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होली के दिन चाचा जी ने मेरी मम्मी को चोदा Holi ke din chacha ji ne meri mammy ko choda
होली के दिन चाचा जी ने मेरी मम्मी को चोदा, Holi ke din chacha ji ne meri mammy ko choda, लंड की प्यास, प्यासी चूत को मिला लौड़े का पानी, बड़े लंड से माँ की चूत को चोदा, तडपती चूत को मिला बरसों बाद लंड.
हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम राजन है। आज मैं आप सभी को एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ। इस कहानी मे होली के अवसर पर मेरी मम्मी की चुदाई हुई। अब मैं आपको आगे की कहानी बताता हूँ। दोस्तों मैं 12th क्लास में पढ़ता हूँ और मेरी उम्र 18 साल की है। मेरे मम्मी-पापा मुंबई में रहते है। मेरी मम्मी दिखने में बहुत ही अच्छी है, मतलब बहुत ही सेक्सी है। उनकी उम्र 38 साल की है। उनका फिगर 32-29-36 है और बहुत ही अच्छा है। अब मैं आपको अपनी स्टोरी पर ले जाता हूँ। दोस्तों आज से दो महीने पहले की बात है। होली का समय था। मेरी दादी ने कॉल किया और उन्होंने कहा कि इस बार तुम सब होली पर गाँव आ जाओ तभी मम्मी ने कहा ठीक है। फिर जब पापा शाम को घर आए तो मम्मी ने पापा से कहा कि दादी का कॉल आया था। उन्होंने हम सब को गाँव बुलाया है।
हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम राजन है। आज मैं आप सभी को एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ। इस कहानी मे होली के अवसर पर मेरी मम्मी की चुदाई हुई। अब मैं आपको आगे की कहानी बताता हूँ। दोस्तों मैं 12th क्लास में पढ़ता हूँ और मेरी उम्र 18 साल की है। मेरे मम्मी-पापा मुंबई में रहते है। मेरी मम्मी दिखने में बहुत ही अच्छी है, मतलब बहुत ही सेक्सी है। उनकी उम्र 38 साल की है। उनका फिगर 32-29-36 है और बहुत ही अच्छा है। अब मैं आपको अपनी स्टोरी पर ले जाता हूँ। दोस्तों आज से दो महीने पहले की बात है। होली का समय था। मेरी दादी ने कॉल किया और उन्होंने कहा कि इस बार तुम सब होली पर गाँव आ जाओ तभी मम्मी ने कहा ठीक है। फिर जब पापा शाम को घर आए तो मम्मी ने पापा से कहा कि दादी का कॉल आया था। उन्होंने हम सब को गाँव बुलाया है।
पापा ने कहा कि वो नहीं जा पाएँगे, उनको ऑफीस के काम से बाहर जाना है। तभी मम्मी गुस्सा हो गई, उन्होंने कहा ठीक है आप मना कर दो फोन पर, लेकिन मैं मना नहीं कर सकती। पापा ने कहा ठीक है, मैं मना कर दूँगा। फिर उन्होंने दादी को कॉल किया और कहा कि हम लोग गाँव नहीं आ सकते। तभी दादी ने कहा कि ठीक है, कम से कम मेरी बहू और मेरे पोते को तो तुम गाँव भेज दो, पापा ने कहा ठीक है। फिर पापा ने मम्मी से कहा कि तुम राजन को लेकर गाँव चली जाओ, मैं नहीं जा सकता। मम्मी ने कहा ठीक है। फिर पापा ने हमारा ट्रेन से रिज़र्वेशन करा दिया और हम गाँव पहुंच गये। वहाँ पर हमारा स्वागत हुआ हम दिन के 11 बजे गाँव पहुंच गये थे। फिर हम घर पर पहुंच कर खाना खाकर सो गये। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
फिर शाम को जब हम उठे तो देखा कि मेरे चाचा जी घर आए हुए थे। मैं और मम्मी बैठ कर चाचा से बात करने लगे, बातों बातों में चाचा ने मम्मी से कहा कि भाभी बिलकुल सही समय पर आई हो, मम्मी ने कहा क्या मतलब? सीबू चाचा ने कहा देवर के लिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती है कि उसकी भाभी होली पर आई हो, इस बार तो मज़ा आएगा। ये कह कर चाचा हँसने लगे और मेरी मम्मी भी उन्हे देख कर थोड़ा सा शरमा गई।
