कुंवारी गर्लफ्रेंड की जम कर चुदाई-1

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भाभी की फुद्दी के प्यार में पड़ गया-2

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Bhabhi Ki fuddi ke pyar me pad Gaya-2‘तो ठीक है… फिर इसी टूर पर भाभी का भी मज़ा दिलवाओगी।’
नीलम बोली- शाम को हम सब घूमने के लिये जायेंगे और लौटते समय तुम अचानक मार्केट में मिल जाना। वहाँ पर भाभी से तुमको मिलवा दूँगी, तुम उनको देख लेना। फिर आगे बताउँगी कि क्या करना है।

फिर जैसा प्लान तय किया गया था, मैं शाम को मार्केट में टहलने लगा, करीब एक घंटे के बाद नीलम, उसकी भाभी और उसके भाई आइसक्रीम कार्नर पर टहलते हुए आए। मैं भी उनकी नज़र बचाते हुए उसी आइसक्रीम कार्नर पर पहुँचा। और जानबूझ कर तेज आवाज में बोलते हुए आइसक्रीम मांगी ताकि मेरी आवाज उन तक पहुँच सके, और जैसे ही मैंने बोला, उसका भाई मेरी तरफ घूमा और बोला-
शरद तुम यहाँ कैसे??

‘बस पिकनिक मनाने आया हूँ भईया!’
‘और साथ में कौन-कौन आया है?’
‘कोई नहीं, मैं अकेले आया हूँ।’
‘ठीक है। कहाँ ठहरे हुए हो?’

मैंने होटल का नाम बताया और उसको सुनकर बोले- अरे हम लोग भी वहीं ठहरे हुए हैं।
‘हम लोग कौन? क्या आफिस से भी लोग आये हैं।’
‘नहीं-नहीं… नीलम और तुम्हारी भाभी बबली भी साथ में हैं।’

जब मैंने उसकी भाभी की तरफ देखा तो देखता ही रह गया, क्या फिगर था… मेरे ख्याल से तो 34-32-34 का फिगर था।
जींस व टाप पर तो वो और कयामत ढा रही थी। टाप और जींस के बीच से उनकी नाभि क्या सेक्सी लग रही थी और ऊपर से तो गोले वाले जो उसने चश्मा पहने थे, मन में नीलम की कही हुई बात सोचने लगा।
लेकिन तुरंत ही अपने को काबू करते हुए मैंने औपचारिकतावश उनसे नमस्ते की और कहा- मैं आपसे पहली बार मिल रहा हूँ।

उन्होंने भी मेरे नमस्ते का जवाब हौले से मुस्कुरा कर दिया, मैंने नीलम से भी हाल चाल पूछा, और वहाँ से चलने लगा तो भईया ने रूम नम्बर पूछ लिया।
रूम नम्बर बता कर मैं वहाँ से चल दिया।

शाम को हम लोग एक रेस्तराँ में मिले, वहाँ मैं एक अलग मेज पर बैठा हुआ था कि उतने में ये लोग आते हुए नजर आये।

मैंने जानबूझ कर अनदेखा किया, इतने मैं मेरी नजर नीलम से मिली, उसने एक कागज हिलाते हुम मुझे दिखाया और जमीन पर फेंक दिया, जिसे मैंने उठा कर पढ़ा।

लिखा था- अभी भैया तुम्हारे पास आयेंगे और अपनी बीवी और बहन को चोदने के लिये कहेंगे।

थोड़ी देर बाद जैसे ही भैया ने मुझे देखा तो मेरे पास आये और बोले- शरद एक काम है मुझे तुमसे! ऐसा है कि मैं अपने टूर पर आया हूँ और इन लोगों ने भी जिद की तो ये लोग भी साथ हो लिये। लेकिन जब मैंने तुमको देखा तो मेरी समस्या हल होती नजर आई।

मैंने कहा- कैसी समस्या?

‘अनजान शहर में दोनो औरतों को अकेला छोड़ कर जाने का मन नहीं हो रहा था, पर अब तुम हो तो दो दिन इनको अपने साथ माउंट आबू की सैर करा दो तो मैं अपना काम खत्म करके 13 की सुबह तक आ जाऊँगा।’

‘ठीक है, मैं इन लोगो को घूमा दूँगा, पर आप इनसे तो पूछ लो।’

भैया मुझे अपनी टेबल पर ले गये और भाभी से बोले- बबली, शरद दो दिन तक तुम लोगों का ध्यान रखेगा। तुम लोग इसके साथ माउंट आबू का मजा ले सकते हो!!

अपने भैया की इस बात पर नीलम हौले से मुस्कुराई और सबकी नजर बचाकर अपनी बायीं आँख दबा दी।

खाना खाने के बाद हम लोग होटल के लिये चल दिये। भाभी और भैया एक साथ और उनके कुछ कदम आगे हम और नीलम चल रहे थे।
तभी नीलम मुझसे बोली- क्यों मेरे राजा क्या कहा था मैंने?
‘वो तो ठीक है, लेकिन भाभी चुदेगी कैसी?’
‘वो भी बताती हूँ!! भैया अभी थोड़ी देर में चले जायेंगे। और भाभी अकेले अपने कमरे में रहेंगी मैं उनसे कहूँगी कि मैं भी उनके साथ सो जाती हूँ और वो मना कर देगी?’

‘क्यों?’
‘क्योंकि भाभी कमरे में बिल्कुल नंगी सोती है, अपने साथ भैया के अलावा किसी को नहीं सुलाती है। फिर मैं अपने कमरे में… हम दोनों रासलीला रचायेंगे और कमरे को हल्का सा खुला छोड़कर थोड़ी सी ऊँची आवाज में बोलेंगे, भाभी वो आवाज सुनकर आयेगी और कुछ बुरा भला कहकर भैया को बताने की धमकी देगी। उसी समय हम लोग थोड़ा सा डर का नाटक करेंगे और कहेंगे जैसा आप कहोगी वैसा ही करेंगे, पर भैया को मत बताना। इस पर अगर बात बनती है तो फिर मजा मिलेगा और नहीं बनती तो सजा मिलेगी। अब बताओ तुम क्या कहते हो?

‘ठीक है, तुम्हारे और भाभी के लिये अगर सजा मिली तो भी मैं तैयार हूँ।’

बात करते-करते होटल आ गया मैं अपने रूम में, नीलम अपने रूम में और भैया-भाभी अपने रूम पर आ गए।
अब केवल इंतजार भैया के जाने का था।

थोड़ी देर बाद मेरे कमरे का दरवाजा खटका, भैया बोले कि मैं जा रहा हूँ, इन लोगों का ध्यान रखना।
मैंने कहा- ठीक है।

तभी नीलम बोली- मैं भाभी के साथ सो जाऊँगी।
भाभी ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो मुझे लगा कि आज मामला खराब हुआ।
जब भैया चले गये तो नीलम और भाभी भाभी के कमरे की ओर चल दिये। मैं भी धीरे से भाभी को नंगी देखने के लिये चल दिया, पर जैसे मैं उनके कमरे की खिड़की के पास पहुँचा तो भाभी की आवाज आई- नीलम हम लोगों ने दो रूम तुम्हारे भैया से जिद करके लिया है, अगर तुम मेरे साथ सोने आओगी तो उस रूम का तो किराया वेस्ट चला जायेगा, तुम अपने कमरे में सो जाओ और मैं यहाँ सो जाऊँगी।

‘ठीक है भाभी जैसा आप कहें!’

जैसे ही नीलम के शब्द मैंने सुने, मैं तुरन्त नीलम के कमरे की ओर भागा।
जब नीलम आई तो बोली- बहुत उतावले लगते हो?

मैंने नीलम की बात को अनसुना करते हुए कहा- आओ, भाभी के रूम की ओर चलते हैं।
इतना कहकर मैंने नीलम का हाथ पकड़ा और उसकी भाभी के कमरे की ओर चल दिये।

क्या मस्त नजारा था, भाभी ने अपने टाप उतारा नीले रंग की जालीदार ब्रा पहनी थी। फिर जींस उतारी तो क्या कहूँ दोस्तो, उनकी चूत और गांड नाम मात्र की ढकी थी उस पैंटी से। पैंटी की डोरी भाभी की गांड की दरार के बीच थी।

उनके इस यौवन को देखते ही नीलम बोली- मुझे भी इस तरह की पैंटी और ब्रा चाहिए।
मैंने कहा- अगर तेरी भाभी चुदी मुझसे तो तुम्हें और तुम्हारी भाभी दोनों को सेक्सी-सेक्सी पैंटी और ब्रा दिलवाऊँगा।

पूरे कपड़े उतार कर भाभी पलंग पर लेट कर अपनी उंगली बुर में डालती और निकाल कर चाटती।
अब हम और नीलम आगे का प्लान पर काम करने के लिये नीलम के कमरे में आ गये। कमरे में आते ही हमने अपने कपड़े उतारे और नीलम मेरी गोदी में चढ़ कर मेरे होंठों को चूस रही थी।
फिर हम लोग 69 की अवस्था में आकर एक-दूसरे के अंगो का मजा लेने लगे। नीलम मेरे लौड़े को चूसते-चूसते मेरे गांड में उंगली करने लगी, मैंने भी उसकी पुतिया में दाँत गड़ा दिए जिससे वो सिसकार उठी और मेरे चूतड़ों में जोर से चिकुटी काट ली।
मैं उसकी तरफ मुड़ा तो बोली- कुछ ऐसा करो कि हम दोनों की सेक्सी आवाज भाभी सुने।
‘तो ठीक है, आओ कुश्ती लड़ते हैं।’
इतना कहकर मैंने एक जोर से धक्का दिया वो चिल्ला पड़ी, मैंने तुरन्त उसके मुँह पर हाथ रखा, थोड़ी देर बाद वो मजे लेकर बोली- चोद मेरे राजा, चोद अपनी नीलम को।

