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हैल्लो दोस्तों मेरा नाम कुमार है, दोस्तों मेरा मन अपनी चाची की चूत को मार मारकर अब बहुत बोर चुका था, इसलिए में किसी दूसरी चूत की तलाश में हमेशा रहने लगा था। वैसे मेरी चाची की चूत भी बड़ी मस्त मजेदार थी, लेकिन में लगातार हर कभी चुदाई की वजह से वो अब चूत नहीं एक फटा हुआ भोसड़ा बनकर रह गई थी और में अपनी उस गाँव वाली बुआ की भी चूत को चोदकर में उसका भोसड़ा बना चुका था, लेकिन हाँ उनकी दोनों लड़कियों की प्यास अभी भी अधूरी ही थी और में जब कभी भी चाहता तो बड़े आराम से उन्हे भी चोद सकता था, बल्कि बुआ खुद ही मेरा लंड पकड़कर अपनी दोनों बेटी की चूत में मेरा लंड डाल देती, लेकिन मेरी उनकी बेटियों में इतनी कोई रूचि नहीं थी, लेकिन अब कोई और चूत भी मेरी नज़र में नहीं थी और मेरा लंड था कि उसमें जाने के लिए बहुत उतावला हो रहा था। दोस्तों वैसे उस दिन तो मैंने अपनी मम्मी को ही चोदा था, लेकिन फिर दूसरे दिन में बिना किसी इरादे के ऐसे ही सड़क पर टहल रहा था कि अचानक से कोई मुझसे टकरा गया।
फिर मैंने नज़र उठाकर देखा, तो वो करीब 45-46 साल की एक औरत थी, लेकिन उन्होंने अपने उस शरीर को बहुत अच्छी तरह से संभाल रखा हुआ था। में बिल्कुल बेसुध था और वो पता नहीं कैसे मुझसे आकर टकरा गयी और फिर मुझे अचानक से होश आ गया तब में हड़बड़ाकर उनसे माफ़ करने के लिए बोला और हमारे टकराने की वजह से उनके बेग से कुछ सामान भी नीचे गिर गया था। अब वो तुरंत नीचे बैठकर अपने सामान को उठा रही थी और उनका ब्लाउज बहुत टाईट था जिसके अंदर उनके बड़े बड़े आकार के बूब्स बाहर निकलने को बहुत बेताब थे और वैसे उन्होंने अपनी छाती पर साड़ी का पल्लू डाल रखा था, लेकिन गुलाबी रंग की जालीदार साड़ी से मुझे सब साफ नज़र आ रहा था और में खड़े खड़े उनके बूब्स का वो सेक्सी नज़ारा देख रहा था।
फिर कुछ देर बाद जैसे ही में नींद से जागा तब में भी उनका वो नीचे गिरा हुआ सामान उठाने में उनकी मदद करने लगा। अब मैंने उनसे कहा कि आंटी आप मुझे प्लीज माफ़ करना। मेरी वजह से आपका यह सामान बिखर गया, तब वो मुझसे बोली कि कोई बात नहीं है बेटा, सब ठीक है और सारा सामान अपने बेग के अंदर रखने के बाद वो मुझसे बोली कि बेटा तुम नयी पीढ़ी के लड़के लड़कियों की बस यही एक सबसे बड़ी समस्या है। तुम हर कभी कहीं ना कहीं खोए हुए रहते हो। अब में उनकी वो बातें सुनकर थोड़ा सा शर्मिंदा होते हुए बोला कि नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है, आप मेरे बारे में कुछ ग़लत सोच रही है और फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि बेटा क्या तुम मेरे साथ बैठकर एक कॉफी पीना पसंद करोगे? दोस्तों मैंने उनको अपनी तरफ से तुरंत ही बिना कुछ सोचे समझे हाँ में जवाब दे दिया और फिर हम लोग वहीं पास के एक कॉफी शॉप पर बैठ गये, वहाँ पर भी ज़्यादातर कुंवारे लड़के और लड़कियाँ ही थे जो एक दूसरे से चिपककर बातें हंसी मजाक कर रहे थे, वो आंटी उन सभी को बड़े ध्यान से देख रही थी।
फिर अचानक से मेरी तरफ देखकर उन्होंने मुझसे पूछा बेटा आप क्या करते हो? तब मैंने कहा कि आंटी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा हूँ यह मेरा तीसरा साल है। फिर वो बोली वाह बहुत अच्छे, लेकिन उस समय तुम्हारा ध्यान किधर था? क्या तुम भी इन सब मनचले लड़को की तरह नयी हसीन तितलियों की ताक में थे? उन्होंने जिस अंदाज़ में यह बात मुझसे कही मुझे सुनकर बड़ा अज़ीब सा लगा और इसलिए मैंने हड़बड़ाते हुए कहा कि नहीं आंटी ऐसी कोई भी बात नहीं है जैसा आप मेरे बारे में सोच रही हो में वैसा बिल्कुल भी नहीं हूँ, खैर अब आप बताए आप कहाँ से आ रही थी? तब वो हंसते हुए बोली तुमने क्या बेवकूफी भरा सवाल किया है? अरे भाई में बाजार से आ ही रही थी कि तभी अचानक से तुमने सामने आकर मुझे धक्का मार दिया अच्छा अब यह बताओ बेटा तुम्हारे घर में और कौन कौन है? मैंने कहा कि मम्मी पापा और एक छोटी बहन है और आंटी आपके घर में कौन कौन रहता है? तब मुझे उनका एक छोटा सा जवाब मिला कि में और मेरी बेटी, तो मैंने उनसे पूछा और अंकल? तब वो बोली कि बेटा वो बाहर किसी कंपनी में है और मेरा बेटा भी वहीं पर ट्रेनिंग कर रहा है।
