मेरी काम वासना के रंगीन सपने - भान्जे के साथ सेक्स

मेरी काम वासना के रंगीन सपने - भान्जे के साथ सेक्स, भांजे के साथ सेक्स किया, मामी को सर्दी की रात में चोदा, मामी को बनाया माँ, मामी-भान्जे को निर्वस्त्र सोते पकड़ा, मामी की सिल तोड़ी, तड़पती चूत को भांजे के मोटे लंड से चुदवाया, मामी की प्यास भुजाई.

मेरी प्यारी कुँवारी बहनों, मेरा नाम नगमा है। आज मैं आपको मेरी कहानी बताती हूँ। यह मेरी ज़िंदगी की सच्ची कहानी है। आप लोगों ने यौवन के दहलीज पर कदम रखते ही ज़िंदगी के हसीन अनुभवों के बारे में रंगीन सपने देखना शुरू कर दिए होंगे। ऐसे सपने मैंने भी देखे थे.. जब मैं 18 साल की हो गई थी।

मेरा जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ है.. मेरे पिताजी किसी सरकारी कंपनी के दफ़्तर में छोटी सी पोस्ट पर काम करते थे। मेरी माँ एक अच्छे घर से थीं.. लेकिन संप्रदाय और परंपरा के अनुसार पति के घर को अपना संसार और पति की सेवा अपना धरम मानते हुए जीवन जी रही थीं। पिताजी के तीन और भाई थे.. सब अच्छी पढ़ाई और तरक्की की वजह से अच्छे दिन देख रहे थे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। पिताजी पढ़ाई में उतने होशियार और तेज नहीं थे.. ऊपर से बचपन से ही उनमें आत्मविश्वास और खुद्दारी की कमी थी.. धीरज और कर्मठता कम थी। उनकी एक ही खूबी यदि कोई थी.. तो वो कि उनके पिताजी का समाज में बड़ा आदर था। 

बस खानदान के नाम पर मेरी माँ की शादी उनसें कर दी गई थी। माँ कभी कुछ माँगने वालों में से नहीं थीं.. जो मिला उसी से संतुष्ट थीं, वो बहुत खूबसूरत भी थीं, उनकी खूबसूरती की वजह से पिताजी का आत्म- सम्मान और भी कम हो गया था। पिताजी ने कभी भी ज़िंदगी में प्रयास नहीं किया.. उल्टा अपने जैसों की संगत में अपनी बदक़िस्मती की खुलकर चर्चा करते रहते थे। ऐसी संगत में उनकी मुलाकात एक नौजवान से हुई.. जो उनके जैसे ही था। आप तो जानते ही हैं कि जब अपने जैसे मिल जाते हैं.. तो दोस्ती बढ़ जाती है। पिताजी उस नौजवान को अपना खास दोस्त मानने लगे और दिन-रात दोनों अपनी छोटी ज़िंदगी की तकलीफें एक-दूसरे के साथ बाँटते रहते। वो नौजवान भी पिताजी के दफ़्तर में काम कर रहा था। 

उनकी दोस्ती एक दिन ऐसे मोड़ पर आ गई कि पिताजी ने उसे अपना दामाद बनाने का निश्चय कर लिया। मेरी दो बड़ी बहनें थीं.. दोनों की शादी हो गई थी। हम तीनों एक-दूसरे के काफ़ी करीब थीं.. दोनों बहनें अपनी सुहागरात और गृहस्थ जीवन के रंगीन अनुभवों के रहस्य मेरे साथ बाँटती थीं। मैं उस लड़के के बारे में नहीं जानती थी। शादी तुरत-फुरत पक्की हो गई। माँ भी थोड़े ही मना करने वाली थीं.. ऊपर से उसकी सरकारी नौकरी थी.. उस लड़के के अन्दर की बातें किसको पता.. कि वो अन्दर से कैसा है। लड़का भी तैयार था.. मैं भोली-भाली सी थी… मगर माँ पर गई थी.. इसलिए मैं भी काफ़ी खूबसूरत थी। मैं मैट्रिक तक ही पढ़ी थी.. 

लेकिन सजने-संवरने में पूरी पक्की थी.. ज़ाहिर है.. यही सब देख कर साहब तुरंत राज़ी हो गए.. अपनी बहनों के क़िस्सों से प्रेरित होकर मैं भी उसी तरह के सुनहरे सपने देखा करती थी.. जो आप लोग शायद अभी देख रहे हैं। लड़कों के बारे में तो मैं 15वें साल से ही सोचने लगी थी.. 18 साल की उम्र में मेरी ख्याल चुदाई के बारे में होने लगे थे.. कि मेरी सुहागरात कैसे कटेगी.. पति की बाँहों में कैसे सुख प्राप्त होगा.. संभोग और काम कला के आसान किस तरह के होंगे.. रति सुख कैसा होगा.. मर्द का कामांग कैसा होगा.. आदि इत्यादि। ऐसे रंगीन ख़याल मेरी जवानी की गर्मी को और हवा देने लगे। सहेलियों की संगत में कुछ ऐसी शारीरिक हरकतों के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ.. जिससे रति सुख स्वयं अनुभव करने का मौका मिला। 

हस्तमैथुन प्रयोग में मज़ा तब आने लगा.. जब तन की गर्मी बढ़ने लगी। उन हसीन रसीली काम-शास्त्र की किताबों और पत्रिकाओं से.. जिनमें आदमी-औरत के बीच की रसभरी चुदाई कथा का खुलकर वर्णन हुआ था.. इन किताबों की बदौलत मुझे पूरा सेक्स ज्ञान प्राप्त हुआ और मैं अच्छी तरह से समझ गई कि एकांत में एक मनचाहा मर्द के साथ क्या करना चाहिए। शादी के कई वर्ष बीत गए और मुझे अपने पति से वो सुख नहीं मिल सका जिसका मुझे कुछ ज्यादा ही इन्तजार था। इस नीरस जीवन को भोगते हुए पूरे 12 साल गुजर चुके थे। 

अब मैं एक 32 साल की उम्र औरत हो गई थी.. जिसके लिए एक नया जन्म हुआ.. शादीशुदा औरतें जब बच्चे पैदा करती हैं तो उनकी परवारिश में 10 साल काट लेती हैं। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। जब बच्चे कुछ बड़े हो जाते और माँ की ममता और सहारे से मुक्ति पाकर पढ़ाई और खेल कूद की ओर ध्यान बढ़ाते तो औरत का मन निश्चिन्त हो जाता और पति के प्यार के लिए दोबारा तरसने लगता। शादी के तुरंत बाद लड़कियाँ शरम और लाज के साथ पति से मिलन करती और सेक्स की दुनिया में पहला कदम रखती। तब उनकी आलोचना और अनुभव बहुत नादान सा होता है। अब तक 12 साल गुज़र गए थे। एक पूरा वनवास समझ लीजिए.. पति सिर्फ़ रोटी कपड़ा और मकान की गारंटी बन गया था। 

टीवी.. वीडियो.. मैगज़ीन.. सिनेमा.. बुनाई.. सिलाई.. इत्यादि के सहारे मैंने इतने साल सुखी जीवन बिताया.. बच्चे ना होने का मेरे पति पर कोई असर नहीं डाला। वो जानता था कि दोष उसी में है। बाहर लोग क्या सोच रहे थे क्या मालूम? कुछ सहेलियों को मैंने यूँ ही बताया कि हम दोनों में किसी को भी कोई कमज़ोरी नहीं थी और हर कोशिश के बावजूद बच्चा नहीं हुआ। मैंने अपनी इच्छाओं को दबा कर रखा। मुझे जब भी जिस्म की भूख ने परेशान किया तो मैं हाथों से ही इस भूख का निवारण कर लेती थी। हस्तमैथुन प्रयोग मेरे लिए क्रिया कम.. दवाई ज़्यादा बन गई थी। मैं अभी भी जवान 32 साल की एक मस्त औरत हूँ.. लेकिन मेरी जीवन गाथा एक 50 साल की औरत सी हो गई थी। एक दिन पति ने बताया कि उनकी बहन का बेटा हमारे यहाँ आ रहा है। 

उसने मैट्रिक खत्म कर लिया है और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए हमारे शहर के एक कॉलेज में दाखिला ले लिया है। पति चाहते थे कि उसे अपने घर में ही रख कर उसे पढ़ाई में मदद दें। उनका मानना था कि वो तो बदकिस्मत हैं लेकिन इस लड़के की कामयाबी में कोई कसर ना छोड़ी जाए और इसकी तरक्की में अपनी सफलता को साकार कर लिया जाए। मैं क्या बोलती.. ऐसी हज़ार बातें सुन चुकी थी। इस लड़के के आने से मेरी घरेलू जिम्मेदारी थोड़ा और बढ़ जाती.. पर उससे ज़्यादा और कुछ नहीं होगा। फिर इस लड़के का क्या दोष? बेचारा वो हमारे हालत से कैसा जुड़ा.. उसे तो पढ़ाई करनी है। 

मैंने मंज़ूरी दे दी और घर का एक बेडरूम उसे दे दिया.. ताकि वो वहाँ पढ़ाई कर सके। करीब 30 साल के उम्र के बाद.. औरत अनुभवी और पक्के इरादे वाली हो जाती। सेक्स में दोबारा जब दिलचस्पी जागती तो शरम के बजाए कार्यशीलता से संभोग में भाग लेती और लाज को छोड़कर नए नई तरीकों से पति के साथ बिस्तर का खेल आज़माने की कोशिश करती है। पति भी अनुभवी हो जाता है और पत्नी को खूब मदद करता है। इस तरह 30 साल के उम्र के बाद पति-पत्नी सेक्स की ज़िंदगी में एक नई उमंग लेकर कूद पड़ते और सेक्स का भरपूर आनन्द लेते हैं। मुझे बच्चे तो नहीं हुए थे और मैं 10 साल से ज़्यादा तड़फी थी। 

लगभग 32 साल की उम्र में मेरा मन भी इसी उम्र की बाकी औरतों की तरह सेक्सी हो गया.. और मुरादें पूरा ना होने के कारण कुछ ज़्यादा ही तड़प रहा था.. इसीलिए जो लाज और शर्म मुझे 12 साल पहले पाप करने से रोक चुकी थी.. आज उसी लाज और शर्म को मेरे मन ने बाहर फेंक दिया और इच्छाओं का दरवाज़ा खोल दिया। पति की नाकामयाबी मेरे साथ एक धोखा सा था.. पति को धोखा देना कोई पाप नहीं लग रहा था। अगर मेरे पति बिस्तर में कामयाब और नॉर्मल होते.. तो आज उनके साथ खुश रहती.. लेकिन उनकी बारह साल की नपुंसकता के सामने पराए मर्द के साथ सेक्स करने की सोचना पाप नहीं लग रहा था। 

और तो और.. भान्जे के साथ सेक्स करने से इस पाप को घर के अन्दर तक सीमित रख सकती हूँ। किसी को कुछ पता नहीं लगेगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वैसे भी मैं सिर्फ़ सेक्स चाहती हूँ.. रिश्ता नहीं.. इन सब बातों से मन और भी निश्चिंत हो गया और मैंने मन ही मन चंदर से संभोग करने का इरादा बना लिया। अपने इस नई रूप से मैं खुद चंचल हो उठी। बिस्तर से उठकर मैं आईने के सामने खड़ी हुई और नाईटी निकाल कर अपने ही जिस्म की जाँच करने लग गई। मैं काफ़ी सेक्सी लग रही थी.. मेरी ही चाह मुझे होने लगी थी। मेरे प्रिय साथियों इस दास्तान की लेखिका नगमा तक आपके विचारों को भेजने के लिए आप डिसकस कमेंट्स पर लिख सकते हैं.. धन्यवाद।

चुदाई की कोई कीमत नही होती है Chudai ki koi kimmat nahi hoti hai - Sex story

चुदाई की कोई कीमत नही होती है Chudai ki koi kimmat nahi hoti hai - Sex story, गांड मारी और लंड भी चुसवाया, चूत के चिथड़े उड़ गए, पूरा डाल कर फाड़ दो चूत को, गांड में दोनों एक साथ डाल दो, मुझे चोदो बड़े लंड से.

मैं उन दिनों अपने चाचा के यहां आई हुई थी। मैं एम ए की छात्रा थी। चाचा बिजनेस के सिलसिले में कुछ दिनों के लिये दिल्ली गये हुए थे। चाची घर पर ट्यूशन पढाती थी। चाची का नाम सुमन था। उनकी उम्र 35 वर्ष की थी। उसके पास कोलेज दो के छात्र पढने आते थे। रवि और सोनू नाम था उनका। दोनो ही 20 - 21 वर्ष के थे। मुझे पहले दिन से ही वो हाय हेल्लो करने लगे थे। उन दोनों से मेरी जल्दी ही दोस्ती हो गयी थी। ऊपर का कमरा खाली था सो सुमन उन्हे वहीं पढाया करती थी।

एक बार जब सुमन ट्यूशन पढा रही थी तब मैं किसी काम से ऊपर कमरे में गयी। जैसे ही मैं कमरे के पास पहुचीं तो मुझे सिसकारी की आवाज सुनायी पडी। मैं सावधान हो गयी। तभी मुझे फिर से हाऽऽय की आवाज सुनायी पडी। मैने धीरे से खिडकी से झांक कर देखा। वो लडके सुमन की चूंचियां दबा रहे थे। सुमन ने पेन्ट के ऊपर से ही एक का लन्ड पकड रखा था। सुमन बार बार आनन्द से सिसकारियां भर रही थी। मैं दबे पांव पीछे हट गयी और नीचे उतर आई।

मेरे सारे शरीर में सनसनी फ़ैल गयी थी। मैं अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गयी। मेरी सांसे तेज चल रही थी। मेरे मन में उत्तेजना भरने लगी थी। मुझसे रहा नहीं गया…… मैं फिर से दबे पांव ऊपर गई … मैने फिर से झांक कर देखा… मुझे पसीना छूटने लग गया। कमरे में सभी नंगे थे… रवि ने अपना लन्ड सुमन की चूत में डाल रखा था…और तबियत से चोद रहा था…… सोनू ने अपना लन्ड सुमन के मुँह में दे रखा था… मैं फिर नीचे आ गयी… मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी… मैं अपनी चूत दबा कर बैठ गयी। मैं भी जवान थी…मेरे पास भी जवानी का पूरा खजाना था। मेरे मन में भी चुदवाने तेज इच्छा उठने लगी। मेरी चूंचियां कड़ी होने लगी… जवानी का जोश हिलोरें मारने लगा।

मैं मन मार कर कमरे से बाहर निकल आई… पास की दुकान से अपना मोबाईल रीचार्ज करवाने लगी। जब मैं वापस आई तो उनका कार्यक्रम समाप्त हो चुका था। रवि और सोनू जाने की तैयारी में थे। मुझे देख कर कर वो दोनों ही मुसकराये, मैने भी उन्हे तिरछी निगाहों से मुसकरा कर देखा। वो दोनो चले गये और मैं सुमन की किस्मत पर जल उठी… जो कि दो जवान लण्डों की मालकिन थी। मेरे मन में हलचल हो रही थी…। मन अशान्त था …… मुझसे सुमन की चुदाई बरदाश्त नही हो पा रही थी।

रात के करीब 10 बज रहे थे…। मैने कमरे की लाईट बन्द कर दी और सोने के लिये लेट गयी। पर नींद कहां थी। रह रह कर सुमन की चुदाई की याद आ रही थी। मैने अपनी पेन्टी उतारी , रात को मैं ब्रा नहीं पहनती थी। मैने सोचा कि चूत में उंगली करके झड़ जाती हूं…… पर मुझे उसी समय बाहर कुछ आवाज आई… मैने दरवाजे से झांक कर देखा तो रवि और सोनू सुमन के कमरे की तरफ़ जा रहे थे। मैने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में आंखे गडा दी , यह दरवाजा चाचा के कमरे में खुलता था, और सुनने का प्रयास करने लगी। मुझे ये सुन कर हैरानी हुई कि सुमन उन दोनो के साथ मेरी चुदाई का प्रोग्राम बना रही थी… पर कैसे…?