वो जानबूझकर अपना नाम ले रही थी ताकि भाभी सुने। करीब पाँच या सात मिनट बाद ही मेरे चूतड़ पर एक जोर से चांटा पड़ा।
‘नीलम यार गांड पर इतनी तेज मत मारो।’
इतना कहना था कि एक और चांटा लगा, मैं उछल कर खड़ा हो गया, देखा तो भाभी झीनी मैक्सी पहने गुस्से में तमतमा रही थी।

मैंने उनको देखकर अपनी नजर को नीची किये हुए कपड़े उठाने लगा, तभी भाभी बोली- रूक!!
उधर नीलम ने अपने ऊपर चादर ओढ़ ली।
तुरन्त ही भाभी के मुँह से गाली निकली- मादरचोद, नीलम के भईया तुझे हम लोगों की देखभाल करने के लिये कहे थे कि उसकी बहन को चोदने के लिये? और तू छिनाल, तेरे बुर में भी खुजली हो रही थी। आने दे तेरे भईया को, मैं उनसे बोलती हूँ कि उसकी बहन की बुर में आग लगी है, मोटा लौड़ा ला कर दे दो।

इतना कहना था कि नीलम तुरन्त उतरी और उनके पैरों पर घुटनों के बल बैठी और मैं भी उसी पोज में बैठ गया।
तब नीलम बोली- भाभी, भईया को मत बताना प्लीज!!

‘क्यों चुदते समय ध्यान नहीं आया था कि भईया को पता भी चल सकता है?’

हम दोनों डरने का नाटक करने लगे और उन्हें मनाने की कोशिश करने लगे।
वो मान नहीं रही थी, लेकिन मनाना जरूरी था तो दोनों खड़े होकर उनका हाथ पकड़ कर मनाने लगे लेकिन उनका गुस्सा कम हो ही नहीं रहा था।
इतने में उनकी नजर मेरे लौड़े पर पड़ी और कस कर पकड़ कर बोली- अगर मुझे पता होता कि ये लौड़ा इस छिनाल के बुर को ड्रिल करेगा तो मैं इसे अपने पास ही सुलाती।
तभी नीलम अपनी भाभी का मानमुनव्वल करते-करते उनके पीछे आकर मुझे आँख मारी, मैं इशारा समझ कर भाभी को पकड़ कर अपने होंठ उनके होंठ पर रख दिया और जोर-जोर से चूसने लगा।
तभी नीलम बोली- छोड़ मेरी भाभी को… छोड़ कमीने मुझे नहीं मालूम था कि तुम ये हरकत करोगे, छोड़!

मैं उनके होंठों को पकड़ा था और वो मेरे लौड़े को मसल रही थी।
मैं समझ गया कि चिड़िया जाल में फंस गई, उधर नीलम उल जलूल बोले जा रही थी।
तभी मैंने नीलम को आँख मारी, इशारा समझते ही उसने हम दोनों को झटके से खींचकर अलग कर दिया।
तभी भाभी ने नीलम की ओर देखते हुए बोली- नीलम अगर तुम्हें अपनी भाभी को शरद से चुदवाना ही था तो दोनों मेरे पास आ जाते, मैं तो जब तक रात में न चुँदु तो नींद नहीं आती। तुझे तो मालूम ही है तेरी भाभी को चुदवाना कितना पसंद है।

‘क्या कह रही हो भाभी, मुझे कैसे मालूम?’

भाभी हँसते हुए बोली- मुझे तो यह भी मालूम है कि अभी तुम दोनों मुझे कपड़े बदलते हुए देख रहे थे।

तब नीलम सरेन्डर होते हुए बोली- भाभी मैं आपको नहीं चुदवाना चाहती थी, यह तो यही पीछे पड़ा था, इसे तुम्हारा ये सेक्सी बदन खास तौर पर तुम्हारी गांड का ये दीवाना है।

‘अच्छा तो इसे मेरी गांड इतनी खास क्यों लगी?’

तभी मैंने भाभी की गांड को अपने हाथ से दबाते हुए कहा- भाभी, जब मैंने आज आप को देखा तो आपका ये, जो आपके उभार है ये बहुत ही सेक्सी है, और जब आप चलती हो और ये उपर नीचे होता है तो और भी सेक्सी लगता है, देखते ही मेरे दिल की धड़कन बढ़ जाती है। मन तो तभी मेरा हो रहा था कि मैं उसी समय आपको पकड़ कर चोद दूँ। भाभी एक बात बताओ ‘क्या भैया से आप गांड मरवाती हो?’

‘क्यों नहीं… मैं हर छेद का मजा लेती हूँ।’
‘मगर नीलम से मैंने कितनी बार कहा उसकी गांड मारने को, यह तैयार ही नहीं होती है।’
‘आज अपनी भाभी के साथ-साथ यह भी गांड मरवायेगी।’

इतना कहकर भाभी ने मुझे और नीलम को साथ-साथ खड़ा किया और मेरे लंड को और नीलम की बुर को मसलने लगी।
उनके इस तरह मेरा लंड मसलने से मेरा तो हाल बुरा था, नीलम भी सिसकी ले रही था और पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थी।

भाभी कभी मेरे लंड को इस तरह मसलती जैसे दूध दू रही हो, कभी मेरे अंडे को पकड़ कर दबाती, तो कभी लिंग के अग्र भाग के कटे हुए हिस्से में अपने नाखून से कुरेदती तो ऐसा लगता कि अब मैं झड़ने वाला हूँ।

थोड़ी देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं झड़ गया और साथ-साथ नीलम भी झड़ गई। भाभी के दोनों हाथ हमारे रस से सराबौर थे और वो मजे लेकर उसे चाट रही थी।

हमारे रस को चाटने के बाद भाभी पलंग पर पैर को नीचे किये हुए लेट गई उसके इस तरह लेटने से उसकी बुर उठी हुई लगी।
तभी वो बोली- मेरी फ़ुद्दी को सिर्फ़ देखेगा ही या इसको चाट कर इसके रस का मजा भी लेगा?

मैं एक आज्ञाकारी की तरह उँकुड़ू बैठ कर अपना मुँह उनके फ़ुद्दी के पास ले जाकर सूंघने लगा।
क्या महक थी…
कहानी जारी रहेगी।
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पति के सामने शेख ने चुदाई की मेरी

मैं चक्की पटेल. उस दिन सन्डे अचानक डोर पैर नोक हुई और मैंने दरवाजा खोला. मैं देखती रही. एक करीब ७ फिट ऊचा गोरा – गोरा लाल – लाल रुबाबदार हट्टा – कट्टा मस्त अरेबियन पठान मेरे सामने खड़ा था. उसने पायजामा और कुरता पहना था. उसे देख कर मेरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी. मन में आया, कि ये साला हिमालय के ऊपर चडेगा, तो उसे भी चकनाचूर कर देगा, ऐसा मस्त तगड़ा जवान था वो. वो मुझे मुझे ऊपर से नीचे तक कामुक और ललचाई हुई नजरो से घुर रहा था. वो मेरी चूत की तरफ घुर रहा था, जैसे कि अपनी आँखों से मेरी चूत की गहराई नाँपने की कोशिश कर रहा हो. उसको देख कर मेरे मुह में पानी आ रहा था, लेकिन मैंने उसको एकदम से गले में उतार लिया. तभी पीछे से मेरे पति आ गये और पूछा – कौन आया है? मेरे पति को देख कर उसने पूछा – चड्डा साहब या उनकी बीवी को बुला दीजिये. मेरे पति बोले – वो लोग तो ५ साल पहले ही दिल्ली शिफ्ट हो गये है.

उसने कहा – वो लोग ५ साल पहले अबुदाबी आये थे और तब उन्होंने काफी एन्जॉय किया था. उनकी वाइफ ने बोला था, जब आप इंडिया आओगे. तो जरुर हम से मिलना. ये बात करते – करते वो बार – बार मुझे घुर रहा था, मेरे पति के सामने ही. मैंने भी उसको ही घुर रही थी. फिर उसने कहा – अच्छा भाई साहब, यहाँ पर कोई होटल या गेस्ट हाउस मिलेगा? मेरे पति ने कहा – पास में ही है. मैंने अपने पति से कहा – जाओ, इनको छोड़ आओ. मेरे पति ने उनको बोला – आइये, मैं आपको छोड़ देता हु. वो बार – बार पीछे मुड़ कर देख रहा था मुझे. जैसे ही वो चले गया, मैंने सांस लेनी शुरू की. मेरे शरीर में धकधक हो रही थी. क्या मस्त आदमी था. साले का लंड मोटा होगा? अगर मुझे बाहों में भरेगा, तो अहहाह अह्हाआ अओओओं मैंने ठंडी आहे भरने लगी थी और उसके बारे में सोचते हुए दीवानी सी होने लगी थी. फिर मैंने अपने आप को संभाला. कुछ देर बाद मेरे पति वापस आ गये और थोड़े सीरियस थे. मैंने पूछा – क्या हुआ? वो मुझे देखते रहे और बोले – जानती हो, वो क्या बोला? वो बोला, तेरी वाइफ तो एकदम मस्त है. देख मैं तुझे १०००० रुपये दूंगा, अगर टू मुझे एक चांस देगा तो. मैं तो ये सुनकर हक्की – बक्की रह गयी. मेहमान भी था, तगड़ा भी था. इसलिए चुप रहने में भलाई समझी. मैं कुछ सोच ही रहा था, कि उसने इतने में मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर लगा दिया और बोला, देख कितना मोटा है. तेरी बीवी खुश हो जायेगी.

