सड़क के किनारे खुलेआम मस्त मधु की चुदाई Sadak ke kinare khuleaam Madhu ki mast chudai

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम सुनीत है और मै एक गार्ड की नौकरी करता हु | मुझे रात की शिफ्ट मे काम करना पसंद है | अभी मै एक बाज़ार के बाहर पहरा देता हु | मेरी शिफ्ट रात को ८ बजे से लेकर सुबह ८ बजे तक की होती है और मार्केट सुबह ११ बजे से खुलता है | मै रात को बाहर एक कुर्सी रख लिया करता था, ताकि मै उस पर बैठ सकू | मुझे ज्यादा घुमने की जरुरत नहीं होती थी; क्योकि , मार्केट एक बंद बिल्डिंग मे था और एक ही गेट से कोई भी आ जा सकता था और अगर वो गेट बंद हो जाये, तो कोई भी बिल्डिंग के अन्दर नहीं आ जा सकता था | बिल्डिंग एक साइड मे छोटी सी गली थी, जिसमे मै अक्सर एक कम्बल डालकर सो जाया करता था | लेकिन, मै सोता जब ही था, जब थोडा सा दिन निकल जाता था और सड़क पर थोड़ी से चहल-पहल शुरू हो जाती थी | सुबह ४ बजे सड़क की सफाई होनी शुरू होती थी और उस समय एक औरत सड़क की सफाई करती थी | उसके पास, मेरा आसपास का एरिया था | सुबह ४ बजे काफी अँधेरा होता था, तो उसका पति भी उसके साथ आता था |

उस पूरी सड़क पर, अकेला मै ही होता था; तो उसका पति मेरे पास आकर बैठ जाता था | मैने उस गली मे, चाय बनाने का भी इंतजाम कर रखा था, तो वो और उसका पति मेरे पास आकर पहले चाय पीते थे और फिर उसकी पत्नी काम शुरू करती थी | बातो-बातो मे, मुझे उसका नाम मधु पता चला था और वो ३२ साल की मस्त और सुंदर औरत थी | उनके कोई भी बच्चा नहीं था और अब वो उसको चाहते भी नहीं थे, तो उसकी पत्नी ने अपना इलाज करवा लिया था | उसका पति काफी बड़ा दारूबाज़ था और हमेशा ही नशे मे धुत रहता था | सुबह भी, जब वो आता था तो उसकी आँखे नशे मे होती थी और उसका शरीर झूल रहा होता था | जब भी मै उन दोनों से मिलता था, तो मधु को बड़ी शर्म महसूस होती थी, कि उसका पति बेवड़ा है | कुछ दिनों से मधु का पति नहीं आ रहा था और मधु भी मेरे साथ चाय नहीं पी रही थी | आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। सर्दी का मौसम था और मुझे सुबह नीद आ जाती थी | मुझे सुबह मधु का पति ही जगाता था; उसके ना आने से मै थोडा देर तक सो लेता था | मुझे गंदे सपने देखने की आदत थी, तो शायद मधु ने मेरा खड़ा लंड देख लिया होगा और इसलिए वो मेरे साथ चाय पीने नहीं आयी | एक दिन कुछ खटपट से मेरी नीद खुल गयी, तो देखा कि मधु मेरी जगह को साफ़ कर रही थी |

मैने उसको देखकर चाय के लिए पूछा, तो उसने बोला, तुम मुझे सामान दे दो, मै बना देती हु | उस दिन उसकी आवाज़ मे कुछ उदासी थी | मुझे मधु अच्छी लगती थी और मैने अपने प्यार भरे हाथ उसकी जांघो और कंधे पर रखे; तो वो रो पड़ी और उसने बोला, कि मेरा पति आजकल ज्यादा दारु पीने लगा है और जुआ भी खेलने लगा है | एक दिन उसने किसी से पैसे लेकर जुआ खेला और हार गया, तो उसने मधु का शरीर उसको पेश कर दिया | उस रात उन्होंने मधु को नोचा और काटा, इसलिए मधु ३-४ नहीं आ पाई थी | मुझे उससे हमदर्दी होने लगी थी और मैने उसको अपनी तरफ खीच लिया और उसका सर अपने कंधे पर रख लिया | उसके चुचे के सही माप मुझे उस दिन पता लगा और मेरे हाथ अनायास ही उसके चूचो पर चले गये | उसने टेढ़ी नजरो से मुझे देखा और एक मुस्कराहट के साथ अपना चेहरा नीचे कर लिया | शायद, प्यास का स्पर्श आज उसे पहली बार मिला था और वो भी इस मौके को गवाना नहीं चाहती थी | हम दोनों गली की ओट मे चले गये, ताकि कोई हमें देख ना सके और जमीन पर कम्बल डाल दिया और उस पर मैने मधु को लिटा दिया और खुद अदा उसके ऊपर झुक गया |

हम दोनों एक दुसरे की आँखों मे देख रहे थे और मेरे हाथ उसके बालो से खेल रहे थे | हम दोनों की साँसे तेज होने लगी और फिर मैने अपने होठो को नीचे करके मधु के होठो पर रख दिया और मधु का बदन एक दम ऊपर उठ गया | हम दोनों की साँसे गरम हो चुकी थी और बहुत तेज चल रही थी | मधु के पैर कसमसा रहे थे और मैने अपने हाथो से मधु का चेहरा कसकर पकड़ा हुआ था और और हम दोनों एक दुसरे को मस्त मे चूम रहे थे | फिर, मधु ने मरे शर्ट के बटन खोल दिये और मेरी छाती को चूमने लगी | पता नहीं, कितने दिनों से वो प्यासी थी | मैने भी उसकी साड़ी को खोल दिया और उसका ब्लाउज उतार दिया और उसको आधा नंगा कर दिया |उसके चुचे मेरी उम्मीद से भी ज्यादा बड़े थी और उसके गोरे चूचो पर गुलाबी निप्पल मस्त लग रहे थे | फिर, मुझे जुआ खेलने वालो की याद आये | मधु को देखकर किसी की भी नियत ख़राब हो सकती थी | फिर, मैने अपने होठो से मधु के निप्पल को चुसना और खीचना शुरू कर दिया और मधु के होठो पर अपनी ऊँगली घुसा दी | हम दोनों ही हवस मे बह चुके थे और अब और नहीं रुकना चाहते थे | मै मधु के ऊपर से उठा और मधु के सारे कपडे उतार दिया और खुद भी नंगा हो गया | क्या बला की खुबसूरत थी मधु |

मेरा लंड तो बार-बार झटके मार रहा था और किसी की आनेका भी डर था | मैने मधु के पैर खोले और अपना मुह मधु की चूत मे घुसा दिया और मस्ती मे चाटने लगा | खुद देर तो मधु ने बर्दाश्त किया, लेकिन एक हद के बाद मेरे बाल खीच लिए और बोली, अब डाल दो ना राजा | मधु की प्यास देखकर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और मैने अपने घुटनों पर बैठकर मधु की टांग खोल दी और अपना लंड रगड़ने लगा और फिर, एक तेज दवाब से अपनी गांड को धक्का मारा |मेरा लंड एक ही बार मे, मधु की चूत को फाड़ता हुआ, उसकी चूत मे घुस गया | मधु की चीख निकल गयी और उसे दर्द होने लगा था | आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वो काफी बार चुद चुकी थी, लेकिन मेरे बड़े लंड ने उसकी चूत की बैंड बजा दे थी | हम दोनों की गांड जोर से हिल रही थी और फट-फट करके हम दोनों के शरीर टकरा रहे थे | हम दोनों की झांट आपस मे उलझ गयी थी और बाल टूटकर गिर रहे थे | हम दोनों के ही झटके तेज होने लगे थे और एक साथ गरम पिचकारी के साथ हम दोनों ने अपना पानी छोड़ दिया | हम दोनों एक दुसरे के ऊपर गिर गये और काफी देर तक नंगे लेटे रहे | उस दिन मधु और मैने दोनों ने मज़ा किया और बाद मे मधु ने मुझे चाय बनाकर पिलाई | अब हम दोनों रोज़ सुबह चुदाई करते है, फिर चाय पीते है और फिर मधु काम पर जाती है |

सेठानी चाची की बड़ी चूत की मस्त और गचागच चुदाई Sethani chachi ki chut ki mast gachagach chudai

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मेरा नाम अजमेर-बॉय (बदला हुआ), वैशाली नगर अजमेर राजस्थान में मेरा घर है। हमारे घर के पास एक आंटी रहती हैं। उनके पति दुबई में काम करते हैं। मैं पैसों के लिए सेक्स करता हूँ पर पेशेवर नहीं हूँ। एक दिन मैं अपनी गाड़ी से बाज़ार जा रहा था, उसी समय आंटी भी बाज़ार के लिए निकलीं। मैंने भी उनसे बाज़ार जाने की बात की और उन्हें भी गाड़ी पर बैठने का आग्रह किया, तो आंटी ने ‘हाँ’ कह दी और वो गाड़ी पर बैठ गईं। मैंने उन्हें चूड़ी बाज़ार छोड़ दिया। मैं अपने काम से गया था सो काम करके वापस घर आ गया। अगले दिन उन्होंने मुझे कल के लिए ‘थैंक्स’ कहा और कभी घर पर आकर चाय पीने का बोला और चली गईं।

मैं एक दिन कालोनी मैं मॉर्निंग में पांच बजे मॉर्निंग-वाक पर निकला और आंटी भी वाक पर निकलीं। मैं उन्हें गुड-मॉर्निंग कह कर आगे बढ़ गया। बाद में आंटी से मेरी मुलाकात गार्डन में हुई। तब ही मुझे मालूम हुआ था कि उनके पति दुबई में हैं और वहीं पर काम करते हैं। आंटी और मैं वापस घर के लिए चल दिए, तब आंटी ने मुझ चाय के लिए कहा, मैं भी ‘हाँ’ कह कर उनके घर की तरफ चलने लगा। घर पर आने के बाद मैंने उनका घर अन्दर से देखा, तब मुझ वो घर किसी राजा का महल सा लगा।

आंटी ने चाय बनाई और चाय पीते-पीते बात होने लगी और हम आपस में घुल-मिल गए। आंटी ने मुझ रात के खाने का ऑफर दिया और कहा- शाम का खाना यहीं पर खा लेना। मैं हाँ करके वापस घर आ गया। दिन में एक ग्राहक के पास गया और उसकी जोरदार चुदाई के बाद मुझे दो हजार रूपए मिले। मैं घर आ गया। रात में आंटी का फ़ोन आया मुझे याद दिलाने के लिये कि मुझे खाना उनके घर पर खाना था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं रात 8 बजे आंटी के घर पर गया और आंटी ने मेरा स्वागत किया और मुझे बैठने को कह कर रसोई में चली गईं और काम करने लगीं। मैं भी उनकी मदद करने के लिए रसोई में चला गया और उनकी मदद करने लगा, वहाँ और बातें हुईं। तब बातों ही बातों में मालूम चला कि आंटी शराब की भी शौकीन हैं।

मैंने उनसे पूछा- आपको क्या पीना पसंद है?

उन्होंने कहा- मुझे बीयर पसंद है।

मैंने आग्रह के साथ पूछा- अगर आप कहें तो मैं बीयर लेकर आऊँ?

आंटी ने कहा- ठीक है।

और मैं गाड़ी लेकर गया, बीयर ले आया। आंटी और मैंने बीयर पीना चालू किया। बीयर पीने पर आंटी को कुछ ज्यादा ही नशा हो गया। मैंने आंटी को किसी तरह खाना खिलाया और आंटी को बेडरूम में सुलाने ले गया और आंटी को सुला कर मैं वापस जाने के लिया तैयार हुआ।

तभी आंटी ने कहा- तुम चाहो तो आज यहीं सो जाओ।

इस पर मैंने कहा- आंटी, मैं यहाँ पर?

तब आंटी ने कहा- मैं तुम्हारी फीस पे कर दूँगी।

मैं एकदम से दंग रह गया और आंटी का मुँह देखने लगा।

आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझसे कहा- मैं जानती हूँ कि तुम पैसों के लिए प्यासी औरतों की चुदाई करते हो।

और मैं सन्न रह गया।

“आपको कैसे मालूम?” मैं उल्लुओं की तरह अपनी पलकें झपका रहा था।

आंटी ने कहा- तुम्हारी अजय नगर वाली ग्राहक मेरी सहेली है। वो एक बार यहाँ आई थी, तब उसने तुम को यहाँ पर देख लिया था। तब उसने ही तुम्हारे बारे में बताया था।

मैं चूतिया सा अपना मुँह बाये खड़ा, मैं अवाक था !

