नौकर के नौ इंच के लंड का कमाल मेरा कर दिया बुरा हाल Naukar ne 9 inch ke lund se mujhe choda

नौकर के नौ इंच के लंड का कमाल मेरा कर दिया बुरा हाल Naukar ne 9 inch ke lund se mujhe choda, नौकर और मालकिन की सेक्स कहानी, नौकर ने मालिश कर के मुझे चोदा, नॉनवेज स्टोरी, नौकर को बेडरूम में बुलाकर हर रात अपनी चूत की चुदाई, नौकर के साथ मालकिन की मस्ती.

हेलो फ्रेंड्स, आज जो नौकर और मालकिन की सेक्स कहानी बताने जा रही हु वो मेरी नौकर से चुदाई की कहानी हैं । आज मैं बताउंगी कैसे नौकर से चुदवाई,  कैसे नौकर से चूत चटवाई, कैसे नौकर के 9 इंच का लण्ड से चूत की प्यास बुझाई , कैसे नौकर से गांड मरवाई,  कैसे नौकर ने मुझे नंगा करके चोदा, कैसे नौकर ने मेरी चूत और गांड दोनों को मारा, कैसे नौकर ने मेरी चूत को चाटा, नौकर ने मेरी चूचियों को चूसा और कैसे नौकर ने मेरी चूत फाड़ दी। मेरी शादी हुए 3 साल हो गये थे और मैं अपने पति के साथ नये सिटी मे आ गयी थी. उधर सब कुछ अरेंज करने मे काफ़ी टाइम निकल गया. अब मैने अपने पति राज से बोला की एक नोकर रख लो घर पे. वो मान गये और अपने पड़ोस मे ढूँढने लगे.  एक मिल गया उसकी उम्र कुछ 28 की रही होगी मजबूत कद का और लंबे कद का मोहन नाम था उसका।

वो शाम को घर आया पति कहीं पर गये हुए थे और बोला था की मोहन शाम को घर आएगा तो मैं बात कर लू.  मैने अपने 36 30 34 फिगर पे सारी डाली हुई थी और मेरा ब्लाउज कम गले का था.  तभी घंटी बजी और मैने दरवाजा खोला तो देखा की मोहन खड़ा हुआ था और बोला मेडम मे मोहन. मे उसे अंदर ले आई और उसकी नज़र मेरे चुचियो पे ही थी. मैने देखा की वो तोड़ा झिझक रहा था। मैं उसे सभी काम समझा रही थी तभी नीचे झुकने से मेरा पल्लू नीचे गिर गया। और मेरे 36 ब्रेस्ट आधे बाहर नज़र आने लगे. वो उन्हे घूर के देख रहा था।वो चला गया और अब जब राज ऑफीस मे होते थे तभी वो आता था और मेरी बॉडी को देखते देखते काम किया करता था. मुझे शुरू से ही पॉर्न फिल्म देखने की आदत थी कभी कभी राज के साथ भी देखती थी।

एक बार मैने स्कर्ट डाली थी और उसके ऊपर शॉर्ट टॉप था. मे पॉर्न फिल्म देख रही थी. रूम मे और स्कर्ट ऊपर कर के अपनी चूत को मसल रही थी तभी वो आ गया अंदर और एक दम से मेरा पानी निकल आया। मैने स्कर्ट नीचे कर दी और कुछ बूंदे स्कर्ट पे गिर गई. उसने देखा और चला गया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। एक दिन मै लॉन मे घूम रही थी सारी पहनी थी मैने और मैं हमेशा से लो नेक ब्लाउस ही पहनती हूँ. तभी मैने देखा की मोहन बाथरूम मे सू सू कर रहा था और मैने नौकर का 8 इंच का लंड देखा और मन ही मन उछली. पति का मुश्किल से 6 इंच का होगा पता है। फिर मे अचानक उधर गयी और वो घबराकर उसे छुपाने लगा। फिर मैं उसे अपने साथ रूम मे ले गयी और बोली की तुमने जान बूझकर डोर खोला था की मैं देख लूँ।

वो बोलने लगा की नही मेडम मैने सोचा आप अंदर होंगी. खैर मैने धोखे से अपना पल्लू गिरा दिया और बोला की अपने कपड़े उतारो वो मुस्कुरा दिया ओर नंगा हो गया. में उसके लंड को सहलाने लगी। नौकर का मोटा और काला लंड था. उसने मेरी सारी और ब्लाउज उतार दिया और बेड पे लिटा कर चूमने लगा और एक हाथ से पेटिकोट भी उतार दिया।  मेने पेंटी नही डाली थी. एक उंगली मेरे अंदर डाल कर चूत मे घूमाने लगा. मैं धीरे धीरे आवाज़ करने लगी वो बोला मेडम आपकी तो अभी भी टाइट है। मैने बोला मोहन तुम ढीली कर दो. नौकर ने ब्रा के हुक खोल दिए। अब मैं नौकरके सामने एकदम नंगी थी. नौकर ने मेरी चुचियो को चूसने लगा और काट भी लेता था।मैने बोला की मोहन आराम से करो पूरा दिन है अपने पास।

फिर मैने नौकर के 8 इंच का तगड़ा लंड लेकर चूसने लगी ,10 मिंनट तक चूसने के बाद सारा पानी मेरे मूह मे ले लिया और पी गयी. फिर हम लिपट के लेटे रहे।  थोड़ी देर बाद फिर उसका लंड टाइट हो गया था. इस बार उसने मुझे लिटाया और मेरी टाँगे फैला कर अपना लंड मेरी चूत पे रख दिया और धक्के मारने लगा मैं चील्ला पड़ी की आआहह उ उ उई माँ आ…आ..  मोहन आराम से डालो। फिर वो बोला मेडम कुछ नही होगा सब ठीक हो जाएगा और एक ज़ोर का धक्का मारा ओर पूरा लंड अंदर आ गया मैं दर्द से तड़प उठी। फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला ओर फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत पर फेरने लगा। मेरी चूत अब ओर गर्म ओ गयी. मेरी चूत उसके लंड को डालने के लिय बेताब हो रही ती।

फिर नौकर ने आपना लंड मेरी चूत मे डाल दीया। उसने धक्के लगाने चालू किया और बोला मोना मेडम आप बड़ी मस्त हो. ओर अपने लंड को मेरी चूत मे अन्दर बाहर करने लगा। फीर उसने अपनी गति तेज कर दी। ओर मे उ उ उई ..उई माँ कर रही थी। और 20 मिनट तक उसने चुदाई की। उसने सारा पानी अंदर ही डाल दिया. फिर हम दोनो 5 मिनट तक 69 मे लेटे रहे। मोहन मेरे चुचियो को दबा रहा था। फिर उसने कपड़े पहने और वो चला गया. अब में अपनी चूत को अपनी साड़ी से पोछने लगी। अब मैं घर पर नंगी भी होती हूँ। तो वो सारा काम करता है और हम चुदाई भी  करते है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। जब पति रात की शिफ्ट पे होते है तो वो आता है और हम सोते है. 

एक बार उसने अपने दोस्त से चुदवाया वो एक दिन मुझसे कहनें लगा की मेरा एक दोस्त हे उसे किसी को चोदने की बहुत मन है. लेकिन उसने कभी किसी ओरत को नही चोदा हे। मे उसको आप से चुदवाना चाहता हु। मेने मना कर दिया। मोहन बोला मान जाओ ना जान। मेने कहा की वो तुमारा दोस्त किसी से बोल दिया तो.  वो बोला वो किसी से नही बोलेगा और मेने हां कर दी। फिर मोहन ओर उसके दोस्त ने दोनों ने मिलकर चोदा। में बेड पर नंगी लेटी रहती ओर दोनो एक एक करके मुझे चोदते। उन्होने मेरे फिगर को दबा दबा कर लटका दिया. ओर मेरी चूत को चोडी कर दी। फिर तो मोहन का दोस्त हर एक दो दिन मे आने लग गया. उसका नाम चंदु था।

चंदू ओर मोहन कभी भी मुझे नंगा कर देते ओर फिगर को दबाते रहते. अंदर से रूम बंद कर मेरे ओर अपने कपडे उतार कर पुरे नंगे होकर टी.वी. या मूवी देखते थे।ओर बहुत मस्ती करते ऐसा तक़रीबन 3 साल तक चला। उसके बाद अभी तक मुझे किसी दूसरे का लंड नही मिला। और मुझे अभी तक किसी ऐसे लंड की तलाश है जो मुझे मस्त कर दें।

लण्ड बाहर निकाल कर वीर्य को बरसात में धो दिया Lund ko bahar nikal kar virya barsaat me dhoya

लण्ड बाहर निकाल कर वीर्य को बरसात में धो दिया Lund ko bahar nikal kar virya barsaat me dhoya, बरसात में चुदाई, बरसात में एक साथ तीन लड़कों ने चोदा, मेरी एक चूत तीन लंड चूस गई, बरसात की एक रात में पड़ोसन की चुदाई, बरसात के दिन चुदाई, बरसात की एक रात गैर मर्दों के साथ, गांड मारी बरसात में, दीदी को बरसात में चोदा, Barsat Me Chudai, Barsat ke rat me madam ke chudai, बरसात की एक अँधेरी रात, लण्ड रस की बरसात, बरसात की रात में एक अजनबी लड़के ने मुझे खूब चोदा, बरसात की रात में मार ली गांड.