अब अगले दिन होली थी। सुबह से ही सारे लोग होली खेलने मिलने जुलने आये हुए थे। दिन के 12 बज चुके थे, मम्मी ने मुझसे कहा कि मैं नहाने जा रही हूँ। तभी मैंने कहा कि ठीक है। मम्मी आप नहा कर आ जाईये फिर मैं नहा लूँगा, मम्मी ने कहा ठीक है। ये कहकर मेरी मम्मी नहाने चली गई। मैं बाहर खेलने लगा, तभी मैंने देखा कि सीबू चाचा आए हुए है। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि बेटा तुम्हारी मम्मी कहाँ है? मैंने कहा कि मम्मी बाथरूम मे नहाने चली गई है। चाचा ने कहा कि ठीक है। हमारे बाथरूम में गेट भी कोई खास नहीं था। उसमें से सब कुछ साफ़ दिखता था। घर की सभी औरतें उसी बाथरूम मे जाकर नहाती थी। फिर चाचा मम्मी को रंग लगाने के लिए बाथरूम की तरफ चले गये। मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया, तभी मैंने देखा कि मेरी मम्मी वहाँ पर नहा रही थी और अपने शरीर पर साबुन लगा रही थी।
फिर चाचा वहीँ पर चुपके से खड़े होकर मम्मी को नहाते हुए देख रहे थे। मम्मी को ये बात पता नहीं थी। वो आराम से साबुन अपने शरीर पर लगा रही थी। स्थिति कुछ ऐसी थी कि मम्मी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा अपने बूब्स से बाँध रखा था और उनका पूरा शरीर पानी से भीगा हुआ था और उन्होंने अपने पेटीकोट को अपनी जांघ तक उठा रखा था और वो बस साबुन मल रही थी। तभी मैंने चाचा की तरफ देखा। वो मम्मी को बहुत ही गंदी नज़र से देख रहे थे। फिर चाचा बाथरूम मे अंदर गये। उन्होंने मम्मी को पीछे से पकड़ लिया, चाचा के अचानक इस तरह से पकड़ने से मम्मी घबरा गई। चाचा ने कहा भाभी मुझसे रंग नहीं लगवाओगी क्या? मम्मी ने कहा मैंने रंग साफ कर लिया है, अब नहीं। चाचा ने कहा, ऐसे कैसे भाभी आज तो होली है, बिना रंग के कैसे मज़ा आएगा। उन्होंने मेरी मम्मी को कसकर अपनी बांहों मे जकड़ रखा था और मम्मी के मना करने के बावजूद वो मम्मी को रंग लगाने लगे। चाचा मम्मी के पेटीकोट को धीरे धीरे ऊपर करते हुए, उनकी जांघों मे रंग लगा रहे थे।
तभी मम्मी ने कहा कि प्लीज बस करो अब तो रंग लगा लिया ना, अब रहने दो, फिर चाचा हँसने लगे। उन्होंने कहा अभी कहाँ भाभी अभी तो मैं आपके पूरे शरीर में रंग लगाऊंगा, ये कहते हुए चाचा ने मेरी मम्मी के पेटीकोट को पूरा पेट तक उठा दिया। शायद चाचा को भी ये पता नहीं था कि मेरी मम्मी ने पेंटी नहीं पहनी हुई है। अब चाचा ने मेरी मम्मी के पेटीकोट को उनके बूब्स तक चड़ा दिया और मम्मी के पूरे शरीर में रंग लगाने लगे। उनका हाथ मेरी मम्मी की गोरी गोरी जांघो को छू रहा था। मम्मी अपने हाथों से अपनी चूत छुपाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन चाचा के सामने उनकी एक ना चली। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
फिर मम्मी ने कहा नहीं नहीं प्लीज इसमें मत लगाओ, चाचा ने कहा अरे कुछ नहीं होगा भाभी लगाने दो प्लीज़, ये कह कर चाचा ने मम्मी का हाथ हटा दिया। मैंने देखा कि मम्मी की चूत पर पूरे झांट के बाल थे। तभी चाचा ने अपने हाथ में रंग भरा और अपना हाथ अंदर ले जाते हुए मेरी मम्मी की चूत में रगड़ने लगे। पहले कुछ देर तक मेरी मम्मी नॉर्मल मज़ाक में सब लेती रही क्योंकि गाँव में ऐसा ही होता है। लेकिन मैंने देखा कि मम्मी को अब बहुत मज़ा आने लगा। चाचा ने सोचा अच्छा मौका है और ये सोचकर उन्होंने अपनी दो