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पानी के अन्दर चुदाई का मज़ा लिया Pani ke andar chudne me bahut hi majaa aaya
पानी के अन्दर चुदाई का मज़ा लिया Pani ke andar chudne me bahut hi majaa aaya, मुझे चुदने में बहुत मजा आया, तब से हमें चुदने की आदत पड़ गई, मेरी चूचियां भी बहुत बड़ी हो गई...
उस वक़्त मेरी उमर करीब 18 साल की थी… हमारे डैडी के एक करीबी दोस्त हैं… उनकी फॅमिली मे शादी थी. वो शादी उनके गावं मे होनी थी.. उन्होने हम सबको चलने के लिए इन्वाइट किया. पापा को तो जाना था. मा के जाने का हिसाब नहीं बैठ रहा था. तब पापा के फ़्रेंड ने कहा कि काजल को ले चलो. हमारा घर भी देख लेगी, गावं भी देख लेगी.. ये भी देख लेगी कि गावं मे शादी कैसे होती हे. लास्ट मे ये फ़ैसला हुआ कि अंकल की फॅमिली के साथ मैं और मेरे पापा भी जाएँगे. मेरा शरीर अब भर गया था. अब मैं वो नौ साल वाली लड़की नहीं थी, जिसका सीना एकदन सपाट था. अब तो मेरे बूबस भी दिखने लगे थे. जब मैं चलती थी तो मेरे बम्स लेफ्ट राइट हिलते थे जो मुझे और भी सेक्सी बना देते थे. हमारा वहाँ 10 दिन का प्रोग्राम था.
10 डेज़ के हिसाब से मैने अपने कपड़े पॅक किए.. सलवार सूट, स्कर्ट & टॉप, जीन्स & टॉप और जैसा मुझे प्रोग्राम बताया गया, हल्दी, लेडी संगीत, तिलक, शादी… हर रोज कुछ ना कुछ प्रोग्राम था. मैंने 2 पैयर लहंगा चुनरी भी रख ली..जाने वाले दिन हम निकले और स्टेशन जा कर ट्रेन पकड़ी… रात भर का सफ़र था.. मैं, मेरे पापा, अंकल आंटी और उनका एक बच्चा जो 4 साल का था, टोटल 5 लोग शादी मे जा रहे थे. एसी कोच मे रात का सफ़र आराम से कट गया. सवेरे स्टेशन पर कार आ गयी और हम गावं की तरफ चल दिए.
अंकल मुझे रोड के किनारे खेत के बारे मे बताने लगे.. ये सरसो का खेत हे.. ये वीट का आदि. करीब 2 घंटे के सफ़र के बाद अंकल ने बताया कि उनका घर आने वाला है. फिर एक बड़ा सा दरवाज़ा आया, कार उसमे घुसी. बहुत बड़ा एरिया था वो. कई तरह के पेड़ थे. गार्डेन था.. एक दम जंगल जैसा लग रहा था.. फिर हम एक मकान पर पहुचे. मकान क्या था, वो एक हवेली थी.. पुरानी टाइप की, बहुत बड़ी हवेली.. हम कार से उतरे, हवेली मे गये… बहुत बड़ा हाल, बड़े बड़े कमरे. बड़े बड़े फनूस. एकदम शांति.. कही कोई आवाज़ नही.. कोई हल्के से भी बोलता तो आवाज़ सुनाई दे जाती..
ग्राउंड फ्लोर था और 1स्ट्रीट फ्लोर.. हम 1स्ट्रीट फ्लोर पर ले जाए गये. क्या बड़े बड़े रूम थे.. ऐसा तो सिर्फ़ फ़िल्मो मे या टीवी सीरियल मे देखा था.. इतने बड़े कमरे की अगर वो सहर मे हो तो वाहा उसी कमरे मे शादी हो जाए. मुझे अपने नाना जी के गावं की याद आ गयी. अब जब याद आ गयी तो वो सब भी याद आने लगा कि मैंने वाहा कैसे मस्ती की थी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैंने खुदा से दुआ कि हे खुदा, कुछ ऐसा जुगाड़ बना जो नाना जी के यहा हुआ था.. फिर सोचा कि अगर कुछ जुगाड़ हो भी गया तो कोन सी जगह ज़्यादा ठीक रहेगी मस्ती के लिए.
