पड़ोसन की चुदाई - पड़ोसी लड़के से चुदवाया - गर्म चूत की चुदाई

पड़ोसन की चुदाई - पड़ोसी लड़के से चुदवाया - गर्म चूत की चुदाई, घोड़ी बन कर लड़की ने चूत चुदवाई, घर में मजा पड़ोस में डबल-मजा, जवान लड़की के साथ.

यह एक सच्ची चुदाई कहानी है जिसे मैं कभी भुला नहीं सकती। मैं घर से निकलते वक़्त हिजाब पहनती थी जो काफी चुस्त था और उसकी वजह से मेरा जिस्म काफी नुमाया होता था। दुर्गेश और उसके दोस्त मुझ पर गन्दे-गन्दे कमेंट्स करते थे। जैसे ‘वाह क्या मस्त गांड है हिजाबन की..’ या ‘एक बार मिल जाए.. तो रात रंगीन हो जाए…’मैं बड़े गौर से उनके कमेंट्स सुनती थी और मन ही मन खुश होती थी कि यह सब मेरे पीछे कितने दीवाने हैं। एक बार मेरे अम्मी और अब्बू किसी शादी में बाहर गए तो दुर्गेश के मम्मी-पापा से मेरा ख्याल रखने को कह गए थे.. जिसे उन लोगों ने ख़ुशी से कुबूल भी कर लिया। 

उस दिन सन्डे का दिन था मैं घर पर ही थी कि हमारे घर के दरवाजे की घन्टी बजी.. मैंने उठ कर दरवाज़ा खोला तो देखा सामने दुर्गेश खड़ा था। मैं तनिक शरमाई.. फिर भी मैंने उसको अन्दर आने कह दिया। मैं हरे रंग का सलवार-सूट पहने हुई थी। दुर्गेश को देख कर मैंने जल्दी से सर पर दुपट्टा डाल लिया.. आखिर मैं पर्दा जो करती थी। मैं काफी घबराई हुई थी लेकिन मुझे दुर्गेश के आने से अन्दर ही अन्दर एक मीठी सी ख़ुशी हो रही थी। वो जिस खा जाने वाले अंदाज़ से मुझे देखता था.. मुझे अन्दर से एक गुदगुदी सी महसूस होती थी। 

‘यूँ ही देखती रहोगी या कुछ बोलोगी भी ज़हरा?’दुर्गेश ने पूछा तो मैं चौंक गई और कहा- हाँ.. बोलो दुर्गेश कैसे आना हुआ?उस ने कहा- मम्मी ने भेजा था कि जाओ ज़हरा घर में अकेली है.. देख आओ, उसको किसी चीज़ की ज़रुरत तो नहीं…मैं मुस्कुराई.. मैं समझ गई थी कि दुर्गेश झूठ बोल रहा है.. मम्मी ने कुछ नहीं कहा.. यह खुद मेरे चक्कर में आया है। लेकिन मैंने उस पर यह बात ज़ाहिर नहीं होने दी और उसको बैठने को कहकर उसको चाय को पूछा.. तो उस ने मना कर दिया।

फिर हम सोफे पे बैठ गए। दुर्गेश ने मुझसे पूछा- ज़हरा तुम्हें मुझसे डर लगता है क्या?मैंने कहा- नहीं तो.. ऐसा तो कुछ भी नहीं है। तो उसने पूछा- फिर तुम मुझसे बात क्यूँ नहीं करती?मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है.. वो कभी ऐसा मौका ही नहीं मिला। तो उसने मेरे कान में शरारत से फुसफुसा कर कहा- आज तो मिल गया न मौका जान…उसके जान कहने पर मेरे अन्दर एक झुरझुरी सी दौड़ गई..लेकिन मैंने बनावटी नखरा दिखाते हुए कहा- हटो दुर्गेश.. यह क्या कह रहे हो। उसने कहा- अरे तुम इतना डरती क्यूँ हो? अच्छा मुझे बताओ.. तुमने कभी सेक्स किया है या कभी किसी को सेक्स करते देखा है?तो मैं शर्माते हुए बोली- हटो भी.. ये क्या सब पूछ रहे हो?दुर्गेश ने मेरी जांघ पर अपना हाथ रख दिया। 

मैं कुछ नहीं बोली.. उसकी हिम्मत बढ़ गई तो उसने मेरे कंधे पर भी हाथ रख दिया। मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था.. ज़िन्दगी में पहली बार कोई लड़का मुझे छू रहा रहा था। मैं सुरूर में आ गई और दुर्गेश सलवार के ऊपर से मेरी चूत सहलाने लगा। मैंने बनावटी मना किया और फिर उसने मुझे गर्दन पर चुम्बन करना चालू कर दिया। मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई- स्स्स्स दुर्गेश आह्ह्ह..वो बोला- हाँ.. मेरी रानी.. कब से तुम्हें पाने का ख्वाब देख रहा था.. आज तुझे चोद कर अपना सपना पूरा करूंगा। मैं चुप रही उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। 

कितना अजीब लग रहा था एक गैर मर्द के सामने मैं नंगी हो रही थी और वो मेरे जिस्म से खेल रहा था। उसकी आँखों में एक वहशी जानवर की तरह मुस्कराहट थी। मैं समझ रही थी.. ये सिर्फ मुझसे मज़े लेना चाहता है। मैं भी तो यही चाहती थी.. सो उसका साथ देने लगी। फिर दुर्गेश ने मुझको पूरा नंगा कर के अपनी पैन्ट भी उतार दी और फिर जैसे ही उसने अपनी अंडरवियर उतारी.. उसका लंड ‘फक्क’ से उछल कर बाहर आ गया.. या खुदा.. मैं तो देख कर डर ही गई थी। दुर्गेश का एकदम काला लंड कितना भारी और मोटा-ताज़ा.. लम्बा था…फिर दुर्गेश के लंड को देख कर मेरी आँखों में एक चमक सी आ गई। 