मैं एकदम डर गया था. वो बोला – १० बजे आऊ. मैंने बोला – अपनी बीवी से पूछ कर बताऊंगा? और वहां से भाग आया. ये सुनकर अन्दर से मुझपर नशा चड़ने लगा. पर पति को नाटक में मैंने गुस्सा दिखाया और बोली – साले टू कुछ भी बोल नहीं सकता था. तेरी पत्नी को चोदना चाहता है और तू चुपचाप भाग आया. पति बोला – मैं क्या कर सकता था? तुझे देख कर वो शायद पागल हो गया होगा. मैं बोली – वो तो हो ही गया था पागल. लेकिन तुझे देख कर वो समझ गया था, कि तुझमे कोई दम नहीं नहीं है. साले तेरा हाथ पकड़ कर उसने पाने लंड पर लगा दिया, इसका मतलब वो समझ गया होगा, कि तेरा एकदम लल्लू होगा. अपनी पत्नी की आग नहीं बुझा सकता. इसलिए उसने इतनी हिम्मत की. वो समझ गया था. तू लल्लू ही साले, उसे बोल नहीं सकता था, कि उसकी नाक तोड़ देगा या कम से कम ना ही बोल आता. जब कोई कोई कुछ नहीं बोलता है, तो उसका मतलब हाँ में ही होता है. मैंने गुस्से में किचन में चली गयी. लेकिन अन्दर से मैं ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी. तन – बदन में आग लगी थी अहहाह अहहहहः साले से चुदवाने में क्या मज़ा आएगा.. आआअ ह्हह्ह्हू आआऊऊऊऔऊऊउस्सछह्हह और मैं जल्दी – जल्दी खाना बनाने लगी. ९ बजे तक हम दोनों खाना खा चुके थे. उसके बाद, पति टीवी देखने लगे और मैं नहाने चली गयी. मैंने आज सालो बाद, रात में नहाने गयी थी.

फिर मैंने श्रृंगार किया और एक सेक्सी सी ब्लाउज पहनी. जिन्दगी में मैंने पहली बार लिपस्टिक लगायी थी. मैं एकदम हिरोईन कॉल गर्ल रंडी बन गयी थी. जब मैं बाहर आई, तो मुझे देख कर मेरे पति बोले – ये क्या है? क्या कहीं जा रही हो? मैं बोली – क्यों क्या? वो आ रहा है ना. दस हज़ार खर्चा करेगा, तो सजना तो पड़ेगा ही ना. मेरा पति मुझे देखता ही रह गया और बोला – अरे, मैंने उसे हाँ कहाँ बोला था? मैं बोली – जब वो मैं १० बजे आता हु, तो तुमने ना नहीं कहा था. इसका मतलब वो हाँ में ही समझेगा. और जरुर आता ही होगा. इतने में दरवाजे पर नोक हुआ. मैं बोली – अब दरवाजा तो खोलो, या वो भी मुझे ही खोलना पड़ेगा. जैसे ही मेरे पति ने दरवाजा खोला, तो सामने वो पठान ही खड़ा था. गोरा – गोरा लाल – लाल ७ फिट का लम्बा – चौड़ा सऊदी अरब का था. मेरे पति तो उसे देख कर ही ठन्डे पड़ गये और वो मुझे देखते हुए अन्दर आ गया. मैंने पठान को अपनी भाषा में बोला – कोई देख लेगा, दरवाजा बंद कर दो. पति जैसे ही दरवाजा बंद करने लगे, वो मुझे हग करने के लिए आगे बढ़ा और मुझे बेडरूम में ले गया और बोला – माशा अल्लाह.. क्या खुबसूरत आपको बनाया है और दबाने लगा. मैं अन्दर से चरमसीमा तक महसूस कर रही थी.

उसने मेरी पप्पी ली. मैं जैसे के तैसे उससे अलग हुई और बोली – आप दोनों बैठिये. मैं आपके लिए शरबत लाती हु. मैं शराब ले आई और उसने मेरा हाथ पकड़ कर बगल में बिठाया और मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला – खुदा आप पर मेहरबान है. कभी इसे लेके आओ अबुदाबी. मेरा पति तो चुपचाप बैठा था. मैं बोली – लीजिये शरबत. उसने मुझे खीचा और बोला – मैं तो ये शराब पीने आया हु. उसने अपना एक हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और दबाने लगा और मुझे किस करने लगा. उसने मेरे ब्लाउज में हाथ डाल दिया और मेरे बूब्स को बेरहमी से मसल रहा था. मैं तो अन्दर से पागल हुए जा रही थी. मैंने शराब का गिलास आगे बढाया, तो उसने एक ही बार में गिलास खाली कर दिया और मुझे अपने पास खीचकर मेरे होठो को अपने होठो में दबा लिया. वो मुझे मस्त रगड़ रहा था. उसने मेरे बूब्स को मेरे ब्लाउज से बाहर निकाल लिया था और उनको जोर – जोर दबा रहा था. मेरे पति सामने ही बैठे थे और फिर वो गिलास रखने के बहाने अन्दर चले गये. फिर उसने मेरे ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए और मेरे बूब को अपने मुह में लेकर चुसना शुरू कर दिया. मेरे पति जब बाहर आये, तो उसका मोटा पंजा मेरे बूब्स को दबा रहा था और हम दोनों एक दुसरे को देख रहे थे.

इसने पति को बोला – सिगरेट है? पति बोला – नही है. वो बोला – लेके आओ ना. मैं पति को देखने लगी. पति ने पूछा कौन सा. फिर उसने एक ब्रांड का नाम बता दिया. पति बोला – ये सिगरेट यहाँ आसपास नहीं मिलती है. बाज़ार जाना होगा. उसने जेब से ५०० का नोट निकाला और बोला – जाओ, बाज़ार ले लाओ. तब तक हम प्यार करते है. पति बोला – ठीक है. पैसे है मेरे पास. और जाने की तैयारी करने लगा. इतने में उसने मेरा ब्लाउज निकाला और बूब्स चूसने लगा. पति ये सब देखते हुए चला गया. जैसे ही पति चला गया, मैंने अपने दोनों हाथो से अपने बूब्स को पकड़ा और उसके मुह में ठुसने लगी. वो मेरी जांघो पर हाथ घुमा रहा था आहाहाह अहहहः आआआ.. उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पायजामे के ऊपर लंड पर हाथ दबाया. मैंने पायजामे के ऊपर से लंड मुठ्ठी में पकड़ लिया. हाई… क्या मोटा लंड था. मेरे मुह में तो बस पानी ही आने लगा था. मैं मन ही मन में उसको अब मुह में लेकर चुसना चाहती थी. आहाहाहा अहहहः.. अब वो मुह में मुह डालकर किस करने लगा और मेरी साड़ी खीचने लगा. मैंने भी नीचे हाथ डालकर पेटीकोट का नाडा खोल दिया. उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे पूरा नंगा कर दिया. फिर वो नीचे बैठ गया और मैं सोफे पर. उसने मेरे पैरो को फेलाया और चूत में मुह लगा दिया. आआआ आआआ … उसकी जीभ क्या मस्त थी. मैं तो उसकी जीभ के लगते ही उछल पड़ी. अहहाह अहहहः अहहहहः मस्ती भरी आहे मेरे मुह से अब निकलने लगी थी. मैंने उसके दोनों हाथ अपने बूब्स पर रख दिए और वो उनको मस्ती में दबोचने लगा और मैं उसका लौड़ा दबा रही थी.

अब वो खड़ा हुआ और उसने अपना तना हुआ लौड़ा मेरे होठो पर लगा दिया. फिर उसने अपना पायजामा और अंडरवियर उतार दिया और उसका मोटा गोरा लौड़ा देख कर, मेरे मुह से चीख निकल गयी – हाई रे, इतना मोटा लंड है आपका! इसको तो चार हाथ लगंगे पकड़ने को. गधे जैसे मोटा लम्बा और घोड़े जैसा सख्त खड़ा. वो पूरा नंगा हो गया और उसका सारा शरीर चाटने को मन कर रहा था मेरा. वो लंड मेरे मुह पर मारने लगा. मैं उतावली हुई जा रही थी लंड मुह में ले को. उसके लंड की स्मेल मदहोश कर देने वाली थी. आखिर मैंने लंड को पकड़ कर मुह में ले लिया और चूसने लगी. उसका लंड मेरे मुह से बाहर आ रहा था. उसने मेरे बालो को पकड़ा और अपने लंड को जोर – जोर से अन्दर ठुसने लगा. उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था. मैं भी कुछ कम नहीं थी, पूरा मज़ा उठाना चाहती थी. फिर उसने मुझे लेटा दिया और मेरी चूत को चाटने लगा.मेरे पैर अपने कंधो पर रख लिए और लंड चूत रखा. मैं उसे देखने लगी और इतने में, मैं चिल्लाई आआआआआआअ आआआआआआ ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह्ह्हह आआइऐऐऐऐऐ म्मम्मम्मम्म hhhhhhhhhhhh आअहहहैईईईई मर गयी…. अहहहहः अहहहहः और वो झटका देता रहा.. एक एक सील तोड़ कर उसने अपना लंड मेरे गर्भाशय को टक्कर मार रहा था.

