मनेजर ने मेरी की ऑफिस की लिफ्ट में चुदाई manager ne meri ki office ki lift me chudai, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.
हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम जायरा हैं और आज मैं आप को मेरी चुदाई की एक घटना बताने आई हूँ. मैं दिल्ली के एक ऑफिस में रिसेप्शन का काम करती हूँ. मेरी उम्र 36 साल हैं और मेरी शादी हुए 10 साल हो चुके हैं. 10 साल के वैवाहिक जीवन में मुझे एक बेटा हुआ हैं जिसकी उम्र अभी 6 साल हैं. यह बात आज से कुछ 6 महीने पहले की हैं. उस शाम को मैं ऑफिस से निकलने ही वाली थी. तभी निबिद साहब (हमारे मैनेजर) ऑफिस से बाहर निकले और उन्होंने पूछा, “जायरा आज तुम घर नहीं गई अभी तक? हसबंड लेने तो आ रहे हैं ना.?” मैं: नहीं सर, आज हसबंड पुणे गए हुए हैं किसी काम से. मेरा बेटा अपनी नानी के वहाँ हैं. मैं घर जाते वक्त पार्सल ले लुंगी डिनर का. और बस लेट की हैं इसलिए मैं यहीं रुक गई. निबिद की आँखों में यह सुन के जैसे की एक अजब सी चमक आ गई. उन्होंने कहा, “अगर तुम फ्री हो तो हम लोग बाहर खाने के लिए जा सकते हैं.”
मुझे पहले तो लगा की वो मजाक कर रहे हैं इसलिए मैंने हां या ना कुछ नहीं कहा. वैसे पहले भी सर मुझे गलत नजरों से देखते रहते थे. लेकिन मैंने देखा की वो आराम से खड़े मेरे जवाब की राह देख रहे थे. मैंने इधर उधर देखा और कहा, “सर कोई गलत मतलब निकाल लेंगा इसका…!” निबिद: अरे छोडो वो सब, कोई अच्छे रेस्टोरेंट में डिनर कर के मैं तुम्हे अपनी गाडी में घर ड्राप कर दूंगा. अब मैं ना कही कर सकी. निबिद साहब की ऑडी गाडी में हम लोग करीब के ही एक चाइनीज़ रेस्टोरेंट में गए जहाँ उन्होंने दो तीन चींजें ऑर्डर की. बातों बातों में मैंने देखा की उनकी टांग मेरी टांग से टकरा रही थी. वो जानबूझ के ऐसा कर रहे थे शायद. मैंने देखा की अब मुझे निचे अपनी जांघ के ऊपर भी कुछ स्पर्श हो रहा था. अरे बाप रे निबिद साहब ने अपने हाथ को मेरी जांघ पे घिसा था. मैं घबरा गई की ऐसे भरचक रेस्टोरेंट में भी यह आदमी अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहा. मैं सच में घबरा रही थी की कही किसी ने एम्एम्एस बना लिया तो प्रॉब्लम हो जायेंगी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैंने अपनी कुर्सी को पीछे खिंचा और निबिद के चुदाई के सपने को जैसे तोड़ दिया. निबिद भी समझ गया कि मैं अभी इंटरेस्टेड नहीं हूँ और उसने चाउमीन को खाना चालू कर दिया. फिर मैंने हम दोनों खाना खाने के बाद रेस्टोरेंट से बाहर आयें तो मैंने देखा की मेरे घर की तरफ की एक बस आ रही थी. मैंने निबिद को थेंक्स कहा और बस पकड ली. पुरे रास्ते में इस गोल्डन चांस को छोड़ देने पे मैं मन ही मन पछता रही थी. निबिद कुछ 35 साल के होंगे लेकिन उनका फिजिक किसी जवान लड़के को भी शर्म में डाल सकता हैं. और ऐसे बन्दे से चुदवाना तो फिर एक सुनहरा मौका ही था मेरे लिए. रात को मुझे वही सारे ख़याल आये. जैसे की निबिद मेरी हार्ड चुदाई कर रहे हैं और मैं उनके लंड के ऊपर बैठ के उछल रही हूँ. दो बार तो इस ख़याल से मेरी आँख भी खुल गई थी. ज्यों त्यों से मेरी रात निकली और सुबह मैं ऑफिस के लिए निकल पड़ी, आज वक्त से पहले ही.
