मुझे चुदते हुए आज 4 साल हो गए हैं - 4 saal se meri chudai ho rahi hai

मुझे चुदते हुए आज 4 साल हो गए हैं - 4 saal se meri chudai ho rahi hai घर की लाडो की कमसिन चूत भाग -4 - Ghar Ki Lado Ki Kamsin Choot Part -4, अपनी ही बेटी को गैर आदमियों से चुदवा दिया, दोस्तों से खुद की लड़की को चुदवाया, छोटी लड़की को बुड्ढों ने चोदा.

पापा- अरे वाहह.. मेरी रानी आज तो एकदम गुड़िया जैसी लग रही हो.. कसम से आज मज़ा आ जाएगा.. मगर मेरी एक बात गौर से सुन.. वहाँ किसी को पता ना चले कि तू मेरी बेटी है.. मुझे बस अंकल बोलना वहाँ.. ओके.. आज से तेरा नया जीवन शुरू होने जा रहा है। अब तू फ्री में नहीं चुदेगी.. हम पैसे कमाएँगे तेरी चूत से.. बस तू उनकी हर बात मान लेना.. थोड़े पागल किस्म के लोग हैं वो लोग चुदाई की हर हद पार कर चुके हैं मगर पैसे भी खूब देंगे…

पापा की बात सुनकर मैं एकदम सन्न रह गई क्योंकि चुदाई के चक्कर में अब ना जाने मेरे साथ क्या-क्या होने वाला था। पापा ने तो मुझे सचमुच की रंडी बना दिया था।

रानी- म..म..मगर पापा आपने तो कहा था कि आपके दोस्त हैं और मैंने बस मज़ा लेने ले लिए ‘हाँ’ की थी.. ये पैसे किस बात के लिए?

पापा- अरे रानी वो दोस्त ही हैं और मज़े तो हम करेंगे ही.. अब पैसे तो वो लोग अपनी ख़ुशी से दे रहे हैं समझी.. चल अब ज़्यादा सवाल मत कर.. वहाँ जाकर सब समझ जाएगी।

पापा मुझे टैक्सी में बिठा कर घर से ले गए। हम करीब 25 मिनट तक चलते रहे उसके बाद हम एक फार्म-हाउस पर पहुँचे, जो दिखने में काफ़ी आलीशान लग रहा था।

दरवाजे के अन्दर जाते ही दरबान ने हमें सलाम किया और हम अन्दर चले गए।

दोस्तो, अन्दर एक बहुत ही बड़ा घर था मैं तो बस देखते ही रह गई।

पापा- देखो रानी कोई गड़बड़ मत करना.. बस चुपचाप मज़े लेना.. समझी, ये बड़े लोग हैं इनको ‘ना’ सुनना पसन्द नहीं है। चलो अब ऊपर वो लोग इंतजार कर रहे होंगे।

मैं बोल भी क्या सकती थी.. चुपचाप पापा के पीछे हो गई।

पापा ने कमरे का दरवाजा खोला तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं.. अन्दर काफ़ी आलीशान सजावट थी और चार आदमी जो 50 या 60 साल से कम के नहीं थे.. मुझे घूरने लगे।

उनमें से एक खड़ा हो गया जिसका नाम राजन था।

राजन- आओ आओ.. किशोरी लाल.. बड़ी देर कर दी आने में और ये कौन है.. तेरे साथ?

दोस्तो, मैंने शायद आपको बताया नहीं मेरे पापा का नाम किशोरी लाल है।

चलो अब आगे का हाल सुनाती हूँ।

पापा- सर जी.. मैंने बताया था ना आपको.. यह वही है…

राजन- दिमाग़ तो ठीक है.. ना तुम्हारा.. ये छोटी सी लड़की के बारे में बता रहे थे तुम.. विश्रान्त भाई.. सब सुना आपने?

विश्रान्त- हाँ सुन रहा हूँ.. किशोरी लाल तूने कहा था.. लड़की छोटी है खूब मज़ा देगी.. मगर इतनी छोटी है ये नहीं बताया था.. इसके साथ चुदाई करेंगे.. साली कहीं मर-वर गई तो.. ना बाबा हम ये रिस्क नहीं लेंगे.. तू इसको वापस ले जा.. हमारे पैसे वापस कर दे।

पापा- अरे विश्रान्त साब.. आप मेरी बात तो सुनो.. मैंने साफ-साफ कहा था लड़की छोटी है.. खूब मज़ा देगी और गुप्ता जी और दयाल साब भी तो वहीं थे.. आप भरोसा करो इसको कुछ नहीं होगा…

गुप्ता जी- भाई एक बात तो है.. साला किशोरी माल तो तगड़ा लाया है.. इतनी कमसिन कली को ऐसे ही मत जाने दो यार कुछ तो मज़ा करो…

दयाल साब- अरे राजन.. इसकी पूरी बात तो सुन लो.. क्या पता लड़की पहले से खेली-खाई हो.. तभी किशोरी यहाँ लाया है.. वरना इतना भी पागल नहीं है ये.. कि सील पैक लड़की हम शैतानों के हाथ सौंप दे…

पापा- हाँ राजन साब, यही बात है.. आप सुन ही नहीं रहे हो.. लड़की के तीनों छेद अच्छे से खुले हुए हैं.. हाँ बस फ़र्क इतना है कि थोड़ी जल्दी ही ये लड़की चुद गई वरना इस उमर में तो इसके खेलने के दिन हैं.. जवान लौंडों से चुदी है.. जिनको कुछ समझ ही नहीं.. अब आप लोगों के पास आ गई है तो सब सीख जाएगी।

दोस्तों पापा ऐसे बात कर रहे थे जैसे मैं कोई चीज हूँ और बाजार में मुझे बेचने गए हों और वो सब भी मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूर रहे थे।

गुप्ता जी- नाम क्या है तेरा?

रानी- ज्ज..जी रानी।

गुप्ता जी- वाहह.. क्या नाम है तेरा.. रानी.. मज़ा आएगा, यहाँ आओ रानी.. तेरे चूचे तो देखूँ.. देखने में तो छोटे-छोटे अमरूद से लग रहे हैं।

विश्रान्त- छोटे हैं तो क्या हुआ.. हम हैं ना.. बड़े कर देंगे.. आजा रानी डर मत आ जा…

मैं एकदम सहम गई थी और पापा की तरफ़ देखने लगी.. मगर पापा तो हरामी थे, मुझे ऐसे घूर कर देखा कि मैं डर गई।

पापा- जाओ रानी ये बड़े सेठ हैं तेरी जिंदगी बना देंगे.. मैं अब चलता हूँ.. हाँ शाम तक तू इनको खुश कर दे.. मैं आकर तुझे ले जाउंगा.. ठीक है ना…

रानी- पा…. अंकल आपने तो कहा था आप साथ में रहोगे.. मगर आप तो जा रहे हो।

पापा- अरे मैं क्या करूँगा.. चार तो हैं अब मेरा यहाँ क्या काम, अब चुपचाप जा.. बाकी की बात शाम को करेंगे..

मेरी पीठ को सहला कर पापा मुझे उन भूखे भेड़ियों के सामने खड़ा करके वहाँ से चले गए।

गुप्ता जी- अब आ भी जा रानी.. क्यों तड़पा रही है.. आ देख सब कैसे तेरा इंतजार कर रहे हैं।

मैं धीरे-धीरे चलते हुए उनके पास गई।

एक बड़े से बिस्तर पर चारों बैठे बस मेरे करीब आने का इंतजार कर रहे थे।

जैसे ही मैं उनके नज़दीक गई, विश्रान्त ने मुझे खींच कर बिस्तर पर ले लिया।

यह एक रबड़ के गद्दे वाला पलँग था जिसके गद्दे में पानी भरा हुआ था। बड़ा ही लचीला बिस्तर था। मैं ऊपर गिरते ही उछल गई।

चारों मुझे वासना की नज़रों से घूरने लगे, कोई मेरे चूचे दबा रहा था तो कोई मेरी जाँघों को चूसने लगा।

मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि अचानक ये क्या हो गया। बस बिना कुछ बोले सब के सब मुझ पर टूट पड़े।

गुप्ता जी- यारों कुछ भी कहो किशोरी लड़की बहुत मस्त लाया है.. साली के चूचे छोटे से हैं.. मगर हैं बड़े रसीले.. उफ्फ.. क्या मज़ा आ रहा है।

दोस्तों उन चारों को मुझे नंगा करने में एक मिनट भी नहीं लगा।

अब मैं नग्न उनके सामने पड़ी थी और वो मेरे चूचुकों को चूस रहे थे।

विश्रान्त मेरी चूत को चाट रहा था, पहले उसने अपनी उंगली से मेरी चूत का मुआयना किया था कि कहीं सील पैक तो नहीं हूँ ना.. पहले एक उंगली डाली.. उसके बाद दो और फिर तीन उंगलियाँ ठूंस कर मेरी चूत की सील चैक की और मेरी चूत के रस से सनी अपनी उंगलियों को अपने मुँह में डाल कर चूसा।

राजन- क्यों विश्रान्त चूत चैक कर ली है क्या हुआ कैसी है.. और चूत का स्वाद कैसा है?

विश्रान्त- अरे क्या बताऊँ यार.. चूत तो एकदम मस्त कसी हुई है.. हाँ साली चुदी-चुदाई है.. मगर अभी ज़्यादा नहीं चुदी.. इसका पानी तो बड़ा स्वादिष्ट है।

सब एक से बढ़कर एक मादरचोद और हरामी थे, आधे घंटे तक मुझे ऐसे चूसते और चाटते रहे कि मेरी हालत खराब कर दी और हाँ एक बार तो मैं झड़ भी गई थी।

राजन- बस भाई इसको तो बहुत चूस लिया.. अब इसको अपने लौड़े चुसवाओ.. इसकी चूत और गाण्ड के मज़े लो.. अब बर्दाश्त नहीं होता।

चारों ने अपने कपड़े निकाल दिए.. मेरी नज़र उनके लौड़े पर गई जो तन कर एकदम फुंफकार रहे थे।

दोस्तों उनकी उमर के हिसाब से मुझे लगा.. सालों के लौड़ों में इतनी कहाँ जान होगी.. मगर उनको देख कर मेरी हालत पतली हो गई।

दयाल का लौड़ा कोई 8 इन्च का होगा पापा के लंड से मिलता-जुलता, गुप्ता जी का लंड एकदम काला.. किसी घोड़े जैसा वो कोई 9 इन्च का होगा और मोटा भी काफ़ी था।

अजय और विजय दोनों के लंड को जोड़ लो.. उतना अकेला तो उसका था। राजन का लौड़ा भी कोई 8 इन्च से ज़्यादा ही बड़ा था.. वो भी मोटा था।

आखिर में विश्रान्त के लंड पर नज़र गई तो वो भी करीब 9 इन्च का थोड़ा टेढ़ा लौड़ा था बिल्कुल केला जैसा घुमावदार लौड़ा था।

मेरे तो पसीने छूटने लगे, मगर मैं चुपचाप पड़ी रही।

दयाल- अबे गुड़िया.. अभी भी यूँ ही पड़ी रहेगी क्या.. चल आ जा.. अब लौड़े चूस.. उसके बाद देखते हैं तुझमें कितना दम है, आज तू शाम तक हम लोगों की है, कसम से आज तुझे इतना चोदेंगे कि सारी जिंदगी तुझे सपने में भी लौड़े ही दिखेंगे।

सारे कुत्ते मेरे आजू-बाजू खड़े हो गए, मैं उनके बीच बैठ गई और विश्रान्त का लौड़ा चूसने लगी, कभी राजन मेरे बाल खींच कर मुझे अपना लौड़ा चुसवाता तो कभी दयाल.. बस मैं तो उनके बीच कठपुतली बनकर रह गई थी।

रानी- आहह.. ऑऊच ये आप क्या कर रहे हो.. दुखता है ना…

राजन- चुप साली रंडी.. अगर इतना ही दर्द होता है, तो यहाँ क्या अपनी माँ चुदवाने आई है.. साली पैसे दिए है तेरे दलाल को.. शाम को तुझे तेरा हिस्सा भी मिल जाएगा.. वैसे एक बात तो बता, किशोरी को तू कहाँ से मिल गई.. साला कल तक तो हमसे कर्जे लेता था मगर आज सेठ बन गया.. पता है उसने तेरी एडवाँस बुकिंग कर दी है.. ये महीना पूरा तू बस चुदती ही रहेगी.. साला बड़ा हरामी है, एक ही दिन में लाखों कमा गया है वो।

उनकी यह बात सुनकर सोचने लगी.. जिस बाप के प्यार के लिए मैंने उसे अपना जिस्म सौंपा था वो ही कमीना मेरा दलाल बन गया।

उसे मुझसे कोई प्यार नहीं था, बस अपना काम निकाल कर अब मुझे बेच दिया उसने, पर मुझे भी बड़े लौड़ों से चुदवाने की चाह थी और पापा की चुदाई से मुझे लगने लगा था कि कम उम्र के लौंडों से ज्यादा अच्छी चुदाई उम्रदराज अनुभवी लौड़ों से मिलती है और मुझे इस नजर से ये चारों बहुत ठीक लग रहे थे।

वो सभी कुत्ते मुझ पर टूट पड़े, सबसे पहले विश्रान्त ने मुझे घोड़ी बना कर अपना लंबा लौड़ा मेरी चूत में एक बार में ही घुसा दिया, मैं ज़ोर से चीखी। राजन- वाहह.. भाई मान गए विश्रान्त साहब.. क्या शॉट मारा है आपने.. एक ही झटके में पूरा लौड़ा अन्दर कर दिया।

दयाल- चीख साली.. इसी बात के तो तुझे पैसे मिलेंगे.. तू जितना चिल्लाएगी हमें उतना ही मज़ा आएगा.. विश्रान्त साहब.. जरा एक और शॉट मारो ना.. साली की गाण्ड बड़ी मस्त है.. इसका भी उद्घाटन आप ही कर दो।

मैं भी समझ चुकी थी कि भले मुझे मजा आए पर मुझे ज्यादा चिल्लाना है ताकि इनको अधिक मजा आए।

विश्रान्त ने झटके के साथ लौड़ा चूत से निकाल लिया और गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा.. साला हरामी बड़ा ही एक्सपर्ट था..

