मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी - Mummy ki chut me aag jalne lagi
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चाचू ने अपना लंड बाहर निकला और ऋतु के चेहरे के सामने कर दिया। ऋतु ने बिना कुछ सोचे उन का रस से भीगा लंड मुंह में लिया और चूस चूस कर साफ़ करने लगी।
चाची भी मेरे लंड से उठी और खड़ी हो गयी, चाची की चूत में से हम दोनों का मिला जुला रस टपक रहा था। वो थोड़ा आगे हुई और मेरे पेट पर पूरा रस टपका दिया। फिर नीचे उतर कर मेरे लंड को मुंह में भरा और साफ़ कर दिया। फिर अपनी जीभ निकाल कर ऊपर आती चली गयी और मेरे पेट पर गिरा सारा रस समेट कर चाट गयी।
ऋतु ने भी अपनी चूत में उंगलियाँ डाली और चाचू का रस इकट्ठा कर के चाट गयी।
तभी दरवाजे की तरफ से आवाज आई- ये क्या हो रहा है?
हमने देखा तो नेहा वहां खड़ी थी अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लिए…
हम सभी की नजर दरवाजे पर खड़ी नेहा पर चिपक सी गयी। मैं, ऋतु, आरती चाची और अजय चाचू सब नंगे हुए एक दूसरे को चाट और चूस रहे थे और थोड़ी ही देर पहले हम सबने चुदाई भी की थी.. ना जाने कब से नेहा ये सब देख रही थी।
मेरी और ऋतु की तो कोई बात नहीं… पर चाचू और चाची की शक्ल देखने वाली थी, उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उनकी बेटी उन्हें ‘नंगे’ हाथों पकड़ लेगी।
मैंने गौर से देखा तो नेहा का ध्यान चाचू के लंड पर ही था और उस के चेहरे पर अजीब तरह के भाव थे।
मैं समझ गया और उठ खड़ा हुआ- देखो नेहा, तुमने तो वैसे भी अपने मम्मी पापा को हमारे मम्मी पापा के साथ नंगा देख ही लिया है उस शीशे वाली जगह से और आज हालात कुछ ऐसे हुए कि हमें चाचू चाची को अपने राज में शामिल करना पड़ा!
और फिर मैंने सारी बात विस्तार से बता दी नेहा को।
चाचू और चाची ने जब ये सुना कि नेहा ने भी उन्हें दूसरे कमरे में रंगरेलियां मनाते हुए देखा है तो वो थोड़ा शर्मिंदा हो गए। पर फिर उन्होंने सोचा की जब उसे पता चल ही गया है तो क्यों न उसे भी इसमें शामिल कर लिया जाए।
आरती चाची जानती थी कि नेहा अपने स्कूल में लड़कों को काफी लिफ्ट देती है और उसने कई बार नेहा को उस के रूम में एक साथ पढ़ाई कर रहे लड़कों के साथ चूमते चाटते भी देखा था। उन्होंने अजय चाचा की तरफ देखा और आँखों आँखों में कुछ इशारे करे।
फिर वो आगे आई और नेहा का हाथ पकड़ कर वही बेड पर बिठा लिया।
नेहा आँखें फाड़े हम सभी नंगे लोगों को देख रही थी। दरअसल उस का भी प्रोग्राम में दिल नहीं लग रहा था और जब वो वापिस आई तो उसने अपने मम्मी पापा को हमारे रूम में घुसते हुए देखा, वो भी पूरे नंगे… वो समझ गयी कि अन्दर क्या होने वाला है पर अपने मम्मी पापा के सामने वो एकदम से ये नहीं दर्शाना चाहती थी कि वो भी मेरे और ऋतु के साथ चुदाई के खेल में शामिल है, इसलिए उसने खिड़की से अन्दर का सारा प्रोग्राम देखा।
अपने पापा के द्वारा ऋतु की चुदाई करते देख कर उस की छोटी सी चूत में आग लग गयी थी और जब मैंने उस की माँ की चुदाई की तो उस के बर्दाश्त से बाहर हो गया और उसने वही खिड़की पर खड़े खड़े अपनी चूत में उंगलियाँ डाल कर उस की अग्नि को शांत किया… पर अन्दर के खेल को देख कर उस की चूत अभी भी खुजला रही थी। इसलिए उसने तय किया कि वो भी अन्दर जायेगी और इसमें शामिल हो जाएगी।
आरती चाची ने नेहा की टी शर्ट उतार दी। नेहा किसी बुत की तरह बैठी थी।
फिर ऋतु आगे आई और उसने उस की जींस के बटन खोल कर उसे भी नीचे कर दिया। अब नेहा सिर्फ पर्पल कलर की पेंटी और ब्रा में बैठी थी। उस का बाप यानी अजय चाचू तो उस के ब्रा में कैद मोटे मोटे और गोल चुचे देख कर अपनी पलकें झपकाना ही भूल गया… वो मुंह फाड़े अपनी कमसिन सी बेटी के अर्धनग्न जिस्म को निहार रहा था और अपनी जीभ अपने सूखे होंठों पर फिरा रहा था।
मैं एक कोने मैं बैठा सबकी हरकतें नोट कर रहा था।
चाची उठी और अपने चुचे को नेहा के होंठों से चिपका दिए, नेहा ने कुछ नहीं किया। शायद वो अभी भी दर्शाना चाह रही थी कि वो ये सब नहीं करना चाहती पर अन्दर ही अन्दर उस की चूत में ऐसी खुजली हो रही थी कि अपनी माँ को वही पटके और उस के मुंह में अपनी चूत से ऐसी रगड़ाई करे कि उस की सारी खुजली मिट जाए।
थोड़ी देर बाद उसने अपने होंठ खोले और अपनी आँखें बंद करके अपनी माँ का दूध पीने लगी। ऋतु ने उस की ब्रा खोल दी और नीचे से हाथ डाल कर उस की पेंटी भी उतार दी।
ब्रा के खुलते ही नेहा के दोनों पंछी आजाद हो गए। मैंने देखा उस के निप्प्ल्स एक दम खड़े हो चुके हैं और चूत से भी रस टपक कर चादर को गीला कर रहा है यानि वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी। अजय चाचू ने अपनी बेटी को नंगी देखा तो उनकी साँसें रुक सी गयी।
चाची ने इशारे से चाचू को आगे बुलाया, वो तो जैसे इसी इन्तजार में बैठे थे, वो लपक कर आगे आये और अपनी बेटी के दायें चुचे को अपने मुंह में भर कर लगे चूसने किसी बच्चे की तरह। उन्होंने उत्तेजना के मारे उस के दाने पर जोर से काट मारा।
नेहा चिल्लाई- आआआ आआह्ह्ह…. पाआआ… पाआआआ… स्स्सस्स सस्स्स… अयीईईई ईईईई…
नेहा ने अपने पापा के सर को किसी जंगली की तरह पकड़ा और उनकी आँखों में देख कर अपने थूक से गीले हुए होंठ उनसे भिड़ा दिए, नेहा के पापा के तो मजे आ गए। अपनी बेटी के इस जंगलीपन को देखकर चाचू का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया।
खड़ा तो मेरा भी हो गया था पर लगातार 3-4 बार झड़ने के बाद मैं अपने लंड को थोड़ा आराम देना चाहता था।
बाप बेटी एक दूसरे को ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई गेम चल रही हो और दोनों एक दूसरे से ज्यादा पॉइंट्स लेने के लिए ज्यादा चूसने वाली गेम खेल रहे हैं।
चाचू ने अपने हाथ नेहा की गोलाइयों पर टिका दिए और उन्हें मसलने लगे.
नेहा की सिसकारी निकलने लगी- आआह आआअह्ह दबाओ ऊऊऊ इन्हीईए.. पाआआ… पाआआ…
आरती चाची ने अपनी बेटी नेहा को बेड पर लिटा दिया और उस की रस टपकती चूत पर हमला बोल दिया। ऋतु ने भी अपनी चाची का साथ दिया और वो दोनों नेहा की चूत के दोनों तरफ आधे लेट गई और बारी बारी से नेहा की चूत चाटने लगी।
ऊपर चाचू अपनी जवान सेक्सी बेटी के मुंह के अन्दर घुसे हुए उस का रसपान कर रहे थे। उन्होंने किस तोड़ी और थोड़ा नीचे खिसक कर अपने होंठ से नेहा के चुचे चूसने लगे। नेहा बेटी ने हाथ बड़ा कर अपने पापा का लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे आगे पीछे करने लगी, फिर उसने लंड को थोड़ा और खींच कर अपने मुंह के पास खींच लिया।
चाचू समझ गए और अपना चेहरा उस की चूत की तरफ घुमा कर उस के मुंह पर बैठ गए और नेहा ने अपने पापा का लंड अपने कोमल मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
चाचू का चेहरा देखने लायक था, उनके आनंद की कोई सीमा नहीं थी। आज अपनी भाभी से और फिर अपनी भतीजी से चुसवाने के बाद अब वो अपना लंड अपनी ही बेटी के मुंह में डाले मजे ले रहे थे।
चाचू थोड़ा झुके और ऋतु और आरती को हटा कर अपना मुंह अपनी बेटी की चूत पर रख कर चाटने लगे उस की रसीली चूत को। बीच बीच में वो सांस लेने के लिए ऊपर आते और ये मौका ऋतु और आरती ले लेती और उस की चूत चाटने लगती।
कुल मिला कर नेहा की चूत तीन लोग चाट रहे थे और वो अपने पापा का लंड चूस रही थी।
चाचू जब झड़ने वाले थे तो उन्होंने एकदम से अपना लंड नेहा के मुख से निकाल लिया और वापिस ऊपर आ कर उस को चूमने लगे। नेहा से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, उसने अपने पापा को धक्का दिया और उछल कर उन के ऊपर बैठ गयी।
अजय चाचू का फड़कता हुआ लंड नेहा की चूत के नीचे था। नेहा ने अपने पापा के दोनों हाथों में अपनी उंगलियाँ फंसाई और अपनी गांड और अपना सर नीचे झुका दिया। उस के होंठ अपने पापा के होंठों से जुड़े थे और चूत उनके लंड से।
पीछे से आरती चाची ने अपने पति का लंड पकड़ा और अपनी बेटी की चूत में फंसा दिया और उसे नीचे की तरफ दबा दिया। नेहा की कसी चूत में उस के पापा का लंड उतरता चला गया।
“आआ आआअ आआआह्ह…. आआस्स… आआअह्ह्ह… पाआआ… पाआआ… म्म्म्म म्म्म्म म्म…” नेहा ने थोड़ा ऊपर होकर लम्बी सिसकारी निकाली… और अपने चुचे को अजय चाचू के मुंह में ठूँस दिया।
अब चाचू का पूरा लंड उनकी बेटी की चूत के अन्दर था।
नेहा ने उछलना शुरू किया और चाचू का लंड अपनी चूत में अन्दर बाहर करने लगी। चाची और ऋतु नीचे बैठी बड़े गौर से इस चुदाई को देख रही थी। चाची ने हाथ आगे करके अपनी उंगलियाँ ऋतु की चूत में डाल दी और ऋतु ने आरती चाची की चूत में। फिर उन्होंने अपनी टाँगें एक दूसरे में ऐसी फंसाई कि दोनों की चूत आपस में रगड़ खाने लगी और उन्होंने बैठे बैठे ही एक दूसरी की चूत को अपनी चूत से रगड़ना शुरू कर दिया।
“आआम्म आआह… अह्ह्ह ह्ह्ह्हह… अहहहः… आहाहाहा.. हा.. हा हा.. हा.. अहा.. हह्ह्ह.. म्मम्म…” ऋतु और चाची अजीब तरह से हुंकार रही थी।
पूरे कमरे में सेक्स का नया दौर शुरू हो चुका था। मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो चुका था पर इतनी चुदाई के कारण वो दर्द भी कर रहा था इसलिए मैंने दूर बैठे रहना ही उचित समझा।
चाचू ने नेहा के गोल चूतड़ों को पकड़ा और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए। नेहा की सिसकारियां चीखों में बदल गयी और जल्दी ही वो झड़ने लगी- आआआअह्ह… अह्ह्ह.. अहः अहः अ अहः अ आहा हा… हा… पपाआआआ… मैं… आयीईईईइ… ऊऊओ… ऊऊऊ… ऊऊऊऊ… आआआह्ह.. और उसने अपने रस से पापा के लंड को नहला दिया और अपने मोटे मोटे चूचों को उनके मुंह पर दबा कर वही निढाल हो कर गिर पड़ी।
चाचू ने उसे नीचे उतारा और उस की टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया और अपना लंड उस की चूत में फिर से डाल दिया और धक्के देने लगे। चाचू का भी तीसरा मौका था इसलिए झड़ने में काफी समय लग रहा था। पर जल्दी ही अपने नीचे पड़ी अपनी बेटी के मोटे मोटे मम्मे हिलते देख कर वो भी झड़ने लगे और अपना रस उस की चूत के अन्दर उड़ेल दिया वो अपनी बेटी की चूत में झड़ गये, और उस की छाती के ऊपर गिर कर हांफने लगे।
नेहा ने उनके चारों तरफ अपनी टाँगें लपेट ली और सर पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगी।
चाची और ऋतु की चूत भी आपसी घर्षण की वजह से जल उठी और उन का लावा भी निकल पड़ा और उन्होंने झड़ते हुए एक दूसरी को चूम लिया।
मैं ये सब देख कर बेड के एक कोने में बैठा मुस्कुरा रहा था।
थोड़ी देर लेटने के बाद चाचू और चाची चले गए। उन के जाते ही ऋतु और नेहा ने एक दूसरे की चूत चाट कर साफ़ कर दी और हम तीनों वही नंगे लेट गए।
दूसरे कमरे में जाकर चाची ने शीशा हटा कर देखा और अपनी नंगी बेटी को मेरी बगल में लेटते हुए देख कर वो मुस्कुरा दी। अगले दिन सुबह हम तीनों, यानि मैं, ऋतु और नेहा नाश्ता करने के बाद पहाड़ी की तरफ चल दिए। ऋतु आगे चल रही थी। वो वही कल वाली जगह पर जा रही थी, उस ऊँची चट्टान पर।
मैं और नेहा उसके पीछे थे। नेहा ने अपने हाथ मेरी कमर पर लपेट रखे थे और मैंने उसकी कमर पर। बीच बीच में हम एक दूसरे को किस भी कर लेते थे। बड़ा ही सुहाना मौसम था, आज धूप भी निकली हुई थी।
नेहा थोड़ा थक गयी और सुस्ताने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गयी। मैं भी उसके साथ बैठ गया। ऋतु आगे निकल गयी और हमारी आँखों से ओझल हो गयी।
नेहा ने अपने होंठ मेरी तरफ बढ़ा दिए और मैं उन्हें चूसने लगा। मैंने हाथ बड़ा कर उसके सेब अपने हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा। उसे बहुत मजा आ रहा था।
मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था, पर तभी मेरा ध्यान ऋतु की तरफ गया और मैं जल्दी से खड़ा हुआ और नेहा को चलने को कहा। क्योंकि वो जंगली इलाका था और मुझे अपनी बहन की चिंता हो रही थी।
हम जल्दी जल्दी चलते हुए चट्टान के पास पहुंचे और वहां देखा तो ऋतु अपने उसी पोज में बैठी थी अपने कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी।
ऋतु ने हमसे शिकायती लहजे से पूछा- तुम क्या रास्ते में ही शुरू हो गए थे, इतनी देर क्यों लगा दी?
