अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा लंड चूस सकती हूँ - Main tumhara lund chusna chahti hun

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सुबह दोनों को नाश्ते पर देखकर ऐसा नहीं लगा कि दोनों इस तरह की हैं.
दोनों ने नाश्ता किया और स्कूल चली गई. मैं भी कॉलेज गया और सारा दिन दोनों के बारे में सोचता रहा.

शाम को घर पहुंच कर ऋतु का इंतज़ार करने लगा.
वो स्कूल से आते ही सीधे मेरे रूम में घुसी और मुझसे लिपट गई और मुझसे पूछा- तुमने देखा… कैसा लगा… मजा आया या नहीं… बोलो?
मैंने कहा- अरे हाँ, मैंने देखा और बहुत मजा आया.

ऋतु बोली- हाय… मैं तुम्हें क्या बताऊँ पूजा की चूत का रस इतना मीठा था कि बस मजा आ गया.
और फिर मेरे लंड पर हाथ रखकर बोली- पर इसका कोई मुकाबला नहीं है.

फिर ऋतु ने पूछा- क्या तुम्हें देखने में अच्छा लगा?
मैंने कहा- हाँ, मेरा मन तो कर रहा था कि काश मैं तुम्हारे रूम में होता तुम्हारे साथ!
ऋतु ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा- शायद एक दिन तुम भी वहाँ पर होगे… हम दोनों के साथ!

मैंने पूछा- तो क्या मैं सन्नी और विकास को बुला लूं… तुम दोनों का शो देखने के लिए, तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है न?
ऋतु- तुम कितना चार्ज करोगे उनसे?
मैं- एक हजार एक बन्दे से यानी टोटल दो हजार रूपए पर शो!
ऋतु- पर अब हम दो लड़कियाँ हैं क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें ज्यादा चार्ज करना चाहिए?
मैं- हाँ, बात तो सही है कितने बोलू उनको… पंद्रह सौ ठीक है क्या?
ऋतु- हाँ ठीक है.
मैं- तो ठीक है, अगला शो कब का रखें, पूजा कब आ सकती है दुबारा तुम्हारे साथ रात को रुकने के लिए?
ऋतु- उसको जो मजे कल रात मिले है.. मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ वो रोज रात मेरे साथ बिताने के लिए तैयार होगी.
और वो हंसने लगी.

ऋतु- मुझे भी एक आईडिया आया है जिससे हम और ज्यादा पैसे कम सकते हैं.
मैं- कैसे?
ऋतु- अगर मैं भी अपनी सहेलियों को अपने रूम में बुलाकर तुम्हें मुठ मारते हुए दिखाऊं तो?
मैं- मुझे मुठ मारते हुए… इसमें कौन रूचि लेगी?
ऋतु- जैसे तुम लड़के लड़कियों को नंगा देखने के लिए मचलते रहते हो वैसे ही हम लड़कियां भी लड़कों के लंड के बारे में सोचती हैं और उत्तेजित होती हैं, अगर कोई लड़की तुम्हें मुठ मारते हुए देखे तो इसमें तुम्हें क्या आपत्ति है.
मैं- लेकिन ये तुम करोगी कैसे?

ऋतु- मैं कल पूजा को अपने साथ लेकर चार बजे घर ले आऊँगी और तुम उससे पहले ही आ जाते हो. तुम ठीक चार बजे मुठ मारनी चालू कर देना. मैं उसको बोलूंगी कि मेरा भाई रोज इसी समय बजे अपने रूम में मुठ मारता है और मैं इस छेद से रोज उसको देखती हूँ. मुझे विश्वास है कि वो भी तुम्हें देखने की जिद करेगी, तब मैं उससे पैसों के बारे में बात करके तुम्हें मुठ मारते हुए दिखा दूँगी.

मैं- वाह, मैं तो तुम्हारी अक्ल का कायल हो गया… तुम तो मुझसे भी दो कदम आगे हो.
ऋतु- आखिर बहन किसकी हूँ.
मैं- और तुम उससे कितना चार्ज करोगी?
ऋतु- वो ही… एक हजार रूपए… ठीक है ना?
मैं- ठीक है.

ऋतु- और फिर रात को सन्नी और विकास भी आ सकते हैं और वो दोनों हम दोनों को देखने के तीन हजार रूपए अलग से तुम्हें देंगे… तो हम एक दिन में चार हजार रूपए कमा सकते हैं.
ऋतु- वैसे एक बात बताऊँ… मुझे काफी उत्तेजना हो रही थी कि कल तुम मुझे छेद से वो सब करते हुए देख रहे हो… काफी मजा आ रहा था.
मैं- मुझे भी काफी मजा आ रहा था. मेरा लंड तो अभी भी कल की बातें सोचकर खड़ा हुआ है.
ऋतु- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा लंड चूस सकती हूँ.
मैं- अभी… मम्मी पापा आने वाले हैं, तुम मरवाओगी.
ऋतु- अरे इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा… अपना लंड निकालो… जल्दी!

मैंने जल्दी से अपनी पैंट नीचे उतारी और ऋतु झट से मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई. ऋतु ने मेरी चड्डी एक झटके में नीचे करके मेरे फड़कते हुए लंड को अपने नर्म हाथों में लेकर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया और फिर उसे चूसने लग गई.

ऋतु के होंठ लगते ही उत्तेजित होकर एक मिनट में ही मैंने एक के बाद एक कई पिचकारी उसके मुंह में उतार डाली. वो उठी और अपना मुंह साफ़ करते हुए बोली- मुझे तो तुम्हारे वीर्य ने अपना दीवाना ही बना दिया है… और फिर मेरे लंड को पकड़ कर मेरे चेहरे पर अपनी गरम साँसें छोड़ती हुई बोली- आगे से तुम इसे कभी व्यर्थ नहीं करोगे… समझे ना!
मैंने हाँ में गर्दन हिलाई.

मैंने धीरे से कहा- अगर तुम चाहो तो बाद में मैं भी तुम्हारी चूत चूस सकता हूँ.
ऋतु- तुमने तो मेरे दिल की बात छीन ली… मैं रात होने का इन्तजार करुँगी.
मैं- मैं भी रात होने का इन्तजार करूँगा.

फिर वो अपने रूम में चली गई और रात को खाना खाने के बाद सब अपने-अपने रूम में चले गए.

मैं अपने बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था कि पिछले कुछ दिनों से मैं और ऋतु एक दूसरे से कितना खुल गए हैं… लंड-चूत की बातें करते हैं… मुठ मारना… एक दूसरे को नंगा देखना और छूना.. कितना आसान हो गया है… मैं अपनी इस लाइफ से बड़ा खुश था.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मसलना शुरू कर दिया. मुझे ऋतु का इन्तजार था.

मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा, करीब पंद्रह मिनट में ही वो धीरे से मेरे कमरे का दरवाजा खोल कर अन्दर आ गई और मुझे अपना लंड हिलाते हुए देखकर चहक कर बोली- वाह.. तुम तो पहले से ही तैयार हो, लाओ मैं तुम्हारी मदद कर देती हूँ.

मैं- पर मैं तुम्हारी चूत चुसना चाहता हूँ!
ऋतु- कोई बात नहीं तुम मेरी चूत चूसो और मैं तुम्हारा लंड… हम 69 की पोजीशन ले लेते हैं.

ऋतु ने जल्दी से अपना गाउन खोला, हमेशा की तरह आज भी वो अन्दर से पूरी तरह से नंगी थी, उसके भरे हुए मम्मे और तने हुए निप्पल देखकर मेरे लंड ने एक-दो झटके मारे और मैंने नोट किया कि आज उसकी चूत एकदम साफ़ और चिकनी थी. शायद उसने आज अपनी चूत के बाल साफ़ किये थे… मेरे तो मुंह में पानी आ गया.

ऋतु झुकी और अपने गीले मुंह में मेरा लंड ले लिया और अपनी टाँगें उठा कर घुमाते हुए बेड पर फैलाई और उसकी चूत सीधे मेरे खुले हुए मुंह पर फिक्स हो गई.
उसके मुंह में मेरा लंड था पर फिर भी उसके मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गई. उसकी चूत जल रही थी… एकदम गर्म, लाल, गीली, रस छोड़ती हुई…

मैं तो अपने काम में लग गया. उसकी चूत के लिप्स को अपनी उंगलियों से पकड़ के मैंने अन्दर की बनावट देखी तो मुझे उबड़ खाबड़ पहाड़ियां नजर आई और उन पहाड़ियों से बहता हुआ उसका जल…
मैंने अपनी लम्बी जीभ निकाली और पहाड़ियाँ साफ़ करने में लग गया, पर जैसे ही साफ़ करता और पानी आ जाता… मैं लगा रहा… लगा रहा… साथ ही साथ मैं अपनी एक उंगली से उसकी क्लिट भी रगड़ रहा था.

मेरे लंड का भी बुरा हाल था. ऋतु उसको आज ऐसे चूस रही थी जैसे कुल्फी हो… अन्दर तक ले जाती, जीभ से चारों तरफ चाटती और फिर बाहर निकालते हुए हल्के से दांतों का भी इस्तेमाल करती… वो लंड चूसने में परफेक्ट हो चुकी थी.

मैंने अब उसकी चूत के मुंह पर अपने दोनों होंठ लगा दिए और बिना जीभ का इस्तेमाल किये बिना चूसना शुरू कर दिया. वो तो बिफर ही गई मेरे इस हमले से… और उसकी चूत में से ढेर सारा रस निकलने लगा और वो झड़ने लगी.

मैं भी अब कगार पर था, मेरे लंड ने भी विराट रूप ले लिया और ऋतु ने जैसे ही मेरे टट्टों को अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया… मैं झड़ गया और वो मेरा पूरा माल पी गई.

फिर हम दोनों उठे और एक दूसरे की तरफ देखा. हम दोनो के चेहरे गीले थे और हम ये देखकर हंसने लगे.

ऋतु- तुमने तो मुझे अपने वीर्य की लत लगा दी है… कितना मजा आता है तुम्हारा लंड चूसने में और तुम्हारा वीर्य पीने में!
मैं- मैं भी तुम्हारे मीठे रस का शौकीन हो चुका हूँ… जी करता है सारा दिन तुम्हारी चूत चूसता रहूँ.

मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था वो मेरे साथ लेट गई. उसके मोटे चूचे मेरे सीने से लग कर दब गए. उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करने लगी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और मजे लेने लगा. उसकी गर्म साँसें मेरे कानों पर पड़ रही थी. ऋतु की एक टांग मेरे ऊपर थी और वो उसको रगड़ रही थी जिससे ऋतु की गीली चूत मेरी जांघ से रगड़ खा रही थी.

ऋतु- तुम्हारा तो अभी भी खड़ा हुआ है… मेरी चूत के अन्दर भी कुछ कुछ हो रहा है…
और फिर उसने जो किया, मैं स्तब्ध रह गया.

ऋतु उठी और अपनी दोनों टाँगें फैला कर मेरे ऊपर आ गई. उसकी दोनों बाहें मेरे सर के दोनों तरफ थी और ऋतु के दोनों मोटे मोटे मम्मे मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे और मेरी बहन की रसीली चूत मेरे खड़े हुए लंड को छू रही थी.

फिर ऋतु थोड़ा झुकी और मेरे होंठों को चूसने लगी. उसके मुंह में से मेरे वीर्य की गंध आ रही थी.
मैंने भी उसके नर्म होंठों को चूसना और चाटना शुरू कर दिया. फिर जब उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाली तो मैं उसकी मचलती जीभ को पकड़ने की नाकाम कोशिश करते हुए जोर जोर से उसे चूसने लगा.

मेरे हाथ अपने आप उसकी छाती पर जा चिपके और मेरी उंगलियाँ उसके निप्पल को सहलाने लगी. लटकने की वजह से उसके मम्मे काफी बड़े लग रहे थे और मेरी हथेली में भी नहीं आ रहे थे.
ऋतु धीरे धीरे अपनी चूत की बाहरी दीवारों पर मेरे खड़े हुए लंड को रगड़ रही थी और उसकी चूत की गर्म हवाओं से मेरा लंड झुलस रहा था.
मैंने भी अपनी जीभ अब उसके मुंह में डाल दी. वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे मेरा लंड हो… पूरी तरह से वो मुझे पीना चाहती थी.

दूसरी तरफ मेरा लंड अब उसकी चूत की दरार में फंस गया था. ऋतु ने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ नशीली आँखों से देखा और मुझसे कहा- आई लव यू… रोहण!

मैं कुछ समझ पाता इससे पहले उसने अपनी गांड का दबाव मेरे ऊपर डाल दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समाता चला गया.
ऋतु के मुंह से एक कराह निकल गई ‘आआआईईई… .म्म्मम्म्म्म… माआआअर.. ग्ईईईईई.. आआआअहहह!’

मैं तो भौचक्का रह गया. मुझे इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी पर जब मैंने ऋतु का तृप्ति भरा चेहरा देखा तब उसकी बंद आँखें और हलकी मुस्कराहट से भरा चेहरा देखा तो मुझे एक सुखद अहसास हुआ और मैं भी पूरे जोश के साथ अपने लंड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
ऋतु ने अपनी बाहों से मेरी गर्दन के चारों तरफ फंदा बना डाला जिसकी वजह से उसके मम्मे मेरे चेहरे पर रगड़ खा रहे थे.

