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चाचा ने मुझे मेरी सहमती से चोदा और लंड चुसाया Chacha ne mujhe meri sahamti se choda
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मेरे पापा और मेरे चाचा दो ही भाई है. मेरे पापा और चाचा मे बहुत प्यार है. मेरे पापा क्योंकि बड़े है, चाचा उनकी बहुत इज़्ज़त करते है. मेरे चाचा ने अभी तक शादी नही की है क्योंकि वो अभी शादी नही करना चाहते. वो भी मेरे पापा की तरह बहुत हॅंडसम है. मैं अपने माँ बाप की अकेली औलाद हूँ. मेरे कोई भाई या बहन नही है. मेरे चाचा का बेड रूम मेरे बेडरूम के सामने है. हमारे घर मे कुल पाँच बेड रूम है. तीन फर्स्ट फ्लोर पर, मेरे पापा का, मेरे चाचा का और मेरा. दो बेडरूम सेकेंड फ्लोर पर है जो कि गेस्ट बेडरूम है. ड्रॉयिंग रूम, किचन डाइनिंग रूम और हमारा ऑफीस ग्राउंड फ्लोर पर है.
मेरे पापा और मेरे चाचा दो ही भाई है. मेरे पापा और चाचा मे बहुत प्यार है. मेरे पापा क्योंकि बड़े है, चाचा उनकी बहुत इज़्ज़त करते है. मेरे चाचा ने अभी तक शादी नही की है क्योंकि वो अभी शादी नही करना चाहते. वो भी मेरे पापा की तरह बहुत हॅंडसम है. मैं अपने माँ बाप की अकेली औलाद हूँ. मेरे कोई भाई या बहन नही है. मेरे चाचा का बेड रूम मेरे बेडरूम के सामने है. हमारे घर मे कुल पाँच बेड रूम है. तीन फर्स्ट फ्लोर पर, मेरे पापा का, मेरे चाचा का और मेरा. दो बेडरूम सेकेंड फ्लोर पर है जो कि गेस्ट बेडरूम है. ड्रॉयिंग रूम, किचन डाइनिंग रूम और हमारा ऑफीस ग्राउंड फ्लोर पर है.
पिछली कहानी में आप पढ़ ही चुके है की मैं मेरे मम्मी - पापा की चुदाई छिपकर देखती थी. एक रात की बात है कि हमेशा की तरह मुझे मौका मिला और मैं देख रही थी कि मेरी माँ के मुँह मे पापा का लंबा लंड है और पापा माँ की चूत चाट रहे है. वो 69 पोज़िशन मे थे. आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वो दोनो मज़ा ले रहे थे पर मुझे लग रहा था कि उन से ज़्यादा मज़ा मैं ले रही हूँ. मेरा हाथ मेरी चड्डी के अंदर था और मैं अपनी चूत के साथ खेल रही थी. मेरी चूत से रस निकल रहा था और मेरी उंगलियाँ मेरी चूत के रस से गीली हो गई थी. जब मेरे पापा और माँ ने एक दूसरे की चूत / लंड चूसना बंद कर दिया तो मैने भी धीरे से बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और अपनी तरफ का दरवाजा बंद करने के बाद अपने बेडरूम मे घुसी. मैं इतनी गरम हो चुकी थी कि मेरी चूत को जोरदार मालिश की ज़रूरत थी. मैं जल्दी जल्दी अपनी चूत मे उंगली करके झड़ना चाहती थी.
मुझे ये देख कर शॉक लगा कि मेरे चाचा मेरे बेड के नज़दीक एक कुर्सी पर बैठे है. मेरा मुँह खुला का खुला रह गया और मेरी समझ मे नही आ रहा था कि मैं अब क्या करू. मैं इतना तो समझ गयी थी कि मेरे चाचा ने मुझे अपने पापा और माँ की चुदाई देखते हुए देख लिया है. मैं कुछ नही बोल पाई और मेरे पैर जैसे ज़मीन मे जाम हो गये थे. मैने धीरे से अपना सर उपर किया और सोच रही थी कि क्या बोलू. मेरे चाचा मेरी तरफ ही देख रहे थे और उनकी आँखो मे बहुत से क्वेस्चन्स थे. अचानक वो खड़े हो गये और उन्होने मेरे होटो पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया. उन्होने मेरा हाथ पकड़ा और अपने बेड रूम मे ले गये. अपने बेडरूम का दरवाजा बंद करने के बाद वो मेरी तरफ मुड़े और कहा
चाचा - मैं नही चाहता कि भाई और भाभी हमारी आवाज़ सुने, इसी लिए मैं तुम को यहाँ लाया हूँ. अब बताओ तुम क्या कर रही थी वहाँ?