टेबल के ऊपर टेलीफोन वगेरह साफ़ कर के मैं अब जैसे निबिद साहब की ही राह देख रही थी. वो 10 बजे भी चले आते हैं कभी कभी. लेकिन आज 12 बजने तक भी उनका कोई नामोनिशान नहीं था. आज से पहले मैंने इतनी बेसब्री से किसी का भी इंतजार नहीं किया. तभी कुछ 12:20 को निबिद आये, उनके हाथ में एक छोटी सी ब्रीफकेस थी. आज उन्होंने मुझे गुड आफ्टरनून भी नहीं कहा और वो सीधे ही अपने केबिन की और चल पड़े. आखिर मुझे जिसका डर था वही हुआ ना. मैंने उन्हें भड़का दिया था. जब आदमी को लगता हैं की इस चूत से तेल नहीं निकलने वाला तो वो उसे रिजेक्ट कर देते हैं. ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था. निबिद साहब को लगा की मैं इंटरेस्टेड नहीं हूँ इसलिए वो अब दूर रह रहे थे. या फिर उन्हें सच में गुस्सा आया था मुझ पर. मैंने सोचा की चलो देख ही लूँ जा के उनके केबिन में. मैंने अपनी स्कर्ट ऊँची की और सीधे उनकी ऑफिस में जा पहुंची. केबिन पे नोक करते ही उनकी आवाज आई, “कम इन प्लीज़.” आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
लेकिन जैसे ही मुझे देखा वो जैसे निरुत्तर से हो गए. मैंने उनके टेबल पे जानबूझ के झुक के अपनी बूब्स की गली का उन्हें नजारा करवाया. लेकिन वो तो फ़ाइल में ही अपनी माँ चुदवा रहे थे.
मैं: क्या बात हैं सर, आप तो नाराज हो गए.
निबिद: जायरा, ऐसी बात नहीं हैं. अगर तुम को दिलचस्पी ना हो फिर मैं लट्टू नहीं बनना चाहता हूँ.
मैंने अपनी चुंचियां निबिद के सामने और खोलते हुए कहा, “आप को किसने कहा की मुझे दिलचस्पी नहीं हैं?” निबिद की आँखों में एक अजब सी चमक आ गई उसने मेरी और देखा और कहा, “फिर कल भाग क्यूँ गई थी?” मैं: मैं अभी भी पछता रही हूँ. आज भी मैं शाम को फ्री हूँ; चलेंगे चायनिज़ खाने के लिए.
निबिद अपना सर खुजाते हुए: अरे बाबा मेरी दिल्ली की फ्लाइट हैं 1 घंटे में. और उसने बिना रुके आगे कहा, “अभी कुछ नहीं कर सकते हैं क्या हम.?”
मैंने चौंक के पूछा, “अभी, कहाँ, कैसे?”
निबिद ने कुछ सोचा और बोला, “आओ मेरे साथ.”
मैं उसके पीछे चलने लगी. जाते वक्त उसने मेरी टेलीफोन की पिन को निकाल डाला ताकि घंटी बजती ना रहें. हम लोग सीडियों से उपर होते हुए दूसरी मंजिल पे आये. और मैं समझ गई की वो कहाँ ले के जा रहा था मुझे. दुसरे मंजले पे एक स्टोर रूम था और एक लिफ्ट थी जो ख़राब थी. वो एक पुरानी लिफ्ट थी जिसे बंध कर के नई लिफ्ट लगवाई गई थी. दुसरे मजले पे शायद ही कोई आता था. निबिद मेरा हाथ पकड के लिफ्ट में घुसे और उसके दरवाजे को बंध किया. उन्होंने दरवाजे को थोडा खुला रखा और हम दोनों अंदर बंध थे. काफी गरम लग रहा था वहां पे. एक भी पल को गवाएं बिना निबिद साहब ने मेरे स्कर्ट को ऊपर कर दिया. मेरी पेंटी पहले से गीली हो चुकी थी, जिसे निचे खींचने में उन्होनें दूसरी मिनट वेस्ट नहीं करनी पड़ी. उन्होंने पेंटी को उतार के मेरी एक टांग को ऊपर किया. मैंने पेंटी को लिफ्ट की हुक में टांग दिया. निबिद साहब ने सीधे ही अपने मुहं को मेरी चूत पे लगा दिया. मेरी गरम और चिकनी चूत को वो अपनी जबान से चाटने लगे.