नेहा ने जब देखा कि ऋतु नंगी है तो उसने भी अपनी लोन्ग फ्रोक को नीचे से पकड़ा और अपने सर से उठा कर उसे उतार दिया। वो नीचे से बिल्कुल नंगी थी और वो भी जाकर अपनी बहन के साथ चट्टान पर लेट गयी।
अब मेरे सामने दो हंसती खेलती नंगी जवान लड़कियां बैठी थी, मेरा लंड मचल उठा और मैंने भी अपने कपड़े बिजली की फुर्ती से उतार डाले।
नेहा ने मेरा लंड देखा तो उसकी आँखों में एक चमक सी आ गयी, वो आगे बड़ी तभी ऋतु ने उसे पीछे करते हुए कहा- चल कुतिया पीछे हो जा, पहले मैं चूसूंगी अपने भाई का लंड!
नेहा को विश्वास नहीं हुआ कि ऋतु ने उसे गाली दी। पर जब हम दोनों को मुस्कुराते हुए देखा तो वो समझ गयी कि आज गाली देकर चुदाई करनी है… तो वो भी चिल्लाई- तू हट हरामजादी, अपने भाई का लंड चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आती… कमीनी कहीं की…
और उसने ऋतु के बाल हल्के से पकड़ कर पीछे किया और झुक कर मेरे लम्बे लंड को मुंह में भर लिया।
ठन्डे मौसम में मेरा लंड उसके गर्म मुंह में जाते ही मैं सिहर उठा।
ऋतु- अच्छा तो तू इसे चूसना चाहती है, ठहर मैं तुझे बताती हूँ…
और ये कहते ही उसने नेहा की गांड को थोड़ा ऊपर उठाया और अपनी जीभ रख दी उसके गांड के छेद पर!
नेहा चिल्ला उठी… और इतने में ऋतु ने एक जोरदार हाथ उसके गोल चूतड़ पर दे मारा… और अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद में डाल दी.
“आआ आआह्ह्ह्ह… नहीईई ईईईईईई… वहान्न्न न्न्न्न.. नहीईई ईईई… ”
पर ऋतु ने नहीं सुना और अपनी छोटी बहन की गांड में दूसरी उंगली भी घुसेड़ दी… उसकी आँखें बाहर निकल आई पर उसने मेरा लंड चूसना नहीं छोड़ा।
उन दोनो की लड़ाई में मेरे लंड का बुरा हाल था क्योंकि अपने ऊपर हुए हमले का बदला नेहा मेरे लंड को उतनी ही जोर से चूस कर और काट कर ले रही थी।
मैंने नेहा के बाल वहशी तरीके से पकड़े और उसका चेहरा ऊपर करके उसके होंठ काट डाले।
वो दर्द से बिलबिला उठी- छोड़… कुत्ते… आआआ आयीईईईई… भेन चोद… भूतनी के… आआआआआह…
वो चिल्लाती जा रही थी क्योंकि उसकी गांड में ऋतु की उंगलियाँ थी जिससे उसकी गांड फट रही थी और ऊपर से मैं उसके होंठ काट काट कर उसकी फाड़ रहा था।
नेहा के मुंह से लार गिर रही थी और उसके पेट पर गिर कर उसे चिकना बना रही थी। अचानक ऋतु ने अपने दूसरे हाथ को आगे बढ़ा कर मेरी गांड में एक उंगली डाल दी। मेरे तन बदन में बिजली दौड़ गयी। मैं उछल पड़ा, पर मैंने नेहा को चूसना नहीं छोड़ा।
मैंने अपनी बलशाली भुजाओं का प्रयोग किया और नेहा को किसी बच्चे की तरह उसकी जांघों से पकड़ कर ऊपर उठा लिया और उसने अपनी टाँगें मेरे मुंह के दोनों तरफ रख दी और अपनी चूत का द्वार मेरे मुंह पर टिका दिया।
ऋतु ने चूस कर उसकी चूत को काफी गीला कर दिया था। मेरे मुंह में उसका रस और ऋतु के मुंह की लार आई और मैं सपड़ सपड़ करके उसे चाटने लगा। नेहा ने मेरे बालों को जोर से पकड़ रखा था और मैं चट्टान पर अपनी गांड टिकाये जमीन पर खड़ा था। नेहा मेरे मुंह पर चूत टिकाये चट्टान पर हवा में खड़ी थी और ऋतु नीचे जमीन पर किसी कुतिया की तरह अब मेरे गांड के छेद को चाट रही थी।
पूरी वादियों में हम तीनों की सिसकारियां गूंज रही थी। मैंने अपना हाथ पीछे करके नेहा की गांड पर रख दिया और उसकी गांड के छेद में एक साथ दो उंगलियाँ घुसा दी। अब उसे भी अपनी गांड के छेद के द्वारा मजा आ रहा था।
पिछले दो दिनों में वो मुझ से और अपने बाप से चुद चुकी थी… पर आज उसके मन में गांड मरवाने का भी विचार आने लगा।
अपनी गांड में हुए उत्तेजक हमले और चूत पर मेरे दांतों के प्रहार से नेहा और भड़क उठी और वो अपनी चूत को ओर तेजी से मेरे मुंह पर घिसने लगी और झड़ने लगी- आआहह आआआअह्ह्ह… ले कुत्ते… भेन के लोड़े… पी जा मेरा रस… आआह्ह…
उसकी चूत आज काफी पानी छोड़ रही थी। मेरे मुंह से निकल कर नेहा की चूत के पानी की बूंदें नीचे गिर रही थी और वहां बैठी हमारी कुतिया ऋतु अपना मुंह ऊपर फाड़े उसे कैच करने में लगी हुई थी।
झड़ने के बाद नेहा मेरे मुंह से नीचे उतर आई और चट्टान पर अपनी टाँगें चौड़ी करके बैठ गयी। मैंने अपना फड़कता हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा ही था कि उसने मुझे रोक दिया और बोली- बहन चोद, आज मेरी गांड में डाल…
मैंने हैरानी से उसकी आँखों में देखा और उसने आश्वासन के साथ मुझे फिर कहा- हां… बाबा… चलो मेरी गांड मारो… प्लीज…
मैंने अपनी वही पुरानी तरकीब अपनाई ओर एक तेज झटका मारकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया.
वो चिल्लाई- अबे… भेन चोद… समझ नहीं आती क्या… गांड मार मेरी… चूत नहीं कुत्ते…
पर मैं नहीं रुका और उसकी चूत में अपना लंड अन्दर तक पेल दिया ओर तेजी से झटके मारने लगा।
अब मेरा लंड नेहा की चूत के रस से अच्छी तरह सराबोर हो चुका था, मैंने अपना लण्ड निकाला… नेहा की आँखों में विस्मय के भाव थे कि मैंने उसकी चूत में से अपना डंडा क्यों निकाल लिया। मैंने उसे उल्टी लेटने को कहा, कुतिया वाले पोज में। वो समझ गयी और अपनी मोटी गांड उठा कर चट्टान पर अपना सर टिका दिया।
ऋतु जो अब तक खामोश बैठी अपनी चूत में उँगलियाँ चला रही थी, उछल कर चट्टान पर चढ़ गयी और अपनी टाँगें फैला कर नेहा के मुंह के नीचे लेट गयी। नेहा समझ गयी और अपना मुंह उसकी नर्म और गर्म चूत पर रख दिया और चाटने लगी।
ऋतु ने अपनी आँखें बंद कर ली ओर चटवाने के मजे लेने लगी। वो नेहा के सर को अपनी चूत पर तेजी से दबा रही थी- चाट कुतिया… मेरी चूत से सारा पानी चाट ले… आआहह आआअह्ह… भेन चोद… हरामजादी… चूस मेरी चूत को… आआआह्ह्ह्ह!
नेहा ने उसकी चूत को खोल कर उसकी क्लिट को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। ऋतु तो पागल ही हो गयी- ओह.. ओह.. ओह.. ओह.. ओ.. ओह.. ओह.. ओह.. अह.. अह.. अह.. अह.. अह.. अह.. अह…
वो बुदबुदाये जा रही थी और चुसवाती जा रही थी।
पीछे से मैंने नेहा की गांड की बनावट देखी तो देखता ही रह गया। उसके उठे हुए कूल्हे किसी बड़े से गुब्बारे से बने दिल की आकृति सा लग रहा था। मैंने उसे प्यार से सहलाया और अपने एक हाथ से उसे दबाने लगा।
नेहा ने ऋतु की चूत चाटना छोड़ा और पीछे सर करके बोली- अबे भेन चोद… क्या अपना लंड हिला रहा है पीछे खड़ा हुआ… कमीने, मेरी गांड मसलना छोड़ और डाल दे अपना हथियार मेरी कुंवारी गांड में… डाल कुत्ते…
वो लगभग चिल्ला ही रही थी।
मैंने अपना लंड थूक से गीला किया और उसकी गांड के छेद पर टिकाया, थोड़ा सा धक्का मारा- अयीईईई… मर… गयीईई… अह्ह्ह ह्ह्ह्ह… नहींईईईईइ…
मेरे लंड का टॉप उसकी गांड के रिंग में फंस गया था।
मैंने आगे बढ़ कर अपने लंड को निशाना बनाकर थूका… जो सही निशाने पर लगी, लंड गीला हो गया। मैंने एक और धक्का मारा- आआआ आआआ आआअह्ह्ह…
मेरी चचेरी बहन की ये चीख काफी लम्बी थी… उसने अपने दांत ऋतु की चूत में गाड़ दिए।
ऋतु भी बिलबिला उठी- हटट… कुतियाआ… अपनी गांड फटने का बदला मेरी चूत से ले रही है… आआआ आआह्ह्ह्ह… धीरे चाट… नहीं तो तेरी चूत में लकड़ी का तना डाल दूंगी…
ऋतु ने नेहा को धमकी दी।
मेरा लंड आधा उसकी गांड में घुस चुका था… मैंने उसे निकाला और थोड़ी और थूक लगाकर फिर से अन्दर डाला। अब मैं सिर्फ आधा लंड ही डाल रहा था। नेहा भी अपनी गांड धीरे धीरे मटका कर घुमाने लगी। मैं समझ गया की उसे भी मजा आ रहा है।
नेहा की गांड मोटी होने के साथ साथ काफी टाईट भी थी। आठ दस धक्के लगाने के बाद मैंने फिर से आगे की तरफ झटका मारा… तो नेहा फिर से चिल्लाई- माँ के लौड़े… तेरी माँ की चूत… भोंसड़ी के… कमीने… कुते… फाड़ डाली मेरी गांड… आआ आआह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह…
वो चिल्लाती जा रही थी और अपनी गांड मटकाए जा रही थी, मैं समझ नहीं पा रहा था कि उसे मजा आ रहा है या दर्द हो रहा है।
उधर ऋतु का बुरा हाल था, चटवाने से पहले उसे बड़े जोर से पेशाब आ रहा था पर चटवाने के लालच में वो कर नहीं पायी थी। अब जब नेहा उसकी चूत का ताना बाना अलग कर रही थी तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपने तेज पेशाब की धार सीधे नेहा के मुंह में दे मारी।
पहले तो नेहा को लगा कि ऋतु झड़ गयी है पर जब पेशाब की बदबू उसके नथुनों में समायी तो उसने झटके से अपना मुंह पीछे किया और ऋतु की चूत पर थूक दिया।
ऋतु की चूत का फव्वारा बड़ी तेजी से उछला और नेहा के सर के ऊपर से होता हुआ नेहा की पीठ पर गिरा। मेरे सामने ऋतु अपनी चूत खोले अपने पेशाब से नेहा की कमर भिगो रही थी। नेहा की कमर से होता हुआ ऋतु का पेशाब, मेरे गांड मारते लंड तक फिसल कर आ गया और उसे और लसीला बना दिया और मैं और तेजी से नेहा की गांड मारने लगा।
नेहा ने अपना मुंह तो हटा लिया था पर उसके गले से कुछ बूँदें उसके पेट में भी चली गयी थी। उसका स्वाद थोड़ा कसैला था.. पर उसे पसंद आया। आज नेहा किसी जंगली की तरह बर्ताव कर रही थी। उसने उसी जंगलीपन के आवेश में अपना मुंह वापिस बारिश कर रहे फव्वारे पर टिका दिया और जलपान करने लगी।
ऋतु ने जब देखा कि उसकी बहन उसका पेशाब पी रही है तो वो और तेजी से झटके दे देकर अपनी चूत नेहा के मुंह में धकेलने लगी। मेरा लंड भी अब काफी गीला हो चुका था… थूक, पेशाब और नेहा की चूत के रस में डूब कर… मेरा लौड़ा किसी पिस्टन की तरह नेहा की गांड में अन्दर बाहर हो रहा था। नेहा की गांड का कसाव मेरे लंड पर हावी हो रहा था।
मेरे लंड ने जवाब दे दिया और उसने नेहा की गांड में उल्टी कर दी।
नेहा ने भी अपनी गांड में गर्म वाला महसूस करते ही झड़ना शुरू कर दिया और वहां ऋतु की चूत ने भी जवाब दे दिया और वो भी रस टपकाने लगी।
नेहा ने अपनी गांड से मेरा लंड निकाला और अपना मुंह ऋतु की चूत की तरफ घुमा कर अपनी गांड उसके मुंह पर टिका दी। ऋतु उसकी गांड से बहते हुए मेरे लावे को चाटने लगी और अपना रस नेहा को चटवाने लगी।
मैं जमीन पर खड़ा हुआ अपने मुरझाते हुए लंड को देख रहा था और उन दोनों कुतियों को एक दूसरे की चूत चाटते हुए देख रहा था।
सारी चुदाई की कथा ख़त्म होने के बाद हम तीनों ने अपने कपड़े पहने और नीचे की तरफ चल दिए। नेहा थोड़ा धीरे चल रही थी… चले भी क्यों न… मेरी बहन की गांड जो फट गयी थी आज!
