लिफ्ट लेने के बदले में चूत चुदवायी - Lift Lene Ke Badle Me Choot Chudwayi

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मैंने कॉटन लेकर अलका की चूत के अग्र भाग में भर दी और फिर रिमूवर को उसकी चूत में अच्छे से लगा कर उसकी टांगों के बीच बैठा जांघों को चूम रहा था।
तभी दोनों लड़कियाँ पास आयी और बोली- कुछ मजा हमें भी दीजिए, हमारी चूत को भी प्यार करिये। मैं बारी-बारी से दोनों लड़कियों की चूत में अपनी जीभ फिराने लगा.
तभी अलका बोली- एक लड़की मेरे पास आओ!
सोनी अलका के पास चली गयी.

सोनी को देखकर अलका बोली- आओ मैं तुम्हारी इस छोटी मुनिया को प्यार करूँ! आओ मेरे मुंह में बैठो!
सोनी अलका के मुंह में बैठ गयी, इधर मैं रेशमा की चूत चाटने के साथ-साथ अलका की जांघों को सहला रहा था, उसके पैर कांप रहे थे, रेशमा की चूत चाटने और अलका की जांघों को सहलाने से मेरे लंड में भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और लंड टाईट होकर सीधा अलका की चूत से टच करने लगा।

इधर थोड़ी देर रेशमा की चूत चाटते हुए उसकी गांड में उंगली डाल रहा था।

इस समय हम सभी में मस्ती छाती जा रही थी; सभी के मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज आ रही थी जो कि उस कमरे के वातावरण को वासनामय बना रही थी। बीच बीच में मैं अपने लंड को मसल भी रहा था.
अब रेशमा मेरे मुंह में झड़ चुकी थी, उसका रस का वो कसैलापन उसके लिये कोई शब्द नहीं है, बस कल्पना कीजिए कि फुहार के मौसम की पहली बारिश में जिस तरह से मिट्टी की सौन्धी खुशबू आती है, बस वही थी मेरे लिये।

जब रेशमा हटी तो फिर मैं कॉटन से अब अपने दोस्त की बीवी अलका की चूत पर लगाई बाल साफ़ करने की क्रीम को साफ करने लगा, क्रीम के साथ-साथ उसके बाल भी बड़ी आसानी से निकल आ रहे थे.
अब सोनी भी अलका से अलग हो गयी थी और अलका का मुंह कुछ इस तरह बना हुआ था, जैसे कि वो कुछ गटक रही हो, जिसका मतलब साफ था कि सोनी का पानी अलका मजे ले कर पी रही थी।

इधर अलका की चूत से एक-एक बाल गायब हो चुके थे, फिर भी मैं उसकी चूत को कॉटन को गीला करके साफ कर रहा था, यहाँ तक कि चूत के मुहाने में जो कॉटन लगाया था उसको भी बाहर कर दिया और बहुत अच्छे से उसकी चूत की सफाई की।
अब मेरे दोस्त की बीवी अलका की चूत चिकनी और गुलाबी हो चुकी थी, एक नयापन था.

अच्छे से साफ करके मैंने एक गहरा चुंबन उसकी चूत में जड़ दिया और फिर उससे अलग हो गया और बोला- मैडम, आपके आदेश का पालन कर दिया है, आपकी झांट साफ कर दी है; अब आगे क्या करना है?
“बताती हूँ… मेरी झांट बना कर तुमने कोई दुनिया नहीं जीत ली है।” कह कर वो उठ खड़ी हुयी और पलंग पर आकर लेट गयी और अपने कमर के नीचे के हिस्से को पलंग के बाहर कर ली और फिर फांकों को फैलाकर अपनी मूत्र नलिका को दिखाते हुए बोली- तुम्हें इसे तब तक चूसना है, जब तक मैं तुमसे हटने के लिये न बोलूं!

मैं घुटने के बल उसकी जांघों के बीच एक बार फिर आ गया, मेरा लंड तना हुआ था और सुपारा पलंग के किनारे लगी हुयी पट्टी से लड़ रहा था, ऐसा लग रहा था कि चूत नहीं मिली है तो पट्टी को ही चूत समझ कर अपना सिर उस पर फोड़ रहा है। मुझे पक्का विश्वास था कि बन्दी बड़ी मादर चोद है, मुझे अपना मूत्रपान कराना चाह रही थी, और सच में मैं भी चाह रहा था कि उस जैसी खूबसूरत काम की देवी का मूत्रपान करूँ।

मैंने चूत की फांकों को चाटते हुए उसके मूत्र नलिका को अपने होंठों के बीच ले लिया। कुछ ही देर में गर्म गर्म पानी रोक रोक कर मेरे मुंह के अन्दर छोड़ रही थी, जब वो अपनी मूत्र को रोकती तो उसकी गांड आपस में चिपक जाती, जैसा कि हम सभी के साथ ऐसा होता है, जब मूत को जबरदस्ती रोकना होता है, तो गांड को ताकत के साथ दबाना पड़ता है।

करीब दो तीन मिनट तक ऐसा ही चलता रहा, इधर लकड़ी की पट्टी से सुपारा रगड़ने के कारण मेरा माल भी बाहर निकल चुका था। एक एक बूंद चुसवाने के बाद उसने मेरे सर को पकड़ा और अपनी कमर उचका कर चूत को मुंह से दूर करने लगी, जिसका मतलब था कि उसका काम पूरा हो चुका था।

मैं भी उठकर अलका के ऊपर लेट गया और होंठों को चूसते हुए बोला- अलका जी, आपने अपना काम कर लिया है, मुझे भी बहुत तेज आयी है, इस गुलाम पर मेहरबानी करें तो इस गुलाम का भी जीवन सुधर जायेगा।
उसने मेरे बालों को सहलाया और बोली- मेरी जान तुम गुलाम नहीं हो, तुम जान हो, और अपनी जान की हर इच्छा मैं पूरी करूँगी।

कह कर वो उठी और मेरे मुरझाये हुए लंड को पकड़ते हुए बोली- ये क्या… कहाँ तुम्हारा माल निकल गया?
“यहीं इसी पट्टी में… जब मैं तुम्हारी चूत का रसपान कर रहा था, तो मेरा लंड पट्टी से टकरा रहा था।”
“ओह बेचारा…” कहते हुए अब वो नीचे घुटने के बल बैठ गयी और मैं पलंग पर, फिर उसने मेरे लंड को मुंह में लिया और बोली- धीरे धीरे छोड़ना!