दुर्गेश बोला- ज़हरा.. इसको हाथ में लो और हिलाओ। मैं उसके लंड को हाथ में पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगी। फिर दुर्गेश बोला- ज़हरा….मैंने कहा- हाँ.. दुर्गेश?‘अब इसको ज़रा मुँह में भी ले कर देख लो जहरा…’‘नहीं दुर्गेश प्लीज..’‘प्लीज ज़हरा.. मान जाओ.. एक बार चूस कर तो देखो.. कितना मज़ा आता है..’मैं मान गई.. मैंने दुर्गेश का मोटा-काला ‘अनकट’ लंड.. अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया.. दुर्गेश तो झूमने लगा। मेरे चूसते ही ऐसा लगा मानो.. मैं उसके लंड को चूस कर उसके पूरे जिस्म को कंट्रोल कर रही हूँ। मैंने उसके लवड़े को हलक के अन्दर तक ले लिया और वो मेरे मुँह में झटके मारने लगा। 

फिर कुछ देर तक अपना लंड चुसवाने के बाद दुर्गेश ने मुझे सीधा लिटा दिया और मेरी टाँगें फैला कर अपना मुँह मेरी चूत पर लाया और मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी। यकीन मानिए.. दुर्गेश मुझे अपनी जुबान से चोद रहा था। मैं तो मानो जन्नत में ही पहुँच गई। 

फिर दुर्गेश ने मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरे पीछे से देख कर बोला- साली.. क्या मस्त गांड है इसकी….मुझे लगा कहीं वो पीछे से मेरी गांड में ही न लंड पेल दे.. लेकिन उस हरजाई ने पीछे से भी मेरी चूत में ही लंड डाला और झटके देने लगा। मुझे तो मानो नशा सा चढ़ गया मैं कुछ बोल ही नहीं पा रही थी.. बस आँखें बंद करके दुर्गेश का मोटा-लम्बा लंड अपनी गहराइयों में जाता महसूस कर रही थी और पीछे से दुर्गेश अजीब-अजीब सा बोल रहा था, जो मुझमे अजीब अहसास जगा रहे थे। 

जैसे ‘आह रंडी आज हाथ लगी है आज.. इसको सारा दिन चोदूँगा.. आदि..’फिर दुर्गेश ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मुझसे कहने लगा- ज़हरा डार्लिंग.. अपनी टाँगें फैलाओ। मैंने वैसा ही किया.. फिर क्या था दुर्गेश ने अपना लंड सामने से मेरी चूत में डाल दिया और झटके देने लगा। उफ़ अल्लाह.. क्या जन्नत का एहसास था.. मैं तो मज़े के मारे मानो बेहोश सी हुई जा रही थी.. और दुर्गेश लगातार झटके पे झटके मार रहा था। 

मैंने उसको जोर से पकड़ लिया था और मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे और मैं उसके छाती पर लगातार चुम्बन कर रही थी। वो मुझे दीवानों की तरह चोद रहा था.. वो लगातार झटके मार रहा था। उसने मेरे गोरे आम दबा-दबा के लाल कर दिए थे और शायद ही मेरे जिस्म का कोई हिस्सा ऐसा बचा होगा जिस पर उसने चुम्बन न किया हो या जिसको उसने रगड़ा न हो…मैं इस दौरान दो बार झड़ चुकी थी.. अचानक दुर्गेश ने मुझे जोर से पकड़ लिया और झटकों की रफ्तार कई गुना बढ़ा दी.. मैं समझ गई कि दुर्गेश अब झड़ने वाला है। उसने मुझसे पूछा- ज़हरा जान.. कहाँ निकालूँ.. बाहर या अन्दर..?मैंने कहा- नहीं.. अन्दर नहीं.. प्लीज.. मैं पेट से न हो जाऊँ। तो दुर्गेश ने कहा- ठीक है एक शर्त पर बाहर निकालूँगा.. तुम्हें मेरा वीर्य अपने मुँह में ले कर पीना होगा। 
मैंने कहा- छी: गंदे कहीं के…इस पर वो बोला- तो ठीक है गर्भवती होने के लिए तैयार हो जाओ। मैं डर गई और कहा- मैं मुँह में लेने को तैयार हूँ। उसने तेज़ी से साथ झटके लेते हुए मुझसे बैठ जाने को कहा.. मैं तेज़ी से पूरी ईमानदारी के साथ घुटनों के बल बैठ गई। 

फिर क्या था दुर्गेश ने फव्वारा मेरे मुँह पर मार दिया.. जिसको मुझे पीना पड़ा। मैंने उसका लंड मुँह में ले कर साफ कर दिया। मुझे उस वक़्त यह सब करना बड़ा बुरा लगा लेकिन बाद में जब उसका ख्याल आया तो बड़ा मज़ा आने लगा..तब से अब तक मैं कई बार दुर्गेश से चुदवा चुकी हूँ और अक्सर वो मेरे मुँह में ही झड़ता है। 
मुझे भी उसका वीर्य मुँह में लेने में बड़ा मज़ा आता है। 

पति के सामने पत्नी की गांड फाड़ चुदाई - मजेदार चुदाई की कहानी

पति के सामने पत्नी की गांड फाड़ चुदाई - मजेदार चुदाई की कहानी, पति के सामने बीवी की घमासान चुदाई, पति ने अपने दोस्त से रात भर चुदवाया, चूत का मज़ा लिया उसके पति के सामने, पति के सामने बॉयफ्रेंड से रंडी बनकर चुदवाया, मेरे पति का जिगरी दोस्त.

जब मैं पूजा के साथ सेक्स करता तो मुझे ऐसा ख्याल आता की अगर एक और कोई मर्द होता और हम दोनों मिलकर पूजा को फक करते तो कैसा लगता. इसके बाद मुझे ख्याल आया वाइफ स्वापिंग के बारे मे. इसके बारे में बहुत चर्चा हो रही थी. मैं ये सोचता था की क्या ऐसा होता है. मैंने अपनी बीवी से कहा तो पहले तो उसने झिड़क दिया.

