Home
» Riston me chudai
» भतीजी की चुदाई करने की इच्छा पूरी हुई Bhatiji ki chudai karne ki ichchha puri huyi
भतीजी की चुदाई करने की इच्छा पूरी हुई Bhatiji ki chudai karne ki ichchha puri huyi
भतीजी की चुदाई करने की इच्छा पूरी हुई, Bhatiji ki chudai karne ki ichchha puri huyi, घर की चूत और लंड, भतीजी की कुंवारी फूली हुई चूत की चुदाई, चाचा भतीजी की चुदाई.
मेरा नाम कंपज है, मेरी उम्र 25 साल है। मेरी नौकरी लग गई और मुझे उसके लिए चण्डीगढ़ जाना पड़ा, चण्डीगढ़ में मेरे दूर का भाई यंसज रहता है जो मुझसे 14 साल बड़ा है। मैंने चण्डीगढ़ जाने से पहले ही उसे फ़ोन कर दिया तो वह मुझे स्टेशन पर लेने आया था, जब तक कोई और इंतजाम ना हो, मैंने उसी के घर रुकने का सोच रखा था। स्टेशन पर यंसज अपनी बेटी गुड्डी के साथ आया था। गुड्डी बहुत ही मांसल बदन की और सुन्दर है, उसका एक एक चूचा जैसे की ठूंस ठूंस कर कपड़ों में भरा हुआ था, मैंने उसे 10 साल पहले जब वह 9 साल की थी, तब देखा था, तब वह एक बच्ची थी और अब बच्चे पैदा कर सकने को तैयार ! मेरा लण्ड उसे देख कर पहली नजर में ही खड़ा हो गया था। मुझे यंसज के घर ठहरे एक सप्ताह हो गया था, गुड्डी से मैंने आँख-मिचौली कब से चालू कर दी थी और वह भी जब मुझे ऊपर मेरे कमरे में खाना देने आती या पानी का जग देने आती तो तिरछी नजर से देखती थी।
मेरा नाम कंपज है, मेरी उम्र 25 साल है। मेरी नौकरी लग गई और मुझे उसके लिए चण्डीगढ़ जाना पड़ा, चण्डीगढ़ में मेरे दूर का भाई यंसज रहता है जो मुझसे 14 साल बड़ा है। मैंने चण्डीगढ़ जाने से पहले ही उसे फ़ोन कर दिया तो वह मुझे स्टेशन पर लेने आया था, जब तक कोई और इंतजाम ना हो, मैंने उसी के घर रुकने का सोच रखा था। स्टेशन पर यंसज अपनी बेटी गुड्डी के साथ आया था। गुड्डी बहुत ही मांसल बदन की और सुन्दर है, उसका एक एक चूचा जैसे की ठूंस ठूंस कर कपड़ों में भरा हुआ था, मैंने उसे 10 साल पहले जब वह 9 साल की थी, तब देखा था, तब वह एक बच्ची थी और अब बच्चे पैदा कर सकने को तैयार ! मेरा लण्ड उसे देख कर पहली नजर में ही खड़ा हो गया था। मुझे यंसज के घर ठहरे एक सप्ताह हो गया था, गुड्डी से मैंने आँख-मिचौली कब से चालू कर दी थी और वह भी जब मुझे ऊपर मेरे कमरे में खाना देने आती या पानी का जग देने आती तो तिरछी नजर से देखती थी।