सोचा चलो घूम के देखते हैं.. इतने मे आंटी ने कहा कि नहा लो, फिर नाश्ता करना है.. पापा अंकल जेंट्स लोग का जहाँ इंतज़ाम था वहाँ चले गये.. मैं आंटी के साथ रह गयी. शायद कुछ और लोग आने वाले थे वहां. मैं नहाने चली गयी.
जब मैं नहा के कमरे मे आई तो कुछ गेस्ट और आ गये थे. वहां मेरी उमर की एक लड़की और दिखाई दी.. आंटी ने बताया कि वो उसकी कज़िन सिस्टर थी. उसका नाम अमृता था और वो अक्सर गावं मे आती हे और कई कई दिन रह के जाती है. उसका अपना घर हवेली के पास ही था.
एक उमर की होने की वजह से मेरी और अमृता की दोस्ती हो गयी और हम सहेलिया बन गयी. हमने साथ नाश्ता किया. नाश्ते के बाद हम रूम मे आ गयी,, अमृता बताने लगी कि यहाँ पर क्या क्या है . उसने मुझे पूरा एरिया घुमाने का इरादा जताया.
मैं राज़ी हो गयी और हम दोनो हवेली से बाहर निकले. वहां चारो तरफ बड़े बड़े ट्रीस थे… एक आम का बगीचा था. एक अस्तबल था जहाँ कई गाय.. कई भैंस, 2 कुत्ते और एक घोड़ा भी था.. वो जानवरो को छु छु के सहलाने लगी.. मुझे बोर लगने लगा.
मैं अस्तबल से बाहर निकली.. अस्तबल के पीछे पानी का एक बड़ा सा कुवा था, सिमेंटेड.. उसमे पानी था .. साथ मे पानी की मशीन थी. वाहा से चॅनेल बना हुआ था जिससे वो पानी जानवरो तक पहुच जाए. मैं उसी को फॉलो करते करते पीछे वाली खिड़की तक पहुंची.
अचानक मेरी नज़र अमृता पर पड़ी. वहाँ मैंने जो देखा वो पहले कभी नहीं देखा. अमृता घोड़े के पास बैठी थी उकड़ू होकर. उसका हाथ घोड़े को सहला रहा था. मैंने सॉफ देखा घोड़े का लिंग बड़ा होते हुए. जब वो बड़ा होने लगा तो अमृता ने उसको पकड़ लिया और सहलाने लगी..
वो और बड़ा होते चला गया.. करीब 2 फुट का.. और खूब मोटा. वो उसको दोनो हाथो से सहलाने लगी. 5 मिनिट ये सब देखती रही, फिर मैं मूडी और वापस अस्तबल की तरफ आने लगी. जब मैं वहाँ भीतर पहुंची तो अमृता गाय के गले को सहला रही थी.
उसने मुझे चोर नज़रो से देखा. मैंने कोई रिएक्शन नहीं दिया. फिर हम गाय को भूसा वगेरा डाल के अस्तबल से निकले.. निकलते समय अमृता ने घोड़े को देखा.. मैंने भी देखा.. उसका लिंग सिकुड़ने लगा था. मैं बाहर की तरफ देखने लगी जैसे कुछ देखा ना हो. हम दोनो बाहर आ गयी. दिन मे हमने खाना खाया. फिर रूम मे आ गयी. हम दोनो आपस मे बात करने लगी.
मे- काफ़ी बड़ा एरिया है ना?
अमृता- हां. मैं तो अक्सर यहा आती हू.
मे- अक्सर क्यू?
अमृता- मुझे बहुत अच्छा लगता है. और मुझे जनवरो से लगाव है.
मे- वो भला क्यू?
अमृता- मे तो जब भी आती हू, मेरा बहुत समय उनहीं के साथ गुज़रता है.
मे- अच्छा,, पर मैंने खिड़की से देखा था तुमको घोड़े को सहलाते हुए.
अमृता- ओह नो,, वो तो बस ऐसे ही….
मे- कोई बात नहीं, पर एक बात है, घोड़े को सहलाने से कुछ हो रहा था, वो मैंने देखा.
अमृता – क्या देखा.
मे- वो घोड़े की एक चीज़ बड़ी हो रही थी, बाद मे तुमने अपने दोनो हाथो से उसको सहलाया था.
अमृता- ओह, तुमने देख लिया?… प्लीज, किसी को बताना मत.
मे- ओक नहीं बताउंगी, बस मुझे भी एक बार दिखा देना.
अमृता- ओके, वैसे तुमने कभी देखा नहीं किसी का?
मे- सच बताउ, अब तुम किसी को मत बताना. मैंने आदमियो का देखा है.