वे तीनों मेरे कमरे की ओर आने लगे। मैं भाग कर अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी। मुझे लगा कि वो तीनों मेरे कमरे के बाहर आ गये है…… तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला… मैने देखा सुमन पहले अन्दर आयी… फिर दोनो उनके पीछे पीछे आये……। मैने सोने का बहाना किया। सोनू ने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। पर तीनों मेरे साथ क्या करेंगे …… क्या बलात्कार… यानी मेरी चुदाई… मेरा मन खुशी के मारे उछलने लगा…बिना कुछ किये मन की मुराद पूरी हो जाये तो… फिर ऊपर वाले का धन्यवाद करो…। मेरा सोचना बिलकुल सही निकला। रवि ने लाईट जला दी… मुझे देख कर उन दोनो के मुंह में पानी आ गया। मैने पेन्टी और ब्रा वैसे भी नहीं पहन रखी थी। स्कर्ट भी जांघों से उपर आ चुका था। अन्दर से मेरी चूत झांक रही थी।

रवि ने बिस्तर पर पास बैठ कर मेरी छोटी सी कमीज़ को ऊपर कर दिया। मेरे नंगी चूंचियां उसके सामने तनी हुयी खडी थी। मेरे शरीर में रोमांच भर आया… मुझे लग रहा था कि मेरी चूंचियां पकड कर मसल दे… लेकिन उसने बडे प्यार से मेरे स्तन सहलाये… मेरी नोकों को हौले हौले से पकड कर मसलते हुये घुमाया। इतने में सोनू ने मेरे स्कर्ट को ऊंचा करके मेरी चूत नंगी कर दी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अचानक मुझे मेरी चूत पर गीलापन लगा…… सोनू की जीभ से थूक मेरी चूत पर टपका कर उसे चाट लिया था…… मैं तड़प उठी… पर मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पडा। सुमन ने मेरे दोनो हाथ ऊपर कस कर पकड़ लिये। सोनू ने मेरी टांगे चीर कर फ़ैला दी। और मेरी टांगों के बीच में आ गया। अब मुझे लग गया कि मैं चुदने वाली हूं……तो मैने नाटक शुरु कर दिया…… मैने जाग जाने का नाटक किया…

"अरे ये क्या…… छोडो मुझे……… चाची…"
"चुप हो जा…कुतिया… मजे ले अब…"
" चाची… नहीं प्लीज़……"

इतने में सोनू का लन्ड मेरी चूत में घुस गया। मन में मस्ती छा गयी। चूत को लन्ड मिल गया था… तेज गुदगुदी सी उठी।

"सोनू…ये क्या कर दिया तूने… मुझे छोड दे……मत कर ना…मादरचोद…"
"रीता रानी … ऐसी मस्त जवान लड़की को तो चुदना ही पड़ता है… देख क्या टाइट चूत है…अब हम तेरी बहन चोद देंगे।" सोनू मस्त हो कर बोला।

रवि मेरे चूंचकों को चूस रहा था… सुमन ने खुद के कपड़े उतार फ़ेंके…वो पूरी नंगी हो गयी। हम सभी को पता था कि कार्यक्रम सफ़ल हो चुका है। सुमन ने रवि की पेन्ट और कमीज़ उतार कर उसे नन्गा कर दिया। सोनू पहले ही नंगा हो चुका था। चाची मुझे समझा रही थी

"देख रीता… लन्ड तो तेरी चूत में फ़िट हो ही गया है… अब मजा ले ले…ना'
"चाची… प्लीज़… मत करो ना…देखो मैं मर जाऊगीं…" मैने फिर नाटक किया। चाची ने मेरे होंठ चूमते हुये कहा
"अच्छा… दो मिनट के बाद छोड देंगे… मजा नहीं आये… तो नहीं सही… बस"

चाची समझ चुकी थी…कि मै यूं ही ऊपर से कह रही हूं और वास्तव में मुझे मजा आ रहा है।
"सोनू …मत करो…… इसे अच्छा नहीं लग रहा है… चलो मेरी मां चोद दो…"
अरे ये क्या हो गया…मैने तुरन्त पासा पलटा……
"चाची… तुम बडी खराब हो…एक दम हरामी … मां की लौड़ी"

मैने नीचे से सोनू को नीचे से चूतड़ उछाल कर एक तेज धक्का दिया…। और रवि का लन्ड पकड कर अपने मुख में डाल दिया। मेरी फ़ुर्ती देख कर दोनों को मस्ती आ गयी। दोनो सिसकारियां भरने लगे। चाची ने रवि और सोनू को रोक दिया।

"अब देखो कोई जबरदस्ती नहीं करना है…ये मादरचोद तो… रीता राज़ी है …"
सभी बिस्तर पर बैठ गये… मेरे बचे हुये शरीर के कपडे भी उतार दिये। फिर सुमन सभी को बताने लगी कि उन्हे क्या करना है… मैने अपनी बात रख दी,"पहले सोनू को मेरे पर चढने दो… उसका लन्ड मेरी चूत में रहने दो…फिर बात करो…"

"चलो सोनू तुम रीता को चोद डालो…रवि तुम मुझे चोदो… फिर बदल लेंगे…"
सोनू मुझसे लिपट गया… मुझे बुरी तरह से चूमने चाटने लगा… उस ने मुझे तुरन्त मुझे घोड़ी बनाया… और अपना कड़क लन्ड मेरी गान्ड पर मारने लगा। तो सोनू अब मेरी गान्ड चोदेगा। मेरी गान्ड में उसने ढेर सारा थूक लगाया और लन्ड को छेद पर रख कर अन्दर दबा कर घुसा दिया… उसका लाल सुपाडा फ़क से अन्दर घुस गया। मैं आनन्द से निहाल हो उठी… दूसरे धक्के में आधा लन्ड अन्दर था… तीसरा धक्का लन्ड को पूरा जड़ तक ले गया…… गान्ड मैने कई बार चुदाई थी… इसलिये मुझे इसमें बहुत मजा आता है…उसका गान्ड में फ़ंसा हुआ मोटा सा लन्ड मुझे बहुत ही आनन्द दे रहा था। सोनू अब धीरे धीरे धक्के तेज़ करने लगा… उधर रवि और सुमन मेरे साथ ही आ गये… शायद रवि को मैं अधिक पसन्द आ रही थी… रवि ने मेरी चूंचियां पकड कर मचकानी चालू कर दी… सुमन ने भी अपनी कला दिखाने लगी… उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में घुसा दी। मेरे मुख से आनन्द की हंसी और सिस्कारियां निकलने लगी। सोनू की धक्के मारने की गति तेज हो गयी थी… उसके मुख से आनन्द की सीत्कारें तेज हो उठी थी। मेरे चूतड अपने आप उछले जा रहे थे। मुझे ऐसे गान्ड मरवाने में बडा मजा आता था। सोनू के धक्के बढने लगे… उसका शरीर अकडने लगा।

अचानक सुमन ने मेरी चूत से दोनों उंगलियां निकाल दी और सोनू के दोनों चूतडों को कस कस के दबाने लगी। तभी सोनू के लन्ड ने मेरी गान्ड के अन्दर ही अपना वीर्य तेजी से छोड दिया। सुमन उसके चूतडों को दबाती ही रही जब तक कि उसका पूरा वीर्य नहीं छूट गया। तब रवि ने उसकी जगह ले ली। रवि बिस्तर पर लेट गया उसका खडा लन्ड मेरी चूत को आमन्त्रण दे रहा था … मैं रवि पर चढ गयी और उसके लन्ड को सीधे चूत पर टिका दिया… और फिर हौले से लन्ड पर दबा दिया…

"आऽऽऽऽऽऽह …… चुद गयी रे… चाची…"
"चुद जा… रीता…तेरी किस्मत अच्छी है कि पहली बार में ही तुझे दो दो लन्ड बिना कुछ किये ही मिल गये……चुद जा छिनाल अब…"
"चाची …… आई लव यू…… आप दिल की बात जानती हैं…आप बडी हरामी हैं…" मेरी बात सुन कर सुमन मुस्करा उठी…
"अब चुदने में मन लगा…रन्डी… मजा आयेगा…"
"हाय चाची …… चुद तो रही हू ना… देखो ना कैसे मोटे तगडे जवान लन्ड हैं…मेरी तो मां चोद देंगे ये…"
अब सोनू ने सुमन के उरोज पकड लिये… और लन्ड सुमन की गान्ड में घुसाने लगा… वह फिर से तैयार हो चुका था। सुमन हंस कर बोली-"देखा सोनू को … गान्ड मारने में माहिर है…… इसे सिर्फ़ गान्ड मारना ही अच्छा लगता है…"

मैं अब रवि पर लेट गयी थी… रवि नीचे से चुदाई का मजा ले रहा था। मैं उपर से उसे जबर्दस्त झटकों से चोद रही थी। मेरी गान्ड से सोनू का वीर्य निकल कर उसके लन्ड को तर कर रहा था।
"मेरे राजा… हाय…… क्या लन्ड है…मेरी चूत फ़ाड दे…राजा… " कहते हुये उसके खुले हुये मुख में मैने अपना मुख चिपका दिया… मेरे थूक से उसका चेहरा गीला हो गया था… पर मैं उसे चाटे जा रही थी। मुझे कुछ भी होश नही था। मेरा पूरा जोर उसके लन्ड पर था। फ़च फ़च की मधुर आवाजे माहोल को और सेक्सी बना रही थी। चूत के धक्कों से फ़च फ़च कि आवाज के साथ वीर्य के छीटें भी उछल रहे थे। उधर सोनू सुमन की गान्ड चोदने में लगा था।

अचानक रवि ने अन्गडाई ली … उसका लन्ड कडकने लगा…बेहद टाइट हो गया… उसका चेहरा लाल हो गया… दान्त भिंच गये……
' मै गया…… रानी…… निकला… हाऽऽऽऽय्…… गया…।"

मैने धक्कों की रफ़्तार बढा दी… अपनी चूत टाइट कर ली……… और मेरा भी निकलने को तैयार हो गया। मैने चूत टाइट कर के दो धक्के खींच के मारे …… तो उसकी और मेरी उत्तेजना चरम सीमा को पार कर गयी-"राजा …… मैं तो पूरी चुद गयी………गयी मैं तो…… निकला मेरा… हाऽऽऽऽय्…"

उधर रवि को झटके लगने चालू हो गये थे… उसका वीर्य झटके मार मार कर पिचकारी छोड रहा था। मैं भी झडने लगी थी…… हम दोनो ने एक दूसरे को कस कर पकड लिया। हमारा माल निकलता रहा…। अब हम पूरे झड चुके थे। हम ऐसे ही पडे सुस्ताते रहे…फिर में बिस्तर पर से उतर गयी।

सोनू भी झडने वाला था। उसका लन्ड सुमन की चूत चोद रहा था। मै और रवि ने तुरन्त उनकी मदद की… सुमन के चूचकों को मैने खींचना और मरोडना चालु कर दिया। रवि ने सोनू के चूतडों को जोर जोर से दबाने लगा… सुमन अचानक धीरे से चीख उठी… "रीतू… छोड मेरी चूंची को …… मैं गयी…… हाय… बस कर सोनू…"
पर सोनू तो चरम सीमा पर पहुन्च गया था… चूतडों के दबाते ही उसका लन्ड बरस पडा…… सारा वीर्य सुमन की चूत में भरने लगा। मैने सोनू के चूतडों को थपथपाया… और प्यार कर लिया…

रवि, मैं, सुमन वहीं बिस्तर पर लेट गये… और बातें करने लगे। मैं बोली-"चाची…… आज तो कस कर चुद गयी… थेन्क यू …चाची॥"
"मैने तुझे देख लिया था… फिर जब दूसरी बार आयी तो मैं समझ गयी …कि तू चुदना चाहती है…"
"चाऽऽऽची… जब मालूम था तो वहीं पकड कर क्यों नहीं चोद दिया…"
"नहीं रीतू रानी… बिना तडप के… चुदाई की कोई कीमत नही होती है…"
"नहीं चाची…… आप मुझे पकड के चुदवा देती… तो भी मुझे चुदना तो था ही ना॥"
"और अब चुदने में ज्यादा मजा आया ना…"
"आय… हाय चाची………मन शान्त हो गया… चूत की खुजली मिट गयी…"

सोनू और रवि बिस्तर के एक कोने में नन्गे पडे ही खर्राटे भर रहे थे… हम दोनो भी न जाने कब बातें करते करते सो गये  कमरे में सभी नंगे थे… रवि ने अपना लन्ड सुमन की चूत में डाल रखा था…और तबियत से चोद रहा था…… सोनू ने अपना लन्ड सुमन के मुँह में दे रखा था… मैं फिर नीचे आ गयी… मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी… मैं अपनी चूत दबा कर बैठ गयी। मैं भी जवान थी…मेरे पास भी जवानी का पूरा खजाना था। मेरे मन में भी चुदवाने तेज इच्छा उठने लगी। मेरी चूंचियां कड़ी होने लगी… जवानी का जोश हिलोरें मारने लगा।

मैं मन मार कर कमरे से बाहर निकल आई… पास की दुकान से अपना मोबाईल रीचार्ज करवाने लगी। जब मैं वापस आई तो उनका कार्यक्रम समाप्त हो चुका था। रवि और सोनू जाने की तैयारी में थे। मुझे देख कर कर वो दोनों ही मुसकराये, मैने भी उन्हे तिरछी निगाहों से मुसकरा कर देखा। वो दोनो चले गये और मैं सुमन की किस्मत पर जल उठी… जो कि दो जवान लण्डों की मालकिन थी। मेरे मन में हलचल हो रही थी…। मन अशान्त था …… मुझसे सुमन की चुदाई बरदाश्त नही हो पा रही थी।

रात के करीब 10 बज रहे थे…। मैने कमरे की लाईट बन्द कर दी और सोने के लिये लेट गयी। पर नींद कहां थी। रह रह कर सुमन की चुदाई की याद आ रही थी। मैने अपनी पेन्टी उतारी , रात को मैं ब्रा नहीं पहनती थी। मैने सोचा कि चूत में उंगली करके झड़ जाती हूं…… पर मुझे उसी समय बाहर कुछ आवाज आई… मैने दरवाजे से झांक कर देखा तो रवि और सोनू सुमन के कमरे की तरफ़ जा रहे थे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में आंखे गडा दी , यह दरवाजा चाचा के कमरे में खुलता था, और सुनने का प्रयास करने लगी। मुझे ये सुन कर हैरानी हुई कि सुमन उन दोनो के साथ मेरी चुदाई का प्रोग्राम बना रही थी… पर कैसे…?