महीनो कोशिस करने के बाद वो तैयार हुई लेकिन इस शर्त पर की मर्द उसकी पसंद का होगा और ये केवल एक ही बार ऐसा करेगी. मेरा ख्याल था की अगर वो किसी के साथ राज़ी होती है तो शायद मेरी 2:1 ( दो मर्द और एक औरत) की इच्छा पूरी होगी. इसके बाद मैंने ऐसे जोड़ो की नेट पर तलाश शुरू की. संपर्क हुआ लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी. किसी को मैं नही पसंद आया तो कोई मिलने की बात उठते ही जवाब देना बंद कर दिया तो किसी को मेरी बीवी ने पसंद नही किया.

एक – दो जोड़ो ने अपनी फोटो भी भेजी थी लेकिन बात नहीं बनी. कहने को तो सब तैयार थे लेकिन वक्त पर सबने अपने पैर पीछे खींच लिए.पिछले साल यानी 2007 में मेरा संपर्क एक लड़के से हुआ जिसका नाम सन्नी था. कुछ ई मेल के संपर्कों के बाद हम मिलने पर राज़ी हुए. और एक दिन मिले लेकिन केवल वो और मैं. वो मुझसे दिखने ज़्यादा स्मार्ट और हॅंडसम था. मुझे लगा कि वो मेरी बीवी को पसंद आ जाएगा. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। लेकिन उस दिन के मिलने के बाद उसने संपर्क करना छोड़ दिया. उसके फोन पर ट्राइ करने पर हमेशा आउट ऑफ रीच होता. मुझे लगा की उसे मैं पसन्द नहीं आया और मेरी बीवी ने मुझे जी भरकर कोसा कि तुम्हारा दिमाग़ बिना मतलब के कामों में लगा रहता है.

इस घटना के 6 मास के बाद मैंने उसके मोबाइल पर एक “हैप्पी न्यू ईयर” का मैसेज भेजा. कुछ दिन के बाद उसका जवाब मिला कि उसका फोन खो गया था इसलिए वो मुझसे संपर्क नहीं कर पाया था और वो अब हम लोगों से मिलना चाहता है. फिर मिलने का दिन तय हुआ. मैंने अपनी बीवी को बहुत मुश्किल से उससे मिलने के लिए मनाया. सन्नी की बीवी का नाम सीमा था. जिस दिन मिलना था उसके पहले दिन उसका फोन आया कि मैं उनसे पहले मिल सकता हूँ. मैंने पूछा की क्यों ? तो उसने जो कहा वो सुनकर मैं तो पहले उछल पड़ा. 

उसने मुझे 2:1 का प्रस्ताव दिया. मैं, सन्नी और उसकी बीवी सीमा जिसको मैंने अभी तक देखा भी नहीं था और ना कभी बात किया था. मैंने बिना सोचे हाँ बोल दिया.उसने अगले दिन मुझे एक होटेल में बुलाया. मैंने अपनी बीवी नहीं बताकर एक ज़रूरी काम का बहाना बनकर मिलने चल दिया. लेकिन सारे रास्ते मैं यही सोचता था की कैसे होगा कहीं कोई प्राब्लम न हो जाए. खैर लाइफ में कभी- कभी रिस्क तो लेना ही पड़ता है.मैं सन्नी के बताए हुए होटेल के बाहर पहुँचा वो बाहर ही मेरा इंतेजार कर रहा था. फिर हम दोनों होटेल में घुसे. एक रूम के सामने उसने दस्तक दिया और दरवाजा खुला और हम अंदर गये. रूम में एक 23-24 साल की लड़की थी. 

वही सीमा थी सन्नी की बीवी. वो एक पतली, लंबी और बहुत सुंदर तो नहीं लेकिन सुंदर थी. देखने में बहुत सादगी पसन्द लगी. मुझे तो पहले लगा कि क्या वो ऐसी हो सकती है?फिर कुछ देर तक हमने इधर उधर की बातें की. इसके बाद सन्नी ने टी वी पर एक हिन्दी मूवी चला दी. इसके बाद वो सीमा के पास बेड पर बैठ गया और मुझे दूसरी ओर से आने को बोला. मैं सीमा के दूसरी ओर बेड पर अधलेटा होकर टी वी देखने लगा. सीमा ने उस समय ऑरेंज कलर का सूट पहन रख था और उसमे वो बहुत पवित्र लग रही थी.फिर सन्नी ने उसका एक हाथ मेरे हाथ में पकड़ा दिया और एक हाथ अपने हाथ में लेकर चूमने लगा. 

उस समय सीमा बेड पर अधलेटी थी. मैंने भी उसका हाथ धीरे धीरे चूमना शुरू किया तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली. सन्नी धीरे धीरे उसके गर्दन और कानो को चूमने लगा और सीमा का मुख मेरी ओर घुमा दिया मैं सीमा के होठों को अपने होठों में लेकर चूसने लगा और अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी जिसे वो चूसने लगी. मैंने पहली बार उसकी चुचियों पर हाथ रखा. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। चुचियाँ छोटी पर कठोर थी. सन्नी भी उसकी एक चुची दबाने लगा.सीमा उस समय उत्तेजना से छटपटा रही थी. उसके होठों को चूसते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी बूर की ओर बढ़ाया. उसने इलास्टिक वाली सलवार पहन रखी थी इसलिए मुझे वहाँ तक पहुँचने में कोई परेशानी नहीं हुई. उसके बूर पर छोटे छोटे बाल थे. 

