पोर्न देखकर नौकर से चुदी - Porn Dekhkar Apne Naukar Se Chudi

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आकाश ने घर की खिड़की खोली तो वह कहने लगे बाहर से शोर सुनाई दे रहा है हम लोग बाहर गए तो बाहर देखा कुछ लोग आपस में झगड़ रहे थे आकाश कहने लगे मैं जरा नीचे देख कर आता हूं। मैंने आकाश को कहा आप बीच मे मत जाइए रहने दीजिए आकाश कहने लगे शगुन कोई बात नहीं मैं देख कर आता हूं मैंने आकाश से कहा ठीक है आप जल्दी आ जाइएगा।

आकाश भी नीचे चले गए और मैं सब बालकोनी से देख रही थी मैंने देखा वह लोग आपस में कुछ ज्यादा ही झगड़ा कर रहे थे सब लोगों को उनको समझाना पड़ा तब जाकर उन लोगों का समझौता हो पाया। वहां पर पुलिस भी आई हुई थी मामला अब सुलझ चुका था और आकाश जब घर पर आए तो मैंने उनसे पूछा क्या हुआ था। आकाश कहने लगे अरे वही पार्किंग को लेकर झगड़ा तुम्हें तो मालूम ही है कि हर रोज यहां पर पार्किंग को लेकर झगड़े होने लगे हैं।

मैंने आकाश से कहा हां यहां पर कुछ समय से कुछ ज्यादा ही झगड़े होने लगे हैं और तुम तो देख ही रहे हो, ना जाने लोग क्यों इतना झगड़ते रहते हैं। आकाश बहुत ही शांत स्वभाव के है वह कभी भी जल्दी से गुस्सा नहीं होते आकाश से मैने कहा मैं नाश्ता बना देती हूं वह कहने लगे ठीक है तुम मेरे लिए नाश्ता बना दो। मैं नाश्ता बना रही थी तब तक आकाश बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चले गए वह जब बाहर आये तो मैं तब तक नाश्ता तैयार कर चुकी थी।

आकाश और मैं नाश्ता कर रहे थे हम दोनों नाश्ता करते हुए बात कर रहे थे आकाश कहने लगे कि कुछ दिनों के लिए मम्मी पापा यहां आने वाले हैं मैंने आकाश को कहा वह लोग कब आने वाले हैं। आकाश कहने लगे कि वह लोग अगले हफ्ते तक यहां आ जाएंगे मैंने आकाश से कहा चलो यह तो बहुत अच्छी खबर है आकाश कहने लगे वह लोग कुछ समय के लिए आने वाले हैं।

आकाश और मैं मुंबई में रहते हैं और आकाश के माता पिता आकाश के बड़े भैया के साथ जयपुर में रहते हैं हम लोगों को मुंबई में दो वर्ष हो चुके हैं। आकाश की एक बहु अंतर्राष्ट्रीय कंपनी में जॉब लगी थी तो उसके बाद से हम लोग मुंबई में ही रह रहे हैं आकाश को अपनी कंपनी की तरफ से ही फ्लैट मिला हुआ है।

हम लोग आपस में बात कर रहे थे तो मैंने आकाश से कहा क्यों ना आज हम लोग घर का सामान ले आए आकाश कहने लगे ठीक है हम लोग शाम के वक्त चलते हैं। आकाश मेरी बात मान चुके थे और हम लोग शाम के वक्त घर का सामान लेने के लिए चले गए हम लोग जब अपने पड़ोस में ही डिपार्टमेंटल स्टोर में गए तो वहां पर हम लोग शॉपिंग कर रहे थे।

आकाश और मैं सोच रहे थे कि क्या क्या लिया जाए क्योंकि मेरे सास ससुर लंबे अरसे के लिए आने वाले थे इसलिए घर में सारा सामान रखवाना था। पहले तो हम दो लोग ही थे लेकिन अब पापा मम्मी के आने पर हमें सारी तैयारी करवानी पड़ रही थी आकाश और मैंने सारा घर का सामान ले लिया था ताकि कोई भी परेशानी ना हो। जब हम लोग घर लौटे तो हम लोग काफी थक चुके थे मैंने आकाश से कहा मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूं। आकाश कहने लगे हां मुझे चाय पिला दो लगता है तभी थोड़ा आराम मिल पाएगा और फिर हम दोनों साथ में बैठकर चाय पी रहे थे मुझे भी अच्छा लग रहा था और आकाश को भी अच्छा लग रहा था।

उस दिन हमारा दिन कैसे बीता कुछ पता ही नहीं चला अगले दिन आकाश के लिए मैं नाश्ता बना रही थी उसके बाद आकाश और मैंने नाश्ता किया नाश्ता करने के बाद आकाश अपने ऑफिस चले गए। ऐसे ही कब एक हफ्ता बीत गया कुछ पता ही नहीं चला एक हफ्ते बाद आकाश के माता पिता आ गए जब वह लोग आए तो आकाश ने उस दिन छुट्टी ले ली थी और उस दिन आकाश ने उन्हीं के साथ समय बिताया। आकाश को ऑफिस चले जाया करते थे लेकिन घर पर मैं ही उनकी देखभाल करती थी।

एक दिन मेरी सहेली बबीता घर पर आई हुई थी जब वह घर पर आई तो मैंने उससे कहा मैं तुम्हें अपने सासू जी से मिलवाती हूं। मैंने जब बबीता को उनसे मिलाया तो वह लोग बहुत ही खुश हुए मेरी सास तो बबीता के साथ काफी देर तक बैठी रही और वह बबीता से बात कर रही थी। एक दिन मैं और मेरी सासू मां बैठे हुए थे तो वह बोल उठी यहां पर तो कोई आस पड़ोस में बात भी नहीं करता है और हमारे शहर में देखो सब लोग एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं और सब आपस में बात करते हैं।

मैंने उनसे कहा माजी यह महानगर है और यहां पर किसी को किसी से मिलने का समय ही नहीं है वह कहने लगी यह फ्लैट ऐसे लगते हैं जैसे कि एक ही घर हो और घर में दरवाजे बीच में लगा दिए गए हो। मैंने उन्हें कहा हां सासु जी आप बिल्कुल ठीक कह रही है हम लोग आपस में बात कर रहे थे तो मेरे ससुर जी अंदर से हंसने लगे मेरी सासू मां भी अंदर चली गई। जब वह अंदर गई तो वह लोग आपस में बात करने लगे मैंने भी सोचा कि आज अपने भैया से बात कर लेती हूं काफी समय हो गया था जब उनसे मेरी बात नहीं हो पाई थी।

मैंने अपने भैया को फोन कर दिया मैंने जब भैया को फोन किया तो भैया कहने लगे शगुन आज तुमने कैसे फोन कर दिया। मैंने भैया से कहा बस भैया सोच रही थी कि काफी दिनों से आप लोगों से बात नहीं हो पाई है तो आज बात कर लेती हूं वैसे आप लोग कैसे हैं।

भैया कहने लगे मैं तो ठीक हूं लेकिन तुम बताओ तुम कैसी हो मैंने भैया से कहा मैं भी ठीक हूं। भैया कहने लगे तुम घर कब आ रही हो मैंने उन्हें कहा भैया अभी तो कुछ कह नहीं सकती लेकिन देखती हूं जब आकाश फ्री हो जाएंगे तो तब हम लोग आ जाएंगे। भैया कहने लगे अभी तो मैं ऑफिस में हूं लेकिन जब घर जाऊंगा तो तुम्हारी मम्मी पापा से बात करवाता हूं।

मैंने भैया से कहा ठीक है भैया उसके बाद मैंने फोन रख दिया था और मैं रसोई में खाना बनाने के लिए चली गई। जब मैं रसोई में खाना बना रही थी तो मेरे हाथ पर तेल गिर पड़ा तेल इतना ज्यादा गर्म था कि वह जैसे ही मेरे हाथ में गिरा तो मैं चिल्ला उठी मेरी सासू मां दौड़ती हुई आई और कहने लगी शगुन बेटा क्या हुआ। मैंने उन्हें बताया गर्म तेल मेरे हाथ में गिर गया है वह कहने लगे रुको मैं अभी तुम्हारी मरहम पट्टी कर देती हूं।

उन्होंने मेरे हाथ पर थोड़ा सा डेटॉल लगाया उसके बाद मुझे थोड़ा आराम मिला लेकिन मेरे हाथ में जलन हो रही थी। वह कहने लगी कि खाना मैं ही बना देती हूं, उन्होंने मेरी मदद की और उन्होंने ही खाना बनाया। वहीं अब खाना बनाया करती थी और मुझे बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि मेरा हाथ बहुत ज्यादा जल चुका था।

आकाश ने भी मेरी बड़ी देखभाल की और आकाश मुझसे कहते कि तुम अपना ध्यान रखा करो वह चाहते थे कि हम घर में किसी नौकर को रख ले। उन्होंने घर में एक नौकर को रख लिया क्योंकि वह बिल्कुल भी नहीं चाहते थे की मां काम करें इसलिए उन्होंने नौकर को रखा नौकर का नाम रामू है रामू अच्छा काम किया करता। रामू मुझे कहता भाभी आप चिंता मत किया कीजिए मैं सारा काम कर लूंगा।

उसके काम में कोई भी दिक्कत नहीं थी और वह बड़े अच्छे से काम किया करता घर की साफ सफाई से लेकर खाना बनाने तक का काम किया करता था। एक दिन मैंने अपने मोबाइल में पोर्न मूवी देख ली मेरे अंदर बड़ी गर्मी पैदा हो गई मैं समझ नहीं पा रही थी कि गर्मी को कैसे बुझाया जाए तभी मुझे रामू दिखा मैंने उसे अपने पास बुला लिया।

रामू को मैं अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी और वह भी मेरी तरफ देखे जा रहा था। उसकी नजरें मेरे स्तनों से हट ही नहीं रही थी मैं भी पूरी तरीके से मचलने लगी थी। मैंने जैसे ही रामू के लंड पर हाथ लगाया तो वह कहने लगा आप यह क्या कर रही है लेकिन मैं उसके लंड को हिलाने लगी थी और वह मुझे कहने लगा आप ऐसा मत कीजिए।

देखते ही देखते मैंने उसके काले और मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया और उसे चूसने लगा। मैं बड़े ही अच्छे तरीके से उसके लंड को मुंह के अंदर बाहर कर रही थी और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था काफी देर तक मैंने ऐसा ही किया। जब मैंने रामू के लंड से पानी बाहर निकाल दिया तो उसकी उत्तेजना जाग चुकी थी और उसने मेरे साड़ी के ऊपर करते हुए मेरी योनि को चाटना शुरू कर दिया।

वह मेरी चूत को बढ़िया तरीके से चाट रहा था मुझे बड़ा मजा आ रहा था काफी देर तक उसने ऐसा ही किया। जब मेरी योनि से पानी बाहर निकलने लगा तो वह अपने आप को नहीं रोक पाया। वह मुझे कहने लगा आपकी योनि बहुत ही ज्यादा गरम हो चुकी है मैंने उसे कहा तो फिर तुम अपने लंड को डालकर ठंडा कर दो।

वह कहने लगा अभी डाल देता हूं उसने अपने मोटे लंड को बाहर निकाल लिया और जैसे ही उसने मेरी योनि के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू किया तो मैं मचलने लगी। मेरी चूत के अंदर से पानी निकल रहा था मुझे क्या मालूम था कि वह इतना ज्यादा चोदू किस्म का होगा।

वह मुझे तेजी से धक्के मार रहा था मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी। मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया मैंने अपने पैरों को चौड़ा किया तो वह मुझे कहने लगा काफी मजा आ रहा है। रामू का मोटा लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था अब मैं उसके लंड को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

मैंने उसे अपने दोनों पैरों के बीच में जकड़ते हुए कहा तुम मेरी इच्छा को पूरा कर दो उसने भी अपनी गति को पकड़ लिया और इतनी तेज गति से मुझे धक्के देने लगा मेरी योनि का बुरा हाल हो चुका था और मेरी योनि का भोसडा बन चुका था। मैंने रामू से कहा तुमने मेरा बुरा हाल कर दिया है वह कहने लगा भाभी बस रुक जाओ कुछ ही देर बाद उसने अपने वीर्य की पिचकारी से मेरे तन बदन को भिगा दिया।

पड़ोसन भाभी को लंड का दीवाना बनाया - Padosan Bhabhi Ki Lund Ka Deewana Banaya

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एक पुरानी भाभी की याद आ गई… तब मैं करीब 24 साल का था, अविवाहित था, अपने पैतृक निवास से दूर एक छोटा सा घर किराये पर लेकर नौकरी कर रहा था।
स्कूल के जमाने से मैं हारमोनियम बज़ाया करता था। शहर में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मुझे सादर निमन्त्रण मिलता था।

गरमी के दिन थे, मैं ऑफिस से घर में आकर अपने कपड़े निकाल कर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में ही बिस्तर पर पड़ा आराम कर रहा था। खुला हुआ था इसलिए मेरे लंड में कुछ-कुछ सेक्स की उत्तेजना महसूस हो रही थी। मुझे बिस्तर पर आराम करते हुए लगभग दस मिनट हो गए होंगे.. इतने में किसी ने दरवाजे पर खटखटाया।

‘इस वक्त कौन आया होगा?’ सोचते हुए मैंने दरवाजा खोला और शर्म के मारे लज्जित सा गया।

सामने प्रभा भाभी खड़ी थीं, प्रभा भाभी हमारी ही कालोनी में से मेरे अच्छे दोस्त की बीवी थी, उनकी उम्र लगभग 35 होगी.. वो शरीर से बड़ी ही मस्त और आकर्षक थी।

‘आईए ना अन्दर..’ दरवाजे से हटते हुए मैंने बोला।
वो कमर लचकाती हुई अन्दर आकर बिस्तर पर बैठ गई।
मैंने झट से लुंगी पहन ली और कहा- कैसे आना हुआ?

‘वैसे तो मैं आपको बधाई देने आई हूँ..’
मैंने थोड़ा आश्चर्य से पूछा- बधाई? वो किस बात की?
‘कल आपने हारमोनियम बहुत अच्छी बजाई.. अभी भी वो स्वर मेरे कान में गूँज रहे हैं।’

उसकी बात सही थी क्योंकि मैं एक कार्यक्रम में हारमोनियम बजा रहा था।
मैंने कहा- मैं ऐसे ही बजा रहा था.. पहले से ही मुझे संगीत का शौक है।
‘इसीलिए मैं आपसे मिलने के लिए आई हूँ।’

मुझे उसकी यह बात कुछ समझ में नहीं आई.. मैं शांत ही रह गया।
वो फिर से बोली- एक विनती है आपसे.. सुनेंगे क्या?
‘आप जो कहेंगी.. वो करूँगा.. इसमें विनती कैसी..’ मैंने सहजता से कहा।
‘मुझे भी संगीत का शौक है.. पहले से ही मुझे हारमोनियम सीखने की इच्छा थी.. पर कभी वक्त ही नहीं मिला… आप अगर मेरे लिए थोड़ा कष्ट उठाकर मुझे सिखायेंगे.. तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा.. हमारे घर में हारमोनियम भी है। हमारे उनसे भी मैंने इजाजत ले ली है.. और रात का खाना होने के बाद हम तालीम शुरू कर देंगे।’
मुझे उन्हें ‘ना’ कहना मुश्किल हो गया.. मैंने कहा- चलेगा.. रोज रात को हम नौ से दस तालीम करेंगे।

ऐसा सुनते ही उसका चेहरा खिल उठा.. ‘दो-तीन दिन में तालीम शुरू करेंगे।’ ऐसा तय करवा के वो चली गई।

तीसरे दिन मैं रात को साढ़े नौ बजे उसके घर पहुँच गया।
‘आनन्द कहाँ है..?’ मैंने अन्दर आते ही पूछा।
‘आपकी राह देखते-देखते वो सो गए हैं.. आप कहें तो मैं उन्हें उठा दूँ?’
मैंने कहा- नहीं.. रहने दो।

मैं प्रभा भाभी के साथ एक कमरे में चला गया, यह जगह तालीम के लिए बहुत अच्छी है।
प्रभा भाभी ने सब खिड़कियाँ बंद की.. और कहा- यह कमरा हमारे लिए रहेगा..

