भाभी की फुद्दी के प्यार में पड़ गया-1

Bhabhi Ki fuddi ke pyar me pad Gaya-1
और बुर वालियों तुम्हारे बुर का क्या हाल-चाल हैं?
और लोड़ों को बुर मिली या नहीं!!!
दोस्तो, आप सबके बहुत से मेल मुझे मिले, खासकर के लड़कियों के… वे जानना चाहती हैं कि किस प्रकार नीलम की भाभी मुझसे चुदी। तो दोस्तो, मैं एक बार फिर शरद सक्सेना आपके सामने फिर से एक नई कहानी के साथ हाजिर हूँ।
जैसा कि मैंने पहले कहा था कि नीलम की भाभी मुझसे कैसे चुदी, मैं आप लोगों को अपनी अगली कहानी में बताऊँगा।

तो स्कूल वेकेशन चल रहे थे और घर में वेकेशन के लिये टूर की बात चल रही थी कि किस जगह टूर का प्रोग्राम बनाया जाए।
नीलम ने मुझे पहले ही बता दिया था कि माउंट आबू का प्रोग्राम बनाना, क्योंकि उसके भैया-भाभी का भी वहीं जा रहे हैं।
उसके भैया अपने आफिस का काम करेंगे और वो और उसकी भाभी बबली वहाँ की वादियों का लुत्फ़ उठायेंगे।
अतः सबके सुझाव से माउंट आबू, राजस्थान का प्रोग्राम बना।

मैंने एक शर्त के साथ नीलम को यह बताया कि मेरा भी प्रोग्राम तैयार हो गया है और उसे कोई चक्कर ऐसा चलाना है कि उसकी भाभी का भी मजा मुझे मिले और उनके चुदाई के तरीके का मजा लूँ।
अब दोस्तो, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि लड़कियाँ पहले तो नखरे करती हैं और फिर…

कुछ ऐसा नीलम ने भी किया और बाद में मान गई और बोली- मैं तुम्हें कैसे, कब, कहाँ अपनी भाभी को चुदवाऊँगी यह मत पूछना।मैंने भी उसकी बात मानने का वादा किया और प्रतीक्षा करना उचित समझा।

तो दोस्तो, मैंने नीलम को राजस्थान, माउंट आबू का प्रोग्राम 10 जून का बता दिया।
तो उसने दूसरे दिन जो मुझे बताया उसे सुनकर मैं खुशी से पागल हो गया क्योंकि उसने भी अपना प्रोग्राम भी जून 10 का बनाया और उसके साथ उसके भाई और भाभी भी आ रहे थे।
तो हावड़ा-जोधपुर ट्रेन से प्लान के हिसाब से रिजर्वेशन करा लिया गया। बीच की एक बोगी छोड़ कर हम लोगों को बर्थ मिली। दूसरे दिन 12 बजे के आस-पास हम लोग माउंट आबू पहुँचे।
प्लान के अनुसार हम लोगों ने एक ही होटल में कमरा लिया, मेरा और नीलम का कमरा बिल्कुल सटा हुआ था।

अपने कमरे में जाते-जाते नीलम ने मुझे चुपचाप एक कागज का पुर्जा दिया, जिसमें लिखा था कि वह जब नहाने जायेगी तो भाभी से थोड़ा तेज बोलेगी और अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ देगी और मैं उसकी आवाज सुनकर धीरे से कमरे में आ जाऊँ… और दोनों लोग साथ नहाकर अपनी थकान मिटायेंगे।

करीब एक घंटे के बाद नीलम की आवाज आई- भाभी मैं नहाने जा रही हूँ, नहाने के बाद खाना खायेंगे।

इतना सुनते ही मैं तेजी से उसके कमरे की ओर भागा और नीलम के आने से पहले ही उसके रूम में पहुँच गया और जाकर पलंग के नीचे लेट गया ताकि उसकी भाभी भी आये तो मुझे देखने ना पाये।
एक मिनट बाद दरवाजा खुला और बन्द हो गया। नीलम पलंग पर बैठ कर मेरा इंतजार करने लगी। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मुझे गाली देने लगी कि हरामी को बोला था दरवाजा खुला है चले आना, पर नहीं अभी तक नहीं आया।

मैं उसकी ये बातें सुनकर मजे ले रहा था।
बड़बड़ाते उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिया।
जब उसने अपनी पैंटी उतारी तो वो कुछ गीली थी, शायद मेरे और अपने काम पिपासा के बारे में सोचने से उसकी पैंटी गीली हुई होगी।
उसकी नंगी चिकनी टांगों को देखकर मेरे होंठों स्वतः उसके पैरों के चुम्बन लेने लगे।
चुम्बन का अहसास होते ही वो नीचे झुकी और उसके झुकते ही उसकी चूची भी लटक गई, मैंने तुरन्त ही उसकी चूची की घुंडी को जोर से मसल दिया।

‘आई दैईईई ईईईह ईईईईयाआआ आआ आआआ…’ कहकर वो पीछे हटी, मैं भी पलंग से निकल कर बाहर आ गया।
मुझे देखते ही वो और जोर से उछली औरे खुशी से मुझसे लिपट गई।
फिर मैंने उसे गोदी में उठाया और बाथरूम में आ गये।

दोस्तो, उसकी वो लटकती हुयी वो चूची ऐसा लगता था कि दो पके हुए आम लटक रहें हैं।

हम दोनों बाथरूम में एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। हम दोनों की जीह्वा एक दूसरे से इस प्रकार उलझ रही थी कि एक-दूसरे में समा जाना चाहती थी।
दो मिनट बाद वो मुझसे अलग हुई और मेरे कपड़े उतारने लगी और शावर चला कर वो और हम दोनों चिपक कर नहाने लगे।
नीलम ने बड़े प्यार से मेरे लौड़े को साबुन लगा-लगा कर साफ किया और उसको चूसने लगी।
मैंने उसको उठाने की कोशिश की परन्तु ऐसा लग रहा था कि वो मूड बना कर आई है कि वो माल चूस कर ही रहेगी।
और इधर मेरी बेचैनी बढ़ रही थी कि मैं भी उसको चूसूँ।

शावर की बौछार और उसका इस तरह से लंड का चूसना, मैं तो इतना मस्त हो रहा था कि बयान नहीं कर सकता।
मेरा माल निकलने वाला था और मैं उसके सर को पकड़ कर उसके मुँह को चोद रहा था।
थोड़ी देर में मेरा माल निकला और उसने पूरा का पूरा पी लिया।
मैं जब नीचे की ओर बैठ कर उसके चूत को चाटने के लिये अपने होंठ उसके चूत पर रखे, वो बोली- शरद, अब देर हो रही है भाभी कभी भी आवाज दे सकती हैं।

