अंकल के सामने आंटी का चोदन - Uncal Ke Samne Aunty Ka Chodan

अंकल के सामने आंटी का चोदन - Uncal Ke Samne Aunty Ka Chodan, Antarvasna Story , Bur chodan , Chudwane ka irada , Chudkkad aurat , Ladki ki chudai , Chut ke Maje , Gand mari , khub choda , Masti se chod diya , Jabardast manoranjan ke sath chudwayi.

हैल्लो दोस्तों, में हर्ष पाटिल आज बहुत दिनों के बाद आप सभी कामुकता डॉट कॉम के चाहने वालों को अपनी एक नयी सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ, जो हाल ही में मेरे साथ घटीत हुई है, लेकिन कहानी को शुरू करने से पहले में जो नये पाठक है, उनके लिए अपना परिचय दे देता हूँ। दोस्तों मेरा नाम हर्ष है और में मुंबई में रहता हूँ, मेरी उम्र 24 साल है और में दिखने में एकदम ठीकठाक हूँ और आप लोगों की तरह में भी पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ, मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता है। मैंने अब बहुत सारी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी है और अपनी घटना को लिखकर आप लोगों तक भेजा भी है और आज में अपनी एक ऐसी ही जोश भरी घटना बताने जा रहा हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि इसको पढ़कर आप लोगों को बहुत मज़ा आएगा।

दोस्तों एक दिन में शाम को अपने ऑफिस से अपने घर के लिए बस से निकला और वो सभी के ऑफिस छूटने का वक़्त था। फिर मैंने देखा कि उस समय उस बस में भी बहुत भीड़ थी और मेरे आगे की तरफ एक आंटी खड़ी हुई थी, वो दिखने में अच्छी थी और उनकी उम्र कोई 42 साल के आसपास की होगी, लेकिन मैंने पहले इतना गौर नहीं किया था। अब में उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया था और बस में ज़्यादा भीड़ होने की वजह से ना चाहते हुए भी मेरा हाथ बार बार उनके हाथों को छू रहा था और उनके गोरे हाथों के मुलायम स्पर्श से मुझे अब कुछ कुछ होने लगा था। फिर मैंने एक बार उन्हें अब गौर से देखा, उनकी हाईट कुछ 5.2 इंच थी और उनका गोरा बदन, बूब्स भी दिखने में एकदम ठीकठाक थे, मतलब 34 के होंगे और उनकी गांड थोड़ी सी बाहर निकली हुई थी। अब मेरे मन में भी उनके बारे में लगाव शुरू हो गया था और अब में भी जानबूझ कर बार बार अपना हाथ उनसे छू रहा था, लेकिन वो भी मुझसे कुछ भी नहीं बोल रही थी और अब में थोड़ी हिम्मत करके धीरे धीरे उनकी कमर पर अपनी उंगली को घुमा रहा था, लेकिन वो फिर भी मुझसे कुछ नहीं कह रही थी। फिर वो तो बस अपने आगे वाले आदमी से बात कर रही थी और मुझे पहले लगा कि वो कोई और है, थोड़ी देर बाद बस में अब बहुत भीड़ बढ़ गई और फिर अब में बिल्कुल बिंदास होकर धीरे धीरे उनकी गांड पर हाथ फेर रहा था और सिर्फ़ एक बार उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन फिर भी कुछ भी नहीं कहा।

फिर वो जिस जगह पर खड़ी हुई थी, थोड़ी देर बाद वहां की सवारी उतर जाने से वो सीट खाली हो गयी और वो तुरंत उस जगह पर बैठ गई। अब में बार बार उन्हें छूने का कोई ना कोई मौका ढूँढ रहा था और मेरी इस हरकत पर उस आदमी ने भी गौर किया, अब वो भी मुझे लगातार घूर रहा था और हल्की हल्की स्माईल दे रहा था, जिसकी वजह से मुझे अब थोड़ा सा डर भी लग रहा था। उसके थोड़ी देर बाद मेरा भी स्टॉप आ गया और में अब उतरने लगा था, तभी मेरे पीछे वो आंटी भी आ गई और वो अंकल भी उनके पीछे पीछे थे और फिर में बस से नीचे उतरकर स्टॉप पर रुक गया, यह देखने के लिए कि वो लोग कहाँ जाते है और थोड़ी देर बाद वो दोनों बात करते करते आगे चले गये, तब मुझे एहसास हो गया कि वो उनके पति ही थे। फिर में भी उन दोनों के पीछे पीछे जाने लगा और फिर थोड़ी देर चलने के बाद पता नहीं कैसे अंकल एकदम से अचानक से नीचे गिर गये और अब में उनके पीछे था, इसलिए में उनको संभालने के लिए भागकर उनके पास गया और फिर मैंने उनसे पूछा।

में : क्या हुआ अंकल आपको कहीं चोट तो नहीं आई?

अंकल : अरे नहीं नहीं बेटा, पता नहीं मेरा पैर एकदम से कैसे फिसल गया और उस वजह से में गिर गया, लेकिन अब मुझे मोच आ गई है, आह्ह्ह्हह्ह मुझे अब बहुत दर्द हो रहा है उफफ्फ्फ्फ़।

में : हाँ मुझे वो सब नजर आ रहा है।

फिर वो धीरे धीरे उठकर खड़े हुए और चलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनसे चला भी नहीं जा रहा था और तभी एक साईड से मैंने उनको सहारा दे दिया और फिर वो धीरे धीरे चलने लगे और तभी आंटी ने मुझसे कहा।

आंटी : चलो अब हम सीधे घर ही चलते है।

में : हाँ अंकल यही बिल्कुल ठीक रहेगा, अब आप घर पर जाकर थोड़ा अपने पैर की मलम पट्टी करो, तब यह थोड़ा ठीक हो जाएगा।

फिर मैंने उनसे इतनी बात कहते हुए अपनी बात को खत्म करके एक ऑटो वाले को आवाज देकर रुकवा लिया और फिर उन दोनों को मैंने उस ऑटो में बैठा दिया, लेकिन तभी वो अंकल मुझसे कहने लगे कि प्लीज तुम भी चलो ना हमारे साथ मुझे अपना सहारा देकर मेरे घर तक छोड़ देना। फिर मैंने भी कुछ देर मन ही मन सोचा कि चलो इसी बहाने से मुझे आंटी के ज्यादा करीब रहने का मौका भी मिल जाएगा और में भी झट से उस ऑटो में बैठ गया। अब ऑटो में सबसे पहले में बैठा बीच में आंटी और फिर अंकल बैठे हुए थे और में भी जानबूझ कर आंटी से थोड़ा ज्यादा चिपक चिपककर बैठा और आंटी भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी। फिर हम लोग कुछ ही देर में उनके घर पर पहुँच गये और तब मैंने देखा कि वो दूसरी मंजिल पर रहते थे। फिर में और आंटी अंकल को अपने कंधे का सहारा देकर उनके घर तक लेकर चले आए और वहां पर पहुंचते ही उन्होंने मुझसे कहा।

आंटी : चलो अब अंदर बैठो बेटा, में तुम्हारे लिए अभी चाय बनाकर लाती हूँ।

में : अरे आंटी नहीं रहने दो, में अब अपने घर के लिए निकलता हूँ और में फिर कभी आ जाऊंगा, अभी तो आप अंकल जी को थोड़ा मालिश कर दो, उनका पैर ठीक हो जाएगा, शायद उनको बहुत दर्द हो रहा होगा।

अंकल : अरे बेटा तुम बैठो ना थोड़ी देर चाय पीकर चले जाना, मेरा पैर ठीक हो जाएगा।

फिर उसके बाद में बैठ गया और आंटी अंदर किचन में हमारे लिए चाय बनाने चली गई। अब में और अंकल बातें करने लगे थे और अब मुझे थोड़ी प्यास लगी थी, इसलिए मैंने वहां पर एक जग रखा हुआ देखा तो मैंने उसे पीने के लिए उठा लिया, लेकिन फिर देखा कि उसमें पानी नहीं था, तब अंकल ने मुझसे कहा।

अंकल : तुम अंदर किचन में चले जाओ, वहां पर तुम्हारी आंटी होगी और वो तुम्हें पानी दे देगी, जाओ ना।

अब में भी वहां से उनके कहने पर तुरंत उठा और उनके किचन में चला गया और वहां पर जाकर मैंने देखा कि उनकी किचन थोड़ी छोटी सी थी और जब में अंदर गया, तब आंटी चाय बना रही थी और उनकी पीठ मेरी तरफ थी, में धीरे से उनके पीछे गया और मैंने उनके बालों की खुशबू को एक पल के लिए सूंघ लिया और तभी मेरा लंड खड़ा हो गया था और आंटी की गांड को छू गया और तभी मैंने आंटी से कहा।