एक ही बार में पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया।

मैं तो चूत के दर्द से अभी उबरी भी नहीं थी कि मेरी गाण्ड में भी दर्द हो गया। मेरी चीखें बदस्तूर जारी रहीं और विश्रान्त गाण्ड मारता रहा।

राजन- बस भी करो.. पहले सब को मुहूर्त करने दो.. उसके बाद इसकी चुदाई शुरू करेंगे.. रानी घबराओ मत.. यह तो बस हम टेस्ट ले रहे हैं.. उसके बाद आराम से चारों एक साथ तुझे चोदेंगे.. तू सोच भी नहीं सकती कि चार लौड़े एक साथ तू कैसे लेगी हा हा हा हा हा…

सब के सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे और बारी-बारी से जैसा विश्रान्त ने किया था सबने पांच मिनट तक मेरी चूत और गाण्ड का टेस्ट-ड्राइव लिया।

मैं अब भी यही सोच रही थी कि तीन तो समझ में आ रहे थे पर चौथा लौड़ा कहाँ डाला जाएगा.. बस इसी सोच में घोड़ी बनी हुई अपना इम्तिहान दे रही थी और इस टेस्ट के दौरान ही मैं झड़ गई।

विश्रान्त- बस अब टेस्ट पूरा हो गया.. साली रंडी तुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.. टेस्ट में कैसे कूल्हे हिला-हिला कर झड़ रही थी.. आजा.. आज पहले तेरी चूत को मैं ही चोदूँगा.. आ जा मेरे लौड़े पर बैठ जा.. राजन तू पीछे से गाण्ड मार ले.. बाकी ये दोनों मुँह को संभाल लेंगे।

दोस्तो, अब वो लम्हा मेरी जिंदगी में कैसा था.. आपको शब्दों में नहीं बता सकती हूँ।

विश्रान्त का लौड़ा मेरी चूत की दीवारों को सरकाने की कोशिश कर रहा था, राजन मेरी गाण्ड को ठोक रहा था। मैं दर्द के मारे चिल्ला भी नहीं पा रही थी..

वो दोनों कुत्ते एक साथ मेरे मुँह में अपने लौड़े घुसा रहे थे।

अब तो मैं हिल भी नहीं पा रही थी, बस चुदी जा रही थी।

कमीने थे भी बड़े तगड़े.. झपा- झप चोदे जा रहे थे.. बहुत तक दोनों मेरी चूत और गाण्ड मारते रहे.. मेरा दो बार पानी निकल गया, तब जाकर वो दोनों रुके।

अभी भी उनका पानी नहीं निकला था मेरी आँखें बन्द होने लगी थीं।

राजन- आह मज़ा आ गया.. अब पानी निकलने वाला है.. आ जाओ अब तुम दोनों लग जाओ.. हम इसके मुँह में पानी निकालेंगे…

वो दोनों मुँह से हट गए और उसी पोज़ में अब वो आ गए।

राजन का लौड़ा मेरे मुँह में गले तक घुसा हुआ था, मैं बड़ी मुश्किल से उसको चूस पा रही थी।

कोई 5 मिनट बाद वो मेरे मुँह में झड़ गया, सारा पानी मुझे मजबूर होकर पीना पड़ा।

उसके बाद विश्रान्त ने भी वैसे ही मेरे मुँह को चोदा और सारा पानी मुझे पिला दिया।

दयाल- वाहह.. क्या मस्त चूत है तेरी रानी.. मज़ा आ गया.. उह्ह उह्ह ले आह उफ़फ्फ़ आह… उधर गुप्ता मेरी गाण्ड को ऐसे मार रहा था जैसे ये दुनिया की आखरी गाण्ड हो, उसके बाद उसे कभी चोदने का मौका ही नहीं मिलेगा… साला लौड़े को पूरा बाहर निकालता उसके बाद सर्रररर से फिर घुसा देता।

अब मैं एकदम टूट गई थी.. मेरी चूत में अब पानी भी नहीं बचा था.. जो मैं झड़ जाती।

ये दोनों भी 30 मिनट तक मुझे चोदने के बाद मेरे मुँह में ही झड़े थे।

विश्रान्त- वाहह.. रानी तू वाकयी बहुत मस्त चुदवाती है.. अब आ जा मेरे लौड़े को चूस.. अबकी बार मैं तेरी गाण्ड मारूँगा और पानी भी गाण्ड में ही निकालूँगा।

रानी- आआ आह आप पागल हो.. सीसी क्या थोड़ा सांस तो लेने दो.. चार-चार लौड़े मैंने लिए हैं अब क्या मेरी जान लेने का इरादा है?

राजन- साली दो कौड़ी की छोकरी.. विश्रान्त साहब से ज़ुबान लड़ाती है.. अब देख तेरा क्या हाल करता हूँ.. अब तक तो हम प्यार से पेश आ रहे थे.. साली छिनाल इधर आ…

राजन ने मुझे अपनी ओर खींच कर अपना लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दिया और ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा, मैं पेट के बल लेटी थी और पीछे से विश्रान्त ने अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया और वो भी ज़ोर-ज़ोर से मुझे चोदने लगा।

दोस्तो, माना कि घर में मुझे चुदाई में मज़ा आने लगा था, मगर आज तो मेरी जान पर बन आई थी, वो तो घर के लौड़े थे, उनको मैं सहन कर लेती थी, मगर ये इंसान नहीं जानवर थे, जो बस चोदे ही जा रहे थे।

मेरा जरा भी इनको ख्याल नहीं आ रहा था।

उनसे चुदवाते-चुदवाते ना जाने मैं कब बेहोश हो गई और वो कुत्ते तब भी मुझे चोदने में लगे हुए थे।

शाम को जब मेरी बेहोशी टूटी, मेरी नज़र दीवार घड़ी की ओर गई, अब 6 बज रहे थे और वो चारों अब भी मेरे पास नंगे ही लेटे हुए थे।

राजन- क्यों रानी उठ गई क्या.. साली बड़ी कुत्ती चीज है.. तू बेहोशी में भी गाण्ड हिला-हिला कर मज़े लूट रही थी।

उसकी बात सुनकर मेरा ध्यान मेरी गाण्ड और चूत पर गया.. जो बहुत दर्द कर रही थी। लगता है कुत्तों ने बहुत बुरी तरह से मेरी ठुकाई की होगी।

रानी- आहह.. कमीनों उफ्फ.. मुझसे उठा भी नहीं जा रहा है.. क्या कर दिया तुम लोगों ने.. उहह.. मेरी चूत और गाण्ड बुरी तरह से दुख रही है.. उफ़फ्फ़ कमर भी अकड़ गई.. मेरी तो…

दयाल- हा हा हा.. साली चार-चार बार तुझे चोद कर भी मन नहीं भरा हमारा.. तू बड़ी मजेदार है.. उफ़फ्फ़ मैंने तो दे दनादन तेरी गाण्ड के ही मज़े लिए हैं और विश्रान्त साहब तेरी चूत के दीवाने हो गए.. साली बड़ा मज़ा दिया तूने आज…

उनकी बात सुनकर मेरे होश उड़ गए यानि 16 बार उन्होंने मुझे चोदा..

उफ्फ तभी मेरा यह हाल हो गया..

बड़ी मुश्किल से मैं उठी, अपने कपड़े लिए और बाथरूम में जाकर टब में गर्म पानी में बैठ कर चूत और गाण्ड को सेंकने लगी।

मेरी अब वहाँ से उठने की हिम्मत नहीं थी।

लगभग 7 बजे के आस-पास पापा वहाँ आ गए, मुझे उनकी आवाज़ सुनाई दी।

पापा- नमस्ते राजन सर, क्या बात है.. बड़े खुश दिखाई दे रहे हो.. लड़की ने कुछ गड़बड़ तो नहीं की ना.. आप लोगों को मज़ा आया या नहीं?

राजन- अरे आओ.. आओ.. किशोरी लाल.. कसम से मज़ा आ गया.. ऐसा माल पहले कभी नहीं मिला हमको यार.. क्या बताऊँ साली बड़ी गजब की लौंडिया है यार.. एक दो दिन बाद दोबारा लाना इसको.. आज तो हमने बस इसको चखा है.. अबकी बार ठीक से मज़ा लेंगे इसका…

मुझे उनकी बातें साफ सुनाई दे रही थीं.. कुत्तों ने चोद-चोद कर मेरी तो हालत खराब कर दी और कहते हैं कि आज बस ‘चखा’ है.. अबकी बार ठीक से चोदेंगे..

मैं जल्दी से उठी और अपने बदन को साफ किया.. अपने कपड़े पहने और बाहर आ गई।

पापा- अरे वाहह.. रानी.. तुम तो नहा कर तैयार हो गईं.. आ जाओ.. सब तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे हैं।

मैं कुछ नहीं बोली बस चुपके से पापा के पास आकर खड़ी हो गई।

राजन- ले भाई किशोरी.. 50 तो तुझे पहले दे दिए थे हमने.. बाकी के डेढ़ ये ले… कसम से पैसे वसूल हो गए.. और ये दस हजार मेरी तरफ़ से एक्सट्रा रानी के लिए… अबकी बार और मज़ा देना मेरी जान…

पापा ने खुश होकर उनसे पैसे ले लिए। हमारे निकलते हुए भी उस कुत्ते ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा एक मम्मा पकड़ कर दबाते हुए मुझे चूम लिया और मेरी गाण्ड को ज़ोर से मसक दिया।

हम लोग उधर से बापस आने लगे, रास्ते में पापा बोलते रहे.. मैं गुस्से की वजह से चुप बैठी रही।

पापा ने होटल से खाना ले लिया आज उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था।

हम जब घर पहुँचे तब मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।

पापा- अरे रानी क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रही.. पूरे रास्ते भी चुप थी.. देख आज तूने क्या कमाल कर दिया.. एक ही दिन में 2 लाख कमा लिए.. वाहह.. अब तो बहुत जल्दी हम अमीर हो जाएँगे।

रानी- बन्द करो अपनी गंदी ज़ुबान साले.. तू इतना बड़ा हरामी निकलेगा.. मैंने सोचा भी नहीं था.. तूने मुझे रंडी बना दिया और उन कुत्तों के सामने फेंक दिया.. तुम्हें शर्म नहीं आई.. मुझ नन्ही सी जान को चार हरामियों को सौंपते हुए.. मेरी हालत खराब कर दी उन लोगों ने… वे हैवान से कम नहीं थे.. कितना बेरहमी से चोदा मुझे.. मेरी हालत खराब कर दी।

पापा- चुप साली छिनाल की औलाद.. तुझे ही बड़ा शौक चढ़ा था… तीन-तीन से चुदने का.. साली फ्री में चुदवाने से तो अच्छा है ना.. घर में चार पैसे आयें… अब ज़्यादा बात मत कर.. अपनी औकात में रह!

मैंने पापा को खूब सुनाया.. मगर वो कहाँ मानने वाले थे.. उनको तो पैसों से मतलब था और मुझे भी अब समझ आ गया था कि मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई है, अब जो भी होगा मुझे ही सहना पड़ेगा.. बस वक़्त और हालत से मैंने समझौता कर लिया..

अजय और विजय को भी सब मालूम हो गया।

वो भी उस हरामी बाप के हरामी बेटे निकले…

अब वो भी अपने दोस्तों से पैसे लेकर मुझे उनसे चुदवाने लगे।

दोस्तो, उन सब के मज़े हो गए.. बड़े लोगों की पार्टी में मुझे अच्छे पैसे मिल जाते और इन टुच्चे लोगों से भी 2-4 हजार मिल ही जाते हैं।

अब तो लंड ही मेरी ज़िंदगी में कमाई का जरिया बन गया है।

मुझे चुदते हुए आज 4 साल हो गए हैं। मेरी चूत का तो भोसड़ा बन गया है, मेरी गाण्ड सबको बेहद पसंद आती है, साले कुत्ते सब मेरी गाण्ड ही मारते हैं।

बस दोस्तो, यही है मेरी बर्बादी की कहानी..

जंगल में मुझे मेरी सहेली के साथ चोदा - Jungle Me Mujhe Meri Saheli Ke Sath Choda

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साथियो, यह मेरी जिंदगी की सच्ची कहानी है जो मैं आज आपको बताने जा रही हूँ।
जब मैं बारहवीं कक्षा में थी.. उस वक्त मेरी उम्र करीब 18 वर्ष होगी।

उन्हीं दिनों जब स्कूल की ट्रिप में मैं महाराष्ट्र के कोकण के जंगलों में गई थी। हम वहाँ शाम करीब 6 बजे पहुँचे.. टेंट लग चुके थे।

टीचर ने कहा- अब बाकी लड़के और लड़कियाँ जाकर पानी लेकर आएँ..
तो हम 5 लड़कियाँ और दस लड़के पानी लेने गए।

मेरे साथ में पूनम अंजली.. मुस्कान.. श्वेता और एक और लड़की थी, हम लड़कों के पीछे-पीछे जा रहे थे, हम सब मस्ती में सेक्स की बातें करतें हुए जा रहे थे… पर ये बातें बाक़ी लड़कियों को अच्छी नहीं लग रही थीं। तो मैं और पूनम हम पीछे रह गए.. अंधेरा हो चुका था।

मैं बातें करते-करते पूनम की पीछे से गाण्ड दबा रही थी.. तो वह भी आगे बढ़कर मेरे चूचे दबाने लगी। हमें लगा कि हमें कोई नहीं देख रहा.. पर दो लड़के इरफान और विजय.. हमें देख रहे थे।
इरफान मेरे चाचा का लड़का था।

यहाँ पूनम मेरी गाण्ड दबा रही थी और मैं उसकी मसल रही थी। हम पूरी मस्ती के मूड में थे कि मुझे विजय ने और पूनम को इरफान ने पीछे से पकड़ लिया, पूनम डर के मारे आगे को भाग गई.. और मैं अकेली ही इन दोनों सांडों के बीच फंस गई थी, आगे से इरफान और पीछे से विजय जिसे विजु कहते थे.. ने मेरी पीछे से स्कर्ट ऊपर उठा दी और वो मेरी गाण्ड में उंगली करने लगा था, आगे से इरफान मेरी चूत में उंगली कर रहा था।

वे दोनों मुझे उठाकर घनी झाड़ी में ले गए और उधर ले जाकर मुझे लिटा दिया। विजु ने लौड़ा निकाल कर मेरे मुँह में दे दिया और इरफान ने मेरी स्कर्ट निकाल दी, उसने मेरी लाल रंग की पैंटी भी निकाल दी और मेरी चूत चाटने लगा था।
मुझे जोरदार मुत्ती लगी थी.. मेरे मुँह में लौड़ा था.. मैं बोल भी नहीं पाई और मैंने इरफान के मुँह में मूत दिया। इरफान को ठरक इस प्रकार की लगी थी.. उसने मेरा मूत पी लिया।
विजु ने लौड़ा मेरे गले तक फंसा दिया था.. मैं बोल भी नहीं पाई।

