पापा ने रात भर चोद कर मुझे ऐसी रंडी बना दिया - Papa ne puri raat chodi

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रानी- आहह पापा ऊउउहह बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ बस अब निकाल लो… आह मैं मर जाऊँगी ऊउउहह…

पापा- अरे कुछ नहीं होगा.. मेरा जान ये तो आज तेरा कौमार्य भंग हुआ है.. इसलिए इतना दर्द हुआ.. बस आज बर्दाश्त कर ले.. फिर तू खुद मेरे लौड़े पर बैठ कर उछल-उछल कर चुदेगी.. अब जितना लौड़ा अन्दर गया है उसी को आगे-पीछे करूँगा.. थोड़ा दर्द होगा और कुछ नहीं.. जब दर्द कम हो जाए तो बता देना, एक ही बार में पूरा हथियार घुसेड़ दूँगा.. उसके बाद मज़ा ही मज़ा है।

मैं मुँह से कुछ नहीं बोली बस ‘हाँ’ में सर हिला दिया। अब पापा अपने लौड़े को आगे-पीछे करने लगे मुझे दर्द हो रहा था, पर मैं दाँत भींचे पड़ी रही।

कुछ देर बाद मेरी चूत का दर्द मज़े में बदल गया। अब मेरी चूत में वही खुजली फिर से होने लगी थी, ऐसा लग रहा था पापा का लौड़ा आगे तक क्यों नहीं जा रहा।

रानी- आहह.. हह उईईई उफफफ्फ़.. पापा आहह अब दर्द कम है.. आहह घुसा दो.. आह फाड़ दो.. मेरी चूत को उफ़फ्फ़ अब बर्दाश्त नहीं होता आह.. घुसाओ ना आहआह…

पापा के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई और पापा ने मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी कमर पर दबाव बनाया जिससे थोड़ा और लंड अन्दर सरक गया।

पापा ऐसे ही धीरे-धीरे आगे-पीछे करते रहे और थोड़ा-थोड़ा करके लौड़ा अन्दर करते रहे। दोस्तों सच बताऊँ मुझे पता ही नहीं चला कि उस हल्के दर्द में ही पापा ने अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत में जड़ तक घुसा दिया था।

पापा बहुत ही मंजे हुए खिलाड़ी हैं, उनको हक़ था मेरी सील तोड़ने का.. वरना कोई नया होता तो दर्द के मारे मेरी जान निकल जाती।

रानी- आहह उफफ्फ़ ससस्स कक.. पापा आहह घुसा दो.. आहह मज़ा आह रहा है.. आह अब जल्दी से झटका मार कर पूरा डाल दो.. अब दर्द कम हो गया आहअहह…

पापा- हा हा हा.. साली रंडी कहीं की.. कौन सी दुनिया में खोई है.. लौड़ा कब का जड़ तक तेरी चूत की गहराइयों में खो गया.. साला किसी ने सच ही कहा है लौड़ा कितना भी बड़ा हो.. चूत में जाकर गुम ही होता है और चूत दिखने में छोटी लगती है, मगर साली बड़े से बड़े लौड़े को निगल जाती है। अब देख मैं कैसे तेरी सवारी करता हूँ.. अब आएगा असली मज़ा, जब तेरी चूत में रफ्तार से लौड़ा अन्दर-बाहर करूँगा।

इतना बोल कर पापा ने रफ्तार बढ़ा दी, और दे झटके पे झटके मुझे चोदने लगे। मुझे भी दर्द के साथ मज़ा आने लगा। एक मीठा सा दर्द होने लगा, अब मैं भी पापा का साथ देने लगी और नीचे से गाण्ड उठा-उठा कर चुदने लगी।

रानी- आहह चोदो.. मेरे हरामी पापा.. आह चोद दो.. अपनी बेटी को.. आहह फाड़ दो आज मेरी चूत.. आह बना लो अपनी बीवी.. आहआह…

पापा- उह उह उह.. ले साली छिनाल की औलाद.. मेरे झटके अब ले.. आहह.. क्या गर्मी है तेरी चूत में आहह मज़ा आह.. गया आहह..

दस मिनट तक पापा मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करते रहे, मैं इस दौरान दो बार झड़ गई। अब पापा भी झड़ने के करीब आ गए।

उन्होंने रफ्तार और बढ़ा दी, पूरा बिस्तर हिलने लगा, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं ट्रेन में हूँ और आख़िर पापा के लौड़े ने लावा उगल दिया, मेरी प्यासी चूत पानी से भर गई।

काफ़ी देर तक पापा मेरे ऊपर पड़े रहे हाँफते रहे.. उसके बाद वे ऊपर से हटे…

रानी- उफ़फ्फ़ पापा.. यह क्या कर दिया.. आपने मेरी चूत को फाड़ दिया.. देखो पूरा बिस्तर खून से लाल हो गया, उफ़फ्फ़.. कितनी जलन हो रही है चूत में..

पापा ने मुझे समझाया- यह तो सील टूटी.. इसलिए खून आया, आज के बाद दोबारा कभी नहीं आएगा.. अब तू हर तरह से चुदने के लायक हो गई है।

उनकी बात सुनकर मेरा डर निकल गया, मैं जब उठी तो मेरे पैरों में दर्द हुआ और चूत में भी अंगार सी जलन हो रही थी।

मैंने हिम्मत करके खुद को उठाया और कमरे में थोड़ा चहलकदमी की, यह भी मुझे पापा ने ही बताया।

दस मिनट में मेरा दर्द कम हो गया और मैंने चादर हटा कर बाथरूम में धुलने में रख दी, पापा और मैं एक साथ नहाए।

पापा ने बड़े प्यार से मल कर मेरी चूत साफ की.. गर्म पानी से मुझे बड़ा आराम मिल रहा था।
मैंने भी पापा के लौड़े को साफ किया।

नहाते-नहाते पापा का लौड़ा दोबारा खड़ा हो गया और पापा ने कहा- चलो अब इसको दोबारा ठण्डा करो।

उस रात पापा ने मेरी 3 बार चूत और आखिर में एक बार गाण्ड मारी।

दोस्तों एक ही रात में पापा ने मुझे चुदाई के ऐसे-ऐसे नियम बताए और हर तरह के आसन में मुझे चोदा, मैं आपको कैसे बताऊँ…
चुदाई से थक कर हम नंगे ही सो गए।

सुबह 9 बजे मेरी आँख खुली तो मैं जल्दी से उठी, नहा कर पापा को उठाने गई, वो नंगे सोए हुए थे, उनका लंड भी सोया हुआ था, मुझे मस्ती सूझी, मैंने झट से उनका लौड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

पापा- आहह… उफ़ पूरा बदन दर्द कर रहा है.. अरे वाहह.. रानी तू तो नहा कर तैयार हो गई और साली लंड की भूखी सुबह-सुबह ही लौड़े को चूसने लगी.. रात को मन नहीं भरा क्या तेरा?

मैंने हँसते हुए पापा से कहा- वो बात नहीं है.. आपको उठाने आई तो पहले लौड़ा ही दिखा.. बस आपको छेड़ने के लिए इसको चूसने लगी।

पापा- ओह्ह ये बात है वक्त क्या हुआ है?

रानी- पापा 9.30 बज गए हैं।

पापा- अरे बाप रे.. आज तो बहुत लेट हो गया और बदन भी दु:ख रहा है.. चल अब तो तू लौड़े को चूस कर पानी निकाल दे.. उसके बाद नहा कर आराम से नाश्ता करके ही जाऊँगा.. सच में तूने मेरी जिंदगी बना दी, इतना मज़ा तो मुझे मेरी सुहागरात पर भी नहीं आया था। चल साली अब चूस…

मेरा भी मन था कि लौड़ा चूसूँ… तो मैं अपने काम पर लग गई।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि मैं कितनी बेशर्म हूँ जो अपने बाप के साथ ऐसा कर रही हूँ, पर दोस्तो, यकीन करो इतने सालों में मुझे कभी उनका प्यार नहीं मिला, आज चुदाई के बहाने ही सही, वो मेरे साथ ठीक से पेश आ रहे हैं.. बस मेरे लिए यही काफ़ी है।

मैंने पूरा लौड़ा मुँह में भर लिया और उसको चूसने लगी, मुझे बड़ा मज़ा आह रहा था…

पापा- आह उफ़फ्फ़ चूस साली.. आहह तू तो तेरी माँ से भी अच्छा चूसती है.. रंडी.. वो तो नखरे करती थी.. आह मज़ा आह गया उफ़…

पापा की बात सुनकर मैंने लंड मुँह से निकाल दिया और हाथ से सहलाने लगी।

रानी- सच पापा.. क्या मेरी माँ भी चूसती थी और क्या आपको उनको चोदने में मज़ा आता था।

पापा- अरे हाँ.. उसने शादी की रात तो.. साली ने नहीं चूसा.. नाटक किया.. मगर धीरे-धीरे लाइन पर आ गई, मगर उसको चोदने में मज़ा नहीं था.. साली की चूत नहीं भोसड़ा था.. लगता था तेरे बाप ने दिन-रात उसको चोद-चोद कर चूत का भोसड़ा बना दिया होगा..
तभी साला मर गया।

रानी- पापा प्लीज़ वो दोनों इस दुनिया में नहीं हैं.. उनके बारे में ऐसा तो ना कहो…

पापा- साली छिनाल.. तूने पूछा तभी मैंने बताया.. अब तू खुद अपनी माँ चुदवा रही है तो मैं क्या करूँ।

रानी- अच्छा जाने दो.. अपनी पहली बीवी के बारे में कुछ बताओ ना प्लीज़…

पापा- आह तू हाथ को छोड़.. मुँह से चूस.. मैं सब बताता हूँ.. मैं 23 साल का था जब मेरी शादी हुई थी और राधा 21 की.. बस सुहागरात को तेल लगा कर उसकी चूत में लौड़ा घुसाया था, मगर उसकी सील बचपन में खेल-कूद में टूट गई थी, तो खून तो नहीं आया.. हाँ दर्द उसको बहुत हुआ था। मैं भी नया खिलाड़ी था, तो उस वक़्त इतना मज़ा नहीं आया। असली सुहागरात तो मैंने रात तेरे साथ मनाई है.. आहह उफ़फ्फ़ साली.. आराम से चूस उफ़फ्फ़.. हा ऐसे ही.. मज़ा आह रहा है.. उफ़फ्फ़ ज़ोर से कर.. आह मेरा पानी आ रहा है साली बाहर मत निकालना.. पी जा पूरा.. आह…अहहा उफफ्फ़…

पापा के लौड़े ने मेरे मुँह को पानी से भर दिया, मैं पीना तो नहीं चाहती थी, मगर पापा को खुश करने के लिए पी गई और जीभ से चाट कर उनके लौड़े को साफ कर दिया।
पापा खुश होकर नहाने चले गए और मैं नाश्ते की तैयारी में लग गई।

लगभग 11 बजे तक हम नाश्ते से निपट गए।

पापा ने मुझे एक लंबा सा चुम्बन किया और जाने लगे, दरवाजे तक जाकर वो वापस आ गए।

पापा- रानी मेरी जान.. एक बहुत जरूरी बात बताना भूल गया, शाम को तेरे भाई आएँ.. तो उन्हें ज़रा भी शक ना हो कि हमने रात क्या किया है और तुमने मुझे उनके बारे में कुछ भी नहीं बताया ओके!

रानी- लेकिन पापा अगर उन्होंने दोबारा मेरे साथ करने की कोशिश की तो?

पापा- देख तू मना करेगी तो वो तुझे मारेंगे और मैं नहीं चाहता कि तेरे जिस्म पर ज़रा भी खरोंच आए और वो भी जवान हो गए हैं उनका भी लौड़ा फड़फड़ाता होगा, तुझे क्या है उनसे भी मरवा लेना.. कौन सी तू उनकी सग़ी बहन है.. अब तो तू एक्सपर्ट हो गई है दोनों को झेल लेगी…

पापा की बात सुन कर मुझे थोड़ा दु:ख हुआ कि वो खुद तो मुझे अपनी बीवी बना चुके और अब अपने बेटों की भी रखैल बना रहे हैं।

रानी- आप जो ठीक समझो.. मगर उन्होंने मेरी चूत में लौड़ा डाला तो उनको पता चल जाएगा कि मेरी सील टूट चुकी है, तब मैं उनको क्या जवाब दूँगी?

पापा- अरे पागल, वो दोनों एक साथ तो तुझे चोदेंगे नहीं, जो भी पहले चूत में लौड़ा डाले.. उसको दूसरे का नाम बता देना कि उसने सील तोड़ी है.. समझी…

पापा की बात मुझे अच्छे से समझ में आ गई थी।

अब मुझे किसी किस्म का डर नहीं था.. सच ही कहा है किसी ने.. छोटी सी चूत बड़े से बड़े आदमी को कुत्ता बना देती है, अब ये तीनों बाप बेटे मेरे गुलाम बनने वाले थे। पापा- रानी मेरी जान.. एक बहुत जरूरी बात बताना भूल गया, शाम को तेरे भाई आएँ.. तो उन्हें ज़रा भी शक ना हो कि हमने रात क्या किया है और तुमने मुझे उनके बारे में कुछ भी नहीं बताया ओके!

रानी- लेकिन पापा अगर उन्होंने दोबारा मेरे साथ करने की कोशिश की तो?

पापा- देख तू मना करेगी तो वो तुझे मारेंगे और मैं नहीं चाहता कि तेरे जिस्म पर ज़रा भी खरोंच आए और वो भी जवान हो गए हैं उनका भी लौड़ा फड़फड़ाता होगा, तुझे क्या है उनसे भी मरवा लेना.. कौन सी तू उनकी सग़ी बहन है.. अब तो तू एक्सपर्ट हो गई है दोनों को झेल लेगी…

पापा की बात सुन कर मुझे थोड़ा दु:ख हुआ कि वो खुद तो मुझे अपनी बीवी बना चुके और अब अपने बेटों की भी रखैल बना रहे हैं।

रानी- आप जो ठीक समझो.. मगर उन्होंने मेरी चूत में लौड़ा डाला तो उनको पता चल जाएगा कि मेरी सील टूट चुकी है, तब मैं उनको क्या जवाब दूँगी?