अमृता- वाउ, कैसा होता है?
मे- घोड़े जैसा नहीं होता, पर सबका अलग अलग साइज़ होता है.
अमृता- इसका मतलब तूने कई सारे देखे हैं?
मे- हां कई सारे देखे मैंने.
अमृता- कभी छुआ भी है?
मे- हां छुआ है.
अमृता- और?
मे- मैंने उसको पकड़ा अपने हाथो से?
अमृता- और?
मे- किसी को बोलेगी तो नहीं?
अमृता- नही, हम फ्रेंड हैं, ये बात हम दोनो के बीच रहेगी.
मे- तो सुन, मैंने लड़को के लिंग, जिसको वो लंड बोलते हैं, अपने हाथो से पकड़े हैं. उनको लिया भी है.
अमृता- वाउ काजल, यू आर लकी गर्ल, कैसा लगता है?
मे- बहुत मज़ा आता है.
अमृता- उसमे से सफेद जूस भी निकलता है?
मे- तुझे कैसे मालूम?
अमृता- बता ना प्लीज.
मे- हां निकलता है, अब बोल तुझे कैसे मालूम.
अमृता- वो जब घोड़े का सहलाती हू ना तब उसमे से सफेद जूस निकलता हे, बहुर सारा.
मे- अच्छा...
अमृता – हां, फिर जब हाथ उसमे सन जाते हैं तो कपड़े उतार कर वही नहा लेती हूँ.
मे- अच्छा, अब मुझे कब दिखाएगी?
अमृता- आज शाम को देख लो.
मे- ओके, कितने बजे?
अमृता- 4 बजे करीब चाय पीने के बाद चलना.
मे- ओके.
4 बजे चाय पीने के बाद हम दोनो अस्तबल की तरफ चल दी. हम दोनो ने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था. मैंने कहा कि अपनी ड्रेस उतार दो, अगर वो खराब हो गयी तो मुस्किल होगी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वो समझ गयी. उसने अपने सारे कपड़े खोल के साइड मे रखे और घोड़े को सहलाने लगी.
जब घोड़े का लिंग बड़ा हो गया तो मुझे भी उसने बुलाया. फिर हम दोनो ने अपने हाथो से उसके लिंग को खूब मसला. थोड़ी देर बाद उसका जूस निकल गया. बाप रे, इतना सारा जूस.. इतना जूस तो नाना के गावं मे मेरी 4 दिन की चुदाई मे भी नही मिला होगा मुझे.
फिर हम दोनो ने एक दूसरे को पानी से नहलाया. हम दोनो ने एक दूसरे के बूबस दबाए.. मैंने उसकी चूत मे उंगली डाली, उसने भी मेरी मे डाली.. पानी से बाहर निकल के एक दूसरे की चूत चाटी. हम दोनो को मज़ा आया.
मे- अमृता, तुझे किसी ने चोदा है?
अमृता- हां, क्लास के 2 लड़को ने और मेरे मास्टर जी ने.
मे- लड़को का लंड कैसा था?
अमृता- वो तीन इंच का था, पतला सा. पर मास्टर जी का उनसे बड़ा था.
मे- मास्टर जी ने क्यू चोदा?
अमृता- एक दिन जब लड़के मुझे बाथरूम मे चोद रहे थे, तब मास्टर जी ने देख लिया.
मे- पूरी बात बता ना.
अमृता- सुन, वो तो मुझे बाद मे मालूम हुआ कि मास्टर ने देख लिया.
एक दिन मास्टर जी ने मुझे घर पर बुलाया . वो मुझे कुछ गाइड बुक देना चाहते थे, मेथस की. मे वहाँ गयी. मास्टर जी अकेले थे. उन्होने दरवाजा बंद कर दिया. उनकी बीबी घर मे नहीं थी. मुझे पलंग पर बिठा कर वो दूसरे रूम मे गये.. जब वो वापस आए तो उनके एक हाथ मे एक पतली सी किताब थी. और वो गमछा पहने हुए थे. जब वो पलंग पर पालती लगा के बैठे तो उनका गमछा सामने से खुल गया. मैं ठीक उनके सामने थी. मुझे उनका लंड दिख रहा था. मास्टर जी ने पालती चौड़ी कर ली. उनका गमछा कमर तक उपर उठ गया.