हम लोग जहां रहते हैं वो एक पुराना मुहल्ला है। पुराने टाईप के घर है, आपस में लगे हुए। लगभग सभी की छतें एक दूसरे से ऐसे लगी हुई थी कि कोई भी दूसरे की छत पर आ जा सकता था। मेरे पड़ोस में कॉलेज के तीन छात्रों ने एक कमरा ले रखा था। तीनों ही शाम को छत पर मेरे से बातें करते थे, हंसी मजाक भी करते थे। उन तीनों लड़कों को देख कर मेरा मन भी ललचा जाता था कि काश ये मुझे चोदते और मैं खूब मजे करती। कभी कभी तो उनके सपने तक भी आते थे कि वो मुझे चोद रहे हैं। कभी कभी मौसम अच्छा होने पर वो शराब भी पी लेते थे, मुझे भी बुलाते थे चखने के लिये ... पर मैं टाल जाती थी।

मेरे पति धन्धे के सिलसिले में अधिकतर मुम्बई में ही रहते थे। घर पर सास और ससुर जी ही थे। दोनों गठिया के रोगी थे सो नीचे ही रहा करते थे। आज मौसम बरसात जैसा हो रहा था। मैंने एक बिस्तर जिस पर मैं और मेरे पति चुदाई किया करते थे, उसे बरसात में धोने के लिये छत पर ले आई थी। उस पर लगा हुआ वीर्य, पेशाब के दाग, क्रीम, और चिकनाई जो हम चुदाई के समय काम में लाते थे, उसके दाग थे, वो सभी मैं बरसात के पानी से धो देती थी। ऊपर ठण्डी हवा चल रही थी। शाम ढल चुकी थी। अन्धेरा सा छा गया था।

ठण्डी हवा लेने के लिये मैंने अपनी ब्रा खोल कर निकाल दी और नीचे से पेन्टी भी उतार दी। अब चूत में और चूंचियो में वरन सारे शरीर में ठण्डी हवा लग रही थी। दूसरी छत पर तीनों लड़के बण्टी, नीटू और चीकू दरी पर बैठे हुये शराब की चुस्कियाँ ले रहे थे।

"अरे कामिनी दीदी आओ, देखो कितना सुहाना मौसम हो रहा है !" बण्टी ने मुझे पुकारा।

"नहीं बस, मजे करो तुम लोग, चीकू, बधाई हो, 80 पर्सेन्ट नम्बर आये हैं ना !" मैंने चीकू को बधाई दी।

"दीदी आओ ना, मिठाई तो खा लो !" चीकू ने विनती की।

मैं मना नहीं कर पाई और उनके पास चली आई। मिठाई थोड़ी सी थी जो उन्होंने मुझे दे दी। मैं मिठाई खाने को ज्योंही झुकी मेरे बोबे उन्हें नजर आ गये। अब वो तीनों जानबूझ कर मेरी चूंचियां झांक कर देखने कोशिश करने लगे। मैंने तुरंत भांप लिया कि वो क्या कर रहे हैं। पर मौसम ऐसा नशीला था कि मेरा मन मैला हो उठा। उन तीनों के लण्ड के उठान पर मेरी नजर पड़ गई। उनके पजामे तम्बू की तरह धीरे धीरे उठने लगे। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।

"दीदी, हमारे बीच में आ जाओ और बस चीकू के नाम एक पेग !"

मैंने इसे शुरुआत समझी और बण्टी और चीकू के बीच में बैठ गई। इसी बीच चीकू ने मेरे चूतड़ पर हाथ फ़ेर दिया। मैंने उसे जान करके ध्यान नहीं दिया। पर एक झुरझुरी आ गई।

"लो दीदी, एक सिप ... "

"नहीं पहले मैं दूंगा ... ।"

दोनों पहल करने लगे और उनका जाम छलक गया और मेरे कपड़ो पर गिर गया। चीकू ने तुरन्त अपना रुमाल लेकर मेरी छाती पोंछने लगा। बन्टी कहां पीछे रहने वाला था, उसने भी हाथ मार ही दिया और मेरी चूंचिया दब गई। मेरे मुख से हाय निकल गई।

मैंने भी मौका जानकर अपना हाथ चीकू के लण्ड पर रख दिया और दबाते हुई बोली," अरे बस करो, मैं साफ़ कर लूंगी ... " और उसका लण्ड छोड़ दिया। तभी बारिश होने लगी। चीकू समझ नहीं पाया कि लण्ड को जानकर के पकड़ा था या नहीं।

"चलो चलो अन्दर आ जाओ ... ।" चीकू ने कहा।

हम काफ़ी भीग चुके थे, मेरा ब्लाऊज भी चूंचियो से चिपक गया था। सफ़ेद पेटीकोट भी चिपक कर पूरा गाण्ड का नक्शा दर्शा रहा था। पर मेरे मन में तो आग लग चुकी थी, बरसात भली लग रही थी। जैसे ही मैं खड़ी हुई तीनों मुझे बेशर्मी से घूरने लगे। मैं दीवार को लांघ कर अपनी छत पर आ गई और झुक कर बिस्तर धोने लगी। मैंने देखा कि तीनों अन्दर जा चुके थे। अन्दर की आग धधक उठी थी। हाथ से चूत दबा ली और मुख से हाय निकल पड़ी। मैं ब्लाऊज के ऊपर से ही अपनी चूंचियाँ मलने लगी। मेरा पेटीकोट पानी के कारण चिपक गया था। बरसात तेज होती जा रही थी। मेरा बदन जल रहा था। ठन्डा पानी मुझे मस्त किये दे रहा था।

इतने में मुझे लगा कि दीवार कूद कर कोई आया, देखा तो चीकू था।

"दीदी मैं धोने में मदद कर देता हूँ ...! " और बिस्तर धोने लगा। अन्धेरे का फ़ायदा उठा कर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

"अरे छोड़ ना ... " पर उसने मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया, और एक कोने में आ गया।

"दीदी, तुम कितनी अच्छी हो, बस एक किस और दे दो ... " मुझ पर अपने शरीर का बोझ डालते हुए चिपकने लगा। मैं कांप उठी, जिस्म कुछ करने को मचल उठा। इतने जवान लड़के को मैं छोड़ना नहीं चाह रही थी। मेरे होंठ थरथरा उठे, वो आगे बढ़ आया ... उसके होंठ मेरे होंठो से चिपकने लगे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अचानक ही चीकू ने मेरे जिस्म को भींच लिया। मेरे बोबे उसकी छाती से दब कर मीठी टीस से भर उठे। उसके लण्ड का स्पर्श मेरी चूत के निकट होने लगा। मैंने भी अपनी चूत उसके लण्ड पर सेट करने लगी, और अब लण्ड मेरे बीचोबीच चूत की दरार पर लगने लगा था।

"चीकू, बस अब हो गया ना ... चल हट !" बड़े बेमन से मैंने कहा। पर जवाब में उसने मेरे बोबे भींच लिये और मेरा ब्लाऊज खींच लिया। उसने मेरे बोबे दबा कर घुमा दिये।

"दीदी, ये मस्त कबूतर ! इनकी गरदन तो मरोड़ने दो ...! " मेरे मुख से हाय निकल पड़ी, एक सीत्कार भर कर उसका लण्ड पकड़ कर खींच लिया।

"चीकू, ये मस्त केला तो खिला दे मुझे ... अब खुजली होने लगी है !" मेरे मुख से निकल पड़ा और चीकू ने मेरा पेटीकोट उठा दिया। उसने अपना पजामा भी उतार दिया। मुझे उसने धक्का दे कर गीले बिस्तर पर लेटा दिया और भीगता हुआ मेरी चूत के पास बैठ गया। मैंने अपनी दोनों बाहें खोल दी।

"आजा ... चीकू ... हाय जल्दी से आजा ...! " उसने उछल कर अपनी पोजीशन ली और दोनों हाथ से मेरे बोबे भींच लिये और लण्ड को भीगती हुई चूत पर रख दिया और मेरे ऊपर लेट गया।

"लगा ना ... अब प्लीज ... अब मजा दे दे ... " मैंने उसे चोदने का निमन्त्रण दिया और मेरे बदन में ठण्डे पानी के बीच उसका गरम लौड़ा मेरे जिस्म में समाने लगा। मैं भी चूत ऊपर की ओर दबा कर पूरा लण्ड घुसेड़ने की कोशिश करने लगी ... हाय रे ... अन्दर तक बैठ गया। मन में आग पैदा होने लगी। जिस्म जलने लगा। बारिश आग लगाने लगी। हम दोनों जल उठे, गीला बदन ... लण्ड पूरा अन्दर तक चूत की मालिश करता हुआ ... मस्त करता हुआ ... जिस्म एक दूसरे में समाने लगे। दोनों नंगे ... उभारों को दबाते और मसलते हुए मस्त हो गये। धक्के और तेज हो गये ...

"मजा आ गया बारिश का, चोद रे ... जी भर के लगा लौड़ा ... आज तो फ़ाड़ दे मेरी ... "

"हां दीदी, तेरी तो मस्त चूत है ... गीली और चिकनी !"

"हाय रे तेरे टट्टे, मेरी गाण्ड को थपथपा रहे है ... कितना सुहाना लग रहा है ... !"

"चुद ले, जोर से चुद ले ... फिर पता नहीं मौका आये या ना आये ... " जोश में उसकी कमर इंजन की तरह चलने लगी। मैं चुदती रही ... मन की हसरतें निकलती गई ... मैं चरम बिन्दु पर पहुंचने लगी ... जिस्म में कसावट आने लगी। लग रहा था कि सारा खून और सारा रस खिंच कर चूत की तरफ़ आ रहा हो ...