मैंने एक अंगुली उसकी बूर में घुसाई तो मेरी अंगुली पूरी तरह से भीग गई. इसके बाद सन्नी ने उसकी सलवार और पैंटी एक झट के में उतार दी और मैंने उसके उपर के कपड़े उतार दिए. अब वो पूरी तरह से नग्न थी. जिस लड़की को मैंने 1 घंटा पहले पहली बार देखा था वो मेरी बाहों में थी पूरी तरह से नग्न. मेरी उस समय क्या हालत थी मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता. मैं उसकी एक चुची को चूस रहा था और सन्नी दूसरी. और सीमा का चेहरा लाल हो रहा था. इसके बाद मैं उसके पेट और नाभि से होते हुए उसकी बूर को चूसने लगा. उस समय सीमा उत्तेजना से जैसे पागल हो रही थी और अपना बूर चूसते हुए मुझे अपना सिर उठा कर देख रही थी.सन्नी ने अपना लिंग उसके मुख में दे दिया और वो उसे चूस रही थी. इसके बाद सन्नी ने मुझे उसे चोदने का इशारा किया और एक कंडोम भी दिया. मैंने जल्दी से कंडोम को अपने लण्ड पर चढ़ा कर सीमा के दोनों पैरों के बीच बैठ गया.

और उसकी पतली कमर को दोनों हाथों में उठकर अपना लण्ड उसके बूर में एक ही बार घुसा दिया वो उत्तेजना के मारे ज़ोर से चिल्लाई. मैंने उसकी कमर को दोनों हाथों में पकड़ कर थोड़ उपर उठाकर ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा. मैं जितना ज़ोर से धक्का लगता वो उतनी ज़ोर से अपना चूतड़ उठाती. ऐसी हॉट लड़की मैंने आज तक अपनी जिंदगी में नही देखी थी।कंडोम लगाकर करने में मेरा जल्दी झड़ता नहीं है इसलिए मेरी बीवी बर्थ कंट्रोल पिल्स खाती है. वहाँ भी ऐसे ही हुआ मैं करते – करते थक गया लेकिन सीमा नहीं थकी. अपनी जिंदगी में मैंने 5-6 लड़कियों को चोदा है लेकिन सीमा ने मुझे थका दिया था. सन्नी ने मेरी स्पीड धीमी देखकर मुझे हटाकर वो सीमा को चोदने लगा कुछ देर के बाद वो भी हट गया. 

लेकिन सीमा के चेहरे को देखकर ऐसा लग रहता की उसे और चाहिए. मैं और सन्नी बेड पर लेट गये और सीमा हमारे बीच में बैठ गई उसने मेरे लण्ड पर से कंडोम हटाया और चूसना शुरू किया। उस समय तो ऐसा लगा कि मैं स्वर्ग में हूं. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वो कभी मेरा तो कभी सन्नी का लॅंड चूस रही थी. उसने बताया कि ये उसका एक सपना था कि वो एक समय में दो मर्दों से चुदवाये और उनका लण्ड चूसे. इसके बाद सन्नी फिर उसे चोदने लगा और मैं उस समय उसकी चुचियाँ दबा रहा था. सन्नी के झड़ने के बाद मैंने एक और कंडोम अपने लण्ड पर लगाया और उसे चोदने लगा. थोड़ी देर के बाद मैं भी झड़ गया लेकिन सीमा का चेहरा जैसे कुछ और माँग रहा था. खैर मैंने अपने कपड़े पहने और दूसरी बार सारी रात का प्रोग्राम बनाने के लिए बोलकर चला आया क्योंकि मुझे उस समय मुझे ऑफीस भी जाना था.

ट्रक ड्राइवर के काला मोटा लंड से चुदाई का मज़ा - मस्त चुदाई कहानी

ट्रक ड्राइवर के काला मोटा लंड से चुदाई का मज़ा - मस्त चुदाई कहानी, Truck Driver Se Chudai, desistory ट्रक ड्राइवर के लंड का मज़ा, ट्रक ड्राईवर ने चूत में मोटा लंड डालकर चोदा, मेरे पति ने मुझे ट्रक ड्राईवर से चुदवा दिया, मेरी पत्नी और ट्रक ड्राईवर की चुदाई का किस्सा.

मेरी बीवी गीता काले लंड की दीवानी है और हम दोनों साथ में ब्लूफिल्म देखकर चुदाई के मज़ा लेते है। फिर एक दिन मैंने मेरी बीवी से कहा कि चल लाइफ में कोई नया काम करते है कुछ मजा मस्ती हो जाए। तभी वो बोली कि मुझे क्या करना है? फिर मैंने कहा कि चल आज रात तू रंडी का रोल प्ले कर।

तभी वो बोली कि क्या मतलब? मैंने कहा कि मतलब की तू रात को सजधज कर नेशनल हाइवे पर रंडी बनकर खड़ी रह और ट्रक वालों से अपना भाव तय कर। तभी मेरी बीवी ने कहा कि और तुम क्या करोगे? फिर मैंने कहा कि में अंजान आदमी बनकर तेरे पास में खड़ा रहूँगा.. तू चार पाँच ट्रक वालो से ठीक से भाव करना बाद में किसी तगड़े ड्राइवर के ट्रक में बैठ जाना। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर मेरी बीवी बोली कि क्या मुझे चुदवाना भी है? फिर मैंने कहा कि तुम्हे चुदवाने में क्या प्रोब्लम है? तभी उसने कहा कि नहीं मुझे चुवाने में कुछ प्रॉब्लम नहीं है लेकिन ट्रक वाले बहुत गंदे होते है। मैंने कहा कि तो अच्छा है ना तू जब चुदवाने के बाद मेरे पास आएगी तो उनके लंड की खुश्बू तेरे मुहं से आएगी और मुझे मज़ा आ जाएगा। 

फिर वो कहने लगी कि साला भड़वा तू खुद भी चोदता है और दूसरों से भी चुदवाता है। तभी में हंसने लगा और इस तरह पूरी बात तय करके में ऑफीस चला गया। रात को 9 बजे हम दोनों घर पर मिले। फिर मैंने मेरी पत्नी गीता को बड़े प्यार से नहलाया उसकी चूत पर से बाल हटाए.. हमारी शादी की साड़ी मेरी बीवी ने पहन ली मैंने उसको लिपस्टिक लगा दी.. उसने बिना बाहों की और पीछे का हिस्सा पूरा खुला हुआ गहरे गले का ब्लाउज पहन लिया था। तभी मैंने उसको हमारा ताला दिया तो उसने वो ताला मेरे घर के गेट पर लगा दिया और चाबी उसने अपने मंगल सूत्र में डाल दी अब वो पूरी रंडी लग रही थी।