टेबल के ऊपर टेलीफोन वगेरह साफ़ कर के मैं अब जैसे निबिद साहब की ही राह देख रही थी. वो 10 बजे भी चले आते हैं कभी कभी. लेकिन आज 12 बजने तक भी उनका कोई नामोनिशान नहीं था. आज से पहले मैंने इतनी बेसब्री से किसी का भी इंतजार नहीं किया. तभी कुछ 12:20 को निबिद आये, उनके हाथ में एक छोटी सी ब्रीफकेस थी. आज उन्होंने मुझे गुड आफ्टरनून भी नहीं कहा और वो सीधे ही अपने केबिन की और चल पड़े. आखिर मुझे जिसका डर था वही हुआ ना. मैंने उन्हें भड़का दिया था. जब आदमी को लगता हैं की इस चूत से तेल नहीं निकलने वाला तो वो उसे रिजेक्ट कर देते हैं. ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था. निबिद साहब को लगा की मैं इंटरेस्टेड नहीं हूँ इसलिए वो अब दूर रह रहे थे. या फिर उन्हें सच में गुस्सा आया था मुझ पर. मैंने सोचा की चलो देख ही लूँ जा के उनके केबिन में. मैंने अपनी स्कर्ट ऊँची की और सीधे उनकी ऑफिस में जा पहुंची. केबिन पे नोक करते ही उनकी आवाज आई, “कम इन प्लीज़.” आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
लेकिन जैसे ही मुझे देखा वो जैसे निरुत्तर से हो गए. मैंने उनके टेबल पे जानबूझ के झुक के अपनी बूब्स की गली का उन्हें नजारा करवाया. लेकिन वो तो फ़ाइल में ही अपनी माँ चुदवा रहे थे.
मैं: क्या बात हैं सर, आप तो नाराज हो गए.
निबिद: जायरा, ऐसी बात नहीं हैं. अगर तुम को दिलचस्पी ना हो फिर मैं लट्टू नहीं बनना चाहता हूँ.
मैंने अपनी चुंचियां निबिद के सामने और खोलते हुए कहा, “आप को किसने कहा की मुझे दिलचस्पी नहीं हैं?” निबिद की आँखों में एक अजब सी चमक आ गई उसने मेरी और देखा और कहा, “फिर कल भाग क्यूँ गई थी?” मैं: मैं अभी भी पछता रही हूँ. आज भी मैं शाम को फ्री हूँ; चलेंगे चायनिज़ खाने के लिए.
निबिद अपना सर खुजाते हुए: अरे बाबा मेरी दिल्ली की फ्लाइट हैं 1 घंटे में. और उसने बिना रुके आगे कहा, “अभी कुछ नहीं कर सकते हैं क्या हम.?”
मैंने चौंक के पूछा, “अभी, कहाँ, कैसे?”
निबिद ने कुछ सोचा और बोला, “आओ मेरे साथ.”
मैं उसके पीछे चलने लगी. जाते वक्त उसने मेरी टेलीफोन की पिन को निकाल डाला ताकि घंटी बजती ना रहें. हम लोग सीडियों से उपर होते हुए दूसरी मंजिल पे आये. और मैं समझ गई की वो कहाँ ले के जा रहा था मुझे. दुसरे मंजले पे एक स्टोर रूम था और एक लिफ्ट थी जो ख़राब थी. वो एक पुरानी लिफ्ट थी जिसे बंध कर के नई लिफ्ट लगवाई गई थी. दुसरे मजले पे शायद ही कोई आता था. निबिद मेरा हाथ पकड के लिफ्ट में घुसे और उसके दरवाजे को बंध किया. उन्होंने दरवाजे को थोडा खुला रखा और हम दोनों अंदर बंध थे. काफी गरम लग रहा था वहां पे. एक भी पल को गवाएं बिना निबिद साहब ने मेरे स्कर्ट को ऊपर कर दिया. मेरी पेंटी पहले से गीली हो चुकी थी, जिसे निचे खींचने में उन्होनें दूसरी मिनट वेस्ट नहीं करनी पड़ी. उन्होंने पेंटी को उतार के मेरी एक टांग को ऊपर किया. मैंने पेंटी को लिफ्ट की हुक में टांग दिया. निबिद साहब ने सीधे ही अपने मुहं को मेरी चूत पे लगा दिया. मेरी गरम और चिकनी चूत को वो अपनी जबान से चाटने लगे.
मैंने उनके बालों को पकड के अपनी और खिंचा और उन्हें चूत में दबाने लगी. निबिद की जीभ अब मेरी चूत के छेद में घुस चुकी थी जिसे वो जोर जोर से कुत्ते की तरह चाटने में व्यस्त थे. आह क्या मजा था ऐसे चूत को चटवाने में. करीब पांच मिनिट तक वो मेरी चूत को अपनी जबान से मजे देते रहे और इस बीच एक बार मेरी चूत अपना पानी निकाल चुकी थी. अब मैं कैसे भी चुदाई करवाना चाहती थी. मैं काफी गरम हो चुकी थी. मैंने निबिद को कंधे से पकड के ऊपर उठाया. उठते ही उसने अपनी ज़िप खोल के लंड को बाहर निकाला. उनका लंड काफी मोटा था और उसके उपर हलके हलके बाल भी थे. अब घुटनों पे बैठने की मेरी बारी थी. जैसे ही मैं निचे बैठी वो 7 इंच का लंड मेरे मुहं में आ गया. निबिद साहब अपने लंड को बिना कुछ सोचे मेरे मुहं में मारने लगे. उनका लौड़ा मेरे गले तक घुस रहा था जैसे. मैं भी अपनी जबान को उनके लंड पे घिस के जैसे आइसक्रीम चाट रही थी.