मैं सिर झुका के बैठी रही, पर चोर नज़रो से उनका लंड देख रही थी. मुरझाया हुआ था, करीब 4 इंच का होगा. मास्टर जी समझ रहे थे कि मैं उनका लंड देख रही हू. मास्टर जी ने किताब अपने पीछे रख दी. और अपने लंड की नीचे की बॉल को सहलाया. उनका लंड बड़ा होने लगा.
मैं चोर नज़रो से देखती रही. जब उनका लंड टाइट हो गया तो करीब 6 इंच का हो गया. मे सोचने लगी कि उन लड़को से डबल है मास्टर जी का लंड. मेरे शरीर मे सनसनी होने लगी, पता नहीं मास्टर जी क्या चाहते हैं.
मैंने मास्टर जी से कहा- मास्टर जी किताब दीजिए, मुझे घर जाना हे.
मास्टर जी ने कहा कि किताब उनके पीछे है आकर ले लो.. उस वक़्त वो अपने लंड की स्किन को आगे पीछे कर रहे थे, जब वो स्किन पीछे जाती थी तो उनके लंड का सूपड़ा पूरा दिखता था,, पिंक कलर का , गोल गोल. मैं उठी और घुटनो के बल चल कर मास्टर की पीछे रखी किताब ले ली. जब मैं मूडी तो मास्टर जे ने मुझे कमर से पकड़ लिया और अपनी गोदी मे बैठा लिया.
मे घबरा गयी- मास्टर जी, आप क्या कर रहे हैं, मुझे छोड़िए. पर उसने जैसे कुछ सुना नही. उसने मुझे अपनी गोदी मे फ़सा के मेरी स्कर्ट उपर कर दी और पॅंटी के उपर से मेरी चूत पर हाथ रख दिया और सहलाने लगे.
मैंने छूटने की नाकाम कोशिश की.
इसी बीच मास्टर जी ने कब मेरा हाथ पीछे करके अपने लंड पर रख दिया, मालूम नही पड़ा. मालूम तब पड़ा जब मास्टर जी ने उनके लंड पे मेरा हाथ रख कर, मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और आगे पीछे करने लगे.
मास्टर जी ने कहा कि थोड़ी देर इसको सहला दो फिर चली जाना. मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था. मास्टर जी ने अपने टांगे फैला दी और मुझे अपने सामने पेट के बल लेटा दिया और मैं उनका लंड सहलाने लगी. थोड़ी देर बाद मैंने कहा कि अब मैं जाउ?
मास्टर जी ने कहा थोडा रुक और घूम जा. मैं घूमने लगी तो मास्टर जी ने मुझे चित लिटा दिया और स्कर्ट उपर करके मेरी पॅंटी खीच के उतार दी. मैंने अपने हाथो से अपनी चूत ढक ली. मास्टर ने कहा, तुमने तो मेरा लंड देख लिया छु भी लिया, तुम्हे भी अपनी चूत दिखानी पड़ेगी.
मरती क्या ना करती. मैंने अपने हाथ हटा लिए. मास्टर जी ने मेरी टाँग फैला दी और चूत सहलाने लगे. उंगली भी घुसाई. थोड़ी देर तक ये सब करने के बाद वो बोले - बेटी अब मेरी गोदी मे बैठ जाओ. मैं उनके पैरो पर जाँघ के उपर बैठ गयी. मेरे दोनो पैर बाहर की तरफ थे. नीचे से मास्टर जी का लंड मेरी चूत से टच हो रहा था.
मास्टर जी ने अपने हाथो से मेरी चूत को फैलाया और अपने लंड का सुपड़ा मेरी चूत पर रखा. मैं समझ गयी कि वो क्या करना चाहते हैं. मैं उनकी गोदी से उच्छल कर खड़ी हो गयी.
मे- ओह फिर क्या हुआ?
अमृता- मास्टर जी ने कहा, मे तो आज तुझे चोदुंगा बेटी.
मैंने कहा - प्लीज सर ऐसा मत कीजिए, मैं कुवारी हूँ.
मास्टर जी हसने लगे.. कहा - स्कूल के बाथरूम मे तू जो रोज चुदवाती है वो सब मैंने देखा है. अगर आज मुझसे नहीं चुदवाया तो कल स्कूल मे सबको बता दूँगा कि क्लास के लड़को से तुम क्या करवाती हो.
मेरा दिमाग़ सन्न्न हो गया.. मास्टर इसी का फायदा उठा रहा था.