मैं - कुछ नही चाचा, मैं तो बाथरूम से आ रही थी.
चाचा - मुझे मूर्ख बनाने की कोशिस मत करो. मैने सब देख लिया है कि तुम क्या कर रही थी.
मैं - क्या? क्या देख लिया है? मैं तो कुछ नही कर रही थी.
चाचा - तुम अपने माँ बाप को देख रही थी उनके बेडरूम मे. उनके बेडरूम की लाइट तुम्हारे बेडरूम तक आ रही थी खुले हुए बाथरूम से. और तुम उनके बाथरूम के दरवाजे के पीछे खड़ी थी थोड़ा सा दरवाजा खोल के जहाँ से लाइट तुम्हारे बेड रूम तक आ रही थी. मैने सब देख लिया है.
मैं कुछ नही बोल पाई पर समझ गई कि सारा भेद चाचा जान गये है. अब चाचा सब जान गये है और वो मेरे पापा और माँ को सब बता देंगे. मैं चाचा के बेड पर बैठी थी और मेरी आँखों से आँसू निकलने चालू हो गये डर से. चाचा मुझे देख रहे थे और मैं अपना सिर नीचे कर के रो रही थी.
चाचा - हे! रो मत. चुप हो जाओ.
उन्होने अपना हाथ उपर किया और मेरे आँसू पोन्छे.
चाचा - साफ साफ बताओ. क्या तुम चाहती हो कि मैं ये बात भाई और भाभी को बताऊ?
मैं - नही चाचा ! प्लीज़......., मैने उनका हाथ पकड़ लिया.
चाचा - ठीक है. नही बताउन्गा. मुझे बताओ, ये सब तुम कब से कर रही हो?
मैं - पिछले 6 महीनों से.
चाचा - ओह! मतलब बहुत दिन हो गये. तुम छोटी लड़की हो, क्या तुम समझ सकती हो कि तुम उनको क्या करते हुए देखती हो?
मैं - हां. मैं जानती हूँ.
चाचा - साफ साफ बोलो. मुझ से कुछ मत छिपाओ. तुम मेरी छोटी बच्ची हो और ये विश्वास रखो कि ये बात हम दोनो के बीच मे ही रहेगी. शरमाओ मत. बताओ.
मैं - वो आपस मे प्यार करते है रात को.
चाचा - क्या तुम पूरी तरह समझती हो कि वो क्या करते है?
मैं - हां. वो सेक्स करते हैं.
चाचा - ठीक है. लेकिन तुम अभी बहुत छोटी हो. किसने सिखाया ये तुम को?
मैं - एक रात को जब मैं पेशाब करने गयी तो उनका बाथरूम का दरवाजा थोड़ा खुला था और बाथरूम मे उनके बेडरूम से लाइट आ रही थी. आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। कुछ आवाज़ें भी आ रही थी. मैं जान ना चाहती थी कि इतनी रात को वहाँ क्या हो रहा है. मैने धीरे से देखा और मैं समझ गयी कि वो चुदाई कर रहे है और तब से मैं जब भी मौका मिलता है, उनको चोद्ते हुए देखती हूँ. ऐसा वीक मे दो / तीन बार होता है.
चाचा - वो तो ठीक है, पर पर तुम को चुदाई के बारे मे बताया किसने? तुम को क्या पता कि इसको चुदाई कहतें है? तुम को ये कैसे पता है कि हज़्बेंड - वाइफ चुदाई करते है? तुम बहुत छोटी हो और मैं समझ नही पा रहा हूँ कि तुम को ये सब इतनी डीटेल मे कैसे पता है?
