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दूर के चाचा के बेटे की पत्नी की चूत चुदाई Dur ke chacha ke bete ki patni ki chut chudai
दूर के चाचा के बेटे की पत्नी की चूत चुदाई, Dur ke chacha ke bete ki patni ki chut chudai, चाचा के बेटे की पत्नी को चोदा, चाचा के बेटे की पत्नी मेरे बड़े लंड से चुद गई और खूब चूसा भी, चाचा के बेटे की पत्नी की गांड ने बहुत मजा दिया, भाभी की बुर का नशा, भाभी को चोद दिया.
प्रिय दोस्तो, मैं संजय अपनी आपबीती आपके साथ बाँटने आ गया हूँ। इस वेबसाइट की कहानियों ने मुझे भी मेरी सच्ची चुदाई की कहानी लिखने पर मजबूर कर दिया कि मैं आपके साथ अपने अनुभव और बाँटू। दोस्तो, जैसा कि आपको पता है सेक्स हर इन्सान की कमजोरी है और मैं भी हर लड़की को सिर्फ सेक्स की नज़र से ही देखता हूँ। हर लड़की सिर्फ मुझे चुदाई के लिए माल लगती है। बात तब की है जब मैं अपनी नौकरी के सिलसिले में शहर गया था। मुझे वहां थोड़ा समय लगना था। उस शहर के पास वाले गाँव में मेरे दूर के रिश्ते के चाचा - चाची रहते थे। जब उन लोगों को पता चला तो उन लोगों ने मुझे अपने साथ रहने को कहा। पर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तो मैंने कहा कि मैं उनके घर आता रहूँगा पर कमरा अलग ही लूंगा।
प्रिय दोस्तो, मैं संजय अपनी आपबीती आपके साथ बाँटने आ गया हूँ। इस वेबसाइट की कहानियों ने मुझे भी मेरी सच्ची चुदाई की कहानी लिखने पर मजबूर कर दिया कि मैं आपके साथ अपने अनुभव और बाँटू। दोस्तो, जैसा कि आपको पता है सेक्स हर इन्सान की कमजोरी है और मैं भी हर लड़की को सिर्फ सेक्स की नज़र से ही देखता हूँ। हर लड़की सिर्फ मुझे चुदाई के लिए माल लगती है। बात तब की है जब मैं अपनी नौकरी के सिलसिले में शहर गया था। मुझे वहां थोड़ा समय लगना था। उस शहर के पास वाले गाँव में मेरे दूर के रिश्ते के चाचा - चाची रहते थे। जब उन लोगों को पता चला तो उन लोगों ने मुझे अपने साथ रहने को कहा। पर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तो मैंने कहा कि मैं उनके घर आता रहूँगा पर कमरा अलग ही लूंगा।
पर वो लोग नहीं माने और मुझे उनके घर ही रहना पड़ा। जिस दिन मैं शहर पहुँचा तो सीधा अपने चाचा के यहाँ गया। उन लोगों से काफी समय हो गया था मिले, मैं सिर्फ भाई की शादी में ही गया था, उसके बाद जाना नहीं हो पाया था, उनकी शादी को 6 साल हो चुके थे और 4 साल का एक बेटा भी था। जब मैं पहुँचा तो वो लोग बहुत खुश हुए। सब लोग बहुत खुश थे और मैं भी खुश था। मेरा सारा समय अपने भतीजे के साथ खेलने में ही निकल जाता था। पर मेरी आदत के कारण मेरी नज़र अपनी भाभी पर थी। जब मैंने उनको पहले देखा था तो वो उतनी सुंदर नहीं लगी थी पर अब तो वो जबरदस्त माल लग रही थी। शायद भाई की जबरदस्त चुदाई का नतीजा था यह। उनके वक्ष और नितम्ब मस्त हो गए थे और उनके होंठ देख कर तो मन कर रहा था कि अभी पकड़ कर चूस लूँ और फिर अपने लण्ड उनके बीच में डाल दूँ। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
पर अभी घर में सब लोग थे ओर मैं भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहता था पर मेरी नज़रों ने देख लिया था कि भाभी जी भी मुझे अलग निगाहों से देख रही थी, वो नज़रें जो हर चुदाई की प्यासी औरत की होती हैं। खैर मैं खाना खा कर अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर में भाभी मेरे लिए दूध लेकर आई और थोड़ी देर बैठ कर मुझसे बातें करने लगी। उनको बातें करने का बहुत शौंक था, हम काफी देर तक बात करते रहे और मैं अपनी नज़रों से उनके शरीर का नाप लेता रहा। बहुत ही मस्त शरीर था भाभी का, मैं सारी लड़कियों को भूल सकता था भाभी के लिए। थोड़ी देर बाते करने के बाद भाभी चली गई और मैं उनके नाम का मुठ मार कर सो गया।