हम को काफी समय हो गया था, हम भागते हुए अपने केबिन पहुंचे तो हमारे मम्मी पापा नंगे अजय चाचू के कमरे से निकल रहे थे। हम दोनों को सामने पाकर वो दोनों ठिठक कर वहीं खड़े हो गए।
हमें सामने पाकर पापा ने अपने लण्ड को हाथों से छुपा लिया औऱ मम्मी भी अपने बदन को ढकने के लिए अपने छोटे से हाथो का सहारा ले रही थी पर उनसे कुछ छुप नहीं पा रहा था।
हड़बड़ाहट में मम्मी ने हम से पूछा- तुम इतनी देर तक कहाँ थे?? क्या करके आ रहे हो??
वो पूरी नंगी हमारे सामने खड़ी थी इसलिए थोड़ा शर्मा भी रही थी अपनी हालत पर।
ऋतु ने अपने पापा के आधे खड़े हुए लंड को घूरते हुए कहा- हम सब बस घूम कर आ रहे हैं।
मैंने मम्मी की तरफ देखते हुए पूछा- क्या आप दोनों चाचू के कमरे से आ रहे हैं?
मम्मी ने हड़बड़ा कर कहा- ह्म्म्म… हम उन्हें गुड नाइट बोलने गए थे… उनके निप्प्ल्स तन कर खड़े हो चुके थे।
मैंने कहा- ठीक है… गुड नाइट.
और हम सब अपने कमरे में चले गए।
अन्दर जाते हुए हम तीनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकी। हम जानते थे कि हमने मम्मी पापा को रंगे हाथों पकड़ लिया है, उनकी शक्ल देखते ही बनती थी।
अन्दर आकर नेहा सीधे बाथरूम में चली गयी, ऋतु ने भी अपने कपड़े बड़ी फुर्ती से उतार फैंके और बेड पर जाकर लेट गयी।
दूसरे कमरे में चाचू और चाची ने जब हमारी बात सुनी और बाद में हमें अन्दर आते देखा तो उन्होंने शीशे वाली जगह से अन्दर झाँका और ऋतु को नंगी लेटे देखकर चाचू का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और वो उसे सहलाने लगे।
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार डाले और बेड पर कूद कर ऋतु की रसीली रसमलाई जैसी चूत पर मुंह टिका दिया। ऋतु ने अपने चूतड़ ऊपर हवा में उठा दिए और मेरे मुंह में अपनी चूत से ठोकरें मारने लगी।
दूसरे कमरे में आरती चाची ने मेरा लंड मेरी टांगों के बीच से लटकता हुआ देखा तो उनसे सहन नहीं हुआ और वो दोनों नंगे ही अपने कमरे से निकल कर हमारे कमरे में आ गए। चाची ने आते ही मेरी टांगो के बीच लेटकर मेरे लटकते हुए खीरे को अपने मुंह में भर लिया। मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी… “आआआ आअह्ह्ह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह…”
चाचू भी अपना फड़कता हुआ लंड लेकर आगे आये और मेरे सामने लेटी हुई ऋतु के मुंह के पास जाकर उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया। ऋतु ने उसे भूखी शेरनी की तरह लपका और उसका रस चुसना शुरू कर दिया।
चाची बड़ी आतुरता से मेरा लंड चूस रही थी। उनके और ऋतु के मुंह से सपड़ सपड़ की आवाजें आ रही थी। तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और नेहा अन्दर आ गयी। वो अन्दर का नजारा देखकर बोली- मुझे तुम लोग वहां छोड़ कर यहाँ मजे ले रहे हो..
ये कह कर उसने भी अपने कपड़े उतारे और कूद गयी वो भी बेड पर।
नेहा भी ऊपर आकर अपने पापा के पास गयी और अपने नन्हे होंठों से उनके मोटे मोटे होंठ चूसने लगी। चाचू ने हाथ आगे करके अपनी बेटी के मोटे मोटे चुचे थाम लिए और उन्हें जोर से दबा डाला।
नेहा चाचू के आगे आ कर ऋतु के मुंह के ऊपर जाकर बैठ गयी। ऋतु ने चाचू का लंड चुसना छोड़ दिया और नेहा की चूत को चाटने लगी। चाचू का लंड अब नेहा के पेट से टकरा रहा था। नेहा काफी उत्तेजित हो गई थी और उससे सहन नहीं हुआ और उसने अपने पापा का लंड पकड़ कर अपनी रस उगलती चूत पर टिका दिया और उसे अन्दर समाती चली गयी.
“आआ आआआईईईई ईईईई… पपाआआ आआ…”
नीचे लेटी ऋतु ने इस काम को बड़ी खूबी से अंजाम दिया… लंड को चूत में धकेलने के लिए।
ऋतु अब नेहा की गांड के छेद को चूस रही थी। उधर अपने कमरे में जाने के बाद मम्मी को इस बात की बड़ी चिंता हो रही थी की आज वो चाचू के कमरे से नंगे बाहर निकलते हुए पकडे गए।
मम्मी इस बात को चाचू को भी बताना चाहती थी ताकि अगर हम उनसे भी पूछें हमारे मम्मी पापा रात के समय नंगे उनके कमरे से क्यों निकल रहे थे तो वो भी वो ही जवाब दें जो मम्मी ने दिया था।
यह सोच कर मम्मी अपने कमरे से निकली और चाचू के कमरे में चली गयी। वहां जाकर उन्होंने देखा कि कमरा तो बिल्कुल खाली था। तभी उनकी नजर दीवार पर गयी, शीशा नीचे पड़ा हुआ था और उस जगह एक बड़ा सा छेद था।
मम्मी आगे गयी और अन्दर झाँका। वहां का नजारा देखकर पूर्णिमा मैडम यानि मेरी माम के दिमाग के परखच्चे उड़ गए। उनका बेटा नंगा अपनी सगी बहन की चूत चाट रहा था और नीचे लेटी उनकी देवरानी उनके बेटे का लंड चूस रही थी और ऊपर उनका देवर अपनी ही बेटी को चोद रहा था और नीचे से उनकी बेटी नेहा अपनी जीभ से अपनी बहन ऋतु की गांड चाट रही थी।
उनकी आँखें घूम गयी ये सब देख कर।
मम्मी जल्दी से भाग कर वापिस गयी और अपने कमरे से पापा को बुला कर लायी। तब तक मैं अपने लण्ड को ऋतु की चूत में डाल कर चुदाई करने लगा था। मम्मी ने शीशे वाली जगह से पापा को अन्दर देखने को कहा।
जब पापा ने अन्दर का नजारा देखा तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी। उनका छोटा भाई अपनी बेटी को चोद रहा था और उनका बेटा अपनी सगी बहन की चुदाई कर रहा था। ये देखकर वो आग बबूला हो गए और मम्मी को साथ लेकर वो दनदनाते हुए हमारे कमरे में आये और चिल्लाये- ये सब हो क्या रहा है!?!
पापा की आवाज सुन कर मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो मैं स्तब्ध रह गया। पर मेरा लंड जो झटके मार मार कर अपनी बहन को चोद रहा था, वो नहीं रुका। मैंने धक्के देते हुए हैरानी से उनकी तरफ देखा और बोला- मम्मी.. पापा.. आप..?
उधर नेहा की चूत में उसके पापा का लंड अपनी आखिरी साँसें ले रहा था, चाचू से सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपना रस अपनी बेटी की चूत में उगलना शुरू कर दिया। नेहा ने भी आँखें बंद करके अपने पापा के गले में अपनी बाहें डाल कर एक लम्बी चीख मारी- आआआआ अयीईईईइ… पपाआआ आआआ…
और वो भी झड़ने लगी। उनका मिला जुला रस नीचे लेटी ऋतु बड़े चटखारे ले ले कर पी रही थी।
ऋतु को मालूम तो चल गया था कि उसके मम्मी पापा कमरे में आ गए हैं पर अपनी चूत में अपने भाई के लंड के धक्के और अपने मुंह पर बरसते गर्म रस का मजा लेने से उसे कोई नहीं रोक सका।
ऋतु ने भी अपनी उखड़ी साँसों से उन्हें देखा और पूछा- मोम… डैड… आप यहाँ क्या कर रहे हैं?
मम्मी ने मेरी तरफ घूरकर देखते हुए कहा- रोहण… क्या तुम ये करना बंद करोगे?
वो एक तरह से मुझे अपनी बहन की चूत मारने से रोक रही थी।
मैं अपने आखिरी पलों में था, मैंने जैसे ही अपना लंड बाहर निकाला उसका विकराल रूप जो मेरी बहन की चूत के रंग में डूब कर गीला हो चुका था और उस पर चमकती नसे देख कर मेरी माँ की आँखें फटी की फटी रह गयी।
मेरे लंड ने बाहर निकलते ही झड़ना शुरू कर दिया और मेरी पिचकारी सीधे ऋतु की खुली हुई चूत से जा टकराई। चाची जल्दी से आगे आई और मेरे लंड पर अपना मुंह टिका दिया और मेरा सारा रस पी गयी।
चाची ने फिर ऋतु की चूत के ऊपर अपना मुंह टिकाया और वहां से भी मलाई इकट्ठी करके खा गयी और मेरी माँ की तरफ देखकर बोली- भाभी, आपके बच्चे बड़े टेस्टी हैं।
मम्मी ने चाची को डांटते हुए कहा- आरती… तुम ये सब कैसे कर सकती हो?
चाची ने सपाट लहजे में कहा- हमें तो इन्होंने ही बुलाया था।
मेरी माँ का मुंह खुला का खुला रह गया- क्या???
और फिर चाची ने सारी कहानी हमारे मम्मी पापा को सुना दी। वो अपना मुंह फाड़े सब बातें सुन रहे थे। उन्होंने ये भी बताया कि हम दोनों उनके कमरे में देखते हैं और हमें उनके बारे में सब पता है कि कैसे वो चारों लोग ग्रुप सेक्स करते हैं।
मम्मी-पापा ये सारी बात सुन कर शर्मिंदा हो गए पर फिर भी मम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- तुम दोनों ने ये सब क्यों किया??
मैंने मम्मी को सीधे शब्दों में बताया- हम भी आपके और पापा की तरह बनना चाहते थे। जब हमने देखा कि आप और पापा, चाचू और चाची के साथ मिल कर सेक्स कर रहे हो और एन्जॉय भी कर रहे हो तो हमने भी ठान लिया की हम भी ये करेंगे। हमने यहाँ और लोगों को भी ग्रुप सेक्स करते देखा है और वो सब भी खूब एन्जॉय करते हैं।
मम्मी ने मुझसे रुंधी आवाज में कहा- लेकिन तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए।
अब ऋतु भी मेरे पक्ष में बोल पड़ी- क्यों नहीं करना चाहिए… मेरी चूत में हर तरह का लंड चला जाता है और मुझे उन्हें चूसने में भी मजा आता है… तो फिर ये सब क्यों नहीं करना चाहिए?
मम्मी ने फिर से कहा- पर ये सब गलत है, भाई बहन को आपस में ये सब नहीं करना चाहिए।
ऋतु ने अपने शब्दों को पीसते हुए मम्मी से कहा- अच्छा… तो आप लोग जो करते हो वो गलत नहीं है क्या??