मैं - वो मैने एक दिन आक्सिडेंट्ली एक ब्लू फिल्म देख ली थी. और तब से मैं जान गयी कि ये चुदाई होती है.
चाचा - ब्लू फिल्म? वो कहाँ देखी तुम ने? अपनी किसी दोस्त के घर पे?
मैं - अपने घर पर ही. मैं किसी फिल्म की कॅसेट तलाश रही थी कि वो मुझे माँ की अलमारी से मिली.
चाचा - हे भगवान! साफ साफ बताओ मुझे. क्या तुमने अब तक भी और भाभी को ही चोद्ते देखा है या और भी कुछ किया है? मेरा मतलब है किसी लड़के के साथ तुम ने भी चुदाई की है?
मैं - नही चाचा. मैने सिर्फ़ पापा और माँ को ही देखा है. मैने वैसा कुछ नही किया है. मैने किसी से भी नही चुदवाया है.
चाचा - तुम बहुत छोटी हो पर अब तुम सेक्स के बारे मैं बहुत जान गयी हो. हम अब साफ साफ बात करते हैं. जब तुम उनको चोद्ते हुए देखती हो तो तुम को कुछ फील नही होता है? क्या तुम्हारी इच्छा नही होती है कि तुम को भी कोई ऐसे ही चोदे?
मैं - मैने अभी तक ऐसा नही सोचा है कि कोई मुझे भी चोदे.
चाचा - फिर तुम क्या करती हो? ये सब देखने के बाद तुम को नींद कैसे आती है?
मैं - मत पुछो चाचा. मुझे शरम आती है.
चाचा - शरमाओ मत बेबी. साफ़ साफ बताओ. मुझे तुम्हारी बहुत चिंता हो रही है कि तुम्हारा क्या होगा. तुम बहुत छोटी हो और दुनिया को नही जानती हो. पता नही क्या होगा तुम्हारा अगर किसी ग़लत हाथ मे पड़ गई तो. मुझे बताओ मेरी बेबी. मैं तुम्हारा चाचा ही नही दोस्त समझो मुझे.
मैं - मैं अपनी उंगली से कर लेती हूँ.
चाचा - थॅंक गॉड. मैं खुस हूँ कि तुम ने किसी से अब तक नही चुदवाया है. नही चुदवाया है ना?
मैं - नही चाचा. मैने किसी से भी नही चुदवाया है. मेरा विश्वास करो. मैं अपने रूम मे जाऊ?
चाचा - ठीक है. जाओ, पर मैं कल रात को तुम्हारा इंतज़ार करूँगा. बहुत सी बातें करनी है तुम से.
मैं - गुड नाइट चाचा.
चाचा ने मुझे गले लगाया और मेरे गाल चूमे और कहा - गुड नाइट बेबी, आराम करो. कल बात करतें हैं.
जब चाचा मुझे गले लगा रहे थे तो मैने कोई कड़क चीज़, लकड़ी जैसी कड़क चीज़ अपने पेट पर महसूस की और तुरंत समझ गई कि ये मेरे चाचा का लंड है.
मैं समझ गई थी कि चाचा ये बात किसी को नही बताएँगे. मैं अपने रूम मे आ गई और सोने की कोशिस करने लगी. काफ़ी देर तक मुझे नींद नही आई. मैने अपनी चूत मे उंगली करने की भी सोची मगर फिर नही की क्यों कि जो कुछ हुआ था उस के बाद मूड नही बन रहा था.अगले दिन मैं सुस्त थी. जब माँ ने कारण पुछा तो मैने कहा कि रात को नींद नही आई पूरी तरह से. बाकी सब ठीक है. मैं तैयार होकर स्कूल चली गई.