मैंने अपने हाथ उसकी चौड़ी गांड पर रखे और उन्हें दबाते हुए नीचे से धक्के मारने लगा. उसके होंठ मेरे कान के बिल्कुल पास थे और वो मीठे दर्द से हल्के हल्के चिल्ला रही थी ‘आआआ आआअहहह… रोहण… आई लव यू… फ़क मी… आई लव यौर बिग… कॉक… तुम्हारा मोटा लंड… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआआ… मेरी चूत में अन्दर तक डाआआअलो… और जोर से… और जोर से… आआआअह्ह्ह… मेरी चूत तुम्हारी है… मारो मेरी चूत… चोदो मुझे..’

ऋतु अब गन्दी गन्दी गालियाँ भी देने लगी थी ‘बहनचोद… चोद न… आआआअह… चोद अपनी कुँवारी… कमसिन… बहन को… अपने लम्बे लंड से… पूरा ले लूंगी… आआअईईई… हरामखोर… चोद मुझे… फाड़ दे अपनी बहन की चूऊऊत… आआआह…..माआआ आआआऐन तो गईई ईईई… आआअह…’

थोड़ी देर की चुदाई के बाद वो झड़ने लगी. मैंने अपने लंड पर उसका लावा महसूस किया. वो गहरी गहरी साँसें लेकर ढीली पड़ गई… फिर मैंने उसे बेड पर धक्का दिया और उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत में पीछे से अपना लंड डाल दिया.

ऋतु की फैली हुई गांड काफी दिलकश लग रही थी. मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ा और अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी. उसके मुंह से ‘ओह्ह्हह्ह… ओफ्फ फ्फ्फ… आआहह…’ की आवाजें दोबारा आने लगी. मैं भी अब झड़ने के करीब पहुँच गया.

मैंने ऋतु से कहा- ऋतु मैं आया…
और अपना लण्ड उसकी चूत से निकालकर अपने हाथों में ले लिया.
वो जल्दी से पलटी और मेरे लंड पर अपना मुंह लगा दिया… मेरे लिए ये काफी था. मैंने उसका मुंह उसकी मनपसंद मिठाई से भर दिया और वो सारी रसमलाई खा गई.

फिर ऋतु उठी और ‘आई लव यू’ कहकर मेरे सीने से लग गई. मैं भी उसके कोमल से शरीर को सहलाते हुए ‘आई लव यू टू… आई लव यू टू…’ कहने लगा.

हाँफते हुए ऋतु ने अपनी नजर मुझसे मिलाई और मुस्कुराकर बोली- मुझे तुम्हारा लंड पसंद आया… ये अन्दर जाकर तो बहुत ही मजे देता है. डिल्डो को अन्दर ले लेकर मैं थक गई थी. ये कितना मुलायम, गर्म, और मजेदार है.
मैंने कहा- तुम्हारी चूत भी बहुत मजेदार है. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है. कितना आनन्द आ रहा था तुम्हारी रेशम जैसी चूत में अपना लंड डालने में. मैंने कभी इस आनन्द की तो कल्पना भी नहीं की थी.

ऋतु ने बेड पर से उठते हुए कहा- अब तुम कल मुझे सुबह उठाने के लिए आ जाना मेरे रूम में!
मैं- उठाने के लिए… पर किसलिए?
ऋतु- क्योंकि मुझे और मजे चाहिए इसलिए… कल से रोज सुबह तुम मेरी चूत चाटोगे और फिर अपने इस खूबसूरत लंड से मेरी चूत मारोगे… और अब तो हम बिज़नस पार्टनर हैं… हैं ना!
मैंने खुश होते हुए कहा- हाँ हाँ… बिल्कुल हैं.

ऋतु- ठीक है फिर… गुड नाईट…

और उसने झुक कर मेरे लंड को चूम लिया और बाहर निकल गई.

अगले दिन सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गई और मैंने जब छेद से ऋतु के रूम में देखा तो वहाँ अँधेरा था. मैं दबे पांव उसके रूम में गया और उसके बेड के किनारे जाकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर बाद अँधेरे में अपनी आँखें जमाने के बाद मैंने देखा कि ऋतु अपनी चादर से बाहर निकल कर सो रही थी.
मेरी बहन एकदम नंगी थी, उसकी दोनों टांगें फैली हुई थी जिसकी वजह से मेरी बहन की चूत अलग ही चमक रही थी.
मेरा लंड यह नजारा देख कर फुफकारने लगा. मैंने फुर्ती में अपने कपड़े उतारे और उसकी खुली हुई टांगों के बीच कूद गया.

मैंने अपना मुंह जैसे ही उसकी चूत पर टिकाया, उसके शरीर में एक सिहरन सी हुई और उसकी नींद खुल गई.
जब उसने मुझे अपनी चूत चाटते हुए देखा तो वो सब समझ गई और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी. ऋतु सिसकारती हुई बोली- म्म्म्म म्म्म… आआ आआआह आआ… गुड मोर्निंग.. रोहन!

मैंने उसकी रसीली चूत से अपना मुंह ऊपर उठाया और बोला- गुड मोर्निंग!

हमेशा की तरह उसकी चूत में से ढेर सारा रस बहने लगा और मैं चटखारे लेकर उसे पीने लगा. ऋतु ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे ऊपर की तरफ खींचने लगी. मैं ऊपर खिसकते हुए उसकी नाभि, पेट और फिर मोटे-मोटे चूचों पर किस करता चला गया और अंत में उसके होठों ने मुझे ऐसे जकड़ा कि मेरे मुंह से भी आह निकल गई.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ लिया और चूम चूमकर उसे गीला कर दिया. उसने अपना हाथ हम दोनों के बीच डाला और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के मुहाने पर रख दिया. बाकी काम मैं जानता था और एक तेज धक्के से मैंने अपना सात इंच लम्बा लंड उसकी गर्म चूत में डाल दिया. उसकी आँखें उबल कर बाहर आने को होने लगी पर फिर कुछ झटकों के बाद वही आँखें मदहोश होने लगी और उसके मुंह से तरह तरह की आवाजें आने लगी- आअअ अअहह… चोदो… मुझए… मुझे तुम्हारा लंड रोज चाहिए…. आअहहह… जोर से और जोऊर से!

मैंने अपना मुंह ऋतु के मुंह से जोड़ दिया और उसकी जीभ चूसने लगा. कुछ देर बाद मैं झड़ने के करीब था. मेरे मुंह से एक भारी हुंकार निकली, ऋतु समझ गई और उसने हमारी किस तोड़ते हुए मेरा लंड बाहर निकाला और बेड के किनारे पर लेट कर मेरा गीला लंड अपने मुंह में ले लिया.
मैं अब तेजी से अपना लंड उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा और अब मैं उसका मुंह चोद रहा था.

वो भी मेरे लंड को अन्दर तक ले जा रही थी जो उसके गले के अंत तक जाकर उसकी दीवारों से टकरा रहा था. मैंने जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया और अपने गर्म वीर्य की धारें ऋतु के गले में छोड़ने लगा.
वो मेरे वीर्य की हर बूँद चटखारे लेकर पी गई.

फिर ऋतु ने मुझे धक्का दिया और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गई. उसकी चूत ने मेरे होंठों को ढक लिया. मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाली और उसे चूसना शुरू कर दिया और जल्दी ही उसका रस बहकर मेरे मुंह में आने लगा और वो हल्के से चिल्ला कर झड़ने लगी.

झड़ने के बाद ऋतु उठी और फिर हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे की किस ली. फिर उसने किस तोड़ी और बोली- अब तुम जल्दी से अपने रूम में जाओ. इससे पहले कि मम्मी पापा उठ जाएँ… और कॉलेज भी तो जाना है ना तुम्हें, मुझे भी स्कूल के लिए तैयार होना है.
मैं- ओह्ह मैं तो भूल ही गया था… मुझे तो बस आज रात का इन्तजार है.
ऋतु- मुझे भी!

फिर मैंने अपने कपड़े पहने और रूम में जाकर तैयार हुआ.

नाश्ता करते हुए ऋतु ने सबको बता दिया कि आज रात उसकी फ्रेंड पूजा रात को यहीं रुकेगी.

कॉलेज जाकर मेरा मन सारा दिन कहीं नहीं लगा, मुझे तो बस शाम का इन्तजार था.
मैं कॉलेज से जल्दी घर आ गया. घड़ी देखी तो तीन बजने वाले थे और ऋतु साढ़े तीन बजे तक स्कूल से आती थी. मैं अपने रूम में जाकर उसका इन्तजार करने लगा.

कुछ देर बाद ऋतु और पूजा घर आ गई. मैंने छेद से देखा तो दोनों अपने रूम में बैठकर बातें कर रही थी. वो पूजा को बता रही थी कि कैसे वो रोज मुझे छेद के जरिये मुठ मारते हुए देखती है और अगर वो भी देखना चाहती है तो उसे एक हजार रूपए देने होंगे.

पैसों का नाम सुनकर पूजा ऋतु को हैरानी से देखने लगी.
पर जब ऋतु बोली- अगर तुम्हें लगे कि यह ‘शो’ अच्छा नहीं हैं तो तुम पैसे मत देना.
कुछ सोचने के बाद वो मान गई क्योंकि उसने भी आज तक कोई असली लंड नहीं देखा था.

मैंने घड़ी की तरफ देखा तो चार बजने वाले थे. मैं अपने बेड पर आकर बैठ गया और संकुचाते हुए अपनी जींस और चड्डी को उतार दिया और मुठ मारना शुरू किया.

दूसरे रूम में से जब ऋतु ने देखा कि मैंने अपनी जींस उतार दी है और मुठ मारना चालू कर दिया है तो उसने पूजा को बुलाया और उसे छेद में से देखने को कहा.
छेद से झाँकने के बाद पूजा ने धीरे से कहा- वाव… ऋतु, तुम्हारे भाई का लंड तो काफी बड़ा है और सुन्दर भी!
ऋतु- हाँ शायद… क्योंकि मैंने कभी और किसी का लंड तो देखा नहीं है… ले दे के सिर्फ अपना डिल्डो ही है जिससे हम भाई के लंड को तौल सकते हैं.
और दोनों हंसने लगी.

मुझे इस बात का आभास हो गया था कि छेद से मेरी बहन और और उसकी सहेली बारी-बारी से मुझे देख रही हैं.

पूजा ने गहरी सांस लेते हुए कहा- ये सच में डिल्डो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है और इसे देखने में भी कितना मजा आ रहा है. लंड के ऊपर की नसें कैसे चमक रही हैं. सच में यह बहुत सुंदर है.

मैं भी अपने रूम में बैठा उत्तेजित होता जा रहा था यह सोच कर कि पूजा और ऋतु मुझे दूसरे रूम से देख रही हैं. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जब मैं झड़ने वाला था तो थोड़ा सा घूम कर अलमारी की तरफ हो गया और खड़े होकर अपनी धारें मारनी शुरू कर दी.

यह देखकर दूसरे रूम में पूजा आश्चर्यचकित रह गई और वो बोली- हाय… वो तो खड़ा हो गया है और अब उसका लंड मेरे बिल्कुल सामने है… वाव… अब उसके लंड में से रस निकल रहा है… कितना सुन्दर दृश्य है… मजा आ गया.

मैंने गहरी साँसें लेते हुए झड़ना बंद किया और बेड पर लेट गया और सोचने लगा ‘काश पूजा मेरे सामने होती तो मैं उसके चेहरे के भाव देख सकता!’

दूसरे रूम में पूजा ने उछलते हुए ऋतु को गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूम लिया और बोली- मैंने इससे ज्यादा सुन्दर चीज आज तक नहीं देखी, मेरी तो चूत से पानी निकलने लगा है, निप्पल खड़े हो गए हैं… ये देख!
और उसने ऋतु का एक हाथ अपनी चूची पर और दूसरा सीधे अपनी चूत पर टिका दिया।

ऋतु दोनों चीजें अपने हाथ में लेकर दबाने लगी और पूजा से पूछा- मतलब तुम मानती हो न कि यह शो एक हजार रूपए का था.
पूजा कुछ नहीं बोली और सीधे अपने पर्स में से एक हजार रूपए निकाल कर ऋतु को दे दिए और बोली- बिल्कुल था… ये लो!
और आगे बोली- काश! ये सब मुझे बिल्कुल मेरे सामने देखने को मिल जाए तो मजा ही आ जाए.

मैं अपनी बहन के साथ सेक्स दो बार कर चुका था. वो अपनी सहेली को लाई थी घर मुझे नंगा मुठ मारते दिखाने के लिए.
ऋतु- तो चलो चल कर रोहन से ही पूछ लेती हैं… देखें वो क्या कहता है?
और फिर हँसने लगी.

पूजा- पागल हो गई है क्या… मैं तो सिर्फ बात कर रही हूँ. इसका मतलब यह नहीं कि मैं उससे जाकर बोलूँ कि वो मेरे सामने मुठ मार सकता है या नहीं.
ऋतु- तुम मत जाओ, मैं जाकर उसको बोलती हूँ तुम्हारी तरफ से.. अगर तुम चाहो तो?
पूजा- वो कभी भी नहीं तैयार होगा इस पागलपन के लिए… ये सिर्फ मेरे मन के विचार हैं और कुछ नहीं इन्हें ज्यादा गंभीरता से मत लो.

