मैंने अपना लंड उसकी चूत से सटाया - Maine uski chut par lund rakhkar dhkka mara

मैंने अपना लंड उसकी चूत से सटाया  - Maine uski chut par lund rakhkar dhkka mara, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.

रेशमा भी मेरे प्रयास में साथ दे रही थी, जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत को टच करता, वो तुरन्त ही अपनी कमर को मेरा लंड अन्दर लेने के लिये उठा देती। पर हर बार लंड फिसल कर अलग हो जाता।

अब मेरा सब्र भी खत्म हो रहा था, मैंने अपना लंड उसकी चूत से सटाया और उसकी चूत को अपने हाथों से थोड़ा फैलाया और लंड को उसमें हल्के ताकत के साथ प्रवेश करा दिया। “आआआ आआहह आआअ…” की एक चीख मुझे सुनाई दी लेकिन मैंने उस चीख को अनसुना करते हुए अपने कार्य को जारी रखा और थोड़ा ताकत लगाकर लंड को अन्दर धकेलने का प्रयास कर रहा था.

हालाँकि मुझे भी लग रहा था कि मेरे लंड को कोई चाकू से छील रहा हो, बहुत तेज जलन हो रही थी।

मैं अपनी ताकत लगाता रहा और रेशमा की चीखें निकल रही थी। रेशमा की चीखों को सुन कर सोनी भी डर गयी और वो रेशमा से अलग हो गयी।

मैंने तुरन्त उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया। रेशमा की आँखों से आँसू निकल रहे थे, उसके नाखून मेरी पीठ पर गड़ रहे थे। मैंने उसके निप्पल को पीने के साथ साथ उसके बहते हुए आँसुओं को भी चखना शुरू किया। धीरे धीरे रेशमा शांत होने लगी।

जब उसकी सिसकियाँ बन्द हुयी तो मैंने उसे दिलासा देते हुए कहा- बस एक बार और बर्दाश्त कर लो, फिर मजे ही मजे हैं। मेरी तरफ रूँआसी आँखों से देखते हुए बोली- अगर मुझे मालूम होता कि वास्तव में इतना दर्द होता है, तो मैं कभी नहीं आती।

"तुमने तो कहानी पढ़ी होगी कि पहली चुदाई में दर्द तो होता ही है।"

"हाँ पढ़ी तो थी, पर क्या मालूम इतना ज्यादा होता है।"

"चिन्ता मत करो, मजा भी बहुत आयेगा। बस एक बार!"

"ठीक है।" "ऐसे नहीं... मुस्कुरा कर कहो।"

थोड़ा तड़प के साथ वो मुस्कुराती हुई बोली- ठीक है। मैं उसे इसी तरह की बातों में बहकाने की कोशिश कर रहा था।

तभी मुझे लगा कि सोनी मेरी पीठ को चूम चाट रही है। मैं अब धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर कर रहा था। जब रेशमा की चूत थोड़ी और ढीली हुयी तो मैंने इस बार एक तेज झटका दिया।

"आईईई... ईईईई मां मर गयी।"

मैंने उसकी आवाज दबाने की कोशिश नहीं की और एक बार फिर उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने चाटने लगा। थोड़ी देर बाद रेशमा की कमर उठने लगी, मैं अब हल्के हल्के धक्के लगाने लगा और रेशमा भी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।

अभी रेशमा मुझसे पूरी तरह चुद भी नहीं पायी थी कि फटाक से कमरे का दरवाजा खुला। मेरे चूतड़ पर जोर का एक हाथ पड़ने के साथ मुझे 'मादरचोद' का सम्बोधन सुनने को मिला। सोनी डर के मारे पलंग के दूसरी ओर छुप गयी थी। मैं बिलबिला कर उठा।

मेरे सामने एक निहायत खूबसूरत लेडी परफेक्ट फिगर 36-32-36 के साथ खड़ी थी। सफेद चमकीली साड़ी में वास्तव में बहुत खूबसूरत लग रही थी। मेरी तो नजर उस पर से हट ही नहीं रही थी। इधर रेशमा को जो कपड़ा मिला, उसने उसको अपने ऊपर डाल लिया।

वो सुन्दर लेडी गुस्से में लाल दिख रही थी। तभी मुझे वो झकझोरते हुए बोली- कुत्ते तू है कौन? और ये दोनों कुतिया कौन हैं? और मेरे घर के अन्दर ये क्या कर रहा है। मेरे घर को रंडीखाना बना रखा है। मैंने अपने को शांत बनाये रखा और बोला- मैं इलाहाबाद से हूं और आलोक का दोस्त हूँ।

"इसका मतलब आलोक को भी पता है कि तुम इन दोनों लड़कियों के साथ चुदाई का खेल खेल रहे हो?"

"नहीं!"

मैंने कहा- ऐसा नहीं है! उससे हमने झूठ बोला था।

"हम्म, मैं आलोक को फोन लगाती हूं और उसे बताती हूँ कि तुम जैसे मादरचोद लोग उसके दोस्त हो, और उसके घर को रंडीखाना बना रखा है।"

"सॉरी मैम, रहने दीजिए, हम लोग अभी तुरन्त निकल जाते हैं।"

इतना कह कर मैंने अपने कपड़े पहनने शुरू किये और लड़कियों को भी कपड़े पहनने का इशारा किया। तभी वो लेडी फिर बोली- रूको... नहीं तो मैं पुलिस बुला लूंगी। कह कर उसने अपने मोबाईल से हमारी तस्वीरें खींच ली। हम तीनों की गांड फट रही थी, हम सभी फिर रूक गये। तभी वो रेशमा, जो बिस्तर पर बैठे हुए कपड़े पहनने की कोशिश कर रही थी, के पास पहुंची और बिस्तर को देखते हुए बोली- ओह कुंवारी हो, चुदने आयी थी, चूत में चुल्ला ज्यादा उठ रहा था ना?

बेचारी रेशमा रूँआसी हो गयी. मुझे बीच में बोलना ही पड़ा- मैम, उसको कुछ मत कहिये, जो कुछ कहना है, मुझे कहिये।

"ओह शरीफ की नाजायज औलाद, बुर चोदने की बड़ी इच्छा होती होगी तेरे को?"

