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पुलिस वाले ने हवालात में की मेरी चुदाई Police wale ne havalat me ki meri hudayi
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मेरा नाम सितिला है. मेरी उम्र 24 साल है. मेरे पति पूरा दिन और पुरी रात शराब के नशे में धुत रहते है. मेरे दो बच्चे है. घर में मेरे, मेरे पति और मेरे दो बच्चों के अलावा मेरी सास भी रहती है. मेरे पति जो भी कमाते है शराब में उड़ा देते है इसलिए मेरे बच्चों को पालने के लिए मुझे ही कहीं न कहीं से पैसे का इंतजाम करना पड़ता है. एक बार मैं किसी गैर मर्द के साथ पकड़ी गई. इसके लिए मुझे हवालात ले जाया गया. रात हो चुकी थी, मेरे बार - बार कहने पर भी मुझे नहीं छोड़ा गया. थानेदार ने सभी पुलिस वालों को 2 - 2 करके रात की ड्यूटी के लिए बाहर भेज दिया. अब थाने में मैं और वो थानेदार दो ही बचे थे. हवालात में और कोई कैदी भी नही था. मुझे उस थानेदार के इरादे अच्छे नही लग रहे थे. वो अपनी कमीज उतार कर कोई फ़िल्मी गाना गाते हुये अपनी कुर्सी पर बैठ गया और मुझे घूरने लगा.
मेरा नाम सितिला है. मेरी उम्र 24 साल है. मेरे पति पूरा दिन और पुरी रात शराब के नशे में धुत रहते है. मेरे दो बच्चे है. घर में मेरे, मेरे पति और मेरे दो बच्चों के अलावा मेरी सास भी रहती है. मेरे पति जो भी कमाते है शराब में उड़ा देते है इसलिए मेरे बच्चों को पालने के लिए मुझे ही कहीं न कहीं से पैसे का इंतजाम करना पड़ता है. एक बार मैं किसी गैर मर्द के साथ पकड़ी गई. इसके लिए मुझे हवालात ले जाया गया. रात हो चुकी थी, मेरे बार - बार कहने पर भी मुझे नहीं छोड़ा गया. थानेदार ने सभी पुलिस वालों को 2 - 2 करके रात की ड्यूटी के लिए बाहर भेज दिया. अब थाने में मैं और वो थानेदार दो ही बचे थे. हवालात में और कोई कैदी भी नही था. मुझे उस थानेदार के इरादे अच्छे नही लग रहे थे. वो अपनी कमीज उतार कर कोई फ़िल्मी गाना गाते हुये अपनी कुर्सी पर बैठ गया और मुझे घूरने लगा.
अब थानेदार मुझे लगातार घूर रहा था और उसके होंठों में एक कुटील मुस्कान आ रही थी और जा रही थी.
तभी तभी एक हवालदार आया और उसने एक कागज का पैकेट थानेदार के हाथ में पकडा दिया और एक ग्लास और पानी की बोतल उसकी टेबल पर रख दी. फिर वह हवालदार थानेदार का इशारा पाकर थाने से बाहर चला गया. थानेदार ने कागज के पैकेट को खोला उसमे से एक बोतल बाहर निकली. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
तभी तभी एक हवालदार आया और उसने एक कागज का पैकेट थानेदार के हाथ में पकडा दिया और एक ग्लास और पानी की बोतल उसकी टेबल पर रख दी. फिर वह हवालदार थानेदार का इशारा पाकर थाने से बाहर चला गया. थानेदार ने कागज के पैकेट को खोला उसमे से एक बोतल बाहर निकली. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैं मन् में सोचकर कांप उठी. “दारु पीकर थानेदार अकेले हवालात में और मैं भी थाने में अकेली…” थानेदार ने आधे गांठे में 4 - 5 पैग बना कर दारु पी डाली और उठ खड़ा हुवा. उसकी चाल में कोई फर्क नही था लेकीन आंखों में दारु का नशा और वासना दोनो झलक रहा था. उसने मेन गेट के पास जाकर गेट को बंद कर दिया और कुंडी लगा दी. अब मेरे हवालात की तरफ आ कर उसका ताला खोल कर मैन गेट पर लगा दिया और चाबी जेब मैं डाल ली. फिर मेरी तरफ बढने लगा. मेरी रूह कांप रही थी.