ऋतु- अरे कोशिश तो करते हैं ना… वो या तो हाँ करेगा या ना… और वो ये बात मोम डैड को भी नहीं बता पायेगा क्योंकि उसे ये बातें उन्हें बताने में बड़ी शर्म आएगी… मैं तो यह सोच रही हूँ कि उसको क्या देना पड़ेगा ये सब करवाने के लिए?
पूजा- क्या मतलब?
ऋतु- मतलब कि वो शायद कर सकता है अगर बदले में हम उसे कुछ ऐसा दें जिसकी उसे जरूरत है.
पूजा- जैसे कि?
ऋतु- मुझे नहीं पता…कुछ भी हो सकता है. ये तो सिर्फ मेरा आईडिया है. चलो एक काम करते हैं, मैं जाकर उससे पूछती हूँ कि क्या वो हमारे सामने मुठ मारने को तैयार है और उसके बदले में क्या चाहिए.
पूजा- तुझ में इतनी हिम्मत ही नहीं है कि अपने सगे भाई से इस तरह की बात पूछ सके और अगर पूछती भी है तो वो तैयार नहीं होगा.

ऋतु- अगर ऐसी बात है तो मैं अभी जाकर पूछती हूँ!
और यह बोल कर वो दरवाजे की तरफ चल पड़ी.
जाते जाते उसने पूजा से कहा- अगर तुम भी आना चाहो तो आ सकती हो, या फिर छेद में से देख सकती हो.
पूजा- ना बाबा ना..मुझे तो बड़ी शर्म आएगी इस सबमें… तुम ही जाओ.

ऋतु ने आकर मेरे रूम का दरवाजा खड़काया और अन्दर आ गई. मैंने बड़ी हैरानी से उसे देखा.
वो जल्दी से मेरे पास आई और मेरे मुंह पर उंगली रख कर मुझे चुप रहने के लिए कहा और फुसफुसा कर बात करने लगी.

दूसरे रूम से पूजा बड़ी बेसब्री से ये सब देख रही थी. उसने देखा कि ऋतु ने मुझ से कुछ कहा और कुछ मिनट बात करने के बाद ऋतु का भाई झटके से अलग हुआ और अपने हाथ हवा में उठाकर मना करने के स्टाइल में कुछ बोलने लगा.

पूजा सांस रोके ये सब देख रही थी फिर ऋतु दुबारा अपने भाई के पास गई और उसे कुछ और बोला. फिर भाई ने भी आगे से कुछ कहा और ऋतु सोचने के अंदाज में सर खुजाने लगी और फिर कुछ और बातें करने के बाद दोनों एक दूसरे के गले लग गए और ऋतु बाहर निकल गई.

अन्दर आते ही पूजा ने ऋतु से बड़ी अधीरता से पूछा- तुमने उससे क्या कहा? कैसे पूछा?
ऋतु- वही जो हमने तय किया था.
मैंने पूछा- क्या वो हमारे सामने हस्तमैथुन कर सकता है क्योंकि हमने कभी भी असली में ऐसा नहीं देखा.
पूजा- और उसने क्या कहा?

ऋतु- वो तो यह सुनकर काफी भड़क गया था.
पूजा- देखा… मैंने कहा था ना!
ऋतु- पर जब मैंने उससे कहा कि हम इसके लिए उसे कुछ पैसे देंगे या फिर कुछ और भी जो वो चाहे तो बात आगे बढ़ी.

पूजा ने उत्तेजित होकर पूछा- तो उसने क्या कहा?
ऋतु- वो तैयार है और वो इसके लिए दो हज़ार रूपए मांग रहा है.
पूजा ने आश्चर्य के भाव दिए और बोली- क्या सच में… वो सब हमारे सामने करने को तैयार है और उसे सिर्फ रूपए चाहियें?
ऋतु ने धीरे से कहा- हाँ… और साथ ही साथ वो चाहता है कि हमें भी उसके सामने नंगी होना पड़ेगा.

पूजा ने कटाक्ष भरे स्वर में कहा- वाह बहुत बढ़िया… वो हमें नंगी देखना चाहता है, तभी हस्तमैथुन करेगा.
ऋतु ने उसे उकसाते हुए कहा- पर जरा सोचो… उसका लम्बा और खूबसूरत लंड तुम्हारी नाक से सिर्फ कुछ ही दूरी पर होगा.
पूजा कुछ सोचते हुए बोली- चलो वो तो ठीक है, पर क्या तुम अपने भाई के सामने नंगी हो सकती हो?
ऋतु- उसे अपने सामने मुठ मारता हुए देखने के लिए तो मैं ये सब कर ही सकती हूँ… ये कोई बड़ी बात नहीं है और जब हम दोनों करेंगे तो मुझे इसमें ज्यादा शर्म भी नहीं आएगी.

पूजा- हम दोनों से तुम्हारा क्या मतलब है… मैं तो अभी तक इसके लिए तैयार ही नहीं हुई.
ऋतु ने अपनी आवाज में थोड़ी कठोरता लाते हुए कहा- तुम मुझे ये बताओ तुम तैयार हो या नहीं… ये तुम्हारा लास्ट चांस है?
पूजा- ठीक है… जब तुम्हें अपने भाई के सामने नंगी होने में कोई परेशानी नहीं है तो मुझे क्या… वो ये सब कब करेगा?
ऋतु- शायद आज रात को सबके सोने के बाद!

पूजा- मुझे तो बड़ी घबराहट हो रही है… क्या सच में तुम ये सब करना चाहती हो?
ऋतु- अरे हाँ… ये एक नया एडवेंचर होगा… मजा आएगा… और फिर हम बाद में… समझ गई ना?
पूजा- ठीक है… पर सच में तुम बड़ी पागल हो.
ऋतु- पागलपन करने में भी कभी-कभी बड़ा मजा आता है… चलो अब अपना होमवर्क कर लेती हैं, फिर रात को तो कुछ और नहीं कर पायेंगी.

रात को जब सभी डिनर कर रहे थे तो ऋतु ने सारी बातें मेरे कान में बता दी. बीच-बीच में जब मैं पूजा की तरफ देखता था तो वो शरमा कर अपना चेहरा नीचे कर लेती थी.
जब खाना ख़त्म हुआ तो ऋतु और पूजा अपने रूम में चली गई और आखिरकार सारे घर में शांति छा गई. ऋतु और पूजा अपने रूम में गाउन पहनकर मेरा इंतजार कर रही थी.

पूजा ने सोचा कि शायद मैं नहीं आऊँगा और कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोला ही था कि उसे दरवाजे पर हल्की सी खटखट सुनाई दी. आवाज सुनते ही ऋतु उछल कर दरवाजे के पास गई और मुझे अन्दर खींच लिया.
मुझे खींचकर वो बेड के पास तक ले गई और वहाँ बैठी पूजा के पास बैठ गई.
मैं उन दोनों के सामने नर्वस सा खड़ा हुआ था.

ऋतु ने पूछा- अरे भाई, किस बात का वेट कर रहे हो… तुम ये करना भी चाहते हो या नहीं?
मैं- मुझे लगा तुम मुझे पहले पैसे दोगी.

ऋतु पूजा की तरफ देखकर- बिल्कुल देंगी, हमने बोला है तो जरूर देंगी.
मैं- तुमने बोला था कि तुम मुझे 2000 रूपए दोगी और नंगी भी होओगी दोनों?
ऋतु- क्या तब तुम हस्तमैथुन करना शुरू करोगे?
मैं संकुचाते हुए- ह्म्म्म हाँ!
ऋतु- ठीक है…

और पूजा की तरफ देखकर उसे कुछ इशारा किया, पूजा ने झट से अपने पर्स में से 2000 रूपए निकाल कर मुझे दिए पर मुझे कुछ न करते देखकर वो समझ गई कि आगे क्या करना है.
ऋतु- पूजा… चलो एक साथ नंगी होती हैं.

फिर पूजा उठी और दूसरी तरफ मुंह करके अपना गाउन खोल कर नीचे गिरा दिया, ऋतु ने भी उसके साथ-साथ वही किया, दोनों की गांड मेरी तरफ थी. मैं तो वो दृश्य देखकर पागल ही हो गया. एक गोरी और दूसरी सांवली… एकदम ताजा माल… भरी हुई जांघें और सुडौल पिंडलियाँ…

फिर दोनों घूम कर मेरी तरफ मुंह करके बेड के किनारे पर बैठ गई. पूजा के चुचे देखकर मेरे मुंह से ‘आह’ निकल गई और मैं अपने लंड को अपने पायजामे के ऊपर से ही मसलने लगा.

यह देखकर ऋतु ने मुझे घूर कर गुस्से के लहजे में देखा और अगले ही पल हंसकर मुझे आँख मार दी.
पर पूजा ये सब नहीं देख पाई… वो तो अपनी नजरें भी नहीं उठा रही थी.

मैंने देखा कि उसके चुचे ऋतु से काफी बड़े हैं. थोड़े लटके हुए… शायद ज्यादा भार की वजह से… और उसके लाल निप्पल इतने बड़े थे कि शायद मेरे पैर की उंगली के बराबर… पेट बिल्कुल गोल मटोल और सुडौल था.

मैं खड़ा हो गया और अब मैं उसकी चूत भी देख पा रहा था. वो बिल्कुल काली थी, बालों से ढकी हुई और बीच में जो चीरा था, उसमें से गुलाबी पंखुड़ियाँ अपनी बाहें फैला कर जैसे मुझे ही बुला रही थी.

ब्रेकअप के बाद मिली मस्त चूत - Breakup Ke Baad Mili Mast Choot

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आकांक्षा से मैं बहुत ज्यादा प्यार किया करता था लेकिन वह कभी भी मेरी बात को समझ ही नहीं पाई और आकांक्षा ने मुझसे अपना पूरा रिश्ता तोड़ लिया। हम दोनों ने अपने रिश्ते को खत्म कर लिया था लेकिन अभी भी आकांक्षा की यादें मेरे दिल में ताजा है मैं हमेशा से ही आकांक्षा की बहुत फिक्र करता था लेकिन आकांक्षा को कभी मेरा प्यार दिखाई नहीं दिया और वह मुझसे दूर चली गई।

हम दोनों साथ में एक वर्ष रहे एक वर्ष हम लोगों ने साथ में बिताया जब आकांक्षा ने मुझसे डिवोर्स ले लिया तो उसके बाद वह अपने माता पिता के साथ रहने लगी। उसने मुझसे अपने सारे रिश्ते खत्म कर लिए उसके बावजूद भी मैंने आकांशा से कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन आकांक्षा अब मुझसे कोई भी संबंध नहीं रखना चाहती थी। एक दिन मुझे आकांक्षा की बहन मिली तो वह मुझे कहने लगी आकांशा दीदी ने अपने लिए कोई लड़का देख लिया है अब आप अपने दिल से दीदी का ख्याल निकाल दो।

मैं मन ही मन सोचने लगा कि आखिर मैंने ऐसी क्या गलती कर दी की आकांक्षा ने मुझे इतनी बड़ी सजा दी मेरी गलती सिर्फ इतनी थी कि मैं आकांशा को समय नहीं दे पा रहा था मुझे इस बात का एहसास था लेकिन यह सब मैं आकांक्षा के लिए ही तो कर रहा था।

आकांक्षा के भी कुछ बड़े सपने थे और उन्हीं सपनों को पूरा करने के लिए उसने मुझसे अलग होने का फैसला कर लिया अब वह मुझसे अलग हो चुकी थी और हम दोनों के बीच कोई भी संबंध नहीं थे। काफी समय बाद मैं आकांक्षा से मिला मैंने कभी भी आकांक्षा के बारे में कुछ गलत नहीं सोचा था लेकिन स्थिति ही कुछ ऐसी बन गई की आकांक्षा को मेरा साथ छोड़ना पड़ा और मैं अकेला हो चुका था।

इसी बीच मेरे साथ ना जाने क्या-क्या दुर्घटना घटित हुई मेरे पिताजी का देहांत हो गया और जब उनका देहांत हुआ तो मैं पूरी तरीके से टूट चुका था लेकिन मुझे काम तो करना ही था क्योंकि मेरे ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी थी। मैं अपने काम पर तो लगा हुआ था परंतु मैं यह बात नहीं समझ पा रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए जिससे कि मैं अपने अंदर के दुखों को दूर कर सकूं।

मैं अंदर ही अंदर से बहुत ज्यादा परेशान था लेकिन मैं किसी को भी यह बात नहीं बता पा रहा था। एक दिन हमारे पड़ोस में रहने वाले सागर ने मुझे कहा कि निखिल तुम कुछ ज्यादा ही परेशान नजर आते हो अभी कौन सा तुम्हारी इतनी उम्र हो गई है।

मैंने सागर को कहा देखो दोस्त तुम्हें तो मालूम है ना कि आकांक्षा ने मेरा साथ छोड़ दिया है और जब से वह मुझे छोड़कर गई है तब से मैं अकेला हो चुका हूं और ऊपर से पिताजी की मृत्यु भी हो गई मेरे ऊपर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो लेकिन मैं क्या करूं तुम ही बताओ। सागर मुझे कहने लगा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा यदि तुम ऐसे ही सोचते रहोगे तो तुम्हें और भी ज्यादा दुख होगा और तुम इन समस्याओं से बाहर भी नहीं निकल पाओगे। मुझे लगा कि सागर बिल्कुल ठीक कह रहा है और मुझे सागर से बात कर के अच्छा लग रहा था मुझे ऐसा लगा जैसे कि सागर भी मुझे समझ सकता है।