मैं चुपचाप उसकी सभी अनर्गल बाते सुनता रहा। तभी उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ी- ओह... लंड भी काफी बड़ा है! कहते हुए मेरे अंडे को कस कर दबा दिया। मैं दर्द को बर्दाश्त करता रहा। कुछ देर बाद वो मेरे अण्डों को छोड़ते हुई बोली- दोस्त को धोखा देते हुए शर्म नहीं आयी? जब काफी देर बाद वो चुप हुयी तो मैं बोला- मैम मुझे दुख है और मैं माफी मांगता हूँ। इतना कहते हुए मैंने दोनों लड़कियो को कपड़ा पहने को कहा और मैं खुद कपड़े पहनने लगा।

तभी एक बार फिर बोली- भोसड़ी के कैसा मर्द है तू? इतनी देर से मैं तुझे गाली दिये जा रही हूं और तू है कि चुपचाप खड़ा है। अभी तक तो तुझे मेरी इतनी बदतमीजी में पकड़ कर चोद देना चाहिए, जबकि मैं इन दोनों लड़कियों से ज्यादा खूबसूरत हूँ।

मैंने सर झुका कर कहा- मैम आप सही कह रही हो, लेकिन मुझे जबरदस्ती की चुदाई पंसद नहीं है। मुझे मजा तब आता है जब सामने वाला राजी खुशी से चुदने को तैयार हो। राजी खुशी से चुदाई का मजा अलग है। जबकि जबरदस्ती की चुदाई में दो पल का मजा तो जरूर होता है पर जिन्दगी भर के लिये नफरत होती है।

"मैं तुम्हारी बातों से काफी प्रभावित हुई हूँ!"

मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली- तुम्हारी इस बात को कोई समझदार लड़की या औरत सुन ले तो कपड़े उतार कर चुदने के लिए तैयर हो जाये। पर मैं तुम लोगों को जाने दे सकती हूं अगर तुम मेरी एक बात मानो तो? मैं समझ तो रहा था कि एक औरत के सामने एक आदमी नंगा खड़ा है और उसे अभी तक कपड़े पहनने के लिये नहीं बोला गया हो तो आप भी समझ सकते हैं कि वो क्या बात मनवायेगी। पर फिर भी मैं बोला- मैम आप जो कहें, मैं करने के लिये तैयार हूँ।

"ठीक है, लेकिन अगर मना किया तो समझ लो जो फोटो खींची है, वो आलोक के साथ-साथ दूसरी जगह पहुंच जायेगी।"

एक तरह से धमकी थी तो मैंने थोड़ा डरने की एक्टिंग करते हुए कहा- नहीं नहीं, आप जो कहोगी, मैं सब करने के लिये तैयार हूँ।

"तुम्हें मेरी झांटें बनानी होगी।"

"क्या?"

मैं आँखे फाड़ के उनकी तरफ देखने लगा- मैएएएएएडम?

"मैडम नहीं, मुझे अलका कहो, वैसे भी पहली बार मेरी झांटें आलोक ने ही बनाई थी और आज तक बनाता चला आ रहा है, बीच-बीच में एक दो और लोगों ने भी बनाई है। आज तुमको मैं मौका दे रही हूँ।"

"पर..."
कह कर मैं रूक गया. वो 'हूं' बोल कर अपनी आँखें तरेरते हुए बोली- क्या कहा? मैं झट से बोला- कुछ नहीं, कुछ नहीं, जो आप कहें!।

"हम्म... तो चलो तैयार हो जाओ।"
मै..., न अलका जी, आप अपनी झांट रेजर से बनवाती हैं या फिर रिमूवर क्रीम से?"

"नहीं, अभी तक मेरी चूत में उस्तरा नहीं चला है। रिमूवर से बनवाती हूँ।"

"ठीक है अलका जी, मैं तैयार हूं आपकी झांट बनाने के लिये।"
अलका ने खुद ही रिमूवर के साथ-साथ कॉटन, पानी सब कुछ लाकर दिया।
"अलका जी, आप अपने कपड़े उतारिये।"
"कैसे मर्द हो भोसड़ी वाले, तुम्हें मेरे कपड़े उतारने में शर्म आ रही है? चल उतार... पता नहीं किस मादरचोद ने तुमको चुदक्कड़ बना दिया है।"

बस मेरा इतना सुनना था कि मैंने अलका का हाथ पकड़ा और झटके से अपनी तरफ खींचा और अलका की कमर को अपने हाथों के बीच कैद कर लिया। दोनों लड़कियाँ टकटकी लगाये देख रही थी। मुझे तो लग रहा है कि कम से कम रेशमा तो अलका को गरिया जरूर रही होगी लेकिन देखने के अलावा कर क्या सकती थी।

मेरे हाथ अलका की गांड को दबाने लगे और जितनी ताकत से अपनी उंगली उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी गांड में डाल सकता था, उतनी ताकत में लगा रहा था। इधर अलका भी मेरी गांड में उंगली कर रही थी। थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा।

तभी सोनी और रेशमा एक साथ बोली- अरे तुम दोनों एक दूसरे की गांड में उंगली ही करोगे या आगे भी कुछ करोगे? उनकी बात को सुन कर मैंने अलका की साड़ी उसके जिस्म से अलग की, फिर उसके ब्लाउज को उससे अलग किया, फिर पेटीकोट।

उसकी ब्रा और पैन्टी भी सफेद रंग की ही थी। जैसे ही मैंने उसके ब्रा को उसके जिस्म से अलग किये, दूध जैसे उसके कबूतर उछल कर बाहर आ गये और मेरे सीने से चिपक गये। इस बीच अलका मुझसे बिल्कुल अलग नहीं हुयी थी, उसका गर्म जिस्म मुझसे चिपका हुआ था।

उसकी लम्बाई और मेरी लंबाई लगभग एक जैसी थी, इसलिये उसकी छाती और मेरी छाती लगभग आपस में मिली हुयी थी। अब मेरी उंगली उसकी पैन्टी की लास्टिक को पकड़कर नीचे करने लगी, तो उसने मेरी कलाई को पकड़ लिया और धीमी आवाज में बोली- थोड़ी देर रूको, तुम मुझे इसी तरह चिपकाये रहो, मुझे तुम्हारे सीने की गर्मी को महसूस करना है।

"चड्डी भी उतार देते हैं, तब चिपक लेना।"

"नहीं, कुछ देर रूको, आलोक मुझे चोदता है, मेरा दूध पीता है। सब कुछ करता है, मजा भी बहुत देता है, लेकिन आज पहली बार मुझे मर्द के सीने से इस तरह चिपकने का सुखद अहसास हो रहा है!"