और आंटी ने फिर से कहा- तुम अपनी फीस बोलो।

तब आंटी उठी और मेरा हाथ पकड़ा और कहा- चलो। तब मैं आंटी के साथ उनके बेडरूम में गया और उनका बेडरूम देख कर मेरा दिमाग हिल कर रह गया। आंटी का बेडरूम किसी होटल के रूम से भी ज्यादा अच्छा और मस्त था। बेडरूम में आंटी ने मुझ अपने पास बुला कर कहा- तुम तो पैसों के लिए चुदाई करते हो तो शरमा क्यों रहे हो !

मैं आंटी के पास गया और आंटी के कपड़े उतारने लगा। तब आंटी के मस्त उरोज देख कर मेरा दिमाग भन्ना गया और मैंने उनके और अपने भी कपड़े उतार दिया। आंटी नशे में थीं। मैंने आंटी को ऊंचाई पर बिठा दिया और उनकी चूत चाटने लगा। आंटी ‘उई माँ… उई माँ…’ चिल्लाने लगीं और उनकी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया। मैं आंटी की चूत का पानी पीने लगा।

“मादरचोद… बहन के लंड… चूस ले मेरी चूत !” उन्होंने मुझे गालियां देनी चालू कीं, तब मैंने अपना 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड निकाल कर आंटी के सामने खोल कर हिलाया। आंटी ने मेरा लंड देख कर अपनी आँखें हैरत से फैला लीं।

आंटी बोलीं- यह लंड है या मोटा मूसल !!

और आंटी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, उन्होंने मुझ पलंग पर पटक दिया और लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। आंटी ने लंड को चूस-चूस कर मार डाला था। ‘हाँ’ मार ही डाला था जब किसी लौड़े का पानी निकल जाता है वो मृत कहलाता है। आंटी ने मेरा लण्ड चूस-चूस कर उसका पानी निकाल दिया और पानी को पीना चालू किया। कुछ देर बाद आंटी ने चोदने के लिए कहा और बेड पर आकर लेट गईं। मैंने अपना मोटा लंड आंटी की चूत पर टिकाया और एक जोर का झटका दिया और मेरा मोटा लंड उनकी चूत में घुस गया।

‘फाड़ दी… माँ के लौड़े…’ आंटी दर्द के मारे जोर से चिल्लाईं और मुझ गालियाँ देने लगीं।

मैंने आंटी की गालियों की परवाह किए बगैर उन्हें हचक कर चोदने लगा। कुछ ही पलों में आंटी भी मेरा मोटा लंड आराम से लेने लगीं और चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई करवाने लगीं। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। आंटी ने चुदाई के दौरान मुझे गंदी-गंदी गालियाँ दीं और मुझे थप्पड़ भी मारे। मैं आंटी की चुदाई जोर-जोर से करने लगा। कुछ ही देर बाद जब मैं झड़ने को हुआ तो आंटी को बोला- मेरा तो होने वाला है।

तब आंटी ने मेरा लंड निकाल कर उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं और मेरे वीर्य को पी लिया। मेरा लंड पूरा खाली हो चुका था और आंटी तब भी लंड को जोर-जोर चूसे जा रही थीं। आंटी ने लण्ड को मुँह से बाहर निकाल कर कहा- मेरी ऐसी चुदाई 4 साल बाद मेरे पति के दुबई जाने के बाद पहली बार हुई है। आंटी और मैं एक बार नहा लिए और बाथरूम में मैंने आंटी की चूत चाटी और उनकी चूत का पानी भी पिया और आंटी को घोड़ी बना कर और एक बार चोदा। नहा कर बाहर आकर आंटी से थैंक्स कह कर मैं अपने घर पर जाने लगा तो आंटी ने मुझ से रुकने को कहा और खुद भी बैठ गईं।

मैंने आंटी से पूछा- उनको चुदाई कैसी लगी?

तो बोलीं- तुम हो ही घोड़े, तो मस्ती तो आएगी ही न !

मैंने आंटी के साथ इतना गंदे तरीके से चुदाइयाँ की हैं कि आप सोच भी नहीं सकते। आंटी की चुदक्कड़ सहेलियाँ भी गन्दी चुदाई ही पसंद करती हैं। मैं अपना काम करता हूँ पैसे कमाने का ! जिगोलो का काम करना जितना मजेदार होता है उतना ही गन्दा भी होता है। आपके विचारों का स्वागत है।

मेरा मोटा लंड घुसने पर क्या होगा मेरी जान Mera mota lund ghusne par kya hoga meri jaan

मेरा मोटा लंड घुसने पर क्या होगा मेरी जान Mera mota lund ghusne par kya hoga meri jaan, दोस्त की बीवी की चुदाई, नामर्द दोस्त की पत्नी को चोदा, एक महीने बाद भी कुवारी रहने वाली भाभी की चुदाई की कहानी, भाभी को चोदा प्रेग्नेंट करने के लिए, नामर्द पति से पड़ गया पला पूरी जवानी उसके दोस्त ने लूटी, नामर्द पति की चुदासी बीवी, एक नामर्द की बीवी को चोदा, नामर्द दोस्त की हसीन बीबी की चुदाई, अपनी बीवी को दोस्त से चुद्वाकर बाप बना, पति का लंड खड़ा नहीं होता था तो उसके दोस्त के हवाले कर दी अपनी चूत.

बात करीब पाँच साल पहले की है जब हमारे घर के पास एक भैया रहने आये जिनका नाम सुनील और २२ साल के थे। वो अभी शादीशुदा नहीं थे उनकी न तो सेहत थी न लम्बाई ! मैं सोचता कि कौन सी लड़की इनसे शादी करेगी .. ! मैं सोलह साल का होता हुआ भी उनसे अच्छा दीखता था। पर स्वभाव उनका बहुत अच्छा था। हम दोनों जल्दी अच्छे दोस्त बन गए। वो मुझ से हर बात शेयर करने लगे। फिर मैंने उनसे पूछा- आपने कभी किसी लड़की को चोदा है? वो बोले- नहीं ! फिर बात आई गई हो गई। २ साल बाद मुझे पता चला कि उनके घर वालो ने उनके लिए एक लड़की देख ली है, बस भैया को जा कर पसंद करनी है।

वो मुझे भी साथ ले गए। मैं था तो अट्ठारह का पर लग रहा था पूरा नौजवान बीस साल का ....
जब हम लोग लड़की वालों के पहुँचे तो सबने मुझे लड़का समझा।

तो मैंने उन्हें कहा- मैं नहीं, ये हैं जो आपकी लड़की से शादी करना चाहता है !

उन्हें ये पता लगते ही लगा कि वो भैया के साथ अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहते। पर उनकी कुछ मज़बूरी थी जिस कारण वो कुछ नहीं बोल पाए ...... जैसे ही लड़की आई, हम दोनों उ़से ही देखते रहे- क्या तो लग रही थी ! बिल्कुल परी जैसी थी ! मैं तो बार बार उसके स्तनों और गांड को ही देख रहा था। मुझे तो उसी समय उसे चोदने का मन करने लगा पर मैं शांत ही रहा। भैया ने शादी के लिए हाँ कह दी। ४० दिन बाद का मुहूर्त निकला शादी का ...... मैं तो दिन-रात मुस्कान ( भैया की होने वाली बीबी ) के बारे में ही सोचता रहता ...... तब मुझे मूठ मरना नहीं आता था ..... शादी वाला दिन भी आ ही गया। मैंने अपने लिए नए कपड़े लिए तो जिसे देख भैया बोल उठे- आज तो तू ही दूल्हा लग रहा है..! मैं भी हंस दिया।

बारात चलने लगी मैंने बारात में खूब डांस किया .... फिर करीब डेढ़ घंटे बाद हम शादी वाली जगह पहुँच गए .....
शादी में हमने बहुत मस्ती की और भैया की साली जो मेरे बराबर थी के साथ बहुत मजे किये। बहुत बार उसकी गांड और बूब्स को दबा देता पर वो कुछ नहीं बोली... शादी अच्छी तरह हो गई। मुझे तो भाभी और उनकी बहन दोनों को चोदने की इच्छा होने लगी। लेकिन दो महीने बाद मेरे एग्ज़ाम थे तो मैं उनकी तैयारी में लग गया। कभी कभी भैया के घर जाने लगा ..... एग्ज़ाम खत्म होते ही मैं भैया के घर ही दिन भर बिताता ... मुझे भाभी कभी खुश नहीं लगी। मैंने कई बार पूछा, पर वो कुछ नहीं बोली। मैंने भैया को भी बोला कि क्या बात है !

तो भी बोले- कुछ नहीं ! लड़कियों की आदत ही होती है गुमसुम रहने की !

फिर मैंने भी कुछ नहीं कहा ....

२ महीने बाद मैं ऐसे ही रोज की तरह भैया के घर गया .... उनका गेट जो अक्सर बंद ही रहता है, आज खुला था। मैं सीधे अन्दर घुस गया। सामने का नज़ारा देख कर मैं दंग रह गया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। भाभी ब्लू फिल्म देख रही थी जिसमें आदमी लड़की की चूत में अपनी ऊँगली डाल रहा था, भाभी भी अपनी चूत में ऊँगली डाल रही थी ... मैं जाने लगा तो भाभी ने देख लिया और जल्दी से कपड़े ठीक कर बोली- रोहित तुम कब आये?

मैं कुछ नहीं बोला और उनकी चूत की तरफ देखने लगा तो वो बोली- क्या देख रहे हो?

मैं बोला- कुछ नहीं ....!

तो एकदम से बोली- मेरी चूत की तरफ ना !

मैंने कहा- हाँ !

तो बोली- मुझे चोदोगे ?

मैं बोला- क्या????

तो बोली- तुम्हारे भैया तो नामर्द हैं, कभी लंड ही खड़ा नहीं होता। शादी के ९ महीने बाद भी मैं अक्षत-योनि हूँ.....!

मैं बोला- क्या????

वो बोली- प्लीज़ ! मेरी चूत की प्यास मिटाओ !

मैं अटकता अटकता बोला- ठीईई ठीई ठीक है ! चोदता हूँ ! पर भैया को पता चला तो ?

वो बोली- कुछ नहीं बोलेगा वो भैन का लौड़ाऽऽऽ !

मैं मन मन बहुत खुश हुआ, मेरी पहली चुदाई 18 साल की उम्र में ! मज़ा आ जायेगा ...........! फिर मैं भाभी को उठा कर बेड पर ले गया और उनके स्तन ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाने लगा। वो आहें भरने लगी.........अह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह मज़ा आ गया ! तेज़ दबाओ जान्न्न् .......... मैं और तेज़ दबाने लगा, उसके बूब्स को उसकी ब्रा से आजाद कर के दबाने लगा वो और तेज़ आहे भरने लगी.........अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह या आआआअह्ह्ह्ह्ह उह्ह्हुहुहू अहः फिर मैं बूब्स को मुँह में चूमने लगा ........... फिर उनकी साड़ी हटा कर पूरा नंगा करने लगा ....... और उसके बदन पर हाथ फेरने लगा।

वो बोली- जान ! बड़ा मज़ा आ रहा है............

मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया, बस पैंटी नहीं खोली और बोला- मेरा लंड तो बाहर निकालो और तरोताजा करो...........!

तो बोली- अभी निकलती हूँ.....

२ मिनट में मुझे पूरा नंगा कर के मेरे ७.५ इंच के मोटे लंड से खेलने लगी........... मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था..... मैं भी आहें भरने लगा.. मेरे लंड ने एक बार करीब २० मिनट बाद पानी छोड़ दिया.... फिर मैं उसकी चूत को पैंटी हटा कर नंगा करने लगा। क्या तो मस्त चूत थी उसकी ..........छोटे छोटे बाल और गुलाबी रंग की....
मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा तो वो आहें भरने लगी- आ आआ आह्ह ऊऊओह्ह्ह्ह माज्ज़ा आआआ राह्हा है जानी.........

मैं बोला- अभी तो असली मज़ा आना बाकी है मेरी जान ......... 

मैं ऊँगली से उसकी चूत को खोलने लगा....

तो वो चिल्लाई- आह्ह्ह दर्द हो रहा है !

तो मैं बोला- फिर मेरा मोटा लंड घुसने पर क्या होगा मेरी जान.....?

कुछ देर बाद बोली- अब सब्र नहीं होता ! चोदो मेरी चूत को.......

तो मैंने उसे बेड पर लेटा कर धीरे धीरे उसकी अनछुई चूत में लंड डालने लगा। मुझे पता था कि दर्द होगा, सो मैंने आराम से घुसाना जारी रखा....... आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। उसे थोड़ा दर्द हुआ पर इतना नहीं जितना आमतौर पर लड़कियों को पहली चुदाई में होता है। थोड़ी देर बाद मैं स्पीड बढ़ाता गया ..... अब उसे भी मज़ा आ रहा था, बोलने लगी- रोहित जान, और तेज्ज़ फाड़ दे मेरी चूत ...... मैं और तेज़ हो गया और उसकी चूत को मज़े देने लगा.... उसकी चूत को चोदते हुए इतना मज़ा आ रहा था कि मुझे लगा कि मैं हमेशा ऐसे जीवन भर चोदता रहूँ... १५ मिनट बाद वो झड़ गई और बोलने लगी- अब प्लीज़ ! रुक जाओ ! पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं अपनी स्पीड पर उसे चोदता रहा........... दस मिनट बाद मैं भी झड़ गया और सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया.............