जब भी मुझे कोई ऐसी परेशानी होती तो मैं सागर से बात किया करता सागर को मैं काफी वर्षो से जानता हूं। एक दिन मेरी सारी परेशानी का हल मुझे मिल गया जब मेरी मुलाकात मीनल से हुई, मीनल से मेरी पहली मुलाकात थी मीनल से मुझे सागर ने मिलवाया था और वह सागर की बहुत अच्छी दोस्त थी। मुझे मीनल के रूप में एक अच्छी दोस्त मिल चुकी थी और हम दोनों ही अब एक दूसरे के साथ अच्छे से बात किया करते और एक दूसरे के साथ हम लोग समय बिताया करते हैं।

हम दोनों को एक दूसरे के साथ समय बिताना बड़ा अच्छा लगता है और मैं मीनल के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगा था। सागर को भी यह बात पता चल चुकी थी तो सागर ने मुझसे कहा की तुम मीनल को क्यों अपने दिल की बात नहीं बता देते।

मैंने सागर से कहा हां तुम कह तो ठीक रहे हो लेकिन मुझे इस बात की चिंता है कि कहीं मीनल को मेरे पुराने रिश्ते के बारे में पता चला तो कहीं वह मना ना कर दे। सागर कहने लगा नहीं ऐसा कुछ भी नहीं होगा तुम्हें मीनल को बता देना चाहिए यदि तुम मीनल को बताओगे तो उसका भरोसा तुम पर और भी ज्यादा बढ़ेगा तुम्हे उससे आकांक्षा के बारे में बात करनी चाहिए।

मैंने भी सोचा सागर बिल्कुल ठीक कह रहा है आखिरकार झूठ की बुनियाद पर कितने दिन तक बात टिक पाती। मैंने मीनल से आकांक्षा के बारे में बात करने का फैसला कर लिया था जब हम दोनों मिले तो मैंने मीनल से कहा मीनल मुझे तुम्हें कुछ बताना है।

मीनल कहने लगी हां बताओ ना तो मैंने मीनल को अपने और आकांक्षा के रिश्ते के बारे में बताया मिनल कहने लगी तुमने मुझे यह सब पहले क्यों नहीं बताया। मैंने मीनल से कहा शायद मैं डर रहा था लेकिन मीनल ने हम दोनों के रिश्ते को अपना लिया था और हम दोनों अब एक हो चुके थे मैं अपनी पुरानी जिंदगी को धीरे धीरे भुलाने लगा था और मीनल भी मेरा साथ देने लगी थी।

उसी दौरान मीनल की जॉब बेंगलुरु में लग गई जब मीनल की जॉब बेंगलुरु में लगी तो वह जॉब करने के लिए बेंगलुरु चली गई। मीनल अब बेंगलुरु जा चुकी थी और हम दोनों की फोन पर ही बात होती थी मैं चाहता था कि मैं भी बेंगलुरू चले जाऊं और अपनी बूढ़ी मां को भी अपने साथ बेंगलुरु ही लेकर चला जाऊं। मैं मीनल से जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था हम दोनों फोन पर घंटों बात किया करते लेकिन तब भी दूरियां कम कहां हो पाती आखिरकार मैंने भी बेंगलुरु की कंपनी में इंटरव्यू देने के लिए ट्राई किया और वहां पर मेरा सिलेक्शन भी हो गया।

मैंने मीनल को कुछ भी नहीं बताया था मैं चाहता था कि मैं मीनल को सरप्राइज़ दूँ और मेरी जब उससे मुलाकात हुई तो वह चौक गई उसने मुझे बेंगलुरु में देखा तो वह कहने लगी तुम यहां बेंगलुरु में क्या कर रहे हो। मैंने मीनल से कहा बस अब यह समझो कि मैं भी यहीं आ गया हूं।

मीनल खुश हो गई और कहने लगी चलो तुमने यह हो तो बहुत अच्छा फैसला किया मैंने मीनल को पूरी बात बताई और उसे कहा कि मैं भी अब बेंगलुरु में ही जॉब करने लगा हूं। मीनल कहने लगी इससे ज्यादा खुशी की बात मेरे लिए कुछ हो ही नहीं सकती मीनल ने मुझे पूरी तरीके से स्वीकार कर लिया था और हम दोनों ही एक दूसरे को बड़े अच्छे से समझते थे।

यह सब सागर की वजह से ही संभव हो पाया था यदि सागर से मैं नहीं मिल पाता तो मैं और मीनल कभी मिल ही नहीं पाते। हम दोनों अब एक हो चुके थे और मैंने मीनल को जब अपनी मां से मिलाया तो वह भी मीनल से मिलकर बहुत खुश हुई। मीनल को उन्होंने अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया था और मीनल भी बड़ी खुश थी उसकी खुशी का कारण सिर्फ और सिर्फ मै था।

हम दोनों एक दूसरे को समय देते और मुझे भी बहुत अच्छा लगता क्योंकि मैं मीनल के साथ अच्छा समय बिता पा रहा था मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं बेंगलुरु नौकरी करने के लिए आ जाऊंगा और हम दोनों अपने ऑफिस के बाद हमेशा मिला करते थे। मीनल मुझसे मिलने के लिए घर पर अक्सर आया करती थी और मुझे इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी।

मीनल और मेरे बीच में प्यार बहुत ज्यादा था हम दोनों ही एक दूसरे को बहुत चाहते थे तभी एक दिन जब मीनल मुझसे बैठ कर बात कर रही थी तो उस दिन ना जाने मुझे मीनल को देखकर ऐसा क्या हुआ कि हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे मैंने मीनल के होठों को चूमना शुरू किया तो उसकी उत्तेजित जागने लगी।

मुझे अच्छा लगने लगा हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को महसूस करने लगे मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था मैं मीनल के होंठो को महसूस कर रहा था। मीनल मेरी गर्मी को भी महसूस करने लगी उसके स्तनों को दबाने में मुझे बड़ा अच्छा लगता मैने उसके स्तनों से खून निकाल दिया था।

वह मुझे कहने लगी तुम यह क्या कर रहे हो मैंने उसे कहा कुछ भी तो नहीं लेकिन जैसे ही मैंने मीनल की योनि पर अपनी उंगली को लगाया तो वह मचलने लगी और मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। उसकी योनि से पानी बाहर निकल रहा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था मैंने भी मीनल की चूत को अपनी उंगली से को बहुत देर तक सहलाया।

जैसे ही मैंने अपने लंड को मीनल की योनि के अंदर डाला तो वह चिल्ला ऊठी और उसके मुंह से चीख निकली और उसी के साथ वह मुझे कहने लगी मुझे दर्द हो रहा है। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं सब ठीक हो जाएगा उसकी योनि से खून निकलने लगा था और उसकी योनि से बहुत ज्यादा खून निकल रहा था लेकिन मुझको तो उसे धक्के देने में भी मजा आता। मैं

उसे लगातार तेजी से धक्के मार रहा था मेरे अंदर का जोश और भी ज्यादा बढ़ने लगा था और मीनल भी मुझे कहने लगी मुझे वाकई में मजा आ रहा है। मैंने मीनल से कहा देखो मीनल अपने पैर चौडे कर लो तुम्हारी चूत मे भी मजा आने लगेगा। मीनल ने अपने पैरों को चौड़ा करते हुए मुझे कहने लगे तुम मुझे और तेजी से धक्के मारो।

मैंने उसे ओर से भी ज्यादा तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए। मैं उसे तेज धक्के मार रहा था वह भी उत्तेजित होकर अपने मुंह से मादक आवाज लेने लगी उसकी सिसकियो से मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाती और मुझे बड़ा मजा आता। मैंने काफी देर तक मीनल की योनि के पूरे मजे लिया जैसे ही मीनल की योनि से पानी ज्यादा मात्रा में बाहर निकलने लगा तो मैं समझ गया कि वह झड़ चुकी है मैंने भी मीनल की योनि में अपने वीर्य को गिरा दिया उसकी चूत के अंदर मेरा वीर्य जा चुका था वह मेरी हो चुकी थी। हम दोनों जल्दी शादी करने वाले थे और यह बात मैंने अपनी मां को बता दी थी मेरी मां को भी कोई आपत्ति नहीं थी। मीनल का मुझसे मिलना होता था हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बन ही जाते थे।

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दोस्तो, जैसा कि आप सभी जानते हैं मेरा नाम राकेश है और मैं दिल्ली से हूँ। मैंने अपनी पिछली कहानी छवि की चुदाई में बताया था अपने बारे में जो कि वास्तविक कहानी थी। बात पॉँच साल पुरानी है और मैंने अपनी स्नातिकी पूरी की थी और नौकरी के लिए रोज़ ही प्रयास करता था जिससे कि जल्द से जल्द मेरा काम कहीं सेट हो जाये। इसी प्रयास में चार महीने निकल गए लेकिन कहीं बात नहीं बनी। दिन पर दिन खर्चे होने ही थे लेकिन पैसे थे ही नहीं। मेरे परिस्थिति से मेरा मकान मालिक परिचित था सो किराए का कुछ नहीं बोलता। लेकिन अब तो मुझे भी शर्म आ रही थी, बिना किराए के कितना दिन माकन मालिक के मेहरबानी पर रह सकता था। अंत में हार कर सोचा कि क्यों न ट्यूशन पढ़ाया जाये। यह सोच कर मैंने अपने मकान- मालिक से बोला कि अंकल कोई ट्यूशन पढ़ने वाला हो तो बताना, मैं शाम में ट्यूशन पढ़ा दिया करूँगा।

मेरी बात सुन कर गुप्ता जी (मकान मालिक) बोला- मेरी सपना भी तो दसवीं क्लास में पहुँच गई है, इसे मैथ और साइंस पढ़ा दोगे तो मेरे घर से ही शुरु कर दो, जैसे जैसे समय थोड़ा और निकलेगा तो तुम्हें आस-पास के कुछ और टयूशन मिल जायेंगे।

मैं थोड़ा निश्चिंत हुआ कि चलो कम से कम रहने खाने का इंतजाम हुआ, अब आगे की आगे देखेंगे।

अब मैं सपना के बारे में बता दूँ, सपना देखने में साधारण सी लड़की थी लेकिन पढने में साधारण न ज्यादा तेज न ज्यादा भोंदू, हमारी क्लास ठीक ठाक चल रही थी। मेरे नजर में उसे देख कर कोई गलत विचार कभी नहीं आये, पढ़ने का असर दो महीने में ही दिखने लगा। एग्जाम में उसे पहले से ज्यादा अंक मिले जिससे हर किसी ने मेरी तारीफ की। अब मैं भी उसके घर खुल कर आता जाता, कोई रोक टोक नहीं थी।

एक रोज़ रात को मैं सपना से बायलोजी की किताब लेने गया। शनिवार की बात है। किताब लेकर मैंने कुछ नोट बनाये, कुछ विधार्थियों को देने थे। मैं किताब पढ़ कर नोट बना रहा था कि किताब से मुझे एक खत मिला जिसे पढ़ कर मैं अन्दर तक हिल गया। वो पत्र सपना के बॉयफ्रेंड का था और उसमें दोनों के स्कूल में के बाथ रूम में स्तन दबाने की और लंड चूसने की बातें लिखी हुई थी। सपना का पत्र पढ़ कर उसके वक्ष मेरे सामने घूमने लगे।

मेरा भी मन उसे चोदने को होने लगा, रात में दो बार मैंने मुठ भी मारी क्योंकि वही एक साधन है हम लोगों के पास कि जब चाहो प्रयोग कर लो, वो भी बिना किसी खर्चे के ! वर्ना आप समझ सकते हैं…………..

दूसरे रोज रविवार था, और आमतौर पर गुप्ता जी इतवार को फिल्म देखने जाते हैं, यह रूटीन मुझे पहले से पता था। गुप्ता जी के जाने के बाद मैं सपना को किताब वापिस करने गया तो देखा की सपना कमरे में नहीं थी, फिर मुझे ध्यान आया कि कहीं रसोई में कुछ खाने का इंतजाम कर रही हो। लेकिन वो रसोई में नहीं थी। अब मैंने निराश होकर वापिस आने को कदम बढ़ाया, सोचा था कि सपना के बॉयफ्रेंड के पत्र जरिये ही सपना को डरा कर उसकी चूत-चोदन करूँगा लेकिन सपना मिली ही नहीं तो क्या?

वापिस गैलरी से होकर आ रहा था तो देखा की बाथरूम की बत्ती जल रही है। मेरे कदम वहीं रुक गए, बाथरूम से हल्की सी कुछ आवाज़ भी आ रही थी। मेरे मन को थोड़ी शका हुई, एक बार को सोचा कि छोड़ो यार कुछ भी तो क्या ! फिर ख्याल आया कि सपना बाथरूम में अवश्य कुछ कर रही होगी। यह सोच कर मैं अंदर से रोमांचित हो गया, दिल थाम कर दरवाज़ा खोल कर अंदर की तरफ देखा ………….

देख कर मेरी आंख फटी की फटी रह गई ………….