में : आंटी मुझे पीने के लिए थोड़ा पानी चाहिए था।

अब आंटी ने बस अपनी गर्दन घुमाई और मुझसे उन्होंने फ्रीज से लेने के लिए बोल दिया तो मैंने भी बिना अपने लंड को हिलाए वैसे ही हाथ को आगे की तरफ बढ़ाकर फ्रीज से एक बोतल को बाहर निकाल लिया और अब में पानी पीने लगा था। आंटी अपने मुहं को आगे की तरफ करके मंद मंद मुस्कुरा रही थी, क्योंकि मेरा तना हुआ लंड अब उनकी गांड को धीरे धीरे चूम रहा था। अब मेरा लंड आंटी की गांड की दरार में बिल्कुल फिट हो गया था और मैंने धीरे से उसको आगे की तरफ धक्का दे दिया और मेरी इस हरकत पर आंटी ने भी गौर किया, लेकिन उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा, लेकिन तभी बाहर से अंकल की आवाज़ आ गई।

अंकल : अरे सरला ज़रा हर्ष के हाथों से मेरे लिए भी पानी भेज देना।

आंटी : जी हाँ, अभी भेजती हूँ।

में अभी भी आंटी के पीछे खड़ा हुआ था। फिर आंटी ने पलटकर मुझसे बहुत प्यार से कहा।

आंटी : जाओ बेटा तुम्हारे अंकल को प्यास लगी है, तुम उन्हें यह पानी दे दो और में चाय लेकर अभी आती हूँ।

फिर में भी उनके कहने पर पानी का बोतल लेकर बाहर आ गया और अंकल के साथ बैठ गया और फिर आंटी हमारे लिए चाय लेकर आ गई और हम लोगों एक साथ बैठकर चाय पीने लगे थे और फिर उन्होंने मुझसे मेरे घर वालों के बारे में पूछा और हमारे बीच थोड़ी इधर उधर की बातें भी हुई और में कुछ देर बाद अपने घर के लिए निकलने लगा। फिर में उसके बाद उठकर जाने लगा और आंटी मुझे दरवाजे तक छोड़ने बाहर आई। तभी मैंने थोड़ी हिम्मत करके आंटी का हाथ अपने हाथों में लेकर उनसे कहा।

में : आंटी में बिल्कुल सच कह रहा हूँ, में आपको बहुत पसंद करता हूँ, आप बहुत सुंदर हो।

फिर इतना कहकर मैंने तुरंत उनका हाथ चूम लिया, आंटी भी मेरी यह बात सुनकर शरमा गयी और अब उन्होंने हंसकर अपनी गर्दन को नीचे करके मुझसे कहा।

आंटी : चल तू मुझसे मजाक करता है, में कहाँ इतनी सुंदर हूँ।

दोस्तों में अब उनके और भी करीब आ गया और मैंने उनकी आँखों में आँखे डालकर कहा।

में : नहीं में बिल्कुल सच कह रहा हूँ कि आप बहुत सुंदर हो।

दोस्तों मैंने अपना एक हाथ उनके पीछे ले जाकर उनके कुल्हे के ऊपर रख दिया और अब में उनको अपनी तरफ खींचकर तुरंत उन्हें किस करने लगा। पहले आंटी ने मुझे दिखाने के लिए थोड़ा सा नाटक किया और फिर वो भी मेरा साथ देने लगी, करीब पांच मिनट के किस के बाद मैंने आंटी को छोड़ दिया, अब आंटी मेरी तरफ धीरे से मुस्कुराई और में उनको बाय बोलकर चला गया। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

दोस्तों फिर दो दिन के बाद में अंकल को सुबह सुबह देखने उनके हालचाल पूछने के लिए उनके घर पर गया था कि उनका पैर कैसा है? दोस्तों यह तो सिर्फ़ एक बहाना था, में असल में वहां पर आंटी से मिलने गया था और जब में वहां पर गया तो अंकल ने दरवाजा खोला।

अंकल : अरे हर्ष बेटा तुम, आओ आओ अंदर आओ।

में : हाँ अंकल अब कैसा है आपका पैर का दर्द?

फिर में और अंकल सोफे पर बैठकर बातें करने लगे। फिर मैंने उनसे पूछा कि आंटी कहाँ है? तब अंकल मुझसे बोले कि वो अभी अभी नहाने गयी है, तुम तो बेठो वो अभी कुछ देर में आती ही होगी। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है और फिर हम लोग इधर उधर की बातें कर रहे थे तो अंकल मुझसे बोले।

अंकल : तुम बैठो में तुम्हारे लिए पानी लेकर अभी आता हूँ।

में : अरे नहीं नहीं अंकल में खुद ले लूँगा, मेरे लिए आप मत तकलीफ़ उठाओ।

दोस्तों उनसे यह बात कहकर में उठकर किचन की तरफ जाने लगा। तभी मैंने देखा कि आंटी बाथरूम से बाहर निकली, वो उस समय सिर्फ़ टावल लपेटकर सीधा उनके बेडरूम में घुस गयी और यह मैंने देख लिया, अंकल अभी भी टी.वी. देख रहे थे। फिर में वहां से उठकर सीधा उनके बेडरूम की तरफ चला गया और मैंने देखा कि वो दरवाजा पहले से ही थोड़ा सा खुला हुआ था और आंटी पूरी नंगी होकर अपने बालों को साफ कर रही थी और उनकी पीठ दरवाजे की तरफ थी। अब में धीरे से उनकी तरफ चला गया और मैंने धीरे से आंटी को पीछे से हाथ डालकर पकड़ लिया और अब में उनकी गोरी गर्दन को चूमने लगा था और आंटी भी अपनी आँखे बंद करके मुझसे बोलने लगी।

आंटी : ओह्ह्ह्ह, आज यह क्या हो गया है तुम्हें जो इतने दिनों बाद अपनी बीवी पर इतना प्यार आ रहा है?

दोस्तों में उनके मुहं से वो बात सुनकर थोड़ा चकित हो गया था, क्योंकि आंटी को लग रहा था यह सब काम उनके साथ अंकल कर रहे है और फिर मैंने भी मन ही मन सोचा कि चलो आज थोड़ा इसी बात का फ़ायदा उठाया जाए और अब में धीरे धीरे आंटी के बूब्स को भी दबा रहा था और उनकी गर्दन को भी चूम रहा था, आंटी अब गरम होकर जोश में आकर धीरे धीरे मोन कर रही थी।

आंटी : आअहह्ह्ह्ह उहहह्ह्ह्ह तुम्हें यह क्या हो गया है?

अब मेरा हाथ आंटी के पूरे बदन पर घूम रहा था, में आप सभी को क्या बताऊँ कि सच में मुझे कितना मज़ा आ रहा था? मैंने आंटी की पूरी पीठ को चाट चाटकर गीली कर डाली थी और अब आंटी भी मेरे लंड को पकड़ने के लिए अपना एक हाथ पीछे कर रही थी, लेकिन तभी मैंने उनको सीधा किया और तब भी उनकी आँखे बंद थी और मैंने उनके होंठो पर अपने होंठ रखकर में उन्हें चूसने लगा था, उम्माआ आआहह्ह्ह्ह मुझे अब थोड़ा डर भी लग रहा था, क्योंकि अंकल कभी भी अंदर आ सकते थे और फिर आंटी ने आँखे खोली और देखा तो उनके सामने में था। दोस्तों में सच कहूँ तो उस समय आंटी का वो एकदम लाल पसीने से भीगा हुआ चेहरा देखने लायक था, क्योंकि वो मुझे अपने बदन से लपटे हुए देखकर बहुत हैरान थी और तब उन्होंने मुझसे कहा।

आंटी : हर्ष तुम?

फिर मैंने हंसकर उनको एक चुम्मी ले ली और में वहां से तुरंत बाहर आ गया और अब में बहुत मज़े से अंकल के साथ बैठकर टी.वी. देख रहा था।

अंकल : अरे तुमने इतनी देर कैसे लगा दी?

में : हाँ वो में थोड़ी देर आंटी से बात कर रहा था।

फिर आंटी कुछ देर बाद वहां पर हम सभी के लिए चाय लेकर आ गई, उन्होंने उस समय सिर्फ़ एक मेक्सी पहनी हुई थी और उसके अंदर कुछ भी नहीं पहना था, यह मुझे साफ साफ दिख रहा था और फिर आंटी आकर सीधा मेरे और अंकल के बीच में बैठ गयी।

अंकल : क्या बात है आज तुम इतनी देर तक नहाई, क्यों तुमने बहुत देर लगा दी?

आंटी : अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही समय लग गया।

अंकल : वैसे आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो।

फिर उन्होंने थोड़ा आगे बढ़कर आंटी के गाल पर मेरे सामने ही उन्हें एक किस कर दिया।

आंटी : क्या आप भी हर्ष के सामने ही चालू हो गये?

अंकल : अरे तो क्या हुआ उससे वो भी अब बड़ा हो गया और पूछ लो कि आज तुम कैसी लग रही हो, क्यों हर्ष?