वे तीनों मेरे कमरे की ओर आने लगे। मैं भाग कर अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी। मुझे लगा कि वो तीनों मेरे कमरे के बाहर आ गये है…… तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला… मैने देखा सुमन पहले अन्दर आयी… फिर दोनो उनके पीछे पीछे आये……। मैने सोने का बहाना किया। सोनू ने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। पर तीनों मेरे साथ क्या करेंगे …… क्या बलात्कार… यानी मेरी चुदाई… मेरा मन खुशी के मारे उछलने लगा…बिना कुछ किये मन की मुराद पूरी हो जाये तो… फिर ऊपर वाले का धन्यवाद करो…। मेरा सोचना बिलकुल सही निकला। रवि ने लाईट जला दी… मुझे देख कर उन दोनो के मुंह में पानी आ गया। मैने पेन्टी और ब्रा वैसे भी नहीं पहन रखी थी। स्कर्ट भी जांघों से उपर आ चुका था। अन्दर से मेरी चूत झांक रही थी।

रवि ने बिस्तर पर पास बैठ कर मेरी छोटी सी कमीज़ को ऊपर कर दिया। मेरे नंगी चूंचियां उसके सामने तनी हुयी खडी थी। मेरे शरीर में रोमांच भर आया… मुझे लग रहा था कि मेरी चूंचियां पकड कर मसल दे… लेकिन उसने बडे प्यार से मेरे स्तन सहलाये… मेरी नोकों को हौले हौले से पकड कर मसलते हुये घुमाया। इतने में सोनू ने मेरे स्कर्ट को ऊंचा करके मेरी चूत नंगी कर दी। अचानक मुझे मेरी चूत पर गीलापन लगा…… सोनू की जीभ से थूक मेरी चूत पर टपका कर उसे चाट लिया था…… मैं तड़प उठी… पर मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पडा। सुमन ने मेरे दोनो हाथ ऊपर कस कर पकड़ लिये। सोनू ने मेरी टांगे चीर कर फ़ैला दी। और मेरी टांगों के बीच में आ गया। अब मुझे लग गया कि मैं चुदने वाली हूं……तो मैने नाटक शुरु कर दिया…… मैने जाग जाने का नाटक किया…

"अरे ये क्या…… छोडो मुझे……… चाची…"
"चुप हो जा…कुतिया… मजे ले अब…"
" चाची… नहीं प्लीज़……"

इतने में सोनू का लन्ड मेरी चूत में घुस गया। मन में मस्ती छा गयी। चूत को लन्ड मिल गया था… तेज गुदगुदी सी उठी।
"सोनू…ये क्या कर दिया तूने… मुझे छोड दे……मत कर ना…मादरचोद…"
"रीता रानी … ऐसी मस्त जवान लड़की को तो चुदना ही पड़ता है… देख क्य टाइट चूत है…अब हम तेरी बहन चोद देंगे।" सोनू मस्त हो कर बोला।
रवि मेरे चूंचकों को चूस रहा था… सुमन ने खुद के कपड़े उतार फ़ेंके…वो पूरी नंगी हो गयी। हम सभी को पता था कि कार्यक्रम सफ़ल हो चुका है। सुमन ने रवि की पेन्ट और कमीज़ उतार कर उसे नन्गा कर दिया। सोनू पहले ही नंगा हो चुका था। चाची मुझे समझा रही थी
"देख रीता… लन्ड तो तेरी चूत में फ़िट हो ही गया है… अब मजा ले ले…ना'
"चाची… प्लीज़… मत करो ना…देखो मैं मर जाऊगीं…" मैने फिर नाटक किया। चाची ने मेरे होंठ चूमते हुये कहा
"अच्छा… दो मिनट के बाद छोड देंगे… मजा नहीं आये… तो नहीं सही… बस"
चाची समझ चुकी थी…कि मै यूं ही ऊपर से कह रही हूं और वास्तव में मुझे मजा आ रहा है।
"सोनू …मत करो…… इसे अच्छा नहीं लग रहा है… चलो मेरी मां चोद दो…"
अरे ये क्या हो गया…मैने तुरन्त पासा पलटा……
"चाची… तुम बडी खराब हो…एक दम हरामी … मां की लौड़ी"

मैने सोनू को नीचे से चूतड़ उछाल कर एक तेज धक्का दिया…। और रवि का लन्ड पकड कर अपने मुख में डाल दिया। मेरी फ़ुर्ती देख कर दोनों को मस्ती आ गयी। दोनो सिसकारियां भरने लगे। चाची ने रवि और सोनू को रोक दिया।

"अब देखो कोई जबरदस्ती नहीं करना है…ये मादरचोद तो… रीता राज़ी है …"

सभी बिस्तर पर बैठ गये… मेरे बचे हुये शरीर के कपडे भी उतार दिये। फिर सुमन सभी को बताने लगी कि उन्हे क्या करना है… मैने अपनी बात रख दी,"पहले सोनू को मेरे पर चढने दो… उसका लन्ड मेरी चूत में रहने दो…फिर बात करो…"

"चलो सोनू तुम रीता को चोद डालो…रवि तुम मुझे चोदो… फिर बदल लेंगे…"
सोनू मुझसे लिपट गया… मुझे बुरी तरह से चूमने चाटने लगा… उस ने मुझे तुरन्त मुझे घोड़ी बनाया… और अपना कड़क लन्ड मेरी गान्ड पर मारने लगा। तो सोनू अब मेरी गान्ड चोदेगा। मेरी गान्ड में उसने ढेर सारा थूक लगाया और लन्ड को छेद पर रख कर अन्दर दबा कर घुसा दिया… उसका लाल सुपाडा फ़क से अन्दर घुस गया। मैं आनन्द से निहाल हो उठी… दूसरे धक्के में आधा लन्ड अन्दर था… तीसरा धक्का लन्ड को पूरा जड़ तक ले गया…… गान्ड मैने कई बार चुदाई थी… इसलिये मुझे इसमें बहुत मजा आता है…उसका गान्ड में फ़ंसा हुआ मोटा सा लन्ड मुझे बहुत ही आनन्द दे रहा था। सोनू अब धीरे धीरे धक्के तेज़ करने लगा… उधर रवि और सुमन मेरे साथ ही आ गये… शायद रवि को मैं अधिक पसन्द आ रही थी… रवि ने मेरी चूंचियां पकड कर मचकानी चालू कर दी… सुमन ने भी अपनी कला दिखाने लगी… उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में घुसा दी। मेरे मुख से आनन्द की हंसी और सिस्कारियां निकलने लगी। सोनू की धक्के मारने की गति तेज हो गयी थी… उसके मुख से आनन्द की सीत्कारें तेज हो उठी थी। मेरे चूतड अपने आप उछले जा रहे थे। मुझे ऐसे गान्ड मरवाने में बडा मजा आता था। सोनू के धक्के बढने लगे… उसका शरीर अकडने लगा।

अचानक सुमन ने मेरी चूत से दोनों उंगलियां निकाल दी और सोनू के दोनों चूतडों को कस कस के दबाने लगी। तभी सोनू के लन्ड ने मेरी गान्ड के अन्दर ही अपना वीर्य तेजी से छोड दिया। सुमन उसके चूतडों को दबाती ही रही जब तक कि उसका पूरा वीर्य नहीं छूट गया। तब रवि ने उसकी जगह ले ली। रवि बिस्तर पर लेट गया उसका खडा लन्ड मेरी चूत को आमन्त्रण दे रहा था … मैं रवि पर चढ गयी और उसके लन्ड को सीधे चूत पर टिका दिया… और फिर हौले से लन्ड पर दबा दिया…

"आऽऽऽऽऽऽह …… चुद गयी रे… चाची…"
"चुद जा… रीता…तेरी किस्मत अच्छी है कि पहली बार में ही तुझे दो दो लन्ड बिना कुछ किये ही मिल गये……चुद जा छिनाल अब…"
"चाची …… आई लव यू…… आप दिल की बात जानती हैं…आप बडी हरामी हैं…" मेरी बात सुन कर सुमन मुस्करा उठी…
"अब चुदने में मन लगा…रन्डी… मजा आयेगा…"
"हाय चाची …… चुद तो रही हू ना… देखो ना कैसे मोटे तगडे जवान लन्ड हैं…मेरी तो मां चोद देंगे ये…"
अब सोनू ने सुमन के उरोज पकड लिये… और लन्ड सुमन की गान्ड में घुसाने लगा… वह फिर से तैयार हो चुका था। सुमन हंस कर बोली-"देखा सोनू को … गान्ड मारने में माहिर है…… इसे सिर्फ़ गान्ड मारना ही अच्छा लगता है…"

मैं अब रवि पर लेट गयी थी… रवि नीचे से चुदाई का मजा ले रहा था। मैं उपर से उसे जबर्दस्त झटकों से चोद रही थी। मेरी गान्ड से सोनू का वीर्य निकल कर उसके लन्ड को तर कर रहा था।
"मेरे राजा… हाय…… क्या लन्ड है…मेरी चूत फ़ाड दे…राजा… " कहते हुये उसके खुले हुये मुख में मैने अपना मुख चिपका दिया… मेरे थूक से उसका चेहरा गीला हो गया था… पर मैं उसे चाटे जा रही थी। मुझे कुछ भी होश नही था। मेरा पूरा जोर उसके लन्ड पर था। फ़च फ़च की मधुर आवाजे माहोल को और सेक्सी बना रही थी। चूत के धक्कों से फ़च फ़च कि आवाज के साथ वीर्य के छीटें भी उछल रहे थे। उधर सोनू सुमन की गान्ड चोदने में लगा था।

अचानक रवि ने अन्गडाई ली … उसका लन्ड कडकने लगा…बेहद टाइट हो गया… उसका चेहरा लाल हो गया… दान्त भिंच गये……
' मै गया…… रानी…… निकला… हाऽऽऽऽय्…… गया…।"
मैने धक्कों की रफ़्तार बढा दी… अपनी चूत टाइट कर ली……… और मेरा भी निकलने को तैयार हो गया। मैने चूत टाइट कर के दो धक्के खींच के मारे …… तो उसकी और मेरी उत्तेजना चरम सीमा को पार कर गयी-"राजा …… मैं तो पूरी चुद गयी………गयी मैं तो…… निकला मेरा… हाऽऽऽऽय्…"

उधर रवि को झटके लगने चालू हो गये थे… उसका वीर्य झटके मार मार कर पिचकारी छोड रहा था। मैं भी झडने लगी थी…… हम दोनो ने एक दूसरे को कस कर पकड लिया। हमारा माल निकलता रहा…। अब हम पूरे झड चुके थे। हम ऐसे ही पडे सुस्ताते रहे…फिर में बिस्तर पर से उतर गयी।

सोनू भी झडने वाला था। उसका लन्ड सुमन की चूत चोद रहा था। मै और रवि ने तुरन्त उनकी मदद की… सुमन के चूचकों को मैने खींचना और मरोडना चालु कर दिया। रवि ने सोनू के चूतडों को जोर जोर से दबाने लगा… सुमन अचानक धीरे से चीख उठी… "रीतू… छोड मेरी चूंची को …… मैं गयी…… हाय… बस कर सोनू…"
पर सोनू तो चरम सीमा पर पहुन्च गया था… चूतडों के दबाते ही उसका लन्ड बरस पडा…… सारा वीर्य सुमन की चूत में भरने लगा। मैने सोनू के चूतडों को थपथपाया… और प्यार कर लिया…

रवि, मैं, सुमन वहीं बिस्तर पर लेट गये… और बातें करने लगे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं बोली-"चाची…… आज तो कस कर चुद गयी… थेन्क यू …चाची॥"
"मैने तुझे देख लिया था… फिर जब दूसरी बार आयी तो मैं समझ गयी …कि तू चुदना चाहती है…"
"चाऽऽऽची… जब मालूम था तो वहीं पकड कर क्यों नहीं चोद दिया…"
"नहीं रीतू रानी… बिना तडप के… चुदाई की कोई कीमत नही होती है…"
"नहीं चाची…… आप मुझे पकड के चुदवा देती… तो भी मुझे चुदना तो था ही ना॥"
"और अब चुदने में ज्यादा मजा आया ना…"
"आय… हाय चाची………मन शान्त हो गया… चूत की खुजली मिट गयी…"
सोनू और रवि बिस्तर के एक कोने में नन्गे पडे ही खर्राटे भर रहे थे… हम दोनो भी न जाने कब बातें करते करते सो गये.....

पटना शहर की खुबसूरत लड़की को पटाकर चोद लिया Patna shahar me sunder ladki ki chudai

पटना शहर की खुबसूरत लड़की को पटाकर चोद लिया Patna shahar me sunder ladki ki chudai, पटना की लड़की की चुत में मेरा लंड, पटना की लड़की पट गई दिया मोबाइल नंबर.

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अशोक है और में एक बार फिर से आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूँ। जब में किसी काम से बिहार गया था तो में पटना स्टेशन पर दोपहर 1 बजे उतरा। मेरा काम दो तीन दिन का था और जब बहुत तेज गर्मी हो रही थी। फिर में प्लेटफॉर्म से बाहर निकलकर एक कोने में खड़ा होकर सिगरेट पी रहा था। मुझे उस दिन कोई जल्दी नहीं थी, सिर्फ़ मुझे होटल लेकर रुकना था। तभी मैंने देखा कि एक लड़की जो थोड़ी ग़रीब लग रही थी और एक कोने में बैठी हुई थी, ऐसा लग रहा था जैसे वो बहुत परेशान हो। उसकी उम्र कोई 19-20 साल की होगी, उसने सलवार सूट पहना हुआ था, उसकी चप्पल गंदी और टूटी हुई लग रही थी, वो एक बेंच पर बैठी हुई थी। अब में उसे 15 मिनट से देख रहा था, मुझे वो काफ़ी परेशानी में लग रही थी।

फिर में उसके पास जाकर बैठ गया और 10 मिनट तक उसी के पास बैठा रहा। उसके शरीर से हल्की सी पसीने की स्मेल आ रही थी। अब में सोच रहा था कि उससे बात करूँ, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो पा रही थी। फिर अचानक से उसने मुझसे खुद ही पानी माँग लिया तो मैंने उसे पानी की बोतल दे दी और वो पूरी बोतल का पानी पी गयी, पानी ठंडा था। फिर पानी ख़त्म करके वो बोली सॉरी में सारा पानी पी गयी, तो मैंने कहा कि कोई बात नहीं। फिर उसने मुझसे टाईम पूछा तो मैंने कहा कि 2 बज रहे है। फिर वो चुप हो गयी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर मैंने उससे पूछा कि आपको कहाँ जाना है? तो वो बोली कि मुझे मधुबनी जाना है। फिर मैंने पूछा कि वहाँ आप रहती है? तो वो बोली कि नहीं वहाँ मेरा ससुराल है, तो मैंने कहा कि आपकी शादी हो गई है। फिर वो बोली हाँ, तो मैंने कहा कि लेकिन आप लगती नहीं है।

फिर हमारे बीच में थोड़ी बहुत बातें हुई और अब मुझे उसकी बातों से लगा कि वो किसी गावं से आई है। तभी वहाँ एक टी.टी. आया और लोगों को भगाने लगा, जिनके पास टिकट नहीं था। फिर जब वो हमारे पास आया तो उससे टिकट माँगा तो वो कहने लगी कि उसके पास टिकट नहीं है तो टी.टी. उससे जुर्माना भरने को कहने लगा। तब मैंने कहा कि ये मेरे साथ है और टिकट मेरे पास है। फिर वो बोला कि जुर्माना तो देना पड़ेगा, तो मैंने टी.टी. को 100 रुपये का नोट देकर भगा दिया। फिर वो मुझे थैंक्स कहने लगी। फिर मैंने उससे पूछा कि आपके पास टिकट नहीं है। फिर वो बोली कि में बिना टिकट के आई हूँ। फिर मैंने अपने बैग से कुरकुरे की थैली निकाली और उसे खाने को दी, तो वो झट से खाने लगी। अब उसे देखकर लगा कि वो बहुत भूखी है। फिर मैंने उससे कहा कि मुझे बहुत भूख लगी है तुम चलोगी मेरे साथ खाना खाने। फिर पहले तो वो नहीं बोली और फिर बोली कि ठीक है। फिर हम पास में ही एक होटल में खाना खाने गये।