"आईईई ... मर गई ... हाऽऽऽऽऽय मेरी मां ... चोद दे जोर से ... लगा लौड़ा ... सीस्स्स्स्स्स्सीईईईऽऽऽऽ ... मेरी चूत रे ... " और सारा रस चूत के रास्ते बाहर छलक पड़ा। मैं झड़ने लगी थी। उसका लण्ड चलता रहा और मैं निढाल हो कर पांव फ़ैला कर चित लेट गई। बरसात का पानी मुझे ठण्डा करने लगा। चीकू ने अपना लण्ड बाहर खींच लिया और मुठ मारने लगा और एक जोर से पिचकारी छोड़ दी ... मेरे पेट पर एक बरसात और होने लगी ... रुक रुक कर ... चिकने पानी की बरसात ... और आकाश वाले बरसात के पानी से सभी कुछ धुल गया। बरसात अभी भी तेज थी। चीकू अब उठ खड़ा हुआ। उसका लौड़ा नीचे लटकता हुआ झूल रहा था। मैंने अपनी आंखें बरसात की तेज बूंदों के कारण बन्द कर ली।

अचानक मुझे लगा कि मेरे बदन को किसी ने खींच लिया। दूसरे ही पल एक कड़क लण्ड मेरी गाण्ड से चिपक गया।

"दीदी, प्लीज ... करने दो ... " इतने में एक और कड़क लण्ड मेरे मुँह से रगड़ खाने लगा और मैंने उसे मुंह में भर लिया।

"दीदी चूस लो मेरे लण्ड को ... " ये बण्टी की आवाज थी। ऊपर वाले ने मेरी सुन ली थी। तीनों अपना कड़क लण्ड लिये मेरी सेवा में हाज़िर थे। चीकू फिर से तैयार था, उसका लण्ड कड़क हो चुका था। चीकू मेरी गाण्ड चोदने वाला था।

"हाय ... चीकू धीरे से ... " चीकू का लण्ड गाण्ड के फूल को छू चुका था। मेरी गाण्ड लपलपाने लगी थी। बरसात से गांड का फूल चिकना हो रहा था।

"दीदी घुसेड़ दू लण्ड ...? " चीकू फूल को दबाये जा रहा था। छेद कब तक सहता उसने अपने पट खोल दिये और लण्ड गाण्ड में घुस गया।

"आ जा नीटू, मेरी छाती से लग जा ... " नीटू को मैंने छाती से दबा लिया और उसका लण्ड अपनी चूत पर रख दिया। मेरी चूत फिर से पानी छोड़ रही थी। मैंने अपनी टांगे खोल कर नीटू पर रख दी। लण्ड को खुला रास्ता मिल गया और चूत में उतरता चला गया।

मैंने चीकू से कहा," लण्ड निकाल और मेरी पीठ पर आ जा। मैंने नीटू को लण्ड समेत अपने नीचे दबा लिया और लण्ड पूरा चूत में घुसा लिया। चीकू ने पीछे से आकर मेरे चूतड़ों की फ़ांको को चीर कर फिर से छेद में लण्ड घुसेड़ दिया। बण्टी ने फिर से अपना लण्ड मेरे मुख में घुसा डाला।

"आह ... मजा आ गया ... अब चलो, चोद दो मुझे ... लगाओ यार ... पेल डालो !" मुझे मस्ती आने लगी। आज तो तीन तीन लण्ड का मजा आ रहा था। मौसम भी मार रहा था ... बरसात की तेज बौछार ... वासना की आग को और तेज करने लगी थी। बन्टी ने तभी मुँह से लौड़ा निकाला और मेरे चेहरे पर पेशाब करने लगा।

"पी ले दीदी ... पी ले ... मजा आ जायेगा !" मैंने अपना मुँह खोल दिया और पेशाब की तेज पिचकारी आधी मुँह में और आधी चेहरे पर आ रही थी। नमकीन पेशाब मस्त लग रहा था। नीटू और चीकू चोदने लगे थे। जोरदर धक्के मार रहे थे। मैं भी अपनी कमर हिला हिला कर मस्त हुई जा रही थी।

"दीदी कितनी टाईट है आपकी गाण्ड ... मैं तो गया हाय !" और चीकू हांफ़ता हुआ झड़ने लगा। लण्ड बाहर निकाल कर वीर्य को बरसात में धो दिया और मेरी पीठ पर पेशाब करने लगा।

"दीदी मैं भी आया ... " और बण्टी ने भी पिचकारी छोड़ दी।

मैं भी अब अपने दोनों पांव खोल कर बैठ गई।

"आ जाओ मेरे जिगरी ... किस को मेरा पेशाब पीना है और मैंने अपनी पेशाब की धार निकालनी चालू कर दी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। बण्टी तुरन्त मेरे आगे लेट गया और मेरे पेशाब को अपने मुंह में भरने लगा। चीकू को मैंने खींच कर बाल पकड़ कर चूत से चिपका लिया और धार अब उसके होंठों को तर कर रही थी ... गट गट करके दो घूंट वो पी गया ... नीटू जब तक इन दोनों को धक्का देता ... मेरा पेशाब पूरा निकल चुका था। पर उसने छोड़ा नहीं, अपना मुंह मेरी चूत से चिपका कर अन्दर तक चाट लिया। मुझे चीकू ने पास में खींच कर मुझे लेटा लिया ... अब हम चारों एक ही बिस्तर पर आड़े तिरछे लेटे हुये, तेज बरसात की बौछारों का मजा ले रहे थे ... । बहुत ही मजा आ रहा था। बरसात और फिर तीन जवान लण्डो से चुदाई। मन में शांति हो गई थी।

बरसात की बूंदें बोबे पर और उन जवान लौड़ो पर गिर रही थी। ठंडी हवा शरीर को सहलाने लगी थी। इच्छायें फिर जागने लगी। बरसात फिर शरीर में चिन्गारियाँ भरने लगी ... और एक बार और वासना उमड़ पड़ी। सोये हुए शेर फिर जाग उठे ... । उनके तने हुए लण्ड देख कर मैं एक बार फिर तड़प उठी। लाल लाल लौड़ों ने फिर खाई में छ्लांग लगा दी ... और सीत्कारें निकल उठी। इस बार सभी का निशाना मेरी प्यारी गाण्ड थी। एक के बाद एक तीनों लण्डों ने मेरी खूब गाण्ड मारी ... और मैं मजा लूटती रही ...

मेरा मोटा लंड घुसने पर क्या होगा मेरी जान Mera mota lund ghusne par kya hoga meri jaan

मेरा मोटा लंड घुसने पर क्या होगा मेरी जान Mera mota lund ghusne par kya hoga meri jaan, दोस्त की बीवी की चुदाई, नामर्द दोस्त की पत्नी को चोदा, एक महीने बाद भी कुवारी रहने वाली भाभी की चुदाई की कहानी, भाभी को चोदा प्रेग्नेंट करने के लिए, नामर्द पति से पड़ गया पला पूरी जवानी उसके दोस्त ने लूटी, नामर्द पति की चुदासी बीवी, एक नामर्द की बीवी को चोदा, नामर्द दोस्त की हसीन बीबी की चुदाई, अपनी बीवी को दोस्त से चुद्वाकर बाप बना, पति का लंड खड़ा नहीं होता था तो उसके दोस्त के हवाले कर दी अपनी चूत.

बात करीब पाँच साल पहले की है जब हमारे घर के पास एक भैया रहने आये जिनका नाम सुनील और २२ साल के थे। वो अभी शादीशुदा नहीं थे उनकी न तो सेहत थी न लम्बाई ! मैं सोचता कि कौन सी लड़की इनसे शादी करेगी .. ! मैं सोलह साल का होता हुआ भी उनसे अच्छा दीखता था। पर स्वभाव उनका बहुत अच्छा था। हम दोनों जल्दी अच्छे दोस्त बन गए। वो मुझ से हर बात शेयर करने लगे। फिर मैंने उनसे पूछा- आपने कभी किसी लड़की को चोदा है? वो बोले- नहीं ! फिर बात आई गई हो गई। २ साल बाद मुझे पता चला कि उनके घर वालो ने उनके लिए एक लड़की देख ली है, बस भैया को जा कर पसंद करनी है।

वो मुझे भी साथ ले गए। मैं था तो अट्ठारह का पर लग रहा था पूरा नौजवान बीस साल का ....
जब हम लोग लड़की वालों के पहुँचे तो सबने मुझे लड़का समझा।

तो मैंने उन्हें कहा- मैं नहीं, ये हैं जो आपकी लड़की से शादी करना चाहता है !

उन्हें ये पता लगते ही लगा कि वो भैया के साथ अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहते। पर उनकी कुछ मज़बूरी थी जिस कारण वो कुछ नहीं बोल पाए ...... जैसे ही लड़की आई, हम दोनों उ़से ही देखते रहे- क्या तो लग रही थी ! बिल्कुल परी जैसी थी ! मैं तो बार बार उसके स्तनों और गांड को ही देख रहा था। मुझे तो उसी समय उसे चोदने का मन करने लगा पर मैं शांत ही रहा। भैया ने शादी के लिए हाँ कह दी। ४० दिन बाद का मुहूर्त निकला शादी का ...... मैं तो दिन-रात मुस्कान ( भैया की होने वाली बीबी ) के बारे में ही सोचता रहता ...... तब मुझे मूठ मरना नहीं आता था ..... शादी वाला दिन भी आ ही गया। मैंने अपने लिए नए कपड़े लिए तो जिसे देख भैया बोल उठे- आज तो तू ही दूल्हा लग रहा है..! मैं भी हंस दिया।

बारात चलने लगी मैंने बारात में खूब डांस किया .... फिर करीब डेढ़ घंटे बाद हम शादी वाली जगह पहुँच गए .....
शादी में हमने बहुत मस्ती की और भैया की साली जो मेरे बराबर थी के साथ बहुत मजे किये। बहुत बार उसकी गांड और बूब्स को दबा देता पर वो कुछ नहीं बोली... शादी अच्छी तरह हो गई। मुझे तो भाभी और उनकी बहन दोनों को चोदने की इच्छा होने लगी। लेकिन दो महीने बाद मेरे एग्ज़ाम थे तो मैं उनकी तैयारी में लग गया। कभी कभी भैया के घर जाने लगा ..... एग्ज़ाम खत्म होते ही मैं भैया के घर ही दिन भर बिताता ... मुझे भाभी कभी खुश नहीं लगी। मैंने कई बार पूछा, पर वो कुछ नहीं बोली। मैंने भैया को भी बोला कि क्या बात है !