अगले दिन मैंने अपना ऑफिस ज्वाइन कर लिया और अपने काम में लग गया। मुझे यहाँ आये 5 दिन हो गए थे और रोज भाभी का नाम लेकर मुठ मार लेता था। कोई रास्ता नहीं दिख रहा था मुझे उनकी चुदाई करने का।
एक दिन भाई की तबियत थोड़ी सही नहीं थी तो भाभी उनका काम कर रही थी। मैंने कुछ दवाइयाँ लाकर दी और उनको आराम करने को कहा और भाभी को बोला कि भाई को खिला दो और सोने को कहो और खुद भी आराम करो। यह कह कर मैं अपने कमरे में आ गया। मुझे पता था कि आज भाभी मेरे कमरे में नहीं आएँगी क्योंकि वो भाई का काम कर रही हैं तो आराम से रोज की तरह अपना लण्ड निकाल कर मुठ मारने लगा भाभी का नाम लेकर। थोड़ी देर में मुझे दरवाजे पर कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैंने पलट कर देखा तो भाभी दूध का गिलास हाथ में लिए खड़ी थी। मैंने जल्दी से चादर अपने ऊपर डाली और अंडरवीयर पहनने लगा।
भाभी ने थोड़ा गुस्से में पूछा- यह क्या हो रहा था? मैं बहुत डर गया था। मुझे लगा कि भाभी अब यह बात सबको बता देगी और मेरी बहुत बेइज्जती होगी। मैं तुरंत पंलग से उठा और भाभी के पैर पकड़ लिए, मैं उनको बोलने लगा कि यह बात किसी को न बताएँ... यह तो हर लड़का करता है। उन्होंने दूध का गिलास मेज पर रखा और वहीं सोफे पर बैठ गई। मैं वहीं उनके घुटनों के पास बैठ गया और उनको मनाने लगा। मैंने उनके पैर चूमने लगा और कह रहा था कि यह बात किसी को न बताएँ। थोड़ी देर चूमने के बाद मुझे लगा कि भाभी को यह अच्छा लग रहा है और वो मुझे मना भी नहीं कर रही है तो मैंने धीरे धीरे उनकी साड़ी थोड़ी ऊपर की और उनकी घुटनों से नीचे की टाँगे चूमने लगा। अब मैंने देखा तो भाभी सोफे पर आराम से बैठ गई थी और आँखें बंद करके मज़े ले रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैंने भाभी से पूछा- मज़ा आ रहा है? तो वो बोली- करते रहो नहीं तो सबको बता दूँगी। मैं थोड़ा डर से और अपनी मस्ती के लिए उनकी टाँगे चूमता रहा। अब धीरे धीरे मैंने अपना हाथ उनकी साड़ी के अंदर उनकी जांघों पर रख दिए और उनको सहलाने लगा। भाभी पूरी मस्त हो गई थी तो मैंने बिना डरे उनकी साड़ी उनकी जांघों से ऊपर उठा दी और उनकी जांघों को चूमने लगा। मेरी साँसों में उनकी चूत की खुशबू आ रही थी जो मुझे और मस्त कर रही थी। मैंने थोड़ा सा ऊपर देखा तो मेरी नज़र उनकी चूत पर पड़ी जिस पर काफी बाल थे और चूत की खूबसूरती उनसे छुप रही थी। मैंने उनकी टांगों और जांघों को बहुत प्यार से चाटा। अब मैंने उनकी टाँगें थोड़ी चौड़ी कर दी ताकि मैं उनकी चूत को सही से देख सकूँ। उन्होंने भी मेरा साथ देते हुए अपनी टांगें चौड़ी कर दी।
अब मेरा मुँह उनकी चूत पर था और मैं उनकी चूत को मुँह में लेकर आम की तरह चूस रहा था। थोड़ी देर तक चूसने पर उन्होंने पानी छोड़ दिया जो मैंने थोड़ा चाटा और बाकी उन्होंने अपनी साड़ी से साफ़ कर दिया। अब वो उठ कर जाने लगी तो मैंने कहा- मेरा क्या होगा? मेरा तो अभी कुछ नहीं हुआ ! तो वो हंस कर बोली- तुम वही करो जो अभी कर रहे थे। मैंने कहा- यह सही नहीं ! तो वो मेरे पास आई और मुझे खड़ा करके मेरे होठों पर होंठ रख कर मुझे चूमा किया बोली- अब तो तुमको अगर अपना राज छिपाना है तो जैसा मैं कहूँगी वो करना पड़ेगा। मैं और क्या कर सकता था।
