सगे भैया ने मुझे भाभी समझ चौदा sage bhai ne mujhe bhabhi samaj kar chouda

सगे भैया ने मुझे भाभी समझ चौदा sage bhai ne mujhe bhabhi samaj kar chouda, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.
हेल्लो दोस्तों, मैं पूजा आप सभी का #सेक्सकहानी2017 में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी की नियमित पाठिका रहीं हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी।
मेरे अमर भैया की नई नई शादी हुई थी। दोस्तों मेरी भाभी बहुत खूबसूरत औरत थी। जिस दिन भैया की सुहागरात होनी थी उस दिन वो भाभी के हुस्न पर पूरी तरह से पागल थे। उन्होंने सारी रात भाभी की चूत मारी थी। धीरे धीरे मेरे भैया भाभी के पीछे पूरी तरह से पागल हो गये है और सारा दिन कमरे में ही घुसे रहते है और भाभी की मस्त मस्त चूत चोदा करते थे। जैसे ही रात हो जाती थी मैं चुपके से बड़े भैया के दरवाजे पर चली जाती थी और लॉक वाले छेद से मैं सारी चुदाई देख लिया करती थी। धीरे धीरे मुझे भैया भाभी की चुदाई देखने का नशा सा हो गया। रोज रात में मैं भैया के कमरे के दरवाजे पर खड़ी हो जाती और अंदर का सारा चुदाई वाला सीन देख लिया करती थी।
दोस्तों धीरे धीरे मेरा भी चुदने का और मोटा लंड खाने का दिल करने लगा। पर मेरे पास कोई बॉयफ्रेंड नही था। इसलिए मैं अपनी वासना और काम की हवस को शांत करने के लिए खुद ही अपनी चूत में अपनी ऊँगली, मूली और बैगन डाल लिया करती थी और चूत को फेट लिया करती थी। पर मुझे वो असली वाला मजा नही मिल रहा था। मुझे असली लंड खाने का बड़ा दिल कर रहा था। मैं भाभी की तरह चुदना चाहती थी। और भरपूर मजा लेना चाहती थी।
एक शाम भाभी मार्केट गयी हुई थी। मैं उनके कमरे में थी और अपनी एक साड़ी ढूढ़ रही थी। मेरी भाभी मेरी साड़ी में फाल लगा रही थी इसलिए मैं वही साड़ी लेने आई थी। इत्तेफाक से मैंने भी उस दिन शौक शौंक में साड़ी पहन रखी थी। तभी लाईट चली गयी। उसी समय भैया आ गये और मुझे कमर से पकड़ लिया और प्यार करने लगे। मेरे भैया सोच रहे थे की मैं उनकी बीबी हूँ। वो मुझे किस करने लगे।
“जान…आओ जल्दी से चूत दे दो। आज बजार में एक बड़ी सुंदर लड़की को देख लिया। बस उसे देखते ही मेरा मूड खराब हो गया। मेरा लौड़ा खडा हो गया है अब मुझे बस तुम्हारी रसीली चूत मारनी है!!” मेरे भैया बोले। उधर मेरा भी लंड खाने का मन कर रहा था इसलिए मैंने कोई आवाज नही निकाली। वरना अमर भैया मुझे पहचान जाते और मुझे नही चोदते। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और धीरे धीरे मेरी साड़ी निकालने लगे। लाईट चली गयी थी इसलिए कमरे में अँधेरा था। भैया मुझे भाभी समझ रहे थे। कुछ देर में उन्होंने मेरी साड़ी निकाल दी और फिर मेरी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। मैं बिलकुल चुप थी और कोई आवाज नही कर रही थी। फिर मेरे भैया ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरे रसीले होठ चूसने लगे। मैं पिछले कई महीने से भैया को भाभी का गेम बजाते हुए देख रही थी इसलिए मैं भी उनका मोटा लंड खाने के लिए तडप रही थी।
दोस्तों मेरे अमर भैया बहुत ही स्मार्ट और खूबसूरत थे। वो मर्दाना जिस्म के मालिक थे और उसकी मस्त बॉडी बनी हुई थी। उनका लंड तो ९” लम्बा था और बहुत मोटा और रसीला लौड़ा था मेरे भाई का। कमरे में अँधेरा था और वो मुझे भाभी समझ कर मेरे सेक्सी होठ पी रहे थे। मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर अमर भैया मेरे उपर आ गये और मेरे दूध को अपने हाथ से दबाने लगे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया मेरे खूबसूरत मम्मो को जोर जोर से अपने हाथो से दबा रहे थे और फुल मजा ले रहे थे। मेरे मम्मे बहुत ही खूबसूरत थे। बिलकुल सफ़ेद सफ़ेद और गोरे रंग के थे। अमर भैया जान ही नही पाए की वो अपनी बीबी को नहीं बल्कि अपनी बहन के दूध को दबा रहे है। मुझे भी खूब मजा मिल रहा था। फिर अमर भैया मुंह लगाकर मेरे नशीले दूध को पीने लगे और मजा मारने लगे। मैं आप लोगो को बता नही सकती हूँ की मुझे कितना मजा मिल रहा था। आज पहली बार मैं किसी मर्द को अपने मस्त मस्त दूध पिला रही थी। मैं भी जवानी के मजे लूट रही थी। अमर भैया मुझे भाभी समझ के मेरी नर्म नर्म कोमल छातियों को चूस रहे थे। उनको बहुत अच्छा लग रहा था।
वो मेरी एक छाती को १० मिनट तक चूसते फिर दूसरी छाती को मुंह में भर लेते है पीने लग जाते। आधे घंटे तक यही खेल चलता रहा। अधेरे में मेरा हाथ उनके लंड से टकरा गया तो मैं जान गयी की उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है और मुझे चोदने के लिए बिलकुल तैयार हो गया है। मेरे सगे भैया ने मेरी दोनों नर्म मुलायम छातियों को बहुत देर तक चूसा।
“जान….मेरे लौड़े को अपने हाथ से फेटो!!” अमर भैया बोले और मेरे हाथ में उन्होंने अपना ९” का मोटा और रसीला लंड पकड़ा दिया। आज पहली बार मैंने किसी असली लौड़े को हाथ में लिया था। इससे पहले तो मैं बस मूली, गाजर, बैगन को ही हाथ में लेती थी पर आज मुझे अमर भैया का असली लंड हाथ में लेने का मौक़ा मिला था। मैं जल्दी जल्दी उसके लौड़े को फेटने लगी। अमर भैया …..आआआआअह्हह्हह…. करने लगे। फिर मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड फेट रही थी। मेरा उनका लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था क्यूंकि मेरी भाभी रोज रात में मेरे भैया का लंड चूसती थी। इसलिए आज मेरा भी भैया का लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था। मैंने भैया को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके उपर लेट गयी और उनका लंड चूसने लगी।
उनको बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे ताजे गुलाबी होठ उनके लंड पर जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहे थे। अमर भैया के हाथ मेरी बड़ी बड़ी ३६” की छातियों पर चले आये थे और वो मेरे बूब्स को हल्का हल्का दबा रहे थे। मैं उनके लौड़े को मुंह में लेकर चूस रही थी। और हाथ से जल्दी जल्दी फेट भी रही थी। कुछ देर बाद तो मुझे बहुत जादा मजा मिलने लगा और मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड चूसने लगी और हाथ से फेटने लगी। उनको सेक्स और चुदाई का भरपूर नशा चढ़ गया था। वो हाथ ने मेरी निपल्स को घुमा रहे थे और ऊँगली से ऐठ रहे थे। ऐसा करने से मुझे सेक्स का नशा चढ़ रहा था। फिर मैं बिलकुल से पागल हो गयी और अमर भैया के लौड़े को मैं लील जाना चाहती थी।
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इसलिए मैं जल्दी जल्दी उनके लंड को चूस रही थी। भैया का सुपाड़ा तो बहुत खूबसूरत था और काफी नुकीला था। दोस्तों मैंने आधे घंटे तक अमर भैया का लंड चूसा। आज मैं किसी देसी रंडी की तरह पेश आ रही थी। फिर अमर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों पैरों को उसने अपने कंधे पर रख दिया। फिर उन्होंने मेरी चूत के दरवाजे पर अपना लंड रखा और जोर से धक्का मारा। उनका ९” का रसीला लौड़ा मेरी चूत में उतर गया और अमर भैया दनादन मुझे चोदने लगे। इससे पहले मैं अपनी बुर को बैगन और गाजर से चोद लिया करती थी। पर उसमे वो मजा नही आता था जो आज मैं उठा रही थी। मेरे सगे अमर भैया मुझे गच्चक गचाक चोद रहे थे। मैं “आआआअह्हह्हह……ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई..अई..अई…..अई..मम्मी….” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। भैया मुझे भाभी समझ के पेल रहे है। मुझे बहुत जादा यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी। मैं अपने अमर भैया को सीने से चिपका लिया था और मजे से चुदवा रही थी।
मैं किसी तरह का नाम नही ले रही थी वरना अमर भैया जान जाते की मैं उनकी बीबी नही बल्कि सगी बहन हूँ। वो चुदाई के नशे में बार बार मेरे गोरे चिकने गालों पर काट लेते थे और मुझे दनादन चोद रहे थे। मैं पूरी तरह से उनके कब्जे में थी और उन्होंने मुझे दोनों हाथों से कसकर पकड़ रखा था। अमर भैया का लंड इतना मोटा था की जब वो अंदर मेरी चूत में जाता था जो मैं आगे की तरफ खिसक जाती थी। वो जल्दी जल्दी मुझे चोदकर मेरी बुर फाड़ रहे थे। मैं अँधेरे में मजे से अपने सगे भैया से चुदवा रही थी और जन्नत का मजा ले रही थी। आज मेरी चूत चुद गयी थी और आज पहली बार मैंने असली लंड खा लिया था। कुछ देर बाद बड़े भैया को और जादा जोश चढ़ गया और वो मेरे दूध पीते पीते मुझे बजाने लगे। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।
एक तो वो मेरे नर्म स्तनों को पी और चूस रहे थे और उधर मेरी चूत में जल्दी जल्दी लंड सरका रहे थे। मैं “उ उ उ उ उ।।।।।।अअअअअ आआआआ।।। सी सी सी सी।।।। ऊँ।।ऊँ।।।ऊँ।।। बोल बोलकर चुदवा रही थी। कुछ देर बाद अमर भैया का माल छूट गया और उन्होंने मेरे भोसड़े में ही अपना माल गिरा दिया। मैंने उनको सीने से लगा लिया और उनके होठ चूसने लगी। दोस्तों १० मिनट बाद अमर भैया का लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो मेरी चूत पर आ गये और मेरी चूत पीने लगा। वो मुंह लगाकर मेरी हसीन बुर को चाट और चूस रहे थे। मेरे चूत के दाने को वो बार बार अपनी जीभ से चाटते थे और छेड़ते थे। मुझे चूत में सनसनी लग रही थी। फिर अमर भैया मेरी चूत के होठो को जीभ से चाटने लगे। मैं पागल हो रही थी।
मैं चुदाई के नशे में उनके सिर को बालों को अपने हाथ से नोच लिया। अमर भैया बहुत ही एक्सपर्ट आदमी थे। उनको मालुम था की एक खूबसूरत लड़की की खूबसूरत चूत को किस तरह से अच्छे से चाटा जाता है। वो जल्दी जल्दी मेरी चूत पर अपनी जीभ हिलाने लगे। मैं बेकाबू हुई जा रही थी। मेरी चूत में आग लग गयी थी। जैसे मेरी चूत जल रही हो। फिर अमर भैया ने अपनी ३ उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी। मैंने अपनी गांड हवा में उपर उठा दी। क्यूंकि मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। अमर भैया आज बड़े कायदे से मेरी चूत का शिकार कर रहे थे। वो मेरी चूत को अपनी ३ उँगलियों से चोद रहे थे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। मुझे लग रहा था की मैं मरजाउंगी। अमर भैया की ३ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी बुर को चोद रही थी। फच्च फच्च की पनीली आवाज मेरे गुलाबी भोसड़े से आ रही थी। मेरी तो दोस्तों जान ही निकल रही थी। मैं बार बार अपने पेट और कमर को उपर उठा देती थी। क्यूंकि मुझे बहुत तेज यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी।
अमर भैया ने ४० मिनट मेरी चूत को अपनी ऊँगली से चोदा और भरपूर मजा लिया। इसी बीच मेरे सब्र का बाँध आखिर टूट गया और मेरी चूत का पानी झर्र झर्र निकलने लगा। शायद अमर भैया मेरी चूत का पानी पीना चाहते होंगे। वो अभी भी नही रुक रहे थे और मेरी चूत में से पानी निकाल रहे थे और मुंह में लेकर पी रहे थे। मेरी चूत में खलबली मच गयी थी। मेरा तो बुरा हाल था। फिर अमर भैया ने मेरी दोनों टांगो को खोल दिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे ह्पाहप चोदने लगे। ये मेरा दूसरा राउंड था। अमर भैया इस बार मेरे सेक्सी पतले पेट को सहला रहे थे और मेरी चूत को बजा रहे थे। वो मेरे उपर लेते हुए थे और मेरी चूत बजा रहे थे। मैं उनकी गिरफ्त में थी।
उनका पेट मेरे छरहरे पेट से लड़ रहा था जिससे चटर चटर की आवाज हो रही थी। एक बार फिर से अमर भैया विराट कोहली की तरह मेरी चूत की पिच पर अपने लौड़े से बैटिंग कर रहे थे। मैं एक बार फिर से चुद रही थी। और अपने सगे भाई का लंड खा रही थी। आज तो अमर भैया ने मेरी रसीली और चिकनी बुर फाड़कर रख दी थी। मैं “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया का लंड बड़ी आराम से सट सट मेरी गुलाबी चूत में सरक रहा था। मैं मजे से चुद रही थी। मैंने जोश में आकर अपने नाख़ून अमर भैया की पीठ में गड़ा दिया था। हम दोनों भाई बहन गरमा चुदाई का मजा ले रहे थे। अमर भैया बार बार मेरी चिकनी जांघो को सहला रहे थे। मैं उनके सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी। वो मेरे पुरे जिस्म को अपने हाथ से सहला रहे थे। मैं बहुत गजब का चिकना माल थी। आज मेरे सगे भाई ही मेरे साथ सम्भोग कर रहे थे। मेरी चिकनी और सेक्सी योनी में उनका लंड घुसा हुआ था और मुझे जल्दी जल्दी चोद रहा था। मैं तो जैसे सातवे आसमान की सैर कर रही थी। अमर भैया तो एक भी सेकेंड के लिए रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। मुझे जल्दी जल्दी वो चोद रहे थे। ऐसा लग रहा था की वो कोई कद्दू काट रहे है। कुछ देर बाद उनका बदन अकड़ने लगा और उन्होंने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। उसके बाद मैं बड़ी देर तक उनका लंड चूसती रही। जब मैं चुदवाकर चली आई तो लाईट आ गयी। कुछ देर में मेरी भाभी बाजार से आ गयी। मेरे भैया अपने कमरे में पूरी तरह से नंगे होकर लेटे थे। जब अमर भैया ने भाभी को देखा तो बिलकुल चौंक गये।
“तुम कहाँ गयी थी????” अमर भैया से हैरान होकर पूछा
“मैंने तो ३ घंटे से बजार गयी थी कुछ समान खरीदना था!!” भाभी बोली