‘अरे… यह क्या बात हुई… तुमने तो मजा ले लिया, मेरा क्या होगा? यह गलत है।’
‘जानू तुम मेरी चूत और गांड दोनों की पप्पी लेकर और मुझे नहलाकर अपना काम चला लो, फिर मौका देख कर तुम्हारे साथ जो तुम कहोगे, मैं करूँगी।

‘तो ठीक है… फिर इसी टूर पर भाभी का भी मज़ा दिलवाओगी।’
‘तो अब मेरी बुर और गांड से मन भर गया है ना?’
‘नहीं यार, वो बात नहीं है, तुमने जिस तरह से अपनी भाभी के बारे में बताया, मैं उस समय से ही उसका प्यासा हो गया हूँ। और अभी तक तेरी भाभी को देखा भी नहीं है। तू कुछ चक्कर चला!’
‘ठीक है।’

इतना कहकर हम दोनों नहाये और फिर उसने मुझे प्लान बताया।
नीलम बोली- शाम को हम सब घूमने के लिये जायेंगे और लौटते समय तुम अचानक मार्केट में मिल जाना। वहाँ पर भाभी से तुमको मिलवा दूँगी, तुम उनको देख लेना। फिर आगे बताउँगी कि क्या करना है।
कहानी जारी रहेगी।
saxena1973@yahoo.co.in

मेरी बीवी मेरे दोस्त से चुदती है

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चूत लिखी थी किस्मत में-2

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भांजी की चिकनी चूत -2

Part of a series:

Bhanji Ki Chikni Chut -2सौम्या भी अपना मोबाइल बंद रख के मेरी हरकतों का आनन्द ले रही थी। उसके चेहरे का हाव-भाव मुझे और बढ़ावा दे रहे थे।
अब मेरे हाथ ब्रा के अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे।

मैंने उसकी एक चूची ब्रा से बाहर निकाला और उसे दबाने लगा और साथ साथ उसके निप्पल भी उँगलियों से छेड़ रहा था।
उसका निप्पल पूता तना हुआ था, मैं हल्के से उसके निप्प्ल को नोचने लगा।

अब सौम्या की सांस तेजी से चलने लगी, मैंने उसे पूछा- कैसा लग रहा है?
तो वो कुछ बोले बिना मुस्कुराने लगी और उसने अपना टॉप उतार दिया, साथ में ब्रा भी उतार दी, मेरी तरफ देखते हुए अपने दोनों बूब्स दबाने लगी।
मैंने उसके दोनों पैर पकड़ कर उसे ऊपर खींच लिया, अब उसके चूतड़ मेरी टांगों के ऊपर थे और मैं उसके दोनों बूब्स दबाने लग गया। उसने मेरा सर पकड़ कर नीचे खींचा और अब उसकी एक चूची मेरे मुँह के सामने थी।

मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके निप्पल को चाटने लगा, फिर हल्के से काटा और फिर जोर जोर से उसकी चूची चूसने लगा।
मेरा लण्ड अब उसकी गांड में चुभ रहा था और वो भी अपनी कमर ऊपर नीचे कर रही थी।

अब मैंने सौम्या से कहा- अपना शॉर्ट्स उतार दे।
और वो अपना शॉर्ट्स निकालने लगी।

अब मेरी भांजी सिर्फ पैंटी में मेरे टांगों पर लेटी हुई थी, उसकी पैंटी आगे से गीली हो गई थी, मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फ़िराया तो उसके मुख से ‘आह…’ की आवाज़ निकली।

अब मैं सोफे से नीचे उतरा, घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गया और पैंटी के ऊपर से ही सौम्या की चूत चाटने लगा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसे भी मेरी हरकत से मज़ा आ रहा था, वो भी कमर चला कर मेरा साथ दे रही थी।

अब मैंने उसके पैंटी को उतारे बिना उसे साइड पर करते हुए उसकी चिकनी चूत के दर्शन किए, देखने में बहुत मुलायम लग रही थी मेरी भांजी की बिना बाल की चिकनी चूत… मैं उसकी नंगी चूत चाटने लगा।

अब सौम्या के मुख से ज़ोर ज़ोर से आह ऊह की आवाज आ रही थी, वो अब मेरा सर पकड़ कर चूत पर दबा रही थी।
तब मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, सौम्या ने भी मेरे सारे कपड़े उतरवा दिये, अब हम दोनों जन्मजात नंगे थे।

सौम्या की नज़र मेरे तने हुए लौड़े पर पड़ गई और वो उसे अपने हाथों में लेकर हिलाने लगी और फिर वो मेरा लण्ड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
मेरी बीवी कभी मेरा लन्ड नहीं चूसती, इस वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
यह मेरा पहला अनुभव था जब किसी ने मेरा लण्ड चूसा।

फिर हम 69 की भंगिमा में लेट कर एक दूसरे के यौन अंग चूसने लगे। सौम्या बारी बारी मेरा लण्ड चूसती और हाथ से हिला रही थी, बोल रही थी- मामू, आपका कितना मोटा है, ज्यादा देर मुँह में रखूँ तो मेरी साँसें बंद हो जाती हैं।
मैंने कहा- सौम्या यार तेरी चिकनी चूत तो इतनी प्यारी और मुलायम है कि मैं सारी रात उसे चाट सकता हूँ।

थोड़ी देर में मेरे लण्ड में तनाव बढ़ने लगा, मैंने सौम्या से बोला- मेरा पानी कभी भी निकल सकता है।
तो वो बोली- मेरा भी थोड़ी देर में हो जायेगा।
और मुझसे बोली- आप लगे रहो, मैं आपका सारा पानी पी जाऊँगी।

यह बात सुन कर मुझसे रहा नहीं गया और मेरा पानी निकल गया, उसने सारा पानी पी लिया।
मैंने चाटना जारी रखा और थोड़ी देर में सौम्या भी झड़ गई।

हम हमारा खेल आगे बढ़ाने वाले थे लेकिन तभी दीदी के कमरे से आवाज़ आने लगी और बत्ती भी जल गई।
शायद दीदी पानी पीने जाग गई थी।
हम लोग डर गए और अपने अपने कपड़े लेकर अपने अपने कमरे में भाग गए।

अगले दिन सवेरे कमरे में दीदी आई और बोली कि वो कुछ घंटे के लिए बाहर जा रही हैं और बोली कि उनके आने तक मैं नहा धोकर फ्रेश हो जाऊँ और आने के बाद राखी बांधने की रस्म होगी।
उनका बेटा भी उनके साथ जा रहा था, जीजाजी तो सवेरे ही अपने बहन के घर जा चुके थे।

अब घर पर मैं और मेरी भांजी सौम्या दोनों ही थे।
दीदी के जाने के बाद में सीधा सौम्या के कमरे में गया, वो बिस्तर पर नहीं थी, उसके कमरे के बाथरूम से आवाज़ आ रही थी तो मैं समझ गया कि वो बाथरूम में है।