उंगली मेरी मम्मी की चूत में घुसा दी, फिर मम्मी ने कहा अब रहने दो, चाचा ने पूछा कि क्या मज़ा नहीं आ रहा? मम्मी ने सिर हिलाते हुए कहा हाँ। फिर क्या था चाचा को हरी झंडी मिल गई। फिर चाचा अपनी उंगली मेरी मम्मी की चूत के अंदर बाहर करने लगे। कभी अपना हाथ बाहर निकाल कर मेरी मम्मी के पेट पर रगड़ते तो कभी पीछे ले जाकर उनकी गांड को मसलते। फिर कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा। थोड़ी देर बाद किसी के आने की आहट आई, तभी चाचा वहाँ से चले गये।
मम्मी फिर से नहाने लगी फिर मैं भी वहाँ से चला गया। थोड़ी देर बाद मम्मी बाहर घर में आ गई। मैंने मम्मी की तरफ देखा एक अजीब सी ख़ुशी देखी उनकी आँखो में, फिर हमने साथ मे बैठकर खाना खाया और मैं सोने चला गया, फिर शाम को जब मेरी आँखे खुली तो मैंने मम्मी की आवाज़ सुनी जो पास के कमरे से आ रही थी। तभी मैं ये देखने चला गया कि मम्मी किससे बात कर रही है। जब मैंने देखा तो पाया कि चाचा बैठे हुए है और वो मम्मी से कह रहे थे कि भाभी आज मेरे घर पर चलो प्लीज, मम्मी उनसे मना कर रही थी और कहने लगी कि नहीं माँ जी घर में है नहीं हो पाएगा। मुझे कुछ समझ मे नहीं आ रहा था। फिर चाचा ने कहा कि आप टेंशन मत लो मैं माँ जी (मेरी दादी) को मना लूँगा, ये कहकर चाचा दादी के पास चले गये।
फिर उन्होंने कहा कि माँ मैं भाभी को मेरे घर ले जा रहा हूँ, आपको कोई दिक्कत तो नहीं। दादी को चाचा की नियत के बारे में पता नहीं था इसलिए उन्होंने भी हाँ कर दी। फिर थोड़ी देर बाद मम्मी रेडी हो गई, उन्होंने मुझसे कहा कि बेटा मैं चाचा जी के साथ घूमने जा रही हूँ, तुम दादी के पास ही रहना। मैं समझ गया कि आज ये लोग क्या करेंगे फिर मेरी मम्मी चाचा के साथ चली गई। मैं भी थोड़ी देर बाद दादी से खेलने का बहाना करके चाचा के घर पर चला गया, तभी मैंने देखा कि चाचा के घर का गेट बंद था, इसलिए मैं पीछे की खिड़की पर चला गया और वहाँ से अंदर की तरफ देखने लगा। मम्मी और चाचा बेड पर बैठे हुए थे और चाचा ने मेरी मम्मी को अपनी बाँहों में ले रखा था और दोनों लिप किस कर रहे थे। चाचा मेरी मम्मी के गुलाबी होठों को चूस रहे थे। कभी ऊपर की लिप को चूसते तो कभी नीचे की लिप को, मम्मी ने अपने हाथ पीछे ले जाकर चाचा की गर्दन को पकड़ रखा था और उनका पूरा - पूरा साथ दे रही थी उनके होंठ चूसने की आवाज़ मेरे कानो तक आ रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
अब मम्मी ने अपना हाथ चाचा की पेंट में डाल दिया, चाचा ने कहा अरे भाभी रुक जाओ इतनी जल्दी क्या है? ये कहकर चाचा ने अपनी पेंट खोलकर अपनी जांघो तक कर दी, चाचा का लंड पूरा मुरझाया हुआ था और बिल्कुल काला था। मेरी मम्मी ने अपने हाथों से चाचा के लंड को सहलाया, उधर चाचा मेरी मम्मी को चूमे जा रहे थे। थोड़ी देर बाद चाचा ने मेरी मम्मी के ब्लाउज का हुक खोल दिया और मेरी मम्मी के गोल गोल बूब्स को ब्रा के ऊपर से चूमने लगे। चाचा कभी मेरी मम्मी की छाती को चूमते, तो कभी मेरी मम्मी के बूब्स पर किस कर रहे थे। अब चाचा ने अपने सारे कपड़े खोल लिए। उन्होंने मेरी मम्मी को अपने बेड पर लिटा दिया। चाचा मेरी मम्मी के पेरों के पास आकर बैठ गये, उन्होंने मेरी मम्मी के एक पैर को उठा लिया और उनके तलवे पर किस करने लगे। अब मुझे लगा कि इससे आगे का सीन मुझे नहीं देखना चाहिए इसलिए मैं वहां से आ गया।
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