एक पराई औरत के साथ कमरे में अकेले रह कर मैं कुछ अजीब सा महसूस कर रहा था। प्रभा भाभी को देख मेरे लंड में हलचल पैदा होने लगती थी।
उस दिन उसको बेसिक चीजें सिखाईं और मैं अपने घर के लिए चल पड़ा।

उसके बाद कुछ दिनों में तालीम में रंग चढ़ने लगा। प्रभा भाभी मेरा बहुत अच्छी तरह से खयाल रखती थीं, चाय तो हर रोज मुझे मिलती थी.. कभी-कभी आनन्द भी आ जाता.. पर ज्यादा देर नहीं रूकता.. लगता था उसका और संगीत का कुछ 36 का आंकड़ा था।

उस दिन शनिवार था.. कुछ काम की वजह से मुझे तालीम के लिए जाने के लिए देरी हो गई थी, दस बजे मैं प्रभा भाभी के घर गया।
‘आज तालीम रहने दो..’ ऐसा कहने के लिए मैं गया था.. पर मैंने देखा.. प्रभा भाभी बहुत सजधज के बैठी थीं।

मुझे देखते ही उसका चेहरा खिल उठा, मैं उसकी तरफ देखता ही रह गया, बहुत ही आकर्षक साड़ी पहने उसकी आँखों में अजब सी चमक थी।

‘आज तालीम रहने दो.. आज सिर्फ हम तुम्हारी मेहमान नवाजी करेंगे।’
‘मेहमान नवाजी..?’ मैंने खुलकर पूछा।
‘आज ‘वो’ अपने मौसी के यहाँ गए हैं.. वैसे तो मैं आपको खाने पर बुलाने वाली थी.. लेकिन अकेली थी.. इसलिए नहीं आ सकी।’

उन्होंने दरवाजे और खिड़कियाँ बंद करते हुए कहा.. उन्होंने मेरे लिए ऑमलेट और पाव लाकर दिया। मैंने ऑमलेट खाना शुरू कर दिया..
कि तभी उसने अपने कपड़े बदलने शुरू किए, मैं भी चोर नजरों से उसे देखने लगा, उसने अपनी साड़ी उतार दी और ब्लाउज भी निकाल डाला और अन्दर के साए की डोरी भी छोड़ डाली..

मेरे तो कलेजे में ‘धक-धक’ सी होने लगी।
प्रभा भाभी के शरीर पर सफेद ब्रा और छपकेदार कच्छी थी।

उसकी छाती के ऊपर बड़े-बड़े मम्मे ब्रा से उभर कर बाहर को आ गए थे। ये नज़ारा देख कर तो मेरा लंड फड़फड़ाने लगा, उसके गोरे-गोरे पैर देख कर मेरा मन मचलने लगा।
सामने जैसे जन्नत की अप्सरा ही नंगी खड़ी हो गई हो.. ऐसे लग रहा था, कामुकता से मेरा अंग-अंग उत्तेजनावश कांपने लगा।
फिर उसने एक झीना सा गाउन लटका लिया।

‘आज तुम नहीं जाओगे.. आज मैं अकेली हूँ..’
और वो मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर बेडरूम में लेकर गई, मानो मुझसे ज्यादा उसको ही बहुत जल्दी थी।
उसके मेकअप के साथ लगे हुए इत्र की महक पूरे कमरे में छा सी गई थी।

मेरी ‘हाँ’ या ‘ना’ का उन्होंने विचार न करते हुए मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। उसके स्पर्श से मेरा अंग-अंग खिल उठा.. कुछ ही देर में भाभी ने मुझे पूरा नंगा कर दिया।
मेरी दोनों जाँघों के बीच में खड़ा हुआ बहुत ही लम्बा मेरा लंड प्रभा भाभी देखती ही रह गई… और अपना गाऊन निकालने लगी..

‘तुम्हारी होने वाली बीवी बहुत ही भाग्यशाली होगी..’ गाऊन निकालते हुए उसने कहा।
‘वो कैसे?’ मैंने उसके गोरे-गोरे पेट को देखते हुए कहा।
‘इतना बड़ा लंड’ जिस औरत को मिलेगा.. वो तो भाग्यवान ही होगी ना.. मैं भी भाग्यवान हूँ.. क्योंकि अबसे मुझे तुम्हारा सहवास मिलेगा।’

उसने पीछे हाथ लेते हुए अपनी ब्रा निकाली।
मुझे उसके साहस का आश्चर्य हुआ।
झट से उसके तरबूज जैसे मम्मे बाहर आ गए।

उसके बाद झुक कर अपनी पैन्टी भी निकाल दी.. दूध सा गोरा जिस्म है भाभी का… पूरी नंगी.. मेरे सामने खड़ी थी.. मेरा लंड फड़फड़ाने लगा।
वो झट से मेरे पास आ गई और मेरे गालों पर चुम्बन लेने लगी.. उसने मुझे कस के पकड़ा.. वो तो मदहोश होने लगी थी। उसने अपने नाजुक हाथों से मेरा लंड हिलाना शुरू किया और झुक कर अपने होंठों से चूमने लग गई..

मेरे दिल में हलचल सी पैदा हो गई.. भाभी की ये हरकत बहुत ही अच्छी लग रही थी।
वो मेरा लंड वो ख़ुशी के मारे चाट रही थी, मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ रखकर दबाना शुरू किया। उसके बड़े-बड़े मुलायम नितम्ब.. हाथों को बहुत ही अच्छे लग रहे थे। मैं बीच-बीच में उसकी चूत में उंगलियाँ डालने लगा… उसकी चूत गीली हो रही थी।

भाभी तो मुझसे चुदवाने के लिये दीवानी हो रही थी।

मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी टांगें फैलाकर मैं उसकी चूत चाटने लगा। ऐसा करते ही वो मुँह से ख़ुशी के स्वर बाहर निकालने लगी।
मैंने भी जोर-जोर से उसकी चूत चाटने को शुरू कर दिया… उसकी टांगें फैलाकर अपना मूसल सा मोटा लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे अन्दर घुसाने लगा।

उसको मेरा लंड अन्दर जाते समय बहुत ही मजा आ रहा था। वो जोर-जोर से चिल्ला कर बोल रही थी- डालो.. पूरा अन्दर डालो.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

मेरा लंड अब सटासट उसकी चूत में जा रहा था.. मेरी रफ्तार बढ़ गई.. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा रहा था..
भाभी ने मुझे कस के पकड़ लिया था, मैंने भी उसके मोटे-मोटे मम्मों को दबाते हुए उसको चोदना चालू किया।

बहुत ही मजा आ रहा था… बीच-बीच में उसके होंठों में होंठ डाल के नीचे से जोर-जोर से लंड अन्दर घुसा रहा था, नीचे से दिए धक्कों से उसके मम्मे जोर-जोर से हिल रहे थे, उसकी सुंदर काया बहुत ही आकर्षक दिख रही थी, उसको चोदने में बहुत ही आनन्द मिल रहा था, मेरी रफ्तार इतनी बढ़ गई कि बिस्तर की आवाज गूँजने लगी।

दोनों ही चुदाई के रंग में पूरे रंगे जा रहे थे। मैं अपना लंड जितना उसकी चूत में घुसा सकता था.. उतना जोर-जोर से घुसा रहा था। इतनी ताकत से उसे चोदना चालू किया कि उसने भी मुझे जोर से पकड़ लिया।

मेरा वीर्य अब बाहर आने का समय हो गया था, जोर से चूत में दबा कर मैंने सारा वीर्य उसकी मरमरी चूत में ही छोड़ दिया और थोड़ी देर उसके शरीर पर ही पड़ा रहा।

‘वाह मुझे आज क्या मस्त चोदा है तुमने.. मेरे पति ने भी मुझे आज तक ऐसा आनन्द नहीं दिया है.. जो आज तुमने मुझे दिया है.. आह्ह.. तृप्त हो गई.. प्लीज मुझे जब भी वक्त मिले.. मुझे चोदने जरूर आ जाना..’
मैंने कहा- मुझे भी तुम्हें चोदने में बहुत मजा आ गया प्रभा..
मैं तो उसे अब नाम से पुकारने लगा।

‘तुम्हें जब भी चुदवाने की इच्छा हो.. तब मुझे बताना.. मैं कुछ भी काम हो.. सब छोड़कर तुम्हारे पास आ जाऊँगा.. तुम्हें चोदने के लिए..’

प्रभा तो मेरे लंड की जैसे दीवानी हो गई थी।

मित्रो.. आपको भाभी की लंड की दीवानगी कैसी लगी.. कमेन्ट लिख भेजें..

अमीर भाभी की मस्त चूत का मजा लिया - Ameer Bhabhi Ki Mast Choot Ka Maja Liya

अमीर भाभी की मस्त चूत का मजा लिया - Ameer Bhabhi Ki Mast Choot Ka Maja Liya , पैसों वाली महिला को चोदा , धनी भाभी की चुदाई , अमीर औरत की गांड मारी , धनवान स्त्री से सेक्स किया.

नमस्ते मित्रो, मेरा नाम सौरभ है, मैं जब स्कूल में पढ़ता था, तब से हिंदी सेक्स कहानियाँ पड़ता हूँ।
मैं लखनऊ शहर उत्तर प्रदेश में रहता हूँ।

यह मेरी पहली सेक्सी कहानी है एक प्यासी भाभी की… अगर कुछ कमी हो तो माफ़ करना।

कहानी मेरी और एक 28 साल की विवाहिता स्त्री की है जिसका नाम विद्या है, यह काल्पनिक नाम है।

विद्या एक 28 साल सुन्दर मनमोहक, गोरी, हाइट 5’6″ के लगभग जवानी से भरपूर भाभी है, पतली सी पर उसके वक्ष मस्त सुडौल 32 साइज़ के हैं।
कमर तो पूछो मत इतनी नाजुक कि कोई देखे तो पागल हो जाए, चूतड़ वो मोटे मोटे…

उसका पति एक कम्पनी का मालिक है।

मैं हमेशा एक नेटवर्किंग साईट पे लखनऊ बॉय के नाम से कमेन्ट करता था कि किसी भाभी, आंटी, डिवोर्सी, विधवा को सेक्स या अच्छी फ्रेंडशिप की जरूरत हो तो लखनऊ बॉय से संपर्क करें।
और आगे मैं मेरा मोबाइल नंबर डालता था।

शुरुआत में मुझे बहुत दूर से मिस कॉल या मैसेज आते थे भाभी और लड़कियों के।

एक दिन मुझे रात को 9:30 को एक कॉल आई।
मैं समझ गया कि यह किसी लड़की या भाभी का होगा।
मैंने रिसीव किया।

उधर से एक महिला की आवाज आई, उसने पूछा- क्या मैं लखनऊ बॉय से बात कर सकती हूँ?
मैंने कहा- मैं क्या मदद कर सकता हूँ आपकी?

वो- जी मैंने आपका नंबर नेट से लिया है, क्या मेरे साथ आप फ्रेंडशिप करोगे?
मैं- जी बिल्कुल… जरूर करूँगा… आपका नाम और सिटी?

वो- जी मेरा नाम विद्या है और मैं लखनऊ की ही रहने वाली हूँ।
मैं- वाह… मैं भी लखनऊ का हूँ।

मैं बहुत खुश था क्यूँकि यह पहली महिला थी लखनऊ से…
मैं बोला- कहिये आपकी किस तरह सेवा करूँ?

विद्या और मैं उस रात बहुत देर तक बातें करते रहे।

उसने बताया कि उसका पति हमेशा काम की वजह से बाहर रहता है।
और आजकल वो अकेलापन महसूस करती है।

फिर हमारी रोज बातें होने लगी और कुछ दिनों में हम सेक्स की बाते करने लगे।

एक दिन उसने कहा- क्या तुम मुझे सेक्स का सुख दोगे?
मैंने हाँ कहा।

फिर उसने मुझे अपने घर का पता दिया जो मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं था, मस्त लखनऊ का पोश एरिया था।

मैं अगले ही दिन उसके घर पहुँचा, बेल बजाई।

जैसे ही दरवाजा खुला, मैं उसे देखत़ा रह गया।
क्या सुन्दर थी वो…

उसने मुझे अन्दर बुलाया।
उसका घर अन्दर से बहुत खूबसूरत और कीमती बनावट का था।

और विद्या को तो मैं देखता ही रहा।
उसका गोरा रंग, पतली कमर, मस्त टाईट बूब्स।
हे भगवान… मैं तो पागल हो गया।

फिर उसने मुझे जूस पिलाया, बातों बातों में घर दिखाया और आखिर में हम बेडरूम में आ गये।

वो मेरे पास आई, मैंने देर ना करते हुए उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया, उसके होटों को चूमने लगा, वो भी मेरा सहयोग दे रही थी।

पन्द्रह मिनट की चूमाचाटी के बाद मैंने उसके बूब्स दबाने शुरु किये।
क्या कड़क थे उसके बूब्स मस्त गोल…

हम दोनों का पूरा शरीर एक दूसरे पे घिस रहा था।

फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और अपने कपड़े निकाल दिए। उसने भी अपनी साड़ी ब्लाउज़ पेटीकोट निकाल दिया और अब वो सिर्फ लाल ब्रा और सफ़ेद पेंटी में थी। उसकी चमकदार जांघें, मस्त सपाट पेट, पेंटी जैसे सिर्फ उसकी चूत को ढके हुये थी।

उसका चहेरा लाल हो चुका था।

मैंने झट से उसकी पेंटी उतार फेंकी और मस्त छोटी दो इंच की चूत के साथ हाथ से खेलने लगा और फ़िर चाटने लगा।
उसकी चूत चाटने में मस्त खारी लग रही थी। बीस मिनट मैं विद्या की चूत चाटता रहा।

प्यासी विद्या भाभी अपने बूब्स खुद ही दबाती रही।
फिर वो झड़ गई।
मैं उसका सारा पानी साफ कर गया।

मैंने मेरा लंड इतना बड़ा कभी नहीं देखा था, फ़ूल के 7 इंच का हो गया था।

विद्या ने उसे कुछ देर मसला, चूमा, हिलाया और झट से मुख में लेकर चूसने लगी। वो चूसने में इतनी माहिर तो नहीं लग रही थी पर पूरी तरह खो चुकी थी लंड चूसने में…

मैं भी इतना एक्साईट हो चुका था कि कब उसके मुँह में पानी निकाल दिया, पता नहीं चला।

विद्या भाभी इतनी प्यासी थी कि वो पूरा पानी पी गई।
पूरा लंड साफ कर दिया।

कुछ देर बाद मेरा लंड टाईट हो गया था।

उसने अपने पैर फ़ैला करके मेरा लंड अपनी छोटी चूत पे रखा, मैंने धीरे धीरे अपना आधा लंड अन्दर घुसाया, थोड़ा अन्दर जाने के बाद अब नहीं जा रहा था आगे।

मैंने फिर लंड थोड़ा पीछे खींचा और आगे झटका दिया। वो चीख उठी और उसकी आँखों से आँसू आने लगे।
मैं थोड़ा रुका और धीरे धीरे झटके लगाने लगा।

उसकी चूत मस्त टाइट थी।

मैं उसे 20 मिनट तक चोदता रहा और बाद में पानी उसकी चूत में निकाल दिया।
उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव नजर आ रहे थे।

फिर एक घंटा हम चिपक कर सो गये।

बाद में उसने मुझे उठाया और एक ग्लास दूध दिया पीने को।

दूध पीने के बाद मैंने कपड़े पहने और उसके लबों पर चुम्बन किया और आने लगा।

उसने जाते जाते मुझे पांच हजार रुपये दिए जो मैंने वापस कर दिए।

और फिर हम दोनों जब भी वक्त मिलता, मस्त चुदाई करते।

भाभी को देख मन मचल गया - Bhabhi Ko Dekh Man Machal Gaya

भाभी को देख मन मचल गया - Bhabhi Ko Dekh Man Machal Gaya , भाभी ने चुदने के लिए चूत दिखाई , भाभी की मस्त चुदाई , भाभी की बड़ी गांड मारी , भाभी की चूत चाटकर पानी निकाला , लंड भी चुसाया.