में : हाँ आंटी, अंकल बिल्कुल सच कह रहे है, आज आप बहुत सुंदर लग रही हो।

आंटी : ऊहह तुम्हें बहुत बहुत धन्यवाद मुझे लगा कि कहीं तुम भी अंकल की तरह मुझे चूमोगे।

फिर आंटी हंसने लगी, अब में थोड़ा सा भ्रमीत हो गया और अब मैंने मन ही मन सोचा कि चलो एक बार हिम्मत करके देखते है।

में : अच्छा यह बात है तो यह लो महहाअ।

दोस्तों मैंने आंटी के गाल पर किस किया और यह देखकर अंकल हंसने लगे और कहने लगे।

अंकल : देखा मैंने कहा था ना कि तुम आज बहुत सुंदर लग रही हो, क्यों हर्ष?

में : हाँ अंकल सच में आंटी आज बहुत सुंदर लग रही है।

फिर यह कहने के बाद अंकल को भी जोश आ गया और वो आंटी के कंधे पर रखकर सीधा उनके होंठो को चूमने लगे। पहले तो आंटी ने थोड़ा सा नाटक किया, शायद उस समय में वहां पर था इसलिए, लेकिन फिर मैंने देखा कि वो भी अब अंकल का साथ दे रही थी। वाह दोस्तों सच में क्या सीन था, मेरा तो यह सब देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया था, लेकिन में चुपचाप सब कुछ देख रहा था। फिर कुछ पांच मिनट बाद वो दोनों अलग हुए और मेरी तरफ देखने लगे।

अंकल : क्यों हर्ष कैसा लगा?

में : वाह एकदम मस्त था अंकल मज़ा आ गया।

अंकल : अरे अभी कहाँ अभी तो और भी मज़े लेना बाकी है।

में : क्या मतलब में आपकी बातों का मतलब नहीं समझा?

फिर अंकल वहां से उठकर मेरे बाजू में आकर बैठ गये और उन दोनों के बीच में अब भी में बैठा हुआ था।

अंकल : हर्ष हुन्न्न्न मुझे सब पता है, तुमने जब से आंटी को देखा है, तब से तुम उसे चाहने लगे हो और तभी से हम दोनों ने यह सब नाटक किया था।

दोस्तों में तो उनके मुहं से यह बात सुनकर एकदम से डर गया था कि अब मेरे साथ क्या होगा, इसलिए में सिर्फ़ नीचे सर करके बैठा था।

अंकल : अरे तुम घबराओ मत, क्योंकि मुझे भी अपनी बीवी को मज़े करवाने थे।

फिर आंटी ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखा और फिर वो मुझसे कहने लगी।

आंटी : मुझे तो तुम उस दिन ही पसंद आ गय थे, जब मैंने तुम्हें बस में पहली बार देखा था और तुम उस दिन मुझसे चिपककर मेरे साथ वो हरकते करके मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे और में भी जानबूझ कर तुम्हारा पूरा साथ दे रही और तब से ही हम दोनों ने यह सब प्लान बना लिया था।

दोस्तों उन्होंने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मुझे स्मूच करने लगी। पहले मैंने उनका साथ नहीं दिया। फिर उन्होंने एक बार छोड़कर मेरी आँखो में देखा और फिर चालू हो गयी, उस टाईम में भी उनका पूरा साथ दे रहा था और हम दोनों करीब पांच मिनट तक स्मूच कर रहे थे और फिर मैंने देखा कि अंकल ने अपने पूरे कपड़े उतार दिए थे और वो आंटी की दूसरी तरफ बैठे हुए थे।

अंकल : आअहह मज़ा आ गया सरला, तुम्हें ऐसे हर्ष को चूमते देखकर में पागल हो चुका हूँ, अब हम सभी और भी बहुत मज़े करेंगे और इसके साथ मज़े करके तुम इसके साथ साथ मुझे भी खुश कर दो, वाह मज़ा आ गया।

आंटी : ऑश आप भी ना यह क्या कह रहे हो?

अंकल : अरे हर्ष तुम भी तैयार हो जाओ, चलो आज हम दोनों तुम्हारी आंटी को बहुत मज़े करवाते है।

आंटी : आओ हर्ष में तुम्हारे कपड़े उतार देती हूँ।

अब में और आंटी दोनों खड़े हो गए थे, तभी आंटी मेरी टी-शर्ट और पेंट को उतारने लगी थी, लेकिन तभी अंकल ने पीछे से आकर तुरंत आंटी की मेक्सी को उतार दिया और वो सोफे पर बैठकर आंटी की गांड को चाटने लगे थे और अब हम तीनो एक दूसरे के सामने पूरे नंगे थे।

आंटी : आआहह ऑश।

अब में और एक दूसरे को पूरे जोश में आकर आंटी स्मूच कर रहे थे और में साथ साथ उनके बूब्स को भी दबा रहा था और अंकल पीछे से लगातार उनकी गांड को चाट रहे थे, जिसकी वजह से आंटी अब सिसकियाँ लेने लगी थी। वो उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्हह्ह वाह मज़ा आ गया कह रही थी। दोस्तों वो क्या मस्त नज़ारा था, फिर 5 से 10 मिनट बाद अंकल ने आंटी को थोड़ा और झुका दिया और उन्होंने आंटी के पीछे से अपना लंड अंदर डाल दिया, क्योंकि दोस्तों शायद अब अंकल को कंट्रोल नहीं हो रहा था। तब मैंने भी सही मौका देखकर आंटी के मुहं में अपना लंड डाल दिया। अब आंटी मेरा लंड लोलीपोप की तरह बहुत मज़े लेकर चूस रही थी और अंकल पीछे से उनकी चूत में लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहे थे।

अंकल : आहह सरला सच में आज बहुत मज़ा आ रहा है, आहहह ओहह्ह्ह।

दोस्तों कुछ देर लंड को बहुत अच्छी तरह से चूसने के बाद आंटी ने मेरा लंड अपने मुहं से बाहर निकाल दिया और तब उन्होंने मुझे कहा।

आंटी : आअहह्ह्ह हाँ जी सच में बहुत मज़ा आ रहा है, आपने पहले कभी इतनी दमदार चुदाई नहीं की थी, अहहहहह और ज़ोर से चोदो अहहहहह।

फिर वो एक बार फिर से मेरा लंड मुहं में लेकर चूसने लगी थी। फिर 10 मिनट बाद अंकल झड़ गये और वो सोफे पर बैठकर हांफने लगे, अब आंटी भी खड़ी हो गई और वो मुझे अपनी बाहों में लेकर मुझे चूमते हुए बोली।

आंटी : लो इनका तो पूरा काम हो गया, अब तुम मुझे आराम से चोदना और जैसा चाहे वैसे चोदना।

में : हाँ मेरी जान अब तो में ही तुम्हे चोदूंगा।

फिर में भी उनको किस करने लगा और उनका एक पैर सोफे पर रखकर आगे से उनकी चूत में अपना लंड ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर अंदर घुसाने लगा और लंड फिसलता हुआ अंदर जाने लगा, क्योंकि उनकी चूत में पहले से ही बहुत पानी निकल रहा था, जिसकी वजह से चूत बिल्कुल चिकनी हो चुकी थी। अब लंड के पूरा अंदर जाते ही में जोरदार धक्के देने लगा और मेरे हर एक धक्के से वो पूरी हिलने लगती।

आंटी : आअहह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ हर्ष थोड़ा धीरे धीरे चोदो ना, में क्या कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ, आईईईई।

में : ऊह्ह्ह आंटी आपकी चूत ही इतनी गरम, सेक्सी है कि में अपने आपको रोक नहीं पा रहा हूँ, में क्या करूं आप ही मुझे बताए?

आह्ह्ह आहहहाः ऊहहह उसके बाद मैंने आंटी को सोफे पर लेटा दिया और अब में उन्हें मिशनरी पोज़ में चोदने  लगा था और 25 से 30 मिनट की चुदाई के बाद आंटी दो बार और में एक बार झड़ चुका था। मैंने अपना पूरा वीर्य उनकी चूत की गहराईयों में डाल दिया और हम तीनों भी ऐसे ही थोड़ी देर थककर लेटे रहे। उसके बाद आंटी ने हमे खाना बनाकर दिया और हम सभी ने एक साथ बैठकर खाना खाया। उसके बाद एक बार फिर से हमारी चुदाई का खेल चला। मैंने उनको बहुत जमकर चोदा और चुदाई खत्म होने के बाद में अपने कपड़े पहनकर घर आ गया, लेकिन अब जब भी हमे कोई अच्छा मौका मिलता तो हम तीनों मिलकर चुदाई करते है और बहुत मज़े लेते है ।।

धन्यवाद …

प्रीति भाभी की चूत का अनमोल रस - Prati Bhabhi Ki Choot Ka Anmol Ras

प्रीति भाभी की चूत का अनमोल रस - Prati Bhabhi Ki Choot Ka Anmol Ras, Antarvasna Story , Bur chodan , Chudwane ka irada , Chudkkad aurat , Ladki ki chudai , Chut ke Maje , Gand mari , khub choda , Masti se chod diya , Jabardast manoranjan ke sath chudwayi.

