पड़ोस में रहने वाली दीप्ति की चुदाई की कहानी Padosan dipti ki chudai ki sex story

पड़ोस में रहने वाली दीप्ति की चुदाई की कहानी Padosan dipti ki chudai ki sex story, पड़ोसी ने चोद दिया बड़े लंड से, चुम्मे लिए, चूत चाटी, ऊँगली भी डाली, सेक्स का नजर पड़ोसन के साथ, मैं बन गया सबसे बड़ा सेक्सी बॉय.

दोस्तों आज मैं आज आपको बताऊँगा अपना पहला चुदाई अनुभव ! मेरी उम्र २८ साल है लंड ७.६ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है, दिखने में मैं एकदम सुन्दर और काफी खुशमिजाज हूँ। मैं शरीर और दिमाग से सेक्स करने का इच्छुक रहता हूँ। कई साल पहले की बात है, गर्मियों के दिन थे, रात हो चली थी, सभी लोग अपने काम में लगे थे। मैं अपनी छत पर पानी डालने हुआ था ताकि थोड़ी ठण्डक हो जाये।

नल चालू किया और लगा पानी छिड़कने ! साथ वाली छत पर हमारी पड़ोस में रहने वाली दीप्ति भी आ गई पानी छिड़कने ! पिछले कुछ दिनों से मैंने गौर किया कि उसका और मेरा टाइम बिल्कुल एक ही था, नजरें मिल जाती थी, आज उसने स्लीवलेस टॉप और कैप्री पहन रखी थी।

पानी डालते डालते वो भीग गई। मैं मजे ले रहा था और वो भी जानबूझ कर मटक मटक कर पानी डाल रही थी। मैं उसे शरारती नज़रों से देखा रहा था उसे भी पता था। अब हम रोज पानी डालते वक्त नजरों से शरारत करने लगे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। एक दिन मैं पानी डालने गया पर देखा कि नल में पानी नहीं है। मैंने मुँह बनाया तो उसने पूछ लिया- क्या हुआ? मैं बोला- नल में पानी नहीं है। वो बोली- कोई बात नहीं, हमारे नल में पाइप लगा कर पानी डाल दो।

मैं तुरंत पाइप लेकर उसकी छत पर चला गया और उसने नल बताया, वो पाइप लगाने में मेरी मदद करने लगी, पाइप का मुँह नल में नहीं आ रहा था। ये सब करते करते हमारा आपस में एक दो बार छूना हो गया। वो एकदम सहज थी। आज वो बहुत सेक्सी लग रही थी। मेरा पूरा ध्यान उसके शरीर पर था इसलिए मुझे पाइप लगाने में देर हो रही थी। बातों बातों में मैंने पूछा- कोई नहीं दिख रहा है?

तो बोली- सभी लोग मामा के यहाँ गए हैं, कल शाम तक आ जायेंगे। मैं खुश हुआ, मेरी हिम्मत और बढ़ गई, अब मैं जानबूझ कर उसे छूने की ताक़ में रहा और छू भी रहा था, वो बड़ी खुश लग रही थी। मैंने पाइप का मुँह उसकी तरफ किया और वो गीली हो गई। उसकी ब्रा लाल रंग की थी जो बड़ी मुश्किल से उसके मम्मों को सम्हाले हुई थी। अब तो उसका रूप एकदम गजब का लग रहा था गोरी-गोरी और कोरी-कोरी !

लेकिन आज उसे कोरी-कोरी नहीं रखूँगा, उसे जिन्दगी का मजा दूँगा पूरा पूरा, वो भी याद रखेगी कि कोई था जिसने मुझे पूरा मजा दिया। मेरी हरकतें बढ़ने लगी उससे, वो पूरा साथ दे रही थी। मजाक मजाक में मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके मम्मे दबा दिए ! क्या सोलिड थे, जैसे पहले किसी ने नहीं दबाएँ हो। वो मेरे से चिपक गई मैं अब धीरे धीरे बड़े बड़े मम्मों को सहला रहा था, उसके निप्पल के पास गोल गोल उंगली घुमा घुमा कर छेड़ रहा था। वो कुछ स्तब्ध सी रह गई मगर मजा ले रही थी। उसकी सांसें लम्बी हो रही थी और मेरी भी।

अब मैं मम्मों को थोड़ा जोर से दबाने लगा और साथ ही साथ उसकी गर्दन पर चुम्बन कर दिया, उसके रोंगटे खड़े हो गए।

मैंने उसे चाटते चाटते सामने की ओर घुमा दिया और उसके टॉप और ब्रा उतार दिए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। बड़े बड़े मम्मे मेरे सामने खड़े थे और बोल रहे थे- हमको चाटो, चूसो तड़पाओ और धीरे धीरे !! जोर जोर से दबाओ !

मैं अभी भी मम्मों से खेलने में था। मैंने उसके गाल पर किस किया तो वो शरमा गई। आज तो मेरे को मजा आ गया ! मैं लगा रहा, उसके बड़े बड़े होंठ चूसने और हाथों से बड़े बड़े मम्मों को दबाने।

एकदम से उसने मुझे पीछे धकेला और भाग गई कमरे में, मैं भी उसके पीछे गया और फिर पकड़ लिया। अब तो जगह भी सेट हो गई, वो नाटक कर रही थी कि कोई देखा लेगा, मैंने उसे बोला- देखे तो देखे, मैं तुझे नहीं छोड़ने वाला ! और जोर से मम्मों को दबा दिया।

वो चिल्लाई, अब मैंने उसकी कैप्री का बटन खोल कर अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी चूत पर रख दिया। उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी। मेरे हाथ लगते ही वो और उछल गई। उसे बहुत मजा आ रहा था और वो बहुत उत्तेजित हो गई थी।

उसकी कैपरी नीचे सरक गई, मेरी उंगली उसकी चूत पर फ़िर रही थी। मैंने पीछे पीछे उसे सरकाया और बेड पर बिठा दिया और अब उसके ऊपर झुक कर उसे चाटने लगा। उसका पूरा बदन चाटते चाटते मैं खुद बहुत ही ज्यादा उत्तेजित महसूस कर रहा था।

अब मैं उसके होंठों को चूसने के बाद उसके बड़े बड़े मम्मों को चूसने लगा वो मेरे से चिपकी जा रही थी। मैं नीचे की ओर आया, उसके पेट और नाभि को चाटते हुए उसकी चूत के आस-पास जीभ रगड़ने लगा। वो उछलती जा रही थी, उसके उछलते उछलते बड़े बड़े मम्मों को दबा देता था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वो पागल हो रही थी। अब मेरा नाक उसके चूत के दाने को रगड़ रहा था और जीभ चूत के अंदर बाहर हो रही थी।

उसका पानी लगातार बह रहा था, उसकी खुशबू मुझे और दीवाना बना रही थी। चूत चाटते चाटते वो झड़ गई और एकदम मेरा सर पकड़ कर ऐंठ गई। मैं चूत चाट चाट कर पूरा पानी पी गया, वो निढाल सी हो गई। मैं उसके बाजू में जाकर चिपककर लेट गया और उसके होठों को चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद वो उठी और मेरे लण्ड को छेड़ने लगी, उसका मुँह मेरे लण्ड पर लिपट गया। वो बहुत तसल्ली से मेरा लण्ड चूस रही थी और अब मेरा होने में था। मैंने सोचा ‘अभी इसके मुँह में गिरा देता हूँ, बाद में रात को फुरसत से इसकी चूत की चुदाई करुँगा’ और मेरा पानी गिरने को है, मैं बड़बड़ाया। उसने मेरे लण्ड को मुँह में से निकाला और हाथ से हिलाने लगी।

शायद उसे पता नहीं था कि मेरे लण्ड का पानी बहुत ही टेस्टी है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मेरा काम हो गया, मैं लुढ़क कर लेट गया। वो बगैर कुछ बोले बाथरूम में गई, बाथरूम से आकर मेरे बाजू में लेट गई।

मैंने कहा- देर हो रही है, रात को सबके सोने के बाद मिलते हैं। उसने हाँ में सर हलाया और मैं उसके घर से निकल गया।

तो दोस्तों ये थी मेरी चुदाई की कहानी याद आया तो आप लोगो को बता दिया| और भी ढेर सारी बाते है जो बाद में बताऊंगा आज के लिए बस इतना ही|

ऑफिस में काम करने वाली को कार में चोदा Car me kaam karne wali ki chudai

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रोहन है और में फिर से आपके लिए एक नई कहानी लेकर आया हूँ। दोस्तों में आगरा का रहने वाला हूँ, नॉर्मल बॉडी और लंड साईज 6 इंच लम्बा और अब में आपका समय ख़राब ना करते हुए सीधा अपनी स्टोरी पर आता हूँ। ये कहानी तब की है जब में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता था। वहाँ वैसे तो काफ़ी लोग थे, लेकिन एक लड़की थी शालू, जो ज़ीरो फिगर की और काफ़ी स्वीट थी। पहले तो हम सब ऐसे ही बात करते थे, लेकिन हमें महीने के आखरी पर काम की देखभाल के लिए जाना होता था तो पूरा स्टाफ दो दिन तक कार में ट्रेवल करता और शालू अक्सर मेरी कार में बैठी और लास्ट में में उसे उसके घर छोड़ देता था।


फिर एक दिन मैंने उससे ऐसे ही पूछा कि ड्राइव पर चले, तो उसने हाँ कर दी। अब में तो मन ही मन खुश हो गया और सोचने लगा कि आज प्रपोज भी कर दूँ। फिर हम ड्राइव से लौट रहे तो मैंने उससे बोला कि आई लव यू शालू, तो उसने हाँ बोला और अब में बहुत खुश था। फिर मैंने उससे कहा कि क्या में तुम्हें किस कर सकता हूँ? तो वो बोली कि रोड़ पर नहीं कोई देख लेगा। फिर वहाँ पर एक इंडस्ट्रियल एरिया था, तो मैंने वहाँ पर कुछ ट्राई किया तो मैंने देखा कि वहाँ एक गली काफ़ी सुनसान थी। उस दिन रविवार था तो सारी फेक्ट्रियां बंद थी और थोड़ा अँधेरा भी हो गया था, तो मैंने कार वहाँ लगाई और उसे किस करने लगा। अब पहले तो वो मेरा साथ नहीं दे रही थी कि कोई आ जाएगा और देख लेगा, लेकिन फिर वो भी शुरू हुई और मेरा सपोर्ट करने लगी। फिर हम कार की पीछे वाली सीट पर आए और एक दूसरे को किस करते रहे।

फिर मैंने उसकी टी-शर्ट के बटन खोल दिए, तो मुझे उसकी पिंक कलर की ब्रा में उसके बूब्स दिखने लगे, जो काफ़ी गोल और गोरे से दिख रहे थे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अब मुझे और जोश आ गया था और उसका फिगर साईज 32-30-34 था, जो मुझे बाद में पता चला था। फिर में उसके बूब्स पर ऊपर से ही किस करने लगा और हल्का-हल्का काट भी देता था। उसके बूब्स पर एक तिल था, जिससे वो और भी सुंदर लग रही थी। अब वो ओह आ आ कर रही थी। फिर मैंने उसकी ब्रा खोल दी और उसके पिंक निपल को चूसने लगा था। अब में कभी सक करता तो कभी उसके निप्पल को दाँत से काटने लगता। अब वो मेरे सिर को अपने हाथ से दबा रही थी और धीरे-धीरे मौन भी कर रही थी।

फिर धीरे-धीरे उसने भी अपना हाथ मेरी जीन्स में डाल दिया और मेरे लंड को टच करने लगी। अब वो तो जैसे फुल जोश में उसका स्वागत कर रहा था। फिर मैंने भी उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और उसने मैचिंग की पेंटी पहनी थी। फिर मैंने उसकी जीन्स और पेंटी एक साथ नीचे कर दी और अब मुझे उसकी हल्के-हल्के बालों वाली चूत दिख रही थी। फिर मैंने उसकी चूत पर किस किया और फिर उसे चूसने लगा, तो वो ज़ोर-ज़ोर से श आ ऊओह आ करने लगी। अब वो अपने हाथ से मेरा सिर दबा रही थी और मुझे ऊपर नहीं होने दे रही थी। अब उसे काफ़ी मज़ा आ रहा था। फिर हम 69 की पोजिशन में आ गये। अब वो मेरा पूरा लंड लॉलीपोप के जैसे चूस रही थी और साथ में ऊहह अया भी कर रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर उसने अपने पर्स से एक चोकलेट निकाली, जो काफ़ी पिघली हुई थी और मेरे लंड पर लगाकर उसे चूसने लगी।