अब उन्होंने मुझे उठाया और मेरे मुहं को लिफ्ट की दिवार की और किया. मेरे दोनों हाथ लिफ्ट की दिवार पे थे. मेरी अगली टांग को उन्होंने थोडा आगे कर के चूत के पास अपने लंड की जगह बनाई. अब उन्होंने धीरे से मेरी चूत में अपने लंड को टच किया. काफी हॉट था उनका लम्बा लंड. और दुसरे ही पल लंड की गरमी अब मेरी चूत के अंदर महसूस हो रही थी. हाँ निबिद ने एक ही झटके में अपने लंड को मेरी चूत में डाल जो दिया था. मैंने गांड को थोडा पीछे किया ताकि मैं चुदाई आराम से करवा सकूँ. आह क्या मजा था उस चौड़े लौड़े को अपनी चूत में लेने में. निबिद ने मेरे कंधे पे हाथ रखा और वो जोर जोर से मुझे चोदने लगा. उसका लंबा लंड मेरी चूत में आ जा रहा था और चुदाई अपनी असीम सीमा पे थी. आह आह ओह ओह की आवाजें निकाल के मैं भी अब अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी और वो मुझे और भी जोर जोर से चोदने लगा.
लंड ने मेरी चूत को लाल कर दिया और चूत की एक एक मसल को जैसे उसने छू लिया था. निबिद साहब भी अब चरमसीमा पे लग रहे थे और मैं भी उसी कगार पे थी. अब झटके और चुदाई तेज हो चुके थे. वो पुरे लंड को बाहर निकाल के एक झटके में अंदर मार रहे थे. तभी मुझे लगा की चूत की गली में गरम पिचकारी निकल चुकी हैं. निबिद साहब के लंड ने अपना पानी मेरी चूत में छोड़ दिया था. उन्होंने मुझे लिफ्ट के साथ दबा दिया और आखरी बूंद तक अपने पानी को चूत में ही निकाल दिया. मैंने भी अपनी चूत को टाईट कर के उस महंगे पानी को अंदर ले लिया. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
लंड बाहर निकाल के उन्होंने फट से उसे अंदर लिया. उन्होंने ज़िप बंध की और मैंने पेंटी पहन ली. स्कर्ट सही कर के मैंने अपनी हेन्की से चूत को भी साफ़ किया. निबिद को फ्लाईट लेनी थी इसलिए वो उस दिन निकल गये. लेकिन उस दिन के बाद मेरी चुदाई उस लिफ्ट में सिमित नहीं रही हैं. कभी हम किसी होटल में मजे करते हैं तो कभी उसके घर पे. मुझे उससे चुदने में बहुत ही मजा आ रहा था लेकिन इससे भी ज्यादा मजा तब आया जब मुझे सेलरी मिली क्योंकि इस बार मेरी मंथली सेलरी 5000 रुपए बढ़ गई थी......
अब उन्होंने मुझे उठाया और मेरे मुहं को लिफ्ट की दिवार की और किया. मेरे दोनों हाथ लिफ्ट की दिवार पे थे. मेरी अगली टांग को उन्होंने थोडा आगे कर के चूत के पास अपने लंड की जगह बनाई. अब उन्होंने धीरे से मेरी चूत में अपने लंड को टच किया. काफी हॉट था उनका लम्बा लंड. और दुसरे ही पल लंड की गरमी अब मेरी चूत के अंदर महसूस हो रही थी. हाँ निबिद ने एक ही झटके में अपने लंड को मेरी चूत में डाल जो दिया था. मैंने गांड को थोडा पीछे किया ताकि मैं चुदाई आराम से करवा सकूँ. आह क्या मजा था उस चौड़े लौड़े को अपनी चूत में लेने में. निबिद ने मेरे कंधे पे हाथ रखा और वो जोर जोर से मुझे चोदने लगा. उसका लंबा लंड मेरी चूत में आ जा रहा था और चुदाई अपनी असीम सीमा पे थी. आह आह ओह ओह की आवाजें निकाल के मैं भी अब अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी और वो मुझे और भी जोर जोर से चोदने लगा.
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