उसके बाद भैया जान गये की उन्होंने गलती से मुझे अपनी बीवी समझ कर चोद लिया है। पर ये बात उन्होंने भाभी को नही बतायी। आज भी मुझे अपने अमर भैया की ठुकाई बार बार याद आती है। 

तड़पते हुए जिस्म की भूख -Tadapte Huye Zism Ki Bhukh

तड़पते हुए जिस्म की भूख -Tadapte Huye Zism Ki Bhuk, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.
दोस्तों मेरा नाम शुभम है और यह मेरी एकदम सच्ची घटना है और में एक इंजिनियर हूँ। मैंने कुछ सालों पहले अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और अब एक प्राईवेट कम्पनी में काम करता हूँ और इस समय मुंबई में रहता हूँ। दोस्तों मुझे अक्सर कम्पनी की तरफ से विदेशों के टूर पर भेजा जाता है। दोस्तों ये कहानी मेरी और श्रेया की है और वो एक ग्रहणी थी और वो बहुत पड़ी लिखी थी, उन्होंने MBA किया हुआ था और उनकी उम्र 37 साल की है और उनकी एक बेटी भी है। श्रेया के पति एक बैंक में जनरल मैनेजर है और श्रेया उन दिनों वशी में रहती थी जो कि नई मुंबई में ही आता है। श्रेया की शादी को 15 साल हो गये थे और उनके पति हमेशा अपने ऑफिस के काम में ही व्यस्त रहते थे, जिसकी वजह से उनकी लाईफ से सेक्स बिल्कुल खत्म हो गया था और श्रेया के पति को सेक्स में अब बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं रही थी।
फिर दूसरी तरफ श्रेया का बहुत मन करता था कि वो अपने पति के साथ सेक्स करे। वैसे श्रेया एक संस्कारी औरत थी और उसने आज तक कभी भी अपने पति के अलावा किसी के साथ कभी सेक्स नहीं किया था, लेकिन उनको अब सेक्स कहानी पड़ने की आदत लग गई थी, जिसकी वजह से वो अब बहुत सेक्स कहानियाँ पड़ती थी और उनके अंदर एक प्यास थी और जो बुझाए नहीं बुझती थी और उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वो कभी किसी के साथ अफेयर करेगी। उनके पति थे जो कभी सेक्स के लिए तैयार ही नहीं होते थे। सेक्स तो दूर की बात थी वो एक दूसरे को आपस में किस तक नहीं करते थे और यह सभी बातें श्रेया ने मुझे यह बात चेट पर बताई थी। श्रेया को रात भर सेक्स कहानी पढ़ने की एक आदत लग गई थी तो उनको अब कहानियाँ पढ़े बिना नींद भी नहीं आती थी और उनका पूरा बदन जलता रहता था और वो अधिकतर समय सुबह 3 बजे सोती थी और उन्हें 6 बजे अपनी बेटी को स्कूल भेजने के लिए सुबह मजबूरी में जल्दी उठाना पड़ता था। ऐसे हर रोज उठने की वजह से श्रेया को हाई बीपी की परेशानी हो गई और जिस दिन श्रेया को इस बात का पता चला तो उस दिन से उसे अपनी दिनचर्या को ठीक करने का ख्याल आया और उसने निर्णय किया कि अब वो अपनी प्यास को कंट्रोल करेगी, लेकिन वो उस काम में पूरी तरह से असफल थी और अपनी परेशानी के बारे में वो किसी से बात भी नहीं कर पा रही थी। फिर उसने आखिरकार समझ लिया कि सेक्स की भूख इंसान की एक प्राक्रतिक प्रवती है और इसे कंट्रोल कर पाना नामुमकिन है। 
अब उसने निर्णय किया कि वो किसी और के साथ शारीरिक संबंध बनाएगी, क्योंकि सेक्स की तड़प अब उसके शरीर को भी धीरे धीरे खराब कर रही थी, लेकिन उसके सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि वो किस के साथ संबंध बनाए और उसको अपनी बदनामी का बहुत डर था और उस काम की वजह से उसकी ज़िंदगी बर्बाद हो जाती और फिर उसने फेसबुक पर मुझसे बहुत चेटिंग की और मेंने अपने बारे में उसे बताया और उसने यह सारी जानकारी मुझे चेट पर ही बताई। हम दिन में दो तीन घंटे आपस में चेट करते रहते थे, मुझे उनका स्वभाव भी बहुत अच्छा लगा। फिर करीब एक, दो सप्ताह तक चेट करने के बाद हम दोनों को एक दूसरे पर पूरी तरह से विश्वास हो गया। अब हम एक दूसरे के पास अपने फोटो भी भेजने लगे और वो फोटो देखकर उनको और मुझे पता चल गया कि हम दोनों एकदम अच्छे लोग है और फिर जैसे कि मैंने आपको बताया कि हम दोनों ही नई मुंबई में रहते थे।
फिर एक दिन हम दोनों ने आखिरकार निर्णय कर लिया कि हम अब एक दूसरे से मिलेंगे। दोस्तों में सबसे पहले आप सभी को श्रेया के बारे में बताता हूँ। वो बहुत ही सुंदर महिला थी और उनकी हाईट 5 फिट 5 इंच थी, उनका फिगर 36-34-38 था और बूब्स दिखने में बहुत बड़े थे, लेकिन थोड़ा नीचे की तरफ झुके हुए थे, उनका रंग एकदम गोरा था और उनके होंठ एकदम हल्के गुलाबी कलर के थे, गांड बहुत बड़ी थी और थोड़ा बड़ा आकार होने की वजह से बाहर की तरफ आ रही थी, लेकिन उनका एक कातिलाना फिगर था। अब में अपने बारे में बताता हूँ। में 5 फिट 9 इंच लंबा हूँ, अच्छा बदन और मैंने श्रेया से मिलने से पहले सिर्फ़ एक ही बार सेक्स किया था। फिर श्रेया ने मुझसे अपना टाईम लिया और मुझे बुलाया और फिर मेरे बहुत कहने पर आखिरकार वो मेरे साथ सेक्स करने को मान गई, उसका मुझसे सबसे बड़ा वादा यह था कि में कभी भी उसके साथ धोखा ना करूं और किसी को भी कभी कुछ नहीं बताऊँ और में उसके पीछे जबरदस्ती ना पडूं और मुझसे चेट करते करते उसने भी अब समझ लिया कि मेरे लिए भी उसकी और अपनी इज़्ज़त बहुत महत्वपूर्ण थी और उस बदनामी से मेरे ऑफिस में मेरी बहुत बेईज़्ज़ती हो जाएगी।
फिर में भी उसकी सभी बातों को अब पूरी तरह से मान गया था कि श्रेया एक सीधी साधी लेडी है और जिसकी बहुत इज्जत है और हमने चेटिंग पर अपने मोबाईल नंबर्स भी एक दूसरे को दे दिए थे और हमने फिर फोन पर बहुत सारी बातें भी की और करीब तीन सप्ताह तक ऐसे ही बात करने के बाद हमने अब मिलने का निर्णय ले लिया था और अब हम एक दूसरे पर पूरा पूरा विश्वास भी करने लगे थे, हमारी मिलने की जगह का निर्णय भी श्रेया ने ही किया। फिर कुछ दूरी पर स्टेशन के पास एक रेस्टोरेंट में उन्होंने मुझसे मिलने को कहा और में एकदम ठीक टाईम पर वहाँ पर पहुंच गया और अब में वहां पर उनका इंतजार करने लगा और करीब 15-20 मिनट के बाद श्रेया वहाँ पर आ गई। 
उसने एक काली कलर की साड़ी पहने हुई थी बाल एकदम खुले करे हुए थे और थोड़ा मेकअप किया हुआ था, वो साड़ी थोड़ी सी जालीदार थी और जिसकी वजह से उनके बूब्स अलग ही बड़े आकर के लग रहे थे, लेकिन थोड़ी सी भी छाती नहीं दिख रही थी और दूर से देखते ही हमने एक दूसरे को पहचान लिया, क्योंकि हमारे मिलने से पहले हमने एक दूसरे के फोटो बहुत बार देख लिए थे। अब हम दोनों पहली बार किसी से ऐसे मिल रहे थे, वो बार बार मुझे देखकर स्माईल कर रही थी। अब उसने मुझसे कहा कि तुम तो बहुत अच्छे दिखते हो और तुमने अपनी बॉडी भी बहुत अच्छी बना रखी है। फिर मुझे उनकी यह बात सुनकर बहुत खुशी हुई और फिर मैंने भी उन्हें सबसे पहले धन्यवाद कहा और उसके बाद कहा कि आप भी बहुत हॉट लग रही हो। हमने करीब 30 मिनट आपस में गप्पे मारे और साथ में लंच किया।
अब हम एक दूसरे से बातें करते हुए आपस में बहुत खुलकर बातें करने लगे थे और अब कुछ देर बातें, हंसी मजाक करने के बाद तुरंत श्रेया ने मुझसे कहा कि अब हम जल्दी से सेक्स का प्रोग्राम बनाते है, तुम इस काम के लिए कोई सही जगह बताओ? फिर मैंने बोला कि मेरे घर से सुरक्षित कोई जगह नहीं है और में 7th मंजिल पर एक बड़े फ्लेट में अकेला ही रहता हूँ, जिसकी वजह से हमे कोई भी कुछ नहीं कहने वाला, लेकिन उसे थोड़ा डर महसूस हो रहा था और वो बोल रही थी कि यार हम पहली बार कोई होटल में चलते है। फिर मैंने उससे कहा कि उसमें भी तो बहुत रिस्क है और वहां पर हमे बाहर के सभी लोग देख सकते है और अब मैंने उससे बोला कि क्या आपके पास कोई और जगह है तो वो बताओ? फिर उन्होंने बोला कि उनके घर पर तो करना बहुत मुश्किल है और किसी पड़ोसी ने देख लिया तो क़यामत आ जाएगी और उन्होंने आखिरकार बोला कि ठीक है तुम्हारा घर ही सुरक्षित रहेगा और उन्होंने मुझसे बोला कि देखो में तुम पर अपने से भी ज्यादा विश्वास कर रही हूँ प्लीज तुम मेरे विश्वास को मत तोड़ना। फिर मैंने उनसे वादा किया कि में कभी भी आपके विश्वास को नहीं तोड़ूँगा और इतनी बात करके कुछ देर बाद हम दोनों वहां से अपने अपने घर की तरफ चले गए।
फिर अगले सप्ताह सोमवार का दिन हमने सेक्स करने के लिए तय किया। उस पूरे सप्ताह से बहुत जोश में था और श्रेया के ख्याल को सोच सोचकर मेरा 6.5 इंच का लंड बार बार खड़ा हो जाता था और में हर बार सोचता कि उसके साथ में यह करूँगा वो करूँगा और सोमवार के दिन मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली। फिर मैंने अपने ऑफिस में अपनी बीमारी का झूठा बहाना बना दिया और वैसे भी मेरे पास बहुत छुट्टी पड़ी हुई थी। फिर करीब 10:30 बजे श्रेया मेरी बिल्डिंग में आ गई। में 7th मंजिल पर रहता हूँ और उसने बिल्कुल नीचे पहुंचकर मुझे कॉल कर दिया और मैंने तुरंत बाहर की तरफ देखा कि कोई मेरी मंजिल पर बाहर खड़ा तो नहीं है तो मैंने देखा कि बाहर कोई भी नहीं खड़ा था और अब मैंने श्रेया से बोला कि तुम जल्दी से ऊपर आ जाओ। दोस्तों में तो उस दिन मन ही मन बहुत अच्छा महसूस कर रहा था और मेरा लंड बार बार खड़ा हो रहा था। 
मैंने अपने घर का दरवाज़ा खुला रखा तो श्रेया चुपचाप अंदर आ गई और मुझे देखकर उसने हाए कहा और मैंने जाकर दरवाज़ा बंद किया। दोस्तों वो आज चेहरे से बिल्कुल भी परेशान नहीं लग रही थी। फिर मैंने पास जाकर उसे हग किया। दोस्तों आज मेरे अंदर ग़जब का आत्मविश्वास था और उसके मुलायम बूब्स मेरे सीने पर दब गये। आज उसने लाल रंग का सूट पहना हुआ था और उस पर सफेद रंग की एक जालीदार चुन्नी थी। अब श्रेया ने मुझसे बोला कि मुझे अपना घर दिखाओ तो श्रेया मेरे पूरे घर को बहुत ध्यान से देख कर रही थी। फिर मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ? तो वो बोल रही थी कि में देख रही हूँ कि तुमने कहीं कोई कैमरा तो नहीं छुपाया है जिससे मेरी ब्लूफिल्म ना बन जाए। फिर मुझे उसकी इस बात पर बहुत हंसी आई। फिर मैंने कहा कि हाँ अच्छी तरह से देख लो और अपनी सहूलियत कर लो। फिर उसने कुछ देर देखकर वो मुझसे बोला कि सब ठीक है तुम वाकई में बहुत शरीफ लड़के हो। फिर मैंने उससे बोला कि मैंने आपको अपनी इंजिनियरिंग की डिग्री तक दिखा दी। फिर भी आप मुझ पर इतना शक करती हो।