अब मुझे भी काफ़ी मज़ा आने लगा था और में भी उसकी चूत पर चॉकलेट लगाकर अपनी जीभ से चाट रहा था तो कभी काट रहा था। जिससे वो काफ़ी मजे कर रही थी और फिर हम दोनों 15 मिनट के बाद एक साथ झड़ गये और एक दूसरे को किस करने लगे। फिर 5 मिनट के बाद मैंने उसे अपनी गोदी में बैठाया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट करके धीरे-धीरे उसे अपने लंड पर बैठाने लगा और हल्के-हल्के झटके मारने लगा। अब 2-3 झटको में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया था। अब वो खुद धीरे-धीरे झटके मार रही थी और अब उसे दर्द भी हो रहा था और उसकी चूत से हल्का-हल्का खून भी आ रहा था। अब वो खून देखकर मुझे मना करने लगी, लेकिन कार में इतनी जगह नहीं होती है कि वो उठ पाती।

अब में नीचे से हल्के-हल्के झटके मारता रहा और वो दर्द में ऐसे ही बैठी रही और में नीचे से झटके मारता रहा। फिर थोड़ी देर के बाद वो भी मेरा साथ देती हुई श आ ओह हाँ करती रही। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अब वो कभी मेरी गर्दन पर किस करती तो कभी काट देती। फिर 15-20 मिनट के बाद वो झड़ गयी, लेकिन में ऐसे ही झटके मारता रहा। फिर थोड़ी देर के बाद में भी उसकी चूत में ही झड़ गया और फिर हमने अपने कपड़े ठीक किए और वहाँ निकलने लगे कि हमें वहाँ एक चोकीदार ने पकड़ लिया, लेकिन उसे पता नहीं था कि वहाँ हमने सेक्स किया है। फिर मैंने उसे समझाया और थोड़े से पैसे दिए तब उसने हमें वहाँ से जाने दिया ।।

पति के लंड से ज्यादा जान होती है गैर मर्द के लंड में Pati ke lund se jyada jaan hoti hai dusre ke lund me

पति के लंड से ज्यादा जान होती है गैर मर्द के लंड में, Pati ke lund se jyada jaan hoti hai dusre ke lund me, दुसरे आदमी को चूत दे दी, बेगाने मर्द से चुदवाई, पति के जाने के बाद दुसरे मर्द को अपने ऊपर चढ़ा लिया, गांड का गड्डा और चूत का कचूमर बनवा लिया.

मेरी शादी हुये लगभग तीन साल गुजर चुके हैं। मेरे पति सुशील मुझसे बहुत प्यार करते हैं, एक प्राईवेट फ़र्म में काम करते हैं और उनका वेतन भी बहुत अच्छा है। हमने एक क्लब भी जोईन कर रखा है।। मेरे साथ की महिलाएं जो 20 से 50 वर्ष तक की थी, अपने आप को बहुत मेन्टेन रखती थी। यूं तो मैं एक मॉडल भी हूँ और अपने शरीर को सुडौल रखने के लिये मैं जिम और ब्यूटी पार्लर जाती हूँ। पर आज मैंने शहर में एक नए पार्लर का नाम सुना। साथ की महिलायें उसकी पार्लर की बहुत तारीफ़ कर रही थी। अन्य महिलाओं की तरह मैं भी सबसे आगे रहना चाहती हूँ। आज सुशील के जाते ही मैं सबसे पहले उस नये पार्लर में गई। हालांकि वह मेरे घर से काफ़ी दूर था। वहां काम करने वाली कुछ लड़कियों ने तो मुझे पहचान भी लिया कि मैं मॉडल गर्ल सीमा हूँ। पार्लर के मालिक ने मेरा स्वागत किया और सभी डिपार्टमेन्ट से मेरा परिचय कराया। जो लड़कियां मुझे जानती थी उन्होने सभी को बता दिया मॉडल गर्ल सीमा पार्लर में आई हुई है। मालिक को पता चलते ही मुझे ब्यूटी पार्लर जोईन करने पर काफ़ी छूट भी दी गई। मैंने वो पार्लर जोईन कर लिया।

मैं लगभग हर दो तीन दिन में एक बार वहाँ जाने लगी। वहां मुझे हर तरह के बाथ एन्जोय करने को मिल जाता था। जैसे गुलाब जल का स्नान, सोना बाथ, स्टीम बाथ, फिर स्विमिन्ग पूल का लुफ़्त, बॉडी मसाज का लुफ़्त, हरेक प्रकार का फ़ेस पैक, और भी बहुत सी चीज़ें...। ये सब बातें मैंने सुशील को भी बताई। सुशील यह सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ कि मेरे पास समय का सदुपयोग करने का साधन आ गया था।
आज मुझे शरीर का मसाज करवाना था, सो मैंने आते ही ड्रेस बदल ली। मेरे इस रूप को वहां की वर्कर और अन्य युवतियां बड़े चाव से निहारती थी। उनकी नजरे मुझ पर जैसे चिपक जाती थी। मैं हमेशा की तरह अपनी जगह पर जा कर लेट गई और मसाज करने वाली का इन्तज़ार करने लगी।

"गुड मॉर्निन्ग मैडम... आज रीटा छुट्टी पर है... क्या मुझसे मसाज करवायेंगी आप?" किसी लड़के की आवाज सुनाई दी। मैंने नजरें घुमा कर देखा तो एक सुन्दर सा युवक सर झुकाये खड़ा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मुझे उसके स्टाईल पर हंसी आ गई। मासूम सा नजर आने वाला लड़का मुझे एक नजर में ही भा गया। उसका सभ्य व्यवहार मुझे पसन्द आया,"हां हां... क्यूँ नहीं...आज आप ही मसाज कर दो..." मैंने उसे मुस्करा कर देखा और उसे प्यार से सहमति दे दी। वो तुरन्त अपना एप्रिन पहन कर आ गया और मुझे उल्टा लेटा दिया।

मैं यह भूल गई थी कि यह एक जवान लड़का है। मेरे गोल गोल चूतड़ों के उभार उसे लुभा रहे थे। मात्र एक छोटी सी पेन्टी और ब्रा में मेरा सभी कुछ दिख रहा था। उसके हाथों में वैसे तो लड़कों वाली गर्मी नहीं थी पर हां उसका मसाज मुझे उत्तेजित कर रहा था। शायद मेरा मन उस पर आ गया था। उसके हाथ मेरे शरीर पर मालिश कर रहे थे और मैं लेटी हुई उत्तेजित हो रही थी, आखिर हाथ तो किसी मर्द का ही था ना। उसके हाथों में शायद जादू था। जैसे ही वो मेरी जांघों पर मालिश करता मुझे सिरहन सी उठ जाती थी। मेरे स्तनों के पास उसके हाथ आते तो लगने लगता था कि बस अब मेरी चूंचियां ही दबा दे। मेरे तन में एक मीठी सी वासना घर कर कर रही थी।

तब उसने मुझे सीधे होने को कहा। उसके हाथ फिर से चलने लगे। मेरे पेट पर, कमर पर, पांव पर... मेरा दिल डोल उठा था। मेरे शरीर में उत्तेजना घर करने लगी थी, वासना का ज्वर चढ़ने लगा था। मेरी चूंचिया कड़ी होने लग गई थी। यह पहला मौका था जब कि कोई मर्द मेरा मसाज कर रहा था। मुझे उसके हाथों में जैसे सेक्स भरा हुआ सा लग रहा था। उसने भी एक बार तो अपने उभरे हुये लण्ड को मेरे कूल्हों के पास रगड़ दिया था। मैं समझ गई थी कि उसके हाल भी बुरे हैं। अचानक उसने मेरे बड़े बड़े उरोज पर अपने हाथ जमा दिये और उन्हें दबा डाला। मैं इस हमले से हड़बड़ा गई और अनजाने में उसका हाथ पकड़ लिया और बैठ गई। मुझे ये अपना अपमान सा लगा। मैंने गुस्से से उसे देखा और अचानक ही मेरा हाथ उठ गया। मैंने उसके चेहरे पर एक तमाचा मार दिया। और उठ कर गुस्से में केबिन में चली आई। उसका सारा नशा जैसे काफ़ूर हो गया। वो घबरा गया। मैंने अपने कपड़े पहने और और मंजू रानी जो उसकी मालकिन थी उसे डाण्ट कर चली आई। पार्लर में उस युवक को बुला कर मंजू रानी ने बहुत फ़टकारा।

दूसरे दिन मैंने सवेरे ही घर के बाहर उसी युवक को देखा। वो बहुत ही असमन्जस की स्थिति में यहाँ-वहाँ देख रहा था। तभी चौकीदार का फोन आया कि ब्यूटी पार्लर से कोई राजीव नाम का लड़का मुझसे मिलने चाह रहा है। सुशील काम पर जा चुका था। उसे मैंने ऊपर बुला लिया। राजीव ने आते ही मेरा पांव पकड़ लिया और माफ़ी मांगने लगा और उसने मुझे पार्लर में मंजू रानी को फोन करने को कहा। स्त्री स्वभाव होने से मेरा दिल पसीज गया और उसे मैंने माफ़ कर दिया। माफ़ तो करना ही था क्यूंकि वो मेरे मन को भा चुका था। उस पर मेरा दिल आ गया था। मुझे उससे चुदवाने की इच्छा होने लगी थी। उसे छेड़ने में मुझे अब मजा आने लगा था। उसके भोलेपन पर मुझे प्यार भी आ रहा था।

मुझे शरारत सूझी,"राजीव, मेरा मसाज वैसे ही करो जैसे पार्लर में किया था। अब चालू हो जाओ। चलो..."
वो घबरा गया और झट से अपनी कमीज और बनियान उतार दिया। मैंने भी ब्रा और पेण्टी को छोड़ कर कपड़े उतार दिये।

"अब पेण्ट भी उतारो... चलो... मैं भी तो वहाँ ऐसी ही थी ना..." मैंने अपनी धमकी का असर देख लिया था। वो सचमुच में डर गया था।

"जी... जी... मैडम मैंने माफ़ी मांग ली है ना... प्लीज..."

"अरे चल उतार ना..." उसकी रेगिंग लेते हुये मुझे बहुत हंसी आ रही थी। तुझे बस मेरा मसाज ही तो करना है !"

उसने अपना पेण्ट उतार दिया, और मेरा दिल धक से रह गया। उसका लण्ड उठान पर था। साफ़ ही बड़ा सा नजर आ रहा था। मुझे इस तरह से घूरते देख कर उसका लण्ड और भी कड़क हो चला था। मेरे दिल की धड़कन बढ गई। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। पर मैं तो खेल खेल में पिघलने लगी थी।

"तुम्हारा शरीर तो बहुत सुन्दर है राजीव... जिम जाते हो क्या...?" मैं उसके पास आते हुये बोली।

"मैडम, प्लीज सॉरी, मेरी नौकरी चली जायेगी !"

"नौकरी कैसे जायेगी ... मैंने उसके पेट पर हाथ फ़ेरा। उसका लण्ड सीधा तन्ना गया। मैंने उसे बड़ी सेक्सी और वासना भरी निगाहों से देखा। वो कुछ कुछ समझ रहा था पर डर अधिक रहा था।

"बस कीजिये मैडम जी... मुझे और ना सताईये..."