मास्टर जी ने कहा , सोच लो.. नही चुदवाना है तो जाओ और स्कूल मे ये बात किसी को पता ना लगे तो आकर मेरा लंड चूसो. मेरे पास और कोई रास्ता ना था. मैं आगे बढ़ी, मास्टर जी पलंग पर थे. मैं नीचे. मैंने वही से खड़े खड़े उनका लंड मूह मे ले लिया.
पहली बार लिया था. मास्टर जी ने मेरा सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबाया और इसी तरह करने को बोला. मैं चुपचाप करती रही, सोचा इनका जूस निकल जाए और मेरी छुट्टी हो. पर ये क्या, मास्टर जी ने मेरे सारे कपड़े एक एक करके उतार दिए.
मैं उनके सामने नंगी हो गयी. थोड़ी देर बाद मास्टर जी ने मुझे पलंग पर लेटाया. अब वो चुदाई की तैयारी कर रहे थे. मैंने कहा मास्टर जी प्लीज मत चोदो.
मास्टर ने कहा, लड़को से तो खूब चुदवाती है, मुझसे क्यू नही.
मैंने कहा - उनका इतना बड़ा और मोटा नहीं है जितना आपका है. मैं ले नहीं पाऊँगी.
मास्टर जी ने नारियल तेल की बोतल उठाई और थोड़ा तेल अपने लंड पर लगाया और थोड़ा मेरी चूत पर. बोले अब हो जाएगा, बस तुम मूह बंद रखना वरना….. फिर उन्होने मुझे लिटाया, मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया , मेरी टाँग उपर की ओर फैला दी.
मेरी चूत एकदम उपर उठ गयी. मुझे अपनी चूत दिख रही थी, मास्टर जी ने अपना लंड मेरी चूत पर लगाया और थोड़ा प्रेशर दिया. उनके लंड का सुपड़ा मुझे अपनी चूत मे जाता हुआ दिखाई दिया.. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मुझे दर्द हुआ पर कोई उपाय नही था.
उनका लंड धीरे धीरे मेरी चूत मे घुसता जा रहा था. दर्द के मारे मैं अपना सिर पलंग पर दाए बाए हिला रही थी. पर वो नहीं रुके. रुके भी तब जब उनका लंड पूरा मेरी चूत मे घुस गया.
वो बोले देख अपनी चूत को, मेरा लंड पूरा ले लिया इसने.
मैंने गर्दन उठा के देखा. वाकई उनका लंड नहीं दिख रहा था. अब उन्होने अपना लंड थोडा बाहर र्निकाला और फिर से चूत मे पेल दिया. धीरे धीरे उनकी स्पीड बढ़ने लगी. मेरी चुदाई हो रही थी. लंड सटासट अंदर बाहर हो रहा था.
अमृता - एक बात बोलू काजल?
मे- हां बोल ना.
अमृता- पहले तो तकलीफ़ हुई पर मज़ा बहुत आ रहा था. उन लड़को के साथ जल्दी जल्दी और छोटे लंड से होता था. पर ये तो बड़ा था और इतमीनान से मेरी चुदाई हो रही थी.
मे- फिर आगे बोल क्या हुआ?
अमृता- और क्या, मेरी चुदाई होती रही, वो मेरी चूची अपने हाथो से दबाते रहे, नीचे चूत मार रहे थे. मैं आँख बंद कर के पड़ी थी. थोड़ी देर बाद शायद उनका जूस निकलने का टाइम हो गया. उन्होने लंड बाहर खिचा और मुझे उठा के मेरे मूह मे घुसा दिया.
कुछ समझू इसके पहले मास्टर जी के लंड का जूस मेरे मूह मे भर गया. मैं थूकने ही वाली थी कि उन्होने उसको पी जाने को कहा.. मुझे सारा जूस पीना पड़ा. उसके बाद उन्होने मुझे कपड़े दिए. कहा कि जब भी बुलाउ आ जाना चुदाई करवाने वरना….
मैंने हां कहा और कपड़े पहन कर बाहर निकल आई किताब ले कर.. वो दिन है और आज का दिन.. वीक मे कम से कम 3 बार तो मेरी चुदाई होती ही है, मास्टर जी से. बस यही मेरी कहानी हे.
मे- ह्म्म्म, इसका मतलब, जितने दिन तुम यहाँ रहोगी, तुम्हारी चुदाई बंद?
अमृता -और क्या, इसीलिए तो अस्तबल जाती हू, उनका जूस चाटने. अब तुम बताओ तुम्हे किसी ने चोदा है?