फिर उसने मुझसे कहा कि प्लीज मुझे माफ़ कर दो और अब वो मेरे बिल्कुल करीब आकर बैठ गई और फिर उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि लो आज से में तुम्हारी हुई और फिर मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। दोस्तों उसके जिस्म से बहुत ही प्यारी खुशबू आ रही थी और उसके बूब्स मेरी छाती पर छू रहे थे। फिर मैंने उसके गाल पर एक किस किया और मैंने महसूस किया कि उसकी साँसे अब धीरे धीरे तेज़ हो रही थी। फिर धीरे धीरे हमने एक दूसरे के होठों से होंठ मिला लिए और मैंने अपनी जीभ को उसके मुहं की तरफ बड़ाई तो उसने भी अपना मुहं खोलते हुए उसे अंदर ले लिया और अपनी जीभ से मिलाने लगी और जिसकी वजह से हमारा सलाइवा एक दूसरे से मिल रहा था और हमने एक दूसरे के साथ बहुत देर तक जीभ से जीभ मिलाई और कुछ देर बाद उसने मुझसे बोला कि में एक बहुत अच्छा किसर हूँ और वो बोल रही थी कि उनके पति के दांत थोड़े खराब है तो उनको किस करना उन्हें पसंद नहीं है, लेकिन मेरे साथ उनको बहुत मज़ा आ रहा है और उन्होंने मुझसे बोला कि तुम अब बिल्कुल भी शरमाओ मत और मेरे बूब्स पर अपने हाथ रखो और इन्हें ज़ोर ज़ोर से दबाओ, मसलो।
अब में उन्हें किस करते करते उनके बूब्स को मसल रहा था और मुझे यह सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था, उनके बूब्स बहुत ही मुलायम थे और करीब 20-25 मिनट तक हमने एक दूसरे को किस किया और जीभ से जीभ मिलाई और बूब्स दबाए, जिसकी वजह से अब मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा हो चुका था। फिर मैंने तुरंत उन्हें बोला कि चलो हम बेडरूम में चलते है, वहाँ पर ए.सी. भी लगा हुआ है। फिर बेडरूम में पहुंचकर वो एक बार फिर से कैमरा ढूंढने लगी तो मैंने बोला कि हाँ कर लो चेक तो उन्होंने फिर से मुझे माफ़ कर दो बोला और मेरे पास आकर फिर एक किस मुझे दिया और उनके किस करने के अंदाज़ से ही पता चल रहा था कि कितनी प्यास उन्होंने कई सालों से दबाई हुई थी? अब उन्होंने मेरी टी-शर्ट को उतारा और फिर बनियान को भी उतारा। मैंने उनका कुर्ता निकाला और फिर उनके पजामा को उनके शरीर से अलग किया और अब वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी, लेकिन वो दिखने में एक अप्सरा से कम नहीं थी। 
मैंने तुरंत उनकी गुलाबी कलर की ब्रा और पेंटी को अलग कर दिया, उन्होंने भी मेरा लोवर उतार दिया और मेरी अंडरवियर को भी उतार दिया और में तो उनके बूब्स पर टूट पड़ा। उनके निप्पल एकदम अच्छे आकार के थे और वो हल्के गुलाबी कलर के थे, में तो उन्हें अब लगातार चूसने लगा और मैंने बोला कि श्रेया मुझे तुम्हारा दूध पीना है। फिर श्रेया मेरी यह बात सुनकर हंसने लगी और वो मुझसे बोली कि हाँ पी लो, तुम भी आज से मेरे पति हो और यह सब तुम्हारे लिए ही है चूसो और ज़ोर से चूसो। फिर मैंने उनके बूब्स को करीब पांच दस मिनट तक बहुत ज़ोर से चूसे। वो सेक्स की देवी की तरह सुंदर लग रही थी। मैंने उनकी बगले भी सूँघी जिसकी एकदम मादक मदहोश करने वाली खुशबू थी। फिर मैंने उनकी चूत जो कि बिल्कुल साफ थी और उसमें दो उंगलियाँ डाली तो वो बहुत ही सुंदर लग रही थी, मेरा तो उसे चाटने का मन कर रहा था और उनकी चूत को खाने का बहुत मन कर रहा था, लेकिन श्रेया ने एक शर्त रखी थी कि हम पहली बार सेक्स में ओरल सेक्स नहीं करेंगे।
वैसे मेरा लंड देखकर श्रेया से भी अब रहा नहीं जा रहा था और वो बार बार उसे अपने हाथ में लेकर हिला रही थी और कह रही थी कि वाह कितना बड़ा है, उसके पति का तो सिर्फ़ पांच इंच का ही है और वो बोल रही थी कि प्लीज तुम इसे थोड़ा धीरे धीरे मेरे अंदर डालना वरना मुझे इसको अपने अंदर लेने में बहुत दर्द होगा। फिर मैंने बोला कि हाँ ठीक है। फिर उसने मुझसे पूछा कि कंडोम साथ में लाए हो ना लगा लो और मुझे अपना बना लो और आज मुझे बहुत जमकर चोदो, आज तुम मेरी प्यास बुझा दो, में आज से तुम्हारी बीवी हूँ। फिर मैंने तुरंत कंडोम का पेकेट निकाला और अपने लंड पर चड़ा दिया तो श्रेया ने बोला कि लगा लिया क्या? प्लीज अब ज्यादा देर मत करो और जल्दी से चोदो मुझे। 
दोस्तों मैंने महसूस किया कि वो बहुत बैचेन हो रही थी और में भी अब उस पर टूट पड़ा और मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बहुत टाईट थी, जिसकी वजह से में एक झटके में सिर्फ़ थोड़ा सा ही लंड घुसा पाया, लेकिन अब उसको थोड़ा थोड़ा दर्द भी हो रहा था। फिर उसने मुझसे कहा कि मेरे राजा प्लीज थोड़ा आहिस्ता आहिस्ता करो, लेकिन मुझे भी समझ नहीं आ रहा था कि में क्या करूँ? अब मैंने दबाव बनाते हुए पूरा का पूरा अंदर डाल दिया, जिसकी वजह से मुझे बहुत ज़ोर लगाना पड़ा और वो थोड़ा दर्द की वजह से चिल्लाने लगी और बोली कि कमीने तूने आज मेरी चूत को फाड़ दिया, आआआहह आईईईईईइ बना ले मुझे अपनी बीवी, हाँ तू ही मेरा पति है और में तेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। 
दोस्तों में भी अब यह सभी बातें सुनकर बहुत जोश में आ गया। फिर मैंने तुरंत अपने धक्कों की स्पीड को अब और भी तेज़ कर दिया था और अब बहुत तेज़ी से उनकी चूत की चुदाई चल रही थी और मुझे बहुत मज़े आ रहे थे, लेकिन अब भी बिल्कुल विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनको सेक्स करने का इतना मस्त अनुभव होगा और अब में बीच बीच में उनके बूब्स भी मसल रहा था और बारी बारी से एक एक करके चूस भी रहा था और उन्हें किस भी कर रहा था और में अब अपनी एक स्पीड से चुदाई कर रहा था, ताकि में जोश में आकर जल्दी ना झड़ जाऊँ और जब में थोड़ा ठंडा होता तो में अपनी स्पीड को बड़ा देता। मैंने करीब दस मिनट तक लगातार धक्के लगाए और इस बीच श्रेया एक बार झड़ चुकी थी और दूसरी बार झड़ने वाली थी तो वो अपने हाथ मेरे बालों पर घुमा रही थी और अब उसने मेरी पीठ को कसकर पकड़ लिया और अब में भी चरम सीमा पर था। इस बार मैंने अपनी स्पीड को और भी तेज़ कर दिया और उसको मदहोश कर दिया, श्रेया का भी पानी निकल गया और में उसके ऊपर ही लेट गया। हम दोनों की साँसे बहुत ही तेज़ थी और उसकी आँखों से आंसू भी बाहर आ रहे थे। मैंने पूछा कि क्या हुआ जान?
फिर उसने मुझसे बोला कि में बहुत मजबूर थी यार जो मुझे एक दूसरा सेक्स संबंध बनाकर रखना पड़ रहा है, लेकिन इस तड़पते हुए जिस्म की भूख को मिटाने का सिर्फ एक ही रास्ता है और उसने मुझसे कहा कि तुम तो बहुत देर तक टिकते हो और फिर मेरे होठों से होंठ मिला लिए। फिर हम एक दूसरे की जीभ से जीभ मिला रहे थे और वो भी एक बहुत अच्छी किसर थी। करीब 15-20 मिनट के आराम के बाद हमने अपनी दूसरी चुदाई को शुरू किया और इस बार वो मुझ पर चढ़ गई और उछल उछलकर मेरे ऊपर सवारी करने लगी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और वो बार बार बोल रही थी कि अब से वो मेरी बीवी है और मुझसे वो बहुत चुदाएगी और अगली बार तो वो मेरा एक घंटे तक लंड चूसेगी। अब मुझे उसकी बातों से ही बहुत जोश आ जाता और में भी अब उसे बहुत तेज़ी से चोद रहा था। में करीब 15-20 मिनट बाद एक बार फिर से झड़ गया। फिर हम कुछ देर एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे। पूरे रूम में हमारे सेक्स की महक फेल गई थी। श्रेया मुझसे बोल रही थी कि में तुम पर पूरा विश्वास करती हूँ और अब हम जब भी मौका मिलेगा तब सेक्स करेंगे।
फिर मैंने बोला कि श्रेया तुम इस बात की बिल्कुल भी चिंता मत करो, जब सुरक्षित रहेगा तभी हम लोग मिलेंगे और में तुम्हें कभी भी परेशान नहीं करूँगा, उसने मुझसे धन्यवाद कहा और एक बार फिर से हम एक दूसरे को किस करने लगे, हमने बहुत देर तक एक दूसरे का बहुत सलाइवा पिया। फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों बिस्तर से उठ गए और सीधा बाथरूम में चले गये और बाथरूम में हमने अपने आप को थोड़ा सा साफ करने के बाद श्रेया अपने कपड़े पहनने लगी, क्योंकि उसे 2:30 बजे से पहले अपने घर पर पहुंचना था, क्योंकि उस समय उसकी बेटी घर पर पहुंच जाती है तो वो जल्दी से तैयार हुई और मुझे एक टाईट हग और किस दिया और बाहर निकल गई।
दोस्तों मुझे तो बहुत ही मज़ा आया आज पहली बार श्रेया के साथ सेक्स करके मुझे उनके गदराए हुए बदन की बनावट भी बहुत अच्छी लगी और में उन पर पूरा विश्वास करता था। मैंने अपने आप से वादा किया था कि में कभी भी श्रेया के पीछे नहीं पड़ूँगा और कभी भी उन्हें परेशान नहीं होने दूँगा, वो जब तैयार होगी तभी हम सेक्स करेंगे। इसके कुछ दिन बाद हम फिर मिले तो श्रेया ने मुझे कुछ टेस्ट करवाने को कहा था और उसे देखने के बाद वो मेरे साथ ओरल सेक्स करने के लिए तैयार थी। फिर मैंने अपने सारे टेस्ट करवा दिए और वो रिपोर्ट उन्हें मैल भी कर दी थी तो वो खुश हो गई और अब वो कह रही थी कि अब तो वो मुझे बहुत ब्लो जॉब्स देगी और अपनी चूत भी मुझसे चटवाएगी और उसके अगले दिन ही हमने मिलने का प्लान बनाया और दूसरी बार हमने बहुत देर तक ओरल सेक्स किया। उस दिन में दो बार उनके मुहं में ही झड़ गया और वो मेरा पूरा वीर्य पी गई और उस दिन वो पूरी तरह जोश में थी तो वो मुझसे कह रही थी कि मेरा लंड खा जाएगी। फिर मैंने भी उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा और उसका पानी पिया, उसकी चूत दिखने में बहुत अच्छी, आकर्षक थी और उस दिन हमने सिर्फ़ एक ही बार सेक्स किया, मुझे आज भी याद है इस तरह श्रेया और मैंने 4-5 बार और सेक्स मीटिंग की। फिर दो महीने पहले उनके पति का दिल्ली तबादला हो गया, जिसकी वजह से उनको भी मजबूर होकर उनके साथ जाना पड़ा।
अब एक दो साल में मेरी भी शादी हो जाएगी, क्योंकि मेरे घर वाले भी मेरे लिए कोई अच्छी सी लड़की देख रहे है, लेकिन दोस्तों में आज भी श्रेया से कभी कभी चेटिंग करता हूँ, अब उसकी उतनी परेशानी नहीं रही, क्योंकि उसने अब अपनी इस परिस्थती में जीना सीख लिया और वो अपनी इस लाईफ स्टाईल में बहुत खुश है और उसे अब सही टाईम पर नींद आ जाती है और मेरे साथ बीते वो कुछ हसीन पल को याद करके वो अपनी चूत में ऊँगली करके अपने आप को शांत कर लेती है और वो मुझसे कहती है कि अभी तो उसका कोई और अफेयर करने का बिल्कुल भी मन नहीं है और वो अपने पति से प्यार भी बहुत करती है, लेकिन कुछ समय पहले उससे वो सब झेला नहीं जा रहा था, इसलिए उसे यह गलत कदम उठना पड़ा। उसने मुझसे बोला है कि दिल्ली मेरा आना हुआ तो हम मीटिंग कर सकते है। दोस्तों में भी अब श्रेया के साथ सेक्स करने का प्लान नहीं बनाना चाहता, क्योंकि अभी तक हम अपने गलत सम्बन्धो को गुप्त रखने में सफल रहे थे और आगे पकड़े जाकर हमे ज़िंदगी पूरी बर्बाद नहीं करनी थी और वैसे भी लालच एक बहुत बुरी बला है ।।

