके मारने लगा तो लण्ड चूत की लड़ाई में फच फच फच की आवाज कमरे में आने लगी भाभी भाभी अब अपने दोनों हाथो को मेरी पीठ से हटाकर अपने दोनों हाथों से तकियों को कसकर पकड़ लिया व् अपनी चूचियों को ऊपर की तरफ उठाती और मुँह से उऔऔऔऊ ऊऊआह आह आह सी सी सी उफ़ उफ़ आह आह सी उइमा मर गई उई माँ मर उई माँ मर गई आह आह आह उउउउउ उफ्फ् आह आह सीस्स्स्स्स्स्स्स की आबाज निकालने लगी मैं समझ गया भाभी चरम स्टेज पर पहुँच चुकी है।
मैं भाभी को तड़पाने के लिए लण्ड को आगे पीछे करना कुछ सेकण्ड के लिए बंद कर दिया तो भाभी जल्दी से तकिये से हाथ हटाकर वापस मेरे पीठ पर रखकर जोर से चिपक गई और ऊऊआह आह आह सी सी सी उफ़ उफ़ आह आह सी उइमा मर गई उई माँ मर उई माँ मर गई आह आह आह उउउउउ उफ्फ् आह आह सीस्स्स्स्स्स्स्स बोली ''जल्दी जल्दी कर दो नहीं तो मर जाउंगी'' और इतना कहकर मेरी जीभ को इतनी जोर जोर से चूसने लगी जैसे मेरे मुह से निकाल ही लेंगी तब मैं जल्दी जल्दी झटके मारने लगा और लगातार 5 मिनट तक झटके मारता रहा, भाभी इतनी जोर से चिपकी थी जैसे फेवीक्विक लग गया हो और फिर अचानक मेरे पीठ से उनके हाथों की पकड़ ढीली पड़ गई और हाथ बगल में रखकर एकदम से निर्जीव होकर आँखे बंदकर सुस्त पड़ गई तो मैं समझ गया की भाभी जी स्खलित हो चुकी है।
मैं लण्ड डाले भाभी जी को चूमने लगा तो करीब 1 मिनट बाद आँख खोली और पूछी ''क्या हुआ आप फ़ारिग नहीं हुए क्या'' तब मैंने न में गर्दन हिला दिया तो बोली '' हो जाइए न फारिग'' तब मैंने कहा ''मैं इतनी जल्दी फारिग नहीं होता'' (कामोत्तेजक टेबलेट और सुपाड़ा नंगा किये बिना चुदाई के कारण मेरे लण्ड पर घर्षण कम हुआ इस लिए मैं स्खलित नहीं हुआ) तो भाभी मुस्कुराते हुए मेरे गाल को पकड़ के खींची और बोली ''वन्दना की तो जान निकाल लेते होंगे आप'' तो मैं हँसने लगा और बोला ''वदंना भी ऐसे ही मेरा साथ छोड़कर ;पहले ही फारिग हो जाती है'' तब भाभी हल्का से उठी और मेरे गाल को चूमते हुए बोली ''आप असली मर्द हो'' तब मैंने पूछा ''क्यों भैया भाभी को घोड़ी बनाकर बिना कंडोम के चोदा तब मैं स्खलित हुआ असली मर्द नहीं है क्या'' तो बोली ''ओ तो फुस्सी पटाखा है फटने के पहले ही फुस्स होकर धुँआ निकल जाता है'' मैं समझ गया की भाभी को भैया संतुष्ट नहीं कर पाते।
इस तरह करीब 5 मिनट तक लण्ड डाले डाले भाभी से बातें करता रहा। फिर लण्ड को बाहर निकाला और फिर भाभी को बोला ''आप घोड़ी बन जाओ तभी मैं फारिग हो पाउँगा'' तो भाभी घोड़ी बन गई तो मैं उनकी चूत को चाटने लगा करीब 5 मिनट तक चूत चाटते चाटते भाभी फिर से गर्म पड़ने लगी तो मैं समझ गया की इस बार नंगे लण्ड से चोदूंगा तो मुस्किल से 5-7 मिनट रुक पाउँगा और इतने समय में भाभी फिर से स्खलित नहीं हो पाएगी। तब बिना कंडोम निकाले ही लण्ड को पेल दिया और एक ढक्क्न तेल डालकर चूत को खूब चिकनी कर दिया और फिर दे दनादन, दे