कह कर उसने मुझे और कस कर जकड़ लिया। मेरे हाथ की चंचलता रूकी नहीं और वो अलका की गांड को सहलाते सहलाते उसकी चूत को टटोलने लगा। उसकी पैन्टी काफी गीली थी, ऐसा लग रहा था कि अभी अभी पानी छोड़ा हो। मैंने पूछ ही लिया- पानी छोड़ रही हो क्या?
"हूं..."

बस इतना सा ही बोली- बस मुझे थोड़ी देर और ऐसे ही चिपकाये रहो। तभी दोनों लड़कियां अलका के पीछे आयी और उसकी पैन्टी को उसके जिस्म से अलग कर दिया और पैन्टी को हाथ में लेकर बारी बारी देखने लगी।

"ओह अलका मैम, आपने तो बहुत पानी छोड़ दिया।"
उसके बाद मैंने अलका को अपने से अलग किया, उसकी आँखें लाल सुर्ख हो चुकी थी, चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी।

मैं उसके संगमरमर जैसे जिस्म को निहार रहा था, मेरी नजर उसकी चूत की तरफ गयी, साला झांट नहीं था, झांटों का जंगल था। मैंने कहा- अलका जी आपकी चूत में झांट नहीं, झांटों का जंगल है।

"हाँ, आलोक को बहुत पंसद है मेरी बड़ी-बड़ी झांटों को बनाना; जब मेरी झांटें काफी बड़ी हो जाती हैं तो वो उन्हें बनाता है, फिर चिकनी करके मेरी चूत के साथ खेलता है और जब तक खेलता रहता है, जब तक झांट बड़ी बड़ी न हो जायें।"

"मतलब 3-4 महीने तक नहीं बनाती हो?"

"हाँ... कभी कभी इससे ज्यादा का समय लग जाता है।"
"कैंची है?"
"हाँ, मैंने तुम्हें दी है, ध्यान से देखो।"

मैंने अलका का हाथ पकड़ा और जमीन पर लेटने को कहा। अलका जमीन पर लेट गयी और अपने अगल बगल दोनों लड़कियों को बैठा कर उनकी चूची को सहलाते हुए बोली- तुम्हारा ये यार चोदने में कैसा है?

"मैडम, आप चुदवा लो, आपको भी मजा आयेगा।"
"हम्म, देखते हैं?"
"देखना क्या मैडम जी, आपने हमारी चुदाई के बीच में आकर पूरा मजा खराब कर दिया, अगर थोड़ी और देर से आती तो मुझे तो पूरा मजा मिलता।"

रेशमा थोड़ा सा मुंह बनाते हुए बोली।

"अरे लाडो, चिन्ता मत कर, तेरे यार का हथियार पहले मैं चेक कर लूं, उसके बाद तुझे मैं चुदने का पूरा मौका दूंगी।"

इस बीच मैं अलका की झांटों को कैंची से कतरते हुए ट्रिम कर रहा था। जब बाल काफी छोटे छोटे हो गये तो अलका की पाव रोटी के माफिक फूली हुयी चूत मेरी नजरों के सामने आयी। मैं उसकी बची खुची झांटों के ऊपर हथेली फेरने लगा, मुझे लगा जैसे कि मैं मखमल के ऊपर अपने हाथ फेर रहा हूँ। उसकी मखमली चूत पर हाथ फेरने से वो भी पानी बिन मछली जैसे हो गयी हो, ऐसा लग रहा था कि वो छटपटा रही हो, अपनी दोनों जांघों को आपस में समेटने की कोशिश कर रही थी।

उसके बाद मैंने अपने पैरों को सीधा करके फैला दिया और अलका के कमर के हिस्से को अपने बीच में लेते हुए उसके पैरों को सिकोड़ दिया। उसके बाद कॉटन लेकर अलका की चूत का अग्र भाग में भर दिया और फिर रिमूवर को उसकी चूत में अच्छे से लगा कर उसकी टांगों के बीच बैठा जांघों को चूम रहा था।

तभी दोनों लड़कियाँ पास आयी और बोली- कुछ मजा हमें भी दीजिए, हमारी चूत को भी प्यार करिये। मैं बारी-बारी से दोनों लड़कियों की चूत में अपनी जीभ फिराने लगा. तभी अलका बोली- एक लड़की मेरे पास आओ! सोनी अलका के पास चली गयी. सोनी को देखकर अलका बोली- आओ मैं तुम्हारी इस छोटी मुनिया को प्यार करूँ! आओ मेरे मुंह में बैठो! सोनी अलका के मुंह में बैठ गयी, इधर मैं रेशमा की चूत चाटने के साथ-साथ अलका की जांघों को सहला रहा था, उसके पैर कांप रहे थे, रेशमा की चूत चाटने और अलका की जांघों को सहलाने से मेरे लंड में भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और लंड टाईट होकर सीधा मेरे दोस्त की बीवी की चूत से टच करने लगा।

चूत की खुजली मिटा रही हूँ - Chut ki khujli mita rahi hun - गांड भी मरावाऊंगी

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अपनी उंगली उसको दिखाते हुए मैंने मुंह के अन्दर डाल ली और फिर उसके छोटे छोटे दोनों मम्मों को दबाते हुए उसके पेट को चूमते हुए धीरे धीरे मैं योनि प्रदेश में प्रवेश करने लगा।
जैसे ही मैंने उसकी चूत को चूमा, वो मेरे सिर को पकड़कर पीछे हटने लगी, बोली- सर, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।
जितना मैं उसकी चूत के पास अपना मुंह ले जाने की कोशिश करता, वो अपनी गांड टेड़ी करके पीछे हो जाती।

मैं खड़ा हुआ और उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में कस कर भींच दिया और बोला- मजा बहुत मिलेगा, लेकिन नखरा करोगी तो फिर मुझे गुस्सा भी बहुत आता है और तुझे भी तो मेरे लंड को चूसना है और उसका वीर्य चखना है।
इतना कह कर मैंने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी से आजाद कर दिया और उसको कुर्सी पर बैठा कर हत्थे पर उसके दोनों पैरों को रख दिया। इस तरह करने से उसकी चूत खुलकर मेरे सामने आ गयी।