फिर मैंने उससे पूछा कि तुम क्या खाओगी? तो वो बोली कि कुछ भी, तो मैंने चावल दाल मिक्स और रोटी का ऑर्डर दिया। सॉरी में आपको उस लड़की का नाम तो बताना ही भूल गया, उसका नाम सोनी था और उसकी हाईट करीब 5 फुट होगी, शरीर भरा हुआ था, बूब्स 34 साईज के होंगे, नाक में रिंग, हाथों में चूड़ी और पुराना सा काले कलर का सूट और सफेद सलवार पहनी थी। उसके बाद वेटर खाना लाया और वो जल्दी-जल्दी खाने लगी और अचानक से बोली कि वो दो दिन के बाद खाना खा रही है। फिर मैंने कहा कि दो दिन, तो वो सकपका गयी। फिर कुछ सोचकर बोली कि हाँ दो दिन से में इस स्टेशन पर ही हूँ। फिर मैंने उससे कहा कि तुम कहाँ से आई हो? तो उसने कहा कि समस्तीपुर से और फिर वो खाना खाने लगी। फिर जब उसका पेट भर गया तो वो हाथ धोने उठी, उसके पास एक छोटा सा कंधे पर टाँगने वाला बैग था। फिर बिल देकर हम वापस आए। फिर मैंने पानी की दो बोतल खरीदी और उसे दे दी।

फिर हम वापस स्टेशन आए। फिर में उसे लेकर फर्स्ट क्लास वेटिंग रूम में गया, वहाँ लोग कम थे और ए.सी. चल रहा था। फिर वहाँ बैठने के बाद मैंने उससे उसकी कहानी पूछी, तो उसने पहले तो मना किया। फिर धीरे-धीरे उसने पूरी सच्चाई बताई, वो लोग समस्तीपुर के रहने वाले थे और उसका बाप एक मज़दूर था, उसके दो भाई थे और वो सबसे बड़ी थी। उसका बाप बहुत दारू पीता था और माँ भी एक दो घरो में बर्तन झाडू का काम करती थी। उसके भाई आवारा थे और चोरी चकारी करते थे और वो कभी जैल में तो कभी बाहर रहते थे कि अचानक एक दिन उसकी माँ मर गयी। फिर कुछ दिन के बाद उसका बाप एक औरत को अपने साथ रहने के लिए ले आया, वो कोई नाचने वाली थी। फिर उसकी उस नई औरत से दिनभर लड़ाई होती थी। फिर एक दिन वो उसके पड़ोस में रहने वाले एक लड़के के साथ पटना चली आई और वो लड़का उसे पटना में छोड़कर कहीं भाग गया, जिसे वो अपना पति कहती है और ये कहते-कहते वो रोने लगी और उसे गाली देने लगी।

फिर मैंने उससे पूछा कि अब कहाँ जाओगी? तो वो बोली पता नहीं, तो मैंने कहा कि तुम्हारे पास कुछ पैसे है? तो वो बोली नहीं है। फिर मैंने कहा कि तो क्या सोचा है? यहाँ तो लोग तुम्हें उठा ले जायेंगे। फिर वो बोली साहब में अकेली हूँ, बेसहारा हूँ, में क्या करूँ? अब ये सब सुनते-सुनते शाम हो गयी थी। फिर मैंने उससे कहा कि चलो कुछ खा लो भूख लगी होगी। फिर में उसे लेकर उसी होटल में गया और मैंने उसे वहाँ खाना खिलाया। फिर मैंने उससे कहा कि देखो अगर तुम बुरा नहीं मानो तो तुम मेरे साथ चलो, तुम मेरे घर का काम कर दिया करना और वहीं रहना, बाकी तुम्हारी मर्ज़ी, लेकिन में यहाँ पटना में 3 दिन के लिए हूँ और मेरा घर वेस्ट बंगाल में है और वहाँ में अकेले रहता हूँ सोच लो। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर वो बोली ठीक है साहब में चलूंगी, वैसे भी मेरा अब कोई ठिकाना नहीं है। फिर मैंने उससे कहा कि तीन दिन मेरे साथ होटल में रहोगी, तो वो बोली ठीक है।

फिर मैंने उससे कहा कि लेकिन लोगों को बोलना कि तुम मेरी पत्नी हो, तो वो बोली कि ठीक है। फिर मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे पास सिंदूर और मंगलसूत्र है क्या? तो वो बोली हाँ है। फिर मैंने उससे कहा कि चलो में तुम्हें कुछ कपड़े दिला देता हूँ। फिर में उसे लेकर एक दुकान में गया और उसे कुछ साड़ी और ब्लाउज दिलाया और कुछ सस्ते सूट और कुछ मैक्सी दिला दी। फिर में उसे लेकर स्टेशन आया, अब मुझे वो थोड़ी खुश लग रही थी। फिर मैंने वेटिंग रूम में पहुँचकर उससे बोला कि तुम फ्रेश हो लो और नये कपड़े पहन लो, तो वो बोली कि ठीक है। फिर मैंने उसे शैम्पू और साबुन दे दिया। फिर वो अंदर बाथरूम में गयी और करीब आधे घंटे के बाद वो बाहर आई, वो साड़ी में क्या माल लग रही थी? बहुत सुंदर गोरा चेहरा और बाल सवरे हुए, अब वो बहुत सुंदर लग रही थी। फिर मैंने उसे सैंडल दी, जो हमने खरीदी थी। फिर मैंने उसे मंगलसूत्र और सिंदूर लगाने को बोला, तो उसने अपने बैग से निकाला, तो मैंने देखा कि उसके बैग में दो चार गंदे कपड़े थे। फिर उसने सिंदूर लगा लिया और मंगलसूत्र पहन लिया। फिर मैंने उसे लिपस्टिक दी जो मैंने दुकान से ली थी। फिर उसने लिपस्टिक लगाई और अब वो बहुत सुंदर लग रही थी।

फिर मैंने उसे थोड़ा ध्यान से देखा तो उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी, लेकिन साड़ी मोटी होने के कारण पता नहीं चल रहा था। फिर मैंने उससे कहा कि तुम्हारा बैग बहुत गंदा है इसे फेंक दो, में तुम्हें नया दिला दूँगा, तो वो बोली कि ठीक है। फिर मैंने अपने बैग से उसे पर्फ्यूम निकालकर दिया और उसे लगा दिया। फिर हम वहाँ से निकले और उसने अपना बैग फेंक दिया। फिर मैंने उसे एक पर्स दिलाया और अब मैंने उसके नये कपड़े अपने बैग में रख लिए थे। फिर मैंने एक फाईव स्टार होटल में जाकर गाड़ी रोकी। फिर हम होटल में घुसे और उसने शायद ऐसा होटल कभी सपने में भी नहीं देखा होगा, वैसे मुझे होटल का सारा पैसा सरकार से रिटर्न हो जाता था। फिर मैंने उसे अपनी पत्नी बताकर एक रूम ले लिया और फिर में उसे लेकर कमरे में आ गया। फिर मैंने उससे पूछा कि तुम्हें मेरे साथ एक कमरे में रहने से कोई दिक्कत तो नहीं है ना, तो वो बोली नहीं। फिर मैंने उससे बोला कि तुम चाहों तो फ्रेश हो लो, में थोड़ी देर के बाद होऊंगा।

फिर वो अपने कपड़े माँगने लगी तो मैंने उसे उसके कपड़े निकालकर दिए। फिर उसने उसमें से एक नाईटी निकाल ली और लेकर अंदर चली गयी और फिर वो नाईटी पहनकर फ्रेश होकर आई। फिर में भी फ्रेश होकर नहाकर बाहर निकला। अब मैंने बाथरूम में जाकर मुठ भी मार ली थी। मैंने सोचा कि शायद रात को उसकी चूत मार लूँ। फिर में बाहर आकर उससे बात करने लगा, अब वो बेड पर बैठी थी और में सोफे पर बैठा। फिर मैंने उससे पूछा कि कुछ खाओगी, तो उसने मना कर दिया। फिर हम बातें करने लगे तो उसने बताया कि वो लोग बहुत ग़रीब थे, लेकिन माँ की नौकरी के कारण खाना पीना ठीक मिल जाता था।

फिर मैंने उससे उसके पति के बारे में पूछा, तो वो बोली कैसा पति? साहब वो मुझे झूठ बोलकर लेकर आया था, साला मुझे यहाँ बेचने लाया था, बड़ी मुश्किल से बचकर निकली हूँ साहब। फिर मैंने उससे कहा कि उसने तुम्हारे साथ कुछ किया नहीं, तो वो बोली नहीं साहब वो साला तो नामर्द था, में अभी भी कुंवारी हूँ। फिर वो उसे गाली देने लगी। फिर मैंने सिगरेट निकाली और पीने लगा तो वो मुझे देखने लगी। फिर मैंने उससे कहा कि सोनी तुम बेड पर सो जाओ और में सोफे पर सो जाता हूँ। फिर वो बोली कि नहीं साहब आप सोफे पर नहीं, में सो जाउंगी। फिर में बेड पर आकर लेट गया और वो सोफे पर लेट गयी। फिर वो थोड़ी देर में सो गयी और में अपना काम करके सो गया। फिर अगली सुबह हम दोनों उठे। फिर मैंने उससे पूछा कि सोनी चाय पीओगी, तो वो बोली कि हाँ और फिर हमने साथ में चाय पी। फिर मैंने उससे कहा कि सोनी मुझे 11 बजे जाना है और में 5 बजे तक आ जाऊंगा, तुम यहीं रहना और कुछ चाहिए हो तो फोन करके मंगा लेना।

फिर में तैयार होने लगा। फिर मैंने उससे बोला कि जाओ तुम भी तैयार हो जाओ, तो वो गयी और 20 मिनट के बाद वापस आई। अब उसने नई साड़ी पहनी थी और अब वो कल से भी ज़्यादा सुंदर लग रही थी। फिर वो ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर तैयार होने लगी, आज वो बहुत सुंदर लग रही थी। फिर मैंने उसकी खूब सारी फोटों खींची। फिर हमने नाश्ता किया और वो बोली कि साहब एक बात बोलूँ, तो मैंने कहा कि क्या? तो वो बोली कि साहब मुझे कुछ पैसे दे दो, मुझे कुछ काम है तो मैंने उसे 500 रुपये दे दिए। फिर में वहाँ से चला गया। फिर जब में शाम को आया तो मैंने देखा कि वो सोफे पर बैठकर टी.वी. देख रही थी। फिर मैंने उससे पूछा कि खाना खाया, तो वो बोली हाँ और फिर में चेंज करके आया। अब तक मैंने उसे हाथ भी नहीं लगाया था। फिर में फ्रेश होकर उसके पास बैठा तो मैंने देखा कि उसमें से एक अच्छी सी पर्फ्यूम की खुशबू आ रही थी।

फिर मैंने उससे बोला कि सोनी तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो, तो वो शर्मा गयी। फिर मैंने अपने फोन से उसकी कुछ फोटो खींची। फिर अचानक से मैंने अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख दिया तो फिर वो मुझसे आकर चिपक गयी। अब में उसे किस करने लगा तो अब वो भी मेरा साथ देने लगी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अब मैंने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया। फिर मैंने उसकी साड़ी उतार दी। फिर उसका ब्लाउज खोल दिया, अब वो पिंक ब्रा में और पिंक पेंटी में थी, शायद उसने बाहर जाकर खरीदी थी। फिर मैंने अपने कपड़े भी खोल दिए। फिर मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से रगड़ने लगा। फिर मैंने उसकी पेंटी को भी उतार दिया और मैंने देखा कि उसकी चूत शेव की हुई थी और गीली हो गयी थी। फिर मैंने उससे बोला कि मेरा लंड चूसो, तो वो थोड़ी हिचकिचाई, लेकिन मैंने उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया। फिर वो अच्छे से मेरा लंड चूसने लगी।

फिर मैंने कंडोम पहन लिया और उसे अपने ऊपर बैठा लिया। फिर मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और अब वो उछल-उछलकर मज़े देने लगी। फिर मैंने उसे घोड़ी बनाकर उसकी चूत में अपना लंड डाला। फिर मैंने उसे 30 मिनट तक लगातार चोदा और फिर में झड़ गया। इस बीच वो कई बार झड़ी और उस रात हमने कई बार चुदाई की। फिर वो मुझसे बोली कि साहब में हमेशा आपकी बनकर रहूंगी, आप मुझे कभी मत छोड़ना, में जिंदगीभर आपकी गुलाम रहूंगी और अब में बहुत खुश हुआ। फिर मैंने उससे पूछा कि पैसो का क्या किया? तो उसने अपनी ब्रा और पेंटी दिखाई और बोली कि शेव करने का लाई हूँ। फिर हमने साथ में डिनर किया। फिर अगले दिन हम बाहर घूमने गये और अब मैंने उसे कुछ ड्रेस दिलाई। फिर हमने वापस आकर फिर से चुदाई की और हमने पूरे दो दिन तक खूब मस्ती की। फिर उसने मुझे बताया कि में ही हूँ जो उसके साथ पहली बार सोया हूँ। फिर हम पटना से वेस्ट बंगाल आ गये और इस बार में अकेले नहीं बल्कि अपनी रखेल के साथ आया था। फिर घर आकर मैंने उसे फिर से चोदा और इस तरह वो पूरे दो साल तक मेरे पास रही ।।

वो कन्ट्रोल से बाहर होकर मुझसे अपने कबूतर दबवाने लगी Uska sex jaag gayaa vo tadapne lagi

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मैं हिंदी सेक्सी कहानियाँ का बहुत पुराना पाठक हूँ, मैंने बहुत कहानियाँ पढ़ी, फ़िर मुझे लगा कि मुझे भी अपनी कहानी लिखनी चाहिए और मैंने लिखना शुरु कर दिया। मेरा नाम साहिल खान है, मैं राजस्थान के सिरोही जिले के माउन्ट आबू से हूँ। मेरी हाईट 5 फ़ीट 8 इन्च है, मेरा रंग गोरा है, कुल मिला कर मैं एक स्मार्ट कुंवारा लड़का हूं। मेरी माशूका समीना उदयपुर की और मेरे दोस्त भी उदयपुर से हैं एक नाम रमेश और दूसरे का नाम सुरेश शर्मा। हम तीनों में बहुत गहरी दोस्ती है, हम तीनों की माशूकाएँ एक दूसरी की सहेलियाँ हैं।

एक बार हम सब ने मिल कर घूमने जाने की योजना बनाई तो सभी लड़कियों ने सोच कर जवाब देने को कहा।

मेरी और सुरेश की माशूका मान गई, मगर रमेश की माशूका ने मना कर दिया तो हम सब उदास हो गये और सोचा कि दो की माशूका साथ में रहे और एक को कम्पनी देने वाला कोई ना हो तो अच्छा नहीं लगेगा।

फ़िर मेरे दिमाग में एक योजना आई, मेरी माशूका की एक दूसरी सहेली जिसका नाम कपिला है, उसे साथ लेकर जाने के बारे में सोचा और मैंने इस बात को अपनी माशूका को बताया। तो पहले तो वो नाराज़ हुई मगर मेरे समझाने से मान गई।

अब मैं बहुत खुश था क्योंकि कपिला को मैं पहले से चोदना चाहता था।

हमने रात की ट्रेन का रिजरवेशन लिया और ट्रेन में हमने सबने मिल कर खूब मस्ती की, मगर फ़िर धीरे धीरे डिब्बे की लाईट बन्द होने लगी और हमारा ग्रुप भी सोने की तैयारी करने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मेरी बर्थ सबसे ऊपर थी और कपिला की सबसे नीचे !

सब अपनी अपनी बर्थ पर जाकर सोने लगे, मैं भी अपनी बर्थ पर चला गया। काफ़ी देर सोने की कोशिश के बाद भी मुझे नीन्द नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा टोयलेट हो कर आता हूँ !

