अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने में रखा - Maine lund uski chut ke munh me rakha
अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने में रखा - Maine lund uski chut ke munh me rakha, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.
रेशमा मेरे कहे को मानते हुए सोनी की गांड पर पिल पड़ी और बड़ी ही बेदर्दी से उसके चूतड़ो को दबाने लगी, सोनी ‘आह आह…’ करती जा रही थी।
“रेशमा अब तुम इसकी गांड में थूको!”
रेशमा ने वैसा ही किया।
“अब तुम अपनी जीभ से थूक को छेद के अन्दर और आस पास की जगह पर फैलाओ।”
रेशमा ने अपनी जीभ से काम करना शुरू कर दिया और इधर सोनी अजीब सी आवाज के साथ ‘सीईईई…ईई… आह!’ की आवाज निकालने लगी।
मैंने सोनी से पूछा- कैसा लग रहा है?
वो बोली- ऐसा लग रहा है कि हजारों चींटियाँ मेरी गांड के अन्दर घुस कर काट रही है, बहुत ही सुरसुराहट हो रही है। बहुत खुजली हो रही है।
“अच्छा तो तुम अब अपनी उंगली अपनी गांड में डाल कर खुजली मिटा लो।”
सोनी अपनी गांड में उंगली डाल कर बहुत तेज तेज चलाने लगी और फिर हाँफ कर बैठ गयी।
जब थोड़ी देर बीत गयी और सोनी की सांस सामान्य तरीके से चलने लगी, तभी मैंने रेशमा से पूछा- यह खेल तुम भी खेलोगी या रहने दें?
रेशमा ने सोनी से पूछा कि उसे कैसा लगा?
तो सोनी रेशमा के गाल को नोंचते हुए बोली- जान बहुत मजा आया।
“तब ठीक है!” कह कर रेशमा भी गाड़ी के पीछे वाली सीट पर सोनी जैसी पोजिशन लेकर खड़ी हो गयी।
मैं गाड़ी चलाने के साथ साथ बैक मिरर से पीछे उन दोनों लड़कियों की हरकतों को देख कर मजे ले रहा था और बीच बीच में अपने लंड को मसल रहा था। लड़कियाँ भी बहुत ही सावधानी के साथ मजा ले रही थी।
अब बारी सोनी की थी। सोनी ने रेशमा से बिल्कुल चिपक कर अपना हाथ उसके पेट की तरफ से डाल दिया और उसके बाद अपनी सभी उंगलियों का प्रयोग करके उसके गांड को कुरेदने लगी, साथ ही उंगली को छेद के अन्दर डालने की कोशिश करती, रेशमा भी सोनी का साथ देते हुए अपने एक हाथ से चूतड़ को फैला रही थी।
उसको मजा आने लगा था, बहुत ही सेक्सी आवाज आ रही थी; सोनी के एक उंगली पूरी की पूरी उसकी गांड में घुस चुकी थी। शायद रेशमा को बहुत मजा आ रहा था, सोनी उंगली को बाहर अन्दर कर रही थी और रेशमा ‘आह… ओह… हाय मार डाला… बहुत मजा आ रहा है! बस ऐसे ही करो!’ पता नहीं क्या क्या बोले जा रही थी।
काफी देर तक सोनी उंगली से रेशमा की गांड चोद रही थी और रेशमा अपने चरमोत्कर्ष की अभिव्यक्ति को अनाप शनाप शब्दों से बयां करे जा रही थी। फिर सोनी ने उंगली निकाली और जिस तरह से रेशमा ने सोनी की गांड को मसला था, उसी तरह से और उसी दमखम के साथ सोनी भी अपना काम कर रही थी। शायद दोनों ही थक चुकी थी, इसलिये दोनों बैठ गयी और अपने सांसों पर काबू पाने लगी।
“अब बताओ रेशमा, तुम्हें कैसा लगा?”
