पुरुष और स्त्रियाँ हस्तमैथुन कैसे करते हैं Hastmaithun kaise karte hai
पुरुष और स्त्रियाँ हस्तमैथुन कैसे करते हैं Hastmaithun kaise karte hai, Hastmaithun kaise karte hai, औसत तौर पर पुरुष 12-13 वर्ष की उम्र में ही हस्तमैथुन शुरू कर देते हैं जबकि महिलाएँ तरुणाई (13 से 19 वर्ष) के अन्तिम दौर में हस्तमैथुन का आनन्द लेना शुरू करती हैं.
पुरुष कैसे करते हैं? - सभी पुरुष मूल रूप से समान हस्त-मैथुन करते हैं, जिसमें अपने लिंग को हाथ में पकड़कर दबाना या लिंग के ऊपर हथेली चलाना सबसे सामान्य और प्रचलित तरीका है।
कभी-कभी वे हथेली पर चिकनाई लगाकर हथेली को गीली योनि का प्रारूप देने की कोशिश करते हैं जिससे उन्हें अपार आनन्द की अनुभूति होती हैं। हस्त-मैथुन वे तब तक जारी रखते हैं जब तक उनका वीर्यपात नहीं हो जाता। इसके अतिरिक्त, पुरुष दो तकियों के बीच अपना उत्तेजित लिंग घुसा कर धीरे-धीरे आगे-पीछे धक्का देते हैं, मानो स्त्री की योनि में अपना पुरुषांग प्रविष्ट कर रहे हों।
अब तो कई प्रकार के खिलौने बन गए हैं जो कि योनि और गुदा की तरह बने होते हैं और जिनका इस्तेमाल पुरुष आसानी से कर सकते हैं। ये खिलौने ऐसे पदार्थ से बने होते हैं कि लगभग महिला जननांग जैसा ही अनुभव देते हैं। आधुनिक तकनीक के चलते अब ऐसी गुड़ियाँ बन गई हैं जो छूने से त्वचा छूने जैसा अनुभव देती हैं और जिनके अंग एक लड़की के अंगों की तरह हिलाए तथा मोड़े जा सकते हैं। इन गुड़ियाओं की योनि और गुदा के आलावा इनके मुँह को भी इस तरह बनाया जाता है कि उसे मौखिक मैथुन के लिए पुरुष प्रयोग कर सकते हैं। कुछ पुरुष ऐसी गुड़ियाओं को लड़कियों से भी ज्यादा अच्छा समझते हैं क्योंकि इनके साथ जब चाहे सम्भोग किया जा सकता है और इनमें लड़कियों वाली कोई समस्या नहीं होती। ये गुड़ियाँ महँगी होती हैं और हमारे देश में इनका प्रचलन इतना व्याप्त नहीं है। प्रोस्टेट एक ऐसी ग्रंथि है जो पुरुषों में वीर्य के लिये तरल पदार्थ पैदा करती है। यह गुदा के अन्दर स्थित होती है और इसे गुदा में उँगली डालकर महसूस किया जा सकता है। ऐसा करने से आनन्द मिलता है; अत: यह भी हस्तमैथुन का एक तरीका है। कुछ ऐसे मसाज पार्लर होते हैं जहाँ लड़कियाँ पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि की मसाज करके उन्हें उन्मादित करती हैं।
स्त्रियाँ कैसे करती हैं? - स्त्रियों के लिए सबसे सामान्य हस्त-मैथुन का तरीका अपनी भगनासा को ऊँगली के सिरे से सहलाना और मलना पाया गया है। अधिकांश लोग सोचते हैं कि लड़कियाँ हस्त-मैथुन के लिए अपनी योनि में कोई लिंग के आकार की वस्तु डालकर उसे अंदर-बाहर करती होंगी। हालांकि, स्त्रियाँ यह भी करती हैं पर यह इतनी प्रिय क्रिया नहीं है …. शायद इसलिए कि एक तो इसे करने के लिए उचित लिंगाकार वस्तु ज़रूरी होती है जो हर समय उपलब्ध नहीं होती और दूसरे, ऐसा करने के लिए उन्हें जो आसन ग्रहण करने होते हैं वे हमेशा संभव नहीं होते।
स्त्रियों को हस्त-मैथुन बड़ी गोपनीयता और कम समय में करना होता है और इस कारण वे अपनी ऊँगली से अपनी भगनासा, जो कि मानव शरीर का सबसे मार्मिक और उत्तेजनशील अंग है, को सहला कर और अपनी योनि के होठों को मसल कर तृप्ति प्राप्त कर लेती हैं। इसके अलावा वे अपने भगोष्ठ के साथ अपनी तर्जनी या मध्यमा अँगुली से खेलती हैं तो कभी योनि के अन्दर एक या दो अँगुलियाँ डालकर मैथुन का अनुकरण करती हैं। अगर समय का अभाव ना हो और उपयुक्त एकांत भी हो तो हस्तमैथुन के लिये सब्जियॉं, जैसे लम्बे बैंगन, खीरा, गाजर, मूली, ककडी आदि अपने जननांग में प्रविष्ट कराकर सन्तुष्टि प्राप्त कर लेती हैं। सब्जियों के आलावा कुछ घरेलु लिंगाकार चीज़ें जैसे मोटा कलम, मोमबत्ती, बेलन का हत्ता इत्यादि का प्रयोग भी होता है। यह भी देखा गया है कि कुछ महिलायें पलंग के किनारे अथवा किसी मेज के किनारे से अपने यौनांग रगड़ कर भी यौन-सुख प्राप्त कर लेती हैं।