दोस्तों उनकी बातों में बहुत उदासी भरी थी तभी अचानक से मौसम खराब हो गया और बारिश होने लगी। हम लोग बहुत देर तक इधर उधर की बातें करते रहे और करीब दो घंटे बाद भी पानी नहीं रुका तब आंटी कुछ परेशान हो गयी और मैंने उनसे पूछा कि क्या बात है आंटी आप कुछ परेशान सी नजर आ रही है? तब उन्होंने घड़ी देखते हुए कहा कि बेटा अब आठ बज रहे है और पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा और अब तो मुझे अपने घर जाने के लिए कोई साधन भी नहीं मिलेगा। फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी मेरा घर यहाँ से कुछ दूरी पर है और आप चाहे तो मेरे साथ वहां पर चल सकती है, तभी वो बोली कि बेटा असल में मेरे घर पर मेरी बेटी नेहा अकेली होगी और आजकल का माहोल तो तुम जानते ही हो जवान लड़की को बिल्कुल भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी आप यहीं पर रुको में अभी मेरी कार लेकर आता हूँ, तब वो मुझसे बोली कि बेटा तुम पानी में भीग जाओगे और बारिश बहुत तेज है। तो मैंने उनसे कहा कि आंटी हम जवान लोगों पर बारिश का कोई असर नहीं होता और फिर में भागकर अपने घर पर पहुंच गया और मम्मी को मैंने बताया कि में अपने एक दोस्त के घर जा रहा हूँ कोई ज़रूरी काम है, मम्मी मुझे रोकती ही रह गयी कि बेटा बारिश तेज हो रही कल चले जाना, लेकिन में नहीं रुका और में अपनी कार को लेकर वापस उस कॉफी शॉप पर पहुंच गया।
पानी अभी भी बहुत तेज़ था और वो जैसे ही शॉप से बाहर मेरी गाड़ी तक आई बहुत हद तक वो भी भीग चुकी थी और में तो पहले से ही पानी में तर था, क्योंकि में अपने घर तक जाने में बहुत भीग चुका था और थोड़ी ही देर के बाद में एक बड़ी सी कोठी के सामने जाकर रुका। अब में उस कोठी को देखकर बिल्कुल हैरान रह गया और तभी वो कार से नीचे उतरते हुए मुझसे बोली कि बेटा कार को तुम पार्किंग में खड़ी करके घर के अंदर चले आओ, तुम पानी से बहुत भीग चुके हो कपड़े बदल लो नहीं तो तुम्हे सर्दी लग जाएगी। फिर मैंने कहा कि नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है, मैंने आपको घर तक छोड़ दिया अब मेरा काम खत्म हुआ, में अब चलता हूँ आप मुझे जाने की इजाज़त दीजिए। फिर आंटी ने मुझे थोड़ा सा डांटकर कहा कि में तुमसे जितना कह रही हूँ तुम उतना ही करो, आख़िर में तुम्हारी माँ की तरह हूँ जाओ गाड़ी पार्क करके आओ और इतनी देर की बहस में आंटी अब बिल्कुल तर हो चुकी थी। फिर में गाड़ी पार्क करने के बाद जब आया तो आंटी वहीं पर खड़ी हुई थी और उनकी साड़ी बिल्कुल भीग कर उनके शरीर से चिपक चुकी थी। गुलाबी रंग की साड़ी के नीचे उनकी काले रंग की डिज़ाइनर ब्रा मुझे साफ साफ नज़र आ रही थी और वैसे मेरे मन में अभी तक उनके लिए ऐसे कोई भी ग़लत विचार नहीं थे, लेकिन आख़िर कब तक मेरे अंदर का वो शैतान सोया रहता। उनको उस हालत में देखकर मेरे पूरे बदन में एक सनसनी होने लगी और में कुछ देर तक उनको अपनी नजर से एकटक निहारता रहा, में बहुत चकित था। तभी वो मेरी आखों के आगे चुटकी बजाते हुए मुझसे बोली हैल्लो कहाँ खो गये? तुम किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाओ, तुम्हारे शरीर में ऐसी कोई बीमारी लगती है जिसकी वजह से जाने तुम कहाँ खो जाते हो? और फिर इतना कहकर मेरा एक हाथ पकड़कर वो मुझे जबरदस्ती खीचकर अंदर ले जाने लगी थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर अंदर दाखिल होते ही मुझे एक बहुत ही सुंदर लड़की नज़र आई, जिसकी उम्र करीब 18-20 साल रही होगी और वो स्कर्ट पहने हुए थी और चेहरे से वो बहुत परेशान नज़र आ रही थी और आंटी को देखते ही वो उनसे लिपट गयी और पूछने लगी मम्मी आप कहाँ चली गयी थी में बहुत घबरा रही थी? आंटी ने उसको अपने से अलग करते हुए कहा कि मेरी रानी बेटी बाहर अचानक से पानी बरसने लगा था इसलिए मुझे इतनी देर हो गयी और में तुम्हे फोन लगा रही थी तो वो भी नहीं लग रहा था खैर कोई बात नहीं अब तो में आ गयी हूँ मेरी बहादुर बच्ची क्या तुमने खाना खाया? तो उसने कहा कि जी मम्मी अभी थोड़ी ही देर पहले रामू काका मुझे खाना देकर अपने घर चले गये और अब मुझे बहुत नींद भी आ रही है यह बात कहकर अचानक से उसने थोड़ा संभलते हुए मेरी तरफ देखा और बोली मम्मी यह साहब कौन है? तो आंटी ने कहा कि बेटा आज में बाजार अपनी कार नहीं ले गयी और आज ही पानी को बरसना था तो इसने ही मुझे लिफ्ट दी है इनका नाम राजेश है और तब वो मुझे नमस्ते करके अपने रूम में सोने चली गयी और अब उस रूम के अंदर में और आंटी ही रह गये थे तभी आंटी ने मुझे एक लुंगी देते हुए कहा कि लो तुम इसको पहन लो।