चाची जो बड़े देर से ये सब देख रही थी, वो मम्मी की तरफ हँसते हुए बोली- देखो भाभी, ये जो कह रहे हैं, वो सही है। हम लोग भी कहाँ रिश्तेदारी का ख्याल रखते हैं। हमें भी तो सिर्फ सेक्स करने में मजा आता है, अगर ये भी वो ही कर रहे है तो बुरा क्या है।
मम्मी ने फिर से कहा- पर ये हमारे बच्चे हैं।
अब की बार चाचू ने कहा- हाँ हैं… और तभी इनके साथ ये सब करने में कुछ ज्यादा ही मजा आता है.
और उन्होंने अपनी बाँहों में पकड़ी नंगी नेहा को अपने सीने से दबा दिया और आगे बोले- और मुझे लगता है… कि आपको भी एक बार ये सब करना चाहिए।
मम्मी ने अपने सर को एक झटका दिया और कहा- मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। मैं सोने जा रही हूँ, इस बारे में कल बात करेंगे।
चाची ने उनसे कहा- ठीक है बाय…
मम्मी ने हैरानी से पूछा- बाय का क्या मतलब है… तुम लोग नहीं जा रहे क्या अपने कमरे में?
चाची- नहीं, अभी मुझे कुछ और भी काम है.
और चाची ने हाथ बढाकर मेरे लंड को थाम लिया और दूसरे हाथ से अपनी चूत मसलने लगी।
मम्मी चिल्लाई- आरती… बंद करो ये सब!
चाचू आगे आये और मम्मी का हाथ पकड़ कर बेड पर बिठा दिया और कहा- अरे भाभी, आप यहाँ आओ और थोड़ा आराम करो.
चाचू का झूलता हुआ लंड मम्मी की आँखों के सामने लटक रहा था।
चाचू ने मम्मी का मुंह पकड़ा और अपना लंड उनके मुंह में ठूस दिया और उन्हें नीचे धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और खुद उनकी छाती पर चढ़ बैठे।
चाचू ने मम्मी की आँखों में देख कर कहा- अब चुपचाप लेटी रहो और मेरा लंड चूसो भाभी!
और आरती की तरफ देख कर बोले- डार्लिंग… मेरी थोड़ी मदद करो न…
चाची- हाँ… हाँ… क्यों नहीं..
और चाची अपनी जगह से उठी और बेड के किनारे आकर मम्मी के गाउन को खींच कर बीच में से खोल दिया। मम्मी ने नीचे कुछ नहीं पहना था और चाची ने उनकी मोटी जांघें पकड़ कर उनकी रसीली चूत पर अपना मुंह रख दिया।
मम्मी के मुंह में चाचू का लंड था पर फिर भी उनके मुंह से घुटी हुई सी सिसकारी निकल गयी- आआआ आअह्ह्ह्ह…
चाचू का लम्बा लंड मम्मी के मुंह में किसी पिस्टन की तरह आ जा रहा था। नीचे बैठी चाची भी अपनी लम्बी जीभ के झाड़ू से मम्मी की चूत की सफाई करने में लगी हुई थी। चाचू ने मम्मी के ऊपर बैठे हुए उनके गाउन के बटन खोल दिए और मम्मी के मोटे चुचे ढलक कर दोनों तरफ झूल गए।
चाचू ने मम्मी के गाउन को कंधों से थोड़ी मुश्किल से उतारा और बाकी काम नीचे बैठी चाची ने कर दिया। चाची ने उनकी गांड ऊपर करके उसे नीचे से बाहर खींच दिया और इस तरह मम्मी हमारे सामने पूरी नंगी हो गयी।
मम्मी को इतनी पास से नंगी देखने का ये मेरा पहला अवसर था। वो किसी अनुभवी की तरह चाचू के लंड को आँखें बंद किये चूस रही थी। मम्मी की चूत से इतना रस बह रहा था कि चाची उसे पी ही नहीं पा रही थी और वो बह कर मम्मी की गांड को भी गीला कर रहा था।
मम्मी के मोटे मोटे चुचे देख कर मेरे मुंह में भी पानी आ गया। मैंने उनके चुचे हमेशा अपने मुंह में लेने चाहे थे। घर में भी जब वो बिना चुन्नी के घूमती थी तो मेरा मन उनकी गोलाइयाँ देख कर पागल हो जाता था और अब जब वो मेरे सामने नंगे पड़े थे… मेरा लंड उन्हें देख कर तन कर खड़ा हो गया था, मैंने अपने हाथ से लण्ड को मसलना शुरू कर दिया।
ऋतु ने इशारा करके पापा को अपनी तरफ बुलाया। वो थोड़ा झिझकते हुए ऋतु के पास आये और हम सबके साथ आकर खड़े हो गए। ऋतु ने अपना हाथ उनकी कमर में लपेट दिया और उनसे सट कर खड़ी हो गयी।
पापा थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे.. हो भी क्यों न उनकी जवान लड़की नंगी जो खड़ी थी उनसे चिपक कर…
हम सभी की नजर मम्मी पर गड़ी हुई थी। मेरी देखा देखी पापा ने भी अपना पायजामा नीचे गिरा दिया और अपनी पत्नी को अपने भाई और उसकी पत्नी के द्वारा चुदता हुआ देखकर वो भी अपना लंड हिलाने लगे।
पापा का मोटा लंड देखकर ऋतु की आँखों में एक चमक आ गयी। वो अपने पापा के लंड को काफी दिनों से देख रही थी और मन ही मन उनसे चुदना भी चाहती थी। आज उन्हें अपने साथ खड़ा होकर हिलाते देखकर उससे सहन नहीं हुआ और उसने झुक कर अपने पापा का लंड अपने मुंह में भर लिया।
पापा के मुंह से एक ठंडी सिसकारी निकल गयी- स्स्स स्स्स्स स्स्स… आआआ आअह्ह्ह…
उन्होंने अपना हाथ हटा लिया।
अपने सामने बैठी अपनी नंगी बेटी को देख कर उनका लंड फुफकारने लगा और वो तेजी से उसका मुंह चोदने लगे।
“आआआ आआआ आह्ह्ह…” पापा ने अपनी आँखें बंद करी और एक तेज आवाज निकाली। ऋतु उठ खड़ी हुई और पापा के लंड को पकड़ कर आगे की तरफ चल पड़ी। बेड पर पहुंचकर उसने पापा को नीचे लिटाया और उनकी कमर के दोनों तरफ टाँगें चौड़ी करके बैठ गयी और उनकी आँखों में देखकर अपनी चूत का निशाना उनके लंड पर लगाया और बोली- पापा प्लीज… चोदो मुझे… और उसने अपने मोटे चूतड़ों का बोझ पापा के लंड के ऊपर डाल दिया।
पापा का मोटा लंड अपनी बेटी की चूत में ऐसे गया जैसे मक्खन में गर्म छुरी.
“आआ आआआआ आआअह्ह…” ऋतु ने एक तेज सीत्कार ली.
उसकी आवाज सुनकर मम्मी ने अपनी आँखें खोली और पास लेटे अपने पति को अपनी बेटी की चूत मारते हुए देखा और फिर उन्होंने भी मौके की नजाकत समझी और अपनी आँखें बंद करके चाचू का लंड चूसने में मस्त हो गयी।
पापा और मम्मी ने जब एक दूसरे को देखा तो वो समझ गए कि अब अपने आपको रोकना व्यर्थ है इसलिए इन हसीं पलों के मजे लो और जब मम्मी ने आँखें बंद कर ली तो पापा ने अपना ध्यान ऋतु की तरफ लगा दिया।
पापा ने अपने हाथ ऊपर उठाये और ऋतु के झूलते हुए मम्मे अपने हाथों में भर लिए। वो हमेशा घर पर अपनी बेटी के ब्रा में कैद और टाइट टी-शर्ट में बंद इन्ही कबूतरों को देख कर मचलते रहते थे। आज ये दोनों रस कलश उनके हाथ में थे। उन्होंने अपना मुंह ऊपर उठाया और उन कलशों से रस का पान करने लगे। उनके मोटे मोटे होंठ और मूंछें ऋतु के नाजुक निप्पलों पर चुभ रही थी पर उनका एहसास बड़ा ही मजेदार था।
ऋतु ने अपने पापा के सर के नीचे हाथ करके अपनी छाती पर दबा दिया और अपना चुचा उनके मुंह में ठूँसने की कोशिश करने लगी। पापा ने अपना मुंह पूरा खोल दिया और ऋतु का आधे से ज्यादा स्तन उनके मुंह के अन्दर चला गया।
पापा का मुंह अपनी बेटी के चुचे से पूरा भर गया और फिर जब उन्होंने अपनी जीभ अन्दर से ऋतु के चूचों पर घुमानी शुरू की तो ऋतु तो जैसे पागल ही हो गयी। इतना मजा आज तक उसे नहीं आया था। नीचे से पापा का लम्बा लंड उसकी चूत की प्यास बुझा रहा था और ऊपर से पापा उसका दूध पीकर अपनी प्यास बुझा रहे थे।
चाची अपनी जगह से उठी और अपनी चूत को मम्मी के मुंह के ऊपर ले जाकर रगड़ने लगी। चाचू मम्मी के मुंह से नीचे उतर गए और उनके उतरते ही अपनी जवानी की आग में तड़पती हुई नेहा उन पर झपट पड़ी और चाचू के होंठ अपने मुंह में दबाकर नीचे चित लिटा दिया और चाचा का मोटा लंड अपनी चूत पर टिका कर उसे अन्दर ले लिया।
मैंने मम्मी की चूत के ऊपर अपना मुंह रखा और उसे चाटने लगा। मम्मी को शायद पता चल गया था कि मैं उनकी चूत चूस रहा हूँ। उन्होंने उत्तेजना के मारे अपने चूतड़ ऊपर उठा दिये। मैंने नीचे हाथ करके उनके चौड़े पुट्ठे पकड़े और अपनी दो उँगलियाँ उनकी गांड के अन्दर डाल दी और अपनी लम्बी जीभ उनकी चूत के अन्दर।
मम्मी मचल उठी इस दोहरे हमले से…”आआआ आआआ आआआ आआआ आआह्ह्ह्ह..”
मैं उठा और अपना लंड उनकी चूत के छेद पर टिका दिया।
आज मैं मम्मी की चूत चुदाई कर रहा था, उसी छेद के अन्दर अपना लंड डाल रहा था जहाँ से मैं निकला था। मेरे लंड का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर मम्मी तो बिफर ही पड़ी। उन्होंने अपने चूतड़ फिर से ऊपर उठा लिये और मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर समाता चला गया।
“आआआ आअह…” मम्मी के मोअन की हल्की आवाजें चाची की चूत से छन कर मुझे सुनाई दे रही थी। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैं तेजी से अपनी माँ की चूत मारने लगा।
उधर ऋतु अपने आखिरी पड़ाव पर थी, वो पापा के लंड के ऊपर उछलती हुई बडबडा रही थी- आआआअह्ह्ह… चोदो मुझे पापा… अपने प्यारे लंड से… फाड़ डालो अपनी बेटी की चूत इस डंडे से… चोदो न… जोर से… आआआह्ह्ह… बेटी चोद… सुनता नहीं क्या तेज मार… कुत्ते… बेटिचोद… चोद जल्दी जल्दी… आआआ आआह्ह… डाल अपना मुसल मेरी चूत के अन्दर तक… अह्ह्ह्ह ह्ह्ह… और तेज और तेज और तेज… आआआअह्ह्ह… हाँ… ऐसे..ही… भेन्चोद… चोद… अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह!
पापा से अपनी बेटी के ये प्यारे शब्द बर्दाश्त नहीं हुए और उन्होंने अपना रस अपनी छोटी सी बेटी की चूत के अन्दर उड़ेल दिया। ऋतु भी पापा के साथ साथ झड़ने लगी।
ऋतु को देखकर नेहा को भी जोश आ गया… वो भी चिल्लाने लगी चाचू के लंड पर कूद कर- हननं… डेडी…चोदो अपनी बेटी को… देखो ऋतु को ताऊ जी कैसे चोद रहे है… वैसे ही चोदो अपनी लाडली को… डालो अपना लंड मेरी चूत के अन्दर तक… आआहहह… डाआल ऊऊऊऊओ…
और वो भी चाचू के साथ साथ झड़ने लगी।
ऋतु पापा के लंड से नीचे उतरी और पापा के लण्ड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। चाची जो अपनी चूत मम्मी से चुसवा रही थी, उन्होंने अपना सर आगे किया और ऋतु की चूत से टपकते पापा के रस को पीने लगी।
मेरे लिए भी अब सब्र करना कठिन हो गया था। मैंने भी एक दो तेज झटके मारे और अपना पानी मम्मी की चूत के अन्दर छोड़ दिया। मम्मी ने अपने अन्दर मेरे गर्म पानी के बहाव को महसूस किया और वो भी जोर से चिल्ला कर झड़ने लगी- आआह आआ आअह्ह्ह्ह… आआआ… अह.. अह.. अ..अ..हहा.. ह..अ..ह.. हा..हा.. हा…!