कुछ महिलाएँ केवल विचार और सोच मात्र से तो कुछ अपनी टाँगें कसकर बन्द करके योनि पर इतना दबाव डालती हैं कि उन्हें यौन-सुख अनुभव हो जाता है। ये काम वे सार्वजनिक स्थानों पर भी बिना किसी की नजर में आये कर लेती हैं। इस क्रिया को महिलाएँ बिस्तर पर सीधी या उल्टी लेटकर, कुर्सी पर बैठकर या उकडूँ बैठकर भी कर सकती हैं। लेकिन ऐसी कोई भी क्रिया जिसे बिना हाथ के सम्पर्क के पूरा किया जाता है हस्तमैथुन की श्रेणी में नही आती।
जिस तरह मर्दों के यौन-सुख के लिए खिलोने बने हुए हैं, स्त्रियों के सुख के लिए भी तरह तरह के खिलोने (डिल्डो) बन गए हैं। ये मूल रूप से बड़े लिंग के आकार के होते हैं जिनपर हाथ में पकड़ने की जगह होती है और जिनको औरतें अपनी योनि या गुदा में घुसा कर मैथुन सुख प्राप्त कर सकती हैं। तकनीकी उन्नति के चलते इन कृत्रिम लिंगों में काफी विकास हुआ है और अब ये तरह तरह के आकार, पदार्थ और सुविधाओं से लैस होते हैं। इनमें बैटरी से थरथराहट (वाईब्रेटर) पैदा की जा सकती है। कुछ कृत्रिम लिंगों की बनावट दुमुही होती है जिनसे एक स्त्री एक साथ अपनी योनि और गुदा दोनों को भेद सकती है और साथ ही भगनासा को कुरेदने के लिए उचित उभार बने होते हैं। ऐसे दुमुही लिंग को योनि और गुदा में घुसाने के बाद जब उसमें बिजली से थरथराहट शुरू की जाती है तो स्त्रियों को असीम भौतिक आनंद मिलता है जो अक्सर असली लैंगिक सम्भोग से भी नहीं मिलता।
हालांकि, मर्दों के लिए गुड़ियाँ बन चुकी हैं, महिलाओं के लिए इस तरह के गुड्डे मुनासिब नहीं समझे गए हैं क्योंकि निर्जीव गुड्डा हिल-डुल नहीं सकता और ऐसी हालत में वह स्त्रियों को सम्भोग सुख नहीं दे सकता। स्त्रियों को कृत्रिम सम्भोग-सुख दिलाने के लिए कुछ ऐसी मशीनें बनायीं गयी हैं जिनमें कृत्रिम लिंग को एक पिस्टन पर लगाया होता है जो कि बिजली से आगे-पीछे होता है। ये मशीनें तरह तरह के आकारों और सुविधाओं के साथ मिलती हैं जिनका उपयोग महिलाएं अपनी इच्छानुसार लेट कर या बैठकर कर सकती हैं। इनमें पिस्टन की गति, स्ट्रोक की लम्बाई और लिंग का आकार स्वेच्छा से नियंत्रित या बदला जा सकता है। ऐसी मशीनें उन महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुई हैं जिनके पति या प्रेमी शीघ्रपतन के कारण उन्हें सम्भोग से उत्कर्ष तक नहीं पहुंचा पाते …. या फिर कुछ स्त्रियाँ देर से ही उत्कर्ष को प्राप्त होती हैं। ये मशीनें भी, सेक्स-गुड़ियाओं की तरह, हमारे देश में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।
परस्पर-हस्तमैथुन - इसमें स्त्री-पुरुष एक दूसरे का हस्तमैथुन करते हैं। आमतौर पर इसे सम्भोग-पूर्व अपने साथी को उत्तेजित करने के लिए या फिर जब सम्भोग की इच्छा ना हो या किसी कारण सम्भोग मुनासिब ना हो, तब प्रेमी जोड़े परस्पर हस्त-मैथुन करके एक दूसरे को चरमोत्कर्ष तक पहुंचाते हैं। इसको करने के लिए स्त्री अपने साथी पुरुष का लिंग अपने हाथ में लेकर उसको उसी तरह हिलाती या रगडती है जैसे हस्त-मैथुन के समय पुरुष करता है और साथ ही उसके शरीर के मार्मिक स्थलों को छू कर, सहला कर तथा खरोंच कर उसे उत्तेजित करती है। साथ ही पुरुष उस स्त्री की योनि और भगनासा पर अपनी उँगलियों से मर्दन करके और उसके स्तनों, स्तानाग्रों और बदन के अन्य संवेदनशील अंगों, जैसे गुदा, चूतड़, पेट, गाल, गर्दन इत्यादि को छू कर, सहला कर अथवा मसल कर उसे उत्तेजित करता है। यह क्रिया भी एक दूसरे के चरमोत्कर्ष तक की जाती है।
प्रायः देखा गया है कि इस क्रिया में पुरुष आनंद-शिखर पर महिलाओं से पहले पहुँच जाते हैं और उन्हें वीर्य-स्खलन के बाद भी अपनी प्रेमिका का हस्त-मैथुन जारी रखना होता है जिससे वह भी पूर्णतया तृप्त हो सके। परस्पर-हस्त-मैथुन एक बहुत ही प्रेम-भरी क्रिया है जिसे सभी जोड़े निःसंकोच कर सकते हैं क्योंकि इससे सम्भोग जैसा ही सुख दोनों को मिलता है और साथ ही सम्भोग से सम्बंधित किसी परेशानी या भय, जैसे गर्भ-धारण, कौमार्य-खनन, यौन-विकार इत्यादि की चिंता नहीं होती।
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