वो बोली- जान आज तो मुझे मज़ा आ गया !

मैं बोला- जान ! तुमने मुझे जो मज़ा दिया उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा....

उस दिन हमने करीब ५ बार चुदाई की। अब हम रोज चुदाई करने लगे। मैंने ही उसे बच्चा दिया।

उसके लण्ड का पूरा जोर मेरी चूत पर लग रहा था Uske lund ka pura jor meri chut par lag rahaa tha

उसके लण्ड का पूरा जोर मेरी चूत पर लग रहा था Uske lund ka pura jor meri chut par lag rahaa tha, पड़ोसी लड़के से चुदवाया, पड़ोसी लड़के के साथ चुदाई की मस्ती, पड़ोसी लड़के के घर जाकर अपनी चूत की खुजली मिटाई, मैं पड़ोस के लड़के से चुदवाई थी रात भर, पड़ोसी के लड़के ने गांड चाटकर चूत मारी, पड़ोस के लड़के से चुदवाया, Padosi Ladke ke Sath Fuddi Chudai Masti, पड़ोसी की बेटी को घर बुला के चोदा, पड़ोस के बच्चे से अपनी हवस मिटाई, मोटा लंड देखा और चुदवाया, पडोसी ने मेरा कुंवारापन दूर किया, पड़ोसन ने खुद चुदवाया, पड़ोसियों के बीच चुदाई का खेल, पड़ोस के चूत और लंड मिल गए.

हम लोग शहर की घनी आबादी के एक मध्यम वर्गीय मुहल्ले में रहते थे। वहां लगभग सभी मकान दो मंजिल के और पुराने ढंग के थे और सभी घरों की छतें आपस में मिली हुई थी। मेरे घर में हम मिया बीवी के साथ मेरी बूढ़ी सास भी रहती थी। य्ह कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के राज की है जो पिछ्ले ६-७ महीने से हमारे साथ वाले घर में किराये पर रहता था। राज अभी तक कुंवारा ही था और मेरा दिल उस पर आ गया था। मेरे पति की ड्यूटी शिफ़्ट में चलती थी। जब रात की शिफ़्ट होती थी तो मैं छत पर अकेली ही सोती थी क्योंकि गरमी के दिन थे। राज़ और मैं दोनो अक्सर रात को बातें करते रहते थे। रात को छत पर ही सोते थे।

आज भी हम दोनो रात को खाना खा कर रोज की तरह छत पर बातें कर रहे थे। रोज की तरह उसने अपना सफ़ेद पजामा पहन रखा था। वो रात को सोते समय अंडरवियर नहीं पहनता था, ये उसके पजामे में से साफ़ ही पता चल जाता था। उसके झूलता हुए लण्ड का उभार बाहर से ही पता चल जाता था। मैंने भी अब रात को पेंटी और ब्रा पहनना बंद कर दिया था।

मेर मन राज से चुदवाने का बहुत करता था.... क्युंकि शायद वो ही एक जवान लड़का था जो मुझसे बात करता था और मुझे लगता था कि उसे मैं पटा ही लूंगी। वो भी शायद इसी चक्कर में था कि उसे चुदाई का मजा मिले। इसलिये हम दोनों आजकल एक दूसरे में विशेष रुचि लेने लगे थे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वो जब भी मेरे से बात करता था तो उसकी उत्तेजना उसके खड़े हुए लण्ड से जाहिर हो जाती थी, जो उसके पजामे में से साफ़ दिखता था। उसने उसे छिपाने की कोशिश भी कभी नहीं की। उसे देख कर मेरे बदन में भी सिरहन सी दौड़ जाती थी।

मैं जब उसके लण्ड को देखती थी तो वो भी मेरी नजरें भांप लेता था। हम दोनो ही फिर एक दूसरे को देख कर शरमा जाते थे। उसकी नजरें भी जैसे मेरे कपड़ों को भेद कर अन्दर तक का मुआयना करती थी। मौका मिलने पर मैं भी अपने बोबे को हिला कर....या नीचे झुक कर दिखा देती थी या उसके शरीर से अपने अंगों को छुला देती थी। हम दोनो के मन में आग थी। पर पहल कौन करे, कैसे हो....?

मेरी छ्त पर अंधेरा अधिक रहता था इसलिये वो मेरी छत पर आ जाता था, और बहाने से अंधेरेपन का फ़ायदा हम दोनो उठाते थे। आज भी वो मेरी छत पर आ गया था। मैं छत पर नीचे बिस्तर लगा रही थी। वो भी मेरी सहयता कर रहा था। चूंकी मैंने पेंटी और ब्रा नहीं पहन रखी थी इसलिये मेरे ब्लाऊज में से मेरे स्तन, झुकने से उसे साफ़ दिख रहे थे....जिसे मैं और बिस्तर लगाने के बहाने झुक झुक कर दिखा रही थी। उसका लण्ड भी खड़ा होता हुआ उसके पज़ामे के उभार से पता चल गया था। मुझे लगता था कि बस मैं उसके मस्त लण्ड को पकड़ कर मसल डालू।

"भाभी.... भैया की आज भी नाईट ड्यूटी है क्या....?"

"हां.... अभी तो कुछ दिन और रहेगी.... क्यों क्या बात है....?"

"और मां जी क्या सो गई हैं....?"

"बड़ी पूछताछ कर रहे हो.... कुछ बताओ तो....!" मैं हंस कर बोली।

" नहीं बस.... ऐसे ही पूछ लिया...." ये रोज़ की तरह मुझसे पूछता था, शायद ये पता लगाता होगा कि कहीं अचानक से मेरे पति ना आ जाएं।

हम दोनो अब छत की बीच की मुंडेर पर बैठ गये.... मुझे पता था अब वो मेरे हाथ छूने की कोशिश करेगा। रोज़ की तरह हाथ हिला हिला कर बात करते हुए वो मुझे छूने लगा। मैं भी मौका पा कर उसे छूती थी।, पर मेरा वार उसके लण्ड पर सीधा होता था। वो उत्तेजना से सिमट जाता था। हम लोग कुछ देर तक तो बाते करते रहे फिर उठ कर टहलने लगे.... ठंडी हवा मेरे पेटीकोट में घुस कर मेरे चूत को और गाण्ड को सहला रही थी.... मुझे धीमी उत्तेजना सी लग रही थी।

जैसी आशा थी वैसा ही हुआ। राज ने आज फिर मुझे कुछ कहने की कोशिश की, मैंने सोच लिया था कि आज यदि उसने थोड़ी भी शुरूआत की तो उसे अपने चक्कर में फंसा लूंगी।

उसने धीरे से झिझकते हुए कहा -"भाभी.... मैं एक बात कहूं.... बुरा तो नहीं मनोगी " मुझे सिरहन सी दौड़ गयी। उसके कहने के अन्दाज से मैं जान गई थी कि वो क्या कहेगा।

"कहो ना.... तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है मैंने...." उसे बढ़ावा तो देना ही था, वर्ना आज भी बात अटक जायेगी।

"नहीं.... वो बात ही कुछ ऐसी है...." मेरे दिल दिल की धड़कन बढ़ गई। मैं अधीर हो उठी.... मेरा दिल उछल कर गले में आ रहा था....

"राम कसम.... बोल दो ना...." मैंने उसके चेहरे की तरफ़ बड़ी आशा से देखा।

"भाभी आप मुझे अच्छी लगती हैं...." आखिर उसने बोल ही दिया....और मेरा फ़ंदा कस गया।

"राज....मेरे अच्छे राज .... फिर से कहो....हां.... हां .... कहो.... ना...." मैंने उसे और बढ़ावा दिया।

उसने कांपते हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिये। उसकी कंपकंपी मैं महसूस कर रही थी। मैं भी एकबारगी सिहर उठी। उसकी ओर हसरत भरी निगहों से देखने लगी।

"भाभी.... मैं आपको प्यार करने लगा हूँ....!" लड़खड़ाती जुबान से उसने कहा।

"चल हट.... ये भी कोई बात है.... प्यार तो मैं भी करती हूँ....!" मैंने हंस कर गम्भीरता तोड़ते हुए कहा

" नहीं भाभी.... भाभी वाला प्यार नहीं.... " उसके हाथ मेरे भारी बोबे तक पहुंचने लगे थे। मैंने उसे बढ़ावा देने के लिये अपने बोबे और उभार लिये। पर बदन की कंपकंपी बढ़ रही थी। उसे भी शायद लगा कि मैंने हरी झंडी दिखा दी है। उसके हाथ जैसे ही मेरे उरोज पर पहुंचे....मेरा पूरा शरीर थर्रा गया। मैं सिमट गयी।

"राऽऽऽऽज्.... नहींऽऽऽ........ हाय रे...." मैंने उसके हाथों को अपनी छाती पर ही पकड़ लिया, पर हटाया नहीं। उसके शरीर की कंपकपी भी बढ़ गयी। उसने मेरे चेहरे को देखा और अपने होंठ मेरे होंठो की तरफ़ बढ़ाने लगा। मुझे लगा मेरा सपना अब पूरा होने वाला है। मेरी आंखे बंद होने लगी। मेरा हाथ अचानक ही उसके लण्ड से टकरा गया। उसका तनाव का अहसास पाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये। मेरे चूत की कुलबुलाहट बढ़ने लगी। उसके हाथ अब मेरे सीने पर रेंगने लगे। मेरी सांसे बढ़ चली। वो भी उत्तेजना में गहरी सांसे भर रहा था। मैं अतिउत्तेजना के कारण अपने आप को उससे दूर करने लगी। मुझे पसीना छूटने लगा। मैं एक कदम पीछे हट गयी।

"भाभीऽऽऽ ........ मत जाओ प्लीज्...." वह आगे बढ़ कर मेरी पीठ से चिपक गया। उसका एक हाथ मेरे पेट पर आ गया। मेरा नीचे का हिस्सा कांप गया। मेरा पेट कंपकंपी के मारे थरथराने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मेरी सांसे रुक रुक कर निकल रही थी। उसका हाथ अब मेरी चूत की तरफ़ बढ़ चला। मेरे पेटीकोट के अन्दर हाथ सरकता हुआ मेरी चूत के बालों पर आगया। अब उसने तुरन्त ही मेरी चूत को अपने हाथों से ढांप लिया। मैं दोहरी होती चली गयी। सामने की ओर झुकती चली गयी। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों कि दरार को रगड़ता हुआ गाण्ड के छेद तक घुस गया। मैं अब हर तरफ़ से उसके कब्जे में थी। वह मेरी चूत को दबा रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी थी।

"राज्.... हाऽऽऽय रे........ मेरे राम जी.... मैं मर गई !" मैंने उसका हाथ नहीं हटाया और वो ज्यादा उत्तेजित हो गया।

"भाभी.... आप कितनी प्यारी है...." मैंने जब कोई विरोध नहीं किया तो वह खुल गया। उसने मुझे अब जकड़ लिया। मेरे स्तनो को अपने कब्जे में लेकर होले होले सहलाने लगा। उसके प्यार भरे आलिंगन ने और मधुर बातों ने मुझे उत्तेजना से भर दिया। जिस प्यार भरे तरीके से वो ये सब कर रहा था.... मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। मेरा शरीर वासना के मारे झनझना रहा था। उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर दस्तक दे रहा था।

"तुम मुझे प्यार करते हो....!" मैंने वासना में उसे प्यार का इज़हार करने को कहा।

"हां भाभी.... बहुत प्यार करता हूं....तब से जब मैं आपसे पहली बार मिला था !"