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और ऋतु जो पापा के लंड से उतर चुकी थी, आगे आई और मम्मी की चूत से मेरा रस पीने लगी। अपनी चूत पर अपनी बेटी का मुंह पाकर मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी।
मम्मी ने ऋतु के सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी टाँगें खींच कर अपने मुंह के ऊपर कर ली और उसकी चूत से अपने पति का वीर्य चाटने लगी। ऋतु की चूत को मम्मी बड़े चाव से खा रही थी। थोड़ी ही देर में उन दोनों की चूत में दबी वो आखिरी चिंगारी भी भड़क उठी और दोनों एक दूसरी के मुंह में अपना रस छोड़ने लगी।
चाची ने हम तीनों बच्चों की तरफ हाथ करके कहा- ये कितने अच्छे बच्चे हैं…
वो हमारी परफ़ोरमेन्स से काफी खुश थी।
चाचू ने अपना लंड बाहर निकला और ऋतु के चेहरे के सामने कर दिया। ऋतु ने बिना कुछ सोचे उन का रस से भीगा लंड मुंह में लिया और चूस चूस कर साफ़ करने लगी।
चाची भी मेरे लंड से उठी और खड़ी हो गयी, चाची की चूत में से हम दोनों का मिला जुला रस टपक रहा था। वो थोड़ा आगे हुई और मेरे पेट पर पूरा रस टपका दिया। फिर नीचे उतर कर मेरे लंड को मुंह में भरा और साफ़ कर दिया। फिर अपनी जीभ निकाल कर ऊपर आती चली गयी और मेरे पेट पर गिरा सारा रस समेट कर चाट गयी।
ऋतु ने भी अपनी चूत में उंगलियाँ डाली और चाचू का रस इकट्ठा कर के चाट गयी।
तभी दरवाजे की तरफ से आवाज आई- ये क्या हो रहा है?
हमने देखा तो नेहा वहां खड़ी थी अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लिए…
हम सभी की नजर दरवाजे पर खड़ी नेहा पर चिपक सी गयी। मैं, ऋतु, आरती चाची और अजय चाचू सब नंगे हुए एक दूसरे को चाट और चूस रहे थे और थोड़ी ही देर पहले हम सबने चुदाई भी की थी.. ना जाने कब से नेहा ये सब देख रही थी।
मेरी और ऋतु की तो कोई बात नहीं… पर चाचू और चाची की शक्ल देखने वाली थी, उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उनकी बेटी उन्हें ‘नंगे’ हाथों पकड़ लेगी।
मैंने गौर से देखा तो नेहा का ध्यान चाचू के लंड पर ही था और उस के चेहरे पर अजीब तरह के भाव थे।
मैं समझ गया और उठ खड़ा हुआ- देखो नेहा, तुमने तो वैसे भी अपने मम्मी पापा को हमारे मम्मी पापा के साथ नंगा देख ही लिया है उस शीशे वाली जगह से और आज हालात कुछ ऐसे हुए कि हमें चाचू चाची को अपने राज में शामिल करना पड़ा!
और फिर मैंने सारी बात विस्तार से बता दी नेहा को।
चाचू और चाची ने जब ये सुना कि नेहा ने भी उन्हें दूसरे कमरे में रंगरेलियां मनाते हुए देखा है तो वो थोड़ा शर्मिंदा हो गए। पर फिर उन्होंने सोचा की जब उसे पता चल ही गया है तो क्यों न उसे भी इसमें शामिल कर लिया जाए।
आरती चाची जानती थी कि नेहा अपने स्कूल में लड़कों को काफी लिफ्ट देती है और उसने कई बार नेहा को उस के रूम में एक साथ पढ़ाई कर रहे लड़कों के साथ चूमते चाटते भी देखा था। उन्होंने अजय चाचा की तरफ देखा और आँखों आँखों में कुछ इशारे करे।
फिर वो आगे आई और नेहा का हाथ पकड़ कर वही बेड पर बिठा लिया।
नेहा आँखें फाड़े हम सभी नंगे लोगों को देख रही थी। दरअसल उस का भी प्रोग्राम में दिल नहीं लग रहा था और जब वो वापिस आई तो उसने अपने मम्मी पापा को हमारे रूम में घुसते हुए देखा, वो भी पूरे नंगे… वो समझ गयी कि अन्दर क्या होने वाला है पर अपने मम्मी पापा के सामने वो एकदम से ये नहीं दर्शाना चाहती थी कि वो भी मेरे और ऋतु के साथ चुदाई के खेल में शामिल है, इसलिए उसने खिड़की से अन्दर का सारा प्रोग्राम देखा।
अपने पापा के द्वारा ऋतु की चुदाई करते देख कर उस की छोटी सी चूत में आग लग गयी थी और जब मैंने उस की माँ की चुदाई की तो उस के बर्दाश्त से बाहर हो गया और उसने वही खिड़की पर खड़े खड़े अपनी चूत में उंगलियाँ डाल कर उस की अग्नि को शांत किया… पर अन्दर के खेल को देख कर उस की चूत अभी भी खुजला रही थी। इसलिए उसने तय किया कि वो भी अन्दर जायेगी और इसमें शामिल हो जाएगी।
आरती चाची ने नेहा की टी शर्ट उतार दी। नेहा किसी बुत की तरह बैठी थी।
फिर ऋतु आगे आई और उसने उस की जींस के बटन खोल कर उसे भी नीचे कर दिया। अब नेहा सिर्फ पर्पल कलर की पेंटी और ब्रा में बैठी थी। उस का बाप यानी अजय चाचू तो उस के ब्रा में कैद मोटे मोटे और गोल चुचे देख कर अपनी पलकें झपकाना ही भूल गया… वो मुंह फाड़े अपनी कमसिन सी बेटी के अर्धनग्न जिस्म को निहार रहा था और अपनी जीभ अपने सूखे होंठों पर फिरा रहा था।
मैं एक कोने मैं बैठा सबकी हरकतें नोट कर रहा था।
चाची उठी और अपने चुचे को नेहा के होंठों से चिपका दिए, नेहा ने कुछ नहीं किया। शायद वो अभी भी दर्शाना चाह रही थी कि वो ये सब नहीं करना चाहती पर अन्दर ही अन्दर उस की चूत में ऐसी खुजली हो रही थी कि अपनी माँ को वही पटके और उस के मुंह में अपनी चूत से ऐसी रगड़ाई करे कि उस की सारी खुजली मिट जाए।
थोड़ी देर बाद उसने अपने होंठ खोले और अपनी आँखें बंद करके अपनी माँ का दूध पीने लगी। ऋतु ने उस की ब्रा खोल दी और नीचे से हाथ डाल कर उस की पेंटी भी उतार दी।
ब्रा के खुलते ही नेहा के दोनों पंछी आजाद हो गए। मैंने देखा उस के निप्प्ल्स एक दम खड़े हो चुके हैं और चूत से भी रस टपक कर चादर को गीला कर रहा है यानि वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी। अजय चाचू ने अपनी बेटी को नंगी देखा तो उनकी साँसें रुक सी गयी।
चाची ने इशारे से चाचू को आगे बुलाया, वो तो जैसे इसी इन्तजार में बैठे थे, वो लपक कर आगे आये और अपनी बेटी के दायें चुचे को अपने मुंह में भर कर लगे चूसने किसी बच्चे की तरह। उन्होंने उत्तेजना के मारे उस के दाने पर जोर से काट मारा।
नेहा चिल्लाई- आआआ आआह्ह्ह…. पाआआ… पाआआआ… स्स्सस्स सस्स्स… अयीईईई ईईईई…
नेहा ने अपने पापा के सर को किसी जंगली की तरह पकड़ा और उनकी आँखों में देख कर अपने थूक से गीले हुए होंठ उनसे भिड़ा दिए, नेहा के पापा के तो मजे आ गए। अपनी बेटी के इस जंगलीपन को देखकर चाचू का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया।
खड़ा तो मेरा भी हो गया था पर लगातार 3-4 बार झड़ने के बाद मैं अपने लंड को थोड़ा आराम देना चाहता था।
बाप बेटी एक दूसरे को ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई गेम चल रही हो और दोनों एक दूसरे से ज्यादा पॉइंट्स लेने के लिए ज्यादा चूसने वाली गेम खेल रहे हैं।
चाचू ने अपने हाथ नेहा की गोलाइयों पर टिका दिए और उन्हें मसलने लगे.
नेहा की सिसकारी निकलने लगी- आआह आआअह्ह दबाओ ऊऊऊ इन्हीईए.. पाआआ… पाआआ…
आरती चाची ने अपनी बेटी नेहा को बेड पर लिटा दिया और उस की रस टपकती चूत पर हमला बोल दिया। ऋतु ने भी अपनी चाची का साथ दिया और वो दोनों नेहा की चूत के दोनों तरफ आधे लेट गई और बारी बारी से नेहा की चूत चाटने लगी।
ऊपर चाचू अपनी जवान सेक्सी बेटी के मुंह के अन्दर घुसे हुए उस का रसपान कर रहे थे। उन्होंने किस तोड़ी और थोड़ा नीचे खिसक कर अपने होंठ से नेहा के चुचे चूसने लगे। नेहा बेटी ने हाथ बड़ा कर अपने पापा का लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे आगे पीछे करने लगी, फिर उसने लंड को थोड़ा और खींच कर अपने मुंह के पास खींच लिया।
चाचू समझ गए और अपना चेहरा उस की चूत की तरफ घुमा कर उस के मुंह पर बैठ गए और नेहा ने अपने पापा का लंड अपने कोमल मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
चाचू का चेहरा देखने लायक था, उनके आनंद की कोई सीमा नहीं थी। आज अपनी भाभी से और फिर अपनी भतीजी से चुसवाने के बाद अब वो अपना लंड अपनी ही बेटी के मुंह में डाले मजे ले रहे थे।
चाचू थोड़ा झुके और ऋतु और आरती को हटा कर अपना मुंह अपनी बेटी की चूत पर रख कर चाटने लगे उस की रसीली चूत को। बीच बीच में वो सांस लेने के लिए ऊपर आते और ये मौका ऋतु और आरती ले लेती और उस की चूत चाटने लगती।
कुल मिला कर नेहा की चूत तीन लोग चाट रहे थे और वो अपने पापा का लंड चूस रही थी।
चाचू जब झड़ने वाले थे तो उन्होंने एकदम से अपना लंड नेहा के मुख से निकाल लिया और वापिस ऊपर आ कर उस को चूमने लगे। नेहा से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, उसने अपने पापा को धक्का दिया और उछल कर उन के ऊपर बैठ गयी।
अजय चाचू का फड़कता हुआ लंड नेहा की चूत के नीचे था। नेहा ने अपने पापा के दोनों हाथों में अपनी उंगलियाँ फंसाई और अपनी गांड और अपना सर नीचे झुका दिया। उस के होंठ अपने पापा के होंठों से जुड़े थे और चूत उनके लंड से।
पीछे से आरती चाची ने अपने पति का लंड पकड़ा और अपनी बेटी की चूत में फंसा दिया और उसे नीचे की तरफ दबा दिया। नेहा की कसी चूत में उस के पापा का लंड उतरता चला गया।
“आआ आआअ आआआह्ह…. आआस्स… आआअह्ह्ह… पाआआ… पाआआ… म्म्म्म म्म्म्म म्म…” नेहा ने थोड़ा ऊपर होकर लम्बी सिसकारी निकाली… और अपने चुचे को अजय चाचू के मुंह में ठूँस दिया।
अब चाचू का पूरा लंड उनकी बेटी की चूत के अन्दर था।
नेहा ने उछलना शुरू किया और चाचू का लंड अपनी चूत में अन्दर बाहर करने लगी। चाची और ऋतु नीचे बैठी बड़े गौर से इस चुदाई को देख रही थी। चाची ने हाथ आगे करके अपनी उंगलियाँ ऋतु की चूत में डाल दी और ऋतु ने आरती चाची की चूत में। फिर उन्होंने अपनी टाँगें एक दूसरे में ऐसी फंसाई कि दोनों की चूत आपस में रगड़ खाने लगी और उन्होंने बैठे बैठे ही एक दूसरी की चूत को अपनी चूत से रगड़ना शुरू कर दिया।
“आआम्म आआह… अह्ह्ह ह्ह्ह्हह… अहहहः… आहाहाहा.. हा.. हा हा.. हा.. अहा.. हह्ह्ह.. म्मम्म…” ऋतु और चाची अजीब तरह से हुंकार रही थी।
पूरे कमरे में सेक्स का नया दौर शुरू हो चुका था। मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो चुका था पर इतनी चुदाई के कारण वो दर्द भी कर रहा था इसलिए मैंने दूर बैठे रहना ही उचित समझा।
चाचू ने नेहा के गोल चूतड़ों को पकड़ा और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए। नेहा की सिसकारियां चीखों में बदल गयी और जल्दी ही वो झड़ने लगी- आआआअह्ह… अह्ह्ह.. अहः अहः अ अहः अ आहा हा… हा… पपाआआआ… मैं… आयीईईईइ… ऊऊओ… ऊऊऊ… ऊऊऊऊ… आआआह्ह.. और उसने अपने रस से पापा के लंड को नहला दिया और अपने मोटे मोटे चूचों को उनके मुंह पर दबा कर वही निढाल हो कर गिर पड़ी।
चाचू ने उसे नीचे उतारा और उस की टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया और अपना लंड उस की चूत में फिर से डाल दिया और धक्के देने लगे। चाचू का भी तीसरा मौका था इसलिए झड़ने में काफी समय लग रहा था। पर जल्दी ही अपने नीचे पड़ी अपनी बेटी के मोटे मोटे मम्मे हिलते देख कर वो भी झड़ने लगे और अपना रस उस की चूत के अन्दर उड़ेल दिया वो अपनी बेटी की चूत में झड़ गये, और उस की छाती के ऊपर गिर कर हांफने लगे।
नेहा ने उनके चारों तरफ अपनी टाँगें लपेट ली और सर पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगी।
चाची और ऋतु की चूत भी आपसी घर्षण की वजह से जल उठी और उन का लावा भी निकल पड़ा और उन्होंने झड़ते हुए एक दूसरी को चूम लिया।
मैं ये सब देख कर बेड के एक कोने में बैठा मुस्कुरा रहा था।
थोड़ी देर लेटने के बाद चाचू और चाची चले गए। उन के जाते ही ऋतु और नेहा ने एक दूसरे की चूत चाट कर साफ़ कर दी और हम तीनों वही नंगे लेट गए।
दूसरे कमरे में जाकर चाची ने शीशा हटा कर देखा और अपनी नंगी बेटी को मेरी बगल में लेटते हुए देख कर वो मुस्कुरा दी। अगले दिन सुबह हम तीनों, यानि मैं, ऋतु और नेहा नाश्ता करने के बाद पहाड़ी की तरफ चल दिए। ऋतु आगे चल रही थी। वो वही कल वाली जगह पर जा रही थी, उस ऊँची चट्टान पर।
मैं और नेहा उसके पीछे थे। नेहा ने अपने हाथ मेरी कमर पर लपेट रखे थे और मैंने उसकी कमर पर। बीच बीच में हम एक दूसरे को किस भी कर लेते थे। बड़ा ही सुहाना मौसम था, आज धूप भी निकली हुई थी।
नेहा थोड़ा थक गयी और सुस्ताने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गयी। मैं भी उसके साथ बैठ गया। ऋतु आगे निकल गयी और हमारी आँखों से ओझल हो गयी।
नेहा ने अपने होंठ मेरी तरफ बढ़ा दिए और मैं उन्हें चूसने लगा। मैंने हाथ बड़ा कर उसके सेब अपने हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा। उसे बहुत मजा आ रहा था।
मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था, पर तभी मेरा ध्यान ऋतु की तरफ गया और मैं जल्दी से खड़ा हुआ और नेहा को चलने को कहा। क्योंकि वो जंगली इलाका था और मुझे अपनी बहन की चिंता हो रही थी।
हम जल्दी जल्दी चलते हुए चट्टान के पास पहुंचे और वहां देखा तो ऋतु अपने उसी पोज में बैठी थी अपने कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी।
ऋतु ने हमसे शिकायती लहजे से पूछा- तुम क्या रास्ते में ही शुरू हो गए थे, इतनी देर क्यों लगा दी?
