पड़ोसन भाभी को चुदाई की तलब - Padosan Bhabhi Ko Chudai Ki Talab
पड़ोसन भाभी को चुदाई की तलब - Padosan Bhabhi Ko Chudai Ki Talab , पड़ोसन भाभी की गांड फाड़ी , पड़ोस में रहने वाली महिला की गांड मारी , आस-पडोस की औरत को लंड चुसाया.
दोस्तो.. आज मैं आपके सामने अपनी एक सच्ची कहानी लेकर आया हूँ.. लेकिन उससे पहले मैं अपने बारे में बता दूँ.. मेरा नाम राज है और मैं उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में रहता हूँ। इस वक़्त मेरी उम्र 35 साल हो गई है।
आज भी मैं हर वक़्त सेक्स का भूखा रहता हूँ।
बात उन दिनों की है.. जब मैं सिर्फ़ 20 साल का था। मेरे यहाँ एक फैमिली किराए पर रहने आई। उस फैमिली में एक आदमी.. उसकी बीवी और दो छोटे बच्चे थे।
उनका कमरा मेरे बगल में ही था। आदमी की उम्र यही कोई 35 साल होगी और उस औरत की 30 साल थी। लेकिन उसकी उम्र 30 के बावजूद भी वो लगती बिल्कुल 25 साल की थी। वो बहुत ही सुन्दर औरत थी.. मैं उसे भाभी कहता था.. लेकिन मुझे वो औरत कुछ चालू किस्म की लगती थी।
जब उसका पति अपनी ड्यूटी पर चला जाता था और बच्चे स्कूल चले जाते थे.. तो उस वक्त वो मुझसे थोड़ा हँसी-मज़ाक कर लेती थी।
मैं भी इसे सामान्य तौर पर लेता था। इसी तरह से तीन महीने बीत गए.. हम लोग आपस में काफ़ी खुल गए थे।
अक्सर ऐसा होता था कि रात में नज़दीक होने की वजह से मैं उनका टॉयलेट इस्तेमाल कर लेता था।
उसके पति जिनका नाम अशोक सक्सेना था.. वो कई बार टूर पर ऑफिस के काम से लखनऊ भी जाते थे और उन्हें वहाँ कई-कई दिन रुकना पड़ जाता था। तब घर में वो अकेली रह जाती थी.. तो उससे मेरी खूब बातें होती थीं।
मैं कभी-कभी छत पर जाकर छुप कर ड्रिंक कर लिया करता था। एक दिन मैं ड्रिंक कर रहा था.. अचानक वो भी ऊपर आ गई और उसने मुझे ड्रिंक करते हुए देख लिया।
मैं डर गया कि आज तो भांडा फूट गया.. लेकिन वो मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली- जब मेरे ‘वो’ यहाँ नहीं होते हैं.. तो तुम मेरे कमरे में बच्चों के सोने के बाद ड्रिंक कर सकते हो।
मैंने उन्हें ‘धन्यवाद’ दिया और झेंपते हुए बताया- बस भाभी जी.. मैं कभी-कभार ही ड्रिंक करता हूँ।
उन्होंने कहा- तुम्हारे भाईसाब भी कभी-कभी काम से बाहर जाते हैं.. तो तुम मेरे कमरे में ये सब कर सकते हो।
मैंने उन्हें ‘थैंक्स’ बोला और अपना क्वार्टर लेकर उनके कमरे में आ गया।
उन्होंने फ्रिज से ठन्डे पानी की बोतल और गिलास टेबल पर रख दिया और बातें करने लगीं।
अब मुझे सुरूर होने लगा था.. उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है क्या?
‘नहीं तो..’ मैंने लौड़े पर हाथ फेरते हुए बताया- अभी तक तो कोई नहीं है।
फिर उन्होंने मुझे लौड़े पर हाथ फेरते हुए देखा तो मुस्कुराते हुए पूछा- कभी सेक्स किया है?
तो मैं चौंक गया.. मुझे इतनी जल्द इसी उम्मीद नहीं थी.. मुझे बड़ा अजीब सा लगा।
मैंने कहा- नहीं..
तो आँख मारते हुए बोली- अच्छा.. इतने शरीफ लगते तो नहीं हो..