अमिता मेरे बड़े साले की बीवी यानि मेरी सलहज है, दो बच्चों की माँ है, मुझसे करीब आठ साल बड़ी यानि कि 38 साल की लेकिन उसे देखकर लगता है कि उसकी उम्र 30 की होगी।
गोरा रंग, 34-30-36 का बदन, उसके बाल लम्बे हैं और कूल्हों तक आते हैं, खुले बाल लेकर जब वो चूतड़ मटकाती हुई चलती है तो आग सी लग जाती है।

मुझे उसकी नज़रों से लगता था कि मेरी तरफ़ उसका कुछ झुकाव है।
मेरे सामने उसकी हरकतें बड़ी मादक होती थी, छेड़छाड़ और मज़ाक वगैरह, कभी कभी व्यस्क चुटकले भी!

लेकिन उसने कभी भी अपनी सीमा नहीं लांघी थी और उसकी यही अदा मुझे उसकी तरफ खींचती थी।
उससे मिल कर आने के बाद मैं बेचैन हो जाता था और उस दिन सुरेखा (मेरी बीवी) को बुरी तरह चोदता था।
वो भी कहती थी ‘आज क्या हो गया है.. उफ़ मार डालोगे क्या..?’

वो बेचारी वैसे ही मेरे मोटे लंड से खौफ खाती थी, पहली रात की चुदाई के बाद ही उसने मुझसे वादा लिया था कि मैं उसके साथ आहिस्ता और सलीके से सेक्स करूँ।
बेचारी को क्या मालूम कि मैं उसे नहीं अमिता भाभी को चोद रहा हूँ।
मैं उन्हें भाभी कहता हूँ।

और अमिता भाभी को तो ऐसे ही चोदना होगा… तभी मजा आयेगा… मैं दिन-रात उस मौक़े की तलाश में रहता था…
और एक दिन वो मौका आ ही गया!

हुआ यों की मेरी बीवी और उसके भाई यानि अमिता भाभी के पति को अपने किसी प्रॉपर्टी के सिलसिले में अपने पुश्तैनी गाँव में जाना था, मुझे भी उन्होंने चलने के लिये कहा लेकिन मुझे ऑफ़िस में कुछ जरूरी काम था।

मैं उन्हें सुबह स्टेशन पर छोड़ने गया.. तब भाई साब ने कहा- अमिता अकेली है और बच्चे भी नाना के यहाँ गए हैं एक महीने के लिये, तुम शाम को एक फ़ोन कर लेना घर पर या फ़िर घर जाकर आना।

मैंने कहा- जी ठीक है!

और मैं वहीं से ऑफ़िस चला गया।

शाम को लौटने में देर हो गई, करीब सात बज चुके थे, अचानक सेल पर मेरी बीवी का फ़ोन आया- अरे भाभी का फ़ोन नहीं लग रहा.. तुमसे कोई बात हुई क्या?

मैंने कहा- नहीं!
‘प्लीज़ जरा उनके घर जाकर आओ!’
मैंने कहा- ठीक है..

लेकिन अचानक मेरे दिमाग में घंटी बजी, ‘यह गोल्डन चांस है, आज उसे उत्तेजित करो और मौका मिले तो… काम कर लो।’

मैंने घर आकर टीशर्ट और जींस पहने, एक अच्छा वाला सेंट स्प्रे किया और कार लेकर चल पड़ा उनके घर।

उनका घर दोमंजिला है। मैं वहाँ पहुँचा तो आवाज़ दी- भाभी…!!

कोई उत्तर नहीं आया।

फ़िर दरवाज़ा खटखटाया, तब हल्की आवाज़ आई- तुम रुको, मैं आती हूँ।

थोड़ी देर में दरवाजा खुला.. उफ़्फ़… भाभी के बाल थोड़े बिखरे हुये उनके चेहरे पर आ गए थे और सीने पर दुपट्टा नहीं.. क्या मस्त चूचियाँ हैं… मेरी बीवी की इनके सामने कुछ भी नहीं…

‘आओ!’
‘भाभी, आपका फ़ोन बंद है क्या?’
‘मालूम नहीं, वैसे बहुत देर से किसी का फ़ोन आया नहीं!’

मैं फ़ोन का रीसिवर उठाया.. ‘ओह भाभी, यह तो बंद है।’

मैंने अपने सेल पर सुरेखा का फ़ोन लगाया- हाँ सुरेखा, भाभी का फ़ोन बंद है.. लो भाभी से बात करो।

उन दोनों ने कुछ बात की फ़िर भाभी ने कहा- तुम थोड़ा बैठो, मैं ऊपर स्टोर में से कुछ समान और बिस्तर निकाल रही हूँ। अभी और भी थोड़ा काम है, फ़िर चाय बनाती हूँ..

मैं चुप रहा और उन्हें देखता रहा।

उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- लगता है सुरेखा की बहुत याद आ रही है?
और एक सेक्सी मुस्कान मेरी ओर फ़ेंक दी।

मैं तो तड़प गया, फ़िर वो अपने सेक्सी कूल्हे मटकाते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगी और कहा- तब तक तुम टीवी देखो!

मैं अपने को रोक नहीं सका और 5 मिनट बाद मैं भी सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर पहुँचा, वहाँ भाभी की पीठ मेरी तरफ थी और वो बेड को ठीक कर रही थी।

मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया।

‘क्या कर रहे हो?’
‘प्यार! अभी आपने कहा ना कि सुरेखा को मिस कर रहे हो? मैं उसे नहीं आपको मिस करता हूँ भाभी!’
‘बदमाशी मत करो!’

पर मैंने अपने लंड को उनके चूतड़ों पर दबाया.. जो अब थोड़ा कड़क हो रहा था.. वहाँ लगते ही उसकी आकार बढ़ने लगा।

वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी.. मेरा हाथ उनकी चूचियों पर पहुँच गया.. मैंने उनके गर्दन पर पीछे चूम लिया।

‘अखिलेश…!!! प्लीज़… यह गलत है!’
‘क्या गलत है भाभी?’
‘मैं सुरेखा की भाभी हूँ!’
‘तो क्या हुआ.. आप इतनी हसीं हो कि मेरा दिल मचल गया है आपके लिये!’

मैंने हाथों से उनकी चूचियाँ और जोर से दबाई।

‘नहींई कर…ओ… आआह्ह धीईरे…’

मेरा लौड़ा पूरा अकड़ कर उनके चूतड़ों में जैसे घुसा जा रहा था।

अमिता बोल रही थी- नहीं…ई…ई…

मैंने हाथों से उनकी चूची और जोर से दबाई।

‘आआह्ह… ह्ह्ह… धीरे…’

यह सुन कर मैं समझ गया कि भाभी चुदवाना तो चाहती हैं लेकिन नखरे कर रही हैं।

मेरा लंड पूरा खड़ा होकर उनकी गांड में घुसा जा रहा था।

अब वो भी अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी, मैंने उनकी कमीज़ के अंदर पीछे से हाथ डाल दिया.. नरम पीठ से होता हुआ मेरा हाथ सीधे ब्रा के हूक पर गया, मैंने उसे जोर से खींचा, वो टूट गया।

‘क्या कर रहे हो?’
‘आप प्यार से नहीं करने दे रही हैं।’
‘क्या नहीं करने दे रही हूँ??’

और वो घूम गई, मैंने इस मौक़े पर एकदम उनका चेहरा पास लाया और उनके रसीले लाल होंटों पर अपने होंठ चिपका दिये।
पहले तो वो मुँह इधर उधर करने लगी.. फ़िर थोड़ी देर बाद मेर होंठों को जगह मिल गई…
वो लम्बा चुम्बन.. गीला… ऊओह.. और भाभी मुझसे दूर हटने लगी.. मैंने फ़िर भी नहीं छोड़ा, उन्हें और अब उनके चूतड़ जोर से पकड़ कर खींचा.. मेरा लंड उनके पेट पर लगा… उनके हाथ झटके से मेरे गले पर आ गए..

फ़िर एक बोसा…

इस बार कूल्हे दबाते हुये और उन्होंने मुँह मेरे मुँह से नहीं हटाया।

मैंने भाभी के शर्ट को ऊपर करना शुरू किया और गले तक ले आया, उनके हाथ ऊपर किये और निकाल दिया।
‘क्या कर रहे हैं आप?’
‘प्यार भाभी!’
मैंने अपना कुरता भी अब उतारा…

वो जाना चाहती थी लेकिन कमीज़ निकल गई, वो ऊपर पूरी नंगी थी, जाली वाली ब्रा थी और उसमें से उनके अंगूर जैसे काले निप्पल दिख रहे थे।

मैंने देर नहीं की, झपट कर उन्हें पकड़ लिया और निप्पल पर मुँह लगाया।

‘आआह्ह हा… मैं तुमसे बड़ी हूँऊ.. ये मत करो..; लेकिन मेरा सिर उन्होंने अपनी छाती पर दबा लिया।

मैंने पीछे हाथ किये और ब्रा का हुक तोड़ दिया, बड़ी बड़ी दूधिया चूचियाँ बाहर मेरे हाथो में आ गई.. जोर से दबाया।

‘ऊऊफ़्फ़्फ़ फ्फ धीईरेएए… इतने ज़ोर से मत दबाओ…’

मैंने कुछ सुना नहीं, उनके बिस्तर पर धकेला… उनके पैर नीचे लटक रहे थे… मैंने सलवार की इलास्टिक खींची तो साथ में गुलाबी रंग की पैंटी भी नीचे आ गई।

‘जीईईजाजी, क्या कर रहे हओओ.. मुझे खराब मत करो…’

लेकिन उन्होंने गांड उठा दी और सलवार निकल आई और पैंटी भी…

चूत पर छोटे छोटे बाल थे.. मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा… भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दिया।

‘आआआअह्ह ह्ह्ह… प्लीज मत करो… वो उछल पड़ी… क्या गोरी और चिकनी गांड थी उनकी… मैंने अब अपने कपड़े उतारना शुरू किया.. इस मौक़े का फायदा उठा कर भाभी उठी और कपड़े उठा कर जल्दी से नीचे भागी।

मेरी पैंट आधी खुली थी.. मैंने पूरी खोली, उसे वहीं फेंका और अंडरवीयर में उनके पीछे भागा, वो अपने बेडरूम में घुस गई, दरवाजा बंद दिया… मैं दरवाजे के पास गया और हल्के से धकेला… दरवाजा खुल गया।

भाभी वैसी ही बेड पर उलटी लेटी हुई थी.. मैं समझ गया, मैं उनके पीछे गया, मैंने अपना अंडरवीयर भी निकाल दिया.. मेरा काला मूसल जैसा 7″ का लंड छिटक कर बाहर आ गया, मैंने पीछे से उनके बदन पर लण्ड छुआया।

वो चौंक कर पलटी- आआह्… ओह… मुझे क्यों परेशान कर रहे हो.. और यह क्या… हाय अल्ल्लाआह्ह्ह इतना बड़ा और मोटा… बाप रे… सुरेखा तो रोती होगी?

‘उसकी बात छोड़ दो भाभी!’ लेकिन आपको तो यह अच्छा लगेगा।

मैंने फ़िर से उन्हें दबोच लिया।

अब मेरा लंड उनके पेट के पास था, मैंने उनकी चूचियाँ ज़ोर ज़ोर से मसलन शुरू की और उनके होंठ चूमने लगा।

इस बार वो सिर्फ ‘आआह नहीं.. ऊऊओह्ह अखिलेश मत करो..’ बोल रही थी लेकिन साथ में मुझसे लिपटी जा रही थी, मेरे लंड का प्री-कम उनके पूरे पेट को गीला कर रहा था।

मैंने उनसे कहा- इसे पकड़ो ना…
और उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगाया..

उन्होंने बदमाशी की और उसे पकड़ के जोर से दबा दिया।

‘आआआह भाभी… प्यार से सहलाओ!’
‘क्या प्यार से इतना मोटा?’ भाभी पुरानी खिलाड़ी थी लेकिन फ़िर भी कहा- तुम्हारा बहुत लम्बा और मोटा है… तुम आज मुझे बर्बाद कर के छोड़ोगे!

मैंने कुछ नहीं कहा और उनके गोरे पेट को सहलाते हुए जीभ से गीला करने लगा।
भाभी मुझे धकेल रही थी लेकिन उन्होंने मेरा लंड नहीं छोड़ा।

मैंने अब सीधे उनके पैर फैला दिये, अपना मुँह उनके पैरों के बीच रखा और चूमा।

‘आआआअ अह्ह्हह… कितने गंदे हो.. वहाँ क्यों मुँह लगा रहे हो?’

‘भाभी, अभी आप कुछ मत कहो!’

‘तुम भाभी भाभी कहते हो, कहते हो ‘इज्जत करता हूँ!’ यह इज्जत का तरीका है? ..उईईई ईईइ…’

मेरी जीभ चूत के अंदर दाखिल हो गई और अंदर गोल गोल घुमाने लगा।

‘आआह्ह ह्ह्ह… अखिलेश… मैं पागल हो रही हूँ… मत करओ… प्लीज.. मैं तुम्हारी भाभी हूँऊ…’

लेकिन मुझे अब उनकी गुलाबी चूत और उसके अंदर का नमकीन पानी ही याद था.. मैंने तेजी से चाटना शुरू किया..

भाभी अपने चूतड़ उछालने लगी थी- अखिलेश… हरामीई ये क्या कर रह है… ईआआअह!
भाभी का बदन अकड़ने लगा था, उनका पानी निकलने वाला है, यह मैं समझ गया।

अब मैंने अपनी एक उंगली उनके मुँह में डाली, उन्होंने काट ली।
फ़िर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू किया.. मैंने पोजीशन बदली और उन्हें उठाया, किनारे पर मैं बैठ गया और उनसे कहा- नीचे आओ!

‘क्यों?’
‘आओ तो!’

