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देसी भौजाई के पिछवाड़े में कीला ठोक दिया Deshi bhaujayi ke pichhe kila thok diya
देसी भौजाई के पिछवाड़े में कीला ठोक दिया Deshi bhaujayi ke pichhe kila thok diya, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.
बलबहादुर बो भौजी बड़ी ही चुदक्कड़ हैं और उनकी गांड तो ये मस्त है दोस्तों के उसके बारे में सोच कर मैं दशकों से मूठ मारता रहा हूं। तो आज जो कहानी मैं आपके लिए लाया हूं वह एक दमदार कहानी है जिसके बारे में आपको मैं नाम बदल के कहने जा रहा हूं। बलबहादुर पाड़े हमारे पड़ोसी हैं और उनकी मेहरारु बोले तो बीबी, इतनी सेक्सी है कि वो उसे चोदते ही रहते हैं। खेत से आके चोदेंगे, जाने से पहले चोदेंगे और जब भी काम से फुर्सत मिलेगी, उसे आके चोद देंगे। बस भौजाई भी इतनी चुदवासी कि हमेशा चूत खोल कर चुदवाने के लिए तैयार। फल स्वरुप आज उनके 5 बच्चे हैं लेकिन भौजाई के कस बल ढीले न हुए। समय बीतने के साथ बलबहादुर जी ढीले पड़ गये। मर्द हो, लँड पर वक्त का प्रभाव पड़ता है, लेकिन चूत तो जितना ठेलोगे उतना फैलेगी। हद है, ये तो जुल्म है मर्दों के साथ। पर क्या करें सच्चाई भी यही है। तो भौजी को चुदाई का आसरा हर पल लगा रहता था।
मैं नया नया जवान हुआ था, और भौजाई के जलवे बहुत पहले से देख रहा था। तो चोदने के लिए फैंटेसी बना रहे मेरे मन ने भौजी को पेलने का प्लान बनाया था, पर जुगाड़ नहीं लग पा रहा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। बस एक दिन की बात है मौका मिल ही तो गया। मैने भाभी को चोदने के लिए हर पल ताक झांक जारी रखी। एक सुबह जाड़े की, ठंड का मौसम, अंधेरा अल्ल सुबह! हर कोई रजाई में दुबका हुआ, मैं छत पर टहल रहा था कि भाभी की भैंस डकार मारने लगी, बां!!! बां!! बां!! ये क्या, लगता है भाभी की भैंस गरम हो गयी है। आज भैया घर में नहीं थे। मैं क्या करुं, मैंने बाहर देखा तो भाभी भैंस को मार रही थीं, डंडे डंडे, साली, गंवार, छिनाल रोज भैंसे से चोदवाती है पर फिर भी गरम ही रहती है। मैं क्या कहूं परिशान हो गयी हूं आज तो इसके भैया भी नहीं हैं यहां पर। मैने खंखारा, आं हां खार्र खर्र! भाभी ने उपर देखा और मुझे देख कर उनकी बांछें खिल गयीं, अरे बबुआ, इधर आओ, तुम कहां थे।
मैं तुम्हें ही ढूंढ रही थी, आओ ना जरा मदद कर दो। मैंने कहा क्या बात है भाभी, तो बोली देखो इस छिनाल रांड भैंस को रोज भैंसे से चुदवाने चली जाती है और फिर भी गरम हो जाती है, साली ठहरती ही नहीं है। मैं हंसने लगा, बोला भाभी आप भी तो रोज लेती हो, एक दिन भी खाली नहीं जाता था आपका तो। इसपर वो खिल खिला के हंसने लगी और बोली क्या कहें देवर जी एक जमाना था मेरा भी, लेकिन आज कल आपके भैया का भी पम्पसेट खाली हो गया है, मजा नहीं आता वो तो कन भूसा कुछ भी छुड़ा नहीं पाते हैं आजकल मेरा। मैं दंग रह गया। भाभी तो खुल रही थी, मैने कहा ऐसा क्या भाभी! बोली हां देवर जी, आजकल बहुत अकाल पड़ा हुआ है। अपने घर में तो कोई देवर भी नहीं जिससे दिल लगा के समय बिताया करुं। मैने कहा कि मैं हूं ना भाभी मुझे बुला लिया करो। मैने कहा कि ओके भाभी, अभी आपके भैंस की भैंसे से मुलाकात करवा के ला आता हूं। मैंने अर्रर्र ही!! अर्ररर ही! करते हुए भैंस को भैंसे के पास किया और भैंसे ने उस भैंस पर च्ढाई कर दी। इस दौरान मैंने भैंस को पकड़े रखा कि वो भाग न जाए और भैंसा उसकी चूत में ही खल्लास हो। पशुधन बढाने के लिए यह जरुरी भी था कि वो उसके वीर्य को इसके चूत में ही गिराए। खैर मैने इस बार उसका कतरा कतरा भाभी की भैंस की चूत में गिराने दिया। भैंसा भैंस को चोदके संतुष्ट था और ऐसा लगा कि भैंस भी अब दुबारा गरम नहीं होने वाली है।