बस मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने झट से उनको बाँहों में भर लिया और बोल दिया- भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
उसने छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा-तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.. पर अभी तुम अपने कमरे में जाओ.. रात को आना.. जब तुम्हारे सभी घर वाले सो जाएँगे।
तो दोस्तो, मैं समझ गया कि चुदाई की आग दोनों तरफ लगी है।
मैं उधर से उठ कर अपने कमरे में आ गया और खाना खाकर सोने का नाटक करने लगा।
दो घंटे के बाद सभी घर वाले भी सो गए.. तो मैं चुपके से उठा और भाभी के कमरे में घुस गया। उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था।
मैं जैसे ही अन्दर घुसा तो मैं देखता ही रह गया। भाभी ने सफेद रंग की नाईटी पहनी थी.. वो बड़ी मस्त लग रही थी। मैंने जाते ही उनको दबोच लिया.. लेकिन उन्होंने कहा- ऐसे नहीं.. पहले टॉयलेट में जाकर मुठ्ठ मार के आओ।
मैंने कहा- भाभी जब आप तैयार हैं.. तो फिर मुठ्ठ मारने की ज़रूरत क्या है?
तो उन्होंने कहा- जो मैं कहती हूँ.. वो करो..
मैं टॉयलेट में घुस गया और मुठ्ठ मारी और फिर से भाभी के कमरे में आ गया। इस बार देख की भाभी बिल्कुल नंगी होकर बिस्तर पर बैठी थीं।
क्या कयामत लग रही थी.. उस वक्त वो.. मैं बता नहीं सकता। उन्होंने अपने बिस्तर के बगल में नीचे बिस्तर लगा दिया था.. जिससे बच्चों की आँख ना खुल सके। अब भाभी ने मेरे कपड़े भी खुद ही उतार दिए।
खैर.. मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. मैं फिर से गरम हो गया और भाभी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी।
वाह.. क्या मज़ा आया..
फिर मैंने उनकी चूचियों की चूसना शुरू कर दिया। अब भाभी बहुत ही गरम हो गई थीं। उन्होंने मुझे नीचे लिटा दिया और अपनी चूत मेरे मुँह की तरफ कर दी और अपना मुँह मेरे लंड की तरफ करके मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैंने भी अपनी जीभ उनकी चूत में डाल दी।
जन्नत का मज़ा आ रहा था..
ऐसे ही लगभग 5 मिनट तक चुसाई का कार्यक्रम चला। भाभी की चूत से पानी की धार बह निकली.. उधर मेरा भी निकलने को हो गया।
मैंने भाभी से कहा- मेरा निकल जाएगा..
तो उन्होंने कहा- छोड़ दे.. मैं मुँह में ही ले लूँगी।
मेरे लौड़े ने उनके मुँह में ही पिचकारी छोड़ दी.. वो सारा वीर्य पी गई।
अब वो उठी और मेरे बगल में लेट गई। वो मुझे सहला रही थी.. और मैं उन्हें मसल रहा था।
इसी तरह से मुश्किल से 10 मिनट बीते थे कि लण्ड फिर से पूरा खड़ा हो गया और भाभी भी पूरी गर्म हो गई।
अब उन्होंने अपनी चूत फैलाते हुए कहा- ले.. अब अन्दर डाल..
मैं उनके ऊपर आ गया.. लण्ड का सुपारा चूत पर रखा और अन्दर डाल दिया और चुदाई शुरू कर दी। लगभग 7-8 मिनट की चुदाई के बाद भाभी ने मुझे बुरी तरह से कस लिया और बोली- थोड़ी सी रफ़्तार और बढ़ाओ..
मैंने रफ़्तार बढ़ा दी.. भाभी की साँसें रुक गईं.. उनका जिस्म बुरी तरह से अकड़ा और वो झड़ गई।
लेकिन दो बार वीर्य निकलने की वजह से मैंने चुदाई जारी रखी और मैं चोदता रहा। फिर दस मिनट के बाद भाभी फिर अकड़ गई और फिर से झड़ गई।
अब वो मुझे अपने ऊपर से उतरने के लिए कहने लगी। मैंने लंड बाहर निकाला और उन्हें घोड़ी बना कर फिर उनकी चूत में लंड पेल दिया। फिर मैंने करीब 10 मिनट उन्हें और चोदा।
इस बार हम दोनों साथ-साथ छूटे और एक-दूसरे के बगल में लेट गए।
भाभी पूर्ण संतुष्ट हो चुकी थीं।
उन्होंने कहा- आज असली मज़ा आया.. तुम्हारे भैया तो ढंग से चुदाई करते ही नहीं..