मे- हां, कई बार, मैंने तो अपनी गांड भी मरवाई है चूत के साथ.
अमृता- गांड भी?
मे- हां, दोनो जगह बहुत मज़ा आता है.
हम दोनो चुप हो गयी.. दोनो के मन मे एक ही विचार था काश यहा कुछ इंतज़ाम हो जाता.
मे- अमृता, तू तो यहाँ कई बार आती ही, हमे 10 दिन रहना है यहाँ,, क्या यहाँ कोई जुगाड़ है?
अमृता- देखना पड़ेगा, यहा कभी ट्राइ नहीं किया.
मे- तो आज किसी को टारगेट करते हैं, अगर कोई मिल गया तो 10 दिन मस्ती से कटेंगे.
अमृता- वेसे एक है निगाह मे,, वो अस्तबल के पीछे पानी वगेरा का इंतज़ाम करने वाला आदमी.. 35/40 साल का , 6 फीट लंबा, मजबूत. पर कभी ट्राइ नहीं की.
मे- दिखने मे कैसा है?
अमृता- एकदम गोरा.. पहलवान जी कहते हैं हम उनको.
मे- ओके शाम को चलते हैं वहाँ. और हां. स्कर्ट के नीचे पॅंटी नहीं पहनना… देखते हैं क्या होता है.
शाम को हम दोनो ने समीज़ पहनी, टॉप डाला, स्कर्ट पहनी, बिना पॅंटी के और अस्तबल की तरफ गये.. दूर से आइडिया लग गया कि पहलवान अस्तबल मे है. मैंने अमृता को कहा कि तुम अस्तबल मे जाओ, मैं पानी की तरफ जाती हू.. पहलवान जब पानी की तरफ आएगा तब तुम अस्तबल से छिप के देखना.
मैं पानी के हौड़े पर उकड़ू हो कर बैठ गयी. मेरी राइट साइड पर अस्तबल था. मैंने अपनी स्कर्ट को जाँघो तक चढ़ा लिया. पॅंटी पहनी नहीं थी. इसलिए चूत पूरी ओपन थी. इतने मे पहलवान जी आते हुए दिखाई दिए.. मैं पानी मे देखने लगी.
वो पानी लेने आया, हाथ मे बाल्टी थी. वो झुक कर पानी उठा ही रहा था कि उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. फिर उसकी नज़र मेरी चूत की तरफ गयी. पर मैं पानी मे देखती रही.
उसने पूछा- कौन हो बेटी.
मैंने कहा - काजल, शादी मे आई हू. आप कोन है?
पहलवान ने कहा कि उसका नाम अनुराग है और वो वहाँ काम करता है.
मे- अनुराग जी, ये पानी बहुत गहरा है ना?
अनुराग- अरे नहीं बेटी, रूको मैं दिखाता हू.
ये कहकर उसने अपनी धोती खोल के हौड़े के कोने पर रखी और पानी मे उतर गया. असल मे उसका मकसद मेरी चूत को पास से देखना था. शाम हो गयी थी, सॉफ नहीं दिख रही होगी दूर से. पानी उसके कमर तक था. वो दो कदम बढ़ा के मेरे सामने आ गया. नज़र उसकी मेरी चूत पर थी पर बात मुझसे कर रहा था.
अनुराग- देखा, मैंने कहा था ना पानी गहरा नहीं है.
मे- हां.
अनुराग- तुम भी आके देखो, कितना ठंडा पानी है.
मे- नहीं नहीं, मुझे डर लगता हे.
अनुराग- डरने की कोई बात नहीं.
मे- मेरे कपड़े भीग जाएँगे.
अनुराग- अरे तो उसको साइड मे रख दो, जैसे मैंने रखे हैं. गीले नही होंगे.
वो एकदम मेरे सामने खड़ा था पानी मे, उसकी नज़र से मेरी चूत सिर्फ़ 3/4 इंच दूर थी. मेरी चूत पर बाल नहीं थे. एकदम चिकनी. वो उसी को देख रहा था. मैंने ज़रा गौर से देखा, उसने अपनी धोती तो उतार दी थी, नीचे कुछ पहना हुआ भी था या नही? शाम के अंधेरे उजाले मे ऐसा लगा कि उसने कुछ पहना हुआ नही हे. मैंने भी उसको देखने की सोची.
मे- पर मेरी सहेली भीतर अस्तबल मे है.
अनुराग- तो क्या हुआ, वो मना थोड़ी करेगी.
मे- फिर भी, वो देखेगी तो?