दानंदन, दे दनादन, दे दनादन लण्ड के झटके देने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। लण्ड और चूत के घर्षण से फक्क फक्क की आवाज आने लगी। मैंने सोचा देखू भाभी चुदाई का मजा ले रही है या नहीं तो मैंने लण्ड के झटके रोक दिया तो भाभी अपने चूतड़ों को खुद ही आगे पीछे करने लगी। मैं समझ गया भाभी फिर से गर्म पड़ चुकी हैं। और फिर दे दनादन, दे दानंदन, दे दनादन, दे दनादन चोदने लगा लगातार 8-9 मिनट तक चोदता रहा फिर तेज प्रवाह के साथ मेरा वीर्य बाहर हुआ तो पूरी ताकत लगाकर लण्ड को पेले पेले ही पूरा बजन देकर भाभी के ऊपर चढ़ गया, तो कुछ ही सेकंड में भाभी पेट के बल लेट गई, मैं पसीना पसीना होकर लण्ड डाले हुए करीब 3 मिनट तक भाभी के ऊपर लेटा रहा और फिर लण्ड को बाहर किया कंडोम को निकालकर उसमे गाँठ लगाया जिससे वीर्य बाहर नहीं निकले और फर्स में फेंक दिया। इस प्रकार भाभी की चुदाई का दौर शुरू हुआ।
भाई साहब मिलेट्री में थे और रिटायर होने के बाद कटनी से 50 किलोमीटर दूर एक प्राइवेट कम्पनी में गार्ड की नौकरी कर लिया। और कम्पनी के ही परिषर में रहने लगे। कभी कभी महीने में एकात दिन के लिए आते और फिर वापस चले जाते। भाभी जी शहर के घर में अपने छोटे भाई और उसकी 8 साल की लड़की के साथ अकेले रहती है। भाई स्थाई नहीं रहता, गांव और शहर आता जाता रहता। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। गाँव में मैं भाभी जी का सबसे प्रिया देवर हूँ, जब कालेज की पढ़ाई करता था तब भाभी जी भैया के छुट्टी आने पर हमारे किराए के रूम में भैया के साथ रहने आती थी और रात में दोनों खूब चुदाई करते तब हम बिना प्लासटर के मकान के ईंटों के बीच छेद करके चुदाई का लाइव मजा उठाया करते थे। भइआ की चुदाई से भाभी बहुत कम संतुष्ट होती थी ये मैंने कई बार देखा था,पर तब समझ नहीं आता था,आज उस दृश्य को याद करता हूँ तो समझ आता है।
समय बीता मैं पढाई करके बाहर शहर नौकरी करने लगा। जब पढता था तब कई बार भाभी के साथ बस में गाँव आता जाता था तो भाभी के साथ खूब चिपक कर यात्रा करता था। कई बार भाभी के साथ फिल्म देखने भी गया और भाभी के कंधे में हाथ रखकर फिल्म देखा। होली में खूब रंग खेलते थे। भाभी ने एक दो बार हिंट भी दिया था पर मैं ठहरा एक नंबर का फट्टू हिम्मत नहीं कर पाया। समय बीतता गया और मेरी भी शादी हो गई,बड़े बड़े बच्चे हो गए, भाभी ने भी लड़की की शादी कर दिया ओ अपने घर चली गई और एक लड़का पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनयर की नौकरी करने लगा। भैया और भाभी में कभी भी नहीं पटी दोनों में खूब झगडे होते रहते है। झगडे का मेन कारण भाभी का ज्यादा पढ़ा होना (भाभी MA है ) और भैया का कम पढ़ा (मात्र 12 वी) हालांकि की भाभी ने अपनी पढ़ाई शादी के बाद तक पूरी किया। लड़ाई का एक कारण ये भी है भाभी का बहुत आधुनिक और हँस-मुंह हैं जबकि भैया बहुत ही रिजर्व नेचर के है उन्हें ये सब पसंद नही,।