नेहा ने जब देखा कि ऋतु नंगी है तो उसने भी अपनी लोन्ग फ्रोक को नीचे से पकड़ा और अपने सर से उठा कर उसे उतार दिया। वो नीचे से बिल्कुल नंगी थी और वो भी जाकर अपनी बहन के साथ चट्टान पर लेट गयी।
अब मेरे सामने दो हंसती खेलती नंगी जवान लड़कियां बैठी थी, मेरा लंड मचल उठा और मैंने भी अपने कपड़े बिजली की फुर्ती से उतार डाले।
नेहा ने मेरा लंड देखा तो उसकी आँखों में एक चमक सी आ गयी, वो आगे बड़ी तभी ऋतु ने उसे पीछे करते हुए कहा- चल कुतिया पीछे हो जा, पहले मैं चूसूंगी अपने भाई का लंड!
नेहा को विश्वास नहीं हुआ कि ऋतु ने उसे गाली दी। पर जब हम दोनों को मुस्कुराते हुए देखा तो वो समझ गयी कि आज गाली देकर चुदाई करनी है… तो वो भी चिल्लाई- तू हट हरामजादी, अपने भाई का लंड चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आती… कमीनी कहीं की…
और उसने ऋतु के बाल हल्के से पकड़ कर पीछे किया और झुक कर मेरे लम्बे लंड को मुंह में भर लिया।
ठन्डे मौसम में मेरा लंड उसके गर्म मुंह में जाते ही मैं सिहर उठा।
ऋतु- अच्छा तो तू इसे चूसना चाहती है, ठहर मैं तुझे बताती हूँ…
और ये कहते ही उसने नेहा की गांड को थोड़ा ऊपर उठाया और अपनी जीभ रख दी उसके गांड के छेद पर!
नेहा चिल्ला उठी… और इतने में ऋतु ने एक जोरदार हाथ उसके गोल चूतड़ पर दे मारा… और अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद में डाल दी.
“आआ आआह्ह्ह्ह… नहीईई ईईईईईई… वहान्न्न न्न्न्न.. नहीईई ईईई… ”
पर ऋतु ने नहीं सुना और अपनी छोटी बहन की गांड में दूसरी उंगली भी घुसेड़ दी… उसकी आँखें बाहर निकल आई पर उसने मेरा लंड चूसना नहीं छोड़ा।
उन दोनो की लड़ाई में मेरे लंड का बुरा हाल था क्योंकि अपने ऊपर हुए हमले का बदला नेहा मेरे लंड को उतनी ही जोर से चूस कर और काट कर ले रही थी।
मैंने नेहा के बाल वहशी तरीके से पकड़े और उसका चेहरा ऊपर करके उसके होंठ काट डाले।
वो दर्द से बिलबिला उठी- छोड़… कुत्ते… आआआ आयीईईईई… भेन चोद… भूतनी के… आआआआआह…
वो चिल्लाती जा रही थी क्योंकि उसकी गांड में ऋतु की उंगलियाँ थी जिससे उसकी गांड फट रही थी और ऊपर से मैं उसके होंठ काट काट कर उसकी फाड़ रहा था।
नेहा के मुंह से लार गिर रही थी और उसके पेट पर गिर कर उसे चिकना बना रही थी। अचानक ऋतु ने अपने दूसरे हाथ को आगे बढ़ा कर मेरी गांड में एक उंगली डाल दी। मेरे तन बदन में बिजली दौड़ गयी। मैं उछल पड़ा, पर मैंने नेहा को चूसना नहीं छोड़ा।
मैंने अपनी बलशाली भुजाओं का प्रयोग किया और नेहा को किसी बच्चे की तरह उसकी जांघों से पकड़ कर ऊपर उठा लिया और उसने अपनी टाँगें मेरे मुंह के दोनों तरफ रख दी और अपनी चूत का द्वार मेरे मुंह पर टिका दिया।
ऋतु ने चूस कर उसकी चूत को काफी गीला कर दिया था। मेरे मुंह में उसका रस और ऋतु के मुंह की लार आई और मैं सपड़ सपड़ करके उसे चाटने लगा। नेहा ने मेरे बालों को जोर से पकड़ रखा था और मैं चट्टान पर अपनी गांड टिकाये जमीन पर खड़ा था। नेहा मेरे मुंह पर चूत टिकाये चट्टान पर हवा में खड़ी थी और ऋतु नीचे जमीन पर किसी कुतिया की तरह अब मेरे गांड के छेद को चाट रही थी।
पूरी वादियों में हम तीनों की सिसकारियां गूंज रही थी। मैंने अपना हाथ पीछे करके नेहा की गांड पर रख दिया और उसकी गांड के छेद में एक साथ दो उंगलियाँ घुसा दी। अब उसे भी अपनी गांड के छेद के द्वारा मजा आ रहा था।
पिछले दो दिनों में वो मुझ से और अपने बाप से चुद चुकी थी… पर आज उसके मन में गांड मरवाने का भी विचार आने लगा।
अपनी गांड में हुए उत्तेजक हमले और चूत पर मेरे दांतों के प्रहार से नेहा और भड़क उठी और वो अपनी चूत को ओर तेजी से मेरे मुंह पर घिसने लगी और झड़ने लगी- आआहह आआआअह्ह्ह… ले कुत्ते… भेन के लोड़े… पी जा मेरा रस… आआह्ह…
उसकी चूत आज काफी पानी छोड़ रही थी। मेरे मुंह से निकल कर नेहा की चूत के पानी की बूंदें नीचे गिर रही थी और वहां बैठी हमारी कुतिया ऋतु अपना मुंह ऊपर फाड़े उसे कैच करने में लगी हुई थी।
झड़ने के बाद नेहा मेरे मुंह से नीचे उतर आई और चट्टान पर अपनी टाँगें चौड़ी करके बैठ गयी। मैंने अपना फड़कता हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा ही था कि उसने मुझे रोक दिया और बोली- बहन चोद, आज मेरी गांड में डाल…
मैंने हैरानी से उसकी आँखों में देखा और उसने आश्वासन के साथ मुझे फिर कहा- हां… बाबा… चलो मेरी गांड मारो… प्लीज…
मैंने अपनी वही पुरानी तरकीब अपनाई ओर एक तेज झटका मारकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया.
वो चिल्लाई- अबे… भेन चोद… समझ नहीं आती क्या… गांड मार मेरी… चूत नहीं कुत्ते…
पर मैं नहीं रुका और उसकी चूत में अपना लंड अन्दर तक पेल दिया ओर तेजी से झटके मारने लगा।
अब मेरा लंड नेहा की चूत के रस से अच्छी तरह सराबोर हो चुका था, मैंने अपना लण्ड निकाला… नेहा की आँखों में विस्मय के भाव थे कि मैंने उसकी चूत में से अपना डंडा क्यों निकाल लिया। मैंने उसे उल्टी लेटने को कहा, कुतिया वाले पोज में। वो समझ गयी और अपनी मोटी गांड उठा कर चट्टान पर अपना सर टिका दिया।
ऋतु जो अब तक खामोश बैठी अपनी चूत में उँगलियाँ चला रही थी, उछल कर चट्टान पर चढ़ गयी और अपनी टाँगें फैला कर नेहा के मुंह के नीचे लेट गयी। नेहा समझ गयी और अपना मुंह उसकी नर्म और गर्म चूत पर रख दिया और चाटने लगी।
ऋतु ने अपनी आँखें बंद कर ली ओर चटवाने के मजे लेने लगी। वो नेहा के सर को अपनी चूत पर तेजी से दबा रही थी- चाट कुतिया… मेरी चूत से सारा पानी चाट ले… आआहह आआअह्ह… भेन चोद… हरामजादी… चूस मेरी चूत को… आआआह्ह्ह्ह!
नेहा ने उसकी चूत को खोल कर उसकी क्लिट को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। ऋतु तो पागल ही हो गयी- ओह.. ओह.. ओह.. ओह.. ओ.. ओह.. ओह.. ओह.. अह.. अह.. अह.. अह.. अह.. अह.. अह…
वो बुदबुदाये जा रही थी और चुसवाती जा रही थी।
पीछे से मैंने नेहा की गांड की बनावट देखी तो देखता ही रह गया। उसके उठे हुए कूल्हे किसी बड़े से गुब्बारे से बने दिल की आकृति सा लग रहा था। मैंने उसे प्यार से सहलाया और अपने एक हाथ से उसे दबाने लगा।
नेहा ने ऋतु की चूत चाटना छोड़ा और पीछे सर करके बोली- अबे भेन चोद… क्या अपना लंड हिला रहा है पीछे खड़ा हुआ… कमीने, मेरी गांड मसलना छोड़ और डाल दे अपना हथियार मेरी कुंवारी गांड में… डाल कुत्ते…
वो लगभग चिल्ला ही रही थी।
मैंने अपना लंड थूक से गीला किया और उसकी गांड के छेद पर टिकाया, थोड़ा सा धक्का मारा- अयीईईई… मर… गयीईई… अह्ह्ह ह्ह्ह्ह… नहींईईईईइ…
मेरे लंड का टॉप उसकी गांड के रिंग में फंस गया था।
मैंने आगे बढ़ कर अपने लंड को निशाना बनाकर थूका… जो सही निशाने पर लगी, लंड गीला हो गया। मैंने एक और धक्का मारा- आआआ आआआ आआअह्ह्ह…
मेरी चचेरी बहन की ये चीख काफी लम्बी थी… उसने अपने दांत ऋतु की चूत में गाड़ दिए।
ऋतु भी बिलबिला उठी- हटट… कुतियाआ… अपनी गांड फटने का बदला मेरी चूत से ले रही है… आआआ आआह्ह्ह्ह… धीरे चाट… नहीं तो तेरी चूत में लकड़ी का तना डाल दूंगी…
ऋतु ने नेहा को धमकी दी।
मेरा लंड आधा उसकी गांड में घुस चुका था… मैंने उसे निकाला और थोड़ी और थूक लगाकर फिर से अन्दर डाला। अब मैं सिर्फ आधा लंड ही डाल रहा था। नेहा भी अपनी गांड धीरे धीरे मटका कर घुमाने लगी। मैं समझ गया की उसे भी मजा आ रहा है।
नेहा की गांड मोटी होने के साथ साथ काफी टाईट भी थी। आठ दस धक्के लगाने के बाद मैंने फिर से आगे की तरफ झटका मारा… तो नेहा फिर से चिल्लाई- माँ के लौड़े… तेरी माँ की चूत… भोंसड़ी के… कमीने… कुते… फाड़ डाली मेरी गांड… आआ आआह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह…
वो चिल्लाती जा रही थी और अपनी गांड मटकाए जा रही थी, मैं समझ नहीं पा रहा था कि उसे मजा आ रहा है या दर्द हो रहा है।
उधर ऋतु का बुरा हाल था, चटवाने से पहले उसे बड़े जोर से पेशाब आ रहा था पर चटवाने के लालच में वो कर नहीं पायी थी। अब जब नेहा उसकी चूत का ताना बाना अलग कर रही थी तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपने तेज पेशाब की धार सीधे नेहा के मुंह में दे मारी।
पहले तो नेहा को लगा कि ऋतु झड़ गयी है पर जब पेशाब की बदबू उसके नथुनों में समायी तो उसने झटके से अपना मुंह पीछे किया और ऋतु की चूत पर थूक दिया।
ऋतु की चूत का फव्वारा बड़ी तेजी से उछला और नेहा के सर के ऊपर से होता हुआ नेहा की पीठ पर गिरा। मेरे सामने ऋतु अपनी चूत खोले अपने पेशाब से नेहा की कमर भिगो रही थी। नेहा की कमर से होता हुआ ऋतु का पेशाब, मेरे गांड मारते लंड तक फिसल कर आ गया और उसे और लसीला बना दिया और मैं और तेजी से नेहा की गांड मारने लगा।
नेहा ने अपना मुंह तो हटा लिया था पर उसके गले से कुछ बूँदें उसके पेट में भी चली गयी थी। उसका स्वाद थोड़ा कसैला था.. पर उसे पसंद आया। आज नेहा किसी जंगली की तरह बर्ताव कर रही थी। उसने उसी जंगलीपन के आवेश में अपना मुंह वापिस बारिश कर रहे फव्वारे पर टिका दिया और जलपान करने लगी।
ऋतु ने जब देखा कि उसकी बहन उसका पेशाब पी रही है तो वो और तेजी से झटके दे देकर अपनी चूत नेहा के मुंह में धकेलने लगी। मेरा लंड भी अब काफी गीला हो चुका था… थूक, पेशाब और नेहा की चूत के रस में डूब कर… मेरा लौड़ा किसी पिस्टन की तरह नेहा की गांड में अन्दर बाहर हो रहा था। नेहा की गांड का कसाव मेरे लंड पर हावी हो रहा था।
मेरे लंड ने जवाब दे दिया और उसने नेहा की गांड में उल्टी कर दी।
नेहा ने भी अपनी गांड में गर्म वाला महसूस करते ही झड़ना शुरू कर दिया और वहां ऋतु की चूत ने भी जवाब दे दिया और वो भी रस टपकाने लगी।
नेहा ने अपनी गांड से मेरा लंड निकाला और अपना मुंह ऋतु की चूत की तरफ घुमा कर अपनी गांड उसके मुंह पर टिका दी। ऋतु उसकी गांड से बहते हुए मेरे लावे को चाटने लगी और अपना रस नेहा को चटवाने लगी।
मैं जमीन पर खड़ा हुआ अपने मुरझाते हुए लंड को देख रहा था और उन दोनों कुतियों को एक दूसरे की चूत चाटते हुए देख रहा था।
सारी चुदाई की कथा ख़त्म होने के बाद हम तीनों ने अपने कपड़े पहने और नीचे की तरफ चल दिए। नेहा थोड़ा धीरे चल रही थी… चले भी क्यों न… मेरी बहन की गांड जो फट गयी थी आज!