फिर मैंने उनके कहने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उस लूँगी को अपनी कमर पर बांध लिया मैंने अपनी अंडरवियर और बनियान नहीं उतारी। तभी आंटी मुझसे कहने लगी कि बेटा तुम अपने सभी गीले कपड़े उतार दो, यह अभी थोड़ी ही देर में सूख जाएँगे उसके बाद तुम इनको पहन लेना और इस बनियान को भी उतारकर निचोड़ लो देखो यह बहुत भीग चुका है। अब मैंने बहुत झिझकते शरमाते हुए अपने बनियान को उतारकर निचोड़कर खूंटी पर टाँग दिया और वहीं वॉशरूम में जाकर अपनी अंडरवियर को भी मैंने उतारकर सूखने के लिए डाल दिया और अब में सिर्फ़ लूँगी में था और अभी तक आंटी ने अपनी साड़ी नहीं उतारी थी, जब में वापस रूम में आया तब मैंने देखा कि वो अपना साड़ी का पल्लू निचोड़ रही थी और उनका वो आँचल हटा होने की वजह से उनके गुलाबी रंग के ब्लाउज के अंदर से उनकी काले रंग की ब्रा साफ नज़र आ रही थी, जिसको में अपनी चकित नजर से लगातार निहार रहा था और मुझे एकटक इस तरह घूरकर देखते हुए आंटी ने कहा क्यों क्या देख रहे हो बेटे, तुमने अपने तो कपड़े उतार लिए अब में भी अपने कपड़े बदल लूँ।
अब मैंने आंटी की नज़रों की तरफ देखा तो उनकी नज़रे मेरे लंड पर टिकी हुई थी। वो मेरे लंड को देखकर अंदर ही अंदर वो बड़ी खुश हो गई और अब मैंने धीरे से अपने दोनों पैरों को और भी खोल दिया जिसकी वजह से आंटी और भी अच्छी तरह से मेरे लंड का दीदार कर सके उसके बाद हम दोनों ने कॉफी के मज़े लिए और उसके बाद में अपने कपड़े पहनने लगा और मन ही मन में सोच रहा था कि साली अगर आज रात मुझे अपने पास यहीं पर रोककर मुझसे अपनी चुदाई करवा ले तो इसका क्या हो जाएगा? वैसे चुदाई के मज़े लेने के लिए इसकी चूत भी बहुत तड़प रही है, लेकिन हाय रे इंडियन नारी लाज़ की मारी लंड खाएगी दुनियाभर के, लेकिन चुदवाने से पहले शरमाएगी इतना कि पूछो ही मत और जब मुझे कपड़े पहनते हुए आंटी ने देखा तब वो मेरे पास आई और बोली देखो बेटा अभी तुम्हारे कपड़े पूरी तरह से सूखे नहीं है तुम ऐसा करो कि आज रात यहीं पर रुक जाओ और घर पर अपनी मम्मी को कॉल करके बोल दो। तब मैंने नाटक करते हुए कहा कि नहीं आंटी मुझे जाना है।
फिर तभी मेरे हाथ से कपड़े छीनकर वो बोली कि बेटा में तेरी माँ जैसी हूँ और में तुझसे जैसा कह रही हूँ वैसा ही कर कहीं बीमार पड़ गया तो तेरी मम्मी को कौन जवाब देगा? फिर मैंने घर पर कॉल करके कह दिया कि आज पानी बहुत बरस रहा है इसलिए में आज यहीं पर अपने दोस्त के घर पर रुक रहा हूँ और फिर थोड़ा बहुत खाना खाने के बाद आंटी ने मुझसे कहा कि बेटा तुम यहाँ बेड पर सो जाना में सोफे पर लेट जाउंगी वरना अगर तुम चाहो तो दूसरे रूम में भी सो सकते हो। फिर मैंने कहा कि आंटी में वहाँ पर अकेला बोर हो जाऊंगा, आप ऐसा कीजिए आप बेड पर सो जाइएगा में सोफे पर सो जाता हूँ और उनको यह बात कहकर में वहीं सोफे पर लेट गया और आंटी बेड पर लेट गयी। मेरे अरमान अब धीरे धीरे ठंडे हो रहे थे और में आंटी की उभरी हुई निप्पल और फूले हुए कूल्हों को अपनी आखों में बसाये कब गहरी नींद की गोद में चला गया मुझे पता ही नहीं चला।
अब मेरे लंड में धीरे धीरे तनाव आने लगा था और में भी उत्तेजित होने लगा था। मेरा मन कर रहा था कि अभी में उस साली को अपनी बाहों में भरकर इतनी ज़ोर से दबा दूँ कि इसकी हड्डी तक पिस जाय, लेकिन में ऐसा कर नहीं सकता था और में बस चुपचाप एकदम सीधा पड़ा रहा और आंटी की कार्यवाही को देखता महसूस करता रहा और फिर कुछ देर बाद आंटी का हाथ अचानक से थोड़ा कड़क हो गया था वो मुझे सोया हुआ जानकर पूरी तरह से निश्चित हो गयी थी, इसलिए वो मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से सहलाने के बाद जब वो पूरी तरह से खड़ा हो गया, तब अपने होंठो से मेरी जांघों को चूमने लगी।
अब मेरे मुहं से सिसकियाँ निकलने को हुई, लेकिन मैंने अपने दांत भींचकर अपने मुहं से आवाज को निकलने नहीं दिया, लेकिन अब मुझसे ज्यादा देर बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था। तभी मैंने अपने लंड पर कुछ गरम गिला चिपचिपा सा महसूस किया, क्योंकि रूम में नाइट लेम्प जल रहा था तो मुझे कुछ साफ नज़र नहीं आ रहा था और में अपनी आँख भी बंद किए था, लेकिन मुझे अब इतना तो अंदाज़ा हो ही गया था कि यह साली इसकी जीभ होगी जो मेरे लंड पर घूम रही है और अपनी जीभ को फिराते फिराते उसने गप्प से मेरा लंड अपने मुहं में पूरा अंदर ले लिया और उसको चूसने लगी थी। दोस्तों अब तो में बिल्कुल भी बर्दास्त नहीं कर पाया और में एक झटके के साथ उठकर बैठ गया और उससे बोला कि कौन है यहाँ पर? तभी आंटी ने मेरे मुहं पर हाथ रखा और धीरे से बोली बेटा में हूँ उन्होंने झट से लाईट को भी जला दिया और में यह सब देखकर बिल्कुल हैरान रह गया, क्योंकि वो पहले से ही पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और उनके गोरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था।