भैया बहुत कंजूस है और सामन्य जीवन बिताना पसंद करते है जबकि भाभी बहुत ही फ्रैंक,एडवांस और लीविंग स्टैंडर्ड बहुत है इस लिए भी दोनों में आये दिन झगडे होते रहते। झगडे की बजह से भैया ज्यादा साथ रहना पसंद नहीं करते। पर भैया और भाभी जी मेरी बातों को बहुत महत्व देती है इस लिए मैं दोनों को समझाता और प्रेम से रहने की सीख देता, भाभी मेरे से बहुत प्रभावित है। जब भाभी से मिलता बहुत प्रेम से मिलती। भाभी इतनी उम्र हो जाने के बाद भी मस्त टनाटन माल रखी है। ज़रा सा पेट बाहर नहीं निकला है। शरीर की मांसपेशिया आज भी खूब टाइट लगती है। न तो ज्यादा मोटी हुई और न ही दुबली है। रोज सुबह घर में मशीन में दौड़ती है एक्सर्साइज़ करती है इस लिए एकदम से फिट रहती है।
भैया के अनुपस्थित में भाभी खूब ओपन हँसी मजाक करती रहती है, द्विअर्थी शब्दो में भद्दे भद्दे मजाक भी करती। मेरी शादी हो जाने के बाद बाद भी भाभी को चोदने का ख्याल कई बार आया पर मौका नहीं मिलता क्योकि जब भी अपने शहर से भाभी के घर जाता कोई न कोई भाभी के घर में रहता, इस बार मौका मिला तो भाभी की चुदाई कर लिया। कैसे चुदाई किया आगे पढ़ो ............
मुझे अभी 7 जनवरी 2016 को गाँव में कुछ काम था इस लिए अपने शहर से गाँव के लिए चला और जब दमोह पहुंचा तो भाभी को फोन करके बताया की ''खाना बना लीजिये मैं आ रहा हूँ''। तो भाभी पूछी ''अकेले अकेले या वन्दना भी है'' (वन्दना मेरी पत्नी का नाम है) तब मैंने बताया की अकेला ही हूँ तो भाभी चहकते हुए पूछी ''क्या खाएंगे '' तो मैंने कहा ''जो आपको पसंद है बना लीजिये'' तो हस्ते हुए बोली ''मुझे तो लम्बे वाले भाटे का भुर्ता बहुत पसंद है'' तब मैंने खिलखिलाते हुए कहा '' भुर्ता तो बहुत लूज हो जाता है'' तो चहकते हुए बोली '' तो क्या हुआ कड़क खा लुंगी'' और जोर से हँसने लगी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं भाभी का इसारा समझ गया और मन ही मन चुदाई की कल्पना से लण्ड कड़क होकर खड़ा हो गया। बहुत देर तक द्विअर्थी संवाद होता रहा भाभी से,बात बात में पता चला की की भाभी का भाई आज नहीं है ओ गाँव गया हुआ है। मुझे पूरा विश्वास हो गया की इस बार बढ़िया मौका है भाभी को चोदने का।
करीब 7 मिनट तक बात करने के बाद फोन का नेटवर्क नहीं मिलने से अपने आप कट गया। करीब 10:15 बजे ट्रेन कटनी पहुंच गई, तो भाभी से पूछा ''कुछ लाना है क्या'' तो भाभी बोली ''सलाद के लिए लाल लाल टमाटर और बढ़िया कड़क,लाल,मोटी और लंबी सी गाजर एक किलो ले आना'' तब मैं हँसते हुए बोला ''ज्यादा मोटी गाजर में मिठास कम हो जाती है'' तो भाभी जोर से खिलखिलाते हुए बोली ''मुझे तो मोटी,लम्बी और कड़क गाजर ही पसंद है'' तब मैंने कहा ''ठीक है आज आपकी पसंद की ही खिलाऊंगा'' तो भाभी बोली ''मैं इन्तजार कर रही