“क्या बताऊं शरद, बहुत मजा आ रहा था; सोनी मेरी गांड में उंगली कर रही थी और मुझे लग रहा था कि मेरे पूरे जिस्म में कीड़े चल रहे हों, मैं अपने को काबू में नहीं कर पायी और दो बार झड़ गयी। आपकी गाड़ी की सीट मेरे पानी से गीली हो गयी है और मेरी जांघों में भी अब चिपचिपाहट हो रही है।”
“कोई बात नहीं!” मैंने कहा- सीट तो सूख जायेगी। तुम दोनों ने अपने सफर का भरपूर आनन्द उठाया, उसमें मुझे भी मजा आया।
“हां, वो तो ठीक है! सोनी बोली- पर मूतास ने एक बार फिर जोर पकड़ा हुआ है। अब बोतल भी नहीं है, जिसमें करूँ, अब आप गाड़ी कहीं किनारे लगा दीजिए, तो हम मूत लें।
मैंने सेफ जगह देख कर एक जगह गाड़ी रोक दी।
दोनों लड़कियाँ गाड़ी से उतर कर झाड़ियों के बीच में बैठ गयी और मैं भी उनसे कुछ दूरी पर पेशाब करने लगा। मेरे मूतते तक दोनों मूत कर खड़ी हो चुकी थी और अपनी अपनी सलवार का नाड़ा बाँधने लगी और फिर शायद लड़कियों में आदत होती होगी कि पेशाब करने के बाद गिरती हुयी बूंदों को अपने अंतरंग अंगवस्त्र से पौंछना।
दोनों ने भी यही किया अपने शलवार के ऊपर से ही अपनी चूत को साफ कर ली और वापस गाड़ी में आकर बैठ गयी.
मैं भी पेशाब करने के बाद लंड को हिलाते हुए बची खुची बूंदों को झाड़ा और फिर कैपरी के अन्दर अपने लंड को कैद कर लिया।
अब हम तीनों लोग सामान्य अवस्था में गाड़ी में बैठे हुए थे।
कुछ दूरी और तय करने के बाद हम तीनों ने एक बार फिर चाय पी और आगे के गन्तव्य को पूरा करने के लिये चल दिये।
दोस्तो, ये तो कार के अन्दर की मस्ती थी जो हम तीनों ने की। हालाँकि मुझे इसमें ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ी।
अब हम लोग लखनऊ पहुंच चुके थे और अपने दोस्त के घर के सामने कार पार्क कर दी। मेरा दोस्त आलोक अभी घर में ही था और हम लोगों का इंतजार कर रहा था। दोनों लड़कियों ने आलोक को अंकल सम्बोधित करते हुए नमस्ते किया।
हम तीनों आलोक के साथ उसके घर के अन्दर प्रवेश करके डायनिंग हॉल में बैठ गये। आलोक ने खुद ही पानी वगैरह सर्व किया फिर देर से आने का कारण पूछा।
थोड़ी देर के बातचीत होने के बाद आलोक ने पूछा कि किस कम्पनी में इन्टरव्यू है तो मैंने उसको बनाई हुयी स्टोरी बता दी।
उसके बाद आलोक बोला- यार, मैं अब ऑफिस के लिये निकलता हूं, यार तेरी भाभी घर पर है नहीं, इसलिये तुझे मैं रहने की व्यवस्था करा सकता हूं बाकी खाना तुम्हें लखनऊ में जहां भी अच्छा लगे, जाकर खा लेना।
कह कर उसने मुझे घर की एक चाभी पकड़ाई और उन दोनों लड़कियों को विश करके ऑफिस चला गया।
उसके जाने के बाद हम तीनों ऊपर उस कमरे में पहुंचे जिसको आलोक दिखा कर गया। मेरे लिये एक कमरा था और एक कमरा उन दोनों लड़कियों के लिये था। मैं ड्राईव करके थक गया था, इसलिये मैंने अपने कपड़े उतारे और नंगा ही बेड पर लेट गया।
मुझे नंगा देखकर दोनों लड़कियां भी अपने कपड़े उतार कर मेरे बगल में लेट गयी और सब सो गए.