"देखो राज........ये बात किसी को नहीं बताना.... मेरी इज्जत तुम्हारे हाथ में है.... मैं बदनाम हो जाऊंगी.... मैं मर जाऊंगी....!" मैंने उस पर अपना जाल फ़ेंका।

"भाभी.... मैं मर जाऊंगा....पर ये भेद किसी को नहीं कहूंगा...." मेरी विनती से उसका दिल पिघल उठा।

"तब देरी क्यूं.... मेरा पेटीकोट उतार दो ना.... अपने पजामे की रुकावट हटा दो...." मुझसे अब बिना चुदे रहा नहीं जा रहा था। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल डाला और पेटीकोट अपने आप नीचे फ़िसल गया। उसका लण्ड भी अब स्वतन्त्र हो गया था।

"भाभी.... आज्ञा हो तो पीछे से शुरु करू.... तुम्हारी प्यारे प्यारे गोल गोल चूतड़ मुझे बहुत पसन्द है...." उसने अपनी पसन्द बिना किसी हिचक के बता दी।

"राऽऽऽज.... अब मैं तुम्हारी हू.... प्लीज़ अब कहीं से भी शुरू करो.... पर जल्दी करो.... बस घुसा दो...." मैंने राज से अपनी दिल की हालत बयां कर दी।

"भाभी.... जरा मेरे लण्ड को एक बार प्यार कर लो और थूक लगा दो...." मैंने प्यार से उसे देखा और नीचे झुक कर उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया.... हाय राम इतना मस्त लण्ड !.... वो तो मस्ती में फ़नफ़ना रहा था। मैंने उसका सुपाड़ा कस के चूस लिया। और फिर ढेर सारा थूक उस पर लगा दिया। अब मैं खड़ी हो गयी.... राज के होंठो के चूमा.... और अपने चूतड़ उघाड़ कर पीछे निकाल दी। मेरे गोरे चूतड़ हल्की रोशनी में भी चमक उठे। मैंने अपनी चूतड़ की प्यारी फ़ांके अपने हाथों से चीर दी और गाण्ड का छेद खोल कर दे दिया। मेरे थूक से भरा हुआ उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर आ टिका। मैंने हल्का सा गाण्ड का धक्का उसके लण्ड पर मारा। उसकी सुपारी मेरे गाण्ड के छेद में फ़ंस गयी। उसके लण्ड के अंदर घुसते ही मुझे उसकी मोटाई का अनुमान हो गया।

"राज.... प्लीज.... चलो न अब.... चलो....करो ना !" पर लगा उसे कुछ तकलीफ़ हुई। मैंने पीछे जोर लगाया तो उसने भी लण्ड को दबा कर अंदर घुसेड़ दिया। पर उसके मुख से चीख निकल गयी।

"भाभी.... लगती है.... जलता है...." मुझे तुरन्त मालूम हो गया कि उसने मुझे ही पहली बार चोदा है। उसके लण्ड की स्किन फ़ट चुकी थी। मेरा मन खुशी से भर उठा। मुझे एक फ़्रेश माल मिला था। एक बिलकुल नया लण्ड मुझे नसीब हुआ था। मेरे पर एक नशा सा चढ़ गया।

"राजा.... बाहर निकाल कर धक्का मारो ना.... देखो तो मेरा मन कैसा हो रहा है। ऐसी जलन तो बस दो मिनट की होती है...." मैंने उसे बढ़ावा दिया।

उसने मेरा कहा मान कर अपना लण्ड थोड़ा सा निकाल कर धीरे से वापस घुसेड़ा। फिर धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाने लगा। मैं उसका लण्ड पा कर मस्त हो उठी थी। मैंने अपने दोनो हाथ छत की मुंडेर पर रख लिये थे और घोड़ी बनी हुई थी। मैंने अपने दोनो पांव पूरे खोल रखे थे। चूतड़ बाहर उभार रखे थे। राज ने अब मेरे बोबे अपने हाथों में भर लिये और मसलने लगा। मैं वासना के मारे तड़प उठी। उसे लण्ड पर चोट लग रही थी पर उसे मजा आ रहा था। उसके धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। उत्तेजना के मारे मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। अचानक उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया.... और मेरी तरफ़ देखा। मैं उसका इशारा समझ गयी। मैं बिस्तर पर आ कर लेट गयी।

"भाभी.... आप बहुत प्यारी है....सच बहुत मजा आ रहा है.... जिन्दगी में पहली बार इतना मजा आया है...." मुझे पता था कि जब पहली बार किसी चूत में लण्ड जायेगा तो ....मजा तो नया होगा.... इसलिये आत्मा तक तो आनन्द मिलेगा। और फिर मेरी तो जैसे सुहाग रात हो गयी.... कई दिनों बाद चुदी थी। फिर कितने ही दिनों से मन में चुदने कि इच्छा थी। किस्मत थी कि मुझे नया लण्ड मिला।

राज मेरे पास बिस्तर पर आ गया। मैंने अपनी दोनो टांगे ऊपर उठा दी और चूत खोल दी। राज ने आराम से बैठ कर अपना लण्ड हाथ से घिसा और हिला कर चूत के पास रख दिया। मैं मुस्कुरा उठी.... उसे ये नहीं पता था कि लण्ड कहां रखना है.... मैंने उसका लण्ड पकड़ कर चूत पर रख दिया।

"राजा.... नये हो ना.... तुम्हे तो खूब मजा दूंगी मै....आ जाओ.... मुझ पर छा जाओ...." मैंने चुदाई का न्योता दिया।

उसने हल्का सा जोर लगाया और लण्ड बिना किसी रुकावट के मेरी गीली चूत के अन्दर सरकता हुआ घुसने लगा। मुझे चूत में तीखी मीठी सी गुदगुदी उठने लगी और लण्ड अन्दर सरकता रहा।

"आहऽऽऽ .... राज.... मेरे प्यार.... हाय रे........ और लम्बा सा घुसा दे....अन्दर तक घुसा दे...." मेरी आह निकलती जा रही थी। सुख से सराबोर हो गई थी। उसने मेरे दोनो चूंचक खींच डाले.... दर्द हुआ .... पर अनाड़ी का सुख डबल होता है.... सब सहती गयी। अब उसके धक्के इंजन के पिस्टन की तरह चल रहे थे। पर अब वो मेरे शरीर के ऊपर आ गया था....मैं पूरी तरह से उससे दब गई थी। मुझे परेशानी हो रही थी पर मैं कुछ बोली नही.... वो अपना लण्ड तेजी से चूत पर पटक रहा था, जो मुझे असीम आनन्द दे रहा था।

"भाभी.... आह रे.... तेरी चूत मारूं.... ओह हां.... चोद डालू.... तेरी तो.... हाय भाभी........" उसकी सिसकारियां मुझे सुकून पहुंचा रही थी। उसकी गालियाँ मानो चुदाई में रस घोल रही थी....

"मेरे राजा.... चोद दे तेरी भाभी को.... मार अपना लण्ड.... हाय रे राज....तेरा मोटा लण्ड.... चोद डाल...." मैंने उसे गाली देने के लिये उकसाया.... और राज्....

" मेरी प्यारी भाभी.... भोसड़ी चोद दूं.... तेरी चूत फ़ाड़ डालू.... हाय रे मेरी.... कुतिया....मेरी प्यारी...." वो बोलता ही जा रहा था।

"हां मेरे राजा .... मजा आ रहा है.... मार दे मेरी चूत ...."

"भाभी ....तुम बहुत ही प्यारी हो....कितने फ़ूल झड़ते है तुम्हारी बातों में.... तेरी तो फ़ाड़ डालूं.... साली !" फ़काफ़क उसके धक्के तेज होते गये.... मैं मस्ती के मारे सिसकारियाँ भर रही थी....वो भी जोश में गालियाँ दे कर मुझे चोद रहा था। उसका लण्ड पहली बार मेरी चूत मार रहा था। सो लग रहा था कि वो अब ज्यादा देर तक रह नहीं पायेगा।

"अरे.... अरे.... ये क्या....?" मैंने प्यार से कहा.... उसका निकलने वाला था। उसके शरीर में ऐठन चालू हो गई थी। मैं जानती थी कि मर्द कैसे झड़ते हैं।

"हां भाभी.... मुझे कुछ हो रहा है.... शायद पेशाब निकल रहा है.... नहीं नहीं.... ये ....ये.... हाय्.... भाभी....ये क्या...." उसके लण्ड का पूरा जोर मेरी चूत पर लग रहा था। और .... और.... उसका पानी छूट पड़ा.... उसका लण्ड फ़ूलता.... पिचकता रहा मेरी चूत में सारा वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। मैंने उसे चिपका लिया। वो गहरी गहरी सांसे भरने लगा। और एक तरफ़ लुढ़क गया। मैं प्यासी रह गयी.... पर वो एक २२ वर्षीय जवान लड़का था, मेरे जैसी ३३ साल की औरत के साथ उसका क्या मुकाबला....। उसमें ताकत थी....जोश था.... पूरी जवानी पर था। वो तुरन्त उठ बैठा। वो शायद मुझे छोड़ना नहीं चाह रहा था। मुझे भी लग रहा था कि कही वो अब चला ना जाये। पर मेरा अनुमान गलत निकला। वो फिर से मुझसे प्यार करने लगा। मुझे अब अपनी प्यास भी तो बुझानी थी। मैंने मौका पा कर फिर से उसे उत्तेजित करना चालू कर दिया। कुछ ही देर में वो और उसका लण्ड तैयार था। एकदम टनाटन सीधा लोहे की तरह तना हुआ खड़ा था।

"भाभी....प्लीज़ एक बार और.... प्लीज...." उसने बड़े ही प्यार भरे शब्दों में अनुरोध किया। प्यासी चूत को तो लण्ड चाहिये ही था.... और फिर मुझे एक बार तो क्या.... बार बार लण्ड चाहिये था....

"मेरे राजा.... फिर देर क्यों .... चढ़ जाओ ना मेरे ऊपर...." मैंने अपनी टांगे एक बार फिर चुदवाने के लिये ऊपर उठा दी और चूत के दरवाजे को उसके लण्ड के लिये खोल दिया।

वो एक बार फिर मेरे ऊपर चढ़ गया.... उसका लोहे जैसा लण्ड फिर मेरे शरीर में उतरने लगा। इस बार उसका पूरा लण्ड गहराई तक चोद रहा था। मैं फ़िर से आनन्द में मस्त हो उठी.... चूतड़ों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी। अब वो पहले की अपेक्षा सफ़ाई से चोद रहा था। उसका कोई भी अंग मेरे शरीर से नहीं चिपका था। मेरा सारा शरीर फ़्री था। बस नीचे से मेरी चूत और उसका लण्ड जुड़े हुये थे। दोनो हो बड़ी सरलता से धक्के मार रहे थे। वार सीधा चूत पर ही हो रहा था। छप छप और फ़च फ़च की मधुर आवाजे अब स्पष्ट आ रही थी। वो मेरे बोबे मसले जा रहा था। मेरी उत्तेजना दो चुदाई के बाद चरमसीमा पर आने लगी.... मेरा शरीर जमीन पर पड़े बिस्तर पर कसने लगा, मेरा अंग अंग अकड़ने लगा। मेरे जिस्म का सारा रस जैसे अंग अंग में बहने लगा। मेरे दोनो हाथों को उसने दबा रखे थे। मेरा बदन उसके नीचे दबा फ़ड़फ़ड़ा रहा था।

"मेरे राजा.... मुझे चोद दे जोर से....हाय राम जी.... कस के जरा.... ओहऽऽऽऽऽऽ ........ मैं तो गई मेरे राजा.... लगा....जरा जोर से लगा...." मेरे शरीर में तेज मीठी मीठी तरावट आने लगी.... लगा सब कुछ सिमट कर मेरी चूत में समा रहा है.... जो कि बाहर निकले की तैयारी में है।

"मेरे राजा.... जकड़ ले मुझे.... कस ले हाऽऽऽय्.... मेरी तो निकली.... मर गयीऽऽऽ ऊईईऽऽऽऽऽ आहऽऽऽऽऽ .... " मैं चरमसीमा लांघ चुकी थी.... और मेरा पानी छूट पड़ा। पर उसका लण्ड तो तेजी से चोद रहा था। अब उसके लण्ड ने भी अन्गड़ाई ली और मेरी चूत में एक बार फिर पिचकारी छोड़ दी। पर इस बार मैंने उसे जकड़ रखा था। मेरी चूत में उसका वीर्य भरने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। एक बार फिर से मेरी चूत में वीर्य छोड़ने का अह्सास दे रहा था। कुछ देर तक हम दोनों ही अपना रस निकालते रहे। जब पूरा वीर्य निकल गया तो हम गहरी गहरी सांसे लेने लगे। मेरे ऊपर से हट कर वो मेरे पास ही लेट गया। हम दोनो शान्त हो चुके थे....और पूरी सन्तुष्टि के साथ चित लेटे हुए थे। रात बहुत हो चुकी थी। राज जाने की तैयारी कर रहा था। उसने जाने से पहले मुझे कस कर प्यार किया.... और कहा...."भाभी.... आप बहुत प्यारी है.... आज्ञा हो तो कल भी...." हिचकते हुये उसने कहा, पर यहा कल की बात ही कहां थी....

मैंने उसे कहा -"मेरे राजा....मेरे बिस्तर पर बहुत जगह है.... यही सो जाओ ना...."

"जी....भाभी....रात को अगर मुझे फिर से इच्छा होने लगी तो...."

"आज तो हमारी सुहागरात है ना.... फिर से मेरे ऊपर चढ़ जाना....और चोद देना मुझे...."

"भाभी....आप कितनी........"