मैंने बाथरूम का दरवाज़ा खटखटाया और बोला- दरवाज़ा खोल दो, घर पर कोई नहीं है।
सौम्या ने दरवाज़ा खोल दिया और मैं बाथरूम के अंदर गया।
सौम्या पूरी नंगी थी और शावर से नहा रही थी।

दिन के उजाले में पहली बार मैंने अपनी भांजी को नंगी अवस्था में देखा था, उसका सारा बदन पानी पानी था और चमक रहा था।
यह नज़ारा देख के मेरा लंड खड़ा हुआ और मैं अपने आप सारे कपड़े उतारता गया और खुद ही नंगा हो गया।

मैंने साबुन अपने हाथ में लिया और भांजी के नंगे बदन पर साबुन लगाने लगा। पीछे से पहले गले पर, फिर पीठ पर हल्के हल्के साबुन लगाने लगा और उसके नंगे बदन का आनन्द भी लेने लगा।

जब मेरे हाथ सौम्या के छाती पर साबुन लगा रहे थे तब उसने खुद अपने हाथों से मेरे हाथ अपने चूचियों पर रखे और दबाने लगी। उसकी चूचियाँ बहुत मुलायम थी और निप्पल भी तने हुए थे।
जब मैं उसके निप्पल को अपने उँगलियों से हल्के से नोच रहा था तब सौम्या के मुँह से आआह्ह की आवाज़ निकल रही थी और उसने अपना हाथ पीछे करते हुए मेरे लंड को पकड़ लिया और आगे पीछे करने लगी और उसे अपने मुलायम चूतड़ों पर रगड़ने लगी।

अब मेरे हाथ भी नीचे की तरफ जा रहे थे और मैं उसकी चूत सहलाने लगा और सौम्या की चीखें तेज़ होने लगी। मेरा एक हाथ उसकी चूची को मसल रहा था और दूसरे हाथ की ऊँगली उसकी चूत के अन्दर बाहर हो रही थी।

थोड़ी देर में सौम्या मुड़ गई और घुटने के बल बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया।
मैं बोला- आज सिर्फ तुम्हारे मुंह से काम नहीं चलेगा आज मैं तुम्हारी चिकनी चूत और गांड भी मारूँगा।

फिर हम दोनों बाथरूम से बैडरूम आ गये और में बिस्तर पे लेट गया और मैंने 69 का सुझाव दिया, हम दोनों 69 की शैली में एक दूसरे की चूत लौड़े को चाटने लगे। उसकी चूत पूरी पानी पानी हो गई थी और अब वो मेरा मोटा अंदर लेने के लिए तैयार थी।

मैंने उसे पीठ के बाल लेटाया और उसकी दोनों टाँगें चौड़ी करके अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया और साथ साथ उसकी चूचियाँ भी दबाने लगा।
सौम्या अपनी आँखें बंद करके मज़ा ले रही थी और उसकी कमर ऊपर नीचे हो रही थे और मुंह से आवाज़ भी निकलने लगी।
वो बोली- मामू अभी अंदर डाल दो, मुझसे और नहीं रहा जायेगा।

यह बात सुन कर मैं भी बहुत मूड में आ गया, मैंने अपना लंड भांजी की फ़ुद्दी के छेद के ऊपर रखा और झटके के साथ अंदर प्रवेश किया और उसके मुंह से ‘उई माँ…’ की आवाज़ निकली।

मैंने थोड़ी देर ऐसे ही अंदर रखा और फिर झटके देना शुरू किया, पहले धीरे और फिर रफ़्तार तेज़ कर दी।
मेरे झटकों की वजह से उसका पूरा शरीर हिल रहा था और चूचियाँ उछल रही थी, वो भी कमर उठा कर मेरे झटकों का स्वागत कर रही थी।

मैंने अपनी रफ़्तार और तेज़ की, अब उसकी आँखों से पानी निकलने लगा और वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी- हाँ हाँ… ऐसे ही आने दो। और थोड़ी देर में वो झड़ गई।
अभी मुझे भी अपना पानी निकालना था, मैंने पूछा- पानी कहा गिराऊँ?

तो वो बोली- मेरे अंदर ही गिरा देना, मुझे अंदर मर्द की मलाई अपनी चूत से खाना पसंद है।

अब मैंने उसकी दोनों टाँगें ऊपर करके अपने दोनों हाथों से पकड़ा और झटके देने लगा। अब मुझे अपना लंड सौम्या की चिकनी चूत के अंदर बाहर जाता हुआ साफ़ दिख रहा था और यह नज़ारा देख कर मेरा भी पानी छूट गया और मैंने सारा पानी अंदर ही गिरा दिया, सौम्या की फ़ुद्दी को अपनी मलाई खिला दी।

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे और सौम्या दूसरे राउंड के लिए तैयार थी। पहले उसने मेरा लंड चूस के उसे खड़ा किया और फिर मेरे ऊपर चढ़ गई और खुद करने लगी।
जब वो ऊपर नीचे कूद रही थी तब मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था। फिर थोड़ी देर में वो घोड़ी बन गई और मैं उसे पीछे से चोदने लगा। काफी मज़ा आ रहा था, सौम्या इस बीच 2 बार झड़ चुकी थी लेकिन मेरा नहीं हो रहा था।

तब मैंने उसे बोला- सौम्या, अब मैं तेरी गांड मारना चाहता हूँ।
उसने हाँ में सिर हिलाया और बोली- ओके मामू यार, आप जैसे चाहे मुझे चोदो…

फिर मैंने थोड़ी सी क्रीम उसके गांड के अंदर अपनी उंगली से लगाई और थोड़ी क्रीम अपने लंड पर और फिर मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रखा और अंदर पेलने की कोशिश करने लगा।

उसे दर्द होने लगा, फिर मैंने ज्यादा क्रीम ली और उंगली के जरिये गांड के अंदर डाल दी, फिर उंगली अंदर-बाहर करने लगा। अब सौम्या को भी मज़ा आने लगा था, अब वो अपने चूतड़ पीछे धकेल करके मेरी उंगली अंदर ले रही थी, अभी वो पूरी तरह से मेरा लंड अपनी गांड में लेने के लिए तैयार थी और मैंने फिर से अपना लंड उसकी गांड के अंदर किया, इस बार उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ और थोड़ी देर में मेरा पूरा लंड उसके गांड के अंदर गया।

अब मैं फिर से झटके देने लगा, बहुत मज़ा आ रहा था, पर मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया और मैंने अपना पूरा माल उसकी गांड में गिरा दिया।

फिर हम दोनों एक साथ नहाये और फ्रेश हो गये।
मैंने अपनी दीदी से राखी बंधवाई और अगले दिन दिल्ली रवाना हो गया।
अभी भी हम दोनों whats app Facebook पर सेक्स चाट करते हैं और जल्दी ही मिलने का प्रोग्राम भी बनाया है।

दोस्तो, यह थी मेरी कहानी… आपको पसंद आई या नहीं, मुझे जरूर मेल करें।
धन्यवाद!
sharmasuresh843@yahoo.com

आइस क्यूब डिस्क में मिली टीना-2

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Ice Cube Disc Me Mili Teena-2हम लोग एक्सप्रेस वे पे पहुँचने के बाद धीरे धीरे अपनी मंज़िल की तरफ जा रहे थे। मेरा दिल अब बेईमान होने को कर रहा था, तभी उसने मुझसे बोला कि उसके बॉयफ़्रेंड ने उसके धोखा दिया है, उसके साथ कई बार सेक्स किया है पर फिर भी वो उसका ना होकर किसी और के पीछे पड़ा है।

मैंने उसे बोला- तुम उसे छोड़ क्यों नहीं देती?