दोनों लड़कियाँ पास खड़ी होकर देख रही थी, मैंने भी धीरे धीरे अपने मूत्र को छोड़ना शुरू किया, जिसको वो पी गयी, दोनों लड़कियाँ देखती रही.
फिर जब हम दोनों का काम खत्म हो गया तो दोनों लड़कियाँ बोली- चलो अच्छा हुआ, एक बोतल और मिल गयी मूतने के लिये, अब जब हम लोगों को पेशाब लगेगी, तो एक दूसरे के मुंह में मूत लेंगी।
“लेकिन अभी मुझे पेशाब आयी है!” सोनी बोली.
“मैं क्या करूँ?” मुझे भी तपाक से रेशमा भी बोली।
“तुम दोनों इस समय तो बाथरूम में घुस कर करके आ जाओ।” मैं बोला।

तभी अलका बोली- खड़ी होकर करना।
“खड़ी होकर?” रेशमा बोली और दोनों अलका को देखने लगी।
“हाँ मेरी छोटी छोटी चुदक्कड़ सहेलियो, खड़ी होकर करो, जैसे लड़के करते हैं; बहुत अच्छा लगता है। अकसर मैं भी खड़ी होकर मूत लेती हूँ।”

दोनों नंगी लड़कियाँ बाथरूम में घुसी, अलका ने मेरा हाथ पकड़ा और बाथरूम की तरफ चल पड़ी।
दोनों ही खड़ी होकर मूत रही थी और एक दूसरी को देख कर मुस्कुरा भी रही थी।

मूतने के बाद दोनों लड़कियाँ थोड़ा सा पीछे की और अपनी गांड की और चूत को हाथ से साफ करने लगी, उसके बाद अपनी उंगलियों को मुंह के अन्दर लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
अलका बोल पड़ी- क्यों रे लड़कियो, अपने मूत और चूत का स्वाद कैसा लग रहा है?

दोनों बिना कुछ बोले बाहर निकल कर कमरे में आ गयी, मैं और अलका भी उनके पीछे पीछे आ गये।

अब बारी थी चुदाई की… तीनों कमरे में आकर सोफे पर बैठ गयी, अलका ने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। बारी बारी से तीनों लड़कियाँ मेरे लंड को चूस रही थी।
जल्द ही मेरा लंड तन कर सख्त हो गया।

फिर तीनों एक दूसरी का हाथ पकड़े पलंग पर आकर लेट गयी। मेरे सामने तीन तीन नंगी चूत थी चोदने के लिये। सबसे पहले मैंने तीनों की चूत को चाट चाट कर गीला किया और फिर रेशमा की चूत को चुना चोदने के लिये क्योंकि रेशमा अभी ना बराबर ही चुदी थी।

चूत के मुहाने पर रख कर लंड अन्दर डालने की कोशिश की मैंने… लेकिन फिसल कर लंड बाहर आ गया।

रेशमा भी इतनी देर में खेल को समझ चुकी थी, उसने अपनी चूत का मुंह खोल दिया, एक बार फिर लंड को मुहाने पर सेट किया और एक हल्का सा धक्का लगाया, हल्की सी चीख निकली, लेकिन इस बार उसने उस चीख को अपने अन्दर ही दबोच लिया।

अभी भी उसकी चूत काफी टाईट थी; मैंने धीरे धीरे लंड को चूत के अन्दर डालना शुरू किया। अलका और सोनी रेशमा के अगल बगल हो कर लेट गयी और एक हाथ लगाकर उसकी चूची को दबा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूची को दबा रही थी।

धीरे धीरे प्रयास से मेरा लंड रेशमा की चूत में घुस चुका था। लंड को अपने चूत के अन्दर लेते हुए जो दर्द वो महसूस कर रही थी और जिस तरह वो अपने मुंह को दबाये हुए थी, उसको दर्द काफी हो रहा था, मैंने लंड अन्दर डालने के बाद उसकी चूची को अपने मुंह में भर लिया और दाने को चूसने लगा।
शायद उसको दर्द में राहत मिल रही थी, इसलिये अपनी कमर को हल्का हल्का हिला कर लंड को अपने अन्दर एड्ज्स्ट कर रही थी।

जैसे जैसे मैं धक्के लगाता जा रहा था, उसकी चूत में जगह बनती जा रही थी और वो भी अपनी कमर हिलाने लगी। मैं अपने स्नायुतंत्र को काबू में भी करने की कोशिश कर रहा था क्योंकि मुझे तीन तीन चूत का पानी निकलना था।
फिलहाल मेरा मन रेशमा पर ही एकाग्र था, मेरी गति बढ़ती जा रही थी और रेशमा भी तेज तेज अपनी कमर उचका कर लंड को पूरा अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी और चिल्ला रही थी- और तेजी से… और तेजी से।

इसी बीच मैंने अपना लंड निकाला और सोनी के चूत में फंसा दिया, उसकी भी चूत बहुत ही कसी हुयी थी, सुपारा अटक गया था। शायद उस दिन के बाद आज अपनी चूत में लंड ले रही थी, इसलिये वो भी लंड चूत के अन्दर जाने के साथ ही आह आह कर रही थी।
रेशमा वाली प्रक्रिया भी सोनी में दोहाराई।

बाकी की दोनों लड़कियां अपनी चूत में उंगली कर रही थी।
सोनी को चोदने के बाद अब बारी मेरे दोस्त की बीवी अलका की थी, मैंने अलका की चूत के अन्दर लंड डाला, इस बार लंड आसानी से चूत के अन्दर चला गया.

