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मेरी सेक्सी शरारत ने मुझे चुदवा दिया Meri sexy shararat ne mujhe chudwa diya
मेरी सेक्सी शरारत ने मुझे चुदवा दिया, Meri sexy shararat ne mujhe chudwa diya, हिंदी सेक्स कहानी, hindi sex story, चुदने वाली मस्ती, गांड मरवाने का मजा, मैं चुदने को तैयार हूँ, लंड में दम है तो मुझे चोद दो, मेरी प्यास बुझाओ, चूत और गांड दोनों मारो, बड़ा लंड चाहिए, चूचियां दबाकर बड़ी बड़ी करवाना चाहती हूँ, लंड चुसना है लेकिन मिल नहीं रहा है.
मेरा नाम निर्धि है। मैं मेरठ में रहती हूँ। मैं बहुत खूबसूरत हूँ, गोरी चिट्टी माल हूँ। वैसे मेरी चूचियाँ उस वक्त तक काफ़ी बड़ी हो चुकी थी मगर मुझे अपने शर्ट के ऊपर उभरे वो दो दाने अच्छे लगते थे, इसी लिये मैं ब्रा पहनना नहीं चाहती थी। जब मैंने +2 के एग्जाम्स दे दिए तब छुट्टी में मैं अपनी बुआ के घर देहरादून गई थी।वहाँ उनका बेटा अखिलेश यानि मेरा भाई उस समय 19 साल का था, हम दोनों बहुत खेलते थे, जैसे कैरम, ताश, स्क्रैम्बल वगैरा और मस्ती करते थे।
मेरा नाम निर्धि है। मैं मेरठ में रहती हूँ। मैं बहुत खूबसूरत हूँ, गोरी चिट्टी माल हूँ। वैसे मेरी चूचियाँ उस वक्त तक काफ़ी बड़ी हो चुकी थी मगर मुझे अपने शर्ट के ऊपर उभरे वो दो दाने अच्छे लगते थे, इसी लिये मैं ब्रा पहनना नहीं चाहती थी। जब मैंने +2 के एग्जाम्स दे दिए तब छुट्टी में मैं अपनी बुआ के घर देहरादून गई थी।वहाँ उनका बेटा अखिलेश यानि मेरा भाई उस समय 19 साल का था, हम दोनों बहुत खेलते थे, जैसे कैरम, ताश, स्क्रैम्बल वगैरा और मस्ती करते थे।
अखिलेश कैरम का जैसे चैम्पीयन है। वो खुद को वैसे भी कुछ ज्यादा ही होशियार समझता था, मैं उसकी इस बात से चिढ़ती थी तो इसी चिढ़ में मैं उसे येन केन प्रकारेण हराना चाहती थी। एक बार हम कैरम खेल रहे थे, जून की गर्मी के दिन थे, मैंने एक पतली सफेद शर्ट ओर चेक की स्कर्ट पहन रखी थी जो घुटनों तक ही थी।शमीज मैंने गर्मी की वजह से पहनी ही नही थीं, ब्रा उस समय तक पहननी शुरू ही नहीं की थी। गर्मी की वजह से पसीने मई मेरी शर्ट गीली हो गई थी और मेरे गोरे बूब्स दिखने लगे थे। मैंने देखा कि भैया का ध्यान आज कैरम में नहीं है, उनकी नज़र बार बार मेरे वक्ष पर ही जा रही थी, इसलिये कैरम में बार बार उनका निशाना चूक रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरी 4 गोटी निकल गई थी, जबकि भैया ने केवल एक निकाली थी।
अब उस दिन मैंने उसे हराने का तरीका सोच ही लिया। मैंने शर्ट के ऊपर का एक बटन खोलकर खेल से उनका ओर भी ध्यान हटाया जिससे मैं गेम जीत जाऊँ। फिर मैंने ध्यान दिया कि भैया मेरी टाँगों को भी देख रहे हैं तो मैंने गर्मी का बहाना करके और बार बार निशाना लेने के लिए अपनी स्कर्ट भी ऊपर को खींच दी। अब भैया बार बार मेरी गोरी गोरी जांघें देखने की कोशिश कर रहे थे। एक बार उन्होंने क्वीन निकाल ली, कवर भी उनके सीधे निशाने पर था, उन्हें हराने के जोश में आकर मैंने अपने दोनों पैर खोल दिए और ऐसा दिखाया जैसे मुझे पता ही नहीं…
भैया तो मेरी पैंटी देखते ही रह गये और उनका निशाना चूक गया। अब मैं खेल में जीत चुकी थी। अब मैं हर दिन भैया के साथ ऐसा करने लगी। भैया हर दिन खेल के बाद बाथरूम में जाते और काफी समय बाद निकलते थे, एक दिन मैंने सोचा की ऐसा क्या है क्यों ना आज देखा जाएँ। बाथरूम के बराबर साइड में एक रोशनदान है मैंने उसमे से देखने का प्लान बनाया। हमने खेलना शुरू किया, मैंने आज भी वैसी ही हरकते की। हर दिन की तरह भैया खेल के बाद बाथरूम में घुस गए। मैं झट से स्टूल पर चढ़ी और रोशनदान में से अंदर का नजारा देखने लगी। मैंने देखा की भैया ने अपने लंड को हाथ में पकड़ रखा था और उसे जोर जोर से हिला रहे थे। ये सब देखकर मुझे मजा आने लगा और मेरी चूत में कुछ हलचल होने लगी।
