जानिये - कैसे मनानी चाहिए आपको अपनी पहली सुहागरात kaise manaye aap apni pehali suhagrat

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अकसर लोग ऐसे सोचते है की वो पलंग पर बहुत मजे कर सकते है लेकिन जब बात आती है उनकी खुद की सुहाग रात मनाने  की  उनके पसीने छुट जाते है ....तो दोस्तों आज मै आपको बताऊंगा की मैंने अपनी पहली सुहाग रात कैसे मनाई थी ...यह कहानी भी हमारे बाकी कहानी की तरह ही सौ प्रतिशत सच्ची है। सम्भोग के लिए कई आसन हैं पर पहली बार के लिए एक ऐसा आसन होना चाहिए जो दोनों के लिए सरल हो, जिसमें मर्द का नियंत्रण रहे और जिसमें गहराई तक लिंग प्रवेश मुमकिन हो। इसके लिए लड़की पीठ के बल नीचे लेटी हो और मर्द उसके ऊपर हो (missionary position) उचित है। इसीलिए मैंने अपने पात्रों को इस अवस्था में छोड़ा है।

अब बहुत ही अहम समय आ गया है जब लड़का अपना लिंग लड़की की योनि में डालने की कोशिश करेगा। लड़के को उठ कर लड़की की टांगों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ जाना चाहिए और लड़की के नीचे रखे तकिये के सहारे उसके नितंबों को पर्याप्त ऊँचाई देनी चाहिए। अगर तकिया पतला है तो दो तकिये ले सकते हैं। अब लड़की की टाँगें पूरी तरह खोल कर चौड़ी कर देनी चाहिए और लड़के को घुटनों के बल आगे-पीछे खिसक कर अपने आप को सही जगह ले आना चाहिए जिससे उसका लिंग योनि में आसानी से प्रवेश कर सके। ज़रूरत हो तो लड़की की टाँगें उठा कर मर्द के कन्धों पर भी रखी जा सकती हैं। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। इससे लिंग काफी गहराई तक अंदर जा सकता है। अब अपनी उंगली से मर्द को योनि का मुआयना करते हुए उसके छेद का पता लगा लेना चाहिए। फिर आगे झुक कर अपना सुपाड़ा उंगली की जगह रख कर टिका देना चाहिए। यह सुनिश्चित कर लें कि योनि भीगी हुई है वरना अपने थूक से या तेल से लिंग को गीला कर लें। अब सब तैयार है।

इस समय लड़की का संकुचित होना स्वाभाविक है। वह आकांक्षा और आशंका से जूझ रही होती है। पुरुष को चाहिए कि वह उसे दिलासा दे, उसका साहस बढ़ाये तथा उसे आश्वस्त करे कि वह उससे प्यार करता है और उसे तकलीफ नहीं पहुँचाएगा। इसके लिए कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है .... सिर्फ प्यार से उसके सिर और बदन पर हाथ फेरना काफी होगा।  अब पुरुष के प्रहार करने की घड़ी आ गई है। उसे आगे झुक कर लड़की के कन्धों को विश्वासपूर्वक पकड़ लेना चाहिए जिससे वह ज्यादा हिल-डुल ना सके। फिर अपने सुपारे पर शरीर द्वारा इस तरह दबाव बनाना शुरू जिससे सुपारा योनि में घुसने लगे।

अब लड़की की प्रतिक्रिया पर ध्यान देना चाहिए। उसके लिए यह एक नया अनुभव है और उसके मन का डर उसे रुकने के लिए उकसाएगा। थोड़ी बहुत आपत्ति को तो नज़रंदाज़ कर सकते हैं पर अगर लड़की को ज्यादा तकलीफ हो रही हो तो पुरुष को रुक जाना चाहिए। कुछ देर अंदर की ओर दबाव बनाये रखने के बाद ढील देनी चाहिए और फिर से उतना ही दबाव बनाना चाहिए। लड़की को धीरे-धीरे सुपारे को योनि-द्वार में महसूस करने और उसके आकार को भांपने का मौक़ा देना चाहिए जिससे वह शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आप को ढाल सके। आखिर वह भी सम्भोग के लिए उतनी ही लालायित है अपितु आशंकित भी है।

दो-तीन बार इस तरह दबाव डालने से योनि-द्वार थोड़ा खुल सा जाएगा और सुपाड़ा उसमें फंसने लगेगा। अब और अधिक प्रवेश तब ही हो पाएगा जब लिंग योनि की कौमार्य-झिल्ली को भेदे। इसके लिए पुरुष को अपना लिंग इतना बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे कि सुपाड़ा योनि-द्वार का रास्ता ना खो जाये। फिर स्त्री के शरीर को कसकर पकड़ कर और उसे बिना किसी चेतावनी दिए एक ज़ोरदार धक्का अंदर की ओर लगाना चाहिए।

इससे लड़की को दर्द तो ज़रूर होगा पर और उसकी झिल्ली का पतन आसानी से हो जायेगा। लिंग को एक झटके में अंदर डालने से दर्द भी क्षणिक ही होगा। झिल्ली-भेदन से कुछ खून भी निकल सकता है जो कि किन्हीं कारणों से मर्दों को बहुत अच्छा लगता है। पर इस रक्त-प्रवाह से घबराने की बात नहीं है। यह झिल्ली के फटने से हुआ प्रवाह है जो थोड़ी देर में अपने आप रुक जायेगा। अगर यह खून ना निकले तो ज़रूरी नहीं कि लड़की कुंवारी नहीं है। लड़कियों की झिल्ली सिर्फ सम्भोग से ही नहीं कई और कारणों से भी फट सकती है जैसे घुड़-सवारी, साइकिल चलाना, योगाभ्यास, जिमनास्टिक्स या कोई दुर्घटना। इसलिए मर्द को लड़की के चरित्र पर सोच-समझ कर शक करना चाहिए।

कौमार्य-झिल्ली योनि-द्वार से करीब एक इंच की गहराई में होती है अतः इसे भेदने के लिए पूरा लिंग अंदर डालने की ज़रूरत नहीं है। वैसे भी एक कुंवारी योनि में एक विकसित लिंग को एक ही झटके में पूरा अंदर डालना नामुमकिन सा है। यह तो तभी संभव है जब कोई खूंखार मर्द किसी अबला लड़की का बेरहमी से बलात्कार करे।
इस अचानक किये प्रहार के बाद पुरुष को लड़की को प्यार से आलिंगन-बद्ध कर लेना चाहिए और उसे देर तक पुचकारना चाहिए। इस पूरे समय उसे अपना लिंग बाहर नहीं निकालना चाहिए जिससे योनि को उसे ग्रहण करने का और अपने आकार को समायोजित करने का समय मिले। जब लगे कि लड़की अब संभल गई है तो लड़के को धीरे-धीरे दो-तीन बार लिंग को अंदर-बाहर करना चाहिए। इस समय लिंग को उतना ही अंदर ले जाएँ जितना पहले झटके में गया था।

जब योनि इस घर्षण को स्वीकार करने लगे तो धीरे-धीरे लिंग को निरंतर बढ़ती हुई गहराई से अंदर डालना शुरू करना चाहिए। यह पुरुष के लिए एक बहुत ही आनन्ददायक अहसास होता है जब उसका सुपारा योनि की अंदर से चिपकी हुई दीवारों को हर प्रहार के साथ थोड़ा-थोड़ा खोलता जाता है, मानो एक नया रास्ता बना रहा हो। मेरा आशय है कि लड़की को भी उसकी इस निरंतर अंदर से खुलती हुई योनि का आभास सुखदायक होता होगा और उसको अब पहली बार चिंता-मुक्त आनन्द की अनुभूति होती होगी। जब ऐसा होगा तो लड़की के माथे से शिकन मिट जायेगी, उसका कसा हुआ शरीर थोड़ा शिथिल हो जायेगा और वह मैथुन से मानसिक विरोध बंद कर देगी।

फिर हौले-हौले उसका साहस बढ़ेगा और हो सकता है वह सम्भोग में सहयोग भी करने लगे। वह कितनी जल्दी सहयोग करने लगती है यह पुरुष के यौन-सामर्थ्य, उसके आचरण और अपने साथी के प्रति उसकी चिंता पर निर्भर है। पुरुष जितना लड़की का ध्यान रखेगा, लड़की उससे भी ज्यादा उसका सहयोग करेगी और उसे खुश रखने का भरपूर प्रयास करेगी। यह बात यौन में ही नहीं, जीवन के हर पहलू में लागू हैं।

अब वह स्थिति आ गई है जब पुरुष चाहे तो अपना पूरा लिंग अंदर-बाहर करना शुरू कर सकता है। और उसे यह करना भी चाहिए क्योंकि तब ही उसे मैथुन का पूरा मज़ा आएगा। अगर लिंग को जड़ तक अंदर बार-बार नहीं पेला तो क्या सम्भोग किया !! जहाँ तक लड़कियों का सवाल है, उनकी योनि कि तंत्रिकाएँ योनि-द्वार से करीब दो इंच अंदर तक ही होती हैं। उसके बाद योनि में कोई अहसास का माध्यम नहीं होता। इसीलिए लड़की को यौन सुख देने के लिए ढाई इंच का लिंग भी काफी है। बड़ा लिंग होना तो मर्दों की सनक है जिसे वे मर्दानगी का द्योतक मान बैठे हैं वरना औरतों को तो मर्दानगी उनके आचरण और व्यवहार में दिखती है .... उनकी शिष्टता, शौर्य और खुद्दारी में दिखती है, ना कि उनके लिंग की लम्बाई में।

अकसर मर्द किसी कुंवारी लड़की को भेदने के बाद ज्यादा देर तक मैथुन नहीं कर पाता क्योंकि उसकी उत्तेजना एक नई योनि के आभास से शीघ्र ही चरम सीमा तक पहुँच जाती है और वह जल्द ही वीर्य-पतन कर देता है। ऐसी हालत में पुरुष को चाहिए कि जितनी देर तक हो सके मैथुन का आनन्द उठाता रहे। जब-जब उसे वीर्योत्पात होने का अहसास हो उसे लिंग अंदर ही रख कर रुक जाना चाहिए और अपने दिमाग को यौन से हट कर किसी और विषय पर ले जाने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ देर में जब उफान बैठने लगे तो धीरे-धीरे फिर से धक्कम-पेल शुरू करनी चाहिए। पर ज्वार-भाटे को देर तक नहीं टाल सकते। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। जब पुरुष को यह स्पष्ट हो जाये कि अब और नहीं रुका जा सकता तो उसे वेग से तीन-चार छोटे धक्के लगा कर लिंग को पूरा बाहर निकाल कर एक आखिरी ज़ोरदार प्रहार लगाना चाहिए जिससे लिंग जड़ तक अंदर ठुंस जाये और उसके वीर्य के फ़व्वारे लड़की के गर्भ की गहराई में जाकर छूटें।

लड़कियों को मर्दों के वीर्य-पतन का अहसास अच्छा लगता है मानो मर्द की सारी शक्ति उनमें आ गई हो। मर्द के शिथिल लिंग से भी कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है।
चरमावस्था में पुरुष को लड़की के साथ लिपट जाना चाहिए और लड़की को भी अपने मर्द को जकड़ लेना चाहिए। जब लिंग के फ़व्वारे बंद हो जाएँ तो लिंग को अंदर ही रखते हुए लड़की के प्रति, उसका सर्वोत्तम उपहार पाने के लिए, आभार प्रकट करना चाहिए। उसे जगह-जगह प्यार करके और कुछ देर अपनी बांहों में जकड़ कर यह किया जा सकता है। अब लिंग बाहर निकालने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि कुछ देर में वह शिथिल होकर खुद ही बाहर आ जायेगा और योनि भी सिकुड़ते वक्त उसे बाहर निकाल देगी।

लड़की का चरमोत्कर्ष सामान्य मैथुन से पुरुष की तृप्ति तो हो जाती है पर अधिकांश महिलाऐं चरमोत्कर्ष को प्राप्त नहीं कर पातीं क्योंकि पुरुष जल्दी ही परमोत्कर्ष तक पहुँच जाता है और शिथिल लिंग से वह स्त्री को उत्कर्ष तक नहीं ले जा पाता। बहुत कम ऐसे पुरुष होते हैं जो मैथुन के द्वारा स्त्री को अपने से पहले पराकाष्ठा तक ले जा पाते हैं। सम्भोग (सम + भोग) का मतलब है समान भोग, यानि स्त्री और पुरुष को बराबर का आनन्द मिलना चाहिए। ऐसे में स्त्री को चरम आनन्द से वंचित रखना सम्भोग नहीं कहा जा सकता। असल पुरुष वही है जो अपनी तृप्ति के साथ-साथ लड़की की कामुक तृप्ति के बारे में भी सोचे। अगर वह उसे लिंग-योनि घर्षण से तृप्त नहीं कर पाया तो और तरीक़ों से कर सकता है।

सबसे आसान तरीका है लिंग की जगह अपनी उंगली से उसकी योनि की चुदाई करे और उसके योनि-मुकुट (भग-शिश्न, clitoris) के इर्द-गिर्द ऊँगली चलाए। ध्यान रहे कि मुकुट पर सीधा दबाव ना डाला जाये क्योंकि वह एक अत्यंत ही मार्मिक अंग होता है। अगर एक उंगली कम पड़े तो दो उंगलियाँ या फिर तीन उंगलियाँ भी इस्तेमाल की जा सकती हैं।योनि के करीब दो-ढाई इंच अंदर और पेट की तरफ का हिस्सा अत्यधिक संवेदनशील होता है। इसे G-Spot कहते हैं। यह छूने में थोड़ा खुरदुरा होता है। उंगलियों से चोदते वक्त इस इलाके को टटोलने का प्रयास करना चाहिए जिससे लड़की को ना केवल जल्दी उत्कर्ष प्राप्त हो बल्कि उसका उत्कर्ष परम आनन्ददायक और विस्फोटक हो।

जब लड़की यौन पराकाष्ठा को प्राप्त हो जाये तो समझो सम्भोग पूरा हुआ। वह ज़रूर पुरुष की आभारी होगी।
सम्भोग उपरान्त सम्भोग के बाद पुरुष का आचरण बहुत ज़रूरी है। कुछ लोग उठ कर चले जाते हैं या पलट कर सो जाते हैं। यह गलत बात है। सम्भोग हमारे जीवन की सबसे सुखदाई क्रिया होती है। इस क्रिया में साथ देने वाली लड़की को सम्भोग के तुरंत बाद छोड़ देना ठीक नहीं है। पुरुषार्थ इसमें है कि सहवास के बाद कुछ समय लड़की के साथ बिताया जाये। ऐसे मौकों पर ज्यादा बातचीत नहीं हो पाती। इसलिए एक दूसरे को प्यार से सहलाना या लड़की पर एक हाथ और एक टांग रख कर एक-करवट कुछ देर लेटना अच्छा होगा।