वो चली गई और मैं रोज की तरह मुठ मार कर सो गया। मेरे खड़े लण्ड पर चोट हो गई थी। अगले दिन रात को भाभी फिर मेरे लिए दूध लेकर आई और दूध का गिलास मेज पर रख के मेरे सामने साड़ी ऊपर करके खड़ी हो गई और मुझे अपनी चूत चाटने को बोला। मैंने बड़ी उम्मीदों के साथ उनकी चूत को चाटा पर आज फिर वो अपना पानी निकाल कर मेरा लण्ड खड़ा ही छोड़ कर चली गई। अगले 2-3 दिन तक उन्होंने ऐसा ही किया। अब मुझे गुस्सा आने लगा था। इतनी प्यारी चूत पास होते हुए भी मुझे रोज मुठ मार कर काम चलाना पड़ रहा था।
अगले दिन जब भाभी ने फिर वही किया तो मैंने उनकी चूत चाटने से मना कर दिया और कहा- आप मेरे लण्ड के बारे में तो कुछ सोचती नहीं हो। मुझे आपकी चूत चाटने के बाद रोज मुठ मारनी पड़ती है। वो हंसने लगी और बोली- मेरे प्यारे देवर, आज चूत चाटो, मैं आपके लण्ड का भी ध्यान रखूँगी। यह सुन कर मैंने उनकी साड़ी में मुँह डाल कर उनकी चूत पर अपने होंठ लगाये तो मुझे बिल्कुल चिकनी चूत मिली, आज उन्होंने अपनी चूत के बाल साफ़ कर लिए थे। थोड़ी देर चूत चटवाने के बाद उन्होंने मुझे अलग करके खड़ा किया और खुद अपने घुटनों पर बैठ गई और मेरा पजामा नीचे कर दिया। मेरा लण्ड बहुत तना खड़ा था। उन्होंने बिना समय लगाये मेरा अण्डरवीयर भी नीचे कर दिया और मेरा लण्ड अपने हाथ में लेकर उसका मुठ मारने लगी।
मैंने कहा- भाभी यह तो मैं रोज खुद से ही कर लेता हूँ, आप कुछ ऐसा करो जो मैं नहीं कर सकता हूँ। यह सुन कर वो मुस्कुराई और अपनी जीभ निकाल कर मेरे लण्ड के टोपे पर लगा दी। मेरे टोपे पर कुछ बूंदें मेरे पानी की आ गई थी जिनको उन्होंने चाट लिया। अब वो मेरे लण्ड पर अपनी जीभ चला चला के चाटने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। फिर उन्होने मेरे लण्ड के टोपे को लोलीपोप की तरह अपने मुँह में ले लिया। उनके मुँह की गर्मी और गीलापन मुझे अजीब सी ख़ुशी दे रहा था। मैंने उनका सिर अपने दोनों हाथों से पकड़ा और अपना लण्ड उनके मुँह में पेलने लगा।
एक बार उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुँह से फिर निकाला और दुबारा अपना मुँह खोल कर मेरा लण्ड खाने लगी। अबकी बार मेरा पूरा लण्ड उनके मुँह में ऐसे चला गया जैसे मक्कन में छुरी जाती है। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरा लण्ड उनके मुँह को चोद रहा था। उनका लण्ड चूसने का तरीका इतना अच्छा था कि मैं ज्यादा देर तक खुद को रोक नहीं पाया और मेरा सारा पानी उनके मुँह में निकाल गया। इसके बाद वो उठी और मेरे होठों पर चुम्मा लेकर चली गई। मैं बहुत खुश था, आज मुठ मारने की जरुरत नहीं थी तो मैं सो गया। अगली रात को मेरे कहने पर भाभी ने अपना ब्लाउज खोला और अपने चूचे मेरे हाथों में दे दिए। क्या मस्त नर्म नर्म चूचे थे मानो स्पंज की गेंदें मेरे हाथो में हो।
मैंने उनके स्तनों को खूब मसला और चूसा। नीचे मैं उनकी चूत में उंगली भी कर रहा था। अब मेरी इच्छा उनको चोदने की थी पर क्योंकि उसमें खतरा था तो हम लोग चुदाई नहीं कर पा रहे थे। 1-2 बार हम लोगों ने हिम्मत भी की और मैंने अपना लण्ड उनकी चूत में डाला पर यह काम पूरा नहीं हो पाया। मैंने उनसे कहा- मैं उनको पूरा नंगा करके चोदना चाहता हूँ ! तो वो बोली- चाहती तो मैं भी हूँ पर अभी नहीं कर सकते। हम लोगों को सही मौके का इंतजार करना पड़ेगा। हम लोगों का यह चूसने और रगड़ने का सिलसिला करीब महीने भर तक चलता रहा। लगभग एक महीने बाद एक दिन दोपहर में जब मैं ऑफिस में था तभी भाभी का कॉल मेरे फ़ोन पर आया, उन्होंने कहा- जल्दी घर आ जाओ, कल की छुट्टी लेकर।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- घर आ जाओ, बताती हूँ।