मेरे छोटे भाई की वाइफ़ mere chhote bhai ki wife

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निशा मेरे छोटे भाई रुपम की वाइफ़ है। निशा काफ़ी सुंदर महिला है। उसका बदन
ऊपरवाले ने काफ़ी तसल्ली से तराश कर बनाया है। मैं शिवम उसका जेठ हूं। मेरी
शादी को दस साल हो चुके हैं। निशा शुरु से ही मुझे काफ़ी अच्छी लगती थी।
मुझसे वो काफ़ी खुली हुई थी। रुपम एक यूके बेस्ड कम्पनी में सर्विस करता
था। हां बताना तो भूल ही गया निशा का मायका नागपुर में है और हम जालंधर
में रहते हैं।

आज से कोई पांच साल पहले की बात है। हुआ यूं कि शादी के
एक साल बाद ही निशा प्रिग्नेंट हो गयी। डिलीवरी के लिये वो अपने मायके गयी
हुई थी। सात महीने में प्रीमेच्योर डिलीवरी हो गयी। बच्चा शुरु से ही काफ़ी
वीक था। दो हफ़्ते बाद ही बच्चे की डेथ हो गयी। रुपम तुरंत छुट्टी लेकर
नागपुर चला गया। कुछ दिन वहां रह कर वापस आया। वापस अकेला ही आया था।
डिसाइड ये हुआ था कि निशा की हालत थोड़ी ठीक होने के बाद आयेगी। एक महीने
के बाद जब निशा को वापस लाने की बात आयी तो रुपम को छुट्टी नहीं मिली।
निशा को लेने जाने के लिये रुपम ने मुझे कहा। सो मैं निशा को लेने ट्रैन
से निकला। निशा को वैसे मैने कभी गलत निगाहों से नहीं देखा था। लेकिन उस
यात्रा मे हम दोनो में कुछ ऐसा हो गया कि मेरे सामने हमेशा घूंघट में
घूमने वाली निशा बेपर्दा हो गयी।
हमारी टिकट 1st class में बुक थी। चार
सीटर कूपे में दो सीट पर कोई नहीं आया। हम ट्रैन में चढ़ गये। गरमी के दिन
थे। जब तक ट्रैन स्टेशन से नहीं छूटी तब तक वो मेरे सामने घूंघट में खड़ी
थी। मगर दूसरों के आंखों से ओझल होते ही उसने घूंघट उलट दिया और कहा,
"अब
आप चाहे कुछ भी समझें मैं अकेले में आपसे घूंघट नहीं करूंगी। मुझे आप
अच्छे लगते हो आपके सामने तो मैं ऐसी ही रहूंगी।" मैं उसकी बात पर हँस पड़ा।
"मैं
भी घूंघट के समर्थन में कभी नहीं रहा।" मैने पहली बार उसके बेपर्दा चेहरे
को देखा। मैं उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया। अचानक मेरे मुंह से
निकला
"अब घूंघट के पीछे इतना लाजवाब हुश्न छिपा है उसका पता कैसे
लगता।" उसने मेरी ओर देखा फ़िर शर्म से लाल हो गयी। उसने बोतल ग्रीन रंग की
एक शिफ़ोन की साड़ी पहन रखी थी। ब्लाउज़ भी मैचिंग पहना था। गर्मी के कारण
बात करते हुए साड़ी का आंचल ब्लाउज़ के ऊपर से सरक गया। तब मैने जाना कि
उसने ब्लाउज़ के अन्दर ब्रा नही पहनी हुई है। उसके स्तन दूध से भरे हुए थे
इसलिये काफ़ी बड़े बड़े हो गये थे। ऊपर का एक हुक टूटा हुआ था इसलिये उसकी
आधी छातियां साफ़ दिख रही थी। पतले ब्लाउज़ में से ब्रा नहीं होने के कारण
निप्पल और उसके चारों ओर का काला घेरा साफ़ नजर आ रहा था। मेरी नजर उसकी
छाती से चिपक गयी। उसने बात करते करते मेरी ओर देखा। मेरी नजरों का अपनी
नजरों से पीछा किया और मुझे अपने बाहर छलकते हुए बूब को देखता पाकर शर्मा
गयी और जल्दी से उसे आंचल से ढक लिया। हम दोनो बातें करते हुए जा रहे थे।
कुछ देर बाद वो उठकर बाथरूम चली गयी। कुछ देर बाद लौट कर आयी तो उसका
चेहरा थोड़ा गम्भीर था। हम वापस बात करने लगे। कुछ देर बाद वो वापस उठी और
कुछ देर बाद लौट कर आ गयी। मैने देखा वो बात करते करते कसमसा रही है। अपने
हाथो से अपने ब्रेस्ट को हलके से दबा रही है।
"कोई प्रोब्लम है क्या?' मैने पूछा।
"न।।नहीं" मैने उसे असमंजस में देखा। कुछ देर बाद वो फिर उठी
तो मैने कहा "मुझे बताओ न क्या प्रोब्लम है?"
वो
झिझकती हुई सी खड़ी रही। फ़िर बिना कुछ बोले बाहर चली गयी। कुछ देर बाद वापस
आकर वो सामने बैठ गयी।"मेरी छातियों में दर्द हो रहा है।" उसने चेहरा ऊपर
उठाया तो मैने देखा उसकी आंखें आंसु से छलक रही हैं।"क्यों क्या हुआ" मर्द
वैसे ही औरतों के मामले में थोड़े नासमझ होते हैं। मेरी भी समझ में नहीं
आया अचानक उसे क्या हो गया।"जी वो क्या है म्म वो मेरी छातियां भारी हो
रही हैं।" वो समझ नहीं पा रही थी कि मुझे कैसे समझाये आखिर मैं उसका जेठ
था।" म्मम मेरी छातियों में दूध भर गया है लेकिन निकल नहीं पा रहा है।"
उसने नजरें नीची करते हुए कहा।"बाथरूम जाना है?" मैने पूछा"गयी थी लेकिन
वाश-वेसिन बहुत गंदा है इसलिये मैं वापस चली अयी" उसने कहा "और बाहर के
वाश-वेसिन में मुझे शर्म आती है कोई देख ले तो क्या सोचेगा?" "फ़िर क्या
किया जाए?" मैं सोचने लगा "कुछ ऐसा करें जिससे तुम यहीं अपना दूध खाली कर
सको। लेकिन किसमें खाली करोगी? नीचे फ़र्श पर गिरा नहीं सकती और यहां कोई
बर्तन भी नही है जिसमें दूध निकाल सको"उसने झिझकते हुये फ़िर मेरी तरफ़ एक
नजर डाल कर अपनी नजरें झुका ली। वो अपने पैर के नखूनों को कुरेदती हुई
बोली, "अगर आप गलत नहीं समझें तो कुछ कहूं?""बोलो""आप इन्हें खाली कर
दीजिये न""मैं? मैं इन्हें कैसे खाली कर सकता हूं।" मैने उसकी छातियों को
निगाह भर कर देखा।"आप अगर इस दूध को पीलो……"उसने आगे कुछ नहीं कहा। मैं
उसकी बातों से एकदम भौचक्का रह गया।"लेकिन ये कैसे हो सकता है। तुम मेरे
छोटे भाई की बीवी हो। मैं तुम्हारे स्तनों में मुंह कैसे लगा सकता हूं""जी
आप मेरे दर्द को कम कर रहे हैं इसमें गलत क्या है। क्या मेरा आप पर कोई हक
नहीं है।?" उसने मुझसे कहा "मेरा दर्द से बुरा हाल है और आप सही गलत के
बारे में सोच रहे हो। प्लीज़।"मैं चुप चाप बैठा रहा समझ में नहीं आ रहा था
कि क्या कहूं। अपने छोटे भाई की बीवी के निप्पल मुंह में लेकर दूध पीना एक
बड़ी बात थी। उसने अपने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल दिये।"प्लीज़" उसने फ़िर कहा
लेकिन मैं अपनी जगह से नहीं हिला।"जाइये आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं
है। आप अपने रूढ़ीवादी विचारों से घिरे बैठे रहिये चाहे मैं दर्द से मर ही
जाउं।" कह कर उसने वापस अपने स्तनों को आंचल से ढक लिया और अपने हाथ आंचल
के अंदर करके ब्लाउज़ के बटन बंद करने की कोशिश करने लगी लेकिन दर्द से
उसके मुंह से चीख निकल गयी "आआह्हह्ह" ।मैने उसके हाथ थाम कर ब्लाउज़ से
बाहर निकाल दिये। फ़िर एक झटके में उसके आंचल को सीने से हटा दिया। उसने
मेरी तरफ़ देखा। मैं अपनी सीट से उठ कर केबिन के दरवाजे को लोक किया और
उसके बगल में आ गया। उसने अपने ब्लाउज़ को उतार दिया। उसके नग्न ब्रेस्ट जो
कि मेरे भाई की अपनी मिल्कियत थी मेरे सामने मेरे होंठों को छूने के लिये
बेताब थे। मैने अपनी एक उंगली को उसके एक ब्रेस्ट पर ऊपर से फ़ेरते हुए
निप्पल के ऊपर लाया। मेरी उंगली की छुअन पा कर उसके निप्पल अंगूर की साइज़
के हो गये। मैं उसकी गोद में सिर रख कर लेट गया। उसके बड़े बड़े दूध से भरे
हुए स्तन मेरे चेहरे के ऊपर लटक रहे थे। उसने मेरे बालों को सहलाते हुए
अपने स्तन को नीचे झुकाया। उसका निप्पल अब मेरे होंठों को छू रहा था। मैने
जीभ निकाल कर उसके निप्पल को छूआ।"ऊओफ़्फ़फ़्फ़ जेठजी अब मत सताओ। पलेअसे इनका
रस चूस लो।" कहकर उसने अपनी छाती को मेरे चेहरे पर टिका दिया। मैने अपने
होंठ खोल कर सिर्फ़ उसके निप्पल को अपने होंठों में लेकर चूसा। मीठे दूध की
एकतेज़ धार से मेरा मुंह भर गया। मैने उसकी आंखों में देखा। उसकी आंखों में
शर्म की परछाई तैर रही थी। मैने मुंह में भरे दूध को एक घूंठ में अपने गले
के नीचे उतार दिया।"आआअह्हह्हह" उसने अपने सिर को एक झटका दिया।मैने फ़िर
उसके निप्पल को जोर से चूसा और एक घूंठ दूध पिया। मैं उसके दूसरे निप्पल
को अपनी उंगलियों से कुरेदने लगा।"ऊओह्हह ह्हह्हाआन्न हाआन्नन जोर से चूसो
और जोर से। प्लीज़ मेरे निप्पल को दांतों से दबाओ। काफ़ी खुजली हो रही है।"
उसने कहा। वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां फ़ेर रही थी। मैने दांतों से
उसके निप्पल को जोर से दबाया।"ऊउईईइ" कर उठी। वो अपने ब्रेस्ट को मेरे
चेहरे पर दबा रही थी। उसके हाथ मेरे बालों से होते हुए मेरी गर्दन से आगे
बढ़ कर मेरे शर्ट के अन्दर घुस गये। वो मेरी बालों भरी छाती पर हाथ फ़ेरने
लगी। फ़िर उसने मेरे निप्पल को अपनी उंगलियों से कुरेदा। "क्या कर रही हो?"
मैने उससे पूछा।"वही जो तुम कर रहे हो मेरे साथ" उसने कहा"क्या कर रहा हूं
मैं तुम्हारे साथ" मैने उसे छेड़ा"दूध पी रहे हो अपने छोटे भाई की बीवी के
स्तनों से""काफ़ी मीठा है""धत" कहकर उसने अपने हाथ मेरे शर्ट से निकाल लिये
और मेरे चेहरे पर झुक गयी। इससे उसका निप्पल मेरे मुंह से निकल गया। उसने