जब मैं फ़्रेश होकर आया तो देखा कपिला भी अपनी बर्थ पर बैठी हुई है।

तो मैंने पूछा- क्या बात है कपिला? नीन्द नहीं आ रही क्या?

तो वो मुस्कराईं और कहा- क्यूँ? आपको कौन सी आ रही है?

इस बात पर मैं भी हंस दिया। फ़िर उसने जो कहा, मेरा दिल भी वही चाह रहा था, उसने कहा- साहिल बैठो ना ! बातें करते हैं।

फ़िर क्या था, मैंने भी उसके पास जाकर अपना डेरा डाल दिया। रात को ठंड बहुत थी और उसने एक गर्म चादर औढ़ रखी थी तो उसने मुझे भी उसके अन्दर आने को कहा।

मैंने भी वो चादर औढ़ ली, अब हम दोनों आजकल के प्यार के बारे में बात करने लगे, उसने मुझे बातों ही बातों में पूछ लिया कि आपने और समीना ने कभी सेक्स किया है क्या?

मुझे कपिला से ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी, फ़िर मैंने भी जवाब दिया- नहीं ! खाना तो नहीं खाया मगर कभी कभी नाश्ता कर लेता हूँ !

तो वो मेरे इस जवाब पर हंसने लगी और कहने लगी- साहिल, यह कोड वर्ड वाली भाषा नहीं चलेगी !

मैं समझ गया कि यह मुझसे खुल कर बात करना चाहती है। मैं आपको कपिला के बारे में बता दूँ कि कपिला एक अप्सरा से कम नहीं लगती। मैंने जब भी कपिला को पहले देखा है समीना के साथ तो घर आकर उसके नाम की मुठ जरुर मारी है।

तो मैंने भी शर्म को छोड़ दी, बेशर्म हो गया और बोला- मैंने उसकी ब्रा उतार कर उसके बूब्स के साथ खूब खेला हूँ मगर उसने कभी चोदने नहीं दिया।

मेरे चोदने वाले शब्द के लिये वो तैयार नहीं थी, वो शर्म से लाल हो गई।

फ़िर मैंने पूछा- कपिला, तुमने कभी सेक्स किया है क्या?

तो उसने मुझे कुछ भी जवाब नहीं दिया और चुप हो गई।

मैंने कहा- कपिला, यह जायज बात नहीं कि मैं तुम्हें सब बातें बताऊँ और आप मुझसे छुपाओ !

फ़िर उसने भी बोला- साहिल, मैंने कभी सेक्स किया तो नहीं मगर ब्लू फ़िल्म औरहिंदी सेक्सी कहानियाँ की बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी हैं।

अब मुझे लगा कि कपिला के मन में भी वही है जो मेरे मन में है। मैंने हल्के से उसकी जांघों के ऊपर हाथ रखा, उसने मुझे कुछ नहीं कहा और हम दूसरी बातें करते रहे। अब मेरा दिमाग उन बातों में न होकर उसके जिस्म को छूने में था, मैंने भी अब अपना हुनर दिखाना शुरु कर दिया। अब मैंने उसकी जांघों को सहलाना शुरु किया, उसने अपनी आँखें बन्द कर ली थी।

मैंने अब उसके टॉप में हाथ डाल दिया और उसके पेट पर हाथ घुमाने लगा, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं समझ गया कि अब मेरा काम हो जायेगा।

तभी मैं उसके पेट से हाथ हटा कर उसके वक्ष पर ले गया। उसने टाईट ब्रा पहन रखी थी, मैंने अब ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाना शुरु किया। अब वो कन्ट्रोल से बाहर हो रही थी और खुद अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर अपने कबूतर दबवा रही थी।

अचानक ही उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे होंठों पर जोर से चूमना शुरु कर दिया। पहले तो मुझे समझ नहीं आया कि क्या हुआ, मगर बाद में मैंने भी कस कर उसके लबों को चूसना शुरु कर दिया। अब मेरा लन्ड जो 8 इन्च का है, एकदम लोहे की तरह कड़क हो गया।

अब कपिला मेरे लन्ड को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगी। मैंने भी अब उसकी छाती से हाथ हटा कर उसकी पेन्टी में डाल दिया। अब वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगी। मैंने उसकी चूत के अन्दर उंगली डाल दी और आगे पीछे करने लगा। उसने मेरी पैन्ट की जिप खोल कर मेरे लन्ड को बाहर निकाला जो बाहर आने के लिये बेताब था, वो मेरे लन्ड को अपने होंटों के बीच लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी। अब मेरी हालत खराब होने लगी अब मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है तो मैं उसका मुँह हटाने लगा मगर वो हटने के लिये तैयार नहीं हुई और कुछ ही वक्त के बाद उसका मुँह मेरे वीर्य से भर गया।

मैं यह देख कर हैरान हो गया कि उसने मेरा सारा वीर्य पी लिया और मेरे लन्ड को चाट कर साफ़ कर दिया।

उसने मेरे कान में कहा- मैं टोयलेट में जा रही हूँ ! आप भी आ जाओ।

वो टोयलेट में गई, मैंने अपने कपड़े सही किये और पूरे डिब्बे में देखा कि कोई जाग तो नहीं रहा है। मैंने देखा कि सब सो चुके थे, अब मैं भी टोयलेट की तरफ़ गया और अन्दर घुस गया। मेरे अन्दर जाते ही कपिला भूखी शेरनी की तरह मुझे पकड़ कर मेरे कपड़ों को निकालने लगी। उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया, मैंने भी उसके कपड़े उतारने शुरु किये और उसे पूरी नंगी कर दिया। अब बारी मेरी थी उसकी चूत चाटने की, मैंने उसका एक पैर ऊँचाई पर रखवाया और घुटनों के बल बैठ कर उसकी गुलाब की पंखुड़ियों जैसी चूत को मैंने अपनी जुबान से चाटना शुरु किया और वो मेरे मुँह को अपनी चूत पर दबाने लगी। मुझे लगता है वो पहले से झड़ चुकी थी क्योंकि उसकी चूत से एक अलग सी खुशबू आ रही थी। मैंने भी जोर से चूत चाटना जारी रखा।

वो मुझे जोर से दबाने लगी, मैं समझ गया कि अब वो खाली होने वाली है और उसकी चूत ने मेरे मुँह में नमकीन सा पानी छोड़ दिया। मैंने भी चाट चाट कर उसकी चूत को साफ़ कर दिया। अब फ़िर उसने नीचे झुक कर मेरे लन्ड को अपने मुँह में ले लिया।

जब मेरा लन्ड एकदम कड़क हो गया तो कपिला बोली- साहिल, अब मेरी प्यास बुझा दो !

मैंने भी रुकना सही नहीं समझा और उसे कमोड पर बिठा के उसके दोनों पैरों को चौड़ा किया और उसकी चूत पर बहुत सारा थूक लगाया और अपने लन्ड को भी पूरा थूक से गीला किया।

अब मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कन्धों पर रखा और लन्ड को उसकी चूत पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लन्ड आधा उसके अन्दर चला गया उसकी चीख निकल गई मगर मैंने पहले से ही उसके होंटों को अपने होंटों से दबा रखा था इसलिये उसकी चीख अन्दर ही दब कर रह गई। अब वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी मगर मुझे पता था कि अब अगर यह हाथ से निकल गई तो दुबारा नहीं चुदवायेगी इस लिये मैंने अपनी पकड़ को ढीला नहीं होने दिया और उसके उरोजों को मसलना शुरु किया।

कुछ देर के बाद उसने सिसकारियाँ लेना शुरु की तो मैं समझ गया कि लोहा गर्म है, मैंने एक और जोरदार शोट मारा और मेरा पूरा 8 इन्च का लन्ड उसकी चूत में समा चुका था। इस बार भी उसने इतनी जोर से चीख मारी कि अगर उसके होंट मेरे होंटों में दबे ना होते तो शायद पूरा डिब्बे के यात्री जाग जाते।

मैंने उसकी चूत को देखा तो वहाँ से खून निकल रहा था और उसकी आँखों में आँसू आ गय थे। मगर मैं जानता था कि पहले दर्द होता है और फ़िर मज़ा आता है, इसलिये मैंने उसको ऐसे ही रहने दिया और उसके दूधों को मसलना जारी रखा।

कुछ देर बाद वो खुद अपनी गान्ड उठा कर झटके देने लगी, मैं समझ गया कि अब रास्ता साफ़ है और मैंने भी अपने लन्ड को आगे-पीछे करना शुरु किया।

मैंने अपने होंटों को उसके होंटों से हटा कर उसके बूब्स को चुसना शुरु कर दिया। अब उसे इतना मज़ा आने लगा कि वो खुद कहने लगी- ओ साहिल ! और जोर से ! और जोर से चोद मुझे !

मुझे भी जोश आने लगा और मैं भी डबल स्पीड से धक्के मारने लगा, और वो इतनी गर्म हो गई थी कि यह भी भूल गई कि वो उसके बेडरुम में नहीं ट्रेन के टोयलेट में है।

मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा तब जाकर कपिला को ऐहसास हुआ कि वो कहाँ है, और मैंने उसे कहा- मेरा पानी निकलने वाला है, कहाँ छोड़ूँ?

उसने कहा- अन्दर ही छोड़ दो कब से प्यासी है मेरी चूत !

और फ़िर दो चार धक्कों के बाद मैंने अपना पानी उसकी चूत में डाल दिया और वो भी झड़ गई, उसने उठ कर मुझे गले लगा कर एक जोरदार किस किया और कहा- साहिल, आई लव यू ! आज के बाद मैं तुम्हारी हूँ ! जब मन करे मुझे चोद लेना ! आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। और हम दोनों साफ़ होने के बाद कपड़े पहन कर पहले वो बाहर निकली और कुछ देर के बाद मैं निकला।

शुक्र था कि किसी ने हमें ना तो अन्दर जाते देखा और ना बाहर आते !

मैंने अपनी पहली कहानी लिखी है, आगे भी लिखता रहूँगा।

सुहागरात के सीन वाली सेक्सी फ़िल्म ने काम बना दिया Blue film ne use chudne ke liye tadpa diya

सुहागरात के सीन वाली सेक्सी फ़िल्म ने काम बना दिया, Blue film ne use chudne ke liye tadpa diya, सुहागरात की फिल्म दिखाकर चोदा, ब्लू फिल्म दिखाकर की चुदाई, मूवी दिखाकर चूत चोदी, गन्दी विडियो दिखाई और चोद दिया. गर्लफ्रेंड को खुश किया चोदकर, होठ चुसे और लंड चुसाया, दिन में भी और रात में भी चोदा.

मेरा नाम पटेल राज है। मैं अहमदाबाद (गुजरात) का रहने वाला हूँ। मैं अभी २० साल का हूँ। मुझे हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट की सारी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी। ये सब पढ़ने के बाद मुझे मेरी कहानी लिखने का मन किया सो मैं लिख रहा हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी गर्लफ़्रेन्ड की है, जब हम पढ़ते थे। शिवानी उसी साल हमारे वर्ग में नई-नई आई थी। मैं सीधा-साधा सा लड़का था। पर पढ़ने-लिखने में अपने वर्ग में सबसे तेज था। शिवानी भी पढ़ाई के मामले में बहुत अच्छी थी। जल्द ही हम दोनों में दोस्ती हो गई।

अब मैंने उसे अलग नजरों से देखना शुरू कर दिया था। शायद वह मेरी नजरों की भाषा समझ रही थी। हम दोनों एक दूसरे से मिलने जुलने लगे थे। वह जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी। जब भी मैं उसके उभरे संतरे जैसे चूचियों को देखता था तो मेरे मन में एक ही ख्याल आता था कि अभी जाकर उनका सारा रस निकालकर पी जाऊं। स्कर्ट पहने हुए उसकी कमर एवं जांघों को देखकर मुंह में पानी आ जाता था। वह कभी भी अपने होंठो पर लिपस्टिक नहीं लगाती थी, फिर भी उसके होंठ गुलाबी लगते थे। हर वक्त उसके होंठों को चूसने का दिल करता था।

एक दिन मैंने हिम्मत जुटा कर उसे लंच ब्रेक में अलग ले जाकर उसे कह दिया- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। पहले वह घबराई पर कुछ सेकंड के बाद वह मुस्कुराते हुए वहां से भाग गई। मैं समझ गया कि "लड़की हँसी मतलब फँसी"। फिर क्या था हम दोनों एक दूसरे को चोरी-चोरी नजरों से देखने लगे। मौका मिलते ही उसकी गोल छोटी-छोटी चूचियों को दबा देता। इसी तरह कई महीने गुजर गए। बस चुदाई के मौके की तलाश कर रहा था। कभी-कभी वह अपने सहेलियों के साथ मेरे घर पर भी आ जाती थी।

एक दिन अच्छा मौका मिला, पापा रोज की तरह अपने काम पर और मम्मी और बहन मेरी बुआ के घर चली गई थी। इत्तेफाक से वह रविवार का दिन था। मैंने उसे बहाने से बुलाया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वह अकेले ही मेरे घर आई। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मैं उसे देखकर सुन्न रह गया। उसने गुलाबी सूट पहन रखा था, जिसमें वह बहुत सुंदर लग रही थी। वह मुझे देखकर हँसी और घर के अन्दर आ गई। कुछ देर बाद हम दोनों मेरे बेडरूम में एक ही बेड पर लेटकर फ़िल्म देखने लगे।

फिर मेरे मन में एक शरारत सूझी, मैंने उठकर एक सेक्सी फ़िल्म लगा दी। जिसमे एक सुहागरात का सीन आ रहा था। वह पेट के बल लेट कर फ़िल्म देखने लगी। जिससे उसकी चुचियां बेड पर दब रही थी। फिर मुझे ऐसा महसूस हुआ कि फ़िल्म देखकर उसे भी कुछ हो रहा था।

अचानक उसने मुझसे पूछ लिया- तुमने यह सब किया है कभी?

मैंने अनजान बन कर पूछा- क्या ?

उसने कहा- यही जो इस वक्त टीवी में दिख रहा है।

मैंने कहा- नहीं ! जो कि सही था।

मैंने पूछा- क्या तुमने ?

वह शरमाते हुए बोली- नहीं।

फिर मैं थोड़ा हिम्मत करके बोला- चलो आज हम दोनों करके देखते हैं।

यह सुनकर वह उठ कर बैठ गई और बोली- मैं तो ऐसे ही कह रही थी, नहीं, यह सब ठीक नहीं है।

मैंने कहा- तो सीखेंगे कब ?

वह बोली- नहीं, इसमें बहुत दर्द होता है।

मैंने कहा- तुम्हें कैसे पता ?