मेरी जीभ निकल गयी थी और मैं चिल्ला रही थी. अब लंड पूरा अन्दर तक घुस गया था. फिर वो खीच – खीच कर धक्का मार रहा था. वो खड़ा था और मैं आधी बैठी हुई थी. वो मेरे बूब्स पर हाथ दबाते हुए कस कस कर शॉट मार रहा था. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. दर्द तो बहुत हो रहा था, लेकिन मज़ा भी बहुत ज्यादा आ रहा था. मेरा दिल उस दर्द को सहन करके खुश था और मैं मन ही मन बोल रही थी.. कोई बात नहीं.. फाड़ दे मेरी चूत… फाड़ दे पूरी की पूरी.. अहहहः अहहहः अहह्ह्ह्ह ऊऊउगुगुगू ऊऊफ़ुफ़ुफ़ूउफ़्फ़्फ़्फ़.. अआव्व्व्व आआआअ शेख साहब.. सेख्ह्ह्हह्ह्ह्ह साब्ब्बब्ब्ब्बब्ब्ब.. मैं ये सब बोलकर चिल्ला रही थी. वो पूछने लगा, अच्छा लग रहा है? और कस कर मारू? मैंने उसको अपनी मुंडी हिलाकर हाँ में जवाब दिया और बोला – हाँ, हाँ मारो… कितने भी जोर से मारो… मैं तेरी ही हु.. और शेख दनादन मुझे चोदे जा रहा था. मैंने अपनी गांड को उछाल रही थी और मस्ती में उसके लंड को पूरा अन्दर ले रही थी. अहहः अहहहः अहहः चीईईईईईईइर्र र्र्र्रर्र्र्र र्रर्रर्रर र्र्रर्र्र्रर्र्र र्र्र्रर्र्र्र मेरी चूत में से आवाज़ आने लगी थी. उसका अब छुट गया था और उसने अपने गरम लावे से मेरी चूत को पूरा भर दिया था. अब मेरा पति भी वापस आया गया. हम दोनों तो एक दुसरे को चूमने में बीजी थे, तो उसको देखा नहीं. वो खासने लगा.

अब मुझे मालूम हो गया, कि मेरा पति आ गया है. लेकिन मैं अभी भी जान बुझ कर उसकी चूमती रही और उससे लिपटी रही. मैंने उससे अपने को दबाने को बोलती रही. वो भी मुझे चूमता रहा और मेरे मम्मो को दबाता रहा. आखिर में हम खड़े हुए. मैंने पति को बोला – कब आये तुम? साले आवाज़ तो दे देते. कुछ अक्ल है के नहीं तुझे. उसका माल से भरा हुआ लंड मैं अपने पति के सामने पूछने लगी. अब वो भी मेरे पास बैठा और कंधो पर हाथ रख कर पति को बोला – क्या माल रखा है तुमने. इसे तो ऐसे ही लंड चाहिए. और मुझे देख कर बोला – क्यों? मैं शर्मायी और मुझसे पूछने लगा – अच्छा लगा ना. मैं बोली – हाँ. उसने मेरे पति को बोला – मस्त है यार तेरी बीवी. और भी चुदवाना चाहती है और मुझसे पूछा – क्यों? मैं चुप रही और वो पति के सामने बार – बार पूछता रहा. मैं बोली – यहाँ नहीं. बेडरूम में चलते है. उसने तुरंत अपनी बाहों में भर लिया और मुझे उठाकर बेडरूम में चला गया. मेरे पति ने कहा – सिगरेट तो ले लो. मैंने अपने बेशर्म पति से कहा – कुछ नहीं चाहिए उसे चूत के सिवा. तू बाहर बैठ. अगर हम बाहर आ जाए, तो तू किचन में चले जाना. उसका कोई भरोसा नहीं. वो मुझे घर भर में कुतिया बना कर चोदने वाला है. देखा है ना उसका लंड… वो मुझे रात भर से पहले नहीं छोड़ेगा.

तुम डरो मत. मैं भी कम नहीं हु. मुझे कुछ नहीं होगा. तू किचन में सो जा और इतने में शेख ने मुझे खीच लिया बेडरूम में. मैं बेडरूम में गयी और रात भर वो मुझे चोदता रहा. कभी खड़े – खड़े, कभी पीछे से, कभी गोद में उठा कर और कभी कुतिया बनाकर. फिर वो पूरी रात चोदने के बाद सुबह चले गया करीब दस बजे. मेरे पति मेरे पास आये और बोले मैं ऑफिस जा रहा हु. उसने कितने पैसे दिए? मेरे पति ने पूछा? मैं बोली – मुझे तो कुछ नहीं दिया, तेरे साथ सौदा हुआ था. तूने पैसे लिए बैगेर उसे मुझे चोदने दिया. अरे साले.. उसने तुझे बेफ्कुफ़ बनाया. पूरी रात मलाई तो खा गया, वो भी बिना कुछ दिए. मैंने उसको कहा – जा भाग कर गेस्ट हाउस जा. शायद मिल जाए. मेरा पति जब पंहुचा, तो शेख वहां से निकल चूका था. मैं मन ही मन में बोली – लाख रुपये दे कर भी मुझे ऐसे लंड नहीं मिलता. जो हुआ अच्छा हुआ. मैं अब रोज पति को बोलती.. देख साले… उसने मुझे किस तरह से खीच कर चोदा और मैं चिल्लाती रही आआअ आआअ.. कहानी पढ़ने के बाद, अपने विचार जरुर लिखना…

चूत लिखी थी किस्मत में-3

Choot Likhi Thi Kismat mein-3
मैंने रोशनी को घोड़ी बनाया और पीछे से लंड दुबारा उसकी चूत में उतार दिया और लगभग बारह मिनट की जबरदस्त चुदाई की।
रोशनी दो बार झड़ गई थी इस दौरान। अब मेरा लंड भी रोशनी की चूत की प्यास बुझाने के लिए तैयार था, मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। करीब दो मिनट और चोदने के बाद मेरे लंड ने गर्म गर्म लावा रोशनी की चूत में भरना शुरू किया तो माल की गर्मी से रोशनी एक बार फिर झड़ गई थी।

माल निकलते ही मैं रोशनी के ऊपर ही लेट गया। पाँच मिनट के बाद रोशनी ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और मेरे गले लग के चुदाई के लिए मुझे धन्यवाद कहा।
मैंने भी उसके होंठों पर चुम्बन किया और उसको चूत के लिए धन्यवाद कहा।

रोशनी अपना नाईट सूट उठाकर कमरे से चली गई तो मैं भी अपना लोअर पहनकर वापिस कमरे में आ गया। अभी मैं बेड पर लेटा ही था कि मुझे एहसास हुआ कि समीर जाग रहा है, पर मुझे समीर से डरने की जरुरत ही नहीं थी। मैं दूसरी तरफ करवट लेकर लेट गया।
तभी समीर की आवाज आई– चोद दी मेरी माँ? साले, तू सच में बहुत बड़ा चोदू है।

मैंने समीर की तरफ देखा तो उसने अपने मोबाइल में अपनी मम्मी की और मेरी चुदाई की रिकॉर्डिंग मुझे दिखाई। एक बार तो मेरी फटी कि कहीं यह इस रिकॉर्डिंग के दम पर कहीं मुझे ब्लैकमेल करने के मूड में तो नहीं है।
पर फिर उसने बताया कि वो इस रिकॉर्डिंग के दम पर अपनी माँ को मजबूर करेगा श्रुति की चूत दिलवाने के लिए।

मैंने रिकॉर्डिंग को ध्यान से देखा तो उसमें मेरी शक्ल भी नजर आ रही थी तो मैंने बिना देर किये वो रिकॉर्डिंग यह कहते हुए डिलीट कर दी की किसी गलत हाथ में अगर यह रिकॉर्डिंग चली गई तो श्रुति की चूत तो पता नहीं मिलेगी की नहीं, उल्टा शहर में रहना मुश्किल हो जाएगा।

डिलीट करने से वो थोड़ा नाराज तो हुआ पर फिर जब मैंने उसे श्रुति की चूत दिलवाने में मदद करने का कहा तो वो खुश हो गया।