वो बोला - चुदने का बहुत शौक है तुझे.
मैं चुप चाप रही.
वो फिर बोला - अबे साली, तेरा मरद है की नही? लगता है तेरा मरद नही है. अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.
मैं चुप चाप रही.
वो फिर बोला - अबे साली, तेरा मरद है की नही? लगता है तेरा मरद नही है. अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.
उसने मेरे नजदीक आ कर मेरे हाथों को पकड़ लिया और झुमते हुए बोला, “किसी का हाथ पकडा नही या हाथ छोड़ कर चला गया.”
मैंने अपने हाथ को छुड़ाते हुए कहा, “साहेब आपने पी ली है. अभी बात नही करो मुझसे.”
वो बोला - “वाह… क्या आईडिया दिया है तूने. अभी बात में टाइम वेस्ट नही करने का… अभी काम करने का…”
मैंने कहा - “साहेब छोडो मुझे.”
वो बोला - “क्या बोली तुम. चोदो मुझे,” बड़ी बेशर्मी से हँसते हुये थानेदार बोला.
मैंने कहा - “ऐसी गंदी बात करते हुए तुम्हे शरम नही आती…”
वो बोला - “वाह… क्या आईडिया दिया है तूने. अभी बात में टाइम वेस्ट नही करने का… अभी काम करने का…”
मैंने कहा - “साहेब छोडो मुझे.”
वो बोला - “क्या बोली तुम. चोदो मुझे,” बड़ी बेशर्मी से हँसते हुये थानेदार बोला.
मैंने कहा - “ऐसी गंदी बात करते हुए तुम्हे शरम नही आती…”
वो बोला - “अच्छा तुझे मालूम है की क्या गंदी है और क्या अच्छी. यानि के तुझे सब मालूम लगता है. चोदो… चुदाई… सुब मालूम है तुझे,” (बड़ी बेशर्मी से बोलता जा रहा था.)
मैंने अपने कान बंद कर लिए और मदद के लिए चिल्लाने लगी. तभी एक झन्नाटेदार थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा.
“साली. रांड. चील्लाती है. एक तो गंदे काम करती है और पूछताछ में चिल्लाती है,” कहते हुये थानेदार मेरी साड़ी को खींचने लगा और बोला, “चिल्ला. जीतना चिल्लाना है चिल्ला. देखता हूँ मैं कौन आता है इधर.”
मै बेबस चिल्लाना भूलकर अपनी साड़ी को उससे छुड़ाने मे लग गई लेकीन उसने अपने दम पर मेरी साड़ी को मेरे बदन से अलग कर दिया. अब मै अपने पेटीकोट और ब्लाउज मे उसके सामने रोते हुए खडी थी. अपने हाथो को अपने सीने से लगा कर रखा था लेकीन थानेदार ने मेरे एक हाथ को पकड़कर उल्टा मोड़ दिया, तो दर्द के मारे अपने दुसरे हाथ से उसको छुडाने लगी. इसका फायदा उठाते हुये उसने मेरे ब्लाउज के सामने के सारे हूक झटक कर तोड़ दिए. इस तरह करते हुये उसने मेरा ब्लाउज और पेटीकोट दोनो को मेरे बदन से जुदा कर दिया. अब मैन अपने दोनो हाथों से अपने दोनो मुम्मो को छुपाते हुये इधर से उधर दौड़ने लगी. लेकीन थानेदार हँसता हुआ मेरे पीछे-पीछे भागता हुआ कीसी भी तरह से हाथ को मेरे मम्मो को मसल देता. मै चीख कर दया की भीख माँग कर अपने को बचाती और भागती रही. ऐसे में थानेदार को मज़ा आ रहा था और मै रोती हूई इधर-उधर भाग रही थी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
थोड़ी देर खेल ऐसे ही चलता रहा. फिर थानेदार अपनी डेस्क पर गया और पैग बनाकर दारु पीने लगा. कुछ रूक कर मुझसे पूछा, “तू भी पीयेगी?”