हैल्लो दोस्तों, में आज आप सभी कामुकता डॉट कॉम के चाहने वालों को अपनी एक बहुत अच्छी और बिल्कुल सच्ची चुदाई की घटना बताने जा रहा हूँ, जिसमें मैंने अपनी भाभी के साथ उनकी चुदाई के बहुत मज़े लिए और उनको अपनी पहली चुदाई से ही संतुष्ट किया और यह घटना अभी कुछ समय पहले मेरे साथ घटित हुई है। दोस्तों में एक बहुत खुले विचारों वाले परिवार से हूँ, हमारे कुछ रिश्तेदार गर्मियों की छुट्टीयों में हमारे साथ रहकर मज़े करने के लिए हमारे पास आ जाते थे और उन दिनों मेरे कज़िन का परिवार हमारे घर पर आया हुआ था। कज़िन ब्रदर उनकी बीवी और उनके वो प्यारे से दो बच्चे, मेरी कज़िन भाभी मानो स्वर्ग की अप्सरा लगती थी। उनकी उम्र 34 साल उनका फिगर 34-28-36 क्या मस्त दिखती थी, उनके दो बच्चे थे, एक का नाम गीतू (उम्र 5 साल) और शिव (उम्र 3 साल)। दोस्तों मेरी भाभी दो बच्चे होने के बाद और भी सुंदर लगने लगी थी, उनकी छाती पहले से ज्यादा उभरी हुई और गांड पहले से ज्यादा बाहर आने लगी थी। उनका धीरे धीरे पूरा शरीर भरने लगा था और शादी के कुछ सालों के बाद वो बातों में भी बहुत खुल गयी थी। अब में उनके बूब्स और चूतड़ देखकर वो मुझे किसी रसमलाई और बरफी जैसी लगने लगी थी और फिर मुझे जब भी मौका मिलता तो में उसकी रसीले बूब्स और गोलमटोल चूतड़ों को जी भरकर देखता था और मौका मिलने पर में किसी बहाने उनको छू लेता था और वो जब भी पास से गुजरती तो उनके बदन की खुशबू मुझे बहुत आकर्षित करती थी और में इस सोच में उनको मन ही मन सोचने लगा था।

एक दिन मेरे बड़े भाई को उनके काम से बाहर जाना पड़ा और उस वक़्त भाभी मुझे बहुत उदास लगी थी, क्योंकि मेरा भाई पूरे दो महीने के लिए बाहर जा रहा था, लेकिन उनके जाने के बाद में भाभी से बहुत घुलमिल सा गया था। में अब उनके बच्चो के साथ मस्ती करता तो कई बार में भाभी से अकेले में बात करता और चुपके से उनको छुआ भी करता था। भाभी भी अब मुझसे बहुत खुलकर बातें किया करती थी। फिर उस वक़्त मैंने भी मन ही मन सोच लिया था कि कैसे भी करके भाभी को किसी भी तरह से पटा लिया जाए और उनके रस भरे जिस्म को उत्तेजित किया जाए, जिससे वो खुद भी मुझसे चुदने के लिए बैचेन हो जाए। फिर वो एक दिन आ ही गया जब में भाभी से बात कर रहा था तो मैंने सही मौका देखकर उस दिन उनकी सुंदरता की बहुत तारीफ की और उनसे उनके कॉलेज के दिनों के बारे में पूछा, उनके दोस्त बॉयफ्रेंड सभी के बारे में उनसे जाना। फिर वो भी बहुत खुश होकर मेरे हर एक सवाल का जवाब दे रही थी और मैंने उन्हें गौर से देखा कि बातें करते करते उनके चेहरे का रंग बिल्कुल बदल सा गया है। तभी उन्होंने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा तो में उनसे बोला कि आप जैसी स्वर्ग की अप्सरा अब तक मुझे कभी नहीं मिली, मतलब कि मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं है तो मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो हंसने लगी और मेरे लंड की तरफ देखकर मुझसे बोली कि इस उम्र में गर्लफ्रेंड नहीं है तो तुम उसे कैसे सम्भालते हो? दोस्तों में उनके मुहं से यह शब्द सुनकर थोड़ा दंग रह गया और फिर मैंने मन ही मन सोचा कि भाभी को थोड़ा गरम गरम बातों से उत्तेजित किया जाए और फिर मैंने उनसे बोला कि में ऐसे ही काम चला लेता हूँ, लेकिन आपको देखकर मेरे विचार अब कुछ बदल से गये है और मैंने उनको कुछ सेक्सी जोक्स सुनाए, जिस पर वो हंसी और मुझे छूने लगी। अब उनसे बातों ही बातों में मैंने पूछ लिया कि भाभी कभी आपने शादी से पहले कभी कुछ किया था? तो भाभी थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली कि यह काम मेरा थोड़ा गुप्त है और में तुम्हें यह सब क्यों बताऊँ? तो मैंने कहा कि में आपका कोई पराया थोड़ी ही हूँ, साली जैसे आधी घरवाली होती है ठीक वैसे ही में भी आपका आधा घरवाला हूँ। फिर मेरे मुहं से यह सुनकर वो थोड़ा सा शरमाई और वो मेरी बात को टालने लगी, लेकिन में अब उनका ऐसे कैसे पीछा छोड़ने वाला था। उसके बाद वो उठकर किचन में चली गयी और कॉफी बनाने लगी। में भी एकदम सही मौका देखकर उनके पीछे पीछे किचन में चला गया और अब में उनके पीछे ही पड़ गया और मैंने महसूस किया कि भाभी शरम से बिल्कुल लाल हो गई थी और अब मैंने उनसे बिना डरे पूछा कि आपने पहली बार सेक्स का अनुभव कब लिया था और वो आपको कैसा लगा था? तो वो शरम से बोली कि जब तुम्हारा वक़्त आएगा तब तुम्हें अपने आप पता चल जाएगा। दोस्तों उनका रुखा सुखा सा जवाब सुनकर मेरा तो मूड ही खराब हो गया, लेकिन भाभी अब शायद कुछ कहना चाहती थी और यह बात तो पक्की थी। फिर थोड़ी देर बाद बच्चे भी आ गए।

फिर उसी दिन दोपहर को में भाभी के बारे में सोच रहा था, उनकी मस्त मस्त गांड और बूब्स मेरे लंड को खड़ा कर रहे थे और में अपने लंड को धीरे धीरे सहला रहा था। तभी भाभी मेरे रूम में आ गई और उन्होंने मेरे खड़े लंड को पेंट के ऊपर से ही टेंट बना हुआ देख लिया। में अभी भी अपने लंड को सहला रहा था तो उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई और में अचानक से घबराकर उठ गया। अब भाभी ने मुझसे पूछा कि क्यों तुम ऐसा क्या सोच रहे हो? मुझे लगता है कि तुम्हें अब किसी गर्लफ्रेंड की बहुत ज़रूरत है? तो में डरकर घबराकर कुछ नहीं बोला। भाभी मेरे पास आकर बैठ गई और फिर वो मुझसे बोली कि मुझे ऐसा लगता है कि तुम किसी के बारे में सोच रहे हो? अब मैंने थोड़ा उदास होकर उनसे कहा कि जी ऐसा कुछ नहीं है, में तो बस आपके बारे में ही सोच रहा था। दोस्तों भाभी को देखकर मेरा लंड अब और भी जोश में आ गया था, इसलिए मैंने थोड़ी हिम्मत करके भाभी का एक हाथ पकड़ा और उनको बेड पर बैठा दिया और तुरंत उनकी गोद में अपना सर रख दिया और फिर मैंने उनसे बोला कि भाभी आपको देखकर मुझे कुछ कुछ होता है तो भाभी थोड़ा मुस्कुराते हुए मुझसे पूछने लगी कि तुम्हें ऐसा क्या होता है? अब मैंने झट से उनका एक हाथ उठाकर अपने लंड पर रख दिया। फिर मेरे लंड का अपने हाथ पर स्पर्श होते ही वो चकित हो गयी और अब उनकी सांसे धीरे धीरे फूलने लगी, लेकिन उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड से नहीं हटाया और वो अब मुझसे पूछने लगी कि तुमको मुझमे ऐसा क्या अच्छा लगता है? तो उनकी यह बात सुनकर मुझे लगा कि यही एकदम सही मौका है, में उनसे बोला कि आपकी आखें, आपकी बातें, आपके बूब्स और आपकी गांड का तो में बहुत दीवाना हो गया हूँ, जी करता है कि में उनको आईस्क्रीम की तरह चूस लूँ और खा जाऊँ। तभी मेरे मुहं से यह बात सुनकर उन्होंने मेरे लंड को मसल दिया। फिर वो मुझसे बोली कि मेरे साथ तुम्हें और क्या क्या करना है? तो में उनकी तरफ से हरी झंडी देखकर तुरंत उठकर खड़ा हो गया और अब मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया और उनके बूब्स को अपनी छाती से दबाया और साड़ी के ऊपर से उनकी गांड पर हाथ फेरा। भाभी ने भी मेरा साथ दिया और उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पेंट में डालकर वो मेरे लंड को मसलने लगी और वो मुझसे बोली कि में भी बहुत प्यासी हूँ और तुम्हारा लंड अब मुझे बहुत गरम कर चुका है, आज तुम मेरे और में बस तुम्हारी बनकर ही रहेंगे, लेकिन तुम यह बात किसी को बताना नहीं। दोस्तों उनके मुहं से यह बात सुनकर में खुश हो गया और मैंने उनके होंठो पर अपने होंठ रख दिए, तभी वो तुरंत पीछे हटकर मुझसे कहने लगी कि अभी नहीं अभी में सिर्फ़ तुम्हारे लंड को देखना चाहती हूँ और उसे छूकर महसूस करना चाहती हूँ। फिर मैंने तुरंत अपने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया और उन्हें अंदर खींच लिया, वो अब मुझसे लिपटी हुई थी और उनकी सांसे बहुत तेज चलने लगी थी, उनकी इस अदा पर मुझे बहुत प्यार आया और में उनके होंठो को चूसने लगा। फिर में उनसे कहने लगा कि प्रीति तुम एक कामुक परी हो और मैंने उनके बूब्स दबाए और वो अहहहहाह उह्ह्हह्ह्ह्ह आईईईइ हाँ थोड़ा और ज़ोर से। फिर में अपना एक हाथ साड़ी के ऊपर से उनकी चूत को लगाने लगा और चूत को सहलाने लगा और मेरी इस हरकत से वो और भी पागल हो गयी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