पापा- अरे पागल, वो दोनों एक साथ तो तुझे चोदेंगे नहीं, जो भी पहले चूत में लौड़ा डाले.. उसको दूसरे का नाम बता देना कि उसने सील तोड़ी है.. समझी…

पापा की बात मुझे अच्छे से समझ में आ गई थी।

अब मुझे किसी किस्म का डर नहीं था.. सच ही कहा है किसी ने.. छोटी सी चूत बड़े से बड़े आदमी को कुत्ता बना देती है, अब ये तीनों बाप बेटे मेरे गुलाम बनने वाले थे।

पापा के जाने के बाद मैंने घर की साफ-सफ़ाई की, मेरा पूरा बदन दर्द से दु:ख रहा था मगर ना जाने कहाँ से मुझमें इतनी ताक़त आ गई थी कि मैं फटाफट सारा काम कर रही थी।

दोपहर का खाना तो बनाना नहीं था, सो मैं सारा काम निपटा कर सो गई।

लगभग 5.30 बजे तक सुकून की नींद लेने के बाद मेरी आँख खुली, तभी अजय आ गया और मुझे देख कर मुस्कुराने लगा।

रानी- क्या हुआ क्यों मुस्कुरा रहे हो?

अजय- कुछ नहीं देख रहा हू तेरी अकड़ अभी निकली नहीं.. तुझे दोबारा डोज देना पड़ेगा।

मैं कुछ नहीं बोली और मुँह-हाथ धोकर रसोई में खाना बनाने चली गई।

अजय भी पजामा पहन कर मेरे पीछे आ गया।

मैंने सफ़ेद टॉप और पीला स्कर्ट पहना हुआ था, यह मुझे पड़ोस की मिश्रा आंटी ने दिया था, जो मेरे लिए भी छोटा ही था।

मैं कभी ऐसे कपड़े नहीं पहनती, मगर अब तो ऐसे ही कपड़े इन तीनों को काबू करने के काम आएँगे।

अजय- आज तो बड़ी क़यामत लग रही हो.. क्या इरादा है?

मैंने उसकी बात का कोई जबाव नहीं दिया और अपने काम में लगी रही।

अजय ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मेरी जाँघों पर हाथ घुमाने लगा।

मुझे अच्छा लग रहा था मगर मैंने ना चाहते हुए भी पीछे मुड़ कर उसको धक्का दे दिया।

रानी- शर्म करो.. मैं तुम्हारी बहन हूँ.. कल भी तुमने मेरी गाण्ड मार ली.. मैंने पापा से कुछ नहीं कहा। अब अगर तुमने कुछ किया ना, तो पापा को बता दूँगी।

अजय- अबे चल.. साली राण्ड.. पापा तेरी बात कभी नहीं सुनेंगे, कल की बात भूल गई क्या? विजय ने कैसे तुझे ठोका था.. चल नाटक मत कर चुपचाप कमरे में आजा, मेरा बहुत मन कर रहा है तेरी गाण्ड मारने का.. तू अगर चुपचाप आ जाएगी ना.. तो कल तुझे पक्का एक प्यारा सा गिफ्ट लाकर दूँगा और आज के बाद तुझे कभी परेशान नहीं करूँगा।

मुझे तो इसी मौके का इन्तजार था, मगर ऐसे सीधे ‘हाँ’ बोल देती तो गड़बड़ हो जाती। पापा ने रात भर चोद कर मुझे ऐसी रंडी बना दिया था कि आइडिया अपने आप मेरे दिमाग़ में आ गया।

रानी- ठीक है भाई.. मगर आप इस बारे में विजय से कुछ नहीं कहोगे और आराम से करोगे.. कल ही तुमने मेरी जान निकाल दी थी.. तुम्हारा बहुत मोटा है।

मेरी बात सुनकर अजय के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसकी पैन्ट में तंबू बन गया।

अजय- अरे नहीं मेरी रानी.. मैं भला विजय को क्यों बोलूँगा, इसमे मेरा ही नुकसान है और आज बड़े प्यार से तेरी गाण्ड मारूँगा.. ज़रा भी दर्द नहीं होने दूँगा.. बस तू आ जा कमरे में.. कसम से लौड़े में बहुत दर्द हो रहा है, मेरी तमन्ना पूरी कर दे.. मैं तुझे सच्ची की रानी बना कर रखूँगा।

मैं मन ही मन सोच रही थी कि कितने हरामी है मेरे भाई और बाप.. साले कुत्ते सब मुझे चोदने के लिए कैसे मेरे आगे गिड़गिड़ा रहे हैं।

मैं उसके पीछे-पीछे कमरे में गई, वो बिस्तर पर बैठा अपने लौड़े को पैन्ट के ऊपर से मसल रहा था। मुझे देख कर उसने मुझे आँख मारी, बदले में मैंने भी एक कामुक मुस्कान दे दी।

अजय- आजा मेरी रानी अब बर्दाश्त नहीं होता.. आज तो मैं घोड़ी बना कर तेरी गाण्ड मारूँगा।

रानी- पहले कपड़े तो निकाल दो.. क्या ऐसे ही मारोगे?

मेरी बात सुनकर अजय खुश हो गया और जल्दी से अपने कपड़े निकाल कर फेंक दिए, उसका लंड मुझे सलामी दे रहा था।

कल तो मैंने ठीक से नहीं देखा था मगर आज उसका गोरा लौड़ा मुझे अच्छा लग रहा था।
मैं उसके पास जाकर खड़ी हो गई और एक-एक करके अपने कपड़े निकालने लगी.

मुझे ऐसे कपड़े निकालते देख कर अजय की तो हालत खराब हो गई क्योंकि मेरा अंदाज थोड़ा मादक था।

अजय- वाह.. क्या मस्त फिगर है तेरा.. मज़ा आएगा आज तो आजा रानी.. देख मेरा लौड़ा कैसे तेरे इन्तजार में फुंफकार रहा है।

इतना कहकर अजय मुझ पर टूट पड़ा.. मेरे मम्मों को दबाने लगा.. चूसने लगा।

मैं उसको धक्का मार रही थी मगर वो चिपका जा रहा था आख़िर मैंने उसे अपने आप से दूर किया।

रानी- ऐसे नहीं भाई.. पहले अपनी आँखें बन्द करो.. उसके बाद मैं आपके पास आऊँगी।

अजय ने झट से मेरी बात ली और आँखें बन्द करके बिस्तर पर लेट गया। मैं बिस्तर पर चढ़ गई और उसके लौड़े को हाथ से सहलाने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने उसको मुँह में भर लिया और चूसने लगी। अजय ने झट से आँखें खोल दीं और मुझे देखने लगा।

अजय- अरे वाह साली… तू तो एक ही दिन में इतना बदल गई.. लौड़ा भी चूसने लगी.. आहह मज़ा आ गया उफ़.. साली काट मत.. चूस रानी.. .. मज़ा आ रहा है…

करीब 5 मिनट की ज़बरदस्त चुसाई के बाद मेरी चूत में भी खुजली होने लगी.. मगर मैंने अपने आप पर काबू किया।

अजय- आह आहह.. उफफफ्फ़ साली बस भी कर.. पानी मुँह से ही निकलेगी क्या.. चल अब घोड़ी बन जा.. तेरी गाण्ड मारने की मेरी बहुत इच्छा हो रही है।

मैंने लंड मुँह से निकाल दिया और घोड़ी बन गई, अजय मेरे पीछे आ गया उसने मेरी गाण्ड पर हाथ घुमाया और गाण्ड की तारीफ की, उसके बाद उसने लंड को मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा.. पूरा लौड़ा आराम से गाण्ड में घुस गया, मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

अजय- आहह तेरी गाण्ड में जाकर लंड को कितना सुकून मिला है.. अब ले रानी मेरे झटके संभाल.. आह.. उहह ले आहह…

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था उसके धक्कों से मेरी चूत की आग बढ़ने लगी थी मगर वो कच्चा खिलाड़ी था।

अचानक उसने रफ्तार बढ़ा दी और 2 ही मिनट में उसके लौड़े ने रस छोड़ दिया।

अब वो निढाल सा होकर मेरे पास लेट गया। मेरी चूत की आग चरम पर थी.. मैंने जल्दी से अपनी ऊँगली डाल कर चूत को ठंडा करना चाहा, मगर ऐसा करना ठीक नहीं था वरना अजय को शक हो जाता।

मैं उसके पास ही लेट गई और उसकी नजरों से बचा कर एक हाथ से चूत को रगड़ने लगी।

अजय- उफ़ साली.. क्या हो गया तुझे.. कल तो रो-रो कर बुरा हाल था और आज ऐसे चुदी.. जैसे कई सालों की प्यासी हो.. जान तेरी चूत की सील तोड़ने दे ना.. प्लीज़ तू जैसा कहेगी मैं वैसा ही करूँगा.. प्लीज़ बस एक बार दर्द होगा.. उसके बाद तुझे बड़ा मज़ा आएगा प्लीज़…

रानी- नहीं भाई.. आज नहीं कल पक्का.. अभी पापा आने वाले होंगे.. अच्छा विजय कहाँ है? आया नहीं अभी तक?

‘वो आता ही होगा.. अच्छा तेरी चूत को चुम्मी तो करने दे अभी.. प्लीज़ अब मना नहीं करना..’

उसकी बात सुनकर मेरी तो मन की मुराद पूरी हो गई, चूत तो वैसे ही जल रही थी, मैंने झट से ‘हाँ’ कर दी और अपनी टाँगें फैला लीं।

अजय- वाह.. क्या मस्त गुलाबी चूत है तेरी.. मगर ये ऐसे सूजी हुई क्यों है.. क्या हुआ?

उसकी बात सुनकर मैं भी असमंजस में पड़ गई कि अब क्या जवाब दूँ।

अब दोस्तो, माना कि पापा ने मुझे रात भर चोदा और कई बातें भी सिखाईं मगर ऐसी नौबत भी आएगी, यह हमने सोचा ही नहीं था। मैंने पापा की वही बात बोल दी।

रानी- भाई इतने भी अंजान मत बनो कल विजय ने गाण्ड के साथ-साथ मेरी चूत में भी लौड़ा घुसाया था इसी कारण ये ऐसी हो गई।

अजय- क्या.. मगर मैंने तो नहीं देखा.. मैं वहीं खड़ा छुप कर देख रहा था.. उसने चूत कहाँ मारी थी।

अब तो मेरी मुश्किल और बढ़ गई थी.. क्या जबाव देती उसे? मेरे चेहरे का रंग उड़ गया था चूत की सारी आग ठंडी पड़ गई थी।

अब तो कैसे भी करके मैं अजय को वहाँ से भगाना चाहती थी।

रानी- वो व्व वो.. विजय भाई गुस्से में लौड़े को ज़ोर ज़ोर से अन्दर-बाहर कर रहे थे तो अचानक लौड़ा गाण्ड से निकल कर चूत में घुस गया था, उस वक्त मैं ज़ोर से चीखी भी थी.. याद है ना..? बस उसी वक्त चूत की सील टूट गई थी।

सॉरी दोस्तो.. मुझे पता है, यह बात मुमकिन नहीं है, मगर उस वक़्त मैं भी चुदाई के मामले में नई ही थी.. तो जो मुँह में आया.. सो बोल दिया और अजय कौन सा पक्का चोदू था.. वो हरामी भी नया ही चोदू था तो उसको कहाँ समझ में आया ये सब.. उसने मेरी बात झट से मान ली।

अजय- ओह्ह.. तो ये बात है.. ‘हाँ’.. तुम एक बार ज़ोर से चीखी थी’.. भाई भी ना.. उनको पता ही नहीं चला कि लौड़ा कहाँ जा रहा है.. बस दे दनादन चोद रहे थे। अगर कुछ हो जाता तो? उनको पता भी नहीं चला और तुम्हारी सील टूट गई.. चलो अच्छा ही है अब मुझे किसी बात का डर नहीं है। कल आराम से तुम्हारी चूत के मज़े लूँगा.. अच्छा अब जल्दी से कपड़े पहन लो वरना कोई आ गया तो तेरी शामत आ जाएगी.. कल तेरे लिए एक नई ड्रेस लेकर आऊँगा.. अच्छा सा ओके…

इतना बोलकर वो कड़े पहनने लगा।

मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े पहने और उसको एक पप्पी कर के अपने काम में लग गई।

करीब 7 बजे पापा और विजय साथ में ही घर आए।
पापा के हाथ में कोई पैकेट था.. विजय भाई मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे क्योंकि आज से पहले उन्होंने भी मुझे ऐसे कपड़ों में नहीं देखा था। पापा- अरे वाहह.. क्या बात है रानी.. आज तो बड़े अच्छे कपड़े पहने हैं।

विजय- पापा आप भी ना.. इसने बेढंगे कपड़े पहने हैं और आप इसकी तारीफ कर रहे हो..

पापा- अरे बेटा कौन सा हम इसको कपड़े लाकर देते हैं? आस-पड़ोस से माँग कर पहनती है। अब कोई सलवार सूट देता है तो कोई ऐसे कपड़े दे देता है.. हमको क्या लेना-देना.. ओए रानी की बच्ची.. खाना बनाया कि नहीं.. वरना आज तेरी खैर नहीं..

रानी- ज.. जी.. पापा खाना तैयार है.. आप हाथ-मुँह धो लो अभी लगा देती हूँ।

‘मुझे अभी भूख नहीं है.. बाद में खा लूँगा..’ इतना कहकर विजय अपने कमरे में चला गया।

उधर अजय भी अपने कमरे में आराम कर रहा था। खाना खाने के वक्त तो कुछ खास नहीं हुआ।

रात को करीब दस बजे तक अजय और विजय ने भी खाना खा लिया और अपने-अपने कमरों में चले गए।

पापा- अरे ओ रानी की बच्ची.. कहाँ मर गई.. इधर आ साली.. मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है.. जल्दी आ कुतिया..