"प्यारी हूं ना.... और हां अब से भाभी नही....मुझे कहो नेहा....समझे...." मैंनें हंस कर उसे अपने पास लेटा लिया और बचपन की आदत के अनुसार मैंने अपना एक पांव उसकी कमर में डाल कर सोने की कोशिश करने लगी।

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हैल्लो दोस्तों, में अरुणा और मुझे कहानियाँ पढ़ने में बहुत मज़ा आता है और में पिछले कुछ सालों से इसकी कहानियों को लगातार पढ़ती आ रही हूँ. मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है, इसलिए में भी आज आप सभी लोगों को अपनी एक सच्ची घटना बताने जा रही हूँ. यह मेरे जीवन की वो घटना है, जिसको में आज तक नहीं भुला सकी, वो सब मुझे आज भी बहुत अच्छी तरह से याद है कि मेरे साथ क्या हुआ और कैसे हुआ? क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था, जिसको मैंने एक गैर मर्द से किया. वैसे मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि में कभी अपने पति के अलावा भी कभी किसी के साथ सेक्स करूंगी और यह मेरी पहली चुदाई थी इसलिए मुझे बहुत अजीब सा लगा.

दोस्तों यह उन दिनों की बात है जब में अपनी शादी होने के कुछ दिनों बाद ही अपने पति के साथ में मुंबई रहने लगी थी और वो मेरे लिए बिल्कुल नई नई जगह थी. मेरी वहां पर किसी से कोई जान पहचान नहीं थी और इसलिए कुछ दिनों बाद घर पर अकेले बैठे बैठे में बहुत बोर हो गयी थी, तो एक दिन मैंने अपने पति से कहकर मैंने भी उनसे नौकरी करने की आज्ञा ले ली थी और वैसे वो भी चाहते थे कि में भी कोई नौकरी करूं, उससे मेरा समय भी गुजरता रहेगा और मेरा मन भी लगा रहेगा.

दोस्तों मैंने अपनी शादी से कुछ साल पहले तक एक अच्छे से कॉलेज से अपनी बी-कॉम तक की पूरी पढ़ाई की थी और मैंने नासिक में कंप्यूटर एकाउंटिंग का भी कोर्स किया था इसलिए मुझे थोड़ा सा नौकरी का अनुभव भी था, तो मेरे पति ने मुझसे कहा कि उन्होंने अपने बॉस से मेरी नौकरी के बारे में कहा है और उनके बॉस ने उनसे वादा किया है कि वो उनके एक दोस्त के वहाँ पर मुझे वो कोई भी छोटी मोटी नौकरी पर जरुर लगवा देंगे, लेकिन में अपने दम पर कुछ करना चाहती थी इसलिए मैंने निर्णय लिया कि न्यूज़ पेपर में नौकरी की कोई खबर देखी जाए. फिर मैंने न्यूज़ पेपर में खबर देखी और कुछ जगह पर इंटरव्यू के लिए सुबह ही निकल गई और में इंटरव्यू के लिए पहुँची.

दोस्तों मैंने दो से तीन जगह पर जाकर इंटरव्यू भी दिया, लेकिन मुझे वहां से कुछ खास जवाब नहीं मिला. मुझे अब ऐसा लगा कि मुझे नौकरी नहीं मिलेगी, में उस बात को लेकर बहुत उदास थी क्योंकि मेरी इतनी अच्छी पढ़ाई और मेरी इतनी मेहनत के बाद भी मुझे वैसा फल नहीं मिल रहा था जिसकी मुझे उम्मीद थी. फिर एक जगह में इंटरव्यू के लिए बैठी थी, तो उस समय शाम के 6 बज चुके थे और तभी रिशेप्शन से किसी ने मुझसे कहा कि आप अंदर जाइए, तो मैंने उस वक़्त नीले कलर की साड़ी और उसी कलर का ब्लाउज भी पहना हुआ था और अंदर जाते ही मैंने देखा कि एक आदमी कुर्सी पर बैठकर फोन पर बातें कर रहे है.

फिर में उस कुर्सी के पास में जाकर खड़ी हो गई और उसने मुझसे बैठने को भी नहीं कहा, वो फोन पर बातें कर रहे थे और कभी कभी मेरे शरीर के उभार को भी देख रहे थे. फोन पर बातें करते वक़्त वो कई बार मेरी छाती के उभार पर नज़रे मार रहे थे. अब में समझ गई कि यह आदमी मेरे शरीर को देख रहा है, लेकिन मैंने अनदेखा किया और इधर उधर देखती रही और मैंने उसे अपने शरीर को देखने का अच्छा मौका दे दिया और जब भी मेरी नज़र इधर उधर होती तो वो अपनी नज़रे मेरे शरीर के अंगो पर लगा देता और हंस हंसकर फोन पर बात करता. फिर कुछ देर ऐसा ही चलता रहा और फिर उसने अपनी बात को खत्म करके फोन रखकर मुझसे बैठने को कहा.

फिर कहीं जाकर मुझे अच्छा महसूस होने लगा था. उनका नाम मिस्टर मेहता था और उनकी टेबल के ऊपर मिस्टर मेहता के नाम की प्लेट रखी थी जिसको पढ़कर मुझे उनका नाम पता चला और कुछ सीधे साधे सवाल पूछने के बाद मैंने मेरी फाईल उन्हे हाथ में दे दी और फिर वो मुझसे कहने लगे.

मिस्टर मेहता : मिस अरुणा आपने नौकरी तो पहले भी की हुई है, लेकिन आपको इतना भी ज़्यादा अनुभव नहीं है और इस नौकरी के लिए कुछ ज्यादा अनुभव होना बहुत ज़रूरी है.

में : प्लीज सर आप मुझे एक मौका दे दीजिए, मैं आपको बिल्कुल भी निराश नहीं करूँगी, प्लीज एक बार, मैं मन लगाकर आपके सभी काम काम करूंगी.

फिर मेरे ऐसा कहते ही उसने मुझे स्माइल दी और मेरी छाती पर अपनी नज़र फेर दी और तभी मुझे भी महसूस हो गया कि शायद मैंने कुछ ग़लत ही कह दिया या कुछ ज्यादा ही बोल दिया है. दोस्तों में तो अपनी नौकरी के बारे में उनसे कह रही थी, लेकिन उसने उन सभी बातों का कुछ और ही मतलब निकाल लिया था. इस वजह से वो मुझे लगातार गंदी नजर से घूरने लगा था, लेकिन अब में क्या करती?

मिस्टर मेहता : हाँ लेकिन तुमसे पहले भी जो लोग मेरे पास इस नौकरी के लिए इंटरव्यू के लिए आए थे और वो भी सभी लोग इस नौकरी के लिए सब कुछ करने को तैयार थे.

दोस्तों मैंने अब बहुत हैरानी से उनकी पूरी बात सुनकर उन्हें देखा और में उनकी बातों का मतलब भी कुछ कुछ समझ चुकी थी. मुझे उनकी खराब नीयत समझ में आ रही थी.

मिस्टर मेहता : मेरा मतलब है कि वो सभी बहुत अच्छा काम करने को तैयार थे, चलो ठीक है अब तुम मुझे बताओ कि तुम यह नौकरी क्यों करना चाहती हो?

में : क्योंकि सर में घर पर बिल्कुल अकेले रहकर बोर हो जाती हूँ और मुझे अपने जीवन में हमेशा कोई ना कोई काम करते रहना पसंद है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी नौकरी करना बहुत ज़रूरी है.

मिस्टर मेहता : हाँ तुम्हारा कहना बहुत हद तक बिल्कुल सही है, में मानता हूँ कि तुम्हारी सोच बहुत अच्छी है, लेकिन मेरा मानना तो यह है कि किसी भी औरत के लिए आगे बढ़ना बहुत आसान होता है और तुम जैसी सुंदर औरत तो बहुत आराम से अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ सकती है.

में : माफ़ करना, लेकिन सर में आपकी बातों का मतलब नहीं समझी.

मिस्टर मेहता : चलो ठीक है तुम अभी तुम्हारे डॉक्युमेंट रहने दो, तुम मेरा यह कार्ड रख लो और कल तुम मुझे कॉल करना, में तुम्हे सब कुछ बता दूंगा.

दोस्तों में मन ही मन बहुत खुश हो गई और मैंने उन्हे स्माइल देकर धन्यवाद कहा और उठकर जाने लगी. मुझे पूरा विश्वास था कि उसने मेरे पलटकर जाते समय मेरे पीछे का नज़ारा ज़रूर देखा होगा. दिन भर के इंटरव्यू से में बहुत थक चुकी थी, मैंने घर पर पहुंचकर अपने पति से कह दिया कि आज हम कहीं बाहर से खाना मँगवाते है, मुझमें आज इतनी हिम्मत नहीं है कि में खाना बनाकर खा लूँ या तुम्हे भी खिला दूँ. फिर वो मेरी यह पूरी बात सुनकर बाहर से ही हमारे लिए खाना ले आए और फिर हमने साथ बैठकर खाना खाया और फिर कुछ देर बेड पर मस्ती की और उसके बाद हम सो गए, अगले दिन सुबह जल्दी उठकर मैंने अपने सभी काम खत्म करने के बाद मिस्टर मेहता को कॉल किया.

में : हैल्लो सर में अरुणा बोल रही हूँ. क्या पहचाना आपने कल मेरी आपसे आपके ऑफिस में मुलाकात हुई थी और तब आपने मुझसे कहा था कि में आपको फोन करूं.

मिस्टर मेहता : हाँ में पहचान गया, लेकिन में अभी मीटिंग में हूँ और में तुमसे बाद में बात करता हूँ.

फिर उन्होंने मुझसे इतना कहकर फोन कट कर दिया और में अपने घर के कामों में लग गई. में फोन का इंतजार करने लगी और कुछ देर के बाद उनके नंबर से मुझे कॉल आ गया.

मिस्टर मेहता : हैल्लो अरुणा.

में : हाँ सर कहिए, आपने क्या निर्णय लिया?

मिस्टर मेहता : में तुम्हे सच सच बताना चाहता हूँ कि मेरे एक दोस्त के कहने से एक औरत को मुझे उसी जगह पर नौकरी पर रखना है और इसलिए तुम मुझे माफ़ करना क्योंकि में तुम्हे वो नौकरी नहीं दे सकता हूँ.

में : सर प्लीज़, आप मुझे एक बार मौका देकर देखिए, में बहुत मन लगा कर नौकरी करूँगी.

मिस्टर मेहता : देखो मुझे बिल्कुल भी घुमा फिराकर बात करना पसंद नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से बहुत समय खराब होता है और अब अगर तुम चाहो तो में खुलकर तुमसे बात करूं?

में : हाँ सर, कहिए ना?

मिस्टर मेहता : देखो मेरे दोस्त के कहने से जो औरत नौकरी पर आ रही है उसे नौकरी पर रखना मेरी मजबूरी है, वैसे अगर तुम चाहती हो कि में उसके बदले तुम्हे उस नौकरी पर रख लूँ तो मुझे उसके बदले में क्या मिलेगा?

में : हाँ सर बताइए ना कि आपको क्या चाहिए?

मिस्टर मेहता : अगर तुम तुम्हारी दे सकती हो तो?

दोस्तों मुझे समझने में बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि वो मुझसे क्या चाहते है? तो मैंने तुरंत उस बात का मतलब समझते हुए उन्हें ना कह दिया और फिर फोन रख दिया. दोस्तों मुझे उस बात को सुनकर बहुत टेंशन हो गई थी, इसलिए में अपने पति को यह बात बताकर अपनी टेंशन को और नहीं बढ़ाना चाहती थी, इसलिए मैंने अपने पति को कुछ भी नहीं बताया.

अब उसी शाम को मेरे पति ने मुझसे कहा कि उसके बॉस ने उसको कहा है कि उसके एक दोस्त के वहाँ पर एक नौकरी है और तुम्हे कल वहाँ पर जाकर अपना इंटरव्यू देना है और वैसे इंटरव्यू तो देना बस एक फोरमल्टी है तुम्हारी वहाँ पर नौकरी बिल्कुल पक्की है, में यह बात सुनकर मन ही मन बहुत खुश हो गई कि आखिरकार मुझे नौकरी तो मिल ही गई और अब उस एकदम घटिया आदमी से मेरा पाला भी नहीं पड़ेगा. फिर मेरे पति ने मुझसे कहा कि कल मेरे बॉस खुद हमारे घर पर आने वाले है, इसलिए तुम अच्छी तरह से तैयार रहना. दोस्तों में मेरे पति के बॉस को पहले से ही बहुत अच्छी तरह से जानती थी, हमारी पहले भी दो से तीन बार मुलाक़ात हो चुकी थी और में अच्छी तरह से जानती हूँ कि वो एक बहुत अच्छे इंसान है.