"मेरा नाम सीमा है... मुझे नाम से बुलाओ... और हां तुमने मुझे सताया था उसका क्या... बोलो... तुमने मेरे स्तन दबा दिये थे ना... अब अगर मैं तुम्हारा ये मुनमुन दबा दूं तो..." कह कर मैंने उसका लण्ड हौले से दबा दिया। उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी।

"सीमा जी, आप क्या कर रही हैं, मुझे समझ में नहीं आ रहा है... मैं आपका मसाज कर देता हूँ, अब प्लीज मुझे ओर ना सताईये !" उसने मेरा लण्ड पर हाथ हटाते हुये कहा और बैठ गया।

"क्यूं मजा नहीं आया क्या..." मेरी आंखो में उसने वासना देख ली थी, पर वो डर रहा था। उसने जल्दी से कपड़े पहने और जाने लगा।

"जाओ तुम्हें माफ़ कर दिया, कल मैं पार्लर आऊंगी...तुम्हीं मेरा मसाज करना... अब तुम्हें मैं छोड़ने वाली नहीं !" और जोर से हंस पड़ी। वो कुछ असमन्जस की हालत में चला गया।

पर उसका कड़क लण्ड मेरे दिल में अनेक तीर बींध गया था। रह रह कर मुझे उसका कड़क लण्ड दिख रहा था, उसकी मसल्स से भरा हुआ बदन... मुझे पिघला रहा था। उस दिन मैंने चूत में अंगुली कर के राजीव के नाम का अपना यौवन रस भी निकाला। शाम को बेताबी में सुशील से चुदाई भी जम कर कराई। पर मन नहीं माना, उसका मोटा लण्ड का साईज़ अभी भी हाथों को मह्सूस हो रहा था। शायद मेरे दिल को राजीव का लण्ड चाहिये ही चाहिये था। सुबह से मुझे राजीव की याद आने लगी थी। सुशील के जाने के लिये नौ बजने का इन्तज़ार करने लगी। एक एक पल मुझे जैसे पहाड़ सा लग रहा था। आखिर वो घड़ी आ ही गई।

सुशील ओफ़िस के लिये रवाना हो गया और मैंने तुरन्त अपनी कार निकाली। धड़कते दिल से पार्लर पहुंच गई। सामने ब्यूटी पार्लर था, मेरा दिल धड़कने लगा था। अन्दर कदम रखते ही मुझे राजीव मिल गया। मैंने उसे मसाज रूम में आने को कह दिया। और सीधे केबिन में चली आई। ब्रा और पेण्टी में मसाज रूम में आ गई। मेरा दिल अब वासना की उत्तेजना के मारे धड़कने लगा था। मेरी सांसे भी अनियंत्रित हो चली थी। वहाँ पर राजीव आ चुका था। मैं चुपचाप आ कर लेट गई और उल्टी लेट गई। पहले तो वो मुझे घूरता रहा फिर मेरे जिस्म को देख कर वो बहकने लगा। मैं अपनी चुदाई का इन्तज़ार करने लगी। उसके हाथ मेरे शरीर पर फ़िसलने लगे। पर उसने आज कोई मुझे उत्तेजित करने वाली हरकत नहीं की। मुझे स्वयं ही बेचेनी होने लगी। पर मैं तो स्वमेव ही उत्तेजित होने लगी थी। जैसे ही वो मेरे चेहरे की ओर आया मैंने ही पहल कर दी... उसके लण्ड को अपनी एक अंगुली से दबा दिया। उसने कोई आपत्ति नहीं की। मैंने दुबारा उसके लण्ड को फिर से हाथ से दबाया। उसका लण्ड कड़ा होने लगा, और उभार स्पष्ट नजर आने लगा। वो भी शायद यही चाहता था। अतः वह उसी स्थान पर खड़ा रहा।

"राजीव, मजा नहीं आ रहा है... क्या नाराज है ?" मेरी बेचैनी उभर कर सामने आने लगी।
"क्या कह रही है सीमा जी... आप कहे तो एक बार... क्या करना है ?" उसे डर भी लग रहा था।
"कुछ करो ना..." मेरी इस विनती पर वो मुस्करा उठा, और उसने मेरे चूतड़ों को अपने हाथ से सहला दिया। मेरे सारे शरीर में कंपकंपी सी छूट गई। जैसे मेरी मन चाहत पूरी होने वाली थी। उसने मेरी पेण्टी थोड़ी सी नीचे सरका दी थी और चूतड़ो की दरार और दोनों चूतड़ों के पार्टीशन राजीव को नजर आने आने लगे थे। मुझे भी थोड़ी सी हवा की ठण्डक चूतड़ों पर लगी। मेरे मन में खलबली मचने लगी। लगने लगा कि बस अब चुदाई ज्यादा दूर नहीं है। उसका कड़क लण्ड और भी कठोर हो चुका था। उसका लण्ड मेरे चेहरे के बिलकुल समीप था... चाहती तो थोड़ा सा आगे बढ़ कर लण्ड को मुख में भर सकती थी...।

"राजीव... बहुत कड़क हो रहा है... अपने मुन्ना को बाहर निकाल कर दर्शन करा दो..." मैं पूरी तरह से बहक चुकी थी।

"जी... क्या कह रही है आप... आप ही निकाल लो..." उसने कुछ शरमाते हुये कहा।

मैंने भी हिम्मत की और उसके पेण्ट की जिप खींच दी। उसने ऊपर के बटन खोल दिये... काली अंडरवीयर थी अन्दर... अंगुली से नीचे खींच दी... दिल फिर मेरे जैसे मेरे हलक में अटक गया। गोरा सा, मोटा सा लण्ड... बेहद तन्नाया हुआ। नीचे लटकती दो गोलियाँ... साफ़ शेव की हुई...। इतने में राजीव ने पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया... ब्रा ढीली हो कर मेरे उरोजों से नीचे बिस्तर पर गिर गई। मेरे तराशे हुये मॉडल शरीर की चिकनाई और लुनाई उसे पागल किये दे रही थी। वो मेरे उभरे चूतड़ों की मालिश कर रहा था और रह रह कर मेरे दरार को चीर कर मेरे भूरे और गुलाबी गाण्ड के छेद पर तेल की बूंदे टपका रहा था। मेरे जिस्म में वासना की आग भड़क उठी थी। तन जैसे आग में झुलसने लगा था। मैंने एक हाथ से उसके चूतड़ो को खींच कर उसके लण्ड को मुख के नजदीक ले आई और धीरे से उसे अपने मुख में ले लिया। राजीव सिसक उठा। उसने जोश में मेरी गाण्ड में अंगुली घुसा दी। मैंने मस्ती में अपनी आंखे बंद कर ली। दूसरे ही पल उसका दूसरा हाथ मेरी चूंची दबा रहा था। अब उसकी कमर हौले हौले चलने लगी थी और मेरे मुख को चोदने लगी थी। मैंने अपने मुख में उसका लण्ड जोर जोर से चूसना चालू कर दिया।

"सीमा जी, अब आगे बढ़ें क्या...?"

उसका उतावलापन बढ़ रहा था। मैं सीधी हो गई और मुख से लण्ड निकाल दिया।

"क्या करोगे अब... क्या नीचे कुछ..."

उसने मेरे अधरों पर हाथ रख दिया और पलंग के पैताने आ गया। मेरी दोनों टांगें खींच कर मेरी चूतड़ के छेद को अपने लण्ड से सटा लिया। उसके कोमल और कड़कते लण्ड का छेद पर स्पर्श मुझे गुदगुदाने लगा। मुझे नीचे छेद पर प्यारी सी गुदगुदी और खुजली सी हुई। दूसरे ही क्षण छेद पर लण्ड का प्यारा सा दबाव बढ़ गया और मेरे मुख से एक आह निकल पड़ी। उसका लण्ड मेरी तेल भरी गान्ड के छेद में सरक कर अन्दर उतर आया था।

"हाय राजीव पूरा घुसा दे ... उह्ह्ह्ह... मस्त मोटा है...!" मैंने अपने होंठ दांतों से काट लिये। थोड़ा सा जोर लगाते ही लण्ड पूरा गहराई तक घुस गया। मेरे मन की इच्छा पूरी हो रही थी। उसने अब लण्ड को हौले हौले अन्दर बाहर करके ग़ाण्ड मारनी चालू कर दी। उसके हाथ आगे बढ़ कर मेरे उन्नत उरोज पर आ गये और उसे अब मसलने लगा था। निपल कड़े हो गये थे। वो मुझे खड़े खड़े बहुत प्यार से चोद रहा था। मेरे मुख से मस्ती भरी आहें निकल रही थी। राजीव भी पूरी मस्ती में आ चुका था। वो खड़े हो कर आराम से धक्के मार रहा था। मेरी गाण्ड को असीम सुख मिल रहा था। यूं तो सुशील मेरी गाण्ड पर आशिक था और जम के गाण्ड मारता भी था, पर कसम से, नये लण्ड का मजा नये तरह का और गजब का होता है। मेरी चूंचियों की घुण्डियाँ मसलने पर तीखा आनन्द दे रही थी। मुझे लगा कि राजीव कहीं झड़ ना जाये। अभी मुझे तो उसके जिस्म का प्यार भी चाहिये था। प्यास तो उसके जवान जिस्म को भोगने की थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। थोड़ी देर गाण्ड चुदाने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर चढ़ जाने का न्योता दिया।

मैंने ठीक से सीधे लेट कर पोजिशन ले ली। वो भी बिस्तर पर मेरे ऊपर आ गया और अपने नंगे जिस्म को मेरे नंगे जिस्म से चिपका लिया। हम दोनों की बाहों का कसाव बढ़ता गया और लण्ड चूत का छेद तलाशता रहा।
उसने चूत की दरार को लण्ड पर सेट कर दिया और ... हाय रे चूत में प्यारी सी... मीठी मीठी सी गुदगुदी करता हुआ मेरे जिस्म में समाने लगा। अब उसके शरीर का सुख भी मुझे बहुत आनन्द दे रहा था। जैसे शरीर में कसक भरी हुई थी। उसने अपने लण्ड को चूत पर रगड़ते हुये और गहराई तक चोदते हुये मेरे कस बल को निकालने लगा। मैं तड़प उठी। तन में जैसे आग लग गई। उसके अधर मेरे अधर को पी रहे थे। बोबे मसले जा रहे थे... चूत चुदी जा रही थी। काश ... ऐसा मोटा लण्ड मुझे रोज मिल जाये।

अब हम दोनों बरबरी से झूम झूम कर कमर चला रहे थे और मस्त चुदाई कर रहे थे। चूत और लण्ड का घर्षण हम दोनों को बेहाल कर रहा था। धक्के तेजी पर थे... लण्ड चूत पर जम कर चल रहा था। लग रहा था कि बस जिंदगी भर चुदती ही रहूं। पर ऊपर वाले की जैसी इच्छा ... उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी, चूत तेजी से चुद रही थी। सिसकियाँ रोकने से भी नहीं रूक रही थी। पर जल्दी ही मेरा शरीर ऐंठने लगा... लगता था शरीर का सारा खून खिंच कर चूत में भर जायेगा... मेरी कमर अब अपने आप ही ऊपर उछल कर लण्ड को गहराई में लेने लगी... और आह्ह्ह रे... जावानी का रस पानी बन कर चूत के रास्ते बाहर निकल पड़ा। मेरी सारी ताकत यौवन रस को बाहर निकालने में लगने लगी... तभी राजीव ने भी लण्ड बाहर निकाल लिया और एक भरपूर पिचकारी छोड़ दी...। उसका लण्ड मेरी चूत के एक साईड में आ गया था और वीर्य निकालने लगा था।

मैं उससे लिपटी हुई थी। उसके लण्ड को और जिस्म को भली प्रकार से भोग चुकी थी। मेरा जोश झड़ने के साथ ही साथ कम होने लगा। मैंने नीचे से राजीव को हाथों से दबाव देकर इशारा किया... और वो उछल कर बिस्तर से नीचे आ गया। उसने तौलिया ले कर मेरी चूत साफ़ कर दी। मैं भी सुस्ताई सी उठ कर बैठ गई। मैंने केबिन में जाकर कपड़े बदले और बाहर आकर राजीव को एक हज़ार रुपये इनाम में दिए। उसने अपना सर झुका कर मुझे अभिवादन किया और बाहर तक छोड़ने आया। पर मेरा उसके जवान जिस्म को और भोगना चाह रहा था। कम उम्र के लड़के कितने कंटीले होते है, ये वो जान सकता है जिसकी उम्र मेरे बराबर हो या जिसका अपने पति से चुद कर मन भर गया हो।

मैंने बाहर आ कर अपनी कार में बैठ गई और घर की तरफ़ गाड़ी मोड़ ली। बैक मिरर में से मैं राजीव को दूर होते हुये देख रही थी... मेरे दिल से एक ठण्डी आह निकली, मैंने अपना सर झटका और और उसके लण्ड का ख्याल दिल से निकाल दिया और फिर सड़क पर ध्यान केन्द्रित करने लगी...

गर्लफ्रेंड की गैर मौजूदगी में उसकी माँ की चुदाई Girlfriend ghar par nahi thi aur uski maa chud gayi

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दोस्तों, मेरा नाम विकास कुमार यादव हैं और मैं छपरा, बिहार का रहने वाला हूँ. दोस्तों मुझे चूत में और गांड में लंड देने में बहुत मजा आता हैं और मेरी एक गर्लफ्रेंड भी हैं. उसका नाम सुकुमारी हैं और वो एक ओरिया लड़की हैं. इस लड़की की चूत में मैंने अभी तक न जाने कितनी बार भी लंड दिया हैं. उसके घर पे भी मुझे सब जानते हैं और वो मुझे उसका केवल दोस्त समजते हैं. मैंने इसी बात का फायदा उठा के सुकुमारी की चूत में उसके घर पे ही कितनी बार लौड़े से खुदाई की हुई हैं. लेकिन आज मैं आप को उसकी माँ की चूत में लंड देने की बात बताने जा रहा हूँ. सुकुमारी की माँ का नाम सोनम हैं और वो किसी भी एंगल से 35 साल के उपर की नहीं लगती हैं.

वैसे वो हैं तो 35 के ऊपर लेकिन उसने अपनी गांड, चुंचे और शरीर का कसाव अभी भी ऐसे रखा हैं की वो जवान जैसे ही दिखती हैं. उसके चुंचे बड़े, गोल और लचीले हैं. मैंने एक दो बार जब वो घर के बाहर कपडे धो रही थी तब ऊपर की नंगोल से देखा था. ऊपर से उसके चुंचो के बिच की गली बहुत ही मादक दिखती थी; लेकिन सुकुमारी मेरे साथ होने से मैं ज्यादा देख नहीं पाता था. यह बात जून 2016 की हैं, सनीचर का दिन था और कोलेज से हम लोग जल्दी घर आ गए थे. सुकुमारी ने मुझे उसके घर उसकी चूत में लौड़ा डालने के लिए बुलाया था, पढाई के बहाने.