हूँ आपकी मोटी, कड़क, लम्बी ........... की'' और फिर रुक कर बोली ''गाजर की'' और खूब जोर जोर से हँसने लगी। मैं समझ गया कि भाभी इस बार लण्ड खाने मूड में है। एक ऑटो पकड़ा और रस्ते में बढ़िया ताज़ी मोटी,लम्बी,कड़क गाजर और टमाटर लिया व कुछ देर में भाभी के घर पहुंच गया। रास्ते में बियाग्रा की टेबलेट और कंडोम ले लिया और एक चाय की गुमटी से पानी लेकर वियाग्रा की 2 टेबलेट खा लिया।
पहुँचते ही भाभी ने खूब स्वागत किया, मैंने गाजर और टमाटर रख दिया तो भाभी गाजर को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए बोली ''बहुत अच्छी गाजर लाये आप, मजा आएगा खाने में'' और हँसी मजाक करते हुए करीब 11 बजे दोनों ने साथ में खाना खाए। भाभी की भतीजी सो गई थी। मैं बार बार सिर को दबाता और सिर दर्द होने का बहाना बनाता। तो भाभी बोली ''लाल साहब (देवर को लाल साहब कहती है) जाइए टीवी वाले रूम में लेट जाइए अभी आती हूँ।
सिर दबा देती हूँ,ठीक हो जाएगा '' तब मैं जाकर टीवी ऑन कर लेट के टीवी देखने लगा तो कुछ देर में भाभी डाबर आँवले के तेल की सीसी लेकर आई और सोफे में बैठ कर मेरे सर में तेल डालकर मालिस करने करने। उस दिन खूब ठंडी थी भाभी सोफे में बैठे बैठे कापने लगी तो उन्हें बोला '' भाभी जी बिस्तर में आ जाइए और रजाई ओढ़ लीजिये नहीं तो ठंडी लग जाएगी'' तो भाभी तुरंत ही उठकर मेरे बिस्तर में आ गई और रजाई ओढ़कर अपने पाँव को मेरे बगल में फैलाकर बैठ गई और मेरे सिर में मालिस करने लगी तो मैं भाभी के स्वभाव और खूबसूरती की तारीफ करने लगा। और तारीफ करते करते भाभी के गोरे गोरे चिकने चिकने हाँथ पर अपने हाँथ को घुमाने लगा और हाथ को किस कर लिया। भाभी बड़े प्यार से दोनों हाथों से मेरे सिर को दबा रही थी। चूचियाँ मेरे गाल से टकराती। मुझे ऐसा लगा जैसे भाभी ने ब्रा नहीं पहन रखी थी।
भाभी के हाथों को सहलाते सहलाते धीरे से जांघो पर हाँथ घुमाने लगा तो भाभी जी को कोई नकारत्मक प्रतिक्रिया नहीं हुई तो उनकी गाउन को एड़ी की तरफ से जांघो तक खींचा और जांघो को सहलाने लगा तो भाभी ने मेरे हाँथ को पकड़ कर रोक दिया और उठने लगी तो मैंने पूछा ''क्या हुआ भाभी जी'' तो कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा का उठ कर कमरे से चली गई। मैं सोचा भाभी की चुदाई का वीडिओ बनाया जाय , ये सोचकर टीवी स्टैंड में टीवी और सेटपबॉक्स के बीच मेरा सैमसंग नोट 3 मोबाइल को वीडिओ रिकॉर्डिंग मोड़ में बिस्तर की तरफ सेट करके रख दिया।