झुक कर मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये और मेरे होंठों के कोने पर लगे
दूध को अपनी जीभ से साफ़ किया। फ़िर वो अपने हाथों से वापस अपने निप्पल को
मेरे लिप्स पर रख दी। मैने मुंह को काफ़ी खोल कर निप्पल के साथ उसके बूब का
एक पोर्शन भी मुंह में भर लिया। वापस उसके दूध को चूसने लगा। कुछ देर बाद
उस स्तन से दूध आना कम हो गया तो उसने अपने स्तन को दबा दबा कर जितना हो
सकता था दूध निचोड़ कर मेरे मुंह में डाल दिया।"अब दूसरा"मैने उसके स्तन को
मुंह से निकाल दिया फ़िर अपने सिर को दूसरे स्तन के नीचे एडजस्ट किया और उस
स्तन को पीने लगा। उसके हाथ मेरे पूरे बदन पर फ़िर रहे थे। हम दोनो ही
उत्तेजित हो गये थे। उसने अपना हाथ अगे बढ़ा कर मेरे पैंट की ज़िप पर रख
दिया। मेरे लिंग पर कुछ देर हाथ यूं ही रखे रही। फ़िर उसे अपने हाथों से
दबा कर उसके साइज़ का जायजा लिया।"काफ़ी तन रहा है" उसने शर्माते हुए
कहा।"तुम्हारी जैसी हूर पास इस अन्दाज में बैठी हो तो एक बार तो
विश्वामित्र की भी नीयत डोल जाये।""म्मम्म अच्छा। और आप? आपके क्या हाल
हैं" उसने मेरे ज़िप की चैन को खोलते हुए पूछा"तुम इतने कातिल मूड में हो
तो मेरी हालत ठीक कैसे रह सकती है" उसने अपना हाथ मेरे ज़िप से अन्दर कर
ब्रीफ़ को हटाया और मेरे तने हुए लिंग को निकालते हुए कहा "देखूं तो सही
कैसा लगता है दिखने में"मेरे मोटे लिंग को देख कर खूब खुश हुयी। "अरे बाप
रे कितना बड़ा लिंग है आपका। दीदी कैसे लेती है इसे?""आ जाओ तुम्हें भी
दिखा देता हूं कि इसे कैसे लिया जाता है।""धत् मुझे नहीं देखना कुछ। आप
बड़े वो हो" उसने शर्मा कर कहा।लेकिन उससे हाथ हटाने की कोई जल्दी नहीं
की।"इसे एक बार किस तो करो" मैने उसके सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर झुकाते
हुए कहा। उसने झिझकते हुए मेरे लिंग पर अपने होंठ टिका दिये। अब तक उसका
दूसरा स्तन भी खाली हो गया था। उसके झुकने के कारण मेरे मुंह से निप्पल
छूट गया। मैने उसके सिर को हलके से दबाया तो उसने अपने होंठों को खोल कर
मेरे लिंग को जगह दे दी। मेरा लिंग उसके मुंह में चला गया। उसने दो तीन
बार मेरे लिंग को अन्दर बाहर किया फ़िर उसे अपने मुंह से निकाल लिया।"ऐसे
नहीं… ऐसे मजा नहीं आ रहा है""हां अब हमें अपने बीच की इन दीवारों को हटा
देना चाहिये" मैने अपने कपड़ों की तरफ़ इशारा किया। मैने उठकर अपने कपड़े
उतार दिये फ़िर उसे बाहों से पकड़ कर उठाया। उसकी साड़ी और पेटीकोट को उसके
बदन से अलग कर दिया। अब हम दोनो बिल्कुल नग्न थे। तभी किसी ने दरवाजे पर
नोक किया। "कौन हो सकता है।" हम दोनो हड़बड़ी में अपने अपने कपड़े एक थैली
में भर लिये और निशा बर्थ पर सो गयी। मैने उसके नग्न शरीर पर एक चादर डाल
दी। इस बीच दो बार नोक और हुअ। मैने दरवाजा खोला बाहर टीटी खड़ा था। उसने
अन्दर आकर टिकट चेक किया और कहा "ये दोनो सीट खाली रहेंगी इसलिये आप चाहें
तो अन्दर से लोक करके सो सकते हैं" और बाहर चला गया। मैने दरवाजा बंद किया
और निशा के बदन से चादर को हटा दिया। निशा शर्म से अपनी जांघों के जोड़ को
और अपनी छातियों को ढकने की कोशिश कर रही थी। मैने उसके हाथों को पकड़ कर
हटा दिया तो उसने अपने शरीर को सिकोड़ लिया और कहा "प्लीज़ मुझे शर्म आ रही
है।" मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसकी योनि पर अपने मुंह को रखा। इससे मेरा लिंग
उसके मुंह के ऊपर था। उसने अपने मुंह और पैरों को खोला। एक साथ उसके मुंह
में मेरा लिंग चला गया और उसकी योनि पर मेरे होंठ सट गये।
"आह विशाल जी
क्या कर रहे हो मेरा बदन जलने लगा है। पंकज ने कभी इस तरह मेरी योनि पर
अपनी जीभ नहीं डाली" उसके पैर छटपटा रहे थे। उसने अपनी टांगों को हवा में
उठा दिया और मेरे सिर को उत्तेजना में अपनी योनि पर दबाने लगी। मैं उसके
मुंह में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा। मेरे हाठ उसकी योनि की फ़ांकों को
अलग कर रखे थे और मेरी जीभ अंदर घूम रही थी। वो पूरी तन्मयता से अपने मुंह
में मेरे लिंग को जितना हो सकता था उतना अंदर ले रही थी। काफ़ी देर तक इसी
तरह 69 पोज़िशन में एक दूसरे के साथ मुख मैथुन करने के बाद लगभग दोनो एक
साथ खल्लास हो गये। उसका मुंह मेरे रस से पूरा भर गया था। उसके मुंह से चू
कर मेरा रस एकपतली धार के रूप में उसके गुलाबी गालों से होता हुआ उसके
बालों में जाकर खो रहा था। मैं उसके शरीर से उठा तो वो भी उठ कर बैठ गयी।
हम दोनो एक दम नग्न थे और दोनो के शरीर पसीने से लथपथ थे। दोनो एक दूसरे
से लिपट गये और हमारे होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपक गये मानो अब कभी भी न अलग
होने की कसम खा ली हो। कुछ मिनट तक यूं ही एक दूसरे के होंठों को चूमते
रहे फ़िर हमारे होंठ एक दूसरे के बदन पर घूमने लगे।"अब आ जाओ" मैने निशा को
कहा।"जेठजी थोड़ा सम्भाल कर। अभी अंदर नाजुक है। आपका बहुत मोटा हैकहीं कोई
जख्म न हो जाये।""ठीक है। चलो बर्थ पर हाथों और पैरों के बल झुक जाओ। इससे
ज्यादा अंदर तक जाता है और दर्द भी कम होता है।"निशा उठकर बर्थ पर चौपाया
हो गयी। मैं पीछे से उसकी योनि पर अपना लंड सटा कर हलका सा धक्का मारा।
गीली तो पहले ही हो रही थी। धक्के से मेरे लंड के आगे का टोपा अंदर धंस
गया। एक बच्चा होने के बाद भी उसकी योनि काफ़ी टाइट थी। वो दर्द से
"आआह्हह" कर उठी। मैं कुछ देर के लिये उसी पोज़ में शांत खड़ा रहा। कुछ देर
बाद जब दर्द कम हुआ तो निशा ने ही अपनी गांड को पीछे धकेला जिससे मेरा लंड
पूरा अंदर चला जाये।"डालो न रुक क्यों गये।""मैने सोचा तुम्हें दर्द हो
रहा है इसलिये।""इस दर्द का मजा तो कुछ और ही होता है। आखिर इतना बड़ा है
दर्द तो करेगा ही।" उसने कहा। फ़िर वो भी मेरे धक्कों का साथ देते हुए अपनी
कमर को आगे पीछे करने लगी। मैं पीछे से शुरु शुरु में सम्भल कर धक्का मार
रहा था लेकिन कुछ देर के बाद मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के से
उसके दूध भरे स्तन उछल उछल जाते थे। मैने उसकी पीठ पर झुकते हुए उसके
स्तनो को अपने हाथों से थाम लिया। लेकिन मसला नहीं, नहीं तो सारी बर्थ
उसके दूध की धार से भीग जाती। काफ़ी देर तक उसे धक्के मारने के बाद उसने
अपने सिर को को जोर जोर से झटकना चालू किया।"आआह्हह्ह शीईव्वव्वाअम्मम
आआअह्हह्ह तूउम्म इतनीए दिन कहा थीए। ऊऊओह्हह माआईईइ माअर्रर्रर जाऊऊं
गीइ। मुझीए माअर्रर्रर डालूऊओ मुझीए मसाअल्ल डाअल्लूऊ" और उसकी योनि में
रस की बौछार होने लगी। कुछ धक्के मारने के बाद मैने उसे चित लिटा दिया और
ऊपर से अब धक्के मारने लगा।"आअह मेरा गला सूख रहा है।" उसका मुंह खुला हुआ
था। और जीभ अंदर बाहर हो रही थी। मैने हाथ बढ़ा कर मिनरल वाटर की बोतल उठाई
और उसे दो घूंठ पानी पिलाया। उसने पानी पीकर मेरे होंठों पर एक किस
किया।"चोदो शिवम चोदो। जी भर कर चोदो मुझे।" मैं ऊपर से धक्के लगाने लगा।
काफ़ी देर तक धक्के लगाने के बाद मैने रस में डूबे अपने लिंग को उसकी योनि
से निकाला और सामने वाली सीट पर पीठ के बल लेट गया।"आजा मेरे उपर" मैने
निशा को कहा। निशा उठ कर मेरे बर्थ पर आ गयी और अपने घुटने मेरी कमर के
दोनो ओर रख कर अपनी योनि को मेरे लिंग पर सेट करके धीरे धीरे मेरे लिंग पर
बैठ गयी। अब वो मेरे लिंग की सवारी कर रही थी। मैने उसके निप्पल को पकड़ कर
अपनी ओर खींचा। तो वो मेरे ऊपर झुक गयी। मैने उसके निप्पल को सेट कर के
दबाया तो दूध की एक धार मेरे मुंह में गिरी। अब वो मुझे चोद रही थी और मैं
उसका दूध निचोड़ रहा था। काफ़ी देर तक मुझे चोदने के बाद वो चीखी "शिवम मेरे
निकलने वाला है। मेरा साथ दो। मुझे भी अपने रस से भिगो दो।" हम दोनो साथ
साथ झड़ गये। काफ़ी देर तक वो मेरे ऊपर लेटी हुई लम्बी लम्बी सांसे लेती
रही। फ़िर जब कुछ नोर्मल हुई तो उठ कर सामने वाली सीट पर लेट गयी। हम दोनो
लगभग पूरे रास्ते नग्न एक दूसरे को प्यार करते रहे। लेकिन उसने दोबारा
मुझे उस दिन और चोदने नहीं दिया, उसके बच्चेदानी में हल्का हल्का दर्द हो
रहा था। लेकिन उसने मुझे आश्वासन दिया। "आज तो मैं आपको और नहीं दे सकुंगी
लेकिन दोबारा जब भी मौका मिला तो मैं आपको निचोड़ लुंगी अपने अंदर। और हां
अगली बार मेरे पेट में देखते हैं दोनो भाईयों में से किसका बच्चा आता है।
उस यात्रा के दौरान कई बार मैने उसके दूध की बोतल पर जरूर हाथ साफ़ किया।