तो भी बोले- कुछ नहीं ! लड़कियों की आदत ही होती है गुमसुम रहने की !

फिर मैंने भी कुछ नहीं कहा ....

२ महीने बाद मैं ऐसे ही रोज की तरह भैया के घर गया .... उनका गेट जो अक्सर बंद ही रहता है, आज खुला था। मैं सीधे अन्दर घुस गया। सामने का नज़ारा देख कर मैं दंग रह गया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। भाभी ब्लू फिल्म देख रही थी जिसमें आदमी लड़की की चूत में अपनी ऊँगली डाल रहा था, भाभी भी अपनी चूत में ऊँगली डाल रही थी ... मैं जाने लगा तो भाभी ने देख लिया और जल्दी से कपड़े ठीक कर बोली- रोहित तुम कब आये?

मैं कुछ नहीं बोला और उनकी चूत की तरफ देखने लगा तो वो बोली- क्या देख रहे हो?

मैं बोला- कुछ नहीं ....!

तो एकदम से बोली- मेरी चूत की तरफ ना !

मैंने कहा- हाँ !

तो बोली- मुझे चोदोगे ?

मैं बोला- क्या????

तो बोली- तुम्हारे भैया तो नामर्द हैं, कभी लंड ही खड़ा नहीं होता। शादी के ९ महीने बाद भी मैं अक्षत-योनि हूँ.....!

मैं बोला- क्या????

वो बोली- प्लीज़ ! मेरी चूत की प्यास मिटाओ !

मैं अटकता अटकता बोला- ठीईई ठीई ठीक है ! चोदता हूँ ! पर भैया को पता चला तो ?

वो बोली- कुछ नहीं बोलेगा वो भैन का लौड़ाऽऽऽ !

मैं मन मन बहुत खुश हुआ, मेरी पहली चुदाई 18 साल की उम्र में ! मज़ा आ जायेगा ...........! फिर मैं भाभी को उठा कर बेड पर ले गया और उनके स्तन ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाने लगा। वो आहें भरने लगी.........अह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह मज़ा आ गया ! तेज़ दबाओ जान्न्न् .......... मैं और तेज़ दबाने लगा, उसके बूब्स को उसकी ब्रा से आजाद कर के दबाने लगा वो और तेज़ आहे भरने लगी.........अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह या आआआअह्ह्ह्ह्ह उह्ह्हुहुहू अहः फिर मैं बूब्स को मुँह में चूमने लगा ........... फिर उनकी साड़ी हटा कर पूरा नंगा करने लगा ....... और उसके बदन पर हाथ फेरने लगा।

वो बोली- जान ! बड़ा मज़ा आ रहा है............

मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया, बस पैंटी नहीं खोली और बोला- मेरा लंड तो बाहर निकालो और तरोताजा करो...........!

तो बोली- अभी निकलती हूँ.....

२ मिनट में मुझे पूरा नंगा कर के मेरे ७.५ इंच के मोटे लंड से खेलने लगी........... मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था..... मैं भी आहें भरने लगा.. मेरे लंड ने एक बार करीब २० मिनट बाद पानी छोड़ दिया.... फिर मैं उसकी चूत को पैंटी हटा कर नंगा करने लगा। क्या तो मस्त चूत थी उसकी ..........छोटे छोटे बाल और गुलाबी रंग की....
मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा तो वो आहें भरने लगी- आ आआ आह्ह ऊऊओह्ह्ह्ह माज्ज़ा आआआ राह्हा है जानी.........

मैं बोला- अभी तो असली मज़ा आना बाकी है मेरी जान ......... 

मैं ऊँगली से उसकी चूत को खोलने लगा....

तो वो चिल्लाई- आह्ह्ह दर्द हो रहा है !

तो मैं बोला- फिर मेरा मोटा लंड घुसने पर क्या होगा मेरी जान.....?

कुछ देर बाद बोली- अब सब्र नहीं होता ! चोदो मेरी चूत को.......

तो मैंने उसे बेड पर लेटा कर धीरे धीरे उसकी अनछुई चूत में लंड डालने लगा। मुझे पता था कि दर्द होगा, सो मैंने आराम से घुसाना जारी रखा....... आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। उसे थोड़ा दर्द हुआ पर इतना नहीं जितना आमतौर पर लड़कियों को पहली चुदाई में होता है। थोड़ी देर बाद मैं स्पीड बढ़ाता गया ..... अब उसे भी मज़ा आ रहा था, बोलने लगी- रोहित जान, और तेज्ज़ फाड़ दे मेरी चूत ...... मैं और तेज़ हो गया और उसकी चूत को मज़े देने लगा.... उसकी चूत को चोदते हुए इतना मज़ा आ रहा था कि मुझे लगा कि मैं हमेशा ऐसे जीवन भर चोदता रहूँ... १५ मिनट बाद वो झड़ गई और बोलने लगी- अब प्लीज़ ! रुक जाओ ! पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं अपनी स्पीड पर उसे चोदता रहा........... दस मिनट बाद मैं भी झड़ गया और सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया.............

वो बोली- जान आज तो मुझे मज़ा आ गया !

मैं बोला- जान ! तुमने मुझे जो मज़ा दिया उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा....

उस दिन हमने करीब ५ बार चुदाई की। अब हम रोज चुदाई करने लगे। मैंने ही उसे बच्चा दिया।

ठण्ड के मौसम में गरमा गर्म चूत की चुदाई का नजारा Shardi aur barsaat me garm jwani ka tadka

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नमस्कार दोस्तों, आज आपका ये दोस्त हाजिर है एक रियल सेक्स कहानी के साथ जो मेरे साथ घटित हुई थी. बात उस दिन की है जब बारिश हो रही थी और मैं भीगता हुआ अपने घर की तरफ़ अपनी बाइक पे जा रहा था। शाम के करीब ५:३० का समय था। अचानक मैने देखा कि मेरी तरफ़ कोई लिफ़्ट के लिये हाथ हिला रहा था, गौर से देखा तो वो २५-३० साल की एक युवती थी। मैने बाइक रोकी। वो मेरे पास आकर पूछने लगी कि आप कहां जा रहे हो?

मैने कहा-आपको कहां जाना है?

वो रेलवे स्टेशन जाना चाहती थी। मैने कहा कि मैं भी वहीं जा रहा हूं (जबकि मैं अपने घर जा रहा था)। वो मेरे पीछे बैठ गई। मैं बाइक को रफ़्तार से दौड़ाने लगा। उसके मोम्मे मेरी पीठ से सटे हुये थे। मैं गरम हो रहा था। बातों बातों में पता चला कि वो जयपुर में जोब करती है, उस का पति दिल्ली में कोई प्राइवेट जोब करता था और वो अपनी बेटी को लेने के लिये जा रही थी जो आज़ ट्रेन से आने वाली थी।

हम रेलवे स्टेशन पहुँच गये थे, ट्रेन आने में अभी थोड़ा टाइम था, हम कैंटीन में चाय पीने चले गये। कैंटीन में उस ने जैसे ही उस ने अपना रेन कोट उतारा तो मुझे उस की जवानी के दर्शन हुये। गज़ब की खूबसूरती थी उस की। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। सफ़ेद रंग के टोप में उस की ब्रा भी चमक रही थी सो उसके मोम्मों के साइज़ का अंदाज़ा लगाना कोई मुश्किल नहीं था। एक दम गोरी चिट्टी थी वो।

चाय पीते हुये मैने उसके हुस्न का नज़ारा लिया और खूब बातें भी की। सर्दी के मौसम में उस की गरम जवानी ने मेरे रोम रोम में गरमी भर दी थी और मेरा लण्ड अपने आपे से बाहर हो रहा था।

तभी ट्रेन भी आ गयी। हमने उस की ५ साल की बेटी को साथ लिया और फ़िर मैने उसे कहा- मैं आपके घर तक छोड़ देता हूं।

उस ने मना किया लेकिन मैं जानना चाहता था कि वो कहां रहती है क्योंकि वो मुझे बता चुकी थी कि वो अकेली ही रहती है। मैने दोनो को बाइक पे बैठाया और उस के घर की तरफ़ चल दिया।

उस का घर आते ही बारिश भी तेज़ हो गयी। उस ने मुझे बारिश रुकने तक रुकने के लिये कहा और मैं भी तो यहि चाहता था। मैं पूरी तरह भीग चुका था। उसने कॉफी बनायी और चेंज कर के जब वो मेरे सामने आयी तो ब्लैक सिल्की नाइटी में वो कॉफी से भी ज़्यादा गरम लग रही थी। दिल कर रहा था कि अभी चोद डालूँ साली को।

सफ़र की वजह से उसकी बेटी आते ही सो गयी थी, बारिश रुकने का नाम नही ले रही थी। तभी लाइट भी चली गयी। वो केंडिल लेने के लिये उठी, मैं भी उसकी मदद करने लगा लेकिन केंडिल नहीं मिली। अंधेरे में वो मुझ पर गिर गयी। वाह क्या गरमी थी। उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया और छोड़ा ही नहीं, पहले उसने विरोध किया लेकिन वो भी शायद कई दिनो की प्यासी थी तो उसने भी ज़्यादा कोशिश नहीं की।

मैने उसके मोम्मे दबाने शुरु कर दिये, वो गरम हो रही थी। मैने धीरे धीरे अपना एक हाथ उसकी नाइटी उठाते हुये उसकी पैंटी में डाल दिया। वो सिहर उठी। मैने अपना मुँह उस की चूत के पास लाके उस की पैंटी को अलग कर दिया।

उसकी बालों वाली चूत एकदम सेक्सी थी। मैने उसमें अँगुली करनी शुरु कर दी। वो आआआअह कर रही थी। मस्ती उफ़ान पे थी। मेरे दोनो हाथ उसके मोम्मों पे थे। वो आंखें बंद करके मेरा साथ दे रही थी।