अंदर सपना अपने चूत के बाल साफ कर रही थी, वो भी अपने पूरे कपड़े निकाल कर एक दम नंगी ! आज से पहले मैंने किसी भी लड़की या औरत को पूरी तरह से नंगा नहीं देखा था, यह देख कर तो मेरा पप्पू एक दम खड़ा हो गया, सपना की नजर मुझसे मिली तो उसके तो होश उड़ गए, हम दोनों की हालत शायद एक जैसी ही थी। सपना चूत एक दम साफ थी, बगल में एक क्रीम की शीशी रखी थी, उसके स्तन उतने बड़े भी नहीं थे लेकिन इतने बड़े जरुर हो गए थे कि उसे आराम से दबाया जा सके, 18-19 साल की लड़कियों का साइज़ उससे बिलकुल मैच करता था। मेरे दिमाग में तुंरत ध्यान आया- बेटा, सही मौका है इसे कैश कर ले वर्ना इंतजार ही करता रह जायेगा।

मैंने आगे बढ़ कर सपना के होठों को चूम लिया, सोचा कि देखूँ इसकी क्या प्रतिक्रिया है।

वो तुंरत अलग हो गई, बोली- मुझे छोड़ दो, वर्ना पापा को बोल दूंगी !

मैं बोला- अगर तुम अपने पापा को बोल दोगी तो मैं तेरा पत्र जो तेरी किताब में था उसे दिखा दूंगा।

थोड़ी देर को सपना सोचने लगी, फिर बोली- आप क्या चाहते हो?

मैं तेरा चूत चोदना चाहता हूँ………..

नहीं……….नहीं…………मैंने आज तक किसी से नहीं किया है………

तू घबरा मत ! तुझे कुछ नहीं होगा और मजा भी आयेगा।

सच सच………..?

हाँ डार्लिंग !

फिर आगे बढ़ कर सपना के होठ चूसने लगा, वो भी ऐसा ही कर रही थी।

फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में लगाई तो वो तड़प उठी- सर, प्लीज छोड़ दो , अह्ह्ह्ह्……. आह……. आह………….

फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, मेरा सात इंच का लंड देख सपना बोली- क्या यह पूरा घुस जायेगा?

डार्लिंग फिकर मत करो लंड कितना भी बड़ा क्यों न हो और चूत छोटी, लेकिन हर चूत बड़े आराम से लंड को खा जाती है !

सपना को बाथरूम के फर्श पर लिटा कर 69 पोजीशन में उसकी चूत का स्वाद लेने लगा, सपना पहले तो मना कर रही थी लेकिन थोड़ा सा प्रयास करने पर वो मेरा साथ देने लगी, मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। दस मिनट तक मजा लेने के बाद उसे लिटा कर उसके चूत में ढेर सारा थूक लगाया और चूत के मुँह पर लाकर एक धक्का मारा, लेकिन चूत इतनी कसी थी कि मेरा लंड अंदर घुस नहीं पाया, सपना भी अंदर लेने को बेचैन थी।

फिर उसके पैरों को थोड़ा फैलाया जिससे उसकी चूत का मुँह खुल गया, और जोर का धक्का मारा, इस बार मेरे लंड का आधे से ज्यादा हिस्सा उसकी चूत के अंदर चला गया।

छोड़ गया तो केवल- हाय मैं मर गई….. तुमने मेरे चूत को फाड़ डाला……

वो दर्द से कराह उठी, मैं समझ गया कि इसकी चूत की आज पहली बार चुदाई हो रही है।

दूसरा धक्का बिना देर किये मैंने मार दिया जिससे मेरा लंड सपना की चूत की गहराइयों को नाप गया।

हाय आह………..आह……..

वोह…आह……..वोह………

कुछ देर वैसे ही रहने के बाद मैं धीरे धीरे अपने लंड आगे पीछे कर उसे चोदने लगा, थोड़ी देर बाद उसे भी आनंद आने लगा. और सपना भी मेरा साथ देने लगी।

काफ़ी देर तक चुदाई अलग अलग तरह से मैंने किया…….. कभी डौगी तो कभी दीवार पर टिका कर, सपना भी मुझे खूब साथ दे रही थी, फिर उसकी बदन अकड़ने लगा, थोड़ी देर में मैंने भी पस्त होकर उसकी चूत में ही अपना सारा माल छोड़ दिया। फिर हम साथ साथ नहाये, नहाते वक्त भी मैंने उसकी चुदाई की।

चुदाई के बाद भी मुझसे पढ़ने आती रही और हम एक दूसरे का मजा लेते रहे। अब तो उसकी इतनी लंड लेने की आदत हो गयी है उसे जब भी मौका मिलता है कैश कर लेती है।

दोस्तो, यह थी मेरी सपना !

आदिबासी लड़की की कड़क जवानी की चुदाई - Aadivasi Ladki Ki Kadak Jawani Ko Choda

आदिबासी लड़की की कड़क जवानी की चुदाई - Aadivasi Ladki Ki Kadak Jawani Ko Choda,  आदिवासी लड़की ने अपनी चुदाई की खुद बनायीं वीडियो, भाई ने मुझे जमकर चोदा, जवान आदिवासी लड़की ने लंड लिया जंगल में. देखे आदिवासी सेक्स वीडियो में इस टीन गर्ल की चूत चुदाई.

बात कुछ 10 साल पुरानी हैं लेकिन जब भी मैं इस बात को दिमाग में ला के उसके बारे में सोचता हूँ, मेरा लंड खड़ा हुए बिना नहीं रहता. तब मेरी पोस्टिंग जुनागढ़ के जंगल में थी, फारेस्ट ऑफिसर बनने के बाद यह मेरा सातवां तबादला था और मैं 3 अलग अलग स्टेट में काम कर चूका था.

लेकिन जूनागढ़ मेरे जहन में आज भी जिन्दा हैं क्यूंकि यहाँ मैंने एक जंगल में रहने वाली और मस्त बड़ी गांड वाली एक आदिवासी औरत को चोदा था. तब मैं शादीसुदा नहीं था और हाथ से ही सब काम होता था और कभी कभी मैं राजकोट जा के वहाँ रंडी से अपने लंड की तरस छिपाता था.

मेरा क्वार्टर जंगल के बिच में था और राशन और दुसरी सामग्री के लिए मुझे ज़िप ले के बहार जाना पड़ता था. एक दिन शाम के कुछ 7 बजे थे लेकिन गर्मी के दिन होने की वजह से अँधेरा उतना था नहीं, मेरे साथी कर्मचारी विनय ने मुझे कहाँ की दूध लाना हैं. मैंने ज़िप निकाली और दूध लेने निकल पड़ा.

मैं अपनी मस्ती में जा रहा था, पंछी अपने घोंसलों में लौट रहे थे, एकाद दो हिरन इधर उधर उछलते दिखे. मैंने गाड़ी को झील वाले रस्ते से लेते हुए मोड़ लिया. सामने का सिन देख मेरी ज़िप अपने आप स्लो हो गई. सामने झील के किनारे एक आदिवासी युवती नहा रही थी.

वोह ऊपर के कपडे उतार चुकी थी और उसने अपनी बड़ी गांड और चूत के ऊपर एक सफ़ेद धोती जैसा कपडा लपेटा था. लेकिन वोह भी भीग गया था इसलिए उसकी बड़ी गांड साफ़ दिख रही थी. मैंने ज़िप आगे ली और कुछ सोच के गाड़ी को साइड में रोक लिया.

मैं अपनी वोटर बेग ले के निचे उतरा, और पानी भरने के बहाने वहाँ जा के खड़ा हुआ. इस आदिवासी ने मेरी तरफ देखा, उसके बड़े बड़े चुंचो से पानी की धार टपकने लगी. उसने तुरंत धोती जैसे कपडे से अपने स्तन को ढंकने की नाकाम कोशिस की.

मेरा लंड पेंट के अंदर उछलने लगा था. मैंने उसकी तरफ देखा और उसे टूटी फूटी गुजराती में पानी के लिए कहाँ. उसने मेरी बात समझी और वोह पानी से बहार आई, ताकि पानी थोडा बहे और मैं उसे पिने के लिए भर सकूँ.

जब वोह खड़ी हुई मुझे उसकी सेक्सी बड़ी गांड देख के मन तो हो गया की उसे पकड़ के उसमे अपना लंड दे दूँ. मैंने पानी भरा और उसे फिर अपनी टूटी गुजराती में कहा, की उसका पति कहा हैं और वोह ऐसे जंगल में शाम के वक्त क्यूँ नहा रही हैं. मेरी टूटी भाषा ही वोह समझ पाई थी. उसने मुझे कहा की उसका पति शहर गया हैं, और उसे कोई कीड़े ने काटा हैं इसलिए वोह पीड़ा दबाने के लिए ठन्डे पानी से नहां रही हैं.

मैंने उसे कहाँ की कीड़ा कहाँ काटा हैं बता तो. उसने अपनी कमर दिखाई और मैंने देखा की वहाँ लाल सुजन सा हुआ था. मैं समझ गया की उसे कोई साधारण कीड़े ने ही काटा था.

मेरा ध्यान कमर से फिर उसकी बड़ी गांड पर पड़ा. मैंने उसे कहाँ अगर उसे दवाई लगानी हो तो मेरी ज़िप में हैं और मैं उसे लगा दूंगा. वो बोली, नहीं साहब आप बड़े लोग हैं…..अफसर, हम आपसे कैसे दवाई लगवा सकते हैं (टूटी फूटी गुजराती से मुझे इतना तो पता चल ही रहा था).

मैं हंसा और उसको कहा ककी कोई बात नहीं आ जाओ ज़िप में. मैंने उसे ज़िप के पीछे की सिट में बिठाया और आगे डेशबोर्ड से एक पेइन किलर क्रीम की ट्यूब ले आया. वो उलटी बैठी हुई थी और उसकी बड़ी गांड मेरे से कुछ इंच की ही दुरी पर थी.

मैंने उसके धोती जैसे कपडे को कमर से हटाया और उसको ट्यूब निकाल के लगाने लगा. इस आदिवासी की चमड़ी बहुत मुलायम थी और दवाई लगाते वक्त सुझन की वजह से वोह हलके हलके कराह रही थी. मैंने उसकी कमर पर हाथ मलना चालू किया और बहार अँधेरा फेलने लगा था.

मैंने इस आदिवासी की कमर को कुछ 2-3 मिनिट तक मालिश दी और अब मुझ से रहा नहीं जा रहा था. मेरा हाथ यकायक इसकी बड़ी गांड के ऊपर गया और उसने मेरी तरफ देखा इसके पहले मैंने इसकी भीगी हुई गांड को सहला दिया था. वोह मेरे तरफ हलके गुस्से से देख रही थी….मैंने उसे कहा मैं तुझे एक बार चुदाई के 50 रूपये दूंगा. उसका गुस्सा अब हल्का हो के हवा में उड़ने लगा था.

वोह बोली, लेकिन यहाँ कोई आ गया तो. मैंने कहा यहाँ इस वक्त कोई नहीं आता क्यूंकि पिछले महीने एक शेर को इस विस्तार में देखा गया था. उसने कुछ कहा नहीं और मैंने इस आदिवासी युवती को पिछली सिट के उपर उल्टा लिटा दिया. मेरी उत्तेजना का कारण बनी गांड को मैं मसलने लगा और धोती को हटा दी. उसके शरीर को ढंकने के लिए यह एक मात्र वस्त्र ही उपयोग हुआ था और इसे हटाते ही वोह सम्पूर्ण नग्न हो गई.

आदिवासी लड़की की झांटे इतनी थी के अंदर कबूतर घोंसला बना ले. यहाँ कहा वेक्स और शेविंग करनी थी इसने. वैसे भी चूत चूत होती हैं, रानी की हो या कानी की. मैंने अपनी खाखी वर्दी वाली शर्ट और पेंट उतार दी. मेरा लौड़ा अंदर फनफना रहा था और चड्डी दूर करते ही उसे खुली हवा का अहेसास हुआ.

मेरा लंड बहार आते ही यह आदिवासी युवती ने उसे अपने कब्जे में ले लिया और हिलाने लगी. मेरा लंड 8 इंच से भी लम्बा हैं और इसकी लम्बाई से ही शायद यह बड़ी गांड वाली युवती उत्तेजित हो चली थी. मैंने उसके स्तन को मुहं में ले लिए उसके निपल काफी बड़े थे जैसे की मोटी आंटियों के होते हैं, लेकिन यह युवती मुश्किल से 25 की होगी. वह लैंड हिलाते हिलाते अपना मुहं निचे ले आई और लंड को चूसने लगी.

मैंने भी ज़िप के सिट के निचे की खली जगा पर उसका बिठा दिया और वो लंड को बड़े मजे से चुस्ती रही. मैं भी उसे लंड पूरा मुहं के अंदर दे दे धक्के मारने लगा. इस युवती की चुंचे मेरे जांघ पर अड़ रहे थे और मैं एक असीम सुख की कगार पर था.

मेरा लंड पूरा खड़ा हो चूका था और उसका रंग भी जैसे की बदल गया था. मुझे अब चूत चाहिए थी इसकी और मुझे चोदते चोदते इसकी बड़ी गांड पर हाथ फेरने थे.मैंने अपना लंड उसके मुहं से बहार निकाला और उसे हाथ पकड़ के ज़िप में उठाया.यह युवती भी समझ गई की मुझे क्या चाहियें. वोह मेरी गोद मैं मेरे लंड के ऊपर बैठ गई.

मेरा खड़ा लंड आदिवासी चूत के अंदर तुरंत घुस गया और वोह मेरे लंड के उपर उछलने लगी. वो जोर जोर से उछल रही थी जिस से मेरा लंड उसकी चूत के अंदर पूरा घुस के बहार आ रहा था.