मैं कुछ नहीं बोली और उसकी तरफ देखती रही.
वो फिर बोला - “अरे पी ले. नशे में बड़ा मज़ा आता है चुदवाने में.”
मै जोर से रो पडी. मेरे आंशु थमने के नाम ही नही ले रहे थे. मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “मैंने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा. क्यो मेरी इज़्ज़त के पीछे पडे हो?”
वो फिर बोला - “तूने नही बिगाडा. तेरे नशीले हुस्न ने बिगाड़ा है मेरा,” कहते हुये अपनी पैंट की चेन पर हाथ रखते हुये बोला, “देख कैसे फड़फड़ा रहा है लंडवा मेरा. इसका बिगडा है तेरी जवानी को देख कर. अब इसको ठण्डा कर….”
उसका लंड पैंट के ऊपर से ही तना हुआ दिख रहा था. मानो पैंट को फाड़ कर बाहर आ जाएगा. अपनी जवानी को अब लूटने के करीब देख कर मेरा धीरज जवाब देर रहा था. मै अपने को बचाने के लिए जोर से चिल्लाई, “कोई है…. बचाओ मुझे…”
थानेदार दारु की बोतल पकड़े हुए मेरे पास आया और उसने मेरे सिर को पकड़ कर बोतल मेरे मुहं में लगा दी. उसने जबरदस्ती करके डेड - दो पेग मेरे अंदर डाल ही दिए. छाती जलने लगी. उबकाई आने लगी. सिर चकराने लगा. पेट गरम हो उठा. पहली बार दारु पेट में गयी थी. चिल्ला रही थी लेकीन थानेदार हंस रहा था.
बोतल में बच्ची दारू उसने स्वयं पी ली और खली बोतल को बाहर की तरफ लुढका दिया. फिर मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे मुम्मे को मसलने लगा. दोनो हाथो में मेरे दोनो मुम्मे. आटे की तरह गुन्थने लगा. फोकट का माल जो मील रहा था. दारु अंदर जाने के बाद ऐसे हमले के लिए मैं तैयार नही थी लेकिन अपने आप को बचा नही पा रही थी. उसने एक मुम्मे को अपने हाथ में पकड़ दुसरे मुम्मे को अपने होंठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया.
बोतल में बच्ची दारू उसने स्वयं पी ली और खली बोतल को बाहर की तरफ लुढका दिया. फिर मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे मुम्मे को मसलने लगा. दोनो हाथो में मेरे दोनो मुम्मे. आटे की तरह गुन्थने लगा. फोकट का माल जो मील रहा था. दारु अंदर जाने के बाद ऐसे हमले के लिए मैं तैयार नही थी लेकिन अपने आप को बचा नही पा रही थी. उसने एक मुम्मे को अपने हाथ में पकड़ दुसरे मुम्मे को अपने होंठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया.
थानेदार ने मुझे पकड़ कर नीचे सुला दिया और अपनी पैंट निकाल दी. अब वो भी सिर्फ़ अंडरवियर में था और मैं भी अंडरवियर में थी. उसने नीचे झुकते हुये मेरा अंडरवियर एक झटके में नीचे खींचा और निकाल दिया. अब थानेदार मेरे पुरे नंगे जिस्म को उपर से नीचे देखता हुआ अपने हाथ से अपने अंडरवियर में पड़े अपने लंड को दबाने लगा.
“उफ़. क्या जवानी है तेरी. एक मरद से नही संभल सकती ऐसी जवानी. कितने मर्दो को अपनी जवानी का रस पिलाया है तुने,” नशे मैं झूमता हुआ अपने लंड को दबाता हुवा बोल रहा था थानेदार.
मैं चुप चाप पडी उसको देख रही थी. दारु की वजह से सिर घूम रहा था. आंखें बार-बार खुल बंद हो रही थी.
उसने अपना अंडरवियर भी निकाल दिया. अब उसका लंड खुली हवा में सांस लेने लगा. उसका लंड मेरे पति मेरे यारों जितना ही लम्बा था लेकीन मोटा पुरा गधे की तरह था…..!!!