फिर हम दोनों रात को 11 बजे हाइवे के लिए निकले तो मेरी बहन ने पूछा कि भाभी इतनी रात को कहाँ सजधज के निकली हो? तो गीता ने कहा कि तू पूछ अपने भैया से.. तो मैंने कहा कि हम अभी आधे घंटे में आते है। मेरी बहन ने मेरी बीवी के गले में चाबी देखी तो वो समझ गयी कि आज उसका भैया उसकी भाभी को किसी गैर मर्द से चुदवाने ले जा रहा है वो मन ही मन मुस्कुरा दी और गीता की गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोली कि अच्छे से चुदवाना भाभी। फिर वो एक ठंडी आह भर कर अपने रूम में चली गयी और मैंने देखा कि मेरी बहन रूम में जाते जाते अपनी उंगलियां उसकी चूत में डालकर रगड़ रही थी और वो चूत को सहला रही थी।

फिर हम हाइवे पर पहुँचे वहाँ पर मैंने गाड़ी एक साईड में खड़ी कर दी और मेरी बीवी के साथ रोड पर खड़ा हो गया मेरा लंड पेंट के अंदर ही अंदर गरम हो रहा था। थोड़ी देर बाद एक ट्रक आया तो मेरी बीवी थोड़ा मुस्कुरा दी तो क्लीनर ने पूछा कि कहाँ पर जाओगी मेडम? तभी बीवी ने कहा कि अगले शहर जाना है। वो बोला ठीक है आ जाओ तो में भी बीवी के साथ ट्रक में चढ़ गया उसका केबिन बड़ा था। मेरी बीवी ड्राईवर और क्लीनर के बीच में बैठ गयी में क्लीनर के पास में बैठा था थोड़ी देर बाद बीवी ने अपनी साड़ी का पल्लू अपने बूब्स पर से गिरा दिया तो उसके बूब्स गहरे गले के ब्लाउज में से मस्त दिखाई देने लगे। फिर वो क्लीनर भी अपने खड़े लंड को सहलाने लगा था साले ने अचानक लुंगी में से अपना काला लंड बाहर निकाल दिया और उसे हिलाने लगा

उसका लंड करीब 8 इंच का था और ड्राईवर ने भी अपना मोटा लंड निकाल दिया मेरी बीवी के मुहं में लंड दिखते ही पानी आ रहा। उसने दोनों के लंड पकड़ लिए तो ड्राईवर ने गाड़ी एक साईड में रोक दी और मुझे कहने लगा कि आपको कोई तकलीफ़ नहीं हो तो पीछे चले जाए हमको इस रंडी को चोदना है। तभी मैंने कहा कि मुझे कोई तकलीफ़ नहीं है आप मस्ती से इसे चोदो में यहीं पर बैठूँगा.. उसको क्या पता था कि ये जिसे रंडी बोल रहा था वो असल में मेरी धर्म पत्नी थी। फिर मेरी बीवी उन दोनों के लंड चूसने लगी कुछ देर बाद ड्राईवर ने कहा कि चल अब घोड़ी बन जा मुझे गांड मारनी है। तो मेरी बीवी ने कहा कि पहले मुझे चूत मरवानी है तभी ड्राईवर ने कहा कि साली तेरे जैसी की चूत में कुछ मज़ा नहीं होता है तेरी जैसी की तो गांड ही मारी जाती है.. 

ये कहकर उसने मेरी बीवी को घोड़ी बनाया और पीछे से गांड में अपना 8 इंच का लंड घुसा दिया। तभी मेरी बीवी जोर से चिल्लाई और उछलने लगी और कहने लगी कि ज़रा धीरे से लेकिन वो कहाँ सुनने वाला था वो तो गचा गच शॉट मारने लगा में देख रहा था कि मेरी बीवी की गोरी गांड में उस मर्द का काला लंड कैसे अंदर बाहर हो रहा था साले ने करीब 15 मिनट तक मेरी बीवी की गांड मारी और बीच बीच में वो गांड में से लंड निकाल कर उसके मुहं को चोदने लगता। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर क्लीनर मेरी बीवी की गांड में अपना बड़ा लंड डालकर चोदने लगता। फिर इस तरह में मेरी बीवी का मुहं और गांड दोनों करीब एक घंटे तक चुदवाता रहा और में भी मेरे लंड को सहलाता रहा और मुझे चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था।

फिर उन दोनों ने अपना वीर्य मेरी बीवी की गांड और मुहं पर छोड़ दिया और दोनों थक कर पास में बैठ गये मेरी बीवी अब उल्टी होकर अपनी गांड हवा में रखकर सुखा रही थी उसकी पूरी गांड उनके वीर्य से भरी हुई थी और वो वीर्य से भरी गांड को लेकर चुपचाप पड़ी थी शायद वो भी थक गयी थी। तभी उस ड्राईवर ने मुझे बोला कि देख क्या रहा है? देख ये रंडी की गांड खुली है तुझे मारनी हो तो मार ले। तभी में मेरी बीवी के पास गया और मैंने अपनी पेंट नीचे उतार दी तो मेरा लंड पूरा टाईट होकर खड़ा हो गया ये देखकर वो दोनों हैरान हो गये और वो लोग समझ गये कि में उसका पति हूँ जिसको अपनी बीवी चुदवाने में मज़ा आता है। 