वो नीचे आई मैंने उन्हें घुटनों पर बिठाया, मेरा लंड उनके मुँह के सामने था, वो तो तड़प रही थी, फ़िर भी उठ कर जाने लगी।

मैंने जबरदस्ती बिठाया और लंड को उनके गालों पर रगड़ा, फ़िर होंठों पर रख कर कहा- इसे किस करो !

वो मेरी तरफ देखने लगी।

मैंने उनके सिर को पकड़ा और लंड को होंठों पर रगड़ा।

चाहती तो वो भी थी…
पहले थोड़ा चाटा, जीभ से फ़िर होंठों को खोला और लंड का सुपारा मुँह में लिया।

मैंने देखा उनके छोटे मुँह में लंड नहीं जा रहा था.. बहुत मोटा जो है..
मैंने सिर को कस के पकड़ा और दबाया- ले साली… बहुत दिनों से तडपा रही है… अपनी चूची और चूतड़ दिखा दिखा के..

अब उन्होंने चूसना शुरू किया मैं तो जन्नत में पहुँच गया था.. ‘ऊओह्ह भाभीईईई… मज़ा आ रहा है…!

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरे गोटियों में सूजन आ रही है, मेरा हो जाएगा, मैंने भाभी को उठाया और बेड पर लिटा दिया।
पैर नीचे लटक रहे थे, पैरों को उठाया।

‘नहीं प्लीज़… अभी मैं सेफ नहीं हूँऊ.. मेरे ठहर सकता है.. नहीईई…’

मैंने कहा- फ़िक्र मत करो, मैं बाहर निकाल लूँगा।
और पैरों को फैलाया, अपने कंधे पर रखा, लंड को चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया- भाभी, कैसा लग रह है?

‘हरामजादे अपने लंड को मेरी चूत पे लगा के भाभी कह रहा है…? अब जल्दी कर जो करना है।’

यह सुन कर मुझे तो जोश आ गया और अपना लंड उनकी चूत पे धीरे धीरे रगड़ने लगा, रगड़ता रहा, रगड़ता रहा, भाभी को छटपटाता हुआ देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था!!

फ़िर मैं भाभी के मम्मे दबाने लगा !!

वो बोली- मादरचोद… और कितना तड़पायेगा?

मैं हंसा और अपना लंड उनके छेद पर रख कर दबाया।

भाभी तड़प उठी- ऊऊओह्ह ह्ह्ह मर गई मादरचोद निकाल… निकाआल… बहुत मोटा है.. अह… मैं मर जाऊँगीई!मैं रूक गया और लंड को बाहर खींच लिया।
भाभी ने आँखें खोली और पूछा- अब क्या हुआ?

मैंने कहा- आपने कहा ‘निकाल!’ इसलिए निकाल लिया।

‘हरामी, क्यों तड़पा रहा है… अब जो करना है कर…’

मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चूत पर रख कर जोर का झटका मारा।

भाभी का पूरा बदन ऐंठ गया- आआअ आआह्ह ह्ह्ह मार डालाआअ रे हरामीईईई… ये आदमी का है या घोड़े का, सुरेखा की क्या हालत करते हो, ऊऊफ़्फ़्फ़ पूरी भर गई मेरी…

मैं अब थोड़ा थोड़ा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा, निप्पल चूसने लगा.. वो थोड़ा नॉर्मल हुई और उनकी चूत ने भी अब फ़िर से पानी छोड़ा…

मैंने आधा लंड बाहर निकाल के इस बार तूफानी शॉट मारा और बिल्कुल धोनी के सिक्सर की स्पीड से लंड पूरा भाभी के चूत में पेल दिया।

‘आआआअ… उईईईइ ईईईई माआआआ… किस मनहूस घड़ी में मैं तुम्हारे हाथ लग गईईईई…!’

मैंने उनके बगल के नीचे से हाथ डालकर उनके कंधों को पकड़ा जिससे वो हिल नहीं पाए और फ़िर मैंने धोनी की स्टाइल बैटिंग शुरू की।

वो उफ़ उफ्फ्फ आआह अह्ह्ह कर रही थी, चूत से पानी की धार बहने लग गई।

उनकी गांड तक बहने लगी और नीचे चादर भी गीली हो रही थी।

मेरी स्पीड जोर की थी, भाभी के मुँह से निकला- वाह मेरे शेर !!! वाह… आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊऊ.. आज मेरी मुराद पूरी हो गईईइ… ऊऊह ऊओह्ह मेरा होने वालाआ हैईई ! और ज़ोर सेईई…

मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था, काट रह था.. उनके लंबे नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे।
‘फाड़ दे… मेरी फाड़ दीईईईए… आआ आआह्ह्ह!’

उन्होंने मुझे कस के पकड़ा और वो झड़ने लगी।

करीब दो मिनट उनका ओर्गैस्म चालू था।
इधर मेरा भी होने वाला था। उस तूफानी स्पीड में मैंने कहा- भाभी, मेरा झड़ने वाला है, मैं कहाँ निकालूँ।

‘मेरे अंदर डाल दो दओ.. आआह्ह !’

‘लो भाभी… ये लओ !’
और मैंने लंड को उनकी चूत के एकदम अंदर मुँह पर टिका दिया और मेरी पिचकारी शुरू हो गई।

दोनों ने एक दूसरे को कस के पकड़ा था.. इसी तरह हम करीब दस मिनट रहे।

उन्होंने फ़िर मुझे धकेला और मेरी तरफ देखा- कर दिया ना भाभी को खराब..?
और मुझे धकेला।

मैंने उनकी चूत से लंड बाहर खींचा, वो मासूम भाभी के और मेरे पानी से लिपटा हुआ था।
उसे देख कर भाभी ने कहा- देखो कैसे मासूम लग रहा है..!!
उन्होंने नीचे देखा, चूत फ़ूल गई थी।

उन्होंने हाथ लगाया और सिहर उठी- देखो क्या हालत की तुमने… छोटी सी थी.. कितना सूज गई है और कितना दर्द हो रहा है…
उनकी चूत से मेरा सफ़ेद पानी और उनका पानी बाहर टपक रह था, चूत का मुँह भी खुल गया था… वो उठ भी नहीं पा रही थी।

एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गई थी..
इस उमर में इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी, यः उन्होंने सोचा भी नहीं था लेकिन मुझे भी उनका वो गदराया बदन इतने सालों बाद मिला.. मैंने जम कर चोदा..
सबसे बड़ी बात.. मुझे पता था कि भाभी को मोटे और लंबे लंड से ज्यादा मजा आयेगा और वो मेरे पास है…
लेकिन मेरी बीवी मुझसे इस तरह चोदने नहीं देती, रोने लगती है और मुझे चुदाई में रहम से नफ़रत है…

खैर मैं उठा, लंड तो पूरा लथपथ था भाभी के योनि रस से और मेरे वीर्य से.. इतना माल तो मेरा कभी नहीं निकला था..
और भाभी की चूत भी मुँह खोले ‘O’ की आकृति की हो गई थी.. पूरी लाल दीख रही थी.. बाथरूम बाजू में था।

मैंने देखा कि भाभी ठीक से उठ नहीं पा रही हैं… मैंने उन्हें हाथ पकड़ कर उठाया.. मैंने देखा भाभी की कांख में बाल है.. और चूत पर भी बाल बढ़े हुए थे..

किसी तरह मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम ले गया।

मैं- भाभी, आप कांख के बाल क्यों साफ नहीं करती?

भाभी- नहीं, क्यों?

मैं- किया करो ना.. और स्लीव्लेस पहना करो!

भाभी- वहाँ शेव कैसे करूँ… डर लगता है, कट जाएगा तो?

मैं- शेविंग का सामान दो मुझे..

भाभी- क्यों?

मैं- मैं कर देता हूँ आपका जंगल साफ!

मैंने वहीं बाथरूम में रखा शेविंग का सामान लिया, भाभी को अपने सामने खड़ा किया, भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था।
उन्होंने एक हाथ ऊपर कर लिया, उनके कांख में साबुन लगा कर आराम से शेव किया, इस बीच मैं उनकी चूचियाँ भी सहला रहा था तो उनके निप्प्ल कड़क होने लगे थे।

भाभी- तुमने मुझे रंडी बना दिया.. मैंने पहली बार किसी दूसरे मर्द को नंगा देखा.. और खुद भी इतनी बेशरम जैसी तुम्हारे साथ नंगी खडी हूँ।

मैंने दोनों बगलों के बाल साफ़ करके पानी से धोया और उस पर चुम्बन करने लगा।
भाभी- आआअह… फ़िर से मुझे मत गर्म करो प्लीज… एक बार मैंने गुनाह कर लिया है… आआ आह्ह्ह…

मेरे होंठ उनके निप्प्ल पर आ गए और उन्होंने मेरा सिर जोर से दबा लिया.. मेरा खड़ा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर खड़ा था… वो अपनी चूत उसके साथ सटा रही थी- आआ ह्ह्ह… मत करो नाआह…

मैं- क्या मत करो?
भाभी- बहोत बदमाश हो तुम? अपने से बड़ी भाभी के साथ ये सब किया?

मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा… चूत का पानी अब भाभी की जांघों पर बह रहा था.. भाभी से नहीं रहा गया और खुद मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपने चूत के दाने पर रगड़ने लगी।

मैं तो बेकाबू होने लगा, वहीं दीवार पर उनकी पीठ टिका दी और उनके पैर खुद ही फ़ैल गए लंड को रास्ता देने के लिए…

मैंने वैसे ही खड़े खड़े अपना लंड सेट किया और क़मर हिला कर धक्का मारा।

भाभी- आआअह्ह ह्ह हरामीईई धीरे कर ना.. अपनी बीवी की चूत समझी है क्या?
मैं- बीवी की नहीं, मेरी सेक्सी भाभी की गदराई चूत है यह तो !
भाभी- अरे अभी तक दर्द हो रहा है.. आआअह्ह ह्ह…

उन्होंने हाथ लगा कर देखा- अभी तो इतना बाहर है.. हईईइ अल्लाह मैं तो मर जाऊँगी।
मैं- आपको दर्द हो रहा है तो मैं बाहर निकाल लेता हूँ?
मैंने तड़पाने के लिए कहा।

भाभी- अरे.. अब इतना डाल के बाहर निकालेगा…
और अब उन्होंने खुद चूत को लंड पर दबाया- कितना मोटा है!

मैं अब क़मर हिला कर आगे पीछे कर रहा था।

भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ दिया कि अब लंड आराम से जा रहा था और मैंने भी अब सनसना कर धक्का मारा और पुरा लंड अंदर!

‘मर्र गईई रे ! आप सच में मर्द हो… आज मुझे पता लगा कि असली मर्द क्या होता है… आई लव यू.. मेरे राजा… चोदो मुझे ज़ोर से चोदओ… फाड़ दो मेरीईइ…

मैं धक्के लगाते हुए और उनके निप्प्ल को काटते हुए- क्या फाड़ दूँ भाभी?
भाभी- जो फोड़ रहे हो…
मैं- उसका नाम बोलो?
भाभी- अपना काम करो!
मैं- अभी तो एक जगह और बची है उसे भी फाड़ना है… सबसे सेक्सी तो वो ही है तुम्हारे पास!
भाभी- क्या?

मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ लगाया और उनकी गांड के छेद में उंगली डाल कर- ये वाली फाड़नी है।

भाभी- आआह्ह्ह हह नहींईई वो नईइ.. वो तो मैंने उनको भी नहीं दी!
मैं- तो क्या हुआ.. मुझे तो पसंद है।
भाभी- नहीं नहीं..

मेरे धक्के चालू थे, मैंने देखा कि भाभी का बदन अकड़ने लगा है, वो पैर सिकोड़ कर लंड को कस रही थी और मेरे कंधे पर दांतों से काट रही हैं… नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा रही हैं- यह क्या किया.. आआह्ह मैं गयईईइ मेरा हो गया ओऊओह्ह अब नहीईईइ आआआह हाह!

और भाभी की चूत का पानी धार निकलने लगी, मैं गिरने लगा.. मैं रूक गया.. वो एकदम हल्की हो गई थी।

मैंने अब उन्हें दीवार से हटाया और बाथ टब के अंदर ले गया, उसमें पानी और साबुन भरने लगा..
मैंने देखा उनकी चूत पर भी बाल हैं, सोचा अगर इसे भी चिकनी कर लूँ तो..

मैंने उन्हें वहीं लिटा दिया..

भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- तुम्हारे खजाने को और खूबसूरत बाना रहा हूँ जान!
भाभी- क्या कहा.. जान.. फ़िर से कहो ..आह्ह मैं तुम्हारी जान..? लो कर लो साफ इसे भी!

मैंने चूत पर भी साबुन लगाया और उसे साफ करने लगा।
जब चूत पूरी साफ हो गई तो उसे मैंने गुनगुने पानी से धोया।
मेरा हाथ बार बारा उनके दाने से लग रहा था…

इधर मेरा अभी तक स्खलन नहीं हुआ, एक बार भी नहीं हुआ था.. तो वो तो उछल रहा था..
मैंने भाभी से कहा- इसे थोड़ा सहलाओ ना…!!

मैं उनके मुँह के पास लंड को ले गया, उन्होंने कुछ नहीं किया, मैंने उनकी चूत को देखा, दोनों जांघों के बीच एक लकीर.. लग रहा था की एक शर्माई हुई मुनिया..

मैंने हाथ फेरा… लकीर के बीच ऊँगली डाली.. फ़िर से गीली लबालब पानी.. मुझसे अब रहा नहीं गया!

मैंने भाभी के पेट को चूमना शुरू किया और दोनों पैर भाभी के दोनों तरफ डाले और उनकी पर मुँह रख दिया।

भाभी तड़प उठी- छीईः गंदे..
और पैर उठाने लगी…

मैंने जबरदस्ती पैरों को फैलाया और उनका रस चाटने लगा.. जीभ को दाने पर रगड़ा…

मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, वो उसे हाथ में पकड़ और खींच रही थी।

मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होंठों पर टिका दिया।

थोड़ी देर तो उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंठ खोलकर उसे अंदर लिया।

मैंने सिहरन सी महसूस की।

मैं- आआअह्ह्ह भाभी चूसओ मेरी जान… अआः मजा आ रहा है आईईइ!

मैं तो उनके गर्म होंठों के स्पर्श से पागल हो रहा था… अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी..

अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया, लंड एकदम उनके हल्क तक पहुँच गया।

उन्होंने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी सांस रूक जायेगी।
मैं- ओह भाभी जी, आप इतना अच्छा चूस रही हो!

इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी।
भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया, मैंने पूरा चाट लिया, उनकी गाण्ड तक बह रहा था तो गांड के छेद तक जीभ से पूरा चाटा।

इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा… मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल लिया, मेरा लवड़ा उनके थूक से गीला होकर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था।

मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा।

भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- आओ ना, दोनों पैर साइड में कर लो और सवारी करो!
भाभी- दिमाग खराब है क्या? मुझसे नहीं होगा!

मैंने उन्हें पकड़ कर पोजिशन में लिया, अब वो मेरी गुलाम थी..
और लंड के ऊपर भाभी की चूत को सेट करके कहा- बैठो…
उन्होंने कोशिश की- …आआह नहीं होगा..

मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का लगाया..
आधा लण्ड गप्प से अंदर!