अब विजु लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा और इरफान विजु के बाजू हो कर अपना लौड़ा हिलाने लगा। विजु का लंड काफी बड़ा था.. विजु ने अब मेरी चूत में उंगली डाली.. मुझे उसका कोई असर नहीं हुआ।
अब वो लंड डालने जा रहा था। उसका लंड काफी मोटा और बड़ा भी था.. तो मुझे अब तकलीफ होने लगी थी, उसका लंड अब तक पूरा अन्दर गया भी नहीं गया कि मैं दर्द के मारे रोने लगी।

तब उसने जेब से हेयर आयल का पाउच निकाला और अपने लंड पर लगाया। उसने इसके साथ ही मेरी चूत पर भी अपना थूक लगा दिया।
इस बार जब उसने लौड़ा पेला तो अब लंड थोड़ा-थोड़ा आराम से चूत में जाने लगा था.. और अब मुझे तकलीफ भी कम हो रही थी।
उसने इस बार पूरा लण्ड मेरी चूत में डाल दिया, मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरी चूत में गर्म सलाख घुसेड़ दी हो।

कुछ पल ठहरने के बाद विजु अब मेरी जोरदार चुदाई कर रहा था.. मैं दर्द के मारे तड़प रही थी। करीब दस मिनट तक विजु ने मेरी भीषण चुदाई की और चूत में ही झड़ गया था। अब इरफान मेरे ऊपर आया.. उसका विजु जितना तो बड़ा नहीं था पर उसने भी मेरी चूत में अपना लौड़ा डालकर थोड़ा ऊपर-नीचे किया और जल्दी ही झड़ गया।

इस चुदाई में मुझे असली मजा तो विजु ने दिया था।

इरफान झड़ने बाद चला गया.. विजु वहीं रुका हुआ था। मैंने कपड़े पहन लिये थे विजय ने मुझे उठाया और चूम लिया। मेरे होंठ इस प्रकार चूमे कि होंठों से खून निकलने लगा।
विजय ने कहा- सोफी मेरी जान… तुझे कल और मस्त चोदूँगा।

मैंने मेरे बाल और कपड़े ठीक किए और कैम्प की तरफ चल दी। मेरे मन में ख्याल आया कि पूनम ने किसी को कुछ बताया तो नहीं होगा। मुझे अब चुदाई का दर्द हो रहा था कैम्प में किसी को कुछ पता नहीं चला।
मैं जब पूनम के पास गई और उसने मुझसे पूछा- क्या हुआ था?
मैंने कहा- मैं भी भाग गई थी।

मैंने खाना खाया और सो गई। मैं इस विषय में बात करने के मूड में नहीं थी।

सुबह उठी और पता चला कि तीन-तीन के ग्रुप में लड़के-लड़कियाँ जायेंगे और कुदरती तस्वीरें खींच कर लाएंगे।
हमें कैमरा दे दिया गया, मेरे ग्रुप में मेरे पास कैमरा दिया, मेरे साथ दो लड़के दीपक और सोनू थे.. मैं उन्हें जानती थी।

हम सभी ने नाश्ता किया और निकल पड़े। हम काफी दूर आ चुके थे.. दीपक ने मेरी गाण्ड पर हाथ मारा और बोला- सोफिया कभी हमसे भी चूत चुदाई करवा के देखो..
तब मुझे पता चला कि रात को विजय ने सब लड़कों को यह बात बता दी थी कि उसने मेरी चुदाई की है।

मैं चुपचाप चलती रही.. आगे जाकर देखा तो बड़े-बड़े पत्थरों से बीच में गुफा जैसी कुछ जगह थी, हम लोग अन्दर चले गए। अंधेरे में कुछ नहीं दिखाई दे रहा था और उतने में मुझे पीछे से किसी ने पकड़ लिया और मेरी गाण्ड पर जोर से धक्के देने लगा।
मैंने कहा- कौन है?

दीपक की आवाज़ आगे से आई.. फिर देखा कि वह सोनू था।
दीपक ने टॅार्च जलाई तो सोनू ने मुझे घबरा कर छोड़ दिया, दीपक ने हमें देख लिया था, वह भी मेरे पास आकर मुझे चूमने लगा।
सोनू नीचे बैठ कर मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत चाटने लगा था और सोनू कह रहा था- साली मूत दे.. मेरे मुँह में..

उसने मेरी पैंटी उतार दी और मैंने उसके मुँह में मूत दिया, उसने पानी समझ कर पी लिया।
दीपक ने मेरा टॅाप निकाल दिया था, अब वह मेरे मम्मे दबा रहा था, अब मैं पूरी तरह नंगी हो गई थी, दीपक हटा और सोनू ने मेरा मु्ँह पत्थर की दीवार की तरफ दबा दिया और मेरे पीछे मेरी गाण्ड में उंगली डालने लगा था।
आज मेरी गाण्ड की चुदाई होने वाली थी।

अब सोनू भी नंगा हो चुका था, उसने मेरी गाण्ड में लंड डालना चाहा मगर लंड जा नहीं पाया। फिर उसने पैंट की जेब से क्रीम की ट्यूब निकाली और मुझे उलटा लिटा कर मेरी गाण्ड पर खाली कर दी।
अब वह लंड डालने लगा, मैंने महसूस किया कि उसका लंड.. जैसे लंड नहीं मानों लठ हो.. पूरा 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था।

अब वह धीरे-धीरे लंड मेरी गाण्ड में डालने लगा। मुझे तकलीफ होने लगी थी.. पर मजा भी आने वाला था। मैं दर्द सहती गई अब लंड मेरी गाण्ड में लगभग पूरा जा चुका था।
दर्द अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा था। मैं रोने लगी थी.. क्योंकि सोनू का इतना लंबा और मोटा लंड मेरी गाण्ड में जा रहा था। सोनू अपना लंड जब ऊपर की तरफ उठता था.. तो मेरी गाण्ड भी ऊपर चली जाती थी.. तो सोनू अपने हाथ मेरे कूल्हों पर दबा के मेरी गाण्ड में डालने लगा।

वो लौड़े को ऊपर-नीचे.. ऊपर-नीचे.. कर रहा था।
उफ़्फ़.. अल्लाह कसम.. मुझे उस दिन जो तकलीफ हुई थी.. मैं आज तक भूल नहीं पाई।

अब सोनू झड़ने ही वाला था। उसने लंड बाहर निकाला और मेरे मु्ँह में सफेद पानी डाल दिया, मैंने वो पानी थूक दिया।
अब दीपक की बारी आई। उसने भी मुझे उलटा किया और वह भी मेरी गाण्ड पर चढ़ गया और मेरी गाण्ड में लौड़ा डाल कर ऊपर-नीचे कूदने लगा।
मुझे अब बिलकुल भी असर नहीं हो रहा था।
थोड़ी देर बाद दीपक भी झड़ गया था, उसने तो पानी मेरी गाण्ड में ही छोड़ दिया था।
सोनू ने मेरे नंगे बदन की तस्वीरें खींच ली थीं। इस तरह में पूरी ट्रिप में बार-बार चुदती रही। लगभग हर लण्ड ने मेरी चूत को चोदा होगा।
अगला भाग : जवानी के जलवे रात में बिखेरे (Jawani Ke Jalwe Raat Me Bikhere)

पति के सामने गैर मर्द से चुदने का सुख - Pati Ke Saamne Gair Mard Se Chudne Ka Sukh

पति के सामने गैर मर्द से चुदने का सुख - Pati Ke Saamne Gair Mard Se Chudne Ka Sukh , मियां के सामने चुदाई , पति के सामने ही चोदा , पति ने खूब अपनी पत्नी को चुदवाया.

मैं शरद अग्रवाल, उम्र 24 साल, दिल्ली आए मुझे एक अरसा गुजर चुका था… यहाँ नौकरी भी अच्छी है, अब वेतन भी अच्छा है, देखने में भी अच्छा खासा ही हूँ, ऐसा मेरे दोस्त कहते हैं।

खैर मैंने किसी अच्छे घर में शिफ्ट करने की सोची और एक पॉश सेक्टर में एक कमरा किराए पर ले लिया था। ब्रोकर ने कई कमरे दिखाए और उनमें से जो बेहतर था वो मैंने अपने लिए चुन लिया।

मेरी दिनचर्या बहुत ही टाईट रहती है, दिन भर दम भरने की भी फुरसत नहीं, मैं मीडिया से जुड़ा हूँ इसलिए एक एक बात का ध्यान रखना होता है।

कई बार मीटिंग में भी देरी हो जाया करती है।

खैर मैं अपनी जॉब को काफी एन्जॉय भी करता हूँ। इस काम में कई लड़कियों की नौकरी मेरे दम पर चलती है मगर आज तक मैंने किसी का कोई नाजायज फायदा नहीं उठाया, हर काम प्रोफेशनल की तरह करता हूँ, औऱ रात को अपने कमरे में लौट आता हूँ।

कई बार इतवार को भी मेरी जरूरत पड़ जाती है, इस बार मैं इतवार को ऑफ़िस से जल्दी अपने कमरे में लौट आया था और आराम करने के लिए लेटा ही था कि दरवाजे पर मैंने दस्तक सुनी।

मैं- पता नहीं साला, इस वक्त कौन आ गया?

मैंने बड़बड़ाते हुए दरवाजा खोला, मेरे सामने मकान मालिक मिस्टर रवीन्द्र जैन खड़े थे, वो एक निजी बैंक में मैंनेजर की पोस्ट पर हैं।

मैं- अरे सर आप… आइए ना, अन्दर आइए!

मैंने उन्हें आदरपूर्वक अन्दर बुलाया और बिठाया।

मिस्टर जैन बैठते हुए– और भई कैसे हैं आप… आप से तो भेंट ही नहीं होती… आप बीजी ही इतना रहते हैं।
मैं- जी हाँ, काम ही ऐसा है कि अपने लिए भी समय नहीं निकाल पाता मैं… क्या लेंगे आप कुछ ठंडा या…
मिस्टर जैन– यही पूछने तो मैं आपके पास आया हूँ।
मैं- मतलब?

मिस्टर जैन- अरे भाई ना मिलते हो न जुलते हो… क्यों न हम लोग आज शाम बैठें, कुछ तुम अपनी सुनाना, कुछ हमारी सुनना !
मैं- जरूर जरूर क्यों नहीं!
मिस्टर जैन- तो आज शाम 6 बजे का पक्का रहा, मैं तुम्हारा इन्तजार करुँगा… आना जरूर!

इतना कह कर मिस्टर जैन चले गए।

मिस्टर जैन 40-42 साल के हैं उनकी पत्नी रेखा जैन 36-37 साल की एक हाउसवाईफ, उनके दो बच्चे, एक लड़का और लड़की दोनों ही कहीं बाहर में पढ़ते हैं और सिर्फ छुट्टियों में ही घर आते हैं। उनका बड़ा घर है लेकिन सिर्फ छत पर एक कमरा था जिसको उन्होंने किराया पर दिया हुआ है।

मैंने टीवी ऑन किया, एक सिगरेट जला ली और अनमने ढंग से मैंने चैनल बदलना शुरु कर दिया। मेरा मन नहीं लगा तो एक मूवी चैनेल लगा कर छोड़ दिया और वहीं सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगा।

अब शाम के छः बजने वाले थे मैं सीधे फ्रेश होने चला गया।

तैयार होकर मैंने जैन साब के दरवाजे की घंटी बजाई मिस्टर जैन ने दरवाजा खोला।

वो गाउन में थे।

मिस्टर जैन- अरे आओ आओ, तुम्हारा ही इन्तजार कर रहे थे हम लोग… कम इन..
मैं उनके पीछे पीछे अन्दर चला गया, क्या आलीशान ड्राईंग रूम था उनका।

मैं वहीं बैठ गया।

मैं अभी बैठा ही था कि उनकी पत्नी रेखा जैन ने वहाँ आई।
इस उम्र में अक्सर हमारे देश की महिलाओं की उम्र दिखने लगती है मगर रेखा जैन अपनी उम्र से कम से कम दस साल कम लग रही थी, बला की खूबसूरत!

मिस्टर जैन- इनसे तो तुम पहले मिल ही चुके होंगे, फिर भी यह मेरी पत्नी है रेखा!
मैं- हाँ सर, मिल तो चुका हूँ पर जल्दी जल्दी में और तब जब मैं यहाँ पहली बार चाबी लेने आया था।
मिस्टर जैन- रेखा, दिस हैन्डसम यंग मैन हियर इस मिस्टर शरद..

‘तो शरद क्या लोगे? समथिंग हॉट आई बीलीव…?’

यह कहकर वो हंस पड़े और रेखा जैन भी मुस्कुरा दी।

मैंने भी मजाक समझा और हंस पड़ा।
मिस्टर जैन- अरे डार्लिंग, इतना हैंडसम आदमी यहाँ बैठा है, कुछ ड्रिंक सर्व करवाओ भई!

मैं मुस्कुरा दिया।

मिस्टर जैन- और सुनाओ, कैसी चल रही है?
मैं- बस सर, ठीक चल रही है।
मिस्टर जैन- क्या खाक ठीक है… पूरी जवानी तो तुम काम में ही लगा देते हो।

मैं- वेल मिस्टर जैन, औऱ कुछ करने के लिए मेरे पास है ही नहीं, यहाँ अकेला रहता हूँ तो क्या करूँगा?

मिस्टर जैन- और जाहिर है गर्ल फ्रेन्ड भी नहीं होंगी… मैं जानता हूँ तुम जैसे लड़कों को वरकोहलिक टाईप…

मैं चुपचाप उनकी बातें सुन रहा था और मुस्कुरा रहा था

मिस्टर जैन- दरअसल तुम्हारे बॉस मिस्टर किशनलाल हमारे कलाएन्ट भी हैं और काफी अच्छे दोस्त भी हैं वो, उनसे तुम्हारे बारे में एक आध बार चर्चा हुई है, वो तुम्हारी तारीफ बहुत करते हैं… कहते हैं आजकल के जमाने में तुम्हारे जैसे लोग कम ही मिलते हैं।

इतने में रेखा ड्रिंक सर्व करने लगीं।

रेखा जैन- अरे तुम भी ना, रवीन्द्र, आते ही क्लास लेने लगते हो!
मैं- अर्…रे नहीं नहीं मैम, इट्स ऑल राईट।

हम अपनी अपनी ड्रिन्क की चुस्की लेने लगे।

मिस्टर जैन- शरद तुम दिल्ली में कब से हो?
मैं- सर, मैं यहाँ 1995 में ही आ गया था… कॉलेज यहीं से किया और अब नौकरी!
मिस्टर जैन- ओह वाओ… और तुम तो उत्तरप्रदेश के रहने वाले हो ना?