तभी बाहर से किसी की आवाज़ आई और उनकी सांसे अचानक से एक ही जगह पर रुक सी गई, थोड़ी देर बाद वो मुझसे बोली कि अभी तुम बस ऊपर से ही करो, रात को हम पूरा मज़ा लेंगे। फिर मैंने कहा कि ठीक है और अब मैंने उनको पकड़कर दीवार से चिपका दिया और मैंने प्रीति के दोनों पैर फैलाए और उनकी साड़ी, पेटीकोट को थोड़ा ऊपर उठाया और तभी मैंने थोड़ा झुककर देखा तो भाभी ने लाल कलर की पेंटी पहनी हुई थी, जो उनकी चूत के आसपास वाले हिस्से से थोड़ी गीली हुई थी और उससे मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। फिर में अब पेंटी के ऊपर से उनकी चूत को चाटने लगा, जिसकी वजह से वो भी और गरम होकर अपनी चूत को मेरे मुहं पर दबाने लगी और कहने लगी कि हाँ ऐसे ही उफ्फ्फ वाह मज़ा आ गया और अंदर तेज तेज आहहाहा उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्ह वो अब मेरे सर को पकड़कर अंदर दबा रही थी और धीरे धीरे मोन कर रही थी और तभी मुझे अहसास हुआ कि भाभी अब झड़ने वाली है और वो आवाज़ करते हुए झड़ गई। उनकी गीली पेंटी को में और चाटने लगा, वो कुछ शांत हो गई। अब उन्होंने मुझे अपने ऊपर से हटाया और वो अपनी साड़ी को ठीक करके मुझसे बोली कि तुम अपनी बाकी की मुराद आज रात को पूरी कर लेना, लेकिन मेरा अभी तक कुछ हुआ ही नहीं था, लेकिन फिर भी में उनकी बात को मान गया और अब हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए। फिर भाभी घर का कुछ काम निपटाने के लिए मेरे कमरे से बाहर चली गयी और में रात होने का बहुत बेसब्री से इंतज़ार करने लगा और कुछ घंटो के बाद रात को डाइनिंग पर बैठे हम सब लोग खाना खाने लगे। तब मैंने गौर किया कि मेरी भाभी मेरे शरीर से अपना शरीर अचानक से कुछ बहाने से छू देती थी और एक बार तो उन्होंने उनकी चूत वाला हिस्सा जानबूझ कर मेरे हाथ से रगड़ दिया और वो मुस्कुराने लगी। मैंने उनके बच्चो के साथ खाना खाया और बाद में कुछ देर उनके साथ टी.वी. देखने लगा और भाभी भी कुछ देर बाद खाना खाकर आई और मेरे पास बैठकर टी.वी. देखने लगी, थोड़ी देर में बच्चो को नींद आने लगी। फिर भाभी उनको अपने बेडरूम में सुलाने ले गई और अब में भी अपने बेडरूम में चला गया और भाभी का इंतजार करने लगा। दोनों बच्चे जब गहरी नींद में सो गए तो उसके बाद भाभी ने मेरे रूम का दरवाजा खोला और वो अंदर आई, उन्होंने उस समय गुलाबी कलर की मेक्सी पहनी हुई थी और वो बहुत गजब लग रही थी। अंदर आते ही उसने दरवाजा अंदर से बंद किया और फिर मेरे पास आकर बैठ गई, लेकिन में जानबूझ कर नाराज़ होने का नाटक करने लगा। अब वो मुझे मनाने लगी, भाभी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और वो मुझसे बोली कि ओ मेरे सय्या इतना क्यों नाराज हो और उन्होंने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए और में भी उनका साथ देने लगा। मैंने उनको खड़ा किया और गौर से देखने लगा। फिर वो मुझसे बोली कि मुझे यूँ क्या देख रहे हो क्या आज मुझे पूरा ही खा जाओगे? तो मैंने उनसे बोला कि में इस दिन का कब से इंतजार कर रहा था? और फिर में उनसे लिपट गया और उनको चूमने लगा, कभी गर्दन पर, कभी गालों पर, उनके बालों पर हाथ फेरने लगा और वो बिल्कुल मदहोश होकर मोन करने लगी, हाँ उह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह। अब में साड़ी के ऊपर से ही उनके बूब्स को दबाने लगा, उनके होंठो को चूमता, होंठो से होंठ रगड़ता हुआ उनकी पीठ को सहलाता रहा और अब हमारी सांसे धीरे धीरे तेज होने लगी और में मानो उस पर टूट पड़ा और चुम्मो की बौछार करने लगा। वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और पीठ से होकर में अब उसकी गांड पर आता गांड के गोलो को सहलाता और भाभी को पूरी तरह जोश में भर दिया।

अब ऐसे ही मैंने उनको दीवार से चिपकाया और एक पैर से उनकी चूत को रगड़ने लगा और एक हाथ से बूब्स को दबाता तो दूसरे हाथ से उनकी गांड को दबाता रहा और उनको चूमते चूमते में नीचे आ गया। फिर मैंने बूब्स को चूमा, पेट को काटा, जांघ पर अपनी जीभ चलाने लगा और अब में उनकी मेक्सी को धीरे से ऊपर उठाकर कमर तक ले आया। मैंने उसके नीचे उनकी वो सेक्सी लाल कलर की बिकनी देखी जो चूत के रस से गीली थी और बहुत महक रही थी। मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी गांड को दबाई और चूत को बिकनी के ऊपर से रगड़ने लगा और वो मेरा सर दबाकर मोन करने लगी। फिर मैंने उनकी बिकनी को उतार दिया और अब में उस प्यासी चूत को चूसने लगा और उनकी चूत के दाने को अपनी जीभ से छूकर सहलाने लगा, वो और भी अब ज़ोर ज़ोर से मोन करने लगी और मेरे सर को अपने दोनों हाथों से अपनी चूत पर दबाने लगी। अब में उन्हें उठाकर बिस्तर पर ले आया और मैंने उनकी मेक्सी को उतार दिया। फिर उन्होंने भी मेरे सारे कपड़े तुरंत उतार दिए और अब हम नंगे बिस्तर पर एक दूसरे की बाहों में थे और वो मेरे लंड को सहला रही थी। फिर मैंने उनके दोनों पैरों को पूरा फैलाया और चूत को चाटने लगा, वो भी अपनी गांड को उठा उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी, हाँ ऐसे ही चाटो उफ्फ्फ्फफ्फ आह्ह्ह्हह्ह मेरी चूत को मुझे। मुझे और भी जोश चढ़ गया और में उनकी चूत को खाने लगा और वो चिल्लाने लगी, आह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ हाँ खा जाओ मेरी चूत को तुम कितने अच्छे हो, हाँ थोड़ा अंदर तक चाटो मेरी प्यासी चूत को आईईईई तुम्हारे भैया मेरे साथ कभी ऐसा नहीं करते। अब में अपने एक हाथ से उनकी गांड को दबाने लगा और गांड के कुल्हो को दूर करके गांड के छेद को सहलाने लगा। कूल्हों को दबाते ही उसके शरीर में मानो बिजली टूट पड़ी। फिर में अपनी जीभ को नीचे ले आया और उसकी जांघो को चूमने लगा, कूल्हों को चूमने लगा, गांड के छेद को सूंघने लगा, वाह क्या खुशबू थी? मैंने अब उसके कूल्हों को दूर करके छेद पर अपनी जीभ को रखकर चाटने लगा और वो मानो सातवें आसमान पर पहुंच गई और मुझसे कहने लगी हाँ और ज़ोर से चाटो मेरी चूत और गांड को, में अपनी ज़बान से गांड के छेद को खोलने लगा और नहीं खुली तो अपनी एक ऊँगली को गीला करके गांड के छेद में डालने की कोशिश करने लगा तो वो उस दर्द से कसमसाई, लेकिन मैंने महसूस किया कि उसकी गांड बहुत टाईट थी, मेरी ऊँगली अपना पूरा ज़ोर लगाने पर अंदर जा नहीं रही थी और अब उसे दर्द होने लगा। में गांड को छोड़कर अब उसकी चूत को चाटने लगा। फिर हम दोनों 69 पोज़िशन में आ गए। मैंने उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा और वो मेरा लंड को अपने मुहं में अंदर तक लेने लगी। में जैसे ही उसकी चूत रगड़ता तो वो मेरे लंड को काट खाती और वो अब बहुत कामुक होने लगी थी और कुछ देर बाद वो अपना पूरा ज़ोर लगाकर अपनी चूत का पानी छोड़ने लगी और मैंने उसका पूरा रस पी लिया ।।

धन्यवाद …

मेरी भाभी और वो काला आदमी - Meri Bhabhi Aur Vo Kala Aadmi

मेरी भाभी और वो काला आदमी - Meri Bhabhi Aur Vo Kala Aadmi, Antarvasna Story , Bur chodan , Chudwane ka irada , Chudkkad aurat , Ladki ki chudai , Chut ke Maje , Gand mari , khub choda , Masti se chod diya , maje me chodi , Lund chusa . Laude ki chusai , Jabardast manoranjan ke sath chudwayi.