फिर मैंने उनका वो गोरा नंगा बदन देखकर चौकने का ड्रामा करते हुए कहा कि हाए आंटी आप तो पूरी नंगी है। तब उन्होंने मेरा लंड पकड़ते हुए मुझसे कहा कि बेटा तुम भी तो नंगे हो और मैंने यह बात सुनकर अपने दोनों हाथों को झट से अपने लंड पर रख लिया और में अपने लंड को हाथों के पीछे छुपाने का नाटक करने लगा, लेकिन में उसकी हरकतों उस काम को देखकर बहुत अच्छी तरह से जानता और समझ चुका था कि अब यह साली जरुर मुझसे अपनी चुदाई बिना किसी नाटक नखरे से करवाएगी, लेकिन फिर भी मैंने अपना नाटक शुरू रखा में कहने लगा कि आंटी आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।
फिर मैंने भी अब उसकी वो जोश भरी बातें सुनकर अपने होश बिल्कुल खोकर मैंने उसके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाना उनकी निप्पल को निचोड़ना शुरू किया और उनके एक एक बूब्स को चूसकर में उनका रस पीने लगा था। तब मैंने देखा कि रात के करीब तीन बज चुके थे और सभी तरफ बहुत सुनसान था और फिर में ऊपर से उसकी रसभरी चूत को अपने एक हाथ से धीरे धीरे सहलाने लगा, जिसकी वजह से अब वो और भी ज्यादा गरम हो चुकी थी और फिर वो दोबारा मेरे लंड को अपने मुहं में लेने को बड़ी बेताब नजर आ रही थी और उसने कुछ देर बाद ठीक वही किया, वो मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर बेसब्री की तरफ एकदम पागलों की तरह चूसने लगी और वो कभी लंड को पूरा अंदर डालती और कभी बाहर निकालकर उसके टोपे पर अपनी जीभ को घुमाने लगती।
उसके ऐसे करने से मुझे लग रहा था जैसे कि में अब स्वर्ग में हूँ। फिर कुछ देर उसके साथ ऐसे ही मज़े लेने के बाद मैंने अब उसको अपनी बाहों में लेकर नीचे लेटा दिया और उसको लेटाकर में उसके ऊपर सो गया। अब मुझे ऐसे लग रहा था कि कब में उसकी चूत में अपने लंड को डालकर उसकी चुदाई के मज़े लूँ। में यह बात अपने मन ही मन में कुछ देर सोचता रहा और फिर उसके बाद मैंने उसके दोनों पैरों को पूरा फैलाकर चूत के मुहं पर रख दिया। तब उसने मेरे तनकर खड़े पांच इंच लंबे लंड का अपनी रस से भरी मुलायम कामुक चूत में स्वागत किया और मैंने उसके स्वागत को स्वीकार करते हुए एक ही जोरदार धक्के के साथ अपने लंड को उसकी चूत की पूरी गहराइयों में पहुंचा दिया और में धक्के देने लगा मेरे जोरदार धक्का का उसने भी जोश में आकर अपनी गांड को उठा उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ दिया।
फिर करीब 15 मिनट की उस ताबड़तोड़ चुदाई के बाद अब हम दोनों ही चिल्ला चिल्लाकर धक्के देते हुए झड़ गये। हम दोनों का कामरस उसकी चूत से बहकर बाहर आकर उसकी जांघो पर बहने लगा था। अब में धक्के देकर थक जाने की वजह से उसके ऊपर ही लेटा रहा। दोस्तों उसने यक़ीन मुझे अपनी चुदाई के लिए भड़काने के लिए ही ऐसे शब्द प्रयोग किये थे और मेरे साथ वो हरकते की थी, लेकिन मुझे तो शुरू से ही चुदाई करना पसंद था और शुरुआत में आंटी मुझे इतनी सीधी-साधी नज़र आ रही थी कि उनके मुहं से इस तरह की वो बातें सुनना मेरे लिए एक बिल्कुल नया अनुभव था और उस पूरी रात मैंने उनकी चुदाई के बड़े मज़े लिए जिसमे हर बार उन्होंने मेरा पूरा पूरा साथ दिया, जिसकी वजह से हम दोनों का काम बन गया और मुझे एक चुदक्कड़ चुदाई के लिए प्यासी चूत और उनको मेरा मोटा लंबा दमदार लंड मिला जिसको उन्होंने अपना समझकर बहुत प्यार दिया ।।
हैल्लो दोस्तों मेरा नाम कुमार है, दोस्तों मेरा मन अपनी चाची की चूत को मार मारकर अब बहुत बोर चुका था, इसलिए में किसी दूसरी चूत की तलाश में हमेशा रहने लगा था। वैसे मेरी चाची की चूत भी बड़ी मस्त मजेदार थी, लेकिन में लगातार हर कभी चुदाई की वजह से वो अब चूत नहीं एक फटा हुआ भोसड़ा बनकर रह गई थी और में अपनी उस गाँव वाली बुआ की भी चूत को चोदकर में उसका भोसड़ा बना चुका था, लेकिन हाँ उनकी दोनों लड़कियों की प्यास अभी भी अधूरी ही थी और में जब कभी भी चाहता तो बड़े आराम से उन्हे भी चोद सकता था, बल्कि बुआ खुद ही मेरा लंड पकड़कर अपनी दोनों बेटी की चूत में मेरा लंड डाल देती, लेकिन मेरी उनकी बेटियों में इतनी कोई रूचि नहीं थी, लेकिन अब कोई और चूत भी मेरी नज़र में नहीं थी और मेरा लंड था कि उसमें जाने के लिए बहुत उतावला हो रहा था। दोस्तों वैसे उस दिन तो मैंने अपनी मम्मी को ही चोदा था, लेकिन फिर दूसरे दिन में बिना किसी इरादे के ऐसे ही सड़क पर टहल रहा था कि अचानक से कोई मुझसे टकरा गया।
फिर मैंने नज़र उठाकर देखा, तो वो करीब 45-46 साल की एक औरत थी, लेकिन उन्होंने अपने उस शरीर को बहुत अच्छी तरह से संभाल रखा हुआ था। में बिल्कुल बेसुध था और वो पता नहीं कैसे मुझसे आकर टकरा गयी और फिर मुझे अचानक से होश आ गया तब में हड़बड़ाकर उनसे माफ़ करने के लिए बोला और हमारे टकराने की वजह से उनके बेग से कुछ सामान भी नीचे गिर गया था। अब वो तुरंत नीचे बैठकर अपने सामान को उठा रही थी और उनका ब्लाउज बहुत टाईट था जिसके अंदर उनके बड़े बड़े आकार के बूब्स बाहर निकलने को बहुत बेताब थे और वैसे उन्होंने अपनी छाती पर साड़ी का पल्लू डाल रखा था, लेकिन गुलाबी रंग की जालीदार साड़ी से मुझे सब साफ नज़र आ रहा था और में खड़े खड़े उनके बूब्स का वो सेक्सी नज़ारा देख रहा था।