मैं ये सोचती हुई दोपहर को घर आई कि क्या सचमुच चाचा मुझे चोदेगा? क्या ये ठीक है? सच पूछो तो मेरा भी बहुत मन कर रहा था कि कोई मुझे चोदे जैसे मेरे पापा मेरी माँ को चोद्ते है. अपनी जवानी की पहली चुदाई किसी और से करवाने से तो अच्छा है कि चाचा से ही चुदाई करवाई जाए. अपनी कुँवारी चूत का मोती चाचा को देना ही ठीक है बजाय किसी और को देने से. घर की इज़्ज़त घर मे ही रहेगी. किसी को पता भी नही चलेगा और चुदाई भी होती रहेगी. चाचा के लिए भी ठीक है, उनको भी अपने लंड के लिए चूत घर मे ही मिल जाएगी.
हम ने रात का खाना खाया और मैं अपने बेडरूम मे आ गई. रात के 11.00 बजे मेरे पापा और माँ भी सोने चले गये और मैं चाचा का इंतजार कर रही थी. मैने महसूस किया कि चाचा भी अपने बेडरूम मे आ चुके है. मैं सोच रही थी कि सीधे चाचा के बेड रूम मे चली जाऊ या उन के बुलाने का इंतजार करू. तभी मेरे बेडरूम का दरवाजा खुला और चाचा दरवाजे पर थे.
चाचा - क्या बेबी ! सो गयी क्या?
मैं अपने बेड से खड़ी हुई तो चाचा मेरी तरफ देख कर मुस्काराए. मैं भी मुस्काराई. हम दोनो चाचा के बेडरूम मे गये और चाचा ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. मैं अंदाज़ा लगा रही थी और ये सोच कर खुस हो रही थी कि अब क्या होने वाला है. आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। हम दोनो बेड पर बैठे थे और चाचा ने मेरा हाथ अपने हाथ मे लेते हुए कहा - "तुम जानती हो शिल्पा कि तुम मुझे कितनी प्यारी लगती हो. कल की बातें होने के बाद तो तुम मुझे और भी प्यारी लगती हो."
मैने चाचा की आँखों मे देखा.
चाचा - शिल्पा! मुझे ख़ुसी है कि तुम जवान हो रही हो. अब से हम दोनो अच्छे दोस्त है. हम एक दूसरे के राज़ को राज़ ही रखेंगे. क्या तुम भी ये चाहती हो कि कोई तुम से भी वैसा प्यार करे जैसे तुम ने देखा है भाई भाभी को करते हुए?
मैं - हां चाचा. पर मैं अभी छोटी हूँ और मैं ये सब केवल अपने मज़े के लिए नही करना चाहती हूँ.
चाचा - अब जब कि हम आपस मे इतना खुल गये है, बताओ मेरे बारे मे तुम्हारा क्या विचार है. मैं तभी आगे बढ़ुंगा जब तुम हां कहोगी. मैं नही चाहता कि तुम मेरे बारे मे खराब सोचो. चिंता मत करना, तुम्हारा राज़ अब राज़ ही रहेगा. इस बात का अपने प्यार से कोई लेना देना नही है. मैं नही चाहता कि तुम ये सोचो कि मैने तुम्हारी मज़बूरी का फ़ायदा उठाया या कोई ग़लत काम किया. ये पूरी तरह तुम्हारे उपर है. तुम्हारी हां या ना से मुझे कोई फ़र्क नही पड़ेगा.
मैं - नही चाचा, ऐसा नही है. मुझे पता है कि आप मेरा बुरा नही चाहेंगे और मेरे साथ कुछ ग़लत नही करेंगे, पर मुझे डर लगता है.
चाचा - डर? कैसा डर?
मैं - मैं आप की छोटी बच्ची हूँ और आप पूरे आदमी है और मेरे चाचा है. क्या ये संभव है?
