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मुझे लिफ्ट देकर मेरे लंड तक पहुँच गई Mujhe lift dekar mere lund tak pahunch gayi
मुझे लिफ्ट देकर मेरे लंड तक पहुँच गई Mujhe lift dekar mere lund tak pahunch gayi, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.
मेरा नाम अक्षय है, मैं गुजरात से हूँ और सूरत का रहने वाला हूँ। मैं 23 साल का एक जवान लड़का हूँ, मेरे लण्ड की नाप 6.5 इन्च है। मैं एक डिजाईनर हूँ। यह मेरी पहली कहानी है, बात दो हफ़्ते पहले की है, बिल्कुल सच्ची घटना है। रविवार को मेरी आधे दिन की छुट्टी होती है, तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं दोस्त को मिलने चला जाऊँ। मैंने अपने दोस्त को फोन किया उसका नाम अमित है जो सूरत में ही रहता है। मैंने उससे कहा- अमित तू कहाँ पर है? तो उसने कहा- मैं घर पर ही हूँ।
मैंने उससे कहा- ठीक है.. मैं तेरे घर आ रहा हूँ।
मैं उसके घर जाने के लिए निकला तो देखा कि बाहर मेरी बाइक नहीं थी। बाइक मेरे पापा ले गए थे। फ़िर मेरा एक दूसरा दोस्त जो मेरे घर के पास ही रहता है, वो काम से बाहर जा रहा था तो मैंने उसे रोका और कहा- मुझे रास्ते मे छोड़ देना।
उसने कहा- ठीक है बैठ जा।
उसने मुझे रास्ते में उतार दिया। मैंने उसे शुक्रिया कहा और वो चला गया। यहाँ से अमित का घर दो किलोमीटर दूर था, तो मैंने सोचा कि पैदल ही चला जाता हूँ। पैदल ही चलते-चलते रास्ते में जा रहा था, तभी एक कार मेरे पास आकर खड़ी हो गई। अन्दर से उसने कांच नीचे किया तो मैंने देखा कि अन्दर एक खूबसूरत लड़की बैठी थी, उसने एक धूप का चश्मा पहना हुआ था, उस लड़की ने अपने एक धूप के चश्मे को ऊपर उठाया और कहा- आप कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ।
फ़िर उसने कहा- आओ, मैं आपको छोड़ देती हूँ।
वो लड़की इतनी खूबसूरत थी कि मैं उसे मना भी नहीं कर पाया और अन्दर जाकर बैठ गया।
उसने कार चालू की और कहा- आपका नाम क्या है?
‘मेरा नाम अक्षय है।’ मैंने कहा।
फ़िर मैंने उससे पूछा- आपका नाम क्या है?
तो उसने अपना नाम स्नेहा बताया। मेरे दोस्त के घर से पहले उसका घर आ गया, मैंने देखा कि वो एक बंगले में रहती है।
मैंने उससे पूछा- आपके बंगले में कौन-कौन रहता है?
तो उसने कहा- यहाँ सिर्फ़ दो लोग ही रहते हैं.. मैं और मेरे पति।
मैं यह बात सुनकर हैरान हो गया, मैंने उससे कहा- आपकी शादी हो गई है?
उसने कहा- हाँ.. मेरी शादी हो चुकी है, क्यों, आप क्या समझे?
मैं - ‘मैं तो आपको कुँवारी लड़की ही समझ रहा था, आपको देखकर तो कोई नहीं बोल सकता कि आपकी शादी हो चुकी है।’
यह बात सुनकर स्नेहा शरमा गई और कहा- आओ अन्दर कुछ ठंडा, गरम पीते हैं।
पहले तो मैंने मना किया पर उसके जोर देने पर मैंने ‘हाँ’ कर दिया और उसके साथ बंगले के अन्दर चला गया। उसने मुझे सोफ़े पर बिठाया और पूछा- क्या लोगे ठंडा या गर्म?