हम को काफी समय हो गया था, हम भागते हुए अपने केबिन पहुंचे तो हमारे मम्मी पापा नंगे अजय चाचू के कमरे से निकल रहे थे। हम दोनों को सामने पाकर वो दोनों ठिठक कर वहीं खड़े हो गए।
हमें सामने पाकर पापा ने अपने लण्ड को हाथों से छुपा लिया औऱ मम्मी भी अपने बदन को ढकने के लिए अपने छोटे से हाथो का सहारा ले रही थी पर उनसे कुछ छुप नहीं पा रहा था।
हड़बड़ाहट में मम्मी ने हम से पूछा- तुम इतनी देर तक कहाँ थे?? क्या करके आ रहे हो??
वो पूरी नंगी हमारे सामने खड़ी थी इसलिए थोड़ा शर्मा भी रही थी अपनी हालत पर।
ऋतु ने अपने पापा के आधे खड़े हुए लंड को घूरते हुए कहा- हम सब बस घूम कर आ रहे हैं।
मैंने मम्मी की तरफ देखते हुए पूछा- क्या आप दोनों चाचू के कमरे से आ रहे हैं?
मम्मी ने हड़बड़ा कर कहा- ह्म्म्म… हम उन्हें गुड नाइट बोलने गए थे… उनके निप्प्ल्स तन कर खड़े हो चुके थे।
मैंने कहा- ठीक है… गुड नाइट.
और हम सब अपने कमरे में चले गए।
अन्दर जाते हुए हम तीनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकी। हम जानते थे कि हमने मम्मी पापा को रंगे हाथों पकड़ लिया है, उनकी शक्ल देखते ही बनती थी।
अन्दर आकर नेहा सीधे बाथरूम में चली गयी, ऋतु ने भी अपने कपड़े बड़ी फुर्ती से उतार फैंके और बेड पर जाकर लेट गयी।
दूसरे कमरे में चाचू और चाची ने जब हमारी बात सुनी और बाद में हमें अन्दर आते देखा तो उन्होंने शीशे वाली जगह से अन्दर झाँका और ऋतु को नंगी लेटे देखकर चाचू का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और वो उसे सहलाने लगे।
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार डाले और बेड पर कूद कर ऋतु की रसीली रसमलाई जैसी चूत पर मुंह टिका दिया। ऋतु ने अपने चूतड़ ऊपर हवा में उठा दिए और मेरे मुंह में अपनी चूत से ठोकरें मारने लगी।
दूसरे कमरे में आरती चाची ने मेरा लंड मेरी टांगों के बीच से लटकता हुआ देखा तो उनसे सहन नहीं हुआ और वो दोनों नंगे ही अपने कमरे से निकल कर हमारे कमरे में आ गए। चाची ने आते ही मेरी टांगो के बीच लेटकर मेरे लटकते हुए खीरे को अपने मुंह में भर लिया। मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी… “आआआ आअह्ह्ह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह…”
चाचू भी अपना फड़कता हुआ लंड लेकर आगे आये और मेरे सामने लेटी हुई ऋतु के मुंह के पास जाकर उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया। ऋतु ने उसे भूखी शेरनी की तरह लपका और उसका रस चुसना शुरू कर दिया।
चाची बड़ी आतुरता से मेरा लंड चूस रही थी। उनके और ऋतु के मुंह से सपड़ सपड़ की आवाजें आ रही थी। तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और नेहा अन्दर आ गयी। वो अन्दर का नजारा देखकर बोली- मुझे तुम लोग वहां छोड़ कर यहाँ मजे ले रहे हो..
ये कह कर उसने भी अपने कपड़े उतारे और कूद गयी वो भी बेड पर।
नेहा भी ऊपर आकर अपने पापा के पास गयी और अपने नन्हे होंठों से उनके मोटे मोटे होंठ चूसने लगी। चाचू ने हाथ आगे करके अपनी बेटी के मोटे मोटे चुचे थाम लिए और उन्हें जोर से दबा डाला।
नेहा चाचू के आगे आ कर ऋतु के मुंह के ऊपर जाकर बैठ गयी। ऋतु ने चाचू का लंड चुसना छोड़ दिया और नेहा की चूत को चाटने लगी। चाचू का लंड अब नेहा के पेट से टकरा रहा था। नेहा काफी उत्तेजित हो गई थी और उससे सहन नहीं हुआ और उसने अपने पापा का लंड पकड़ कर अपनी रस उगलती चूत पर टिका दिया और उसे अन्दर समाती चली गयी.
“आआ आआआईईईई ईईईई… पपाआआ आआ…”
नीचे लेटी ऋतु ने इस काम को बड़ी खूबी से अंजाम दिया… लंड को चूत में धकेलने के लिए।
ऋतु अब नेहा की गांड के छेद को चूस रही थी। उधर अपने कमरे में जाने के बाद मम्मी को इस बात की बड़ी चिंता हो रही थी की आज वो चाचू के कमरे से नंगे बाहर निकलते हुए पकडे गए।
मम्मी इस बात को चाचू को भी बताना चाहती थी ताकि अगर हम उनसे भी पूछें हमारे मम्मी पापा रात के समय नंगे उनके कमरे से क्यों निकल रहे थे तो वो भी वो ही जवाब दें जो मम्मी ने दिया था।
यह सोच कर मम्मी अपने कमरे से निकली और चाचू के कमरे में चली गयी। वहां जाकर उन्होंने देखा कि कमरा तो बिल्कुल खाली था। तभी उनकी नजर दीवार पर गयी, शीशा नीचे पड़ा हुआ था और उस जगह एक बड़ा सा छेद था।
मम्मी आगे गयी और अन्दर झाँका। वहां का नजारा देखकर पूर्णिमा मैडम यानि मेरी माम के दिमाग के परखच्चे उड़ गए। उनका बेटा नंगा अपनी सगी बहन की चूत चाट रहा था और नीचे लेटी उनकी देवरानी उनके बेटे का लंड चूस रही थी और ऊपर उनका देवर अपनी ही बेटी को चोद रहा था और नीचे से उनकी बेटी नेहा अपनी जीभ से अपनी बहन ऋतु की गांड चाट रही थी।
उनकी आँखें घूम गयी ये सब देख कर।
मम्मी जल्दी से भाग कर वापिस गयी और अपने कमरे से पापा को बुला कर लायी। तब तक मैं अपने लण्ड को ऋतु की चूत में डाल कर चुदाई करने लगा था। मम्मी ने शीशे वाली जगह से पापा को अन्दर देखने को कहा।
जब पापा ने अन्दर का नजारा देखा तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी। उनका छोटा भाई अपनी बेटी को चोद रहा था और उनका बेटा अपनी सगी बहन की चुदाई कर रहा था। ये देखकर वो आग बबूला हो गए और मम्मी को साथ लेकर वो दनदनाते हुए हमारे कमरे में आये और चिल्लाये- ये सब हो क्या रहा है!?!
पापा की आवाज सुन कर मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो मैं स्तब्ध रह गया। पर मेरा लंड जो झटके मार मार कर अपनी बहन को चोद रहा था, वो नहीं रुका। मैंने धक्के देते हुए हैरानी से उनकी तरफ देखा और बोला- मम्मी.. पापा.. आप..?
उधर नेहा की चूत में उसके पापा का लंड अपनी आखिरी साँसें ले रहा था, चाचू से सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपना रस अपनी बेटी की चूत में उगलना शुरू कर दिया। नेहा ने भी आँखें बंद करके अपने पापा के गले में अपनी बाहें डाल कर एक लम्बी चीख मारी- आआआआ अयीईईईइ… पपाआआ आआआ…
और वो भी झड़ने लगी। उनका मिला जुला रस नीचे लेटी ऋतु बड़े चटखारे ले ले कर पी रही थी।
ऋतु को मालूम तो चल गया था कि उसके मम्मी पापा कमरे में आ गए हैं पर अपनी चूत में अपने भाई के लंड के धक्के और अपने मुंह पर बरसते गर्म रस का मजा लेने से उसे कोई नहीं रोक सका।
ऋतु ने भी अपनी उखड़ी साँसों से उन्हें देखा और पूछा- मोम… डैड… आप यहाँ क्या कर रहे हैं?
मम्मी ने मेरी तरफ घूरकर देखते हुए कहा- रोहण… क्या तुम ये करना बंद करोगे?
वो एक तरह से मुझे अपनी बहन की चूत मारने से रोक रही थी।
मैं अपने आखिरी पलों में था, मैंने जैसे ही अपना लंड बाहर निकाला उसका विकराल रूप जो मेरी बहन की चूत के रंग में डूब कर गीला हो चुका था और उस पर चमकती नसे देख कर मेरी माँ की आँखें फटी की फटी रह गयी।
मेरे लंड ने बाहर निकलते ही झड़ना शुरू कर दिया और मेरी पिचकारी सीधे ऋतु की खुली हुई चूत से जा टकराई। चाची जल्दी से आगे आई और मेरे लंड पर अपना मुंह टिका दिया और मेरा सारा रस पी गयी।
चाची ने फिर ऋतु की चूत के ऊपर अपना मुंह टिकाया और वहां से भी मलाई इकट्ठी करके खा गयी और मेरी माँ की तरफ देखकर बोली- भाभी, आपके बच्चे बड़े टेस्टी हैं।
मम्मी ने चाची को डांटते हुए कहा- आरती… तुम ये सब कैसे कर सकती हो?
चाची ने सपाट लहजे में कहा- हमें तो इन्होंने ही बुलाया था।
मेरी माँ का मुंह खुला का खुला रह गया- क्या???
और फिर चाची ने सारी कहानी हमारे मम्मी पापा को सुना दी। वो अपना मुंह फाड़े सब बातें सुन रहे थे। उन्होंने ये भी बताया कि हम दोनों उनके कमरे में देखते हैं और हमें उनके बारे में सब पता है कि कैसे वो चारों लोग ग्रुप सेक्स करते हैं।
मम्मी-पापा ये सारी बात सुन कर शर्मिंदा हो गए पर फिर भी मम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- तुम दोनों ने ये सब क्यों किया??
मैंने मम्मी को सीधे शब्दों में बताया- हम भी आपके और पापा की तरह बनना चाहते थे। जब हमने देखा कि आप और पापा, चाचू और चाची के साथ मिल कर सेक्स कर रहे हो और एन्जॉय भी कर रहे हो तो हमने भी ठान लिया की हम भी ये करेंगे। हमने यहाँ और लोगों को भी ग्रुप सेक्स करते देखा है और वो सब भी खूब एन्जॉय करते हैं।
मम्मी ने मुझसे रुंधी आवाज में कहा- लेकिन तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए।
अब ऋतु भी मेरे पक्ष में बोल पड़ी- क्यों नहीं करना चाहिए… मेरी चूत में हर तरह का लंड चला जाता है और मुझे उन्हें चूसने में भी मजा आता है… तो फिर ये सब क्यों नहीं करना चाहिए?
मम्मी ने फिर से कहा- पर ये सब गलत है, भाई बहन को आपस में ये सब नहीं करना चाहिए।
ऋतु ने अपने शब्दों को पीसते हुए मम्मी से कहा- अच्छा… तो आप लोग जो करते हो वो गलत नहीं है क्या??