करीब 5 मिनट बाद दरबाजा जोर से बंद करने की आवाज आई तो मैं समझा भाभी सोने चली गई और ये सोच कर पछताते हुए टीवी बंद करने की सोचने लगा, तो देखा की भाभी टीवी वाले कमरे का दरवाजा बंद करके ''रूम हीटर'' हाथ में लिए आई और प्लग में लगाकर पलंग के सिराहने रख दिया और खड़ी होकर बात करने लगी तो मैंने उनका हाँथ पकड़ कर पलंग में खीचते हुए बोला ''रजाई ओढ़ लीजिये नहीं तो ठण्ड लग जाएगी'' तो वो कुछ नहीं बोली और पलंग में आकर अपने पाँव फैलाकर मेरे सिरहाने बैठ गई और वापस सिर दबाने लगी तो कुछ ही देर में मैंने भाभी की गाउन को खिसकाया और नंगी चिकनी जांघों पर हाथ घुमाने लगा तो भाभी ने मेरे हाथ को हटा दिया और मुस्कुराते हुए बोली '' सिर दर्द ठीक हो गया तो सैतानी सुरु कर दिया'' तब मैंने भाभी के सिर को पकड़ कर झुकाया और गाल में किस कर लिया तो भाभी बोली ''मत करिये सैतानी'' तब मैंने भाभी को खीचकर अपने ऊपर लिटा लिया और कस कर पकड़ते हुए जल्दी जल्दी उनके गालो को चूमने लगा और चूची को दबा दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी इस लिए चूचियों की टाइट निप्पल साफ़ साफ़ समझ आ रही थी। भाभी ने कोई बिरोध नहीं किया तो उन्हें में पलट कर अपने बगल में लिटा लिया और रजाई ओढ़ा कर अपने सीने से चिपकाते हुए किस करने लगा और चूचियों पर हाथ घुमाने लगा तो भाभी ने अपना दायाँ हाथ मेरे लण्ड के ऊपर रखकर जायजा लिया, मैं समझ गया की ये मेरी पोजीसन समझ रही है। तब मैंने रजाई को फेका और उठकर दरवाजे की सिटकनी अंदर से लगाकर वापस बिस्तर में आया और भाभी की गाउन को खीच कर जांघो को चूमने लगा और एक हाथ से चूची को सहलाने लगा। उनकी चूचियाँ हाई ब्लड सर्कुलेसन से एकदम से कड़क पड़ चुकी थी (चुदाई के समय ब्लड़ का सर्कुलेसन बढ़ जाने से पुरुष का लण्ड कड़क पड़ता है ठीक उसी तरह महिलाओं के शरीर में भी ब्लड सर्कुलेसन हाई होता है जिससे चूचियाँ कड़क पड़ती है, चूत की मांसपेशिया भी टाइट पड़कर चूत का छेद संकीर्ण करती है जिससे सम्भोग का पूरा आनंद मिले और गर्भ रुक सके, ये नेचुरल क्रिया है जो सभी पुरुष-महिलाओं में होती है )।
वियाग्रा के असर से मेरे लण्ड में जापान वाली सुनामी दौड़ रही थी। भाभी जी बेड में चुपचाप लेटी हुई मेरी एक एक हरकत को आराम से करने दे रही थी। मैंने धीरे से भाभी की गाउन को जांघो से ऊपर कमर तक खिसकाया काले रंग की पेंटी को खीचकर बाहर निकाला और टांगो को फैलाकर क्लीन सेव बुर को चाटने लगा। बुर एकदम से चिकनी थी, बालों का खुरदुरापन ज़रा सा भी नहीं था, ऐसा लग रहा था जैसे कुछ घंटे पहले ही सेविंग किया हो। जैसे गाल चिकने है वैसी ही भाभी की बुर चिकनी है। थोड़ी देर तक चूत चाटने से भाभी गर्म पड़ गई और मेरी मजबूत भुजाओं को पकड़ कर सहलाने लगी और पकड़ कर अपने ऊपर खीचने लगी तो मैंने उनकी गाउन को ऊपर तक खिस काया और मस्त मस्त चूचियों को चूसने लगा तो भाभी मेरे लण्ड को चढ्ढि के ऊपर से ही पकड़ कर खिलाने लगी तो मैं उठा और भाभी को भी उठाया और गाउन उतारने का इसारा किया तो भाभी बैठे बैठे ही गाउन को उतारकर सोफे में रख दिया।