उसकी चूत को चूत क्या कहूं… मुनिया कहना ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि उसकी चूत बहुत ही छोटी सी थी, लेकिन उठान काफी था।

मैंने उसके हाथ और पैरों को अपने हाथों में जकड़ लिया और फिर खुली हुयी फांकों के बीच अपनी जीभ चलाने लगा, वो अपने जिस्म को काफी हिलाने डुलाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन नाकाम हो रही थी।
मैं अब अपनी जीभ को उसकी चूत के अन्दर डाल रहा था तो कभी उसकी फांकों को चाट रहा था और फिर उसकी छोटी सी पुतिया को अपने होंठों के बीच दबा रहा था।

अब सोनी ने सिसयाना शुरू कर दिया था। अब सोनी अपने जिस्म को आगे की तरफ कर रही थी, उसकी इस हरकत से मुझे समझ में आ गया कि उसमें मस्ती छा रही है। मैंने हौले से उसके हाथों और पैरों को आजाद किया।
जैसे ही उसके हाथ और पैर आजाद हुए, उसने तुरन्त ही अपने पैरों को हवा में उठाया और मेरे सर को पकड़ते हुए बोली- सर और चाटिये, मजा आ रहा है। मुझे मालूम नहीं था कि चूत चटवाने में इतना मजा मिलता है।

उसकी आवाज फंसी-फंसी सी आ रही थी क्योंकि वो अपनी सांसों को काबू में नहीं रख पा रही थी।

तभी उसका शरीर अकड़ने लगा और बोली- सररर रररर!
बस इतना कह पाई थी और वो ढीली पड़ गयी थी और उसकी चूत से निकलता हुआ रस इस समय मेरी जीभ में गर्म लावे के सामान लग रहा था. मैं बड़ी ही तन्यमयता से उसको अपने मुंह के अन्दर लेता रहा, मैं उसके रस की एक एक बूंद को चाटता रहा और वो मेरे बालों पर अपने हाथ को फेरती रही। जब उसके रस की एक एक बूंद को चूस कर मैं उससे अलग हुआ तो बोली- सर मुझे बहुत मजा आया. तीन चार कहानी पढ़ने पर मुझे ये बकवास और घृणित कार्य लगता था लेकिन अब मुझे अहसास हुआ कि चूत चुदाई के खेल से पहले चूत चुसाई का भी अपना आनन्द है।

“हाँ… और साथ में लंड चुसाई का भी अपना आनन्द है। तुम अब कुर्सी में देखो कि तुम्हारी चूत का रस कही वहां तो नहीं लगा है?”
सोनी अपने हाथ को थोड़ा झटकते हुये बोली- क्या सर आप भी?
“तो मेरा लंड चूसने के बारे में क्या ख्याल है?” अपने लंड को हिलाते हुए उसकी तरफ देख कर कहा।

जैसे ही उसने मेरे लंड को देखा तो बोली- सर ये आपका लंड तो बहुत बड़ा है। कभी कभी आते जाते लड़कों को मूतते हुए नजर पड़ जाती थी तो उनका लंड बहुत छोटा दिखता था।
“अरे… जब लंड टाईट नहीं रहता तो छोटा दिखता है और जैसे-जैसे टाईट होता है, फिर बड़ा हो जाता है।”

“अब बताओ आगे क्या करना चाहती हो? लंड चूसने का आनन्द लोगी या फिर अभी भी?” कह कर मैंने अपनी बात रोक दी।
“नही नहीं… ऐसी कोई बात नहीं है, मैं भी आपके इस लंड को चूसने का आनन्द लूंगी।” उसने अपने हाथ में मेरे लंड को पकड़ा, खोल को पीछे करते हुए अपनी हथेली को मेरे सुपारे से रगड़ा और फिर खोल को सुपारे के ऊपर ढक कर लंड को मुंह में ले लिया।
वो कोशिश तो कर रही थी लेकिन अभी भी उसके दिमाग में कहीं न कहीं, यह बात थी कि वो कैसे लंड को चूसे क्योंकि यहाँ से पेशाब निकलती है।

मैंने कहा- अगर इस तरह करना हो तो रहने दो।
“नहीं नहीं, ऐसा नहीं है, मैं मजा लेना चाहती हूं लेकिन मुझे मालूम नहीं है कि कैसे चूसा जाता है।”

मुझे उसकी बात समझ में आयी, लेपटॉप खुला हुआ था, मैंने पोर्न वीडियो साईट खोली, जिसमें चूत चुसाई और लंड चुसाई वाली एक 10-15 मिनट की क्लिप चला दी और सोनी से बोला- जैसे जैसे इस क्लिप में जैसे लड़की लंड चूस रही है, तुम भी उसी तरह करो!
और मैंने अपनी पोजिशन ऐसी बना ली कि लैपटॉप पर चलती हुयी क्लिप सोनी को ठीक तरीके से दिखे।

सोनी अब लंड को क्लिप देखते हुए चूसने लगी, करीब 10-11 मिनट के बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरे माल निकलने वाला है, ठीक उसी समय क्लिप वाली लड़की ने अपने मुंह को खोल दिया, सोनी भी उसी पोजिशन में अपने मुंह को खोल कर लंड को छोड़ दिया।
मैंने सोनी के सर को पकड़ा और अपने लंड को हिलाने लगा, एक तेज धार मेरे रस की उसके मुंह में सीधा जाकर निकली; मेरे वीर्य से उसका मुंह भर गया।

क्लिप देखते हुए सोनी किसी तरह से मेरे वीर्य को पी गयी लेकिन उसका मुंह बुरा सा बन गया, बोली- मुझे उल्टी हो रही है।
मैंने उसको पानी का गिलास देते और उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा- पहली बार ऐसा ही होता है, अच्छा नहीं लगता, उल्टी होती है, स्वाद गन्दा सा लगता है, मुझे भी ऐसा ही लगा था लेकिन अब देखो तुम भी मेरे लिये नई लड़की थी और किस तरह से तुम्हारे रस को पी गया।