दोस्तों पापा ने ज़ोर से मुझे आवाज दी ताकि दोनों भाइयों को किसी तरह का शक ना हो.. मैं चुपचाप पापा के कमरे में गई, पापा मुझे देख कर मुस्कुराए।

पापा- आजा मेरी जान तेरे इन्तजार में लौड़ा मेरी पैन्ट फाड़ रहा है.. साली आज बड़ी क़यामत लग रही है.. ऐसे कपड़े पहनेगी तो मेरा क्या मेरे दोनों बेटों का भी सत्यानाश कर देगी तू.. चल आ जा.. ये ले आज ये पहन कर आ।

पापा ने मुझे वो पैकेट दिया जिसमे गुलाबी रंग की एक सेक्सी नाइटी थी और उसके साथ एक वीट की ट्यूब थी, जिससे मेरी झांटों के बाल साफ़ किए जाते हैं।

पापा- मेरी जान जल्दी से गुसलखाने में जाकर अपने सारे बाल साफ करके ये नाइटी पहन कर आजा… तब तक मैं भी दो-चार पैग लगा लेता हूँ।

दोस्तों मैंने कभी ऐसी क्रीम इस्तेमाल नहीं की थी तो मुझे कुछ समझ नहीं आया।

रानी- पापा मुझे नहीं आता.. आप ही साफ कर दो ना प्लीज़…

पापा- ओह्ह.. चल आज तुझे सिखाता हूँ कि बाल कैसे उतारते हैं.. चल इसी बहाने मेरे लौड़े को भी चिकना कर लूँगा।

हम दोनों नंगे होकर बाथरूम में घुस गए। पापा ने मेरी चूत और हाथ-पाँव पर वीट लगा दी और खुद एक रेजर से अपने बाल उतारने लगे।

दोस्तो, वीट लगाते हुए पापा ने मेरी चूत को ऐसा रगड़ा की बस क्या बताऊँ.. शाम को अजय ने मुझे अधूरा छोड़ दिया था.. अब वो आग वापस जल उठी थी।

करीब 15 मिनट में सारे बाल साफ करके हम नहा कर कमरे में आ गए। हमने एक-दूसरे को साफ किया और पापा नंगे ही बैठ कर पैग बनाने लगे।

पापा- क्यों रानी आज तेरा भी पैग बना दूँ.. बड़ा मज़ा आएगा और सुना आज कुछ हुआ क्या? अजय पहले आ गया था ना.. उसने तुझे चोदा कि नहीं?

रानी- नहीं पापा.. ये आप ही पियो.. मुझे तो आपके लौड़े का रस अच्छा लगता है.. बस उसी को पीऊँगी।

मैंने अजय के साथ की सारी बात पापा को बता दी।

पापा- हा हा हा बेचारा अजय.. बहुत बुरा हुआ उसके साथ तो.. साली रंडी तुझे क्या जरूरत है एक ही दिन में उसके लौड़े को चूसने की.. चुपचाप चुद गई होती और क्या चूतिया बनाया बेचारे को।

मैंने बिना कुछ बोले पापा के लौड़े को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

पापा- अरे जान ऐसे ही शुरू हो गई.. वो नाइटी पहन कर तो आ.. जरा देखने तो दे.. कैसी लगती है तू?

रानी- पापा मेरी चूत पानी-पानी हो रही है आपको नाइटी की पड़ी है। वैसे भी उसे पहन कर उतारना ही तो है और आप भी गर्म हो.. ऐसा करूँगी जब दोनों भाई घर पर नहीं होंगे, तब उसको पहन कर आप को रिझाऊँगी ताकि कभी दिन में भी आप मुझे छोड़ कर ना जा पाओ और मुझे चोदने को बेकरार हो जाओ।

पापा- हाँ.. ये सही कहा.. कभी मेरा मूड नहीं होगा उस दिन उस नाइटी में तुझे देख कर मूड अपने आप बन जाएगा.. चल अब मुझे पीने दे और तू भी अपने काम पर लग जा।

दस मिनट में पापा ने 3 पैग पी लिए और तब तक मैंने उनके लौड़े को चूस कर एकदम लोहे जैसा बना दिया। अब पापा को बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने बिना मुझे चूमे-चाटे बस सीधा बिस्तर पर लिटा कर लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया।

दोस्तो, कल तो दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी मगर आज जो मज़ा आ रहा था। मैं क्या बताऊँ पापा ने आसन बदल-बदल कर मुझे मुझे 40 मिनट तक चोदा, मेरा दो बार पानी निकल गया था।

पापा ने अपना सारा पानी मेरी चूत में भर दिया और हाँफने लगे।

पापा- उफ़फ्फ़ लौड़े में दर्द होने लगा, क्या मस्त कसी चूत है तेरी.. साली एक ही दिन में ऐसी पक्की राण्ड बन गई है कैसे मेरे लौड़े पर उछल कर मज़े ले रही थी।

रानी- पापा ये सब आपका कमाल है.. कमसिन कली को एक ही दिन में तीन-तीन हरामी चोदेंगे तो वो बेचारी राण्ड ही बनेगी।

पापा- साली हरामखोर गाली देती है.. रंडी मैंने तेरी लाइफ बना दी.. कुत्तों से बदतर जिंदगी जी रही थी.. अब मज़े करेगी।

रानी- सॉरी पापा.. आपको बुरा लगा तो मगर आपने ही कहा था गाली देने से चुदाई में मजा बढ़ता है.. अच्छा अबकी बार कैसे चोदेंगे मुझे?

पापा- अरे रानी चोदने के वक्त गाली देने से मजा बढ़ता है.. ऐसे क्या फायदा और अभी के लिए इतना काफ़ी है.. वरना दोनों को शक हो जाएगा.. जा अपने कमरे में चली जा.. विजय आता ही होगा.. उसकी नज़रें साफ बता रही थीं कि वो तुझे आज कच्चा खा जाएगा।

रानी- सच्ची विजय आएगा… कसम से कल कुत्ते ने बड़ी बेदर्दी से मेरी गाण्ड मारी थी.. आज अगर आ गया तो रात भर जाने नहीं दूँगी.. बोलूँगी चोद बहन के लौड़े.. आज जितना दम है निकाल ले साला हरामी बड़ा अकड़ता है।

पापा- अरे आएगा कैसे नहीं.. मेरा खून है उसकी नज़र को बहुत अच्छे से पहचानता हूँ.. जा अब देर मत कर…

मैं झट से गुसलखाने में गई.. अपनी चूत को अच्छे से साफ किया। बाहर आकर अपने कपड़े पहने और सीधी अपने कमरे में चली गई।

वहाँ विजय पहले से ही बैठा मेरा इन्तजार कर रहा था। उसको देख कर मैं सन्न रह गई।

विजय- आओ रानी.. मैं तेरा ही इन्तजार कर रहा था.. कहाँ थी अब तक हाँ?

रानी- व व.. वो वो.. पापा के सर में दर्द था.. इसलिए उनका सर दबा रही थी।

विजय- चुप साली छिनाल.. बहुत झूट बोलती है… मैंने दरवाजे के पास खड़े होकर सब कुछ देखा है… साली रंडी तुझे शर्म नहीं आई पापा से चुदवाते हुए?

दोस्तो, उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया, ना जाने कितने सालों से मैं घुट-घुट कर जी रही थी.. मगर इन दो दिनों की चुदाई ने मुझे निडर बना दिया था। वो कहते है ना औरत को नंगी कर दो, तो उसके बाद उसकी शर्म के साथ-साथ उसकी ज़ुबान भी खुल जाती है।

रानी- अबे ओ बहनचोद.. किसको तेवर दिखा रहा है हरामजादे कल तूने मुझे चोदा.. तब तुझे शर्म नहीं आई कि मैं तेरी बहन हूँ और वो कुत्ता अजय उसने मुझे चोदना चाहा.. उसकी बातों में आकर तूने मेरी गाण्ड मारी.. तेरे जाने के बाद उस कुत्ते ने मेरी गाण्ड मारी…

मैंने तेरे हरामी बाप को बताया तो उसने तुमको कुछ कहने की बजाए मेरी चूत को फाड़ दिया… हाँ साले.. शर्म उसको नहीं आई अपनी बेटी के साथ चुदाई करते हुए।

उसके बाद आज फिर उस कुत्ते अजय ने मुझे चोदा… अभी तेरे बाप के पास मैं नहीं गई थी.. उस हरामी ने मुझे बुलाया था चोदने के लिए समझे…

विजय- साली छिनाल.. बहुत ज़ुबान चल रही है तेरी… काट कर फेंक दूँगा।

रानी- बस ज़्यादा तेवर मत दिखाओ… मैं जानती हूँ तू यहाँ क्यों आया है। अब चुपचाप अपना काम कर और चलता बन मुझे नींद आ रही है।

विजय- क.. कौन सा काम?

रानी- इतना भी पागल मत बन.. आधी रात को तू मेरे कमरे में क्या माँ चुदाने आया है… साला बहनचोद.. मुझे चोदने आया है ना.. तो क्यों बेकार में वक्त खराब कर रहा है.. चल निकल अपने कपड़े.. आज तुझे असली मज़ा देती हूँ। तेरे हरामी बाप ने कल से लेकर आज तक मुझे इतना बेशर्म बना दिया है कि एक रंडी भी अपने ग्राहक को इतना मज़ा नहीं देती होगी जितना मैं तुझे आज दूँगी।
कहानी जारी है।

सेक्सी आंटी की प्यासी चूत - Sexy Aunty Ki Pyasi Choot Chudai

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मेरा नाम मयंक है, मैं बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में रहता हूं. बात तब की है जब मैं बिलासपुर में कोचिंग क्लास कर रहा था. मेरी सोशल नेटवर्किंग साइट के अकाउंट पर एक कोरबा की आंटी थी जिनसे मैं कभी-कभी बात करता था.
कुछ दिनों तक बात करने के बाद हम दोनों एकदम क्लोज़ हो गए. वो अपने बारे में हर बात मुझे बताने लगी. उसकी 3 बेटियाँ थीं जो अभी कम उम्र की ही थीं.

एक बार आंटी ने मुझे कोरबा मिलने के लिये बुलाया तो मैं उनके घर जाने के लिए राज़ी हो गया.
जब मैं उससे पहली बार मिलने गया तो उसने मुझे एक रेस्तराँ में बुलाया. उसे देख कर मैं हैरान रह गया. उसको देख कर लगा ही नहीं कि वो तीन बच्चों की माँ है. देखने में वह केवल 25-26 साल की लग रही थी. वो जीन्स और टॉप पहन कर आई थी.

रेस्तराँ में हम दोनों ने कॉफी पी. फिर वह मुझसे यह कहकर चली गई कि तुम कुछ देर इंतजार करो, मैं थोड़ी देर के बाद तुम्हें फोन करूंगी. मैं वहीं पर होटल में उसका इंतजार करने लगा. दस मिनट के बाद उसका फोन आया और उस लेडी ने मुझे अपने घर बुला लिया.

पहले तो मैं थोड़ा घबरा रहा था क्योंकि मैं इससे पहले कभी किसी शादीशुदा औरत से नहीं मिला था. मैं सोच रहा था कि जाऊं या न जाऊं. उसके बाद मैंने हिम्मत करके उसको आने के लिए हाँ कर दी. उसने अपने घर की लोकेशन मुझे इंटरनेट के जरिये फोन पर भेज दी.

उसकी बताई जगह पर पहुंचकर मैंने उसको फोन किया तो उसने अपना क्वार्टर नम्बर बता दिया. उसके बाद मैं उसके घर पर पहुंच गया और जाकर डोर बेल बजाई. जब अंदर से दरवाजा खुला तो वह नाइट ड्रेस में थी. जब तक मैं कुछ समझ पाता उसने मुझे अंदर खींच लिया और घर का दरवाजा बंद कर दिया. अंदर आते ही वह मुझे अपने बेडरूम में ले गयी.

हम दोनों बेड पर जाकर बैठ गये और कुछ बातें करने लगे. उसने बताया कि उसके पति सरकारी नौकरी करते हैं. उसको पता नहीं क्या हुआ कि कहते-कहते वो रोने लगी कि उसके पति उसको टाइम ही नहीं देते हैं.
मैंने उससे चुप होने के लिए कहा. मगर वह नहीं रुकी. फिर मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया. वह मुझसे लिपट गई और सुबकने लगी.

मैंने उससे कहा- ऐसे नहीं रोते, आपको जो चाहिए वो मैं आपका दूंगा. लेकिन आप दिल छोटा मत करो.
मेरा हाथ उसकी चूची पर टच हो गया. उसकी चूची का स्पर्श पाते ही मेरा ध्यान उसके बूब्स पर चला गया. अब मैंने जान-बूझकर उसको सांत्वना देने के बहाने से उसकी चूचियों को दो बार और टच कर दिया. उसकी तरफ से कोई रिएक्शन नहीं हो रहा था. वह चुप हो गई थी. उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने उसकी चूची को अपने हाथ में भर लिया और उसको दबाने लगा.

मेरी इस हरकत पर वह थोड़ी सहम सी गई और उसने मुझे अपने से अलग कर दिया.
वह बोली- मैं जानती हूँ कि तुम्हारा मन कर रहा है. लेकिन तुम इस बात के बारे में किसी को नहीं बताओगे, मुझसे वादा करो.
मैंने कहा- ठीक है, जब तक तुमको मुझ पर भरोसा नहीं हो जाता मैं तुम्हारी तरफ देखूंगा भी नहीं.

मैं उठ कर बेडरूम से बाहर जाने लगा और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया. मैंने पीछे पलट कर देखा तो वह खड़ी हो गयी और एकदम से मुझे अपनी बांहों में भर कर मुझसे लिपट गई.
वह बोली- तुम मुझे छोड़ कर मत जाओ प्लीज.
कहकर उसने मेरे गाल पर किस कर दिया.
मैंने कहा- तो अब तुमको मुझ पर विश्वास हो गया या नहीं?
वह बोली- हाँ, मुझे तुम पर विश्वास है.