जवानी में एक समय में एक सम्भोग से भूख नहीं मिटती। अधिकतर मर्द कम से कम दो बार चुदाई करना चाहते हैं और कुछ तो तीसरी बार का भी मौक़ा ढूंढते हैं। हालाँकि लड़कियों में सहवास की क्षमता मर्दों के बनिस्पत कई गुना होती है, ज़्यादातर लड़कियाँ एक बार के मैथुन से तृप्त हो जाती हैं बशर्ते कि उन्हें भी चरमोत्कर्ष की प्राप्ति हुई हो।

अगर दोनों राज़ी हों और पुरुष में सामर्थ्य हो तो करीब आधे घंटे के बाद दोबारा मैथुन का प्रयास करना चाहिए। इसमें एक ही बाधा आ सकती है। वह है लिंग का खड़ा ना होना। उसे दोबारा खड़ा करने में लड़की बहुत अहम भूमिका निभा सकती है। वह चाहे तो एक औसत पुरुष का लिंग अवश्य खड़ा होगा। यह वह कैसे कर सकती है उसके लिए मेरी “लिंग चूसने की विधि” पढ़िए। दूसरी बार किया हुआ सम्भोग पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा समय के लिए होगा क्योंकि अब पुरुष को उत्कर्ष तक पहुँचने में देर लगेगी। यह पुरुष के लिए अच्छी बात है क्योंकि वह ज्यादा देर तक मज़े लूट सकेगा और उसे अपनी मर्दानगी पर भी गर्व होगा।

लड़कियों के लिए भी कुछ हद तक यह मजेदार बात रहती है क्योंकि उन्हें भी लिंग के घर्षण से उत्कर्ष तक पहुँचने का मौक़ा मिलता है। पर अगर मैथुन बहुत देर तक चले और वीर्योत्पात ना हो यह तकलीफ दायक हो जाता है। मर्द को तो चुदाई में आनन्द आता रहता है पर स्त्री की योनि में तकलीफ हो सकती है। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। पुरुष को इस बात का ध्यान रखना चाहिए और बीच-बीच में कुछ देर के लिए घर्षण रोक देना चाहिए या फिर आसन बदलते रहना चाहिए।

स्त्री को चाहिए कि अगर वह थक गई है और उसके मर्द की तृप्ति नहीं हुई है तो वह उसे अपने मुँह से तृप्त करने का विकल्प दे। बिरला ही कोई पुरुष इसके लिए मना करेगा। इसी प्रकार अगर पुरुष की तृप्ति हो गई है और स्त्री की नहीं, तो पुरुष भी उसकी योनि को मुँह से तृप्त कर सकता है। स्त्री और पुरुष, दोनों ही मौखिक-मैथुन से जल्दी उत्कर्ष को पा लेते हैं अतः हर स्त्री-पुरुष को ना केवल यह कला आनी चाहिए, उन्हें इसका भरपूर प्रयोग करके एक दूसरे को तृप्त रखना चाहिए।

इस लेख में मैंने एक कुंवारी लड़की के साथ पहले-पहले मैथुन की विधि बताई है। मैथुन एक बहुत ही विषम और निजी विषय है। इसमें बताई हर बात हर किसी के लिए उपयुक्त ना हो क्योंकि हम में काफी समानताओं के साथ-साथ कई भेद भी हैं। फिर भी, एक औसत पुरुष और स्त्री को यह क्रिया कैसे करनी चाहिए और वे क्या-क्या अपेक्षा रख सकते हैं, यह बताने का मेरा प्रयास रहा है। आशा है यह उपयोगी साबित होगा।

स्कूल में मिली सजा लेकिन घर पर आंटी ने दिया मजा School me sajaa ghar pe aunty ne diya majaa

स्कूल में मिली सजा लेकिन घर पर आंटी ने दिया मजा, School me sajaa ghar pe aunty ne diya majaa, आंटी की चुदाई, पड़ोस वाली आंटी को चोदा, बड़ी उम्र की आंटी की गांड मारी, लंड चुसाया और चूचियां दबाई, मेरा लण्ड भी अकड़ कर दुखने लगा, ढेर सारा माल चाची की चूत में भर दिया.

उस दिन मैं घर से तैयार होकर स्कूल के लिए निकला तो दिन ही खराब था। घर से निकलते ही मेरी साइकिल की टक्कर पड़ोस की एक सबसे ज्यादा लड़ाकू औरत से हो गई। चंपा नाम था उसका। उम्र यही को चालीस के आस पास होगी। उसकी कोई औलाद नहीं थी। बस शायद इसी लिए वो पूरे मोहल्ले में सब से लड़ती रहती थी। छोटी छोटी बात पर वो झगड़ पड़ती थी और फिर मैंने तो उसको अपनी साइकिल  से टक्कर मार दी थी तो आप समझ सकते है की मेरी क्या हालत हुई होगी इसके बाद। उसने गुस्से में मुझे दो तीन थप्पड़ जड़ दिए। गलती मेरी थी सो मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप स्कूल के लिए निकल गया। उस टक्कर के चक्कर में मैं स्कूल में लेट हो गया। जाते ही स्कूल की मैडम ने क्लासरूम के बाहर खड़ा कर दिया। मुझे उस चंपा पर बहुत गुस्सा आ रहा था।

कहते हैं ना गुस्सा इंसान के दिमाग को कुछ सोचने लायक नहीं छोड़ता। वही कुछ मेरे साथ हुआ। क्लास रूम से बाहर खड़े खड़े जब बहुत वक्त बीत गया तो मैंने मैडम से क्लास में आने के लिए पूछा तो उसने मुझे डाँट दिया। मैंने भी गुस्से में मैडम को कुछ ऐसा बोल दिया जो मुझे नहीं बोलना चाहिए था। बस फिर क्या था मेरी तो जैसे शामत आ गई। पहले तो मैडम ने खुद पीटा और फिर मुझे प्रिंसीपल के कमरे में ले गई और फिर प्रिंसीपल ने भी तसल्ली से मेरी मरम्मत की। इतनी मार मुझे कभी भी नहीं पड़ी थी। उसके बाद मुझे यह कह कर स्कूल से निकाल दिया कि कल अपने घर से किसी को साथ लाना तभी कक्षा में बैठ सकते हो नहीं तो नाम काट देंगे।

मेरी तो हवा सरक गई। क्यूंकि घर क्या बताता कि मैंने मैडम को क्या कहा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर घर से भी पिटाई पक्की थी। एक बार तो मन में आया कि उस चंपा का सर फोड़ दूँ जिसने मेरा सारा दिन खराब कर दिया। बस यही सब सोचते सोचते मैं घर की तरफ चल दिया। सारा बदन और गाल दर्द कर रहे थे। मैं सीधा घर ना जाकर अपने पड़ोस की एक आंटी जिसे मैं चाची कहता था के पास चला गया। वो बहुत ही अच्छी थी और मुझे बहुत प्यार भी करती थी।

“आज स्कूल से इतनी जल्दी कैसे आ गया राज?” चाची ने घर में घुसते ही सवाल दाग दिया।
मैं सकपका गया और सोचने लगा कि क्या जवाब दूँ। पर जब चाची ने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरते हुए पूछा तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और सारी बात चाची को बता दी। चाची ने भी चंपा को दो तीन गालियाँ दी और फिर मेरे बदन को देखने लगी जहाँ जहाँ मार पड़ी थी।

चाची ने जब मेरी कमीज ऊपर कर के मेरी कमर को देखा तो कमर पर पड़े नील देख कर वो सहम सी गई और प्यार से मेरी कमर पर हाथ फेरने लगी। उस समय वो और मैं बेड पर बैठे थे। वो बिल्कुल मेरे पास बैठी थी। जब वो मेरी कमर पर हाथ फेर रही थी तो ना जाने कब और कैसे मेरा हाथ उसकी रानों पर चला गया।

अचानक से मुझे थोड़ा ज्यादा दर्द हुआ तो मैंने चाची की जांघों को कस कर पकड़ लिया। चाची को भी एकदम से दर्द हुआ तो मुझे भी एहसास हुआ कि मेरा हाथ कहाँ है। मैंने जल्दी से अपना हाथ वहाँ से हटाया पर तब तक चाची की कोमल जांघों का एहसास दिल में बस चुका था। अचानक बिना किसी इरादे के हुए इस हादसे ने चाची के लिए मेरी नजर ही बदल कर रख दी।

चाची उठ कर अंदर से आयोडेक्स लेकर आई और मेरी कमर पर लगाने लगी। पर अब मेरी नजर चाची की जांघों और फिर धीरे धीरे उठते हुए चाची की चूचियों पर ठहर गई। सच में क्या बड़ी बड़ी चूचियाँ थी चाची की। दवाई लगाते हुए चाची की साड़ी का पल्लू थोड़ा नीचे ढलक गया था तो ब्लाउज में कसी चूचियाँ देख कर मेरे तन बदन में ज्वालामुखी से फटने लगे थे। लण्ड था कि अकड़ कर दुखने लगा था अब।

चाची का प्यार देख कर मेरे दिल में अलग सा सितार बजने लगा था। अब तो मुझे भी चाची पर बहुत प्यार आ रहा था। पर पहली बार था तो डर रहा था। और वैसे भी आज का मेरा दिन ही खराब था सोचा कि कहीं प्यार के चक्कर में चाची से भी मार ना पड़ जाए।

दवाई लगा कर चाची ने मुझे दूध गर्म करके पीने को दिया। चाची और मैं फिर से बातें करने लगे। चंपा की बात आई तो मेरे मुँह से निकल गया कि दिल करता है साली को पकड़ कर चोद दूँ।

कहने के बाद मुझे एहसास हुआ कि आखिर मैंने क्या कह दिया है। चाची अवाक् सी मेरे मुँह की तरफ देख रही थी। चाची ko ऐसे देखते देख मैं सकपका गया।

तभी चाची बोली- वाह राज बेटा... लगता है तू जवान हो गया है तभी तो पहले स्कूल की मास्टरनी को और अब चंपा को... बहुत गर्मी चढ़ गई है क्या?

“वो....” मैं कुछ भी कहने की हालत में नहीं था।

“होता है राज... तुम्हारी उम्र में ऐसा ही होता है... जवानी नई नई जो आई होती है तो तंग करने लगती है...तुम्हारा कोई कसूर नहीं है... पर थोड़ा अपने उपर कण्ट्रोल रखो” चाची ने मुझे समझते हुए कहा।
मैं चुपचाप बैठा चाची की बात सुनता रहा। तभी चाची ने जो पूछा तो मेरे अंडरवियर में फिर से हलचल होने लगी।

चाची बोली- राज... सच में चंपा को चोदने का दिल कर रहा है तुम्हारा?
मैं क्या जवाब दूँ, समझ में नहीं आ रहा था। पर ना जाने कैसे मेरे मुँह से निकल गया कि आज साली ने सारा दिन खराब करवा दिया, आज तो सच में कुछ कर दूँगा अगर सामने आ गई तो।
“तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?”
“नहीं चाची.. अभी तो नहीं है।”
“क्या बात? कोई मिली नहीं क्या अभी तक?”
“क्या चाची तुम भी ना...” मैंने शरमाते हुए कहा।
“अरे बता ना... मुझ से क्या शरमा रहा है।”
“तुम हो ना मेरी गर्लफ्रेंड...” मैंने हँसते हुए चाची को मजाक में कहा।
“रहने दे झूठ मत बोल...”
“सच में चाची...तू ही तो है मेरी गर्लफ्रेंड... नहीं तो आज तेरे पास आने के बजाय किसी और के पास बैठ कर अपना दर्द नहीं बाँट रहा होता क्या?”
“धत्त...पागल... मैं तो तेरी आंटी हूँ... मैं तेरी गर्लफ्रेंड कैसे बन सकती हूँ?”
“सच चाची तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो... यहाँ तक कि रात को सपने भी तुम्हारे ही देखता हूँ मैं !” मैंने प्यार की चासनी में थोड़ा सा झूठ का तड़का लगा दिया।

चाची की आँखों में लाली दिखने लगी थी। शायद वो गर्म हो रही थी या यह भी हो सकता है कि वो शर्म की लाली हो। मैं चाची के थोड़ा नजदीक जाकर बैठ गया और चाची की साँसों के साथ ऊपर नीचे होती चूचियों को देखने लगा। दिल किया कि पकड़ लूँ, पर डर था दिल के किसी कोने में अभी भी। पहल करने लायक हिम्मत नहीं आई थी अभी तक। तभी चाची ने मेरी चोरी पकड़ ली और बोली- ये ऐसे क्या देख रहा है?

मैं फिर से सकपका गया, मैंने कहा- कुछ नहीं चाची... बस ऐसे ही...।
“मेरी चूचियाँ देख रहा है?” चाची ने बम फोड़ दिया। चाची के मुँह से यह सुनते ही मेरे दिल की धड़कन दुगनी हो गई।
“सच चाची तुम बहुत खूबसूरत हो और तुम्हारी चूचियाँ भी बहुत बड़ी बड़ी हैं।”
“ह्म्म्म... बेटा चाची पर ही लाइन मरने लगे... बहुत जवानी चढ़ रही है तुझ पर... ठहर मैं बताती हूँ तुझे..” कह कर चाची ने मेरा कान पकड़ कर मरोड़ दिया।

मुझे दर्द हुआ तो मैंने भी जानबूझ कर चाची की चूची पकड़ कर दबा दी। क्या मस्त मुलायम चूची थी चाची की। पर चाची इस तरह चूची दबाने से नाराज हो गई और दो थप्पड़ भी लगा दिए मुझे। मैं तो आज सुबह से ही पिट रहा था। चाची के गुस्सा होने से अब घर पर पिटाई का डर भी सताने लगा। मुझे डर था कि कहीं चाची मेरे घर पर यह बात ना बता दे। डर के मारे मैंने चाची के पाँव पकड़ लिए और माफ़ी मांगने लगा पर चाची बिना कुछ कहे रसोई में चली गई। मैं भी पीछे पीछे रसोई में पहुँच गया और कान पकड़ कर सॉरी बोलने लगा। तभी मैंने रसोई में सामने लगे छोटे से शीशे में देखा तो लगा कि चाची मुस्कुरा रही हैं। मुझे समझते देर ना लगी कि चाची मेरे मज़े ले रही हैं। मैं चाची के बिल्कुल पीछे खड़ा था, शीशे में चाची को मुस्कुराते देख कर मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने चाची को पीछे से पकड़ लिया और चाची की गर्दन पर चूमने लगा।

चाची ने मुझ से छुटने की कोशिश की पर मैंने चाची को अपनी तरफ घुमा कर चाची की होंठों पर अपने होंठ रख दिए। कुछ देर की कोशिश के बाद चाची ने भी हथियार डाल दिए और चुम्बन करने में मेरा साथ देने लगी।
अब चाची की जीभ मेरे मुँह में मेरी जीभ से प्यार लड़ा रही थी और मेरे हाथ चाची के माखन के गोले जैसी चूचियों को मसल रहे थे। करीब पाँच मिनट की चुम्माचाटी के बाद हम अलग हुए तो चाची बोली- हट... तू तो बहुत गन्दा है.. मैं कुछ नहीं बोला बस चाची को बाहों में भर कर बाहर ले आया और सोफे पर लेटा दिया। मेरे हाथ अब चाची की केले के तने जैसी चिकनी जांघों पर थे। एक हाथ से जांघों को सहलाते सहलाते मैं दूसरे हाथ से चाची के ब्लाउज के हुक खोलने लगा। चाची आँखें बंद किये मज़ा ले रही थी। कुछ ही पल में चाची की सफ़ेद ब्रा में कसी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही चूचियों को चूमने लगा। मेरा दूसरा हाथ भी अब चाची की पैंटी तक पहुँच चुका था, कुछ कुछ गीलापन महसूस हो रहा था।