तो उसने बात टाल दी। टीना पे नशा सवार हो गया था और वो अब धीरे धीरे मेरे पास आने की कोशिश कर रही थी और मेरे गालों पे और चेहरे पे अपना हाथ फेर रही थी।
मैंने उत्सुकतावश पूछ लिया- क्या दिल बेईमान हो रहा है?
तो बोली- मुझे प्यार चहिए किसी भी कीमत पे… क्या तुम मुझे प्यार दे सकते हो?
मैं तो जो चाह रहा था, वही हो रहा था, मैं कुछ नहीं बोला और वो धीरे धीरे मेरे शरीर से खेलने लगी।
कुछ ही पल में टीना मेरे शरीर से एक बेल की तरह लिपट गई अब मेरे अंदर की वासना बाहर आने लगी थी पर गाड़ी चलाते हुए कुछ भी करना संभव नहीं था।
मुझे कुछ नहीं सूझा तो मैंने टीना ने पूछा- क्या गाड़ी में ही मेरा रेप करना का मन कर रहा है तुम्हारा?
तो मुझसे वो बोली- मन तो तुम्हारी इज़्जत लूटने का है…
मैं उसकी बात सुन कर हंस पड़ा।

रात का टाइम था और रास्ता सुनसान… मुझे थोड़ी उलझन तो हो रही थी पर फिर भी मैंने टीना से पूछा- कहीं और चल सकते हैं?

तो उसने कहा- फ्लैट पे नहीं जा सकते पर मेरी एक सहेली पास के अपार्टमेंट में रहती है। पर उससे मुझे पहले बात करनी पड़ेगी।
मैं उसे बोला- ठीक है, अगर तुम्हारी सहेली के पास जा सकते हैं तो ज़्यादा ठीक रहेगा।

टीना ने कॉल किया और अपनी सहेली से बात की, उसकी सहेली किसी पार्टी में बाहर थी पर एक काम अच्छा हुआ कि उसकी दोस्त ने अपने फ्लैट की चाबी बाहर फ्लावर पॉट में रखी थी।

हम अगले 15 मिनट में उसकी सहेली के फ्लैट के अंदर थे, अंदर से फ्लैट बहुत आलीशान था, टीना पहले भी इस फ्लैट मैं आ चुकी थी, उसे पूरे फ्लैट के बारे में पता था।
अब हम लोग बेडरूम के अंदर दाखिल हुए, अंदर जाते ही टीना ने मुझे अपने शरीर की गर्मी देना शुरु कर दिया जिससे मैं बहकने लगा और मेरी बाहों ने उसका पूरी तरह से साथ दिया।
अब हम एक दूसरे से बेल की तरह लिपटे हुए थे, टीना ने मेरे लबों पर अपने लब रख कर उनका इस तरीके से चूसा कि मैंने अपने होश खो दिए, मुझे इस समय इस ऐसे आनन्द का अनु्भव हो रहा था जो शायद इससे पहले नहीं हुआ था, पर जो भी था अब मैं होश में नहीं था।

टीना के कपड़ों के बारे में आपको बता दूँ, उसने डीप नेक का एक बहुत सेक्सी टॉप और एक स्कर्ट डाली हुई थी जिसमें उसकी जांघें एकदम दूध की तरह चमक रही थी, उसकी कमर का नीचे का भाग एकदम टॉप और स्कर्ट के बीच ऐसे चमक रहा था जैसे चंद्रमा किसी काले बादल के बीच से निकलने की कोशिश कर रहा हो।

अब मेरे होंट और टीना के होंट एक दूसरे से ऐसे चिपके हुए थे कि जैसे कितने जन्मों के प्यासे दो शरीर एक दूसरे में खो जाने को बेताब हैं।
टीना की हालत काफ़ी खराब लग रही थी, उसे ऐसे में देखकर मेरा भी मन उसमें खो जाने का कर रहा था।
टीना के हाथ अब मेरी टी शर्ट के अंदर थे और वो मेरे सीने पर धीरे धीरे हाथ फिरा रही थी, मुझे अच्छा लग रहा था, मेरा हाथ भी उसकी कमर से थोड़ा थोड़ा ऊपर सरकने लगा था।

पहली बार मेरा हाथ उसके बूब्स पर टच हुआ, उसे एक करेंट सा लगा और वो कस के मुझे अपनी बाहों में जकड़ने लगी।
इधर मेरा दूसरा हाथ टीना के उभरे हुए चूतड़ों पर था जो अभी तक अनछुए लग रहे थे, इतने मुलायम कि जैसे गुंथा हुआ आटा हो। तभी टीना ने मेरे सीने से अपने हाथ मेरी जांघों पे रख दिए, वो कुछ खोजना चाह रही थी और एक पल में उसने मेरे लंड को अपना शिकार बना लिया।

वो धीरे धीरे मेरे लंड को सहलाने लगी, उसने मेरी ज़िप खोल ली और अंदर हाथ डाल दिया।
मुझे एक नशा सा होने लगा था।
फिर टीना ने मेरी पैंट निकालने की कोशिश की जिसमें वो नाकाम रही, मेरी बेल्ट बहुत टाइट थी, मैंने उसकी मदद की और अब मैं उसके सामने केवल अंडरवीयर में खड़ा था, वो मस्त होकर अपनी कमर मेरे लंड से टच कर रही थी, अगर उसका बस चलता तो वो अंडरवीयर समेत मेरे लंड को अपने अंदर डाल लेती।

इसी बीच मैंने उसका टॉप धीरे धीरे ऊपर उठना शुरु किया जिसमें उसने मेरी पूरी हेल्प की। अब वो ऊपर से और मैं नीचे से केवल इन्नर वीयर में थे।

टीना ने मुझे बेड पे खींच के अपने ऊपर लिटा लिया, मेरा लंड उसके स्कर्ट के ऊपर से उसकी चूत पर रगड़ा मार रहा था।
मैंने अब टीना की ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स को पीना शुरु किया और वो मचल उठी, मैंने रक कोशिश की और अब उसकी ब्रा मेरे हाथ में थी जिसे मैंने साइड वाली टेबल पे रख दिया।