फिर अगले दिन में उनका इंतजार करने लगी और शाम को करीब 6 बजे मेरे पास मेरे पति का फोन आ गया और उन्होंने मुझसे कहा कि वो बॉस के साथ घर आ रहे है और मैंने यह बात सुनकर तुरंत फ्रेश होकर नारंगी कलर की साड़ी पहन ली और मैंने पहले से ही उनके लिए नाश्ता भी बनवा लिया था. घर पर मैंने बॉस का स्वागत किया और फिर मेरे पति और उनके बॉस के बीच में बातें होती रही और में उन्हे चाय नाश्ता देने में व्यस्त रही.

बॉस : प्रकाश में मेरे दोस्त के ऑफिस ही जा रहा हूँ, अगर तुम कहो तो में अरुणा को भी अपने साथ ले जाता हूँ, वहां पर इनका इंटरव्यू भी हो जाएगा और में खुद ही अरुणा का उनसे परिचय करवा दूँगा.

प्रकाश : हाँ ठीक है सर आपका यह विचार बहुत अच्छा है. अरुणा तुम जल्दी से तैयार हो जाओ और बॉस के साथ अपनी नौकरी के लिए इंटरव्यू पर चली जाओ.

दोस्तों मुझे थोड़ा सा अजीब महसूस हो रहा था कि में मेरे पति के बॉस के साथ उनकी कार में अपनी नौकरी के इंटरव्यू देने जाऊँ और वो भी शाम के टाईम, यह सब कुछ अजीब सा था, लेकिन में मन ही मन बहुत खुश थी खासकर अपनी नौकरी को लेकर, क्योंकि में मुंबई जैसे बड़े शहर में एकदम नयी थी, इसलिए मुझे वहां पर नौकरी मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी और फिर वो वैसे भी मेरे पति के बॉस थे, इसलिए मुझे उनकी बात को मानना भी अब बहुत ज़रूरी हो गया था.

बॉस : हाँ ठीक है प्रकाश अब हम जाते है और मेरा ड्राईवर हमारा काम खत्म होने के बाद आते समय अरुणा को घर पर वापस छोड़ देगा.

में : लेकिन प्रकाश अगर आप भी मेरे साथ में आ जाते तो?

प्रकाश : ऐसी कोई बात नहीं है अरुणा, तुम इनके साथ चली जाओ और अब वैसे भी में हर जगह पर तुम्हारे साथ में नहीं आ सकता हूँ और फिर नौकरी भी तो तुम्हे अकेले ही करनी है और वैसे भी में आज बहुत थक गया हूँ.

फिर बॉस और मेरे पति प्रकाश दोनों ही अब हंसने लगे थे और मैंने भी उनकी बात को मान लिया और अब में बॉस के साथ जाने के लिए तैयार हो गई थी. मैंने अपने डॉक्युमेंट की कॉपी फाईल लेकर बॉस के साथ उनकी कार में उनके साथ पीछे की सीट पर बैठ गई.

मैंने देखा कि उनका ड्राईवर एक 20-22 साल का लड़का था, वो काली कलर की एक स्कोडा गाड़ी थी. उस समय शाम के करीब 7 बजे होंगे जब हम घर से निकले. फिर चलते समय रास्ते में बॉस और में इधर उधर की बातें कर रहे थे. तभी कुछ देर बाद धीरे से बॉस मेरी तरफ सरक गये जिसकी वजह से उनकी जांघ अब मेरी जांघ को छूने लगी थी.

में थोड़ा सा साईड में हो गई थी, लेकिन फिर से वो बात करते करते मुझसे दोबारा चिपक गये थे और बातों ही बातों में बॉस ने अपना एक हाथ मेरी जांघ पर छूकर उठा दिया, लेकिन मैंने उनकी इस बात का कोई विरोध नहीं किया. यह देखकर उन्होंने मुझसे बातें की और दोबारा मेरी जांघ पर अपना हाथ रख दिया और थोड़ी देर के बाद वो धीरे धीरे सहलाने लगे वो अब मुझसे बातें भी कर रहे थे. दोस्तों में अब बहुत अच्छी तरह से समझ चुकी थी कि बॉस की मुझमे रूचि है, लेकिन मैंने भी उन्हें कोई खास भाव नहीं दिया, बस में उनकी बातें सुन सुनकर थोड़ी सी स्माइल देती रही.

दोस्तों प्रकाश के बॉस एक बहुत अमीर इन्सान थे और उनके हाथ में प्रकाश की नौकरी और अब मेरी नौकरी भी थी, इसलिए मेंने उनकी इन हरकतों को अनदेखा कर दिया. मैंने भी सोचा के बॉस को खुश रखेंगे तो हमारे परिवार को भी सहारा मिल जाएगा, लेकिन उनकी वो हरकते अब बढ़ चुकी थी. उन्होंने एक हाथ अब मेरे कंधे पर रख दिया था.

मैंने उनकी आखों में देखा और उनको स्माइल दे दी और फिर क्या था? उन्हे तो मानो इसी मौके का इंतज़ार था वो फिर कार में ही मुझे सहलाने लगे और आगे की सीट पर बैठा हुआ ड्राइवर कांच में से वो सब कुछ देख रहा था, लेकिन मुझे कुछ खास फरक नहीं पड़ा, क्योंकि मेरे हाथों में अब एक मजबूत पैसे वाले इन्सान का हाथ था. कुछ ही देर में हम अपनी मंजिल तक पहुँच गये और फिर जैसे ही में कार से नीचे उतरी मुझे याद आया कि इससे पहले भी में इस जगह पर आई हुई हूँ. फिर हम दोनों लिफ्ट से ऊपर गये और सबसे ऊपर वाली मंजिल पर पहुंचे, वहीं पर एक साइड में वो ऑफिस था जहाँ पर हमें जाना था.

फिर जैसे ही हम अंदर गये तो में अंदर जाते ही वो सब देखकर एकदम से बिल्कुल हैरान हो गई, क्योंकि वहाँ पर कुर्सी पर मिस्टर मेहता बैठे हुए थे और हमारे अंदर आते ही उन्होंने ज़ोर से हंसकर बॉस से अपना हाथ आगे करके हाथ मिलाया और जब उन्होंने मेरी तरफ देखा तो वो मुझे स्माइल देकर कहने लगे कि आप प्लीज़ बैठिए, उन्होंने मुझसे ऐसा कहा और दोस्तों वो मुझे देखकर शायद बहुत आश्चर्यचकित थे और उनके साथ साथ में भी.

बॉस : मेहता यह है अरुणा मैंने तुम्हे इसी के लिए कहा था.

मिस्टर मेहता : जी में इन्हे पहले से ही जानता हूँ क्योंकि यह दो दिन पहले ही अपना इंटरव्यू देने यहीं पर आई थी और किस्मत की बात देखो मैंने ही मना किया और वो भी इन्हें और फिर दोनों हंसने लगे हहाहहहह

बॉस : ठीक है बहुत अच्छा है कि आप लोग एक दूसरे को पहले से ही जानते हो.

दोस्तों मुझे बहुत टेंशन होने लगी थी और में मन ही मन सोचने लगी थी कि में अब यह नौकरी करूं या नहीं? तभी बॉस को किसी का कॉल आ गया और वो तुरंत कुछ देर के लिए उठकर केबिन से बाहर चले गये. में और अब मिस्टर मेहता ही केबिन में थे.

मिस्टर मेहता : अरुणा तुम मुझे माफ़ करना, मैंने कल तुम्हे फोन पर कुछ ज्यादा ही बोल दिया था. मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था, सही बात तो यह है कि तुम इतनी सुंदर हो कि मेरी मर्ज़ी ना होते हुए भी फोन पर ऐसे ही मेरे मुहं से वो सब निकल गया, प्लीज मुझे माफ़ कर दो.

दोस्तों उनके मुहं से यह सब बातें सुनकर मुझे थोड़ा ठीक लगा और इसलिए मैंने भी अपना उन्हें जवाब दे दिया. मैंने उनसे कहा कि ठीक है सर ऐसी कोई बात नहीं है और अब मुझे आपके साथ काम करने में बहुत खुशी होगी, में मन लगाकर अपना काम करूंगी.

मिस्टर मेहता : ठीक हे तो कल से तुम अपनी नौकरी पर आ जाओ, मुझे तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा और एक बार फिर से में तुमसे मुझे माफ़ करने के लिए कहूँगा प्लीज.

में : हाँ ठीक है, सर में आपके सभी काम बहुत मेहनत से करूंगी, मेरी तरफ से आपको कोई भी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा. आप बस एक बार मेरा काम देख लीजिए.

फिर इतने में बॉस ने मिस्टर मेहता को आवाज़ दी और वो चले गये. में उसी जगह पर ही बैठी थी और वो बाहर खड़े हुए थे. मुझे उनकी कुछ कुछ आवाज़ें मुझे अंदर भी सुनाई दे रही थी. वैसे मुझे मेरे पति उनके बॉस और मिस्टर मेहता के बीच क्या सब कुछ बातें हुई थी, वो सब बिल्कुल भी पता नहीं थी.

बॉस : मेहता यह औरत मेरी कम्पनी में काम करने वाले एक नौकर की पत्नी है, मैंने इसको कार में ही पटा लिया है, तुम थोड़ा इसका ध्यान रखना.

मिस्टर मेहता : ठीक है, बहुत अच्छा है यार, चलो हम दोनों मिलकर खाते है हहहहह.

बॉस : हाँ क्यों नहीं तुम भी जरुर खाना, लेकिन पहले में.

मिस्टर मेहता : ठीक है और तुम सुनाओ काम कैसा चल रहा है?

बॉस : सब ठीक चल रहा है, लेकिन मुझे एक केबिन तो दो.

मिस्टर मेहता : हाँ हाँ क्यों नहीं आप मेरा केबिन ही काम में ले लो में अभी बाहर ही जा रहा हूँ, ठीक है बाय.

फिर मिस्टर मेहता उनसे इतना कहकर चले गये और मेरे पति प्रकाश के बॉस अंदर आए. उन्होंने केबिन को अंदर से बंद कर दिया में तुरंत खड़ी हो गयी वो सीधे आकर मेरे गले लग गये और मेरी गर्दन को किस करने लगे. उनके हाथ मेरी गांड को मेरी साड़ी के ऊपर से सहलाने लगे.

में : प्लीज़ सर, यह सब अभी नहीं, किसी और दिन.

बॉस : आओ ना अरुणा तुम्हे जीवन में आगे जाना है तो यह सब जल्दी होना ज़रूरी है, में तुम्हारे पति को भी अच्छी कुर्सी दे दूँगा उसके पैसे भी बढ़ जाएगे.

दोस्तों में अपने पति के आगे बढ़ने की बात सुनकर मेरा इनकार अब अचानक से इकरार में बदल गया. वो मुझे केबिन से जुड़े हुए बाथरूम में ले गये तभी उन्हे एक फोन आ गया वो कोई जरूरी कॉल था और उसकी वजह से उन्हे अचानक से कहीं बाहर जाना था.

अब फोन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो बस 30 मिनट में आ ही रहे है, वो कुछ जरूरी काम में लगे हुए है और फिर उनकी यह बात सुनकर मुझे अच्छा लगा और में मन ही मन बहुत खुश होकर सोचने लगी कि चलो आज तो में बच गई, लेकिन दोस्तों मेरा यह सब सोचना, खुश होना बिल्कुल ग़लत था. अब बाथरूम में वो मेरे पीछे आकर खड़े हो गये और उन्होंने तुरंत मेरे सर पर अपना एक हाथ रखकर मुझे नीचे झुका दिया.

में उनके सामने थोड़ा सा झुक गई और अब वो अपनी पेंट को खोलने लगे तो में तुरंत समझ गई कि जल्दी में ही सही, लेकिन अब यह एक बार जरुर मेरी चुदाई करने ही वाले है और मेरे झुकते ही उन्होंने तुरंत मेरी साड़ी को पूरा ऊपर उठा दिया, जिसकी वजह से उन्हें मेरी पेंटी नजर आने लगी और फिर उन्होंने बिना देर किए तुरंत मेरी पेंटी को भी एक झटके से खींचकर नीचे कर दिया, जिसकी वजह से मेरी पेंटी नीचे सरक गई और मेरी सुंदर गोरी मध्यम आकार की गांड अब पूरी तरह से नंगी होकर उनके सामने थी.

अब उन्हें पीछे से मेरी गुलाबी चूत का नज़ारा भी दिख रहा था. उन्होंने अपना लंड पेंट से बाहर निकाला और उस पर थोड़ा सा थूक लगाकर पीछे से मेरी चूत में डाल दिया.

दोस्तों उनका धक्का इतना जोरदार था कि उसकी वजह से उनका लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अंदर चला गया, जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हुआ, क्योंकि एक तो में खड़ी हुई थी और जिसकी वजह से मेरी चूत का छेद कम खुला हुआ था और ऊपर से उनके मोटे लंड ने मेरी चूत को बहुत जबरदस्त धक्का दिया. मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने मेरी कोमल मासूम चूत में जानबूझ कर कोई मोटा डंडा डाल दिया हो.