एक बार फिर मैं कुर्सी पर बैठ गया और उसको अपनी जांघ पर बिठा कर मैं उसकी पीठ को सहलाता रहा। थोड़ी देर तक ऐसे करते रहने के बात उससे बोला- अगर तुम्हें पेशाब आयी है तो जाकर कर लो।
वो उठी, मैंने उसे इशारे से बाथरूम का रास्ता बताया और वो बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी।
उसके पीछे पीछे मैं भी बाथरूम की तरफ चल दिया।

वो बाथरूम के अन्दर घुसी और दरवाजा बन्द करने लगी, मैंने उसे रोकते हुए कहा- क्या यार तुम सोनी, मुझे भी पेशाब लगी है।
“तो ठीक है, पहले आप कर लो, फिर मैं कर लूंगी।” कह कर मुड़ते हुए बाहर आने लगी तो मैं उसे रोकते हुए बोला- अब जब तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले चुकी हो और मैं तुम्हारी चूत चाट चुका हूं तो अब क्या शर्माना? चलो दोनों साथ करते हैं। तुम इस नाली के पास कर लो, मैं पॉट पर कर लेता हूँ। मैं और तुम्हारी भाभी चुदाई करने के बाद जब कभी भी पेशाब लगती है तो दोनों साथ ही कर लेते हैं।

मेरी बात सुनने के बाद वो वहीं नाले के पास बैठ गयी और मैं पॉट पर खड़ा होकर मूतने लगा।
शर्र… शर्र… की आवाज आ रही थी। हम दोनों की पोजिशन ऐसी थी कि मैं उसे मूतता हुआ देख सकता था और वो मुझे मूतते हुए देख सकती थी और उसकी नजर मुझे पेशाब करते हुए देख ही रही थी और मैं उसे।
लेकिन मैं देख उसे कम रहा था, सोच ज्यादा रहा था।

वो मूतने के बाद उठी, उसके उठते ही मेरी तंद्रा भंग हुयी, तब तक मैं भी कर चुका था और आदत के अनुसार अपने लंड को हिला रहा था, ताकि बची-खुची बूंद भी निकल जाये।
वह मेरे पास आई और पूछने लगी- आप अपने लंड को क्यों हिला रहे थे?
मैंने कहा- बची-खुची बूंदों को बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था। और तुम क्या करती हो?
“आप को तो पता होगा?”
“मुझे कैसे पता होगा कि तुम क्या करती हो?”
“अरे जो भाभी जी करती है, वही मैं करती हूं!”
“भाभी जी तो बहुत कुछ करती हैं, तुम अपनी कहो?”
“मैं पैन्टी पहनती हूँ और इस तरह रगड़ कर बची खुची बूंदों को साफ कर लेती हूं!” कहते हुए दरवाजे पर लटके हुए पर्दे से उसने अपनी चूत साफ कर ली।

मैंने बाथरूम से बाहर आकर सिगरेट जलाई और कश लेने लगा, फिर मैंने सोनी को भी कश लगाने के लिये बोला, पहले तो वो मना करने लगी लेकिन मेरे जिद करने के कारण उसने सिगरेट हाथ में ली और जैसे जैसे मैं बताता जा रहा था, उसने सिगरेट को अपने होंठों के बीच लेकर एक कश लिया.
लेकिन उसने तेजी के साथ अपनी सांसों को अन्दर लिया, बस फिर क्या था, वो जोर से खांसने लगी।

मैंने उसके हाथ से सिगरेट ली और एक बार फिर उसकी पीठ को थपथपाने लगा। किसी तरह उसकी खांसी रूकी लेकिन उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।
मैंने सोनी को एक बार फिर अपनी एक जांघ पर बैठाया और उसके आँसू के एक बूंद को अपनी उंगली में लेकर उसके मुंह के अन्दर डाल दिया और बोला- इसका स्वाद कैसा था?
वो बोली- शायद आपके वीर्य के रस जैसा।
फिर मैंने कहा- देखो, पहली बार कुछ भी करोगी, अजीब सा कुछ अलग सा लगेगा, लेकिन एक दो बार के बाद वही मजा देने लगेगा।

मैं सोनी की पीठ सहला रहा था और यह सोच रहा था कि यह अभी अनछुई है और अगर यह चुदने को तैयार हो गयी तो इसकी चूत से खून निकलेगा इसलिये मैं चाहता था कि किसी पुराने कपड़े का इंतजाम कर लूं ताकि उसको बाद में फेंका जा सके!
इत्तेफाक से एक पुराना कपड़ा मिल भी गया, मैंने उसे पलंग पर बिछा दिया.

तभी वो बोली- इसको आप पलंग पर क्यों बिछा रहे हो?
मैंने थोड़ा झूठ बोलते हुए कहा- तुम्हें और मुझे एक बार और यह खेल खेलना है तो तुम्हारा और मेरा वीर्य निकलेगा और बिस्तर को गन्दा कर देगा।

इतना कह कर मैंने उसे सीधा लेटने को कहा, वो लेट गयी और मैं उसके बगल में लेट गया। मैंने उसके सर के नीचे अपने हाथ रख दिया और अपनी टांग को उसके पैरों के ऊपर इस तरह से रख दिया कि मेरे लंड की गर्मी उसकी चूत महसूस कर सके।
साथ ही बोरो-प्लस की ट्यूब रख ली, उसकी चूत इतनी मुलायम और कोमल थी कि मैं अपने लंड की जोर आजमाइश उस कोमल और मुलायम चूत के साथ नहीं करना चाहता था।

मैंने अपने दूसरे हाथ से उसके बालों को सहलाते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और जैसे ही उसके होंठ को चूसना शुरू किया ही था कि उसका मोबाईल बजा.
मेरा मूड खराब हो गया… हांलाँकि सोनी ने भी मोबाईल नहीं उठाया.