जब उस से रहा नहीं गया तो उसने कहा- प्लीज़ अब चोद भी दो, मैं बहुत दिन से प्यासी हूं।

मैने अपनी पैंट उतार दी। मेरा लण्ड देखते ही वो खुश हो गयी। मैने उसकी दोनो टांगों को खोला और फ़िर अपना अंडरवियर।

अपना लण्ड एक ही झटके में उस की चूत में डाल दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वो ऊऊऊउह की आवाज़ में मज़ा ले रही थी। अब कमरे में उस की आहें और फ़चाक फ़चाक की आवाज़ें गूंज रही थी।

वो बोली- और ज़ोर से चोदो मुझे, फ़ाड़ डालो मेरी चूत को। यो साली बड़े दिन से लण्ड की भूखी है। आज इस की भूख और मेरी प्यास बुझा दो। चोदो चोदो और ज़ोर से चोदो मुझे।

उसके बोलने के साथ ही मेरी स्पीड भी बढ़ रही थी। ये सिलसिला करीब २५ मिनट चला फ़िर हम दोनो शांत होकर एक दूसरे से लिपट के लेटे रहे।

१० मिनट बाद वो उठी और मेरे लण्ड को अपने हाथ में ले लिया। उसने बड़े प्यार से मेरे लण्ड को कहा- यू आर सो स्वीट और अपने मुँह में डाल लिया। वो लण्ड को ऐसे चूस रही थी कि मानो लोलीपोप चूस रही हो।

मेरा लण्ड दोबारा से चुदाई के लिये तैयार हो गया था। १५ मिनट के बाद मैने उसे घोड़ी बनाया और फ़िर पीछे से उसकी गांड में अपना लण्ड डाल दिया। वो चुद रही थी, मैं चोद रहा था। ये चुदाई सारी रात में ६ बार हुई।

बारिश भी तभी रुकी जब सुबह हुई और उसकी प्यास मैने बुझा दी।

उसके बाद जब भी वो या मैं चाहते तो मिलकर ये चुदाई का खेल खेलते हैं।

शराबी दोस्त की प्यासी बीवी की रोज चूत की चुदाई Sharabi dost ki pyasi biwi ki har roj chut ki chudai

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मैं एक किराये के मकान में रहता था और इस घर में सिर्फ २ रूम थे, एक कमरा मेरे पास था और दुसरे में एक नया किरायेदार था. वो लोग हस्बैंड-वाइफ थे और उनका ३-४ साल का एक बच्चा भी था. भाभी पटाखा तो नहीं थी. लेकिन उसका फिगर बड़ा सही था. उसके बदन को देख कर कोई भी उसका कायल हो सकता था.मेरी उन से जानपहचान हुई और सब कुछ नार्मल चल रहा था. मैने उन्हें भैया-भाभी कह के ही बुलाया करता था. मैं होटल में ही डिनर करता था और घर आके सो जाता था. सैटरडे को मैं डिनर साथ में ही लेकर आता और साथ में कुछ दारु. सैटरडे मैं अपने घर में ही खा-पी के पार्टी कर लेता था.

उस सैटरडे को भी मैं कमरे में दारु पी रहा था, तभी भैया कमरे में दाखिल हुए और मुझसे पूछा, क्यों भाई क्या चल रहा है? मैने हडबडाकर बोतल छुपाई और वो बोले – यार क्या कर रहे हो, अकेले-अकेले पी रहे हो? मुझे भी डालो. मैने कहा – भाभी देख लेंगी, तो डाटेंगी और आप मेरा भी पीना बंद करवा दोगे. वो बोले – चिंता मत करो. तुम दारू डालो, मैं अभी आता हु.वो थोड़ी देर में पापड़ के साथ आये और बोले मैं तुम्हारी भाभी को बताकर आया हु. थोड़ी देर बाद भाभी जी पकोड़े लेकर आ गयी. वो समय नाईटइ पहने हुए थी. हम दोनों बातें करने लगे और कुछ देर में ही दारु का नशा होने लगा. बहुत दिनों से चूत मारने का मन था और उनको देखते ही, मेरा लंड एक दम खड़ा हो गया. लेकिन, मैं चुपचाप ही बैठा रहा. मैने दो पेग मारे, तब तक भैया तीन पेग खीच गए थे. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। उनकी आवाज़ लड़खड़ाने लगी थी. फिर उन्होंने अपने लिए एक पेग और बना लिया और जब मैने मना किया, तो बोले – पीने दे यार, आज काफी दिनों बाद पी रहा हु. 

रात के ११ बज रहे थे. तभी भाभी जी खाना लेकर आई. उन्होंने उनकी हालत देखि और बोली – इसलिए, मैं इन्हें मना करती हु. थोड़ी सी ही पीने के लुड़क जाते है. प्लीज आप इन्हें मेरे रूम में लिटा दीजिये. मैने एक तरफ हाथ डालकर भैया को उठाया और दूसरी तरफ से भाभी जी ने और हम उनको उनके रूम में ले गये. बेड पर लिटाया और लिटाते समय मेरा हाथ भाभी जी के चूतडो पर रखा गया, तो मैने उन्हें सॉरी बोला. वो बोली – कोई बात नहीं. मैं अपने रूम में आ गया और खाना खा लिया और उनके नाम की मुठ मारकर सो गया. अगले दिन, सन्डे को भी भैया आ गये. मैने उनको मना किया, तो वो बोले – पिलाओ ना यार, औरतो की तो आदत होती है ज्यादा बोलने की. मैं चुप हो गया.

थोड़ी देर में भाभी जी आ गयी और मैने उन्हें बता दिया. उन्होंने बोला – मानते तो है नहीं, लेकिन कम पिलाना. आज भी सेम केस हुआ. चार पेग के बाद, भैया फिर से होश में नहीं थे. भाभी जी ने फिर से मुझे बोला, रूम में भैया को पहुचने के लिए. रास्ते में एक दो बार, मेरा हाथ उनके बूब्स से टकराया, तो पता चला कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी है. फिर भैया को बेड पर लिटाते हुए, मैने जानबूझकर मेरा हाथ उनकी चूतड़ पर रख दिया और हडबडाते हुए, उन्हें पकड़ लिया, जैसे कि ऐसा ना लगे कि मैने ये जानबूझकर किया है. भाभी कुछ नहीं बोली. हाथ बटक्स पर रखने से पता चला, कि उन्होंने पेंटी भी नहीं पहनी है. फिर भाभी बोली – चलो खाना खाते है. हमने साथ में खाना खाया. ऐसा करीब दो महीने तक चला. मैं कभी बूब्स पर हाथ फेरता और कभी चूतड़ पर हाथ फेरता और अपने कमरे में आकर मुठ मारकर सो जाता. 

ऐसा ही एक सैटरडे को मैने आगे बड़ने का प्लान बनाया.आज मैने शुरू से ही भैया के पेग बड़े बनाये और चार पेग के बाद वो बेहोश से हो गये. रात में, भाभी जी उन्हें लेने ले लिए आई, तो मैने एक साइड से पकड़ा और भाभी ने दूसरी साइड से पर इस तरह वो जा नहीं पा रहे थे. तो मैने भाभी जी को बोला, कि मैं पीछे से पकड़ता हु और आप आगे से पकड़ो. मैने भैया को बगलों में हाथ डालकर उनको उठाया हुआ था और भाभी ने आगे से पकड़कर, तो मेरे हाथ उनके बूब्स पर लग रहे थे. वो ब्रा नहीं पहनी थी. वो कुछ नहीं बोल रही थी. उनके रूम तक पहुचने तक भाभी के निप्प्ल खड़े हो गये थे. अब जब भैया को बेड पर लिटाया, तो मैने जानबूझकर भैया को हल्का सा भाभी के ऊपर छोड़ दिया और भाभी नीचे उनके उपर भैया और उनके ऊपर मैं गिर पड़े. मेरे हाथ भाभी के बूब्स पर थे. मैने उपर उठने की ट्राई की और इस बहाने से उनके बूब्स को दो-तीन बार दबाया. फिर, मैं उपर उठ गया और साइड से हाथ भैया के बूब्स पर ले जाकर भैया को उठाया. इस बार, मैने दोनों बूब्स पर हाथ रगड़ दिए. भाभी कुछ नहीं बोली.

फिर, मैने नीचे हाथ उनकी चूत के ऊपर रगड़े. भैया के पैर भी उनके उपर से हटाये. तब भाभी ने चैन की साँस ली और वो भी उठ गयी और फिर भैया के कपडे उतारने लगी, जिसमे मैं उनकी हेल्प करने लगा. उनकी हेल्प करते हुए, मैं कभी अपने लंड को उनकी गांड पर रगड़ देता और कभी उनके बूब्स पर हाथ रखकर उनको दबा देता. वो भी इसका बुरा नहीं मान रही थी. मैने सोचा, कि जब इतने मैं कुछ नहीं बोल रही है, तो आगे भी कुछ नहीं बोलेगी. ये सोचकर मैने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनको धक्का मार दिया और उनके ऊपर गिर गया. वो मेरे नीचे उलटी थी और मैं उनके ऊपर था. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मेरा खड़ा लंड उनकी गांड में फस हुआ था. 

मैने उनको उठाने के बहाने और खुद उठने के बहाने उनकी नाईटइ उनके चूतड़ तक उठा दी. वो फिर से भैया के कपडे उतारने में लगी हुई थी और ऐसा कर रही थी, कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो. मैने फटाफट अपना लंड निकाला और उनके पीछे आ गया और उनकी हेल्प करने के बहाने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर रख दिया. वो थोड़ा आगे पीछे हो रही थी. तो मैने उनको पकड़ लिया और लंड को उनकी चूत में डाल दिया. वो चुपचाप भैया के कपड़े बदल रही थी.मैने पूरा लंड अन्दर घुसा दिया और वो कुछ नहीं बोली. फिर मैने उनकी चुदाई उसी घोड़े वाली पोजीशन में शुरू कर दी. और कुछ देर चोदने के बाद अपना माल उनकी चूत में निकाल दिया. और वापस अपने रूम में आ गया. थोड़ी देर बाद, भाभी खाना लेकर आई और हम दोनों ने चुपचाप खाना खाया.