मैंने हाँ कहा।

मिस्टर जैन- औऱ घर में कौन कौन हैं?

मैं- सभी लोग तो हैं माँ-पिताजी हैं, एक भाई है, मुझसे बड़े लखनऊ में हैं, एक मोबाईल कम्पनी में मैंनेजर… पिताजी रिटायर हो चुके हैं अब खेती करते हैं औऱ माँ मेरे लिए आए दिन लड़की ढूंढती रहती हैं जिसे मैं अक्सर नामंजूर कर देता हूँ।

सब हंस पड़े।

मिसेज़ जैन तब तक कुछ खाने का भी लेकर आ गई थी, उन्होंने वहीं सेन्टर टेबल पर खाने का सामान रखा और पास के सोफे पर बैठ गईं।

मिस्टर जैन- गुड… अच्छे परिवार के लड़के हो।

मिसेज़ जैन- तो शरद, समय कैसे गुजरता है तुम्हारा? सिर्फ काम ही करते हो या फिर दिल्ली का मजा भी लेते हो?
मै- मैम, मैं कुछ समझा नहीं?
मिसेज़ जैन- देखो, मेरे कहने का मतलब है कि हम सब मेच्योर लोग हैं और इस भागती दौड़ती जिन्दगी में तुम्हें अपने लिए वक्त निकालना चाहिए।

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैडम जैन कहना क्या चाह रही थी, बार बार मेरी जिन्दगी के बारे क्यों बात कर रहे हैं.. फिर भी मैं चुप ही रहा, मैं चाहता था कि वो ही अपनी बात पूरी करें।

मिसेज़ जैन- देखो मिस्टर जैन भी बहुत बीजी रहते हैं मगर हम सप्ताह में एक दिन ही सही अपने लिए समय निकाल ही लेते हैं… हम लोग मस्ती करने वाले लोग हैं, खुश रहने वाले लोग हैं।

मिस्टर जैन ने रेखा की बात को काटते हुए कहा- देखो यार, एक समय था जब हमारे बीच का रिश्ता खत्म सा हो गया था, मैं हमेशा काम में ही उलझा रहता था। एक टाईम ऐसा भी आया जब हम अलग होने की सोचने लगे थे।

मैं उनकी बातों को गौर से सुन रहा था, मेरी समझ नहीं आ रहा था कि वे कहना क्या चाह रहे थे।

मिस्टर जैन- लेकिन हमने अपने आपको संभाला और फिर से जिन्दगी की शुरुआत की, आज हम सुखी हैं। हमारा एक क्लब है और इस क्लब में कई लोग शामिल हैं, हम चाहेंगे तुम इस क्लब में शामिल हो जाओ !

मैं- हाँ, पर मुझे करना क्या होगा और इस क्लब में होता क्या है?
मिसेज़ जैन ने मेरी बात को काटते हुए कहा- यह एक स्वॉप क्लब है जहाँ हम पार्टनर्स एक्सचेन्ज करते हैं और जिन्दगी का लुत्फ उठाते हैं।
मैं चौंक गया मैंने कहा- व्हाट… स्वॉप क्लब? पर… पर…!!!
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूँ!

मिस्टर जैन मेरी इस उहापोह को समझ गए और उन्होंने कहा- देखो शरद… तुम्हारे लिए चौंकना स्वाभाविक है, लेकिन यह सच है, एक बार हमारे साथ रिश्ता कायम करके देखो, कितना मजा आएगा औऱ तुम कितना आगे जाओगे !

मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूँ।

तभी मिसेज़ रेखा उठकर मेरे पास पहुँची मेरे पास सटकर बैंठ गईं… उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरा और कहा- शरद मेरी ओर देखो, इस क्लब में कई ऐसे लोग हैं जिनके बारे वहाँ जाने पर तुम्हें पता लगेगा औऱ उनके हमारे बीच का डोर बहुत मजबूत है।

उनके कहने पर मैं मान गया औऱ मेम्बर बना दिया गया।

अब रात के नौ बज चुके थे मिसेज़ जैन डिनर सर्व करने के लिए चली गई।

मिस्टर जैन ने अपनी ड्रिन्क खत्म करते हुए कहा- इस क्लब के कुछ नियम हैं शरद… इस क्लब के मेम्बर्स बाहर के लोगों के साथ क्लब को डिसकस नहीं करते, दूसरी बात यह कि कोई किसी के साथ जबरदस्ती नहीं करता… बाकी की बातें तुम्हें तुम्हारे ईमेल पर भेज दी जाएगी, अच्छे से पढ़ लेना !

मैं- ओ के सर…

मैंने ओके कह तो दिया था लेकिन मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।

खैर किसी तरह से डिनर खत्म करके मैं वहाँ से निकलना चाहता था।

डिनर के बाद मिसेज़ जैन ने मुझसे कहा- तुम्हें कोई जल्दी तो नहीं है ना सोने की… डिनर के बाद? हम सब थोड़ी और बातचीत करते हैं।

मैं अनमने ढंग से मान गया और फिर हम सब लिविंग रूम में चले गए।

रेखा ने वहीं म्यूज़िक सिस्टम पर एक अच्छी सी धुन लगाई और डांस करना शुरु कर दिया।

मिस्टर जैन भी उठकर डांस करने लगे।

रेखा जैन डांस करती हुई मेरे पास पहुँची और मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया।

मेरे लिए यह सब कुछ बिल्कुल नया था… मैं संकोच कर रहा था लेकिन मिसेज़ जैन के जबरदस्ती करने पर मैं उठ खड़ा हुआ और उनका साथ देने लगा।

अब कमरे में हम तीनों ही डांस कर रहे थे, मिसेज़ जैन कभी मिस्टर जैन के साथ डांस करती तो कभी घूमकर मेरे साथ डांस करने लगती।
कभी वो अपने आप को मेरे इतना करीब ले आती कि मेरी सांस ही रुक जाती।

इन सब से मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, मेरी पैन्ट में हलचल मचने लगी थी लेकिन मिसेज़ जैन ये सब कुछ इतने सलीके से कर रही थी कि माहौल खुशनुमा बना रहे।

अचानक मैंने देखा कि मिस्टर जैन मिसेज़ जैन को चूम रहे हैं, उन दोनों के होंठ एक दूसरे से टकरा रहे थे।

मिस्टर जैन ने चुम्बन करते करते रेखा जैन की चूचियों को बाहर निकाल लिया।

मेरी नजर रेखा जैन की चूचियों पर ही गड़ गई थी और यह बात मिसेज़ जैन और मिस्टर जैन ने ताड़ ली… मिसेज़ जैन ने भी आगे बढ़ते हुए मिस्टर जैन का पूरा लंड बाहर निकाल लिया था और उसके साथ खेलने लगी।

मैं ये सब देखकर बेकाबू हुआ जा रहा था।

मिसेज़ जैन ने अपनी नशीली आँखों से मुझे घूरा और इशारा करके अपनी तरफ बुलाया।

मैं भी अपने आपको रोक नहीं पाया, उनके करीब पहुँच गया।

मिसेज़ जैन मिस्टर जैन को छोड़कर मेरे करीब आने लगी और अपनी होठों को मेरे होठों से चिपका दिया।

क्या बला की सेक्सी लग रही थी रेखा जैन…
मैडम जैन मेरे सीने को सहलाने लगी थी और इन सब का असर मेरे लंड पर हो रहा था, मेरी सांसें तेज चल रही थी।

उन्होंने अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरे जीन्स की जिप खोल दी और मेरे लंड को पहले तो सहलाया और फिर उसे बाहर निकाल लिया।

मेरा लंड अब पूरी तरह से तनकर बाहर आ गया था।

मिसेज़ जैन- वाह.. क्या लंड है तुम्हारा शरद… लगता है इस पर बहुत मेहनत की है तुमने!

मैं उनकी इस बात पर घबराते हुए मुस्कुरा दिया।

मुझे शर्म भी बहुत आ रही थी, किसी औरत ने पहली बार मेरे लंड को छुआ था।

मिसेज़ जैन- अरे यार जैन, देखो तो क्या मस्त लंड है इसका?

मिस्टर जैन- क्या गुरु, कभी इसका इस्तमाल किया है सिर्फ मूतने के काम में ही लाते हो?

मिस्टर जैन की इस बात से हम सब एक साथ हंस पड़े।

मिसेज़ जैन मेरे लंड से लगातार खेल रही थी।

मैं- न..नहीं…मैम… आज तक कभी मौका ही नहीं लगा।

मैंने हकलाते हुए यह बात कही।

मैं और कुछ कह पाता, तब तक रेखा जैन अपने घुटनों के बल बैठ गई और मेरे लंड को बड़ी अदा से चूम लिया।
मेरे पूरे बदन में करन्ट दौड़ गया।
मैंने अपनी नजर नीचे की लेकिन मेरा खुद का काबू अब मेरे ऊपर नहीं था।

मिस्टर जैन ने ताली बजा कर मिसेज़ जैन के इस काम का स्वागत किया।

मिसेज़ जैन ने अब मेरा आधा लंड अपने मुख में ले लिया और उसे आईसक्रीम की तरह चूसने लगी। उन्होंने तेजी से मेरे लंड को चूसना शुरु कर दिया था, मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मिस्टर जैन अपने जगह से उठे और रेखा जैन के पीछे आकर खड़े हो गए। उन्होंने रेखा के आगे अपनी लंड कर दिया, उनके सिर को पकड़ अपने लंड की ओर घुमाते हुए कहा- डार्लिंग, जरा मेरा भी कुछ करो न…

रेखा जैन ने मेरे लंड छोड़ कर अब मिस्टर जैन के लंड को चूसना शुरु कर दिया।

मिसेज़ जैन उठकर खड़ी हो गई, मुझसे चिपक गई और मुझे चुम्बन करना शुरु कर दिया, उन्होंने अपने हाथ को बढ़ा कर मेरे लंड से खेलना शुरु कर दिया।

मेरा भी अब संकोच कुछ कम होता जा रहा था और मैंने अब उनके चूचियों को सहलाना शुरु कर दिया, फिर उनकी चूचियों के चुचूकों को घुमाना शुरु कर दिया।

मिस्टर जैन- एक्सक्यूज मी एवरी बडी… हम एक काम करते हैं, हम अपने अपने कपड़े उतार देते हैं क्योंकि ये कपड़े हमारे मौज-मस्ती के बीच रोड़ा अटका रहे हैं।

मैंने अपनी टी शर्ट उतारनी चाही तो मिसेज़ जैन ने हाथ पकड़ लिया और कहा- यार शरद, तुम्हारे कपड़े मैं उतारूँगी।

उन्होंने इतना कह कर बड़ी अदा से पहले मेरी टीशर्ट को उतारा और फिर मेरी छाती को चूमने लगीं, उन्होंने पहले मेरी गर्दन को चूमना शुरु किया फिर धीरे धीरे वो मेरे सीने तक पहुँची और मेरी दोनों घुण्डियों को बारी बारी चूमना शुरु कर दिया और फिर वो चूमते चूमते मेरे पेट तक पहुँच गई, मेरी नाभि के आसपास चूमना शुरु कर दिया।

औऱ फिर उन्होंने बड़े आराम से मुझे वहीं सोफे पर धकेल दिया, मैं उस बड़े से सोफे पर लगभग आधा लेट गया और अब मिसेज़ जैन ने मेरे जीन्स को मेरी टांगों से खींचकर अलग कर दिया।

मेरा लंड फनफना रहा था।

उन्होने मेरे बचे-खुचे अंडरवियर को भी मुझसे अलग कर दिया, मैं अब पूरी तरह से नंगा लेटा हुआ था और मेरा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा था… मुझे इस अवस्था में देखकर मिसेज़ जैन की आँखों में अजीब सी चमक आई, वो खड़ी होकर अपने कपड़े भी खोलने लगीं और इधर मिस्टर जैन भी अपने कपड़ों को अपने जिस्म से अलग कर चुके थे।

मिसेज़ जैन भी पूरी तरह से नंगी खड़ी थी, मैंने एक सरसरी नजर मिसेज़ जैन पर डाली… वाह क्या तराशा हुआ जिस्म था उनका… मुलायम मगर उठी हुए चूचियाँ, भूरे निप्पल… सुराहीदार गर्दन, कटीले नयन नक्श और पेट भी काफी सेक्सी लग रहा था, कहीं कोई चर्बी नहीं थी, नाभि भी काफी सेक्सी लग रही थी।

नाभि के नीचे के हिस्से भी कम दिलचस्प नहीं थे, बिल्कुल चिकनी चूत, जरा भी बाल नहीं थे उस पर, एकदम रसीली लग रही थी और दो चिकनी जांघों ने उस चूत पर चार चांद लगा दिए थे।

मैं रेखा जैन के जिस्म को अपने आँखों से लगातार पिए जा रहा था और मिस्टर जैन मेरी इस हरकत को देखकर मुस्कुराए जा रहे थे।

मिस्टर जैन अपनी नंग धडंग पत्नी की ओर आए उसे वहीं दीवान पर लेटा दिया।

मैं इधर सोफे पर पड़े पड़े यह तमाशा देख रहा था।

उन्होंने मिसेज़ जैन को लेटाते हुए उनकी जांघों को अलग किया और मेरी ओर देखकर आँख मार दी।

उन्होंने अपने होठों को उस चिकनी मादक चूत पर रख दिया और उसे चाटने लगे।

रेखा जैन चिहुंक उठी और मस्ती में सिसकारने लगी।

मैं भी अब उठ खड़ा हुआ और उनके करीब पहुँच गया।

मिसेज़ जैन ने मेरे लंड को अपने मुख में ले लिया और उसे चूसने लगी।

मिस्टर जैन उनकी चूत चाट रहे थे और मिसेज़ जैन मेरा लंड चूस रही थी।

अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊँगा, मैंने अपने आपको अलग कर लिया। मिसेज़ जैन और मिस्टर जैन यह बात समझ गए।

मिसेज़ जैन- अरे शरद… आओ ना… मेरी चूत देखो न तुम्हारे लंड को देखकर कैसे लार टपका रही है… देर न करो, अपने लंड को मेरी इस रसदार जैन चूत में डाल कर खूब चोदो।

मैं उनकी इस तरह की भाषा को सुनकर हैरान रह गया लेकिन उनकी ये बातें कामोत्तेजक लग रही थी।

मिस्टर जैन- अरे आओ भी ! तुम तो लड़कियों की तरह शर्माते हो?