वह बताने लगी कि उसकी सहेली ने बताया था जब उसकी शादी हुई थी।

फिर मैंने कहा- शुरू में थोड़ा दर्द होता है, फिर बहुत मजा आता है, मैंने किताब में पढ़ा था।

उसने कहा- तुम बहुत गंदे हो, कहकर सर को झुका लिया।

बस फ़िर क्या था, मैंने आगे बढ़कर उसके हाथों को चूम लिया, फिर उसके गुलाबी और कोमल होंठों को अपने होंठों से सटाया तो उसकी गर्म साँसे महसूस हुई जोकि काफी तेज चल रही थी। उसके होंठों को करीब १० मिनट तक चूसता रहा। वह भी अपनी जीभ मेरे मुंह में डालकर चाट रही थी। फिर मेरे हाथ उसके सर पर से सरक कर उसके चूचियों पर आ गए। जब मैंने उसकी चूचियों को हाथों से दबाया तो वह सिसिया कर बोली- नहीं राज, आज नहीं ! आज मुझे बहुत डर लग रहा है।

मैंने उसकी एक न सुनी और धीरे धीरे उसके सू्ट को खोलने लगा। कुछ देर बाद उसके बदन पर केवल पैंटी और छोटी सी ब्रा ही बच गई। फिर मैंने उसके गले पर चूमते हुए उसके पीछे जाकर ब्रा के हुक खोल दिए। वाह, क्या नज़ारा था। वह मेरे सामने लगभग नंगी खड़ी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं इसके साथ क्या करूँ।

वह केवल सर झुकाए खड़ी थी। फिर मैं आगे जाकर उसके चूचियों को धीरे धीरे मसलने लगा जिस कारण उसकी छोटी सी निप्पल कड़ी लगने लगी थी। उसके निप्पल को अपने जीभ से चाटने लगा जिससे उसके मुंह से सी……सी….की आवाजें आने लगी थी। मैं समझ गया कि अब वह गरम होने लगी है।

फिर अचानक मैंने उसके हाथ अपने 8 इंच खड़े लण्ड पर महसूस किया जो उसे पैंट के ऊपर से ही सहला रही थी। मैंने फट से अपने पैंट और अंडरवियर खोल दिया। वह मेरे लण्ड को आगे पीछे कर रही थी और मैं उसके चूचियों को बारी बारी से कुत्ते की तरह चाट रहा थ। फिर मैंने उसे घुटने के बल बैठाया और अपने लण्ड को चाटने को कहा। पहले तो उसने मना कर दिया पर मेरे जोर देने पर अपने कोमल होंठ मेरे लण्ड पर रख दिए। फिर धीरे धीरे उसे अपने मुंह में अन्दर बाहर करने लगी। पहली बार कोई मेरे लण्ड को अपने मुंह से चाट रही थी। मानो एक अजीब सी दुनिया में अपने आपको महसूस कर रहा था।

धीरे धीरे उसकी स्पीड बढ़ रही थी। एक समय ऐसा लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने फट से लण्ड को बाहर निकाला और शिवानी को बेड पर लेटा कर उसके पैंटी को खोल दिया। उसके बिना बाल वाले चिकनी चूत को देखकर मैं बेकाबू हो गया। मैंने उसके बूर पर हाथ फेरते हुए एक ऊँगली बूर में डाल दिया। जिससे उसके सिसकारियां निकल पड़ी। धीरे धीरे उसकी बूर से पानी निकलना शुरू हो गया। मैं अपना मुंह उसकी बूर पर रखकर चाटने लगा। कभी कभी अपने जीभ उसके बूर में भी डाल देता जिससे वह चीख पड़ती।

करीब १५ मिनट यह काम चलता रहा। अबतक तो मेरा लण्ड गर्म होने जैसा हो गया था। अब मैं उठा और उसके गांड के नीचे एक तकिया रखकर उसके ऊपर आ गया। अपनी ऊँगली को ३ बार अन्दर बाहर किया। फिर लण्ड को बूर के पास ले जाकर अन्दर डालने की कोशिश की पर नाकाम रहा। अगली बार फिर से कोशिश की तो थोड़ा सा लण्ड बूर में जा सका जिससे उसकी चीख निकल गई।

नहीं.. नहीं…. प्लीज…. बाहर….. निकालो की आवाज़ करने लगी। और करती भी क्या मेरा शेर 8" लम्बा जो था। मैंने फट से अपना हाथ उसके मुंह पर रख दिया। कुछ सेकंड के बाद जोरदार धक्के के साथ उसकी बूर की झिल्ली को फाड़ते हुए मेरा लण्ड उसकी बूर में पूरा के पूरा समां गया। जिससे उसकी भयानक चीख निकली पर मुंह बंद होने के कारण आवाज़ घर के बाहर नहीं जा सकी।

वह एक बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी और मुझे धक्का देने की कोशिश करने लगी। मैंने उसे जोरदार मजबूती से पकड़ रखा था जिसके कारण वह नाकाम रही। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। कुछ समय के बाद उसकी तड़प में कमी आई तो मैंने मोर्चा संभाला और शोट लगना शुरू कर दिया। अभी भी उसकी बूर बहुत टाइट थी जिस कारण मैं लण्ड को आसानी से अन्दर-बाहर नहीं कर पा रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई चीज मेरे लण्ड को चारों ओर से कसे हुए थी। मैंने महसूस किया कि कोई गर्म सी चीज मेरे लण्ड को जला रही है। जब मैंने देखा तो सु्न्न रह गया।

मैंने देखा मेरे लण्ड के चारों ओर से बूर में से खून निकल रहा था। मैंने डर कर लण्ड को बाहर निकाल लिया तो शिवानी ने कहा- यह क्या कर रहे हो। प्लीज उसे अन्दर डालो और पेलो। वह बार बार कहने लगी- चोदो ! प्लीज़ चोदो, जल्दी चोदो।

मैंने अपना लण्ड फिर से संभाला और जोर से धक्का लगा कर पूरा लण्ड बूर में डाल दिया। जिससे उसकी चीख निकली पर वह दर्द को सहन कर रही थी। बस पागलों की तरह कह रही थी –फक मी, फक मी, प्लीज चोदो, और जोर से चोदो राज। काम ओन और जोर से।

मैंने भी धक्का लगाना तेज कर दिया था। उसकी आवाजें साफ साफ नहीं निकल रही थी। चूंकि हम दोनों की यह पहली चुदाई थी इसलिए हम दोनों जल्द ही झड़ गए थे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैंने अपना सारा माल उसकी बूर में ही डाल दिया था। मैं पूरी तरह से थक गया था सो उसकी चूचियों पर सर रखकर लेट गया था। करीब ३० मिनट के बाद हम दोनों उठे पर शिवानी ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैंने उसे सहारा देकर बाथरूम में ले जाकर नहलाया और ख़ुद भी नहाया।

बाथरूम में अपने बूर और मेरे लण्ड पर लगा खून देखकर शिवानी चौंक गई। फिर मैंने उसे समझाया कि यह तेरी बूर का खून है। क्योंकि तुमने पहली बार सेक्स किया है। पहली बार सेक्स करने पर खून निकलता है। अब तुम्हारी बूर का रास्ता खुल गया है। जब वह बाथरूम से आई तो बेड पर खून देखकर बोली- इतना सारा खून !

फिर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए। हम दोनों करीब २ घंटे तक बात करते रहे और खाना खाया। जब वह कुछ नोर्मल हुई तो अपने घर चली गई। इसके बाद २ बार और शिवानी की चोदाई कर चुका हूँ। अभी हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ रहे हैं। शिवानी की और कई सहेलियों को मैंने मेरे 8" के मजे दिए हैं।

मैं जब भी नेट पर कहानियाँ पढ़ता हूँ तो मुझे वह दिन याद आ जाता है। वह दिन मैं कभी नहीं भूल सकता।

यह कहानी आपको कैसी लगी प्लीज लिखिए ! मुझे आपके प्यार का बेसब्री से इन्तेजार रहेगा !

जानिये - कैसे मनानी चाहिए आपको अपनी पहली सुहागरात kaise manaye aap apni pehali suhagrat

जानिये - कैसे मनानी चाहिए आपको अपनी पहली सुहागरात, kaise manaye aap apni pehali suhagrat, सुहागरात कैसे मनाए, सुहागरात में पति - पत्नी क्या करते है, जानिये सुहागरात में क्या होता है, सुहागरात के दिन लड़की को कैसे चोदे, लड़की की पहली रात में चुदाई कैसे करें, कैसे मनाए एक खुबसूरत और यादगार सुहागरात, पति - पत्नी के मिलन की पहली रात की चुदाई.

अकसर लोग ऐसे सोचते है की वो पलंग पर बहुत मजे कर सकते है लेकिन जब बात आती है उनकी खुद की सुहाग रात मनाने  की  उनके पसीने छुट जाते है ....तो दोस्तों आज मै आपको बताऊंगा की मैंने अपनी पहली सुहाग रात कैसे मनाई थी ...यह कहानी भी हमारे बाकी कहानी की तरह ही सौ प्रतिशत सच्ची है। सम्भोग के लिए कई आसन हैं पर पहली बार के लिए एक ऐसा आसन होना चाहिए जो दोनों के लिए सरल हो, जिसमें मर्द का नियंत्रण रहे और जिसमें गहराई तक लिंग प्रवेश मुमकिन हो। इसके लिए लड़की पीठ के बल नीचे लेटी हो और मर्द उसके ऊपर हो (missionary position) उचित है। इसीलिए मैंने अपने पात्रों को इस अवस्था में छोड़ा है।

अब बहुत ही अहम समय आ गया है जब लड़का अपना लिंग लड़की की योनि में डालने की कोशिश करेगा। लड़के को उठ कर लड़की की टांगों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ जाना चाहिए और लड़की के नीचे रखे तकिये के सहारे उसके नितंबों को पर्याप्त ऊँचाई देनी चाहिए। अगर तकिया पतला है तो दो तकिये ले सकते हैं। अब लड़की की टाँगें पूरी तरह खोल कर चौड़ी कर देनी चाहिए और लड़के को घुटनों के बल आगे-पीछे खिसक कर अपने आप को सही जगह ले आना चाहिए जिससे उसका लिंग योनि में आसानी से प्रवेश कर सके। ज़रूरत हो तो लड़की की टाँगें उठा कर मर्द के कन्धों पर भी रखी जा सकती हैं। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। इससे लिंग काफी गहराई तक अंदर जा सकता है। अब अपनी उंगली से मर्द को योनि का मुआयना करते हुए उसके छेद का पता लगा लेना चाहिए। फिर आगे झुक कर अपना सुपाड़ा उंगली की जगह रख कर टिका देना चाहिए। यह सुनिश्चित कर लें कि योनि भीगी हुई है वरना अपने थूक से या तेल से लिंग को गीला कर लें। अब सब तैयार है।

इस समय लड़की का संकुचित होना स्वाभाविक है। वह आकांक्षा और आशंका से जूझ रही होती है। पुरुष को चाहिए कि वह उसे दिलासा दे, उसका साहस बढ़ाये तथा उसे आश्वस्त करे कि वह उससे प्यार करता है और उसे तकलीफ नहीं पहुँचाएगा। इसके लिए कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है .... सिर्फ प्यार से उसके सिर और बदन पर हाथ फेरना काफी होगा।  अब पुरुष के प्रहार करने की घड़ी आ गई है। उसे आगे झुक कर लड़की के कन्धों को विश्वासपूर्वक पकड़ लेना चाहिए जिससे वह ज्यादा हिल-डुल ना सके। फिर अपने सुपारे पर शरीर द्वारा इस तरह दबाव बनाना शुरू जिससे सुपारा योनि में घुसने लगे।

अब लड़की की प्रतिक्रिया पर ध्यान देना चाहिए। उसके लिए यह एक नया अनुभव है और उसके मन का डर उसे रुकने के लिए उकसाएगा। थोड़ी बहुत आपत्ति को तो नज़रंदाज़ कर सकते हैं पर अगर लड़की को ज्यादा तकलीफ हो रही हो तो पुरुष को रुक जाना चाहिए। कुछ देर अंदर की ओर दबाव बनाये रखने के बाद ढील देनी चाहिए और फिर से उतना ही दबाव बनाना चाहिए। लड़की को धीरे-धीरे सुपारे को योनि-द्वार में महसूस करने और उसके आकार को भांपने का मौक़ा देना चाहिए जिससे वह शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आप को ढाल सके। आखिर वह भी सम्भोग के लिए उतनी ही लालायित है अपितु आशंकित भी है।

दो-तीन बार इस तरह दबाव डालने से योनि-द्वार थोड़ा खुल सा जाएगा और सुपाड़ा उसमें फंसने लगेगा। अब और अधिक प्रवेश तब ही हो पाएगा जब लिंग योनि की कौमार्य-झिल्ली को भेदे। इसके लिए पुरुष को अपना लिंग इतना बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे कि सुपाड़ा योनि-द्वार का रास्ता ना खो जाये। फिर स्त्री के शरीर को कसकर पकड़ कर और उसे बिना किसी चेतावनी दिए एक ज़ोरदार धक्का अंदर की ओर लगाना चाहिए।

इससे लड़की को दर्द तो ज़रूर होगा पर और उसकी झिल्ली का पतन आसानी से हो जायेगा। लिंग को एक झटके में अंदर डालने से दर्द भी क्षणिक ही होगा। झिल्ली-भेदन से कुछ खून भी निकल सकता है जो कि किन्हीं कारणों से मर्दों को बहुत अच्छा लगता है। पर इस रक्त-प्रवाह से घबराने की बात नहीं है। यह झिल्ली के फटने से हुआ प्रवाह है जो थोड़ी देर में अपने आप रुक जायेगा। अगर यह खून ना निकले तो ज़रूरी नहीं कि लड़की कुंवारी नहीं है। लड़कियों की झिल्ली सिर्फ सम्भोग से ही नहीं कई और कारणों से भी फट सकती है जैसे घुड़-सवारी, साइकिल चलाना, योगाभ्यास, जिमनास्टिक्स या कोई दुर्घटना। इसलिए मर्द को लड़की के चरित्र पर सोच-समझ कर शक करना चाहिए।

कौमार्य-झिल्ली योनि-द्वार से करीब एक इंच की गहराई में होती है अतः इसे भेदने के लिए पूरा लिंग अंदर डालने की ज़रूरत नहीं है। वैसे भी एक कुंवारी योनि में एक विकसित लिंग को एक ही झटके में पूरा अंदर डालना नामुमकिन सा है। यह तो तभी संभव है जब कोई खूंखार मर्द किसी अबला लड़की का बेरहमी से बलात्कार करे।
इस अचानक किये प्रहार के बाद पुरुष को लड़की को प्यार से आलिंगन-बद्ध कर लेना चाहिए और उसे देर तक पुचकारना चाहिए। इस पूरे समय उसे अपना लिंग बाहर नहीं निकालना चाहिए जिससे योनि को उसे ग्रहण करने का और अपने आकार को समायोजित करने का समय मिले। जब लगे कि लड़की अब संभल गई है तो लड़के को धीरे-धीरे दो-तीन बार लिंग को अंदर-बाहर करना चाहिए। इस समय लिंग को उतना ही अंदर ले जाएँ जितना पहले झटके में गया था।

जब योनि इस घर्षण को स्वीकार करने लगे तो धीरे-धीरे लिंग को निरंतर बढ़ती हुई गहराई से अंदर डालना शुरू करना चाहिए। यह पुरुष के लिए एक बहुत ही आनन्ददायक अहसास होता है जब उसका सुपारा योनि की अंदर से चिपकी हुई दीवारों को हर प्रहार के साथ थोड़ा-थोड़ा खोलता जाता है, मानो एक नया रास्ता बना रहा हो। मेरा आशय है कि लड़की को भी उसकी इस निरंतर अंदर से खुलती हुई योनि का आभास सुखदायक होता होगा और उसको अब पहली बार चिंता-मुक्त आनन्द की अनुभूति होती होगी। जब ऐसा होगा तो लड़की के माथे से शिकन मिट जायेगी, उसका कसा हुआ शरीर थोड़ा शिथिल हो जायेगा और वह मैथुन से मानसिक विरोध बंद कर देगी।

फिर हौले-हौले उसका साहस बढ़ेगा और हो सकता है वह सम्भोग में सहयोग भी करने लगे। वह कितनी जल्दी सहयोग करने लगती है यह पुरुष के यौन-सामर्थ्य, उसके आचरण और अपने साथी के प्रति उसकी चिंता पर निर्भर है। पुरुष जितना लड़की का ध्यान रखेगा, लड़की उससे भी ज्यादा उसका सहयोग करेगी और उसे खुश रखने का भरपूर प्रयास करेगी। यह बात यौन में ही नहीं, जीवन के हर पहलू में लागू हैं।