मैंने खड़ा होकर जल्दी से अपनी टी सर्ट-बनियान / लोवर-चड्डी को उतारकर भाभी की गाउन के ऊपर फेंक दिया। भाभी मेरे 7 इंच लम्बे और भाभी की कलाइयों की तरह मोटे ऊपर की तरफ खड़े लण्ड को अपलक देखने लगी तो मैंने लण्ड में झटके मारा तो लण्ड ऊपर नीचे हिलने लगा तो उसने बैठे - बैठे ही लण्ड को पकड़ कर नीचे झुकाया और छोड़ दिया तो लण्ड वापस ऊपर की तरफ 10 डिग्री में खड़ा हो गया, तब भाभी ने फिर से लण्ड को पकड़ कर छोड़ दिया इस तरह से लण्ड चूसते हुए भाभी कई बार लण्ड को पकड़ने छोड़ने लगी और फिर उठकर घुटने के बल बिस्तर पर खड़ी हो गई और लण्ड के सुपाड़े को नंगा किया और लाल सुर्ख सुपाड़े को चाटने लगी तो मैंने पूछा ''गाजर अच्छी लगी'' तो मेरे तरफ बड़े प्यार से देखी और हाथ की दो उँगलियों से ज़ीरो बनाकर इसारा किया और फिर गप्प से आधा लण्ड मुँह में डाल किया और चूसने लगी करीब 3 मिनट तक लण्ड को चूसती रही, तो ऐसा लगा की मैं झड़ जाऊंगा, तब मैंने लण्ड को भाभी के मुंह से बाहर निकाल लिया और भाभी के पास बैठकर उनकी चूचियों को पीने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। भाभी की चूचियाँ एकदम से टाइट हो गई थी।
भाभी को लिटा दिया और पास में रखी तेल की सीसी से तेल निकालकर भाभी की चूचियों में डाल दिया और फिर बढ़िया मालिस करने लगा, तो भाभी ने अपनी दोनों आँखे बंद कर लिया और मालिस का मजा लेने लगी मैं जैसे जैसे चूचियों का मर्दन करता वैसे वैसे भाभी अपने होठो को दाँतों से दबाने लगी। चूचियों का मर्दन करते करते चिकनी चिकनी जांघो पर तेल डाला और जांघो को मालिस करने लगा, एड़ी से लेकर तो चूत तक खूब तेल डॉल कर पाँव की मालिस करने लगा तो भाभी ने आँख खोली और मेरे तरफ बड़े प्यार से देखते हुए अपनी दोनों बाहो को फैलाया और अपनी तरफ आने का इशारा किया तब मैं उनकी टांगो को फैला कर चूत को चाटने लगा करीब 5 मिनट तक चूत को चाटा होगा कि भाभी गर्म आग हो गई और बार बार मेरे हाथो को पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी तो तकिया के नीचे रखे कंडोम को निकाला और लण्ड के सुपाड़े की चमड़ी को आगे कर सुपाड़ा ढक दिया और कंडोम चढ़ा लिया (कंडोम पहले ही तकिया के नीचे छिपा दिया था,सुपाड़े की चमड़ी ढक कर कंडोम लगाने से चुदाई में बहुत देर तक स्खलन को रोका जा सकता है) और फिर झुक कर चूत चाटने लगा।
भाभी थोड़ा सा उठी और मेरी तरफ बड़ी कातर निगाह से देखकर कर बोली ''जान मत लो मेरी प्लीज़'' और मुझे पकड़ कर अपनी भाभी ने खीचकर सीने से चिपका लिया तो मैं भाभी के ऊपर लेट गया और धीरे से लण्ड को चूत में घुसेड़ दिया। जैसे ही लण्ड अंदर घुसा भाभी ने अपना मुह ''आह'' करते हुए फाड़ दिया और फिर धीरे से बोली ''उ उ ऊ ऊ उ उह आह आह उफ़ मजा आ गया'' और मेरे गाल पर किस की बौछार कर दिया। मै लण्ड डालकर कर चुपचाप भाभी के ऊपर लेटा रहा। भाभी अपनी चूत को सिकोड़ती और छोड़ती। चूत को इतनी जोर से सिकोड़ती की लण्ड पर अच्छा दबाब महसूस होता। जब ओ चूत को सिकोड़ती तभी मैं लण्ड को थोड़ा सा बाहर की और निकालने लगता तो ओ और जोर से चूत सिकोड़ लेती जैसे ओ चाहती हो लण्ड अंदर ही रहे। इस तरह मैं एक-दो सेंटीमीटर लण्ड को बाहर की और खींचता और जब ओ जोर से चूत को सिकोड़ती तो फिर से खूब धीरे-धीरे लण्ड को चूत के अंदर की तरफ करता। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