इससे पहले मैं अलका को चोदने के लिये धक्के लगाता, उसने मेरी दोनों कलाईयों को झटका दिया, मैं सीधे अलका के ऊपर गिर पड़ा.
“जान थक गये क्या?” फिर खुद ही बोली- हाँ, थक तो गये होगे। ऐसा करो, आधा लंड चूत के बाहर कर लो और मेरा दूध पियो!
मैंने अपने लंड को अलका की चूत से आधा से ज्यादा बाहर निकाला।

इधर अलका ने भी मेरी कमर को अपने पैरों के बीच फंसा लिया था। मैं अलका के निप्पल को दांतों के बीच फंसा कर काटने लगा, अलका अपनी कमर को उचका उचका कर मुझे चोदने लगी।
थोड़ी देर तक अलका मुझे चोदती रही, फिर उसने अपने पैरों की पकड़ को ढीला किया।

मैंने अब अलका को छोड़ा और सीधा लेट गया; अलका मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी और एक बार फिर से मुझे चोदने लगी।

फिर अलका हटी और रेशमा और सोनी की तरफ इशारा की, रेशमा मेरे बगल में ही लेटी थी, वो उठी और अलका के बताये हुए तरीके से मेरे लंड पर बैठ गयी और मुझे चोदने लगी, काफी देर ऊपर नीचे करने के बाद बोली- अरे वाह… इसमें कितना मजा आ रहा है।

अब बारी सोनी की थी!

इस तरह तीनों गीली गर्म चूत बारी बारी मेरी सवारी कर रही थी कि तभी अलका पलंग से उतर कर घोड़ी स्टाईल में खड़ी हो गयी, उसको देख कर दोनों लड़कियाँ भी उसी स्टाईल से उसके अगल बगल खड़ी हो गयी।

बाकी का काम मुझे करना था, इस बार जिसको जिसको मैं चोदता गया वो झड़ती हुयी हट गयी, अन्त में बची अलका, वो काफी खेली खाई थी, वो भी हार नहीं मानने वाली थी.
इस बार मैंने जैसे ही उसकी चूत को चोदना शुरू किया कि वो खड़ी हो गयी, उसकी पीठ मुझसे चिपक गयी, उसने मेरे हाथ पकड़ कर अपने मम्मों के ऊपर रख दिए, उसके बड़े बड़े मम्में मेरे हाथों के बाहर थे, फिर भी मजा आ रहा था।

थोड़ी देर बाद वो फिर घोड़ी बन गयी, इस बार दोनों ही ज्यादा नहीं चली और दोनों साथ ही खलास हो गये।
फिर सब एक साथ नहाये और कपड़े पहन कर सो गये।
अलका के साथ दोनों लड़कियां आराम करने चली गयी, जबकि मैं उस कमरे में लेट कर आराम करने लगा और अपनी किस्मत पर खुश होने लगा।

पता नहीं नींद कब आ गयी।

आलोक ने आने पर हमें जगाया।
उसके साथ अलका भी थी जो इस समय नाईटी में थी।

फिर हम सब साथ बैठकर काफी देर तक बातें करते रहे और फिर खाना खाने के बाद अलका और आलोक अपने कमरे में चले गये, फिर मैं और दोनों लड़कियां मेहमान वाले कमरे में आ गये।
चूंकि अब सबके सोने की बारी थी, इसलिये हम तीनों को कोई डिस्टर्ब नहीं करता, इसलिये हम तीनों की आपसी सहमति से सभी ने अपने कपड़े उतारे और पलंग पर लेट गये, दोनों लड़कियां मेरे अगल बगल मुझसे चिपक कर लेटी थी।

लड़कियों का मुझ से चिपक कर लेटने के कारण उनके जिस्म से निकलती हुयी गर्मी मेरे जिस्म को पिघलाने के लिये काफी था, और हमारे नंगे जिस्म के कारण नींद न आना भी स्वाभाविक था। धीरे धीरे पहले दोनों लड़कियों के हाथ मेरे सीने में चलने लगे, दोनों ही लड़कियाँ मेरे सीने के बाल और निप्पल से खेल रही थी। दोनों ने अपने अपने उंगलियों के बीच में मेरे निप्पल को फंसा कर मसलना शुरू किया।

मुझे झुरझुरी सी महसूस होने लगी और तो और मेरे लंड में भी हल्का मीठा सा एक खुजली जैसा हो रहा था, तभी दोनों लड़कियों ने अपने पैर मेरे पैर पर रखे और अपनी तरफ खीचने लगी, मैंने उनकी बातों को समझ कर अपने पैर फैला दिये।
फिर रेशमा ने अपने अंगूठे से मेरे सुपारे को रगड़ने लगी।

मेरे भी हाथ दोनों के चूतड़ों को सहलाने लगे और मेरी उंगलियाँ भी कोशिश कर रही थी कि उनकी गांड में घुस सकें, पर उंगली भी बाहरी दरार पर ही पहुंच पा रही थी। उसके बाद दोनों लड़कियाँ मेरे निप्पल को चूसने के साथ साथ दांतों से काट रही थी, दोनों बारी बारी से मेरे जिस्म को चाट रही थी, उसके लंड-पान करने से मेरा लंड राड की तरह कड़क हो गया। दोनों लड़कियां बारी बारी आकर मुझसे अपनी अपनी चूत को चटवा कर फिर से अपने काम में लग जाती।

काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा, फिर सोनी मेरे लंड पर बैठ गयी और रेशमा मेरे मुंह पर’ इधर सोनी मुझे चोद रही थी तो उधर रेशमा की चूत की फांकें मेरे होंठ को रगड़ रही थी।
फिर दोनों पाला बदल लेते, मुझे उठने ही नहीं दे रही थी।
दोनों काफी देर तक ऐसा ही करती रही, फिर सोनी आयी और मेरे मुंह में बैठ गयी, उसकी चूत से बहता हुआ उसका वीर्य मेरे मुंह के अन्दर था, उसके बाद रेशमा आयी और उसने भी अपना वीर्य मेरी मुंह में डाल दिया, फिर दोनों लड़कियाँ मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.