मैंने उसे गांड से पकड़ा हुआ था और मैंने उसका सर बचाते हुए उसको अपने लौड़े के उपर उछाल रहा था. उसकी बड़ी गांड मस्त मुलायम थी और मैंने उसके कुलो को पकडे उसे कुछ देर तक चोदता रहा. कुछ 10 मिनिट तक वोह मुझ से उछल उछल के चुदवाती रही और मैंने भी उसे चूत एक अंदर तक लंड दिए हुए ठोकता रहा.

उसकी साँसे मेरी तरह ही फुल गई थी. मैं उसे गांड पकड़ कर और जोर से ठोकने लगा. मैंने उसे अब निचे सिट के उपर लिटा दिया. उसकी बड़ी गांड मेरी तरफ थी और मैंने उसे पीछे से चूत के अंदर लंड दे दिया. मैं इसी पोजीशन में उसे कुछ देर और चोदता रहा और फिर मेरे लंड ने जवाब दे दिया.

मेरा वीर्य इस बड़ी गांड के उपर ही गिर गया जिसे इस आदिवासी युवती ने अपने सफ़ेद कपडे से साफ किया, मेरा लंड भी उसने इसी कपडे से साफ़ कर दिया. मेरा इस युवती से चुदाई का सिलसिला इस दिन से चालू हुआ और जब तक मेरी पोस्टिंग जुनागढ़ में थी तब तक चलता रहा, कभी कभी उसका पति बहार हो तो वो रात भी हमारे क्वार्टर में बिताती थी, मेरे और मेरे दोस्त विनय के लिए यह चुदाई का मस्त सामान बन गई थी……!!!

पडोसी लड़के ने अँधेरे में जबरदस्ती चोदा - Padosi Ladke Ne Andhere Me Jabardasti Choda

पडोसी लड़के ने अँधेरे में जबरदस्ती चोदा - Padosi Ladke Ne Andhere Me Jabardasti Choda, पड़ोस का छोरा चूत का राजा बन गया, आस-पास के छोरे ने गांड फाड़ दी, धक्का मुक्की से चोद दिया.

मैं अंजली, आज फिर से एक अपनी लाइफ का मजेदार अनुभव लेकर आपके सामने हु. मुझे उम्मीद है, कि आपको मेरे पहले लिखे हुए अनुभव अच्छे लगे होंगे. मुझे आप लोगो के कमेंट का हमेशा इंतज़ार रहेगा. ताकि मुझे पता लग सके, कि आप लोग मेरे बारे में क्या सोचते है और मेरे लिए आपके मन में क्या फेंटेसी है. आपके मन की फेंटेसी मुझे गरम करती है और हो सकता है, कि आपकी फेंटेसी इतनी मजेदार हो; कि वो मुझे इतना गरम कर दे कि मैं आपसे मिलने के लिए बैचेन हो उठूँ.

अगर मियां – बीवी आपस में खुले हों और एक दुसरे की इच्छाओं की रेस्पेक्ट करते हों. तो लाइफ बहुत आसान हो जाती है. मेरे और मेरे पति रजत के बीच में कुछ छुपा नहीं है और इसी वजह से हम दोनों को कोई मजेदार सेक्स करने का मौका मिलता है, तो हम उसे मिस नहीं करते है. आज मैं आपको बताती हूँ, कि किस तरह मेरे पडोसी शर्मा जी के लड़के ने लाइट ना होने का फायदा उठा कर मेरी गांड चाटी और मेरे सारे छेदों की मदमस्त चुदाई की.

दोस्तों, मैंने पहले भी बताया था, कि मेरी उम्र 43 साल है और मेरा फिगर देख कर अच्छे – अच्छे मर्दों का लंड अपना पानी छोड़ देता है. मेरे बूब्स 36 सी, कमर 32 और चुतड 38 इंच के है और मेरी मदमस्त चाल को देख कर मेरी पीठ पीछे आहे भरते हैं. चाहे वो हमारे पडोसी हों, दूध वाला, सिक्यूरिटी गार्ड या मेरे ऑफिस के मेरे साथ काम करने वाले लोग.

मुझे इस बाद का पता था और जब लोग मुझे घूर-घूर कर देखते हैं, तो मेरे दिल में एक अजीब सी ठंडक महसूस होने लगती है. ये बात ज्यादा पुरानी नहीं है. कुछ महीने पुरानी ही है. रजत अपने ऑफिस की पार्टी में गये हुए थे और रात को देर से आने वाले थे. मैं उस समय अपने फ्लैट में अकेले थी और अचानक से लाइट चली गयी. उस समय रात के १० बजे थे. मुझे कहीं भी कोई इलेक्ट्रिशियन नहीं मिलने वाला था.

रजत को फ़ोन किया, तो रजत का फ़ोन नहीं उठा. फिर, मैंने पड़ोस में जाकर शर्मा जी की डोरबेल बजायी. तो दरवाजा उनके बेटे रवि ने खोला. जब मैंने रवि को अपनी परेशानी बताई, तो वो बोला – आंटी, पापा तो सो गये है. मैं देख लेता हूँ.

रवि बाहर आ गया और मेरे पीछे – पीछे आने लगा. शायद, मेरी मटकती चाल ने उसको मदमस्त कर दिया था. उस समय मैंने एक हलके कपड़े की नाइटी पहनी हुई थी और ऊपर से बस शौल ले लिया था. शौल ने मेरे ऊपर का भाग तो ढक दिया था. लेकिन मेरी गांड नीचे से शायद नहीं ढक पायी थी.

उसने अपने घर की रौशनी में शायद मेरी गांड का वो भाग देख लिया था. वो इलेक्ट्रिक बोर्ड के पास गया. तो वो बोला, आंटी शोर्ट सर्किट हो गया है. फेस चेंज कर देता हूँ. आप वायर और प्लास दे दीजिए. मैंने घर में मोमबती जलाई हुई थी. मैंने शौल को कुर्सी पर छोड़ा और चली गयी. जब मैं वापस आई, तो मैं तो एकदम से भौचक्की रह गयी. रवि ने अपने सारे कपड़े उतारे हुए थे और वो सिर्फ अंडरवियर में था और उसका लंड तम्बू बना हुआ था और अपने लंड को अपने एक हाथ से सहला रहा था और उसके आगे के भाग को बेरहमी से खींच रहा था. मुझे देखते ही, उसने मुझे पकड़ लिया और अपनी गोदी में उठा लिया.

मैंने उसको जोर से खीच कर एक थप्पड़ रसीद किया, तो उसने मुझे वहीँ सोफे पर पटक दिया और बाहर जाकर दरवाजा बंद कर आया. वो जब वापस आया, तो मैं डरी और सहमी हुई रजत का फ़ोन लगा रही थी. लेकिन, मेरे हाथ कांप रहे थे. रवि ने मेरे हाथ से मेरा मोबाइल ले लिया और बोला – नाटक करती है छिनाल. कब तुझे किसने चोदा है. सब जानता हु मैं. बहुत दिनों से मौका ढूंढने के बाद, आज किस्मत से तू हाथ आई है.

आज नहीं छोडूंगा. मुझे डर लग रहा था, कि जवान खून है. पता नहीं क्या करेगा? फिर वो मेरे पास आया और एक ही बार में, मेरी नाइटी फाड़ दी और मैं एकदम से नंगी हो गयी. मुझे नाइटी के नीचे ब्रा और पेंटी पहन कर सोने की आदत नहीं है. उस दिन लाइट चले जाने की टेंशन में, मुझे कुछ ध्यान ही रहा. मोमबती में मेरा शरीर सोने के जैसे चमक रहा था. रवि मुस्करा रहा था और उसकी आँखों में एक चमक थी. वो बोला – साली, जिसने भी तुझे चोदा होगा, वो दुनिया का लकी आदमी होगा और आज मैं बन जाऊँगा.

फिर वो मेरे पास आ गया और मेरे बालो को पकड़ कर मेरे मुह को अपने लंड पर अंडरवियर के ऊपर से रगड़ने लगा. उसके लंड से पेशाब की बदबू आ रही थी. उसने मेरे बालो को बहुत जोर से खीचा हुआ था और मुझे लग रहा था, कि कुछ ही देर में मेरे बाल उसके हाथ में निकल जायेंगे. मैंने कहा – रवि, मुझे बहुत दर्द हो रहा है. रवि हसने लगा और बोला – अभी तो और भी दर्द होगा. अभी तो बस शुरुवात है.

फिर वो हसने लगा और मेरे सिर को अपने लंड पर और जोर से दबा दिया और अब वो भी अपनी गांड को हिलाकर मुझे अपनी बदबू सुंघा रहा था. मैं कुछ नहीं कर पा रही थी. बेबस थी उसके आगे. फिर उसने मुझे पीछे कर दिया और एकदम से अपना अंडरवियर उतार दिया और उसका फनफनता हुआ लंड मेरे मुह के आगे लहराने लगा. मुझे नहीं पता था, कि पड़ोस वाले शर्मा के बेटे का लंड इतना बड़ा होगा. देखने में तो वो शरीफ ही लगता था. उसको देख कर मेरी चुदासी आँखों में बिजली कौध गयी और मेरे होठो पर रस आ गया. रवि बोला – मज़ा आया ना, छिनाल देख कर. है ना मस्त और जवान लंड.

सही कह रहा था वो. वो केवल २२ साल था और उसके गोरे रंग के लंड पर हल्का कालापन था. उसने अब अपने लंड मेरे मुह पर हर तरफ फेरना शुरू कर दिया. उसका लंड मेरे मुह पर हर जगह मेरे होठो पर, मेरी आँखों पर और मेरी नाक पर लग रहा था और अब हलके – हलके मैं भी गरम होने लगी थी और मुझे अपनी चूत पर गीलेपन का अहसास होने लगा था. ,मेरे निप्पल अब कड़क भी होने शुरू हो गये थे.

रवि मेरी इस हालत को देख कर बोला, लगता है. छिनाल तेरे भी अरमान जाग गये और हंस पड़ा. अब मेरे चेहरे पर भी हलकी मुस्कान आ गयी थी. मैं एक बहुत पुरानी कहावत को फॉलो करने लगी थी. “अगर आप रेप होने से रोक नहीं सकते हो, तो उसे एन्जॉय करो”. मुझे नहीं लग रहा था, कि मैं रवि को रोक पाउंगी. फिर मैं रवि के लंड को अपने एक हाथ से पकड़ लिया और उसको मसलने लगी. मेरे हाथ की ताकत और गर्मी पाकर उसके लंड ने और भी जोर से झटके मारने शुरू कर दिए.

रवि अब मस्ती में अपनी गांड चला रहा था और बोल रहा.. अहहाह अहहाह आआआ.. बहुत खूब.. मस्त . आआऊअऊओ ऊऊओह्ह्ह् एस एस . फिर मैंने एकदम से आगे बढकर गप्प से उसके लंड को अपने मुह में ले लिया और मस्ती में उसको चूसने लगी. रवि ने एक हाथ अपनी गांड पर रखा और एक हाथ से मेरे बालो को पकड़ा और अपनी गांड को हिला कर मेरे मुह को चोदने लगा.

उसका लंड बहुत ही तेजी से सटास्ट अन्दर – बाहर हो रहा था और कभी – कभी मेरे गले तक पहुच जाता था. मैंने तो पागलो की तरह उसके लंड को हाथ से मसल रही थी और मस्ती में चूस रही थी. अभी १० ही मिनट हुए होंगे, कि उसके लंड ने एक बहुत ही गरम वीर्य की धार मेरे मुह में मार दी.

उसका तेज स्पीड से वीर्य झट से मेरे गले से टकराया और मेरे हलक में उतर गया. मैंने उसके लंड को पूरा का पूरा चूस लिया. और फिर मैंने उसके लंड को उगल दिया. रवि के चेहरे से पसीना टपक रहा था. फिर उसने मुझे सोफे से लगा कर उल्टा खड़ा किया, तो मैंने बोला – गांड ही मारने दूंगी. वो बोला – हाँ छिनाल, पलट हो सही.

फिर, वो अपने घुटनों पर बैठ गया और अपने हाथ से मेरे बट्स को खोलने लगा. मुझे एकदम से दर्द हुआ, तो मैंने अपनी गांड आगे कर ली. उसने फिर से मेरी गांड को पकड़ा और नीचे से आकर अपनी जीभ को मेरी चूत पर रख दिया. ऊऊऊओह्हह्ह ओह.. माय गॉड! ऐसा तो आज तक मैंने किसी भी चुदाई में नहीं देखा था. उसकी जीभ नीचे से सीधे ही मेरी चूत में घुस गयी और ऐसा लगा, कि किसी ने धारदार छुरी नीचे से एकदम से मेरी चूत में घुसा दी हो.

मैंने तो मरने ही लगीऔर अपनी गांड हिलाकर अपनी जीभ को बाहर निकालने लगी. पर उसने मेरी जांघो को कसकर पकड़ा हुआ था और मैं ज्यादा हिल नहीं सकती थी. वो अपनी जीभ से मेरी चूत के अन्दर की साईं दीवारों को चाटने में लगा हुआ था. मैं तो बस बावरी हुए जा रही थी. अब मैं ज्यादा देर कण्ट्रोल नहीं कर सकती थी. मैंने उसको कहा – बस रवि, और नहीं.. चोद डालो मुझे अब. बहुत खुजली होने लगी है अब.