उसके बाद मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर लिया और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को वहीं खड़े होकर चूसने लगे. मैंने उसके होंठों को चूसते हुए उसकी नाइटी के ऊपर से ही उसकी गांड को सहलाना शुरू कर दिया. मेरा लंड मेरी पैंट में तन गया था और उसके शरीर से रगड़ खा रहा था. मेरा लंड उसकी जांघों के बीच में घुस जाना चाहता था मगर बीच में उसकी नाइटी आ रही थी.
मैं उसको जल्दी से नंगी कर देना चाहता था ताकि उसकी चूत में अपने लंड को डाल सकूं लेकिन मैंने सब कुछ धीरे-धीरे करना ही ठीक समझा ताकि उसका विश्वास मुझ पर बना रहे.

कई मिनट तक ऐसे ही किस करने के बाद वह बोली- मयंक, मेरे पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाते.
मैंने कहा- तो क्या हुआ, मैं हूँ न. मुझे अपना पति मान सकती हो तुम.

कहकर मैंने उसकी नाइटी को निकलवा दिया और अब वह मेरे सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी थी. उसके बदन को देखकर मेरी हवस जाग गई. मैंने उसकी ब्रा को किस किया और फिर उसकी गर्दन पर चूमने लगा. वह भी गर्म होने लगी. उसने मुझे अपने से लिपटा लिया और मुझे बांहों में लेकर मेरी गर्दन पर किस करने लगी.

उसके बाद मैंने उसको पलटा कर उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और उसकी ब्रा को निकाल कर बेड पर फेंक दिया. उसके लम्बे बाल उसकी कमर पर बिखरे हुए थे. पीछे से उसकी कमर नंगी हो गई थी. उसकी गोरी, नंगी पीठ, जो काले बालों के नीचे ढकी हुई थी, को देख लग रहा था जैसे किसी फिल्म की हिरोइन हॉट सीन देने के लिए तैयार खड़ी हो.
मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया और उसके चूचों को देखते ही मैं उन पर टूट पड़ा. मैंने उसके चूचों को सीधा मुंह में भर लिया और उसकी गांड को दबाते हुए मैं उसके चूचों को चूसने लगा. बहुत मजा आ रहा था दोस्तो. वह खूबसूरत तो थी ही, साथ ही उसका बदन भी सुडौल था.

मेरा लंड मेरी पैंट में तन कर फटने को हो रहा था. जब मैंने नीचे झांक कर देखा तो मेरे लंड ने मेरी पैंट पर पानी का निशान बना दिया था. मैंने उस लेडी को नीचे बैठा दिया और वह घुटनों पर मेरे सामने बैठ गई. मैंने अपनी पैंट को खोल दिया और अंडरवियर समेत उसको नीचे गिरा दिया. मेरा लौड़ा तन कर उसके मुंह के सामने आ गया.

वह भी समझ गई कि मैं उसको अपना लंड चुसवाना चाहता हूँ. उसने मेरे लंड को हाथ में लिया तो मेरी आह्ह … निकल गई. बड़े ही नर्म हाथ थे उसके. फिर उसने एक दो बार मेरे लंड की मुट्ठ मारी और उसको मुंह में लेकर चूसने लगी. उसके मुंह में लंड गया तो मुझे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना होने लगी. मैंने उसके सिर को हल्के से पकड़ कर अपने लंड को उसके मुंह में धीरे-धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

वह पूरी तबियत के साथ मेरे लंड को चूस रही थी. बीच-बीच में वह मेरी गोलियों को किस कर लेती थी और कभी पूरी की पूरी मुंह में भर लेती थी. वह मुझे पागल बना रही थी. मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था.

कुछ देर चूसने के बाद मेरा जोश पूरा भर गया और उसने मेरे लंड को सही वक्त पर बाहर निकाल दिया नहीं तो मैं उसके मुंह में ही झड़ जाता. उसके बाद मैंने उसको बेड पर लेटा दिया और उसके चूचों के बीच में तने हुए निप्पलों को चूसने लगा. उसके मुंह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं. मैं नीचे से नंगा था लेकिन ऊपर मैंने शर्ट पहनी हुई थी.

वो उठ कर मेरी शर्ट उतारने लगी और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया. उसने मेरी छाती पर चूमना शुरू कर दिया और मैंने नीचे से हाथ ले जा कर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर फिराना शुरू कर दिया.

मैं फिर से उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को चूसते हुए उसके चूचों से होते हुए उसके पेट पर चूमने लगा. वो तड़प सी जाती थी मेरे चुम्बन पर. उसके बाद मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया. उसकी टांगें मचलने लगी.

मैंने उसकी टांगों को रोका और उसकी पैंटी को निकाल दिया. उसकी चूत मेरे सामने नंगी हो गई. उसकी चूत पर काफी बाल थे जो गहरे काले रंग के थे. मगर उसकी जांघें बिल्कुल गोरी थी जिनके बीच में उसकी चूत गजब की लग रही थी. उसकी चूत से चिकना सा पदार्थ निकल कर उसकी पूरी चूत को चिकना कर रहा था.

उसके बाद मैंने उसकी टांगों को चौड़ी कर दिया और उसकी चूत पर हथेली से रगड़ने लगा. उसने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को किस करने लगी. मेरा लंड उसकी चूत से टच होने लगा. मन कर रहा था कि उसकी चूत को फाड़ दूं चोद-चोद कर. मगर अभी मैं उसको और तड़पना चाहता था.

मैंने दोबारा से उसकी चूत के पास अपने होंठ ले जाकर उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया और वो तड़प उठी, बोली- बस, अब और नहीं रुका जा रहा मयंक. मेरी चूत बहुत दिनों से प्यासी है. इसकी प्यास बुझा दो.
मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी और चीख पड़ी- आह्ह … मर जाऊंगी मैं. क्या कर रहे हो! जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो प्लीज!

मैं उसकी चूत में जीभ डालकर उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदने लगा. उसकी हालत खराब होने लगी जिसका अंदाजा मुझे उसकी चूत से निकल रहे पानी से हो रहा था. उसने मेरे मुंह को अपनी चूत पर दबा लिया था. वह अपनी गांड को उठा-उठा कर मेरी जीभ से अपनी चूत को चुदवा रही थी. उसकी आवाजें बहुत तेज हो गई थीं.

मैंने सोचा कि अब यह पूरी तरह से गर्म हो चुकी है. मेरे लंड ने पानी छोड़-छोड़ कर बिस्तर की चादर को गीला कर दिया था. मैंने अपने लंड को हाथ में लिया और उसकी चूत पर लगा कर रगड़ने लगा.

उस आंटी ने … वैसे उसको आंटी कहने में अच्छा नहीं लग रहा क्योंकि वह बिल्कुल जवान लग रही थी. किसी लड़की की तरह. उसने मुझे फिर से अपने ऊपर खींच लिया और मेरी छाती के नीचे उसके चूचे दब गये. वह मुझे अपनी बांहों में पकड़ कर बुरी तरह से चूमने-काटने लगी. उसके हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे. मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था.

दो मिनट तक मेरे होंठों को चूसने के बाद उसने अपनी टांगों को मेरी कमर पर लपेट दिया. फिर उसने नीचे हाथ ले जाकर खुद ही मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट कर लिया और मुझे अपने ऊपर लेटा लिया. मेरा लंड उसकी चिकनी हो चुकी चूत में अंदर घुसने लगा. उसके मुंह से कामुक सीत्कार बाहर आने लगे. उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए सेक्सी आंटी ने गांड को हिला-हिला कर उसने पूरा लंड अपनी चूत में समा लिया. मेरा पूरा लंड जब उसकी चूत में उतर गया तो वह मुझे फिर से चूमने और चूसने लगी.

उसने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिये. मैं समझ गया कि अब यह और इंतजार नहीं कर सकती. मैंने उसकी चूत में अपनी तरफ से धक्के लगाने शुरू कर दिये. नीचे से वह भी अपनी गांड को उकसा कर मेरा साथ देने की पूरी कोशिश कर रही थी. उसको चुदाई का बहुत तजुरबा था.
जब मेरा धक्का लगता तो वह रुक जाती और जब मैं रुक जाता तो वह धक्का लगा देती. इस तरह से वह पूरे ताल-मेल के साथ मेरे लंड से चुदने लगी. मैंने अपने हाथ बेड पर उसकी बगल में टिका लिये और उसकी चूत में जोर से अपने लंड को पेलने लगा. उसके मुंह आह-आह-आह की आवाजें और तेज निकलने लगीं.

वह अपने चूचों को अपने हाथ में लेकर दबा रही थी. बीच-बीच में मैं भी उसके निप्पलों को काट लेता था. उसकी चुदाई करते हुए मुझे भी गजब का मजा आ रहा था. उसकी चूत में मेरा लंड गपागप अंदर जा रहा था. कुछ मिनटों तक मैं उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत को चोदता रहा.
फिर मेरा जोश और बढ़ा तो मैंने उसको उठा कर घोड़ी बना दिया. पीछे घुटनों के बल खड़ा होकर मैंने उसकी गोरी और मोटी गांड को पकड़ लिया और उसकी चूत पर लंड को सेट करके एक जोर का धक्का दे मारा. मगर गलती से लंड उसकी चूत में न जाकर उसकी गांड में जा लगा. वह दर्द के मारे चीख पड़ी. मैंने नीचे देखा तो लंड उसकी गांड पर लगा हुआ था.

मैंने दोबारा से उसकी चूत पर लंड को सेट किया और अबकी बार धीरे से लंड को चूत में अंदर कर दिया. लंड को चूत में अंदर करने के बाद मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और उसकी चूत की चुदाई चालू कर दी. वह फिर से कामुक सिसकारियाँ लेने लगी.

उसकी गांड से मेरी जांघें टकरा रही थीं जिससे फट्ट-फट्ट की आवाज पैदा हो रही थी. पूरे कमरे में हम दोनों की सेक्स की गर्माहट से गर्मी भर गई थी और पंखे के नीचे चुदाई करते हुए भी दोनों के बदन पसीने से भीगने लगे थे.

मैंने कुछ देर तक उसकी चूत की पिलाई की और फिर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. उसके बाद मैंने उसको करवट के बल लेटा लिया और खुद भी उसके साथ लेट कर उसकी टांग को उठवा दिया. मैंने उसकी टांग को उठवा कर अपना लंड फिर से साइड में से ही उसकी चूत में धकेल दिया. फिर से उसकी चुदाई शुरू की और अबकी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा.

इस पोजीशन में मुझे थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी लेकिन मजा भी दोगुना मिल रहा था. मैंने उसके हिलते-डोलते चूचों को अपने हाथ में बारी-बारी से भर कर दबाना शुरू कर दिया और कुछ ही मिनट के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

उसकी चूत और भी ज्यादा चिकनी हो गई और मैंने ताबड़तोड़ उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. पांच मिनट के बाद मेरे लंड ने भी उसकी चूत में वीर्य छोड़ दिया. मैं थक कर एक तरफ लेट गया. मेरी सांस फूल गई थी और वह भी लेट कर हाँफने लगी.

उसके बाद उसने मेरी छाती पर सिर रख लिया और मेरे सिकुड़ रहे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी. मैंने उसके चूचों को सहलाना शुरू कर दिया. फिर वह उठी और मेरे सोये हुए लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. मेरे लंड में गुदगुदी सी होने लगी. मगर मजा भी आ रहा था. पांच-सात मिनट के बाद लंड फिर से खड़ा होना शुरू हो गया. उसके बाद जब लंड पूरा तन गया तो वह खुद आकर मेरे लंड पर बैठ गई.
मेरे लंड पर बैठने के बाद वह उछलने लगी और खुद ही अपनी चूत को चुदवाने लगी. आधे घंटे तक वह ऐसे ही मेरे लंड पर उछलती रही और इस तरह चुदाई के बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गये.

उस दिन मैंने उसकी तीन बार चुदाई की. वह मेरी दीवानी हो गई थी. मैं भी उसकी चूत चोद कर सातवें आसमान पर पहुंच गया था. उसके बाद तो जब भी वह घर पर अकेली होती तो वह मुझे फोन करके बुला लेती थी और मैं उस सेक्सी जवान आंटी की चूत चुदाई का पूरा मजा लेता था. वह भी मेरे लंड का पूरा मजा लेती थी.

फैमली डॉक्टर से चुद ही गयी - Family Doctor Se Chut Chudai Karwayi

फैमली डॉक्टर से चुद ही गयी - Family Doctor Se Chut Chudai Karwayi , लंड के कारनामे, Apni Chut Ke Liye Mota Lund Pa Liya, चूत ने लंड निचोड़ दिया, मेरे लंड को चुत की कमी नहीं, Hindi Sex Stories, Hindi Porn Stories, मोटा लंड अपनी चूत और गांड की गहराइयो तक.