और फिर हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने में व्यस्त हो गये।

पर उसका मोबाईल बार-बार बज रहा था, हार कर मुझे कहना पड़ा- सोनी, फोन उठा लो!
कह कर मैं लेट गया.
सोनी ने हैलो बोला तो दूसरे तरफ से भी हैलो की आवाज आयी, चूंकि मैं सोनी से चिपका हुआ था तो उसके मोबाईल से आने वाली आवाज को मैं साफ साफ सुन सकता था।

दूसरी तरफ से भी एक लड़की की आवाज आई, बोल रही थी- सोनी, कहां पर हो तुम, इतनी देर हो गयी है और तुम अभी तक कॉलेज नहीं आयी।
“नहीं पूजा, आज मैं कॉलेज नहीं आ सकती!” सोनी ने अपनी आवाज को नार्मल करते हुए कहा.
“क्यों क्या हुआ?”
“कुछ खास नहीं, वो जो सर मुझे कॉलेज तक ड्रॉप करने आते थे, मैं उनके यहाँ आयी हूँ।”
“ओह… कुछ खास?” दूसरी तरफ से आवाज आयी.
“हाँ वो बीमार हैं तो उन्हें देखने आयी थी।”

“ठीक है, देख लिया हो तो अब आ जाओ!” पूजा बोली.
सोनी ने कहा- नहीं आ सकती।
“क्या कहा? तुम नहीं आ रही हो, क्या बात है, कुछ है क्या वहां? कही ऐसा तो नहीं कि सेक्सी कहानी पढ़ते पढ़ते तुम्हारी चूत में खुजली शुरू हो गयी हो?” एक सांस में उसने सब बोल दिया.
तभी सोनी बोली- क्या पूजा, कुछ भी बोलती है। घर पर सभी लोग हैं।
“सॉरी यार, मैं मजाक कर रही थी।”
“यार… एक अच्छी सेक्सी स्टोरी पढ़ रही थी अन्तर्वासना पर… तो सोचा कि तुम्हें बता दूं। ठीक है, कल मिलते हैं तब तुम्हें वो स्टोरी पढ़वा दूंगी।” कह कर उसने फोन काट दिया।

सोनी ने फोन एक किनारे रख दिया और मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने भी छेड़ते हुए कहा- बता ही देती कि हाँ… चूत की खुजली मिटा रही हूँ।
“आप भी न…” कह कर मेरे सीने के बाल जोर से खींच दिए।

उसकी चूत का रस अपनी उंगली में लिया - Uski chut me ungli dalkar ras nikal liya

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बात इस जनवरी की है। हमारे शहर की सड़कों की हालत खस्ताहाल है, पूरा शहर खुदा पड़ हुआ है। जाम की हालत तो यह है कि अगर आप 12 बजे रात कहीं शादी की पार्टी में जाने चाह रहे हैं तो नहीं जा सकते; 2-3 घंटे मानकर चलिये कि बरबाद होना ही है. तो सोचिये कि दिन की हालत कैसी होगी।


अब मुझे मेरे ऑफिस जाने के लिये सुबह जल्दी निकलना पड़ता है।


ऐसे ही एक सुबह मैं अपने ऑफिस के लिए घर से निकला कि कुछ दूर जाने पर एक लड़की ने मुझे हाथ का इशारा देकर रूकने के लिये कहा। उस समय वो अपने मुंह को ढके हुयी थी।
मैं उसके पास जाकर रूक गया.


वो बोली- सर, मुझे मेरे कॉलेज जाना है और जाम की वजह से कोई टैक्सी नहीं मिल रही है, क्या मुझे कॉलेज तक छोड़ देंगे?
मैंने उससे उसका रूट पूछा तो उसने मेरे ऑफिस वाले रूट को बताया तो मुझे कोई आपत्ति नहीं हुयी, मैंने उसे बाईक पर बैठने का इशारा किया।
वो इशारा पाते ही बैठ गयी।
मैंने उसके कॉलेज के पास ले जाकर उसे ड्रॉप कर दिया।


दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ, उसने हाथ से मुझे रूकने का इशारा किया, मेरे रूकने पर वो मेरी बाईक पर बैठी, मैंने भी बिना कुछ बोले अपनी बाईक आगे बढ़ा दी और उसके कॉलेज के पास जाकर उसे छोड़ दिया।


तीसरे दिन भी ट्रकों की लाईन लगी हुयी थी जिसकी वजह से पूरी रोड जाम थी। मैं समझ गया था कि आज भी वो टकरायेगी, लेकिन स्टॉपेज पर नहीं दिखी, तो मैंने अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी, थोड़ी ही दूर गया था कि वो पैदल चली जा रही थी और साथ ही साथ पीछे घूम कर देखती भी जा रही थी।


जैसे ही उसे मेरी बाईक दिखी तो उसने एक बार फिर हाथ दिया, मैं रूका और उससे बोला- भाई अपने मुंह से यह पर्दा हटा लो तो मैं भी देखूँ कि मेरे साथ जाने वाली कैसी दिखती है।
मेरे कहने पर वो मेरे सामने आयी और अपने मुंह से ओढ़नी हटा ली।
नाक-नक्शा या चेहरे से देखने पर वो बहुत ज्यादा सेक्सी या खूबसूरत नहीं थी।


तभी उसने पूछा- क्या अब मैं आपके साथ चल सकती हूँ?
मेरे हाँ बोलते ही वो मेरी बाईक पर अपने पैरो को क्रॉस करके बैठ गयी।


रास्ते में वो बोली- क्या आप रोज इधर से जाते हैं?
जवाब में मैंने बोला- तीन दिन से तुम मेरे साथ अपने कॉलेज जा रही हो, तो इसका मतलब मैं रोज इधर से जाता हूँ।
फिर उसने कुछ नहीं पूछा।


मैंने ही बात आगे बढ़ाते हुए उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम सोनी बताया और बोली कि वो बी ए थर्ड ईयर में है।
फिर उसके पूछने पर मैंने भी उसे अपना नाम बताया।


फिर वो बोली कि क्या मैं उसे रोज लिफ्ट दे सकता हूँ।
मैं चुप था कि क्या जवाब दूं तभी फिर वो बोली- अगर नहीं हो सकता तो कोई बात नहीं।
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है, लेकिन तुम्हें लिफ्ट माँगने की क्या जरूरत है?
तो बोली- अगर आप रोज मुझे लिफ्ट देंगे तो मैं कॉलेज डेली आ-जा सकूंगी।


मुझे समझ में आया कि इसे थोड़ी बहुत फान्नेशियल प्रॉब्लम है, तो मैंने भी ओके कर दिया।


कॉलेज के पास उतरते ही उसने मेरा नम्बर मांगा, जिसे मैंने दे दिया और उसने अपने पुराने और टूटे हुए मोबाईल में सेव कर लिया।