अन्त में मैं भी रूक नहीं पाया, मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरे लंड ने माल छोड़ना शुरू कर दिया। उसके बाद मैं शांत हो गया और मेरा लंड मुरझा कर छोटा सा होकर दुबक गया, उसके बाद दोनों लड़कियां मुझसे चिपक गयी और बात करते करते हम सभी नींद की आगोश में आ गये।

इस तरह तीन दिन तक हम लोग मेरे मित्र आलोक के घर में रह कर मजे करते रहे और इस मजे में अलका भी हमारा साथ देती रही पर आलोक ने कभी साथ नहीं दिया।
धन्यवाद

अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने में रखा - Maine lund uski chut ke munh me rakha

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रेशमा मेरे कहे को मानते हुए सोनी की गांड पर पिल पड़ी और बड़ी ही बेदर्दी से उसके चूतड़ो को दबाने लगी, सोनी ‘आह आह…’ करती जा रही थी।
“रेशमा अब तुम इसकी गांड में थूको!”
रेशमा ने वैसा ही किया।

“अब तुम अपनी जीभ से थूक को छेद के अन्दर और आस पास की जगह पर फैलाओ।”
रेशमा ने अपनी जीभ से काम करना शुरू कर दिया और इधर सोनी अजीब सी आवाज के साथ ‘सीईईई…ईई… आह!’ की आवाज निकालने लगी।
मैंने सोनी से पूछा- कैसा लग रहा है?
वो बोली- ऐसा लग रहा है कि हजारों चींटियाँ मेरी गांड के अन्दर घुस कर काट रही है, बहुत ही सुरसुराहट हो रही है। बहुत खुजली हो रही है।

“अच्छा तो तुम अब अपनी उंगली अपनी गांड में डाल कर खुजली मिटा लो।”

सोनी अपनी गांड में उंगली डाल कर बहुत तेज तेज चलाने लगी और फिर हाँफ कर बैठ गयी।

जब थोड़ी देर बीत गयी और सोनी की सांस सामान्य तरीके से चलने लगी, तभी मैंने रेशमा से पूछा- यह खेल तुम भी खेलोगी या रहने दें?
रेशमा ने सोनी से पूछा कि उसे कैसा लगा?
तो सोनी रेशमा के गाल को नोंचते हुए बोली- जान बहुत मजा आया।
“तब ठीक है!” कह कर रेशमा भी गाड़ी के पीछे वाली सीट पर सोनी जैसी पोजिशन लेकर खड़ी हो गयी।

मैं गाड़ी चलाने के साथ साथ बैक मिरर से पीछे उन दोनों लड़कियों की हरकतों को देख कर मजे ले रहा था और बीच बीच में अपने लंड को मसल रहा था। लड़कियाँ भी बहुत ही सावधानी के साथ मजा ले रही थी।
अब बारी सोनी की थी। सोनी ने रेशमा से बिल्कुल चिपक कर अपना हाथ उसके पेट की तरफ से डाल दिया और उसके बाद अपनी सभी उंगलियों का प्रयोग करके उसके गांड को कुरेदने लगी, साथ ही उंगली को छेद के अन्दर डालने की कोशिश करती, रेशमा भी सोनी का साथ देते हुए अपने एक हाथ से चूतड़ को फैला रही थी।

उसको मजा आने लगा था, बहुत ही सेक्सी आवाज आ रही थी; सोनी के एक उंगली पूरी की पूरी उसकी गांड में घुस चुकी थी। शायद रेशमा को बहुत मजा आ रहा था, सोनी उंगली को बाहर अन्दर कर रही थी और रेशमा ‘आह… ओह… हाय मार डाला… बहुत मजा आ रहा है! बस ऐसे ही करो!’ पता नहीं क्या क्या बोले जा रही थी।

काफी देर तक सोनी उंगली से रेशमा की गांड चोद रही थी और रेशमा अपने चरमोत्कर्ष की अभिव्यक्ति को अनाप शनाप शब्दों से बयां करे जा रही थी। फिर सोनी ने उंगली निकाली और जिस तरह से रेशमा ने सोनी की गांड को मसला था, उसी तरह से और उसी दमखम के साथ सोनी भी अपना काम कर रही थी। शायद दोनों ही थक चुकी थी, इसलिये दोनों बैठ गयी और अपने सांसों पर काबू पाने लगी।

“अब बताओ रेशमा, तुम्हें कैसा लगा?”
“क्या बताऊं शरद, बहुत मजा आ रहा था; सोनी मेरी गांड में उंगली कर रही थी और मुझे लग रहा था कि मेरे पूरे जिस्म में कीड़े चल रहे हों, मैं अपने को काबू में नहीं कर पायी और दो बार झड़ गयी। आपकी गाड़ी की सीट मेरे पानी से गीली हो गयी है और मेरी जांघों में भी अब चिपचिपाहट हो रही है।”

“कोई बात नहीं!” मैंने कहा- सीट तो सूख जायेगी। तुम दोनों ने अपने सफर का भरपूर आनन्द उठाया, उसमें मुझे भी मजा आया।
“हां, वो तो ठीक है! सोनी बोली- पर मूतास ने एक बार फिर जोर पकड़ा हुआ है। अब बोतल भी नहीं है, जिसमें करूँ, अब आप गाड़ी कहीं किनारे लगा दीजिए, तो हम मूत लें।

मैंने सेफ जगह देख कर एक जगह गाड़ी रोक दी।
दोनों लड़कियाँ गाड़ी से उतर कर झाड़ियों के बीच में बैठ गयी और मैं भी उनसे कुछ दूरी पर पेशाब करने लगा। मेरे मूतते तक दोनों मूत कर खड़ी हो चुकी थी और अपनी अपनी सलवार का नाड़ा बाँधने लगी और फिर शायद लड़कियों में आदत होती होगी कि पेशाब करने के बाद गिरती हुयी बूंदों को अपने अंतरंग अंगवस्त्र से पौंछना।
दोनों ने भी यही किया अपने शलवार के ऊपर से ही अपनी चूत को साफ कर ली और वापस गाड़ी में आकर बैठ गयी.

मैं भी पेशाब करने के बाद लंड को हिलाते हुए बची खुची बूंदों को झाड़ा और फिर कैपरी के अन्दर अपने लंड को कैद कर लिया।
अब हम तीनों लोग सामान्य अवस्था में गाड़ी में बैठे हुए थे।

कुछ दूरी और तय करने के बाद हम तीनों ने एक बार फिर चाय पी और आगे के गन्तव्य को पूरा करने के लिये चल दिये।

दोस्तो, ये तो कार के अन्दर की मस्ती थी जो हम तीनों ने की। हालाँकि मुझे इसमें ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ी।

अब हम लोग लखनऊ पहुंच चुके थे और अपने दोस्त के घर के सामने कार पार्क कर दी। मेरा दोस्त आलोक अभी घर में ही था और हम लोगों का इंतजार कर रहा था। दोनों लड़कियों ने आलोक को अंकल सम्बोधित करते हुए नमस्ते किया।
हम तीनों आलोक के साथ उसके घर के अन्दर प्रवेश करके डायनिंग हॉल में बैठ गये। आलोक ने खुद ही पानी वगैरह सर्व किया फिर देर से आने का कारण पूछा।