नौ बजे नाश्ता तैयार करने के बाद रोशनी ने सबको टेबल पर बुलाया तो मुझे पहली बार श्रुति का दीदार हुआ। एकदम रोशनी की डुप्लीकेट कॉपी थी। बस चूचियों और चूतड़ों का साइज़ उम्र के हिसाब से रोशनी से थोड़ा कम था। रोशनी को चोदने और श्रुति को देखने के बाद तो मैं मन ही मन समीर को धन्यवाद दे रहा था। अगर वो मुझे अपने साथ अपने घर ना लाता तो ये दो मस्त माल देखने और परखने का मौका कैसे मिलता।

श्रुति के बारे में बता दूँ। श्रुति इक्कीस बाईस साल की खूबसूरत लड़की थी। एकदम सुतवाँ बदन पाया था श्रुति ने। अब इसी बात से अंदाजा लगा लो कि सुबह रोशनी की जबरदस्त चुदाई के बाद जैसे ही श्रुति मेरे सामने आई लंड ने बिना देर किये खड़े होकर एक जोरदार सलामी दी थी।

दस बजे मैं अपने क्लाइंट से मिलने चला गया। वापिस करीब तीन बजे आया तो पता लगा कि समीर और श्रुति ट्यूशन गये हुए है और वो पाँच बजे तक आयेंगे।
दो घंटे थे रोशनी के और मेरे पास। दोनों ने इस समय का भरपूर फायदा उठाया और एक जबरदस्त मस्त वाली चुदाई का आनन्द लिया।
रात को समीर यह बहाना बना कर की उसे मेरे साथ सही से नींद नहीं आती वो अपने कमरे में सो गया तो रात को सबके सोने के बाद रोशनी एक बार फिर मेरे कमरे में मेरे बेड पर मेरी बाहों में बिल्कुल नंगी पड़ी थी।

आज रोशनी अपनी लम्बी लम्बी झांटो को साफ़ करके आई थी, चूत बहुत चिकनी लग रही थी तो मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए और अपनी जीभ से उसकी चूत चाटने लगा।
वो भी आज चुदवाने के पूरे मूड में थी तो उसने भी मेरा लंड पकड़ा और मुंह में लेकर चूसने लगी।
लगभग दस मिनट की चूसा चुसाई के बाद लंड चूत में घुसने को तैयार था। मैंने लंड उसकी चूत पर रखा और एक ही धक्के में पूरा लंड रोशनी की चूत में घुसा दिया।

रोशनी थोड़ा सा दर्द से चिल्लाई पर दो तीन धक्को के बाद ही वो गांड उछाल उछाल कर लंड चूत में लेने लगी। फिर तो रात भर कमरे में जबरदस्त चुदाई चलती रही। कमरे में रोशनी की सिसकारियाँ और मस्ती भरी सीत्कारें गूंज रही थी।

सुबह पाँच बजे रोशनी उठकर चली गई। मैं भी रात भर रोशनी को चोद कर थक गया था तो मुझे कब नींद आई मुझे पता ही नहीं चला। आठ बजे समीर ने मुझे आकर उठाया, वो मेरे लिए चाय लेकर आया था।

मैं बाथरूम में गया और मुंह धोकर आया तो समीर वहीं बैठा था। मेरे बैठते ही समीर के एक सवाल ने मुझे चौंका दिया।
‘रात फिर मेरी माँ चोद दी तुमने?’

मैं हैरान हुआ कि समीर ने रात को फिर से अपनी माँ को चुदते हुए देखा होगा और हो सकता है उसने रात को फिर से मोबाइल में रिकॉर्डिंग की होगी। मैं नहीं चाहता था कि वो ऐसी कोई रिकॉर्डिंग रखे, यह ना तो उसके हित में था और ना ही मेरे!

मैंने बहाने से उसका फ़ोन चेक किया पर उसमे ऐसी कोई रिकॉर्डिंग नहीं थी। समीर ने एक बार फिर मेरे सामने श्रुति को चुदवाने में मदद करने की गुहार लगाई।

‘राज, अब तो तुम मेरी माँ को अच्छे से चोद चुके हो अब तो मेरा काम कर दो… प्लीज श्रुति को चोदने में मेरी मदद करो… प्लीज!’

मैंने उसको मदद का वादा किया तब जाकर वो थोड़ा शांत हुआ। मेरी आज शाम की ही वापसी की टिकट थी। समीर चाहता था कि मैं टिकट कैंसिल करवा दूँ और उसके लिए श्रुति को चुदाई के लिए तैयार करूँ। पर मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं था। मैंने समीर से वादा किया कि मैं जल्दी ही दुबारा भोपाल आऊँगा और हर हाल में श्रुति की चूत उसको दिलवा दूँगा।

नादान बच्चा समीर अपनी माँ तो चुदवा ही चुका था अब बहन भी चुदवाने पर आमादा था। नहा धोकर मैं तैयार हुआ तो रोशनी मुझे नाश्ते के लिए बुलाने आ गई।
मैंने रोशनी को बाहों में भर कर जोरदार किस किया और उसके साथ ही बाहर आ गया। मैंने रोशनी को अपने वापिस जाने के बारे में बताया तो वो बहुत मायूस हो गई। पर मैंने उसको भी जल्दी ही वापिस आने का वादा किया और फिर नाश्ता करके समीर के साथ ही क्लाइंट के पास चला गया।

वहाँ से मैं लगभग बारह बजे फ्री हो गया, मेरी ट्रेन शाम को छ: बजे की थी, अब ये छ: घंटे कहाँ बिताये जाएँ।
उलझन में था तभी मन में आया क्यों ना जाते जाते रोशनी को एक सरप्राइज दे दिया जाए।

मैंने ऑटो पकड़ा और सीधा समीर के घर पहुँच गया। रोशनी घर का काम निपटा कर शायद अभी नहा कर निकली थी। दरवाजे पर मुझे देख कर वो चहक उठी। मेरे घर में घुसते ही वो मुझ से लिपट गई और मैंने भी अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। मैंने उसको अपनी गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया और फिर समय का सदुपयोग करते हुए जल्दी से कपड़े उतारे और रोशनी की चूत पर चढ़ाई कर दी। दो बार चोद कर शाम को चार बजे मैं समीर के घर से विदा हुआ।

आपको मेरी यह सत्य घटना कैसी लगी जरूर बताना।
आप लोगो का मनोरंजन ही सिर्फ इस कहानी का उद्देश्य है, आप सबकी मेल का इंतज़ार रहेगा।
आपका अपना राज कार्तिक शर्मा
sharmarajesh96@gmail.com

बहन का लौड़ा -1

Bahan Ka Lauda-1


हाय दोस्तो.. आप सब के क्या हाल-चाल हैं? आपने मुझे थोड़ा भी रेस्ट नहीं लेने दिया.. मेरे पास कितने ईमेल आए कि नई कहानी जल्दी लिखो.. तो लो आप सब दोस्तों के लिए मैं नई कहानी लेकर आ गई..

आप सोच रहे होंगे कि मैंने कहानी का यह कैसा नाम दिया है.. यह तो एक गाली है.. मगर दोस्तोम यह सारी कहानी इस नाम पर ही आधारित है.. आप बस आनन्द लेते जाओ सब समझ आ जाएगा।
दरअसल यह कहानी एकदम रियल है.. बस थोड़ा सा अपना अंदाज मिक्स करके लिख रही हूँ।
तो चलो अब बातें तो होती रहेंगी.. हम कहानी की ओर चलते हैं।

यह बात 18 अगस्त 2013 मुंबई की रात की है.. 11 बजे किसी की शादी हो रही थी और नाच-गाने का प्रोग्राम चल रहा था।
स्टेज लगा हुआ था और एक बेहद खूबसूरत लड़की.. जिसकी उम्र कोई लगभग 20 साल की होगी.. वो नाच रही थी और तमाशा देखने वाले उसे देख कर मज़ा ले रहे थे। कोई उसके चूतड़ों पर हाथ मार देता.. तो कोई उसके मम्मों को दबा देता।

सभी- अरे मेरी राधा.. वाह क्या नाचती है तू.. उम्माह.. मज़ा आ गया.. तेरे जिस्म को तो छूने दे.. अरे भागती कहाँ है तू..

सुनील- अरे अरे.. भाई साहब मेहरबानी करके बैठ जाओ.. देखो आप ऐसा करोगे ना.. तो हम अभी नाच-गाना बन्द कर देंगे।

यह है सुनील.. इस नाटक मंडली का करता-धरता.. दरअसल ये लोग किसी की शादी वगैरह में प्रोग्राम करते फिरते हैं बाकी ऐसा कोई खास नहीं.. बस अपना गुजारा चला लेते हैं।

रात को जब प्रोग्राम ख़त्म हुआ तो यह नाटक मंडली अपने घर की ओर चल दी।
रात के करीब 2 बजे एक छोटे से घर में ये सब दाखिल हुए।

अरे मैं तो आपको बताना ही भूल गई.. इनके ग्रुप में कुल 6 सदस्य हैं.. एक सुनील जो लगभग 40 साल का है.. उसे आप इन सबका बॉस कह सकते हो.. बाकी 2 हरीश और मनोज.. जो करीब 28 साल के होंगे.. ये महफ़िल में गाना गाते हैं इनके अलावा एक छोटा लड़का है.. कोई 15 साल का अनुज.. तमाशा देखने वाले जब राधा पर पैसे फेंकते हैं यही अनुज सब जमा कर लेता है.. इसका यही काम है।

आखिर में नीरज और राधेश्याम दोनों ही लगभग 20 साल के आस-पास होंगे।
नीरज प्रोग्राम में हीरो बनता है.. और राधेश्याम हीरोइन… जब डांस करना होता है दोनों साथ-साथ सबको खुश कर देते हैं।

अरे अरे नहीं.. आप गलत समझ रहे हो.. 6 सदस्य पूरे हो गए.. इनके यहाँ लड़की नहीं है.. अपना राधेश्याम ही राधा है.. वो लड़की की ड्रेस में रहता है। उसका यही काम है और सही मायने में इस पूरे ग्रुप की जान भी वही है।

अब यह ऐसा क्यों है.. और इस कहानी में ऐसा क्या खास है.. जो मैं लिख रही हूँ.. तो दोस्तों आप अच्छे से जानते हो.. मैं ऐसी-वैसी कहानी नहीं लिखती।

इस कहानी में वो सब कुछ है.. जो आपको मज़ा देगा.. मगर अब मेरी कहानी है.. तो पन्ने धीरे-धीरे ही खुलेंगे ना!
चलिए आगे देखिएगा.. अब क्या होता है..