रवि ने मुझे इग्नोर कर दिया. लेकिन उसने अपनी जीभ हटा ली. और फिर उसने अपनी जीभ को मेरी गांड के छेद पर रख दिया और उसको चाटने लगा. ऊऊऊओह्हह्ह क्या मस्त फीलिंग थी और वो मेरी गांड के छेद के आसपास के एरिया को चाट रहा था. फिर साथ ही साथ में उसने अपनी एक ऊँगली से मेरी चूत को रगड़ना शुरू किया. आआऊऊ बाबा.. उसकी जीभ गांड के छेद पर और ऊँगली चूत के छेद पर.

मैं तो बस पागल ही हो चुकी थी. मैंने अपने हाथ से अपने चुचे दबाने शुरू कर दिए और निप्पल को खीचना भी शुरू कर दिया. मैंने अपने होठो को अपने दातो से काट रही थी और फिर पागलो की तरह अपनी अपनी गांड को रवि के मुह पर घुमा रही थी. पूरा माहौल में मेरी सिस्कारिया हाहाहा हहह ह्ह्ह ह्ह्ह आआअ अहहाह आआ अहहाह अहहाह आआआ गूंज रही थी और मेरी साँसे बहुत तेज चल रही थी.

अचानक से मेरे शरीर ने रगड़ना शुरू कर दिया और मुझे अपनी चूत से अपना गरम माल बाहर बहने का अहसास हुआ. बहुत ही गाड़ा और बहुत सारा. रजत या किसी और साथ, जब मैं बहुत कामुक सेक्स किया था, तब मेरा इतना सारा वीर्य बाहर आया होगा.

मेरा सारा वीर्य उसकी ऊँगली के साथ चूत से बाहर आ गया. अब तो मैं पागल हो चुकी थी और अब मुझसे सहन नहीं हो रहा था. मैंने एकदम से मुड़कर रवि के बालो को खीचा और उसकी खड़ा कर के उसके लंड को खीचने लगी. वो मुस्कुरा रहा था, मेरी बैचेनी पर. पर क्या करू, वो था ही इतना अच्छा और माहिर.

किसी भी लड़की या औरत को एकदम से अपना दीवाना बना दे. आज तक मैंने सेक्स तो कई के साथ किया था, लेकिन प्यार सिर्फ रजत से. लेकिन, आज मुझे फिर से रवि से प्यार होने लगा था. फिर, रवि ने मुझे सोफे के किनारे को पकड़ कर घोड़ी बना दिया और मेरे बूट्स को अपने हाथ से खोलकर उस पर थूक दिया.

फिर, थोड़ा थूक अपने हाथ में लेकर अपने लंड को रगड़कर गीला कर दिया और फिर अपने एक हाथ से अपने लंड को मेरी चूत पर सेट करने लगा और रगड़ने लगा. मैंने बहुत ही ज्यादा बैचेन हो गयी थी और फिर एक जोरदार धक्के के साथ उसने अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में उतार था.

मेरी सांस एक दम से अटक गयी. उसने मुझे सँभालने का मौका भी नहीं दिया और फिर से एक और जोरदार धक्का मारा और उसका लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से जाकर टकरा गया. मेरे मुह से जोर से अह्ह्हह्ह्ह्ह आआआआआआआआ निकल गयी और मैं सोफे के साइड पर गिरने ही वाली थी, कि उसने मुझे थाम कर खड़ा कर दिया और मस्ती में जोर से धक्के मारने लगा.

मैंने सोफे को कसकर पकड़ा हुआ था, क्योंकि उसके धक्का का फ़ोर्स बहुत ज्यादा था और मैं बैलेंस नहीं बना पा रही थी. फिर वो पुरे जोश के साथ जोरदार धक्के मार रहा था. मेरे चुचे मस्ती में हवा में झूल रहे थे और मेरे मुह से लार टपक रही थी. मुझे नहीं पता था, कि मैं कितनी बार झड़ चुकी थी. लेकिन १० मिनट के बाद, मैं उसके लंड को और लेने की हालत में नहीं थी. फिर रवि के धक्को की स्पीड बड गयी और अगले ५ मिनट में उसने एक जोर दार धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा वीर्य मेरी चूत में गिरा दिया. बहुत ही गरम था, जैसे की लावा मेरे अन्दर फुट पड़ा हो. वो जवान था, इसलिए उसके वीर्य की गरमी बहुत ज्यादा थी.

उसने अपना लंड बाहर नहीं निकाला था और जब उसके लंड ने पूरा का पूरा पानी मेरी चूत में छोड़ दिया. तब उसके लंड को बाहर निकाल दिया. उसके बाद, मेरी ज्यादा देर खड़ी वाली हालत नहीं थी और अब मुझे डर लगने लगा था. क्योंकि रजत कभी भी आ सकते थे. मैंने रवि को कहा, मैं चल नहीं सकती. प्लीज मुझे कपड़े पहना कर मेरे बेडरूम में पलंग पर लिटा दो. लाइट भी सही कर दो. रजत के पास दूसरी चाभी है. वो अन्दर आ जायेंगे. रवि ने मुझे कपड़े पहनाकर वहीँ बिठाया और लाइफ सही कर दी.

फिर रवि ने जगह ठीक की और मुझे बेडरूम में लिटा कर चले गया. मैंने बहुत थक गयी थी और मुझे नहीं पता चला, कि रजत कब आये. लेकिन, जब मैं सुबह उठी, तो मैं बहुत खुश थी; क्योंकि इतने जवान लंड से इतनी मस्त चुदाई मेरी बहुत टाइम बाद हुई थी.

रागिनी को मिला चूत चुदाई का अनुभव - Ragini Ko Mila Choot Chudai Ka Anubhav

रागिनी को मिला चूत चुदाई का अनुभव - Ragini Ko Mila Choot Chudai Ka Anubhav , रागनी की बुर चोदी, मस्त गांड मारी , मजे से चोद दी , चूत चुदवाने की आग लगी थी.

दोस्तो, मेरा नाम विवेक है, घटनाकाल की उम्र 18 से 21 वर्ष, लम्बाई 5.10 फिट, रंग गोरा, शरीर स्वस्थ, लंड की लम्बाई उस वक्त 4.5 इंच, हालाँकि अभी 6.5 इंच है, मोटाई 3 इंच।

मैं अपने दूर के रिश्ते के चाचा के घर रहकर पढ़ाई करता था। घर में चाचा, चाची, चाची की माँ जिसे हम नानी कहते थे और चाची की बड़ी बहन की बेटी रागिनी साल रहते थे। चाचा प्रखण्ड कार्यालय में काम करते थे और उसी इलाके में अवस्थित डाक-बंगला जो बहुत बड़ा था, के पिछले हिस्से में रहते थे। पिछले हिस्से में तीन बड़े-बड़े कमरे थे।

रागिनी देखने में बहुत सुन्दर थी, खूब गोरी, बड़े-बड़े चुच्चे, बड़ी मस्त लगती थी। अब हम मुख्य कहानी पर आते हैं।

मैं, नानी और रागिनी एक ही कमरे में सोते थे। बड़ा हाल जैसा कमरा था जिसमें दो बड़ी-बड़ी चौकी को जोड़कर बिस्तर लगाया जाता था। बिस्तर पर एक तरफ मैं, बीच में नानी और दूसरे तरफ रागिनी सोती थी। चाचा-चाची दूसरे कमरे में सोते थे। नानी सुबह चार बजे ही जग जाती थी और बाहर निकल कर नित्यक्रिया में लग जाती थी।

एक दिन की बात है, जाड़े के दिन थे और हम लोग एक ही रजाई में सो रहे थे। नानी सुबह जगी और कमरे से निकल गई। ठंड के कारण या नींद की बेसुधी के कारण रागिनी खिसककर मेरी पीठ से चिपक गई। थोड़ी देर बाद जब मुझे उसके चिपकने का एहसास हुआ तो थोड़ा अजीब सा लगा। क्यूंकि इससे पहले मैंने कभी भी सेक्स या लड़की के बारे में सोचा भी नहीं था। रागिनी को भी कभी दूसरी निगाह से नहीं देखा था।

अचानक उसने मुझे पीछे से जकड़ लिया, उसने अपने बड़े-बड़े चुच्चे मेरी पीठ पर रगड़ने शुरू कर दिए। तब जाकर मैं समझा कि वो अनजाने में नहीं जानबूझ कर मुझसे चिपकी थी। लेकिन चूंकि यह मेरा पहला मौका था इसलिए मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करना चाहिए और मैं यथावत पड़ा रहा।

फिर वो मेरे कपड़े के अंदर हाथ डालकर मेरी पीठ में चिकोटी काटने लगी। अब मुझे अपनी नींद खोलनी पड़ी। मैंने पलटकर पूछा- यह क्या कर रही है?

तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया, सिर्फ शरारत से मुस्कुराने लगी। मुझे कुछ अजीब सा लगा। मैंने फिर भी कुछ नहीं किया। मेरी तरफ से कोई पहल नहीं होते देख कर उसने मेरा हाथ पकड़ा और सीधा अपने वक्ष पर रखकर दबाने लगी। अब तो मैं भी हरकत में आ गया। मैं अपने दोनों हाथों से उसके दोनों स्तन को दबाने लगा, मुझे मजा आने लगा।

कुछ देर के बाद नानी कमरे में आ गई और हम लोग रुक गए। फिर हम लोगों को और कोई मौका नहीं मिला। लेकिन वो सारा दिन मुझे देख देख कर मुस्कुराती रही।

दूसरे दिन फिर सुबह में नानी के निकलने के बाद वो मुझसे चिपक गई। मैं तो नींद में ही था, लेकिन अर्धनिद्रा में !

उसने मेरे पाजामे के अंदर हाथ डाल दिया, अचानक मेरी नींद खुली। उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी। धीरे-धीरे मेरे लंड में तनाव आने लगा। करीब दस मिनट तक वो सहलाती रही, इतने में ही जैसे मेरा लंड फटने लगा। मैं परेशान सा हो गया। तब रागिनी ने भी अपनी सलवार खोली और मेरे कड़क हो चुके लंड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी।

रगड़ते-रगड़ते एकाएक मेरा लंड उसके चूत के दरार में फंस गया।

उसने उसी अवस्था में तुरत मुझे चित्त कर दिया और वो खुद मेरे ऊपर आ गई। लंड तो पहले ही से उसकी चूत में फंसा हुआ था, जब उसके शरीर का भार पड़ा तो लंड धीरे-धीरे चूत के अंदर सरकने लगा। मैंने देखा उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव थे।

मैं घबरा गया और उसके नीचे से खिसकने की कोशिश करने लगा। किन्तु उसने मुझे कसकर जकड़ लिया और अपने कमर का एक जोर का झटका लगाया। उसके मुँह से भी एक हौले से चीख निकल गई और मुझे भी अपने लंड में तेज दर्द का एहसास हुआ। लेकिन उसने मुझे अपने से अलग नहीं होने दिया। मेरा लंड जैसे उसके चूत में जड़ तक अंदर चला गया।

कुछ देर तक वो मुझे जकड़े रही फिर वो अपने कमर को ऊपर-नीचे करने लगी। मेरा लंड काफ़ी रगड़ खाकर अंदर-बाहर हो रहा था जिससे मुझे काफ़ी पीड़ा हो रही थी। पता नहीं रागिनी को पीड़ा हो रही थी या नहीं। दस पन्द्रह धक्के लगाने के बाद लगा जैसे मेरे लंड पर कुछ गर्म तरल चिकनाई सी आ गई हो, फिर वो थक गयी और वह निढाल होकर मेरे शरीर पर ही लेट गई।

करीब पांच मिनट के बाद वो मुझे जकड़े हुए ही पलट गई अर्थात खुद नीचे हो गई और मुझे ऊपर कर दिया और कहने लगी- तुम कैसे मर्द हो जो सारी चुदाई मुझे ही करनी पड़ रही है, तुम भी तो कुछ करो।

और उसने मुझे इशारा किया।

अब मैं भी अपने कमर को ऊपर नीचे करने लगा। अब मेरा लंड आसानी से, चिकनेपन के एहसास के साथ अंदर-बाहर होने लगा। मुझे तो लगा जैसे मैं स्वर्ग में विचरण कर रहा हूँ। मेरे कुछ ही धक्कों के बाद रागिनी भी नीचे से अपना कमर उछालने लगी। सारा कमरा फच-फच की आवाज से गूंजने लगा। अब हम दोनों का ही दर्द आराम हो गया और भरपूर मजा आने लगा। उसके मुंह से सिसकारी जैसी आवाज- ओह… आह… जोर से… और जोर से… कस के… और ना जाने क्या-क्या बड़बड़ाती रही।

और मेरी पीठ पर उसके नाख़ून धंस से गए। किन्तु इससे मुझे पीड़ा की जगह सुकून सा मिला। मैं लगातार धक्के पर धक्के लगाता रहा है। करीब बीस-बाईस धक्कों के बाद मेरे लंड में कुछ हलचल सा एहसास हुआ और लगा जैसे कुछ बाहर निकलने वाला है। इसी समय रागिनी का शरीर भी अकड़ने लगा। पांच-सात धक्के मैंने और लगाये होंगे और अभी मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही जैसे मेरे लंड से पिचकारी सी छूटी और रुक-रुक कर कुछ तरल सा पदार्थ निकलने लगा।

रागिनी ने भी अपने चूत को इस तरह सिकोड़ लिया जैसे मेरे लंड को बाहर ही नहीं निकलने देगी।

जब मेरा लंड बिल्कुल निचुड़ गया तब मैं भी निढाल होकर रागिनी के शरीर पर लेट गया और रागिनी ने भी मुझे कस कर पकड़ लिया। कुछ देर के बाद मेरा लंड सिकुड़कर अपने आप बाहर निकल गया। तब मैंने देखा बिस्तर पर काफ़ी खून गिरा हुआ है।

रागिनी ने कहा- पहली बार जब सील टूटती है तो ऐसा ही होता है।

मेरे लंड का भी सुपारे के नीचे वाला धागा टूट चुका था और मुझे भी थोड़ा दर्द सा हो रहा था। पर इस दर्द से ज्यादा सुख जो मैंने अपने जीवन पहली बार पाया उसमें सब भूल गया।

तो दोस्तों कैसी लगी मेरी पहली चुदाई की कहानी !