मैं उनकी ओर बढ़ा और मिसेज़ जैन की जांघों के बीच जाकर खड़ा हो गया, मिसेज़ जैन ने मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर टिका कर कहा- शरद एक हल्का सा धक्का देना!

मैंने वैसे ही किया और मेरा लंड उनकी चूत के अन्दर बड़े आराम से घुस गया। मैं भी मस्ती में झूम उठा, इस तरह की मस्ती की अनुभूति मुझे पहले कभी नहीं हुई थी।

मैंने हल्का सा धक्का और मारा तो अब मेरा आधा लौड़ा रेखा जैन की रसदार चूत के अन्दर था।
मैं अब उसे धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा… रेखा जैन ने मस्ती में आहे भरकर बड़बड़ाने लगी- आह… ओह, क्या मस्त लंड है तुम्हारा… ओह बहुत अच्छा लग रहा है यार… हाँ हाँ ऐसे ही, ऐसे ही यार… हाँ हाँ और अन्दर डालो जोर से जोर… खूब चोदो मुझे शरद आज पूरा निचोड़ दो मुझे… इतना जवान कुंवारा लंड… इतना कड़क लंड बहुत दिनों के बाद मिला है मुझे… रवीन्द्र देखो न, यह शरद का लंड कितना अच्छा है… तुम भी आओ न, मैं तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ, आओ ना यार जैन डार्लिंग, आ जाओ न… उफ क्या लंड है शरद तुम्हारा…

मैं रेखा जैन की इन बातों से और उत्तेजित होकर उन्हें तेजी में चोदने लगा।

मिसेज़ जैन अब मिस्टर जैन का लंड लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी और मैं चुदाई कर रहा था।

इसी क्रम में मिसेज़ जैन ने अपना मुंह मिस्टर जैन के लंड से अलग किया और मुझसे कहा- शरद अब मुझे डॉगी स्टाईल से चोदो ना… मैं तुम्हारी कुतिया हूँ मैं तुम्हारी राण्ड हूँ, मेरे खसम के सामने मुझे चोदो शरद !

यह कहकर वो मुझसे भी अलग हो गई और घुटनों के बल झुक गई और मैं पीछे से अपना लंड उनकी चूत में घुसाने लगा।

इधर मिस्टर जैन भी अपने लंड से रेखा जैन के मुख को चोदने लगे।

कमरे में अजीब नज़ारा था, मिस्टर जैन अपना लंड रेखा जैन के मुंह में लगातार पेल रहे थे और मैं उनकी चूत को!

अचानक मिस्टर जैन के बदन में अकड़न आने लगी और वो जोर जोर से अपनी कमर हिलाने लगे और थोड़ी देर में उनके लंड से सफेद पिचकारी छुटी और रेखा जैन के होठों के बीच से मिस्टर जैन सफेद वीर्य बाहर आने लगा।

मिसेज़ जैन ने मिस्टर जैन के लंड का पूरा पानी पी लिया, उनके लौड़े पर लगा माल भी चाट लिया और मिस्टर जैन वहीं पास की कुर्सी पर बैठकर हाँफने लगे।
इधर मैं दनादन रेखा जैन की चुदाई कर रहा था… मैं बीच बीच में रेखा जैन के हिलते गांड को भी निहारे जा रहा था… क्या गाण्ड थी मिसेज़ जैन की…

मैं- मैम, आपकी चूत काफी रसदार है… बहुत गर्म भी और गाण्ड भी आपकी बहुत प्यारी है।

मिसेज़ जैन- वाह रे मेरे शेर… तुम तो बहुत छुपे रुस्तम निकले… हाँ… देखो तुम्हारा लंड बहुत प्यारा है। मैं बहुत ज्यादा देर तक अब ठहर नहीं पाऊँगी… मेरा अब छुटने वाला है शरद… और तेजी से चोदो मुझे !

मैं भी अब चरम पर पहुँचता जा रहा था।

अचानक रेखा जैन जोर जोर से हाँफने लगी और कहने लगी- रुकना मत, रुकना मत मेरे चोदू, मत रुकना, मैं झड़ रही हूँ शरद, मैं झड़ रही हूँ! ओह हाँ हाँ… ऐसे ही… ऐसे… रुकना मत… रुकना मत!

और यह कहते कहते रेखा जैन का पूरा शरीर थरथराने लगा और झड़ने लगी। इधर मैं भी अब कांपने लगा, मेरे लंड से वीर्य का ज्वालामुखी फ़ूट पड़ा और रेखा जैन की पीठ पर ही औंधे मुंह लेट गया।
हम दोनों बुरी तरह से हाँफ रहे थे।

थोड़ी देर में जब होश आया तो हम लोग उठकर बैठे, मिस्टर जैन वहीं पास में बैठे थे।

हम तीनों नंगे वहाँ बैठे थे।

मिस्टर जैन- तो शरद, मजा आया?

मैंने हाँ में गर्दन हिला दी।

मिस्टर जैन- देखो लाईफ कितनी मस्त है और इसमें कितना मजा है… वेलकम टु द क्लब!

यह कहते हुए मिस्टर जैन और मिसेज़ जैन हंसते हुए ताली बजाई और मैंने खड़े होकर उन्हें झुककर सलाम किया।

मिस्टर जैन- इसी बात पर एक एक ड्रिंक हो जाए।

मिसेज़ जैन उठी और तीन ग्लास में स्कॉच लेकर आईं… इम तीनों ने टोस्ट किया और ड्रिंक को बॉटम्स अप मारा।

अब रात के करीब 12 बज चुके थे, मैंने उनसे कहा- मिस्टर जैन… मैम, रात बहुत हो गई है अब मुझे चलना चाहिए।

मिसेज़ जैन- ओह यस… रात बहुत हो गई है… अब हमें सोना चाहिए लेकिन वी स्पेन्ट अ वन्डरफुल सन्डे टुडे… थैक्स शरद फॉर कमिंग एण्ड दिस वॉन्डरफुल इवनिंग…

मिस्टर जैन- हाँ डार्लिंग, शाम तो अच्छी गुजरी है लेकिन शरद तो हमारे घर के सदस्य जैसा ही है… शरद यू आर ए नाईस बॉय… मैं जल्द तुम्हें और लोगों से भी इन्ट्रोडयूस करुँगा।

मैं- शुक्रिया तो मुझे कहना चाहिए आप लोगों का जिन्होंने मुझे स्वर्ग जैसी अनुभूति करवाई… गुड नाईट सर… सी यू सून!

यह कह कर मैं अपने कमरे में चला आया और कपड़े बदल कर सोने की तैयारी करने लगा।
मैं बहुत हल्का महसूस कर रहा था… चुदाई पहली बार मैंने की थी और थकान भी महसूस हो रही थी, मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला।

जिसका लंड दमदार स्वीटी उसी की हुई - Jiske Lund Damdaar Sweety Usi Ki Hui

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आज बीना जैन करीब 42 साल की है, उनके पति की जब मौत हुई थी तो उनकी इकलौती बेटी सिर्फ आठ साल की थी। बीना जैन ने अपनी लड़की स्वीटी को लड़के की तरह पाला।

आज स्वीटी 19 साल की हो गई है। बीना के पति एक स्थानीय पार्टी के नेता थे, अपनी मौत के बाद वे इतनी सम्पत्ति छोड़ गए थे कि बीना अपना और स्वीटी का खर्चा आराम से चला रही थी। इसके अलावा बीना एक एन जी ओ और महिलाओं के लिए एक हेल्थ सेण्टर भी चला थी जिससे भी अच्छी कमाई हो जाती थी, नेता की पत्नी होने के कारण बीना के बड़े बड़े अफसरों, पुलिस वालों और नेताओं से अच्छी पहचान थी। बीना अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखती थी इसलिए 42 साल की होने के बावजूद वह सिर्फ 30 साल की लगती थी। बीना ने स्वीटी को भी जूडो कराटे की ट्रेनिंग दे रखी थी, बीना चाहती थी कि उसकी लड़की स्वीटी एक लड़के की तरह निडर और हिम्मत वाली बने।

बीना रोज सवेरे सात बजे अपने बंगले के सामने वाले मैदान में जोगिंग और टहलने के लिए जाती थी, साथ में स्वीटी को भी साथ ले जाती थी। बीना जैन जिससे भी मिल कर बात करती तो स्वीटी की बढ़ चढ़ कर तारीफ़ करती थी, बीना कहती- यह मेरी बेटी नहीं, मेरा बेटा है। अगर कहीं झगड़े की नौबत आयेगी तो स्वीटी एक साथ चार चार लड़कों से निपट सकती है और चारों पर भारी पड़ेगी।

ऐसी बातें सुन सुन कर स्वीटी भी लोगों से बेकार, बिना बात पर पंगे लिया करती थी लेकिन लोग बीना के पुलिस से संबंधों के कारण चुप रह जाते थे। वैसे तो बीना खुद को काफी शरीफ दिखाती थी लेकिन लोग जानते थे कि बीना कई लोगों के लौड़े ले चुकी है, एक औरत को जवान बने रहने के लिए रोज चुदाई करवाना जरूरी है, लण्ड का पानी डाले बिना जवानी का पौधा मुरझा जाता है।

एक दिन शाम के समय बीना के घर के सामने वाले मैदान में एक पेड़ के पास चार लड़के पेशाब कर रहे थे और लम्बे लम्बे लंड निकाल कर पेशाब झटक रहे थे। उस समय स्वीटी अपने मकान के वरांडे में थी। पहले तो उसे बड़े बड़े लंड देख कर मजा आया, वह लड़कों के लंड गौर से देखती रही। लेकिन जब लड़के जाने की तैयारी करने लगे तो अचानक स्वीटी ने अपनी मम्मी को चिल्ला कर बुलाया जो उस समय घर में ही थी।

जैसे ही बीना पास आई तो स्वीटी बोली- देखो मम्मी, ये लड़के मेरी तरफ अपने लंड दिखा कर इशारे कर रहे थे।

बीना स्वीटी को अपने साथ उन लड़कों के करीब गई और गालियाँ देने लगी, बीना बोली- मादरचोदो, अगर तुम्हारे लंड में इतनी जवानी उबल रही है तो अपनी माँ बहन की चूतों में घुसा दो ! अगर किसी ने मेरी लड़की तरफ लंड निकाला तो उसी लंड को पकड़ कर तुम्हारी गांड में घुसा दूँगी।

बेचारे लड़के यह सुन कर सन्न रह गए, फिर भी बीना का का मन नहीं माना। उसने स्वीटी से कहा- स्वीटी उठ, लगा एक एक तमाचा इन हरामियों के गालों पर !

फ़ौरन स्वीटी ने सबके गालों पर ऐसा झन्नाटेदार तमाचा लगाया कि लड़कों के गाल लाल हो गए। धीरे धीरे काफी भीड़ जमा हो गई इसलिए और झगड़ा बढ़ने के भय से लड़कों ने खिसकने में ही अपनी भलाई समझी। लेकिन जाते जाते वे स्वीटी और बीना को गुस्से की नजर से घूरते रहे।

घर जाकर लड़कों ने अपमान का बदला लेने की योजना बनाई, उनके पड़ोस में एक आवारा किस्म का लड़का गुड्डू रहता था। उसके साथ मिलकर कुल चार लड़के इस योजना में शामिल हो गये। उन्हें पता था कि रात को बीना और स्वीटी अकेले सोती हैं। नेता की पत्नी होने से बीना रात को नौ बजे ही दोनों नौकरानियों की छुट्टी कर देती थी, रात को भी चौकीदार उस बंगले पर सिर्फ एक बार गश्त लगाता था।

रात को जब बीना और स्वीटी सो चुके तो गुड्डू एक रस्सी लाया उससे हुक लगा कर पहले गुड्डू फिर उमेश, विजय और मनोज चाट पर चढ़ गए। फिर खिड़की खोलकर बीना के बेडरूम में घुस गए, एक बेड पर बीना और दूसरे पर स्वीटी सो रही थे।

रात को कमरे में नाईट लेम्प जल रहा था, बीना मेक्सी और स्वीटी सलवार-कमीज पहने थी। गुड्डू ने पहले चुपचाप धीरे धीरे बीना की मेक्सी ऊपर खिसका कर उतार दी, फिर स्वीटी की सलवार-कमीज उतार दी। दोनों के शरीर पर सिर्फ पेंटी रह गई, बीना और स्वीटी की चूतें और तने हुए बोबे देख कर सबके लंड सांप की तरह फनफना रहे थे।

गुड्डू ने आराम आराम से बीना की चड्डी भी नीची सरका दी लेकिन बीना को पता नहीं चला। बीना चूत से मस्त खुशबू आ रही थी और चूत से रस जैसा कुछ लगा हुआ था। शायद बीना कही किसी से चुदवा कर आई थी इसलिए बेखबरी से सो रही थी।

उमेश से रहा नहीं गया उसने एक उंगली बीना की चूत में घुसा दी और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। बीना को पहले तो मजा आया, उसे सपने में लगा कि वह किसी अपने यार का लंड चूत में ले रही है, जब मनोज ने बीना की गांड में भी उंगली डाली तो बीना जाग गई और चौंक कर पलंग पर बैठ गई, उसने देखा कि सामने चार चार लंड तैयार हैं, डर कर बीना ने पूछा- तुम लोग कौन हो और क्या चाहते हो?