अक्सर शाम के वक्त मैं लंगोट के आकार के बरमूडा में ही होता था और उसके आते ही लण्ड बरमुडे का आकार ऊँचा कर देता था। एक दिन हमारे बॉस की बीवी का जन्मदिन था और दफ़्तर का सारा स्टाफ पार्टी में जाने वाला था इसलिए बॉस ने सभी को तैयार होने के लिए लंच के वक्त ही छुट्टी कर दी। मैं घर आ गया और देखा कि यंसज और नीमल भाभी दिखाई नहीं दे रहे थे! मैंने गुड्डी को तभी बरामदे पर अपने बाल झटकते देखा, वह अपनी लेमन नाईटी पहने बालों को तौलिये से झटक रही थी और शायद अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी इसलिए उसके मांसल चूचे इधर उधर झूल रहे थे। मेरा लौड़ा फ़ड़कने लगा। मैं कुछ कहूँ उसके पहले ही गुड्डी बोल पड़ी- मम्मी डैडी नरेश अंकल के घर गए हैं, और देर रात तक लौटेंगे। मेरे दिमाग में गुड्डी की चुदाई की योजना तभी बनने लगी और मेरा लौड़ा पैंट में करवटें बदलने लगा। मैं मन ही मन गुड्डी की बुर को भोग लेने की योजना सोचते हुए अपने कमरे में जूते और कपड़े निकाल रहा था। मैं अपने कपड़े उतार अपनी चड्डी में खड़े हुए गुड्डी के बारे में ही सोच कर अपने लण्ड के उपर हाथ फेर रहा था, मेरा लण्ड अकड़ कर खड़ा हुआ पड़ा था और हाथ फेरने से मजा आ रहा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
तभी कमरे का दरवाजा धम्म से खुल गया और गुड्डी वहाँ पानी का गिलास लिए खड़ी थी। मैं जैसे ही दरवाजे की तरफ पलटा, मैंने देखा की गुड्डी की नजर मेरे खड़े लौड़े पर ही थी। उसके मुख से हंसी निकल गई और वह गिलास मेज पर रख कर नीचे चली गई। पहले तो मुझे लगा कि वह डर गई लेकिन फिर मैंने सोचा कि उसकी हंसी बहुत शरारती थी, मैंने अपना सैल फ़ोन निकाला और बॉस को फोन किया- मेरे भाई साब की तबीयत ख़राब है, उन्हें लेकर अस्पताल जा रहा हूँ। मुझे आज कुछ भी कर के गुड्डी की चूत में अपने मोटे लण्ड के झण्डे गाड़ने थे! मैं नीचे आया, देखा कि गुड्डी रसोई में खाना गर्म कर रही थी। मैं रसोई में घुसा और मैंने देखा कि गुड्डी अब भी होंठों में मुस्कुरा रही थी। मैंने वाशबेसिन में हाथ धोने के बहाने बिल्कुल उससे सट कर लण्ड उसके चूतड़ों पर अड़ा दिया और हाथ धोए। गुड्डी ने पलट कर मेरी तरफ देखा और मैं उसे स्माईल दे रहा था।
वह भी हंस पड़ी। फिर क्या, अब तो हरा सिग्नल मिल गया था मुझे, केवल सही पटरी पर चलना था बस।
मैंने गुड्डी को कहा- गुड्डी, खाने में क्या बनाया है?
गुड्डी बोली- करेला आलू, अरहर की दाल और चावल-रोटी !
मैं हंसा और बोला- मुझे कभी रोटी बनानी नहीं आई और अब तो अच्छा रूम मिल गया तो खाना मुझे ही बनाना है कुछ दिनों में!
गुड्डी बोली- कोई बात नहीं चाचू, मैं आपको सिखा दूँगी बाद में!
मैंने कहा- बाद में क्यों? आज ही सिखा दो। मैं रोज रोज थोड़े ना दफ़्तर से जल्दी आ पाता हूँ।
गुड्डी बोली- करेला आलू, अरहर की दाल और चावल-रोटी !
मैं हंसा और बोला- मुझे कभी रोटी बनानी नहीं आई और अब तो अच्छा रूम मिल गया तो खाना मुझे ही बनाना है कुछ दिनों में!
गुड्डी बोली- कोई बात नहीं चाचू, मैं आपको सिखा दूँगी बाद में!