मैं अपनी चूत को हाथ से सहलाने लगी, परन्तु मैं इसमें इतनी मगन हो गई की मुझे अहसास ही नहीं रहा की मैं कहाँ हूँ, अचानक स्टूल फिसल गया और मैं निचे गिर गई। भैया एकदम बाथरूम से बाहर आए और मुझे देखकर सारा माजरा समझ गए। भैया ने मुझे उठाया और कमरे में ले जाकर बैड पर लेटा दिया। मैं जानबूझकर रोने लगी। भैया ने पूछा - कहीं चोट तो नहीं लगी।
मैंने कहा - लगी है।
भैया - कहा लगी है?
मैं - तुम्हें दिखा नहीं सकती।
भैया - ओहो पागल चोट लगी है, ऐसे में सरमाने वाली क्या बात है, बताओ कहा लगी है।
मैंने सही मौका देखकर इसका फायदा उठाने की सोची, मैंने भैया का हाथ पकड़ कार अपनी चूत पर लगाया और कहा कि यहाँ पर चोट लगी है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। भैया मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा, मुझे बहुत मजा आने लगा। मैंने भी भैया के लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कार दिया। भैया ने कोई विरोध नहीं किया। हम 10 मिनट तक ऐसे ही करते रहे। फिर भैया ने कहा कि तुम्हारी चोट पर दवाई लगानी पड़ेगी। यह कहकर भिया ने मेरी पैंटी उतार दी। मैंने कहा कि दवाई कहा है, तो भैया बोले - अभी बन रही है तुम पोजीशन ले लो, अभी बाहर आने वाली है।
मैं भैया की बातें समझ चुकी थी इसलिए झट से अपनी टांगे चौड़ी करके लेट गई। भैया ने तुरंत अपनी पैंट में से लंड बाहर निकाला और मेरी चूत पर रखकर एक झटका लगाया। लंड का सुपाड़ा ही चूत में गया था कि मेरी आँखों के सामने तारे टूटने लगे। इससे पहले की मेरी चीख निकलती भैया ने अपने मुंह से मेरे मुंह को बंद कर दिया और लगातार दो झटके लगाए, अब पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया। भैया लंड को आगे पीछे करने लगे। अब मेरी चूत का दर्द एक सुहाने मजे में बदल गया और मैं भैया से चिपक गई। करीब 30 मिनट तक भैया ने मुझे चोदा और फिर अपना सोमरस मेरी चूत में ही छोड़ दिया। उस दिन हमने सिर्फ एक बार ही चुदाई की।
अगले दिन फिर मैं भैया के साथ खेल रही थी तो मैंने आज पैंटी भी नहीं पहनी थी और अपनी टांगे चौड़ी करके अपनी रानी भैया को दिखाई। भैया बोले अभी थोड़ी देर में सभी घरवाले अपने - अपने काम पर चले जाएँगे तब मैं तुम्हारी चोट पर दवाई लगाऊंगा। यह सुनकर मैं बहुत खुश हुई। जब सभी घरवाले अपने - अपने काम पर चले गए तो मैं और भैया कमरे में चले गए और हमने जाते ही एक दुसरे के कपड़े उतार दिए और बैड पर लेट गए।
भैया मेरे कूल्हे दबाने लगा और धीरे धीरे मेरी चूत भी दबाने लगा। कुछ देर दबाने के बाद वो ऊपर बढ़ने लगा और और अपने दोनों हाथ मेरी चूचियों पर रख दिए और उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा। वो मुझ पर लेट गया और एकदम से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा। मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया, वो समझ चुका था कि मैं बहुत बड़ी चुद्द्कड़ बनना चाहती हूँ, तो उसने जोर से मेरी चूचियाँ दबानी शुरू कर दी।
उसने अपना मुंह मेरी चूत पर रख दिया और उसे ऊपर से चाटने लगा और अपने दोनों हाथों से मेरे कूल्हे दबाने लगा, मेरी गांड में उंगली भी करने लगा। मैं उसका सिर अपने हाथों से अपने चूत पर दबाने लगी, मेरे मुँह से तरह तरह की आवाजें निकलने लगी- मैं… मर गई रे ईईईइ अह्हा मर गई !! ऐसे नहीं ! धीरे धीरे कर ना। उसका 8 इंच का लण्ड मेरे सामने था। मैंने बिना देरी किया उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी। वो बोल रहा था- चूस मेरी जान चूस ! आज तो तुझे इतना चोदूँगा कि तू हमशा मुझसे ही चुदेगी, तेरी गांड भी मारूंगा !