अब मैंने उन्हें कहा- धीरे धीरे इस पर बैठो…
वो बैठने लगी.. फ़िसलन तो थी.. अंदर घुसने लगा!
फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था..

मैंने उनकी चूची और निप्पल चूसना शुरू किया, बहुत चूमाचाटी की और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली।

‘उईईईईई…’

और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बिठा लिया।

पूरा लंड अंदर… और भाभी की चीख नीकल गई- आआअह्ह ह्ह्ह मर गईई ऊओह…

अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था…

भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था।

भाभी बड़बड़ाने लगी- आआआअह, तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया… अह्ह्ह मुझे माँ बना दो..
और उनके उछलने की गति बढ़ गई।

‘आअह आआह्ह… मेरे अखिलेश… इतने दिन क्यों नहीं किया.. आआअह्ह्ह मेरा होने वाला है…’

और ऐसे ही उछलते हुए उनका पानी नीकल गया, वो मेरे सीने से लिपट गई, मैं उन्हें चूमने लगा।

अब मैंने भाभी को खड़ा किया, मेरे दिमाग में एक नया पोज़ आया, कमोड के ऊपर मैंने भाभी को झुकाया, उनके दोनों हाथ कमोड के ऊपर रखे।

भाभी- यह क्या कर रहे हो?
मैं- मैं तुम्हें और मजा दूँगा जानेमन..
मैं पीछे आ गया।

ऊऊओह क्या मस्त उभरे हुये चूतड.. और ऐसे में उनकी चूत का छेद एकगम गीला… और गांड का गुलाबी छेद…

मैंने पीछे से लंड को उनके चूतड़ों पर घुमाया… और गांड के छेद पर लगाया…
वो एकदम उठ कर खड़ी हो गई- नईई वहाँ नहींई… प्लीज़!
‘नहीं डार्लिंग, मैं सही जगह पर दूंगा!

और फ़िर से उन्हें झुकाया…

चूतड़ और ऊपर किये ताकि चूत ऊपर हो…
और फ़िर..
भाभी- अह्ह धीरे… आआ अह्ह!

मेरा लंड अंदर जा रहा था, लेकिन मैंने उसे बाहर खींचा और अब एक झटके में पूरा अंदर पेल दिया।
वो तो चिल्ला पड़ी- अररे… मार डालोगे क्या?

मैंने उनके चूतड़ सहलाये और आगे हाथ बढ़ा कर उनकी चूचियाँ दोनों साइड से दबाने लगा।

करीब 3-4 मिनट में भाभी फ़िर पानी छोड़ने लगी।

मैंने उसी पोज़ में उन्हें खड़ा किया, दीवार की तरफ मुँह किया और उनका एक पैर कमोड के ऊपर रखा।
और फ़िर तो मैंने भी राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदना शुरू किया।

भाभी उफ़ उफ़ आह अह्ह्ह कर रही थी।
मैंने उनके कानों के पास चूमा- जानू.. मजा आ रहा है ना?
भाभी- बहुत.. और जोर से करो!

अब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है… एक घंटे से ऊपर हो गया था.. मेरे अंडों में दबाव आ रहा था..

मैंने भाभी को वहीं बाथ टब के अंदर लिया और लिटाया, दोनों पैर फैलाये, घुटनों से ऊपर मोड़ कर एक झटके में अंदर डाला…

उनकी आँखें फ़िर बड़ी बड़ी हो गई लेकिन मैंने कुछ देखा नहीं और फ़िर ‘उफ्फ्फ़; वो धक्के लगाए कि भाभी की सांस फूलने लगी, वो सिर्फ अआह इश्ह्ह् इश्ह्ह्ह आआः कर रही थी।

मैं- जानू मेरा निकलने वाला है.. अंदर डालूँ या बाहर?
भाभी- एक बार तो अंदर डाल दिया है, अब बाहर क्यूँ? डाल अंदर तेरा माल!
मैं- तो लो आआह अह्ह्ह आह्ह ओह्ह ये लो मेरी जान…

और पूरा लंड उनके बच्चेदानी के ऊपर टिकाया और 1.. 2.. 3.. 4.. 5.. 6.. 7..
कितनी पिचकारी मारी कि मैं भूल गया और उनके ऊपर लेट गया।

करीब दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे.. मैंने फ़िर उठकर उन्हें चूमा।
उन्होने आँखें खोली- तुमने आज मुझसे बहुत बड़ा गुनाह करवा लिया.. आज के बाद मैं तुमसे बात भी नहीं करुँगी।
‘बात मत करना जान.. लेकिन ये काम तो करोगी ना?’
भाभी- बेशरम, अब मेरी जूती करेगी ये काम!

मैंने अपना लंड बाहर खींचा..
पूरा लथपथ.. उनकी चूत से सफ़ेद रस निकल रहा था और बाथ टब में फ़ैल रहा था।

मैंने उनकी गांड के छेद पर हाथ रख कर कहा- अभी तो इसका उदघाटन करना है.. अभी दो दिन और मैं यही रहूंगा.. तुम्हें माँ बना के ही जाऊँगा मैं।
वो बोली- ..क्क्या कहा? दो दिन में? मैं तो मर जाऊँगी!

मैंने धीरे से पूछा- जानेमन कैसा लगा?
वो कुछ बोली नहीं.. सिर्फ मुस्कुरा दी..

फ़िर हम दोनों ने एक दूसरे को नहलाया रगड़ रगड़ कर !
मेरा फ़िर खड़ा होने लगा था लेकिन भाभी जल्दी से तौलिया लपेट कर बाहर निकल गई।

पड़ोसन भाभी को चुदाई की तलब - Padosan Bhabhi Ko Chudai Ki Talab

पड़ोसन भाभी को चुदाई की तलब - Padosan Bhabhi Ko Chudai Ki Talab , पड़ोसन भाभी की गांड फाड़ी , पड़ोस में रहने वाली महिला की गांड मारी , आस-पडोस की औरत को लंड चुसाया.

दोस्तो.. आज मैं आपके सामने अपनी एक सच्ची कहानी लेकर आया हूँ.. लेकिन उससे पहले मैं अपने बारे में बता दूँ.. मेरा नाम राज है और मैं उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में रहता हूँ। इस वक़्त मेरी उम्र 35 साल हो गई है।
आज भी मैं हर वक़्त सेक्स का भूखा रहता हूँ।

बात उन दिनों की है.. जब मैं सिर्फ़ 20 साल का था। मेरे यहाँ एक फैमिली किराए पर रहने आई। उस फैमिली में एक आदमी.. उसकी बीवी और दो छोटे बच्चे थे।
उनका कमरा मेरे बगल में ही था। आदमी की उम्र यही कोई 35 साल होगी और उस औरत की 30 साल थी। लेकिन उसकी उम्र 30 के बावजूद भी वो लगती बिल्कुल 25 साल की थी। वो बहुत ही सुन्दर औरत थी.. मैं उसे भाभी कहता था.. लेकिन मुझे वो औरत कुछ चालू किस्म की लगती थी।

जब उसका पति अपनी ड्यूटी पर चला जाता था और बच्चे स्कूल चले जाते थे.. तो उस वक्त वो मुझसे थोड़ा हँसी-मज़ाक कर लेती थी।
मैं भी इसे सामान्य तौर पर लेता था। इसी तरह से तीन महीने बीत गए.. हम लोग आपस में काफ़ी खुल गए थे।
अक्सर ऐसा होता था कि रात में नज़दीक होने की वजह से मैं उनका टॉयलेट इस्तेमाल कर लेता था।

उसके पति जिनका नाम अशोक सक्सेना था.. वो कई बार टूर पर ऑफिस के काम से लखनऊ भी जाते थे और उन्हें वहाँ कई-कई दिन रुकना पड़ जाता था। तब घर में वो अकेली रह जाती थी.. तो उससे मेरी खूब बातें होती थीं।

मैं कभी-कभी छत पर जाकर छुप कर ड्रिंक कर लिया करता था। एक दिन मैं ड्रिंक कर रहा था.. अचानक वो भी ऊपर आ गई और उसने मुझे ड्रिंक करते हुए देख लिया।
मैं डर गया कि आज तो भांडा फूट गया.. लेकिन वो मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली- जब मेरे ‘वो’ यहाँ नहीं होते हैं.. तो तुम मेरे कमरे में बच्चों के सोने के बाद ड्रिंक कर सकते हो।
मैंने उन्हें ‘धन्यवाद’ दिया और झेंपते हुए बताया- बस भाभी जी.. मैं कभी-कभार ही ड्रिंक करता हूँ।

उन्होंने कहा- तुम्हारे भाईसाब भी कभी-कभी काम से बाहर जाते हैं.. तो तुम मेरे कमरे में ये सब कर सकते हो।
मैंने उन्हें ‘थैंक्स’ बोला और अपना क्वार्टर लेकर उनके कमरे में आ गया।

उन्होंने फ्रिज से ठन्डे पानी की बोतल और गिलास टेबल पर रख दिया और बातें करने लगीं।
अब मुझे सुरूर होने लगा था.. उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है क्या?
‘नहीं तो..’ मैंने लौड़े पर हाथ फेरते हुए बताया- अभी तक तो कोई नहीं है।

फिर उन्होंने मुझे लौड़े पर हाथ फेरते हुए देखा तो मुस्कुराते हुए पूछा- कभी सेक्स किया है?
तो मैं चौंक गया.. मुझे इतनी जल्द इसी उम्मीद नहीं थी.. मुझे बड़ा अजीब सा लगा।
मैंने कहा- नहीं..
तो आँख मारते हुए बोली- अच्छा.. इतने शरीफ लगते तो नहीं हो..

बस मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने झट से उनको बाँहों में भर लिया और बोल दिया- भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
उसने छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा-तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.. पर अभी तुम अपने कमरे में जाओ.. रात को आना.. जब तुम्हारे सभी घर वाले सो जाएँगे।

तो दोस्तो, मैं समझ गया कि चुदाई की आग दोनों तरफ लगी है।
मैं उधर से उठ कर अपने कमरे में आ गया और खाना खाकर सोने का नाटक करने लगा।
दो घंटे के बाद सभी घर वाले भी सो गए.. तो मैं चुपके से उठा और भाभी के कमरे में घुस गया। उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था।

मैं जैसे ही अन्दर घुसा तो मैं देखता ही रह गया। भाभी ने सफेद रंग की नाईटी पहनी थी.. वो बड़ी मस्त लग रही थी। मैंने जाते ही उनको दबोच लिया.. लेकिन उन्होंने कहा- ऐसे नहीं.. पहले टॉयलेट में जाकर मुठ्ठ मार के आओ।
मैंने कहा- भाभी जब आप तैयार हैं.. तो फिर मुठ्ठ मारने की ज़रूरत क्या है?
तो उन्होंने कहा- जो मैं कहती हूँ.. वो करो..

मैं टॉयलेट में घुस गया और मुठ्ठ मारी और फिर से भाभी के कमरे में आ गया। इस बार देख की भाभी बिल्कुल नंगी होकर बिस्तर पर बैठी थीं।

क्या कयामत लग रही थी.. उस वक्त वो.. मैं बता नहीं सकता। उन्होंने अपने बिस्तर के बगल में नीचे बिस्तर लगा दिया था.. जिससे बच्चों की आँख ना खुल सके। अब भाभी ने मेरे कपड़े भी खुद ही उतार दिए।

खैर.. मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. मैं फिर से गरम हो गया और भाभी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी।
वाह.. क्या मज़ा आया..

फिर मैंने उनकी चूचियों की चूसना शुरू कर दिया। अब भाभी बहुत ही गरम हो गई थीं। उन्होंने मुझे नीचे लिटा दिया और अपनी चूत मेरे मुँह की तरफ कर दी और अपना मुँह मेरे लंड की तरफ करके मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैंने भी अपनी जीभ उनकी चूत में डाल दी।
जन्नत का मज़ा आ रहा था..

ऐसे ही लगभग 5 मिनट तक चुसाई का कार्यक्रम चला। भाभी की चूत से पानी की धार बह निकली.. उधर मेरा भी निकलने को हो गया।
मैंने भाभी से कहा- मेरा निकल जाएगा..
तो उन्होंने कहा- छोड़ दे.. मैं मुँह में ही ले लूँगी।
मेरे लौड़े ने उनके मुँह में ही पिचकारी छोड़ दी.. वो सारा वीर्य पी गई।

अब वो उठी और मेरे बगल में लेट गई। वो मुझे सहला रही थी.. और मैं उन्हें मसल रहा था।
इसी तरह से मुश्किल से 10 मिनट बीते थे कि लण्ड फिर से पूरा खड़ा हो गया और भाभी भी पूरी गर्म हो गई।
अब उन्होंने अपनी चूत फैलाते हुए कहा- ले.. अब अन्दर डाल..

मैं उनके ऊपर आ गया.. लण्ड का सुपारा चूत पर रखा और अन्दर डाल दिया और चुदाई शुरू कर दी। लगभग 7-8 मिनट की चुदाई के बाद भाभी ने मुझे बुरी तरह से कस लिया और बोली- थोड़ी सी रफ़्तार और बढ़ाओ..

मैंने रफ़्तार बढ़ा दी.. भाभी की साँसें रुक गईं.. उनका जिस्म बुरी तरह से अकड़ा और वो झड़ गई।
लेकिन दो बार वीर्य निकलने की वजह से मैंने चुदाई जारी रखी और मैं चोदता रहा। फिर दस मिनट के बाद भाभी फिर अकड़ गई और फिर से झड़ गई।

अब वो मुझे अपने ऊपर से उतरने के लिए कहने लगी। मैंने लंड बाहर निकाला और उन्हें घोड़ी बना कर फिर उनकी चूत में लंड पेल दिया। फिर मैंने करीब 10 मिनट उन्हें और चोदा।

इस बार हम दोनों साथ-साथ छूटे और एक-दूसरे के बगल में लेट गए।

भाभी पूर्ण संतुष्ट हो चुकी थीं।
उन्होंने कहा- आज असली मज़ा आया.. तुम्हारे भैया तो ढंग से चुदाई करते ही नहीं..