उसका बदन किसी चाँदी की मूर्ति की तरह चमक रहा था… मैंने एक निप्पल होंठों में लिया और दूसरे को अपनी उंगलियों में दबा कर उसे प्यार करने लगा।
टीना को मानो एक करेंट सा लगा और उसने मेरे बाल पकड़ कर नीचे धक्का किया, मानो बोल रही थी- पूरे चबा जाओ!
अब धीरे धीरे मैं बूब्स से नीचे आने लगा।

अभी भी टीना ने एक बहुत प्यारे टेक्सचर की पेंटी पहनी हुई थी जिस पर रेड रोज प्रिण्टेड थे। मैंने टीना की कमर नाभि और जाँघों पे किस किया, वो मचल उठी। अब बारी उसकी ब्रा की थी, मेरे होंठ अब पेंटी के ऊपर उसकी चूत को तलाश रहे थे।

मैंने पहला किस उसकी चूत पे दिया तो उसने मेरा सिर पकड़ के चूत पे रगड़ दिया, मानो बोल रही हो कि ‘खा जाओ!’

फिर मैंने उसकी पेंटी थोड़ी नीचे सरकाई, टीना की चूत एकदम साफ और गुलाबी रंग की थी, जिस पर हल्के हल्के बाल थे।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर फिराना शुरु किया तो वो मचल पड़ी और उसने अपने पैर इस तरह मोड़ लिए मानो मुझे इन्विटेशन दे रही है कि मैं अपनी पूरी जीभ अंदर तक डाल दूँ।
मैंने भी ऐसा ही किया और जहाँ तक संभव था, अपनी जीभ चूत में डाल दी, वो किसी दूसरे जहाँ में चली गई थी।

अब मेरा लंड मेरे कंट्रोल में नहीं था इसलिए अब जल्दी से जल्दी उसे भी सही जगह पहुँचाना मेरा काम था।
हम लोग एक कंडीशन में करीब दस मिनट रहे, टीना पूरी तरह से अपना आपा खो चुकी थी, उसकी आँखों में लाल डोरे आराम से देखे जा सकते थे।
अब मैं टीना के ऊपर से उठ चुका था और साइड में आकर लेट गया। तभी टीना ने अंगड़ाई ली और एक झटके में वो मेरी जांघों के बीच आ गई, टीना ने मेरी फ्रेंची धीरे से नीचे सरकाई और मेरे लंड के साथ खेलने लगी।

मुझे हल्का सा दर्द महसूस होने लगा था क्योंकि लंड इतना अकड़ चुका था कि अगर उसे वो थोड़ा ऊपर नीचे सहला रही थी तो दर्द हो रहा था।
एक पल में टीना ने मेरा लंड अपने लबों पे लगा लिया और आइस क्रीम की तरह उसे चूसने लगी।
मैं अब सातवें आसमान पर था, अब हम दोनों एकदम नंगे बेड पे पड़े थे और प्यार का मज़ा ले रहे थे। मुझे लगा कि अगर इसने अगर 5-7 मिनट और मेरा लंड चूसा तो मैं मुँह में ही झड़ जाऊँगा।
मैंने टीना को एक इशारा किया कि अब नहीं…
वो उस टाइम कुछ और ही सोच रही थी, पर जल्दी ही उसने मेरी बात को समझ लिया और वो सीधे मेरे ऊपर आ गई।
अब टीना के बूब्स मेरी छाती से रगड़ मार रहे थे, हम लोगों के होंट एक दूसरे के साथ ऐसे जकड़े हुए थे जैसे मानो एक दूसरे से चिपक गये हों।

तभी टीना का एक हाथ नीचे गया और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के रास्ते पे रखा और हल्का था धक्का मारा, लंड फिसल गया।
अब बारी मेरी थी, मैंने उसे टाँगे फ़ैलाने के लिए इशारा किया और अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पे रखा और एक धक्का लगाया, वो चिंहुक उठी, मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था वो हिल नहीं पा रही थी, शायद उसने 2-4 बार ही सेक्स किया होगा।

टीना का चेहरा लाल पड़ चुका था पर उसकी आँखों की वासना टूट टूट कर यह कह रही थी कि उसे पूरा अंदर चाहिए, मैंने एक धक्का और मारा और मेरा पूरा लंड अब टीना की चूत में था, धक्कों का सिलसिला शुरु हो चुका था और अब मैं और टीना आनन्द के सातवें आसमान में उड़ रहे थे, कमरे से केवल कशिश भरी आवाज़ें आ रही थी और टीना मेरा पूरा साथ दे रही थी, वो मेरे ऊपर थी और वो थोड़ा थकने लगी थी।

अब बारी मेरी थी, मैंने बिना लंड बाहर निकाले टीना को नीचे लिया और बहुत तेज़ी से धक्के मारने लगा, पता नहीं बियर का असर था या प्यार का, मेरा निकलने को तैयार ही नहीं था।

इस बीच टीना का शरीर अकड़ने लगा और उसने मुझे कस के अपने सीने से लगा लिया, वो झड़ चुकी थी और शांत हो गई पर मैं अभी अधूरा था, मेरे आँखों ने टीना से पूछा कि क्या किया जाए तो उसने फिर से अपनी कमर हिलाना शुरु कर दिया और फिर से कमरा हम दोनों की आवाज़ों से गूंजने लगा।

मुझे अब लग रहा था कि अगर ऐसे ही धक्के लगाता रहा तो आज पूरी रात निकल जाएगी पर मेरा निकलेगा ही नहीं, मैंने टीना की दोनों टाँगें अपने कंधे पे रखी और तेज़ी से धक्के मारना शुरु कर दिया, वो मेरा चेहरा देख रही थी और मेरे सीने पे हाथ फेर रही थी।
अब मुझे लगने लगा कि मेरा थोड़ी देर में होने वाला है, मैंने हांफते हुए टीना से पूछा- मैं आने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ?
उसने केवल इशारा किया कि अंदर ही डाल दो।

एक बहुत तेज पिचकारी के साथ मैं टीना की चूत में झड़ गया। हम दोनों एसी में भी पसीने पसीने हो गये थे, हम लोग एक दूसरे से चिपके ऊपर ना जाने कितनी देर पड़े रहे, कुछ पता नहीं चला, बस एक दूसरे के दिल की धड़कन सुनते रहे।

फिर टीना ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसे बाहों में उठा कर वॉशरूम में ले चलूँगा?