करीब एक डेढ़ घण्टे के बाद सोनी जागी, सबको जगा कर बोली- सर, भूख लग रही है।
हम तीनों थोड़ी देर बाद अपना अपना हुलिया को सही करते हुए बाहर खाना खाने के लिये निकल आये और एक होटल ढूंढ कर खाना खाने बैठ गये।
खाना खाते हुए मैंने दोनों को अच्छी तरह से समझा दिया कि आलोक पूछे तो क्या जवाब देना है।
खाना खाने से निबटने के बाद हम लोग वापस आलोक के घर आ गये। थोड़ी देर तक तो हम लोग लेट कर अपने टूटे हुए बदन को सही कर रहे थे।
अभी भी मुझे एनर्जी कम लग रही थी और दूसरा दोनों लड़कियां मेरे दोनों तरफ लेटी हुयी थी, फिर भी मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही थी, लेकिन दोनों में उर्जा समाहित हो चुकी थी, दोनों ने अपने अपने हाथ मेरी कैपरी के अन्दर डाल दिया और मेरी जांघों को सहलाने लगी।
शायद दोनों को ही मेरे झुके हुए हथियार से खेलना अच्छा लग रहा था, दोनों मेरे हथियार को पकड़ने की कोशिश कर रही थी।
सोनी, रेशमा बोली- क्या मुलायम है इनका लंड?
दोनों बड़ी ही बेदर्दी से मेरे लंड को मसले जा रही थी, यहां तक कि मेरे अंडों के साथ भी खेल रही थी और उसे भी दबा रही थी, जिसकी दर्द के वजह से मैं कराह जाता था।
तभी सोनी बोली- लेकिन है बड़ा हरामी! अभी मुलायम है लेकिन जब इसने मेरी चूत मारी थी तो थोड़ा भी रहम नहीं खाया था, खून तक निकाल लिया, लेकिन माना नहीं। पर हाँ एक बार जब इसकी दोस्ती मेरी चूत से हो गयी तो फिर इसने मेरी चूत को बहुत मजा दिया।
“हां यार, तभी तो मैं भी अपनी चूत को मजा दिलवाने के लिये यहां तक आयी हूँ। धीरे धीरे उनके सहलाने से व इस तरह की उतेजक बाते करने से मेरे लंड में जोश आने लगा और वो तनने लगा। दोनों एक साथ ही बोली- देखो इसको जोश आ रहा है!
इतना कहते हुए दोनों ने मेरी कैपरी उतार दी और मेरा लंड फुंफकार मारते हुए बाहर आ गया।
दोनों जल्दी से उठी और लपक कर मेरे लंड को पकड़ने लगी, दोनों के चूतड़ मेरी तरफ थे, मैं उनकी सलवार के ऊपर से ही उनके चूतड़ और चूत को सहलाने लगा, खुमारी अब सभी में बढ़ रही थी, दोनों ने अपनी सलवार के नाड़े को खोल दिया और बाकी का काम मैंने कर दिया, अब दोनों की नंगी गांड और चूत मेरे सामने थी। मेरे दोनों हाथ दोनों के दोनों ही छेदों में चल रहे थे, दोनों ही अपनी कमर को हिला हिला कर मजे ले भी रही थी।
इधर एक मेरे लंड को चूसता तो दूसरे की जीभ मेरे जांघ के आस पास की जगह को चाट रही होती।
कुछ देर तक तो ऐसा ही चलता रहा।
लेकिन पता नहीं मेरी जुबान को क्या हो रहा था कि चूत चाटने का नशा सा चढ़ा जा रहा था, मैंने रेशमा से कहा कि वो मेरे मुंह पर बैठे और सोनी से लंड को उसकी चूत में लेने के लिये बोला।
इस बीच दोनों ने अपने बाकी के कपड़े उतार लिये थे। रेशमा मेरे मुंह पर आ गयी मैं उसकी कमर को पकड़ कर उसकी चूत पर हौले हौले अपनी जीभ चलाने लगा। उधर सोनी भरपूर कोशिश कर रही थी कि मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने के लिये, लेकिन ले नहीं पा रही थी और बार बार लंड फिसल कर उसकी चूत के बाहर आ जा रहा था।
मैं समझ गया कि उसकी चूत अभी भी कसी हुयी है, मैंने रेशमा को अपने ऊपर से उतारा और सोनी को पलंग पर लेटा कर उसकी कमर के नीचे तकिया रख कर लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा, जल्दी ही मेरा लंड उसकी चूत में चला गया और अब उसको चोद रहा था.