राधे- हट साली क्या कुतिया जैसी जिंदगी है रंडी बना कर रख दिया है सालों ने.. सोचा था.. मुंबई जाकर कुछ करूँगा.. नाम कमाऊँगा.. मगर साली किस्मत यहाँ खींच लाई।

नीरज- अरे यार.. मायूस क्यों होता है.. अब इतने साल हो गए तुझे यहाँ.. और हर बार प्रोग्राम के बाद तू ऐसे ही गुस्सा हो जाता है।
राधे- तू तो चुप ही रह साला.. तुझे क्या पता मेरे साथ क्या गुजरती है। जब मैं लड़की बनता हूँ.. साला तू बन कर देख कभी.. तब पता चलेगा..

नीरज- यार तू अच्छे से जानता है.. तेरे सिवा कोई भी लड़की नहीं बन सकता.. फिर भी हर बार यही बोलता है.. अब भगवान ने तुझे बनाया ही ऐसा है.. तो हम क्या कर सकते हैं।

दोस्तो, आपको बता दूँ कि राधे के जिस्म की बनावट एकदम लड़की जैसी थी.. उसका चेहरा और बदन एकदम लड़कियों जैसा.. छोटे-छोटे हाथ और हाथ-पाँव पर एक बाल का नाम नहीं.. यहाँ तक कि बचपन से आज तक राधे के चेहरे पर भी बाल नहीं आए.. भगवान ने उसको लड़की बनाते-बनाते लड़का बना दिया.. बस झांटें और लौड़ा दे दिया.. ताकि वो मर्द लगे.. उसके सीने पर भी बाल नहीं थे।

वह ऊपर वाला चूचों को थोड़े बड़े कर देता तो भी चलता.. बेचारा जब प्रोग्राम पर जाता है.. टेनिस की 2 बॉल लगा कर ब्रा पहनता है.. और हाँ आपको एक खास बात बता दूँ।

राधे का लौड़ा करीब 8″ का है.. और मोटा भी ऐसा कि.. हाथ में बराबर ना आए और हाँ मिमिक्री तो ऐसी कमाल की करता है खास कर लड़की की आवाज़ तो ऐसी निकालता है.. कि सुनने वाला 1% भी शक नहीं करता कि यह लड़का है।

इतनी बारीक और मीठी आवाज़ निकालता है कि लड़कों की ही निकल जाती है।

राधे- यार… ये भगवान ने मेरे साथ मजाक सा किया है.. मुझे ऐसा बना दिया और लौड़ा भारी-भरकम दे दिया.. साली वो रंडी शीला भी चुदवाते समय नाटक करती है.. कहती है तू बहुत तड़पा कर चोदता है.. तुझे ज़्यादा पैसे देने होंगे।

नीरज- तो साले सही तो बोल रही थी वो.. तू एक घंटा तक उसे चोदेगा.. तो डबल पैसे ही लेगी ना.. मेरा तो साला 20 मिनट में ही निकल जाता है।
राधे- पता नहीं साला.. मेरा नसीब ही ऐसा है।
नीरज- यार ये तेरे हाथ पर क्या निशान है.. अजीब सा.. मैं रोज सोचता हूँ कि पूछू.. पर भूल जाता हूँ।
राधे- पता नहीं.. बचपन का है ये.. चल सो जा.. सुबह बात करेंगे।

नीरज- यार भगवान ने तुझे ऐसा बनाया है इसके पीछे जरूर कोई वजह होगी.. देख लेना एक दिन तुम्हें समझ में आएगा कि तुम ऐसे क्यों हो.. चल सो जा.. रात बहुत हो गई है।

दोस्तो, आप सोच रहे होंगे.. मैं यह कैसी कहानी ले आई.. जिसमें अभी तक कोई लड़की का नाम नहीं आया.. तो अब आ जाएगा.. टेंशन किस बात का है.. दरअसल यह कहानी का एक पहलू था। अब आपको कहानी का दूसरा पहलू बता देती हूँ ताकि कहानी समझने में आसानी हो।

दिन 19 अगस्त 2013, पुणे… सुबह के 7 बजे एक 45 साल का कामजोर सा आदमी कुर्सी पर बैठा अख़बार पढ़ रहा था।

ये हैं दिलीप त्यागी.. अच्छे-ख़ासे पैसे वाले हैं. इनकी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं हैं तो बेचारे बस गमगीन से रहते हैं।

मीरा- गुडमॉर्निंग पापा.. ये लो आपकी चाय हाजिर है..

दोस्तो, ये हैं मीरा त्यागी.. इनकी बेटी उम्र 18 साल.. भरा-पूरा जिस्म है.. शरारती बहुत है.. अपने पापा की लाड़ली ये दिखने में एकदम आलिया भट्ट Alia Bhatt जैसी लगती हैं कोई 5 साल पहले माँ की मौत के बाद यह टूट सी गई थी.. मगर दिलीप जी ने इसे इतना प्यार दिया कि इसको कभी माँ की कमी महसूस ही नहीं हुई।

दिलीप- अरे तुम चाय लेकर क्यों आई हो.. मैंने घर में नौकर किस लिए रखे हैं. तुम काम मत किया करो।
मीरा- अरे पापा, यह कोई काम है.. अब आपको चाय तो मैं ही दूँगी.. क्योंकि आप वर्ल्ड के सबसे बेस्ट पापा हो..
दिलीप- और तुम दुनिया की सबसे अच्छी बेटी हो.. जाओ अब तैयार हो जाओ स्कूल नहीं जाना क्या?

मीरा ने आगे बढ़कर दिलीप जी के गाल पर एक पप्पी दी और ‘आई लव यू’ कहा और वहाँ से अपने कमरे में चली गई।

दस मिनट बाद वो जब वापस आई.. दिलीप जी की आँखों में आँसू थे.. वो अख़बार में देख कर रो रहे थे.. मीरा उनके पास आई और अख़बार में देखने लगी कि ऐसी क्या खबर है.. जो उसके पापा की आँखों में आँसू आ गए।

अख़बार में एक 5 साल के बच्चे का फोटो था.. नीचे लिखा था गुमशुदा की तलाश।
बस यही वो खबर थी.. मीरा समझ गई कि पापा क्यों रो रहे हैं।
उसने जल्दी से अख़बार पापा से छीन लिया और गुस्सा हो गई।

मीरा- पापा हद हो गई.. यह क्या बात हुई.. इतनी सी बात के लिए आप रो पड़े.. ऐसे कैसे चलेगा पापा.. प्लीज़..
दिलीप- मीरा यह इतनी सी बात नहीं है.. ऐसी खबर देखता हूँ तो अपने आपको कोसता हूँ.. मेरी वजह से ये सब हुआ है काश.. मैं वहाँ नहीं जाता तो अच्छा होता काश…

दिलीप जी फूट-फूट कर रोने लगे तो मीरा भी उनसे लिपट कर रोने लगी।
काफ़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही रहे.. तब कहीं उनकी नौकरानी ने आकर उनको समझाया.. तो वो चुप हुए।

फिर मीरा अपने स्कूल चली गई और दिलीप जी वहीं रहे।

इनकी नौकरानी के बारे में भी आपको बता दूँ.. इसका नाम ममता है.. इसकी उम्र कोई 20 साल होगी.. साल भर पहले ही इसकी शादी हुई है.. इसका जिस्म भी बड़ा मादक है। लंबे बाल.. गेहुआ रंग और इसके चूचे एकदम तने हुए.. 34″ के हैं। कमर ठीक-ठाक है और उठी हुई गाण्ड भी 34″ की है.. ये दिखने में बड़ी कामुक लगती है.. मगर ये अपने काम से काम रखती है सुबह आती है शाम का खाना बना कर वापस चली जाती है।

दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
pinky14342@gmail.com

चचेरी बहन ज़ोया की सलवार खोली

Chacheri Bahan Zoya ki Salwar Kholi


हेलो दोस्तो, मैं पानीपत का रहने वाला हूँ, मेरी उमर 27 साल है, मेरा लिंग आम लिंग की तरह है।
मुझे शुरु से ही सेक्स के बारे में काफ़ी रुचि रही है, मुझे लड़कियों की मोटी-2 चूचियों को चूसने का काफ़ी मन करता था।
लेकिन मैं बहुत सन्कोची स्वभाव का था इसलिये किसी से इस बारे में बात नहीं करता था।