मैंने चाची की ब्रा उतार कर एक तरफ़ रख दी और चाची की मस्त चूची को मुँह में लेकर चूसने और काटने लगा। मैंने चाची की साड़ी को ऊपर उठा कर पेट पर कर दिया। चाची की जांघें अब बिल्कुल नंगी मेरी आँखों के सामने थी और सफ़ेद रंग की पैंटी में कसी चूत नजर आने लगी थी। मैंने चाची की पैंटी को पकड़ कर नीचे खींचा तो चाची ने शरमा कर दोनों हाथ अपनी चूत पर रख लिए। पर मैंने पैंटी को नीचे खींच दिया। चाची ने अपनी चूत दोनों हाथों से ऐसे छुपा ली थी जैसे बिना मुँह दिखाई के दर्शन ही नहीं करने देगी। पर मुँह दिखाई के लिए तो मैं भी तैयार था। मैं चाची की जांघों को अपने होंठों से चूमने लगा और फिर धीरे से चाची के हाथ पर चूम लिया तो चाची ने एक हाथ हटा दिया। हाथ हटते ही चाची की चूत के दर्शन हुए।

मैंने मौका जाने नहीं दिया और चूत पर अपने होंठ रख दिए। एक अजीब सी खुशबू मेरे नाक में आई और गीली चूत का नमकीन सा स्वाद मेरी जीभ पर आ गया जिसको चखते ही मैं तो जैसे मदहोश सा होने लगा। मैंने चाची का हाथ एक तरफ किया और जीभ से चूत को कुरेदने लगा और चाटने लगा। अब चाची की सिसकारियाँ गूंजने लगी थी। चाची की आँहे कमरे के वातावरण को मादक बना रही थी। तभी चाची का हाथ मैंने अपने लण्ड पर महसूस किया। मेरा लण्ड तो पहले से ही पूरा तैयार हो चुका था। चाची ने मेरे लण्ड को पैंट से बाहर निकाला और अपने मुँह में ले लिया। अब हम दोनों 69 की अवस्था में थे। मतलब मेरा लण्ड चाची के मुँह में और उसकी चूत मेरे मुँह पर थी।

कुछ देर की चुसाई के बाद जब लण्ड अकड़ने लगा तो मैंने चाची के मुँह से लण्ड निकाल लिया और चाची की चूत पर रख दिया। चूत पर लण्ड का एहसास मिलते ही चाची ने अपनी गाण्ड ऊपर को उठाई तो लण्ड का सुपारा चाची की चिकनी और पानी पानी होती चूत में घुस गया। चाची सीत्कार उठी। चाची ने जैसे ही गाण्ड नीचे करके दुबारा ऊपर को उचकाई तो मैंने भी देर नहीं की और एक जोरदार धक्का लगा कर आधे से ज्यादा लण्ड चाची की चूत में डाल दिया। “उईईइ माँ......आराम से हरामी... फाड़ डालेगा क्या...”

पर मैंने तो जैसे कुछ सुना ही नहीं और मैंने एक और जोरदार धक्का लगा कर पूरा लण्ड चाची की चूत में सरका दिया। चाची की चूत और मेरे अंडकोष अब आपस में चिपके हुए थे। मेरा पूरा लण्ड जड़ तक चाची की चूत में था।
मैं इसी अवस्था में लेटा रहा और चाची के होंठ और चूचियों को चूसता रहा। तभी चाची ने अपनी गाण्ड ऊपर को उछाली तो मैंने भी उसका जवाब एक जोरदार धक्के के साथ दिया। फिर तो पहले धीरे धीरे और फिर पूरी रफ़्तार से चाची की चूत की चुदाई शुरू हो गई। कमरे में चाची की ऊउह्ह्ह्ह्ह आह्हह्ह उईईइ हाआआईई ओह्ह्ह ही सुनाई दे रही थी या फिर सुनाई दे रहा था चुदाई का मधुर संगीत जो फच्च फच्च फट फट करके कमरे में गूंज रहा था।

पूरे पन्द्रह मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मेरा लण्ड अब अन्तिम चरण पर था। लण्ड चूत के अंदर ही फ़ूल कर मोटा हो गया था जिसका भरपूर मज़ा चाची भी ले रही थी। चाची मेरे लण्ड की गर्मी से दो बार पिंघल चुकी थी। चूत पानी पानी हो रही थी कि तभी मैंने भी अपने लण्ड का लावा चाची की चूत में भर दिया। लावे की गर्मी महसूस होते ही चाची ने मुझे अपने से चिपका लिया और अपनी टांगो में भींच लिया। मेरा लण्ड चाची की चूत में पिचकारियाँ छोड़ रहा था। मेरे वीर्य ने चाची की चूत को पूरा भर दिया था जो अब चाची की चूत से बाहर आने लगा था। हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे और फिर अलग होकर चाची ने मेरे लण्ड और अपनी चूत को अच्छे से साफ़ किया। चाची चुदाई के बाद बहुत खुश थी।

मैं एक बार और चाची की चूत में हलचल करना चाहता था पर तभी घड़ी पर नजर गई तो मेरे स्कूल की छुट्टी का समय हो गया था। चाची ने भी मुझे घर जाने को कहा क्यूंकि चाचा भी लगभग इसी समय दोपहर का खाना खाने आते थे। मैं स्कूल की सजा को भूल कर चाची के साथ के मज़े में खो सा गया और फिर बुझे मन से अपने घर चला गया। मेरी नजर चाची के दरवाजे पर ही टिकी थी। जैसे ही चाचा खाना खाकर वापिस गए तो मैं तुरन्त चाची के घर पहुँच गया और चाची को बाहों में भर लिया। चाची ने मुझे कमरे में बैठने को कहा और बोली- मैं अभी आती हूँ। कुछ देर रसोई के काम निपटा कर चाची मेरे पास आ कर बैठ गई। पर मैं बैठने थोड़े ही आया था तो बस चाची के आते ही टूट पड़ा और चाची की चूचियाँ मसलने लगा। चाची ने मुझे थोड़ा रोकने की कोशिश की पर जल्दी ही हथियार डाल दिए और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। चुम्मा-चाटी का दौर करीब दस पन्द्रह मिनट के लिए चला। चाची मस्ती के मारे बदहवास सी हो गई थी और मुझे अपने से पकड़ पकड़ कर लिपटा रही थी। चाची की बेचैनी को समझते हुए मैंने चाची के बदन से कपड़े कम करने शुरू किये और कुछ ही देर बाद चाची मेरे सामने बिल्कुल नंगी बैठी थी।

मेरा लण्ड भी अकड़ कर दुखने लगा था तो मैंने भी देर नहीं की और अपने कपड़े उतार कर लण्ड टिका दिया चाची की चूत पर। एक ही धक्के में पूरा लण्ड चाची की चूत में था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। चाची पूरी गर्म थी। लण्ड अंदर जाते ही चाची ने मुझे अपने नीचे कर लिया और मेरे लण्ड पर बैठ कर अपनी मस्त गाण्ड को ऊपर नीचे करने लगी। चाची पूरी मस्ती में और पूरे जोश के साथ ऊपर नीचे हो रही थी। मेरा तो लण्ड धन्य हो गया था चाची की चूत पा कर।
करीब दस मिनट तक चाची मेरे ऊपर बैठ कर चुदती रही और फिर एक जोरदार ढंग से झड़ गई।

झड़ने के बाद चाची थोड़ी सुस्त हो गई तो मैंने चाची को अपने नीचे लिया और फिर से जोरदार चुदाई शुरू कर दी। कमरे में फच्च फच्च की मादक आवाज़ गूंज रही थी। चाची की सिसकारियाँ और सीत्कारें मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। मैं चोदता रहा और चाची चुदती रही। ऐसे ही करीब आधा घंटा बीत गया। चाची कम से कम तीन बार झड़ चुकी थी और अब वो बिल्कुल पस्त नजर आ रही थी। मेरा लण्ड अभी भी पूरे जोश में था।

“राजा...अब तो चूत दुखने लगी है.. उईईई... अब और नहीं चुदवा सकती... तूने तो चूत का भुरता ही बना दिया...आह्ह्ह... तेरा चाचा तो दो मिनट भी नहीं चोद पाता है।” मैं तो जैसे कुछ सुन ही नहीं रहा था। और पूरे जोश के साथ चाची की चूत में धक्के लगा रहा था। तभी चाची ने हाथ नीचे ले जा कर मेरे अंडकोष को दबाया और मसला तो मेरा लण्ड भी चाची की चूत को भरने के लिए तड़प उठा। फिर भी करीब पाँच मिनट और चाची की चूत को चोदा और फिर ढेर सारा माल चाची की चूत में भर दिया।

चाची मुझसे चुदवा कर बहुत खुश थी। उस दिन के बाद से हम दोनों हर रोज चुदाई करने लगे। स्कूल से आने के बाद मेरी नजर चाची के दरवाजे पर लगी रहती। जैसे ही चाचा खाना खा कर अपने काम पर जाता, मैं पहुँच जाता अपनी चाची जान की चूत का मज़ा लेने।

सड़क के किनारे खुलेआम मस्त मधु की चुदाई Sadak ke kinare khuleaam Madhu ki mast chudai

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम सुनीत है और मै एक गार्ड की नौकरी करता हु | मुझे रात की शिफ्ट मे काम करना पसंद है | अभी मै एक बाज़ार के बाहर पहरा देता हु | मेरी शिफ्ट रात को ८ बजे से लेकर सुबह ८ बजे तक की होती है और मार्केट सुबह ११ बजे से खुलता है | मै रात को बाहर एक कुर्सी रख लिया करता था, ताकि मै उस पर बैठ सकू | मुझे ज्यादा घुमने की जरुरत नहीं होती थी; क्योकि , मार्केट एक बंद बिल्डिंग मे था और एक ही गेट से कोई भी आ जा सकता था और अगर वो गेट बंद हो जाये, तो कोई भी बिल्डिंग के अन्दर नहीं आ जा सकता था | बिल्डिंग एक साइड मे छोटी सी गली थी, जिसमे मै अक्सर एक कम्बल डालकर सो जाया करता था | लेकिन, मै सोता जब ही था, जब थोडा सा दिन निकल जाता था और सड़क पर थोड़ी से चहल-पहल शुरू हो जाती थी | सुबह ४ बजे सड़क की सफाई होनी शुरू होती थी और उस समय एक औरत सड़क की सफाई करती थी | उसके पास, मेरा आसपास का एरिया था | सुबह ४ बजे काफी अँधेरा होता था, तो उसका पति भी उसके साथ आता था |

उस पूरी सड़क पर, अकेला मै ही होता था; तो उसका पति मेरे पास आकर बैठ जाता था | मैने उस गली मे, चाय बनाने का भी इंतजाम कर रखा था, तो वो और उसका पति मेरे पास आकर पहले चाय पीते थे और फिर उसकी पत्नी काम शुरू करती थी | बातो-बातो मे, मुझे उसका नाम मधु पता चला था और वो ३२ साल की मस्त और सुंदर औरत थी | उनके कोई भी बच्चा नहीं था और अब वो उसको चाहते भी नहीं थे, तो उसकी पत्नी ने अपना इलाज करवा लिया था | उसका पति काफी बड़ा दारूबाज़ था और हमेशा ही नशे मे धुत रहता था | सुबह भी, जब वो आता था तो उसकी आँखे नशे मे होती थी और उसका शरीर झूल रहा होता था | जब भी मै उन दोनों से मिलता था, तो मधु को बड़ी शर्म महसूस होती थी, कि उसका पति बेवड़ा है | कुछ दिनों से मधु का पति नहीं आ रहा था और मधु भी मेरे साथ चाय नहीं पी रही थी | आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। सर्दी का मौसम था और मुझे सुबह नीद आ जाती थी | मुझे सुबह मधु का पति ही जगाता था; उसके ना आने से मै थोडा देर तक सो लेता था | मुझे गंदे सपने देखने की आदत थी, तो शायद मधु ने मेरा खड़ा लंड देख लिया होगा और इसलिए वो मेरे साथ चाय पीने नहीं आयी | एक दिन कुछ खटपट से मेरी नीद खुल गयी, तो देखा कि मधु मेरी जगह को साफ़ कर रही थी |

मैने उसको देखकर चाय के लिए पूछा, तो उसने बोला, तुम मुझे सामान दे दो, मै बना देती हु | उस दिन उसकी आवाज़ मे कुछ उदासी थी | मुझे मधु अच्छी लगती थी और मैने अपने प्यार भरे हाथ उसकी जांघो और कंधे पर रखे; तो वो रो पड़ी और उसने बोला, कि मेरा पति आजकल ज्यादा दारु पीने लगा है और जुआ भी खेलने लगा है | एक दिन उसने किसी से पैसे लेकर जुआ खेला और हार गया, तो उसने मधु का शरीर उसको पेश कर दिया | उस रात उन्होंने मधु को नोचा और काटा, इसलिए मधु ३-४ नहीं आ पाई थी | मुझे उससे हमदर्दी होने लगी थी और मैने उसको अपनी तरफ खीच लिया और उसका सर अपने कंधे पर रख लिया | उसके चुचे के सही माप मुझे उस दिन पता लगा और मेरे हाथ अनायास ही उसके चूचो पर चले गये | उसने टेढ़ी नजरो से मुझे देखा और एक मुस्कराहट के साथ अपना चेहरा नीचे कर लिया | शायद, प्यास का स्पर्श आज उसे पहली बार मिला था और वो भी इस मौके को गवाना नहीं चाहती थी | हम दोनों गली की ओट मे चले गये, ताकि कोई हमें देख ना सके और जमीन पर कम्बल डाल दिया और उस पर मैने मधु को लिटा दिया और खुद अदा उसके ऊपर झुक गया |