रेशमा मुझे सोनी को चोदते हुए देख रही थी. कुछ एक धक्के लगाने के बाद ही सोनी की चूत ढीली हो गयी।
अब मैंने लंड को बाहर निकाला और फिर सीधा लेट गया, मुझे रेशमा की चूत चाटने में बड़ा मजा आ रहा था, इसलिये मैंने रेशमा से एक बार फिर मेरे मुंह पर आने को कहा और सोनी को लंड पर बैठने के लिये कहा.
रेशमा मेरे मुंह पर आकर बैठ गयी और सोनी भी मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने में सफल हो गयी थी। सोनी ने मेरे लंड को अपने अन्दर ले तो लिया था, लेकिन उछल कूद नहीं कर रही थी, मैंने हल्के से नीचे से धक्का लगाया, सोनी ने उसके बाद मेरे लंड को बार बार अपनी चूत से पूरा बाहर निकाल लेती और फिर अपने अन्दर ले लेती।
इस तरह काफी देर तक मैं रेशमा की चूत को चाटता रहा और सोनी मुझे चोदती रही।
जब रेशमा की चूत अच्छे से गीली हो गयी और उसने पानी छोड़ दिया, तब मैंने रेशमा और सोनी को अपने ऊपर से हटाया और रेशमा को लेटाते हुए बोला- थोड़ा तकलीफ होगी, अगर तुम बर्दाश्त कर लोगी तो फिर मजा ही मजा आयेगा।
इधर मैंने सोनी को भी हिदायत दी कि रेशमा के मम्में को अच्छे से मसलना और उसके निप्पल को भी अच्छे से मसलना और चाहे तो अपने मुंह में लेकर उसके मम्में को पीना।
सोनी मेरी बात को समझते हुए उसके निप्पल को चूसने लगी और रेशमा भी उसके मम्में को दबाने लगी।
इधर मैंने भी रेशमा के कमर के नीचे तकिया रख दिया, मैं रेशमा की टांगों के बीच आ गया। इधर सोनी भी उसकी चूचियों से खेल रही थी और बीच बीच में दोनों एक दूसरे के होंठों का रसपान कर रही थी।
हाथ रेशमा का भी चल रहा था, वो भी सोनी की चूचियों को मसल रही थी।
मैंने रेशमा की टांगों के बीच बैठ कर अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने में रखा। मुझे उसकी चूत की तपन का अहसास हो रहा था और इस तपन को जल्द से जल्द ठंड करने की आवश्यकता थी। अब मैं लंड को उसकी चूत के मुहाने को रगड़ रहा था और उसके छोटे से छेद को फैलाने को तत्पर था लेकिन मेरी तत्परता से क्या होना था, मुंह इतना छोटा था कि ताकत लगाना भी बेकार था। पर मैं लगातार अपने काम में प्रयासरत था।
इधर रेशमा भी मेरे प्रयास में साथ दे रही थी, जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत को टच करता, वो तुरन्त ही अपनी कमर को मेरा लंड अन्दर लेने के लिये उठा देती। पर हर बार लंड फिसल कर अलग हो जाता।
अब मेरा सब्र भी खत्म हो रहा था, मैंने अपना लंड उसकी चूत से सटाया और उसकी चूत को अपने हाथों से थोड़ा फैलाया और लंड को उसमें हल्के ताकत के साथ प्रवेश करा दिया। “आआआ आआहह आआअ…” की एक चीख मुझे सुनाई दी लेकिन मैंने उस चीख को अनसुना करते हुए अपने कार्य को जारी रखा और थोड़ा ताकत लगाकर लंड को अन्दर धकेलने का प्रयास कर रहा था.