मेरी एक चचेरी बहन थी जिसका नाम मैं यहाँ बदल कर ज़ोया लिख रहा हूँ। ज़ोया और मेरी काफ़ी पटती थी। हम एक दूसरे से सभी बातें कर लिया करते थे, अक्सर हम दोनों ही खेला करते थे।

हमारा घर पुराने तरीके का बना हुआ है, पुराने घरों में अक्सर तहखाने बने होते हैं। हमारे घर में भी एक तहखाना था। इस तहखाने में हमेशा अन्धेरा रहता था। अन्धेरा रहने की वजह से इस तरफ़ कोई नहीं जाता था लेकिन मैं और ज़ोया हमेशा यहीं खेला करते थे और जब मौका मिलता, एक दूसरे को चूम लिया करते थे।

बात कई साल पुरानी है, जब ज़ोया के बड़े भाई की शादी थी। शादी से एक दिन पहले घर की छत पर टेंट लगा हुआ था, सभी लोग खाना खा कर सो चुके थे। मैं दो कुर्सियाँ जोड़ कर सोया हुआ था।

रात को एक बजे के करीब ज़ोया मेरे पास आई। ज़ोया ने मुझे जगाया और मुझे टेन्ट के पीछे आने के लिये कहा।

मुझे समझ नहीं आया कि ज़ोया इतनी रात को मुझे टेन्ट के पीछे क्यूँ बुला रही है।
खैर में उसके पीछे चल पड़ा।

टेन्ट के पीछे जाते ही ज़ोया मुझसे लिपट पड़ी। अब मेरी समझ में सारा माजरा आ चुका था इसलिये मैं भी उससे लिपट गया।
हमने आज तक सेक्स नहीं किया था इसलिये मुझे यह नहीं पता था कि लन्ड को चूत में भी घुसाया जाता है।

कुछ देर लिपटे रहने के बाद ज़ोया ने मेरी पेन्ट का हुक खोला और लन्ड को हाथ से सहलाने लगी।
मेरे साथ एसा पहले कभी नहीं हुआ था इसलिये मुझे मजा आ रहा था।

थोड़ी देर सहलाने के बाद ज़ोया ने मेरा लन्ड अपने मुँह में ले लिया, मुझे और भी मज़ा आने लगा।
करीब पन्द्रह मिनट में मैं झड़ गया, ज़ोया मेरा सारा वीर्य पी गई। अब ज़ोया ने मेरा लन्ड मुँह से निकाला और फिर से सहलाने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
पाँच मिनट में मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया, अब तक ज़ोया इतनी गर्म हो चुकी थी कि उसकी चूत पूरी तरह गीली हो गई थी।

मैंने ज़ोया की सलवार का नाड़ा खोल दिया, ज़ोया जमीन पर लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने को कहा।
मैं ज़ोया के ऊपर लेट गया। ज़ोया ने मेरा लन्ड पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर मेरा लिन्ग मुन्ड लगा कर बोली- अब हल्का सा धक्का मारो।
मैंने हल्का सा धक्का लगाया तो लिन्गमुन्ड ज़ोया की चूत में घुस गया।
ज़ोया की चूत इस कदर गीली हो चुकी थी कि मेरे तीन धक्कों में ही पूरा लन्ड अन्दर घुस गया।
ज़ोयाइतने जोश में थी कि उसे लन्ड घुसाते हुए जरा भी तकलीफ़ नहीं हुई।

जब मुझे चूत में गर्म गर्म लगा तो मैंने ज़ोया से पूछा कि क्या उसे बुखार है।
ज़ोया ने कहा- नहीं तो? तुम ये क्यों पूछ रहे हो?

मैंने कहा- तुम्हारी चूत अन्दर से गर्म हो रही है।
इस पर ज़ोया मुस्कुराते हुए बोली- मेरे राजा, यह बुखार नहीं, मेरी चूत की गर्मी है।

अब मुझे मज़ा आने लगा था, मेरे लन्ड की गति अपने आप बढ़ने लगी। कुछ देर तक धक्के लगाने के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया।
अब मेरा वीर्य छूटने वाला था इसलिये मैंने ज़ोया से पूछा तो ज़ोया ने चूत में वीर्य छोड़ने को कहा।
मैंने ज़ोया की चूत में ही पिचकारी छोड़ दी।

कुछ देर इसी तरह लेटे रहने के बाद लन्ड अपने आप सिकुड़ कर बाहर आ गया।

अब हम बातें करने लगे, कुछ देर बातें करने के बाद हमारा फिर सेक्स का मन करने लगा।
मैंने ज़ोया से पूछा तो उसने हाँ कर दी।
अब मैं एक कुर्सी पर बैठ गया और ज़ोया को अपने लन्ड पर बैठने का इशारा किया। ज़ोया ने अपनी टांगें चौड़ी की और अपनी चूत मेरे लन्ड पर दबाने लगी।
चूत गीली होने की वजह से लन्ड एकदम से पूरा घप्प से अन्दर घुस गया।
अब सवारी करने की बारी ज़ोया की थी इसलिये ज़ोया ऊपर-नीचे होने लगी।

इस तरह अब मुझे और भी ज्यादा मज़ा आने लगा। हम दोनों दो बार झड़ चुके थे इसलिये अबकी बार हमें झड़ने में ज्यादा वक्त लगना था।

ज़ोया को भी बहुत मजा आ रहा था। कोई पच्चीस मिनट के बाद ज़ोया ने धक्के तेज़ कर दिये और मुझसे बोली- मैं झड़ने वाली हूँ, तुम भी तेज़-तेज़ करो ताकि हम दोनों साथ-साथ वीर्य छोड़ सकें।

अब मैं भी नीचे से गान्ड उठा-उठा कर धक्के लगाने लगा। पाँच मिनट हम दोनों ने मिलकर तेज़-तेज़ धक्के लगाये और एक साथ झड़ गये।

ज़ोया की चूत से गर्म गर्म पानी मेरे ऊपर गिरने लगा।
हम कुछ देर एसे ही पड़े रहे।
अब तक चार बज चुके थे और अब कोई भी उठ सकता था इसलिये हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक किये और जोया अपने बिस्तर पर, मैं अपनी कुर्सियों पर सोने चले गया।

अब हम दोनों को जब भी मौका मिलता, हम एक दूसरे की सेक्स की प्यास बुझाते।

तो दोस्तो, आपको मेरी पहली कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बतायें।
gaffar3532@yahoo.in

सहेली के यारों से चुद गई मैं-1

Saheli Ke Yaron Se Chud Gai mai-1


हेलो, मैं नेहा उत्तर प्रदेश के एक शहर से हूँ। मैं 20 साल की एक खूबसूरत लड़की हूँ, मैं ग्रेजुएट हूँ, मेरे पापा का बिज़नेस है, वो दिल्ली में मेरी माँ और छोटी बहन के साथ रहते हैं, मेरी बहन मुझसे 3 साल छोटी है।

मैं कानपुर में अकेली रहती हूँ, यहाँ भी अपना मकान है। पापा से पढ़ाई के साथ पूरा खर्च पानी का पैसा मिलता रहता है जिस वजह से मुझे कोई चिंता नहीं रहती और बिंदास रहती हूँ और ऐश करती हूँ।

मेरी एक सहेली है अंजलि… मैं और वो ख़ूब ऐश करते हैं, हम दोनों ने बहुत से लड़के पटा रखे हैं ऐश करने के लिए और अपना काम बनाने के लिए।

बात आज से दो साल पहले की है जब मैं 18 साल की थी। मैं अकेली रहती थी तो अक्सर अंजलि मेरे घर आ जाती थी रात को रहने। अंजलि के दो ख़ास यार थे अमित और राज… अंजलि अक्सर उन दोनों से अपनी चुदाई करवाती थी जो मुझे भी पता था।

अंजलि अक्सर मेरे घर का बहाना बना कर उन दोनों से चुदवाती थी। वैसे मैं भी फ़्लर्ट बहुत करती थी पर चुदवाया नहीं था।
हम दोनों लड़कियों का फिगर बहुत मस्त है और हम दोनों देखने भी बहुत सुन्दर हैं मेरी हाइट 5’6″ है और अंजलि 5 ‘5″ की है।
मेरा फिगर 34-28-34 है और अंजलि भी कुछ ऐसी ही है।
अक्सर हम दोनों मेरे घर पर डिलडो से मज़े लेते रहते हैं। उसकी चूत और गांड तो लंड से चुद कर मस्त हो चुकी है और मेरी उसने डिलडो घुसा कर दोनों मस्त कर दी है।

एक रात अंजलि अपने दोनों दोस्तों को मेरे घर लेकर आई और एक कमरे में चली गई।
रात मैंने खिड़की से देखा तो तीनो नंगे होकर एक दूसरे से चिपके थे। अमित के ऊपर अंजलि चढ़ी थी और गपागप लंड अन्दर बाहर ले रही थी।
फिर धीरे से राज ने अपना लंड अंजलि की गांड में डालना शुरु किया, अंजलि की हल्की चीख निकल गई।
थोड़ी ही देर में दोनों लंड आराम से अन्दर बाहर जाने लगे, अब तीनों को मज़ा आने लगा था।
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यह सब देख कर तो मेरी चूत में भी खुजली होने लगी थी, मैं चूत में ऊँगली घुसाने लगी थी, मुझे भी मज़ा आने लगा था, शायद अंजलि ने मुझे खिड़की के बाहर देख लिया था, पर वो कुछ बोली नहीं।
मैं भी अपने कमरे में आकर डिलडो को अन्दर बाहर करके अपनी गर्मी शांत करके सो गई।

सुबह राज और अमित चले गए तो अंजलि ने मुझे जगाया और बोली- की अन्दर आ कर सामने से सब कुछ देखती तो और मज़ा आता!