एक घंटे के बाद मेरा लंड एक बार फिर तैयार था। इस बार भाभी मेरे ऊपर बैठ गईं और उछल-उछल कर मुझे चोदने लगीं।
यह दौर भी 30 मिनट तक चला और वो दो बार और मैं एक बार झड़ा। लेकिन अब थकान होने लगी थी.. खास तौर से भाभी को..
मैं उनके कमरे से जाना नहीं चाहता था.. लेकिन उन्होंने कहा- थोड़ी देर अपने कमरे में जाकर सो जाओ।
तो मैं बुझे मन से अपने कमरे में आकर सो गया.. लेकिन जोर से पेशाब लगने के कारण मेरी आँख 3 बजे फिर से खुल गई और मैं टॉयलेट मैं गया।
मैंने देखा कि भाभी ने कमरा बंद नहीं किया था.. तो उत्सुकतावश मैंने अन्दर झाँका.. भाभी बिस्तर पर नाइटी पहने हुए सो रही थीं।
मेरा मन फिर खराब हो गया.. लंड ने फिर सैल्यूट मारा और मैं धीरे से अन्दर घुस गया और उनको जगा दिया।
मैंने कहा- भाभी एक बार और..
वो फिर से नाईटी उतार कर नीचे वाले बिस्तर पर आ गई और बोली- बड़ी जबरदस्त जवानी है.. राज तुममें..
तो मैंने कहा- भाभी उमर ही ऐसी है।
वो रंडी की तरह मुस्कुराई और लेट कर उसने अपनी चूत फैला दी।
मैंने भाभी से कहा- भाभी मैं पीछे से करना चाहता हूँ।
तो वो बोली- आज तुमने मुझे जो सुख दिया है.. उसके लिए तुम कहीं भी अपना लंड डाल सकते हो.. लेकिन धीरे से करना।
वो उठ कर रसोई से तेल की शीशी ले आई और मुझे दे दी। मैंने अपनी उंगली से उनकी गाण्ड में जहाँ तक हो सकता था.. तेल डाल दिया और अपने लंड पर भी तेल लगा लिया।
उनको घोड़ी बनाकर उनकी गाण्ड में अपना लौड़ा डालने की कोशिश करने लगा।
बड़ी मुश्किल से सुपारा ही अन्दर गया कि भाभी मना करने लगी, बोली- दर्द हो रहा है..
तो मैं सिर्फ़ सुपारा डाल कर रुक गया। अब मैं भाभी की चूचियों से खेलने लगा।
कुछ ही पलों में भाभी भी उत्तेजित हो गई थी.. उन्होंने धीरे-धीरे अपनी गाण्ड को मेरे लंड की तरफ सरकाया और धीरे-धीरे पूरा लंड अपनी गाण्ड में ले लिया।
सच में दोस्तो.. गाण्ड में लंड डालकर ऐसा लगा जैसे किसी ने लंड को बुरी तरह से भींच लिया हो।
मैंने धीरे-धीर धक्के लगाने शुरू किए और फिर अपनी रफ़्तार बढ़ाता चला गया लेकिन उनकी गाण्ड बहुत कसी हुई थी।
मैंने एक हाथ से भाभी की चूची पकड़ रखी थी.. और एक हाथ की उंगली उनकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था।
हाय.. क्या मस्त नज़ारा था..
भाभी सिसकारियाँ ले रही थी.. लेकिन बहुत धीमी आवाज़ में..