अब वह स्थिति आ गई है जब पुरुष चाहे तो अपना पूरा लिंग अंदर-बाहर करना शुरू कर सकता है। और उसे यह करना भी चाहिए क्योंकि तब ही उसे मैथुन का पूरा मज़ा आएगा। अगर लिंग को जड़ तक अंदर बार-बार नहीं पेला तो क्या सम्भोग किया !! जहाँ तक लड़कियों का सवाल है, उनकी योनि कि तंत्रिकाएँ योनि-द्वार से करीब दो इंच अंदर तक ही होती हैं। उसके बाद योनि में कोई अहसास का माध्यम नहीं होता। इसीलिए लड़की को यौन सुख देने के लिए ढाई इंच का लिंग भी काफी है। बड़ा लिंग होना तो मर्दों की सनक है जिसे वे मर्दानगी का द्योतक मान बैठे हैं वरना औरतों को तो मर्दानगी उनके आचरण और व्यवहार में दिखती है .... उनकी शिष्टता, शौर्य और खुद्दारी में दिखती है, ना कि उनके लिंग की लम्बाई में।

अकसर मर्द किसी कुंवारी लड़की को भेदने के बाद ज्यादा देर तक मैथुन नहीं कर पाता क्योंकि उसकी उत्तेजना एक नई योनि के आभास से शीघ्र ही चरम सीमा तक पहुँच जाती है और वह जल्द ही वीर्य-पतन कर देता है। ऐसी हालत में पुरुष को चाहिए कि जितनी देर तक हो सके मैथुन का आनन्द उठाता रहे। जब-जब उसे वीर्योत्पात होने का अहसास हो उसे लिंग अंदर ही रख कर रुक जाना चाहिए और अपने दिमाग को यौन से हट कर किसी और विषय पर ले जाने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ देर में जब उफान बैठने लगे तो धीरे-धीरे फिर से धक्कम-पेल शुरू करनी चाहिए। पर ज्वार-भाटे को देर तक नहीं टाल सकते। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। जब पुरुष को यह स्पष्ट हो जाये कि अब और नहीं रुका जा सकता तो उसे वेग से तीन-चार छोटे धक्के लगा कर लिंग को पूरा बाहर निकाल कर एक आखिरी ज़ोरदार प्रहार लगाना चाहिए जिससे लिंग जड़ तक अंदर ठुंस जाये और उसके वीर्य के फ़व्वारे लड़की के गर्भ की गहराई में जाकर छूटें।

लड़कियों को मर्दों के वीर्य-पतन का अहसास अच्छा लगता है मानो मर्द की सारी शक्ति उनमें आ गई हो। मर्द के शिथिल लिंग से भी कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है।
चरमावस्था में पुरुष को लड़की के साथ लिपट जाना चाहिए और लड़की को भी अपने मर्द को जकड़ लेना चाहिए। जब लिंग के फ़व्वारे बंद हो जाएँ तो लिंग को अंदर ही रखते हुए लड़की के प्रति, उसका सर्वोत्तम उपहार पाने के लिए, आभार प्रकट करना चाहिए। उसे जगह-जगह प्यार करके और कुछ देर अपनी बांहों में जकड़ कर यह किया जा सकता है। अब लिंग बाहर निकालने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि कुछ देर में वह शिथिल होकर खुद ही बाहर आ जायेगा और योनि भी सिकुड़ते वक्त उसे बाहर निकाल देगी।

लड़की का चरमोत्कर्ष सामान्य मैथुन से पुरुष की तृप्ति तो हो जाती है पर अधिकांश महिलाऐं चरमोत्कर्ष को प्राप्त नहीं कर पातीं क्योंकि पुरुष जल्दी ही परमोत्कर्ष तक पहुँच जाता है और शिथिल लिंग से वह स्त्री को उत्कर्ष तक नहीं ले जा पाता। बहुत कम ऐसे पुरुष होते हैं जो मैथुन के द्वारा स्त्री को अपने से पहले पराकाष्ठा तक ले जा पाते हैं। सम्भोग (सम + भोग) का मतलब है समान भोग, यानि स्त्री और पुरुष को बराबर का आनन्द मिलना चाहिए। ऐसे में स्त्री को चरम आनन्द से वंचित रखना सम्भोग नहीं कहा जा सकता। असल पुरुष वही है जो अपनी तृप्ति के साथ-साथ लड़की की कामुक तृप्ति के बारे में भी सोचे। अगर वह उसे लिंग-योनि घर्षण से तृप्त नहीं कर पाया तो और तरीक़ों से कर सकता है।

सबसे आसान तरीका है लिंग की जगह अपनी उंगली से उसकी योनि की चुदाई करे और उसके योनि-मुकुट (भग-शिश्न, clitoris) के इर्द-गिर्द ऊँगली चलाए। ध्यान रहे कि मुकुट पर सीधा दबाव ना डाला जाये क्योंकि वह एक अत्यंत ही मार्मिक अंग होता है। अगर एक उंगली कम पड़े तो दो उंगलियाँ या फिर तीन उंगलियाँ भी इस्तेमाल की जा सकती हैं।योनि के करीब दो-ढाई इंच अंदर और पेट की तरफ का हिस्सा अत्यधिक संवेदनशील होता है। इसे G-Spot कहते हैं। यह छूने में थोड़ा खुरदुरा होता है। उंगलियों से चोदते वक्त इस इलाके को टटोलने का प्रयास करना चाहिए जिससे लड़की को ना केवल जल्दी उत्कर्ष प्राप्त हो बल्कि उसका उत्कर्ष परम आनन्ददायक और विस्फोटक हो।

जब लड़की यौन पराकाष्ठा को प्राप्त हो जाये तो समझो सम्भोग पूरा हुआ। वह ज़रूर पुरुष की आभारी होगी।
सम्भोग उपरान्त सम्भोग के बाद पुरुष का आचरण बहुत ज़रूरी है। कुछ लोग उठ कर चले जाते हैं या पलट कर सो जाते हैं। यह गलत बात है। सम्भोग हमारे जीवन की सबसे सुखदाई क्रिया होती है। इस क्रिया में साथ देने वाली लड़की को सम्भोग के तुरंत बाद छोड़ देना ठीक नहीं है। पुरुषार्थ इसमें है कि सहवास के बाद कुछ समय लड़की के साथ बिताया जाये। ऐसे मौकों पर ज्यादा बातचीत नहीं हो पाती। इसलिए एक दूसरे को प्यार से सहलाना या लड़की पर एक हाथ और एक टांग रख कर एक-करवट कुछ देर लेटना अच्छा होगा।

जवानी में एक समय में एक सम्भोग से भूख नहीं मिटती। अधिकतर मर्द कम से कम दो बार चुदाई करना चाहते हैं और कुछ तो तीसरी बार का भी मौक़ा ढूंढते हैं। हालाँकि लड़कियों में सहवास की क्षमता मर्दों के बनिस्पत कई गुना होती है, ज़्यादातर लड़कियाँ एक बार के मैथुन से तृप्त हो जाती हैं बशर्ते कि उन्हें भी चरमोत्कर्ष की प्राप्ति हुई हो।

अगर दोनों राज़ी हों और पुरुष में सामर्थ्य हो तो करीब आधे घंटे के बाद दोबारा मैथुन का प्रयास करना चाहिए। इसमें एक ही बाधा आ सकती है। वह है लिंग का खड़ा ना होना। उसे दोबारा खड़ा करने में लड़की बहुत अहम भूमिका निभा सकती है। वह चाहे तो एक औसत पुरुष का लिंग अवश्य खड़ा होगा। यह वह कैसे कर सकती है उसके लिए मेरी “लिंग चूसने की विधि” पढ़िए। दूसरी बार किया हुआ सम्भोग पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा समय के लिए होगा क्योंकि अब पुरुष को उत्कर्ष तक पहुँचने में देर लगेगी। यह पुरुष के लिए अच्छी बात है क्योंकि वह ज्यादा देर तक मज़े लूट सकेगा और उसे अपनी मर्दानगी पर भी गर्व होगा।

लड़कियों के लिए भी कुछ हद तक यह मजेदार बात रहती है क्योंकि उन्हें भी लिंग के घर्षण से उत्कर्ष तक पहुँचने का मौक़ा मिलता है। पर अगर मैथुन बहुत देर तक चले और वीर्योत्पात ना हो यह तकलीफ दायक हो जाता है। मर्द को तो चुदाई में आनन्द आता रहता है पर स्त्री की योनि में तकलीफ हो सकती है। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। पुरुष को इस बात का ध्यान रखना चाहिए और बीच-बीच में कुछ देर के लिए घर्षण रोक देना चाहिए या फिर आसन बदलते रहना चाहिए।

स्त्री को चाहिए कि अगर वह थक गई है और उसके मर्द की तृप्ति नहीं हुई है तो वह उसे अपने मुँह से तृप्त करने का विकल्प दे। बिरला ही कोई पुरुष इसके लिए मना करेगा। इसी प्रकार अगर पुरुष की तृप्ति हो गई है और स्त्री की नहीं, तो पुरुष भी उसकी योनि को मुँह से तृप्त कर सकता है। स्त्री और पुरुष, दोनों ही मौखिक-मैथुन से जल्दी उत्कर्ष को पा लेते हैं अतः हर स्त्री-पुरुष को ना केवल यह कला आनी चाहिए, उन्हें इसका भरपूर प्रयोग करके एक दूसरे को तृप्त रखना चाहिए।

इस लेख में मैंने एक कुंवारी लड़की के साथ पहले-पहले मैथुन की विधि बताई है। मैथुन एक बहुत ही विषम और निजी विषय है। इसमें बताई हर बात हर किसी के लिए उपयुक्त ना हो क्योंकि हम में काफी समानताओं के साथ-साथ कई भेद भी हैं। फिर भी, एक औसत पुरुष और स्त्री को यह क्रिया कैसे करनी चाहिए और वे क्या-क्या अपेक्षा रख सकते हैं, यह बताने का मेरा प्रयास रहा है। आशा है यह उपयोगी साबित होगा।

स्कूल में मिली सजा लेकिन घर पर आंटी ने दिया मजा School me sajaa ghar pe aunty ne diya majaa

स्कूल में मिली सजा लेकिन घर पर आंटी ने दिया मजा, School me sajaa ghar pe aunty ne diya majaa, आंटी की चुदाई, पड़ोस वाली आंटी को चोदा, बड़ी उम्र की आंटी की गांड मारी, लंड चुसाया और चूचियां दबाई, मेरा लण्ड भी अकड़ कर दुखने लगा, ढेर सारा माल चाची की चूत में भर दिया.

उस दिन मैं घर से तैयार होकर स्कूल के लिए निकला तो दिन ही खराब था। घर से निकलते ही मेरी साइकिल की टक्कर पड़ोस की एक सबसे ज्यादा लड़ाकू औरत से हो गई। चंपा नाम था उसका। उम्र यही को चालीस के आस पास होगी। उसकी कोई औलाद नहीं थी। बस शायद इसी लिए वो पूरे मोहल्ले में सब से लड़ती रहती थी। छोटी छोटी बात पर वो झगड़ पड़ती थी और फिर मैंने तो उसको अपनी साइकिल  से टक्कर मार दी थी तो आप समझ सकते है की मेरी क्या हालत हुई होगी इसके बाद। उसने गुस्से में मुझे दो तीन थप्पड़ जड़ दिए। गलती मेरी थी सो मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप स्कूल के लिए निकल गया। उस टक्कर के चक्कर में मैं स्कूल में लेट हो गया। जाते ही स्कूल की मैडम ने क्लासरूम के बाहर खड़ा कर दिया। मुझे उस चंपा पर बहुत गुस्सा आ रहा था।

कहते हैं ना गुस्सा इंसान के दिमाग को कुछ सोचने लायक नहीं छोड़ता। वही कुछ मेरे साथ हुआ। क्लास रूम से बाहर खड़े खड़े जब बहुत वक्त बीत गया तो मैंने मैडम से क्लास में आने के लिए पूछा तो उसने मुझे डाँट दिया। मैंने भी गुस्से में मैडम को कुछ ऐसा बोल दिया जो मुझे नहीं बोलना चाहिए था। बस फिर क्या था मेरी तो जैसे शामत आ गई। पहले तो मैडम ने खुद पीटा और फिर मुझे प्रिंसीपल के कमरे में ले गई और फिर प्रिंसीपल ने भी तसल्ली से मेरी मरम्मत की। इतनी मार मुझे कभी भी नहीं पड़ी थी। उसके बाद मुझे यह कह कर स्कूल से निकाल दिया कि कल अपने घर से किसी को साथ लाना तभी कक्षा में बैठ सकते हो नहीं तो नाम काट देंगे।

मेरी तो हवा सरक गई। क्यूंकि घर क्या बताता कि मैंने मैडम को क्या कहा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर घर से भी पिटाई पक्की थी। एक बार तो मन में आया कि उस चंपा का सर फोड़ दूँ जिसने मेरा सारा दिन खराब कर दिया। बस यही सब सोचते सोचते मैं घर की तरफ चल दिया। सारा बदन और गाल दर्द कर रहे थे। मैं सीधा घर ना जाकर अपने पड़ोस की एक आंटी जिसे मैं चाची कहता था के पास चला गया। वो बहुत ही अच्छी थी और मुझे बहुत प्यार भी करती थी।

“आज स्कूल से इतनी जल्दी कैसे आ गया राज?” चाची ने घर में घुसते ही सवाल दाग दिया।
मैं सकपका गया और सोचने लगा कि क्या जवाब दूँ। पर जब चाची ने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरते हुए पूछा तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और सारी बात चाची को बता दी। चाची ने भी चंपा को दो तीन गालियाँ दी और फिर मेरे बदन को देखने लगी जहाँ जहाँ मार पड़ी थी।

चाची ने जब मेरी कमीज ऊपर कर के मेरी कमर को देखा तो कमर पर पड़े नील देख कर वो सहम सी गई और प्यार से मेरी कमर पर हाथ फेरने लगी। उस समय वो और मैं बेड पर बैठे थे। वो बिल्कुल मेरे पास बैठी थी। जब वो मेरी कमर पर हाथ फेर रही थी तो ना जाने कब और कैसे मेरा हाथ उसकी रानों पर चला गया।

अचानक से मुझे थोड़ा ज्यादा दर्द हुआ तो मैंने चाची की जांघों को कस कर पकड़ लिया। चाची को भी एकदम से दर्द हुआ तो मुझे भी एहसास हुआ कि मेरा हाथ कहाँ है। मैंने जल्दी से अपना हाथ वहाँ से हटाया पर तब तक चाची की कोमल जांघों का एहसास दिल में बस चुका था। अचानक बिना किसी इरादे के हुए इस हादसे ने चाची के लिए मेरी नजर ही बदल कर रख दी।

चाची उठ कर अंदर से आयोडेक्स लेकर आई और मेरी कमर पर लगाने लगी। पर अब मेरी नजर चाची की जांघों और फिर धीरे धीरे उठते हुए चाची की चूचियों पर ठहर गई। सच में क्या बड़ी बड़ी चूचियाँ थी चाची की। दवाई लगाते हुए चाची की साड़ी का पल्लू थोड़ा नीचे ढलक गया था तो ब्लाउज में कसी चूचियाँ देख कर मेरे तन बदन में ज्वालामुखी से फटने लगे थे। लण्ड था कि अकड़ कर दुखने लगा था अब।

चाची का प्यार देख कर मेरे दिल में अलग सा सितार बजने लगा था। अब तो मुझे भी चाची पर बहुत प्यार आ रहा था। पर पहली बार था तो डर रहा था। और वैसे भी आज का मेरा दिन ही खराब था सोचा कि कहीं प्यार के चक्कर में चाची से भी मार ना पड़ जाए।

दवाई लगा कर चाची ने मुझे दूध गर्म करके पीने को दिया। चाची और मैं फिर से बातें करने लगे। चंपा की बात आई तो मेरे मुँह से निकल गया कि दिल करता है साली को पकड़ कर चोद दूँ।

कहने के बाद मुझे एहसास हुआ कि आखिर मैंने क्या कह दिया है। चाची अवाक् सी मेरे मुँह की तरफ देख रही थी। चाची ko ऐसे देखते देख मैं सकपका गया।

तभी चाची बोली- वाह राज बेटा... लगता है तू जवान हो गया है तभी तो पहले स्कूल की मास्टरनी को और अब चंपा को... बहुत गर्मी चढ़ गई है क्या?