फिर कुछ देर बाद जैसे ही में नींद से जागा तब में भी उनका वो नीचे गिरा हुआ सामान उठाने में उनकी मदद करने लगा। अब मैंने उनसे कहा कि आंटी आप मुझे प्लीज माफ़ करना। मेरी वजह से आपका यह सामान बिखर गया, तब वो मुझसे बोली कि कोई बात नहीं है बेटा, सब ठीक है और सारा सामान अपने बेग के अंदर रखने के बाद वो मुझसे बोली कि बेटा तुम नयी पीढ़ी के लड़के लड़कियों की बस यही एक सबसे बड़ी समस्या है। तुम हर कभी कहीं ना कहीं खोए हुए रहते हो। अब में उनकी वो बातें सुनकर थोड़ा सा शर्मिंदा होते हुए बोला कि नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है, आप मेरे बारे में कुछ ग़लत सोच रही है और फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि बेटा क्या तुम मेरे साथ बैठकर एक कॉफी पीना पसंद करोगे? दोस्तों मैंने उनको अपनी तरफ से तुरंत ही बिना कुछ सोचे समझे हाँ में जवाब दे दिया और फिर हम लोग वहीं पास के एक कॉफी शॉप पर बैठ गये, वहाँ पर भी ज़्यादातर कुंवारे लड़के और लड़कियाँ ही थे जो एक दूसरे से चिपककर बातें हंसी मजाक कर रहे थे, वो आंटी उन सभी को बड़े ध्यान से देख रही थी।
फिर अचानक से मेरी तरफ देखकर उन्होंने मुझसे पूछा बेटा आप क्या करते हो? तब मैंने कहा कि आंटी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा हूँ यह मेरा तीसरा साल है। फिर वो बोली वाह बहुत अच्छे, लेकिन उस समय तुम्हारा ध्यान किधर था? क्या तुम भी इन सब मनचले लड़को की तरह नयी हसीन तितलियों की ताक में थे? उन्होंने जिस अंदाज़ में यह बात मुझसे कही मुझे सुनकर बड़ा अज़ीब सा लगा और इसलिए मैंने हड़बड़ाते हुए कहा कि नहीं आंटी ऐसी कोई भी बात नहीं है जैसा आप मेरे बारे में सोच रही हो में वैसा बिल्कुल भी नहीं हूँ, खैर अब आप बताए आप कहाँ से आ रही थी? तब वो हंसते हुए बोली तुमने क्या बेवकूफी भरा सवाल किया है? अरे भाई में बाजार से आ ही रही थी कि तभी अचानक से तुमने सामने आकर मुझे धक्का मार दिया अच्छा अब यह बताओ बेटा तुम्हारे घर में और कौन कौन है? मैंने कहा कि मम्मी पापा और एक छोटी बहन है और आंटी आपके घर में कौन कौन रहता है? तब मुझे उनका एक छोटा सा जवाब मिला कि में और मेरी बेटी, तो मैंने उनसे पूछा और अंकल? तब वो बोली कि बेटा वो बाहर किसी कंपनी में है और मेरा बेटा भी वहीं पर ट्रेनिंग कर रहा है।
दोस्तों उनकी बातों में बहुत उदासी भरी थी तभी अचानक से मौसम खराब हो गया और बारिश होने लगी। हम लोग बहुत देर तक इधर उधर की बातें करते रहे और करीब दो घंटे बाद भी पानी नहीं रुका तब आंटी कुछ परेशान हो गयी और मैंने उनसे पूछा कि क्या बात है आंटी आप कुछ परेशान सी नजर आ रही है? तब उन्होंने घड़ी देखते हुए कहा कि बेटा अब आठ बज रहे है और पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा और अब तो मुझे अपने घर जाने के लिए कोई साधन भी नहीं मिलेगा। फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी मेरा घर यहाँ से कुछ दूरी पर है और आप चाहे तो मेरे साथ वहां पर चल सकती है, तभी वो बोली कि बेटा असल में मेरे घर पर मेरी बेटी नेहा अकेली होगी और आजकल का माहोल तो तुम जानते ही हो जवान लड़की को बिल्कुल भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी आप यहीं पर रुको में अभी मेरी कार लेकर आता हूँ, तब वो मुझसे बोली कि बेटा तुम पानी में भीग जाओगे और बारिश बहुत तेज है। तो मैंने उनसे कहा कि आंटी हम जवान लोगों पर बारिश का कोई असर नहीं होता और फिर में भागकर अपने घर पर पहुंच गया और मम्मी को मैंने बताया कि में अपने एक दोस्त के घर जा रहा हूँ कोई ज़रूरी काम है, मम्मी मुझे रोकती ही रह गयी कि बेटा बारिश तेज हो रही कल चले जाना, लेकिन में नहीं रुका और में अपनी कार को लेकर वापस उस कॉफी शॉप पर पहुंच गया।
