मुझे चुदते हुए आज 4 साल हो गए हैं - 4 saal se meri chudai ho rahi hai घर की लाडो की कमसिन चूत भाग -4 - Ghar Ki Lado Ki Kamsin Choot Part -4, अपनी ही बेटी को गैर आदमियों से चुदवा दिया, दोस्तों से खुद की लड़की को चुदवाया, छोटी लड़की को बुड्ढों ने चोदा.
पापा- अरे वाहह.. मेरी रानी आज तो एकदम गुड़िया जैसी लग रही हो.. कसम से आज मज़ा आ जाएगा.. मगर मेरी एक बात गौर से सुन.. वहाँ किसी को पता ना चले कि तू मेरी बेटी है.. मुझे बस अंकल बोलना वहाँ.. ओके.. आज से तेरा नया जीवन शुरू होने जा रहा है। अब तू फ्री में नहीं चुदेगी.. हम पैसे कमाएँगे तेरी चूत से.. बस तू उनकी हर बात मान लेना.. थोड़े पागल किस्म के लोग हैं वो लोग चुदाई की हर हद पार कर चुके हैं मगर पैसे भी खूब देंगे…
पापा की बात सुनकर मैं एकदम सन्न रह गई क्योंकि चुदाई के चक्कर में अब ना जाने मेरे साथ क्या-क्या होने वाला था। पापा ने तो मुझे सचमुच की रंडी बना दिया था।
रानी- म..म..मगर पापा आपने तो कहा था कि आपके दोस्त हैं और मैंने बस मज़ा लेने ले लिए ‘हाँ’ की थी.. ये पैसे किस बात के लिए?
पापा- अरे रानी वो दोस्त ही हैं और मज़े तो हम करेंगे ही.. अब पैसे तो वो लोग अपनी ख़ुशी से दे रहे हैं समझी.. चल अब ज़्यादा सवाल मत कर.. वहाँ जाकर सब समझ जाएगी।
पापा मुझे टैक्सी में बिठा कर घर से ले गए। हम करीब 25 मिनट तक चलते रहे उसके बाद हम एक फार्म-हाउस पर पहुँचे, जो दिखने में काफ़ी आलीशान लग रहा था।
दरवाजे के अन्दर जाते ही दरबान ने हमें सलाम किया और हम अन्दर चले गए।
दोस्तो, अन्दर एक बहुत ही बड़ा घर था मैं तो बस देखते ही रह गई।
पापा- देखो रानी कोई गड़बड़ मत करना.. बस चुपचाप मज़े लेना.. समझी, ये बड़े लोग हैं इनको ‘ना’ सुनना पसन्द नहीं है। चलो अब ऊपर वो लोग इंतजार कर रहे होंगे।
मैं बोल भी क्या सकती थी.. चुपचाप पापा के पीछे हो गई।
पापा ने कमरे का दरवाजा खोला तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं.. अन्दर काफ़ी आलीशान सजावट थी और चार आदमी जो 50 या 60 साल से कम के नहीं थे.. मुझे घूरने लगे।
उनमें से एक खड़ा हो गया जिसका नाम राजन था।
राजन- आओ आओ.. किशोरी लाल.. बड़ी देर कर दी आने में और ये कौन है.. तेरे साथ?
दोस्तो, मैंने शायद आपको बताया नहीं मेरे पापा का नाम किशोरी लाल है।
चलो अब आगे का हाल सुनाती हूँ।
पापा- सर जी.. मैंने बताया था ना आपको.. यह वही है…
राजन- दिमाग़ तो ठीक है.. ना तुम्हारा.. ये छोटी सी लड़की के बारे में बता रहे थे तुम.. विश्रान्त भाई.. सब सुना आपने?