भाभी ने यह खेल देखा और मैंने भैंस को खूंटे से बांध दिया। तुरत भाभी चाय बनाके लाईं और कहने लगीं इस बार तो आपने कमाल कर दिया। लगता है कि मेरी भैंस ठहर जाएगी, मतलब कि बच्चा जनेगी। मैने कहा भाभी आप भी अभी गरमा गरम लगती हैं हमें, आप भी इस साल हलवा खिलाएंगी क्या? इसका मतलब गांवों में होता है कि अगर कोई औरत हलवा खिलाएगी मतलब कि उसे बच्चा होने वाला है, वह गर्भवती होगी। तो मेरे ऐसा कहते ही, भाभी ने अपना आंचल ढलका दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। उसकी ब्लाउज के दो बटन टूटे हुए थे, मोटी गोरी चूंचियां, और काले निप्पल जिस पर भैया के दांतों ने काट काट कर निशान बना दिये थे। चूंचे के जड़ में दांत के निशान भी थे। इसका मतलब भाभी को जंगली सेक्स पसंद था और फिर मैंने उसके पास जाकर उसके चूंचे को सहलाना शुरु कर दिया। उसने दरव्वाजा बंद कर दिया। आंगन में ही पड़ी खाट पर मैने उसे पलाट कर उसका साया, पेटीकोट उपर उठा दिया और उसकी झांट वाली बुर को सहलाना शुरु कर दिया। मेरे मन में उसकी गांड नाच रही थी।
मैने भाभी की रसदार और खौलती चूत को मसलना शुरु कर दिया और भाभी ने मेरे लुंगी में हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ना चाहा, पर ये क्या, वो तो खुद ही खड़ा होकर लुंगी चीरते हुए बाहर आ गया। वो इसे देखकर मस्त रह गयी, आठ इंच लंबा और इतनी ही घेरे वाला मोटा लंड उसके हाथ में आते ही वह मस्त हो गयी, इतना बड़ा ये तो मेरी ब्याहता चूत को भी चीर के रख देगा। मैने कहा भाभी ये आपके लिए तरसता रहा है, सालों से। वो बोली तो आओ ना देवर राजा जल्दी से मेरी खुजलाती चूत मार के मेरा कल्याण कर दो। मैने भाभी से कहा – भाभी मेरी एक ईच्छा है, मुझे आपकी मदमस्त गांड मारनी है। भाभी ने अपने मुह पर हाथ रखते हुए कहा क्या? गांड मारोगे, कहीं टट्टी लग गयी तो? मैने कहा ऐसा कुछ नहीं होना आपको यकीन करना होगा। भाभी ने अपना साया उठा के अपनी फूली हुई गांड मेरे सामने कर के कहा देखो इसमें कहीं है गुंजाईश चोदने की। मैने कहा कि ये तो वो गांड है जिसके आगे सांड का लंड भी पानी मांगेगा। भाभी बकरी की स्टाइल में चार पैरों पर हो गयीं थीं और मैंने उनकी गांड के छेद पर थूकना शुरु कर दिया था।
थूक से गांड की मालिश कर रहा था जिससे उसका क्षेत्र नम हो जाए। जब गांड नम हो गयी तो मैने अपने हाथों पर थूक लेकर अपने सुपाड़े को नम और चिकना किया। थोड़ा थूक भाभी के मुंह से भी लिया और कुछ उनकी गांड पर और कुछ अपने लंड पर मला। अब मैदान तैयार था। मैने भाभी की कमर पकड़ी और लंड छेद पर लगाया, भाभी ने अपनी आंखें मूंद लीं , यह ब्याहता की कंवारी गांड थी। मैने जरा सा जोर दिया तो गांड के छेद में हल्की सिलवट पड़नी शुरु हूई, अपनी उंगलियों से दोनों चूतड़ों को अलग करके मैने और जोर दिया। हल्का सा सुपाड़ा का नोक अंदर गया। वाह्ह क्या अहसास था जैसे कंवारी चूत चोदने के समय सील तोड़ रहा हूं। पक्का अब तक भाभी ने अपनी गांड का प्रयोग सिर्फ हगने में ही किया था। मैने लंड को अंदर का रास्ता दिखाया। अब वो अपनी चौपाई गांड को आगे पीछे कर ने लगी। गचा गच गाँड में लंड घुस रहा था और पूरा आठ इंच अंदर था।
मैने आधे घंटे गांड मारी और पूरा माल अंदर गिरा दिया। गांड से निकले लंड को निकाल कर चूत में डालने से पहले उसे सख्त करना जरुरी था। मैंने अपना लौड़ा उसके मुह में दे दिया। सुगंधित लंड वीर्य से लथा पथा उसके मुह में था। वो मस्त हो रही थी। उसने उसे अंदर गले में ले लिया और चूसती रही। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं भाभी का बड़ा चूंचा दबाता रहा, और काटता रहा नाखूनों से। मस्त हो कर वह चुसती रही और फिर लंड खड़ा होने के बाद मैने भाभी के दोनों पैरों को अपने कंधे पर रखा, और उसकी कमर में हाथ डालकर उठा लिया, लौंडे को चूत में डालकर हवा में उछाल उछाल कर चूत मारनी शुरु कर दी। वो मानों कल्पना लोक में थी। आपके भैया तो कभी भी ऐसे नहीं लेते। मैने कहा तो क्या हुआ हम तो हैं मेरी जान और फिर मैने भाभी को बेड पर लिटा दिया। तकिये को गांड तले रख कर चूत को उचका कर सीधा नब्बे डिग्री से लौंडा पेलना शुरु किया तो वह मारे सीत्कार के आंगन गूंजा रही थी। चोद चोद कर मैने उसको बेहाल कर दिया और फिर अपना मूठ उसके बालों में लगा दिया शैम्पू करने के लिए। जाते जाते गांड का चुम्मा लिया फिर ये कहानी बदहावास चलती रही।
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