एक घंटे के बाद मेरा लंड एक बार फिर तैयार था। इस बार भाभी मेरे ऊपर बैठ गईं और उछल-उछल कर मुझे चोदने लगीं।
यह दौर भी 30 मिनट तक चला और वो दो बार और मैं एक बार झड़ा। लेकिन अब थकान होने लगी थी.. खास तौर से भाभी को..
मैं उनके कमरे से जाना नहीं चाहता था.. लेकिन उन्होंने कहा- थोड़ी देर अपने कमरे में जाकर सो जाओ।

तो मैं बुझे मन से अपने कमरे में आकर सो गया.. लेकिन जोर से पेशाब लगने के कारण मेरी आँख 3 बजे फिर से खुल गई और मैं टॉयलेट मैं गया।

मैंने देखा कि भाभी ने कमरा बंद नहीं किया था.. तो उत्सुकतावश मैंने अन्दर झाँका.. भाभी बिस्तर पर नाइटी पहने हुए सो रही थीं।
मेरा मन फिर खराब हो गया.. लंड ने फिर सैल्यूट मारा और मैं धीरे से अन्दर घुस गया और उनको जगा दिया।
मैंने कहा- भाभी एक बार और..
वो फिर से नाईटी उतार कर नीचे वाले बिस्तर पर आ गई और बोली- बड़ी जबरदस्त जवानी है.. राज तुममें..
तो मैंने कहा- भाभी उमर ही ऐसी है।

वो रंडी की तरह मुस्कुराई और लेट कर उसने अपनी चूत फैला दी।
मैंने भाभी से कहा- भाभी मैं पीछे से करना चाहता हूँ।
तो वो बोली- आज तुमने मुझे जो सुख दिया है.. उसके लिए तुम कहीं भी अपना लंड डाल सकते हो.. लेकिन धीरे से करना।

वो उठ कर रसोई से तेल की शीशी ले आई और मुझे दे दी। मैंने अपनी उंगली से उनकी गाण्ड में जहाँ तक हो सकता था.. तेल डाल दिया और अपने लंड पर भी तेल लगा लिया।
उनको घोड़ी बनाकर उनकी गाण्ड में अपना लौड़ा डालने की कोशिश करने लगा।

बड़ी मुश्किल से सुपारा ही अन्दर गया कि भाभी मना करने लगी, बोली- दर्द हो रहा है..
तो मैं सिर्फ़ सुपारा डाल कर रुक गया। अब मैं भाभी की चूचियों से खेलने लगा।

कुछ ही पलों में भाभी भी उत्तेजित हो गई थी.. उन्होंने धीरे-धीरे अपनी गाण्ड को मेरे लंड की तरफ सरकाया और धीरे-धीरे पूरा लंड अपनी गाण्ड में ले लिया।

सच में दोस्तो.. गाण्ड में लंड डालकर ऐसा लगा जैसे किसी ने लंड को बुरी तरह से भींच लिया हो।
मैंने धीरे-धीर धक्के लगाने शुरू किए और फिर अपनी रफ़्तार बढ़ाता चला गया लेकिन उनकी गाण्ड बहुत कसी हुई थी।
मैंने एक हाथ से भाभी की चूची पकड़ रखी थी.. और एक हाथ की उंगली उनकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था।

हाय.. क्या मस्त नज़ारा था..
भाभी सिसकारियाँ ले रही थी.. लेकिन बहुत धीमी आवाज़ में..
भाभी का जिस्म फिर से अकड़ा और वो झड़ गई थी.. दो मिनट के बाद मैंने भी सारा वीर्य भाभी की गाण्ड में ही भर दिया।
पता नहीं उनकी चूत झड़ी थी कि गाण्ड फटी.. लेकिन मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आया।

उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और सो गया। सुबह जब भाभी से सामना हुआ तो उन्होंने मुस्कुराकर मुझे आँख मारी और हमारा ये सिलसिला 3 साल तक चला।

फिर मेरी माँ को कुछ शक सा हो गया और उन्होंने उनसे मकान खाली करवा लिया। कुछ दिन बाद उनकी पति का तबादला भी कहीं और हो गया और वो लोग शहर से चले गए।

लेकिन भाभी की वो मस्त चुदाई.. मैं आज तक नहीं भूल पाया हूँ। दोस्तो, आपको मेरे कहानी कैसी लगी। आपके कमेन्ट आए तो अपने दूसरे किस्से भी आप तक ज़रूर भेजने की कोशिश करूँगा।

सफर में सेक्सी भाभी की मस्त चुदाई - Safar Me Sexy Bhabhi Ki Mast Chudai

सफर में सेक्सी भाभी की मस्त चुदाई - Safar Me Sexy Bhabhi Ki Mast Chudai , सफ़र के दौरान भाभी को चोदा , गांड मारी , चूत गांड का बाजा बजाया , चोद कर खुश कर दी.

मिताली और उनके पति पंकज सहारनपुर में रहते थे, पंकज सरकारी बैंक में नौकरी करते थे, लेकिन उनका तबादला पटियाला हो गया था तो वे अपना कुछ सामान पटियाला लेकर जा रहे थे, वैसे तो काफ़ी सामान उन्होंने छोटे ट्रक से भेज दिया था पर कांच की कुछ चीज़ें, क्रॉकरी आदि अपनी कार से लेकर जा रहे थे।

हर्षित नाम का एक युवक उनके पड़ोस में ही रहता था। सामान कुछ ज़्यादा था इसलिये पंकज ने हर्षित को भी साथ चलने को कहा ताकि वहाँ जाकर सामान गाड़ी से उतारकर रखवाने में ज़्यादा दिक्कत ना हो।

रविवार का दिन होने के कारण हर्षित के कॉलेज की छुट्टी थी और वैसे भी हर्षित मिताली भाभी का कहा हुआ कभी नहीं टालता था। उनका बात करने का तरीका ही इतना लुभावना था कि जब भी वो प्यार से कोई भी काम कहती, हर्षित मना ना कर पाता था।

सितम्बर का महीना था। हर्षित की पूरी सुबह मिताली भाभी और उनके पति पंकज का सामान उनकी गाड़ी में रखवाने में निकल गई थी।

पंकज और मिताली की शादी को अभी ढाई साल ही हुए थे, अभी तक उनके कोई बच्चा नहीं हुआ है।
मिताली भाभी पंजाबी परिवार से हैं और बला की खूबसूरत हैं, उनका गोरा रंग, नीली आँखें, गदराया बदन और गुलाबी होंठ किसी भी उम्र के मर्द को पागल कर दें, और फ़िर हर्षित तो एकदम युवा है, सिर्फ़ उन्नीस साल का, उस पर मिताली भाभी का जादू चलना लाज़मी था।

वो हर्षित के पड़ोस में दो सालों से रह रही थीं, इतने समय में हर्षित और मिताली भाभी काफ़ी घुलमिल गए थे।

हर्षित तो पहले दिन से ही मिताली भाभी के हुस्न का दीवाना था।

उस दिन सुबह से ही हर्षित, मिताली भाभी और उनके पति गाड़ी में सामान रखते-रखते पसीने से लथपथ हो चुके थे।

गाड़ी सामान से लगभग भर ही चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे सारा सामान रखने के बाद किसी और के बैठने की जगह ही नहीं बचेगी।
तभी पंकज घर के अन्दर गए ताकि आखिरी बचा हुआ सामान ला सकें।

हर्षित और मिताली भाभी ने जैसे ही उन्हें घर से बाहर आने की आहट सुनी तो मुड़ कर देखा तो दोनों हैरान रह गये।
पंकज अपना 42 इंच का टीवी उठाए आ रहे थे।

‘अब इस टीवी को कहाँ रखेंगे?’ हर्षित ने मिताली भाभी को बोलते सुना।

‘मुझे नहीं पता, पर इसके बिना मेरा काम नहीं चलने वाला। इसे तो मैं लेकर ही जाऊँगा। थोड़ा बहुत सामान इधर-उधर खिसका कर जगह बन ही जायेगी।’ पंकज बोले।

हर्षित ने पिछली सीट पर देखा और कहा- पीछे तो जगह नहीं है। मेरे ल्ह्याल से आगे वाली सीट पर ही रखना पड़ेगा?
‘अच्छा? तो फ़िर तुम्हारी भाभी कहाँ बैठेंगी?’ पंकज बोले।

उनके चेहरे से लग रहा था जैसे वो गहन चिंतन में डूबे हुए हैं और कोई न कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने टीवी आगे वाली सीट को लेटाकर इस तरह से रखा कि आधा टीवी आगे ड्राईवर के साथ वाली सीट पर और आधा ड्राईवर के ठीक पीछे वाली सीट पर आ गया।

फ़िर हर्षित से पीछे वाली सीट पर बैठने को कहा।

हर्षित के बैठते ही उन्होंने मिताली भाभी को भी हर्षित के साथ बैठने को कहा और गाड़ी का दरवाज़ा बन्द करने की कोशिश करने लगे, पर काफ़ी कोशिश करने के बाद भी दरवाज़ा बन्द नहीं हुआ।

भाभी कहने को मोटी तो नहीं थी पर जगह ही इतनी कम थी कि किसी भी हालत में दो जने वहाँ नहीं बैठ सकते थे।

भाभी ने अपने पति को समझाने की कोशिश की- एक काम करते हैं, आज टीवी यहीं छोड़ दीजिये। आप जब अगली बार जायेंगे तो ले जाना।

‘बिल्कुल भी नहीं… कल से क्रिकेट के मैच शुरू हो रहे हैं, मेरा काम नहीं चलने वाला टीवी के बिना!’ वो बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थे।

भाभी पहले ही गर्मी से परेशान थीं, उनके चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिखाई देने लगा था, उन्होंने झल्ला कर कहा- देखिये, फ़टाफ़ट फ़ैसला कीजिए, इतनी कम जगह में दो लोग नहीं आ सकते।

या तो आप अपना टीवी छोड़ दीजिये, या फ़िर हर्षित को मेरी गोद में बैठना पड़ेगा और मुझे नहीं लगता कि मैं हर्षित का वज़न झेल पाऊँगी!

इतना सुनते ही उनके पति ने झट से कहा- अरे हाँ! यह तो मैंने सोचा ही नहीं था। एक काम करो, तुम हर्षित की गोद में बैठ जाओ। वैसे भी तुम हल्की सी ही तो हो, हर्षित को ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी। रास्ता भी इतना लम्बा नहीं है, बस कुछ घण्टों की तो बात है।

पंकज हर्षित को बच्चा ही समझते थे, इसलिए उन्हें इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी कि उनकी बीवी हर्षित की गोद में बैठे।

‘आपका दिमाग तो ठीक है? इतनी गर्मी में यह परेशान हो जायेगा।’ भाभी ने अपने पति को गुस्से से घूरते हुए कहा।

‘कोई दिक्कत नहीं है भाभी! वैसे भी रास्ता इतना लम्बा नहीं है और ऊपर से दूसरा कोई तरीका नहीं है।’ हर्षित ने कहा।

तभी पंकज भी बोले- सही बात है मिताली, मान जाओ ना?

मिताली भाभी के पास पंकज की बात मान लेने के सिवा कोई चारा नहीं था, उन्होंने कहा- चलो ठीक है। अगर हर्षित को दिक्कत नहीं है तो ऐसे ही कर लेते हैं। लेकिन अगर रास्ते में हर्षित को दिक्कत हुई तो थोड़ी देर गाड़ी रोक लेंगे।

भाभी ने हर्षित की ओर देखा तो उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।

भाभी ने कहा- तो ठीक है। चलो सब नहा लेते हैं, गर्मी बहुत है। फ़िर चलेंगे।

हर्षित अपने घर गया और फ़टाफ़ट नहा-धोकर वापिस आ गया। रास्ता साढ़े तीन से चार घण्टे का था और काफ़ी गर्मी होने वाली थी इसलिए हर्षित ने थोड़े आरामदायक कपड़े पहनने का फ़ैसला किया और अपनी टी-शर्ट और निकर ही पहन ली।

मिताली और पंकज भी थोड़ी देर में तैयार होकर आ गए।

भाभी ने भी गर्मी को ध्यान में रखते हुए एक पतला सा कुर्ता और सलवार ही पहनी थी। पंकज ड्राईवर सीट पर बैठ गए और हर्षित पीछे की सीट पर बैठ गया। भाभी भी पीछे वाली सीट पर हर्षित की गोद में बैठ गई और गाड़ी का दरवाज़ा बन्द कर दिया।

‘तुम ठीक से बैठे हो ना?’ भाभी ने हर्षित से पूछा।

‘जी भाभी, आप चिन्ता मत करो। मुझे कोई दिक्कत नहीं है। आप तो एकदम हल्की सी हैं!’ हर्षित ने जवाब दिया तो भाभी मुस्कुराए बिना न रह सकी।

तभी उन्होंने अपने पति को चलने को कहा। उनके पति को सिर्फ़ उनका सिर ही दिखाई दे रहा था क्योंकि सारी जगह उनके टीवी ने घेर रखी थी।

‘तुम ठीक से बैठी हो ना?’ उनके पति ने पूछा।

भाभी अपनी जगह पर थोड़ा हिली और बोली- हाँ! एकदम ठीक हूँ।

गाड़ी चल पड़ी और चलते ही पंकज ने गाने चला दिये।
सफ़र लम्बा था। करीब एक घण्टा बीत गया था और गाड़ी अपनी पूरी रफ़्तार से चली जा रही थी।
मिताली आराम से बैठी गाने सुन रही थी कि तभी उन्हें अपने नीचे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ।

उन्होंने खुद को थोड़ा हिलाकर ठीक करने की कोशिश की पर अभी भी उन्हें कुछ चुभ रहा था।

वो थोड़ा ऊपर उठी और फ़िर ठीक से बैठ गई, पर अभी भी मिताली को अपने नीचे कुछ महसूस हो रहा था।

हर्षित साँस रोके चुपचाप बैठा था कि अब तो भाभी को पता लग ही जायेगा कि क्या हो रहा है।

‘मैं जब बैठी थी तब तो यहाँ ऐसा कुछ नहीं था तो अब कहाँ से…’ मिताली खुद से बातें कर रही थी और तभी अचानक से उन्हें अंदाज़ा हुआ कि वह चुभने वाली चीज़ क्या है।

मिताली के गोद में बैठने के कारण हर्षित के लंड में तनाव आ रहा था और वही मिताली की गांड की दरार में चुभ रहा था।

‘हे भगवान! हर्षित का लंड मेरे बैठने के कारण खड़ा हो गया है।’ मिताली ने मन ही मन सोचा, ‘मुझे उम्मीद नहीं थी के आज भी मेरी वजह से किसी जवान लड़के का लंड खड़ा हो सकता है। कितना बड़ा होगा हर्षित का लंड? क्या सोच रहा होगा वह मेरे बारे में मन ही मन? क्या उसे भी मेरे चूतड़ों के बीच की खाई महसूस हो रही है?’ मिताली का मन ऐसे रोमांचक सवालों से प्रफ़ुल्लित हो उठा था।

मिताली ने नीचे कि ओर देखा तो उनका कुर्ता भी खिसक कर ऊपर उठ गया था और उनकी नाभि साफ़ दिखाई दे रही थी। एक बार तो मिताली ने सोचा कि कुर्ता नीचे कर लिया जाये, पर फ़िर मिताली ने हर्षित को थोड़ा तंग करने के इरादे से उसे वैसा ही रहने दिया।

मिताली को यह विचार बड़ा रोमांचित कर रहा था कि उनकी वजह से हर्षित उत्तेजित हो रहा है।

हर्षित के हाथ उनके दोनों तरफ़ सीट पर टिके हुए थे।
चलते-चलते एक घण्टे से ज़्यादा हो चुका था, पर अभी भी कम से कम दो ढाई घण्टे का सफ़र बाकी था।

मिताली जानती थी कि पंकज को उनके सिर के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था कि नीचे क्या हो रहा है। उनके टीवी के आड़ में सब कुछ छुपा हुआ था।

तभी मिताली ने महसूस किया कि हर्षित थोड़ा उठकर अपने आप को व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था।

जैसे ही हर्षित दोबारा बैठा तो उसका लण्ड ठीक भाभी के चूतड़ों के बीच में आ गया।

मिताली का मन इस एहसास से और भी रोमांचित हो उठा और वो मन ही मन कामना करने लगी कि हर्षित कुछ ना कुछ और करे।

‘तुम ठीक से बैठे हो ना हर्षित?’ मिताली ने पूछा।

‘हाँ भाभी! मैं तो एकदम ठीक हूँ। आपको तो कोई दिक्कत नहीं हो रही ना?’ हर्षित ने इस उम्मीद में पूछा कि अगर भाभी को उसके लंड की वजह से कोई दिक्कत होगी तो वो इशारों में कुछ कहेंगी।

लेकिन मिताली ने कहा- ‘बिल्कुल नहीं! बल्कि मुझे तो अच्छा ही महसूस हो रहा है ऐसे बैठकर। तुम्हारे दोनों हाथ एक ही जगह रखे-रखे थक तो नहीं गए ना?’
हर्षित को भरोसा नहीं हो रहा था कि भाभी ने सच में वो सब कहा है, उसने जवाब दिया- हाँ भाभी, थोड़ा सा..