गुड्डू बोला- साली देख कर भी पूछ रही है? सामने लंड और हमारे सामने चूतें हैं, क्या हम भजन करने आये हैं? हम आज तेरी और तेरी बेटी को अपने लंड का स्वाद देने आये हैं। अगर हमारी बात नहीं मानी तो यहीं तुम्हारी लाश छोड़ कर चले जायेंगे, बात मान जाओगी तो तुम्हें मजा आयेगा। जब माँ चुदवायेगी तो बेटी को और मजा आयेगा, तुम फ़िक्र नहीं करो, हम लोग अनुभवी चोदू हैं, तुम्हें हमारे लंड जरूर पसंद आयेंगे। फिर तुम लोग हमसे हमेशा चुदवाती रहोगी। इसलिए हम पहले तुम्हें अपने तरीके चुदाई करेंगे, एक तुम्हारे मुँह में एक गांड में और एक चूत में लंड डालेगा। तुम भी याद करोगी इस नई सुहागरात को ! तब तक एक आदमी स्वीटी की चूत गर्म करेगा। सवेरे तक हमारा कार्यक्रम चलेगा, अगर आप राजीखुशी नहीं मानेगी तो हम मजबूर होकर जबरदस्ती करेंगे। हम तो अपने लंड का पानी तुम्हारी चूतों और गांडों में डाले बिना नही मानेंगे, आप फ़ौरन सारे कपड़े उतार दे। अब हमारे लंड को सब्र नहीं हो रहा है।

बीना खुशी खुशी तुरंत नंगी हो गई, सारे लड़के यह देख कर खुश हो गए कि बीना बड़ी जल्दी आसानी से चुदवाने को राजी हो गई। तीनों ने अपनी अपनी पोजीशन बना ली। मनोज को गांड मारने का बड़ा शौक था इसलिए उसने अपना लंड बीना की चूत में डालने के लिए अपने ऊपर चढ़ा लिया। ताकि नीचे से उमेश उसकी छूट में लंड घुसा सके।

बीना विजय का लंड चूसने लगी, उसे पहली बार स्वर्ग जैसा आनन्द आ रहा था, वह गपागप लंड लेने लगी। मनोज का लंड लंबा होने के कारण बीना की गांड में दर्द होने लगा, वह ओय… ओय… उफ़… उफ़… अरे… अरे… करने लगी।

मनोज बोला- आप चिल्लाना बंद करके मेरे लंड का कमाल देखें.. आज मैं आपकी गांड को गेट बना दूँगा। आप हमेशा मेरे लंड को याद रखेंगी।

विजय ने बीना के मुंह में पेशाब कर दिया जिसे बीना स्वाद लेकर पी गई, फिर तीनों ने बदल बदल कर बीना की चुदाई चालू कर दी।

उस समय जब स्वीटी सो रही थी तो गुड्डू ने स्वीटी की पैंटी निकाल दी। स्वीटी की कुंवारी बिना बाल की चूत देख कर चारों मस्त हो रहे थे।

कमरे में चुदाई की आवाजें ‘फच… फच… फच… फच…’ गूँज रही थीं।

तभी गुड्डू ने स्वीटी को उठा कर पलंग के पास खड़ा कर दिया जहाँ बीना तीन तीन लौड़ों से चुदवा रही थी। स्वीटी को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी मम्मी इतनी बड़ी चुदक्कड़ है। उसका मुंह खुला का खुला रह गया, उसे कुछ समझ में नहीं आया। वह सिर्फ मम्मी की चूत और गांड में आदर बाहर होने वाले लम्बे लम्बे लंड देख कर ताज्जुब मान रही थी और सोचने लगी कि अगर यही लंड मेरी चूत में डाले जायेंगे तो क्या होगा।

चुदते चुदते बीना बोली- स्वीटी, डरो नहीं, ये लोग मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेंगे, ये अच्छे लड़के हैं, अपना काम कर रहे हैं। आज मुझे तुम्हारे पापा की याद आ रही है, वे तो अब नहीं हैं लेकिन इन लोगों ने मुझे खुश कर दिया, ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं मिला। बेटी, चुदाई से बड़ा कोई सुख नहीं है, औरतें तो एक लंड के लिए तरस जाती हैं, यहाँ तो घर में ही चार चार तगड़े लंड मिल गए, इस मौके का पूरा फ़ायदा लेना चाहिए।

स्वीटी बोली- मम्मी, मैं भी आपकी बेटी हूँ, मैं भी आपकी तरह चुदवाना चाहती हूँ। जब शादी के बाद भी चूत में लंड घुसेगा तो आज क्यों नहीं। आप ही तो कहती हैं कि चूत सिर्फ चुदाने के लिए बनी है, चाहे किसी का लंड हो, मजा एक सा आता है।

यह सुन कर गुड्डू बोला- स्वीटी तुम खुद तय करो कि पहला लंड किसका लोगी?

स्वीटी बोली- शायद तुम्हें पता नहीं है कि ‘मेरे बारे में मम्मी सबसे कहती हैं कि मेरी बेटी एक साथ चार चार को निपटा सकती है !’ इसलिए माँ तरह मैं बारी बारी सबसे चुदवाऊँगी और सबका लंड लूंगी।

तब तक बीना का एक दौर हो चुका था, सबने मिल कर स्वीटी को पलंग पर गिरा लिया और पागलों की तरह चोदने लगे। जब स्वीटी की चूत फटी तो वह चिल्लाई, बीना बोली- बेटी, लंड का अपमान नहीं करो, उसे आराम से अपनी चूत और गांड में जाने दो, तभी असली में वही मजा आयेगा जो मैं ले चुकी हूँ।

स्वीटी धक्के पर धक्का सहने लगी, वह मस्त होकर नीचे से अपनी चूत उछाल कर लंड अन्दर लेने लगी।

एक घण्टे के बाद स्वीटी की चूत वीर्य से भर गई, वीर्य बाहर रिसने लगा तो बीना ने अपनी बेटी की चूत से सारा वीर्य चाट लिया।

बीना बोली- मेरी एक दिन की खुराक मिल गई। यही है मेरी जवानी का राज ! अगर तुम लोग हमेशा मेरी इसी तरह से चुदाई करते रहोगे तो स्वीटी तुम में से जिस का लंड पसंद करेगी, तो मैं उसी से स्वीटी की शादी करवा दूंगी।

लेकिन एक शर्त है कि शादी के बाद भी तुम सब स्वीटी के साथ मुझे भी अपने लंड का मजा देते रहोगे।

स्वीटी को उमेश का लण्ड पसन्द आया क्योंकि उसके वीर्य से स्वीटी की चूत भर गई थी, वह बोली- मुझे भी वीर्य पीने के फायदे पता चल गए हैं।

उस रात तीन बार चुदाई का दौर चला, बीना और स्वीटी की चूतें और गांड सूज गई थी। बाद में बीना ने अपना वायदा पूरा किया और स्वीटी की शादी उमेश से करा दी। आज उमेश अपने उन सभी दोस्तों के साथ स्वीटी की जमकर चुदाई कर रहा है। स्वीटी एक तरह से सबकी सांझी पत्नी बन कर रह रही है, उसे लण्डों की कोई कमी नहीं रही !

कभी कभी जब बीना की चूत गर्म हो जाती है तो वह इन्हीं लोगों को बुला कर अपनी गर्मी शांत कर लेती है।

गर्लफ्रेंड और उसकी शर्मीली दोस्त एक साथ चुदी - Girlfriend Aur Uski Sharmili Dost Ek Sath Chudi

गर्लफ्रेंड और उसकी शर्मीली दोस्त एक साथ चुदी - Girlfriend Aur Uski Sharmili Dost Ek Sath Chudi , दोस्त की गर्लफ्रेंड को पटा कर उसकी चुत चुदाई की हिंदी सेक्स कहानी. Dost Ki Girlfriend ko pata kar uski chut chudai ki Hindi sex kahani.

इन्टरनेट पर एक लड़की से मेरी बात हुई, मैंने उसे अपनी फोटो भेजी, उसने भी अपनी तस्वीर मुझे भेजी, वो भी बहुत खूबसूरत थी।
रोज हमारी बात होती, वो भी गुजरात में ही रहती थी, थोड़े दिनों में हमारी बातचीत खुली हो गई, अब वो मुझसे मिलना चाहती थी।

फिर हम एक दिन साउथ एक्स में मिले।
वो मुझे बहुत पसंद करने लगी। फिर मुलाकातें बढ़ने लगी, कभी कभी हम छोटी मोटी किस भी कर लेते थे।

फिर एक दिन मुझे उसने अपने घर बुलाया, शायद उस दिन उसके घर कोई नहीं था, मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था।

मैंने घण्टी बजाई तो वो बाहर आई, उसने सेक्सी सा लाल रंग का गाऊन पहना था और वो बहुत सेक्सी लग रही थी!

मैं उसके घर के अंदर गया, उसका घर ठीक-ठाक था।

मैंने देखा कि सच में उसके घर पर कोई नहीं था।
मैं सोफे पर बैठ गया और वो मेरे लिए चाय बनाने चली गई।

तभी अंदर से कुछ आवाज़ें आने लगी।

मैंने सुना, अन्दर झांका तो मैं जान गया कि उसकी एक सहेली उसके घर पर थी, वो थोड़ी मोटी सी पर माल थी, जींस ओर टॉप पहन रखा था उसने!

मुझे देख वो मेरे पास आई!

ओह सॉरी… दोनों का नाम बताना तो मैं भूल ही गया, मेरी गर्ल फ्रेंड का नाम सिमरन है ओर उसकी सहेली का नाम ज्योति है!

वो दोनो मेरे पास आकर बैठ गई।

सिमरन ने अपनी सहेली का परिचय करवाया।

तभी मेरी गर्ल फ्रेंड सिमरन ने मुझे कोई बात बताने के लिए मुझे उठने के लिए बोला।

मैं उठ कर उसके पीछे गया तो वो बाथरूम की ओर जा रही थी, अंदर आते ही उसने मुझे पकड़ लिया और चूमने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने भी उसे दबाना चालू कर दिया, वो गर्म हो गई थी।

मैंने आज पहली बार उसके चूचे शर्ट से बाहर निकाले और उन्हें चूमना शुरू कर दिया।

उसने मेरे गालों पर हाथ रखकर बोला- मेरी सहेली का कोई बॉय फ्रेंड नहीं है तो वो भी तुमसे आज मिलना चाहती है और मैं भी।

मैं समझ गया कि दोनों आज चुदना चाहती हैं, मैंने कहा- ठीक है।

मैंने जितना सोचा भी नहीं था, उससे ज़्यादा मिल रहा है आज!
मेरा लौड़ा खड़ा हो रहा था उन दोनों को देख कर!

हम बाहर आए तो सिमरन ने बोला- चलो, मेरे कमरे में चलते हैं!

हम उसके कमरे में चले गये और मैं बेड पर बैठ गया, वो दोनों खड़ी थी!

सिमरन मेरे ऊपर आकर मुझे किस करने लगी, लेकिन ज्योति शर्मा रही थी, वो मेरे पास आकर बैठ गई।

मैंने सिमरन का गाउन उतार दिया और उसके बूब्स को चूमने लगा और सिमरन ज्योति को किस करने लगी।

मेरा लौड़ा पूरा खड़ा हो गया था!

कुछ देर बाद मुझे लगा कि कोई मेरे पैंट की जिप खोल रहा है, और वो ज्योति थी, उसने भी अपने कपड़े उतार दिए थे, उसने मेरा लौड़ा बाहर निकाल लिया, वो देखते ही डर गई, सिमरन ने भी मुड़ कर देखा और नीचे उतर गई और मेरे लण्ड को ध्यान से देखने लगी!

दोनों देख कर डर गई थी कि इतना बड़ा हम कैसे ले पाएँगी!

मैंने दोनों के बाल पकड़े और दोनों को लौड़े पे किस करवाया।
दोनों मस्त होकर चूसने लग गई।
कुछ देर बाद मैं सिमरन को अपने ऊपर लेके उसकी चूत चाटने लगा, वो सिसकारियाँ लेने लगी- आआआहहह… चूसो मुझे… चूसो ज़ोर से…

उसकी आवाज़ें सुन कर मैं भी मदहोश होने लगा!
वहाँ मेरी गर्लफ़्रेंड की शर्मीली सहेली ज्योति मेरे लौड़े को पूरा अंदर लेने की कोशिश कर रही थी!

मुझे मज़ा आ रहा था!

मैंने ज्योति को अपने कपड़े उतारने को कहा!

अब हम तीनो नंगे थे!
सिमरन चिल्लाने लगी- अब मुझे चोद दो प्लीज़ ! अब नहीं रहा जाता!

मैंने उसे अपने लण्ड पर बिठाया ओर उसकी चूत पर अपने लण्ड को टीका कर ज़रा सा अंदर किया, वो अंदर चला गया!

मुझे लगता हे वो पहले किसी से चुदवा चुकी थी, पर कोई बात नहीं !

मैंने ज्योति को देखा, वो शर्मा रही थी।

मैंने उसके मम्मे पीने शुरू किए, उसको मज़ा आ रहा था, अब मैं उसकी चूत पर उंगली फिराने लग गया।

वहाँ सिमरन ज़ोर ज़ोर से मेरे लौड़े पर झटका मार रही थी और आवाज़ें निकल रही थी- आहह… हह… हआआ… आआ मर गई।

थोड़ी देर में ही वो झर गई और मेरी बगल में आकर लेट गई!

मैं ज्योति की चूत चाट रहा था, उसकी चूत बहुत स्वादिष्ट थी, मज़ा आ रहा था, पूरी टाईट थी, वो चूतड़ उठा उठा कर चटवा रही थी, उसे भी मज़ा आ रहा था।

मैंने उसे थोड़ी देर बाद घोड़ी बनाया और अब सिमरन फिर से मूड में आ गई थी, वो भी साथ में डोगी स्टाइल में आ गई।

मैंने ज्योति की चूत पर थोड़ा थूक लगाया और अपना लौड़ा उसकी चूत पर रखा, थोड़ा सा झटका दिया, उसकी चीख निकल गई।
उसकी चूत से खून निकलने लग गया, वो रोने लग गई!

मैं थोड़ा रुका, फिर मैंने एक झटका मारा और उसके बूब्स पकड़ लिए और दबाने लगा।
उसको अब मज़ा आने लगा।

मैंने अपने झटके को बढ़ा कर पूरा लौड़ा अंदर डाल दिया, वो मजे से अपने चूतड़ हिलाने लग गई!

थोड़ी देर के बाद मैंने सिमरन की गाण्ड के छेद पर अपना लौड़ा टिकाया और अंदर झटका मारा, एक झटके मे ही वो मेरा पूरा लौड़ा अंदर ले गई।

मैंने खूब दबा के अंदर झटके मारे, वो ‘मर गई… आआ… आअहह… हहाआआअ… मर गई…’ बोलती रही और मैं पूरे ज़ोर से उसकी गाण्ड चोदता रहा।
अब ज्योति भी सीधी होकर लेट गई, मैंने सिमरन की गाण्ड के बाद ज्योति की चूत में डाला ओर फिर से उसे दबा के बजाया।

अब मेरा होने वाला था, वो दोनों भी झड़ने वाली थी, अब दोनों को बेड के कोने पर घोड़ी स्टाइल से खड़ी किया, एक बार एक की चूत फिर दूसरी की चूत, दोनों की चूत मारी!

अब ज्योति की छूट एकदम कस गई और वो झड़ गई।

सिमरन ने फिर से अपनी टांगों के ऊपर बैठा कर चुदाया, अब वो मेरे होंठोंम पर किस कर रही थी, सिमरन मेरे ऊपर झटके मारते मारते झड़ गई।

मैं खड़ा हुआ!
मेरा लौड़ा पूरा तना हुआ था, दोनों चूसने लग गई।

थोड़ी देर बाद मेरे लौड़े ने पिचकारी मारी ओर मैंने दोनों के मुख भर दिए, दोनों मजे से मेरे लण्ड का जूस पी गई।

फिर हम तीनों नंगे सो गये!