मैंने कहा- बाद में क्यों? आज ही सिखा दो। मैं रोज रोज थोड़े ना दफ़्तर से जल्दी आ पाता हूँ।
गुड्डी अभी भी होंठों को दबाये मुस्कान दे रही थी, वह हाँ या ना कहे, उससे पहले मैंने अपने कमीज की बाहें चढ़ाई और मैं प्लेटफ़ार्म के पास जाकर खड़ा हुआ, मैंने गुड्डी के हाथ से बेलन लिया और चोकी पर रोटी बेलने लगा। मुझे वैसे रोटी बनानी आती थी, बस मैं गुड्डी को घास डाल रहा था।
गुड्डी बोली- ऐसे नहीं, लाओ, मैं बताती हूँ।
मैंने कहा- मेरे हाथ यहीं रहने दो और बताओ।
आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैंने कहा- मेरे हाथ यहीं रहने दो और बताओ।
आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
गुड्डी ने बेलन के ऊपर रहे मेरे हाथ पर अपने हाथ रखे, उसके कंपन दे रहे हाथ उसकी मांसल जवानी में आई गरमाहट के आसार दे रहे थे। उसके मांसल बड़े चूचे मेरी कमर से टकरा रहे थे और मेरा लण्ड इधर बौखलाता जा रहा था। उसने मुझे रोटी बेलवाई पर मैंने इस दौरान कितनी बार उसकी उँगलियाँ दबाई और उसे अपने इरादे इसके द्वारा स्पष्ट किए। गुड्डी ने उंगली हटाई नहीं और मैं समझा कि वह भी लण्ड खाने को तैयार है।
मैंने कहा- गुड्डी तुम आगे आओ, मैं देखता हूँ पीछे से! गुड्डी आगे आ गई, मैंने पीछे से उसके चूतड़ों से लण्ड सटाया और मैंने पीछे से बेलन को पकड़ा। रोटी बेलने के लिए झुकने से मेरा तना हुआ लण्ड उसकी गांड से दूर हुआ लेकिन मैं बीच बीच में बेलन घुमाने के बहाने अपने लण्ड को उसके कूल्हों से टकरा देता था। मैंने देखा कि गुड्डी की साँसें अब तेज हो चली थी और जब में लण्ड उसकी गांड से टकराता तब उसके होंठ कितनी बार दांतों के नीचे जाते थे। मैं एक कदम आगे बढ़ा और मैंने अब लण्ड उसकी गांड पर टिका दिया बिना पीछे लिए, उसकी गांड की दरार में मेरा लण्ड बिल्कुल मस्त घुस हो रहा था क्योंकि उसने शायद अंदर पेंटी नहीं पहनी थी!
मैंने कहा- गुड्डी तुम आगे आओ, मैं देखता हूँ पीछे से! गुड्डी आगे आ गई, मैंने पीछे से उसके चूतड़ों से लण्ड सटाया और मैंने पीछे से बेलन को पकड़ा। रोटी बेलने के लिए झुकने से मेरा तना हुआ लण्ड उसकी गांड से दूर हुआ लेकिन मैं बीच बीच में बेलन घुमाने के बहाने अपने लण्ड को उसके कूल्हों से टकरा देता था। मैंने देखा कि गुड्डी की साँसें अब तेज हो चली थी और जब में लण्ड उसकी गांड से टकराता तब उसके होंठ कितनी बार दांतों के नीचे जाते थे। मैं एक कदम आगे बढ़ा और मैंने अब लण्ड उसकी गांड पर टिका दिया बिना पीछे लिए, उसकी गांड की दरार में मेरा लण्ड बिल्कुल मस्त घुस हो रहा था क्योंकि उसने शायद अंदर पेंटी नहीं पहनी थी!
गुड्डी बोली- चलो खाना लगा दूँ, आपके लिए!
मैंने कहा- गुड्डी, आज मेरे कुछ और ही खाने की इच्छा है…!
गुड्डी हंस पड़ी और बोली- क्या खाओगे चाचा?
मैंने कहा- जो आप प्यार से खिला दे करेले के अलावा…
मैंने कहा- गुड्डी, आज मेरे कुछ और ही खाने की इच्छा है…!
गुड्डी हंस पड़ी और बोली- क्या खाओगे चाचा?