‘एक काम करो, तुम अपने दोनों हाथ यहाँ रख लो।’ कहकर मिताली ने हर्षित के दोनों हाथ अपनी दोनों जांघों पर रखवा लिये।

‘अब ठीक है?’

‘हाँ, अब तो पहले से बहुत बेहतर है।’ हर्षित ने खुश होकर कहा।

मिताली ने नीचे की ओर देखा तो पाया कि हर्षित ने अपनी दोनों हथेलियाँ उनकी दोनों जांघों पर रख ली थी और उसके दोनों अँगूठे मिताली की चूत के बहुत पास थे।

मिताली मन में सोचने लगी के अगर हर्षित थोड़ा सा भी अपने अँगूठों को अन्दर की ओर बढ़ाए तो उनकी चूत को सलवार के ऊपर से छू सकता है, पर मिताली जानती थी कि हर्षित इतनी आसानी से इतनी हिम्मत नहीं करने वाला।

हर्षित की छुअन से मिताली की चूत से रस निकलने लगा था और उनकी पैंटी भीगने लगी थी, उन्हें लग रहा था कि थोड़ी ही देर में यह गीलापन उनकी सलवार तक पहुँच जायेगा और तब अगर हर्षित ने उसे छू लिया तो वह समझ जायेगा भाभी के मन में क्या चल रहा है और वो कितनी गर्म हो चुकी हैं।

मिताली ने खुद ही हिम्मत करके बात आगे बढ़ाने की सोची और अपने दोनों हाथ हर्षित के हाथों पर रख लिये।

देखने में भाभी की यह हरकत बड़ी ही स्वाभाविक सी लग रही थी। फ़िर उन्होंने हर्षित के हाथों को ऊपर से धीरे-धीरे मसलना शुरू किया।

मिताली ने एक बार सिर उठाकर अपने पति की ओर देखा। अपने पति के इतनी पास होते हुए हर्षित के साथ ऐसी हरकतें करना उन्हें बड़ा ही रोमांचित कर रहा था।
मिताली ने हर्षित के हाथों को मसलते-मसलते उन्हें धीरे-धीरे ऊपर की ओर खिसकाने की कोशिश की ताकि हर्षित के हाथों को अपने चूत के ठीक ऊपर ला सके।

हर्षित भी अब तक समझ चुका था कि भाभी क्या चाह रही हैं, वह खुद भी वासना से भर कर पागल हुआ जा रहा था।

मिताली ने नीचे की ओर देखा तो हर्षित अपने दोनों हाथ भाभी की टाँगों के ठीक बीच में ले आया था और अपने दोनों अँगूठों से भाभी की चूत को उनकी सलवार के ऊपर से हल्के-हल्के सहलाने लगा था।

मिताली ने हर्षित का एक हाथ पकड़कर अपनी चूत के बिल्कुल ऊपर रख लिया और अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया जिससे हर्षित अच्छे से भाभी की चूत को उनकी गीली हो चुकी सलवार और पैंटी के ऊपर से सहला पा रहा था।

मिताली ने हर्षित का हाथ पकड़कर ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया तो हर्षित ने भी भाभी की चूत को थोड़ा और ज़ोर से रगड़ना शुरू कर दिया।

अब मिताली भी वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी, उन्होंने अपने हाथ हर्षित के हाथों के ऊपर से हटा लिए थे पर हर्षित ने अपने हाथ वहीं रखे और भाभी की चूत को रगड़ना बन्द कर दिया।

मिताली बेसब्री से इंतज़ार करने लगी कि हर्षित कुछ करे, पर शायद हर्षित आगे बढ़ने में अभी भी डर रहा था।

लेकिन मिताली जानती थी कि उसका डर कैसे दूर करना है, मिताली ने हर्षित का एक हाथ पकड़ा और उसे उठाकर अपने पेट पर अपनी सलवार के नाड़े के ठीक ऊपर रख दिया और उसके हाथ को दबा दिया और दूसरे हाथ से अपना नाड़ा खोलने लगी।

नाड़ा खोलते ही मिताली ने हर्षित का हाथ अपनी सलवार के अंदर की ओर कर दिया जिससे हर्षित का हाथ भाभी की बुरी तरह भीग चुकी पैंटी पर आ गया।

हर्षित ने भाभी की चूत को गीली पैंटी के ऊपर से रगड़ना शुरू किया। वह अब भाभी की चूत की फ़ाँकों को अच्छे से महसूस कर सकता था।

मिताली ने थोड़ी देर तक तो उसी तरह हर्षित के हाथ का मज़ा लिया, फ़िर उसे पकड़कर अपनी पैंटी की इलास्टिक की तरफ़ ले जाकर उसके अन्दर की ओर धकेल दिया।

भाभी की पैंटी हर्षित और भाभी दोनों के हाथों के लिए बहुत छोटी थी, इसलिए मिताली ने अपना हाथ बाहर ही रखा और सिर्फ़ हर्षित के हाथ को ही आगे बढ़ने दिया।

हर्षित ने भाभी की चूत के होंठों को पहली बार छुआ तो उसके पूरे शरीर में गर्मी सी आती हुई महसूस हुई।
हर्षित ने भाभी की चूत की दोनों फ़ाँकों के ठीक बीच में अपनी उंगलियों से सहलाना शुरू किया तो मिताली के मुख से ज़ोर की सिसकारी निकल गई पर गाड़ी के शोर में और गानों की आवाज़ में मिताली की आवाज़ दब कर रह गई।

मिताली की चूत एकदम गर्म होकर तप रही थी और पूरी तरह से भीगकर चिकनी हो चुकी थी।

तभी मिताली ने अपने चूतड़ ऊपर की ओर उठाए और अपनी पैंटी की इलास्टिक के दोनों ओर अपने दोनों हाथों के अँगूठे फ़ंसाकर उसे नीचे की ओर खिसका दिया जिससे उनकी पैंटी और साथ ही उनकी सलवार उनके घुटनों तक नीचे खिसक गई।

मिताली के ऐसा करते ही हर्षित ने एक बार भाभी के चूतड़ सहलाए और फ़िर अपने दूसरे हाथ की उंगली भाभी की चूत में घुसा दी और उसे धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, पर पैंटी के कारण मिताली की टाँगें ज़्यादा खुल नहीं पा रही थी इसलिए मिताली अपनी पैंटी पूरी तरह उतारने के लिए थोड़ा नीचे झुकने ही लगी थी कि हर्षित ने अपने दूसरे हाथ से उनकी पैंटी को पकड़कर नीचे की ओर खींच दिया जिससे वो भाभी के टखनों तक आ गई।

तभी मिताली ने अपने पाँव ऊपर उठाए ताकि हर्षित उन्हें पूरी तरह निकाल दे।

हर्षित ने भाभी की पैंटी के साथ-साथ उनकी सलवार भी खींचकर नीचे उतार दी।

अब मिताली ने आराम से अपनी टाँगें पूरी खोल ली थीं, जितना वो खोल सकतीं थीं।

हर्षित को तो जैसे इसी मौके का इंतज़ार था, उसने तुरन्त अपनी दो उंगलियाँ भाभी की चूत में घुसा दीं।

मिताली के मुँह से हल्की सी ‘आह’ निकल गई।

‘तुम ठीक तो हो ना?’ अचानक पंकज ने पूछा।

वो मिताली के चेहरे को ही देख रहे थे।

मिताली मुस्कुराई और बोली- मैं तो एकदम ठीक हूँ। मुझे लगा था हर्षित की गोद में बैठने से दिक्कत होगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं है। मुझे लगता है यह सफ़र काफ़ी अच्छा जाने वाला है।

मिताली अपने पति से बड़े आराम से बात कर रही थी और हर्षित की उंगलियाँ भाभी की चूत को चोद रही थी।

‘और कितनी देर चलने के बाद विराम लेना है?’ पंकज ने पूछा।

‘मैं अभी रुकना नहीं चाहती, थोड़ा और आगे बढ़ना चाहती हूँ।’ मिताली ने जवाब दिया- तुम्हारा क्या विचार है हर्षित?

उन्होंने हर्षित से पूछा।

‘हाँ भाभी, मेरा भी अभी और आगे चलते रहने का मन है।’ हर्षित ने कहा।

‘अच्छा है, जितना आगे तक चलें, उतना ही बेहतर है।’ मिताली मुस्कुराते हुए बोली।
‘ठीक है ना?’ मिताली ने अपने पति से पूछा।

‘हाँ मुझे भी लगता है बिना रुके जितना आगे पहुँच जायें, उतना ही बेहतर है।’ उन्होंने जवाब दिया।

मिताली पीछे की ओर मुड़ी और हर्षित की ओर देखते हुए बोली- मुझे भी! मैं नहीं चाहती कि तुम्हें रुकना पड़े।
मिताली ने धीमी आवाज़ में कहा।

‘हर्षित?’ पंकज बोले- तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं ना तुम्हारी भाभी के गोद में बैठने से?
‘बिल्कुल नहीं! भाभी थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर अपना स्थान बदल लेती हैं जिस से एक ही जगह ज़्यादा देर भार नहीं रहता और मुझे भी आसानी रहती है।’ हर्षित पंकज से बात कर रहा था और भाभी की फ़ुद्दी में अपनी उंगलियाँ और भी गहराई में उतारे जा रहा था।

हर्षित ने फ़िर से अपनी उंगलियाँ भाभी की योनि में तेज़ी से अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी थी।

मिताली को अपनी सिसकारियाँ रोके रखने के लिए अपने होंठों को कसकर दबाए रखना पड़ रहा था।
मिताली ने कसकर हर्षित की कलाई पकड़ ली थी। ऐसा करके मिताली हर्षित को यह एहसास दिलाना चाह रही थी कि उन्हें कितना आनन्द आ रहा है और वे चाहती हैं कि हर्षित अपनी उंगलियाँ और अन्दर तक घुसाता रहे।
हर्षित भाभी का इशारा समझ कर अपनी उंगलियों को भाभी की चूत में जितनी अन्दर तक घुसा सकता था, घुसाने लगा।

मिताली ने हर्षित की उंगलियों के साथ-साथ धीरे-धीरे अपने कूल्हे भी हिलाने शुरू कर दिये।
उँग ने अपने पति की ओर देखा, खुशकिस्मती से उनके टीवी की वजह से वो कुछ नहीं देख पा रहे थे।
अगर उन्हें पता होता कि हर्षित की उंगलियाँ उनकी बीवी की चूत में घुसी हुई हैं तो जाने क्या होता।

मिताली का पूरा बदन हर्षित की उंगलियों की गति के हिसाब से सिहर रहा था।

तभी हर्षित ने अचानक से अपनी उंगलियाँ भाभी की चूत से बाहर निकाल ली।

मिताली को थोड़ी निराशा हुई, पर उन्हें ज़्यादा देर इंतज़ार नहीं करना पड़ा।

हर्षित ने तुरन्त भाभी के कुर्ते के बटन खोलने शुरू कर दिये।

मिताली ने गर्मी के कारण ब्रा नहीं पहनी थी।
जैसे-जैसे हर्षित भाभी के कुर्ते के ऊपर से नीचे तक के बटन खोल रहा था, मिताली को गाड़ी के ए.सी. की ठंडी हवा के झोंके अपनी चूचियों पर लगते महसूस हुए जिससे उनके निप्पल सख्त होने लगे।

हर्षित ने भाभी के कुर्ते का आखिरी बटन खोलकर कुर्ता सामने से पूरा खोल दिया।

अब मिताली आगे से भी बिल्कुल निर्वस्त्र हो गई थीं। हर्षित ने भाभी के नंगे बदन पर अपने हाथ ऊपर से नीचे तक फ़िराने शुरू कर दिये।
वो भाभी की चूचियों को मसल-मसल कर उनसे खेलने लगा।

मिताली ने अपनी चूचियाँ आगे की तरफ़ धकेल दी ताकि हर्षित अच्छे से उन्हें दबा सके।

मिताली ने अपने चूतड़ उठाए और अपना कुर्ता नीचे से निकाल कर हटा दिया।

हर्षित भाभी का इशारा समझ गया, वह अपने हाथ नीचे ले जाकर अपनी निकर के हुक खोलने लगा।
मिताली को एक बार फ़िर थोड़ा ऊपर उठना पड़ा ताकि हर्षित ठीक से अपनी निकर का हुक और चेन खोल सके।

हर्षित का लंड अभी भी भाभी के चूतड़ों के ठीक बीच में सटा हुआ था, मिताली ने अपने कूल्हे थोड़े और ऊपर उठा लिये।

‘सब ठीक है ना मिताली?’ उनके पति ने पूछा- क्या तुम्हें हर्षित की गोद में बैठने में दिक्कत हो रही है? क्या मैं गाड़ी रोक दूँ ताकि तुम दोनों को थोड़ी देर आराम मिल सके?

‘अरे नहीं! सब ठीक है। वो तो मैं थोड़ी जगह बदल रही थी ताकि हर्षित को दिक्कत ना हो। अगर मैं ठीक जगह पर बैठ जाऊँ तो हम दोनों के लिए बड़ा आराम हो जायेगा।’

भाभी के यह कहते ही हर्षित ने अपने निकर और अंडरवियर खींच कर नीचे उतार दिये।

मिताली को हर्षित का लंड अपने नंगे चूतड़ों के बीचोंबीच फंसता हुआ महसूस हुआ।

‘हर्षित, क्या मैं अपनी जगह थोड़ी बदलूँ ताकि तुम्हें आराम मिल सके?’ मिताली भाभी ने हर्षित से पूछा।

हर्षित ने अपने दोनों हाथ भाभी के चूतड़ों के दोनों ओर रखे और कहा- भाभी अगर आप थोड़ा ऊपर उठें तो मैं खुद को सही जगह पर ले आऊँ। फ़िर हम दोनों के लिए सब ठीक हो जायेगा।’

मिताली समझ गई कि हर्षित ऐसा क्यों कह रहा है, वो जितना ऊपर उठ सकती थीं उतना उठ गई।
हर्षित का एक हाथ उनके चूतड़ से हट गया, वो समझ गई हर्षित उस हाथ से क्या करने वाला है।
हर्षित ने अपना लंड पकड़कर भाभी की चूत के मुँह पर सेट किया और दूसरे हाथ से भाभी के चूतड़ को नीचे की ओर धकेल कर उन्हें नीचे आने का इशारा किया।

मिताली ने धीरे-धीरे अपने चूतड़ नीचे की ओर करने शुरू कर दिये।
मिताली को हर्षित के लौड़े का ऊपरी हिस्सा अपनी चूत के प्रवेशद्वार पर लगता हुआ महसूस हुआ।

मिताली और नीचे होने लगी तो हर्षित का लंड बड़ी आराम से उनकी चूत मे फ़िसलते हुए घुसने लगा।

जैसे-जैसे मिताली अपने चूतड़ नीचे ला रही थी, वैसे-वैसे हर्षित का लंड भाभी की चूत को चौड़ा करता हुआ और अंदर घुसे जा रहा था।
भाभी की गर्म और चिकनी हो चुकी चूत में लंड घुसाने से होने वाले एहसास से हर्षित के आनन्द की सीमा ना रही।

तभी मिताली खुद को रोक नहीं पाई और उनके मुँह से ज़ोर की सिसकारी निकल गई- आआह्ह्ह!!