इस तरह से यही क्रिया करीब 4-5 मिनट तक करता रहा। भाभी अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ में डालकर खूब कस कर पकड़ लिया और मेरे गालों को जोर जोर से चूमते हुए मेरे होठो को चूसने लगी और फिर अपनी जीभ निकालकर मेरे होठो पर घुमाने लगी तो मैंने भी अपनी जीभ निकाला और भाभी की जीभ को चाटने लगा। लण्ड को पहले की तरह थोड़ा आगे-पीछे करता फिर रुक कुछ देर के लिए रुक जाता इससे भाभी इतनी ज्यादा गर्म पड़ गई की अपने चूतड़ों को जोर जोर से ऊपर की तरफ उठाने लगी और बोली ''जल्दी जल्दी करो न प्लीज़'' तो मैं भाभी के ऊपर से उठकर एक तकिया को भाभी के कमर और चूतड़ों के नीचे रख दिया जिससे लण्ड पूरी गहराई तक अंदर तक जा सके और फिर अपने फिर दोनों हाथो को भाभी के चूचियों के अगल-बगल बेड पर रख लिया और फिर से लण्ड डालकर धीरे धीरे लण्ड को लगातार आगे पीछे करने लगा।
भाभी अपनी बुर को खूब सिकोड़ लेती और फिर ढीली करती फिर सिकोड़ती ढीली करती इस तरह लगातार ऐसे करने लगी लण्ड पर जितना अधिक दबाब पड़ता मुझे उतना ही अधिक मजा आता। (मेरी बीबी चुदाने में इतना इंट्रेस्ट नहीं लेती और ओ बहुत जल्दी स्खलित भी हो जाती है) जैसे जैसे लण्ड की गति बढ़ती जाती वैसे वैसे भाभी अपनी दोनों टांगों को ऊपर उठाती और जब जल्दी जल्दी लण्ड के झटके मारने लगा तो भाभी ने अपनी दोनों टांगों को मेरे कमर में रखकर आपस में एक दूसरी टांग के ऊपर चढ़ा लिया और ताकत से टांगो को आपस में खींचती। मैं लण्ड की गति बढ़ाने लगा और जोर जोर से झटके मारने लगा तो लण्ड चूत की लड़ाई में फच फच फच की आवाज कमरे में आने लगी भाभी भाभी अब अपने दोनों हाथो को मेरी पीठ से हटाकर अपने दोनों हाथों से तकियों को कसकर पकड़ लिया व् अपनी चूचियों को ऊपर की तरफ उठाती और मुँह से उऔऔऔऊ ऊऊआह आह आह सी सी सी उफ़ उफ़ आह आह सी उइमा मर गई उई माँ मर उई माँ मर गई आह आह आह उउउउउ उफ्फ् आह आह सीस्स्स्स्स्स्स्स की आबाज निकालने लगी मैं समझ गया भाभी चरम स्टेज पर पहुँच चुकी है।
मैं भाभी को तड़पाने के लिए लण्ड को आगे पीछे करना कुछ सेकण्ड के लिए बंद कर दिया तो भाभी जल्दी से तकिये से हाथ हटाकर वापस मेरे पीठ पर रखकर जोर से चिपक गई और ऊऊआह आह आह सी सी सी उफ़ उफ़ आह आह सी उइमा मर गई उई माँ मर उई माँ मर गई आह आह आह उउउउउ उफ्फ् आह आह सीस्स्स्स्स्स्स्स बोली ''जल्दी जल्दी कर दो नहीं तो मर जाउंगी'' और इतना कहकर मेरी जीभ को इतनी जोर जोर से चूसने लगी जैसे मेरे मुह से निकाल ही लेंगी तब मैं जल्दी जल्दी झटके मारने लगा और लगातार 5 मिनट तक झटके मारता रहा, भाभी इतनी जोर से चिपकी थी जैसे फेवीक्विक लग गया हो और फिर अचानक मेरे पीठ से उनके हाथों की पकड़ ढीली पड़ गई और हाथ बगल में रखकर एकदम से निर्जीव होकर आँखे बंदकर सुस्त पड़ गई तो मैं समझ गया की भाभी जी स्खलित हो चुकी है।