पड़ोसन भाभी का दूध पिने का मजा padosan bhabhi ka dudh pine ka maja

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बात उस समय की है जब मैं नया नया लखनऊ आया था, मैं मूलत: हरदोई का रहने वाला हूँ, जब मैं लखनऊ आया तो मैंने कटरा, हुसैनगँज में कमरा लिया। जिस घर में मैं रहता था उसी घर में एक और परिवार रहता था, जिसमें पति पत्नी और उनके 2 बच्चे थे, पति बैंक में चपरासी थे

और एक लड़का जो लगभग 2 साल का और लड़की 8 महीने की थी। उन बच्चों की मम्मी जिनका नाम चन्दा था, मैं उन्हें भाभी कहता था, भाभी की उम्र लगभग 28 साल होगी और उनके पति की उम्र लगभग 36 साल होगी। वो मुझसे किसी ना किसी बहाने बाते करने की कोशिश किया करती थी। उन्हें देख कर ऐसा लगता था कि वो जवानी की आग में जल रही हैं और वो आग उनके पतिदेव बुझा नहीं पा रहे हैं, पर एक पतिव्रता नारी होने के कारण वो किसी और से अपने इस दर्द को कह नहीं पा रही हों, पर मैं उनके इस दर्द को महसूस कर रहा था।
मैं अकेला रहता था तो शाम के समय वो मुझे चाय देने आया करती थी और इस तरह से मैं किसी ना किसी बहाने उनके कमरे में भी जाया करता था। धीरे धीरे उनसे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। मैं भाभी से वो सारी बातें कर लिया करता था जो एक पति पत्नी के बीच होती हैं। उनके पति बैंक से शाम को देर से आते थे, मेरे पास दिन में पूरा समय होता था भाभी से अकेले में बातें करने का और उनकी तारीफ़ करने का। वो बहुत सेक्सी लगती थी, वो हमेशा साड़ी पहना करती थी और चोली कट ब्लाउज में क्या लगती थी ! एक दिन भाभी ने लाल रँग की साड़ी और काले रँग का ब्लाउज पहना और मुझे आवाज लगाई। उनकी आवाज सुन कर मैं तुरन्त उनके पास पहुँच गया। भाभी बोली- रोहित, मेरा पँखा खराब हो गया है जरा इसे देख लो। मैंने उनसे स्टूल माँगा और उसे पकड़ने को कहा। उनकी साड़ी का पल्लू नीचे लटक रहा था और उनकी चूचियाँ उभरी हुई साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं उन्हें घूरे जा रहा था पर वो उसे अनदेखा कर रही थी और मुझे देख कर मुस्करा रही थी। उस दिन मैं पंखा ठीक करके चला आया। फिर दूसरे दिन दोपहर में मैं टी वी देखने के बहाने उनके कमरे के पास जाकर दरवाजा खोला तो वो अपनी बच्ची को अपनी चूची से दूध पिला रही थी। श्रुति उनकी बच्ची का नाम था, मैंने मजाक में कहा- भाभी, श्रुति को दूध पिला रही हो? तो वो हंसते हुए अनजाने में बोल गई- तुम्हें भी पीना है क्या? मैंने कहा- मेरे भाग्य में यह कहाँ है? वो बोली- रुको, अभी तुमको मैं भाग्यशाली बनाती हूँ। थोड़ी देर में श्रुति दूध पीते पीते सो गई, भाभी ने उसे पलंग पे लेटा दिया। और सोफ़े में मेरे पास उसी हालत में आकर बैठ गई, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि आज मुझे उनकी गोल गोल दूध से भरी चूचियाँ पीने को मिलेंगी। फिर उन्होंने मेरा सिर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूचियों की ओर झुकाया और उन्हें चूसने को कहा। मैं भी उनकी चूचियाँ मुँह में भर कर पीने लगा, अभी भी मीठा मीठा दूध निकल रहा था। काफ़ी देर तक मैंने उनकी चूचियाँ पी, फिर उन्होंने मुझसे खड़े होने को कहा, मैं खड़ा हो गया। उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे पूरा नंगा कर दिया और अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगी और अचानक उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। काफ़ी देर तक वो मेरे लण्ड को चूसती रही, मुझे बहुत मजा आ रहा था। तभी वो थोड़ा रुकी और अपने भी सारे कपड़े उतार दिये पर अपनी ब्रा और पैन्टी नहीं उतारी, बोली- रोहित, जानू सब कुछ मैं ही उतार दूँगी तो तू क्या करेगा। वो काले रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुये थी, क्या सेक्सी माल लग रही थी। चंदा भाभी ने अपने होठों को मेरे होठों में रख दिया और चूसने लगी। वो जिस तरह से मेरे होठों को चूस रही थी, लग रहा था कि जन्मों की प्यासी थी वो। फिर मैंने उन्हे नँगी किया उनकी ब्रा और पैन्टी को उतार दिया और उनकी चूचियोँ को हाथो से सहलाने लगा और थोड़ी देर बाद हम 69 अवस्था में लेट गये। मैं उनकी चूत चाटने लगा और वो मेरे लण्ड को जोर जोर से चूस रही थी, हम दोनों इस तरीके से काफ़ी देर तक करते रहे। भाभी बोली- जानते हो रोहित, मेरी शादी को सात साल हो गये पर मुझे तेरे भैया के लण्ड में इतना कड़कपन नहीं दिखा, तेरा तो बहुत सख्त है और मोटा भी, मेरे पति से मुझे बच्चे मिले पर सन्तुष्टि नहीं, पर लगता है कि आज मेरी प्यास बुझ जायेगी ! 15 से 20 मिनट तक लगातार चूसने के बाद मैं भाभी के मुँह में ही झड़ गया, मेरे वीर्य को भाभी ने पूरा पी लिया और उनकी भी चूत से पानी निकल रहा था जिसे मैंने पिया। और फिर मैंने उन्हें सीधा किया और अपने लण्ड को उनकी चूत पर रखा और धीरे से अन्दर की ओर धकेला। मेरा लण्ड लगभग 4 इँच चूत में घुस चुका था, उनके मुखसे उफ़्फ़ और सीसी की आवाजें निकल रही थी। मेरा भी जोश परवान चढ़ रहा था, मैंने भी मौके की नजाकत को समझा, एक जोर का धक्का लगाया और 7 इंच के लण्ड को पूरा पूरा अन्दर घुसेड़ दिया। भाभी ने भी मेरा साथ दिया और जोर जोर से अपने चूतड़ हिलाने लगी और तेज तेज चोदने को कहने लगी। मैं भी तेजी से धक्के लगाने लगा। चन्दा भाभी बोली- ओह ! आह ! नहीं ! मैं तो मेरे पति से चुदवाती हूँ पर उनका इतना बड़ा और मोटा नहीं है। अब उसे भी मजा आने लगा था तो मैंने अपने गति बढ़ा दी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं। फ़िर से चन्दा भाभी आहें भरने लगी और सिसकारियाँ तेज़ होने लगी, वो बोल रही थी- ओ रोहित कमीने... ऊऊह्ह्ह... आअ... ह्ह्ह... अहहहः... स्स्स्स्स... मादरचोद... चोद दे मुझे ! और गालियाँ सुनते ही मैं पूरे जोश में आ गया और जोर जोर से चोदने लगा। अब मैं भी चालू हो गया, मैं बोला- ले मेरी रण्डी... ले मेरा लवड़ा खा जा... ले और जोर से ले... ले तेरी माँ की चूत... और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, पूरे कमरे में सिर्फ गालियों की और फक फक फक और फच फच की आवाजें आ रही थी। चन्दा भाभी ने अपने दोनों टांगों से मुझे कस कर पकड़ रखा था और भाभी पूरे जोश में थी, बोल रही थी- बहिनचोद और जोर से चोद मुझे... फाड़ दे मेरी चूत को... आआअ... स्स्स अहः... अहहः... ओह होह..... ले... ले माँ के लवडे... भोसड़ा बना दे मेरी चूत को... आज से चन्दा की चूत तुम्हारी है... जब चाहे इसे चोदना तू ! अब भाभी चरमसीमा पर थी, वो अपने चूतड़ जोर जोर से हिला रही थी, चन्दा भाभी बोली- रोहित, पूरी ताकत से चोद मुझे ! मैं आने वाली हूँ ! मैं भी पूरी तेजी से उसे चोदे जा रहा था। भाभी का शरीर अब अकड़ने लगा था, उसने मुझे कस कर पकड़ा और ह्ह्ह्हह.... अहहः .......ह्ह्ह.... अह्हह.... स्सस्सस करते हुए वो झड़ गई। पर मैं अब तक नहीं झड़ा था, अब मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं शॉट पे शॉट मारता गया और लगभग दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था तो चन्दा भाभी से कहा- मैं आ रहा हूँ, मैं अपना लण्ड बाहर निकाल लूँ? तो भाभी बोली- नहीं पूरा माल अंदर ही डाल दे ! फ़िर क्या था, मैंने ऐसे जोर के धक्के लगाये कि भाभी भी चरमरा उठी और उसकी चूत मैंने अपने वीर्य से भर दी। फ़िर थोड़ी देर तक मैं उस पर ही लेटा रहा। बाद में मैंने पूछा- भाभी, आपने मेरा माल अन्दर डलवा लिया? कुछ हो गया तो? तो भाभी ने बताया- मैं माला डी लेती हूँ। x