भाभी का जिस्म फिर से अकड़ा और वो झड़ गई थी.. दो मिनट के बाद मैंने भी सारा वीर्य भाभी की गाण्ड में ही भर दिया।
पता नहीं उनकी चूत झड़ी थी कि गाण्ड फटी.. लेकिन मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आया।
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और सो गया। सुबह जब भाभी से सामना हुआ तो उन्होंने मुस्कुराकर मुझे आँख मारी और हमारा ये सिलसिला 3 साल तक चला।
फिर मेरी माँ को कुछ शक सा हो गया और उन्होंने उनसे मकान खाली करवा लिया। कुछ दिन बाद उनकी पति का तबादला भी कहीं और हो गया और वो लोग शहर से चले गए।
लेकिन भाभी की वो मस्त चुदाई.. मैं आज तक नहीं भूल पाया हूँ। दोस्तो, आपको मेरे कहानी कैसी लगी। आपके कमेन्ट आए तो अपने दूसरे किस्से भी आप तक ज़रूर भेजने की कोशिश करूँगा।
दोस्तो.. आज मैं आपके सामने अपनी एक सच्ची कहानी लेकर आया हूँ.. लेकिन उससे पहले मैं अपने बारे में बता दूँ.. मेरा नाम राज है और मैं उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में रहता हूँ। इस वक़्त मेरी उम्र 35 साल हो गई है।
आज भी मैं हर वक़्त सेक्स का भूखा रहता हूँ।
बात उन दिनों की है.. जब मैं सिर्फ़ 20 साल का था। मेरे यहाँ एक फैमिली किराए पर रहने आई। उस फैमिली में एक आदमी.. उसकी बीवी और दो छोटे बच्चे थे।
उनका कमरा मेरे बगल में ही था। आदमी की उम्र यही कोई 35 साल होगी और उस औरत की 30 साल थी। लेकिन उसकी उम्र 30 के बावजूद भी वो लगती बिल्कुल 25 साल की थी। वो बहुत ही सुन्दर औरत थी.. मैं उसे भाभी कहता था.. लेकिन मुझे वो औरत कुछ चालू किस्म की लगती थी।
जब उसका पति अपनी ड्यूटी पर चला जाता था और बच्चे स्कूल चले जाते थे.. तो उस वक्त वो मुझसे थोड़ा हँसी-मज़ाक कर लेती थी।
मैं भी इसे सामान्य तौर पर लेता था। इसी तरह से तीन महीने बीत गए.. हम लोग आपस में काफ़ी खुल गए थे।
अक्सर ऐसा होता था कि रात में नज़दीक होने की वजह से मैं उनका टॉयलेट इस्तेमाल कर लेता था।
उसके पति जिनका नाम अशोक सक्सेना था.. वो कई बार टूर पर ऑफिस के काम से लखनऊ भी जाते थे और उन्हें वहाँ कई-कई दिन रुकना पड़ जाता था। तब घर में वो अकेली रह जाती थी.. तो उससे मेरी खूब बातें होती थीं।
मैं कभी-कभी छत पर जाकर छुप कर ड्रिंक कर लिया करता था। एक दिन मैं ड्रिंक कर रहा था.. अचानक वो भी ऊपर आ गई और उसने मुझे ड्रिंक करते हुए देख लिया।
मैं डर गया कि आज तो भांडा फूट गया.. लेकिन वो मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली- जब मेरे ‘वो’ यहाँ नहीं होते हैं.. तो तुम मेरे कमरे में बच्चों के सोने के बाद ड्रिंक कर सकते हो।
मैंने उन्हें ‘धन्यवाद’ दिया और झेंपते हुए बताया- बस भाभी जी.. मैं कभी-कभार ही ड्रिंक करता हूँ।
उन्होंने कहा- तुम्हारे भाईसाब भी कभी-कभी काम से बाहर जाते हैं.. तो तुम मेरे कमरे में ये सब कर सकते हो।
मैंने उन्हें ‘थैंक्स’ बोला और अपना क्वार्टर लेकर उनके कमरे में आ गया।
उन्होंने फ्रिज से ठन्डे पानी की बोतल और गिलास टेबल पर रख दिया और बातें करने लगीं।
अब मुझे सुरूर होने लगा था.. उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है क्या?
‘नहीं तो..’ मैंने लौड़े पर हाथ फेरते हुए बताया- अभी तक तो कोई नहीं है।
फिर उन्होंने मुझे लौड़े पर हाथ फेरते हुए देखा तो मुस्कुराते हुए पूछा- कभी सेक्स किया है?
तो मैं चौंक गया.. मुझे इतनी जल्द इसी उम्मीद नहीं थी.. मुझे बड़ा अजीब सा लगा।
मैंने कहा- नहीं..
तो आँख मारते हुए बोली- अच्छा.. इतने शरीफ लगते तो नहीं हो..