पर मैंने कुछ जवाब नहीं दिया।
अंजलि ने शायद अपने दोस्तों को यह बात बताई होगी। उसके दोस्त अब अंजलि से कहने लगे कि वो दोनों मुझे चोदना चाहते हैं तो अंजलि मुझे इस बात के लिए राजी करे।

अंजलि ने मुझे सीधे कहा- अमित और राज तुझे चोदना चाहते हैं…

मेरा मन होते हुए भी मैंने उसे डर की वजह से मना कर दिया। वैसे अमित और राज से चुदवाने का मन तो मेरा भी करता था पर एक डर था जो मुझे रोक रहा था।
जब उनकी बात नहीं बनी तो उन्होंने मुझे झूठ बोल कर राज़ी करने की कोशिश की। अंजलि मुझसे बोलीइ अमित के यहाँ पार्टी है और तुझे भी बुलाया है। राज को लेकर सिर्फ 4 लोग ही होंगे पार्टी में।

पहले तो मैंने मना किया कि मुझे इस चुदाई पार्टी में नहीं जाना… पर अंजलि ने कहा कि सिर्फ पार्टी है और ऐसा कुछ भी नहीं होगा।
बहुत समझाने पर मैं राज़ी हो गई, तय दिन हम दोनों वहाँ पहुँच गई।
अंजलि ने शार्ट केपरी और स्लीवलेस टीशर्ट पहनी थी और मैंने शोर्ट स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहना था।
मेरी स्कर्ट और टॉप थोड़ी झीने कपड़े की थी जिससे मेरी काली ब्रा और पैंटी साफ़ दिख रही थी।

वहाँ पहुँच कर राज और अमित ने हम दोनों की ख़ूब खातिर की, दोनों मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूर रहे थे।
मुझे कुछ शक हुआ पर उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और पार्टी के मज़े लेने लगी।
वो तीनों डांस करने लगे, अमित आगे से और राज पीछे से अंजलि के चिपक गया और नाचते हुए उसके दूध और चूत और गांड पर हाथ लगाने लगे।

अब तो मुझे गड़बड़ लगी और मैं जाने के लिए उठी तभी दोनों लड़कों ने अंजलि को कुछ बोला तो वो मुझसे बोली- लो एक सॉफ्ट ड्रिंक तो पी लो।
कुछ सोच कर मैंने ड्रिंक पी ली, अब मुझे हल्का सा नशा होने लगा, शायद उसमें कुछ नशा मिला कर मुझे पिलाया था।
अब तीनों नाचते हुए अपने कपड़े उतारने लगे, राज और अमित ने अंजलि की केपरी और टीशर्ट उतार दी, और ब्रा और पेंटी के ऊपर से ही उसके बड़े बड़े दूध और चूत दबाने और मसलने लगे, अंजलि भी मस्ती में आकर उनकी पैंट उतारने लगी।

मैंने फिर जाने की कोशिश की तो मुझे यह कह कर रोका कि वो मेरे साथ कुछ नहीं करेंगे, मैं बस देख कर मज़े ले लूँ।

मस्ती की वजह से मैं फिर बैठ गई और उन्हें देखने लगी।

वो तीनों फिर बिजी हो गए, अब राज पीछे से और अमित आगे से अंजलि के चिपक गया। राज ने ब्रा खींच कर उतार दी और अमित ने आगे से उसकी पेन्टी उतार दी।
फिर अंजलि ने एक एक कर के दोनों को पूरा नंगा कर दिया और मेरे सामने ही राज पीछे से अंजलि की गांड चूसने लगा और अमित उसके दूध… अमित ने एक दूध मुँह में लिया और दूसरे हाथ से उसका दूसरा निप्पल दबाने लगा।अंजलि के निप्पल मेरी ही तरह बड़े बड़े हैं।

ये सब देख कर मेरे मुख से भी आह उह की आवाजें आने लगी और न चाहते हुए भी मेरे हाथ मेरे उरोजों पर नाचने लगे।
उधर राज अब अंजलि के होंठ चूस रहा था और अमित उसकी चूत में ऊँगली घुसाए हुए जीभ से चूस भी रहा था।
अंजलि मस्ती में चिल्ला रही थी ‘आह आ आ ह ह ह उह उह उह’ कर रही थी और उनके लंड हिला रही थी।

फिर अंजलि नीच बैठ गई और बारी बारी से दोनों का लंड मुँह में अन्दर तक ले कर मज़े से चूसने लगी।
दोनों लड़के मुझे खा जाने वाली निगाहों से घूर रहे थे।
अब मैं भी मस्ती में आकर अपनी पेंटी नीचे कर के अपनी ऊँगली चूत में घुसाने लगी और दूसरे हाथ से अपने दूध दबाने लगी, अपने टॉप के दो ऊपर के बटन मैंने खोल दिए जिससे उनको मेरे दूध और चूत की थोड़ी झलक मिल रही थी और इसी वजह से अमित अपना लंड जोर से अंजलि के मुँह में पेल रहा था और राज ने ऊँगली जोर से अंजलि की गांड में घुसा दी।

अंजलि बोली- लो सालो रण्डीबाजो, तुम्हारे लिए मैं अपनी सबसे प्यारी सहेली को ले आई बहला कर… अब वो गर्म हो रही है, चोद लेना उसे।

अमित बोला- हाँ मेरी जान अब नेहा को भी आज रंडी बना कर चोदेंगे हम दोनों… पहले वो तेरी चुदाई देख कर गर्म तो हो ले।

मुझे भी उनकी बातों में मज़ा आने लगा था अब, मेरा एक पानी निकल चुका था, वो दोनों ये सब देख रहे थे।

अंजलि को बिस्तर पर लिटा कर दोनों उसके ऊपर चढ़ गए और एक एक दूध मुँह में लेकर चूसने लगे और अमित ने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी।
तीनों अब पूरी तरह से मस्ती में आ चुके थे।
अब अमित ने अपना लंड अंजलि की चूत पर रगड़ना शुरु किया, अंजलि पूरी तरह मस्तिया गई थी। फिर जब अमित का लंड चूत के पानी से थोड़ा गीला हो गया तो एक ही झटके में अमित ने अपना लंड अंजलि की चूत में घुसा दिया।
अंजलि की तो चीख ही निकल गई, अंजलि बोली- साले कुत्ते बहनचोद धीरे घुसा।

उसकी यह भाषा सुन कर मैं तो दंग ही रह गई क्यूंकि मैंने कभी अंजलि को ऐसी गाली देते कभी नहीं सुना था।
पर अमित रुका नहीं और दो झटकों में ही पूरा लंड अन्दर करके उसे पूरी रफ़्तार में चोदने लगा।
राज ने तब तक अपने लंड अंजलि के मुंह में पूरा अन्दर तक घुसा दिया था और अन्दर बहार कर रहा था।
अब अंजलि मस्त हो कर चुदवा रही थी।

अमित और राज अब हम दोनों को गालियाँ दे कर बात कर रहे थे जिससे अंजलि और मुझे भी मस्ती आ रही थी।
राज कह रहा था- अंजलि… आज तेरी सहेली नेहा को भी तेरी ही तरह रंडी बना कर चोदेंगे, साली मादरचोद लाइन नहीं देती थी।
अमित भी बोला- आज इस बहन की लौड़ी को रण्डी कुतिया बना कर चोदेंगे।

तभी राज बेड पर लेट गया और अंजलि अपने ऊपर आने को बोला, अंजलि उसके ऊपर आकर बैठ गई और अपने हाथों से राज का 7 इंच का लौड़ा पकड़ कर अपनी चूत में लेकर उसके ऊपर बैठ गई।
राज का 7 इंच का लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया, वो मज़े ले कर राज को चोदने लगी।
अमित ने तुरंत अंजलि की गांड में थूक लगा कर ऊँगली घुसाना शुरु कर दिया। अब तो अंजलि पागल कुतिया की तरह चिल्लाने लगी बोली- साले मादरचोदों जोर से मुझे दोनों तरफ से चोदो। साले हरामी अमित, डाल अपना 8 इंच का लौड़ा मेरी गांड में।

अब अमित ने भी बिना देर किये उसकी गांड में अपना लौड़ा घुसेड़ना शुरु किया। अमित ने थूक से पहले ही अपना लंड और अंजलि की गांड दोनों चिकनी कर लिया था तो थोड़ी ही देर में अमित का लंड अंजलि की गांड में सेट हो गया।
अब अंजलि सैंडविच बनी अपनी चूत और गांड मरवा रही थी।
कहानी जारी रहेगी।
neha11srivastava11@yahoo.com
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