अनुराग- कुछ नहीं होगा, तुम कपड़े सूखी जगह पर रख दो, बाहर निकलो तब पहन लेना.
मे- ओके आती हू.
मैंने उसके सामने ही टॉप उतारा, समीज़ उतारी. अब सिर्फ़ स्कर्ट थी.. मैंने उसके बटन खोले और नीचे सरका के उतार दी. अब मे उसके सामने नंगी थी. चोर नज़रो से देखा, अमृता अस्तबल के भीतर से देख रही थी.. अनुराग को देखा. वो आँखे फाड़ के मुझ को नंगा देख रहा था, उसका एक हाथ पानी मे था. पहले मैं हौड़े के किनारे पर बैठी. अनुराग ने मेरा हाथ पकड़ के पानी मे उतार दिया. मेरा बॅलेन्स खराब हुआ. उसने अपने दोनो हाथो से मेरी दोनो चुची पकड़ ली और सहारा देने लगा. मैंने भी संभलते हुए उसको पकड़ने की कोसिस की और उसका लंड मेरे हाथ मे आ गया. मैंने उसको छोड़ा नही.
मे- कितनी फिसलन है पानी मे.
अनुराग- वो तो हे, पर अब ठीक हे, तुम अब नही गिरोगी.
मे- हां, पर आपने मेरी चुचि क्यू पकड़ी,, हाथ भी पकड़ सकते थे.
अनुराग- तुमको गिरने से बचाने के लिए जो सामने आया वो पकड़ लिया.
मे- मेरा हाथ पकड़ लेते. अगर मैंने पाइप नहीं पकड़ा होता तो ज़रूर गिर जाती.
अनुराग- हां सही कहा. पाइप पकड़ के रहना, गिरोगी नही.
मे- पर मैंने पहले जिस पाइप को पकड़ा था वो छोटा और मुलायम था.
अनुराग- ये वही पाइप है बेटी.
अंधेरा हो गया था… अमृता कब बाहर आ कर खड़ी हो गयी मालूम नहीं हुआ, वो हौड़े के बाहर से देख रही थी. मैंने फिर फिसलने की आक्टिंग की, अनुराग ने फिर मेरी चुचि पकड़ ली, सीधा खड़े होने के बाद भी उसने चुचि नही छोड़ी. वो उसको दबाने लगा. मुझे मज़ा आ रहा था. अमृता का मन भी हुआ पानी मे आने का.. उसने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और पानी मे आ गयी.
मे- अमृता, आजा, देख कितना ठंडा पानी है
अमृता- हां काजल. वाकई.
मे- मालूम? अगर मैंने पाइप नहीं पकड़ा होता तो डूब जाती.
अमृता- देखु तो कोन सा पाइप.
अमृता ने पानी के भीतर हाथ डाला और उसने भी लंड पकड़ लिया.
अमृता- काजल ये पाइप नहीं है.
मे- तो क्या हे, इतना हार्ड तो पाइप होता है.
अमृता- अनुराग जी, आप बताओ ये क्या है?
अनुराग- ये मेरा लंड है. काजल ने इसको पकड़ के खुद को बचाया.
अमृता- देखु तो, और ये कहकर अनुराग का लंड पकड़ लिया.
मैं हौड़े की दीवार की तरफ मूह करके खड़ी हो गयी, मेरी पीठ अनुराग की तरफ थी. मैंने घूम कर देखा अनुराग अमृता को चूम रहा था, अमृता उसके लंड को पानी मे मसल रही थी. फिर अनुराग ने मेरे पीछे से आकर मेरी बाँहो के नीचे से हाथ डाला और मेरे बूब्स पकड़ लिए. और दबाने लगा. उसका लंड मेरी गांड से टकरा रहा था.
अमृता ने मेरी चूत मे उंगली घुसा दी और हिलने लगी. मुझे मस्ती आ गयी. मैंने अपने पैरो को फैला दिया.. अमृता दूसरे हाथ से अनुराग का लंड तैयार कर रही थी जैसे वो घोड़े का करती थी.. अब मुझे समझ मे आया कि वो मेरी चुदाई देखना चाहती थी. जब उसका लंड तैयार हो गया तो वो मेरे सामने आ गयी और मुझे किस करने लगी.