चाचा - अच्छा वो? क्या तुम जानती हो कि मैने कल क्यों कुछ करने की कोशिश नही की? मैं बताता हूँ. क्यों कि मैं तुम से प्यार करता हूँ और तुम्हे गुमराह नही होने देना चाहता. मैं तुम्हे कोई नुकसान भी नही पहुँचाना चाहता. अभी तुम छोटी हो लेकिन चुदाई के बारे मे अपनी उमर से ज़्यादा जान गई हो. पर तुम्हारे लिए अभी भी बहुत कुछ जानना बाकी है. हर चीज़ के दो चेहरे होते हैं. सेक्स के भी दो चेहरे है. मैं जानता हूँ कि अब तुम चुदाई के बिना नही रह सकती और मैं नही चाहता कि तुम किसी से भी चुदवाओ और जवान होते होते तुम्हारी ज़िंदगी खराब हो जाए. इसीलिए मैं ये सब कर रहा हूँ. मैं बिना तुम को कोई नुकसान पहुँचाए सब सिखाउन्गा ताकि तुम कभी धोका नही खाओ. तुम मेरी कुँवारी बेबी हो और मैं इस का ध्यान रखूँगा कि तुम्हे जयादा तकलीफ़ ना हो. ये अच्छी बात है कि तुम अपने चाचा से अपनी कुँवारी सील तुडवा रही हो. कल तक मैं भी इस के लिए तैयार नही था. मैं जो कर रहा हूँ वो सोच समझ कर कर रहा हूँ.
और फिर चाचा ने मुझे जेल्ली की ट्यूब दिखाई जो वो आज खरीद कर लाए थे.
मैं कुछ बोल नही पाई मगर सच्चाई तो ये है कि मैं भी चुदवाना चाहती थी. मैं भी वो मज़ा लेना चाहती थी जो मेरी माँ ले रही थी पापा से चुद कर.
चाचा ने मेरा चेहरा अपने हाथो के बीच लिया और अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए. ये मेरे जीवन का पहला किस था. मैने अपने चाचा को कस कर पकड़ लिया और किस मे उनका साथ देने लगी. वो मेरा निचला होंठ चूस रहे थे और मैं उनका उपर का होंठ चूस रही थी. उन्होने मेरी जीभ अपने मुँह मे ली और उसको चूसना चालू कर दिया. मैने भी यही किया. मेरी चूत हमेशा की तरह गीली होना सुरू हो गयी थी और मैं जानती थी कि आज मेरी कुँवारी चूत चुदने वाली है. सभी लाइट्स ऑन थी. आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। हम ने अपना चुंबन पूरा किया और चाचा मेरे बदन पर अपना हाथ फिराने लगे. चाचा ने मेरे टॉप के लिकिंटन खोल दिए. मैं उस समय ब्रा नही पहनती थी और मेरे नींबू जैसी छोटी छोटी कड़क चुचियाँ लाइट मे चमकने लगी. उनको मेरी प्यारी प्यारी छोटी चुचियाँ बहुत पसंद आई और उन्होने उनको धीरे धीरे दबाना सुरू कर दिया.
आअह..... वो पहली बार था जब कोई मर्द मेरी चुचियों को टच कर रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. उनका हाथ धीरे धीरे नीचे सरका और उन्होने मेरी स्कर्ट का हुक खोल कर अपना हाथ मेरी गोल गोल गांड पर रखा. उन्होने मेरी स्कर्ट निकाल दी और मैं पूरी तरह उनके सामने नंगी हो चुकी थी क्यों कि मैने चड्डी भी नही पहन रखी थी. फिर चाचा ने भी अपने कपड़े उतारे और वो भी मेरी तरह नंगे हो गये. मैने देखा कि उनकी चेस्ट काफ़ी बड़ी है और उस पर काफ़ी बाल भी है. उनका लंड मेरी आँखों के सामने था और किसी खंभे की तरह मज़बूती से खड़ा था. मैने तुलना की तो पाया कि चाचा का लंड मेरे पापा के लंड से थोड़ा बड़ा और थोड़ा मोटा है. मैने सोचना सुरू किया और मेरी समझ मे नही आया कि इतना बड़ा, इतना मोटा, खंबे जैसा चाचा का लंड मेरी छोटी सी कुँवारी चूत मे कैसे जाएगा. शायद मेरी चूत फॅट ही जाएगी.