हम दोनों एक दुसरे की आँखों मे देख रहे थे और मेरे हाथ उसके बालो से खेल रहे थे | हम दोनों की साँसे तेज होने लगी और फिर मैने अपने होठो को नीचे करके मधु के होठो पर रख दिया और मधु का बदन एक दम ऊपर उठ गया | हम दोनों की साँसे गरम हो चुकी थी और बहुत तेज चल रही थी | मधु के पैर कसमसा रहे थे और मैने अपने हाथो से मधु का चेहरा कसकर पकड़ा हुआ था और और हम दोनों एक दुसरे को मस्त मे चूम रहे थे | फिर, मधु ने मरे शर्ट के बटन खोल दिये और मेरी छाती को चूमने लगी | पता नहीं, कितने दिनों से वो प्यासी थी | मैने भी उसकी साड़ी को खोल दिया और उसका ब्लाउज उतार दिया और उसको आधा नंगा कर दिया |उसके चुचे मेरी उम्मीद से भी ज्यादा बड़े थी और उसके गोरे चूचो पर गुलाबी निप्पल मस्त लग रहे थे | फिर, मुझे जुआ खेलने वालो की याद आये | मधु को देखकर किसी की भी नियत ख़राब हो सकती थी | फिर, मैने अपने होठो से मधु के निप्पल को चुसना और खीचना शुरू कर दिया और मधु के होठो पर अपनी ऊँगली घुसा दी | हम दोनों ही हवस मे बह चुके थे और अब और नहीं रुकना चाहते थे | मै मधु के ऊपर से उठा और मधु के सारे कपडे उतार दिया और खुद भी नंगा हो गया | क्या बला की खुबसूरत थी मधु |

मेरा लंड तो बार-बार झटके मार रहा था और किसी की आनेका भी डर था | मैने मधु के पैर खोले और अपना मुह मधु की चूत मे घुसा दिया और मस्ती मे चाटने लगा | खुद देर तो मधु ने बर्दाश्त किया, लेकिन एक हद के बाद मेरे बाल खीच लिए और बोली, अब डाल दो ना राजा | मधु की प्यास देखकर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और मैने अपने घुटनों पर बैठकर मधु की टांग खोल दी और अपना लंड रगड़ने लगा और फिर, एक तेज दवाब से अपनी गांड को धक्का मारा |मेरा लंड एक ही बार मे, मधु की चूत को फाड़ता हुआ, उसकी चूत मे घुस गया | मधु की चीख निकल गयी और उसे दर्द होने लगा था | आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वो काफी बार चुद चुकी थी, लेकिन मेरे बड़े लंड ने उसकी चूत की बैंड बजा दे थी | हम दोनों की गांड जोर से हिल रही थी और फट-फट करके हम दोनों के शरीर टकरा रहे थे | हम दोनों की झांट आपस मे उलझ गयी थी और बाल टूटकर गिर रहे थे | हम दोनों के ही झटके तेज होने लगे थे और एक साथ गरम पिचकारी के साथ हम दोनों ने अपना पानी छोड़ दिया | हम दोनों एक दुसरे के ऊपर गिर गये और काफी देर तक नंगे लेटे रहे | उस दिन मधु और मैने दोनों ने मज़ा किया और बाद मे मधु ने मुझे चाय बनाकर पिलाई | अब हम दोनों रोज़ सुबह चुदाई करते है, फिर चाय पीते है और फिर मधु काम पर जाती है |

पड़ोस की छत पर की पड़ोसन गर्लफ्रेंड की चुदाई Pados ki chat par ki padosan girlfriend ki chudai

पड़ोस की छत पर की पड़ोसन गर्लफ्रेंड की चुदाई, Pados ki chat par ki padosan girlfriend ki chudai, गर्लफ्रेंड को चोद दिया, पड़ोसन की चूत फाड़ दी, छत पर चुदाई का मस्त मजा, पड़ोसन को छत पर चोदा, पड़ोसन लड़की को अपने घर में चोदा, सेक्सी पड़ोसन की चुदाई छत पर, पड़ोसन की चूत सहलाकर चुदाई, पड़ोसन लड़की को औरत बनाया, पड़ोसी की छत पर किया कांड, कमसिन पड़ोसन की कुंवारी बूर को पेल डाला, बूर पड़ोस की, पड़ोसन के साथ रासलीला, पडोसी की कुंवारी चूत मुम्मे, Padosan Ko Choda.

हैल्लो दोस्तों में रजत दिल्ली का रहने वाला हूँ। ये कहानी मेरी पड़ोस मैं रहने वाली फॅमिली की है उस फॅमिली मैं एक लड़की थी जिसका नाम नेहा था जो मेरी गर्लफ्रेंड थी। पहले मैं आपको उसकी फॅमिली के बारे मैं बता देता हूँ।

उनकी फॅमिली मैं संजय (मेरी गर्लफ्रेंड के पापा) उम्र 48 साल हाइट 5’8. पूजा (गर्लफ्रेंड की माँ ) उम्र 44 साल हाइट 5’5. राकेश (गर्लफ्रेंड का भाई) उम्र 26 साल हाइट 5’6. सोनिया (गर्लफ्रेंड की भाभी) उम्र 23 साल हाइट 5’4
नेहा (मेरी गर्लफ्रेंड) उम्र 20 साल हाइट 5’5. पहले मैं अपनी और गर्लफ्रेंड की कहानी बताता हूँ की कैसे वो मेरी गर्लफ्रेंड बनी ये कहानी 2008 की है मैं 22 साल का हूँ और एक कंपनी मैं कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब कर रहा हूँ मेरे पड़ोस मैं कोई फॅमिली नहीं थी। मेरी और पड़ोस की छत आपस में जुड़ी हुई थी और हमारे घर के दो तरफ प्लॉट खाली थे और एक तरफ गली और सामने रोड और रोड के सामने पार्क था। मैं गर्मियो मैं अपनी बाजू वाली छत पर ही सोता था क्योकि उसकी बाउंड्री बहुत छोटी थी जिससे वहाँ हवा अच्छी लगती थी।

कुछ दिनो के बाद वहां पर एक फॅमिली आई और मैं बाहर ही बैठा अपने एक दोस्त के साथ बात कर रहा था। उनके साथ उनका बहुत सारा समान था जो एक ट्रक मैं था उन्होने मुझे और मेरे दोस्त को बुलाया और उनकी मदद करने के लिए कहा मेरे पापा भी वही थे तो उन्होने भी उनका समान उतारने मैं उनकी मदद की और घर मैं रख दिया। उन्होने हमे शाम को अपने घर पर खाने के लिए बुलाया मेरी मम्मी और पापा किसी के घर खाना नहीं खाते इसलिए मैं और मेरा भाई और मेरा दोस्त उनके घर गये और हमने वहाँ पर खाना खाया।

फिर हम घर आ गये में अब रोज की तरह खाना खाकर छत पर घूम रहा था। अचानक वो लड़की और उसकी बहन और भाई छत पर आ गये और हम बाते करने लगे वो लड़की मुझे देख रही थी मैं भी उसे बार बार देख रहा था और हमे बाते करते करते बहुत समय हो गया फिर वो दोनो बहने नीचे चली गई और मैं अपना बिस्तर लेकर ऊपर आ गया और सोने लगा तो उसका भाई भी मेरे पास आ गया और हम बाते करते करते सो गये ऐसे ही कुछ दिन बीत गये मैं और वो लड़की बहुत घुल मिल गये थे और हम बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अब हमारे बीच फोन पर भी बात होने लगी एक दिन उसने मुझे छत पर बुलाया बहुत धूप थी मैं छत पर गया और तो उससे पूछा की उसने मुझे क्यों बुलाया है तो उसने कहा की उसे मुझसे कुछ बात करनी है मैने कहा कहो आप बुरा तो नहीं मानोगे वो बोली मैने कहा  नहीं मानूँगा बोलो।

मुझे लगता की है मुझे आपसे प्यार हो गया है उसने नज़र नीचे करते हुए कहा। ये तुम क्या कह रही हो मैने कहा। तभी वो बोली क्या मैं आपको अच्छी नहीं लगती उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा नहीं ऐसी बात नहीं है आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा। तभी उसने कहा की में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और अचानक मेरे गले लगते हुए थोड़ी देर मैं मैने उसे हटाया और कहा में भी तुम से बहुत प्यार करता हूँ और फिर हम नीचे आ गये। नीचे आते ही उसका फोन आया और हम बाते करने लगे।

मैं रोज़ की तरह छत पर ही सोता था और ये वो भी जानती थी लेकिन अब मैं अकेला ही सोता था उसका भाई नीचे ही सोता था। मैं ऐसे ही लेटा हुआ था रात के 10 बजे थे अचानक मेरे फोन पर मेसेज आया मैंने देखा तो वो मेसेज उसका ही था मैने फोन किया और हम बात करने लगे। हम धीरे धीरे बहुत रोमेंटिक बाते करने लगे और मैने उससे कहा की प्लीज़ नेहा मुझे आपसे मिलना है। सुबह मिलते है उसने कहा नहीं मुझे अभी मिलना है मैने उससे कहा।

नेहा: लेकिन अभी कैसे मिल सकते है।

मैं: अभी क्यों नहीं मिल सकते है।

नेहा: लेकिन अभी रात हो चुकी है और घर मैं सब है अगर किसी को कुछ पता चल गया तो।

मैं: मैं कुछ नहीं जनता आपको मुझसे अभी मिलना है या नहीं।

नेहा: जानू मैं मिलना तो चाहती हूँ लेकिन।

मैं: लेकिन क्या अगर आप नहीं आई तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगा।

नेहा: प्लीज जानू तुम समझने की कोशिश करो मैं आना चाहती हूँ लेकिन अभी नहीं आ सकती हूँ।

मैं: तो ठीक है मत आओ मैं जनता था की आप मना करोगी क्योकि आप तो मुझसे प्यार करती ही नहीं हो।

नेहा: मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ लेकिन प्लीज समझा करो मैं अभी नहीं आ सकती हूँ।

मैं: ठीक है मत आओ और मैने फोन काट दिया।

उसने मुझे कई बार फोन किया पर मैने उठाया नहीं। हमे बात करते हुए 12:15 हो गये थे फिर उसने मुझे मैसेज किया सॉरी जानू प्लीज फोन उठाओ ना और वो फिर मुझे फोन करने लगी लेकिन मैने फोन नहीं उठाया और सोने की कोशिश करने लगा। तभी वो ऊपर आ गयी और मुझे उठाने लगी मैं वैसे ही आँख बंद करके लेट रहा वो मुझे उठाने लगी और कहा प्लीज जानू आँखे खोलो ना मैं एक दम उठ कर बैठ गया और उसे प्यार से देखने लगा।

नेहा: क्या हुआ क्यों बुलाया ऊपर मुझे।

मैं: कुछ नहीं कहा “गुस्से से।

नेहा: तो फिर आप मुझसे ऐसे क्यों बात कर रहे हो और “उसकी आँखो मैं आंसू छलक आए थे।

मैं: मुझे नींद आ रही है हटो सोने दो मुझे और मैं सोने लगा।

नेहा: प्लीज़ जानू सॉरी और वो अपने कान पकड़ के रोने लगी।

मैं: उठा और कहा नेहा आप इस तरह रो क्यों रहे हो।

नेहा: आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे थे।

मैं: मैने उसके आँसू पोछे और कहा मैं नाराज़ नहीं हूँ आप रोना बंद करो प्लीज।

नेहा: प्लीज़ जो कहना है जल्दी कहिये मुझे नीचे जाना है अगर कोई आ गया तो बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी।

मैं: कुछ नहीं कहना मुझे आप जाओ।

नेहा: आप तो कह रहे थे कि…

में: मुझे कुछ नहीं कहना अब जाओ और मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ।

नेहा मेरे गले लगी और कहा में आपसे बहुत प्यार करती हूँ और प्लीज आप मुझसे नाराज़ मत हुआ कीजिए। मैने उसे हटाया और कहा ठीक है अब आप जाओ और वो वहां से चली गई और में सोने की कोशिश करने लगा और मुझे नींद आ गयी सुबह मैं नाश्ता करके ऑफीस चला गया और 2 बजे के करीब उसका फोन आया। मैं लंच के लिए जाने वाला था तो मैंने उसे बाद मे फोन करने को कहा और लंच पर से आते ही मैंने उसे फोन किया और हम बात करने लगे मैं थोड़ा रूड़ली बात कर रहा था।

नेहा: आप मुझसे नाराज़ है अभी तक

मैं: ऐसी कोई बात नहीं है।

नेहा: तो आप ऐसे क्यों बात कर रहे है।

मैं: ऐसी कोई बात नहीं है में तुम से नाराज़ नहीं हूँ।

नेहा: अच्छा कल तो आपकी छुट्टी है तो हम कहीं बाहर मिल सकते है।

मैं: नहीं मुझे कल बहुत काम है।

नेहा: प्लीज जानू मैं जानती हूँ आप मुझसे बहुत नाराज़ है इसलिए आप ऐसे कह रहे है।

हमारी ऐसे ही बात होने लगी वो मुझसे बार बार मिलने के लिए कहती रही तो मैने गुस्से मैं कह दिया आप सच मैं मिलना चाहती है।

नेहा: हाँ

मैं: लेकिन हमे बाहर किसी ने देख लिया तो।

नेहा: हम छुप कर मिलेंगे।

मैं: और अगर किसी ने बाहर देख लिया तो।

नेहा: गुस्से मैं आपको मुझसे मिलना है या नहीं बताओ।

मैं: नहीं जब आप मिलना ही नहीं चाहती तो क्या फायदा।

नेहा: मैं तो आपसे मिलना चाहती हूँ।

मैं: तो मैं जब आपको कल मिलने के लिए कह रहा तो आप मना कर रही थी और अब….

नेहा: ओके बाबा रात के लिए सॉरी अब तो हम मिल सकते है।

मैं: लेकिन आज ही।

नेहा: आज कुछ सोचने के बाद ठीक है कहा मिलूं बताओ।

मैं: रात को छत पर।

नेहा: आप समझते क्यों नहीं मैं रात को छत पर नहीं मिल सकती।

मैं: तो ठीक है तो बात करने का क्या फायदा अच्छा मुझे वापस जाना है मेरा लंच टाइम खत्म हो गया है ओके बाय।

नेहा: सुनो प्लीज।

और मैने फोन काट दिया और फोन साइलेंट पर कर दिया उसने मुझे कई बार ट्राई किया लेकिन मुझे पता नहीं चला। मुझे ऑफीस मैं देर तक रूकना पड़ा क्योकि महीने का लास्ट था इसलिए सारा काम खत्म करना था मैं रात को 11:30 बजे घर पहुँचा और खाना ख़ान के बाद छत पर आ गया मैने देखा नेहा अपनी छत पर अकेली अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी मुझे देखकर वो मेरे पास आ गयी और कहा इतनी देर कहा थे मैने कहा वो ऑफीस मैं आज काम ज्यादा था।

लेकिन आप आज ऊपर कैसे उसने कहा आपको छत पर मिलना था इसलिए मैं मम्मी से कहकर आई हूँ की मुझे आज छत पर ही सोना है क्योकि मुझे नीचे घुटन सी हो रही है और हम बिस्तेर बिछा कर बैठ गये मेरे छत की दीवार थोड़ी उँची है इसलिए वहां बैठने पर कोई भी हमे नहीं देख सकता था और आजू बाजू मैं कोई घर भी नहीं था और थोड़ी दूर थे। हम बाते करने लगे वो मुझसे थोड़ी दूर बैठी थी मैने अपना सिर उसकी गोदी मैं रख दिया और उसकी आँखो मैं देखने लगा वो भी मुझे देख रही थी।

नेहा: तुम ऐसे क्या देख रहे हो शरमाते हुए।

मैं: आपकी आँखो मैं देख रहा हूँ।

नेहा: ऐसा क्या है मेरी आँखो मैं।

मैं: मैं अपने आप को ढूंड रहा हूँ।

नेहा: क्या आप मिले इनमे?