मैंने कहा- दोपहर हो गई है, तो आप मेरे लिये ठंडा ही ले आइए।
फ़िर वो अपनी रसोई में जाकर फ़्रिज में से मेरे लिये ठण्डा पेय लेकर आ गई और कहा- लो तुम पियो.. मैं अभी आई।
मैंने कहा- ठीक है।
फ़िर वो अपने कमरे में चली गई। कोई पांचेक मिनट के बाद वो जब अपने कमरे से बाहर आई तो मेरी आँखें फ़ैल गईं। मैंने देखा, जब वो गई थी तब उसने सूट पहना हुआ था और जब कमरे से बाहर आई तो उसने एक काले रंग की मैक्सी पहनी हुई थी। वो काली मैक्सी में एकदम मस्त माल लग रही थी। मैक्सी में उसके बदन का सौष्ठव साफ़ दिखाई दे रहा था। उस की देहयष्टि 32-28-32 की लग रही थी। काली मैक्सी में उसके मम्मे साफ़ दिखाई दे रहे थे। मैं उसे एक कामुक नजर से देख रहा था।
इतने में स्नेहा ने कहा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- मैं आपको देख रहा हूँ।
स्नेहा ने कहा- मुझ में क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- वही सब कुछ.. जो एक औरत के पास रहता है।
तो स्नेहा ने मुझे हँस कर ‘धत्त गंदे’ कहा।
मैंने स्नेहा से कहा- आपका पति बड़ा ही भाग्यशाली है, जो उसको आप जैसी खूबसूरत पत्नी मिली।
स्नेहा कहने लगी- भाग्यशाली मेरा पति जरूर है.. लेकिन मैं नहीं हूँ।
मैंने पूछा- क्यों?
स्नेहा ने कहा- वो सिर्फ़ अपने बिजनेस में ही पूरा वक़्त निकालते हैं, लेकिन मेरे लिये थोड़ा सा भी वक़्त नहीं निकालते हैं… रात को भी आते हैं तो खाना खाकर प्यार करने के बजाय कहते हैं आज बहुत थक गया हूँ और सो जाते हैं। फ़िर मैं प्यासी ही रह जाती हूँ और फ़िर मुझे मजबूरन सोना ही पड़ता है।
फ़िर मैं सोफ़े पर से उठा और स्नेहा के होंठों पर मैंने अपने होंठ रख दिए स्नेहा ने मेरा कोई विरोध नहीं किया वो भी मेरा साथ देने लगी। उसके होंठ रसीले थे, करीब दस मिनट की चूमा-चाटी के बाद स्नेहा मेरा हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गई और वो बिस्तर पर खुद लेट गई। फ़िर मैंने उसकी मैक्सी के हुक खोले और उसकी मैक्सी उतार दी। उसने अन्दर ब्रा और पैन्टी दोनों ही नहीं पहनी थीं। मैंने धीरे-धीरे उसके मम्मे दबाये तो स्नेहा के मुँह से एक ‘आह’ भरी सिसकारी निकली, स्नेहा का एक संतरा मेरे हाथ में था और दूसरे मम्मे को मैं अपने मुँह से चूस रहा था और वो ‘आह्…आह्…’ की आवाजें निकाल रही थी, जो मुझे और नशीला बना रही थीं। धीरे-धीरे मैं अपना एक हाथ उसकी चूत की तरफ़ ले गया और उसको सहलाने लगा। उसकी चूत एकदम साफ़-सुथरी थी, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। स्नेहा की चूत गीली हो चुकी थी, मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रख कर उसे चाटने लगा। वाह.. क्या स्वादिष्ट थी उसकी चूत.. पूछो मत..! वो मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा रही थी।
थोड़ी देर चूत चुसवाने बाद स्नेहा ने कहा- अब मुझे तुम अपना लण्ड बताओ मुझे तुम्हारा लण्ड देखना है।
तो मैंने अपनी शर्ट उतारी और फ़िर मैंने कहा- पैन्ट तुम खुद ही उतारो और फ़िर तुम खुद ही मेरा लण्ड देख लो।
स्नेहा ने मेरी पैन्ट उतारी और फ़िर उसने मेरी अंडरवियर उतार दिया, मेरे लण्ड को देख कर ही उसने कहा- बाप रे..!