इतनी आग लगी की यार के घर जाकर चूत चुदवाई Itni aag lagi ki yaar ke ghar jakar chut chudwayi

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दोस्तों, मेरा नाम पीहू शर्मा है और मेरे Sex बॉयफ्रेंड का नाम कार्तिक है. Story दोस्तों मेरे फिगर का साईज 40-32-36 है और मेरा रंग बहुत गोरा, गोल चेहरा, बड़ी बड़ी आखें, गदराया हुआ बदन और में दिखने में कुछ ज्यादा अच्छी लगती हूँ. दोस्तों वैसे तो मुझे अपने मुहं से यह बात कभी नहीं कहनी चाहिए क्योंकि अपने मुहं अपनी तारीफ करना अच्छा नहीं होता, लेकिन में क्या करूं में हूँ ही एकदम सेक्सी माल? क्योंकि जबलपुर के 90% लड़के मुझ पर मरते है और मुझे लाईन मारते रहते है.

मेरे बॉयफ्रेंड के लंड का साईज 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है. दोस्तों मेरा बॉयफ्रेंड भी दिखने के साथ साथ चुदाई भी बहुत अच्छी तरह से करता है और वो जिस लड़की को एक बार चोदे वो लड़की उससे आराम से संतुष्ट हो जाती है, लेकिन में अब क्या करूं वो मेरा इतना बड़ा दीवाना है कि वो मेरे अलावा किसी को चोदना तो दूर की बात वो किसी लड़की को छेड़ता भी नहीं है, लेकिन हाँ मुझसे पहले उसकी एक गर्लफ्रेंड थी जिसे वो कई बार चोदता था और उसने मुझे बताया था कि उसने अपनी गर्लफ्रेंड को चोद चोदकर अपने लंड का गुलाम बना लिया था और अब वो उससे जैसा भी कहता है वो बीना ना करे वो काम करती है, लेकिन वो अब मुझसे कई बार मेरी चुदाई करते समय कहता है कि जितना मज़ा मुझे तुम्हे चोदने में आता है उतना किसी और को चोदने में नहीं आता क्योंकि में भी हर चुदाई में उसका पूरा पूरा साथ देती हूँ और उसके साथ साथ सेक्स का पूरा मज़ा लेती हूँ.

दोस्तों आज में आप सभी को अपने बॉयफ्रेंड के साथ अपने एक सबसे अच्छी चुदाई की बात बताने जा रही हूँ जिसको में आज तक नहीं भुला सकी, दोस्तों मैंने इसको आप सभी तक पहुँचाने में बहुत हिम्मत और बहुत मेहनत भी की है और में उम्मीद करती हूँ कि इसको पढ़कर आप सभी को मज़ा जरुर आएगा क्योंकि मैंने इससे पहले बहुत सारी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी भी है और मैंने उसी तरह हर एक पोजीशन में अपनी चुदाई भी करवाई है और अब में आप सभी का ज्यादा समय खराब ना करते हुए अपनी आज की कहानी आप सभी को पूरी विस्तार से सुनाती हूँ.

दोस्तों यह बात आज से दो साल पहले की है जब में 10th क्लास में थी और सतना के एक प्राईवेट हॉस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई कर रही थी. दोस्तों मेरा बॉयफ्रेंड मुझसे दो साल बड़ा है और में जबलपुर की रहने वाली हूँ और जब में हॉस्टल में रहती थी तो उस समय में उस जगह पर बिल्कुल नई थी और में पहली बार अपने घर और घर वालों से दूर रहने लगी मेरा वहां पर कुछ महीने गुजर जाने के बाद मन लगने लगा वरना में बहुत समय तक अपने आप को बहुत अकेला महसूस करती थी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। में बहुत सीधीसाधी लड़की थी क्योंकि उस समय मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था. तो मेरे वहां पर रहने के बाद कुछ लड़के मुझे छेड़ने लगे और कार्तिक भी उन्ही लड़को का दोस्त था तो उसने उन्हे मेरे साथ ऐसा करने से साफ मना किया और मुझे उसका स्वभाव बहुत अच्छा लगा जिसकी वजह से में उसकी तरफ कुछ ज्यादा आकर्षित होने लगी और फिर धीरे धीरे हमारी बातें शुरू हो गयी.

फिर एक दिन उसने मेरा मूड अच्छा देखकर बहुत धीरे से मुझसे अपने प्यार का इजहार कर दिया और में भी अब उसे मन ही मन चाहने लगी थी फिर मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे तुरंत हाँ कर दिया और अब मुझे वो बहुत अच्छा लगने लगा था. फिर हम पहली बार मिले, लेकिन जब हम बाहर मिले तो सिर्फ़ उसने मुझे हाथ पर पहला किस किया, लेकिन हम दोनों उस हमारी मुलाकात से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हुए.

अब अगली बार हम लोगो ने निर्णय लिया कि इस बार हम स्मूच और हग ज़रूर करेंगे और इस बार वो अपने एक दोस्त को कार में अपने साथ लेकर आया था. उसका दोस्त कार चला रहा था और अब हम दोनों पीछे बैठे हुए थे और अब मैंने हमने मेरा स्टोल पर्दे के तरीके से बीच में बाँध दिया ताकि उसका दोस्त हमे देख ना पाए और अब उसने मुझे किस करना शुरू किया, सबसे पहले उसने मुझे गाल पर, फिर गले पर और धीरे से उसने अपने होंठो को मेरे होंठो पर रख दिए तब हमारी बस किस शुरू हो गई थी और जब हम कुछ देर बाद अलग हुए तो मैंने उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया.

उसे लगा कि में तैयार हो गई हूँ इसलिए वो यह समझकर मुझे फिर से स्मूच करने लगा, लेकिन दोस्तों माशाअल्लाह क्या स्मूच करता है वो. मुझे तो उसके साथ मज़ा आ गया. अब उसने अपना एक हाथ मेरे टॉप के नीचे से डाला और मेरे बड़े ही मुलायम बूब्स पर रख दिया और फिर वो धीरे से मेरे बूब्स को दबाने लगा, लेकिन उसका हाथ अब तक मेरी ब्रा के ऊपर था और वो मज़े ले रहा था, लेकिन अब हमे समय बहुत हो चुका था और मुझे आगे का काम अधुरा छोड़कर अपने हॉस्टल जाना पड़ा और उसने मुझे मेरे हॉस्टल के कुछ दूरी तक अपनी कार से छोड़ दिया और में उससे बाय कहकर चली गई.

एक दिन उसके घर पर कोई नहीं था और उसके सभी घर वाले किसी काम से बाहर गए हुए थे और वो अपने घर पर बिल्कुल अकेला था और फिर उसने मुझे उसके घर बुलाया तो में अपने हॉस्टल से एक अच्छा सा बहाना बनाकर छुट्टी लेकर उसके घर पर चली गई और उस दिन मैंने बिना बाह का एक गहरे गले का बिल्कुल टाईट टॉप पहना हुआ था और एक बहुत अच्छी स्टाल की टाईट जींस पहनी हुई थी. में उनमे बहुत सेक्सी दिख रही थी.

फिर जब में उसके घर पर पहुंची तो उसने मेरे एक बार घंटी बजाते ही तुरंत दरवाजा खोल दिया और जैसे वो मेरा इंतजार कर रहा था या फिर उसको मेरे बदन की खुशबू आ गई और मैंने अंदर जाकर देखा कि उसने पूरे घर में बिल्कुल अंधेरा कर रखा था और लेपटॉप में हमारी पसंद के गाने चल रहे थे और उसके रूम में दो मोमबत्तियां जल रही थी. तभी अचानक से उसने मेरा एक हाथ पकड़ा और मुझे अपने रूम में ले गया और जब मैंने उससे पीने को पानी माँगा तो उसने मुझे पानी लाकर पिलाया. और फिर ग्लास को एक तरफ रखकर वो मेरे कान में बोला कि आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो, क्या में आज तुमको चोद सकता हूँ.

में उसके मुहं से यह बात सुनकर शरमा गई और उसने मुझे बहुत बहुत जमकर हग किया और लिप लॉक किया. फिर वो मुझे अपनी गोद में उठाकर बेड की तरफ ले गया और उसने मुझे बेड पर लेटा दिया. फिर वो मेरे ऊपर आ गया और तेज तेज स्मूच करने लगा. में उसके बाल पकड़कर उसका पूरा पूरा साथ देने लगी. फिर उसने मेरी गर्दन पर, गाल पर, सर पर, आखों पर, किस किया और अब उसने मेरा टॉप उतार दिया और पेट पर किस किया. उसका एक हाथ अब मेरे बूब्स पर था और वो बोला कि वाउ यार यह मुझे बहुत अच्छे लगे. फिर उसने मेरी ब्रा को उतार दिया और दूर फेंक दिया और अब वो मेरे बूब्स को बहुत ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और में मोन करने लगी आउम्म उह्ह्ह्ह अहह्ह्ह बेबी थोड़ा धीरे अह्ह्ह्ह की आवाज़ निकाल रही थी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर वो मेरे बूब्स के निप्पल अपने मुहं में लेकर चूसने लगा और अपने एक हाथ से मेरे दूसरे बूब्स को दबाने लगा. वो दोनों बूब्स के साथ एक एक करके ऐसा बहुत देर तक करता रहा और में उसके बालों को पकड़कर उसके सर को अपनी छाती पर दबाते हुए उससे बोली कि हाँ अह्ह्ह्हह उह्ह्हह्ह बेबी खा जाओ इन्हे यह आपके ही है उम्म मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और तेज जानू, चूस लो पी लो इनका सारा दूध और अब उसे ऐसा करने से भी बहुत मज़ा आने लगा था और करीब बीस मिनट तक वो लगातार मेरे बूब्स को कभी चूसता तो कभी दबाता रहा. उसने मेरे दोनों बूब्स को एकदम लाल कर दिया था.