हालाँकि मुझे भी लग रहा था कि मेरे लंड को कोई चाकू से छील रहा हो, बहुत तेज जलन हो रही थी।
मैं अपनी ताकत लगाता रहा और रेशमा की चीखें निकल रही थी। रेशमा की चीखों को सुन कर सोनी भी डर गयी और वो रेशमा से अलग हो गयी।
रेशमा मेरे कहे को मानते हुए सोनी की गांड पर पिल पड़ी और बड़ी ही बेदर्दी से उसके चूतड़ो को दबाने लगी, सोनी ‘आह आह…’ करती जा रही थी।
“रेशमा अब तुम इसकी गांड में थूको!”
रेशमा ने वैसा ही किया।
“अब तुम अपनी जीभ से थूक को छेद के अन्दर और आस पास की जगह पर फैलाओ।”
रेशमा ने अपनी जीभ से काम करना शुरू कर दिया और इधर सोनी अजीब सी आवाज के साथ ‘सीईईई…ईई… आह!’ की आवाज निकालने लगी।
मैंने सोनी से पूछा- कैसा लग रहा है?
वो बोली- ऐसा लग रहा है कि हजारों चींटियाँ मेरी गांड के अन्दर घुस कर काट रही है, बहुत ही सुरसुराहट हो रही है। बहुत खुजली हो रही है।
“अच्छा तो तुम अब अपनी उंगली अपनी गांड में डाल कर खुजली मिटा लो।”
सोनी अपनी गांड में उंगली डाल कर बहुत तेज तेज चलाने लगी और फिर हाँफ कर बैठ गयी।
जब थोड़ी देर बीत गयी और सोनी की सांस सामान्य तरीके से चलने लगी, तभी मैंने रेशमा से पूछा- यह खेल तुम भी खेलोगी या रहने दें?
रेशमा ने सोनी से पूछा कि उसे कैसा लगा?
तो सोनी रेशमा के गाल को नोंचते हुए बोली- जान बहुत मजा आया।
“तब ठीक है!” कह कर रेशमा भी गाड़ी के पीछे वाली सीट पर सोनी जैसी पोजिशन लेकर खड़ी हो गयी।
मैं गाड़ी चलाने के साथ साथ बैक मिरर से पीछे उन दोनों लड़कियों की हरकतों को देख कर मजे ले रहा था और बीच बीच में अपने लंड को मसल रहा था। लड़कियाँ भी बहुत ही सावधानी के साथ मजा ले रही थी।
अब बारी सोनी की थी। सोनी ने रेशमा से बिल्कुल चिपक कर अपना हाथ उसके पेट की तरफ से डाल दिया और उसके बाद अपनी सभी उंगलियों का प्रयोग करके उसके गांड को कुरेदने लगी, साथ ही उंगली को छेद के अन्दर डालने की कोशिश करती, रेशमा भी सोनी का साथ देते हुए अपने एक हाथ से चूतड़ को फैला रही थी।
उसको मजा आने लगा था, बहुत ही सेक्सी आवाज आ रही थी; सोनी के एक उंगली पूरी की पूरी उसकी गांड में घुस चुकी थी। शायद रेशमा को बहुत मजा आ रहा था, सोनी उंगली को बाहर अन्दर कर रही थी और रेशमा ‘आह… ओह… हाय मार डाला… बहुत मजा आ रहा है! बस ऐसे ही करो!’ पता नहीं क्या क्या बोले जा रही थी।
काफी देर तक सोनी उंगली से रेशमा की गांड चोद रही थी और रेशमा अपने चरमोत्कर्ष की अभिव्यक्ति को अनाप शनाप शब्दों से बयां करे जा रही थी। फिर सोनी ने उंगली निकाली और जिस तरह से रेशमा ने सोनी की गांड को मसला था, उसी तरह से और उसी दमखम के साथ सोनी भी अपना काम कर रही थी। शायद दोनों ही थक चुकी थी, इसलिये दोनों बैठ गयी और अपने सांसों पर काबू पाने लगी।
“अब बताओ रेशमा, तुम्हें कैसा लगा?”