मैंने पूछा- क्या हुआ?
‘कितना बड़ा लण्ड है तुम्हारा.. मेरे पति का तो सिर्फ़ 5 इन्च का ही है और तुम्हारा तो 6.5 या 7 इन्च का लग रहा है।’
फ़िर स्नेहा ने बिना कुछ कहे झट से मेरा लण्ड सीधा मुँह में ले लिया और उसे लॉलीपॉप की तरह चाटने लगी।
लगभग 5 मिनट तक चूसने के बाद स्नेहा ने कहा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.. तुम प्लीज जल्दी से अपना ये लण्ड मेरी चूत में पेलो। मैंने देर ना करते हुए उसको बिस्तर पर लिटाया और लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रखा। एक जोर का झटका दिया और उसके मुँह से एक आवाज आई- थोड़ा धीरे-धीरे करो, मुझे दर्द हो रहा है।
फ़िर मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। थोड़ी देर में उसका दर्द भी कम हो गया और वो भी मेरा साथ देने लगी।
वो अपनी कमर उठा-उठा कर मजा ले रही थी और ‘आह…आह्…ऊफ़फ़्…उफ़फ़्…’ जैसी आवाजें निकाल रही थी। मैंने अपनी चोदने की गति धीरे धीरे बढ़ाई तो कहने लगी- और जोर से करो फ़ाड़ दो मेरी चूत, डाल दे पूरा अपना लण्ड और फ़ाड़ दो मेरी चूत.. यह कहते ही वो झड़ गई, थोड़ी देर में मैं भी अकड़ने लगा।
मैंने उससे कहा- मैं भी झड़ने वाला हूँ कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- अन्दर ही छोड़ दो।
फ़िर दो मिनट में ही मैं भी झड़ गया। हमारी चुदाई 20 मिनट तक चली और हम थक कर वहीं एक-दूजे की बाँहों में पड़े रहे। थोड़ी देर बाद वो बाथरूम में चली गई। थोड़ी देर में वो साफ़ होकर बाहर आकर मेरे पास बैठ गई और फ़िर हम बातें करने लगे।
स्नेहा ने कहा- आज मुझे तुम्हारे साथ बहुत मजा आया है और मैं यह दिन कभी भी भूल पाऊँगी।
बातों-बातों में मैंने उसे हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट के बारे में भी बताया तो उसने भी कहा- तुम हमारी इस कहानी को भी वहाँ भेजना.. मैं भी यह कहानी जरूर पढ़ना चाहूँगी और जितनी भी औरतें इस कहानी को पढ़ें उन्हें भी शायद अपना सुख प्राप्त हो जाए। मैंने यह कहानी स्नेहा के कहने पर ही लिखी है और कहानी में उसका नाम बदल दिया है।
फ़िर मैं उसके घर से निकल रहा था तब स्नेहा ने मुझे रोक लिया और मेरे हाथ में उसने कुछ रूपए रखे और कहा- तुमने जो मुझे सुख दिया है उसका गिफ़्ट है।
मैंने वो गिफ़्ट लेने से मना किया और कहा- आपने जो मेरे साथ जो किया है वही मेरा सबसे बड़ा गिफ़्ट है।
फ़िर भी वो जिद करती रही और मैंने उससे कह दिया- तुम मुझे रूपए दोगी तो मैं तुमसे बात नहीं करूँगा।
वो मान गई और कहा- यह बात किसी को मत बताना।
मैंने भी उससे वादा किया कि मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँगा। स्नेहा ने मेरा मोबाइल नबंर लिया और कहा- जब मुझे याद आएगी मैं तुम्हें फ़ोन करूँगी, तुम आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं वहाँ से चला गया और अपने दोस्त के घर चला गया। उसके घर जाते ही दोस्त ने पूछा- इतनी देर क्यों हुई?