अब वो प्रतिदिन मेरे साथ जाने लगी और अब वो मुझसे चिपक कर इस तरह से बैठती कि मुझे अहसास तो होता लेकिन उसने कभी मेरे शरीर से अपना हाथ को टच नहीं किया।
इसी तरह दिन बीतते गये। बीच बीच में मैं उसके घर भी चला जाता था। उसके घर जाने का कारण उसकी जिद थी, इस तरह से उसके घर वाले मुझे जानने लगे और मुझे मानने भी लगे थे। जिस दिन मुझे थोड़ी देर हो जाती तो वो मुझे मिस कॉल कर देती और मैं उसे कॉल बैक कर आने की सूचना दे देता।


लेकिन एक दिन ऐसा आया कि मैं बहुत बीमार हो गया और मैं जा नहीं पाया. जैसा कि अक्सर होता था उसका फोन आया, मैंने आने में अपनी असमर्थता बता दी और जल्दी ठीक होने पर मैं उसे फोन करूंगा, कह कर मैंने फोन काट दिया.


इस समय में घर में अकेला था, मेरी बीवी और बच्ची स्कूल निकल चुके थे, मैं घर में अकेला था और अगर मैं घर में अकेला रहता हूं तो लुंगी के अलावा कुछ नहीं पहनता हूँ। उस समय भी मैं केवल लुंगी में था और लैपटॉप पर अन्तर्वासना पर अपनी और दूसरे लेखकों की कहानी पढ़कर अपना टाईम पास कर रहा था.


कि तभी घर की घंटी बजी, चूंकि मैं लुंगी में ही था और कहानी पढ़ रहा था तो मेरा लंड तना हुअ था। घर की घंटी लगातार बज रही थी तो मैं झल्लाहट में यह भूल गया था कि मैं केवल लुंगी में ही हूं और कहानी पढ़ने के कारण लंड तना हुआ था, मैं गुस्से में उठा और कौन है कहकर मैंने दरवाजा खोल दिया.


सामने सोनी को देखकर मैं हतप्रभ रह गया; मैं जल्दी से अपनी लुंगी को सही करने लगा लेकिन इस चक्कर में लुंगी थोड़ी सी उठ गयी और तना हुआ लंड का बाहरी हिस्सा दिखने लगा। मेरे ख्याल से सोनी की नजर उस पर पड़ चुकी थी।
सोनी यह बोलती हुयी कि मेरी ‘तबियत कैसी है’ कहते हुए तब तक अन्दर आ चुकी थी।


मैं दरवाजे को बन्द करते हुए अन्दर आया, तब तक पलंग के पास पड़ी हुयी कुर्सी पर बैठ गयी और उसकी नजर मेरे लैपटॉप पर पड़ चुकी थी.
और जैसा कि आप सभी को पता है कि एडल्ट साईट पर तस्वीर कैसी आती है।


मैंने कहा- ठीक नहीं महसूस कर रहा हूं.
वो मेरी बात में मुस्कुराई और बोली- तभी अपनी तबियत को सही करने के लिये यह सब पढ़ रहे हैं।
मैंने बात काटते हुए कहा- तुम मेरे घर का रास्ता कैसे पा गई?
“बस पूछते पूछते हुये मैं आपके घर पहुंच गयी, लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि मुझे यह सब देखने को मिलेगा।”


मैं जल्दी से लैपटॉप बन्द करने के लिये सोनी के ऊपर झुका, मैरे उसके ऊपर झुकते ही उसने खींचकर एक सांस ली।
मैंने उसके ऐसा करने का कारण पूछा तो बोली- आपके जिस्म से आती हुयी इसी खूशबू की मैं दीवानी हो चुकी हूं!
और मेरे हाथ को पकड़ कर बोली- आप भी सक्सेना की कहानी पढ़ते हैं?


मैं उसकी बात सुनकर हंसा।
वो कुछ समझी नहीं इसलिये वो चुप रही।


मैंने उससे पूछा- तुम भी सेक्सी कहानी पढ़ती हो?
“हाँ, मेरी एक सहेली है, वो ही अपने मोबाईल पर मुझे पढ़ा देती है।”


मैं एक और कुर्सी लेकर उसके बगल में बैठ गया, वो कहानी पढ़ने में व्यस्त हो गयी, मैं उसे टोकते हुए बोला- अगर कहानी पढ़ती हो तो मजा भी ले चुकी होगी?
“नहीं!” कह कर वो फिर कहानी पढ़ने लगी।


मैं उससे कुछ कहना चाहता था कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर दबा दिया। मैं समझ चुका था कि उसे अभी कहानी पढ़नी है। मैं चुपचाप उसे पढ़ते हुए देखता रहा, वो कहानी पढ़ते हुए अपनी शलवार के ऊपर से ही अपनी चूत को अंगूठे और पहली उंगली से हल्के से मसल देती।
कहानी पढ़ते हुए कई बार उसने ऐसा किया और उसको देख कर मैं भी अपने लंड को मरोड़ दिया करता था।


जब वो कहानी पढ़ चुकी तो मेरी तरफ घूमी, उसकी आंखें काफी लाल हो चुकी थी, मुझे उसकी आंखों में एक नशा सा दिखने लगा।


कहानी पढ़ने के बाद वो बोली- जो कहानी में लिखा है वो सही में होता है?
मैंने कहा- हाँ चुदाई तो सही में होती है।
“मैं चुदाई की बात नहीं कर रही हूँ।”
“फिर?”
“यही बुर को चाटना, लंड को चूसना?”
“क्यों नहीं, बहुत मजा आता है यह सब करने में! तुमने कोई सेक्सी मूवी देखी हो तो उसमें भी ऐसा ही होता है।”

“मैं नहीं मानती, क्योंकि उसके बदले उन लोगों को पैसा मिलता है। हकीकत में ऐसा नहीं होता।”
“बिल्कुल होता है!” मैंने उसके कधे में हाथ रखते हुए कहा।