बस मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने झट से उनको बाँहों में भर लिया और बोल दिया- भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
उसने छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा-तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.. पर अभी तुम अपने कमरे में जाओ.. रात को आना.. जब तुम्हारे सभी घर वाले सो जाएँगे।
तो दोस्तो, मैं समझ गया कि चुदाई की आग दोनों तरफ लगी है।
मैं उधर से उठ कर अपने कमरे में आ गया और खाना खाकर सोने का नाटक करने लगा।
दो घंटे के बाद सभी घर वाले भी सो गए.. तो मैं चुपके से उठा और भाभी के कमरे में घुस गया। उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था।
मैं जैसे ही अन्दर घुसा तो मैं देखता ही रह गया। भाभी ने सफेद रंग की नाईटी पहनी थी.. वो बड़ी मस्त लग रही थी। मैंने जाते ही उनको दबोच लिया.. लेकिन उन्होंने कहा- ऐसे नहीं.. पहले टॉयलेट में जाकर मुठ्ठ मार के आओ।
मैंने कहा- भाभी जब आप तैयार हैं.. तो फिर मुठ्ठ मारने की ज़रूरत क्या है?
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मैं टॉयलेट में घुस गया और मुठ्ठ मारी और फिर से भाभी के कमरे में आ गया। इस बार देख की भाभी बिल्कुल नंगी होकर बिस्तर पर बैठी थीं।
क्या कयामत लग रही थी.. उस वक्त वो.. मैं बता नहीं सकता। उन्होंने अपने बिस्तर के बगल में नीचे बिस्तर लगा दिया था.. जिससे बच्चों की आँख ना खुल सके। अब भाभी ने मेरे कपड़े भी खुद ही उतार दिए।
खैर.. मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. मैं फिर से गरम हो गया और भाभी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी।
वाह.. क्या मज़ा आया..
फिर मैंने उनकी चूचियों की चूसना शुरू कर दिया। अब भाभी बहुत ही गरम हो गई थीं। उन्होंने मुझे नीचे लिटा दिया और अपनी चूत मेरे मुँह की तरफ कर दी और अपना मुँह मेरे लंड की तरफ करके मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैंने भी अपनी जीभ उनकी चूत में डाल दी।
जन्नत का मज़ा आ रहा था..
ऐसे ही लगभग 5 मिनट तक चुसाई का कार्यक्रम चला। भाभी की चूत से पानी की धार बह निकली.. उधर मेरा भी निकलने को हो गया।
मैंने भाभी से कहा- मेरा निकल जाएगा..
तो उन्होंने कहा- छोड़ दे.. मैं मुँह में ही ले लूँगी।
मेरे लौड़े ने उनके मुँह में ही पिचकारी छोड़ दी.. वो सारा वीर्य पी गई।
अब वो उठी और मेरे बगल में लेट गई। वो मुझे सहला रही थी.. और मैं उन्हें मसल रहा था।
इसी तरह से मुश्किल से 10 मिनट बीते थे कि लण्ड फिर से पूरा खड़ा हो गया और भाभी भी पूरी गर्म हो गई।
अब उन्होंने अपनी चूत फैलाते हुए कहा- ले.. अब अन्दर डाल..
मैं उनके ऊपर आ गया.. लण्ड का सुपारा चूत पर रखा और अन्दर डाल दिया और चुदाई शुरू कर दी। लगभग 7-8 मिनट की चुदाई के बाद भाभी ने मुझे बुरी तरह से कस लिया और बोली- थोड़ी सी रफ़्तार और बढ़ाओ..
मैंने रफ़्तार बढ़ा दी.. भाभी की साँसें रुक गईं.. उनका जिस्म बुरी तरह से अकड़ा और वो झड़ गई।
लेकिन दो बार वीर्य निकलने की वजह से मैंने चुदाई जारी रखी और मैं चोदता रहा। फिर दस मिनट के बाद भाभी फिर अकड़ गई और फिर से झड़ गई।
अब वो मुझे अपने ऊपर से उतरने के लिए कहने लगी। मैंने लंड बाहर निकाला और उन्हें घोड़ी बना कर फिर उनकी चूत में लंड पेल दिया। फिर मैंने करीब 10 मिनट उन्हें और चोदा।
इस बार हम दोनों साथ-साथ छूटे और एक-दूसरे के बगल में लेट गए।
भाभी पूर्ण संतुष्ट हो चुकी थीं।
उन्होंने कहा- आज असली मज़ा आया.. तुम्हारे भैया तो ढंग से चुदाई करते ही नहीं..