मैंने कहा- घर में थोड़ा काम था इसलिए मैं जरा लेट हो गया। मैंने अपने दोस्त को भी अभी तक नहीं बताया है, क्या करूँ मैंने जो वादा किया था उसे निभाना तो पड़ेगा ना......
मैंने उससे कहा- ठीक है.. मैं तेरे घर आ रहा हूँ।
मैं उसके घर जाने के लिए निकला तो देखा कि बाहर मेरी बाइक नहीं थी। बाइक मेरे पापा ले गए थे। फ़िर मेरा एक दूसरा दोस्त जो मेरे घर के पास ही रहता है, वो काम से बाहर जा रहा था तो मैंने उसे रोका और कहा- मुझे रास्ते मे छोड़ देना।
उसने कहा- ठीक है बैठ जा।
उसने मुझे रास्ते में उतार दिया। मैंने उसे शुक्रिया कहा और वो चला गया। यहाँ से अमित का घर दो किलोमीटर दूर था, तो मैंने सोचा कि पैदल ही चला जाता हूँ। पैदल ही चलते-चलते रास्ते में जा रहा था, तभी एक कार मेरे पास आकर खड़ी हो गई। अन्दर से उसने कांच नीचे किया तो मैंने देखा कि अन्दर एक खूबसूरत लड़की बैठी थी, उसने एक धूप का चश्मा पहना हुआ था, उस लड़की ने अपने एक धूप के चश्मे को ऊपर उठाया और कहा- आप कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ।
फ़िर उसने कहा- आओ, मैं आपको छोड़ देती हूँ।
वो लड़की इतनी खूबसूरत थी कि मैं उसे मना भी नहीं कर पाया और अन्दर जाकर बैठ गया।
उसने कार चालू की और कहा- आपका नाम क्या है?
‘मेरा नाम अक्षय है।’ मैंने कहा।
फ़िर मैंने उससे पूछा- आपका नाम क्या है?
तो उसने अपना नाम स्नेहा बताया। मेरे दोस्त के घर से पहले उसका घर आ गया, मैंने देखा कि वो एक बंगले में रहती है।
मैंने उससे पूछा- आपके बंगले में कौन-कौन रहता है?
तो उसने कहा- यहाँ सिर्फ़ दो लोग ही रहते हैं.. मैं और मेरे पति।
मैं यह बात सुनकर हैरान हो गया, मैंने उससे कहा- आपकी शादी हो गई है?
उसने कहा- हाँ.. मेरी शादी हो चुकी है, क्यों, आप क्या समझे?
मैं - ‘मैं तो आपको कुँवारी लड़की ही समझ रहा था, आपको देखकर तो कोई नहीं बोल सकता कि आपकी शादी हो चुकी है।’
यह बात सुनकर स्नेहा शरमा गई और कहा- आओ अन्दर कुछ ठंडा, गरम पीते हैं।
पहले तो मैंने मना किया पर उसके जोर देने पर मैंने ‘हाँ’ कर दिया और उसके साथ बंगले के अन्दर चला गया। उसने मुझे सोफ़े पर बिठाया और पूछा- क्या लोगे ठंडा या गर्म?