पानी अभी भी बहुत तेज़ था और वो जैसे ही शॉप से बाहर मेरी गाड़ी तक आई बहुत हद तक वो भी भीग चुकी थी और में तो पहले से ही पानी में तर था, क्योंकि में अपने घर तक जाने में बहुत भीग चुका था और थोड़ी ही देर के बाद में एक बड़ी सी कोठी के सामने जाकर रुका। अब में उस कोठी को देखकर बिल्कुल हैरान रह गया और तभी वो कार से नीचे उतरते हुए मुझसे बोली कि बेटा कार को तुम पार्किंग में खड़ी करके घर के अंदर चले आओ, तुम पानी से बहुत भीग चुके हो कपड़े बदल लो नहीं तो तुम्हे सर्दी लग जाएगी। फिर मैंने कहा कि नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है, मैंने आपको घर तक छोड़ दिया अब मेरा काम खत्म हुआ, में अब चलता हूँ आप मुझे जाने की इजाज़त दीजिए। फिर आंटी ने मुझे थोड़ा सा डांटकर कहा कि में तुमसे जितना कह रही हूँ तुम उतना ही करो, आख़िर में तुम्हारी माँ की तरह हूँ जाओ गाड़ी पार्क करके आओ और इतनी देर की बहस में आंटी अब बिल्कुल तर हो चुकी थी। फिर में गाड़ी पार्क करने के बाद जब आया तो आंटी वहीं पर खड़ी हुई थी और उनकी साड़ी बिल्कुल भीग कर उनके शरीर से चिपक चुकी थी। गुलाबी रंग की साड़ी के नीचे उनकी काले रंग की डिज़ाइनर ब्रा मुझे साफ साफ नज़र आ रही थी और वैसे मेरे मन में अभी तक उनके लिए ऐसे कोई भी ग़लत विचार नहीं थे, लेकिन आख़िर कब तक मेरे अंदर का वो शैतान सोया रहता। उनको उस हालत में देखकर मेरे पूरे बदन में एक सनसनी होने लगी और में कुछ देर तक उनको अपनी नजर से एकटक निहारता रहा, में बहुत चकित था। तभी वो मेरी आखों के आगे चुटकी बजाते हुए मुझसे बोली हैल्लो कहाँ खो गये? तुम किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाओ, तुम्हारे शरीर में ऐसी कोई बीमारी लगती है जिसकी वजह से जाने तुम कहाँ खो जाते हो? और फिर इतना कहकर मेरा एक हाथ पकड़कर वो मुझे जबरदस्ती खीचकर अंदर ले जाने लगी थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर अंदर दाखिल होते ही मुझे एक बहुत ही सुंदर लड़की नज़र आई, जिसकी उम्र करीब 18-20 साल रही होगी और वो स्कर्ट पहने हुए थी और चेहरे से वो बहुत परेशान नज़र आ रही थी और आंटी को देखते ही वो उनसे लिपट गयी और पूछने लगी मम्मी आप कहाँ चली गयी थी में बहुत घबरा रही थी? आंटी ने उसको अपने से अलग करते हुए कहा कि मेरी रानी बेटी बाहर अचानक से पानी बरसने लगा था इसलिए मुझे इतनी देर हो गयी और में तुम्हे फोन लगा रही थी तो वो भी नहीं लग रहा था खैर कोई बात नहीं अब तो में आ गयी हूँ मेरी बहादुर बच्ची क्या तुमने खाना खाया? तो उसने कहा कि जी मम्मी अभी थोड़ी ही देर पहले रामू काका मुझे खाना देकर अपने घर चले गये और अब मुझे बहुत नींद भी आ रही है यह बात कहकर अचानक से उसने थोड़ा संभलते हुए मेरी तरफ देखा और बोली मम्मी यह साहब कौन है? तो आंटी ने कहा कि बेटा आज में बाजार अपनी कार नहीं ले गयी और आज ही पानी को बरसना था तो इसने ही मुझे लिफ्ट दी है इनका नाम राजेश है और तब वो मुझे नमस्ते करके अपने रूम में सोने चली गयी और अब उस रूम के अंदर में और आंटी ही रह गये थे तभी आंटी ने मुझे एक लुंगी देते हुए कहा कि लो तुम इसको पहन लो।
फिर मैंने उनके कहने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उस लूँगी को अपनी कमर पर बांध लिया मैंने अपनी अंडरवियर और बनियान नहीं उतारी। तभी आंटी मुझसे कहने लगी कि बेटा तुम अपने सभी गीले कपड़े उतार दो, यह अभी थोड़ी ही देर में सूख जाएँगे उसके बाद तुम इनको पहन लेना और इस बनियान को भी उतारकर निचोड़ लो देखो यह बहुत भीग चुका है। अब मैंने बहुत झिझकते शरमाते हुए अपने बनियान को उतारकर निचोड़कर खूंटी पर टाँग दिया और वहीं वॉशरूम में जाकर अपनी अंडरवियर को भी मैंने उतारकर सूखने के लिए डाल दिया और अब में सिर्फ़ लूँगी में था और अभी तक आंटी ने अपनी साड़ी नहीं उतारी थी, जब में वापस रूम में आया तब मैंने देखा कि वो अपना साड़ी का पल्लू निचोड़ रही थी और उनका वो आँचल हटा होने की वजह से उनके गुलाबी रंग के ब्लाउज के अंदर से उनकी काले रंग की ब्रा साफ नज़र आ रही थी, जिसको में अपनी चकित नजर से लगातार निहार रहा था और मुझे एकटक इस तरह घूरकर देखते हुए आंटी ने कहा क्यों क्या देख रहे हो बेटे, तुमने अपने तो कपड़े उतार लिए अब में भी अपने कपड़े बदल लूँ।
दोस्तों मेरा मन अब तक आंटी को चोदने के बारे में सोचने लगा था, लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो पा रही थी। फिर तभी थोड़ी देर के बाद आंटी एक बहुत ही हल्की सी मेक्सी पहनकर आई और वो वहीं सोफे पर बैठ गयी और कॉफी बनाने लगी। वो मेरे सामने बैठकर कॉफी बना रही थी और में अपनी ललचाई नज़रों से उनके उभरे हुए बूब्स को लगातार देख रहा था और दिल ही दिल में सोच रहा था कि काश यह आंटी आज मुझसे अपनी चुदाई करवा ले तो कितना मज़ा आएगा। यही सब सोच सोचकर मेरा लंड अब अपनी असली औकात में आ चुका था और मुझे इस बात का बिल्कुल भी एहसास ही नहीं हुआ कि कब वो मेरी लूँगी को ऊँची करके बाहर निकलकर बीच से उसका टोपा अब बाहर झाँक रहा था और आंटी अपनी चोर नज़रों से उधर ही देख रही थी मेरा पूरा ध्यान आंटी के बूब्स की तरफ था और आंटी का ध्यान मेरे तनकर खड़े लंड की तरफ था।