घर के आंगन में सारे बच्चे खेल रहे थे और सब लोग बड़े ही खुश थे उनके खेल की आहट से घर का आंगन गूंज रहा था और माहौल रंगीन बना हुआ था मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैं बच्चों की तरफ देख रही थी बच्चों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि हमारा बचपन लौट आया हो तभी मैंने अपनी जेठानी से कहा दीदी देख रही हो बच्चे कितनी खुशी से खेल रहे हैं और उनकी खुशी का अंदाजा लगा पाना इस वक्त मुमकिन नहीं है।

मेरी जेठानी कहने लगी हां पायल तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो मैंने उनसे कहा दीदी हम लोग भी बचपन में ऐसे ही खेला करते थे और बचपन में हमें काफी खुशी होती थी मुझे तो बच्चों को देखकर अपने पुराने दिन याद आ गए। दीदी कहने लगी हां मुझे भी तो अपने पुराने दिन याद आ रहे हैं हम लोग भी तो लुका छुपी खेला करते थे।

मैं और मेरी जेठानी आपस में बात कर रहे थे तभी मेरी सासू मां भी आ गई और वह कहने लगी कि चलो तुम लोग दोपहर का खाना बना लो पता है ना आज घर में मेहमान आने वाले हैं। अपनी कड़क आवाज से उन्होंने हमें यह एहसास दिलाया कि वह घर की मुखिया हैं और हम लोग भी चुपचाप रसोई में चले गए और रसोई का काम करने लगे।

हम लोग अब खाना बनाने में लगे हुए थे और आपस में बातें कर रहे थे करीब दो घंटे बाद हमारे घर पर जो मेहमान आने वाले थे वह भी आ चुके थे और उनका अतिथि सत्कार बड़े ही अच्छे तरीके से मेरी सासू मां ने किया। वह लोग मेरी सासू मां के पक्ष से ही ताल्लुक रखते थे इसलिए उन्होंने उनका स्वागत बड़े ही अच्छे तरीके से किया और जब हम लोग उनसे मिले तो उन्होंने हमारा परिचय भी करवाया।

हम लोगों ने रसोई से खाना लाकर बाहर बैठक में लगा दिया था सब लोगों ने साथ में बैठकर भोजन किया बच्चों की छुट्टी थी तो बच्चे भी हमारे साथ ही खा रहे थे। उसके बाद रसोई की साफ-सफाई का काम शुरू हुआ जो कि लगभग 4:00 बजे तक चला 4:00 बजे हम लोग पूरी तरीके से फ्री हो चुके थे लेकिन अभी वह मेहमान घर पर ही थे और शाम के करीब 5:00 बजे वह लोग चले गए। मैं और मेरी सासू मां आपस में बात कर रहे थे तो उन्होंने मुझे बताया कि वह मेरे मायके की तरफ से हैं और उनसे काफी सालों बाद मेरी मुलाकात हो रही है।

मेरी सासू मां का भी अपने मायके से पूरा लगाओ है हालांकि उनका कोई भाई नहीं था लेकिन उसके बावजूद भी वह हमेशा ही अपने मायके जाती रहती थी अब उनके परिवार में कोई भी नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने अपने पुराने लोगों से मेलजोल बनाकर रखा हुआ है।

शाम के वक्त जैसे ही अजय घर लौटे तो अजय कहने लगे पायल मेरे लिए कुछ ठंडा बना दो मैंने उन्हें कहा कि मैं आपके लिए लस्सी बनाकर लाती हूं। मैंने अजय को लस्सी दी तो उन्होंने लस्सी पीते हुए कहा सही में आज तो मजा आ गया और इतनी गर्मी में काफी राहत मिल रही है। मैंने उन्हें कहा लेकिन आप इतने पसीना पसीना हो रखे हैं वह कहने लगे बाहर देखो कितनी ज्यादा गर्मी हो रही है और वह जब मुझे अपने ऑफिस के बारे में बताने लगे तो वह मुझे कहने लगे कि मेरा प्रमोशन भी कुछ दिनों बाद शायद हो जाएगा।

मैंने उन्हें कहा चलो यह तो बहुत खुशी की बात है वैसे भी इस महंगाई के दौर में इतना बड़ा परिवार चला पाना मुश्किल ही है। हम लोग संयुक्त परिवार में रहते है और सयुंक्त परिवार में रहने के कुछ फायदे तो हैं लेकिन कुछ नुकसान भी हैं हम लोगों को अपने मर्जी से कुछ करने को नहीं मिल पा रहा था और हर चीज के लिए मुझे सासू मां से पूछना पड़ता था जिस वजह से मुझे कई बार लगता कि जैसे हम उनके हाथ की कठपुतली हैं और वह हमेशा ही हम पर रौब जताती रहती थी।

मैंने और अजय ने तो कई बार सोचा कि हम लोग अलग रहने के लिए चले जाएं लेकिन माजी के होते हुए ऐसा संभव ना हो सका और हम लोग अभी सब साथ में ही रहते हैं। मैंने अजय से कहा कि अजय बच्चों की फीस भरनी है वह कहने लगे ठीक है तुम मुझे बता देना की कितनी फीस भरनी है कल मैं पैसे ले आऊंगा।

मैंने अजय से कहा ठीक है आप कल पैसे ले आइएगा मैं आपको बता दूंगी की कितनी फीस भरनी है क्योंकि बच्चों की फीस हर महीने बदलती रहती थी इस वजह से अभी तक कुछ सही तरीके से पता नहीं चल पाया था कि इस बार कितनी फीस हुई है। मैं और अजय एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझते हैं और हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार भी करते हैं हमारे प्यार की वजह सिर्फ हम दोनों के बीच का विश्वास है हम दोनों एक दूसरे पर बहुत भरोसा करते हैं।

अजय ने कभी मेरे भरोसे को टूटने नहीं दिया और ना ही मैंने अजय के भरोसे को कभी टूटने दिया हम दोनों की शादी को आज 8 वर्ष होने आए हैं लेकिन आज भी हम दोनों के बीच वैसा ही प्यार है जैसा कि पहले था। मेरी सासू मां अजय पर बहुत ही भरोसा करती थी और अजय ही तो घर के लिए ज्यादा पैसे दिया करते थे घर का खर्चा वही चलाया करते थे मेरे जेठ जी की इतनी तनख्वाह नहीं थी इसलिए उनसे ज्यादा उम्मीद कर पाना मुश्किल होता था।

अजय एक अच्छी नौकरी थे अजय पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी लग गए थे और उसके बाद से ही उन्होंने घर की जिम्मेदारी का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया था और मुझे भी इस चीज की खुशी की थी कि अजय घर की सारी जिम्मेदारियों को अपना मानते हैं। उन्हें बच्चों से बड़ा लगाव था और एक बार अजय अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए अंबाला जाने वाले थे अजय ने मुझे कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए अंबाला जा रहा हूं यदि कोई भी समस्या हो तो तुम मुझे फोन कर के बता देना।

मैंने अजय ने कहा हां यदि कोई समस्या या परेशानी होगी तो मैं तुम्हें जरूर फोन कर दूंगी। अजय को घर की चिंता हमेशा ही रहती थी इसलिए वह घर को लेकर चिंतित रहते थे और हमेशा ही घर के बारे में वह बहुत सोचते थे।

अजय भी अपने काम के लिए अंबाला जा चुके थे और उसी दौरान मेरी बच्ची की तबीयत खराब हो गई मैंने अजय को फोन किया तो अजय कहने लगे मैं अभी आ जाता हूं फिर मैंने सोचा अजय को बुलाना ठीक नहीं रहेगा वह अपने काम के सिलसिले में गए हुए हैं। हमारे पड़ोस में ही रहने वाले भाई साहब हैं उनका नाम गौतम मिश्रा है उनकी अजय के साथ अच्छी बातचीत है तो मैंने उन्हें जब इस बारे में बताया तो वह कहने लगे अरे भाभी जी कैसी बात कर रही है मैं अभी बच्ची को ले चलता हूं।

उन्होंने अपनी कार मे मुझे और मेरी बच्ची को अस्पताल तक पहुंचाया उसके बाद हमने बच्ची को डॉक्टरों को दिखाया डॉक्टर ने कहा कि आज बच्ची को यहीं रखना पड़ेगा। उस दिन रात को उसे वहीं एडमिट करवाना पड़ा और अगले दिन सुबह मैं उसे लेकर घर लौट आई अजय का भी मुझे बार-बार फोन आ रहा था मैंने अजय से कहा तुम चिंता मत करो सब कुछ ठीक है। उन्होंने गौतम जी से भी बात की तो वह कहने लगे कोई बात नहीं यह तो मेरा फर्ज था हम लोग एक दूसरे के सुख दुख में काम तो आएंगे ही ना।

गौतम जी ने मेरी बहुत मदद की और उसके बाद भी हमारी कई बार मदद कर दिया करते थे। अजय अपने काम के सिलसिले मे ज्यादा ही बाहर रहने लगे थे और उन्हें बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था मैं इस बात को समझ सकती थी कि वह कितने ज्यादा बिजी रहने लगे हैं लेकिन मुझे भी यह लग रहा कि उन्हें थोड़ा बहुत समय तो मेरे लिए निकालना चाहिए।

मैंने अजय से इस बारे में बात की तो वह मुझे कहने लगे पायल बस कुछ समय की बात है उसके बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन मुझे नहीं लगता था कि यह कुछ समय की बात है क्योंकि अजय के पास बिल्कुल भी टाइम नहीं था और हम दोनों के बीच में दूरियां बढ़ती जा रही थी।

मेरे अंदर भी कुछ फीलिंग थी जो अधूरी रह गई थी मैं अपनी गर्मी को बुझा नहीं पा रही थी एक दिन मैं घर पर ही थी और गौतम जी आए हुए थे गौतम जी आए थे तो मेरा पैर अचानक से फिसला और मेरे स्तन उनके मुंह से जा टकराए यह बड़ा ही अजीब था लेकिन इस वाक्या के बाद गौतम की धारणा मेरे लिए पूरी तरीके से बदलने लगी और मैं भी गौतम को चाहने लगी थी।

हम दोनों के दिलों में एक दूसरे को लेकर सेक्स करने की इच्छा जाग उठी थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे। जब हम दोनों एक दूसरे से मिलते तो हम दोनों की नज़रे टकराती और आखिरकार हम दोनों की सहमति बनी गई जब पहली बार में गौतम के साथ अपने अंतर्वस्त्रों में थी तो मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन गौतम ने मेरे कपडो को उतारते हुए अपनी जीभ से मेरी चूत को चटना शुरू किया तो मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी थी। गौतम भी रह नहीं पा रहे थे गौतम ने अपने लंड को बाहर निकाला और मैंने उसे अपने मुंह में समा लिया मैंने उसे अपने मुंह में ले लिया था।

जिस प्रकार से मै गौतम के लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी उससे मेरे अंदर की बेचैनी और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी और मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। मेरी योनि से लगातार पानी निकल रहा था और गौतम ने भी अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया अब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बड़े ही अच्छे से महसूस कर रहे थे।

यह पहला मौका था जब मैंने किसी गैर के साथ संबंध बनाए थे लेकिन मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और गौतम ने भी अपने लंड को मेरी योनि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। जब गौतम ने मुझे घोड़ी बनाकर धक्के देने शुरू किए तो मैं और भी ज्यादा बेचैन होने लगी थी और मेरी योनि से पानी निकलने लगा।

मैं अपनी चूतडो को गौतम के लंड से मिलाने लगी थी और मेरी योनि से भी लगातार पानी बाहर की तरफ निकल रहा था और जैसे ही मेरी योनि से कुछ ज्यादा ही गरम पानी बाहर निकलने लगा तो गौतम ने अपने वीर्य को मेरी योनि में गिरा दिया और मेरी गर्मी को शांत कर दिया।

भाभी की मस्त जवानी चूत गांड की चुदाई - Bhabhi Ki Mast Jawani chut chudai

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दोस्तो, मेरा नाम अजय है। मैं अपनी पहली कहानी आप सबके सामने प्रस्तुत करने आया हूँ। यह कहानी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी की है।

भाभी का नाम सुमन है वो बहुत ही गर्म माल लगती है, उसकी मस्त चूचियां.. उठे हुए चूतड़.. उफ्फ… उन्हें देख कर लौड़ा खड़ा हो जाता है।
पड़ोस के सब लड़के उन पर फ़िदा थे, मैं भी उनमें से था।

मैं उनको देखता रहता था, जब भी वो घर से बाहर आतीं.. बहुत मस्त कपड़ों में होती थीं। उनकी मस्त गोल-गोल चूचियाँ.. भारी चूतड़.. उफ्फ्फ.. मेरा भेजा सटक जाता था और हाथ लौड़े पर चला जाता था।

उनका हमारे घर आना-जाना था, तो मुझे बहुत मज़ा आता था। जब मैं घर पर होता और भाभी आतीं, मैं उनको देख कर मुस्कुरा देता था, वो भी मुस्कुरा देती।

मैं उनकी ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने को आतुर चूचियों को देखता था, वो भी इस बात जानती थीं।

उनके पति कई-कई दिनों तक बाहर रहते थे, ऊपर से उनकी मदमस्त जवानी.. कैसे संभालती होगी..

मैं जब भी उनके घर जाता तो बहाने से उनके बाथरूम में जरूर जाता था। वहाँ उनकी खुश्बूदार पैन्टी जो होती थी। मैं उसमें खूब मुठ मारता और लण्ड का पानी उसमें डाल देता था।

भाभी को मुझ पर शक हो गया कि यह सब मैं ही करता हूँ।

फिर एक दिन वो हुआ, जिसके बारे में मैं सिर्फ सपनों में सोचा करता था।

भाभी घर पर अकेली थी, दोपहर में माँ ने मुझे उनके घर दूध लाने के लिए भेज दिया।

मैं ख़ुशी-ख़ुशी भाग कर गया, भाभी को आवाज़ दी, पर भाभी ने नहीं सुनी। शायद वो सो रही थीं, मैं धीरे-धीरे दबे पाँव अन्दर गया।

मैंने देखा कि भाभी की पैन्टी और ब्रा बिस्तर पर पड़ी है, मेरा लण्ड खड़ा हो गया। ये देख कर कि बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी।

मतलब भाभी नहा रही थीं.. हाय.. क्या मस्त पल था वो..

मैं पूरा काँप रहा था.. मैंने पैन्टी को सूंघा, बहुत मस्त अहसास था, मैंने अपना लोवर आधा नीचे किया और लण्ड को मुठियाने लगा।

मेरा मन इतना मस्त हो गया कि मुझे याद ही नहीं रहा कि मैं कहाँ हूँ।

तभी मेरा पानी निकल गया, मैंने पैन्टी को देखा, वो मेरे रस से भीग गई थी। मैं पैन्टी को रख कर पीछे मुड़ा तो देखा कि भाभी बाथरूम निकल कर दरवाजे पर खड़ी थीं।

मेरे होश उड़ गए.. मेरा चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया।

भाभी बोली- मेरी पैन्टी के साथ.. यह क्या कर रहे थे आप.. लगता है बहुत बड़े हो गए हो?