फिर मैंने मेरी बीवी की गांड में अपना लंड घुसा दिया क्योंकि उसकी गांड बहुत चिकनी थी तो मेरा लंड आसानी से एक बार में धीरे से धक्के में ही अंदर चला गया। मेरे लंड को उन मर्दो की चुदाई का एहसास हो रहा था में भी उसकी गांड को चोदने लगा कुछ 5 मिनट बाद में अंदर ही झड़ गया। अब मेरी बीवी की गांड में तीन तीन मर्दो का वीर्य था और गांड का होल इतना बड़ा हो गया था कि 4 उंगलियां भी एक साथ अंदर चली जाए और उन पराए मर्दो ने मेरी प्यारी बीवी की गांड फाड़ दी थी। फिर मैंने उसकी गांड को चाटना शुरू किया में सारा वीर्य उसकी गांड से चाट गया फिर वो दोनों ये सब देखकर हैरान थे। फिर मेरी बीवी की गांड पूरी चाटने के बाद उसने फिर से कपड़े पहन लिए। फिर हम दोनों उन दोनों के लंड को बार बार चूसकर एक बार और उनका वीर्य निकाल कर नीचे उतर गये।

फिर हम दोनों घर पर आए तो मेरी बहन ने दरवाजा खोला और उस समय रात के 3 बज चुके थे। मेरी बहन मेरी बीवी के मुहं के पास आई और उसका मुहं सूंघने लगी उसको सब कुछ समझ आ गया और वो हँसने लगी। फिर वो बोली कि कैसा रहा भाभी? मेरी बीवी बोली कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है। वो कहने लगी कि कहाँ कहाँ पर दर्द है? में भी तो देखू की मेरी प्यारी भाभी को कहाँ कितना मज़ा आया है? फिर ये कह कर उसने मेरी बीवी की साड़ी ऊपर कर दी और चूत में उंगली डाली उंगली बाहर निकाल कर उसे सूंघने लगी और फिर बोली कि क्या भाभी चूत तो एकदम कोरी है? फिर मेरी बीवी बोली कि अरे भगवान ने मरवाने के लिए सिर्फ़ एक चूत ही थोड़ी ना दी है? तू जरा गांड का हाल तो देख। 

तब मेरी बहन ने मेरी बीवी की गांड चेक की और वो खुश हो गयी और बोली कि बाप रे भाभी ये क्या करवाकर आई हो? तुम्हारी तो पूरी गांड फट गयी है। तुमने एक साथ कितने लंड लिए है आज सच सच बताओ भाभी तुम्हे मेरी कसम मेरा भी जी मचल रहा है तुम्हारी चुदी गांड का हाल देखकर। तभी मेरी बीवी बोली कि वो तो तू तेरे भैया से पूछ। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर मेरी बहन मुझसे पूछने लगी कि भैया आप ही बताओ ना कितने मर्द थे वहाँ पर और कहाँ पर ले गये थे भाभी को कि उनका इतना बुरा हाल हो गया है बेचारी ठीक से चल भी नहीं पा रही है। तभी मैंने कहा कि हम हाइवे पर गये थे। फिर वो कहने लगी कि भैया हाइवे पर तो ट्रक ड्राईवर मिल जाते है क्या आपने भी आज ट्राई किया किसी को? तभी मैंने कहा कि हाँ वो दो थे उन दोनों ने बहुत चोदा।

फिर वो कहने लगी कि भैया में आप से नाराज़ हूँ आप भाभी का इतना ख्याल रखते हो क्या आपको मेरा ख्याल नहीं आता? आपने जाते जाते एक बार भी मुझसे नहीं पूछा और अब कल से में आपको अकेले जाने नहीं दूँगी.. मुझे भी मज़े लेने है। तभी मैंने कहा कि ठीक है बहना कल तुम्हे भी साथ ले जाऊंगा और तुम भी अपनी भाभी के साथ चुदवा लेना ठीक है । कैसी लगी बीवी को ट्रक ड्राइवर से चुदाई, रिप्लाइ जरूर करना..

खीरे जैसा मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में उतर गया - हिंदी सेक्स कहानी

खीरे जैसा मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में उतर गया - हिंदी सेक्स कहानी, चलती ट्रैन में मेरी चूत फटी, अंजलि की चूत ट्रेन में चोदी, ट्रेन से चुदाई तक का सुहाना सफर, ट्रेन में अजनबी से गांड मरवाई.

हैलो मेरे प्यारे दोस्तो.. मैं एक बार फिर हाज़िर हूँ अपनी नई कहानी लेकर.. मैं बता नहीं सकती कि मेरी चूत और मैं आप लोगों के मेल्स पढ़ कर कितनी खुश होती हूँ। लेकिन मुझे माफ़ कीजिएगा कि मैं सबको रिप्लाई नहीं कर पाती। लेकिन फिर भी बहुत लोगों से मैंने बात भी की है.. जवाब भी दिए हैं। आप सबका तहे दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद करते हुए मैं एक नई कहानी लिखने जा रही हूँ।

मेरा नाम अंजलि है.. मैं एक शादीशुदा महिला हूँ। मेरी उम्र 32 साल.. रंग दूध सा गोरा.. मदमस्त फिगर 35-28-38 की है और मैं एक अति चुदासी माल हूँ। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मेरी बड़ी वाली ननद का एक छोटा लड़का निशांत है.. जो कि अभी पाँच साल का हुआ है, हमारे घर रहने आया हुआ था।

अचानक मेरे पति को जरूरी काम से देहरादून जाना पड़ा।

तो मैं बोली- मैं भी चलती हूँ.. देहरादून और मसूरी घूम लेंगे।
मेरे पति बोले- अरे मुझे बहुत ज़रूरी काम है वहाँ, जब तक मैं दो-तीन दिन में अपना काम कर लूंगा.. तब तुम देहरादून आ जाना.. फिर वहीं एंजाय करेंगे।
मैं बोली- निशांत भी तो है, यह भी साथ आएगा।
तो बोले- हाँ हाँ.. बिल्कुल..