उस दर्द से मेरे मुहं से चीख निकल गई और कुछ देर धक्के लगने के बाद में थोड़ा सा शांत हो गई और उनके साथ उनके धक्कों का मज़ा लेने लगी. दोस्तों वो लगातार मेरी चूत पर ताबड़तोड़ धक्के दिए जा रहे थे और में चीखना चाहती थी, लेकिन चीख ना सकी और वो बहुत जल्दी में थे और 5 से 7 मिनट के जबरदस्त धक्कों के बाद उन्होंने अपना लंड झट से बाहर निकाला लिया और फिर उन्होंने हाथ से अपना लंड हिलाकर ही बाहर अपना वीर्य निकाल दिया और फिर वो बाथरूम से बाहर चले गये.

फिर उनके चले जाने के बाद मैंने अपने आपको साफ किया और फिर पेंटी पहनकर बाहर केबिन में आ गई तब तक मिस्टर मेहता भी आ गये थे, तो उन्होंने बॉस से कहा कि में अरुणा को इसके घर तक छोड़ देता हूँ, आप चाहे तो चले जाए और फिर बॉस उनके ज़रूरी काम से बाहर चले गये. अब में और मिस्टर मेहता उनकी कार में घर के लिए निकल गये, वो मुझे स्माइल दे रहे थे और मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि में उनसे कैसे बात करूँ?

मिस्टर मेहता : अरुणा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो यह सब होता रहता है और मुंबई जैसे शहर में यह सब बातें होती रहती है, मैंने तुमसे पहले भी कहा था कि एक औरत के लिए जीवन में आगे बढ़ने के लिए यही अच्छा है कि वो साथ दे और जो आज तुमने किया है, तुम्हारा यह निर्णय एकदम सही है कि तुम अब और भी ज्यादा अनुभवी और एक नौकरी वाली हो गई हो.

दोस्तों मुझे मिस्टर मेहता के सहज बात करने के तरीके ने उनकी तरफ बहुत आकर्षित किया और में वैसे अपने मन की सही बात बताऊँ तो में मन ही मन आज बहुत खुश थी अपने नए अनुभव और मेरी नई नौकरी के लिए भी.

में : आपको बहुत बहुत धन्यवाद मिस्टर मेहता जी, क्योंकि आप हमेशा बहुत सुलझी हुई बात करते है. मैंने ही आपको बहुत गलत समझ लिया था, उसके लिए आप मुझे एक बार माफ़ जरुर करना.

मिस्टर मेहता : हाँ यह सब ठीक है और अरुणा वैसे मुझे भी तुम बहुत पसंद हो, लेकिन जब तक तुम हाँ नहीं करोगी में तुम्हे हाथ भी नहीं लगाऊंगा, तुम बिल्कुल बेफिक्र होकर अपनी नौकरी कर सकती हो और तुम्हे मुझसे डरने की ज़रूरत नहीं है. जब तुम्हारा दिल करे प्रमोशन लेने का तब तुम मुझसे कह देना, में तुम्हे प्रमोशन दे दूँगा हाहहहहहा.

में : हाहहह वैसे आप बहुत अच्छा मजाक करते हो.

अब मैंने भी उन्हें स्माइल दे दी और फिर मेरा घर आ गया था. मैंने उन्हें अपने घर में आने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने मुझसे यह बात कहकर टाल दिया कि में अगली बार जब भी तुम मुझे बुलाओगी में जरुर आ जाऊंगा और फिर वो चले गए और मैंने घर के अंदर आकर बहुत खुश होकर अपने पति को अपनी नौकरी पक्की होने की बात बता दी. फिर प्रकाश ने मुझसे कहा कि में तो बहुत अच्छी तरह से जानता था कि तुम्हे यह नौकरी तो मिलनी ही थी.

मैंने जो मेरे बॉस को तुम्हारी सिफारिश करने को कहा था, तो मैंने मन ही मन में सोचा कि यह नौकरी तो मुझे मेरे 10 मिनट के उस काम की वजह से मिली है और मैं मन ही मन मुस्कुराने लगी और मेरी शादी के पहले भी दो बॉयफ्रेंड थे, तो मुझे अपने पति को यह सभी बातें ना बताने में कभी भी ऐसा कुछ महसूस ही नहीं हुआ.

अगले दिन से मैंने अपनी नौकरी शुरू की और मुझे बहुत अच्छा काम दिया गया अकाउंट्स का. मेरी मिस्टर विनय के कामों में उनकी मदद करने की नौकरी थी, जिसकी वजह से अकाउंटिंग की बहुत सारी जानकारी में मेरी ट्रैनिंग भी हो गई थी, वो नौकरी मैंने करीब एक साल तक की होगी, लेकिन फिर मैंने अपनी मर्जी से उस नौकरी को छोड़ दिया था और अब में कहीं और किसी फर्म में नौकरी करने लगी थी, लेकिन एक साल में कई बार मैंने और मिस्टर मेहता ने होटल्स में अपना दिन बिताया और हमने ऑफिस में भी बहुत मज़े किए.

फिर मेरे पति ने भी कुछ दिनों के बाद अपनी मर्जी से नौकरी को छोड़कर हमारा खुद का किराना शॉप खोल लिया था, लेकिन दोस्तों उसके बाद भी मेरे पति के बॉस से मेरा वो रिश्ता बहुत दिनों तक रहा और जब भी उनका दिल करता वो मुझे कॉल करते और में तुरंत उनके पास चली जाती थी. फिर मेरे पति के नौकरी छोड़ने के बाद उनके बॉस से मेरा रिश्ता भी खत्म हो गया.

मिस्टर मेहता के पास भी मैंने पूरे एक साल ही नौकरी की थी और फिर काम का अच्छा अनुभव मिलने पर दूसरी एक ट्रेडिंग फर्म में मुझे अच्छी पोस्ट पर ऑफर मिल गया और मैंने वहाँ पर नौकरी की. वहाँ का बॉस 50 की उम्र का था और वो मुझे अपनी बेटी की तरह ही रखता था. वहाँ पर मेरा कोई अफेयर नहीं हुआ, लेकिन पिछले सप्ताह मैंने उस नौकरी को भी छोड़ दिया है.

अनाज मंडी में चलती फिरती लड़की की चुदाई Anaj mandi me anjan ladki ki chudai raat ke samay

अनाज मंडी में चलती फिरती लड़की की चुदाई Anaj mandi me anjan ladki ki chudai raat ke samay, लड़की को अनाज मंदी में चोदा, अनाज मंडी में लड़की की चूत को चोदकर लंड को शांत किया, महिला ने रण्डी की तरह चुदवाया, चलती फिरती चूत ने लंड को खोज ही लिया, किस्मत में चुदाई है तो कोई रोक नहीं सकता है.

हेल्लो दोस्तों कैसे हो? उम्मीद करता हूँ ठीक ही होंगें. अरे भाई इतनी मस्त कहानी जो पढ़ रहे हो. तो चलो लगे हाथों एक कहानी मैं भी आपसे शेयर कर ही लूँ. ये बात पिछली साल की है. मैं कपास लेकर अनाज मंडी में बेचने गया हुआ था. कपास की बिक्री तो हो गई थी लेकिन ज्यादा भीड़ होने के कारण तुलाई होनी अभी बाकि थी इसलिए मुझे रात को कपास के ढेर पर ही रजाई लेकर सोना पड़ा. रात के 10 बजे तक तो अनाज मंडी में काम चलता रहा लेकिन 10 बजे सभी मजदुर अपने - अपने घरों में चले गए और बाकि किसान भी अपने - अपने आढ़तियों की दुकानों में जाकर सो गए लेकिन मेरी कपास मंडी के गेट से बाहर थी इसलिए मुझे पूरी रात इसकी रखवाली करनी जरुरी थी नहीं तो कोई भी आवारा पशु इसे खराब कर सकता था.

रात के ठीक 11 बजे वहां दो लडकियां आई. उनमे से एक आगे चली गई और एक मेरे पास बैठ गई. 

मैंने कहा - कौन हो तुम.
वो बोली - मेरा नाम रीता है.
मैंने कहा - क्या बात है?
वो बोली - कुछ नहीं.
मैंने कहा - तो जाओ अपने घर.
वो बोली - थोड़ी देर आराम करके चली जाउंगी.
मैंने कहा - वो दूसरी तो चली गई.
वो बोली - मैं तुमसे कुछ काम हूँ.
मैंने कहा - मुझसे, क्यों तुम मुझे जानती हो?
वो बोली - नहीं
मैंने कहा - तो बिना जान - पहचान मुझसे क्या काम.
वो बोली - मुझे चुदवाना है, चोदोगे क्या.

मैं चकित रह गया. वो मेरे बिलकुल करीब आ गई. मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी. मैं कुछ बोल ही नहीं पाया, इतने में उसने मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया. फिर उसने मेरी पैंट की चैन खोलकर लंड को पैंट से बाहर निकाल लिया और उसे चूसने लगी. अब मुझे भी मजा आने लगा और मेरा डर भी कम हो गया. थोड़ी देर लंड चूसने के बाद रीता ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. फिर उसने मुझसे कहा कि तुम भी अपने कपड़े उतार दो और पूरे नंगे हो जाओ. फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अब हम दोनों पुरे नंगे थे. 

अब उसकी भरपूर जवानी देखकर मेरा लंड पूरा 8 इंच खड़ा हो चुका था. हाए-हाए क्या मस्त चूचे थे? उसके गोल-गोल चूचे 36 साईज के थे. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अब में उनको अपने मुँह में लेकर चूसे जा रहा था. अब वो आअहह आअहह हाईईई की आवाज़ करने लगी थी. अब वो मेरे लंड को ज़ोर-जोर से दबाने लगी थी. फिर मैं धीरे-धीरे उसकी चिकनी चूत में अपनी उंगली डालने लगा.

अब रीता भी अपने पूरे जोश में आ गई थी और अब वो मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से मसल रही थी. मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. अब उसे मेरा इतना बड़ा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था. फिर वो 5 मिनट तक ऐसे ही मेरा लंड लॉलीपोप की तरह चूसती रही. फिर उसने कहा कि मुझे चोदो.

उसने मुझे एक कंडोम दिया फिर मैंने झट से कंडोम पहना और उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया और उसकी टाँगो को अपने कंधे पर रख लिया और फिर उसकी चूत के छेद पर निशाना लगाकर अपने लंड को उसकी चूत में सट से घुसा दिया. फिर उसने थोड़ा सा आईई माँ किया और फिर मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया. अब मैंने धीरे-धीरे धक्के देने चालू कर दिए थे और अब रीता को मज़ा आने लगा था और वो भी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी थी.

फिर कुछ देर तक चुदने के बाद रीता ने कहा कि तुम नीचे आओ में ऊपर आती हूँ. फिर रीता मेरे ऊपर आ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में डलवा लिया और ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड के ऊपर कूदने लगी. अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था, अब वो उफफफफ्फ़ आहि आईईई आहह फुक्ककक मी हाडरर्र आहह बेबी करके आवाज़े भर रही थी. अब वो अपनी चूत को मेरे बड़े लंड पर मानो पटक रही थी. अब मैंने नीचे से अपने लंड की रफ़्तार तेज कर रखी थी.

फिर रीता ऐसे करते-करते झड़ गई और मेरे ऊपर गिर गई. फिर मैंने कहा कि बस? तो रीता ने कहा कि मुझे पहली बार में खुद की चूत का पानी गिराने में मज़ा आता है और दूसरे राउंड में हम और भी तरीके से चुदाई करेंगे. फिर मैंने कहा कि ठीक है और अब में रीता के बूब्स को लगातार दबा रहा था और चूम रहा था और उसके साथ उसकी चूचीयों को चूस भी रहा था, ताकि वो जल्दी से जोश में आ जाए.

फिर हम दोनों 69 पोजिशन में हो गये और अब वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी और में उसकी चूत को जोर-जोर से चूस रहा था. फिर जैसे ही में उसकी चूत में अपनी जीभ को अंदर करता तो वो मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से काट लेती, ऐसा लगता है कि जैसे खा जाएगी. फिर थोड़ी देर के बाद रीता ने कहा कि बस करो अब आओ चोदो मुझे. फिर मैंने देरी ना करते हुए उससे पूछा कि तुम अब कैसे चुदवाना चाहोगी? अब वो मेरी तरफ उसकी बड़ी गांड करके बिस्तर पर अपनी गांड को हिलाने लगी थी.

अब में समझ गया था कि वो डॉगी स्टाइल में चुदवाना चाहती है. फिर मैंने एक और कंडोम पहना और पीछे से मेरा बड़ा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्का लगाने लगा. अब वो आहहह आहहईईईई उफ़फ्फ़ करने लगी थी और अपनी चूत को मेरे लंड पर ज़ोर-ज़ोर से मारने लगी थी. अब वो आहहह आईईईई की सिसकियाँ भर रही थी और में पूरे जोश में उसको चोद रहा था.