मुझे अजीब सा डर लग रहा था, पता नहीं क्या हुआ होगा। मैं तुरंत घर पंहुचा और बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला। मैंने तुरंत ही पूछा- क्या हुआ? उन्होंने मुझे पकड़ कर अंदर कर लिया और दरवाजा बंद कर दिया। फिर वो पलट कर मेरे गले लग गई और मेरे होठों को चूमने लगी। मैंने भी उनके होठों को चूमा पर मुझे ध्यान आया कि चाचा चाची घर पर ही होंगे तो मैंने भाभी को अपने से अलग किया और पूछा- मुझे इतनी जल्दी क्यों बुलाया? तो भाभी मुस्कुराते हुए बोली- अभी अचानक इनके मामा की तबियत बहुत खराब हो गई तो सबको वहाँ जाना पड़ा और वो कल शाम तक वापस आयेंगे। तो मैंने सोचा कि क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए तो मैंने तुमको कॉल करके जल्दी बुलाया और कल की छुट्टी लेने को बोला। मेरे खाने की व्यवस्था के कारण भाभी नहीं गई।
मैंने ख़ुशी से भाभी को गले लगा लिया और उनके होठों पर होंठ रख कर बोला- मेरी प्यारी चुदक्कड़ भाभी, अब अपनी चूत की खैर मनाओ। यह कह कर मैं उनके होठों को चूमने लगा, वो भी बड़े मज़े से मेरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर तक चूमने के बाद मैं बोला- तो क्या योजना है भाभी? कार्यक्रम शुरु किया जाये? तो वो बोली- थोड़ा इंतज़ार करो, मैं बेटे को सुला दूँ, फिर तो हम लोगों को सिर्फ चुदाई का खेल खेलना है। मैंने कहा- चलो ठीक है। यह कह कर भाभी अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कपड़े बदलने आ गया। थोड़ी देर में जब मैं भाभी के कमरे में गया तो देखा भाभी करवट लेकर अपने बेटे को सुला रही हैं, पीछे से उनके नितम्ब बहुत मस्त लग रहे थे तो मैं भी उनके पीछे लेट गया और उनके नितम्ब सहलाने और दबाने लगा।
भाभी बोली- थोड़ा रुक जाओ !
तो मैंने कहा- भाभी, इतने दिनों की प्यास है, कैसे रुक जाऊँ?
यह सुन कर वो मुस्कुराई। मैं पीछे से भाभी की साड़ी ऊपर करके उनकी जांघों को सहलाने लगा, फिर मैंने पीछे से उनकी साड़ी उनके नितम्बों के ऊपर तक उठा दी। उन्होंने चड्डी नहीं पहनी थी और मैंने पहली बार दिन की रोशनी में उनके नितम्ब देखे थे, वो बहुत चिकने और मस्त थे, गोल गोल उभरे हुए। मैं उनको सहलाने लगा, फिर मैंने उनके नितम्बों को थोड़ा चौड़ा किया तो मुझे उनकी गाण्ड का छेद दिखने लगा। वो भूरा सा छोटा सा छेद बहुत मस्त लग रहा था। मैंने अपनी उंगली उनके गाण्ड के छेद में डाल दी तो भाभी थोड़ा सा कसमसाई और मैं धीरे-धीरे उनकी गाण्ड के छेद में उंगली अन्दर-बाहर करने लगा। फिर मैं पीछे से ही उनकी जांघों के बीच में से उनकी चूत पर उंगली फ़िराने लगा। मेरी उंगली उनकी चूत के अंदर जा रही थी। उन्होंने भी अपनी टाँगे थोड़ी चौड़ी कर ली ताकि मैं आराम से उनकी चूत को सहला सकूँ। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
फिर मैं भी नंगा हो गया और अपना लण्ड उनकी गाण्ड के छेद पर लगाने लगा। मैं थोड़ी देर तक यही सब करता रहा और उनको पीछे से चूमने रहा। जब भाभी का बेटा सो गया तो भाभी मेरी तरफ पलटी और मेरे होठों पर होंठ रख कर बोली- अब बोलो बड़ी जल्दी पड़ी थी ना तुमको? मैंने उनको अपनी बाहों में ले लिया और हमारे होंठ एक दूसरे से उलझ गए। मैं कभी उनके मुँह में जीभ डालता कभी वो मेरे मुँह में। मैं उनके होंठों को संतरे की फ़ांकों की तरह चूस रहा था। दोस्तों बहुत रसीले होंठ थे मेरी भाभी के। कुछ समय होंठ और चुच्चियाँ चूसने और चूत तथा गांड चाटने और मेरा लंड चटवाने और चुसाने के बाद मैंने उसकी चूत और गांड को चोदने का नजारा लिया। दो दिन में मैंने 8 बार उसकी चूत को चोदा और तीन बार उसकी गांड मारी....
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