मैंने कहा- जो आप प्यार से खिला दे करेले के अलावा…
गुड्डी फिर हंसी। मैंने अपना हाथ आगे किया और उसकी कमर के ऊपर रख दिया, गुड्डी की आँखें बंद हुई और वह सिसकारी भरने लगी। मेरे हाथ अब तेजी से चल रहे थे और मैंने उन्हें ऊपर लेकर गुड्डी के मांसल चूचों को सहलाना और दबाना चालू किया, गुड्डी मुझे पीछे धक्के दे रही थी और यह जताना चाहती थी कि उसे कुछ नहीं करना है पर उसके स्तनों के कड़े हुए निप्पल और उसकी बढ़ती साँसें उसकी गर्मी का बयान कर रही थी।
मैंने अपने दोनों हाथ अब उसके चूचों पर रख दिए और लण्ड भी उसकी गांड में कपड़ों के साथ ही घुसाने लगा।
एक मिनट लण्ड उसकी गांड पर लगाते ही गुड्डी भी अब बेबस हो गई और अपना हाथ पीछे कर के मेरे लण्ड को सहलाने लगी। लण्ड पकड़ कर गुड्डी खुश हो गई, मैंने अब बिना वक्त गवाँए अपने कपड़े उतारने शरू किये।
गुड्डी ने जैसे ही मेरे 8 इंच मांसल लण्ड को देखा वह ख़ुशी से झूम उठी और मेरे लण्ड को हाथ लगा कर खेलने लगी, उसके कोमल हाथ में मेरा लण्ड मजे से खेलने लगा।
मैंने अपने दोनों हाथ अब उसके चूचों पर रख दिए और लण्ड भी उसकी गांड में कपड़ों के साथ ही घुसाने लगा।
एक मिनट लण्ड उसकी गांड पर लगाते ही गुड्डी भी अब बेबस हो गई और अपना हाथ पीछे कर के मेरे लण्ड को सहलाने लगी। लण्ड पकड़ कर गुड्डी खुश हो गई, मैंने अब बिना वक्त गवाँए अपने कपड़े उतारने शरू किये।
गुड्डी ने जैसे ही मेरे 8 इंच मांसल लण्ड को देखा वह ख़ुशी से झूम उठी और मेरे लण्ड को हाथ लगा कर खेलने लगी, उसके कोमल हाथ में मेरा लण्ड मजे से खेलने लगा।
मैंने भी गुड्डी के कपड़े अब एक एक कर के दूर करने शुरू कर दिए और उसके मांसल भरे हुए चूचे मेरा लण्ड उठाने लगे। मैंने उसके चूचों को अपने दोनों हाथों में लेकर सहलाना और दबाना शरू कर दिया, गुड्डी अब भी सिसकारियाँ ले रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों बिल्कुल नग्न हो गए और मेरा लण्ड गुड्डी के भरपूर मांसल शरीर को देख और भी तन रहा था। मैंने गुड्डी को उठा के किचन के प्लेटफोर्म पर बिठा दिया और उसकी जांघें खोल दी, उसकी बिना बाल वाली चूत मस्त सेक्सी लग रही थी। मैंने धीमे धीमे उसके चूत के ऊपर हाथ फेरा और धीमे से एक उंगली अंदर सरका दी, अंदर इतना पानी निकला था कि मेरी उंगली पूरी भीग गई, गुड्डी की चुदाई का ख़याल मेरे लण्ड को हिलाने लगा। मैंने धीमे से गुड्डी की नाभि पर जीभ लगाईं और धीमे धीमे जीभ को नीचे लाता गया और उसकी चूत के होंठों को अपनी जीभ से संतृप्तता देने लगा, गुड्डी मेरे बालों को नोचने लगी और उसके मुख से बहुत ही सिसकारियाँ निकलने लगी… ओह होऊ ओह… आआ… ह्ह्ह… आहा…
मैंने उसकी मांसल चूत पर जीभ फेरना चालू ही रखा।
मैंने उसकी मांसल चूत पर जीभ फेरना चालू ही रखा।