विश्रान्त- हाँ सुन रहा हूँ.. किशोरी लाल तूने कहा था.. लड़की छोटी है खूब मज़ा देगी.. मगर इतनी छोटी है ये नहीं बताया था.. इसके साथ चुदाई करेंगे.. साली कहीं मर-वर गई तो.. ना बाबा हम ये रिस्क नहीं लेंगे.. तू इसको वापस ले जा.. हमारे पैसे वापस कर दे।
पापा- अरे विश्रान्त साब.. आप मेरी बात तो सुनो.. मैंने साफ-साफ कहा था लड़की छोटी है.. खूब मज़ा देगी और गुप्ता जी और दयाल साब भी तो वहीं थे.. आप भरोसा करो इसको कुछ नहीं होगा…
गुप्ता जी- भाई एक बात तो है.. साला किशोरी माल तो तगड़ा लाया है.. इतनी कमसिन कली को ऐसे ही मत जाने दो यार कुछ तो मज़ा करो…
दयाल साब- अरे राजन.. इसकी पूरी बात तो सुन लो.. क्या पता लड़की पहले से खेली-खाई हो.. तभी किशोरी यहाँ लाया है.. वरना इतना भी पागल नहीं है ये.. कि सील पैक लड़की हम शैतानों के हाथ सौंप दे…
पापा- हाँ राजन साब, यही बात है.. आप सुन ही नहीं रहे हो.. लड़की के तीनों छेद अच्छे से खुले हुए हैं.. हाँ बस फ़र्क इतना है कि थोड़ी जल्दी ही ये लड़की चुद गई वरना इस उमर में तो इसके खेलने के दिन हैं.. जवान लौंडों से चुदी है.. जिनको कुछ समझ ही नहीं.. अब आप लोगों के पास आ गई है तो सब सीख जाएगी।
दोस्तों पापा ऐसे बात कर रहे थे जैसे मैं कोई चीज हूँ और बाजार में मुझे बेचने गए हों और वो सब भी मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूर रहे थे।
गुप्ता जी- नाम क्या है तेरा?
रानी- ज्ज..जी रानी।
गुप्ता जी- वाहह.. क्या नाम है तेरा.. रानी.. मज़ा आएगा, यहाँ आओ रानी.. तेरे चूचे तो देखूँ.. देखने में तो छोटे-छोटे अमरूद से लग रहे हैं।
विश्रान्त- छोटे हैं तो क्या हुआ.. हम हैं ना.. बड़े कर देंगे.. आजा रानी डर मत आ जा…
मैं एकदम सहम गई थी और पापा की तरफ़ देखने लगी.. मगर पापा तो हरामी थे, मुझे ऐसे घूर कर देखा कि मैं डर गई।
पापा- जाओ रानी ये बड़े सेठ हैं तेरी जिंदगी बना देंगे.. मैं अब चलता हूँ.. हाँ शाम तक तू इनको खुश कर दे.. मैं आकर तुझे ले जाउंगा.. ठीक है ना…
रानी- पा…. अंकल आपने तो कहा था आप साथ में रहोगे.. मगर आप तो जा रहे हो।
पापा- अरे मैं क्या करूँगा.. चार तो हैं अब मेरा यहाँ क्या काम, अब चुपचाप जा.. बाकी की बात शाम को करेंगे..
मेरी पीठ को सहला कर पापा मुझे उन भूखे भेड़ियों के सामने खड़ा करके वहाँ से चले गए।
गुप्ता जी- अब आ भी जा रानी.. क्यों तड़पा रही है.. आ देख सब कैसे तेरा इंतजार कर रहे हैं।
मैं धीरे-धीरे चलते हुए उनके पास गई।
एक बड़े से बिस्तर पर चारों बैठे बस मेरे करीब आने का इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही मैं उनके नज़दीक गई, विश्रान्त ने मुझे खींच कर बिस्तर पर ले लिया।
यह एक रबड़ के गद्दे वाला पलँग था जिसके गद्दे में पानी भरा हुआ था। बड़ा ही लचीला बिस्तर था। मैं ऊपर गिरते ही उछल गई।
चारों मुझे वासना की नज़रों से घूरने लगे, कोई मेरे चूचे दबा रहा था तो कोई मेरी जाँघों को चूसने लगा।
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि अचानक ये क्या हो गया। बस बिना कुछ बोले सब के सब मुझ पर टूट पड़े।
गुप्ता जी- यारों कुछ भी कहो किशोरी लड़की बहुत मस्त लाया है.. साली के चूचे छोटे से हैं.. मगर हैं बड़े रसीले.. उफ्फ.. क्या मज़ा आ रहा है।
दोस्तों उन चारों को मुझे नंगा करने में एक मिनट भी नहीं लगा।
अब मैं नग्न उनके सामने पड़ी थी और वो मेरे चूचुकों को चूस रहे थे।
विश्रान्त मेरी चूत को चाट रहा था, पहले उसने अपनी उंगली से मेरी चूत का मुआयना किया था कि कहीं सील पैक तो नहीं हूँ ना.. पहले एक उंगली डाली.. उसके बाद दो और फिर तीन उंगलियाँ ठूंस कर मेरी चूत की सील चैक की और मेरी चूत के रस से सनी अपनी उंगलियों को अपने मुँह में डाल कर चूसा।
राजन- क्यों विश्रान्त चूत चैक कर ली है क्या हुआ कैसी है.. और चूत का स्वाद कैसा है?