फिर भी वो मेरी बात से सन्तुष्ट न हुयी और बोली- मैं यह कैसे मान लूं कि कोई लड़का या लड़की आपस में पहली बार मिले हों और मिलते ही एक दूसरे की बुर और लंड को चाटना और चूसना शुरू कर देते हों?
“क्यों नहीं, चुदाई का मजा चुसाई और चटाई में ही तो होता है। नहीं तो चूत के अन्दर लंड का दो ही मिनट का तो काम होता है, लंड गया चोदा और बाहर। फिर तो पूरा मजा खत्म… जबकि इन सब क्रियायों को करने के कारण चुदाई के खेल का आनन्द दुगुना हो जाता है।”


“क्या आप भी यह सब करते हो?”
“क्यों नहीं, बहुत मजा आता है।”
“आप मुझे समझाने के लिये झूठ बोल रहे हैं।”


मैं समझ चुका था कि कहानी पढ़ने के बाद उसके ऊपर खुमारी बढ़ रही है और अगर मैं थोड़ा सा इस समय संयम रखा तो कुछ मिलने की सम्भवना हो सकती है, इसलिये उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- नहीं, मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ।
“ठीक है!” वो बोली।


इतना उसके बोलने से मेरा हृदय बैठने लगा, मुझे लगा, संयम बरतना मंहगा पड़ गया।
तभी सोनी बोली- अगर आप सच कह रहे है तो मुझे वीर्य चाट कर दिखाइये?
“वीर्य तो मैं चाट लूंगा, अगर तुम साथ दो!”
इस जगह पर मैंने संयम को बॉय-बॉय कहा और सीधा उससे बोला।


वो बोली- कैसा साथ?
तो मैंने उसे बताया- देखो इस समय मेरे इस पूरे घर में मैं अकेला लंड वाला हूं और तुम चूत वाली, और अगर तुम मुझे चूत का रस चाटते हुए देखना चाहती हो तो अपनी चूत को मेरा साथ देने के लिये मनाना होगा।
मेरा इतना बोलना था कि वो शर्मा गयी और अपने सिर को झुका लिया।


मैं समझ चुका था कि वो चाहती है, मैंने तुरन्त ही उसको पकड़ा और अपने से चिपका लिया, उसने भी मुझे जकड़ लिया। मैं उसकी गांड को दोनों हाठों से भींचने लगा और उसकी शलवार के ऊपर से ही उसके छेद में उंगली करने लगा।

फिर मैं कुर्सी पर बैठ गया और उसको अपनी दोनों टांगों के बीच में लाते हुए बोला- सोनी, मजा लेना है, तो शर्माना मत।
उसने मुझे सहमति देने के लिये अपना सर हिलाया।

मैंने बिना वक्त गंवाये उसकी कुर्ती को उतार दिया। नीचे उसने जगह-जगह फटी हुयी ब्रा पहने हुए थी जो उसके मुसम्मबी जैसे मम्मों को छिपाने का भरकस प्रयास कर रही थी।
मैंने उसके पेट को सहलाया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मो को सहलाने लगा।

“सीईईई ईईई ईईइ…” करते हुए उसने अपने हाथ को मेरे हाथ के ऊपर रख दिया। मैंने उसके मम्में छोड़ कर उसे अपने से चिपकाया और उसके ब्रा की हुक खोल दिया।
अब मेरे सामने उसकी टाईट या कठोर चूची थी, जिसके निप्पल तने हुए थे जो इस बात का संकेत था कि उसके अन्दर भी ज्वार फूट रहा है।

मैं उसके मुसम्म्बी जैसे मम्मों को बारी बारी अपने मुंह को अन्दर लेने लगा और साथ में उसके चूतड़ को दबाता भी जा रहा था और बीच बीच में उसके छेद में शलवार के ऊपर से ही उंगली डालने की कोशिश कर रहा था, जबकि उसकी बाँहें मेरी गर्दन के ईर्द-गिर्द थी।

निप्पल पीते पीते मैंने उसकी शलवार का नाड़ा खोल दिया, शलवार सरसरा कर उससे अलग हो गयी और एक मटमैली सफेद पैन्टी, जिसका हाल भी उस ब्रा की तरह था, अब उसके जिस्म में रह गयी थी।
मैंने उसके जिस्म से उस पैन्टी को अलग किया और हाथ में लिया तो उस पैन्टी में उसका रस लगा हुआ था और शायद पहले का भी जब भी कभी वो कहानी पढ़ कर या सोचकर उत्तेजित होती रही होगी और उसका रस उसके अन्दर से छूटने के बाद पैन्टी में लगता रहा होगा, वही रस उसे परेशान करता रहा होगा जिसकी वजह से उसे अपनी बुर को खुजलाना पड़ता था और इसलिये उसकी पैन्टी में जगह-जगह छेद बन चुका था।

अब वही रस सूख चुका था और जिसकी वजह से पैन्टी की वो जगह काफी टाईट हो चुकी थी। और अब उसकी उसी पैन्टी में एक बार फिर वही रस लगा हुआ था जो यह बताने के लिये काफी था कि मेरे हाथों के स्पर्श ने उसके जिस्म का क्या हाल किया होगा और वो कितना ज्यादा उत्तेजित हुयी होगी कि एक बार फिर उसकी चूत ने रस छोड़ दिया।

मैंने उसकी पैन्टी से उस ताजे रस को अपनी उंगली पर लिया और उसको दिखाते हुए बोला- जब दो जिस्म का मिलन होता है तो यही वो रस है जो और उन्माद पैदा करता है। हालाँकि यह रस भी उसी पैन्टी से लिया हुआ था जहाँ पहले से ही अनगिनत रस सूख चुके थे और देखने में भी अच्छा नहीं लग रहा था, फिर मैंने बड़ी सफाई से उसकी पैन्टी से उंगली को पौंछा और उसकी चूत की फांकों को अंगूठे से सहलाते हुए और साथ ही उसकी चूत के अन्दर उंगली डालने की कोशिश कर रहा था।

उसकी चूत उसके रस से सराबोर थी फिर भी उसकी चूत के अन्दर काफी गर्मी थी। उंगली लगाने भर से ही वो चिहुंक उठी और मेरी उंगली गीली हो गयी।
मैंने एक बार फिर उसकी चूत का रस अपनी उंगली में लिया और उसको दिखाते हुए बोला- सोनी!
वो मेरी तरफ देखने लगी!
अपनी उंगली उसको दिखाते हुए मैंने मुंह के अन्दर डाल ली और फिर…
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