थोड़ी देर के बातचीत होने के बाद आलोक ने पूछा कि किस कम्पनी में इन्टरव्यू है तो मैंने उसको बनाई हुयी स्टोरी बता दी।
उसके बाद आलोक बोला- यार, मैं अब ऑफिस के लिये निकलता हूं, यार तेरी भाभी घर पर है नहीं, इसलिये तुझे मैं रहने की व्यवस्था करा सकता हूं बाकी खाना तुम्हें लखनऊ में जहां भी अच्छा लगे, जाकर खा लेना।
कह कर उसने मुझे घर की एक चाभी पकड़ाई और उन दोनों लड़कियों को विश करके ऑफिस चला गया।

उसके जाने के बाद हम तीनों ऊपर उस कमरे में पहुंचे जिसको आलोक दिखा कर गया। मेरे लिये एक कमरा था और एक कमरा उन दोनों लड़कियों के लिये था। मैं ड्राईव करके थक गया था, इसलिये मैंने अपने कपड़े उतारे और नंगा ही बेड पर लेट गया।

मुझे नंगा देखकर दोनों लड़कियां भी अपने कपड़े उतार कर मेरे बगल में लेट गयी और सब सो गए.
करीब एक डेढ़ घण्टे के बाद सोनी जागी, सबको जगा कर बोली- सर, भूख लग रही है।

हम तीनों थोड़ी देर बाद अपना अपना हुलिया को सही करते हुए बाहर खाना खाने के लिये निकल आये और एक होटल ढूंढ कर खाना खाने बैठ गये।
खाना खाते हुए मैंने दोनों को अच्छी तरह से समझा दिया कि आलोक पूछे तो क्या जवाब देना है।

खाना खाने से निबटने के बाद हम लोग वापस आलोक के घर आ गये। थोड़ी देर तक तो हम लोग लेट कर अपने टूटे हुए बदन को सही कर रहे थे।
अभी भी मुझे एनर्जी कम लग रही थी और दूसरा दोनों लड़कियां मेरे दोनों तरफ लेटी हुयी थी, फिर भी मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही थी, लेकिन दोनों में उर्जा समाहित हो चुकी थी, दोनों ने अपने अपने हाथ मेरी कैपरी के अन्दर डाल दिया और मेरी जांघों को सहलाने लगी।

शायद दोनों को ही मेरे झुके हुए हथियार से खेलना अच्छा लग रहा था, दोनों मेरे हथियार को पकड़ने की कोशिश कर रही थी।

सोनी, रेशमा बोली- क्या मुलायम है इनका लंड?
दोनों बड़ी ही बेदर्दी से मेरे लंड को मसले जा रही थी, यहां तक कि मेरे अंडों के साथ भी खेल रही थी और उसे भी दबा रही थी, जिसकी दर्द के वजह से मैं कराह जाता था।
तभी सोनी बोली- लेकिन है बड़ा हरामी! अभी मुलायम है लेकिन जब इसने मेरी चूत मारी थी तो थोड़ा भी रहम नहीं खाया था, खून तक निकाल लिया, लेकिन माना नहीं। पर हाँ एक बार जब इसकी दोस्ती मेरी चूत से हो गयी तो फिर इसने मेरी चूत को बहुत मजा दिया।

“हां यार, तभी तो मैं भी अपनी चूत को मजा दिलवाने के लिये यहां तक आयी हूँ। धीरे धीरे उनके सहलाने से व इस तरह की उतेजक बाते करने से मेरे लंड में जोश आने लगा और वो तनने लगा। दोनों एक साथ ही बोली- देखो इसको जोश आ रहा है!
इतना कहते हुए दोनों ने मेरी कैपरी उतार दी और मेरा लंड फुंफकार मारते हुए बाहर आ गया।

दोनों जल्दी से उठी और लपक कर मेरे लंड को पकड़ने लगी, दोनों के चूतड़ मेरी तरफ थे, मैं उनकी सलवार के ऊपर से ही उनके चूतड़ और चूत को सहलाने लगा, खुमारी अब सभी में बढ़ रही थी, दोनों ने अपनी सलवार के नाड़े को खोल दिया और बाकी का काम मैंने कर दिया, अब दोनों की नंगी गांड और चूत मेरे सामने थी। मेरे दोनों हाथ दोनों के दोनों ही छेदों में चल रहे थे, दोनों ही अपनी कमर को हिला हिला कर मजे ले भी रही थी।

इधर एक मेरे लंड को चूसता तो दूसरे की जीभ मेरे जांघ के आस पास की जगह को चाट रही होती।

कुछ देर तक तो ऐसा ही चलता रहा।
लेकिन पता नहीं मेरी जुबान को क्या हो रहा था कि चूत चाटने का नशा सा चढ़ा जा रहा था, मैंने रेशमा से कहा कि वो मेरे मुंह पर बैठे और सोनी से लंड को उसकी चूत में लेने के लिये बोला।
इस बीच दोनों ने अपने बाकी के कपड़े उतार लिये थे। रेशमा मेरे मुंह पर आ गयी मैं उसकी कमर को पकड़ कर उसकी चूत पर हौले हौले अपनी जीभ चलाने लगा। उधर सोनी भरपूर कोशिश कर रही थी कि मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने के लिये, लेकिन ले नहीं पा रही थी और बार बार लंड फिसल कर उसकी चूत के बाहर आ जा रहा था।

मैं समझ गया कि उसकी चूत अभी भी कसी हुयी है, मैंने रेशमा को अपने ऊपर से उतारा और सोनी को पलंग पर लेटा कर उसकी कमर के नीचे तकिया रख कर लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा, जल्दी ही मेरा लंड उसकी चूत में चला गया और अब उसको चोद रहा था.
रेशमा मुझे सोनी को चोदते हुए देख रही थी. कुछ एक धक्के लगाने के बाद ही सोनी की चूत ढीली हो गयी।

अब मैंने लंड को बाहर निकाला और फिर सीधा लेट गया, मुझे रेशमा की चूत चाटने में बड़ा मजा आ रहा था, इसलिये मैंने रेशमा से एक बार फिर मेरे मुंह पर आने को कहा और सोनी को लंड पर बैठने के लिये कहा.
रेशमा मेरे मुंह पर आकर बैठ गयी और सोनी भी मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने में सफल हो गयी थी। सोनी ने मेरे लंड को अपने अन्दर ले तो लिया था, लेकिन उछल कूद नहीं कर रही थी, मैंने हल्के से नीचे से धक्का लगाया, सोनी ने उसके बाद मेरे लंड को बार बार अपनी चूत से पूरा बाहर निकाल लेती और फिर अपने अन्दर ले लेती।