विश्रान्त- अरे क्या बताऊँ यार.. चूत तो एकदम मस्त कसी हुई है.. हाँ साली चुदी-चुदाई है.. मगर अभी ज़्यादा नहीं चुदी.. इसका पानी तो बड़ा स्वादिष्ट है।
सब एक से बढ़कर एक मादरचोद और हरामी थे, आधे घंटे तक मुझे ऐसे चूसते और चाटते रहे कि मेरी हालत खराब कर दी और हाँ एक बार तो मैं झड़ भी गई थी।
राजन- बस भाई इसको तो बहुत चूस लिया.. अब इसको अपने लौड़े चुसवाओ.. इसकी चूत और गाण्ड के मज़े लो.. अब बर्दाश्त नहीं होता।
चारों ने अपने कपड़े निकाल दिए.. मेरी नज़र उनके लौड़े पर गई जो तन कर एकदम फुंफकार रहे थे।
दोस्तों उनकी उमर के हिसाब से मुझे लगा.. सालों के लौड़ों में इतनी कहाँ जान होगी.. मगर उनको देख कर मेरी हालत पतली हो गई।
दयाल का लौड़ा कोई 8 इन्च का होगा पापा के लंड से मिलता-जुलता, गुप्ता जी का लंड एकदम काला.. किसी घोड़े जैसा वो कोई 9 इन्च का होगा और मोटा भी काफ़ी था।
अजय और विजय दोनों के लंड को जोड़ लो.. उतना अकेला तो उसका था। राजन का लौड़ा भी कोई 8 इन्च से ज़्यादा ही बड़ा था.. वो भी मोटा था।
आखिर में विश्रान्त के लंड पर नज़र गई तो वो भी करीब 9 इन्च का थोड़ा टेढ़ा लौड़ा था बिल्कुल केला जैसा घुमावदार लौड़ा था।
मेरे तो पसीने छूटने लगे, मगर मैं चुपचाप पड़ी रही।
दयाल- अबे गुड़िया.. अभी भी यूँ ही पड़ी रहेगी क्या.. चल आ जा.. अब लौड़े चूस.. उसके बाद देखते हैं तुझमें कितना दम है, आज तू शाम तक हम लोगों की है, कसम से आज तुझे इतना चोदेंगे कि सारी जिंदगी तुझे सपने में भी लौड़े ही दिखेंगे।
सारे कुत्ते मेरे आजू-बाजू खड़े हो गए, मैं उनके बीच बैठ गई और विश्रान्त का लौड़ा चूसने लगी, कभी राजन मेरे बाल खींच कर मुझे अपना लौड़ा चुसवाता तो कभी दयाल.. बस मैं तो उनके बीच कठपुतली बनकर रह गई थी।
रानी- आहह.. ऑऊच ये आप क्या कर रहे हो.. दुखता है ना…
राजन- चुप साली रंडी.. अगर इतना ही दर्द होता है, तो यहाँ क्या अपनी माँ चुदवाने आई है.. साली पैसे दिए है तेरे दलाल को.. शाम को तुझे तेरा हिस्सा भी मिल जाएगा.. वैसे एक बात तो बता, किशोरी को तू कहाँ से मिल गई.. साला कल तक तो हमसे कर्जे लेता था मगर आज सेठ बन गया.. पता है उसने तेरी एडवाँस बुकिंग कर दी है.. ये महीना पूरा तू बस चुदती ही रहेगी.. साला बड़ा हरामी है, एक ही दिन में लाखों कमा गया है वो।
उनकी यह बात सुनकर सोचने लगी.. जिस बाप के प्यार के लिए मैंने उसे अपना जिस्म सौंपा था वो ही कमीना मेरा दलाल बन गया।
उसे मुझसे कोई प्यार नहीं था, बस अपना काम निकाल कर अब मुझे बेच दिया उसने, पर मुझे भी बड़े लौड़ों से चुदवाने की चाह थी और पापा की चुदाई से मुझे लगने लगा था कि कम उम्र के लौंडों से ज्यादा अच्छी चुदाई उम्रदराज अनुभवी लौड़ों से मिलती है और मुझे इस नजर से ये चारों बहुत ठीक लग रहे थे।
वो सभी कुत्ते मुझ पर टूट पड़े, सबसे पहले विश्रान्त ने मुझे घोड़ी बना कर अपना लंबा लौड़ा मेरी चूत में एक बार में ही घुसा दिया, मैं ज़ोर से चीखी। राजन- वाहह.. भाई मान गए विश्रान्त साहब.. क्या शॉट मारा है आपने.. एक ही झटके में पूरा लौड़ा अन्दर कर दिया।
दयाल- चीख साली.. इसी बात के तो तुझे पैसे मिलेंगे.. तू जितना चिल्लाएगी हमें उतना ही मज़ा आएगा.. विश्रान्त साहब.. जरा एक और शॉट मारो ना.. साली की गाण्ड बड़ी मस्त है.. इसका भी उद्घाटन आप ही कर दो।
मैं भी समझ चुकी थी कि भले मुझे मजा आए पर मुझे ज्यादा चिल्लाना है ताकि इनको अधिक मजा आए।
विश्रान्त ने झटके के साथ लौड़ा चूत से निकाल लिया और गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा.. साला हरामी बड़ा ही एक्सपर्ट था..