मैं: हाँ तो आपने हमे अपनी आँखो मैं छुपा कर रखा है।

नेहा: हाँ शायद ठीक कहा अपने।

मैं: अच्छा क्या और कहीं भी छुपा कर रखा है।

नेहा: हाँ

मैं: और कहाँ।

नेहा: अपने दिल मैं।

मैं: अच्छा देखूं और मैने उसके सीने पर हाथ रख दिया।

नेहा: मेरा हाथ हटाते हुए तुम ये क्या कर रहे हो।

मैं: आपके दिल मे देख रहा हूँ क्या मैं नहीं देख सकता हूँ।

नेहा: नहीं।

मैं: क्यों नहीं देख सकता।

नेहा: मुझे गुदगुदी होती है।

मैं: अच्छा और उठकर उसकी तरफ देखने लगा वो सफेद सूट मे थी वो बहुत खूबसूरत लग रही।

नेहा: क्या हुआ?

मैं: कुछ नहीं बस आपको देख रहा हूँ एक बात कहूँ।

नेहा: कहो।

मैं: मुझे आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।

नेहा: शरमाते हुए आप मेरी झूठी तारीफ मत कीजिए और नीचे देखने लगी।

मैं: आपको लगता है मैं आपकी झूठी तारीफ कर रहा हूँ इसका मतलब मैं आपसे हमेशा झूठ बोलता हूँ।

नेहा: मेरी तरफ देखते हुए मेरा मतलब ये नहीं था मे तो बस।

फिर हम एक दूसरे को देखने लगे फिर मैने अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और किस करने लगा। हम दोनो की साँसे तेज होने लगी हम दोनो एक दूसरे को फ्रेंच स्टाइल मे पागलो की तरह किस कर रहे थे। मैने एक हाथ उसके बूब्स पर रख दिया और धीरे धीरे प्रेस करने लगा वो मुझे पागलो की तरह किस करते हुए मेरे बालो मे अपनी उंगलियां फेर रही थी उसकी तेज होती साँसे मुझे महसूस हो रही थी मे उसे किस करते करते नीचे आने लगा और उसके गले के दोनो तरफ किस करने लगा।

अब उसने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे होंठो को किस करने लगी थी। थोड़ी देर किस करने के बाद मैने उसे दूर किया और उसके सूट को उतार दिया वो अब सिर्फ़ ब्रा मे थी। फिर मैं ब्रा के उपर से ही उसके बूब्स को चूमने लगा वो मेरे बालो मे उंगलियां घुमाते हुए अपने बूब्स पर मेरे सिर को प्रेस करने लगी। मैं उसके बूब्स को उसके ब्रा के ऊपर से ही चूमने चाटने लगा था।

वो सिसकारियाँ लेते हुए मेरे सिर को अपने बूब्स पर प्रेस कर रही थी। फिर मैं उसके पीछे होते हुए उसकी ब्रा के हुक को चूमते हुए उसकी पीठ को चूमने लगा उसकी धड़कन और तेज होने लगी और फिर मैने उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और मैने सामने आ कर उसके बूब्स पर से ब्रा को भी हटा दिया और उसके बूब्स देखने लगा उसके गोरे बूब्स साइज़ लगभग 36 मेरी आँखों के सामने थे।

मैं उसके एक बूब्स को हाथ मैं लेकर दबाने लगा और दूसरे बूब्स के ऊपर के गुलाबी दाने को मुहं मे लेकर चूसने लगा वो जोश मे मुहं से सिसकारियाँ निकालने लगी अया आअहह ऊ ह हह और अपने बूब्स पर मेरा सिर प्रेस करने लगी मे उसके बूब्स चूसते हुए कभी कभी उसे धीरे से अपने दांतो से काट लेता और वो सिहर उठती उसके मुहं से हल्की की चीख उठती। मैं उसके बूब्स चूसते हुए उसके पेट तक उसे चूमने लगा था। फिर मैने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और नीचे खींचने लगा उसने अपने चूतड़ उठाकर उसे निकालने में मेरी मदद की फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को उसकी पेंटी के ऊपर से सहलाने लगा था।

वो अब फुल जोश में हो चुकी थी। अब मैंने उसकी पेंटी को नीचे कर दिया और उसकी टांगो से अलग कर दिया था। उसने अपनी टांगे आपस मैं जोड़ ली थी मैने उसकी टांगो को खोला और उसकी चूत को देखने लगा उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था। मैने जैसे ही उसकी चूत पर अपना हाथ रखा उसके मुहं से हल्की सी सिसकियां निकलने लगी थी।

मैं उसकी गुलाबी चूत पर उगे बालो पर अपनी उंगलिया फेरने लगा वो पहले की तरह मचलने लगी फिर मैने उसकी चूत का मुहं खोलकर उसे देखने लगा क्या खूबसूरत चूत थी उसकी मैं पागल हुआ जा रहा था चाँद की चाँदनी रात मैं वो बहुत खूबसुरत लग रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर मैने धीरे से उसकी चूत मे अपनी एक उंगली डाल दी वो चीख उठी और उसके मुहं से अहह आअअहह निकलने लगी। फिर में उसे अपनी उंगली से चोदने लगा उसे बहुत मज़ा आ रहा था मैं भी अब बहुत जोश मैं था मैं ज़ोर ज़ोर से अपनी उंगली उसकी चूत मे अंदर बाहर कर रहा था।

वो सिसकियां ले रही थी अब उसका शरीर बहुत ऊपर नीचे हो रहा था और वो बहुत हाफ़ भी रही थी मैं समझ गया की उसे अब क्या चाहिए फिर मैने अपनी उंगली उसकी चूत से निकाली और अपने कपड़े निकाल दिए मैं बहुत उत्सुक था और जोश से मेरे लंड बहुत कड़क हो गया था।

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा वो पागलो की तरह अपने चूतड़ ऊपर नीचे कर रही थी। मैं अपना लंड उसकी चूत से रग़ड़ रहा था अब हम दोनों से रहा नहीं जा रहा था मैने अब धीरे से अपना लंड उसकी चूत के मुहं पर टिका दिया और एक हल्का सा एक झटका मारा मेरा लंड उसकी चूत में जाने का नाम नहीं ले रहा था। उसकी चूत बहुत टाईट थी लंड नहीं जा रहा था चूत में मैने दोबारा कोशिश की लेकिन बहुत दर्द हुआ हम दोनों को मैने एक जोरदार धक्का मारा लंड चूत में चला गया और वो बहुत जोर से चीखी मैने उसके मुहं पर अपना हाथ रख दिया और रुक गया और थोड़ी देर के बाद फिर से धीरे धीरे से लंड को चूत में आगे पीछे करने लगा लेकिन हमारी हालत बहुत खराब थी इस चुदाई से हमे मजा भी बहुत आ रहा था। 

अब उसने मुझे कसकर पकड़ लिया था। में नहीं रुका और चोदता गया अब मैने नीचे देखा उसकी चूत से खून निकल रहा था तभी वो बोली प्लीज आज मुझे ऐसे चोदो कि में आज पूरी आपकी हो जाऊं। मिटा दो इस चूत कि आग को चोदो और चोदो जोर से प्लीज अब मैने लंड के साथ अपनी एक ऊँगली भी उसकी चूत में डाली और उसे सहलाने लगा था। अब मेरी स्पीड कुछ कम हो गई थी क्योंकि में भी झड़ने वाला था लेकिन तभी कुछ देर के बाद मुझे लगा की में अब झड़ने लगा हूँ तो मैने और स्पीड बड़ा दी थी और वो चुदने का मजा ले रही थी मुझसे बिना कुछ कहे और फिर मेरे लंड से भी वीर्य निकल गया था और उसकी चूत भी बहुत पानी छोड़ चुकी थी। उसने मेरी तरफ देखा और कहा प्लीज अब कुछ देर लंड को चूत में रहने दो और वो खुद ही चूत को हिला कर चुदाई का मजा लेने लगी और कहने लगी आज तुमने ये क्या किया मेरी चूत को फाड़ दिया अब मुझे रोज कौन चोदेगा तुम फ़िक्र मत करो जब कहोगी में चोदूंगा इस चूत को और हम जब भी जी करता एक दूसरे की आग को बुझा देते है। मैने कई बार मौका देखकर उसे छत पर ही चोदा था।

सेठानी चाची की बड़ी चूत की मस्त और गचागच चुदाई Sethani chachi ki chut ki mast gachagach chudai

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मेरा नाम अजमेर-बॉय (बदला हुआ), वैशाली नगर अजमेर राजस्थान में मेरा घर है। हमारे घर के पास एक आंटी रहती हैं। उनके पति दुबई में काम करते हैं। मैं पैसों के लिए सेक्स करता हूँ पर पेशेवर नहीं हूँ। एक दिन मैं अपनी गाड़ी से बाज़ार जा रहा था, उसी समय आंटी भी बाज़ार के लिए निकलीं। मैंने भी उनसे बाज़ार जाने की बात की और उन्हें भी गाड़ी पर बैठने का आग्रह किया, तो आंटी ने ‘हाँ’ कह दी और वो गाड़ी पर बैठ गईं। मैंने उन्हें चूड़ी बाज़ार छोड़ दिया। मैं अपने काम से गया था सो काम करके वापस घर आ गया। अगले दिन उन्होंने मुझे कल के लिए ‘थैंक्स’ कहा और कभी घर पर आकर चाय पीने का बोला और चली गईं।

मैं एक दिन कालोनी मैं मॉर्निंग में पांच बजे मॉर्निंग-वाक पर निकला और आंटी भी वाक पर निकलीं। मैं उन्हें गुड-मॉर्निंग कह कर आगे बढ़ गया। बाद में आंटी से मेरी मुलाकात गार्डन में हुई। तब ही मुझे मालूम हुआ था कि उनके पति दुबई में हैं और वहीं पर काम करते हैं। आंटी और मैं वापस घर के लिए चल दिए, तब आंटी ने मुझ चाय के लिए कहा, मैं भी ‘हाँ’ कह कर उनके घर की तरफ चलने लगा। घर पर आने के बाद मैंने उनका घर अन्दर से देखा, तब मुझ वो घर किसी राजा का महल सा लगा।

आंटी ने चाय बनाई और चाय पीते-पीते बात होने लगी और हम आपस में घुल-मिल गए। आंटी ने मुझ रात के खाने का ऑफर दिया और कहा- शाम का खाना यहीं पर खा लेना। मैं हाँ करके वापस घर आ गया। दिन में एक ग्राहक के पास गया और उसकी जोरदार चुदाई के बाद मुझे दो हजार रूपए मिले। मैं घर आ गया। रात में आंटी का फ़ोन आया मुझे याद दिलाने के लिये कि मुझे खाना उनके घर पर खाना था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं रात 8 बजे आंटी के घर पर गया और आंटी ने मेरा स्वागत किया और मुझे बैठने को कह कर रसोई में चली गईं और काम करने लगीं। मैं भी उनकी मदद करने के लिए रसोई में चला गया और उनकी मदद करने लगा, वहाँ और बातें हुईं। तब बातों ही बातों में मालूम चला कि आंटी शराब की भी शौकीन हैं।

मैंने उनसे पूछा- आपको क्या पीना पसंद है?

उन्होंने कहा- मुझे बीयर पसंद है।

मैंने आग्रह के साथ पूछा- अगर आप कहें तो मैं बीयर लेकर आऊँ?

आंटी ने कहा- ठीक है।

और मैं गाड़ी लेकर गया, बीयर ले आया। आंटी और मैंने बीयर पीना चालू किया। बीयर पीने पर आंटी को कुछ ज्यादा ही नशा हो गया। मैंने आंटी को किसी तरह खाना खिलाया और आंटी को बेडरूम में सुलाने ले गया और आंटी को सुला कर मैं वापस जाने के लिया तैयार हुआ।

तभी आंटी ने कहा- तुम चाहो तो आज यहीं सो जाओ।

इस पर मैंने कहा- आंटी, मैं यहाँ पर?

तब आंटी ने कहा- मैं तुम्हारी फीस पे कर दूँगी।

मैं एकदम से दंग रह गया और आंटी का मुँह देखने लगा।

आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझसे कहा- मैं जानती हूँ कि तुम पैसों के लिए प्यासी औरतों की चुदाई करते हो।

और मैं सन्न रह गया।

“आपको कैसे मालूम?” मैं उल्लुओं की तरह अपनी पलकें झपका रहा था।

आंटी ने कहा- तुम्हारी अजय नगर वाली ग्राहक मेरी सहेली है। वो एक बार यहाँ आई थी, तब उसने तुम को यहाँ पर देख लिया था। तब उसने ही तुम्हारे बारे में बताया था।

मैं चूतिया सा अपना मुँह बाये खड़ा, मैं अवाक था !

और आंटी ने फिर से कहा- तुम अपनी फीस बोलो।

तब आंटी उठी और मेरा हाथ पकड़ा और कहा- चलो। तब मैं आंटी के साथ उनके बेडरूम में गया और उनका बेडरूम देख कर मेरा दिमाग हिल कर रह गया। आंटी का बेडरूम किसी होटल के रूम से भी ज्यादा अच्छा और मस्त था। बेडरूम में आंटी ने मुझ अपने पास बुला कर कहा- तुम तो पैसों के लिए चुदाई करते हो तो शरमा क्यों रहे हो !

मैं आंटी के पास गया और आंटी के कपड़े उतारने लगा। तब आंटी के मस्त उरोज देख कर मेरा दिमाग भन्ना गया और मैंने उनके और अपने भी कपड़े उतार दिया। आंटी नशे में थीं। मैंने आंटी को ऊंचाई पर बिठा दिया और उनकी चूत चाटने लगा। आंटी ‘उई माँ… उई माँ…’ चिल्लाने लगीं और उनकी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया। मैं आंटी की चूत का पानी पीने लगा।

“मादरचोद… बहन के लंड… चूस ले मेरी चूत !” उन्होंने मुझे गालियां देनी चालू कीं, तब मैंने अपना 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड निकाल कर आंटी के सामने खोल कर हिलाया। आंटी ने मेरा लंड देख कर अपनी आँखें हैरत से फैला लीं।

आंटी बोलीं- यह लंड है या मोटा मूसल !!