फिर वो उठकर खड़ा हुआ और उसने मेरी पेंट को खोल दिया और उसने मेरे कपड़े खोलने के ठीक बाद तुरंत अपना भी लोवर उतार दिया. उसका लंड तनकर खड़ा था और उसका ठीक ठीक आकार बाहर से ही उसे समझ आ गया और वो देखकर एकदम दंग रह गई और फिर वो मुझे बोली कि यह तो कितना लंबा और मोटा है यह अंदर कैसे जाएगा? तो में उससे बोला कि तुम बस अब देखती जाओ यह कितने आराम से फिसलता हुआ तुम्हारे अंदर जाएगा कि तुम्हे दर्द का अंदाजा भी नहीं होगा.

फिर उसने अपनी अंडरवियर और मेरी पेंटी को भी उतार दिया और जब मैंने उसके लंड को पहली बार अपनी आखों के सामने देखा तो में मन ही मन बहुत डर गई और सोचने लगी कि आज मेरी चूत जरुर इस लंड से चुदने के बाद किसी लंड का सपना देखना भूल जाएगी और फिर मैंने सोचा कि अब जो भी होगा देखा जाएगा, सब कुछ में भगवान के ऊपर छोड़कर उससे चुदने के लिए तैयार हो गई, लेकिन अब भी मेरे मन में थोड़ा थोड़ा डर जरुर था, लेकिन में सेक्स में आगे बढ़कर उसे भूलने की कोशिश करने लगी.

अब मैंने उसकी शर्ट को खोल दिया और हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे से चिपके हुए थे और कुछ देर बाद वो मेरी चूत चाटने लगा और मुझे उसकी गरम जीभ से अपनी चूत को साफ करवाने और उससे चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि यह सब मेरे साथ आज पहली बार हो रहा था और में भी उस सेक्स का पूरा पूरा मज़ा उसके साथ ले रही थी. फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने मोटे, लम्बे, गरम लंड पर रख दिया मैंने उसे छूकर महसूस किया कि उसका लंड बिल्कुल रबर की तरह मुलायम है और बहुत मोटा था. उसको अपने हाथ में लेकर उसके सही सही आकार और ताकत का अंदाजा लगा लिया था. उसके बाद मुझे मन ही मन पता चल गया था कि आज मुझे इस लंड से चुदाई करवाने में दर्द के साथ साथ मज़ा भी बहुत आएगा.

फिर हम 69 की पोज़िशन में आ गये और वो मेरी चूत को पागलों की तरह चूस रहा था और चाट रहा था. में भी उसका लंड अपने मुहं में लेकर किसी भूकी शेरनी की तरह टूट पड़ी और 15 मिनट तक हम लगातार एक दूसरे के लंड और चूत को पागलों की तरह चूस रहे थे, लेकिन तभी में झड़ गई और उसने मेरी चूत का पूरा पानी पी लिया और मेरी चूत को बहुत अच्छी तरह अपनी जीभ से चाट चाटकर बिल्कुल पहले से भी ज्यादा चमका दिया था और फिर थोड़ी देर के बाद वो भी झड़ गया और में उसके लंड से निकला गरम गरम लावा पूरा गटक गई और मैंने भी उसके लंड को चाटकर साफ कर दिया. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर हम दोनों कुछ देर एकदम सीधे लट गए वो अपने एक हाथ से कभी मेरे बूब्स को सहलाता तो कभी मेरी चूत में अपनी एक ऊँगली को अंदर बाहर करता, जिसकी वजह से में बहुत ही कम समय में एक बार फिर से गरम हो गई. अब में उससे बोली कि प्लीज मुझे अब और मत तरसाओ, प्लीज अब डाल भी दो इसे मेरे अंदर, में बहुत तड़प रही हूँ आपसे चुदवाने के लिए. वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर तुरंत उठा और मेरे ऊपर आ गया और फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुहं पर सेट किया और एक ज़ोर का झटका लगाया. जिसकी वजह से उसका लंड मेरी प्यारी सी चूत में दो इंच अंदर जा चुका था और मेरे मुहं से एकदम ज़ोर से चीखने की आवाज बार निकली.

फिर दूसरे झटके के बाद उसका पूरा का पूरा लंड मेरी अब तक वर्जिन चूत के अंदर चला गया, जिसकी वजह से मुझे बहुत बहुत दर्द हो रहा था और मेरी चूत में अंदर की तरफ मुझे कुछ जलने घिसने जैसी जलन महसूस हो रही थी, क्योंकि वो सब मेरा होना भी था, क्योंकि उसके लंड की मोटाई और लम्बाई कुछ ज्यादा ही थी और उस लंड ने मेरी चूत को बिल्कुल आखिर तक धक्के दे देकर उसमे दर्द पैदा कर दिया था, जिसको अब सहना मेरे लिए बहुत मुश्किल था और ज़ोर ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी और उससे लंड को बाहर निकालने के लिए कहने लगी.

अब उसने मुझे बिना सुने स्मूच करना शुरू कर दिया और अब वो एक के बाद एक लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा और में अपने चीखने की आवाज को अपने अंदर दबाकर रोती रही और उस असहनीए दर्द से तड़पती रही, लेकिन उसके कुछ देर बाद मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था और में अब उसके लंड को अपनी चूत में अंदर तक लेने लगी और अब में अपने चूतड़ को उठा उठाकर उस लंड को पूरा अंदर लेने की कोशिश करने लगी और उसका पूरा पूरा साथ देने लगी और उसके लंड को करीब दस मिनट तक झेलने के बाद हम दोनों एक एक करके झड़ गये और उसने पूरा वीर्य मेरी चूत के अंदर डाल दिया.

फिर वो करीब 10-15 मिनट तक मेरे ऊपर थककर लेटा रहा और फिर हम उठकर तैयार हो गए और वो मेरे लिए कॉफी बनाकर लाया तो हमने साथ बैठकर कॉफी पी और ढेर सारी बातें की. फिर में अपने हॉस्टल में वापस चली गई और उसने मुझे अपनी कार से वहां तक छोड़ दिया. दोस्तों में उससे अभी तक करीब 40-45 बार चुद चुकी हूँ और करीब 10-15 बार वो मेरी गांड भी मार चुका है. मैंने उसके लंड से चुदकर बहुत मज़े किए और उसने मुझे पहली बार में ही अपने लंड से अपनी चुदाई करवाने के लिए मजबूर कर दिया था. में उसकी चुदाई से बहुत खुश थी क्योंकि वो बहुत लंबे समय तक बहुत आराम आराम से चोदकर मुझे हर बार संतुष्ट करता था. दोस्तों यह थी मेरी सबसे पहली चुदाई की कहानी और उसके बाद मैंने उसके साथ बहुत बार सेक्स किया और बहुत मज़े किए.

उसकी लम्बी काली झान्ठों में खो गया मेरा लंड Uski lambi kali jhanthon me kho gayaa mera lund

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम राज है और में भोपाल का रहने वाला हूँ, लेकिन में अभी बंगलोर में एक प्राईवेट कम्पनी में नौकरी करता हूँ. मेरी उम्र 30 साल, कद 6.2 है. दोस्तों यह कहानी जो में आज आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ यह बिल्कुल सच्ची है और यह तब की है जब में 12th में पढ़ता था. उस समय मेरी उम्र 18 साल के करीब रही होगी.

दोस्तों हमारा और मेरी बुआ का घर एक ही कॉलोनी में था. उस समय बुआ की उम्र करीब 22 साल होगी और बुआ का एक छोटा भाई और मम्मी, पापा उनके साथ में रहते थे और मेरा बुआ के घर पर बहुत आना जाना लगा रहता था और में हर दिन स्कूल से आकर सीधा बुआ के घर पर ही चला जाता था और फिर खाना भी वहीं पर ख़ाता था. दोस्तों उस समय बुआ के घर में खाना बनाना के लिए मिटटी का चूल्हा था और उन्हें उस चूल्‍हे में आग लगाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और बुआ का रोज का यही काम था. वो आग जलाने के लिए बहुत परेशान रहती थी.

दोस्तों बुआ हर दिन सूखी लकड़ियाँ लेकर आती फिर बैठकर उस लकड़ी के छोटे छोटे टुकड़े करती और फिर चूल्‍हे में रखकर उसमें आग लगाने की कोशिश किया करती थी. में इन सब कामों में अपनी बुआ की मदद करने पहुंच जाता था. दोस्तों पूछिए ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि आग जलाते समय बुआ अपनी चुन्नी को अपने जिस्म से हटाकर दूर फेंक देती थी और चूल्‍हे की आग को जलाने के लिए नीचे झुककर बहुत देर तक चूल्‍हे में हवा करनी पड़ती है और मुझे वहाँ जो नज़ारा देखने को मिलता था वो आप लोग अच्छी तरह से समझ सकते है.

बुआ जैसे ही नीचे झुकती तो बुआ के बड़े बड़े बूब्स उनके कपड़े फाड़कर बाहर आने को तैयार रहते थे और मेरा मन करता कि पास जाकर बुआ के दोनों बूब्स को मसल दूँ और मुहं में डालकर चूस चूसकर नीबूं बना दूँ, लेकिन मेरी ऐसी किस्मत कहाँ? में बस मन ही मन में वो जन्नत का नज़ारा लिए बुआ के बाथरूम में तुरंत जाकर मुठ मार लेता था. फिर एक दिन की बात है. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। बुआ के उस समय एग्जाम थे और में बुआ के घर पर पहुंचा और एक बार फिर से वही आग देखने के लिए तो मुझे पता चला कि बुआ अगले बीस दिन तक खाना नहीं बनाएगी. यह बात सुनकर में बहुत उदास हुआ और तुरंत बाहर का रास्ता पकड़ा और बाहर जाने लगा.