इस तरह काफी देर तक मैं रेशमा की चूत को चाटता रहा और सोनी मुझे चोदती रही।
जब रेशमा की चूत अच्छे से गीली हो गयी और उसने पानी छोड़ दिया, तब मैंने रेशमा और सोनी को अपने ऊपर से हटाया और रेशमा को लेटाते हुए बोला- थोड़ा तकलीफ होगी, अगर तुम बर्दाश्त कर लोगी तो फिर मजा ही मजा आयेगा।

इधर मैंने सोनी को भी हिदायत दी कि रेशमा के मम्में को अच्छे से मसलना और उसके निप्पल को भी अच्छे से मसलना और चाहे तो अपने मुंह में लेकर उसके मम्में को पीना।
सोनी मेरी बात को समझते हुए उसके निप्पल को चूसने लगी और रेशमा भी उसके मम्में को दबाने लगी।

इधर मैंने भी रेशमा के कमर के नीचे तकिया रख दिया, मैं रेशमा की टांगों के बीच आ गया। इधर सोनी भी उसकी चूचियों से खेल रही थी और बीच बीच में दोनों एक दूसरे के होंठों का रसपान कर रही थी।
हाथ रेशमा का भी चल रहा था, वो भी सोनी की चूचियों को मसल रही थी।

मैंने रेशमा की टांगों के बीच बैठ कर अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने में रखा। मुझे उसकी चूत की तपन का अहसास हो रहा था और इस तपन को जल्द से जल्द ठंड करने की आवश्यकता थी। अब मैं लंड को उसकी चूत के मुहाने को रगड़ रहा था और उसके छोटे से छेद को फैलाने को तत्पर था लेकिन मेरी तत्परता से क्या होना था, मुंह इतना छोटा था कि ताकत लगाना भी बेकार था। पर मैं लगातार अपने काम में प्रयासरत था।

इधर रेशमा भी मेरे प्रयास में साथ दे रही थी, जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत को टच करता, वो तुरन्त ही अपनी कमर को मेरा लंड अन्दर लेने के लिये उठा देती। पर हर बार लंड फिसल कर अलग हो जाता।
अब मेरा सब्र भी खत्म हो रहा था, मैंने अपना लंड उसकी चूत से सटाया और उसकी चूत को अपने हाथों से थोड़ा फैलाया और लंड को उसमें हल्के ताकत के साथ प्रवेश करा दिया। “आआआ आआहह आआअ…” की एक चीख मुझे सुनाई दी लेकिन मैंने उस चीख को अनसुना करते हुए अपने कार्य को जारी रखा और थोड़ा ताकत लगाकर लंड को अन्दर धकेलने का प्रयास कर रहा था.
हालाँकि मुझे भी लग रहा था कि मेरे लंड को कोई चाकू से छील रहा हो, बहुत तेज जलन हो रही थी।

मैं अपनी ताकत लगाता रहा और रेशमा की चीखें निकल रही थी। रेशमा की चीखों को सुन कर सोनी भी डर गयी और वो रेशमा से अलग हो गयी।

चूमा और मुंह खोल कर लंड को मुंह के अन्दर लिया - Lund chusne ke liye usne apna munh khola

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मैंने गाड़ी आगे बढ़ाते हुए रेशमा को देखते हुए कहा- तुमने कभी लंड चुसाई की है?
“नहीं, बस अपनी चूत में उंगली तब तक करती रहती थी, जब तक मैं शांत न हो जाऊँ और जब पानी निकल जाता था तो मैं शांत हो जाती थी। बस इतना ही किया है, लंड तो हमारे लिये दूर की बात थी।”
“तो फिर आज तुम्हारे पास लंड चूसने का मौका भी है।”

सोनी भी मेरा साथ देते हुए बोली- हाँ रेशमा, शरद का लंड चूसो, बहुत मजा आयेगा!
इतना कहकर सोनी एक बार पीछे की सीट पर जाने लगी, इसी बीच मैंने उसके चूतड़ों को सहला दिया।
रेशमा अब आगे आ चुकी थी।

थोड़ी देर तक तो वो मेरे लंड को सहलाती रही।
“अरे यार, हाथ से सहलाने में मजा नहीं आयेगा!”
एक हाथ से मैंने खोल को पीछे धकेला, सुपारे को और खोलते हुए अपनी उंगली उस पर टच करके रेशमा को बताया- इसको लॉलीपॉप की तरह चूसो, फिर इसका मजा लो।
रेशमा ने सुपारे को चूमा और मुंह खोल कर लंड को मुंह के अन्दर लिया।
दो चार बार उसने ऐसा ही किया।

मैं फिर बोला- यार, इस तरह मजा नहीं आयेगा; अच्छे से करो! अच्छा हम तीनों एक काम करते हैं!
“क्या?” दोनों एक साथ बोली।
“मैं बता रहा हूँ लेकिन बार बार नहीं बताऊँगा… और तुम दोनों में जो नखरा करेगा, तो उसके साथ मजा भी नहीं लूंगा। तैयार हो तुम दोनों?”
“ठीक है, अब हम कुछ नहीं कहेंगी, जैसा आप कहेंगे वैसा ही करेंगे।”
“तब ठीक है। अब बताओ क्या करना है?”