ससुर जी ने मेरी छूट की प्यास मिटाई Sasur Ji Ne Meri Chut Ki Pyas mitai

ससुर जी ने मेरी छूट की प्यास मिटाई  Sasur Ji Ne Meri Chut Ki Pyas mitai, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.
दोस्तों मेरा नाम नैना  है और में जदोहपुर में रहती हूँ मेरे पति बाहर नौकरी करते है इसलिए वो साल में एक दो बार ही हमारे घर पर आ पाते है और बाहर नौकरी करने की वजह से उनके पास मुझे देने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं होता है जिसकी वजह से में हमेशा प्यासी तड़पती रहती हूँ और वो है जिनको मेरी बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। 
उनके बाहर रहने की वजह से मेरे घर पर में मेरे भाई और मेरी ननद के साथ रहती हूँ और उन दिनों गरमी की छुट्टियाँ थी जिसकी वजह से मेरा भाई और ननद कहीं बाहर घूमने गये हुए थे और में अपने घर में एकदम अकेली थी और घर में अकेली होने की वजह से में बहुत मॉर्डन और खुली खुली रहती थी इसलिए में कभी सलवार, कुर्ता तो कभी जींस, टॉप तो कभी स्कर्ट, टी-शर्ट तो कभी गाउन पहना करती थी और हमारा घर बहुत बड़ा है और उसमे बहुत सारे कमरे है।
एक दिन मेरे ससुर जी आ गए और वो करीब 10-15 दिनों के लिए आए थे और उस समय घर पर कोई भी नहीं था और सभी लोग बाहर गए थे। तभी मेरे ससुर जी आ गए और मैंने मन ही मन सोच लिया कि चलो अच्छा हुआ घर में कोई तो आ गया वरना इतने बड़े घर पर में बिल्कुल अकेली थी। दोस्तों मेरे ससुर जी दिखने में बहुत ही अच्छे है वो 50 की उम्र में भी एकदम जवान लगते है और उनको देखकर एक बार तो मेरा भी मन हुआ कि कुछ मज़े मस्ती हो जाए, लेकिन वो मेरे ससुर है यह बात सोचकर में रुक गई।
फिर मेरे ससुर थोड़े दिन तक तो ठीक रहे और उनका मेरे साथ व्यहवार अच्छा रहा, लेकिन उसके बाद मैंने महसूस किया कि वो अब मुझे कुछ अलग नज़र से देख रहे है, वो मुझे हमेशा बहुत गौर से देखते थे। जब कभी भी में आती जाती तो वो मेरे बूब्स को और मेरे पैर को बहुत ध्यान गौर से देखते। दोस्तों में तुरंत समझ गई कि वो मुझसे अब क्या चाहते है, लेकिन वो कभी भी मुझसे यह सब बातें बोल नहीं सकते थे, क्योंकि वो रिश्ते में मेरे ससुर जी थे।     
फिर मैंने धीरे धीरे महसूस किया कि मेरे ससुर जी अब मुझे नहाते हुए और ज्यादा से ज्यादा बिना कपड़ो के देखने की हमेशा कोशिश किया करते थे और में यह बात जान गई थी और उनकी नियत को पहचान गई थी इसलिए में अब उनको अपनी तरफ से ज्यादा से ज्यादा मौके देती थी जिससे वो मुझे देख ले और में यह बात सोचकर तो कई बार बहुत गरम हो जाती थी। फिर एक दिन मेरी यह इच्छा भी पूरी हो गई और उस दिन ससुर जी ने मुझसे बोला कि बेटी यह पानी है इसको पीने से सब रोग दूर हो जाते है और इसको पीने से कभी कोई बीमारी भी नहीं होती है, तो मैंने उनसे वो पानी ले लिया और रख दिया।
फिर रात को मैंने देखा कि मेरे ससुर जी रसोई में जाकर मेरे लिए जो दूध ला रहे है उन्होंने उसमे कुछ मिला दिया है मैंने उनको यह काम करते हुए देख लिया था, लेकिन वो मुझे ना देख सके में चुपचाप वापस अपने कमर में आ गई और में बैठ गई तभी थोड़े देर के बाद मेरे ससुरजी भी आ गए और वो मुझसे कहने लगे कि बेटी तुम यह दूध पी लो और उसके बाद में सो जाओ इतना कहकर वो उनके कमरे में चले गए और मैंने उनके चले जाने के बाद वो दूध जानबूझ कर चोरी छिपे नीचे गिरा दिया और में सो गई। अब में सोने का नाटक करके चुपचाप लेटी रही करीब दो घंटे के बाद मेरे ससुरजी दोबारा मेरे कमरे में आ गए उन्होंने मुझे आवाज़ दी, लेकिन में एकदम चुपचाप लेटी रही वो मेरी तरफ से कोई भी हरकत ना होते देख तुरंत समझ गए कि में अब तक गहरी नींद में सो चुकी हूँ इसलिए वो भी चुपचाप मेरे पास में आकर लेट गए और थोड़ी देर के बाद उन्होंने मेरे गाउन को धीरे से थोड़ा सा ऊपर उठा दिया।   
पहले उन्होंने कम उठाया था और फिर घुटनों तक और उसके बाद उन्होंने अपना एक हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और वो मेरे बूब्स को हल्के हल्के दबाने लगे, तो कुछ देर बाद मेरी जवानी अंदर ही अंदर सुलगने लगी और में एकदम से उठ गई मुझे अचानक से अपने सामने ऐसे देखकर बाबूजी (मेरे ससुर) बहुत ज्यादा डर गए और वो मुझसे कहने लगे कि बेटी मुझसे ग़लती हो गई है तुम यह बात किसी से मत कहना अब में कभी भी ऐसा दोबारा नहीं करूंगा, में क्या करूं बहु तुम बहुत ही सेक्सी हो इसलिए मेरा मन तुम्हे देखकर डोल गया था, कोई बात नहीं बेटी में अब यहाँ से चला जाता हूँ, लेकिन तभी मैंने उनको यह सब करने से साफ मना कर दिया और मैंने उनसे बोला कि कोई बात नहीं आप एक बार कर लो में भी अंदर ही अंदर इस आग में आपकी तरह बहुत जल रही हूँ बाबूजी। तो मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो बहुत खुश हो गए और उन्होंने जल्दी से मेरा गाउन पूरा उतार दिया और वो खुद भी तुरंत नंगे हो गए। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
दोस्तों अब में उनके लंड को अपने सामने नंगा देखकर बहुत खुश हो गई क्योंकि वो बहुत लंबा था, लेकिन वो थोड़ा सा नीचे की तरफ झुका हुआ था और में झट से समझ गई कि वो डर की वजह से ऐसा हुआ होगा। अब उन्होंने सबसे पहले मुझे पूरा नंगा किया और फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और बहुत ध्यान से उन्होंने मेरे पूरे शरीर को देखा और उसके बाद बिस्तर पर मुझे लेटाकर वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगे और वो मेरे बूब्स को दबाते हुए बार बार उसको चूस भी रहे थे।
फिर कुछ देर के बाद वो आचनक से नीचे आकर मेरी कामुक चूत पर किस करने लगे और उसको चाटने भी लगे। दोस्तों में किसी भी शब्दों में लिखकर नहीं बता सकती मुझे कैसा लग रहा था और कितना मज़ा आ रहा था? में तो जैसे उस समय जन्नत में हूँ मुझे ऐसा महसूस हो रहा था, लेकिन अब मुझसे बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा था और इसलिए में बोल पड़ी कि बाबूजी बस अब प्लीज आप जल्दी से मेरी प्यास को बुझा दो मुझे और ज्यादा मत तरसाओ। मेरे मुहं से यह शब्द सुनकर वो तुरंत मेरे ऊपर आ गये और उन्होंने मेरे दोनों घुटनों को मोड़ दिया था। अब उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत के मुहं पर रखकर एक ज़ोर का धक्का मार दिया, जिसकी वजह से एक ही बार में उनका पूरा लंड मेरी चूत की गहराईयों में चला गया और अब मेरे मुहं से एक बहुत ज़ोर की चीख निकल गई आईईईईईइई रे में मर गइईईईईईई प्लीज थोड़ा धीरे करो बाबूजी।
फिर बाबूजी ने धीरे धीरे धक्के देकर मेरी चुदाई करना शुरू कर दिया और उसके बाद जो मुझे और बाबूजी हम दोनों को मज़ा आने लगा। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और में बता नहीं सकती। फिर कुछ समय बाद मुझे लगा कि में अब झड़ने वाली हूँ तो में बोल पड़ी बाबूजी प्लीज अब जल्दी से करो में अब झड़ने वाली हूँ और में अब ज्यादा देर नहीं रुक सकती प्लीज। फिर मेरे मुहं से यह बात सुनकर बाबूजी अब और भी तेज़ धक्के देने लगे थे और मेरे मुहं से एक तेज़ आवाज़ निकली आईईईईईईई में तो गइईईईई सम्भालो मुझे ऊईईईई बाबूजी में तो मर गईईईईई और फिर में इतना कहकर झड़ गई और बाबूजी भी ऊऊईईईईई रे ऊह्ह्ह्ह बेटे बोलते हुए वो झड़ गए।     
उन्होंने अपना पूरा वीर्य मेरी चूत में डालकर अपने लंड को अंदर बाहर करके एक दूसरे में मिला दिया और अब उनका वीर्य मेरी चूत रस के साथ बहकर बाहर आने लगा वो गरम गरम माल बहकर मेरी गोरी जांघो तक पहुंच गया। फिर उसके बाद हम दोनों उठकर सीधे बाथरूम में नहाने के लिए चले गए और नहाने के बाद लाइट चली गई तो मैंने बाबूजी से बोला कि बाबूजी अब क्या करें? लाइट चली गई आप कपड़े पहनकर बाहर आ जाओ, तो बाबूजी ने बोला कि अरे में क्या पहनूं मेरे कपड़े गीले हो गए है और मुझे अँधेरे में दिखाई भी नहीं देगा, तो मैंने उनसे बोला कि आप एक काम करो, आप मेरे कपड़े पहन लो।
फिर बाबूजी बोले कि में तुम्हारे कपड़े कैसे पहन सकता हूँ? तो मैंने उनसे बोला कि नहीं तो आपको लाईट आने तक नंगे ही रहना होगा, तो वो बोले कि हाँ ठीक है उसके बाद उन्होंने मेरी स्कर्ट और टॉपर पहन लिया और वो बाहर आ गए और उसके बाद हम दोनों मेरे बेडरूम के अंदर चले गये और थोड़ी देर बाद लाइट आई तब मैंने देखा कि बेड की चादर के ऊपर बहुत सारा वीर्य लगा हुआ था इसलिए मैंने वो चादर हटाकर में अलमारी से दूसरी चादर लेने के लिए गई और में चादर निकालने लगी। 