मैं लण्ड डाले भाभी जी को चूमने लगा तो करीब 1 मिनट बाद आँख खोली और पूछी ''क्या हुआ आप फ़ारिग नहीं हुए क्या'' तब मैंने न में गर्दन हिला दिया तो बोली '' हो जाइए न फारिग'' तब मैंने कहा ''मैं इतनी जल्दी फारिग नहीं होता'' (कामोत्तेजक टेबलेट और सुपाड़ा नंगा किये बिना चुदाई के कारण मेरे लण्ड पर घर्षण कम हुआ इस लिए मैं स्खलित नहीं हुआ) तो भाभी मुस्कुराते हुए मेरे गाल को पकड़ के खींची और बोली ''वन्दना की तो जान निकाल लेते होंगे आप'' तो मैं हँसने लगा और बोला ''वदंना भी ऐसे ही मेरा साथ छोड़कर ;पहले ही फारिग हो जाती है'' तब भाभी हल्का से उठी और मेरे गाल को चूमते हुए बोली ''आप असली मर्द हो'' तब मैंने पूछा ''क्यों भैया भाभी को घोड़ी बनाकर बिना कंडोम के चोदा तब मैं स्खलित हुआ असली मर्द नहीं है क्या'' तो बोली ''ओ तो फुस्सी पटाखा है फटने के पहले ही फुस्स होकर धुँआ निकल जाता है'' मैं समझ गया की भाभी को भैया संतुष्ट नहीं कर पाते।
इस तरह करीब 5 मिनट तक लण्ड डाले डाले भाभी से बातें करता रहा। फिर लण्ड को बाहर निकाला और फिर भाभी को बोला ''आप घोड़ी बन जाओ तभी मैं फारिग हो पाउँगा'' तो भाभी घोड़ी बन गई तो मैं उनकी चूत को चाटने लगा करीब 5 मिनट तक चूत चाटते चाटते भाभी फिर से गर्म पड़ने लगी तो मैं समझ गया की इस बार नंगे लण्ड से चोदूंगा तो मुस्किल से 5-7 मिनट रुक पाउँगा और इतने समय में भाभी फिर से स्खलित नहीं हो पाएगी। तब बिना कंडोम निकाले ही लण्ड को पेल दिया और एक ढक्क्न तेल डालकर चूत को खूब चिकनी कर दिया और फिर दे दनादन, दे दानंदन, दे दनादन, दे दनादन लण्ड के झटके देने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। लण्ड और चूत के घर्षण से फक्क फक्क की आवाज आने लगी। मैंने सोचा देखू भाभी चुदाई का मजा ले रही है या नहीं तो मैंने लण्ड के झटके रोक दिया तो भाभी अपने चूतड़ों को खुद ही आगे पीछे करने लगी। मैं समझ गया भाभी फिर से गर्म पड़ चुकी हैं। और फिर दे दनादन, दे दानंदन, दे दनादन, दे दनादन चोदने लगा लगातार 8-9 मिनट तक चोदता रहा फिर तेज प्रवाह के साथ मेरा वीर्य बाहर हुआ तो पूरी ताकत लगाकर लण्ड को पेले पेले ही पूरा बजन देकर भाभी के ऊपर चढ़ गया, तो कुछ ही सेकंड में भाभी पेट के बल लेट गई, मैं पसीना पसीना होकर लण्ड डाले हुए करीब 3 मिनट तक भाभी के ऊपर लेटा रहा और फिर लण्ड को बाहर किया कंडोम को निकालकर उसमे गाँठ लगाया जिससे वीर्य बाहर नहीं निकले और फर्स में फेंक दिया। इस प्रकार भाभी की चुदाई का दौर शुरू हुआ।
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