और आंटी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, उन्होंने मुझ पलंग पर पटक दिया और लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। आंटी ने लंड को चूस-चूस कर मार डाला था। ‘हाँ’ मार ही डाला था जब किसी लौड़े का पानी निकल जाता है वो मृत कहलाता है। आंटी ने मेरा लण्ड चूस-चूस कर उसका पानी निकाल दिया और पानी को पीना चालू किया। कुछ देर बाद आंटी ने चोदने के लिए कहा और बेड पर आकर लेट गईं। मैंने अपना मोटा लंड आंटी की चूत पर टिकाया और एक जोर का झटका दिया और मेरा मोटा लंड उनकी चूत में घुस गया।

‘फाड़ दी… माँ के लौड़े…’ आंटी दर्द के मारे जोर से चिल्लाईं और मुझ गालियाँ देने लगीं।

मैंने आंटी की गालियों की परवाह किए बगैर उन्हें हचक कर चोदने लगा। कुछ ही पलों में आंटी भी मेरा मोटा लंड आराम से लेने लगीं और चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई करवाने लगीं। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। आंटी ने चुदाई के दौरान मुझे गंदी-गंदी गालियाँ दीं और मुझे थप्पड़ भी मारे। मैं आंटी की चुदाई जोर-जोर से करने लगा। कुछ ही देर बाद जब मैं झड़ने को हुआ तो आंटी को बोला- मेरा तो होने वाला है।

तब आंटी ने मेरा लंड निकाल कर उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं और मेरे वीर्य को पी लिया। मेरा लंड पूरा खाली हो चुका था और आंटी तब भी लंड को जोर-जोर चूसे जा रही थीं। आंटी ने लण्ड को मुँह से बाहर निकाल कर कहा- मेरी ऐसी चुदाई 4 साल बाद मेरे पति के दुबई जाने के बाद पहली बार हुई है। आंटी और मैं एक बार नहा लिए और बाथरूम में मैंने आंटी की चूत चाटी और उनकी चूत का पानी भी पिया और आंटी को घोड़ी बना कर और एक बार चोदा। नहा कर बाहर आकर आंटी से थैंक्स कह कर मैं अपने घर पर जाने लगा तो आंटी ने मुझ से रुकने को कहा और खुद भी बैठ गईं।

मैंने आंटी से पूछा- उनको चुदाई कैसी लगी?

तो बोलीं- तुम हो ही घोड़े, तो मस्ती तो आएगी ही न !

मैंने आंटी के साथ इतना गंदे तरीके से चुदाइयाँ की हैं कि आप सोच भी नहीं सकते। आंटी की चुदक्कड़ सहेलियाँ भी गन्दी चुदाई ही पसंद करती हैं। मैं अपना काम करता हूँ पैसे कमाने का ! जिगोलो का काम करना जितना मजेदार होता है उतना ही गन्दा भी होता है। आपके विचारों का स्वागत है।

आखिर मेरे लंड से हो गई ज़हाज में दीदी की चुदाई Aakhir mere lund se ho gayi jahaj me Didi ki chudai

आखिर मेरे लंड से हो गई ज़हाज में दीदी की चुदाई, Aakhir mere lund se ho gayi jahaj me Didi ki chudai, बहन की चुदाई, दीदी को चोदा, सिस्टर की चूत में लंड डाल दिया, जहाज में दीदी को चोद दिया, बहन की चूत और भाई के लंड का मिलन, भाई ने अपनी बहन को चोदा, भाई बहन की चुदाई की हिंदी कहानी.

हेल्लो दोस्तों ! मैं एक बार फिर आप लोगों को मेरी ज़िन्दगी में हुई असली और सच्ची सेक्स कथा लिखने जा रहा हूँ। बात उन दिनों की है जब मैं कोलकाता में एक आर्ट कॉलेज में पढ़ता था। मेरे साथ संपा दीदी पढ़ती थी जो मुझसे एक साल सीनियर थी। अंडमान आइलैंड से हम दोनों ही थे हमारे कॉलेज में, इस लिए संपा दीदी मुझे अपनी भाई की तरह मानती थी। गर्मियों की छुट्टी शुरू होने वाली थी तो दीदी ने कहा- संजय चलो इस बार हम दोनों शिप (जहाज) से अंडमान जायेंगे !

मैंने कहा – ठीक है दीदी मैं टिकेट ले लूँगा।

और फिर हम लोग निर्धारित दिन में जहाज में चढ़ गए। कोलकाता से अंडमान आने के लिए ४ दिन लगते है। मैंने एक ही केबिन के टिकेट लिए थे। जहाज में चढ़ कर हमने खिड़की में से देखा कि शाम को ५.०० बजे जहाज बन्दर से छूटा और फिर धीरे धीरे कोलकाता का खिदिरपुर डॉक हमसे दूर होता जा रहा था। शाम के वक्त लाइट बहुत सुंदर दिख रही थी। तभी दीदी ने कहा- भाई देखो कितनी सुंदर दृश्य नज़र आ रहा है, इस सीन का लैंड स्केप बना सकते है। मैंने भी हाँ में हामी भरी। वक्त कटता गया, शाम के ७.०० बजे डिनर होता है जहाज में, इसलिए हम ७.३० तक डिनर खाकर अपने केबिन में आ गए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। दीदी ने कहा- संजय ! इस केबिन में तो चार सीट हैं फिर हम दोनों के अलावा और किसी को इस केबिन का टिकेट नहीं मिला क्या?

मैंने कहा- दीदी शायद जहाज खाली जा रहा है, इसलिए जहाज में लोग भी कम नज़र आ रहे हैं।

थोड़ी देर की खामोशी के बाद दीदी बोली- भाई इतनी जल्दी तो नींद नहीं आने वाली ! चलो कपड़े बदल लेते हैं और फिर हम एक दूसरे के स्केच बनाते हैं। 

मैंने भी हाँ कहा और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक नेक्कर और बनियान पहनकर बेड में बैठ गया।
दीदी ने कहा- दरवाजा बंद कर दो।

और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक स्कर्ट और हल्का सा टाप पहन कर बाहर आई। मैं देखता रह गया कि दीदी कितनी सुंदर लग रही हैं, इससे पहले दीदी को कभी इन कपड़ो में नहीं देखा था।

दीदी को पता चला तो बोली – संजय ! क्या देख रहे हो ? तुमको ठीक से मेरी फिगर दिखाई दे इसलिए ही इन कपड़ो को पहना है ताकि तुमको मेरी स्केच बनने कोई परेशानी न हो !

फिर हम दोनों एक दूसरे के स्केच बनाने लगे। मेरी नज़र तो बार बार संपा दीदी की छाती पर जाकर रुक जाती थी और मेरे लिए अपने लण्ड को हाफ पैन्ट में छुपाना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था क्योंकि दीदी की उभरी हुयी चुंचियाँ टॉप के भीतर से झाँकने लगी थी। दीदी को शायद पता चला या नहीं अचानक दीदी ने कहा- भाई क्या हुआ तुमको? क्या देख रहे हो? क्या कुछ दिक्कत हो रही है स्केच बनाने में या ठीक से दिख नहीं रही है मेरी फिगर ? चलो तुम्हारे लिए और थोड़ी एडजस्ट कर लेती हूँ, लकिन तुम भी अपना बनियान उतार कर बैठो, और फिर दीदी ने अपने स्कर्ट और टाप उतार दी।मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी। पर मैं चुपचाप से दीदी की ब्रा में बंद उनके बड़े बड़े बूब्स को ही देख रहा था।

तभी दीदी ने कहा- क्या हुआ संजय? जल्दी से अपनी बनियान उतार दो, मुझे भी तो तुम्हारा स्केच बनाने है। और इस तरह क्या देख रहे हो? ठीक से स्केच बनाओ !

मैंने धीरे से अपने बनियान उतार दिया और फिर स्केच बनाने लगा, पर मेरा लण्ड को हाफ-पैन्ट में छुप नहीं पा रहा था और मैं इधर उधर देखने लगा। शायद दीदी को मेरा लण्ड हाफ-पैन्ट में खड़ा होता दिख गया।

दीदी ने कहा- संजय ! क्या हुआ ? कभी इस तरह किसी लड़की को नहीं देखा क्या? तुम्हारी नियत तो ठीक है न ?

मेरा झूठ पकड़ में आ रहा था मेरा लण्ड पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था।

“क्या बात है….. तुम्हारा मुंह लाल क्यूँ हो रहा है…….?”

मेरी नजरों के सामने दीदी की ब्रा में उभरी हुयी चुंचियाँ के भीतर से झाँकने लगी। मेरी नजरें उनके स्तनों पर गड़ गयी। 

दीदी ने नीचे से ही तिरछी नजरों से उसे देखा… और मुझे गर्माते देख कर सीधे चोट की……”संजय …. मेरी छाती में क्या देख रहे हो …झांक कर ?”

“हाँ… नही…. क्या….?” मैं बुरी तरह झेंप गया।

“अच्छा.. अब मैं बताऊँ……कि क्या देख रहे हो तुम…..” मैं एकदम से शरमा गया।

“दीदी … वो…नही….सो…. सॉरी…”

“क्या सॉरी….. एक तो चोरी…फिर सॉरी…….”

“दीदी …. अच्छी लग रही है देखने में …..सॉरी कहा न ”

दीदी मेरे पाइंट पर से लण्ड के उभार को देख रही थी। मैंने ऊपर हाथ रख लिया।

“नहीं देखो… इधर.. ” मैं शरमा गया। 

दीदी मुस्कुरा उठी। “तो कान पकड़ो……..”

मैने अपने कान पकड़ लिए…… “बस…ना…”

हाथ हटाने पर लण्ड का उभार फिर से दिखने लगा। वो हंस पड़ी।

“नहीं देखो… इधर.. ” मैं शरमा गया। वो मुस्कुरा उठी।

अब मुझे समझ में आ गया था कि खुला निमंत्रण है। मेरा लण्ड का पूरा आकार तक दिखने लगा था। मैं उठ कर दीदी के पास आ गया। मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा-”दीदी …..तुम्हारे भी तो उभार हैं…… एक बार दिखा दो…..न …प्लीज़ !”

मैंने दीदी की पूरे बदन को देखा और फिर अचानक ही …… दीदी को बिस्तर पर चित लिटा दिया और उनकी पीठ पर सवार हो गया. वो कुछ कर पाती, उनके पहले मैंने उसको जकड़ लिया. मेरे लण्ड का जोर उनके चूतड़ों पर महसूस होने लगा था।

दीदी हलके से चीखी ..”संजू ….. ये क्या कर रहे हो …?”

“दीदी …मुझसे अब नहीं रहा जाता है ….!”

मैंने तुंरत ही उनके होंट पर अपने होंट रख दिए। मुझे लगा कि शायद दीदी को मजा आने लगा था।
मैंने उनके भारी स्तनों को पकड़ लिया और स्तनों को मसलना चालू कर दिया। वो सिमटी जा रही थी। पर मैंने हाथों से उनके उभारों को मसलना जारी रखा। वो अपने को बचाती भी रही…पर मुझे रोका भी नहीं। जब मैंने उनके उभारों को अच्छी तरह से दबा लिया तब उसने मुझे पीछे की ओर धक्का दे दिया और कहा -”बहुत बेशरम हो गए हो….”

उनके हाथ से पेंसिल नीचे गिर गयी। वो जैसे ही उठ कर पेंसिल उठाने को झुकी, मैंने फिर से उनके स्तनों पर कब्जा कर लिया।

“क्या हुआ…. अब बस करो ….छोड़ दो न ….. ये मत करो …. संजू …..हटो न ..?”

” अरे ….. हट जा न …… हटो संजय …”

“मना मत करो दीदी !”

“देखो मैं चिल्ला पडूँगी ..”

‘नहीं नहीं …ऐसा मत करना ……. दीदी … प्लीज़ एक बार देखने दो न …!”

मैंने दीदी के नरम नरम गोल चूतड़ों को हाथ से सहला दिया। गोलाइयां सहलाते हुए अपना हाथ दोनों फाकों की दरार में घुसा दिया और फिर अपनी उंगली घुसा कर उनकी गांड के छेद को सहलाने लगा। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। दीदी वैसे ही झुकी रही। अब मेरे हाथ उनकी चूत की तरफ़ बढ गए। वो सिहर उठी। जैसे ही उनकी चूत पैन्टी के ऊपर से दबी… चूत का गीलापन मेरे हाथ में लग गया। अब मैंने उनकी चूत को भींच दिया पर जल्दी से हाथ हटा दिया। और दीदी सीधी खड़ी हो गयी।

मैं मुस्कुराया “दीदी .. मज़ा आ गया…. तुम्हें कैसा लगा…?”

“अब तुम बेशरमी ज्यादा ही दिखा रहे हो…. स्केच नहीं बनाने क्या…?” दीदी भी मुस्कुरा कर कहा।

मैंने कहा- नहीं दीदी प्लीज़ मुझे अभी कुछ और करना है ….. 

और मैंने दीदी को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और उनकी पीठ के ऊपर फिर से बैठ गया और मैंने अपना नेक्कर उतार दिया और दीदी की पैन्टी भी उतार दी। अब मैं और दीदी नीचे से नंगे हो गए थे। मैंने फिर अपने लण्ड को उनके चूतड़ों पर दबाया, दीदी ने भी चूतड़ों को ढीला छोड़ दिया …और मेरा लण्ड उनकी गांड के छेद से टकरा गया।

दीदी ने फिर कहा-” अब बस करो ….छोड़ दो न ….. ये मत करो …. संजू …..हटो न …”

“आह संजू … मत करो …न …… देखो तुमने …क्या किया ?”

“दीदी ..कुछ मत बोलो …आज मैं तुम्हे छोड़ने वाला नहीं …. मेरी अपनी इच्छा जरूर पूरी करूँगा !”

मुझे तो आनंद आ रहा था … मैंने अपने लण्ड को दीदी की गांड के छेद से रगड़ना शुरू किया, दीदी चुप रही।
फिर अचानक मैंने दीदी को सीधा कर दिया … और अपना लण्ड उनको दिखाया …”देखो न दीदी … अपनी गांड से इसका क्या हाल किया है तुमने…”

उसने कहा ..”देख संजय …मैं हाथ जोड़ती हूँ … मुझे छोड़ दे अब … प्लीज़ ..”

” दीदी …सॉरी …. ये मेरे बस में नहीं है अब …… मैं अब पूरा ही मजा लूँगा ….. तुमने मुझे बहुत तड़पाया है ..”