मैं जब चूत में लंड देने के सपने देखता हुए उसके घर पहुंचा तो मुझे सोनम आंटी ने बताया की सुकुमारी तो अंजली और जमीला के साथ पिज़ा खाने के लिए चली गई हैं. मैं मनोमन चिढ गया की साली मुझे चुदाई के लिए बुलाती हैं और खुद पिजा की माँ चोदने गई हैं. मैं वही वरंडे से ही निकलने वाला था लेकिन सोनम आंटी के कहने पे मैं अंदर गया और बैठा. मैंने सुकुमारी को वहीँ से फोन किया और उसने मुझे कहा की उसे आने में अभी 1 घंटा लगेगा. मैंने उसे कहा ठीक हैं. उसने मुझे इशारो इशारो में अपने कमरे में वेट करने के लिए कहा. साली की चूत में खुजली थी तो फिर पिज़ा खाने क्यूँ गई थी. मुझे गुस्सा आ रहा था लेकिन सोनम आंटी खड़ी थी इसलिए मैंने आराम से बात की. सोनम आंटी तभी पानी ले के आई और मेरे सामने सोफे में बैठ गई. मैंने देखा की आंटी की लॉन्ग गाउन पीछे से फटी हुई थी और अंदर की काली पेंटी दिख रही थी. शायद आंटी ने गाउन के निचे सिर्फ ब्रा पेंटी पहनी थी. बहुत सारी औरतो को ऐसे खुले में घुमने का सौख होता हैं. मेरा लंड वैसे भी चूत में जाने के लिए तो तैयार था और आंटी की पेंटी देख के मैं और भी होर्नी हो गया.आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। आंटी को मैंने अंकल के बारे में पूछा. आंटी ने बताया की घर के नौकर श्यामू काका के वहाँ शादी हे इसलिए अंकल वहाँ गए हैं. घर में उस वक्त आंटी और मेरे अलावा कोई नहीं था. और एक कहावत के अनुसार मेरेदिल मैं शैतान जाग ही उठा था. लेकिन मैंने सोचा की माँ को छेड़ा तो बेटी की चूत से भी हाथ धोना पड़ेगा. तभी आंटी उठ के मेरे लिए सेब काट के ले आई और अब की बार वो मेरे पास आके बैठ गई.

मुझे सोनम आंटी का यह कदम शक पैदा करने वाला लगा. उसने अपनी जांघो को मेरी जांघो से सटा के रखी हुई थी. मेरी साँसे फूलने लगी और साथ साथ मेरा लंड भी. मैं आंटी से नजरे नहीं मिला पा रहा था क्यूंकि मेरे दिल में खोट थी उसकी चूत चोदने की. लेकिन जबब मैंने आंटी की तरफ देखा तो वो भी जैसे नजरे चूरा रही थी. तो क्या सोनम आंटी को भी मुझ से चुदवाना था.? मैं मनोमन सोचने लगा की चलो देखते हैं की बूढी घोड़ी कहाँ तक भागती और भगाती हैं. मैंने हलके से अपनी जांघ को आंटी की जांघ से थोडा और सटा दिया और आंटी कुछ नहीं बोली. मेरे होश तो तब उड़ने वाले थे जब आंटी ने मुझे कहा, विकास चलो बेडरूम में बैठेंगे. यहाँ गर्मी हैं, मैं वहाँ एसी चला देती हूँ. मैं सोनम आंटी की चूत में हुई खुजली को भांप गया. आंटी मेरे आगे चल रही थी और मैं उसकी इधर से उधर मटक मटक के चलती मटके के जैसे गांड को देख रहा था. मेरा लंड अब काबू के बाहर होने लगा था. बेडरूम को अंदर से बंध कर के आंटी ने मुझे बिठाया और एसी ओन कर दी. मुझ से रहा नहीं गया और आंटी जब स्विच के पास थी तभी मैंने खड़े हो के टेबल से मैगज़ीन इस तरह उठाये की मेरा लंड उसकी गांड के उपर टच हो गया. आंटी कुछ भी नहीं बोली. लेकिन मेरे लौड़े की गर्मी उसे जरुर महसूस हुई होगी. मैंने जानबूझ के एक दो मैगज़ीन टटोले ताकि लंड और गांड का कनेक्शन थोड़ी देर तक जमा रहे. आंटी कुछ नहीं बोल रही थी, ना वो अपनी गांड हटा रही थी. मैंने मैगज़ीन को वापस रखा और सीधे आंटी की कमर के ऊपर हाथ रख के उसे सहलाने लगा.

आंटी की साँसे फुल चुकी थी, शायद उसकी चूत भी मेरे जैसे जवान लंड का सहवास मांग रही थी. और आंटी ने आज मौका देख के मेरे लंड को चूत से भिगोने का फैसला कर ही लिया था शायद. मैंने अपने हाथ को अब आंटी की कमर से उठा के उनके बूब्स के उपर रख दिए. आंटी बोली, विकास क्या कर रहे हो. मैंने कहा आंटी कुछ नहीं, बस आप बहुत प्यारी हैं इसलिए आप को प्यार दे रहा हूँ. आंटी ने हंसी से मेरे जवाब को चुदाई की मुहर लगा दी. मुझे उसके हंसने से पता चल गया की उसे भी लंड की खुराक अपनी चूत में लेने का मन था ही. मैंने उसके गाउन को उठाया. सर्कस के तंबू के जैसे गाउन को उठाते ही आंटी की लाल ब्रा और काली पेंटी मेरे सामने आ गए. आंटी ने ब्रा पेंटी के ऊपर ही गाउन डाल दिया था वैसा मेरा अंदाजा बिलकुल सही था. मैंने आंटी के कंधे को पकड़ के उनको अपनी तरफ घुमाया और धीरे से उनके बूब्स को पकड़ लिया. आंटी के बूब्स बड़े थे लेकिन लचीले और अंदर से सख्त थे. मैंने पीछे हाथ ले जा के ब्रा का हुक खोल दिया. बिलकुल किसी जवान औरत के जैसे ही आंटी के चुंचे मस्तियाँ रहे थे. मैंने चुंचो को थोडा मसलने के बाद अपना मुहं उनके उपर रख दिया. आह आंटी की सेक्सी निपल्स मेरे मुहं में थी…सच बताऊँ दोस्तों सुकुमारी के चुंचो से तो उसकी माँ के चुंचे ज्यादा अच्छे थे. मैंने जोर जोर से दोनों चुंचो का रसपान किया और आंटी मेरे शर्ट के बटन खोलने लगी.

देखते ही देखते आंटी ने मुझे नग्न कर दिया. वो मेरे लंड को अपने हाथ से मल रही थी और मुझे उसके ऐसा करने से बहुत ही मजा आ रहा था. आंटी ने लंड के सुपाड़े को अपने दोनों हाथ के बिच पकड़ा और जैसे वो बेलन को हाथ के बिच रगड़ रही हो वैसे रगड़ने लगी. मुझे आंटी का यह अजीब खेल समझ में नहीं आया लेकिन मजा उसमे जरुर भरा हुआ था. सोनम आंटी की पेंटी को मैंने अब धीरे से उतारा. उसकी चूत में चांदी जैसे चमक थी, साली आंटी बाल भी नीकाल के बैठी हुई थी.

मैंने आंटी की चूत में धीरे से अपनी ऊँगली डाली और ऊँगली की चारोतरफ मुझे चिकनाहट और गर्मी का अहेसास हो रहा था. आंटी ने अपनी आँखे बंध कर दी, उसके लिए यह शायद असहय हो चला था. मैंने ऊँगली को जरा सा जोर लगा के पूरी के पूरी उसकी चूत में दे दी. आंटी आह ओह ओह आअह्ह्ह्ह कर रही थी और मैंने उसकी चूत को अपनी ऊँगली से मस्त चोद रहा था. आंटी अब बिस्तर के ऊपर लेट गई और मैं जा के उसकी दोनों टांगो के बिच बैठ गया. मैं इतनी चिकनी चूत को देख के उस में जबान डालने का मौका जाने नहीं देना चाहता था. मैंने सीधे अपनी गर्दन को झुकाया और आंटी के चूत में जबान डाल दी. आंटी की आह आह और भी तेज हो गई. मैंने धीरे धीरे कर के पूरी जबान को चूत में घुसा डाला. आंटी ने मेरे माथे के बालो नोंच डाला. उसे भी इस सेक्सी मुखमैथुन से बहुत मजा आ रहा था. मैंने आंटी की दोनों जांघो को पकड़ा हुआ था और मैं उसकी चूत की गहराई तक अपने जबान से जैसे की चुंबन दे रहा था. आंटी आह आह ऊह ओह ओह आह…विकास्स्स्स विकाआआअस्स्स्स…ऐसे आवाज निकाल रही थी. आंटी की चिकनी चूत को चाटने का अपना अलग ही मजा था दोस्तों. मैंने सुकुमारी की चूत भी अगिनित बार चाटी थी इस से पहले. शायद मैं बहुत कम लोगो में से था जिसने माँ बेटी दोनों की चूत चाटने का सौभाग्य पाया था. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। आंटी भी अब मस्त मस्तियाँ गई थी उसने मेरे बड़ी जुल्फों को नोंच के बड़ी ख़राब कर दी थी. मैंने अब खड़े हो के अपना लंड सोनम आंटी कके मुहं के करीब रख दिया. सोनम आंटी को पता था की उसे क्या करना हैं, उसने सीधे लंड के सुपाड़े के ऊपर अपनी जबान फेरी और अपनी चूत में ऊँगली डाल दी. वो एक तफ़र अपनी चूत को ऊँगली कर रही थी और इधर मेरे लंड को चूस रही थी. आंटी ने बहुत ही सेक्सी तरीके से लंड को चूसा था. वो जैसे की स्ट्रॉ से कुछ पी रही हो वैसे लंड को खिंच खिंच के चूस रही थी. मैंने भी आंटी के मुहं को दोनों हाथो के बिच में लिया और अपने लंड के जोर जोर के धक्के उसके मुहं में मारने लगा. आंटी के मुहं से थूंक निकल के उसके होंठो की साइड से बाहर आ रहा था. उसके मुहं की माँ चुद गई थी.

मैंने लौड़े को अब आंटी की चूत के ऊपर रखा और धीरे धीरे कर के पूरा के पूरा लंड आंटी की चूत में घुसेड दिया…..! सोनम आंटी आहा अह हह ह्हह्ह्ह्हाआ करती रही और मैं जोर जोर से उसकी चूत को छेद रहा था. आंटी की चूत की गर्मी मेरे लौड़े के ऊपर मजे से महसूस हो रही थी. आंटी की चूत के अंदर जब पूरा लंड जाता था तो वो मेरे लंड को अंदर कस लेती थी. मेरे लंड के ऊपर अजब दबाव आ जाता था और ऊपर से चूत की सेक्सी गर्मी. सही में बड़ी चुदक्कड थी मेरी गर्लफ्रेंड सुकुमारी की माँ. मैंने अब सोनम आंटी की टांगो को थोडा ऊपर किया और फिर उन्हें उठा के अपने कंधे के ऊपर रख दिया. सोनम आंटी की चूत में मेरा लंड इस वक्त भी धरा के धरा हुआ ही था. मैंने आंटी की दोनों टांगो को कंधे पर रखते ही आंटी की चूत के अंदर जैसे की मेरा लंड और भी धंस गया. मुझे लगा की मैं चूत के अंदर लौड़े को और घुसाने में सफल हुआ था. अब मैंने आंटी के घुटनों के पीछे वाले हिस्से में अपने हाथ दिए और मैंने जोर जोर से आंटी की चूत को मारने लगा. सोनम आंटी भी जैसे की आज लंड को परास्त करने के मुड में थी. उसने भी चूत उठा उठा के मुझे से चुदाई करवाई. 10 मिनिट की हार्डकोर चुदाई के बाद जब मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था तभी आंटी ने मुझे लंड चूत में से बहार करने के लिए कहा.

जैसे ही मैंने लौड़े को चूत से बहार निकाला, आंटी निचे बैठ के मुहं के अंदर लंड को लेके उसे जोर जोर से चूस देने लगी. चूत में से निकले लौड़े को पानी छोड़ने में जरा भी देर नहीं हुई और यह भूखी शेरनी जैसी सोनम आंटी सारा मुठ पी गई. हमने कपडे पहन लिए और सोनम आंटी मेरे लिए नास्ता ले के आई. कुछ मिनिट बाद सुकुमारी भी आ गई. मैंने एक घंटे के बाद उसकी चूत को भी लंड से दे मारा. अब मैं अक्सर जब अंकल नहीं होते तब इनके घर आता जाता हूँ, सुकुमारी मिली तो ठीक हैं नहीं तो आंटी की गांड और चूत तो मेरे स्वागत में खुली ही रहती हैं..