मैं बोला- भाभी ‘सॉरी’.. गलती हो गई.. प्लीज माफ़ कर दो.. मैं बहक गया था, अपने आप पर काबू नहीं रख पाया।

भाभी- हम्म.. मुझे पता है.. तुम्हारी उम्र में ये सब होता है।

भाभी मेरे और पास आई.. मेरी दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।

भाभी ने पैन्टी उठा ली और बोली- देखो देवर जी.. आपने क्या कर दिया.. मेरी पैन्टी का.. अब मैं क्या पहनूँगी?

तो मैं बोला- भाभी आप दूसरी पहन लो..

भाभी- आपको बड़ा पता है.. मेरे पास कितनी पैन्टी हैं?

मेरा लण्ड खड़ा बेकाबू होता जा रहा था, भाभी तौलिया में थीं, भाभी की गोरी-गोरी जांघें.. उफ्फ्फ.. ऊपर से आधी नंगी चूचियाँ..

मैं भाभी को देखे जा रहा था।

भाभी ने मेरी चोरी पकड़ ली और बोलीं- देवर जी क्या देख रहे हो आप?

मैं डरता हुआ बोला- भाभी.. अ..आप बहुत सुन्दर हो।

भाभी हंस पड़ीं, मुझे लगा कि चलो अच्छा है.. अब कोई परेशानी नहीं होगी।

उनकी इस हँसी में मुझे उनकी मूक सहमति दिखी, मैंने झट से भाभी को बाँहों में भर लिया और उनको कस कर दबा लिया।

‘भाभी आह्हह.. एक बार चुदवा लो भाभी..?’

फिर क्या था, भाभी डर गई।

भाभी- आह्ह.. क्या कर रहे हो तुम.. मुझे छोड़ दो.. मैं तुम्हारी भाभी हूँ.. किसी को पता लग गया तो ठीक नहीं होगा।

‘भाभी कुछ नहीं होगा.. बस एक बार आआअह्ह्ह.. आप कितनी मस्त हो..’

तभी तौलिया नीचे गिर गया था.. भाभी नंगी ही मुझसे दूर भागीं।

अब तो मैं भी पागल हो गया था, मैंने भी कपडे उतार दिए और भाभी को देखने गया, भाभी ने दूसरे कमरे में चादर लेकर ओढ़ ली थी।

भाभी- अजय रहने दो.. मैं बदनाम हो जाऊँगी.. अपने आपको संभालो..

मैं- भाभी आप डरो मत.. ऐसा नहीं होगा.. मैं आपके लिए बहुत तड़पा हूँ..

मैंने झट से भाभी की चादर खींच दी और भाभी को नंगी कर दिया।

हाय.. क्या मस्त बदन था भाभी का..

मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और मेरा लण्ड भाभी के चूतड़ों की दरार में समा गया।

दोनों हाथों से मैं भाभी की चूचियों को दबा रहा था। भाभी सिसकारियाँ ले रही थीं।

मैंने भाभी का सारा बदन, गर्दन से लेकर चूचियां, पेट, जांघें.. चूमा। भाभी ज़ोर-ज़ोर से कामुक सिसकारियाँ भर रही थीं।

मैंने लण्ड को उनकी चूत के छेद से लगा कर एक झटके में ही पेल दिया और ज़ोर-जोर से झटके मारने लगा।

करीब 15 मिनट में मेरा वीर्य निकल गया और भाभी की चूत में समा गया।
मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया।

भाभी खुश थीं।

मैंने पूछा- भाभी कैसा लगा?

तो भाभी बोलीं- बहुत ही मज़ा आया देवर जी.. आप बहुत मस्त चोदते हो।

मैं- भाभी आपको अब रोज़ चोदूँगा.. आप बहुत मस्त हो भाभी।

उन्होंने मुझसे चुदाने में हामी भरी।

फिर मैंने भाभी को कई बार चोदा।

मुझे उनकी गाण्ड भी बहुत पसन्द है, मैंने कई बार भाभी की गाण्ड मारने की कोशिश की, पर भाभी नहीं चाहती हैं.. वे कहती हैं कि दर्द होता है, पर मैं उनकी गाण्ड को खूब दबाता हूँ और चाट भी लेता हूँ।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी आपको, अगर कोई गलती हो गई हो तो माफ़ कर देना।

माँ को चुदते देख बेटी भी चुदने आयी - Maa Ko Chudte Dekh Beti Bhi Chudne Aayi

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मैं छवि की माँ चंदा की चुदाई पहले ही कर चुका हूँ और चंदा भी मुझसे हर दूसरे या तीसरे दिन चुदवाती रहती है, साथ में मेरी जेब भी गरम करती है तो मुझे और क्या चाहिए! एक नियमित ग्राहक का ध्यान रखते हुए मुझे भी उसके फोन का इंतजार रहता है कि कब चंदा डार्लिंग का फोन आये और मैं उसका चूत-मर्दन कर सकूँ।

एक रोज मुझे कोई काम नहीं था था और घर पर बैठ कर चाय पी रहा था कि चंदा का फोन आया- आज चुदवाने का दिल कर रहा है! लेकिन आज बेटी छवि हॉस्टल से आने वाली है!
मैं मन ही मन खुश हुआ कि आज चंदा के साथ छवि की चूत के भी दर्शन होंगे।
लेकिन चंदा ने बताया कि वो मुझसे चुदवाती है, यह बात छवि को पता नहीं चलना चाहिए।

मैं अपना दिमाग चलाने लगा कि किस तरह टांका फिट करूँ कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे!
मैं चंदा को नाराज कर अपना एक पार्टी भी नहीं तोड़ना चाहता था और छवि को भी चोदना था।

एकदम से मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि क्यों न चंदा को रात में दस बजे के बाद चुदाई करूँ जिससे छवि को भी चोदने का मौका मिल जायेगा। मैंने चंदा को कहा कि मैं रात को आ सकता हूँ तो वो थोड़ा सकपका गई लेकिन तुंरत मान गई। अब मैं मन ही मन खुश था कि छवि की चुदाई भी करूँगा।

रात साढ़े नौ बजे मैं उसके घर पर गया तो पता चला कि छवि आ गई है और अपने कमरे में आराम कर रही है। छवि का कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था और हम चुदाई का कार्य क्रम नीचे ही करते थे। चंदा अब आराम से चुदवाने के मूड में थी जबकि मैं छवि को चोदने के बारे में ही सोच रहा था कि चंदा ने व्हिस्की का पैग बना कर मेरे आगे रख दिया। उसे पता था कि मेरा चुदाई का प्रोग्राम कैसे होता है।

हम दारू की चुस्की लेते हुए एक दूसरे के होंठ पी रहे थे और मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था और वो मेरे लंड को पी रही थी। एक एक कर हमारे कपड़े हमसे अलग हो चुके थे और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में चूमा-चाटी कर रहे थे। काफी देर तक हमारा यही प्रोग्राम चलता रहा। अब चुदाई करने का समय था और मैं इसे जल्दी जल्दी पूरा करना चाहता था लेकिन चंदा अपनी ही चाल से चल रही थी, उसे कोई जल्दी नहीं थी। उसे क्या पता कि मैं आज उसकी बेटी को भी चोदने का मूड बना चुका हूँ।

खैर काफी देर तक चंदा मेरे साथ 69 पोज में मेरे लंड को चूसती रही। कभी मेरे लंड का सुपारा होठों से दबा कर तो कभी जीभ से सहला कर मजे ले रही थी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मैं भी उसकी चूत की भगनासा को तो कभी चूत के दोनों होंठ चाट रहा था जिससे उसे भी मजा आ रहा था और उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी- ओह… ओह… अह… अह…
यही हाल मेरा भी था- ओह… ओह… अह… अह…

एक घंटे के बाद मैंने उसकी जांघों को चौड़ा कर अपना 7 इंच का लंड उसमें डाल दिया जिसे उसने बड़े मजे से पेलवा लिया। अब हम ताबड़-तोड़ चुदाई का मजा ले रहे थे। जोश में हमें पता ही नहीं चला कि हमारे मुँह से निकलने वाली आवाज़ पूरे घर में गूंज रही है। सारा काम मेरी मन के मुताबिक ही हो रहा था, मैं यही तो चाहता था कि हमारी चुदाई की सेक्सी आवाजें किसी तरह छवि के कानों में पहुंचे और ऐसा ही हुआ।

मैं और चंदा दोनों एक साथ ही अपनी मंजिल पर पहुँच गए, मेरे वीर्य से उसकी चूत भर गई। काफी देर तक हम एक दूसरे से चिपके हुए रहे। फिर अलग हुए तो मन में एक डर सा आ गया कि लग रहा है कि अब छवि मैं नहीं चोद पाउँगा।

भारी मन से वापिस घर के लिए निकला मेरे साथ चंदा भी मुझे गाड़ी तक छोड़ने आई। गाड़ी की हालत देखी तो मैं चौंक गया- मेरे गाड़ी के दो चक्के की हवा निकल गई थी। और रात के एक बजे कंहीं पर भी ठीक नहीं हो सकती थी। अब चंदा न चाहते हुए बोली- तुम यहीं पर रुक जाओ! कल सुबह गाड़ी ठीक करवा कर जाना।

हम सोने चल दिए, चंदा अपने कमरे में चली गई। वो भी ऊपरी मंजिल पर ही था।

मै नीचे ही सो गया, यह सोच कर कि छवि तो अपने कमरे को बंद कर सो रही होगी और मैं उसके घर में जबरदस्ती उसे चोद भी नहीं सकता।

अभी आँख लगने ही वाली थी कि मुझे लगा कि कोई मेरा लंड चूस रहा है। फिर दिमाग में आया कि यह सपना हो सकता है क्योंकि इस वक्त कौन मेरा लंड चूसेगा।

लेकिन थोड़ी देर में ही पता चल गया कि छवि मेरा लंड पी रही थी। मैं एकदम घबराकर उठ बैठा। तभी छवि ने मुझे चुप रहने का इशारा किया और उठ कर अपने कमरे में चल दी, मैं भी उसके पीछे पीछे…

वहाँ जाकर छवि ने बताया कि उसने मेरी और चंदा की चुदाई का लाइव मैच देखा है, तब से उसे भी चुदवाने का मन कर रहा है।

मैं भी यही चाहता था। मैंने चंदा के बारे में पूछा तो वो बोली- मम्मी तो दारू पीने के बाद गहरी नींद में सो रही है और उसे सुबह से पहले होश नहीं आयेगा।

मैं अब निश्चिंत हुआ कि अब आराम से छवि की चुदाई करूँगा।

बातों-बातों में छवि ने बताया कि वो कालेज में कई बार ब्लू फिल्म देख चुकी है लेकिन किसी चुदाई नहीं कराई है। फिल्म देखने के बाद जब गरम होती है तो लड़कियाँ आपस में ही चूमा-चाटी कर लेती हैं लेकिन लंड का स्वाद आज तक उसे नहीं मिला है। हाँ वो जब गरम होती है तो ऊँगली से चूत को जरुर ठंडा कर लेती है।

फिर मैं बोला- तब तो और मजा आयेगा! काफी दिनों के बाद कुवांरी चूत की सील तोड़ने का मौका मिलेगा। मैं बिना किसी तरह समय बिताये सीधे अपने मुद्दे पर आ गया, उसे पकड़ कर अपनी जान्घों पर बैठा लिया। वो निकर और ढीला सा टॉप पहने थी। अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को दबाने लगा तो छवि बोली- आराम से करो! मैं कहाँ भागी जा रही हूँ!

जिसे सुन कर मेरा जोश दुगुना हो गया। अब मैंने धीरे धीरे उसके टॉप को निकाल बाहर किया। उसकी चूचियों को तो मैं देखता ही रह गया क्योंकि आज तक इतनी गोरी और कसी हुई चूचियाँ मैंने नहीं देखी थी। मैं समझ गया कि माल एक दम ताज़ा है। अब मेरे होंठ उसके स्तनाग्र चूस रहे थे, वो मजे से अपनी आँख बंद कर अपना दूध पिला रही थी। एक के बाद एक दोनों चूचियों को काफी देर तक पीता रहा। उसकी निकर को निकाल कर अलग कर दिया, अब वो केवल चड्डी में थी। मेरा लंड तो कब से खड़ा था। मैंने ऊँगली फंसा कर उसकी चड्डी को भी अलग कर दिया। उसकी बुर पर एक भी बाल नहीं था। एकदम संगमरमर सा उसका बदन देख मेरा मन में तो आग लग गई।

अब उसे झुका कर अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह में पेल दिया जिसे वो लॉलीपाप की तरह चूसने लगी। लेकिन मैं 15 मिनट में ही उसके मुँह में झड़ गया और उसका मुँह मेरे वीर्य से भर गया। जिसे वो चटकारे लेकर पी गई। लेकिन उसके हुस्न को सामने पाकर मैं 5 मिनट में ही दोबारा तैयार हो गया। अब हम 69 पोज में आकर वो मेरे लंड को और मैं उसकी चूत को चूसने-पीने लगे। बीच-बीच में मैं अपनी उंगली से चूत के छेद का जायजा लेता रहा।

अब उसे लिटा कर मैं उसकी जांघों के बीच में आ गया।

चूंकि छवि पहली बार चुदा रही थी तो थोड़ा आराम से ही चोदना था, वरना वो चुदवाने से तौबा कर लेती।

अब उसकी बुर के छेद पर ढेर सारा थूक लगा कर धीरे धीरे पेलना चालू किया। जैसे ही लंड का मुंड अंदर गया, छवि को दर्द होने लगा, वो चिल्लाने लगी, साथ कुछ गाली भी दे रही थी। मैंने तुरंत अपने लंड को बाहर निकाल लिया। उसे ग्लास में पानी पिलाया तो थोड़ा रिलेक्स हुई। अब वो फिर हिम्मत करके तैयार थी चुदवाने के लिए!