तभी मुझे पीठ पीछे से एक मधुर सी आवाज़ सुनाई दी, क्यों क्या आज तुझे देखना नहीं है? दोस्तों मुझे तो यह बात सुनकर जैसे करंट का झटका सा लग गया था. मैंने जब पीछे पलटकर देखा तो बुआ मुझे देखकर ज़ोर ज़ोर से हंस रही थी और उसने मुझे अपनी बड़ी निगाहों से अपनी तरफ बुला लिया. में भी तुरंत भंवरे की तरह उसकी तरफ खींचा हुआ चल दिया और मन ही मन सोचने लगा कि जैसे आज तो शायद मेरी लॉटरी ही लग गई, लेकिन में जैसे ही बुआ के पास गया तो उसने मेरे साथ ऐसा व्यहवार किया जैसे उसने मुझसे कुछ कहा ही नहीं और कुछ देर खड़े रहने के बाद मुझे अपने गले से लगा लिया और अपने दूध से चिपका लिया. दोस्तों अब मेरा चेहरा बिल्कुल बुआ के दोनों दूध के बीच में ज़ोर से दबा हुआ था और में उसी में खुश था और जन्नत का आनन्द ले रहा था.

मैंने अपना चेहरा पूरी तरह से बुआ के दूध में घुसा दिया था और बुआ को कमर से कसकर पकड़ कर रखा था. बुआ बस मेरे बाल सहला रही थी और धीरे धीरे मेरा चेहरा अपने दूध पर दबा रही थी, लेकिन ऐसे जैसे उसको कुछ पता ही ना हो कि क्या हो रहा है? मुझे मेरे चेहरे पर बुआ की ब्रा का एहसास हो रहा था और बुआ के निप्पल कभी मेरी आँख में तो कभी मेरी गालों पर चुभ रहे थे और में फिर जन्नत में था. मुझे बस ऐसा लग रहा था कि में बुआ को गोद में उठा लूँ और उनका पूरा कुर्ता फाड़कर पूरे दूध अपने मुहं में डालकर खा जाऊँ, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था क्योंकि यह सब काम करीब 10-15 मिनट तक चलता रहा और थोड़ी देर में बुआ के भाई की आवाज़ आने पर में अपने घर चला गया और फिर से वहीं अपने हाथ जगन्नाथ.

दूसरे दिन में फिर से बुआ के घर पर पहुंचा. मैंने बहुत देर तक दरवाजा खटखटाया, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो में उदास होकर जाने लगा, लेकिन तभी बुआ की आवाज़ आई कौन है? तो मैंने तुरंत खुश होकर जवाब दिया और फिर बुआ ने दरवाजा खोल दिया. दोस्तों उस समय बुआ अपने बूब्स के ऊपर केवल टावल लपेटकर सीधा बाथरूम से बाहर आई थी. शायद वो नहाने जा रही थी, लेकिन मेरी वजह से बीच में ही बाहर आ गई थी और अब उनका गोरा बदन मुझे उनकी तरफ आकर्षित कर रहा था. तो में अंदर आ गया और मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. बुआ नहाने बाथरूम में चली गयी और में टीवी देखने लगा और थोड़ी देर में मेरा मन सोचने लगा कि मुझे बाथरूम में झाँकने का मौका मिल जाए तो मुझे मज़ा आ जाएगा.

मैंने उठकर एक कोशिश की और मुझे दरवाजे पर अंदर झाँकने के लिए बहुत सारे छेद मिल गये. अब में वहीं पर खड़ा होकर बुआ के गोरे बदन को निहारने लगा. वाह क्या चीज़ थी मुझे मज़ा आ गया, तने हुए बूब्स, चाटने लायक चमड़ी, मखमली बदन, करारी गांड और बड़े बड़े झांट के बाल और ऊपर से वो पानी मेरे लंड में आग लगा रहा था. अब में वहीं पर बाथरूम के बाहर बुआ को नहाते हुए देखकर मुठ मारने लगा और पांच मिनट के बाद खड़े खड़े पैरों में दर्द होने लगा तो में थोड़ा आराम करने के लिए दरवाजे का सहारा लेकर नीचे बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से मुठ मारने लगा और करीब दस सेकण्ड के बाद बाथरूम का दरवाजा अंदर की तरफ खुल गया और में अपनी नंगी बुआ के सामने अपना लंड पकड़कर नीचे बैठा हुआ था और अब में तो शरम के मारे बुआ से आँख भी नहीं मिला पा रहा था.

मैंने तुरंत वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन बुआ ने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया. मुझे लगा कि आज तो में काम से गया, लेकिन उसके बाद जो मुझे उनके मुहं से सुनाई दिया उस पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने मुझसे कहा कि क्यों चोदोगे मुझे? मैंने बिना कुछ सोचे समझे और बिना कुछ बोले बुआ के दोनों बूब्स पकड़ लिया और बाथरूम के अंदर बुआ के बूब्स से रस चूसने लगा और एक हाथ से बूब्स को ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था और दूसरे हाथ से दूसरे बूब्स को पकड़कर ज़ोर से दबाकर चूस रहा था. बुआ भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और सिसकियाँ भर रही थी उउम्म्मह आह्ह्हहह आईईईईई और मुझे ज़ोर से अपनी तरफ दबा रही थी. में तो पागल हो गया था और कुत्ते की तरह बूब्स को चूस रहा था. फिर मैंने अचानक से बुआ की चूत में अपनी एक उंगली डाल दी और फिर बुआ के मुहं से एक जोरदार चीखने की आवाज़ बाहर आई. अब वो एकदम से पूरे जोश में आकर मुझसे कहने लगी कि प्लीज अब जल्दी से चोद दो मुझे आईईईई और मत तरसाओ.

दोस्तों मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था और मैंने बुआ को तुरंत ज़मीन पर लेटा दिया और उनके दोनों पैर फैला दिये. अब में बूब्स को चूसते चूसते नीचे की तरफ आया और बूब्स के नीचे वाला हिस्सा चूसने लगा. बुआ लगातार सिसकियाँ भर रही थी और उसकी अब साँसें बहुत तेज हो गयी थी. में फिर से पेट की तरफ आया और पूरे पेट पर अपनी जीभ घुमाने लगा.

फिर नाभि के चारों तरफ जीभ घुमाई तो मैंने महसूस किया कि बुआ की साँसे और तेज हो गयी और फिर में पेट के कोने में चूसने लगा और अब बुआ बहुत गरम हो चुकी थी. मैंने उनकी झांट के बाल पकड़कर ज़ोर से मुट्ठी में भर लिए और खींचा तो बुआ चिल्ला पड़ी, छोड़ो प्लीज़ छोड़ो. फिर मैंने तुरंत अपनी जीभ को बुआ की चूत में लगा दिया और अब में उसकी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा. वाह मुझे क्या मज़ा आ रहा था. में बता नहीं सकता और फिर में पूरी चूत को मुहं में लेकर चूसने लगा.

बुआ की तो जान ही निकल रही थी उसने अपने दोनों पैरों को मेरी गर्दन में डाल दिया और ज़ोर से अपनी चूत की तरफ दबाने लगी और लगातार अपनी कमर को उठाकर मुझे चुदाई करने का इशारा दे रही थी. ज़ोर से और ज़ोर से चूसो आह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह माँ प्लीज आआअससस्सीईई.

दोस्तों अब मुझसे भी नहीं रहा गया और मैंने भी अपनी पेंट को पूरा उतार दिया और में अंडरवियर में आ गया. बुआ ने तुरंत मेरी अंडरवियर को भी उतार दिया और मेरा लंड अपने मुहं में लेकर चूसने लगी. दोस्तों में बस आँख बंद करके बुआ के मुहं को ही धीरे धीरे धक्के देकर चोदने लगा. लगातार पांच मिनट चोदने के बाद में झड़ गया और बुआ ने मेरा पूरा माल पी लिया. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर भी बुआ ने मेरा लंड चूसना नहीं छोड़ा और लंड फिर से दो मिनट के बाद एक बार फिर से चोदने के लिए एकदम तैयार था. हम दोनों बेड रूम में आ गए और मैंने बुआ को बिस्तर पर लेटा दिया और दोनों पैरों को फैलाकर उसकी चूत में लंड को डालने की कोशिश की.

थोड़ी देर के बाद लंड अंदर गया तो मैंने एक ज़ोर का झटका दिया और मेरा पूरा का पूरा लंड बुआ की चूत के अंदर था. बुआ अपनी दोनों आँख बंद करके बोली कि आईईईईई माँ आआआअहह थोड़ा धीरे कर, ज्यादा बेरहम मत बन, थोड़ा आराम से कर, में कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. फिर मैंने कुछ देर धीरे से धक्के देने के बाद अपनी स्पीड को बढ़ाया और अब ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा. फच फच फच की आवाज़ ज़ोर ज़ोर से पूरे कमरे में गूँज रही थी और बुआ भी अपनी कमर को उठा उठाकर अपनी चुदाई के मज़े ले रही थी और लगातार आहें भर रही थी आहह माँ आह्ह्ह्ह प्लीज़ और ज़ोर ज़ोर से चोदो, हाँ और ज़ोर से चोदो, आज फाड़ डालो मेरी चूत को, फाड़ डालो आआहह माँममआ… करीब पांच दस मिनट तक यह ताबड़तोड़ चुदाई चली और फिर बुआ झड़ गई और मैंने भी अपना पूरा माल बुआ की चूत में ही डाल दिया. दूसरे दिन मैंने बुआ को आई-पिल लाकर दी. दोस्तों यह थी मेरी बुआ की चुदाई की कहानी.
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