चाची जो बड़े देर से ये सब देख रही थी, वो मम्मी की तरफ हँसते हुए बोली- देखो भाभी, ये जो कह रहे हैं, वो सही है। हम लोग भी कहाँ रिश्तेदारी का ख्याल रखते हैं। हमें भी तो सिर्फ सेक्स करने में मजा आता है, अगर ये भी वो ही कर रहे है तो बुरा क्या है।
मम्मी ने फिर से कहा- पर ये हमारे बच्चे हैं।
अब की बार चाचू ने कहा- हाँ हैं… और तभी इनके साथ ये सब करने में कुछ ज्यादा ही मजा आता है.
और उन्होंने अपनी बाँहों में पकड़ी नंगी नेहा को अपने सीने से दबा दिया और आगे बोले- और मुझे लगता है… कि आपको भी एक बार ये सब करना चाहिए।
मम्मी ने अपने सर को एक झटका दिया और कहा- मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। मैं सोने जा रही हूँ, इस बारे में कल बात करेंगे।
चाची ने उनसे कहा- ठीक है बाय…
मम्मी ने हैरानी से पूछा- बाय का क्या मतलब है… तुम लोग नहीं जा रहे क्या अपने कमरे में?
चाची- नहीं, अभी मुझे कुछ और भी काम है.
और चाची ने हाथ बढाकर मेरे लंड को थाम लिया और दूसरे हाथ से अपनी चूत मसलने लगी।
मम्मी चिल्लाई- आरती… बंद करो ये सब!
चाचू आगे आये और मम्मी का हाथ पकड़ कर बेड पर बिठा दिया और कहा- अरे भाभी, आप यहाँ आओ और थोड़ा आराम करो.
चाचू का झूलता हुआ लंड मम्मी की आँखों के सामने लटक रहा था।
चाचू ने मम्मी का मुंह पकड़ा और अपना लंड उनके मुंह में ठूस दिया और उन्हें नीचे धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और खुद उनकी छाती पर चढ़ बैठे।
चाचू ने मम्मी की आँखों में देख कर कहा- अब चुपचाप लेटी रहो और मेरा लंड चूसो भाभी!
और आरती की तरफ देख कर बोले- डार्लिंग… मेरी थोड़ी मदद करो न…
चाची- हाँ… हाँ… क्यों नहीं..
और चाची अपनी जगह से उठी और बेड के किनारे आकर मम्मी के गाउन को खींच कर बीच में से खोल दिया। मम्मी ने नीचे कुछ नहीं पहना था और चाची ने उनकी मोटी जांघें पकड़ कर उनकी रसीली चूत पर अपना मुंह रख दिया।
मम्मी के मुंह में चाचू का लंड था पर फिर भी उनके मुंह से घुटी हुई सी सिसकारी निकल गयी- आआआ आअह्ह्ह्ह…
चाचू का लम्बा लंड मम्मी के मुंह में किसी पिस्टन की तरह आ जा रहा था। नीचे बैठी चाची भी अपनी लम्बी जीभ के झाड़ू से मम्मी की चूत की सफाई करने में लगी हुई थी। चाचू ने मम्मी के ऊपर बैठे हुए उनके गाउन के बटन खोल दिए और मम्मी के मोटे चुचे ढलक कर दोनों तरफ झूल गए।
चाचू ने मम्मी के गाउन को कंधों से थोड़ी मुश्किल से उतारा और बाकी काम नीचे बैठी चाची ने कर दिया। चाची ने उनकी गांड ऊपर करके उसे नीचे से बाहर खींच दिया और इस तरह मम्मी हमारे सामने पूरी नंगी हो गयी।
मम्मी को इतनी पास से नंगी देखने का ये मेरा पहला अवसर था। वो किसी अनुभवी की तरह चाचू के लंड को आँखें बंद किये चूस रही थी। मम्मी की चूत से इतना रस बह रहा था कि चाची उसे पी ही नहीं पा रही थी और वो बह कर मम्मी की गांड को भी गीला कर रहा था।
मम्मी के मोटे मोटे चुचे देख कर मेरे मुंह में भी पानी आ गया। मैंने उनके चुचे हमेशा अपने मुंह में लेने चाहे थे। घर में भी जब वो बिना चुन्नी के घूमती थी तो मेरा मन उनकी गोलाइयाँ देख कर पागल हो जाता था और अब जब वो मेरे सामने नंगे पड़े थे… मेरा लंड उन्हें देख कर तन कर खड़ा हो गया था, मैंने अपने हाथ से लण्ड को मसलना शुरू कर दिया।
ऋतु ने इशारा करके पापा को अपनी तरफ बुलाया। वो थोड़ा झिझकते हुए ऋतु के पास आये और हम सबके साथ आकर खड़े हो गए। ऋतु ने अपना हाथ उनकी कमर में लपेट दिया और उनसे सट कर खड़ी हो गयी।
पापा थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे.. हो भी क्यों न उनकी जवान लड़की नंगी जो खड़ी थी उनसे चिपक कर…
हम सभी की नजर मम्मी पर गड़ी हुई थी। मेरी देखा देखी पापा ने भी अपना पायजामा नीचे गिरा दिया और अपनी पत्नी को अपने भाई और उसकी पत्नी के द्वारा चुदता हुआ देखकर वो भी अपना लंड हिलाने लगे।
पापा का मोटा लंड देखकर ऋतु की आँखों में एक चमक आ गयी। वो अपने पापा के लंड को काफी दिनों से देख रही थी और मन ही मन उनसे चुदना भी चाहती थी। आज उन्हें अपने साथ खड़ा होकर हिलाते देखकर उससे सहन नहीं हुआ और उसने झुक कर अपने पापा का लंड अपने मुंह में भर लिया।
पापा के मुंह से एक ठंडी सिसकारी निकल गयी- स्स्स स्स्स्स स्स्स… आआआ आअह्ह्ह…
उन्होंने अपना हाथ हटा लिया।
अपने सामने बैठी अपनी नंगी बेटी को देख कर उनका लंड फुफकारने लगा और वो तेजी से उसका मुंह चोदने लगे।
“आआआ आआआ आह्ह्ह…” पापा ने अपनी आँखें बंद करी और एक तेज आवाज निकाली। ऋतु उठ खड़ी हुई और पापा के लंड को पकड़ कर आगे की तरफ चल पड़ी। बेड पर पहुंचकर उसने पापा को नीचे लिटाया और उनकी कमर के दोनों तरफ टाँगें चौड़ी करके बैठ गयी और उनकी आँखों में देखकर अपनी चूत का निशाना उनके लंड पर लगाया और बोली- पापा प्लीज… चोदो मुझे… और उसने अपने मोटे चूतड़ों का बोझ पापा के लंड के ऊपर डाल दिया।
पापा का मोटा लंड अपनी बेटी की चूत में ऐसे गया जैसे मक्खन में गर्म छुरी.
“आआ आआआआ आआअह्ह…” ऋतु ने एक तेज सीत्कार ली.
उसकी आवाज सुनकर मम्मी ने अपनी आँखें खोली और पास लेटे अपने पति को अपनी बेटी की चूत मारते हुए देखा और फिर उन्होंने भी मौके की नजाकत समझी और अपनी आँखें बंद करके चाचू का लंड चूसने में मस्त हो गयी।
पापा और मम्मी ने जब एक दूसरे को देखा तो वो समझ गए कि अब अपने आपको रोकना व्यर्थ है इसलिए इन हसीं पलों के मजे लो और जब मम्मी ने आँखें बंद कर ली तो पापा ने अपना ध्यान ऋतु की तरफ लगा दिया।
पापा ने अपने हाथ ऊपर उठाये और ऋतु के झूलते हुए मम्मे अपने हाथों में भर लिए। वो हमेशा घर पर अपनी बेटी के ब्रा में कैद और टाइट टी-शर्ट में बंद इन्ही कबूतरों को देख कर मचलते रहते थे। आज ये दोनों रस कलश उनके हाथ में थे। उन्होंने अपना मुंह ऊपर उठाया और उन कलशों से रस का पान करने लगे। उनके मोटे मोटे होंठ और मूंछें ऋतु के नाजुक निप्पलों पर चुभ रही थी पर उनका एहसास बड़ा ही मजेदार था।
ऋतु ने अपने पापा के सर के नीचे हाथ करके अपनी छाती पर दबा दिया और अपना चुचा उनके मुंह में ठूँसने की कोशिश करने लगी। पापा ने अपना मुंह पूरा खोल दिया और ऋतु का आधे से ज्यादा स्तन उनके मुंह के अन्दर चला गया।
पापा का मुंह अपनी बेटी के चुचे से पूरा भर गया और फिर जब उन्होंने अपनी जीभ अन्दर से ऋतु के चूचों पर घुमानी शुरू की तो ऋतु तो जैसे पागल ही हो गयी। इतना मजा आज तक उसे नहीं आया था। नीचे से पापा का लम्बा लंड उसकी चूत की प्यास बुझा रहा था और ऊपर से पापा उसका दूध पीकर अपनी प्यास बुझा रहे थे।
चाची अपनी जगह से उठी और अपनी चूत को मम्मी के मुंह के ऊपर ले जाकर रगड़ने लगी। चाचू मम्मी के मुंह से नीचे उतर गए और उनके उतरते ही अपनी जवानी की आग में तड़पती हुई नेहा उन पर झपट पड़ी और चाचू के होंठ अपने मुंह में दबाकर नीचे चित लिटा दिया और चाचा का मोटा लंड अपनी चूत पर टिका कर उसे अन्दर ले लिया।
मैंने मम्मी की चूत के ऊपर अपना मुंह रखा और उसे चाटने लगा। मम्मी को शायद पता चल गया था कि मैं उनकी चूत चूस रहा हूँ। उन्होंने उत्तेजना के मारे अपने चूतड़ ऊपर उठा दिये। मैंने नीचे हाथ करके उनके चौड़े पुट्ठे पकड़े और अपनी दो उँगलियाँ उनकी गांड के अन्दर डाल दी और अपनी लम्बी जीभ उनकी चूत के अन्दर।
मम्मी मचल उठी इस दोहरे हमले से…”आआआ आआआ आआआ आआआ आआह्ह्ह्ह..”
मैं उठा और अपना लंड उनकी चूत के छेद पर टिका दिया।
आज मैं मम्मी की चूत चुदाई कर रहा था, उसी छेद के अन्दर अपना लंड डाल रहा था जहाँ से मैं निकला था। मेरे लंड का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर मम्मी तो बिफर ही पड़ी। उन्होंने अपने चूतड़ फिर से ऊपर उठा लिये और मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर समाता चला गया।
“आआआ आअह…” मम्मी के मोअन की हल्की आवाजें चाची की चूत से छन कर मुझे सुनाई दे रही थी। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैं तेजी से अपनी माँ की चूत मारने लगा।
उधर ऋतु अपने आखिरी पड़ाव पर थी, वो पापा के लंड के ऊपर उछलती हुई बडबडा रही थी- आआआअह्ह्ह… चोदो मुझे पापा… अपने प्यारे लंड से… फाड़ डालो अपनी बेटी की चूत इस डंडे से… चोदो न… जोर से… आआआह्ह्ह… बेटी चोद… सुनता नहीं क्या तेज मार… कुत्ते… बेटिचोद… चोद जल्दी जल्दी… आआआ आआह्ह… डाल अपना मुसल मेरी चूत के अन्दर तक… अह्ह्ह्ह ह्ह्ह… और तेज और तेज और तेज… आआआअह्ह्ह… हाँ… ऐसे..ही… भेन्चोद… चोद… अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह!
पापा से अपनी बेटी के ये प्यारे शब्द बर्दाश्त नहीं हुए और उन्होंने अपना रस अपनी छोटी सी बेटी की चूत के अन्दर उड़ेल दिया। ऋतु भी पापा के साथ साथ झड़ने लगी।
ऋतु को देखकर नेहा को भी जोश आ गया… वो भी चिल्लाने लगी चाचू के लंड पर कूद कर- हननं… डेडी…चोदो अपनी बेटी को… देखो ऋतु को ताऊ जी कैसे चोद रहे है… वैसे ही चोदो अपनी लाडली को… डालो अपना लंड मेरी चूत के अन्दर तक… आआहहह… डाआल ऊऊऊऊओ…
और वो भी चाचू के साथ साथ झड़ने लगी।
ऋतु पापा के लंड से नीचे उतरी और पापा के लण्ड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। चाची जो अपनी चूत मम्मी से चुसवा रही थी, उन्होंने अपना सर आगे किया और ऋतु की चूत से टपकते पापा के रस को पीने लगी।
मेरे लिए भी अब सब्र करना कठिन हो गया था। मैंने भी एक दो तेज झटके मारे और अपना पानी मम्मी की चूत के अन्दर छोड़ दिया। मम्मी ने अपने अन्दर मेरे गर्म पानी के बहाव को महसूस किया और वो भी जोर से चिल्ला कर झड़ने लगी- आआह आआ आअह्ह्ह्ह… आआआ… अह.. अह.. अ..अ..हहा.. ह..अ..ह.. हा..हा.. हा…!
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और ऋतु जो पापा के लंड से उतर चुकी थी, आगे आई और मम्मी की चूत से मेरा रस पीने लगी। अपनी चूत पर अपनी बेटी का मुंह पाकर मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी।
मम्मी ने ऋतु के सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी टाँगें खींच कर अपने मुंह के ऊपर कर ली और उसकी चूत से अपने पति का वीर्य चाटने लगी। ऋतु की चूत को मम्मी बड़े चाव से खा रही थी। थोड़ी ही देर में उन दोनों की चूत में दबी वो आखिरी चिंगारी भी भड़क उठी और दोनों एक दूसरी के मुंह में अपना रस छोड़ने लगी।
चाची ने हम तीनों बच्चों की तरफ हाथ करके कहा- ये कितने अच्छे बच्चे हैं…
वो हमारी परफ़ोरमेन्स से काफी खुश थी।
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