इस बार और ज्यादा थूक लगा पर मैंने पेलना शुरु किया। एक झटके में आधा लण्ड उसकी बुर में था और वो दर्द से अपने पांव पटक रही थी। मैं आधे लंड को ही आगे पीछे करने लगा और छवि सामान्य हो गई। अब आगे की बारी थी, अगले एक झटके में पूरा लंड उसकी चूत में था। वो चिल्लाना चाह रही थी लेकिन मैंने उसका मुँह अपने होठों से बंद कर दिया था। थोड़ी देर रुकने के बाद मैं धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा जिसे वो भी मजे लेने लगी और मेरा साथ देने लगी।

अब छवि के मुख से सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी …वोह…आह…और जोर से… मेरी चूत को फाड़ डालो… आह… आऽऽऽ.. जोर से पेलो…वोह… आह… मेरे राजा और जोर से पेलो…
बहुत देर तक चुदाई चली… हम दोनों अपनी मंजिल पर एक साथ पहुँच गए.

छवि का शरीर अकड़ने लगा, मैं समझ गया कि ये साली अब झड़ने वाली है, मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी। दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में जोर से जकड़ लिया। इसके साथ ही छवि की चूत मेरे वीर्य से लबालब हो गई। हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे। जब अलग हुए तो मैंने घड़ी पर नजर डाली, उस समय सुबह के पाँच बज रहे थे। इसका मतलब मैं आज पूरी रात माँ बेटी को चोदने में निकाल गया था, लेकिन दिल में शांति थी कि आज छवि की चुदाई की थी।जल्दी-जल्दी मैं निकल कर अपने जगह पर आ कर सो गया लेकिन छवि का मोबाइल नम्बर लेकर!
कब आँख लगी पता नहीं चला!

जब उठा तो देखा कि चंदा मुझे जगा रही थी और सामने चाय का कप रखा था। उसी समय छवि ऊपर से उतर कर चंदा से पूछ रही थी- मम्मा! ये कौन हैं?
मैं भी मुस्कुराये बिने न रह सका।

साँवली जवानी का महकता हुस्न - Saanwali Jawani Ka Mahkta Husn

साँवली जवानी का महकता हुस्न - Saanwali Jawani Ka Mahkta Husn, मोटा लंड चूत में लेने की चाहत, सेक्सी आंटी की प्यासी चूत, जवान लड़की की चुदाई , भरे शरीर वाली लड़की को चोदा.

नमस्कार मित्रो, मैं आपका दोस्त जयेश फ़िर एक बार ले कर आ रहा हूँ एक बहुत ही कामुक कथा, आप सब के लिए। अभी कुछ महीनों पहले ही हमारे नए मकान का काम शुरु हुआ है और जिस मोहल्ले में हमारा परिवार रहने जाने वाला है, वो बहुत ही सुनसान इलाका है वहाँ गिनती के दो या चार मकान होंगे।

ऐसे में घर की देखभाल करने के लिए चौकीदार की जरुरत तो स्वाभाविक तौर पर आएगी ही, इसीलिये मेरे पापा एक चौकीदार की खोज करने में जुट गए।
कुछ ही दिनों में हमें एक चौकीदार महिला मिल ही गई। वो महिला उम्र में कुछ साठ या पैंसठ साल की होगी और उसका मकान भी हमारे मकान के पास ही है।

उसके मकान में कुल छः लोग रहते हैं वो, उसका लड़का, उसकी बहू और उनके तीन बच्चे।
उस चौकीदार की बहू का नाम सुशीला है। चौकीदार के पति की मौत होने के कारण अब उसके घर की देख-भाल उसका लड़का यानि सुशीला का पति करता है।

मैं आपको बता दूँ कि सुशीला दिखने में बहुत ही सुन्दर है उसका रंग साँवला है, पर फ़िर भी वो दिखने में कमाल है।
पहले तो मैंने कभी उसे बुरी नज़र से नहीं देखा था पर जब में मेरे मकान की दीवारों पर पानी डालने के लिये जाया करता तब वो भी वहीं पर हुआ करती थी।

एक बात मैं आपको बता दूँ मैं अक्सर समय मिलने पर मेरे मकान पर जाया करता हूँ और वहाँ जा कर मुठ भी मारा करता हूँ।
ऐसे ही कुछ दिन बीत जाने के बाद जब मैं मेरे मकान पर पानी डालने के लिए जाता, तो कभी-कभी सुशीला भी मेरा हाथ बंटाया करती थी और इसी दौरान वो भी पूरी तरह से पानी में भीग जाया करती थी।
सुशीला अक्सर साड़ी ही पहना करती है और जब उसके शरीर पर पानी की बूँदें टपकतीं तो वो और भी कामुक दिखती।

गीले होने के कारण उसके ब्लाउज में से उसकी चूचियाँ साफ़ दिखाइ देतीं और मैं भी उसे छुप-छुप कर देख लिया करता था।

अभी कुछ ही महीनों पहले की बात है। हमेशा की तरह मैं मकान पर दीवारों को पानी डालने गया हुआ था।
तभी वो भी वहाँ पर आ गई और काम मेरा हाथ बंटाने लगी, इसी बीच वो पानी में पूरी तरह भीग गई थी।
तो मैंने उससे कहा- आप पूरी तरह से भीग गई हो, दीजिए पाइप मुझे दीजिये मैं पानी डालता हूँ।
इस पर वो कहने लगी- नहीं कोई बात नहीं, मैं घर पर जाकर साड़ी बदल लूँगी। आप रहने दीजिए।
इस बात पर मैंने जबरन उससे पाइप खींचने की कोशिश की और इसी दौरान मेरे हाथ उसकी चूचियों पर लग गए, जो कि पूरी तरह से पानी में भीग चुकी थीं।

क्या बताऊँ दोस्तो, क्या चूचे थे उसके..!
मानो मेरे हाथ में किसी ने मक्खन दे दिया हो, इतने मुलायम चूचे तो मेरे दोस्त की चाची के भी नहीं थे।
फ़िर मैं फ़ौरन पीछे खिसका और उससे माफी माँगने लगा।
इस पर वो बोली- इसमें माफ़ी की क्या बात है ऐसा हो जाता है, आप माफ़ी मत माँगिए !
फिर मैंने उनसे कहा- अगर आप बुरा ना माने तो मैं एक बात कहूँ ?
तो उसने ‘हाँ’ में सिर हिलाया और मैंने उससे कहा- आप वाकयी में बहुत सुन्दर हैं..!
मेरे ऐसे कहने से वो शरमाते हुए बोली- धत्त.. आप तो बड़े वो हैं..!
तो मैंने भी कहा- क्या वो हूँ.. मैं..!
इस पर उसने मुझसे सवाल किया- अच्छा, ऐसा क्या सुन्दर है मुझमें?
मैंने भी मौका देख कर बोल दिया- सभी… आपकी आँखें, आपके होंठ, आपके कान और आपके वो…!
तो उसने पूछा- वो… वो क्या..? जरा खुल कर बताओ शरमाओ मत..!
फ़िर मैंने थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए बोल दिया- आपके चूचे और आपकी गाण्ड..!
और इतना कहते ही मैं अपना मुँह शर्म से छुपाने लगा।

तब उसने मुझसे फ़िर एक सवाल किया- आपको क्यूँ अच्छे लगते हैं.. मेरे चूचे और मेरी गान्ड?
तो मैंने भी जवाब दिया- बस यूँ ही.. वो बहुत ही बड़े और मुलायम हैं इसलिए..!
इसके बाद वो मेरे पास खड़ी होकर मुझे बड़ी कामुक नज़रों से देख रही थी।
मैंने जब पूछा- आप ऐसे क्या देख रहे हो?
तो उसने कहा- मैं भी आपका ‘वो’ देख रही हूँ।
मैं इस पर अचम्भित रह गया और मैंने कहा- यह आप क्या बोल रही हो?
तो उसने कहा- वही जो तुमने कहा.. मैं भी आपका लंड देख रही हूँ।
अब हम दोनों पूरी तरह से खुल कर बातें कर रहे थे और एक-दूसरे के गुप्त अंगों भी छू रहे थे। मानो हम पूरी तरह से खुल चुके थे।
तभी मैंने सुशीला से पूछा- क्या मैं आपके साथ सेक्स कर सकता हूँ?
तो उसने जवाब में बस अपना मुँह नीचे झुका लिया, मैं समझ गया कि मुझे हरी झण्डी मिल गई है और मैंने भी अपना ज्यादा वक्त जाया न करते हुए सीधा उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों पर चूमने लगा।
धीरे-धीरे वो मेरा पूरी तरह से साथ देने लगी और हम एक-दूसरे को चूमने लगे।

कभी मैं उसकी जीभ को काटता तो कभी उसके होंठों पर, ऐसा करते हुए मैं धीरे से उसकी चूचियों पर अपना हाथ ले कर गया और हल्के से उसकी चूचियों को दबाया, तो उसने बड़ी ही कामुक आवाज़ निकाल कर मेरी उत्तेजना को और भी बढ़ा दिया।

इसके बाद मैंने धीरे से उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाना शुरु कर दिया, कभी जोरों से तो कभी धीरे से.. ऐसा करके मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसल रहा था और वो भी इसका पूरा मजा ले रही थी।

वो बड़ी ही कामुक आवाजें निकाल रही थी- आआआ अह्ह्ह्ह्ह्ह हूऊऊऊ… अम्म्म्म्म्म आअह्ह्ह्ह..!
और इन आवाजों से मेरा जोश और बढ़ रहा था। करीब दस मिनट तक मैं उसके चूचों को दबाता रहा और उसके होंठों को चूमता रहा।

फिर उसने कहा- अब बस भी करो ना… क्या पूरा दूध आज ही पीओगे क्या…! कुछ और भी करो ना जल्दी…!
मैं- हाँ ना.. मेरी रानी करता हूँ न.. थोड़ा सब्र तो कर.. आज तो मैं तुझे पूरे जन्नत की सैर कराने वाला हूँ.. तू बस अब मज़े ले…
फ़िर मैंने उसके साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ घुमाना शुरु कर दिया और हौले-हौले उसकी चूत को रगड़ने लगा।

अब वो भी मेरी पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को सहलाने लगी।
तभी उसने मेरे लन्ड को झट से पैन्ट से अलग किया और उसे चूसने लगी। वो मेरे लन्ड को ऐसे चूस रही थी मानो वो बहुत दिनों से प्यासी हो और उसे आज पानी का कुआँ मिल गया हो।

बाद में मैंने भी एक ही झटके में उसकी पूरी साड़ी निकाल दी। अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में मेरी बांहों में थी।
इसी के साथ मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया और उसके कामुक नग्न शरीर को निहारने लगा।
अब तो उसने ही मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे पूरे बदन पर उसका बदन रगड़ना शुरु कर दिया। मैं इस क्रीड़ा में उसका भरपूर साथ दिए जा रहा था।

फ़िर हम दोनों वहीं फ़र्श पर लेट गए, वो मेरे नीचे और मैं उसके ऊपर था।
अब मैंने धीरे से मेरे लन्ड को उसकी चूत से टिकाया तो उसके शरीर में बिजली सी दौड़ पड़ी।
वो मेरा लन्ड लेने के लिए उतावली हुई जा रही थी, पर मैं भी कहाँ इतने जल्दी मानने वाला था। मैंने फ़िर से मेरा लन्ड बाहर खींचा और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा कर उसके कामुक अंग का मज़ा लेने लगा।
मैं उसकी चूत चाटे जा रहा था और वो ‘आहें’ भरती जा रही थी। वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी।

उसकी कामवासना चरम सीमा पर थी, वो मुझे गाली दिए जा रही थी और साथ ही मिन्नतें भी कर रही थी- अरे साले मादरचोद मरवाएगा क्या… भोसड़ी के.. अब डाल न ! रण्डी के कुत्ते मैं तड़प रही हूँ और तू मज़े किए जा रहा है.. बस कर.. अब डाल भी दे.. मैं तड़प रही हूँ..!

मैं भी उसे गालियाँ दे रहा था- रुक ना रण्डी… इतनी भी क्या जल्दी है चुदवाने की.. थोड़ा सब्र कर..!
बाद में मैंने उसे अपने पैरों पर बिठाया और अपना लन्ड उसकी चूत पर सैट किया और एक जोरदार धक्का दिया और इसी के साथ ही मेरा आधा लन्ड उसकी चूत में घुस गया और वो भी चिल्ला पड़ी, “अरे मादरचोद… अपनी माँ बहन की फ़ुद्दी समझ रखी है क्या… धीरे.. मैं कोई रण्डी नहीं हूँ.. जब चाहे चोद लेना.. पर इतने ज़ोर से क्यूँ घुसा रहा है..! अब से मैं बस तेरी ही हूँ थोड़ा आराम से कर..!

इसी के साथ मैंने जोरों के धक्के लगाने शुरु कर दिए।
मैं उसे चोदता और साथ ही उसके मम्मे भी दबा रहा था।
अब वो भी कामुक हो गई थी और उसकी चीखें अब आवाजों में परिवर्तित हो गई थीं।

अब वो भी हमारे काम-क्रीड़ा का पूरा आन्नद उठा रही थी। वो भी बड़े प्यार से सीत्कार कर रही थी, “आआआ ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्म् म्म्म्म ऊउफ़्फ़्फ़्फ़ ऊऊईइ आआअ ह्ह्ह हा और डालो और डालो जोर से और जोर से…!”
मेरी गर्दन में अपनी बाहें डाल कर वो भी अब पूरे जोश मे मेरे साथ झूम रही थी।

“आआह्ह्ह मेरे राजा, आज सच में तूने मेरी सालों की प्यास बुझा दी.. तू सच में मेरा राजा है आआह्ह्ह्ह… ह्म्म्म्म उफ़्फ़्फ़… आउर जोर से कर मेरे राजा और जोर से…!”