डॉक्टर ने कामवाली की चिकनी चूत का बाजा बजाया Doctor ne kamwali ki chikni chut ki chudai kar di

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लंड और चूत वाले सभी दोस्तों और सहेलियों को सबसे पहले सुनति की तरफ से प्रणाम. दोस्तों एक दिन मैं छत पर बैठी थी कि अचानक मेरी नजर पड़ोस के घर की तरफ गई. वो एक डॉक्टर का घर था. अपनी पत्नी के गुजर जाने के बाद डॉक्टर वहां अकेला रहता था. उस का लड़का विदेश में पढता था. डॉक्टर की उम्र उस समय करीब ४५/५० की होगी. वो २ बजे तक अपनी क्लिनिक में बैठता था जो की उस के घर के आगे के हिस्से में थी. एक सुन्दर और जवान औरत दिन में वहां आती थी जो की डॉक्टर के लिए खाना बनती थी, घर का दूसरा काम करती थी. मैं हमेशा सोचती थी की वो औरत केवल डॉक्टर का घर ही नहीं संभालती थी, बल्कि डॉक्टर को भी संभालती थी. मतलब, वो औरत बिना पत्नी के डॉक्टर से जरूर ही चुदवाती होगी.

मैंने दोनों को, डॉक्टर को और कामवाली औरत उनके घर के अन्दर के कमरे में देखा जिसका दरवाजा खुला था और मुझे सब साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था. डॉक्टर कुर्सी पर बैठा कुछ पढ़ रहा था और कामवाली कमरे की सफाई कर रही थी. डॉक्टर ने उसको कुछ कहा तो वो काम छोड़ कर आलमारी की तरफ गई और मैंने देखा की उस के हाथ में कुछ कपडे थे. उन कपड़ों को लेकर वो कमरे के अन्दर ही बाथरूम में चली गई. जब वो थोड़ी देर बाद वापस आई तो मैंने देखा की वो एक बहुत सुन्दर, गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी पहने हुए थी. शायद ये डॉक्टर की तरफ से कामवाली को तोहफा था और जरूर ही डॉक्टर ने उसको पहन कर दिखने को कहा था. वो एक टक उस को देख रहा था. जैसा की मैंने लिखा है की कामवाली सुन्दर थी, उस की भरी भरी चूचियां और भारी गांड उस गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी में बहुत सेक्सी लग रही थी. वो बातें कर रहे थे और वो डॉक्टर की तरफ बढ़ी. दोनों आपस में होठों का चुम्बन करने लगे और मेरा सोचना ठीक था की दोनों में चुदाई का रिश्ता था.

मेरे लिए उन को देखना टाइम पास करने का अच्छा साधन था. वो दोनों अलग हुए और उस ने फिर से कमरे की सफाई करनी शुरू करदी. मैंने सोचा की शायद इतना ही होगा, पर मैं गलत थी. हलकी हलकी बरसात फिर से शुरू हो गई थी. वो अपनी सेक्सी कामवाली को ब्रा और चड्डी पहने काम करते देखता रहा और वो बातें करते रहे. जब वो उस के करीब से गुजरी तो डॉक्टर ने उस की भरी भरी चुचियों को दबा दिया. वो हंस पड़ी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अब डॉक्टर ने उस के पैरों के बीच हाथ डाल कर कुछ किया तो वो हवा में उछल पड़ी. जरूर डॉक्टर ने कामवाली की चूत में या गांड में ऊँगली की थी. वो उसकी तरफ देखती हुई फिर से हंस पड़ी. वो उस के पास आ कर खड़ी हुई तो डॉक्टर ने बैठे बैठे उस को कस कर पकड़ लिया. वो खड़ी थी वो प्यार से डॉक्टर के सिर के बालों में हाथ फिरा रही थी. 

डॉक्टर का सिर उस की भरी भरी चुचियों के बीच था और वो अपना चेहरा उस की चुचियों पर ब्रा के ऊपर से रगड़ रहा था. उस के हाथ उस की मोटी गांड को दबा रहे थे. उसने अपने हाथ से अभी अभी कामवाली को तोहफे में दी गई ब्रा की दोनों पट्टियाँ, बिना हुक खोले, उस के कंधे से नीचे करदी. कामवाली ने अपने हाथ नीचे करके ब्रा की पट्टियों से निकाल लिए और डॉक्टर ने उसकी ब्रा को नीचे पेट की तरफ करके उस की चुचियों को नंगा कर दिया. उस की गुलाबी ब्रा उसकी गुलाबी चड्डी से मिल रही थी और उस की बड़ी बड़ी चूचियां डॉक्टर के सामने थी डॉक्टर कामवाली की नंगी चुचियों पर अपना चेहरा रगड़ रहा था और उस ने उसकी एक निप्पल अपने मुंह में ले ली. उन लोगों की गर्मी मुझ में भी आने लगी. मेरी चूत में भी उन को देख कर हलचल मचने लगी. वो एक के बाद कामवाली की चूचियां और निप्पल किसी भूखे की तरह चूसता जा रहा था. कामवाली का सिर भी चूचियां चुसवाते हुए आनंद से आगे पीछे हिल raha था. मैं उन को देख कर मज़ा ले रही थी और आप तो जानतें ही है के मैं कितनी सेक्सी हूँ और जो मैं देख रही थी वो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी था. मेरी जीन के अन्दर मेरी चड्डी गीली होने लगी और अपने आप ही मेरी उँगलियाँ मेरी जीन के ऊपर से ही जहाँ मेरी चूत थी, वहां पर फिरने लगी.

वो दोनों कुछ ऐसी पोजीसन में थे की मैं कामवाली का चेहरा नहीं देख पा रही थी. डॉक्टर कुर्सी पर दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था और मैं डॉक्टर का मुंह और कामवाली की गांड देख पा रही थी. अब कामवाली नीचे बैठ गई थी और डॉक्टर ने अपनी पेंट की जिप खोली तो कामवाली ने अपने हाथ से उसका लौड़ा पकड़ कर बाहर निकाल लिया. मैं इतनी दूर थी, फिर भी मैंने साफ़ साफ़ देखा की डॉक्टर का लंड काफी बड़ा था और उस के चरों तरफ काले काले बाल थे. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। कामवाली अपने हाथों से उस की झांटों को पीछे कर रही थी ताकि वो उसके काम के बीच में न आयें. कामवाली ने डॉक्टर के काले और बड़े लौड़े को चूमा और उस को धीरे धीरे हिलाने लगी. डॉक्टर अपनी कुर्सी पर पीछे सिर टिका कर बैठ गया और अपने लंड पर कामवाली के कमाल का मज़ा लेने लगा. थोड़ी देर उसका लंड हिलाने के बाद उस ने लंड का सुपाडा अपने मुंह में ले कर कुछ देर टक चूसा. फिर, वो उस के लंड को पकड़ कर मुठिया मारने लगी जब की डॉक्टर के लौड़े का सुपाडा उस के मुंह में ही था. मुझे पता चल चुका था की वहां शायद लंड और चूत की चुदाई नहीं होने वाली है, सिर्फ हाथ का कमाल ही होगा.

मैंने भी अपनी जीन की जिप खोल ली और चड्डी के किनारे से अपनी बीच की ऊँगली, अपने पैर चौड़े करके अपनी चूत टक ले गई. मैंने जल्दी जल्दी अपनी ऊँगली अपनी चूत के दाने पर फिरानी चालू की ताकि मैं जल्दी से झड़ सकूँ. और वहां, कामवाली तेजी से, डॉक्टर का लौड़ा चूसते हुए मुठ मार रही थी. मेरी ऊँगली की रफ़्तार भी मेरी चूत में बढ़ गई थी.

मैंने देखा की डॉक्टर की गांड कुर्सी से ऊपर हो रही है और अचानक ही उस ने कामवाली का सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबा लिया. जरूर की उस के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया था. कामवाली मज़े से डॉक्टर के लंड रस को पी रही थी. मेरी चूत पर मेरी ऊँगली के काम से मैं भी अब झड़ने के करीब थी. मैंने अपनी ऊँगली तेजी से अपनी गीली फुद्दी पर हिलानी शुरू करदी और मैं भी अपनी मंजिल पर पहुँच गयी. मेरी चड्डी मेरे चूत रस से और भी गीली हो गई. मैंने एक शानदार काम, चूत में ऊँगली करने का ख़तम किया. मेरी आँखें आनंद और स्वयं संतुस्ती से बंद हो गई.

जब मैंने आँखें खोली तो देखा की कामवाली डॉक्टर का लंड, अपना मुंह, अपनी गर्दन और अपनी चूचियां कपडे से साफ़ कर रही थी. शायद डॉक्टर के लंड का पानी उस के बदन पर भी फ़ैल गया था.

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हैल्लो दोस्तों, में अरुणा और मुझे कहानियाँ पढ़ने में बहुत मज़ा आता है और में पिछले कुछ सालों से इसकी कहानियों को लगातार पढ़ती आ रही हूँ. मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है, इसलिए में भी आज आप सभी लोगों को अपनी एक सच्ची घटना बताने जा रही हूँ. यह मेरे जीवन की वो घटना है, जिसको में आज तक नहीं भुला सकी, वो सब मुझे आज भी बहुत अच्छी तरह से याद है कि मेरे साथ क्या हुआ और कैसे हुआ? क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था, जिसको मैंने एक गैर मर्द से किया. वैसे मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि में कभी अपने पति के अलावा भी कभी किसी के साथ सेक्स करूंगी और यह मेरी पहली चुदाई थी इसलिए मुझे बहुत अजीब सा लगा.

दोस्तों यह उन दिनों की बात है जब में अपनी शादी होने के कुछ दिनों बाद ही अपने पति के साथ में मुंबई रहने लगी थी और वो मेरे लिए बिल्कुल नई नई जगह थी. मेरी वहां पर किसी से कोई जान पहचान नहीं थी और इसलिए कुछ दिनों बाद घर पर अकेले बैठे बैठे में बहुत बोर हो गयी थी, तो एक दिन मैंने अपने पति से कहकर मैंने भी उनसे नौकरी करने की आज्ञा ले ली थी और वैसे वो भी चाहते थे कि में भी कोई नौकरी करूं, उससे मेरा समय भी गुजरता रहेगा और मेरा मन भी लगा रहेगा.

दोस्तों मैंने अपनी शादी से कुछ साल पहले तक एक अच्छे से कॉलेज से अपनी बी-कॉम तक की पूरी पढ़ाई की थी और मैंने नासिक में कंप्यूटर एकाउंटिंग का भी कोर्स किया था इसलिए मुझे थोड़ा सा नौकरी का अनुभव भी था, तो मेरे पति ने मुझसे कहा कि उन्होंने अपने बॉस से मेरी नौकरी के बारे में कहा है और उनके बॉस ने उनसे वादा किया है कि वो उनके एक दोस्त के वहाँ पर मुझे वो कोई भी छोटी मोटी नौकरी पर जरुर लगवा देंगे, लेकिन में अपने दम पर कुछ करना चाहती थी इसलिए मैंने निर्णय लिया कि न्यूज़ पेपर में नौकरी की कोई खबर देखी जाए. फिर मैंने न्यूज़ पेपर में खबर देखी और कुछ जगह पर इंटरव्यू के लिए सुबह ही निकल गई और में इंटरव्यू के लिए पहुँची.

दोस्तों मैंने दो से तीन जगह पर जाकर इंटरव्यू भी दिया, लेकिन मुझे वहां से कुछ खास जवाब नहीं मिला. मुझे अब ऐसा लगा कि मुझे नौकरी नहीं मिलेगी, में उस बात को लेकर बहुत उदास थी क्योंकि मेरी इतनी अच्छी पढ़ाई और मेरी इतनी मेहनत के बाद भी मुझे वैसा फल नहीं मिल रहा था जिसकी मुझे उम्मीद थी. फिर एक जगह में इंटरव्यू के लिए बैठी थी, तो उस समय शाम के 6 बज चुके थे और तभी रिशेप्शन से किसी ने मुझसे कहा कि आप अंदर जाइए, तो मैंने उस वक़्त नीले कलर की साड़ी और उसी कलर का ब्लाउज भी पहना हुआ था और अंदर जाते ही मैंने देखा कि एक आदमी कुर्सी पर बैठकर फोन पर बातें कर रहे है.