मैंने उनकी ब्रा के हुक खोल दिए, उनके बूब्स को देख कर मेरा लण्ड ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगा तब सबसे पहले मैंने उनके निप्पल को चूपा। उनके निप्पल भी बड़े सख्त हो रखे थे और मुझे भी उन्हें चूपने का बड़ा मज़ा आ रहा था। फिर मैं उनके बूब्स को दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा मेरे इस तरह करने से वो और ज़्यादा तड़पने लगी। तब मैंने उनकी चूत को देखा, उसकी चूत पर बाल नहीं थे और उनकी चूत बहुत मस्त लग रही थी। उनकी चूत को देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया और मैं उनकी चूत को चाटने लगा। दीदी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी- आ आ आ आ ओ ऊ ऊ ओ ओ करने लगी. थोड़ी देर तक उनकी चूत चाटने के बाद मैंने देखा कि वो बहुत गरम हो चुकी थी लेकिन मैं उसको और गरम करना चाहता था इसलिए अब मैं अपने लण्ड को उनके पूरे बदन पर घुमाने लगा, पहले उनके चेहरे पर अपने लण्ड को लगाया फिर उनकी गर्दन पर, फिर उनके बूब्स पर, उनके निप्पल पर, उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह मैं अपने लण्ड को लगा रहा था। मेरे लण्ड से जो पानी निकल रहा था वो भी उनके पूरे बदन पर लग रहा था जिससे वो और ज़्यादा गरम हो रही थी। मैंने अपने लण्ड को उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह दबा दिया वो भी मेरे लण्ड को अपने बूब्स में रख कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी।
८ इंच लंबा और ३ इंच मोटा लण्ड देखते ही उनके होश उड़ गए और वो कहने लगी कि नहीं संजू प्लीज़ मेरे साथ वो मत करना मुझे बहुत दर्द होगा। 

मैंने कहा- डरो मत दीदी मैं बिल्कुल दर्द नहीं करूँगा।

मगर वो मान ही नहीं रही थी। तो मैंने उसको कहा कि क्या तुम मेरे इस हथियार को अपने मुंह में ले सकती हो?
उसने पहले तो मना किया पर फ़िर मेरे बार बार प्लीज़ कहने पर वो मान गई। अब वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं मानो जन्नत में था। उससे खूबसूरत लड़की को मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था और वो मेरा लण्ड चूस रही थी। थोड़ी देर के बाद वो पूरे मज़े के साथ चुसाई का काम करने लगी और उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। फिर क्या था मैंने अपना सारा माल दीदी की मुँह में ही डाल दिया। दीदी को शायद ख़राब लगा और उन्हें उलटी आने लगी।

मैं जल्दी से उनकी चूत पर झुक गया। मादक सी गंध आ रही थी। मैंने धीरे से अपने होंठ उनकी चूत पर रख दिये। वो तिलमिला उठी मैने अपनी जीभ उनकी चूत के होठों पर रख दी। वो सिसक पड़ी। होले होले मैं उनकी चूत की पूरी दरार चाटने लगा। वो तिलमिलाने लगी, तड़फ़ने लगी। मैंने अपनी जीभ की नोक उनकी चूत के छेद मे डाली और अन्दर तक ले गया। वो तड़फ़ती रही। मैं जोर जोर से चूत रगड़ने लगा। उनकी सिसकियां बढ़ने लगी। अब वो सारे बहाने छोड़ कर दोनों हाथो से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी। तभी वो काँपने लगी और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं उसका सारा पानी पी गया।

मैंने देखा कि वो हांफ रही है ओर मेरी तरफ़ देख रही है, मैंने उनके कान के पास जाकर फुसफुसा के कहा- दीदी अब बोलो तुम्हे कैसा लगा ?

दीदी ने आँख खोली और गहरी साँस ली। मैं उनके ऊपर से नीचे आ गया, दीदी तुंरत बिस्तर पर से नीचे आ गयी। अब दीदी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गई और मुस्कराया……उसने मुझे चूमना चालू कर दिया। एक हाथ नीचे ला कर मेरा मुरझाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी, मसलने लगी…….

लण्ड ने फिर से अंगडाई ली और जाग उठा. दीदी अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी। कुछ ही देर में मेरा लण्ड चोदने के लिए तैयार था। दीदी मेरे ऊपर लेट गयी, अपनी दोनों टांगे फैला दी, लण्ड का स्पर्श चूत के आस पास लग रहा था। मैंने उनके होंट अपने होटों में दबा लिए। हम दोनों अपने आप को हिला कर लण्ड और चूत को सही जगह पर लेने की कोशिश कर रहे थे। उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ लिया। मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी।

अचानक मेरे अन्दर आनंद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी। मेरा लण्ड फिर एक बार और मर्दानगी दिखने के लिए उतावला हो गया। मैंने बाजी पलटी और दीदी को नीचे लिटा दिया और कहा- दीदी एक बार असली खेल भी खेल लेते हैं फ़िर बहुत मज़ा आएगा।

वो फ़िर भी घबरा रही थी लेकिन अब की बार थोड़ा सा ही समझाने पर वो तुरंत मान गई और मैंने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर अपने लण्ड और उनकी चूत पर लगाया और अपना काम धीरे धीरे शुरू किया।
उसे बहुत दर्द हो रहा था और मेर लण्ड उनकी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर घुस गया। उनके मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल पड़ी…”संजू …. अ आह हह हह हह….. सी ई स स स ई एई….!”
एक धक्का मारा मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया। वोह चिल्लाई- आआआआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह . ..,संजू …….धीरे !

उनके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लण्ड उनकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, मैंने महसूस किया कि दर्द के मारे उनके आँखों से आंसू निकल आए थे। मैंने उनके गालो को चूम कर पूछा,” ज्यादा दर्द हो रहा है..?”

उसने जवाब दिया “इस दर्द को पाने के लिए हर लड़की जवान होती है.. इस दर्द को पाए बिना हर यौवन अधूरा है !”

मैं उनके इस जवाब पे बस मुस्कुरा ही पाया क्योंकि मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही.. अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। वो मुझ में लिपटी हुई थी…और मैं उसे चूम रहा था…वो मेरे नीचे थी और अपने पैरों को मेरे कमर के इर्द गिर्द लपेटे हुए थी मानो कोई सर्पिनी चंदन के पेड़ को अपने कुंडली से कसी हो..अब मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार तेज कर दी… पूरे केबिन में मादक माहौल था….. हमारी सिसकारियां ज़हाज के इस केबिन में ऐसे गूंज रही थी मानो जलजला आने से पहले बदल गरज रहे हो…

वो जलजला जल्द ही आया जब मैं अपने कमर की हरकतों की वजह से चरम सीमा पे पहुँचने वाला था .. उधर दीदी भी मुझे बोल रही थी…”.. संजू प्लीज और जोर से..और जोर से …मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही है “… मैं समझ गया कि वो भी चरम सीमा पे है… आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। इस पर मैंने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी। देखते ही देखते हम उफान पर थे और सैलाब बस फूटने ही वाला था कि मैंने अपना लण्ड बाहर निकला और मानो मेरे लण्ड से कोई झरना फ़ूट पड़ा हो.. मैं वापस उनके बाँहों में निढाल हो गया ..

बहुत देर बाद जब मैं उठा और देखा कि संपा दीदी की जांघों पर खून गिरा है तब मैं समझ गया कि वो अभी तक अन्छुई थी .. मुझे ये देख कर अपने किस्मत पर गर्व हो रहा था और साथ ही साथ दीदी के बारे में सोचने लगा कि .. ऐसी लड़की नहीं थी कि किसी को भी अपना शरीर सौंप दे .. इतने दिनों से अकेले कोलकाता में रहने के बाद भी वो आज तक अन्छुई थी…

मैंने पास में पड़े तौलिए को उठाया और उनके बूर के ऊपर लगे खून को साफ़ करने लगा। जब खून साफ़ हुआ तो मैंने एक बात गौर की और मुस्कुराने लगा।

दीदी ने मुझ से पूछा कि”… तुम क्या सोच कर मुस्कुरा रहे हो ..?”

मैंने उनके बिल्कुल बिना बाल के गुलाब की पंखुड़ियों सी योनि-लबों को चूम कर के बोला… ” दीदी सच बताऊँ तो .. मैंने तुम्हारी बूर अभी तक नहीं देखी थी.. और साफ़ करते वक्त अभी ही देखा….!” और हम दोनों हंस पड़े..
उस दिन से अगले ४ दिन तक आप समझ ही सकते है कि हमारे सैलाब में कितनी बार उफान आई होगी.. जब तक हम अंडमान नहीं पहुँचे। 

शरीर से काम-रस बाहर आने पर ही चैन मिलता है Sharir se kaam ras bahar aane par chain milta hai

शरीर से काम-रस बाहर आने पर ही चैन मिलता है, Sharir se kaam ras bahar aane par chain milta hai. मैं चुदना चाहती थी और आज भी चुदना चाहती हूँ, मुझे चुदाई का चस्का बचपन से ही है, मेरी चूत में चुदाई करवाने की आग लगी रहती थी और आज भी मेरी चूत प्यासी है, मैं ऐसे मर्द को चाहती थी जो बड़े लंड से मेरी चूत फाड़ दे और गांड भी मारे, कुवारी लड़की की चुदाई, भोलीभाली लड़की की चूत काफी टाईट थी.

जब मैं कुवांरी थी तब मेरी चुदने की इच्छा कम होती थी। क्यूंकि मुझे इस बारे में अधिक नहीं मालूम था। आज मेरी शादी हुये लगभग पांच साल हो चुके हैं, मैं बेशर्मी की हदें पार करके सभी तरीको से अपने पति से चुदवा चुकी हूँ। जी हां ! बिल्कुल अनजान बन कर ! भोली बन कर ! और मासूम बन कर ... ! जैसे कि मैं सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। यही भोलापन, मासूमियत उनके लण्ड को खड़ा कर चोदने पर मजबूर कर देती थी। आप ही बताईये, लड़कियां जब भोली बन कर, अनजान बनकर और मासूम सा चेहरा लेकर लण्ड लेती हैं तब पति को लगता है कि मेरी बीवी सती सावित्री है ...

पर वो क्या जाने, हम लोग भोली बनकर ऐसे ऐसे मोटे मोटे और लम्बे लण्ड डकार जाती हैं कि उनके फ़रिश्तों तक को पता नहीं चल पाता है।

पर अब बड़ी मुश्किल आन पड़ी है। वो छ्ह माह के लिये कनाडा चले गये हैं ... मुझे यहां अकेली तड़पने के लिये। पर हां ! यह उनका उपकार है कि मेरी देखभाल करने के लिये उन्होंने अपने दोस्त के बेटे दीपू को कह दिया था कि वह मेरा ख्याल रखे।

जानते हैं आप, उसने कैसा ख्याल रखा ... मुझे चोद चोद कर बेहाल कर दिया ... नए नए तरीकों से ! मुझे खूब चोदा ...

क्या हुआ था आप जानना चाहेंगे ना ...

मेरे पति के कनाडा जाने के बाद रात को दीपू खाना खा कर मेरे यहां सोने के लिये आ जाता था।

गर्मी के दिन थे ... मैं अधिकतर छत पर ही अकेली सोती थी। कारण यह था कि रात को अक्सर मेरी वासना करवटें लेने लगती थी। बदन आग हो जाता था। मैं अपना जिस्म उघाड़ कर छत पर बेचैनी के कारण मछली की तरह छटपटाने लग जाती थी। पेटीकोट ऊपर उठा कर चूत को नंगी कर लेती थी, ब्लाऊज उतार फ़ेंकती थी। ठण्डी हवा के मस्त झोंके मेरे बदन को सहलाते थे। पर बदन था कि उसमें शोले और भड़क उठते थे। मुठ मार मार कर मैं लोट लगाती थी ... फिर जब मेरे शरीर से काम-रस बाहर आ जाता था तब चैन मिलता था।

आज भी आकाश में हल्के बादल थे। हवा चल रही थी ... मेरे जिस्म को गुदगुदा रही थी। एक तरावट सी जिस्म में भर रही थी। मन था कि उड़ा जा रहा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। उसी मस्त समां में मेरी आंख लग गई और मैं सो गई। अचानक ऐसा लगा कि मेरे शरीर पर पानी की ठण्डी बूंदे पड़ रही हैं। मेरी आंख खुल गई। हवा बन्द थी और बरसात का सा मौसम हो रहा था। तभी टप टप पानी गिरने लगा। मुझे तेज सिरहन सी हुई। मेरा बदन भीगने लगा। जैसे तन जल उठा।

बरसात तेज होती गई ... बादल गरजने लगे ... बिजली तड़पने लगी ... मैंने आग में जैसे जलते हुये अपना पेटीकोट ऊंचा कर लिया, अपना ब्लाऊज सामने से खोल लिया। बदन जैसे आग में लिपट गया ...

मैंने अपने स्तन भींच लिये ... और सिसकियाँ भरने लगी। मैं भीगे बिस्तर पर लोट लगाने लगी। अपनी चूत बिस्तर पर रगड़ने लगी। इस बात से अनजान कि कोई मेरे पास खड़ा हुआ ये सब देख रहा है।

"रीता भाभी ... बरसात तेज है ... नीचे चलो !"

मेरे कान जैसे सुन्न थे, वो बार बार आवाज लगा रहा था।

जैसे ही मेरी तन्द्रा टूटी ... मैं एकाएक घबरा गई।

"दीपू ... तू कब आया ऊपर ... " मैंने नशे में कहा।

"राम कसम भाभी मैंने कुछ नहीं देखा ... नीचे चलो" दीपू शरम से लाल हो रहा था।

"क्या नहीं देखा दीपू ... चुपचाप खड़ा होकर देखता रहा और कहता है कुछ नहीं देखा" मेरी चोरी पकड़ी गई थी। उसके लण्ड का उठान पजामें में से साफ़ नजर आ रहा था। अपने आप ही जैसे वह मेरी चूत मांग रहा हो। मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और उसे दबोच लिया ... कुछ ही पलों में वो मुझे चोद रहा था। अचानक मैं जैसे जाल में उलझती चली गई। मुझे जैसे किसी ने मछली की तरह से जाल में फ़ंसा लिया था, मैं तड़प उठी ... तभी एक झटके में मेरी नींद खुल गई।

मेरा सुहाना सपना टूट गया था। मेरी मच्छरदानी पानी के कारण मेरे ऊपर गिरउ गई थी। दीपू उसे खींच कर एक तरफ़ कर रहा था। मेरा बदन वास्तव में आधा नंगा था। जिसे दीपू बड़े ही चाव से निहार रहा था।

"भाभी ... पूरी भीग गई हो ... नीचे चलो ... " उसकी ललचाई आंखे मेरे अर्धनग्न शरीर में गड़ी जा रही थी। मुझ पर तो जैसे चुदाई का नशा सवार था। मैंने भीगे ब्लाऊज ठीक करने की कोशिश की ... पर वो शरीर से जैसे चिपक गया था।

"दीपू जरा मदद कर ... मेरा ब्लाऊज ठीक कर दे !"