मैंने कुछ ना बोलते हुए टीना को अपनी बाहों में उठाया और वॉशरूम की तरफ ले गया, हम दोनों ने काफ़ी देर तक शावर लिया।

दोस्तो, उस रात बहुत सारी बातें और हुई पर सारी बातें में केवल एक कहानी में नहीं लिख सकता हूँ।

काफ़ी देर के बाद टीना की सहेली भी घर आई, वो सारी बातें अगली कहानी में…
पर वो कहानी तब आपके पास पहुँचेगी जब आप मुझे अपनी राय मेरे नीचे दिए गये मेल आई डी पर भेजेंगे।
कहानी पढ़ने लिए लिए आपका शुक्रिया, मुझे आपके मेल्स का इंतजार रहेगा!
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शादी से पहले लंड लिया

दोस्तों, कैसे है आप लोग. मेरा नाम स्वाति है और मैं २४ साल की है. मेरी शादी एक साल पहले ही हुई थी और यकीं मानिये, किस्मत से मुझे ऐसा चुदकड़ पति मिला है, जिसकी हर क्वारी लड़की शादी से पहले कल्पना करती है. मुझे सेक्स कहानिया पढ़ने और ब्लू फिल्म देखने का शौक मेरे पति ने ही मुझे लगाया है. यहाँ पर मैंने बहुत सी कहानिया पढ़ी है, लेकिन आज मैं आपके साथ अपनी पहली चुदाई की घटना शेयर कर रही हु. ये मेरे पति को मालूम है, इसलिए मैं यहाँ लिखते हुए काफी बेफिक्र हु. हम लोग पंजाबी फॅमिली है और आपको तो मालूम ही है, कि पंजाबन कितनी हॉट और सेक्सी होती है और कमाल की सुंदर भी. मैं भी ३४-३०-३६ के साइज़ वाली, मदमस्त हसून वाली गोरी-चिट्टी और एकदम चिकनी लड़की हु. लडको को तो मुझे देखते ही खड़ा हो जाता था. मैं कपड़े भी ऐसे ही पहनती थी, कि लडको मेरे काफी हद तक जिस्म के दर्शन हो जाते थे.

मेरे साथ कॉलेज में लड़का था विक्की. विक्की ना तो दिखने में अच्छा था और ना ही कोई बॉडी – बिल्डर. लेकिन, जब उसने मुझे चोदा, तो उसकी जबरदस्त पॉवर ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया था. ख़ैर वो बात में आएगा था. विक्की पढ़ने में अच्छा था और सब की मद्दत करने वाला. क्लास की काफी लडकियों का हीरो था वो. डेली वो क्लास में जल्दी आ जाता और सबके असाइनमेंट पुरे करने में मद्दत करता. मुझे नहीं पता चला, कि कब मैं उसको पसंद करने लगी. पर मेरी ईगो मुझे उसके पास नहीं जाने देती थी. मैंने इतनी सुंदर और हॉट, जिस पर कॉलेज के मस्त और जवान लड़के मरते थे और कहाँ वो मरियल सा विक्की. इसी उधेड़बुन में मेरा पूरा कॉलेज बीत गया और ना मैं विक्की को कुछ कह पायी और ना ही किसी और बॉयफ्रेंड बना पायी.

मेरे घर वालो ने मुझे कॉलेज के बाद काम नहीं करने दिया और जल्दी ही मेरी शादी भी तय हो गयी. लड़का ऐसा था, जो देख ले.. तो कहे.. हीरो है एकदम हीरो.. बाहर विदेश में कहीं नौकरी करता था. घर का बिज़नस था, लेकिन अपने आप को प्रोव करने के लिए जॉब करता था. शादी के बाद उसने जॉब छोड़कर अपना बिज़नस ही संभालना था. मम्मी पापा को फॅमिली पसंद आ गयी और मुझे लड़का. हमारी सगाई हो गयी, लेकिन शादी का महूरत १ साल बाद का निकालना पड़ा. उसको छुट्टी नहीं मिल पा रही थी. हम लोग फ़ोन पर बात करते, वेबकैम चाट भी करते. पर सब नार्मल. कुछ ऐसा लगा ही नहीं. फिर कुछ महीनो बाद, कॉलेज में रीयूनियन थी और १ वीक का प्रोग्राम था. कॉलेज के हॉस्टल में ही रुकने का इंतजाम था.

विक्की भी आया था और अब वो एक बड़ी कंपनी में अच्छे पद पर था. कुछ पहले से सुधर भी गया था. लडकिया तो उसे देख कर पागल होने लगी थी. हम सब मिले और आपस में बातें की. पता चला, कि उसकी भी शादी होने वाली और उसके बाद वो विदेश चला जाएगा. उसकी बीवी विदेश में है और उसकी शादी की शर्त है, कि विक्की को वहां शिफ्ट होना पड़ेगा. इस बीच मेरी शादी के बारे में भी सब को पता चल गया. पूरा दिन निकल गया. विक्की मुझे देख कर बस मुस्कुरा देता. मुझे लगा, जैसे वो कुछ परेशान हो. एक दो लोगो ने उससे पूछा, तो उसने उन्हें टाल दिया. फिर, रात को सब आग जलाकर मस्ती कर रहे थे और मेरा फ़ोन आया था, तो मैं थोड़ा दूर जाकर बात करने लगी. जब मैंने फ़ोन रख दिया, तो देखा.. विक्की मेरी तरफ ही आ रहा था.

वो मेरे पास आया और मुझे हेलो बोला और कहा – आज मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हु, जो मैं कॉलेज से कहना चाहता था. पर कभी कह नहीं पाया. मैं उसकी आँखों में झांक रही थी. शायद मैं भी उससे कुछ सुनना चाहती थी और फिर उसने वहीँ कहा, जो मुझे सुनना था “आई लव यू”. हम दोनों सब से काफी दूर थे और काफी अधेरा भी था. हम दोनों एक दुसरे के आँखों में देखते हुए और बातें करते हुए काफी दूर निकल आये और फिर एक बेच पर बैठ कर एक दुसरे की आँखों में बातें करने लगे. पता नहीं, कब हम दोनों के होठ आपस में जुड़ चुके थे और वो मेरे बालो को सहला रहा था. मैंने भी उसके चेहरे को पकड़ कर उसके कानो को सहलाना शुरू कर दिया और हम एक दुसरे के होठ चूस रहे थे. बहुत ही रोमेंटिक और कामुक पल था.

फिर विक्की ने मुझे बेंच पर लिटाया और मेरे ऊपर आ गया और मुझे मस्ती में चूमने लगा.. मेरे माथे पर, गाल पर, होठ पर, गर्दन पर. जैसे ही उसने मेरी गर्दन पर अपने होठ रखे, मेरे शरीर पर करंट लग गया. अब तो मैं पूरा का पूरा अपने आप को विक्की को सौंप दिया. फिर, विक्की ने मेरी शर्ट के बटन को खोलना शुरू किया और एक ही बार में शर्ट को उतार दिया. मेरे उरोज मेरी ब्रा से निकलने के लिए तड़प रहे थे और मेरे निप्पल एकदम से कड़क हो गये थे. विक्की और मुझे पर अब हवस हावी हो चुकी थी और हमे किसी का भी डर नहीं था. फिर विक्की ने ज्यादा ना देर करते हुए, अपने आपको भी आधा नंगा कर लिया. उसकी बालो से भरी छाती देख कर मेरी आँखों में चमक आ गयी और मैंने उसे अपने ऊपर गिरा लिया और उसकी छाती को चूमने लगी. वो मेरे होठो को अपने होठो में दबा कर चूम रहा था.