मैंने कहा- दोपहर हो गई है, तो आप मेरे लिये ठंडा ही ले आइए।
फ़िर वो अपनी रसोई में जाकर फ़्रिज में से मेरे लिये ठण्डा पेय लेकर आ गई और कहा- लो तुम पियो.. मैं अभी आई।
मैंने कहा- ठीक है।
फ़िर वो अपने कमरे में चली गई। कोई पांचेक मिनट के बाद वो जब अपने कमरे से बाहर आई तो मेरी आँखें फ़ैल गईं। मैंने देखा, जब वो गई थी तब उसने सूट पहना हुआ था और जब कमरे से बाहर आई तो उसने एक काले रंग की मैक्सी पहनी हुई थी। वो काली मैक्सी में एकदम मस्त माल लग रही थी। मैक्सी में उसके बदन का सौष्ठव साफ़ दिखाई दे रहा था। उस की देहयष्टि 32-28-32 की लग रही थी। काली मैक्सी में उसके मम्मे साफ़ दिखाई दे रहे थे। मैं उसे एक कामुक नजर से देख रहा था।
इतने में स्नेहा ने कहा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- मैं आपको देख रहा हूँ।
स्नेहा ने कहा- मुझ में क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- वही सब कुछ.. जो एक औरत के पास रहता है।
तो स्नेहा ने मुझे हँस कर ‘धत्त गंदे’ कहा।
मैंने स्नेहा से कहा- आपका पति बड़ा ही भाग्यशाली है, जो उसको आप जैसी खूबसूरत पत्नी मिली।
स्नेहा कहने लगी- भाग्यशाली मेरा पति जरूर है.. लेकिन मैं नहीं हूँ।
मैंने पूछा- क्यों?
स्नेहा ने कहा- वो सिर्फ़ अपने बिजनेस में ही पूरा वक़्त निकालते हैं, लेकिन मेरे लिये थोड़ा सा भी वक़्त नहीं निकालते हैं… रात को भी आते हैं तो खाना खाकर प्यार करने के बजाय कहते हैं आज बहुत थक गया हूँ और सो जाते हैं। फ़िर मैं प्यासी ही रह जाती हूँ और फ़िर मुझे मजबूरन सोना ही पड़ता है।
फ़िर मैं सोफ़े पर से उठा और स्नेहा के होंठों पर मैंने अपने होंठ रख दिए स्नेहा ने मेरा कोई विरोध नहीं किया वो भी मेरा साथ देने लगी। उसके होंठ रसीले थे, करीब दस मिनट की चूमा-चाटी के बाद स्नेहा मेरा हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गई और वो बिस्तर पर खुद लेट गई। फ़िर मैंने उसकी मैक्सी के हुक खोले और उसकी मैक्सी उतार दी। उसने अन्दर ब्रा और पैन्टी दोनों ही नहीं पहनी थीं। मैंने धीरे-धीरे उसके मम्मे दबाये तो स्नेहा के मुँह से एक ‘आह’ भरी सिसकारी निकली, स्नेहा का एक संतरा मेरे हाथ में था और दूसरे मम्मे को मैं अपने मुँह से चूस रहा था और वो ‘आह्…आह्…’ की आवाजें निकाल रही थी, जो मुझे और नशीला बना रही थीं। धीरे-धीरे मैं अपना एक हाथ उसकी चूत की तरफ़ ले गया और उसको सहलाने लगा। उसकी चूत एकदम साफ़-सुथरी थी, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। स्नेहा की चूत गीली हो चुकी थी, मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रख कर उसे चाटने लगा। वाह.. क्या स्वादिष्ट थी उसकी चूत.. पूछो मत..! वो मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा रही थी।
थोड़ी देर चूत चुसवाने बाद स्नेहा ने कहा- अब मुझे तुम अपना लण्ड बताओ मुझे तुम्हारा लण्ड देखना है।
तो मैंने अपनी शर्ट उतारी और फ़िर मैंने कहा- पैन्ट तुम खुद ही उतारो और फ़िर तुम खुद ही मेरा लण्ड देख लो।
स्नेहा ने मेरी पैन्ट उतारी और फ़िर उसने मेरी अंडरवियर उतार दिया, मेरे लण्ड को देख कर ही उसने कहा- बाप रे..!
मैंने पूछा- क्या हुआ?