हम दोनो एक दूसरे के सामने नंगे बैठे हुए थे और मैं हैरान थी कि चाचा का इतना लंबा, इतना मोटा और इतना कड़क लंड मेरी छोटी सी चूत मे कैसे जाएगा. मैने अब तक दो लंड देखे थे, एक मेरे पापा का और एक अब मेरे चाचा का. मेरे पापा के लंड मुण्ड पर चमड़ी नही थी और दूर से ही उनका गुलाबी लंड मुण्ड नज़र आता था और नीचे काली चॅम्डी थी. चाचा के लंड का अगला भाग काली चॅम्डी से ढका हुआ था और उनके लंड के आगे का और अंदर का भाग थोड़ा सा ही नज़र आ रहा था. मैं साफ साफ चाचा के लंड पर पेशाब का होल देख सकती थी. ये मेरा पहली बार था कि मैं किसी मर्द के सामने नंगी बैठी हुई थी और किसी नंगे मर्द को अपने इतने करीब से भी मैने पहली बार ही देखा था. मैं तो ये सोच कर ही झुरजुरी ले रही थी कि आज मैं पहली बार चुदने जा रही थी. चाचा के हाथ मेरे नंगे बदन पर फिर रहे थे. मैं तो बिस्तर पर चुप चाप बैठी थी बिना कुछ करे क्यों कि मुझे तो मालूम ही नही था क़ि मुझे क्या करना चाहिए. चाचा बोले कि "मेरी बेबी, आज मैं तुम्हे औरत बनाउन्गा और मैं तुम को वो सब कुछ दूँगा जिस की तुम हक़दार हो."
मेरी नींबू जैसी चुचियाँ उनके हाथो मे थी और वो उनको मसल रहे थे. वो बोले कि उन्होने इतनी छोटी और कड़क चुचियाँ कभी नही देखी है. वो मेरी चुचियों को धीरे धीरे मसल रहे थे. उन्होने मेरी एक निपल अपने मुँह मे लेकर चूसना चालू कर दिया जैसे कोई बच्चा दूध पीता है. मेरी आँखें बंद होने लगी और मेरे होंठ फड़फड़ाने लगे. मैने अपने बदन मे एक बिजली सी महसूस की जो कि पहले कभी महसूस नही की थी. मेरा बदन आनंद के मारे अकड़ने लगा था. फिर उन्होने मेरी दूसरी निपल अपने मुँह मे लिया और वो ही किया जो पहली निपल के साथ किया था. मृेरी नन्ही चूत जो पहले ही गीली थी, और भी गीली होने लगी और मैने महसूस किया कि उस मे से रस निकलता ही जा रहा है. उन्होने अपने हाथो मे मेरी छोटी सी, गोल और कड़क गांड को दबाया और मालिश सी करने लगे मेरी नंगी गांड पर.
मेरा मन जल्दी से जल्दी चुदाई करवाने का होने लगा. चाचा की बालो से भरी चौड़ी छाती मेरे सामने थी. मैं अपने आप को रोक नही सकी और उनकी छाती के बाल साइड मे करके उनकी छोटी सी निपल को अपने मुँह मे ले लिया और उसी तरह चूसने लगी जैसे उन्होने मेरी निपल चूसी थी. चाचा के मुँह से आनंद की आवाज़ें निकलने लगी और वो बोले " ओह मेरी छोटी सी डार्लिंग, किसी लड़की या औरत ने ऐसा नही किया मेरे साथ जो तुम कर रही हो. ये बहुत आनंद देने वाला काम है. आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। चुस्ती रहो मेरी जान, चुस्ती रहो. ज़ोर ज़ोर से चूसो . हां..... ऐसे ही........ मेरी प्यारी ...... चूसो......." फिर उन्होने मेरे मुँह मे अपनी दूसरी निपल दी और मैने उसको भी वैसे ही चूसा. इस तरह हम दोनों एक दुसरे से सेक्स में पूरी तरह खुल गए. मैं हर रोज चाचा का लंड चुस्ती और चाचा मेरी चूत और गांड में अपनी जीभ डालते. दो हफ्ते तक यही चलता रहा लेकिन एक दिन हम दोनों ने चुदाई को अंजाम देने की सोची और चाचा ने मेरी सहमती में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया, उस दिन मुझे बहुत तकलीफ हुई लेकिन इसके बाद मुझे मजा आने लगा.......
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