हाँ, मैं आपको बता दूँ कि यह चुदाई कम थी और रागिनी के द्वारा मेरा दैहिक शोषण ज्यादा था।

पर मुझे इतना सुख मिला जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता।

रानी की मदहोश जवानी और चूत चुदाई - Rani Ki Madhosh Jawani Aur Gand Ko Choda

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एक कहावत है कि मन से किसी चीज को पाने की चाहत करो तो वो अवश्य ही मिलती है। चाचा जिस प्रखण्ड कार्यालय में काम करते थे, वहाँ के एक अधिकारी के लड़की की शादी थी और वह भी उस अधिकारी के गांव में जो धनबाद में था। मेरे चाचा समेत अधिकांश स्टाफ सपरिवार वहाँ जाने की तैयारी करने लगे। चूंकि मेरी चाची उन दिनों कुछ अस्वस्थ थी अतः रागिनी को भी उनके साथ ही जाना था। पूरे मकान में सिर्फ मैं और वो दो बहन पुष्पा और रानी ही रह गए। अब चार-पांच दिनों तक हम लोग अकेले रहने वाले थे।

चाचा लोगों के जाने के बाद मैंने पुष्पा को अपने समझौते की याद दिलाई तो उसने कहा- सब्र करो, मुझे याद है।

उसने मेरे कान में एक योजना बताई। योजना के अनुसार रात में करीब ग्यारह बजे मैंने चुपके से जाकर उसके दरवाजे पर दो-तीन पत्थर फेंके। दोनों बहनें डर गईं। हालाँकि पुष्पा ने तो सिर्फ डरने का नाटक किया।

उसने मुझे आवाज दी और कहने लगी- हमारे ही कमरे में आकर सो जाओ।

मैंने भी थोड़ा सा ना-नुकुर करने के बाद सोना स्वीकार कर लिया। वो दोनों बहन एक पलंग पर सोई और उसी कमरे में मैं एक फोल्डिंग चारपाई पर सो गया।

मुझे तो वैसे भी नींद नहीं आ रही थी और एक बार नींद उचट जाने के कारण उन्हें भी नींद नहीं आ रही थी। तो मैंने टी.वी. खोल लिया और चैनल बदलने लगा।

पुष्पा ने कहा- मैं फैशन चैनल देखूँगी।

मैंने भी वही लगा दिया। एक से एक अधनंगी युवतियाँ कैट-वॉक करती नजर आने लगी।

मैंने देखा रानी टी.वी. की ओर कम और तिरछी नजर से मेरी ओर अधिक देख रही थी। मुझे लगा शायद मामला बहुत कठिन नहीं है। मैंने पुष्पा से पानी माँगा। वो जब पानी का गिलास मुझे पकड़ाने लगी तो जानबूझ कर सारा पानी मेरे कम्बल पर गिरा दिया। अब मैं क्या ओढ़ता।

पुष्पा ने सॉरी बोला और मुझे कहा- इसी बिस्तर पर आ जाओ। जिससे हम तीनों एक ही कम्बल में सो जायेंगे।

मैं कुछ झिझक रहा था पर रानी ने कहा- कोई बात नहीं आ जाइए।

बिस्तर पर एक किनारे मैं, बीच में पुष्पा और दूसरे किनारे पर रानी सो गई।

रात के करीब दो बजे अचानक पुष्पा उठकर बाथरूम चली गई। पुष्पा बाथरूम से लौटने के बाद यह बोलकर कि मुझे बहुत गर्मी लग रही है मैं बीच में नहीं रहूँगी, किनारे पर सो गई और रानी को खिसकाकर बीच में कर दिया।

कुछ देर बाद मैं हिम्मत करके रानी के जांघ पर हाथ रख कर सहलाने लगा। करीब पांच मिनट के बाद रानी ने करवट बदली और दोनों टांगों को थोड़ा फैला लिया जिससे मेरे हाथ को चूत तक पहुँचने में आसानी हो गई। मैं कपड़े के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा।

मुझे एहसास हुआ कि रानी जगी हुई है और जानबूझ कर मुझे सहयोग कर रही है। मैंने सोचा इसकी जांच कर ली जाए। मैंने अपना हाथ उसके चूत से हटा लिया। मेरे हाथ हटाते ही उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और पुनः अपनी चूत पर रख लिया।

जब मैंने पलटकर देखा तो रानी झेंप सी गई और अपना हाथ हटा लिया और कहा– करते रहो न, अच्छा लगता है।

मैंने कुछ नहीं कहा।

कुछ देर बाद उसने फुसफुसा कर कहा- पुष्पा सो चुकी है !

और उसने अपना हाथ बढ़ाकर पाजामे के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और अपने शरीर को मेरे शरीर से चिपका दिया। मेरी तो मन की साध पूरी हो रही थी।

मैं भी कपड़े के ऊपर से ही उसके चुचियों को सहलाने लगा। फिर मैंने उसकी समीज के अंदर हाथ डालकर उसके ब्रा का हुक खोल दिया और उसके नग्न चूचियों दबाने लगा। वो हल्के-हल्के सिसकारी लेने लगी। फिर मैंने अपनी चुटकी में उसके निप्पल को पकड़ कर दबाया तो वो जोर से बोल उठी– उईईई…

उसकी आवाज पर पुष्पा जग उठी और चौंक कर बोली- क्या हुआ?

फिर हमारी ओर देखकर बोली- तुम लोग कोई शरारत तो नहीं कर रहे हो?

हम लोगों के चेहरे पर शरारती मुस्कान देखकर वो भी उठ गई और कहा- मैं भी तुम लोगों के साथ खेलूंगी।

तो मैंने कहा- ठीक है, पर बारी बारी से खेलेंगे।

पुष्पा ने उठकर बत्ती जला दी और मेरा पजामा खोलकर नीचे गिरा दिया। मैंने भी रानी का कुरता और फिर सलवार निकाल दी। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने ब्रा भी खींच ली। ट्यूब-लाइट की रोशनी में उसके सांवले-सलोने चुच्चे क्या मस्त लग रहे थे। एकदम कड़े और खड़े !

मुझसे रहा नहीं गया तो मैं उसके एक चूची को मुँह में लेकर चुभलाने लगा और दूसरे चूची को हाथ से दबाने लगा। वो मस्त होती जा रही थी और मेरे सर को अपने चूचियों में रगड़ने लगी। इधर पुष्पा ने भी रानी के चूतड़ों को सहलाना शुरू किया और सहलाते-सहलाते उसकी गांड में अपनी उंगली प्रविष्ट कर दी।

रानी जोर से चिहुंक गई और उसके चिहुंकने से मेरे दांत उसकी बाईं चूची में गड़ गए।

फिर मैं उसके पेट और नाभि को चूमते-चाटते उसकी चूत की ओर बढ़ा। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। पैंटी के ऊपर से ही मैं चूत को चूमने लगा। यह देखकर पुष्पा ने रानी की पैंटी पकड़कर नीचे खींच दिया, अब वो पूरी तरह से वस्त्रविहीन हो गई।

मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो पुष्पा ने उसे मेरे लंड की ओर इशारा करके चूसने को कहा पर उसने साफ़ इनकार कर दिया। तब पुष्पा ने ही मेरा लंड चूसना शुरू किया। मैं तो जैसे स्वर्ग में विचरण करने लगा। मेरा लौड़ा इतना कड़क हो गया कि उसके ऊपर की नसें फूल कर धारी के रूप में दिखने लगी, लगा जैसे अब फटकर खून निकल आएगा।

मैं अपना लौड़ा रानी के बुर पर रगड़ने लगा। अब रानी की मस्ती भी चरम पर पहुँच गई। उसने मेरा लंड पकड़ लिया और अपनी बुर में घुसाने का प्रयत्न करने लगी। मैंने मना किया और कहा- पहले लेट जाओ।

उसे बिस्तर पर इस तरह लिटाया कि उसकी कमर बिस्तर के किनारे पर आ गई। फिर उसके चूतड़ के नीचे एक तकिया डाल दिया जिससे उसकी बुर और ऊपर की ओर उठ गई।

मैंने देखा कि उसकी बुर से पानी निकलने लगा था यानि यह सही वक्त था चुदाई के लिए। पर मैं आज कुछ और ही सोच रहा था। पहले मैं उसकी बुर उंगली डालकर गोल-गोल घुमाने लगा। वो सिसकारी लेने लगी। पुष्पा भी सोच रही थी कि मैं रानी को चोदना शुरू क्यूँ नहीं कर रहा हूँ।

मैंने पुष्पा को इशारा किया कि वो रानी के होंठों पर अपने होंठों को रखकर चूसे। पुष्पा ने वैसा ही किया।

फिर मैंने पुष्पा का हाथ रानी की चूचियों पर रखकर उसे मसलने इशारा किया। पुष्पा वैसा ही करने लगी।

मैंने देखा कि पुष्पा और रानी दोनों एक-दूसरे में खोये हुए हैं तो मैंने अपना काम शुरू किया। मैंने अपने लंड को रानी की बुर पर एकदम सही जगह पर सेट किया और पूरी ताकत लगा कर एक जोरदार धक्का लगाया।

मेरा पूरा का पूरा लंड एक ही बार में जड़ तक उसके बुर में धंस गया। वो बुरी तरह से चीख उठी। लेकिन उसकी चीख पुष्पा के मुँह में ही घुट कर रह गई। वह मेरे लंड को निकलने का प्रयास करने लगी पर मैंने उसके कमर को दबोच रखा था। पुष्पा भी भौंचक्क होकर मेरी ओर देखने लगी।

पर मेरे होंठों पर शरारती मुस्कान देखकर सामान्य हो गई और रानी की चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगी। कुछ देर के बाद जब रानी थोड़ा सामान्य हुई तो मैंने उससे पूछा– क्या अब चुदाई शुरू करूँ?

तो उसने जवाब दिया– क्या अब भी चुदाई बाकी है?

मैं हँस पड़ा।

पुष्पा ने कहा– अरे, अब तो पेलना शुरू करो।

पर मैंने कमर को आगे-पीछे करने की जगह गोल-गोल घुमाना शुरू किया। रानी ने आह, उह, आह-उह करना शुरू कर दिया।

मैंने उससे पूछा- मजा आ रहा है?

तो उसने जवाब दिया- बहुत–बहुत ज्यादा, अब-तक कहाँ थे, मुझे पहले क्यूँ नहीं चोदा, और चोदो, जोर-जोर चोदो, और ना जाने क्या-क्या बकती चली गई।

करीब बीस-पच्चीस राउंड घुमाने के बाद अचानक उसने मेरे पीठ जो जकड़ लिया और अपना नाख़ून मेरे पीठ में धंसा दिया। उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया था। गोल-गोल घुमाने से उसकी बुर पहली चुदाई में ही थोड़ा सा फ़ैल गया और पानी निकलने के बाद तो और भी चिकना हो गया।

अब मैं कमर आगे-पीछे करके उसे धक्के लगाने लगा, कुछ देर के बाद रानी की बुर ने दोबारा रस की वर्षा कर दी। अब तो पूरे कमरे में फच-फच का मधुर संगीत गूंजने लगा। रानी मेरे हरेक धक्के का एकदम सही समय पर और सही स्टाइल में धक्का देकर जवाब देने लगी।

क्या कहूँ दोस्तो, मैं तो जैसे आसमान में उड़ रहा था। अब मैं हांफने लगा पर मेरा वीर्य था कि निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। इस बीच पुष्पा हमारी काम-क्रीड़ा को तरसती निगाहों से देख रही थी। उसके चेहरे का काम-भाव देखकर में और जोर से धक्का लगाने लगा।

कुछेक धक्कों के बाद मेरे लौड़े ने भी रानी की बुर में ही रस का बरसात कर दी। रह-रह कर मेरे लंड से पिचकारी सी छूटने लगी।रानी ने भी आवेश में आकार अपनी बुर को सिकोड़ लिया, लगा जैसे मेरे लंड को सदैव के लिए तोड़कर अपने बुर में समा लेना चाह रही हो।

हम दोनों निढाल होकर एक-दूसरे से चिपक गए। कुछ देर बाद जब हम अलग हुए तो पुष्पा ने लपक कर मेरे मुरझाये हुए को लंड पकड़ लिया और कहने लगी– अब मुझे भी चोदना पड़ेगा।

पर मेरी हालत देख कर फिर उसने कहा– कोई बात नहीं, पर सुबह होने पहले मैं जरुर चुदवाऊँगी।

मैं हँस पड़ा और रानी से लिपट कर उसे चूमने लगा।

तो दोस्तो, यह था मेरा मस्ती भरा लम्हा।
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