अब मैंने आंटी की नज़रों की तरफ देखा तो उनकी नज़रे मेरे लंड पर टिकी हुई थी। वो मेरे लंड को देखकर अंदर ही अंदर वो बड़ी खुश हो गई और अब मैंने धीरे से अपने दोनों पैरों को और भी खोल दिया जिसकी वजह से आंटी और भी अच्छी तरह से मेरे लंड का दीदार कर सके उसके बाद हम दोनों ने कॉफी के मज़े लिए और उसके बाद में अपने कपड़े पहनने लगा और मन ही मन में सोच रहा था कि साली अगर आज रात मुझे अपने पास यहीं पर रोककर मुझसे अपनी चुदाई करवा ले तो इसका क्या हो जाएगा? वैसे चुदाई के मज़े लेने के लिए इसकी चूत भी बहुत तड़प रही है, लेकिन हाय रे इंडियन नारी लाज़ की मारी लंड खाएगी दुनियाभर के, लेकिन चुदवाने से पहले शरमाएगी इतना कि पूछो ही मत और जब मुझे कपड़े पहनते हुए आंटी ने देखा तब वो मेरे पास आई और बोली देखो बेटा अभी तुम्हारे कपड़े पूरी तरह से सूखे नहीं है तुम ऐसा करो कि आज रात यहीं पर रुक जाओ और घर पर अपनी मम्मी को कॉल करके बोल दो। तब मैंने नाटक करते हुए कहा कि नहीं आंटी मुझे जाना है।
फिर तभी मेरे हाथ से कपड़े छीनकर वो बोली कि बेटा में तेरी माँ जैसी हूँ और में तुझसे जैसा कह रही हूँ वैसा ही कर कहीं बीमार पड़ गया तो तेरी मम्मी को कौन जवाब देगा? फिर मैंने घर पर कॉल करके कह दिया कि आज पानी बहुत बरस रहा है इसलिए में आज यहीं पर अपने दोस्त के घर पर रुक रहा हूँ और फिर थोड़ा बहुत खाना खाने के बाद आंटी ने मुझसे कहा कि बेटा तुम यहाँ बेड पर सो जाना में सोफे पर लेट जाउंगी वरना अगर तुम चाहो तो दूसरे रूम में भी सो सकते हो। फिर मैंने कहा कि आंटी में वहाँ पर अकेला बोर हो जाऊंगा, आप ऐसा कीजिए आप बेड पर सो जाइएगा में सोफे पर सो जाता हूँ और उनको यह बात कहकर में वहीं सोफे पर लेट गया और आंटी बेड पर लेट गयी। मेरे अरमान अब धीरे धीरे ठंडे हो रहे थे और में आंटी की उभरी हुई निप्पल और फूले हुए कूल्हों को अपनी आखों में बसाये कब गहरी नींद की गोद में चला गया मुझे पता ही नहीं चला।
फिर रात को अचानक मुझे अपनी जाँघ पर कुछ सरकता हुआ महसूस हुआ, तो मेरी नींद खुल गयी फिर मुझे आभास हुआ कि यह किसी का हाथ है और घर में दो ही जने थे आंटी या फिर उसकी लड़की, तभी थोड़ी देर में उसी तरह से लेटा रहा तब तक वो हाथ अब नीचे सरसराता हुआ मेरी लूँगी को सरकाता हुआ ऊपर मेरी जांघो की जड़ तक पहुंच चुका था। में भी अब उस हाथ की गरमी का आनंद लेना चाहता था चाहे कोई हो भले ही उस वक़्त उसकी वो कुंवारी लड़की भी होती तब भी मैंने तय कर लिया था कि उसकी कुँवारी चूत को भी में चोद ही डालूँगा, लेकिन अब तक में जान गया था कि वो हाथ आंटी का है और अब में पूरी तरह से उसके सहलाने का मज़ा लेना चाहता था और में सोफे पर सीधा होकर लेट गया और वो मुझे करवट लेते हुए देखकर कुछ बड़बड़ा गयी, लेकिन फिर शांत हो गयी और मुझे नींद में देखकर उसने मेरी लूँगी के अंदर अपना हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ लिया जो अभी तक शांत अवस्था में था, वो उसको बहुत प्यार से सहलाने लगी।
अब मेरे लंड में धीरे धीरे तनाव आने लगा था और में भी उत्तेजित होने लगा था। मेरा मन कर रहा था कि अभी में उस साली को अपनी बाहों में भरकर इतनी ज़ोर से दबा दूँ कि इसकी हड्डी तक पिस जाय, लेकिन में ऐसा कर नहीं सकता था और में बस चुपचाप एकदम सीधा पड़ा रहा और आंटी की कार्यवाही को देखता महसूस करता रहा और फिर कुछ देर बाद आंटी का हाथ अचानक से थोड़ा कड़क हो गया था वो मुझे सोया हुआ जानकर पूरी तरह से निश्चित हो गयी थी, इसलिए वो मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से सहलाने के बाद जब वो पूरी तरह से खड़ा हो गया, तब अपने होंठो से मेरी जांघों को चूमने लगी।
अब मेरे मुहं से सिसकियाँ निकलने को हुई, लेकिन मैंने अपने दांत भींचकर अपने मुहं से आवाज को निकलने नहीं दिया, लेकिन अब मुझसे ज्यादा देर बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था। तभी मैंने अपने लंड पर कुछ गरम गिला चिपचिपा सा महसूस किया, क्योंकि रूम में नाइट लेम्प जल रहा था तो मुझे कुछ साफ नज़र नहीं आ रहा था और में अपनी आँख भी बंद किए था, लेकिन मुझे अब इतना तो अंदाज़ा हो ही गया था कि यह साली इसकी जीभ होगी जो मेरे लंड पर घूम रही है और अपनी जीभ को फिराते फिराते उसने गप्प से मेरा लंड अपने मुहं में पूरा अंदर ले लिया और उसको चूसने लगी थी। दोस्तों अब तो में बिल्कुल भी बर्दास्त नहीं कर पाया और में एक झटके के साथ उठकर बैठ गया और उससे बोला कि कौन है यहाँ पर? तभी आंटी ने मेरे मुहं पर हाथ रखा और धीरे से बोली बेटा में हूँ उन्होंने झट से लाईट को भी जला दिया और में यह सब देखकर बिल्कुल हैरान रह गया, क्योंकि वो पहले से ही पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और उनके गोरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था।