उनके पति ने तुरन्त उनकी ओर देखा और कहा- मुझे लगता है हमें थोड़ी देर आराम करने के लिए रुक जाना चाहिये।

मिताली खुद को तब तक और नीचे करती रही जब तक कि हर्षित का लिंग पूरी जड़ तक उनकी चूत की गहराइयों में नहीं उतर गया और फ़िर अपने पति पंकज से बोली- नहीं, नहीं, रुको मत। मैं चाहती हूँ अभी तुम चलते रहो। फ़िलहाल अगले एक घण्टे तक भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं सही कह रही हूँ ना हर्षित?

‘हाँ भाभी! अब जब आप दोबारा बैठने लगीं तो मैंने खुद को सही जगह पर सेट कर लिया ताकि हमें कोई दिक्कत ना हो। बस मुझे एक बार थोड़ा ऊपर और उठना है अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो। ठीक है ना भाभी?’

‘क्या मैं भी तुम्हारे साथ-साथ ऊपर उठूँ, हर्षित?’

‘नहीं, आप बस मेरी गोद में बैठी रहिए और मैं आपको अपने साथ-साथ खुद ऊपर उठा लूँगा।’ इतना कहकर हर्षित ने खुद को थोड़ा ऊपर उठाया और अपना लंड भाभी की चूत में और भी गहराई में घुसा दिया।

मिताली को एक बार तो लगा जैसे वो उसी पल स्खलित हो जाएँगीं।

‘चलो मैं भी खुद को थोड़ा ठीक कर लेती हूँ।’ कहकर मिताली ने अपनी गाण्ड आगे पीछे हिलाई जिससे हर्षित का लण्ड भाभी की चूत में और अच्छी तरह अन्दर-बाहर हो गया।

हर्षित के लौड़े की सवारी करते-करते मिताली ने अपने पति की ओर देखा।
हर्षित अभी भी अपना लंड पूरा ज़ोर लगाकर भाभी की चूत में घुसा रहा था और पूरी गति के साथ अपनी मिताली भाभी को चोद रहा था।

मिताली मन ही मन सोचने लगी- मेरे बेवकूफ़ पति को क्या पता कि उसकी बीवी कैसे लगभग नंगी होकर, उसके इतनी पास होकर भी एक जवान लड़के से चुदाई का आनन्द ले रही है।
अपने पति के इतनी पास होते हुए हर्षित से चुदना मिताली को बहुत ज़्यादा रोमांचित कर रहा था।

तभी हर्षित ने एक ज़ोरदार धक्का लगाकर भाभी को उनके विचारों की कैद से बाहर निकाला।

हर्षित ने धीरे से मिताली से पूछा- आपका कितनी देर में हो जायेगा भाभी?

‘बहुत जल्द हर्षित, बहुत जल्द!!’ मिताली ने उत्तर दिया।

तभी भाभी को महसूस हुआ कि उनका स्खलन होने ही वाला है, उन्होंने हर्षित के दोनों हाथ अपने चूतड़ों से हटाकर अपनी चूचियों पर रख लिए और ज़ोर से दबा दिया।

हर्षित ज़ोर से भाभी की चूचियाँ मसलने लगा और तेज़ी से अपना लंड भाभी की चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

तभी उसे महसूस हुआ भाभी का पूरा बदन अकड़ने लगा और उनकी चूत की अंदरूनी दीवारें उसके लंड को ऐसे दबाने लगीं जैसे वो उसे निचोड़ लेना चाहती हों।

काफ़ी क्षणों तक ऐसे ही चलता रहा।
हर्षित समझ गया कि भाभी स्खलित हो गई हैं।

यह शायद मिताली का आज तक का सबसे लम्बे समय तक चलने वाला और सबसे आनन्ददायक स्खलन था।

थककर मिताली हर्षित के सहारे टेक लगाकर पीछे की ओर लेट गई।

हर्षित अभी भी स्खलित नहीं हुआ था, वह लगातार अपने लंड को अन्दर-बाहर करते हुए भाभी की चूत चोदे जा रहा था।

तभी हर्षित ने अपनी गति बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करते-करते एक ज़ोर का धक्का लगाकर अपना लंड भाभी की चूत की गहराई में पूरा अंदर तक घुसा दिया और अपने वीर्य का फ़व्वारा भाभी की चूत में छोड़ दिया।

हर्षित का गर्मागर्म वीर्य मिताली को अपनी चूत को पूरा भरता हुआ महसूस हुआ।
मिताली तब तक ऐसे ही पड़ी रही जब तक कि हर्षित ने अपने लंड से वीर्य की आखिरी बूँद उनकी चूत में नहीं खाली कर दी।

हर्षित और मिताली भाभी दोनों ही अब तक थक चुके थे।

‘एक बोर्ड लगा हुआ है, जिस पर लिखा हुआ है लगभग दस किलोमीटर दूर एक रेस्टोरेंट है। क्या तुम दोनों को भूख लग गई है?’ मिताली के पति पंकज ने पूछा।

‘हाँ, मेरे ख्याल से हमें कुछ खा लेना चाहिये।’ हर्षित ने कहा।

मिताली ने पीछे मुड़कर हर्षित की ओर देखा तो वह मुस्कुरा दिया- आप क्या कहती हो भाभी?’ हर्षित ने पूछा।

‘वैसे तो मैं एकदम फ़ुल हूँ, पर मेरे खयाल से कुछ हल्का-फ़ुल्का खाया जा सकता है।’ मिताली ने शरारती अंदाज़ में हर्षित की ओर आँख मारते हुए कहा।

मिताली झुकी और अपनी पैंटी उठाने लगी जो काफ़ी देर से नीचे पड़ी थी।

उसी समय हर्षित का लंड उनकी चूत से फ़िसल कर बाहर निकल गया।

मिताली ने अपने पाँव अपनी पैंटी में डाले और उसे ऊपर की ओर खींच लिया।

जैसे ही उनकी पैंटी उनकी चूत को ढकने वाली थी, तभी हर्षित ने एक बार फ़िर अपनी उंगली उनकी चूत में घुसा दी।

मिताली ने प्यार भरे अंदाज़ में हर्षित के हाथ पर थपकी दी और हर्षित ने अपनी उंगली बाहर निकाल ली।

फ़िर मिताली ने अपनी सलवार पहन कर नाड़ा बांध लिया और फ़िर अपने कुर्ते के बटन बन्द करने लगीं।

हर्षित ने भी अपनी निकर और अण्डरवीयर फ़िर से पहन लिए और अपना लौड़ा अन्दर करके ज़िप बन्द कर ली।

‘खाना खाने के बाद कितना रास्ता और बचा है?’ मिताली ने अपने पति से पूछा।

‘बस आधा घण्टा और, मेरे ख्याल से तब तक तो तुम दोनों काम चला ही लोगे?’ उनके पति ने कहा।

‘मुझे कोई दिक्कत नहीं है।’ मिताली ने अपने पति से कहा- अगर हर्षित को मेरे गोद में बैठने से दिक्कत ना हो तो मैं तो चार घण्टे और इस तरह से बैठ सकती हूँ।

‘तुम्हारा क्या कहना है हर्षित? तुम्हें तो अपनी भाभी को गोद में आधा घण्टा और बैठाए रखने में कोई दिक्कत नहीं होगी ना? मुझे लगा था तुम दोनों में से कोई एक तो अब तक परेशान हो ही गया होगा।’

‘अरे नहीं भैया! मुझे भी कोई परेशानी नहीं है। अगर भाभी चार घण्टे और मेरी गोद में बैठी रहें तो भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है।’ यह कह कर उसने भाभी की ओर देखा, वह पहले से ही हर्षित की ओर देखकर मुस्कुरा रही थीं।

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दोस्तो, मेरा नाम अजय है। मैं अपनी पहली कहानी आप सबके सामने प्रस्तुत करने आया हूँ। यह कहानी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी की है।

भाभी का नाम सुमन है वो बहुत ही गर्म माल लगती है, उसकी मस्त चूचियां.. उठे हुए चूतड़.. उफ्फ… उन्हें देख कर लौड़ा खड़ा हो जाता है।
पड़ोस के सब लड़के उन पर फ़िदा थे, मैं भी उनमें से था।

मैं उनको देखता रहता था, जब भी वो घर से बाहर आतीं.. बहुत मस्त कपड़ों में होती थीं। उनकी मस्त गोल-गोल चूचियाँ.. भारी चूतड़.. उफ्फ्फ.. मेरा भेजा सटक जाता था और हाथ लौड़े पर चला जाता था।

उनका हमारे घर आना-जाना था, तो मुझे बहुत मज़ा आता था। जब मैं घर पर होता और भाभी आतीं, मैं उनको देख कर मुस्कुरा देता था, वो भी मुस्कुरा देती।

मैं उनकी ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने को आतुर चूचियों को देखता था, वो भी इस बात जानती थीं।

उनके पति कई-कई दिनों तक बाहर रहते थे, ऊपर से उनकी मदमस्त जवानी.. कैसे संभालती होगी..

मैं जब भी उनके घर जाता तो बहाने से उनके बाथरूम में जरूर जाता था। वहाँ उनकी खुश्बूदार पैन्टी जो होती थी। मैं उसमें खूब मुठ मारता और लण्ड का पानी उसमें डाल देता था।

भाभी को मुझ पर शक हो गया कि यह सब मैं ही करता हूँ।

फिर एक दिन वो हुआ, जिसके बारे में मैं सिर्फ सपनों में सोचा करता था।

भाभी घर पर अकेली थी, दोपहर में माँ ने मुझे उनके घर दूध लाने के लिए भेज दिया।

मैं ख़ुशी-ख़ुशी भाग कर गया, भाभी को आवाज़ दी, पर भाभी ने नहीं सुनी। शायद वो सो रही थीं, मैं धीरे-धीरे दबे पाँव अन्दर गया।

मैंने देखा कि भाभी की पैन्टी और ब्रा बिस्तर पर पड़ी है, मेरा लण्ड खड़ा हो गया। ये देख कर कि बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी।

मतलब भाभी नहा रही थीं.. हाय.. क्या मस्त पल था वो..

मैं पूरा काँप रहा था.. मैंने पैन्टी को सूंघा, बहुत मस्त अहसास था, मैंने अपना लोवर आधा नीचे किया और लण्ड को मुठियाने लगा।

मेरा मन इतना मस्त हो गया कि मुझे याद ही नहीं रहा कि मैं कहाँ हूँ।

तभी मेरा पानी निकल गया, मैंने पैन्टी को देखा, वो मेरे रस से भीग गई थी। मैं पैन्टी को रख कर पीछे मुड़ा तो देखा कि भाभी बाथरूम निकल कर दरवाजे पर खड़ी थीं।

मेरे होश उड़ गए.. मेरा चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया।

भाभी बोली- मेरी पैन्टी के साथ.. यह क्या कर रहे थे आप.. लगता है बहुत बड़े हो गए हो?

मैं बोला- भाभी ‘सॉरी’.. गलती हो गई.. प्लीज माफ़ कर दो.. मैं बहक गया था, अपने आप पर काबू नहीं रख पाया।

भाभी- हम्म.. मुझे पता है.. तुम्हारी उम्र में ये सब होता है।

भाभी मेरे और पास आई.. मेरी दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।

भाभी ने पैन्टी उठा ली और बोली- देखो देवर जी.. आपने क्या कर दिया.. मेरी पैन्टी का.. अब मैं क्या पहनूँगी?

तो मैं बोला- भाभी आप दूसरी पहन लो..

भाभी- आपको बड़ा पता है.. मेरे पास कितनी पैन्टी हैं?

मेरा लण्ड खड़ा बेकाबू होता जा रहा था, भाभी तौलिया में थीं, भाभी की गोरी-गोरी जांघें.. उफ्फ्फ.. ऊपर से आधी नंगी चूचियाँ..

मैं भाभी को देखे जा रहा था।

भाभी ने मेरी चोरी पकड़ ली और बोलीं- देवर जी क्या देख रहे हो आप?

मैं डरता हुआ बोला- भाभी.. अ..आप बहुत सुन्दर हो।

भाभी हंस पड़ीं, मुझे लगा कि चलो अच्छा है.. अब कोई परेशानी नहीं होगी।

उनकी इस हँसी में मुझे उनकी मूक सहमति दिखी, मैंने झट से भाभी को बाँहों में भर लिया और उनको कस कर दबा लिया।

‘भाभी आह्हह.. एक बार चुदवा लो भाभी..?’

फिर क्या था, भाभी डर गई।

भाभी- आह्ह.. क्या कर रहे हो तुम.. मुझे छोड़ दो.. मैं तुम्हारी भाभी हूँ.. किसी को पता लग गया तो ठीक नहीं होगा।

‘भाभी कुछ नहीं होगा.. बस एक बार आआअह्ह्ह.. आप कितनी मस्त हो..’

तभी तौलिया नीचे गिर गया था.. भाभी नंगी ही मुझसे दूर भागीं।

अब तो मैं भी पागल हो गया था, मैंने भी कपडे उतार दिए और भाभी को देखने गया, भाभी ने दूसरे कमरे में चादर लेकर ओढ़ ली थी।

भाभी- अजय रहने दो.. मैं बदनाम हो जाऊँगी.. अपने आपको संभालो..

मैं- भाभी आप डरो मत.. ऐसा नहीं होगा.. मैं आपके लिए बहुत तड़पा हूँ..

मैंने झट से भाभी की चादर खींच दी और भाभी को नंगी कर दिया।

हाय.. क्या मस्त बदन था भाभी का..

मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और मेरा लण्ड भाभी के चूतड़ों की दरार में समा गया।

दोनों हाथों से मैं भाभी की चूचियों को दबा रहा था। भाभी सिसकारियाँ ले रही थीं।

मैंने भाभी का सारा बदन, गर्दन से लेकर चूचियां, पेट, जांघें.. चूमा। भाभी ज़ोर-ज़ोर से कामुक सिसकारियाँ भर रही थीं।

मैंने लण्ड को उनकी चूत के छेद से लगा कर एक झटके में ही पेल दिया और ज़ोर-जोर से झटके मारने लगा।

करीब 15 मिनट में मेरा वीर्य निकल गया और भाभी की चूत में समा गया।
मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया।

भाभी खुश थीं।

मैंने पूछा- भाभी कैसा लगा?

तो भाभी बोलीं- बहुत ही मज़ा आया देवर जी.. आप बहुत मस्त चोदते हो।

मैं- भाभी आपको अब रोज़ चोदूँगा.. आप बहुत मस्त हो भाभी।

उन्होंने मुझसे चुदाने में हामी भरी।

फिर मैंने भाभी को कई बार चोदा।

मुझे उनकी गाण्ड भी बहुत पसन्द है, मैंने कई बार भाभी की गाण्ड मारने की कोशिश की, पर भाभी नहीं चाहती हैं.. वे कहती हैं कि दर्द होता है, पर मैं उनकी गाण्ड को खूब दबाता हूँ और चाट भी लेता हूँ।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी आपको, अगर कोई गलती हो गई हो तो माफ़ कर देना।
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