मैं जोर जोर से उसका मोटा लंड चूस रही थी। उसने मुझे कुतिया बनने के लिए कहा, मैं समझ गई कि पहले मेरी गांड मरेगी। मैं झट से कुतिया बन गई, फिर वो मेरी गांड चाटने लगा। हाय क्या बताऊँ दोस्तो, गांड चटाने में कितना मजा आता है। सच में वो अपनी जीभ को मेरी गांड के प्यारे से छेद में डालने लगा, कभी उसे गांड के छेद पर फिराता तो कभी उसे मेरी गांड में डालता। जब मेरी गांड बिल्कुल गीली हो गई तो उसने थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगाया और और अपने लंड का टोपा मेरी गांड के छेद पर रखा और एक जोरदार झटका मारा।
उसका पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में चला गया, मैं तो मानो मर ही गई, मेरी आँखों में आँसू आ गये और उसे लंड निकालने के लिए कहने लगी लेकिन वो मेरी गांड में लंड डाले ही मुझ पर लेट गया। दस मिनट बाद जब दर्द कम हुआ तो उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किए। अब तो मैं भी उसका साथ देने लगी और चिल्लाने लगी- बहन के लौड़े ! और जोर से चोद ! फाड़ दे मेरी गांड ! अपनी बहन को इतना चोद कि मैं खड़ी भी न हो पाऊँ !
वो जोर जोर से धक्के मारने लगा, उसका पूरा का पूरा का लंड मेरी गांड की जड़ तक जा रहा था, करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद वो कहने लगा कि उसका काम होने वाला है। बोला- अब मैं लण्ड निकालने वाला हूँ।
मैंने उसे कहा- नहीं यार ! आज तो अपने अमृत से मेरी गांड की प्यास बुझा दे, अंदर ही झाड़ दे अपना माल !
और वो झटके मारने लगा और अपना पानी मेरी गांड में भर दिया। उसके लंड से निकला गर्म पानी गांड में डलवा कर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। पानी छोड़ने के बाद मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर दिया।
मैंने कहा- मेरे राजा भाई ! अपनी बहन की चूत नहीं मारेगा क्या?
उसने कहा- मारूँगा मेरी जान ! भोसड़ा बना दूँगा तेरी चूत का ! पहले मेरे लंड को खड़ा तो कर ! मैंने फिर से उसका लंड मुंह में लिया और उसे चूसने लगी... 10 मिनट में उसका लंड फिर से लोहे जैसा हो गया, उसने मुझे सीधी लिटा दिया और मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत चाटने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ और बस चूत चटवाती ही रहूँ। कुछ देर चूत चाटने पर उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और जोर का झटका मारा, उसके लंड ने मेरी चूत को सलामी दी। मेरी झिल्ली तो कल ही फट चुकी थी, लंड के अंदर जाने में मुझे इतना दर्द नहीं हुआ और न ही खून निकला।
फिर क्या था, उसने जोर जोर से धक्के लगाने शुरु किये और मैं भी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी। आधे घंटे चुदने के बाद हम दोनों एक साथ झड़े, उसने अपना सारा पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। फिर मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही चूत में लंड डलवाए लेटी रही। फिर हमने अपने - अपने कपड़े पहने और वो अपने कमरे में जाकर सो गया। जाते हुए मैंने उसे कह दिया- अब तो मैं तेरा ही लंड डलवाया करूंगी अपनी चूत में ! तो उसने भी कह दिया- अब तो मैं भी तुझे रोज चोदा करूँगा मेरी बहन ! और मुस्करा कर चला गया। तब से लेकर आज तक मैं उससे चुद रही हूँ।
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