फिर में उस कुर्सी के पास में जाकर खड़ी हो गई और उसने मुझसे बैठने को भी नहीं कहा, वो फोन पर बातें कर रहे थे और कभी कभी मेरे शरीर के उभार को भी देख रहे थे. फोन पर बातें करते वक़्त वो कई बार मेरी छाती के उभार पर नज़रे मार रहे थे. अब में समझ गई कि यह आदमी मेरे शरीर को देख रहा है, लेकिन मैंने अनदेखा किया और इधर उधर देखती रही और मैंने उसे अपने शरीर को देखने का अच्छा मौका दे दिया और जब भी मेरी नज़र इधर उधर होती तो वो अपनी नज़रे मेरे शरीर के अंगो पर लगा देता और हंस हंसकर फोन पर बात करता. फिर कुछ देर ऐसा ही चलता रहा और फिर उसने अपनी बात को खत्म करके फोन रखकर मुझसे बैठने को कहा.

फिर कहीं जाकर मुझे अच्छा महसूस होने लगा था. उनका नाम मिस्टर मेहता था और उनकी टेबल के ऊपर मिस्टर मेहता के नाम की प्लेट रखी थी जिसको पढ़कर मुझे उनका नाम पता चला और कुछ सीधे साधे सवाल पूछने के बाद मैंने मेरी फाईल उन्हे हाथ में दे दी और फिर वो मुझसे कहने लगे.

मिस्टर मेहता : मिस अरुणा आपने नौकरी तो पहले भी की हुई है, लेकिन आपको इतना भी ज़्यादा अनुभव नहीं है और इस नौकरी के लिए कुछ ज्यादा अनुभव होना बहुत ज़रूरी है.

में : प्लीज सर आप मुझे एक मौका दे दीजिए, मैं आपको बिल्कुल भी निराश नहीं करूँगी, प्लीज एक बार, मैं मन लगाकर आपके सभी काम काम करूंगी.

फिर मेरे ऐसा कहते ही उसने मुझे स्माइल दी और मेरी छाती पर अपनी नज़र फेर दी और तभी मुझे भी महसूस हो गया कि शायद मैंने कुछ ग़लत ही कह दिया या कुछ ज्यादा ही बोल दिया है. दोस्तों में तो अपनी नौकरी के बारे में उनसे कह रही थी, लेकिन उसने उन सभी बातों का कुछ और ही मतलब निकाल लिया था. इस वजह से वो मुझे लगातार गंदी नजर से घूरने लगा था, लेकिन अब में क्या करती?

मिस्टर मेहता : हाँ लेकिन तुमसे पहले भी जो लोग मेरे पास इस नौकरी के लिए इंटरव्यू के लिए आए थे और वो भी सभी लोग इस नौकरी के लिए सब कुछ करने को तैयार थे.

दोस्तों मैंने अब बहुत हैरानी से उनकी पूरी बात सुनकर उन्हें देखा और में उनकी बातों का मतलब भी कुछ कुछ समझ चुकी थी. मुझे उनकी खराब नीयत समझ में आ रही थी.

मिस्टर मेहता : मेरा मतलब है कि वो सभी बहुत अच्छा काम करने को तैयार थे, चलो ठीक है अब तुम मुझे बताओ कि तुम यह नौकरी क्यों करना चाहती हो?

में : क्योंकि सर में घर पर बिल्कुल अकेले रहकर बोर हो जाती हूँ और मुझे अपने जीवन में हमेशा कोई ना कोई काम करते रहना पसंद है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी नौकरी करना बहुत ज़रूरी है.

मिस्टर मेहता : हाँ तुम्हारा कहना बहुत हद तक बिल्कुल सही है, में मानता हूँ कि तुम्हारी सोच बहुत अच्छी है, लेकिन मेरा मानना तो यह है कि किसी भी औरत के लिए आगे बढ़ना बहुत आसान होता है और तुम जैसी सुंदर औरत तो बहुत आराम से अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ सकती है.

में : माफ़ करना, लेकिन सर में आपकी बातों का मतलब नहीं समझी.

मिस्टर मेहता : चलो ठीक है तुम अभी तुम्हारे डॉक्युमेंट रहने दो, तुम मेरा यह कार्ड रख लो और कल तुम मुझे कॉल करना, में तुम्हे सब कुछ बता दूंगा.

दोस्तों में मन ही मन बहुत खुश हो गई और मैंने उन्हे स्माइल देकर धन्यवाद कहा और उठकर जाने लगी. मुझे पूरा विश्वास था कि उसने मेरे पलटकर जाते समय मेरे पीछे का नज़ारा ज़रूर देखा होगा. दिन भर के इंटरव्यू से में बहुत थक चुकी थी, मैंने घर पर पहुंचकर अपने पति से कह दिया कि आज हम कहीं बाहर से खाना मँगवाते है, मुझमें आज इतनी हिम्मत नहीं है कि में खाना बनाकर खा लूँ या तुम्हे भी खिला दूँ. फिर वो मेरी यह पूरी बात सुनकर बाहर से ही हमारे लिए खाना ले आए और फिर हमने साथ बैठकर खाना खाया और फिर कुछ देर बेड पर मस्ती की और उसके बाद हम सो गए, अगले दिन सुबह जल्दी उठकर मैंने अपने सभी काम खत्म करने के बाद मिस्टर मेहता को कॉल किया.

में : हैल्लो सर में अरुणा बोल रही हूँ. क्या पहचाना आपने कल मेरी आपसे आपके ऑफिस में मुलाकात हुई थी और तब आपने मुझसे कहा था कि में आपको फोन करूं.

मिस्टर मेहता : हाँ में पहचान गया, लेकिन में अभी मीटिंग में हूँ और में तुमसे बाद में बात करता हूँ.

फिर उन्होंने मुझसे इतना कहकर फोन कट कर दिया और में अपने घर के कामों में लग गई. में फोन का इंतजार करने लगी और कुछ देर के बाद उनके नंबर से मुझे कॉल आ गया.

मिस्टर मेहता : हैल्लो अरुणा.

में : हाँ सर कहिए, आपने क्या निर्णय लिया?

मिस्टर मेहता : में तुम्हे सच सच बताना चाहता हूँ कि मेरे एक दोस्त के कहने से एक औरत को मुझे उसी जगह पर नौकरी पर रखना है और इसलिए तुम मुझे माफ़ करना क्योंकि में तुम्हे वो नौकरी नहीं दे सकता हूँ.

में : सर प्लीज़, आप मुझे एक बार मौका देकर देखिए, में बहुत मन लगा कर नौकरी करूँगी.

मिस्टर मेहता : देखो मुझे बिल्कुल भी घुमा फिराकर बात करना पसंद नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से बहुत समय खराब होता है और अब अगर तुम चाहो तो में खुलकर तुमसे बात करूं?

में : हाँ सर, कहिए ना?

मिस्टर मेहता : देखो मेरे दोस्त के कहने से जो औरत नौकरी पर आ रही है उसे नौकरी पर रखना मेरी मजबूरी है, वैसे अगर तुम चाहती हो कि में उसके बदले तुम्हे उस नौकरी पर रख लूँ तो मुझे उसके बदले में क्या मिलेगा?

में : हाँ सर बताइए ना कि आपको क्या चाहिए?

मिस्टर मेहता : अगर तुम तुम्हारी दे सकती हो तो?

दोस्तों मुझे समझने में बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि वो मुझसे क्या चाहते है? तो मैंने तुरंत उस बात का मतलब समझते हुए उन्हें ना कह दिया और फिर फोन रख दिया. दोस्तों मुझे उस बात को सुनकर बहुत टेंशन हो गई थी, इसलिए में अपने पति को यह बात बताकर अपनी टेंशन को और नहीं बढ़ाना चाहती थी, इसलिए मैंने अपने पति को कुछ भी नहीं बताया.

अब उसी शाम को मेरे पति ने मुझसे कहा कि उसके बॉस ने उसको कहा है कि उसके एक दोस्त के वहाँ पर एक नौकरी है और तुम्हे कल वहाँ पर जाकर अपना इंटरव्यू देना है और वैसे इंटरव्यू तो देना बस एक फोरमल्टी है तुम्हारी वहाँ पर नौकरी बिल्कुल पक्की है, में यह बात सुनकर मन ही मन बहुत खुश हो गई कि आखिरकार मुझे नौकरी तो मिल ही गई और अब उस एकदम घटिया आदमी से मेरा पाला भी नहीं पड़ेगा. फिर मेरे पति ने मुझसे कहा कि कल मेरे बॉस खुद हमारे घर पर आने वाले है, इसलिए तुम अच्छी तरह से तैयार रहना. दोस्तों में मेरे पति के बॉस को पहले से ही बहुत अच्छी तरह से जानती थी, हमारी पहले भी दो से तीन बार मुलाक़ात हो चुकी थी और में अच्छी तरह से जानती हूँ कि वो एक बहुत अच्छे इंसान है.

फिर अगले दिन में उनका इंतजार करने लगी और शाम को करीब 6 बजे मेरे पास मेरे पति का फोन आ गया और उन्होंने मुझसे कहा कि वो बॉस के साथ घर आ रहे है और मैंने यह बात सुनकर तुरंत फ्रेश होकर नारंगी कलर की साड़ी पहन ली और मैंने पहले से ही उनके लिए नाश्ता भी बनवा लिया था. घर पर मैंने बॉस का स्वागत किया और फिर मेरे पति और उनके बॉस के बीच में बातें होती रही और में उन्हे चाय नाश्ता देने में व्यस्त रही.

बॉस : प्रकाश में मेरे दोस्त के ऑफिस ही जा रहा हूँ, अगर तुम कहो तो में अरुणा को भी अपने साथ ले जाता हूँ, वहां पर इनका इंटरव्यू भी हो जाएगा और में खुद ही अरुणा का उनसे परिचय करवा दूँगा.

प्रकाश : हाँ ठीक है सर आपका यह विचार बहुत अच्छा है. अरुणा तुम जल्दी से तैयार हो जाओ और बॉस के साथ अपनी नौकरी के लिए इंटरव्यू पर चली जाओ.

दोस्तों मुझे थोड़ा सा अजीब महसूस हो रहा था कि में मेरे पति के बॉस के साथ उनकी कार में अपनी नौकरी के इंटरव्यू देने जाऊँ और वो भी शाम के टाईम, यह सब कुछ अजीब सा था, लेकिन में मन ही मन बहुत खुश थी खासकर अपनी नौकरी को लेकर, क्योंकि में मुंबई जैसे बड़े शहर में एकदम नयी थी, इसलिए मुझे वहां पर नौकरी मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी और फिर वो वैसे भी मेरे पति के बॉस थे, इसलिए मुझे उनकी बात को मानना भी अब बहुत ज़रूरी हो गया था.

बॉस : हाँ ठीक है प्रकाश अब हम जाते है और मेरा ड्राईवर हमारा काम खत्म होने के बाद आते समय अरुणा को घर पर वापस छोड़ देगा.

में : लेकिन प्रकाश अगर आप भी मेरे साथ में आ जाते तो?

प्रकाश : ऐसी कोई बात नहीं है अरुणा, तुम इनके साथ चली जाओ और अब वैसे भी में हर जगह पर तुम्हारे साथ में नहीं आ सकता हूँ और फिर नौकरी भी तो तुम्हे अकेले ही करनी है और वैसे भी में आज बहुत थक गया हूँ.

फिर बॉस और मेरे पति प्रकाश दोनों ही अब हंसने लगे थे और मैंने भी उनकी बात को मान लिया और अब में बॉस के साथ जाने के लिए तैयार हो गई थी. मैंने अपने डॉक्युमेंट की कॉपी फाईल लेकर बॉस के साथ उनकी कार में उनके साथ पीछे की सीट पर बैठ गई.

मैंने देखा कि उनका ड्राईवर एक 20-22 साल का लड़का था, वो काली कलर की एक स्कोडा गाड़ी थी. उस समय शाम के करीब 7 बजे होंगे जब हम घर से निकले. फिर चलते समय रास्ते में बॉस और में इधर उधर की बातें कर रहे थे. तभी कुछ देर बाद धीरे से बॉस मेरी तरफ सरक गये जिसकी वजह से उनकी जांघ अब मेरी जांघ को छूने लगी थी.

में थोड़ा सा साईड में हो गई थी, लेकिन फिर से वो बात करते करते मुझसे दोबारा चिपक गये थे और बातों ही बातों में बॉस ने अपना एक हाथ मेरी जांघ पर छूकर उठा दिया, लेकिन मैंने उनकी इस बात का कोई विरोध नहीं किया. यह देखकर उन्होंने मुझसे बातें की और दोबारा मेरी जांघ पर अपना हाथ रख दिया और थोड़ी देर के बाद वो धीरे धीरे सहलाने लगे वो अब मुझसे बातें भी कर रहे थे. दोस्तों में अब बहुत अच्छी तरह से समझ चुकी थी कि बॉस की मुझमे रूचि है, लेकिन मैंने भी उन्हें कोई खास भाव नहीं दिया, बस में उनकी बातें सुन सुनकर थोड़ी सी स्माइल देती रही.