दीपू मेरे पास बैठ गया और ब्लाऊज के बटन सामने से लगाने लगा ... उसकी अंगुलियाँ मेरे गुदाज स्तनों को बार बार छू कर जैसे आग लगा रही थी। उसके पजामे में उसका खड़ा लण्ड जैसे मुझे निमंत्रण दे रहा था।

"भाभी , बटन नहीं लग रहा है ... "

"ओह ... कोशिश तो कर ना ... "

वह फिर मेरे ब्लाऊज के बहाने स्तनों को दबाने लगा ... जाने कब उसने मेरे ब्लाऊज को पूरा ही खोल दिया और चूंचियां सहलाने लगा। मेरी आंखे फिर से नशे में बंद हो गई। मेरा जिस्म तड़प उठा। उसने धीरे से मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया। मैंने लण्ड को थाम लिया और मेरी मुठ्ठी कसने लगी।

बरसात की फ़ुहारें तेज होने लगी। दीपू सिसक उठा। मैंने उसके भीगे बदन को देखा और जैसे मैं उस काम देवता को देख कर पिघलने लगी। चूत ने रस की दो बूंदें बाहर निकाल दी। चूंचियां का मर्दन वो बड़े प्यार से कर रहा था। मेरे चुचूक भी दो अंगुलियों के बीच में सिसकी भर रहे थे। मेरी चूत का दाना फ़ूलने लगा था। अचानक उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया और दाने पर उसकी रगड़ लग गई।

मैं हाय करती हुई गीले बिस्तर पर लुढ़क गई। मेरे चेहरे पर सीधी बारिश की तेज बूंदे आ रही थी। गीला बिस्तर छप छप की आवाज करने लगा था।

"रीता भाभी ... आप का जिस्म कितना गरम है ... " उसकी सांसे तेज हो गई थी।

"दीपू ... आह , तू कितना अच्छा है रे ... " उसके हाथ मुझे गजब की गर्मी दे रहे थे।

"भाभी ... मुझे कुछ करने दो ... " उसका अनुनय विनय भरा स्वर सुनाई दिया।

" कर ले, सब कर ले मेरे दीपू ... कुछ क्यों ... आजा मेरे ऊपर आ जा ... हाय, मेरी जान निकाल दे ... "

मेरी बुदबुदाहट उसके कानो में जैसे अमृत बन कर कर उतर गई। वो जैसे आसमान बन कर मेरे ऊपर छा गया ... नीचे से धरती का बिस्तर मिल गया ... मेरा बदन उसके भार से दब गया ... मैं सिसकियाँ भरने लगी। कैसा मधुर अनुभव था यह ... तेज वर्षा की फ़ुहारों में मेरा यह पहला अनुभव ... मेरी चूत फ़ड़क उठी, चूत के दोनों लब पानी से भीगे हुये थे ... तिस पर चूत का गरम पानी ... बदन जैसे आग में पिघलता हुआ, तभी ... एक मूसलनुमा लौड़ा मेरी चूत में उतरता सा लगा। वो दीपू का मस्त लण्ड था जो मेरे चूत के लबों को चूमता हुआ ... अन्दर घुस गया था।

मेरी टांगे स्वतः ही फ़ैल गई ... चौड़ा गई ... लण्ड देवता का गीली चूत ने भव्य स्वागत किया, अपनी चूत के चिकने पानी से उसे नहला दिया। दीपू लाईन क्लीअर मान कर मेरे से लिपट पड़ा और चुम्मा चाटी करने लगा ... मैं अपनी आंखें बंद करके और अपना मुख खोल कर जोर जोर से सांस ले रही थी ... जैसे हांफ़ रही थी। मेरी चूंचियां दब उठी और लण्ड मेरी चूत की अंधेरी गहराईयों में अंधों की तरह घुसता चला गया। लगा कि जैसे मेरी चूत फ़ाड़ देगा। अन्दर शायद मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। मुझे हल्का सा दर्द जैसा हुआ। दूसरे ही क्षण जैसे दूसरा मूसल घुस पड़ा ... मेरी तो जैसे हाय जान निकली जा रही थी ... सीत्कार पर सीत्कार निकली जा रही थी। मैं धमाधम चुदी जा रही थी ... दीपू को शायद बहुत दिनों के बाद कोई चूत मिली थी, सो वो पूरी तन्मयता से मन लगा कर मुझे चोद रहा था। बारिश की तेज बूंदें जैसे मेरी तन को और जहरीला बना रही थी।

दीपू मेरे तन पर फ़िसला जा रहा था। मेरा गीला बदन ... और उसका भीगा काम देवता सा मोहक रूप ... गीली चूत ... गीला लण्ड ... मैं मस्तानी हो कर लण्ड ले रही थी। मेरे

शरीर से अब जैसे शोले निकलने लगे थे ... मैंने उसके चूतड़ों को कस लिया और उसे कहा,"दीपू ... नीचे आ जाओ ... अब मुझे भी चोदने दो !"

"पर रीता भाभी, चुदोगी तो आप ही ना ... " दीपू वर्षा का आनन्द लेता हुआ बोला।

"अरे, चल ना, नीचे आ जा ... " मैं थोड़ा सा मचली तो वो धीरे से मुझे लिपटा कर पलट गया। अब मेरी बारी थी, मैंने चूत को लण्ड पर जोर दे कर दबाया। उसका मूसल नुमा लण्ड इस बार मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ मारता हुआ सीधा जड़ तक आ गया। मेरे लटकते हुये स्तन उसके हाथ में मसले जा रहे थे। दीपू की एक अंगुली मेरे चूतड़ों की दरार में घुस पड़ी और छेद को बींधती हुई गाण्ड में उतर गई।

मैं उसके ऊपर लेट गई और अपनी चूत को धीरे धीरे ऊपर नीचे रगड़ कर चुदने लगी। बारिश की मोटी मोटी बूंदें मेरी पीठ पर गिर रही थी। मैंने अपना चेहरा उसकी गर्दन के पास घुसा लिया और आंखें बन्द करके चुदाई का मजा लेने लगी। हम दोनों जोर जोर से एक दूसरे की चूत और लण्ड घिस रहे थे ... मेरे आनन्द की सीमा टूटती जा रही थी। मेरा शरीर वासना भरी कसक से लहरा उठा था। मुझे लग रहा था कि मेरी रसीली चूत अब लपलपाने लगी थी। मेरी चूत में लहरें उठने लगी थी। फिर भी हम दोनों बुरी तरह से लिपटे हुये थे। मेरी चूत लण्ड पर पूरी तरह से जोर लगा रही थी ... बस ... कितना आनन्द लेती, मेरी चूत पानी छोड़ने लिये लहरा उठी और अन्ततः मेरी चूत ने पानी पानी छोड़ दिया ... और मैं झड़ने लगी। मैं दीपू पर अपना शरीर लहरा कर अपना रज निकाल रही थी।

मैं अब उससे अलग हो कर एक तरफ़ लुढ़क गई। दीपू उठ कर बैठ गया और अपने लण्ड को दबा कर मुठ मारने लगा ... एक दो मुठ में ही उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया और बरसात की मूसलाधार पानी के साथ मिल कहीं घुल गया। हम दोनों बैठे बैठे ही गले मिलने लगे ... मुझे अब पानी की बौछारों से ठण्ड लगने लगी थी। मैं उठ कर नीचे भागी। दीपू भी मेरे पीछे कपड़े ले कर नीचे आ गया।

मैं अपना भीगा बदन तौलिये से पोंछने लगी, पर दीपू मुझे छोड़ता भला। उसने गीले कपड़े एक तरफ़ रख दिये और भाग कर मेरे पीछे चिपक गया।

"भाभी मत पोंछो, गीली ही बहुत सेक्सी लग रही हो !"

"सुन रे दीपू, तूने अपनी भाभी को तो चोद ही दिया है , अब सो जा, मुझे भी सोने दे !"

"नहीं रीता भाभी ... मेरे लण्ड पर तो तरस खाओ ... देखो ना आपके चूतड़ देख कर कैसा कड़क हो रहा है ... प्लीज ... बस एक बार ... अपनी गाण्ड का मजा दे दो ... मरवा लो

प्लीज ... "
"हाय ऐसा ना बोल दीपू ... सच मेरी गाण्ड को लण्ड के मजे देगा ... ?" मुझे उसका ये प्रेमभाव बहुत भाया और मैंने उसके लण्ड पर अपनी कोमल और नरम पोन्द दबा दिये। उसका फिर से लण्ड तन्ना उठा।

" भाभी मेरा लण्ड चूसोगी ... बस एक बार ... फिर मैं भी आपकी भोसड़ी को चूस कर अपको मजा दूंगा !"

"हाय मेरे राजा ... तू तो मेरा काम देवता है ... "मैंने अपने चूतड़ों में से उसका लण्ड बाहर निकाल लिया और नीचे झुकती चली गई। उसका लण्ड आगे से मोटा नहीं था पर पतला था, उसका सुपाड़ा भी छोटा पर तीखा सा था, पर ऊपर की ओर उसका डण्डा बहुत ही मोटा था। सच में किसी मूली या मूसल जैसा था। मैंने मुठ मारते हुये उसे अपने मुख में समा लिया और कस कस कर चूमने लगी। मुझे भी लग रहा था कि अब दीपू भी मेरी भोसड़ी को चूस कर मेरा रस निकाले। मैंने जैसे ही उसका लण्ड चूसते हुये ऊपर देखा तो एक बार में ही वो समझ गया। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। उसकी लपलपाती हुई जीभ मेरी चूत के भीतरी भागों को सहला रही थी। जीभ की रगड़ से मेरा दाना भी कड़ा हो गया था। मैं सुख से सराबोर हो रही थी। तभी दीपू ने तकिया लेकर कहा कि अपनी चूतड़ के नीचे ये रख लो और गाण्ड का छेद ऊपर कर लो।

पर मैंने जल्दी से करवट बदली और उल्टी हो गई और अपनी चूत को तकिये पर जमा दी। मैंने अपनी दोनों टांगे फ़ैला कर अपना फ़ूल सा भूरा गुलाब खिला कर लण्ड़ को हाज़िर कर दिया। उसका मूसल जैसा लण्ड चिकनाई की तरावट लिये हुये मेरे गुलाब जैसे नरम छेद पर दब गया। मैंने पीछे घूम कर उसे मुस्करा कर देखा। दूसरे ही क्षण लण्ड मेरी गाण्ड पर घुसने के लिये जोर लगा रहा था। मैंने अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ा और लण्ड का स्वागत किया। वो धीरे धीरे प्यार से अंधेरी गुफ़ा में रास्ता ढूंढता हुआ ... आगे बढ़ चला। मेरी गाण्ड तरावट से भर उठी। मीठी मीठी सी गुदगुदी और मूसल जैसा लण्ड, पति से गाण्ड मराने से मुझे इस लण्ड में अधिक मजा आ रहा था। उसके धक्के अब बढ़ने लगे थे। मेरी गाण्ड चुदने लगी थी।

मैं उसे और गहराई में घुसाने का प्रयत्न कर रही थी। मेरे चूतड़ ऊपर जोर लगाने लगे थे। दीपू ने मौका देखा और थोड़ा सा जोर लगा कर एक झटके में लण्ड को पूरा बैठा दिया। मैं दर्द से तड़प उठी।

"साला लण्ड है या लोहे की रॉड ... चल अब गाड़ी तेज चला ... "

वो मेरी पीठ पर लेट गया। उसके हाथ मेरे शरीर पर चूंचियाँ दबाने के लिये अन्दर घुस पड़े ... मैंने जैसे मन ही मन दीपू को धन्यवाद दिया। दोनों बोबे दबा कर उसकी कमर मेरी गाण्ड पर उछलने कूदने लगी। मैं खुशी के मारे आनन्द की किलकारियाँ मारने लगी। सिसकी फ़ूट पड़ी ... । उसके सेक्सी शरीर का स्पर्श मुझे निहाल कर रहा था। मेरी चूंचियाँ दबा दबा कर उसने लाल कर दी थी। उसका लण्ड मेरी गाण्ड की भरपूर चुदाई कर रहा था। मेरी चूत भी चूने लग गई थी। उसमें से भी पानी रिसने लगा था। मेरी गाण्ड में मनोहारी गुदगुदी उठ रही थी, अब तो मेरी चूत में भी मीठी सी सुरसराहट होने लग गई थी। मेरी चूत लण्ड की प्यासी होने लगी। हाय ... कितना अच्छा होता कि अब ये लण्ड मेरी चूत की प्यास बुझाता ... मैंने गाण्ड मराते हुये घूम कर दीपू को आंख से इशारा किया।

"आह्ह नहीं रीता भाभी ... तंग गाण्ड का मजा ही जोर का है ... पानी निकालने दो प्लीज !"

"हाय रे फिर कभी गाण्ड चोद लेना, अभी तो मेरी चूत मार दे दीपू !"

"तो ये ले भोसड़ी की ... हाय भाभी सॉरी ... गाली मुँह से निकल ही गई !"

"नहीं रे चुदाते समय सब कुछ भला सा लगता है ... " फिर मेरे मुख से सीत्कार निकल पड़ी। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में जोर से घुसेड़ दिया था ... बस लण्ड का स्पर्श जैसे ही चूत को मिला ... मेरी चूत फ़ड़क उठी। लड़कियों की चूत में लण्ड घुसा और वो सीधे स्वर्ग का आनन्द लेने लगती है। मेरी चूत की कसावट बढ़ने लगी ... वो मेरे पीठ पर सवार हो कर चूत चोद रहा था। उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा ... शायद लण्ड को अन्दर पेलने में तकलीफ़ हो रही थी। मेरी गाण्ड ऊंची होते ही उसका लण्ड चूत में यूं घुस गया जैसे कि किसी बड़े छेद में बिना किसी तकलीफ़ सीधे सट से मोम में घुस गया हो। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मेरी चूत बहुत गीली हो गई थी। किसी बड़े भोसड़े की तरह चुद रही थी ... उसने मेरे स्तन एक बार फिर से पकड़ते हुये अपनी ओर दबा लिये। मुझे चुचूकों को दबाने से और चूत में मूसल की रगड़ से मस्ती आने लगी। उसका लण्ड मेरी चूत को तेजी से झटके मार मार कर चोद रहा था। अचानक उसका चोदने का तरीका बदल गया। करारे शॉट पड़ने लगे। मेरी चूत मे तेज आनन्द दायक खुजली उठने लगी। लगा कि चूत पानी छोड़ देगी।

"मां ... मेरी ... दीईईईपूऊऊऊ चोद मार रे ... निकाल दे फ़ुद्दी का पानी ... हाय राम जीऽऽऽऽ ... मेरी तो निकल गई राजा ... आह्ह्ह्ह" और मैंने अपना पानी छोड़ दिया ...

उसका हाथ स्तनों पर से खींच कर हटाने लगी ...

"बस छोड़ दे अब ... मत कर जल रही है ... " पर उसे कहाँ होश था ... मैं दर्द के मारे चीख उठी और दीपू ... उसका माल छूट गया ... उसकी चीख ने मेरी चीख का साथ दिया ...

उसका लण्ड बाहर निकल आया और अपना वीर्य बिस्तर पर गिराने लगा। कुछ देर तक यूं ही माल निकलने का सिलसिला चलता रहा। फिर उस बिस्तर से उठे और हम दोनों दूसरे बिस्तर पर नंगे ही जाकर लेट गये ... और फिर जाने कब हम दोनों ही सो गये।

मुझे लगा कि कोई मुझे बुरी तरह झकझोर रहा है ... मेरी आंख खुल गई ... सवेरा हो चुका था ... पर ये दीपू ... मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाने का प्रयत्न कर रहा था ... मुझे हंसी आ गई ... मैंने अपने दोनों टांगें पसार दी और उसका लण्ड अपनी चूत में समेट लिया। उसे अपने से कस कर सुला लिया। मैं सुबह सवेरे फिर से चुद रही थी ... मुझे अपनी सुहागरात की याद दिला रही थी ... सोना नहीं ... बस चुदती रहो ... सुबह चुदाई, दिन को चुदाई रात को तो पूछो मत ... शरीर की मां चुद जाती थी ... हाय मैंने ये क्या कह दिया ...
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