हैल्लो दोस्तों, में सागर एक बार फिर से हाजिर हूँ और आप सभी कामुकता डॉट कॉम के चाहने वालों के सामने अपनी दूसरी कहानी के साथ है और में उम्मीद करता हूँ कि यह आप सभी जरुर को पसंद आएगी। दोस्तों मेरे घर में हम पांच लोग ही है, में, मेरी मम्मी, पापा, बड़े भैया और भाभी। दोस्तों मेरे पापा एक सरकारी नौकर थे, लेकिन अब वो रिटायर्ड है और अपनी एक दुकान पर बैठकर अपना टाईम पास करते है। मेरी मम्मी घर में रहती और घर के छोटे मोटे कामों में मेरी भाभी की मदद करती है। भैया और भाभी दोनों ही अलग अलग सरकारी सेक्टर में है और में दिल्ली में रहकर फील्ड की नौकरी करता हूँ।

दोस्तों उस समय यहाँ पर बहुत गरमी हो रही थी और में एक सिगरेट की दुकान पर रुककर पेप्सी और सिगरेट पी रहा था। तभी कुछ देर बाद उसी दुकान पर एक आदमी बाईक लेकर आया, उसके साथ एक औरत भी पीछे बैठी हुई थी और जिसने अपने मुहं पर साड़ी का पल्लू लिया हुआ था। में उस समय बिल्कुल कोने में खड़ा हुआ देख रहा था। तभी उस आदमी ने बिना अपना हेलमेट उतारे उस दुकान से एक कॉंडम का पैकेट ले लिया और वापस जाने लगा। उस औरत ने एक पर्स अपने कंधे पर लटकाया हुआ था, उसको देखकर में बहुत हैरान हो गया और फिर में मन ही मन सोचने लगा कि यह तो वही पर्स है जो मम्मी ने मेरी भाभी को गिफ्ट दिया था और फिर उस आदमी ने अपनी बाईक पर किक मारी और वो चल दिया, लेकिन में अब भी उसके बारे में सोच रहा था। तभी अचानक से में अपने होश में आ गया और मैंने अपनी बाईक को स्टार्ट किया और धीरे धीरे उसके पीछे जाने लगा। फिर कुछ दूरी पर चलने के बाद वो एक सरकारी क्वॉर्टर की तरफ मुड़ गए तो में भी उनके पीछे पीछे हो लिया और फिर वो एक बिल्कुल कोने के मकान के पास जाकर रुका।

दोस्तों में वहाँ पर बहुत बार जा चुका था और वो मकान आगे से अक्सर बंद ही रहता था, लेकिन उसके पीछे की तरफ एक कमरा था, जिसका दरवाजा हमेशा खुला ही रहता था।

मैंने कई बार वहाँ पर जाकर पेशाब भी किया था, वो अपनी गाड़ी से नीचे उतरे और वो आदमी उस मकान का दरवाजा खोलने लगा और फिर वो दोनों तुरंत अंदर घुस गये। फिर में भी जल्दी से पीछे की तरफ भागा और उस कमरे से अंदर की तरफ देखने लगा। उस औरत ने अंदर जाते ही अपनी चुन्नी को उतार दिया और उसके चुन्नी को उतारते ही में तो उसे एकदम चकित होकर देखता ही रह गया, क्योंकि वो मेरी भाभी ही थी। दोस्तों में आप सभी लोगों को बता दूं कि मेरी भाभी की उम्र करीब 38-40 के बीच होगी और फिर उन्होंने अपनी चुन्नी को उतार दिया और उस आदमी से पूछा कि मुझे फ्रेश होना है तो वॉशरूम कहाँ है? तो उसने हाथ का इशारा करके बताया। में लगातार उस आदमी को देख रहा था और उसके बारे में सोच रहा था। वो करीब 45- 50 के बीच का काला बहुत अजीब सा था और वो ज़्यादा लंबा चौड़ा भी नहीं था, मेरे भैया के मुक़ाबले तो वो आधा भी नहीं था। फिर भाभी ऐसा कैसे कर सकती है, उन्हे पूरी दुनिया में क्या बस यही आदमी मिला था यह सब करने के लिए, में यह सारी बातें सोचता रहा। फिर वो कुछ देर बाद वॉशरूम से फ्रेश होकर बाहर आई और आते ही उस आदमी ने उन्हें तुरंत अपनी तरफ खींचकर चूमना, चाटना शुरू कर दिया और वो बिल्कुल पागलों की तरह उनके गोरे गोरे गाल और गुलाबी होंठ चूम और चाटे जा रहा था।

फिर भाभी ने उससे कहा कि इतने जल्दी में क्यों हो थोड़ा आराम से मज़े लेंगे, हमारे पास तो अभी बहुत टाईम है और वो उसका हाथ पकड़कर उसे बेड की तरफ लेकर चली गयी और वो बेड पर लेट गई। अब उसने भाभी का पल्लू हटाया और ब्लाउज के ऊपर से ही उनके बूब्स को चूमने लगा और दबाने लगा। भाभी की आँखें बंद थी और वो तेज़ तेज़ साँसें ले रही थी। अब वो धीरे धीरे नीचे की तरफ जाने लगा और उनकी नाभि में अपनी जीभ को डालने लगा और दोनों हाथों से उसके बूब्स को दबाने लगा था और नीचे जाकर वो भाभी की साड़ी को खोलने लगा और भाभी की मदद से उसने पूरी साड़ी को उतार दिया। फिर वो पेटिकोट भी खोलने लगा और भाभी की गोरी गोरी जांघे अब उसके सामने थी। वो देखकर साला पागल हो गया और अब वो मेरी भाभी के पूरे पैर और तलवे को चाटने लगा। दोस्तों मैंने देखा कि भाभी ने उस समय लाल कलर की पेंटी पहनी हुई थी, वो तो अब ऐसे पागल हो गया जैसे पहली बार किसी को ऐसे देख रहा था और भाभी भी उसको देखकर हंस रही थी और फिर वो उससे कहने लगी कि पहली बार किसी को इस तरह से देख रहे हो क्या? तो वो बोला कि हाँ में आज इस तरह इतनी गोरी औरत को पहली बार ही देख रहा हूँ। फिर भाभी बोली कि तुम झूठ मत बोलो इतना मोटा और लंबा हथियार लेकर घूमते हो और इससे पहले कभी इतनी गोरी औरत से नहीं किया, ऐसा हो ही नहीं सकता।