फिर तभी उस चादर के साथ कुछ कपड़े भी नीच गिरे और मैंने देखा तो वो मेरी शादी का लाल जोड़ा था। तब मुझसे मेरे ससुर जी ने पूछा कि बेटा क्या गिरा? तो मैंने उनसे बोला कि बाबूजी वो तो मेरी शादी का जोड़ा गिर गया है यह बात सुनकर ससुर जी ने मुझसे बोला कि तुम उसको बाहर ही रहने दो और फिर वो मुझसे बोले कि बहु एक बार में चाहता हूँ कि तुम इन कपड़ो को मेरे लिए पहनो और एक बार फिर से नई दुल्हन की तरह सजकर मेरे सामने शरमाकर बैठो और उसके बाद हम दोनों सुहागरात मनाए और फिर हम दोनों शादी भी करेंगे और फिर में तुमको मेरी दुल्हन बनाकर तुम्हारी बहुत जमकर चुदाई करूंगा।  
फिर मैंने उनसे बोला कि आज नहीं हम आगे का काम कल दोबारा से करेंगे तो हमे बड़ा मज़ा आएगा। मेरी बात को सुनकर वो बोले कि हाँ ठीक है। दोस्तों उसके बाद हम दोनों ने एक बार फिर से चुदाई के मज़े लिए और उसके बाद हम दोनों नंगे ही थककर सो गए उसके बाद हम दोनों दूसरी सुबह 11 बजे सोकर उठे और फिर हमने चाय नाश्ता किया और दोपहर का खाना खाया और उसके बाद हम दोनों शाम की चुदाई के लिए तैयारी करने लगे और फिर शाम को मुझे वो लाल जोड़ पहनाकर मेरे ससुर जी ने मुझसे शादी करके मेरे साथ सुहागरात मनाई उन्होंने मुझे बहुत जमकर चोदा और मुझे अपनी चुदाई से पूरी तरह से खुश कर दिया और हम दोनों ने बहुत मज़े किए, वो जब तक मेरे पास रहे, तो लगातार दिन रात जब भी उन्हें मौका मिलता वो मेरी चुदाई करते रहे और इस तरह से में उनकी दूसरी बीवी और एक असली रखैल बन गई।

लड़की से मुलाकात और चुदाई ladki se mulakat or chudai

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मेरी उम्र 23 साल है, मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता हूँ दिल्ली में रहता हूँ।
मैंने अपनी स्कूल की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से की है। केंद्रीय विद्यालय में ज्यादातर विद्यार्थी सेना बैकग्राउंड के होते हैं।
मेरे स्कूल के ठीक सामने नेवी के क्वार्टर्स थे जहाँ पर नेवी के लोग रहते थे। मैं रोज़ शाम को खाना खाने के बाद थोड़ा टहलने के लिए बाहर जाता हूँ। घूमता-घूमता अपने स्कूल के पास भी चला जाता हूँ।
एक दिन रात करीब 8 बजे मैं खाना खाकर बाहर घूम रहा था, तभी मैंने देखा कि नेवी के क्वार्टर्स में से एक औरत जीन्स-टॉप और कैप पहने कान में इअरफ़ोन लगाये घूम रही है।

उसको अकेले रात को देखकर मैंने सोचा कि चलो देखता हूँ कि यह कौन है और इस समय कहाँ जा रही है। वो काफी तेज़ चल रही थी, तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा ली।
अचानक उसको अहसास हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। उसने तुरंत पीछे मुड़ कर देखा और मैंने अपनी आँखें नीचे कर लीं। फिर वो चली गई।
मैंने सोचा कल फिर इसी टाइम आकर देखता हूँ, क्या पता कुछ बात बन जाए। अगले दिन ठीक आठ बजे मैं फिर से उसी स्थान पर पहुँच गया। फिर से वो आ गई।
आज वो बहुत कमाल लग रही थी। गुलाबी टॉप, काली जीन्स और ट्रेंडी कैप। आज उसको देखकर दिल में कुछ-कुछ हो रहा था।
मैं एक बार फिर उसका पीछा करने लग गया। एक बार फिर उसने पीछे मुड़ कर देखा। इस बार मैंने आँखें नहीं चुराई और उससे नजरें मिल गईं।
उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया और चुपचाप चली गई। अब मैं समझ गया था कि आँखों ही आँखों में कुछ न कुछ तो हुआ है।
मैंने ठान लिया कि अब कल आर या पार।
मैं अगले दिन फिर से उसी टाइम पर पहुँच गया। वो फिर से आई हमेशा की तरह बहुत ही कमाल लग रही थी।
मैं फिर से उसके पीछे चल दिया। आज सोचा हुआ था कि आज बात जरूर करनी है मगर अचानक मैंने देखा कि उसने अपनी चाल तेज़ कर दी और वो बहुत ही जल्दी-जल्दी चलने लग गई।
अरे, ये तो रेलवे लाइन की तरफ जा रही है, जहाँ पर बहुत ही सन्नाटा रहता है। मैं समझ गया कि बेटा आज तो सब कुछ सही हो रहा है। आज नहीं तो कभी नहीं।
अचानक उसने अपनी रफ़्तार कम कर दी और मेरे और उसके बीच में काफी कम दूरी रह गई थी। वो रुक गई और मैं उसके पास गया।
मन में डर भी लग रहा था, पर फिर भी सन्नाटा था तो हिम्मत कर ली।
उसके पास जाकर मैंने बड़े ही सभ्य तरीके से बोला- हेल्लो।
उसने बोला- मैं आपको तीन दिन से देख रही हूँ, आप कुछ बोलते क्यों नहीं हो?
मैंने बोला- काफी डर लग रहा था। पर मैं आपको लाइक करता हूँ।
वो बोली- लाइक भी करते हो और कहने से भी डरते हो।
मैंने बोला- आज सोच कर आया था कि दिल की बात कह दूँगा।
वो बोली- आज मैं भी सोच कर आई थी।
मैंने बोला- क्या सोच कर आई थीं।
तो बोली- चलो बताती हूँ।
मैं उसके साथ आगे चल दिया। पास में ही एक सुनसान सी जगह थी, जो थोड़ी वीरान भी थी। हम दोनों वहाँ जा कर रुक गए।
मैंने बोला- यहाँ पर तो कोई नहीं आता-जाता, यहाँ पर क्या करने लाई हो?
वो मेरे करीब आई और बोली- मैं तुम्हें काफी समय से जानती हूँ। मैंने तुम्हें काफी बार देखा है, पर शायद तुमने ही मुझ पर कभी ध्यान नहीं दिया।
मैंने बोला- हाँ मैंने आपको पहली बार ही देखा है, मेरा नाम राजेश है।
वो बोली- मेरा नाम रेनू है, मैं शादीशुदा हूँ और मेरे पति विशाखापट्टनम में हैं। पिछले साल ही शादी हुई है और 4 महीने बाद ही वो मुझसे दूर हो गए हैं। मैं बहुत ही तनहा और अकेली हूँ। नई होने की वजह से किसी को जानती भी नहीं हूँ। क्या तुम मेरा अकेलापन दूर करोगे?
मैंने बोला- हाँ जरूर, मैं तुम्हारा अच्छा फ्रेंड बन सकता हूँ।
वो बोली- बस फ्रेंड !?!
मैंने बोला- हाँ, बेस्ट फ्रेंड !
वो बोली- बस बेस्ट फ्रेंड !?!
मैंने बोला- नहीं बेस्टेस्ट फ्रेंड !
इतना बोलते ही वो मेरे करीब आ गई और अपने होंठो से मेरे होंठो को प्यार से चूमने लग गई। मुझे उससे इस हरकत की बिल्कुल भी आशा नहीं थी तो मैंने भी कुछ रिएक्ट नहीं किया और चुपचाप उसका साथ निभाने लगा।
वो भूखी शेरनी की तरह मुझे चाट रही थी। और मैं भी अपने आप पर से काबू खो चुका था। मुझे पता नहीं चला कि कब मैंने अपने हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिए और उसकी पीठ सहलाने लग गया।
रेनू की आवाज़ काफी तेज़ हो गई थी। जो बस “आह आह आ” कर रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं समझ चुका था कि वो गर्म हो चुकी है। उसी समय मैंने अपने आपको पीछे धकेला और पेड़ का सहारा ले लिया।
अब रेनू मुझसे चिपकी हुई थी और हम एक दूसरे से लिपटे हुए थे। धीरे से रेनू का हाथ मेरी जीन्स पर गया और उसने बाहर से ही मेरे लण्ड पर हाथ फेरना शुरु कर दिया। मुझे काफी अच्छा लग रहा था और मैं बैचैन हो रहा था। तभी रेनू ने मेरी जिप खोली और अन्दर हाथ डाल दिया। मेरा लण्ड तो राकेट जैसे फुँफकार मार रहा था, एकदम से बाहर निकल आया। रेनू ने मेरे लौड़े को हिलाना शुरु कर दिया।
मैंने बोला- रेनू, आई लव यू।
रेनू बोली- आई लव यू टू !
और तुरंत नीचे बैठ कर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।
उस समय जो फीलिंग मेरे दिल में थी, मैं बयान नहीं कर सकता। वो जोर-जोर से मेरे लण्ड का सुपारा अन्दर-बाहर कर रही थी। मेरे मुँह से ‘आह-आह’ की किलकारी बाहर आ रही थी।
अब मैं बैचैन हो रहा था, मैंने रेनू का टॉप उठाया और उसकी चूचियों को ब्रा से अलग किया। उसके स्तन बहुत ही गोरे और निप्प्ल गुलाबी थे।
मैंने उनको अपने मुँह में भर लिया और भूखे भेड़िये की तरह चचोरने लगा।
अब रेनू काबू में नहीं थी, उसने मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी जीन्स पर रख दिया और अपनी पिछाड़ी दबवाने लगी। मैं समझ गया कि यह आगे बढ़ने का संकेत है। मैंने तुरंत उसकी जीन्स का बटन खोला और उसको नीचे किया।
काले रंग की पैंटी में उसकी गोरी जांघ बहुत ही कमाल लग रही थी। मैंने उसकी पैंटी उतारे बिना साइड में से उसकी चूत को छुआ, काफी गीली हो चुकी थी।
रेनू मेरे बाल नोच रही थी। मैंने धीरे से उसकी पैंटी नीचे कर दी मैंने देखा कि एकदम सपाट चूत जिस पर एक भी बाल नहीं था, चमक रही थी।
मैंने आव देखा न ताव, सीधा उसकी चूत को चाटने लग गया और चूत का अमृत पीने लग गया। वो बेचैन हो रही थी और बस धीरे-धीरे ‘आह-आह’ कर रही थी।
उसने बोला- राजेश अब बर्दाश्त नहीं होता, अब तुरंत डाल दो।
मैंने भी बोला- ठीक है मेरी जान आ जाओ।
उसको अपने नीचे लेटा कर लौड़े को निशाने पर सैट किया और एक झटके में ही अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। अन्दर जाते ही वो तेज़ की चिल्लाई। पर मैंने उसकी चिल्लाहट पर कोई गौर न करके उसके उरोजों को अपने होंठो में दबा कर तेज गति से चुदाई करने लगा।
कुछ ही धक्कों में रेनू की कमर भी नीचे से उचकने लगी। लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ।
मैंने बोला- रेनू, मेरा होने वाला है।
वो बोली- राजेश, तुम अन्दर ही झड़ जाओ।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और उसके अन्दर ही झड़ गया। फिर वो शांत हुई और मुझे चूमा, फिर हमने कपड़े पहने और एक दूसरे के गले लग कर अगली मुलाकात तय की, अगली मुलाकात उसके घर पर थी।
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