थानेदार घुटनों के बल बैठकर मेरे नंगे सुलगते जिस्म को ऊपर से नीचे चाटने लगा. उसकी जीभ की हरकत और दारु का नशे ने मेरी ना-नुकर को भी बंद कर दिया. वो अपनी जीभ से मेरे गालों, गर्दन, मम्मो, मेरा पेट, मेरी चूत और मेरी जांघों को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर चाट रहा था. लगता था की कई लड़कियों को इसी तरह थाने में चोद-चोद कर परफैक्ट खिलाडी बन चूका है. फिर अपनी जीभ को मेरी चूत के पास ला कर अपने लंड को मेरे गालों पर रगड़ने लगा.
“मुहं मैं ले इसको,” थानेदार गरजा.
“किसको?” मैं धीरे से बोली.
मैंने नशे मे अपने मुहं को पूरा खोला और उसका लंड मेरे अंदर जा कर फँस गया. तभी थानेदार लंड को अंदर जाते देख मेरी चूत के दाने को मसलने लगा और अपनी जीभ से मेरे चूत के लिप्स को चाटने लगा. मेरे जिस्म मैं हलचल मचल गई. अगर लंड मुहं में नहीं होता तो यकीनन मेरी सिस्कारी निकल पड़ती. अब दोनो 69 पोजिशन में एक दुसरे के लंड और चूत को चूस और चाट रहे थे.
तभी थानेदार उठा और मेरी दोनो टांगो को घुटने से मोड़कर मेरी जांघों को फैला दिया और अपना मूसल मेरी चूत के दरवाजे पर रख दिया. मुझ में दारु के नशा अपनी पूरी रवानी पर था और लंड अपनी पूरी जवानी पर था. उसने अपना थूक अपने लंड के सुपाड़े पर लगाया और एक करारा झटका दिया.
लंड आधा अंदर चला गया. जोर की चीख़ निकली मेरी. ऐसे मूसल लंड से पहली बार पाला पड़ा था मेरी चूत का. लेकीन थानेदार को इससे क्या. उसने मेरे मुम्मे एक हाथ से और एक टांग को दुसरे हाथ से पकड़ा और फिर एक जोरदार झटका लगाया.
अब पूरा लंड अंदर चला गया. मेरी बोलती बंद हो गयी. थानेदार अब मेरी दोनो टांगो को पकड़ कर दबा-दब धक्के मारने लगा. इन धक्कों के साथ मेरी सिस्कारियां भी शुरू हो गयी.
“धीरे… धीरे… जोर से धक्क्का ना मरो… अह्ह्ह… फट जायेगी… मेरी चूत…प्यार से चोदो… देखो थोडा धीरे… तुम्हारा लंड बड़ा मूसल है… गधे जैसे लंड से गधे जैसे नही चोदो मुझे… उफ्फ्फ… अह्ह्ह…” मेरे मुहं से ना जाने कहां से लंड, चूत जैसे words निकलने लगे. यह उसकी झन्नाटेदार चुदाई का ही असर था.
“साली.. कितने मर्दो को खा चुकी.. फिर भी कहती है धीरे. धीरे.. रांड. खा मेरे धक्के.. आज से तेरी चूत मैं ही चोदुंगा रोज.. मेरा लंड तेरी चूत का सारा कास-बल नीकाल देगा.. चुदाई क्या होती है ये तुझे मेरा लंड ही बतायेगा.. चुदा. चुदा.” थानेदार जमकर धक्के मरते हुये मेरी चूत में अपना लंड पेलता रहा.
Full speed. जमकर चुदाई. ये ही चली 30 - 35 मिनट तक. मेरी चूत इस बीच अपने पानी से भरपूर गीली हो चुकी थी. जिससे उसके मूसल लंड को भी आराम से ले रही थी और मज़ा भी ख़ूब आने लगा.
“है. है. क्यया चोद रहे हो थानेदार.. ख़ूब जबर्दस्त लंड है तेरा.. ओह्ह. मेरा पानी निकला.. निकला.. निकला आया.” यह कहकर मेरी चूत अपना पानी उसके लंड पर बरसाने लगी. लेकीन उसके धक्के दारु के नशे में और बढते गए. मेरी चूत के पानी ने उसके लंड के नशे को और बढ़ा दिया. लेकीन मेरा पानी निकलने से मेरी चूत की पकड़ कमजोर हो गई, तो उसने अपना लंड बाहर निकल दिया.