दोस्तों में अपनी भाभी के मुहं से यह सब सुनकर बहुत हैरान था और अब वो पहली बार भाभी को ऐसे देख रहा था और में सोच रहा था कि भाभी को बिना देखे कैसे पता कि उसका लंड कितना लंबा और मोटा है? अब वो अपना काम करने में लगा हुआ था। फिर वो ऊपर की तरफ बढ़ने लगा और अपनी जीभ से चाटने, चूमने लगा और फिर ब्लाउज को खोलने लगा और जैसे ही उसने ब्लाउज को खोला तो वो भाभी की लाल कलर की ब्रा को देखकर तो भाभी के ऊपर जैसे टूट पड़ा हो। अब कभी वो चूमता तो कभी चाटता और कभी काट रहा था, जिसकी वजह से भाभी के गाल, छाती और गला पूरा लाल हो गये थे। फिर भाभी ने उसे रोका और बोला कि तुम अब अपने कपड़े भी तो उतारो तो वो खड़ा हुआ और अपनी शर्ट और पेंट को उतारने लगा और जैसे ही वो अंडरवियर में आया तो उसके लंड का उभार इतना था कि मानो उसकी नाभि तक लंड के खड़े होने की वजह से छुप गयी थी। फिर भाभी ने उसका तनकर खड़ा लंड देख और उस पर अपना हाथ फेरने लगी, वो उस समय खड़ा था और भाभी लेटी हुई थी और हाथ फेरते फेरते भाभी ने उसका अंडरवियर उतार दिया और अब उसका लंड ऐसे सामने आया जैसे पिंजरे से भूखा शेर आज़ाद हो गया हो और फिर भाभी उसका लंड देखकर पागल हो गयी और एकदम से उसके काले टोपे को अपनी जीभ से चाटने लगी। सच में उसका लंड बहुत मोटा और लंबा था, भाभी तो उसका सिर्फ़ टोपा ही अपने मुहं में ले पा रही थी और भाभी के गोरे गाल और गुलाबी होंठो के बीच वो काला लंड ऐसा लग रहा था जैसे सफेद टीले पर कोयले का निशान पड़ गया हो। फिर भाभी वहाँ पर चूसने में लगी हुई थी और में यहाँ पर ढीला हो गया था। फिर मेरा तो यह सब देखते ही झड़ गया और उस साले का क्या हाल हो रहा होगा मुझे नहीं पता? तो भाभी बहुत देर तक उसका लंड चूसती रही और फिर उसने भाभी के बाल पकड़ लिए और हल्के हल्के झटके देने लगा और वो कहने लगा कि में अब झड़ने वाला हूँ, उफ्फ्फ में झड़ जाऊंगा। फिर भाभी अब और भी मस्ती में आकर उसका लंड चूसने लगी और थोड़ी देर बाद वो भाभी के मुहं में ही झड़ गया और भाभी उसका सारा पानी पी गई जैसे जन्मो से प्यासी हो।

फिर वो कहने लगा कि ऐसा क्यों किया? अब जल्दी खड़ा नहीं होगा तो भाभी कहने लगी कि जल्दी किसको है और रही बात खड़ा करने की तो में वो सब कुछ कर दूँगी और तुम उस बात की बिल्कुल भी चिंता मत करो। फिर भाभी ने उसको पलंग पर लेटा दिया और उसके निप्पल को चूसने और चूमने लगी और उसकी छाती पर बहुत बाल थे और वो बालों पर हाथ भी फेरे जा रही थी और धीरे धीरे नीचे की तरफ आने लगी, उसकी नाभि जो कि बालों से घिरी हुई थी, उस पर अपनी जीभ घूमाने लगी और जिसकी वजह से वो तो साला लेटे हुए जन्नत की सेर कर रहा था। फिर उसके लंड पर भाभी अपने बूब्स को रगड़ने लगी, उसका लंड ढीला था और तब भी आकार में बहुत बड़ा था और फिर वो अपनी जीभ उसके टोपे पर फिराने लगी और पूरे लंड को चाटने लगी और गंदी गंदी बातें करने लगी जैसे कि वाह क्या मस्त लंड है तेरा, तू कहाँ था अब तक, इतना मोटा लंड लेकर ऑफिस में आस पास घूमता रहता था। एक बार आकर मेरी गांड पर रगड़ देता या दरवाज़ा खोलकर मूत करता तो अब तक तो में इसका सारा रस निचोड़ लेती और इसको जवान कर देती, अब जब भी बोलूँगी तो तू मुझे यहाँ जरुर लेकर आएगा, वरना में ऑफिस में तेरा जीना मुश्किल कर दूँगी और यह बात कहते कहते उसका लोड़ा भाभी अपने मुहं में लेकर चूस रही थी। दोस्तों अब यह सब देखकर तो मेरा लंड दोबारा से तनकर खड़ा हो गया था और में बहुत जोश में आ गया था। भाभी के मुहं से यह सब सुनकर मुझे पहले बहुत अजीब लगा, लेकिन अब बहुत मज़ा आने लगा था। अब वो भी मज़े से उछलने लगा और कहने लगा कि अब में तुझे अपनी रखैल बनाकर रखूँगा और हर दिन तेरी चूत की चुदाई जरुर करूंगा और तेरी चूत को चोद चोदकर आज में भोसड़ा बना दूंगा। फिर भाभी बोली कि तेरा लंड देखकर तो कोई भी औरत इसकी गुलाम हो जाए, अब में तेरी गुलाम रखैल रंडी सब बनकर रहूंगी और तुझे वो सारे सुख दूँगी जो में तुझे अपनी तरफ से दे सकती हूँ और मैंने कभी सुना था कि कोयले की खान में ही हीरा मिलता है और आज मैंने देख भी लिया। दोस्तों में अपनी भाभी को ऐसे देखकर बहुत हैरान था कि जो औरत घर में हमेशा घूँघट में रहती है, वो किसी गैर मर्द के साथ इतना सब कुछ एक अनुभवी रंडी की तरह क्यों कर रही है? वो अब उस आदमी का लंड अपने बूब्स के बीच में रखकर चूसने लगी थी, जैसे कि इसके बाद यह पल कभी नहीं आएगा और धीरे धीरे भाभी ने उसका लंड खड़ा कर ही दिया। फिर भाभी ने अपनी पेंटी उतारी और उसके लंड के ऊपर बैठ गई, लेकिन वो उसका आधा लंड ही अपनी चूत के अंदर ले पा रही थी, क्योंकि लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और भाभी की चूत का छेद थोड़ा छोटा था और भाभी की आँखो से आँसू गिरने लगे, लेकिन अब भी वो लगातार कोशिश किए जा रही थी। वो भाभी के नीचे लेटा हुआ देख रहा था और हंस रहा था और अब पहले धीरे धीरे, लेकिन फिर एक झटके से वो उस लंड पर बैठ गई, जिसकी वजह से लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर घुस गया और वो चीख पड़ी। कुछ देर ऐसे ही बिना हिले बैठी रही। फिर जब वो थोड़ा शांत हुई तो वो आदमी नीचे से हल्के झटके देने लगा और थोड़ी देर झटके देने के बाद भाभी भी एकदम पहले जैसी हो गई और वो अब लंड पर उछलने लगी और लंड पूरा चूत से बाहर निकलता और फिर वो अंदर डाल लेती और ऐसे ही करीब 20 मिनट तक वो अपने तरीके से लंड को लेती रही और पता नहीं वो कितनी बार झड़ गयी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर भाभी ने उससे बोला कि अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ तो वो आदमी तुरंत उठा और भाभी से उसने घोड़ी बनने के लिए कहा और भाभी उसके सामने जल्दी से बन गयी और फिर उसने अपना लंड पीछे से भाभी की चूत में डाल दिया। अब भाभी की चूत थोड़ी सी सूज गई थी और एकदम लाल भी हो गयी थी, लेकिन वो तो पागलों की तरह पीछे से भाभी के बूब्स पकड़कर उन्हें लगातार धक्के देकर चोदे जा रहा था। वो कभी भाभी की गांड पर हाथ फेरता, पूरी पीठ पर चूमता काटता और फिर वो पूछने लगा कि क्यों मज़ा आ रहा है कि नहीं? तो भाभी बोली कि हाँ मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है, में तो पहले ही समझ गई थी कि तुम मुझे आज खुश कर दोगे और बहुत मज़ा दोगे। फिर वो बोला कि क्यों तेरा पति तुझे ढंग से नहीं चोदता क्या? तो भाभी बोली कि ऐसी कोई बात नहीं है, वो मुझे खुश कर देते है, लेकिन मैंने जब से अपनी दोस्त से तुम्हारे बारे में सुना तब से पता नहीं मुझे क्या हो गया और कुछ समझ में नहीं आया। फिर वो बोला कि क्यों जब तुमने पहली बार मेरा लंड देखा तब तुम्हें कैसा लगा था? भाभी बोली कि में तो तुम्हारा लंड उस एक वीडियो में देखकर ही पागल हो गई थी, जिसमें तुमने मेरी उस दोस्त की चूत को चोद चोदकर उसकी माँ चोद दी थी, वो वीडियो मुझे मेरी दोस्त ने दिखाई थी। दोस्तों में उनकी बातें सुनकर समझ गया था कि कैसे और कब देखा भाभी ने इसका लंड देखा था और करीब 45 मिनट तक घोड़ी बनाकर भाभी को चोदते हुए उसने कहा कि अब में झड़ने वाला हूँ, अंदर डालूँ या बाहर? फिर भाभी ने कहा कि बाहर गिराना होता तो लंड पर कॉंडम लगाते ना बिना कॉंडम के करने दिया है, इसका मतलब अंदर ही झाड़ दो। फिर वो बोला कि अरे हाँ मैंने वो कंडोम का पैकेट तो बेकार ही लिया। भाभी बोली कि कोई बात नहीं तुम उसे अगली बार काम में ले लेना और अब तो हमारी चुदाई ऐसे ही चलती रहेगी और फिर वो झड़ने लगा तो उसने भाभी की गांड को पकड़कर अपना पूरा माल उनकी चूत में डाल दिया और उन्हीं के ऊपर लेट गया और करीब 15 मिनट तक वो दोनों ऐसे ही लेटे रहे और एक दूसरे को सहलाते रहे। फिर भाभी और वो वॉशरूम में साथ चले गये और दोनों ने एक दूसरे को साफ किया और वापस बाहर आकर उसने भाभी को पेंटी पहनाई और फिर भाभी कांच के सामने अपने बाल बनाने लगी और वो पीछे से जाकर भाभी से लिपट गया और भाभी ने उससे पूछा कि क्यों मज़ा आया? तो उसने कहा कि हाँ बहुत मज़ा आया काश कि तुम मेरी बीवी होती तो में तुम्हें ऐसे ही दिन रात चोदता रहता और अपना लंड सदा तुम्हारी चूत में डालकर पड़ा रहता। फिर भाभी तुरंत उससे बोली कि अब से में तुम्हारी रखैल हूँ और भाभी ने उसे अपना मंगलसूत्र उतारकर दे दिया और कहा कि तुम मुझे पहनाओ।