मुझे बहुत मज़ा आने लगा था. फिर उसने एकदम से मेरी जीन्स नीचे खीच दी और उसके साथ – साथ मेरी पेंटी भी नीचे खिसक गयी. मेरी झांटो से भरी चूत उसकी सामने थी. उसने भी अपने को पूरा नंगा कर लिया और जैसे ही उसने अपना लंड अपनी अंडरवियर से बाहर निकाला, मेरी तो हवा ही टाइट हो गयी और मैंने अपनी गांड के छेद से पाद दिया. ८ इंच का बड़ा मोटा लंड मेरी आखो के सामने झूल रहा था. मुझे पता लग गया था, कि ये विक्की की पहली चुदाई नहीं है. विक्की ने अपने एक पेर को मुझे बैठा कर बेच पर रखा और मेरे होठो पर अपने लंड को रगड़ने लगा. एकदम से मुझे स्मेल आई और मैंने उसको हटा दिया. विक्की हसने लगा और बोला – जानेमन, पता होता कि ये सब हो जाएगा. तो मैं नहाकर ही आता. हम दोनों हस पड़े. मैंने उसको बोला – विक्की, बाकी सब बाद में कर लेना.. अभी हम ७ दिन साथ में है. लेकिन, अभी मेरी चूत में आग लगी है.. उसको बुझा दो….!

चूत लिखी थी किस्मत में-1

Choot Likhi Thi Kismat mein-1

हैलो दोस्तो, कैसे है आप सब!
भूले तो नहीं ना आप? मैं राज शर्मा आपका अपना… बहुत दिन के बाद आप सबसे रूबरू होने का मौका मिला है।

दरअसल मैं कुछ समय के लिए बाहर चला गया था और आप सब तो समझते ही हैं आजकल के दौर में सब के पास सिर्फ एक चीज़ की कमी है और वो है समय। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था। मैंने आप सब को बहुत मिस किया। पर इस दूरी के दौरान आप सब को बताने लायक एक नई कहानी भी बन गई।
हुआ कुछ यूँ कि….

वो शाम मुझे आज भी याद है जब मैं अपने बिज़नस के सिलसिले में भोपाल के लिए निकला।

मैं पहली बार भोपाल जा रहा था, मुझे उस शहर के बारे में कुछ भी पता नहीं था। सोचा कि जाकर कोई होटल देख कर रुक जाऊँगा।
ट्रेन में बैठे बैठे ही मुझे याद आया कि अन्तर्वासना पर मेरी कहानियाँ पढ़कर मेरा एक दोस्त बना था जो भोपाल से ही था, समीर नाम था उसका।
वो मुझे बहुत बार भोपाल आने का न्योता दे चुका था पर मैं इसे मात्र फोर्मलिटी समझ कर नजरंदाज कर रहा था।
याद आते ही सोचा कि क्यों ना उससे किसी होटल या रहने की अच्छी जगह के बारे में बात की जाए।

यह मेरी किस्मत ही थी कि वो मुझे ऑनलाइन मिल गया। जब मैंने उसे अपने भोपाल आने के बारे में बताया तो उसने ट्रेन के बारे में पूछा और बोला कि वो मुझे स्टेशन लेने आ जाएगा। आने के बाद देखा जाएगा कि कहाँ ठहरना है।

मैं उससे कभी मिला नहीं था पर उसने अपनी फोटो एक दो बार मुझे मेल की थी।

लगभग रात के ग्यारह बजे ट्रेन भोपाल जंक्शन पहुँच गई, स्टेशन पर अपने कोच से उतरते समीर सामने ही खड़ा था, मैं उसे देखते ही पहचान गया।
पर क्यूंकि उसने मुझे कभी नहीं देखा था तो वो भीड़ में मुझे खोज रहा था।
मैंने उसके पास जाकर पूछा कि क्या वो समीर है, तो वो एकदम से चौंक गया।
मुझे सामने देख कर वो कुछ ज्यादा ही उत्साहित सा हो गया था, वो अठारह बीस की उम्र का एक जवान लड़का था।

हम बातें करते करते स्टेशन से बाहर आ गए। समीर मुझे लेकर एक दो होटल में गया पर मनपसंद कमरा नहीं मिला। ऐसे ही घूमते घूमते हम एक ढाबे पर गए और खाना खाया।
पर खाना खाने के चक्कर में बहुत देर हो गई, रात का एक बज चुका था।
खाना खाकर एक दो होटल और देखे पर समीर कुछ ना कुछ कमी निकाल कर कोई दूसरा होटल देखने की बात कह कर मुझे बाहर ले आता।

मैं थक चुका था, मैंने समीर से कहा- मैं थक गया हूँ, जल्दी से कोई होटल ले लो यार।

समीर ने मुझे अपनी बाइक पर बैठाया और बोला- छोड़ो होटल, मेरे घर ही चलते हैं।

मैंने बहुत मना किया पर वो माना ही नहीं और मुझे लेकर अपने घर की तरफ चल दिया।
दस मिनट के बाद हम दोनों उसके घर के सामने थे। एक अनजान के घर रुकने का मेरा बिल्कुल भी मन नहीं था पर रात का डेढ़ बज चुका था तो और कोई चारा भी नहीं था।

घर पहुँच कर उनसे बेल बजाई तो उसकी मम्मी जो करीब चालीस-बयालीस की होगी, ने दरवाजा खोला।
बेशक वो चालीस बयालीस की होगी पर उसकी शारीरिक बनावट देख कर कोई कह ही नहीं सकता था कि वो एक अठारह बीस साल के लड़के की माँ होगी।
उस समय वो नाईट सूट पहने थी, शायद उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी तो नाईट सूट में से उसकी चूचियों के निप्पल स्पष्ट नजर आ रहे थे।
मैं चुदाई का शौक़ीन और औरतों का दीवाना कब तक अपनी दिल को समझाता, मेरी नजर बार बार समीर की मम्मी के बदन को अन्दर तक खंगाल रही थी।

यहाँ मैं थोड़ा आपको समीर के बार में बता दूँ। समीर अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ने का शौक़ीन है, उसको सबसे ज्यादा रिश्तों में चुदाई की कहानियाँ ही पसंद आती थी। वो जब भी मुझ से चैटिंग करता था, अक्सर रिश्तों में चुदाई के बारे में ही बातें किया करता था।
मुझे अब समझ में आ रहा था कि जिसकी इतनी सेक्सी माँ हो, वो रिश्तों में चुदाई की बात करेगा ना!