उसका लंड और मोटा लग रहा था. मानो मेरी चूत का सारा पानी उसकी पिचकारी में चला गया हो.उसने खडे हो कर मुझे बैठा दिया और मेरे मुहं में अपना लंड ठूंस दिया. उसके लंड से मेरी चूत की स्मेल आ रही थी. लेकीन मुझे उस समय उसका लंड किसी मिठाई से कम नही लग रहा था. इसलिए मैंने गुप्प से लंड अपने मुहं में लेकर चूसना शुरू कर दीया. 5 - 6 मिनट बाद उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया. और मुझे doggy स्टाइल में कर मेरी चूत में अपना लंड पीछे से डाल दिया और चोदने लगा. थानेदार ने 40 - 50 धक्कों के बाद अपना लंड निकाला और मेरी गांड के छेद में फंसा कर एक जोर दार झटका मारा. मेरी चीख़ निकल पडी. यह चीख़ अब तक की मेरी सबसे जोरदार चीख थी. मेरी आँखों से आंसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे. मैं चीखती हूई उसे गलियां देने लगी, “अरे साले गांडू….. फाड़ दी मेरी गांड…….!!! निकाल मेरी गांड से. लंड को निकाल मादरचोद………..तेरी माँ - बहन की गांड में दे ऐसे मूसल लंड को॥ निकाल गांडू.. मर जाऊंगी मैं.. निकाल अपने लवड़े को.. फट गईई…………..”
लेकीन थानेदार ने मेरे बालों को कस कर पकड़ते हुए मेरी गांड मारनी चालू रखी. मेरी गांड में भयंकर दर्द हो रहा था. उसने स्पीड कम कर दी. इस तरह मुझे कुछ आराम मिला. हल्का-हल्का दर्द हो रहा था. लेकीन हल्का-हल्का मज़ा भी आ रहा था. उसने स्पीड बढ़ाई तो मज़ा भी बढ गया. अब दर्द नहीं हो रहा था. 15 - 20 मिनट बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाला और मेरी चूत में फिर से डाल दिया.
अब चूत में लंड के जाते ही पुरे बदन में चुदाई का नशा छाने लगा. तभी थानेदार ने अपने धक्को की फुल्ल स्पीड करते हुये अपनी पिचकारी छोड़नी चालू कर दी. उसका फव्वारा धुच से मेरी चूत के अंदर जा रहा था जिससे मेरी चूत भी झड़ने लगी. दोनो निढाल हो कर हवालात की जमीन पर लेट गए.
अब मेरी गांड और चूत में गुदगुदी होने लगी. मैं बुदबुदाई और बोली - “वाकई में तुम्हारा लंड कमाल का है. आज तक कीसी ने भी मुझे ऐसे नही चोदा.” आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
थानेदार ने लेटे लेटे ही जवाब दिया - “अब मौका मिलने पर इससे जोरदार चोदुंगा तुझे. आज तो हवालात था लेकीन कभी बिस्तर पर मुझसे चुदोगी ना बड़ा ही मज़ा आएगा तुझे.”
“मैं इंतज़ार करूंगी,” मैंने उसके होंठों को चूमते हुये कहा.
थानेदार मेरे दोनो मुममो को चूमता हुवा उठा. मेरे सारे कपड़े मेरी तरफ फैंके और अपने कपडे पहनने लगा. मैं कराहती हूई उठी. अब दारु का नशा कम हो चूका था. लेकीन चुदाई की मस्ती छाई हूई थी. उठी तो कदम लड़खड़ा रहे थे. गांड पहली बार किसी ने मारी थी वो भी मूसल जैसे लंड से. चलने के लिए दोनो टांगो को थोडा चौड़ा करना पड़ रहा था. यह देखकर थानेदार हंसने लगा. मेरे कपडे पहनते ही उसने मेन गेट खोल दिया और मुझे अपने घर जाने की इजाजत दे दी.
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