दोस्तों प्रकाश के बॉस एक बहुत अमीर इन्सान थे और उनके हाथ में प्रकाश की नौकरी और अब मेरी नौकरी भी थी, इसलिए मेंने उनकी इन हरकतों को अनदेखा कर दिया. मैंने भी सोचा के बॉस को खुश रखेंगे तो हमारे परिवार को भी सहारा मिल जाएगा, लेकिन उनकी वो हरकते अब बढ़ चुकी थी. उन्होंने एक हाथ अब मेरे कंधे पर रख दिया था.

मैंने उनकी आखों में देखा और उनको स्माइल दे दी और फिर क्या था? उन्हे तो मानो इसी मौके का इंतज़ार था वो फिर कार में ही मुझे सहलाने लगे और आगे की सीट पर बैठा हुआ ड्राइवर कांच में से वो सब कुछ देख रहा था, लेकिन मुझे कुछ खास फरक नहीं पड़ा, क्योंकि मेरे हाथों में अब एक मजबूत पैसे वाले इन्सान का हाथ था. कुछ ही देर में हम अपनी मंजिल तक पहुँच गये और फिर जैसे ही में कार से नीचे उतरी मुझे याद आया कि इससे पहले भी में इस जगह पर आई हुई हूँ. फिर हम दोनों लिफ्ट से ऊपर गये और सबसे ऊपर वाली मंजिल पर पहुंचे, वहीं पर एक साइड में वो ऑफिस था जहाँ पर हमें जाना था.

फिर जैसे ही हम अंदर गये तो में अंदर जाते ही वो सब देखकर एकदम से बिल्कुल हैरान हो गई, क्योंकि वहाँ पर कुर्सी पर मिस्टर मेहता बैठे हुए थे और हमारे अंदर आते ही उन्होंने ज़ोर से हंसकर बॉस से अपना हाथ आगे करके हाथ मिलाया और जब उन्होंने मेरी तरफ देखा तो वो मुझे स्माइल देकर कहने लगे कि आप प्लीज़ बैठिए, उन्होंने मुझसे ऐसा कहा और दोस्तों वो मुझे देखकर शायद बहुत आश्चर्यचकित थे और उनके साथ साथ में भी.

बॉस : मेहता यह है अरुणा मैंने तुम्हे इसी के लिए कहा था.

मिस्टर मेहता : जी में इन्हे पहले से ही जानता हूँ क्योंकि यह दो दिन पहले ही अपना इंटरव्यू देने यहीं पर आई थी और किस्मत की बात देखो मैंने ही मना किया और वो भी इन्हें और फिर दोनों हंसने लगे हहाहहहह

बॉस : ठीक है बहुत अच्छा है कि आप लोग एक दूसरे को पहले से ही जानते हो.

दोस्तों मुझे बहुत टेंशन होने लगी थी और में मन ही मन सोचने लगी थी कि में अब यह नौकरी करूं या नहीं? तभी बॉस को किसी का कॉल आ गया और वो तुरंत कुछ देर के लिए उठकर केबिन से बाहर चले गये. में और अब मिस्टर मेहता ही केबिन में थे.

मिस्टर मेहता : अरुणा तुम मुझे माफ़ करना, मैंने कल तुम्हे फोन पर कुछ ज्यादा ही बोल दिया था. मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था, सही बात तो यह है कि तुम इतनी सुंदर हो कि मेरी मर्ज़ी ना होते हुए भी फोन पर ऐसे ही मेरे मुहं से वो सब निकल गया, प्लीज मुझे माफ़ कर दो.

दोस्तों उनके मुहं से यह सब बातें सुनकर मुझे थोड़ा ठीक लगा और इसलिए मैंने भी अपना उन्हें जवाब दे दिया. मैंने उनसे कहा कि ठीक है सर ऐसी कोई बात नहीं है और अब मुझे आपके साथ काम करने में बहुत खुशी होगी, में मन लगाकर अपना काम करूंगी.

मिस्टर मेहता : ठीक हे तो कल से तुम अपनी नौकरी पर आ जाओ, मुझे तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा और एक बार फिर से में तुमसे मुझे माफ़ करने के लिए कहूँगा प्लीज.

में : हाँ ठीक है, सर में आपके सभी काम बहुत मेहनत से करूंगी, मेरी तरफ से आपको कोई भी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा. आप बस एक बार मेरा काम देख लीजिए.

फिर इतने में बॉस ने मिस्टर मेहता को आवाज़ दी और वो चले गये. में उसी जगह पर ही बैठी थी और वो बाहर खड़े हुए थे. मुझे उनकी कुछ कुछ आवाज़ें मुझे अंदर भी सुनाई दे रही थी. वैसे मुझे मेरे पति उनके बॉस और मिस्टर मेहता के बीच क्या सब कुछ बातें हुई थी, वो सब बिल्कुल भी पता नहीं थी.

बॉस : मेहता यह औरत मेरी कम्पनी में काम करने वाले एक नौकर की पत्नी है, मैंने इसको कार में ही पटा लिया है, तुम थोड़ा इसका ध्यान रखना.

मिस्टर मेहता : ठीक है, बहुत अच्छा है यार, चलो हम दोनों मिलकर खाते है हहहहह.

बॉस : हाँ क्यों नहीं तुम भी जरुर खाना, लेकिन पहले में.

मिस्टर मेहता : ठीक है और तुम सुनाओ काम कैसा चल रहा है?

बॉस : सब ठीक चल रहा है, लेकिन मुझे एक केबिन तो दो.

मिस्टर मेहता : हाँ हाँ क्यों नहीं आप मेरा केबिन ही काम में ले लो में अभी बाहर ही जा रहा हूँ, ठीक है बाय.

फिर मिस्टर मेहता उनसे इतना कहकर चले गये और मेरे पति प्रकाश के बॉस अंदर आए. उन्होंने केबिन को अंदर से बंद कर दिया में तुरंत खड़ी हो गयी वो सीधे आकर मेरे गले लग गये और मेरी गर्दन को किस करने लगे. उनके हाथ मेरी गांड को मेरी साड़ी के ऊपर से सहलाने लगे.

में : प्लीज़ सर, यह सब अभी नहीं, किसी और दिन.

बॉस : आओ ना अरुणा तुम्हे जीवन में आगे जाना है तो यह सब जल्दी होना ज़रूरी है, में तुम्हारे पति को भी अच्छी कुर्सी दे दूँगा उसके पैसे भी बढ़ जाएगे.

दोस्तों में अपने पति के आगे बढ़ने की बात सुनकर मेरा इनकार अब अचानक से इकरार में बदल गया. वो मुझे केबिन से जुड़े हुए बाथरूम में ले गये तभी उन्हे एक फोन आ गया वो कोई जरूरी कॉल था और उसकी वजह से उन्हे अचानक से कहीं बाहर जाना था.

अब फोन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो बस 30 मिनट में आ ही रहे है, वो कुछ जरूरी काम में लगे हुए है और फिर उनकी यह बात सुनकर मुझे अच्छा लगा और में मन ही मन बहुत खुश होकर सोचने लगी कि चलो आज तो में बच गई, लेकिन दोस्तों मेरा यह सब सोचना, खुश होना बिल्कुल ग़लत था. अब बाथरूम में वो मेरे पीछे आकर खड़े हो गये और उन्होंने तुरंत मेरे सर पर अपना एक हाथ रखकर मुझे नीचे झुका दिया.

में उनके सामने थोड़ा सा झुक गई और अब वो अपनी पेंट को खोलने लगे तो में तुरंत समझ गई कि जल्दी में ही सही, लेकिन अब यह एक बार जरुर मेरी चुदाई करने ही वाले है और मेरे झुकते ही उन्होंने तुरंत मेरी साड़ी को पूरा ऊपर उठा दिया, जिसकी वजह से उन्हें मेरी पेंटी नजर आने लगी और फिर उन्होंने बिना देर किए तुरंत मेरी पेंटी को भी एक झटके से खींचकर नीचे कर दिया, जिसकी वजह से मेरी पेंटी नीचे सरक गई और मेरी सुंदर गोरी मध्यम आकार की गांड अब पूरी तरह से नंगी होकर उनके सामने थी.

अब उन्हें पीछे से मेरी गुलाबी चूत का नज़ारा भी दिख रहा था. उन्होंने अपना लंड पेंट से बाहर निकाला और उस पर थोड़ा सा थूक लगाकर पीछे से मेरी चूत में डाल दिया.

दोस्तों उनका धक्का इतना जोरदार था कि उसकी वजह से उनका लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अंदर चला गया, जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हुआ, क्योंकि एक तो में खड़ी हुई थी और जिसकी वजह से मेरी चूत का छेद कम खुला हुआ था और ऊपर से उनके मोटे लंड ने मेरी चूत को बहुत जबरदस्त धक्का दिया. मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने मेरी कोमल मासूम चूत में जानबूझ कर कोई मोटा डंडा डाल दिया हो.

उस दर्द से मेरे मुहं से चीख निकल गई और कुछ देर धक्के लगने के बाद में थोड़ा सा शांत हो गई और उनके साथ उनके धक्कों का मज़ा लेने लगी. दोस्तों वो लगातार मेरी चूत पर ताबड़तोड़ धक्के दिए जा रहे थे और में चीखना चाहती थी, लेकिन चीख ना सकी और वो बहुत जल्दी में थे और 5 से 7 मिनट के जबरदस्त धक्कों के बाद उन्होंने अपना लंड झट से बाहर निकाला लिया और फिर उन्होंने हाथ से अपना लंड हिलाकर ही बाहर अपना वीर्य निकाल दिया और फिर वो बाथरूम से बाहर चले गये.

फिर उनके चले जाने के बाद मैंने अपने आपको साफ किया और फिर पेंटी पहनकर बाहर केबिन में आ गई तब तक मिस्टर मेहता भी आ गये थे, तो उन्होंने बॉस से कहा कि में अरुणा को इसके घर तक छोड़ देता हूँ, आप चाहे तो चले जाए और फिर बॉस उनके ज़रूरी काम से बाहर चले गये. अब में और मिस्टर मेहता उनकी कार में घर के लिए निकल गये, वो मुझे स्माइल दे रहे थे और मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि में उनसे कैसे बात करूँ?

मिस्टर मेहता : अरुणा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो यह सब होता रहता है और मुंबई जैसे शहर में यह सब बातें होती रहती है, मैंने तुमसे पहले भी कहा था कि एक औरत के लिए जीवन में आगे बढ़ने के लिए यही अच्छा है कि वो साथ दे और जो आज तुमने किया है, तुम्हारा यह निर्णय एकदम सही है कि तुम अब और भी ज्यादा अनुभवी और एक नौकरी वाली हो गई हो.

दोस्तों मुझे मिस्टर मेहता के सहज बात करने के तरीके ने उनकी तरफ बहुत आकर्षित किया और में वैसे अपने मन की सही बात बताऊँ तो में मन ही मन आज बहुत खुश थी अपने नए अनुभव और मेरी नई नौकरी के लिए भी.

में : आपको बहुत बहुत धन्यवाद मिस्टर मेहता जी, क्योंकि आप हमेशा बहुत सुलझी हुई बात करते है. मैंने ही आपको बहुत गलत समझ लिया था, उसके लिए आप मुझे एक बार माफ़ जरुर करना.

मिस्टर मेहता : हाँ यह सब ठीक है और अरुणा वैसे मुझे भी तुम बहुत पसंद हो, लेकिन जब तक तुम हाँ नहीं करोगी में तुम्हे हाथ भी नहीं लगाऊंगा, तुम बिल्कुल बेफिक्र होकर अपनी नौकरी कर सकती हो और तुम्हे मुझसे डरने की ज़रूरत नहीं है. जब तुम्हारा दिल करे प्रमोशन लेने का तब तुम मुझसे कह देना, में तुम्हे प्रमोशन दे दूँगा हाहहहहहा.

में : हाहहह वैसे आप बहुत अच्छा मजाक करते हो.

अब मैंने भी उन्हें स्माइल दे दी और फिर मेरा घर आ गया था. मैंने उन्हें अपने घर में आने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने मुझसे यह बात कहकर टाल दिया कि में अगली बार जब भी तुम मुझे बुलाओगी में जरुर आ जाऊंगा और फिर वो चले गए और मैंने घर के अंदर आकर बहुत खुश होकर अपने पति को अपनी नौकरी पक्की होने की बात बता दी. फिर प्रकाश ने मुझसे कहा कि में तो बहुत अच्छी तरह से जानता था कि तुम्हे यह नौकरी तो मिलनी ही थी.

मैंने जो मेरे बॉस को तुम्हारी सिफारिश करने को कहा था, तो मैंने मन ही मन में सोचा कि यह नौकरी तो मुझे मेरे 10 मिनट के उस काम की वजह से मिली है और मैं मन ही मन मुस्कुराने लगी और मेरी शादी के पहले भी दो बॉयफ्रेंड थे, तो मुझे अपने पति को यह सभी बातें ना बताने में कभी भी ऐसा कुछ महसूस ही नहीं हुआ.