“पहले यह बताओ कि हम लोग क्या करने जा रहे हैं इतनी दूर?”
“मस्ती करने, सेक्स करने!” सोनी बोली।
“खुल कर बोलो तुम दोनों… यह क्या है, मस्ती करने, सेक्स करने? तुम दोनों बोलो कि हम दोनों तुमसे अपनी चुत चुदवायेंगी और तुम हम दोनों की चुत चोदोगे।”

दोनों ने बिना वक्त गंवाये, मेरी बातों को रिपीट कर दिया।
“तो ठीक… अब रेशमा, तुम मेरे लंड अपने हाथ में लेकर मुठ मारोगी और जो मेरा रस निकलेगा, वो तुम दोनों शेयर करोगी!” उसके बाद रेशमा तुम अपना हाथ जगन्नाथ वाला काम करोगी और जो तुम्हारी चूत से रस निकलेगा, उसको मैं और सोनी शेयर करेंगे, उसके बाद सोनी आगे की सीट पर आयेगी और अपना हाथ जगन्नाथ करेगी और उसके रस को हम दोनों शेयर करेंगे।”
दोनों एक साथ बोली- ठीक है।

अब मेरी बताई बातों को रेशमा ने करना शुरू किया, कभी वो अपने हाथों से मेरे लंड का मुठ मारती तो कभी लंड को मुंह के अन्दर ले लेती, बीच-बीच में सोनी भी सीट के बीच से मेरे लंड की मुठ मारती, दोनों की थोड़ी देर के मेहनत से मेरे लंड से पिचकारी छूटी और रेशमा के पूरे मुंह पर, उसके हाथों पर, मेरी जांघों पर… हर जगह सफेद-सफेद मलाई बिखरी पड़ी थी.

मैंने तुरन्त रेशमा को निर्देश दिया कि वो मेरी जांघों के आस पास की मलाई और उसके हाथों में लगी मलाई को चाटेगी और सोनी उसके मुंह को चाट-चाट कर साफ करेगी।
दोनों ने मेरी बातों पर बखूबी अमल किया. हालाँकि सोनी पहले ही मेरी मलाई का स्वाद ले चुकी थी, जबकि रेशमा के लिये नया था, तो उसे वोमेटिंग सी लगने लगी थी। सोनी उसकी पीठ थपथपा कर उसकी वोमेटिंग को कंट्रोल करने लगी थी।
थोड़ी देर बाद रेशमा नार्मल हो गयी।

एक बार फिर हम लोगों के बीच पेप्सी का दौर चला। लगभग आधी बोतल पेप्सी खत्म हो चुकी थी। अब एक बार फिर बारी रेशमा की थी, वो सीट पर इस तरह आगे होकर बैठी कि उसकी कमर ही सीट के सबसे आगे के भाग से टिका हुआ था और उसकी चूत बाहर हो चुकी थी, सिर को उसने सीट से टिकाया और फिर एक उंगली को अपने फांकों के बीच हौले हौले चलाने लगी।

अब तक हम लोग 80 किलोमीटर का ही सफर तय कर चुके थे, कारण आप सभी लोग जानते हैं, 30-40 से ज्यादा की स्पीड नहीं थी। अब रेशमा की उंगली कभी फांकों के बीच तो कभी चूत के अन्दर तो कभी अपने भगनासा को सहलाती तो कभी गांड को रगड़ती.

चूंकि तीनों के बीच शर्त यही थी कि जो अपने जिस्म के अंगों से खेलेगा तो बाकी सभी लोग उसको देखेंगे और अपने जिस्म में कोई हरकत नहीं करेंगे।
सोनी भी बड़े ध्यान से देख रही थी, मैं सड़क पर नजर रखने के साथ साथ उसको खेलते हुए भी देख रहा था।

धीरे धीरे रेशमा के ऊपर खुमारी बढ़ती जा रही थी, सिसियाने के साथ साथ उसने आँखें बन्द कर ली थी। तभी वो अपने चूची को भी सहलाने लगी, मैंने उसके हाथ को पकड़ा और ऐसा करने से मना किया क्योंकि बाहर से लोगों की नजर अन्दर पड़ सकती थी और फिर कोई बात हो सकती थी।

धीरे धीरे रेशमा पर उत्तेजना हावी होती जा रही थी, जो उंगली अभी तक उसके सबसे कोमल अंगों को सहला रही थी, अब पूरा हाथ ही उस कोमल चूत को कठोरता के साथ मसल रहा था। वो अपने होंठों को काटे जा रही थी साथ ही साथ हम्म…आह… हम्म… आह… की आवाज आ रही थी।
मैं समझ चुका था कि रेशमा का रज बाहर आने को बेताब है, मैं रेशमा के सुर में अपने सुर को मिलाते हुए बोला- अपनी दूसरी हथेली को चूत के पास लगाओ और रज को बाहर गिरने से रोको!

रेशमा ने अपनी दूसरी हथेली को चूत के पास लगाया, ठीक उसी समय रेशमा का रज चूत की बाधाओं को तोड़ता हुआ बाहर उसकी हथेली में गिरने लगा। रेशमा के एक हाथ को मैं और दूसरे हाथ को रेशमा चाटने लगी।

उसके बाद मैं बैक मिरर से पीछे की तरफ और चारों तरफ आस-पास देखने लगा, तो काफी सन्नाटा था, मैंने गाड़ी को एक किनारे लगाया और रेशमा की चूत को चाट कर साफ किया.
फिर सोनी से रेशमा के चूतड़ को फैलाने के लिये कहा.

सोनी ने रेशमा के चूतड़ों को फैलाया, मैंने उसकी गांड के छेद में थूका और उसकी गांड को चाटने लगा, उसके बाद मैंने गाड़ी आगे बढ़ा दी।

अब बारी थी सोनी की।
सोनी अब आगे की सीट पर थी और रेशमा पीछे की सीट पर!
पर इससे पहले सोनी कुछ करती, एक दौर पेप्सी का और चल चुका था और इस बार पूरी की पूरी पेप्सी खाली हो चुकी थी। अब सोनी भी रेशमा जैसे पोजिशन ले चुकी थी। शुरू शुरू में सोनी को करने में परेशानी हो रही थी लेकिन रेशमा ने उसकी मदद करना शुरू की। धीरे धीरे सोनी भी मस्ती में आती जा रही थी और जो हाथ अब तक हौले हौले चल रहे थे, कुछ ही देर में उसके ऊपर उत्तेजना हावी होने लगी और जिस तरह रेशमा कर रही थी, उसी तरह सोनी के मुंह से हम्म… आह… हम्म… आह… की आवाज आने लगी और कुछ ही देर के बाद ही सोनी का रज भी उसके हाथों में था और इस बार रेशमा और मैंने सोनी के एक एक हाथ को चाटने लगा।

उसके बाद एक बार फिर मैंने सड़क के चारों ओर देखा और झट से गाड़ी को एक किनारे लगाया और उसकी चूत से निकलते हुए रज को चाट कर साफ किया.
इस बार रेशमा ने सोनी के चूतड़ों को फैलाया, मैंने उसकी गांड में थूका और जीभ की टिप लगा कर उसकी गांड को भी चाटने का मजा दिया।
फिर हम सभी ने कपड़े पहने और गाड़ी आगे बढ़ा दी।