यह था मेरा पहला सेक्स!

पति और अपने दोस्त से एक साथ चुदी - Pati Aur Apne Dost Se Ek Sath Chudi

पति और अपने दोस्त से एक साथ चुदी - Pati Aur Apne Dost Se Ek Sath Chudi , पति के सामने दोस्त ने पत्नी की चूत मारी, pati ke dost ne mujhe choda, pati ke dost ne mere saath sex kiya aur pregnent bhi kiya, mast chudai with husband's friends.

मेरे साथ काम करने वाला रणजीत कई दिनों से मुझे परेशान देखकर मुझसे कुछ कहना चाहता था।

एक दिन मौका पाकर उसने मुझसे पूछ ही लिया- क्या बात है, सोनियाजी, आप हरदम परेशान और खोई खोई नज़र आती हैं?

दरअसल उसकी नजर मेरे कामुक बदन पर थी, पर यह बात मुझे कई दिनों बाद पता चली।

‘कुछ नहीं तुम अपना काम करो।’ थोड़े रुखे स्वर में मैंने कहा और अपना काम करने लगी।

बाद में मुझे एहसास हुआ कि मुझे इतना रुखा नहीं होना चाहिये था तो उसे चाय के बहाने अपने पास बुलाया, सॉरी कहा और शाम के खाने पर घर आने के लिये कहा।

कुछ देर वह टालता रहा, बाद में वो मान गया।

मेरे पति अपने काम के सिलसिले में बाहर ही रहा करते हैं और बच्चे जल्दी सो जाते हैं इसलिये मैंने रणजीत से जल्दी आने को कहा पर उसे पहले से कहीं पर जाना था तो उसने कहा कि वो जल्दी आने की कोशिश करेगा।

घर जल्दी पहुँच कर मैंने बच्चों को खाना खिलाकर सुला दिया और रणजीत के लिये खाना बनाकर अपने पति के फोन का इंतज़ार करने लगी।

मेरे पति ज्यादातर दूसरे गाँव रहते थे इस कारण मेरी चूदाने की कामना अधूरी रह जाती थी।

मैं अपने पति पर शक़ करने लगी थी कि वह बाहर दूसरी लड़कियों को चोदते हैं।

यह बात मैंने उनसे भी कही थी, उन्होंने मुझे समझाया कि काम बहुत होता है और चोदने की याद तभी आती है जब वे मुझसे फोन पर बात करते थे।

पर मैं अभागन इस बात को नहीं मानती थी और लगातार शक़ करती जाती थी, जिससे उनके काम पर असर होने लगा था।

उन्होंने मुझे समझाया कि यह सब चुदाई ना करने के कारण होता है और मुझे फोन सेक्स के बारे में बताया।

अगली बार जब वे आये तो एक रबड़ का खिलौना लंड ले आये, और उसको उपयोग करने का तरीका भी सिखाया।

उस दिन रात भर जम कर चुदाई हुई।

रबड़ का लण्ड अपने अंदर लेने के लिये मेरी चूत पहले तैयार नहीं हो रही थी तो मेरे पति ने मेरी चूत को लगभग दस मिनट तक चाट चाट कर पहले गीली कर डाली और जैसे ही मैं झड़ने वाली थी, उन्होंने रबड़ का लण्ड जोर से मेरी चूत में घुसेड़ दिया।

‘हे भगवान !!!’

इतना दर्द तो सुहागरात पर मेरी पहली चुदाई पर भी नहीं हुआ था, मैं इतनी ज़ोर से चीख पड़ी कि पास के कमरे में सोये मेरे बच्चों में से एक जाग गया और वहीं से पुकारने लगा- मम्मी क्या हुआ?

मैंने भी पुकार कर कहा- कुछ नहीं बेटा, कॉकरोच था तुम सो जाओ, वह सो गया।

इधर मेरे पति मुस्कुरा रहे थे और रबड़ के लण्ड से मेरी चूत की चुदाई करने में मशगूल थे।

धीरे धीरे उन्होंने स्पीड बढ़ाना शुरू किया और मैं चुदाई का एक नया अनुभव पाने लगी।

जैसे ही मैं झड़ने को थी, उन्होंने अचानक अपना हाथ रोक दिया।

मैं चौंक पड़ी और पूछा- क्यों रुक गये?

उन्होंने कहा- अब तुम अपने हाथ से करो।

और रबड़ का लण्ड बाहर खींच लिया।

मैंने उस रबड़ के लण्ड को अपने हाथ में लिया और उसे अपनी चूत से रगड़ने लगी।

मेरी चूत फिर से गर्म हुई जा रही थी।

उधर मेरे पति ने अपने लण्ड को, जो ना जाने कितनी देर से अपनी प्यास रोककर धनुष की तरह चड्डी में ही तना हुआ खड़ा था, बाहर निकाल लिया और मेरी ओर बढ़े और अपना 7 इंच का लंड मेरे मुंह में पेल दिया और अंदर बाहर करने लगे।

मुझे तो मानो स्वर्ग मिल गया।

चूत में 7 इंच का रबड़ का लण्ड जिससे अपनी इच्छा के अनुसार चुदवाओ और मुंह में पति का 7 इंच का गर्म लंड जो जल्दी झड़ने का नाम ना लेता था।

दोनों ओर से जबरदस्त चुदाई करवाने के बाद मैं झड़ गई।

उसी वक़्त मेरे पति ने भी मेरे मुंह में अपना ढेर सारा पानी छोड़ दिया जिसे मैंने गटक लिया।

लंड का पानी मुंह में लेना पहले तो मुझे ज़रा भी पसंद नहीं था पर बाद में उसका भी मज़ा आने लगा था।

थोड़ी देर के बाद यह सिलसिला फिर से शुरु हुआ और पहले से जादा देर चलता रहा, इस बार उन्होने मेरी चूत अपने मुंह में झड़वाई और सारा पानी गटक गये।

वे थोड़े थके हुए नज़र आने लगे तो मैंने उन्हे थोड़ा सोने के लिये कहा।

उनकी आंख लग जाने के बाद मैं उस रबड़ के लण्ड के साथ खेलने लगी, चूत तो पहले से ही खुली होने के कारण रबड़ का लण्ड आसानी से उसमें समा गया।

थोड़ी देर अंदर बाहर करने के बाद मुंह से अपने आप आवाज़ें निकलने लगी और चुदाने की स्पीड भी बढ़ने लगी, आवाज़ें और तेज़ होने लगी जिसे सुनकर मेरे पति जग गये और मुझे चुदाते देख खुश होने लगे।

उन्होने मुझे घोड़ी बनने के लिये कहा और रबड़ का लण्ड अपने हाथ में लेकर पीछे से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे।

थोड़ी देर बाद उन्होंने रबड़ का लण्ड मेरे हाथों में पकड़ा दिया और ढेर सारा तेल मेरी गांड में उंडेल दिया।

मैं समझ गई कि अब वे मेरी गांड मारेंगे जो मैं ज्यादा पसंद नहीं करती पर चूत में रबड़ का लण्ड और गांड में पिया का लण्ड यह कल्पना करते ही दिल छलांगें मारने लगा और गांड का छेद अंदर बाहर करने लगा।

और मैं रबड़ का लण्ड अपनी चूत में और भी तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी।

ठीक उसी समय मेरे पति ने अपना 7 इंच का लंड मेरी गांड में किसी बंदूक की गोली की तरह एकदम से घुसेड़ दिया और साथ ही अपना हाथ मेरे मुंह पर दबा दिया जिससे मेरी चीख मेरे मुंह में ही दबी रह गई और आँखों के सामने एक बिजली सी चमक पड़ी, मानो अभी मर जाऊँगी, ऐसा लगा जैसे गांड में किसी ने लोहे का मूसल घुसेड़ दिया हो।

दस बीस सेकेंड सब थम गया और फिर चुदाई ने इतनी तेज़ रफ्तार पकड़ ली कि मानो बुलेट ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार पर हो।

वह नज़ारा ऐसा होगा कि अगर कोइ नब्बे साल का बूढ़ा देखे तो उसका भी लंड लोहे के रॉड जितना तन जाये, और नब्बे साल की बुढ़िया देखे तो उसकी चूत से भी पानी टपकने लगे।

यह जबरदस्त हाइ वोल्टेज चुदाई लगभग पचास मिनट तक चली और जब रुकी तो बिस्तर ऐसा बन गया था मानो सौ सूअरों का झुंड एक छोटे खेत को तहस नहस करके ग़ु‌ज़रा हो।

मेरी चूत और गांड दोनों का फालूदा बन चुका था।

रबड़ के लण्ड से मेरी चूत और पिया के लण्ड से मेरी गांड जगह जगह छील गई थी।

सुबह के छह बज चुके थे।

बच्चों के स्कूल जाने की तैयारी करनी थी, लेकिन ठीक से चला भी नहीं जा रहा था।

बच्चों के स्कूल जाने के बाद मेरे पति ने मेरी चूत और गांड को अच्छी तरह चाट कर नर्म कर डाली और बाद में दोनों पर अच्छी तरह से मरहम लगा कर ड्राईंगरूम में सोफे की चेयर पर मेरी दोनों टांगें उसके हथ्थे पर फैलाकर इस तरह से सुलाया कि मेरी गांड और चूत दोनों को खुली हवा मिल पाये।

यह सब याद करते करते मुझे यह भी याद था कि रणजीत को खाने पर बुलाया है तो उसे फोन कर के पूछा कि कब तक आओगे।

तो उसने कहा- थोड़ी देर हो सकती है, और काम अगर जल्दी बन जाये तो जल्दी आ जाऊँगा।

मतलब कम से कम नौ तो बज जायेंगे उसके आने तक!

तो कुछ देर सोने का इरादा बना लिया, तभी फोन बज उठा।

मेरे पति का फोन था।

मैंने उन्हे बताया कि मेरे साथ काम करने वाला रणजीत अभी घर आयेगा।

उन्होंने पूछा- कितनी देर है उसके आने में?

मैंने बताया- एक घंटा!

तो उन्होंने फोन सेक्स की फरमाईश की और बताया कि वो नंगे हैं और मेरे नाम से अपना लंड हाथ में लिये बेड पर पड़े हुए हैं।

मैं भी तुरंत राज़ी हो गई क्योंकि बच्चे सो गये थे, रणजीत के आने में समय था और मैं भी बोर हो रही थी।

फोन का हेडफोन अपने कान में घुसा कर अलमारी की दराज़ से मैंने रबड़ का लण्ड बाहर निकाल लिया।

इन्होंने पूछा- आज कैसे करोगी?

मैंने पूछा- आप बताओ।

‘ड्राईंगरूम में सोफे की चेयर पर बैठ कर अपनी दोनों टांगे उसके हथ्थे पर फैलाकर इस तरह बैठ जाओ कि चूत ज्यादा से ज्यादा खुल जाये, और आँखें बंद करके यह सोचो कि मैं चोदने जा रहा हूँ।’

मैंने वैसे ही किया।

‘अब रबड़ का लण्ड अपनी चूत में घुसेड़ दो और सोचो मैं चोद रहा हूँ।’

मैं रबड़ का लण्ड अपनी चूत में अंदर-बाहर करने लगी और वो फोन पर सिर्फ कहते थे- आ ह और तेज़!! और तेज़!! और तेज़…
वाकयी चुदाई का रियल मज़ा आता है फोन सेक्स में…

लगभग 15 मिनट में मैं झड़ गई और शायद मेरे पति भी…
तभी डोर बेल बजी, और अचानक हमें भी होश आ गया, मैंने पति से फोन पर कहा- शायद रणजीत थोड़ा जल्दी आ गया है।

उन्होंने कहा- जल्दी जल्दी कपड़े ठीक करो और उसे अंदर बुलाओ।

और फोन कट कर दिया।

मैंने जल्दी जल्दी अपना गाउन, जिसके नीचे कुछ भी नहीं पहना था, ठीक किया और जाकर दरवाजा खोल दिया।

अंदर आते ही रणजीत ने पूछा- शायद सो रही थी सोनिया जी आप?

‘हाँ, आप थोड़ा लेट आओगे सोच कर ज़रा नींद लग गई थी।’

‘हाँ, मेरा काम होने में ज़र देर है तो सोचा कि आपको मिल के फिर चला जाऊँगा, आपको कॉल भी किया लेकिन आपका फोन बिज़ी आ रहा था।’

‘मेरे पति से बात हो रही थी।’

‘ओह!’

मैंने उसे बिठाया और उसके लिये पानी लेने रसोई में चली गई।

पानी लेकर लौटी तो एकदम से सन्न सी रह गई, क्योंकि रणजीत के हाथ में मेरा रबड़ का लण्ड था और वो बड़े गौर से उसका निरीक्षण कर रहा था।

पति के साथ फोन सेक्स करने के बाद हड़बड़ी में मैं वह रबड़ का लण्ड अपनी जगह रखना भूल गई थी।

जानबूझ कर इस बात को नज़रअंदाज़ करके कि रणजीत के हाथ में मेरा रबड़ का लण्ड था, मैंने कहा- पानी पीजिये।

हल्की सी हिचकिचाहट से उसने पानी का गिलास अपने हाथों में ले लिया और मेरा रबड़ का लण्ड मेरे हाथों पकड़ा दिया।

मैंने मेरा रबड़ का लण्ड फिर से अलमारी की दराज़ में रख दिया।

तब तक कोई कुछ नहीं बोला।

शांती मैंने ही भंग की- तुम जानना चाहते हो ना कि मैं क्यों परेशान सी रहती हूँ?

‘वो तो यूँ ही… बस…’ उसकी हिचकिचाहट अभी खत्म नहीं हुई थी।

‘मेरी मदद करोगे?’ मैं सीधे मतलब की बात पर आ गई।

‘जरूर!’