अगले दिन से मैंने अपनी नौकरी शुरू की और मुझे बहुत अच्छा काम दिया गया अकाउंट्स का. मेरी मिस्टर विनय के कामों में उनकी मदद करने की नौकरी थी, जिसकी वजह से अकाउंटिंग की बहुत सारी जानकारी में मेरी ट्रैनिंग भी हो गई थी, वो नौकरी मैंने करीब एक साल तक की होगी, लेकिन फिर मैंने अपनी मर्जी से उस नौकरी को छोड़ दिया था और अब में कहीं और किसी फर्म में नौकरी करने लगी थी, लेकिन एक साल में कई बार मैंने और मिस्टर मेहता ने होटल्स में अपना दिन बिताया और हमने ऑफिस में भी बहुत मज़े किए.

फिर मेरे पति ने भी कुछ दिनों के बाद अपनी मर्जी से नौकरी को छोड़कर हमारा खुद का किराना शॉप खोल लिया था, लेकिन दोस्तों उसके बाद भी मेरे पति के बॉस से मेरा वो रिश्ता बहुत दिनों तक रहा और जब भी उनका दिल करता वो मुझे कॉल करते और में तुरंत उनके पास चली जाती थी. फिर मेरे पति के नौकरी छोड़ने के बाद उनके बॉस से मेरा रिश्ता भी खत्म हो गया.

मिस्टर मेहता के पास भी मैंने पूरे एक साल ही नौकरी की थी और फिर काम का अच्छा अनुभव मिलने पर दूसरी एक ट्रेडिंग फर्म में मुझे अच्छी पोस्ट पर ऑफर मिल गया और मैंने वहाँ पर नौकरी की. वहाँ का बॉस 50 की उम्र का था और वो मुझे अपनी बेटी की तरह ही रखता था. वहाँ पर मेरा कोई अफेयर नहीं हुआ, लेकिन पिछले सप्ताह मैंने उस नौकरी को भी छोड़ दिया है.

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कुलसुम आंटी की गांड का हर कोई दीवाना था, वो जब भी मोहल्ले के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने आती तो सब लौंडों के दो तीन दिन तक मुठ मारने की यादें इकट्ठी हो जाती थीं. मैं भी कुलसुम आंटी की गांड का मुरीद था क्यूँकी मैंने चूत का स्वाद तो कई बार लिया था लेकिन गांड मारने का मौका अब तक किसी भाभी या दीदी ने नहीं दिया, उस पर कुलसुम आंटी के चुचे भी इतने बड़े और रसीले थे की कोई भी उनका स्वाद लिए बिना नहीं रह पाता. कुलसुम आंटी हमारे मोहल्ले के पीछे वाली गली में आंगनवाडी चलती थीं और उनका एक एन जजी ओ भी था, उनके पति कुवैत में नौकरी करते थे और परिवार भी ठीक ठाक ही था. लेकिन उन्होंने बुरे समय में शुरू की इस आंगनवाडी को कभी बंद नहीं किया बल्कि उसकी आड़ में और काम भी शुरू कर दिए.

एक दिन कुलसुम आंटी की स्कूटी चलते चलते बंद हो गई तो उन्होंने खुद मुझे आवाज़ लगा कर कहा “पप्पी !! बेटा ये गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही” मैं तो आधी रोटी पर दाल ले कर दौड़ा पर वहां जाते ही पता चला की इस में तो पेट्रोल ही खत्म है. आंटी ने मुझे चूतिया बनाया और अपनी आंगनवाडी तक गाड़ी घसीटवाई, वहां पहुँच कर गाडी मैंने अन्दर भी रखवाई और जब मैं थक गया तो कुलसुम आंटी मेरे लिए पानी का गिलास ले कर आई. वो जब पानी लेने गई और जब गिलास रखने झुकी तो मेरी नज़र उनकी गांड और बड़े बड़े चूचों पर थी, हो भी सकता है की उन्होंने नोटिस कर लिया हो पर मैं खुद को श्याना समझ रहा था.

कुलसुम आंटी ने मुझे कहा “बेटा अब तू आ ही गया है तो ये हमारे कंप्यूटर को क्या हुआ वो भी देख ही ले” मैंने मन ही मन सोचा “साली इतने काम करवा रही है तो कुछ दे भी दे”. कुलसुम आंटी ने मुझे कंप्यूटर ठीक करने बिठाया और खुद किसी से फ़ोन पर बातें करने लगीं, मैं बुरा सा मुंह बना कर कंप्यूटर से जूझ रहा था क्यूंकि एक तो वो बाबा आदम के ज़माने का कंप्यूटर था और दुसरे मेरा सारा ध्यान कुलसुम आंटी की मटके जैसी गांड और मतीरों जैसे चुचों पर थी. मैं श्योर था की कुलसुम आंटी का ध्यान मेरी तरफ नहीं है सो मैंने हौले से अपने खड़े होते लंड को जीन्स में ही सीधा किया, कुलसुम आंटी ने कहा “हो गया बेटा” तो मैं घबरा गया और उनकी तरफ देखने लगा. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

कुलसुम आंटी बोली “मैं कंप्यूटर की बात कर रही थी” मैंने बस हाँ में सर हिलाया तो बोली “सीधा मत बन मैंने तुझे मेरे चुचों और गांड को घूरते देख लिया और जो अभी अभी तू अपने नन्हे सैनिक को मसल रहा था ना वो भी देख लिया” मैंने हडबडा कर कहा “मसल नहीं रहा था बस सीधा कर रहा था, वो जीन्स में अन कम्फ़र्टेबल हो जाता है न इसलिए”. मेरी ये बात सुन कर कुलसुम आंटी हंस पड़ी और बोली “इतना बड़ा भी हो गया की जीन्स में फंस रहा है, खैर अब तू पकड़ा तो गया ही है. तो बता तेरी ये बात तेरी माँ को बताऊँ या तेरे बाप को”. मेरी तो घिग्घी बांध गई और मैंने फटाक से कुलसुम आंटी के पैर पकड़ लिए और गिडगिडाने लगा “आंटी मुझे माफ़ कर दो, वो तो मोहल्ले के लड़कों ने आपके चुचों और आपकी मटकती गांड की इतनी तारीफ़ कर दी तो मैं घूरे बिना रह नहीं पाया, और जैसे ही आपके चुचे इतने करीब से देखे तो बस ये खड़ा हो कर जीन्स में फंस गया”.

कुलसुम आंटी सुने जा रही थी और हँसे जा रही थी, मैं यहाँ चूतियों की तरह बस मुंह नीचे किए खड़ा था और माफियाँ मांग रहा था पर तभी कुलसुम आंटी ने मेरी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर की और कहा “एक तू ही नहीं इस जिस्म के कई दीवाने हैं पर अब तो मैं ढलने लगी हूँ”. मैंने कहा “सॉरी आंटी” तो कुलसुम आंटी ने कहा “चल तू भी क्या याद रखेगा की किस दिलदार से पाला पड़ा था, मेरे चुचे तेरे हवाले, और अगर खुश हुई तो ये गांड भी तेरी. वैसे भी तेरे अंकल तो जाने कब आएँगे”. मैं अब भी डरा हुआ था क्यूंकि क्या पता अभी कह रही है और थोड़ी देर में मेरे माँ बाप को ना बुलवा ले, पर जैसे ही कुलसुम आंटी ने मेरा हाथ अपने चुचे पर रखा मेरा डर निकल गया और मुझे उन्हें चेक करने को कहा.

मैं कुलसुम आंटी के मतीरे जैसे बड़े बड़े चुचे सहला रहा था और वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी, मैंने उनकी निप्पल को छुआ तो बोली “तुझे आता तो सब कुछ है, चल अब तेरा इनाम ये है की तू इन्हें पी भी सकता है”. ये कहकर कुलसुम आंटी ने अपना ब्लाउज और ब्रा खोल कर अपने चुचे आज़ाद कर दिए, वो मेरी सोच से काफी बड़े थे और उम्र के हिसाब से काफी हद तक ढलने भी लगे थे लेकिन मैंने उन पर अपनी जीभ का ऐसा भोकाल मचाया की कुलसुम आंटी बावली हो गई. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अपने दोनों हाथों से उनके सांवले चुचे मसलते हुए मैं उन्हें पिए जा रहा था, कभी निप्पलों पर चिकोटी काटता तो कभी पूरे का पूरा चुचा मुंह में लेने की कोशिश करता.

कुलसुम आंटी मस्त हो कर अपने चुचे चुसवा रही थी और एक हाथ से अपनी चूत मसल रही थी, मैंने उनका पेटीकोट उठा कर उनकी चूत को चूमा तो बोली. ये भी दूंगी लेकिन आज तेरी इस मेहनत के बदले तुझे वही चीज़ मिलेगी जो तू चाहता है आयर फिर क्या था, कुलसुम आंटी ने पेटीकोट पूरा उठा कर मुझे अपनी भरी हुई मदमस्त गांड दिखलाई जिसका छेड़ बाद तो था लेकिन मेरे लंड के लिए नया था. कुलसुम आंटी अपने आंगनबाड़ी के ऑफिस में ज़मीन पर ही घुटने रख कर बैठ गई और ऐसी झुकी की उनकी गांड का छेड़ ऊपर आ गया, मैंने उनकी गांड देखि उस पर जमकर चूमा और खींच खींच के दो तीन चांटे उनकी गांड पर मारे.

कुलसुम आंटी ने हाथ बढ़ाकर टेबल से अपना बैग लिया और उस में पड़ी कोल्ड क्रीम की छोटी सी डिब्बी मुझे दे कर इशारा किया, मैंने थोड़ा अपने लंड पर लगाया और बाकी का सारा का सारा क्रीम उनकी गांड के छेड़ के बाहर और अन्दर भी अपनी ऊँगली से पेल पेल कर लगा दिया. मेरी ऊँगली कुलसुम आंटी की गांड में जाते ही वो चिहुँक उठी और बोली “अब बिना मुझे दिखाए अपना लंड पेल दे मेरी गांड में”, मैंने आनन् फानन में उनकी गांड पर अपना लंड टिका कर जोर का धक्का मारा और घप्प से मेरा लंड उनकी गांड में पैवस्त हो गया. कुलसुम आंटी इतने जोर से चीखी “मरदूद दो लंड डाले हैं क्या एक साथ” मैंने हँसकर कहा “आंटी एक ही है” तो बोली “इतना बड़ा था तो पहले ही देख के लेती”.

मैं कुलसुम आंटी की गांड में लंड पेल कर दनादन धक्के पे धक्का पेल रहा था और कुलसुम आंटी गांड मटका मटका कर चीखे जा रही थी “उफ़ बेटा तूने तो मेरी गांड में कारखाना खोल दिया लगता है, ऊऊह्ह्ह हाय मार डाला” उनकी हर चीख मेरे लिए मोटिवेशन का काम कर रही थी और मेरे धक्के और तेज़ होते जा रहे थे. अब तो मानो आंटी किसी घायल पंछी की तरह चीख रही थी क्यूंकि एक तो मेरा लंड मोटा और दुसरे मेरे धक्के तेज़ तो आंटी की गांड का गुडगाँव बनना तो निश्चित था ही. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मेरे धक्कों की तेज़ी के साथ मेरा वक़्त भी पूरा होने जा रहा था लेकिन मैंने इसे और मजेदार करने के लिए अपनी गांड में एक पेन टेबल से उठाकर घुसा लिया जिस से मेरे अन्दर एक गज़ब की किंकी एनर्जी आ गई और आंटी की गांड पर मेरे लंड का कहर बढ़ गया.

हम दोनों पसीने पसीने हो रहे थे और आंटी की चीखें कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी, मैंने एक आखिरी झटका मारा और अपना पूरा वीर्य आंटी की गांड में भर दिया जो शायद उनकी घायल गांड के लिए गरमा गरम मलहम की तरह था क्यूंकि वीर्य से भरी उनकी गांड शांत पड़ी थी. आंटी ज़मीन पर उलटी लेती जोर जोर से साँसें ले रही थी, और मैं भी थक कर आंटी पर ही लेट गया तो वो पलटी और मेरे होठों को चूमकर बोली “बेटा तू ही असल मर्द है जिस ने मेरी गांड को वही मज़ा दिलवाया है जो मुझे पहली बार गांड मरवाने में आया था”. मैं खुश हो कर उनके होंठों को चूस रहा था और उनके चुचे मसल रहा था तो वो बोली “गांड तो तूने बहुत अच्छी मारी है अब मेरी चूत को भी चोद चोद के चौराहा बना दे”. इसके बाद मैंने उनकी चूत को उसी दिन तीन बार चोदा और हर हफ्ते में तीन चार बार उनकी चूत और गांड पर अपने लंड का जलवा ज़रूर दिखाता हूँ.
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