अगले दिन सुबह मेरे पति निकल गए और पहुँच कर मुझे फोन किया- तुम दो दिन बाद आ जाना.. दो दिन में मैं काम निपटा लूँगा।
मैं बोली- ओके.. वैसे आना कहाँ है.. किस होटल में?
तो बोले- तुम स्टेशन पर उतरोगी.. तो बता देना.. मैं आ जाऊँगा.. ओके..
मुझे रात को ग्यारह बजे वाली ट्रेन मसूरी एक्सप्रेस में ही स्लीपर का आरक्षण मिला।

दो दिन पति से बिना चुदे मेरी चूत लन्ड खाने के लिए मचलने लगी थी, फ़ुदक रही थी तो मैं रात को ग्यारह बजे वाली ट्रेन से देहरादून के लिए चल दी। बोगी में काफी सीटें खाली थी तो मैं और निशांत में आराम से बैठ गए। मेरा सोने का मन हुआ तो मैं लेट कर सो गई और निशांत भी सो गया।

फिर ट्रेन शायद मेरठ रुकी, एक यात्री चढ़ा.. मेरे पास आकर बोला- यह मेरी सीट है…
मैं बोली- आप आगे बैठ जाओ न.. बोगी खाली तो है ही।

तो वो मेरे बिल्कुल आगे वाली सीट पर लंबा लेट गया। हम दोनों आमने-सामने ऐसे लेटे थे कि एक-दूसरे को आराम से देख सकते थे।

खैर.. थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली तो मैंने टाइम देखा.. तो मैं मोबाइल में नेट चलाने लगी। मैं थोड़ा कंफर्ट के लिए अपने मम्मों के बल लेटी थी। मैंने वैसे भी बस नॉर्मल टी-शर्ट और लोवर पहन रखा था, अन्दर कुछ भी नहीं था।

मेरी नज़र सामने गई तो वो आदमी भी मोबाइल चला रहा था और कुछ पॉर्न साइट चला रहा था। इसी के साथ-साथ अपने लौड़े को ऊपर से सहला रहा था, उसने भी टी-शर्ट और लोवर ही पहन रखा था।

मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने देखा उसका लंड टनटनाने लगा.. मुझे अजीब सा लगने लगा। वो ईअर फोन लगा कर ब्लू-फिल्म देख रहा था। मैं भी वही देखने लगी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। थोड़ी देर बाद मुझे अजीब सा लगने लगा। मैंने भी हल्के से अपने लोवर में हाथ डाल कर चूत को देखा.. तो गीला सा लगा। मैंने सोचा छोड़ो.. ध्यान ही मत दो।
अब तो मैं ऐसे ही मोबाइल में फेसबुक यूज करने लगी।

अब थोड़ी देर बाद मेरी नज़र उसकी तरफ गई और देखा कि वो आदमी लंड को लोवर में से हिला रहा था।
अब मुझे अजीब लगा और मैं भी उसके फोन में ब्लू-फिल्म देखने लगी।

जब ट्रेन सहारनपुर स्टेशन पर रुकी तो उस आदमी ने कहा- अब एक घंटा यहाँ ट्रेन रुकेगी..

मैंने निशांत को यह सोच कर उठाया कि इसे सू-सू करवा दूँ और खुद भी कर लूँ क्योंकि चलती गाड़ी में मुझे डर लगता है…
मैंने निशांत को गोदी में उठाया और टॉयलेट ले गई।
वहाँ मैं उसे टॉयलेट करवाने लगी.. तो वो रोने लगा.. तो मैं उसके साथ ही अन्दर चली गई।

तभी मेरी नज़र सामने वाले टॉयलेट में ब्लू-फिल्म देखने वाले आदमी के लंड पर गई, वो आधे खुले दरवाजे से खड़े होकर लंड को बिना हाथ लगाए मूत रहा था।
उसका खड़ा लंड देख कर मेरी चूत में मानो आग ही लग गई, उसका लंड क्या मस्त मोटा था… कम से कम 6 इंच का तो होगा ही.. साथ मोटा भी इतना था कि हाथ में भी ना आए, वो मुँह को ऊपर करके मूत रहा था।

मेरी नज़र उसके लौड़े से हटी ही नहीं.. उसने भी अभी तक मेरी तरफ नहीं देखा था.. वो मूतते हुए लंड हिलाने लगा.. उसने लौड़े की चमड़ी को पीछे भी किया.. तो उसका सुपारा देखा.. सुर्ख लाल टमाटर जैसा था, मेरा मन तो हुआ मेरा वहीं चूस लूँ।

फिर उसने मुझे देखा और मुझे बाद में पता चला.. जब मेरी आँख उससे मिली.. तो वो मुझे देख कर अपनी बेल्ट खोलकर पूरा लंड दिखाने लगा। मैं देखती रही.. वो उसे और हिलाने लगा।
मेरी आँख उससे मिली तो उसने मुझे आँख मार दी।

मेरी तो हालत खराब होने लगी। मैंने निशांत की ज़िप बंद की.. उसे गोदी में उठाया और चलती बनी।
फिर मैं करने गई.. मैंने निशांत को उस आदमी के पास छोड़ दिया।
मैंने पेशाब करने के बाद अपनी चूत में उंगली डाली और मेरा मन भी उंगली करने का हुआ तो मैंने उसका लंड समझ कर उंगली घुसा-घुसा चूत की खाज कम करने लगी।

थोड़ी देर बाद चूत की आग भड़क गई.. लेकिन मैं वहाँ से आ ही गई।
अब मैं अपनी बर्थ पर आ गई.. फिर वो आदमी ट्रेन से उतर कर गया और कुछ खाने को लाया।

वो मुझे देने लगा.. मैंने मना कर दिया.. तो बोला- ये आपका बेटा है??
मैं बोली- नहीं.. मेरी ननद का लड़का है।
बोला- आप शादीशुदा हो?
मैं बोली- हाँ..
तो बोला- आप बहुत सुंदर हो।
मैं बोली- थैंक्स।
‘क्या नाम है आपका?’
‘अंजलि!’