अनुराग का लंड छु कर मुझे इतना तो एहसास हो गया था कि इस तरह के लंड से मैं पहले भी चुद चुकी हू, इसलिए मन मे कोई ख़ौफ़ नहीं था. मैंने भी अमृता की चुचि दबानी शुरू कर दी. इधर अनुराग ने अपना लंड मेरी चूत मे घुसाने की कोसिस की. मैंने अमृता से कहा अगर चुदाई देखनी है तो पानी से बाहर आना पड़ेगा, पानी मे कुछ नहीं दिखेगा.
अमृता राज़ी हो गयी और बाहर आ गयी, मुझे और अनुराग को बाहर आने को बोला. हम तीनो बाहर आ गये. अब मैंने अनुराग के लंड देखा. वो तना हुआ था और चूत मे घुसने को तैयार था. मेरी चूत भी तैयार थी. मैंने खुद को कुतिया की पोज़िशन मे किया. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अनुराग मेरे पीछे अपने घुटनो पर बैठ गया, अब उसका लंड एकदम सीधा था. अमृता ने मेरी चूत फैलाई और अनुराग ने अपना लंड उसमे घुसा दिया.. थोड़ा आह के बाद लंड पूरा चला गया और चुदाई शुरू हो गयी.. अमृता को देख के मज़ा आ रहा था.
मे - आ आ …. तू…झे..भी… चु…दवा…ना … है ?
अमृता- हां, पर तुम पहले चुद लो, तुम्हारे बाद मेरा नंबर.
मे- आग…आर…उसका… लंड… दुबा…रा…टाइट…नहीं…हुआ…तो? आ… आहह
अमृता- हो जाएगा. मास्टर जी से एक बार मे 3/4 बार चुदवाती हूँ, हर बार उनका लंड चूस के टाइट करती हू, इसका भी कर दूँगी.
मे- ठ… ईक…है ,, हां .प्या.. रे.. ज़ोर ….से ज़ोर… से
अनुराग पहलवान तो था ही. मेरी कमर पकड़ के इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्का लगा रहा था कि मेरा पूरा शरीर हिल रहा था. फिर अचानक उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी गांड मे घुसा दिया. और जबरदस्त तरीके से पेलने लगा.. लंड के नीचे की बॉल हर थाप के साथ मेरी चूत को टक्कर मार रही थी… करीब 15 मिनिट के बाद उसने अपना जूस मेरी गांड मे निकाल दिया और मुझे अलग कर दिया.\
अब अमृता का नंबर था.. उसने अनुराग के लंड को चूसना शुरू किया. वो फिर टाइट हो गया. उसने अनुराग को ज़मीन पर लिटाया और कहा कि वो अनुराग को चोदेगी. अनुराग का लंड सीधा उपर की तरफ टाइट खड़ा हुआ था. वो अनुराग के उपर आई, अपनी दोनो टाँग अनुराग के दोनो साइड मे की, थोड़ी सी चूत फैलाई और लंड पर रख दी.
अब वो उस पर बैठने लगी.. लंड उसकी चूत मे जाने लगा. वो उस पर बैठती चली गयी.. धीरे धीरे उसने पूरा लंड अपनी चूत मे समा लिया. अब वो लंड पर गोल गोल घूमने लगी और अपनी गांड हिलाने लगी. अनुराग चुद रहा था और अमृता चोद रही थी.. मैंने अपनी चूत अनुराग के मुंह पर रख दी. वो चाटने और चूसने लगा.. 15/20 मिनिट तक अमृता की चुदाई के बाद उसका रस निकल गया..
आज हम दोनो बहुत खुस थी.. हमारी चुदाई हुई थी, शरीर हल्का हो गया. अनुराग और हमने अपने कपड़े पहने.. कल भी यही प्रोग्राम के लिए हमने अनुराग को कह दिया.. हम दोनो सहेलिया हवेली की तरफ खुशी खुशी चल दी.. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। आज पहले दिन ही हमारा काम हो गया था.. 9 दिन और बचे थे.. हमने प्लान बनाया कि अनुराग तो है ही, अगर कोई एक और मिल जाए तो ट्राइ करेंगे.
हवेली पहुचे. आंटी बोली कहाँ थी तुम दोनो . हमने कहा कि हम गार्डेन मे थी,, गावं की फ्रेश एर खा रही थी,, शहर मे ये सब कहाँ? आंटी बोली ओके बेटी, जब तक यहाँ हो, तुम दोनो खूब एंजाय करो.. फिर ये मौका नही मिलेगा.. हम दोनो सहेलियो ने एक दूसरे को देखा और मुस्करा दी… हां हम खूब एंजाय करेंगे..
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