“वो....” मैं कुछ भी कहने की हालत में नहीं था।

“होता है राज... तुम्हारी उम्र में ऐसा ही होता है... जवानी नई नई जो आई होती है तो तंग करने लगती है...तुम्हारा कोई कसूर नहीं है... पर थोड़ा अपने उपर कण्ट्रोल रखो” चाची ने मुझे समझते हुए कहा।
मैं चुपचाप बैठा चाची की बात सुनता रहा। तभी चाची ने जो पूछा तो मेरे अंडरवियर में फिर से हलचल होने लगी।

चाची बोली- राज... सच में चंपा को चोदने का दिल कर रहा है तुम्हारा?
मैं क्या जवाब दूँ, समझ में नहीं आ रहा था। पर ना जाने कैसे मेरे मुँह से निकल गया कि आज साली ने सारा दिन खराब करवा दिया, आज तो सच में कुछ कर दूँगा अगर सामने आ गई तो।
“तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?”
“नहीं चाची.. अभी तो नहीं है।”
“क्या बात? कोई मिली नहीं क्या अभी तक?”
“क्या चाची तुम भी ना...” मैंने शरमाते हुए कहा।
“अरे बता ना... मुझ से क्या शरमा रहा है।”
“तुम हो ना मेरी गर्लफ्रेंड...” मैंने हँसते हुए चाची को मजाक में कहा।
“रहने दे झूठ मत बोल...”
“सच में चाची...तू ही तो है मेरी गर्लफ्रेंड... नहीं तो आज तेरे पास आने के बजाय किसी और के पास बैठ कर अपना दर्द नहीं बाँट रहा होता क्या?”
“धत्त...पागल... मैं तो तेरी आंटी हूँ... मैं तेरी गर्लफ्रेंड कैसे बन सकती हूँ?”
“सच चाची तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो... यहाँ तक कि रात को सपने भी तुम्हारे ही देखता हूँ मैं !” मैंने प्यार की चासनी में थोड़ा सा झूठ का तड़का लगा दिया।

चाची की आँखों में लाली दिखने लगी थी। शायद वो गर्म हो रही थी या यह भी हो सकता है कि वो शर्म की लाली हो। मैं चाची के थोड़ा नजदीक जाकर बैठ गया और चाची की साँसों के साथ ऊपर नीचे होती चूचियों को देखने लगा। दिल किया कि पकड़ लूँ, पर डर था दिल के किसी कोने में अभी भी। पहल करने लायक हिम्मत नहीं आई थी अभी तक। तभी चाची ने मेरी चोरी पकड़ ली और बोली- ये ऐसे क्या देख रहा है?

मैं फिर से सकपका गया, मैंने कहा- कुछ नहीं चाची... बस ऐसे ही...।
“मेरी चूचियाँ देख रहा है?” चाची ने बम फोड़ दिया। चाची के मुँह से यह सुनते ही मेरे दिल की धड़कन दुगनी हो गई।
“सच चाची तुम बहुत खूबसूरत हो और तुम्हारी चूचियाँ भी बहुत बड़ी बड़ी हैं।”
“ह्म्म्म... बेटा चाची पर ही लाइन मरने लगे... बहुत जवानी चढ़ रही है तुझ पर... ठहर मैं बताती हूँ तुझे..” कह कर चाची ने मेरा कान पकड़ कर मरोड़ दिया।

मुझे दर्द हुआ तो मैंने भी जानबूझ कर चाची की चूची पकड़ कर दबा दी। क्या मस्त मुलायम चूची थी चाची की। पर चाची इस तरह चूची दबाने से नाराज हो गई और दो थप्पड़ भी लगा दिए मुझे। मैं तो आज सुबह से ही पिट रहा था। चाची के गुस्सा होने से अब घर पर पिटाई का डर भी सताने लगा। मुझे डर था कि कहीं चाची मेरे घर पर यह बात ना बता दे। डर के मारे मैंने चाची के पाँव पकड़ लिए और माफ़ी मांगने लगा पर चाची बिना कुछ कहे रसोई में चली गई। मैं भी पीछे पीछे रसोई में पहुँच गया और कान पकड़ कर सॉरी बोलने लगा। तभी मैंने रसोई में सामने लगे छोटे से शीशे में देखा तो लगा कि चाची मुस्कुरा रही हैं। मुझे समझते देर ना लगी कि चाची मेरे मज़े ले रही हैं। मैं चाची के बिल्कुल पीछे खड़ा था, शीशे में चाची को मुस्कुराते देख कर मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने चाची को पीछे से पकड़ लिया और चाची की गर्दन पर चूमने लगा।

चाची ने मुझ से छुटने की कोशिश की पर मैंने चाची को अपनी तरफ घुमा कर चाची की होंठों पर अपने होंठ रख दिए। कुछ देर की कोशिश के बाद चाची ने भी हथियार डाल दिए और चुम्बन करने में मेरा साथ देने लगी।
अब चाची की जीभ मेरे मुँह में मेरी जीभ से प्यार लड़ा रही थी और मेरे हाथ चाची के माखन के गोले जैसी चूचियों को मसल रहे थे। करीब पाँच मिनट की चुम्माचाटी के बाद हम अलग हुए तो चाची बोली- हट... तू तो बहुत गन्दा है.. मैं कुछ नहीं बोला बस चाची को बाहों में भर कर बाहर ले आया और सोफे पर लेटा दिया। मेरे हाथ अब चाची की केले के तने जैसी चिकनी जांघों पर थे। एक हाथ से जांघों को सहलाते सहलाते मैं दूसरे हाथ से चाची के ब्लाउज के हुक खोलने लगा। चाची आँखें बंद किये मज़ा ले रही थी। कुछ ही पल में चाची की सफ़ेद ब्रा में कसी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही चूचियों को चूमने लगा। मेरा दूसरा हाथ भी अब चाची की पैंटी तक पहुँच चुका था, कुछ कुछ गीलापन महसूस हो रहा था।

मैंने चाची की ब्रा उतार कर एक तरफ़ रख दी और चाची की मस्त चूची को मुँह में लेकर चूसने और काटने लगा। मैंने चाची की साड़ी को ऊपर उठा कर पेट पर कर दिया। चाची की जांघें अब बिल्कुल नंगी मेरी आँखों के सामने थी और सफ़ेद रंग की पैंटी में कसी चूत नजर आने लगी थी। मैंने चाची की पैंटी को पकड़ कर नीचे खींचा तो चाची ने शरमा कर दोनों हाथ अपनी चूत पर रख लिए। पर मैंने पैंटी को नीचे खींच दिया। चाची ने अपनी चूत दोनों हाथों से ऐसे छुपा ली थी जैसे बिना मुँह दिखाई के दर्शन ही नहीं करने देगी। पर मुँह दिखाई के लिए तो मैं भी तैयार था। मैं चाची की जांघों को अपने होंठों से चूमने लगा और फिर धीरे से चाची के हाथ पर चूम लिया तो चाची ने एक हाथ हटा दिया। हाथ हटते ही चाची की चूत के दर्शन हुए।

मैंने मौका जाने नहीं दिया और चूत पर अपने होंठ रख दिए। एक अजीब सी खुशबू मेरे नाक में आई और गीली चूत का नमकीन सा स्वाद मेरी जीभ पर आ गया जिसको चखते ही मैं तो जैसे मदहोश सा होने लगा। मैंने चाची का हाथ एक तरफ किया और जीभ से चूत को कुरेदने लगा और चाटने लगा। अब चाची की सिसकारियाँ गूंजने लगी थी। चाची की आँहे कमरे के वातावरण को मादक बना रही थी। तभी चाची का हाथ मैंने अपने लण्ड पर महसूस किया। मेरा लण्ड तो पहले से ही पूरा तैयार हो चुका था। चाची ने मेरे लण्ड को पैंट से बाहर निकाला और अपने मुँह में ले लिया। अब हम दोनों 69 की अवस्था में थे। मतलब मेरा लण्ड चाची के मुँह में और उसकी चूत मेरे मुँह पर थी।

कुछ देर की चुसाई के बाद जब लण्ड अकड़ने लगा तो मैंने चाची के मुँह से लण्ड निकाल लिया और चाची की चूत पर रख दिया। चूत पर लण्ड का एहसास मिलते ही चाची ने अपनी गाण्ड ऊपर को उठाई तो लण्ड का सुपारा चाची की चिकनी और पानी पानी होती चूत में घुस गया। चाची सीत्कार उठी। चाची ने जैसे ही गाण्ड नीचे करके दुबारा ऊपर को उचकाई तो मैंने भी देर नहीं की और एक जोरदार धक्का लगा कर आधे से ज्यादा लण्ड चाची की चूत में डाल दिया। “उईईइ माँ......आराम से हरामी... फाड़ डालेगा क्या...”

पर मैंने तो जैसे कुछ सुना ही नहीं और मैंने एक और जोरदार धक्का लगा कर पूरा लण्ड चाची की चूत में सरका दिया। चाची की चूत और मेरे अंडकोष अब आपस में चिपके हुए थे। मेरा पूरा लण्ड जड़ तक चाची की चूत में था।
मैं इसी अवस्था में लेटा रहा और चाची के होंठ और चूचियों को चूसता रहा। तभी चाची ने अपनी गाण्ड ऊपर को उछाली तो मैंने भी उसका जवाब एक जोरदार धक्के के साथ दिया। फिर तो पहले धीरे धीरे और फिर पूरी रफ़्तार से चाची की चूत की चुदाई शुरू हो गई। कमरे में चाची की ऊउह्ह्ह्ह्ह आह्हह्ह उईईइ हाआआईई ओह्ह्ह ही सुनाई दे रही थी या फिर सुनाई दे रहा था चुदाई का मधुर संगीत जो फच्च फच्च फट फट करके कमरे में गूंज रहा था।

पूरे पन्द्रह मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मेरा लण्ड अब अन्तिम चरण पर था। लण्ड चूत के अंदर ही फ़ूल कर मोटा हो गया था जिसका भरपूर मज़ा चाची भी ले रही थी। चाची मेरे लण्ड की गर्मी से दो बार पिंघल चुकी थी। चूत पानी पानी हो रही थी कि तभी मैंने भी अपने लण्ड का लावा चाची की चूत में भर दिया। लावे की गर्मी महसूस होते ही चाची ने मुझे अपने से चिपका लिया और अपनी टांगो में भींच लिया। मेरा लण्ड चाची की चूत में पिचकारियाँ छोड़ रहा था। मेरे वीर्य ने चाची की चूत को पूरा भर दिया था जो अब चाची की चूत से बाहर आने लगा था। हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे और फिर अलग होकर चाची ने मेरे लण्ड और अपनी चूत को अच्छे से साफ़ किया। चाची चुदाई के बाद बहुत खुश थी।

मैं एक बार और चाची की चूत में हलचल करना चाहता था पर तभी घड़ी पर नजर गई तो मेरे स्कूल की छुट्टी का समय हो गया था। चाची ने भी मुझे घर जाने को कहा क्यूंकि चाचा भी लगभग इसी समय दोपहर का खाना खाने आते थे। मैं स्कूल की सजा को भूल कर चाची के साथ के मज़े में खो सा गया और फिर बुझे मन से अपने घर चला गया। मेरी नजर चाची के दरवाजे पर ही टिकी थी। जैसे ही चाचा खाना खाकर वापिस गए तो मैं तुरन्त चाची के घर पहुँच गया और चाची को बाहों में भर लिया। चाची ने मुझे कमरे में बैठने को कहा और बोली- मैं अभी आती हूँ। कुछ देर रसोई के काम निपटा कर चाची मेरे पास आ कर बैठ गई। पर मैं बैठने थोड़े ही आया था तो बस चाची के आते ही टूट पड़ा और चाची की चूचियाँ मसलने लगा। चाची ने मुझे थोड़ा रोकने की कोशिश की पर जल्दी ही हथियार डाल दिए और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। चुम्मा-चाटी का दौर करीब दस पन्द्रह मिनट के लिए चला। चाची मस्ती के मारे बदहवास सी हो गई थी और मुझे अपने से पकड़ पकड़ कर लिपटा रही थी। चाची की बेचैनी को समझते हुए मैंने चाची के बदन से कपड़े कम करने शुरू किये और कुछ ही देर बाद चाची मेरे सामने बिल्कुल नंगी बैठी थी।

मेरा लण्ड भी अकड़ कर दुखने लगा था तो मैंने भी देर नहीं की और अपने कपड़े उतार कर लण्ड टिका दिया चाची की चूत पर। एक ही धक्के में पूरा लण्ड चाची की चूत में था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। चाची पूरी गर्म थी। लण्ड अंदर जाते ही चाची ने मुझे अपने नीचे कर लिया और मेरे लण्ड पर बैठ कर अपनी मस्त गाण्ड को ऊपर नीचे करने लगी। चाची पूरी मस्ती में और पूरे जोश के साथ ऊपर नीचे हो रही थी। मेरा तो लण्ड धन्य हो गया था चाची की चूत पा कर।
करीब दस मिनट तक चाची मेरे ऊपर बैठ कर चुदती रही और फिर एक जोरदार ढंग से झड़ गई।

झड़ने के बाद चाची थोड़ी सुस्त हो गई तो मैंने चाची को अपने नीचे लिया और फिर से जोरदार चुदाई शुरू कर दी। कमरे में फच्च फच्च की मादक आवाज़ गूंज रही थी। चाची की सिसकारियाँ और सीत्कारें मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। मैं चोदता रहा और चाची चुदती रही। ऐसे ही करीब आधा घंटा बीत गया। चाची कम से कम तीन बार झड़ चुकी थी और अब वो बिल्कुल पस्त नजर आ रही थी। मेरा लण्ड अभी भी पूरे जोश में था।

“राजा...अब तो चूत दुखने लगी है.. उईईई... अब और नहीं चुदवा सकती... तूने तो चूत का भुरता ही बना दिया...आह्ह्ह... तेरा चाचा तो दो मिनट भी नहीं चोद पाता है।” मैं तो जैसे कुछ सुन ही नहीं रहा था। और पूरे जोश के साथ चाची की चूत में धक्के लगा रहा था। तभी चाची ने हाथ नीचे ले जा कर मेरे अंडकोष को दबाया और मसला तो मेरा लण्ड भी चाची की चूत को भरने के लिए तड़प उठा। फिर भी करीब पाँच मिनट और चाची की चूत को चोदा और फिर ढेर सारा माल चाची की चूत में भर दिया।

चाची मुझसे चुदवा कर बहुत खुश थी। उस दिन के बाद से हम दोनों हर रोज चुदाई करने लगे। स्कूल से आने के बाद मेरी नजर चाची के दरवाजे पर लगी रहती। जैसे ही चाचा खाना खा कर अपने काम पर जाता, मैं पहुँच जाता अपनी चाची जान की चूत का मज़ा लेने।
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