फिर हम बातें करने लगे.. वो भी देहरादून ही कुछ काम से जा रहा था। उसकी उम्र 35 साल थी। वो भी शादीशुदा था। उसका रंग सांवला था.. उसने मूँछ रख रखी थी।

खैर.. ट्रेन चल दी.. मैं फिर वैसे ही लेट गई और वो ब्लू-फिल्म देखने लगा। मैं भी देखने लगी और साथ ही मैं नीचे से अपनी चूत को खुजाने लगी। अचानक मैं सीधी होकर लोवर नीचे करके हल्का सा उंगली घुसड़ने लगी कि मेरी नज़र उस आदमी पर गई। वो बैठा था और अपना लोवर उतार कर लौड़े को सहलाते हुए मुझे देख रहा था।
मैं तो पानी-पानी हो गई और चुपचाप लेट गई।

तो वो मेरे पास को आया और बोला- उंगली की क्या ज़रूरत है.. मैं हूँ न..
मैं बोली- पागल हो.. मेरे उधर कीड़ा घुस गया था।
बोला- हाँ दस मिनट से देख रहा हूँ.. कीड़ा ज्यादा खुजली कर रहा है..

उसने अपना एक हाथ तुरंत अपने लौड़े की तरफ किया.. जो फुल खड़ा था। मेरा मन हुआ कि साले को पकड़ लूँ और घुसड़वा लूँ चूत में.. मगर फिर लगा कि नहीं बस में नहीं यार..

वो बोला- बताओ अंजलि जी.. कैसा लगा आपको वो टॉयलेट वाला सीन?
मैं भी बोल पड़ी- अच्छा था।
तो बोला- फिर से देखोगी।

मैंने कुछ नहीं कहा तो उसने अपना लोवर उतार दिया और लंड मेरे मुँह के बिल्कुल सामने था।
मैं बोली- यह मोटा बहुत है।
वो बोला- वैसे हो तुम बिंदास यार..

वो मेरे करीब अपना मुँह ले आया.. मैं लेटी हुई ही थी और उसके लंड से मेरी कोहनी टकरा रही थी। मैंने अपनी आँखें बंद की.. और उसने किस कर दिया।

अचानक उसमें इतनी गर्मी आ गई.. वो बिल्कुल मेरे ऊपर चढ़ गया और लंड को चूत में लोवर में से ही घुसड़ने लगा।

अब मेरा लोवर उतारा.. मुझे लगा कि यार अभी तो सिर्फ चूमा-चाटी ही करेगा ज्यादा से ज्यादा लंड चूस लूँगी इसका.. मगर वो इतना गरम हो गया था कि लंड को चूत में घुसाकर ही माना। वो भी एक ही धक्के में।

मेरी चीख निकलते-निकलते ही रह गई थी कि उसने मेरे मुँह को हाथ से बंद कर दिया और मुझे साँस भी नहीं लेने दी। फिर साला चोदने भी लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। जैसे-तैसे मैंने अपने मुँह से उसका हाथ हटाया और एक गहरी साँस ली और उसको रोका।

वो साला ठोकू कहाँ रुकने वाला था। अब मेरी डर की सीमा पार होने लगी कि ट्रेन में दूसरी सवारियों को पता चल गया तो क्या होगा।

खैर.. उसने मुझे वहीं धकाधक चोदा और मेरी चूत में ही झड़ गया। मगर मैं तो अभी गरम हुई थी। खैर.. मेरी प्यास ने मुझे तुरंत उठाया और उसका लंड मैंने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।

अब तो वो पागल हो गया और बोला- तू तो रंडी की तरह चूसती है।
मैं बोली- नहीं.. मैं उससे भी मस्त चूसती हूँ।

अब उसने मेरे टी-शर्ट उठा दी और मेरे मस्त रसीले मम्मों देख कर पागल हो गया। वो उन्हें ऐसे भींचने लगा कि मेरे दूध लाल कर दिए।

अब उसका फिर से खड़ा हो गया और अब हम फिर से चुदाई करने लगे। अब मैं भी तेज़-तेज़ चूत को चुदवाने लगी। मैं चिल्लाना चाहती थी.. मगर नहीं चिल्ला पा रही थी। बस हल्की-हल्की सिसकारियां ले रही थी।
फिर अचानक उसने मुझे सीट से उठाया।
मैं बोली- नहीं, क्या कर रहे हो?

तो बोला- अरे चुप हो जा.. तू सीट पर घोड़ी बन जा।

मैंने वैसे ही किया और उसने पीछे से मेरी गाण्ड को पकड़ते हुए क्या मस्त चोदना शुरू किया.. आह्ह.. मैं उस आनन्द को बता नहीं सकती। मैं तो अधनंगी पड़ी थी। साला खूब मजे ले रहा था.. और मैं भी रगड़वा रही थी।

पीछे से भी धक्के लगवा-लगवा कर अपनी गाण्ड को हिलाते हुए उसका लौड़ा घुसवा रही थी। उसने भी मुझे बहुत तेज़ चोदना स्टार्ट कर दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मुझे हर धक्के में ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत में इसका लंड नहीं.. मोटा सरिया घुसा हो।

अब उसने और 10 मिनट चोदते-चोदते अपना माल मेरी चूत में ही झाड़ दिया और अब मैं भी झड़ गई थी।

फिर मैंने झट से टी-शर्ट लोवर ठीक किया और उसने भी अपने कपड़े और वो मेरे ऊपर लेटा रहा.. और मेरे मम्मों से खेलने लगा।

देहरादून आते-आते उसने मुझे दो बार ठोका.. मगर गाण्ड नहीं मारी। उसे गाण्ड मारना पसंद ही नहीं था।

खैर.. सुबह आठ बजे के करीब देहरादून आते ही मैंने पति को फोन कर दिया था। वो मुझे लेने वहाँ से आ गए… और हम लोग होटल पहुँच गए।

तो दोस्तो, यह थी मेरी ज़िंदगी की एक और चुदाई.. जिसे मैंने आप लोगों के बीच बाँटा है.. विदा.. अगली बार फिर मिलते हैं। मुझे आपके मेल्स का इंतज़ार रहेगा।
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