“क्या बताऊं शरद, बहुत मजा आ रहा था; सोनी मेरी गांड में उंगली कर रही थी और मुझे लग रहा था कि मेरे पूरे जिस्म में कीड़े चल रहे हों, मैं अपने को काबू में नहीं कर पायी और दो बार झड़ गयी। आपकी गाड़ी की सीट मेरे पानी से गीली हो गयी है और मेरी जांघों में भी अब चिपचिपाहट हो रही है।”
“कोई बात नहीं!” मैंने कहा- सीट तो सूख जायेगी। तुम दोनों ने अपने सफर का भरपूर आनन्द उठाया, उसमें मुझे भी मजा आया।
“हां, वो तो ठीक है! सोनी बोली- पर मूतास ने एक बार फिर जोर पकड़ा हुआ है। अब बोतल भी नहीं है, जिसमें करूँ, अब आप गाड़ी कहीं किनारे लगा दीजिए, तो हम मूत लें।
मैंने सेफ जगह देख कर एक जगह गाड़ी रोक दी।
दोनों लड़कियाँ गाड़ी से उतर कर झाड़ियों के बीच में बैठ गयी और मैं भी उनसे कुछ दूरी पर पेशाब करने लगा। मेरे मूतते तक दोनों मूत कर खड़ी हो चुकी थी और अपनी अपनी सलवार का नाड़ा बाँधने लगी और फिर शायद लड़कियों में आदत होती होगी कि पेशाब करने के बाद गिरती हुयी बूंदों को अपने अंतरंग अंगवस्त्र से पौंछना।
दोनों ने भी यही किया अपने शलवार के ऊपर से ही अपनी चूत को साफ कर ली और वापस गाड़ी में आकर बैठ गयी.
मैं भी पेशाब करने के बाद लंड को हिलाते हुए बची खुची बूंदों को झाड़ा और फिर कैपरी के अन्दर अपने लंड को कैद कर लिया।
अब हम तीनों लोग सामान्य अवस्था में गाड़ी में बैठे हुए थे।
कुछ दूरी और तय करने के बाद हम तीनों ने एक बार फिर चाय पी और आगे के गन्तव्य को पूरा करने के लिये चल दिये।
दोस्तो, ये तो कार के अन्दर की मस्ती थी जो हम तीनों ने की। हालाँकि मुझे इसमें ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ी।
अब हम लोग लखनऊ पहुंच चुके थे और अपने दोस्त के घर के सामने कार पार्क कर दी। मेरा दोस्त आलोक अभी घर में ही था और हम लोगों का इंतजार कर रहा था। दोनों लड़कियों ने आलोक को अंकल सम्बोधित करते हुए नमस्ते किया।
हम तीनों आलोक के साथ उसके घर के अन्दर प्रवेश करके डायनिंग हॉल में बैठ गये। आलोक ने खुद ही पानी वगैरह सर्व किया फिर देर से आने का कारण पूछा।
थोड़ी देर के बातचीत होने के बाद आलोक ने पूछा कि किस कम्पनी में इन्टरव्यू है तो मैंने उसको बनाई हुयी स्टोरी बता दी।
उसके बाद आलोक बोला- यार, मैं अब ऑफिस के लिये निकलता हूं, यार तेरी भाभी घर पर है नहीं, इसलिये तुझे मैं रहने की व्यवस्था करा सकता हूं बाकी खाना तुम्हें लखनऊ में जहां भी अच्छा लगे, जाकर खा लेना।
कह कर उसने मुझे घर की एक चाभी पकड़ाई और उन दोनों लड़कियों को विश करके ऑफिस चला गया।
उसके जाने के बाद हम तीनों ऊपर उस कमरे में पहुंचे जिसको आलोक दिखा कर गया। मेरे लिये एक कमरा था और एक कमरा उन दोनों लड़कियों के लिये था। मैं ड्राईव करके थक गया था, इसलिये मैंने अपने कपड़े उतारे और नंगा ही बेड पर लेट गया।
मुझे नंगा देखकर दोनों लड़कियां भी अपने कपड़े उतार कर मेरे बगल में लेट गयी और सब सो गए.