‘कितना बड़ा लण्ड है तुम्हारा.. मेरे पति का तो सिर्फ़ 5 इन्च का ही है और तुम्हारा तो 6.5 या 7 इन्च का लग रहा है।’
फ़िर स्नेहा ने बिना कुछ कहे झट से मेरा लण्ड सीधा मुँह में ले लिया और उसे लॉलीपॉप की तरह चाटने लगी।
लगभग 5 मिनट तक चूसने के बाद स्नेहा ने कहा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.. तुम प्लीज जल्दी से अपना ये लण्ड मेरी चूत में पेलो। मैंने देर ना करते हुए उसको बिस्तर पर लिटाया और लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रखा। एक जोर का झटका दिया और उसके मुँह से एक आवाज आई- थोड़ा धीरे-धीरे करो, मुझे दर्द हो रहा है।
फ़िर मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। थोड़ी देर में उसका दर्द भी कम हो गया और वो भी मेरा साथ देने लगी।
वो अपनी कमर उठा-उठा कर मजा ले रही थी और ‘आह…आह्…ऊफ़फ़्…उफ़फ़्…’ जैसी आवाजें निकाल रही थी। मैंने अपनी चोदने की गति धीरे धीरे बढ़ाई तो कहने लगी- और जोर से करो फ़ाड़ दो मेरी चूत, डाल दे पूरा अपना लण्ड और फ़ाड़ दो मेरी चूत.. यह कहते ही वो झड़ गई, थोड़ी देर में मैं भी अकड़ने लगा।
मैंने उससे कहा- मैं भी झड़ने वाला हूँ कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- अन्दर ही छोड़ दो।
फ़िर दो मिनट में ही मैं भी झड़ गया। हमारी चुदाई 20 मिनट तक चली और हम थक कर वहीं एक-दूजे की बाँहों में पड़े रहे। थोड़ी देर बाद वो बाथरूम में चली गई। थोड़ी देर में वो साफ़ होकर बाहर आकर मेरे पास बैठ गई और फ़िर हम बातें करने लगे।
स्नेहा ने कहा- आज मुझे तुम्हारे साथ बहुत मजा आया है और मैं यह दिन कभी भी भूल पाऊँगी।
बातों-बातों में मैंने उसे हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट के बारे में भी बताया तो उसने भी कहा- तुम हमारी इस कहानी को भी वहाँ भेजना.. मैं भी यह कहानी जरूर पढ़ना चाहूँगी और जितनी भी औरतें इस कहानी को पढ़ें उन्हें भी शायद अपना सुख प्राप्त हो जाए। मैंने यह कहानी स्नेहा के कहने पर ही लिखी है और कहानी में उसका नाम बदल दिया है।
फ़िर मैं उसके घर से निकल रहा था तब स्नेहा ने मुझे रोक लिया और मेरे हाथ में उसने कुछ रूपए रखे और कहा- तुमने जो मुझे सुख दिया है उसका गिफ़्ट है।
मैंने वो गिफ़्ट लेने से मना किया और कहा- आपने जो मेरे साथ जो किया है वही मेरा सबसे बड़ा गिफ़्ट है।
फ़िर भी वो जिद करती रही और मैंने उससे कह दिया- तुम मुझे रूपए दोगी तो मैं तुमसे बात नहीं करूँगा।
वो मान गई और कहा- यह बात किसी को मत बताना।
मैंने भी उससे वादा किया कि मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँगा। स्नेहा ने मेरा मोबाइल नबंर लिया और कहा- जब मुझे याद आएगी मैं तुम्हें फ़ोन करूँगी, तुम आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं वहाँ से चला गया और अपने दोस्त के घर चला गया। उसके घर जाते ही दोस्त ने पूछा- इतनी देर क्यों हुई?
मैंने कहा- घर में थोड़ा काम था इसलिए मैं जरा लेट हो गया। मैंने अपने दोस्त को भी अभी तक नहीं बताया है, क्या करूँ मैंने जो वादा किया था उसे निभाना तो पड़ेगा ना......
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