वो अक्सर अपने चाचा की लड़की, मामा की लड़की, बुआ की चुदाई के सपने देखा करता था। एक दो बार तो उसने अपनी सगी बहन की चुदाई की भी इच्छा जताई थी और मुझसे मदद करने के लिए कहा था।
पर तब मैं इसे जवानी की नादानी समझ कर नजरंदाज़ कर देता था, सोचता था की वो सिर्फ मजे के लिए ऐसी बातें करता है।

खैर समीर ने अपनी मम्मी से मेरा परिचय करवाया। उसने मुझे कॉलेज के अपने एक दोस्त के अंकल के तौर पर मिलवाया, बोला कि होस्टल में नहीं रुक सकते थे तो इसलिए वो मुझे घर ले आया।

उसकी मम्मी ने भी ज्यादा पूछताछ नहीं की और चाय बनाने रसोई में चली गई। इतनी रात को किसी अनजान के घर आना और उन्हें तंग करना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था पर क्या कर सकता था… मजबूरी थी।

समीर उठ कर बाथरूम में चला गया, मैं अकेला बैठा समीर के घर को देख ही रहा था कि समीर की मम्मी मेरे बिल्कुल सामने आकर खड़ी हो गई और झुक कर मुझे चाय देने लगी।
आपका दोस्त राज तो है ही चूत का रसिया… तो मेरी निगाह सीधे नाईट सूट के खुले गले में से अन्दर झाँकने लगी।
नाईट सूट के अन्दर दो गोल गोल बड़े बड़े नारियल के आकर की गोरी गोरी चूचियाँ लटक रही थी, देखते ही मेरे लंड ने खड़े होकर उनको सलाम किया।
चूचियों को देखने के चक्कर में मैं चाय पकड़ना ही भूल गया।

जब समीर की मम्मी ने दो बार मुझे चाय लेने के लिए कहा तो मैं जैसे नींद से जागा और मैंने चाय पकड़ ली। चाय पकड़ते हुए मेरी उँगलियाँ समीर की मम्मी जिसका नाम रोशनी था कि उँगलियों से टकरा गई। उँगलियाँ टकराते ही रोशनी के शरीर में कंपकपी सी हुई। मैंने उसकी आँखों में देखते हुए उसको चाय के लिए धन्यवाद कहा तो उसके होंठों पर एक नशीली सी मुस्कान मैंने महसूस की।
तभी समीर कमरे में आ गया और रोशनी रसोई में चली गई।

मैंने समीर से उसके परिवार के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसके पापा पिछले चार साल से दुबई में हैं, अब घर में वो उसकी मम्मी और उसकी एक बड़ी बहन है जिसकी उम्र बाईस साल है।
बाईस साल की जवान बहन का सुनकर लंड ने फिर से करवट ली।
पर तभी दिल के अन्दर से आवाज आई कि जिसे दोस्त कहते हो उसके घर की औरतों के बारे में ऐसा सोचते हो?

फिर मुझे समीर से चैटिंग में हुई बातें भी याद आई कि वो तो खुद अपनी जवान बहन को चोदने के लिए मुझसे सलाह मांग रहा था तो जब वो अपनी बहन के बारे में ऐसा सोच सकता है तो मेरी तो वो कुछ लगती भी नहीं है।

मैंने समीर से उसकी बहन के बारे में पूछा तो वो बोला कि वो सो गई है, सुबह वो मेरी उससे मुलाक़ात करवाएगा।

मैंने उससे सोने की जगह के बारे में पूछा तो समीर बोला- सारा घर तुम्हारा ही है, जहाँ दिल करे सो जाओ।

मेरे मन से आवाज आई की अगर कहीं भी सोने की बात है तो मेरा बिस्तर तो रोशनी के कमरे में लगवा दो… पर कह नहीं सकता था ना।
तभी रोशनी कमरे में आई और बोली- आइये, मैं आपको आपके सोने की जगह बता दूँ।

मेरे मन में लड्डू फूटा कि कहीं मेरे मन की बात उसने सुन तो नहीं ली। मैं खड़ा हुआ और रोशनी के पीछे पीछे हो लिया। समीर भी मेरे साथ ही था।
यह बाहर की तरफ का एक कमरा था जिसमें एक डबल बेड बिछा हुआ था।
समीर बोला- अगर आपको परेशानी ना हो तो मैं भी आपके साथ सो जाता हूँ, आपसे बाते भी हो जायेंगी।
अब मैं उसे कैसे मना करता आखिर घर उसका था।

समीर और मैं दोनों बेड पर लेट कर बाते करने लगे। मैंने जानबूझ कर उससे रिश्तों में चुदाई के बारे में बात करनी शुरू कर दी तो वो उतेजित होने लगा और बातों बातों में ही बोल पड़ा कि उसकी बहुत तमन्ना है कि वो अपनी बहन को चोदे।

मैंने अभी उसकी बहन को नहीं देखा था, हाँ उसकी माँ को देखा था तो मेरा मन उससे उसकी माँ के बारे में बात करने का था।
मैंने उसे जानबूझ कर कुरेदते हुए पूछा- तुम्हारे पापा भी तो चार साल से बाहर गए हुए हैं तो चुदाई की जरूरत तो तुम्हारी मम्मी को भी होगी। आखिर दिल तो उसका भी करता होगा ना?

समीर ने चौंक कर मेरी तरफ देखा और फिर सर हिला कर मेरी बात का समर्थन कर दिया।
मैंने समीर से पूछा कि उसको नहीं लगता कि उसकी मम्मी भी लंड लेने के लिए तरस रही होगी?
तो समीर थोड़ा झिझकते हुए बोला- राज भैया, वो मेरी माँ है, मैं चाह कर भी उसके बारे में ऐसा सोच नहीं पाता हूँ। एक दो बार मम्मी को नंगी देखा है कपड़े बदलते हुए पर कभी उनको सेक्स की नजर से नहीं देखा है। पर बहन श्रुति को चोदने के लिए लंड हर समय खड़ा रहता है। कुछ तरीका बताओ श्रुति को चोदने का।

मैंने समीर को बताया कि मैं भोपाल तीन दिन के लिए आया हूँ और पूरी कोशिश करूँगा कि श्रुति समीर से चुदवा ले, पर बदले में समीर को भी मेरी मदद करनी होगी रोशनी की चूत दिलवाने में।

मुझे पहले तो लगा था की समीर अपनी माँ की चुदाई की बात सुनकर कहीं भड़क ना जाए पर श्रुति की चूत की आस में वो समझ ही नहीं पाया कि मैं क्या चाहता हूँ।

लगभग चार बजे तक वो मुझ से बातें करता रहा और फिर सो गया पर मेरी नींद तो मेरी नीयत की तरह ख़राब हो गई थी, मेरे दिमाग में तो रोशनी और श्रुति की चूत के सपने घूमने लगे थे।
कहानी जारी रहेगी।
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