करीब एक डेढ़ घण्टे के बाद सोनी जागी, सबको जगा कर बोली- सर, भूख लग रही है।
हम तीनों थोड़ी देर बाद अपना अपना हुलिया को सही करते हुए बाहर खाना खाने के लिये निकल आये और एक होटल ढूंढ कर खाना खाने बैठ गये।
खाना खाते हुए मैंने दोनों को अच्छी तरह से समझा दिया कि आलोक पूछे तो क्या जवाब देना है।
खाना खाने से निबटने के बाद हम लोग वापस आलोक के घर आ गये। थोड़ी देर तक तो हम लोग लेट कर अपने टूटे हुए बदन को सही कर रहे थे।
अभी भी मुझे एनर्जी कम लग रही थी और दूसरा दोनों लड़कियां मेरे दोनों तरफ लेटी हुयी थी, फिर भी मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही थी, लेकिन दोनों में उर्जा समाहित हो चुकी थी, दोनों ने अपने अपने हाथ मेरी कैपरी के अन्दर डाल दिया और मेरी जांघों को सहलाने लगी।
शायद दोनों को ही मेरे झुके हुए हथियार से खेलना अच्छा लग रहा था, दोनों मेरे हथियार को पकड़ने की कोशिश कर रही थी।
सोनी, रेशमा बोली- क्या मुलायम है इनका लंड?
दोनों बड़ी ही बेदर्दी से मेरे लंड को मसले जा रही थी, यहां तक कि मेरे अंडों के साथ भी खेल रही थी और उसे भी दबा रही थी, जिसकी दर्द के वजह से मैं कराह जाता था।
तभी सोनी बोली- लेकिन है बड़ा हरामी! अभी मुलायम है लेकिन जब इसने मेरी चूत मारी थी तो थोड़ा भी रहम नहीं खाया था, खून तक निकाल लिया, लेकिन माना नहीं। पर हाँ एक बार जब इसकी दोस्ती मेरी चूत से हो गयी तो फिर इसने मेरी चूत को बहुत मजा दिया।
“हां यार, तभी तो मैं भी अपनी चूत को मजा दिलवाने के लिये यहां तक आयी हूँ। धीरे धीरे उनके सहलाने से व इस तरह की उतेजक बाते करने से मेरे लंड में जोश आने लगा और वो तनने लगा। दोनों एक साथ ही बोली- देखो इसको जोश आ रहा है!
इतना कहते हुए दोनों ने मेरी कैपरी उतार दी और मेरा लंड फुंफकार मारते हुए बाहर आ गया।
दोनों जल्दी से उठी और लपक कर मेरे लंड को पकड़ने लगी, दोनों के चूतड़ मेरी तरफ थे, मैं उनकी सलवार के ऊपर से ही उनके चूतड़ और चूत को सहलाने लगा, खुमारी अब सभी में बढ़ रही थी, दोनों ने अपनी सलवार के नाड़े को खोल दिया और बाकी का काम मैंने कर दिया, अब दोनों की नंगी गांड और चूत मेरे सामने थी। मेरे दोनों हाथ दोनों के दोनों ही छेदों में चल रहे थे, दोनों ही अपनी कमर को हिला हिला कर मजे ले भी रही थी।
इधर एक मेरे लंड को चूसता तो दूसरे की जीभ मेरे जांघ के आस पास की जगह को चाट रही होती।
कुछ देर तक तो ऐसा ही चलता रहा।
लेकिन पता नहीं मेरी जुबान को क्या हो रहा था कि चूत चाटने का नशा सा चढ़ा जा रहा था, मैंने रेशमा से कहा कि वो मेरे मुंह पर बैठे और सोनी से लंड को उसकी चूत में लेने के लिये बोला।
इस बीच दोनों ने अपने बाकी के कपड़े उतार लिये थे। रेशमा मेरे मुंह पर आ गयी मैं उसकी कमर को पकड़ कर उसकी चूत पर हौले हौले अपनी जीभ चलाने लगा। उधर सोनी भरपूर कोशिश कर रही थी कि मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने के लिये, लेकिन ले नहीं पा रही थी और बार बार लंड फिसल कर उसकी चूत के बाहर आ जा रहा था।
मैं समझ गया कि उसकी चूत अभी भी कसी हुयी है, मैंने रेशमा को अपने ऊपर से उतारा और सोनी को पलंग पर लेटा कर उसकी कमर के नीचे तकिया रख कर लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा, जल्दी ही मेरा लंड उसकी चूत में चला गया और अब उसको चोद रहा था.