फ़िर मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब पहले से भी ज्यादा जोर से उसे धक्के लगाने लगा। अब मेरा निकलने वाला ही था, तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ..!

तो बोलने लगी- मेरे मुँह झड़ा दे.. मैं तेरा रस पीना चाहती हूँ..!
और इतना कहते ही उसने मेरा लन्ड अपने मुँह में भर लिया और बड़े प्यार से उसे चूसना शुरु कर दिया।
बस कुछ ही मिनटों में मैं झड़ गया।

इसी के साथ वो मेरा पूरा रस पीने लगी।
फ़िर मैंने भी उसे फ़िर से अपनी ओर खींचा और उसके मुँह पर अपना मुँह रख कर उसे चूमना शुरु कर दिया। आज पहली बार मैंने अपने खुद के रस का स्वाद चखा था।

उसके बाद वहीं पास में ही पानी का पाइप था अब मैंने वो पाइप अपने हाथों में लिया और उसे सुशीला के ऊपर करके उसे फ़िर एक बार पूरा भिगो दिया।

सुशीला ने भी बड़े प्यारे अन्दाज़ में उस पाइप को मेरे ऊपर किया और हम दोनों पूरे पानी में भीग गए।
इसी के साथ मैंने इसे उल्टा किया और उसकी गाण्ड पर अपना हाथ फ़ेरना शुरु कर दिया।
अब मेरा लण्ड और एक बार घुसने के लिये तैयार था।

मैंने भी उसके गाण्ड पर थोड़ा पानी मारा और अपना सुपारा उसकी गाण्ड के छेद पर टिका दिया और धकेला।
वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई, उसकी आँखों में आँसू भी निकल आए थे, पर मैंने इन सब की परवाह किए बिना उसकी गाण्ड में पेलना जारी रखा.. दस मिनट के बाद मैं फ़िर झड़ने वाला था।

अब मैंने मेरा सारा वीर्य उसके शरीर पर यूँ ही छोड़ दिया। फ़िर उसे फ़िर से ज़मीन पर लिटा कर सारा वीर्य चट कर गया।
फ़िर हम दोनों ने एक साथ स्नान किया।

स्नान करते वक्त भी हमने बहुत मस्ती की और फ़िर हम दोनों तैयार होकर अपने-अपने घर जाने के लिए निकले।
जाते वक्त उसने मुझसे कहा- जयेश, आज सच में मुझे बहुत मजा आया है.. तुम मुझे वादा करो कि जब भी मुझे तुम्हारी जरुरत होगी, तुम आओगे..!

मैंने भी उसे वादा किया- हाँ हाँ जरूर.. तुम जब भी कहो.. मैं तुम्हारे लिये हाज़िर हूँ… आखिर तुमने भी तो मुझे जन्नत की सैर करवाई है.. तो इतना तो बनता ही है..!

और इसी के साथ मैंने उसे एक लम्बा चुम्बन किया और फ़िर हम दोनों अपने-अपने घर के लिए चल दिए।
उस दिन के बाद आज तक मैंने उसे कई बार चोदा।
वो कैसे.. वो फ़िर कभी बताऊँगा.. आज के लिए बस इतना ही..!
तो मित्रो, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी..! मुझे बताइएगा जरूर..

आदिबासी लड़की की कड़क जवानी की चुदाई - Aadivasi Ladki Ki Kadak Jawani Ko Choda

आदिबासी लड़की की कड़क जवानी की चुदाई - Aadivasi Ladki Ki Kadak Jawani Ko Choda,  आदिवासी लड़की ने अपनी चुदाई की खुद बनायीं वीडियो, भाई ने मुझे जमकर चोदा, जवान आदिवासी लड़की ने लंड लिया जंगल में. देखे आदिवासी सेक्स वीडियो में इस टीन गर्ल की चूत चुदाई.

बात कुछ 10 साल पुरानी हैं लेकिन जब भी मैं इस बात को दिमाग में ला के उसके बारे में सोचता हूँ, मेरा लंड खड़ा हुए बिना नहीं रहता. तब मेरी पोस्टिंग जुनागढ़ के जंगल में थी, फारेस्ट ऑफिसर बनने के बाद यह मेरा सातवां तबादला था और मैं 3 अलग अलग स्टेट में काम कर चूका था.

लेकिन जूनागढ़ मेरे जहन में आज भी जिन्दा हैं क्यूंकि यहाँ मैंने एक जंगल में रहने वाली और मस्त बड़ी गांड वाली एक आदिवासी औरत को चोदा था. तब मैं शादीसुदा नहीं था और हाथ से ही सब काम होता था और कभी कभी मैं राजकोट जा के वहाँ रंडी से अपने लंड की तरस छिपाता था.

मेरा क्वार्टर जंगल के बिच में था और राशन और दुसरी सामग्री के लिए मुझे ज़िप ले के बहार जाना पड़ता था. एक दिन शाम के कुछ 7 बजे थे लेकिन गर्मी के दिन होने की वजह से अँधेरा उतना था नहीं, मेरे साथी कर्मचारी विनय ने मुझे कहाँ की दूध लाना हैं. मैंने ज़िप निकाली और दूध लेने निकल पड़ा.

मैं अपनी मस्ती में जा रहा था, पंछी अपने घोंसलों में लौट रहे थे, एकाद दो हिरन इधर उधर उछलते दिखे. मैंने गाड़ी को झील वाले रस्ते से लेते हुए मोड़ लिया. सामने का सिन देख मेरी ज़िप अपने आप स्लो हो गई. सामने झील के किनारे एक आदिवासी युवती नहा रही थी.

वोह ऊपर के कपडे उतार चुकी थी और उसने अपनी बड़ी गांड और चूत के ऊपर एक सफ़ेद धोती जैसा कपडा लपेटा था. लेकिन वोह भी भीग गया था इसलिए उसकी बड़ी गांड साफ़ दिख रही थी. मैंने ज़िप आगे ली और कुछ सोच के गाड़ी को साइड में रोक लिया.

मैं अपनी वोटर बेग ले के निचे उतरा, और पानी भरने के बहाने वहाँ जा के खड़ा हुआ. इस आदिवासी ने मेरी तरफ देखा, उसके बड़े बड़े चुंचो से पानी की धार टपकने लगी. उसने तुरंत धोती जैसे कपडे से अपने स्तन को ढंकने की नाकाम कोशिस की.

मेरा लंड पेंट के अंदर उछलने लगा था. मैंने उसकी तरफ देखा और उसे टूटी फूटी गुजराती में पानी के लिए कहाँ. उसने मेरी बात समझी और वोह पानी से बहार आई, ताकि पानी थोडा बहे और मैं उसे पिने के लिए भर सकूँ.

जब वोह खड़ी हुई मुझे उसकी सेक्सी बड़ी गांड देख के मन तो हो गया की उसे पकड़ के उसमे अपना लंड दे दूँ. मैंने पानी भरा और उसे फिर अपनी टूटी गुजराती में कहा, की उसका पति कहा हैं और वोह ऐसे जंगल में शाम के वक्त क्यूँ नहा रही हैं. मेरी टूटी भाषा ही वोह समझ पाई थी. उसने मुझे कहा की उसका पति शहर गया हैं, और उसे कोई कीड़े ने काटा हैं इसलिए वोह पीड़ा दबाने के लिए ठन्डे पानी से नहां रही हैं.

मैंने उसे कहाँ की कीड़ा कहाँ काटा हैं बता तो. उसने अपनी कमर दिखाई और मैंने देखा की वहाँ लाल सुजन सा हुआ था. मैं समझ गया की उसे कोई साधारण कीड़े ने ही काटा था.

मेरा ध्यान कमर से फिर उसकी बड़ी गांड पर पड़ा. मैंने उसे कहाँ अगर उसे दवाई लगानी हो तो मेरी ज़िप में हैं और मैं उसे लगा दूंगा. वो बोली, नहीं साहब आप बड़े लोग हैं…..अफसर, हम आपसे कैसे दवाई लगवा सकते हैं (टूटी फूटी गुजराती से मुझे इतना तो पता चल ही रहा था).

मैं हंसा और उसको कहा ककी कोई बात नहीं आ जाओ ज़िप में. मैंने उसे ज़िप के पीछे की सिट में बिठाया और आगे डेशबोर्ड से एक पेइन किलर क्रीम की ट्यूब ले आया. वो उलटी बैठी हुई थी और उसकी बड़ी गांड मेरे से कुछ इंच की ही दुरी पर थी.

मैंने उसके धोती जैसे कपडे को कमर से हटाया और उसको ट्यूब निकाल के लगाने लगा. इस आदिवासी की चमड़ी बहुत मुलायम थी और दवाई लगाते वक्त सुझन की वजह से वोह हलके हलके कराह रही थी. मैंने उसकी कमर पर हाथ मलना चालू किया और बहार अँधेरा फेलने लगा था.

मैंने इस आदिवासी की कमर को कुछ 2-3 मिनिट तक मालिश दी और अब मुझ से रहा नहीं जा रहा था. मेरा हाथ यकायक इसकी बड़ी गांड के ऊपर गया और उसने मेरी तरफ देखा इसके पहले मैंने इसकी भीगी हुई गांड को सहला दिया था. वोह मेरे तरफ हलके गुस्से से देख रही थी….मैंने उसे कहा मैं तुझे एक बार चुदाई के 50 रूपये दूंगा. उसका गुस्सा अब हल्का हो के हवा में उड़ने लगा था.

वोह बोली, लेकिन यहाँ कोई आ गया तो. मैंने कहा यहाँ इस वक्त कोई नहीं आता क्यूंकि पिछले महीने एक शेर को इस विस्तार में देखा गया था. उसने कुछ कहा नहीं और मैंने इस आदिवासी युवती को पिछली सिट के उपर उल्टा लिटा दिया. मेरी उत्तेजना का कारण बनी गांड को मैं मसलने लगा और धोती को हटा दी. उसके शरीर को ढंकने के लिए यह एक मात्र वस्त्र ही उपयोग हुआ था और इसे हटाते ही वोह सम्पूर्ण नग्न हो गई.

आदिवासी लड़की की झांटे इतनी थी के अंदर कबूतर घोंसला बना ले. यहाँ कहा वेक्स और शेविंग करनी थी इसने. वैसे भी चूत चूत होती हैं, रानी की हो या कानी की. मैंने अपनी खाखी वर्दी वाली शर्ट और पेंट उतार दी. मेरा लौड़ा अंदर फनफना रहा था और चड्डी दूर करते ही उसे खुली हवा का अहेसास हुआ.

मेरा लंड बहार आते ही यह आदिवासी युवती ने उसे अपने कब्जे में ले लिया और हिलाने लगी. मेरा लंड 8 इंच से भी लम्बा हैं और इसकी लम्बाई से ही शायद यह बड़ी गांड वाली युवती उत्तेजित हो चली थी. मैंने उसके स्तन को मुहं में ले लिए उसके निपल काफी बड़े थे जैसे की मोटी आंटियों के होते हैं, लेकिन यह युवती मुश्किल से 25 की होगी. वह लैंड हिलाते हिलाते अपना मुहं निचे ले आई और लंड को चूसने लगी.

मैंने भी ज़िप के सिट के निचे की खली जगा पर उसका बिठा दिया और वो लंड को बड़े मजे से चुस्ती रही. मैं भी उसे लंड पूरा मुहं के अंदर दे दे धक्के मारने लगा. इस युवती की चुंचे मेरे जांघ पर अड़ रहे थे और मैं एक असीम सुख की कगार पर था.

मेरा लंड पूरा खड़ा हो चूका था और उसका रंग भी जैसे की बदल गया था. मुझे अब चूत चाहिए थी इसकी और मुझे चोदते चोदते इसकी बड़ी गांड पर हाथ फेरने थे.मैंने अपना लंड उसके मुहं से बहार निकाला और उसे हाथ पकड़ के ज़िप में उठाया.यह युवती भी समझ गई की मुझे क्या चाहियें. वोह मेरी गोद मैं मेरे लंड के ऊपर बैठ गई.

मेरा खड़ा लंड आदिवासी चूत के अंदर तुरंत घुस गया और वोह मेरे लंड के उपर उछलने लगी. वो जोर जोर से उछल रही थी जिस से मेरा लंड उसकी चूत के अंदर पूरा घुस के बहार आ रहा था.

मैंने उसे गांड से पकड़ा हुआ था और मैंने उसका सर बचाते हुए उसको अपने लौड़े के उपर उछाल रहा था. उसकी बड़ी गांड मस्त मुलायम थी और मैंने उसके कुलो को पकडे उसे कुछ देर तक चोदता रहा. कुछ 10 मिनिट तक वोह मुझ से उछल उछल के चुदवाती रही और मैंने भी उसे चूत एक अंदर तक लंड दिए हुए ठोकता रहा.

उसकी साँसे मेरी तरह ही फुल गई थी. मैं उसे गांड पकड़ कर और जोर से ठोकने लगा. मैंने उसे अब निचे सिट के उपर लिटा दिया. उसकी बड़ी गांड मेरी तरफ थी और मैंने उसे पीछे से चूत के अंदर लंड दे दिया. मैं इसी पोजीशन में उसे कुछ देर और चोदता रहा और फिर मेरे लंड ने जवाब दे दिया.

मेरा वीर्य इस बड़ी गांड के उपर ही गिर गया जिसे इस आदिवासी युवती ने अपने सफ़ेद कपडे से साफ किया, मेरा लंड भी उसने इसी कपडे से साफ़ कर दिया. मेरा इस युवती से चुदाई का सिलसिला इस दिन से चालू हुआ और जब तक मेरी पोस्टिंग जुनागढ़ में थी तब तक चलता रहा, कभी कभी उसका पति बहार हो तो वो रात भी हमारे क्वार्टर में बिताती थी, मेरे और मेरे दोस्त विनय के लिए यह चुदाई का मस्त सामान बन गई थी……!!!
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