दो मिनट की चुसाई के बाद मैंने जीभ निकाली और गुड्डी को नीचे बैठाया और उसके मुँह में अपना मांसल लण्ड दे दिया। गुड्डी जैसे टॉफ़ी खा रही हो, वैसे लण्ड को चूसने लगी। अपना लण्ड मैं उसके गले तक घुसाने की कोशिश कर रहा था पर लण्ड के मोटे होने की वजह से वह अंदर तक जा नहीं रहा था। गुड्डी और मैं दोनों अब मुख मैथुन से संतृप्त होने लगे थे और अब हम दोनों को भी असली लण्ड-चूत चुदाई का मजा लेना था, मैंने गुड्डी को वही प्लेटफ़ार्म पर लेटाया और उसकी टांगें नीचे रखी, गुड्डी की गद्देदार चूत मेरे लण्ड के पास ही थी, मैंने एक झटका दिया और उस सेक्सी योनि में अपना लौड़ा पूरी तरह घुसेड़ दिया। गुड्डी के मुख से चीख निकल पड़ी- ..ओह मम्मा मार डाला… मैंने अपना हाथ उसके मुख पर रख दिया और लण्ड को बिना हिलाए उसकी चूत में ही रहने दिया। एक मिनट बाद ही उसकी चूत ने मेरे लौड़े को एडजस्ट कर लिया और मैंने धीमे धीमे गुड्डी की चुदाई चालू कर दी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
गुड्डी भी अब मेरे लण्ड का मज़ा लेने की कोशिश करने लगी थी, उसने भी अपने बड़े चूतड़ उठा उठा कर मुझ से चुदवाना चालू कर दिया। वह अपने कूल्हे आगे पीछे कर के मेरा मोटा लण्ड पूरा अन्दर लेने लगी। मैंने भी उसके चूचे, गर्दन, कंधे और पेट पर चूमते हुए उसकी चुदाई 10 मिनट तक चालू रखी। गुड्डी की चूत अब झाग निकालने लगी थी और यह झाग मेरे लण्ड के ऊपर आ रहा था। गुड्डी ने मुझे कस कर पकड़ा और मैं समझ गया कि वह झड़ चुकी है। मैंने अब अपने झटके और भी तेज कर दिए और उसकी मस्त चुदाई जारी रखी। दो मिनट के बाद मेरे लण्ड ने भी पानी निकाल दिया और हम दोनों वहीं प्लेटफ़ार्म पर चिपक कर पड़े रहे…! फिर तो यह चुदाई का सिलसिला एक साल तक जारी रहा… मैंने वही उनके घर के करीब एक रूम ले लिया ताकि गुड्डी वहाँ आ जा सके। कभी कभी उसके मम्मी डैडी घर ना होने पर मैं उसके घर जाकर भी उसकी चुदाई कर लेता था…!!
...
Tags
Riston me chudai
- लड़कियों के नंबर की लिस्ट चाहिए बात करने के लिए - Ladki Ke Mobile Number
- Randi ka mobile whatsapp number - रण्डी मोबाइल व्हाट्सअप्प कांटेक्ट नंबर
- Sex video download karne ka tarika - सेक्स वीडियो डाउनलोड कैसे करें
- धंधे वाली का मोबाइल नंबर चाहिए - Dhandha karne wali ladkiyon ke number chahiye
- किन्नर व्हाट्सप्प मोबाइल नंबर फोन चाहिए - Kinner whatsapp mobile phone number
- सेक्स करने के लिए लड़की चाहिए - Sex karne ke liye sunder ladki chahiye
- अमीर घर की औरतों के मोबाइल नंबर - Amir ghar ki ladkiyon ke mobile number
- किन्नर के जननांग या गुप्तांग कैसे दिखते हैं - Kinner ke gupt ang kaise hote hai hindi jankari
- कॉल गर्ल लिस्ट, सेक्सी लड़कियों के नंबर - Call girls mobile whatsapp phone numbers
- लड़कियों के नंबर गर्ल का whatsapp नंबर - Real Girls Mobile Whatsapp Contact Phone List