अब में भी जोर जोर से धक्के दिए जा रहा था. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर रीता ने कहा कि तुम थोड़ी देर रुक जाओ, में खुद चुदती हूँ. अब रीता ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड पर अपनी गांड को पटकने लगी थी और में इस तरह सीधा खड़ा था और उसकी चूत मेरे लंड को चोद रही थी, अब में सिर्फ़ उसकी कमर को पकड़े हुए था. अब वो बड़े अच्छे से चुदवा रही थी और मज़े ले रही थी और आहह आहह की आहें भर रही थी. अब में पीछे से उसकी चूत को अपने लंड से दनादन पेल रहा था. अब में कभी-कभी उसकी चिकनी चूत को मसल भी लेता था, जिससे वो और मज़े लेकर चुद रही थी.

अब मज़े से उसकी आँखों में से आसूं भी निकल आए थे, लेकिन वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी. फिर मैंने उसकी टांगे ऊपर कर दी और उसे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा और पूरे जोश से पेलने लगा. अब उसकी चूत से पच-पच की आवाज़े आ रही थी और वो नीचे से अपनी कमर हिला रही थी और ज़ोर से चोदो मुझे बेबी बोले जा रही थी. अब ऐसा लग रहा था कि में भी झड़ जाऊंगा तो मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए और नीचे से रीता भी ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगी. फिर उसने मुझे एका एक अपनी बाहों में ज़ोर से जकड़ लिया और झड़ने लगी. अब में भी अंतिम कगार पर पहुँच गया था, फिर मैंने भी अपना आखरी धक्का मारा और झड़ गया.

फिर हम दोनों लेट गये और फिर थोड़ी देर के बाद उसने मुझे किस किया और वहां से चली गई.

आंगनबाड़ी में मटकती गांड वाली की चूत चुदाई Aanganbadi me matakti gand wali ki chut ki chudai

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कुलसुम आंटी की गांड का हर कोई दीवाना था, वो जब भी मोहल्ले के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने आती तो सब लौंडों के दो तीन दिन तक मुठ मारने की यादें इकट्ठी हो जाती थीं. मैं भी कुलसुम आंटी की गांड का मुरीद था क्यूँकी मैंने चूत का स्वाद तो कई बार लिया था लेकिन गांड मारने का मौका अब तक किसी भाभी या दीदी ने नहीं दिया, उस पर कुलसुम आंटी के चुचे भी इतने बड़े और रसीले थे की कोई भी उनका स्वाद लिए बिना नहीं रह पाता. कुलसुम आंटी हमारे मोहल्ले के पीछे वाली गली में आंगनवाडी चलती थीं और उनका एक एन जजी ओ भी था, उनके पति कुवैत में नौकरी करते थे और परिवार भी ठीक ठाक ही था. लेकिन उन्होंने बुरे समय में शुरू की इस आंगनवाडी को कभी बंद नहीं किया बल्कि उसकी आड़ में और काम भी शुरू कर दिए.

एक दिन कुलसुम आंटी की स्कूटी चलते चलते बंद हो गई तो उन्होंने खुद मुझे आवाज़ लगा कर कहा “पप्पी !! बेटा ये गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही” मैं तो आधी रोटी पर दाल ले कर दौड़ा पर वहां जाते ही पता चला की इस में तो पेट्रोल ही खत्म है. आंटी ने मुझे चूतिया बनाया और अपनी आंगनवाडी तक गाड़ी घसीटवाई, वहां पहुँच कर गाडी मैंने अन्दर भी रखवाई और जब मैं थक गया तो कुलसुम आंटी मेरे लिए पानी का गिलास ले कर आई. वो जब पानी लेने गई और जब गिलास रखने झुकी तो मेरी नज़र उनकी गांड और बड़े बड़े चूचों पर थी, हो भी सकता है की उन्होंने नोटिस कर लिया हो पर मैं खुद को श्याना समझ रहा था.

कुलसुम आंटी ने मुझे कहा “बेटा अब तू आ ही गया है तो ये हमारे कंप्यूटर को क्या हुआ वो भी देख ही ले” मैंने मन ही मन सोचा “साली इतने काम करवा रही है तो कुछ दे भी दे”. कुलसुम आंटी ने मुझे कंप्यूटर ठीक करने बिठाया और खुद किसी से फ़ोन पर बातें करने लगीं, मैं बुरा सा मुंह बना कर कंप्यूटर से जूझ रहा था क्यूंकि एक तो वो बाबा आदम के ज़माने का कंप्यूटर था और दुसरे मेरा सारा ध्यान कुलसुम आंटी की मटके जैसी गांड और मतीरों जैसे चुचों पर थी. मैं श्योर था की कुलसुम आंटी का ध्यान मेरी तरफ नहीं है सो मैंने हौले से अपने खड़े होते लंड को जीन्स में ही सीधा किया, कुलसुम आंटी ने कहा “हो गया बेटा” तो मैं घबरा गया और उनकी तरफ देखने लगा. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

कुलसुम आंटी बोली “मैं कंप्यूटर की बात कर रही थी” मैंने बस हाँ में सर हिलाया तो बोली “सीधा मत बन मैंने तुझे मेरे चुचों और गांड को घूरते देख लिया और जो अभी अभी तू अपने नन्हे सैनिक को मसल रहा था ना वो भी देख लिया” मैंने हडबडा कर कहा “मसल नहीं रहा था बस सीधा कर रहा था, वो जीन्स में अन कम्फ़र्टेबल हो जाता है न इसलिए”. मेरी ये बात सुन कर कुलसुम आंटी हंस पड़ी और बोली “इतना बड़ा भी हो गया की जीन्स में फंस रहा है, खैर अब तू पकड़ा तो गया ही है. तो बता तेरी ये बात तेरी माँ को बताऊँ या तेरे बाप को”. मेरी तो घिग्घी बांध गई और मैंने फटाक से कुलसुम आंटी के पैर पकड़ लिए और गिडगिडाने लगा “आंटी मुझे माफ़ कर दो, वो तो मोहल्ले के लड़कों ने आपके चुचों और आपकी मटकती गांड की इतनी तारीफ़ कर दी तो मैं घूरे बिना रह नहीं पाया, और जैसे ही आपके चुचे इतने करीब से देखे तो बस ये खड़ा हो कर जीन्स में फंस गया”.

कुलसुम आंटी सुने जा रही थी और हँसे जा रही थी, मैं यहाँ चूतियों की तरह बस मुंह नीचे किए खड़ा था और माफियाँ मांग रहा था पर तभी कुलसुम आंटी ने मेरी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर की और कहा “एक तू ही नहीं इस जिस्म के कई दीवाने हैं पर अब तो मैं ढलने लगी हूँ”. मैंने कहा “सॉरी आंटी” तो कुलसुम आंटी ने कहा “चल तू भी क्या याद रखेगा की किस दिलदार से पाला पड़ा था, मेरे चुचे तेरे हवाले, और अगर खुश हुई तो ये गांड भी तेरी. वैसे भी तेरे अंकल तो जाने कब आएँगे”. मैं अब भी डरा हुआ था क्यूंकि क्या पता अभी कह रही है और थोड़ी देर में मेरे माँ बाप को ना बुलवा ले, पर जैसे ही कुलसुम आंटी ने मेरा हाथ अपने चुचे पर रखा मेरा डर निकल गया और मुझे उन्हें चेक करने को कहा.

मैं कुलसुम आंटी के मतीरे जैसे बड़े बड़े चुचे सहला रहा था और वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी, मैंने उनकी निप्पल को छुआ तो बोली “तुझे आता तो सब कुछ है, चल अब तेरा इनाम ये है की तू इन्हें पी भी सकता है”. ये कहकर कुलसुम आंटी ने अपना ब्लाउज और ब्रा खोल कर अपने चुचे आज़ाद कर दिए, वो मेरी सोच से काफी बड़े थे और उम्र के हिसाब से काफी हद तक ढलने भी लगे थे लेकिन मैंने उन पर अपनी जीभ का ऐसा भोकाल मचाया की कुलसुम आंटी बावली हो गई. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अपने दोनों हाथों से उनके सांवले चुचे मसलते हुए मैं उन्हें पिए जा रहा था, कभी निप्पलों पर चिकोटी काटता तो कभी पूरे का पूरा चुचा मुंह में लेने की कोशिश करता.

कुलसुम आंटी मस्त हो कर अपने चुचे चुसवा रही थी और एक हाथ से अपनी चूत मसल रही थी, मैंने उनका पेटीकोट उठा कर उनकी चूत को चूमा तो बोली. ये भी दूंगी लेकिन आज तेरी इस मेहनत के बदले तुझे वही चीज़ मिलेगी जो तू चाहता है आयर फिर क्या था, कुलसुम आंटी ने पेटीकोट पूरा उठा कर मुझे अपनी भरी हुई मदमस्त गांड दिखलाई जिसका छेड़ बाद तो था लेकिन मेरे लंड के लिए नया था. कुलसुम आंटी अपने आंगनबाड़ी के ऑफिस में ज़मीन पर ही घुटने रख कर बैठ गई और ऐसी झुकी की उनकी गांड का छेड़ ऊपर आ गया, मैंने उनकी गांड देखि उस पर जमकर चूमा और खींच खींच के दो तीन चांटे उनकी गांड पर मारे.

कुलसुम आंटी ने हाथ बढ़ाकर टेबल से अपना बैग लिया और उस में पड़ी कोल्ड क्रीम की छोटी सी डिब्बी मुझे दे कर इशारा किया, मैंने थोड़ा अपने लंड पर लगाया और बाकी का सारा का सारा क्रीम उनकी गांड के छेड़ के बाहर और अन्दर भी अपनी ऊँगली से पेल पेल कर लगा दिया. मेरी ऊँगली कुलसुम आंटी की गांड में जाते ही वो चिहुँक उठी और बोली “अब बिना मुझे दिखाए अपना लंड पेल दे मेरी गांड में”, मैंने आनन् फानन में उनकी गांड पर अपना लंड टिका कर जोर का धक्का मारा और घप्प से मेरा लंड उनकी गांड में पैवस्त हो गया. कुलसुम आंटी इतने जोर से चीखी “मरदूद दो लंड डाले हैं क्या एक साथ” मैंने हँसकर कहा “आंटी एक ही है” तो बोली “इतना बड़ा था तो पहले ही देख के लेती”.

मैं कुलसुम आंटी की गांड में लंड पेल कर दनादन धक्के पे धक्का पेल रहा था और कुलसुम आंटी गांड मटका मटका कर चीखे जा रही थी “उफ़ बेटा तूने तो मेरी गांड में कारखाना खोल दिया लगता है, ऊऊह्ह्ह हाय मार डाला” उनकी हर चीख मेरे लिए मोटिवेशन का काम कर रही थी और मेरे धक्के और तेज़ होते जा रहे थे. अब तो मानो आंटी किसी घायल पंछी की तरह चीख रही थी क्यूंकि एक तो मेरा लंड मोटा और दुसरे मेरे धक्के तेज़ तो आंटी की गांड का गुडगाँव बनना तो निश्चित था ही. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मेरे धक्कों की तेज़ी के साथ मेरा वक़्त भी पूरा होने जा रहा था लेकिन मैंने इसे और मजेदार करने के लिए अपनी गांड में एक पेन टेबल से उठाकर घुसा लिया जिस से मेरे अन्दर एक गज़ब की किंकी एनर्जी आ गई और आंटी की गांड पर मेरे लंड का कहर बढ़ गया.

हम दोनों पसीने पसीने हो रहे थे और आंटी की चीखें कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी, मैंने एक आखिरी झटका मारा और अपना पूरा वीर्य आंटी की गांड में भर दिया जो शायद उनकी घायल गांड के लिए गरमा गरम मलहम की तरह था क्यूंकि वीर्य से भरी उनकी गांड शांत पड़ी थी. आंटी ज़मीन पर उलटी लेती जोर जोर से साँसें ले रही थी, और मैं भी थक कर आंटी पर ही लेट गया तो वो पलटी और मेरे होठों को चूमकर बोली “बेटा तू ही असल मर्द है जिस ने मेरी गांड को वही मज़ा दिलवाया है जो मुझे पहली बार गांड मरवाने में आया था”. मैं खुश हो कर उनके होंठों को चूस रहा था और उनके चुचे मसल रहा था तो वो बोली “गांड तो तूने बहुत अच्छी मारी है अब मेरी चूत को भी चोद चोद के चौराहा बना दे”. इसके बाद मैंने उनकी चूत को उसी दिन तीन बार चोदा और हर हफ्ते में तीन चार बार उनकी चूत और गांड पर अपने लंड का जलवा ज़रूर दिखाता हूँ.
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