‘मुझे शक़ है कि मेरे पति जो महीने के पच्चीस दिन दूसरे शहर में रहते हैं, दूसरी लड़कियों को चोदते हैं।’

मेरा रबड़ का लण्ड उसने जब देख ही लिया था तो सीधे बात करने में मुझे हर्ज़ नहीं लगा।

उसकी तो आँखें फटी रह गई।

‘आप ये कन्फर्म करना चाहती है या मुझे बताना चाह रही हैं? वैसे आप किस तरह की मदद मुझसे चाहती हो?’ थोड़ी देर रुक कर रणजीत ने पूछा।

‘यह तो आप मुझे बताओ कि क्या करना चाहिये।’

‘सोनिया जी, आपको सिर्फ शक़ है या आप कुछ जानती भी हैं उसके दूसरी लड़कियों को चोदने के बारे में?’ उसकी हिचकिचाहट खत्म हो गई थी और वह भी खुल के बात करने लगा।

‘मेरा मन कहता है। वो जब भी मुझे चोदता है तो सारी रात चोदता है। मैं सोचती हूँ कि चोदने का उसे इतना शौक है तो वो मेरे बगैर कैसे रह पाता है? जरूर और लड़कियों को भी चोदता होगा !’

‘सोनिया जी, क्या आपके पति के लंन्ड पर कोई तिल है?’

‘हाँ है… क्यों?’

‘अगर उसके लंड के मुख पर तिल है तो वो और लड़कियों को चोदता है और चमड़ी पर है तो लड़कियाँ उस पर मरती हैं और वो सिर्फ आपको चाहता है।’

‘तिल तो उसके लंड के चमड़ी पर ही है… मगर क्या ऐसा होता है?’

‘जरूर… अ‍च्छा आप एक बात बताइये कि क्या आपकी चूत पर और गांड पर कोइ तिल है?’

‘ग़ांड पर तो पता नहीं पर लेकिन चूत पर कोई तिल नहीं।’

‘और आपकी चूचियों पर?’

‘…शायद से है।’

‘कन्फर्म बताइये।’

‘कन्फर्म तो नहीं पता।’

‘ठीक है, मैं खुद देख लेता हूँ…’

‘…’

‘सोनिया जी, फिर पता कैसे चलेगा?’

‘ठीक है… देख लो!’ थोड़ी हिचकिचाहट मैं उसके सामने नंगी होने के लिये तैयार हो गई और अपना गाउन उतार दिया।

अब उसके सामने मैं एकदम नंगी खड़ी थी।

‘आप सोफे पर बैठ जाइये, और अपनी टांगें फैला लीजिये।’

मैंने वैसा ही किया।

वह मेरी टांगों के बीच बैठ कर मेरी चूत का निरीक्षण करने लगा।

अपने हाथ से मेरी एकदम गोरी चूत के बाल धीरे धीरे हटाकर तिल ढूंढने लगा।

‘सोनिया जी, आपकी चूत तो संगमरमर के समान सफेद है, इस पर से नज़र ही नहीं हटती।’ उसकी बातों से मैं पगलाई जा रही थी।

‘अभी आप अपनी गांड दिखाइये।’ मैं उसकी बातों से सम्मोहित होती जा रही थी और वो जो भी बोलेगा वो करती जा रही थी।

मैंने अपनी टांगें और फैलाकर उन्हें अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी छाती से चिपका लिया और गांड को थोड़ा आगे की ओर धकेल दिया।

रणजीत के हाथ अब मेरी चूत और गांड पर एक्स्पर्ट की तरह चलने लगे थे।

‘चूत के अंदर भी देख लेता हूँ।’

मेरे मुंह से कुनमुनाहट सी आवाज़ें निकलने लगी।

चूत तो पहले से ही गीली हो गई थी और जैसे ही उसने मेरी चूत में उंगली डाली, मेरी चूत से एक धार सीधे उसके मुंह मे जा गिरी।

‘सोनिया जी, शायद आप चुदना चाहती हैं…” एक अजीब सी मुस्कुराहट के साथ रणजीत ने मुझसे पूछा।

मैं कुछ भी नहीं कह पाई…

उसने झटके से अपने कपड़े उतार फेंके और नंगा हो गया।

उसका लंड मेरे पति के लंड से थोड़ा छोटा लेकिन आकर्षक था।

मैं वैसे ही सोफे पर अपनी गांड उचकाकर बैठी हुई थी।

वो सीधे मेरे उपर झुक गया और मेरा मुंह चूमने लगा।

उसका लंड बार बार मेरी चूत और गांड से टकरा रहा था और मैं पागल हुई जा रही थी।

मेरे पैर जो मेरी छाती से चिपके हुए थे वो अब उसने अब अपने हाथों में ले लिये, जिन्हें वो बार बार पीछे की ओर धकेलता जिससे मेरी गांड आगे की ओर धक्का मारने लगी।

मेरे हाथ उसका लंड टटोलने लगे जो दो तीन कोशिशों के बाद मेरे हाथ में आ गया।

अपनी चूत को उचका कर मैं उसमें वह लंड पेलना चाह रही थी पर रणजीत इसका मौका नहीं दे रहा था।

आखिर जीत मेरी ही हुई।

रणजीत का लंड फचाक से मेरी चूत में समा गया और मैं उचक उचक कर उससे चुदवाने लगी।

एकदम नया अनुभव था मेरे लिये यह, हालांकि चुदाई मेरे लिये कोई नई बात नहीं थी।

रणजीत मेरा मुंह इतना जल्दी जल्दी चूम रहा था कि मेरी सांस लगभग रुक सी गई थी और वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था।

जब उसका चूमना रुका तो मैं पसीने से तरबतर हो चुकी थी लेकिन मेरा उचकना बंद नहीं हुआ था।

अचानक से उसने अपना लंड बाहर खींचा और उसी रफ्तार से मेरी गांड में पेल दिया।
‘ऊईईईई…’ मैं जोर से चीख पड़ी।

उसने तुरंत लंड बाहर खींचा और फिर से चूत में पेल दिया।

‘माँ आआआआ…’ मैं फिर से चीख पड़ी। उसने तुरंत लंड बाहर खींचा और फिर से गांड में पेल दिया।

फिर मैं चीखती रही और वो चूत से गांड और गांड से चूत लगातार अपना लंड पेलता रहा।

मेरी ऐसी चुदाई पहली बार हो रही थी जिसमें मुझे हिलने का तक मौका नहीं मिल रहा था, बस चीखना…

लगभग चालीस मिनट बाद वह खुद भी हाँफने लगा और 15/20 जोर के धक्के मारने के बाद उसने मेरी गांड में अपना पानी छोड़ दिया।
उसने मुझे वैसे ही दबाये रखा और मेरे कान के पास अपना मुंह ले जाकर फुसफुसाने लगा- सोनिया जी, तिल विल से कुछ नहीं होता है, जो भी होता है दिल से होता है। आपके दिल में अगर शक़ भरा है तो सारी दुनिया आपको वैसे ही दिखाई देंगी जैसा आप सोचती हैं। आपके पति में कोई खोट नहीं है, मैं उन्हें आपकी शादी के पहले से जानता हूँ, उन्होंने आपके सिवा आज तक किसी को नहीं चोदा।
और दूसरी तरफ आप हो जो अपने शक़ की वजह से मुझसे चुद गई। और एक बात यह भी कह दूं कि मैं आपको चोदने के लिये ही आया था।

कितनी गलत थी मैं…
जो मैं मेरे सज्जन पति पर शक़ कर रही थी जबकी मुसीबत की सारी जड़ें मेरे अंदर ही थी।

रणजीत अपने कपड़े पहनने लगा तो मैंने उसे मना कर दिया। उसकी जबरदस्त चुदाई ने मुझे दीवाना बना दिया था और बातों ने मेरी आँखें खोल दी थी।

उसके सामने ही मैंने अपने पति से फोन कर सारी बात बता डाली कि किस तरह रणजीत से मैं चुद चुकी हूँ और अभी फिर से चुदने जा रही हूँ।

मेरे पति ने हंस कर कहा कि मेरी खुशी में ही उनकी खुशी है।

उसके बाद पति का फोन चालू रख कर मैं रात भर रणजीत से चुदती रही और मेरे पति फोन पर सब सुनते गये।

मेरे पति के लौटने के बाद उन्होंने रणजीत को घर बुलाया और अपने सामने मुझको चुदवाया उस रात दोनों ने मिलकर कई बार मेरी चुदाई की।

मेरे देवता समान पति पर मैं हमेशा शक़ करती रही और वे मेरी खुशी के लिये हर कुरबानी देते रहे।

भगवान ऐसा पति सभी को दें।

चन्दा और छवि की एक साथ चुदाई - Chanda Aur Chabi Ki Ek Sath Chudai

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अब मैं दोनों को एक साथ चोदना चाह रहा था जिससे कि मैं जब चाहूँ किसी की गांड या चूत में अपना लंड पेल सकूँ। यह सोच कर मैं समय की इंतजार करने लगा। शायद ऊपर वाले को मुझ पर जल्दी ही तरस आ गया।

छवि का फोन आया कि उसकी मम्मी अभी बाहर से नहीं आई है और उसके चूत में खुजली हो रही है जो मेरे लंड को अपने अंदर लेकर ही ठीक होगी। मैं छवि की चूत और गांड में अपने लंड पेलने को पहले से ही तैयार था, केवल उसके फोन का इंतजार कर रहा था कि कब छवि का फोन आये और मैं अपना सात इंच लंड उसकी चूत में पेल दूँ।

खैर समय पर मैं उसके दरवाजे पर था। दर्वाजे पर घण्टी बजाते ही दरवाजा खुला, छवि ने ही आकर दरवाजा खोला। दरवाजा तो छवि ने खोला लेकिन उसके सेक्सी बदन को देख कर मेरी आँखें खुली की खुली रह गई। उस साली ने केवल एक गाउन अपने बदन पर डाल रखा था। मेरा मन किया कि अभी इसकी गाउन नोच कर हटा दूँ और इसके चुचियों को मसल डालूँ, लेकिन ऐसा कर मैं अपना खेल ख़राब करना नहीं चाहता था। आखिर इसकी चूत और गांड मुझसे ही चुदने वाली थी।

दरवाजा बंद कर के छवि मुस्कुराते हुई आकर मुझसे लिपट गई। मेरे होंठ उसके होंठ का और उसके होंठ मेरे होंठ का स्वाद लेने लगे। दस मिनट चूमा-चाटी करने के बाद मुझसे अलग हुई तो मेरे हाथ छवि की कमर पर थे। दोनों एक साथ आगे चल दिए। सोफ़े पर बैठ कर छवि मेरी पैंट की जिप खोल केर मेरे लंड को चूसने लगी। शायद उसे चुदवाने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी। मैं भी जल्दी में था, फटाफट मैंने भी उसे गरम करने के इरादे से अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी, तुंरत ही उसकी सेक्सी आवाज आने लगी. अह…अह…आह… मुझे चोद दो …वोह …अह …आह…

मैंने भी फटाफट अपना लंड उसकी चूत की सीध में लाकर जोर का धक्का मारा जिससे उसकी चूत को फाड़ता हुआ मेरा लंड आधे से ज्यादा अंदर था।
उसके मुँह से निकल गई- उई माँ …

छवि अभी संभल भी नहीं पाई थी कि दूसरे धक्के से उसकी चूत की गहराई को मेरे लंड ने नाप लिया। उसके मुँह से निकला- हाय मैं … मर गई अह…आह…
फिर तो आराम से धीरे धीरे चूत की आवाज फचा फच आने लगी। दोनों मस्ती में मजा लेकर एक दूसरे का साथ देने लगे। आधा घंटा चुदाई के बाद छवि की चूत मेरे वीर्य से लबलबा गई।
दस मिनट तक दोनों एक दूसरे से चिपके रहे, जब छवि अलग हुई तो बोली- मैं बाथ रूम रही हूँ!
मैं बोला- डार्लिंग, मैं भी चलता हूँ!

वो समझ गई कि मैं आज फिर उसका गांड में अपना लंड पेलूँगा। वो मुस्कुरा कर आगे और मैं उसके पीछे पीछे…

दोनों एक साथ नहा रहे थे, कभी मैं उसकी चुचियों को दबाता, कभी वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसती। फिर उसे घोड़ी बना कर उसकी गांड में मैंने अपना लंड पेल दिया। जिसे थोड़ी सी परेशानी के साथ वो झेल गई।

मैं उसकी गांड में अभी चोद ही रहा था कि डोर-बेल बजने की आवाज आई। हम दोनों एक दूसरे का चेहरा देखने लगे।
रात के 11 बजे कौन आ सकता है?
उसके होश उड़ रहे रहे थे!
कहीं उसकी मम्मी चंदा तो नहीं आ गई?
उसने तौलिया डाला और जाकर दरवाज़ा खोला।

सामने चंदा खड़ी थी। छवि की बोलती बंद!
मैं बाथरूम में फंस गया। काफी सोच विचार कर मैं सामने आने को तैयार हो गया। मेरा क्या होगा- ज्यादा से ज्यादा चिल्लाएगी- पूछेगी कि मेरी बेटी को क्यों चोदा ?
तो मैं सारा मामला सॉरी बोल कर खत्म करके निकल जाऊंगा।

जब मुझे चंदा ने देखा तो मेरे सोचने से उल्टा हुआ।
वो साली रंडी बोली- मुझे पहले ही शक था कि तुम मुझे ऐसे ही मिलोगे!
फिर छवि की तरफ देख कर बोली- कुछ दवाई ले कर चुदवा रही है या ऐसे ही?
छवि ने ना में सर हिलाया, चंदा ने दवाई लाकर दी और बोली- इस उम्र में यह सब आम बात है, लेकिन होशियारी से करो!

फिर मेरी जान में जान आई। फिर मैं छेड़खानी पर आ गया। अब तो माँ-बेटी दोनों को चोदने का रास्ता साफ था।
चंदा थकी हुई थी, वो बोली- तुम लोग अभी मजे करो! मैं सुबह मिलती हूँ।
यह कह कर चंदा चली गई।

अब हम बिना किसी डर के चुदम-चुदाई करने लगे। रात में मैंने छवि को तीन बार चोदा।

सुबह चंदा, मैं और छवि नाश्ते के समय मिले, हम तीनों मुस्कुरा रहे थे। नाश्ता करने के बाद तीनों का ग्रुप-सेक्स का खेल शुरु हुआ। अब माँ बेटी और मैं तीनों नंगे थे।
मेरा लंड कभी माँ चूसती तो कभी उसकी बेटी छवि चूसती। तीनों के मुँह से बस निकल रही थी तो अह… आह… ओह… ओह… आह..
फिर बारी-बारी से दोनों की गांड और चूत दो-दो बार मैंने चोदी।
ग्रुप सेक्स का मजा ही कुछ और है। जब मैं चलने लगा तो मेरी जेब में मेरा मेहनताना था।
दिल में इस बात की खुशी थी कि घर में चाहे कोई भी हो, मैं बेधड़क आकर उसे चोद सकता हूँ।

यह थी मेरी कहानी- माँ बेटी की चुदाई।
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