एक ही बार में पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया।
मैं तो चूत के दर्द से अभी उबरी भी नहीं थी कि मेरी गाण्ड में भी दर्द हो गया। मेरी चीखें बदस्तूर जारी रहीं और विश्रान्त गाण्ड मारता रहा।
राजन- बस भी करो.. पहले सब को मुहूर्त करने दो.. उसके बाद इसकी चुदाई शुरू करेंगे.. रानी घबराओ मत.. यह तो बस हम टेस्ट ले रहे हैं.. उसके बाद आराम से चारों एक साथ तुझे चोदेंगे.. तू सोच भी नहीं सकती कि चार लौड़े एक साथ तू कैसे लेगी हा हा हा हा हा…
सब के सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे और बारी-बारी से जैसा विश्रान्त ने किया था सबने पांच मिनट तक मेरी चूत और गाण्ड का टेस्ट-ड्राइव लिया।
मैं अब भी यही सोच रही थी कि तीन तो समझ में आ रहे थे पर चौथा लौड़ा कहाँ डाला जाएगा.. बस इसी सोच में घोड़ी बनी हुई अपना इम्तिहान दे रही थी और इस टेस्ट के दौरान ही मैं झड़ गई।
विश्रान्त- बस अब टेस्ट पूरा हो गया.. साली रंडी तुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.. टेस्ट में कैसे कूल्हे हिला-हिला कर झड़ रही थी.. आजा.. आज पहले तेरी चूत को मैं ही चोदूँगा.. आ जा मेरे लौड़े पर बैठ जा.. राजन तू पीछे से गाण्ड मार ले.. बाकी ये दोनों मुँह को संभाल लेंगे।
दोस्तो, अब वो लम्हा मेरी जिंदगी में कैसा था.. आपको शब्दों में नहीं बता सकती हूँ।
विश्रान्त का लौड़ा मेरी चूत की दीवारों को सरकाने की कोशिश कर रहा था, राजन मेरी गाण्ड को ठोक रहा था। मैं दर्द के मारे चिल्ला भी नहीं पा रही थी..
वो दोनों कुत्ते एक साथ मेरे मुँह में अपने लौड़े घुसा रहे थे।
अब तो मैं हिल भी नहीं पा रही थी, बस चुदी जा रही थी।
कमीने थे भी बड़े तगड़े.. झपा- झप चोदे जा रहे थे.. बहुत तक दोनों मेरी चूत और गाण्ड मारते रहे.. मेरा दो बार पानी निकल गया, तब जाकर वो दोनों रुके।
अभी भी उनका पानी नहीं निकला था मेरी आँखें बन्द होने लगी थीं।
राजन- आह मज़ा आ गया.. अब पानी निकलने वाला है.. आ जाओ अब तुम दोनों लग जाओ.. हम इसके मुँह में पानी निकालेंगे…
वो दोनों मुँह से हट गए और उसी पोज़ में अब वो आ गए।
राजन का लौड़ा मेरे मुँह में गले तक घुसा हुआ था, मैं बड़ी मुश्किल से उसको चूस पा रही थी।
कोई 5 मिनट बाद वो मेरे मुँह में झड़ गया, सारा पानी मुझे मजबूर होकर पीना पड़ा।
उसके बाद विश्रान्त ने भी वैसे ही मेरे मुँह को चोदा और सारा पानी मुझे पिला दिया।
दयाल- वाहह.. क्या मस्त चूत है तेरी रानी.. मज़ा आ गया.. उह्ह उह्ह ले आह उफ़फ्फ़ आह… उधर गुप्ता मेरी गाण्ड को ऐसे मार रहा था जैसे ये दुनिया की आखरी गाण्ड हो, उसके बाद उसे कभी चोदने का मौका ही नहीं मिलेगा… साला लौड़े को पूरा बाहर निकालता उसके बाद सर्रररर से फिर घुसा देता।
अब मैं एकदम टूट गई थी.. मेरी चूत में अब पानी भी नहीं बचा था.. जो मैं झड़ जाती।
ये दोनों भी 30 मिनट तक मुझे चोदने के बाद मेरे मुँह में ही झड़े थे।
विश्रान्त- वाहह.. रानी तू वाकयी बहुत मस्त चुदवाती है.. अब आ जा मेरे लौड़े को चूस.. अबकी बार मैं तेरी गाण्ड मारूँगा और पानी भी गाण्ड में ही निकालूँगा।
रानी- आआ आह आप पागल हो.. सीसी क्या थोड़ा सांस तो लेने दो.. चार-चार लौड़े मैंने लिए हैं अब क्या मेरी जान लेने का इरादा है?