रेशमा मुझे सोनी को चोदते हुए देख रही थी. कुछ एक धक्के लगाने के बाद ही सोनी की चूत ढीली हो गयी।
अब मैंने लंड को बाहर निकाला और फिर सीधा लेट गया, मुझे रेशमा की चूत चाटने में बड़ा मजा आ रहा था, इसलिये मैंने रेशमा से एक बार फिर मेरे मुंह पर आने को कहा और सोनी को लंड पर बैठने के लिये कहा.
रेशमा मेरे मुंह पर आकर बैठ गयी और सोनी भी मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने में सफल हो गयी थी। सोनी ने मेरे लंड को अपने अन्दर ले तो लिया था, लेकिन उछल कूद नहीं कर रही थी, मैंने हल्के से नीचे से धक्का लगाया, सोनी ने उसके बाद मेरे लंड को बार बार अपनी चूत से पूरा बाहर निकाल लेती और फिर अपने अन्दर ले लेती।
इस तरह काफी देर तक मैं रेशमा की चूत को चाटता रहा और सोनी मुझे चोदती रही।
जब रेशमा की चूत अच्छे से गीली हो गयी और उसने पानी छोड़ दिया, तब मैंने रेशमा और सोनी को अपने ऊपर से हटाया और रेशमा को लेटाते हुए बोला- थोड़ा तकलीफ होगी, अगर तुम बर्दाश्त कर लोगी तो फिर मजा ही मजा आयेगा।
इधर मैंने सोनी को भी हिदायत दी कि रेशमा के मम्में को अच्छे से मसलना और उसके निप्पल को भी अच्छे से मसलना और चाहे तो अपने मुंह में लेकर उसके मम्में को पीना।
सोनी मेरी बात को समझते हुए उसके निप्पल को चूसने लगी और रेशमा भी उसके मम्में को दबाने लगी।
इधर मैंने भी रेशमा के कमर के नीचे तकिया रख दिया, मैं रेशमा की टांगों के बीच आ गया। इधर सोनी भी उसकी चूचियों से खेल रही थी और बीच बीच में दोनों एक दूसरे के होंठों का रसपान कर रही थी।
हाथ रेशमा का भी चल रहा था, वो भी सोनी की चूचियों को मसल रही थी।
मैंने रेशमा की टांगों के बीच बैठ कर अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने में रखा। मुझे उसकी चूत की तपन का अहसास हो रहा था और इस तपन को जल्द से जल्द ठंड करने की आवश्यकता थी। अब मैं लंड को उसकी चूत के मुहाने को रगड़ रहा था और उसके छोटे से छेद को फैलाने को तत्पर था लेकिन मेरी तत्परता से क्या होना था, मुंह इतना छोटा था कि ताकत लगाना भी बेकार था। पर मैं लगातार अपने काम में प्रयासरत था।
इधर रेशमा भी मेरे प्रयास में साथ दे रही थी, जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत को टच करता, वो तुरन्त ही अपनी कमर को मेरा लंड अन्दर लेने के लिये उठा देती। पर हर बार लंड फिसल कर अलग हो जाता।
अब मेरा सब्र भी खत्म हो रहा था, मैंने अपना लंड उसकी चूत से सटाया और उसकी चूत को अपने हाथों से थोड़ा फैलाया और लंड को उसमें हल्के ताकत के साथ प्रवेश करा दिया। “आआआ आआहह आआअ…” की एक चीख मुझे सुनाई दी लेकिन मैंने उस चीख को अनसुना करते हुए अपने कार्य को जारी रखा और थोड़ा ताकत लगाकर लंड को अन्दर धकेलने का प्रयास कर रहा था.
हालाँकि मुझे भी लग रहा था कि मेरे लंड को कोई चाकू से छील रहा हो, बहुत तेज जलन हो रही थी।
मैं अपनी ताकत लगाता रहा और रेशमा की चीखें निकल रही थी। रेशमा की चीखों को सुन कर सोनी भी डर गयी और वो रेशमा से अलग हो गयी।
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