15-20 मिनट और चलने के बाद एक होटल दिखायी पड़ा और मैंने अपनी गाड़ी पार्क कर दी। होटल के अन्दर पहुंच कर हम लोगों ने एक केबिन लिया और आराम से खाना खाया। करीब 30-40 मिनट के बाद हम लोग वहां से लखनऊ के लिए चल दिये।

जैसे हमारी गाड़ी थोड़ी आगे बढ़ी, वैसे ही सोनी ने जल्दी जल्दी अपनी सलवार उतारी और झट से पेप्सी वाली खाली बोतल चूत के मुहाने पर लगा दी, सर्रर्रर्र शर्रर्रर्र… की आवाज के साथ बोतल भरने लगी।
इतने बीच में रेशमा ने भी अपनी शलवार को उतार फेंकी और उसने भी सोनी से जल्दी बोतल ली और वो भी शर्रर्रर्र शर्ररर्र… के साथ उस बोतल को भरने लगी।

दोनों को मूतास बहुत तेज लगी थी, फिर भी मैंने मजा लेने के लिये बोला- यार जब तुम दोनों रेस्टोरेन्ट में थी तो वहीं मूत कर आना चाहिए था।
पर दोनों मुझसे भी ज्यादा चालाक निकली और झट से बोली- फालतू में हम अपनी मूत को नाली में नहीं बहाना चाहती।
“क्या?” अब चौंकने की मेरी बारी थी।
दोनों हँसती हुए बोली- अब बोतल में मूतने का मजा आने लगा है… और हो सकता है कि पीछे वाली बोतल के साथ साथ यह भी किसी के हाथ लग जाये। तुम भी मूत लो।

इतना कहने के साथ सोनी ने मेरी कैपरी को उतारने लगी, मैंने भी उसको सपोर्ट करते हुए अपनी कैपरी उससे उतरवा दी।
उसके बाद सोनी ने रेशमा से बोतल ली और फिर उस बोतल के मुंह को मेरे लंड से सटा दिया, मैंने भी बिना देर किये शू शू करना शुरू कर दिया।

मेरे पेशाब करने के बाद सोनी ने बोतल हटा दिया और फिर ढक्कन लगा कर अपने अंगूठे से मेरे सुपारे को साफ करने लगी। उसके बाद मैंने फिर गाड़ी किनारे खड़ी की, सोनी ने तुरन्त बोतल बाहर रख दी, उसके बाद मैंने गाड़ी आगे बढ़ा दी।

गाड़ी आगे बढ़ाते हुए मैंने दोनों से पूछा- बताओ अब तक कि यात्रा कैसी रही।
दोनों ने चहकते हुए कहा- बहुत मजा आया।

लेकिन अभी भी 110 किलोमीटर का रास्ता और बचा है, क्या करना है?
“जो तुम कहोगे वो हम दोनों करेंगी!” दोनों एक साथ बोली।
“तो ठीक है, अब हम लोग बात करेंगे और उसमें मजा लेंगे। ठीक है रेशमा, तुम बताओ, तुम्हारी साईज क्या है?”
“साईज?”
“हाँ साईज!”
“मैं समझी नहीं?”
तुम दोनों सेक्सी कहानी पढ़ती हो, तो उस कहानी में बताया जाता है कि 30-26-32 या कुछ ऐसा!”
“हाँ पढ़ा तो कई बार है पर कभी ध्यान नहीं दिया, और न ही हमें मालूम है।”
“चलो कोई बात नही!”

“अच्छा एक काम करो, सोनी तुम भी पीछे चली जाओ।”
सोनी भी पीछे चली गई।

“रेशमा, तुम अपने चूतड़ दिखाओ मुझे!”
रेशमा तुरन्त ही सीट पर घुटने के बल हो गयी उसकी पीठ मेरे बैक मिरर में साफ साफ दिखाई दे रही थी।
फिर रेशमा ने अपनी कुर्ती को ऊपर उठाया, इससे उसके चूतड़ के दीदार बहुत अच्छे से होने लगे।

“रेशमा, तुम अपने चूतड़ को फैलाओ!”
रेशमा ने अपनी कुर्ती को अपनी कोहनी के बीच फंसाते हुए अपने चूतड़ों को और फैला दिया। बीच में हल्का भूरा और काले रंग के संगम लिये हुए गांड का छेद दिखाई दिया।

मैंने मुंह को गोल करके एक सीटी बजाई और बोला- रेशमा क्या मस्त गांड है तुम्हारी! तुम इसी तरह रहो।
“सोनी अब तुम भी इसी तरह से हो जाओ!”
सोनी ने भी तुरन्त उसी पोजिशन में आकर अपनी गांड खोल दी।

मेरे मुंह से एक बार फिर सीटी बजी और मैंने उसके गांड की भी तारीफ की।
“रेशमा अब तुम सोनी के चूतड़ों को चूची समझ कर कस कस कर दबाओ और बेदर्दी होकर उसकी गांड को जितना फैला सकती हो, फैलाओ।”

रेशमा मेरे कहे को मानते हुए सोनी की गांड पर पिल पड़ी और बड़ी ही बेदर्दी से उसके चूतड़ो को दबाने लगी, सोनी ‘आह आह…’ करती जा रही थी।
“रेशमा अब तुम इसकी गांड में थूको!”
रेशमा ने वैसा ही किया।

“अब तुम अपनी जीभ से थूक को छेद के अन्दर और आस पास की जगह पर फैलाओ।”
रेशमा ने अपनी जीभ से काम करना शुरू कर दिया और इधर सोनी अजीब सी आवाज के साथ ‘सीईईई…ईई… आह!’ की आवाज निकालने लगी।
मैंने सोनी से पूछा- कैसा लग रहा है?
वो बोली- ऐसा लग रहा है कि हजारों चींटियाँ मेरी गांड के अन्दर घुस कर काट रही है, बहुत ही सुरसुराहट हो रही है। बहुत खुजली हो रही है।

“अच्छा तो तुम अब अपनी उंगली अपनी गांड में डाल कर खुजली मिटा लो।”

सोनी अपनी गांड में उंगली डाल कर बहुत तेज तेज चलाने लगी और फिर हाँफ कर बैठ गयी।

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