राजन- साली दो कौड़ी की छोकरी.. विश्रान्त साहब से ज़ुबान लड़ाती है.. अब देख तेरा क्या हाल करता हूँ.. अब तक तो हम प्यार से पेश आ रहे थे.. साली छिनाल इधर आ…
राजन ने मुझे अपनी ओर खींच कर अपना लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दिया और ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा, मैं पेट के बल लेटी थी और पीछे से विश्रान्त ने अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया और वो भी ज़ोर-ज़ोर से मुझे चोदने लगा।
दोस्तो, माना कि घर में मुझे चुदाई में मज़ा आने लगा था, मगर आज तो मेरी जान पर बन आई थी, वो तो घर के लौड़े थे, उनको मैं सहन कर लेती थी, मगर ये इंसान नहीं जानवर थे, जो बस चोदे ही जा रहे थे।
मेरा जरा भी इनको ख्याल नहीं आ रहा था।
उनसे चुदवाते-चुदवाते ना जाने मैं कब बेहोश हो गई और वो कुत्ते तब भी मुझे चोदने में लगे हुए थे।
शाम को जब मेरी बेहोशी टूटी, मेरी नज़र दीवार घड़ी की ओर गई, अब 6 बज रहे थे और वो चारों अब भी मेरे पास नंगे ही लेटे हुए थे।
राजन- क्यों रानी उठ गई क्या.. साली बड़ी कुत्ती चीज है.. तू बेहोशी में भी गाण्ड हिला-हिला कर मज़े लूट रही थी।
उसकी बात सुनकर मेरा ध्यान मेरी गाण्ड और चूत पर गया.. जो बहुत दर्द कर रही थी। लगता है कुत्तों ने बहुत बुरी तरह से मेरी ठुकाई की होगी।
रानी- आहह.. कमीनों उफ्फ.. मुझसे उठा भी नहीं जा रहा है.. क्या कर दिया तुम लोगों ने.. उहह.. मेरी चूत और गाण्ड बुरी तरह से दुख रही है.. उफ़फ्फ़ कमर भी अकड़ गई.. मेरी तो…
दयाल- हा हा हा.. साली चार-चार बार तुझे चोद कर भी मन नहीं भरा हमारा.. तू बड़ी मजेदार है.. उफ़फ्फ़ मैंने तो दे दनादन तेरी गाण्ड के ही मज़े लिए हैं और विश्रान्त साहब तेरी चूत के दीवाने हो गए.. साली बड़ा मज़ा दिया तूने आज…
उनकी बात सुनकर मेरे होश उड़ गए यानि 16 बार उन्होंने मुझे चोदा..
उफ्फ तभी मेरा यह हाल हो गया..
बड़ी मुश्किल से मैं उठी, अपने कपड़े लिए और बाथरूम में जाकर टब में गर्म पानी में बैठ कर चूत और गाण्ड को सेंकने लगी।
मेरी अब वहाँ से उठने की हिम्मत नहीं थी।
लगभग 7 बजे के आस-पास पापा वहाँ आ गए, मुझे उनकी आवाज़ सुनाई दी।
पापा- नमस्ते राजन सर, क्या बात है.. बड़े खुश दिखाई दे रहे हो.. लड़की ने कुछ गड़बड़ तो नहीं की ना.. आप लोगों को मज़ा आया या नहीं?