एक घंटे के बाद मेरा लंड एक बार फिर तैयार था। इस बार भाभी मेरे ऊपर बैठ गईं और उछल-उछल कर मुझे चोदने लगीं।
यह दौर भी 30 मिनट तक चला और वो दो बार और मैं एक बार झड़ा। लेकिन अब थकान होने लगी थी.. खास तौर से भाभी को..
मैं उनके कमरे से जाना नहीं चाहता था.. लेकिन उन्होंने कहा- थोड़ी देर अपने कमरे में जाकर सो जाओ।
तो मैं बुझे मन से अपने कमरे में आकर सो गया.. लेकिन जोर से पेशाब लगने के कारण मेरी आँख 3 बजे फिर से खुल गई और मैं टॉयलेट मैं गया।
मैंने देखा कि भाभी ने कमरा बंद नहीं किया था.. तो उत्सुकतावश मैंने अन्दर झाँका.. भाभी बिस्तर पर नाइटी पहने हुए सो रही थीं।
मेरा मन फिर खराब हो गया.. लंड ने फिर सैल्यूट मारा और मैं धीरे से अन्दर घुस गया और उनको जगा दिया।
मैंने कहा- भाभी एक बार और..
वो फिर से नाईटी उतार कर नीचे वाले बिस्तर पर आ गई और बोली- बड़ी जबरदस्त जवानी है.. राज तुममें..
तो मैंने कहा- भाभी उमर ही ऐसी है।
वो रंडी की तरह मुस्कुराई और लेट कर उसने अपनी चूत फैला दी।
मैंने भाभी से कहा- भाभी मैं पीछे से करना चाहता हूँ।
तो वो बोली- आज तुमने मुझे जो सुख दिया है.. उसके लिए तुम कहीं भी अपना लंड डाल सकते हो.. लेकिन धीरे से करना।
वो उठ कर रसोई से तेल की शीशी ले आई और मुझे दे दी। मैंने अपनी उंगली से उनकी गाण्ड में जहाँ तक हो सकता था.. तेल डाल दिया और अपने लंड पर भी तेल लगा लिया।
उनको घोड़ी बनाकर उनकी गाण्ड में अपना लौड़ा डालने की कोशिश करने लगा।
बड़ी मुश्किल से सुपारा ही अन्दर गया कि भाभी मना करने लगी, बोली- दर्द हो रहा है..
तो मैं सिर्फ़ सुपारा डाल कर रुक गया। अब मैं भाभी की चूचियों से खेलने लगा।
कुछ ही पलों में भाभी भी उत्तेजित हो गई थी.. उन्होंने धीरे-धीरे अपनी गाण्ड को मेरे लंड की तरफ सरकाया और धीरे-धीरे पूरा लंड अपनी गाण्ड में ले लिया।
सच में दोस्तो.. गाण्ड में लंड डालकर ऐसा लगा जैसे किसी ने लंड को बुरी तरह से भींच लिया हो।
मैंने धीरे-धीर धक्के लगाने शुरू किए और फिर अपनी रफ़्तार बढ़ाता चला गया लेकिन उनकी गाण्ड बहुत कसी हुई थी।
मैंने एक हाथ से भाभी की चूची पकड़ रखी थी.. और एक हाथ की उंगली उनकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था।
हाय.. क्या मस्त नज़ारा था..
भाभी सिसकारियाँ ले रही थी.. लेकिन बहुत धीमी आवाज़ में..
भाभी का जिस्म फिर से अकड़ा और वो झड़ गई थी.. दो मिनट के बाद मैंने भी सारा वीर्य भाभी की गाण्ड में ही भर दिया।
पता नहीं उनकी चूत झड़ी थी कि गाण्ड फटी.. लेकिन मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आया।
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और सो गया। सुबह जब भाभी से सामना हुआ तो उन्होंने मुस्कुराकर मुझे आँख मारी और हमारा ये सिलसिला 3 साल तक चला।
फिर मेरी माँ को कुछ शक सा हो गया और उन्होंने उनसे मकान खाली करवा लिया। कुछ दिन बाद उनकी पति का तबादला भी कहीं और हो गया और वो लोग शहर से चले गए।
लेकिन भाभी की वो मस्त चुदाई.. मैं आज तक नहीं भूल पाया हूँ। दोस्तो, आपको मेरे कहानी कैसी लगी। आपके कमेन्ट आए तो अपने दूसरे किस्से भी आप तक ज़रूर भेजने की कोशिश करूँगा।
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