फिर मैंने उनका वो गोरा नंगा बदन देखकर चौकने का ड्रामा करते हुए कहा कि हाए आंटी आप तो पूरी नंगी है। तब उन्होंने मेरा लंड पकड़ते हुए मुझसे कहा कि बेटा तुम भी तो नंगे हो और मैंने यह बात सुनकर अपने दोनों हाथों को झट से अपने लंड पर रख लिया और में अपने लंड को हाथों के पीछे छुपाने का नाटक करने लगा, लेकिन में उसकी हरकतों उस काम को देखकर बहुत अच्छी तरह से जानता और समझ चुका था कि अब यह साली जरुर मुझसे अपनी चुदाई बिना किसी नाटक नखरे से करवाएगी, लेकिन फिर भी मैंने अपना नाटक शुरू रखा में कहने लगा कि आंटी आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।
यह बहुत गंदी बात है और आपको ऐसा काम करना बिल्कुल भी शोभा नहीं देता। तभी आंटी मेरे लंड को मसलते हुए मुझसे बोली और तुम जो पिछले कुछ घंटो से लगातार मेरे बूब्स को अपनी प्यासी चकित नजरों से निहार रहे थे उसके बारे में तुम क्या कहना चाहते हो और तुम तो मेरे बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से ही इस तरह से देख रहे थे कि बस अभी तुम मेरे इस दोनों बूब्स को बाहर निकालकर खा ही जाओगे, वो क्या अच्छी बात थी? और जब में कॉफी बना रही थी, तब तुम्हारी नज़रे कहाँ थी मुझे बहुत अच्छी तरह से पता है कि तुम मुझे चोदना सिखा रहे हो मेरे सामने अभी कल के बच्चे हो बेटा, में तुम्हारे जैसे ना जाने कितनो को अपनी चूत में समाकर बाहर कर चुकी हूँ। दोस्तों अब उसकी यह सभी बातें सुनकर तो मुझे बहुत ही जोश चड़ गया। मैंने उसको अपनी बाहों में पकड़ लिया और पकड़ते ही वो मुझसे बोली कि ओह्ह्ह में तुमसे प्यार करती हूँ। प्लीज तुम मुझे आज जमकर चुदाई का मज़ा दो और इस बरसात के मौसम में मेरी इस प्यासी चूत को भी अपनी चुदाई से तर कर दो इसको अपने वीर्य से ठंडा कर दो प्लीज, मुझे अब तुम्हारी चुदाई की बहुत जरूरत है आह्ह्ह प्लीज चोदो मुझे अपने लंड के वो मज़े दे दो।
फिर मैंने भी अब उसकी वो जोश भरी बातें सुनकर अपने होश बिल्कुल खोकर मैंने उसके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाना उनकी निप्पल को निचोड़ना शुरू किया और उनके एक एक बूब्स को चूसकर में उनका रस पीने लगा था। तब मैंने देखा कि रात के करीब तीन बज चुके थे और सभी तरफ बहुत सुनसान था और फिर में ऊपर से उसकी रसभरी चूत को अपने एक हाथ से धीरे धीरे सहलाने लगा, जिसकी वजह से अब वो और भी ज्यादा गरम हो चुकी थी और फिर वो दोबारा मेरे लंड को अपने मुहं में लेने को बड़ी बेताब नजर आ रही थी और उसने कुछ देर बाद ठीक वही किया, वो मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर बेसब्री की तरफ एकदम पागलों की तरह चूसने लगी और वो कभी लंड को पूरा अंदर डालती और कभी बाहर निकालकर उसके टोपे पर अपनी जीभ को घुमाने लगती।
उसके ऐसे करने से मुझे लग रहा था जैसे कि में अब स्वर्ग में हूँ। फिर कुछ देर उसके साथ ऐसे ही मज़े लेने के बाद मैंने अब उसको अपनी बाहों में लेकर नीचे लेटा दिया और उसको लेटाकर में उसके ऊपर सो गया। अब मुझे ऐसे लग रहा था कि कब में उसकी चूत में अपने लंड को डालकर उसकी चुदाई के मज़े लूँ। में यह बात अपने मन ही मन में कुछ देर सोचता रहा और फिर उसके बाद मैंने उसके दोनों पैरों को पूरा फैलाकर चूत के मुहं पर रख दिया। तब उसने मेरे तनकर खड़े पांच इंच लंबे लंड का अपनी रस से भरी मुलायम कामुक चूत में स्वागत किया और मैंने उसके स्वागत को स्वीकार करते हुए एक ही जोरदार धक्के के साथ अपने लंड को उसकी चूत की पूरी गहराइयों में पहुंचा दिया और में धक्के देने लगा मेरे जोरदार धक्का का उसने भी जोश में आकर अपनी गांड को उठा उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ दिया।
फिर करीब 15 मिनट की उस ताबड़तोड़ चुदाई के बाद अब हम दोनों ही चिल्ला चिल्लाकर धक्के देते हुए झड़ गये। हम दोनों का कामरस उसकी चूत से बहकर बाहर आकर उसकी जांघो पर बहने लगा था। अब में धक्के देकर थक जाने की वजह से उसके ऊपर ही लेटा रहा। दोस्तों उसने यक़ीन मुझे अपनी चुदाई के लिए भड़काने के लिए ही ऐसे शब्द प्रयोग किये थे और मेरे साथ वो हरकते की थी, लेकिन मुझे तो शुरू से ही चुदाई करना पसंद था और शुरुआत में आंटी मुझे इतनी सीधी-साधी नज़र आ रही थी कि उनके मुहं से इस तरह की वो बातें सुनना मेरे लिए एक बिल्कुल नया अनुभव था और उस पूरी रात मैंने उनकी चुदाई के बड़े मज़े लिए जिसमे हर बार उन्होंने मेरा पूरा पूरा साथ दिया, जिसकी वजह से हम दोनों का काम बन गया और मुझे एक चुदक्कड़ चुदाई के लिए प्यासी चूत और उनको मेरा मोटा लंबा दमदार लंड मिला जिसको उन्होंने अपना समझकर बहुत प्यार दिया ।।