राजन- अरे आओ.. आओ.. किशोरी लाल.. कसम से मज़ा आ गया.. ऐसा माल पहले कभी नहीं मिला हमको यार.. क्या बताऊँ साली बड़ी गजब की लौंडिया है यार.. एक दो दिन बाद दोबारा लाना इसको.. आज तो हमने बस इसको चखा है.. अबकी बार ठीक से मज़ा लेंगे इसका…
मुझे उनकी बातें साफ सुनाई दे रही थीं.. कुत्तों ने चोद-चोद कर मेरी तो हालत खराब कर दी और कहते हैं कि आज बस ‘चखा’ है.. अबकी बार ठीक से चोदेंगे..
मैं जल्दी से उठी और अपने बदन को साफ किया.. अपने कपड़े पहने और बाहर आ गई।
पापा- अरे वाहह.. रानी.. तुम तो नहा कर तैयार हो गईं.. आ जाओ.. सब तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे हैं।
मैं कुछ नहीं बोली बस चुपके से पापा के पास आकर खड़ी हो गई।
राजन- ले भाई किशोरी.. 50 तो तुझे पहले दे दिए थे हमने.. बाकी के डेढ़ ये ले… कसम से पैसे वसूल हो गए.. और ये दस हजार मेरी तरफ़ से एक्सट्रा रानी के लिए… अबकी बार और मज़ा देना मेरी जान…
पापा ने खुश होकर उनसे पैसे ले लिए। हमारे निकलते हुए भी उस कुत्ते ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा एक मम्मा पकड़ कर दबाते हुए मुझे चूम लिया और मेरी गाण्ड को ज़ोर से मसक दिया।
हम लोग उधर से बापस आने लगे, रास्ते में पापा बोलते रहे.. मैं गुस्से की वजह से चुप बैठी रही।
पापा ने होटल से खाना ले लिया आज उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
हम जब घर पहुँचे तब मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
पापा- अरे रानी क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रही.. पूरे रास्ते भी चुप थी.. देख आज तूने क्या कमाल कर दिया.. एक ही दिन में 2 लाख कमा लिए.. वाहह.. अब तो बहुत जल्दी हम अमीर हो जाएँगे।
रानी- बन्द करो अपनी गंदी ज़ुबान साले.. तू इतना बड़ा हरामी निकलेगा.. मैंने सोचा भी नहीं था.. तूने मुझे रंडी बना दिया और उन कुत्तों के सामने फेंक दिया.. तुम्हें शर्म नहीं आई.. मुझ नन्ही सी जान को चार हरामियों को सौंपते हुए.. मेरी हालत खराब कर दी उन लोगों ने… वे हैवान से कम नहीं थे.. कितना बेरहमी से चोदा मुझे.. मेरी हालत खराब कर दी।
पापा- चुप साली छिनाल की औलाद.. तुझे ही बड़ा शौक चढ़ा था… तीन-तीन से चुदने का.. साली फ्री में चुदवाने से तो अच्छा है ना.. घर में चार पैसे आयें… अब ज़्यादा बात मत कर.. अपनी औकात में रह!
मैंने पापा को खूब सुनाया.. मगर वो कहाँ मानने वाले थे.. उनको तो पैसों से मतलब था और मुझे भी अब समझ आ गया था कि मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई है, अब जो भी होगा मुझे ही सहना पड़ेगा.. बस वक़्त और हालत से मैंने समझौता कर लिया..
अजय और विजय को भी सब मालूम हो गया।
वो भी उस हरामी बाप के हरामी बेटे निकले…
अब वो भी अपने दोस्तों से पैसे लेकर मुझे उनसे चुदवाने लगे।
दोस्तो, उन सब के मज़े हो गए.. बड़े लोगों की पार्टी में मुझे अच्छे पैसे मिल जाते और इन टुच्चे लोगों से भी 2-4 हजार मिल ही जाते हैं।
अब तो लंड ही मेरी ज़िंदगी में कमाई का जरिया बन गया है।
मुझे चुदते हुए आज 4 साल हो गए हैं। मेरी चूत का तो भोसड़ा बन गया है, मेरी गाण्ड सबको बेहद पसंद आती है, साले कुत्ते सब मेरी गाण्ड ही मारते हैं।
बस दोस्तो, यही है मेरी बर्बादी की कहानी..