फिर उसने भाभी के बाल को एक साईड किया और उन्हें वो मंगलसूत्र पहनाया और फिर भाभी ने पर्स से सिंदूर निकाला और कहा कि भर दो तुम आज मेरी माँग। फिर उसने भाभी की माँग भरी और भाभी ने नीचे झुककर उसका लंड छुआ और चूमा और कहने लगी कि अब से इस पर मेरा भी पूरा हक हो गया है और गले लग गयी। फिर उसने और भाभी ने पूरे कपड़े पहने और फिर घर से बाहर निकलने से पहले उसने और भाभी ने स्मूच किया और एक दूसरे की जीभ को चाटा और वहाँ से निकल गये और थोड़ी देर बाद में भी वहाँ से निकल गया। फिर शाम को जब में अपने घर पर पहुंचा तो मैंने देखा कि भाभी खाना बना रही थी और सब लोग हॉल में बैठे हुए थे। उन्होंने मुझे आकर पानी दिया और घूँघट करके वापस किचन में चली गयी। फिर रात को सबने साथ खाना खाया और फिर सब अपने रूम में चले गये। मैंने जाकर भैया के रूम में देखा तो भाभी भैया से ऐसे बात कर रही थी जैसे वो उनसे बहुत प्यार करती है और उनके लिए सब कुछ कर सकती है। दोस्तों में तो हैरान था कि वो ऐसे बातें कर रही है जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं और उनके चेहरे पर बिल्कुल भी दुख नहीं है बल्कि बहुत खुश है ।।

धन्यवाद …

एक बच्चे की माँ को पटाकर चोदा - Apni Padosan Ko Patakar Choda

एक बच्चे की माँ को पटाकर चोदा - Apni Padosan Ko Patakar Choda, Antarvasna Story , Bur chodan , Chudwane ka irada , Chudkkad aurat , Ladki ki chudai , Chut ke Maje , Gand mari , khub choda , Masti se chod diya , maje me chodi , Lund chusa . Laude ki chusai , Jabardast manoranjan ke sath chudwayi.

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम शंकर है और यह मेरी कामुकता डॉट कॉम पर पहली कहानी है, जो मेरे साथ घटी एक सच्ची घटना है, जिसको में आज आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि यह आप लोगों को जरुर पसंद आएगी, वैसे में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और ऐसा करना मुझे बहुत अच्छा लगता है। दोस्तों में दिखने में ठीक ठाक हूँ और बहुत गोरा भी हूँ। मेरा लंड 6.5 इंच बड़ा है और अब में सीधा अपनी आज की कहानी पर आता हूँ। सारे लड़के अपना लंड पकड़ ले और लड़कियां अपनी चूत में उँगलियाँ डालकर बैठ जाए, क्योंकि मुझे उम्मीद है कि आप लोग अब अपने आप पर ज्यादा कंट्रोल नहीं कर सकेंगे। दोस्तों यह बात आज से करीब दो साल पहले की है, जब मेरी बिल्डिंग में जिसमें में खुद रहता था और उसी में एक बहुत सेक्सी आंटी रहती थी, उनका नाम कविता था और वो दिखने में बहुत ही हॉट थी। उसके फिगर का आकार 34-32-36 था और वो मेरे फ्लैट के पास में रहती थी और उनके पति एम आर थे तो इसलिए वो ज्यादातर अपने घर से बाहर ही रहते थे और कविता आंटी का एक बेटा भी था, शायद वो तीसरी क्लास में पढ़ता था।

दोस्तों कविता जब भी मुझे देखती थी तो स्माईल करती थी और में अपने फ्लैट में बिल्कुल अकेला रहता था तो वो कभी कभी मुझे अपने यहाँ पर खाना खाने के लिए बुला लेती थी और उनके कहने पर में उनके घर पर चला जाता था और फिर जब वो मुझे खाना देने के लिए मेरे सामने आकर नीचे झुकती थी तो उनके बूब्स मेरे सामने आकर लटक जाते थे और में उनके बूब्स को लगातार घूर घूरकर देखता था और बहुत मजे लिया करता था। दोस्तों वो ज्यादातर बड़े गले की मेक्सी में ही रहती थी, जिसकी वजह से थोड़ा सा झुकने पर उनके बूब्स मेरे सामने लटक जाते थे और में हर दिन किसी ना किसी बहाने से उनके बूब्स को देखता था और उनके मस्त मजे लेता था। में कभी भी उनके यहाँ पर चला जाता था और घूरकर उन्हें देखता था और जब कभी भी उन्हें कहीं बाहर बाजार में कुछ लेने जाना होता था तो में उनके कहने पर उन्हें अपनी बाईक पर अपने साथ ले जाता था और फिर में जानबूझ कर ब्रेक मारता था और उनके पूरे मजे लेता था, लेकिन वो सब कुछ जानते हुए भी कभी भी मुझसे कुछ भी नहीं कहती थी, बस वो हमेशा मेरी तरफ मुस्कुराती रहती थी।

दोस्तों एक रात की बात है। उस दिन उनका पति घर पर नहीं था और उसके बेटे की तबियत अचानक से खराब हो गई तो उसने मुझसे बाजार से उसके लिए कुछ दवाई लाने के लिए बोला। फिर में उनके कहने पर तुरंत दुकान पर चला गया और दवाई लेकर आ गया और फिर मैंने उनको वो दे दिया और अब मैंने उनसे कहा कि आंटी अगर आपको कोई ऐतराज ना हो तो में यहीं पर सो जाता हूँ, वैसे भी कल रविवार है और मुझे कल कॉलेज नहीं जाना है तो में यहीं पर रहता हूँ। फिर वो बोली कि मुझे इसमें कोई भी आपत्ति नहीं है, अगर ऐसा चाहते हो तो यहाँ पर रुक सकते हो और फिर में उनके मुहं से हाँ शब्द और उनका जवाब सुनकर मन ही मन बहुत खुश हुआ और अब में मन ही मन उसे आज रात को चोदने का विचार करने लगा। फिर में सबसे पहले बाथरूम में गया और मैंने उनके नाम की दो बार मुठ मारी और फिर में जानबूझ कर नाटक करते हुए वहीं पर ज़ोर से आह्ह्ह्ह की आवाज करते हुए गिर गया और ज़ोर से चिल्लाने लगा, मेरे गिरने चिल्लाने की आवाज को सुनकर कविता को लगा कि मुझे चोट लगी है तो वो दौड़ती हुई बाथरूम में आ गई। अब में जानबूझ कर उठने का नाटक करने लगा, लेकिन में उठ नहीं रहा था और नाटक कर रहा था, जिसको देखकर उसे लगे कि मुझे बहुत जोर से चोट लगी है। फिर कविता अब अंदर आकर मुझे अपने गोरे मुलायम हाथों का सहारा देकर मुझे उठाकर अपने रूम में ले जा रही थी और में उसकी गरम गोरी मटकती हुई कमर पर अपना हाथ लगाकर मजे ले रहा था और साथ साथ उसके मुलायम बड़े आकार के झूलते हुए बूब्स को छू रहा था और फिर छूकर मुझे महसूस हुआ कि उस दिन उन्होंने ब्रा नहीं पहनी हुई थी। फिर उन्होंने मुझे बेड पर लेटा दिया और फिर वो मुझसे पूछने लगी कि बताओ तुम्हें कहाँ चोट लगी है? फिर मैंने उफफ्फ्फ्फ़ आईईइ बहुत दर्द हो रहा है और में बोला कि कमर में और जाँघ में तो वो मुझसे बोली कि क्या में मालिश कर दूँ? फिर मैंने बोला कि हाँ कर दो और वो मेरे मुहं से हाँ शब्द सुनकर वहां से तेल लेने चली गई और फिर में तुरंत उठकर खड़ा हुआ और मैंने अपना लोवर उतार दिया और अपनी अंडरवियर को भी उतार दिया और अब में टावल लपेटकर उनके सामने लेट गया, तब तक कविता भी तेल लेकर आ गई थी और में दर्द का नाटक करके अपनी दोनों आखें बंद करके लेट गया और ऐसा नाटक करने लगा था, जैसे मुझे बहुत चोट लगी है और में नाटक करके धीरे धीरे दर्द से कराह रहा था।

अब वो मुझसे कहने लगी कि सबसे पहले में कमर में तेल लगा देती हूँ तो में उसके मुहं से यह बात सुनकर तुरंत उल्टा लेट गया और वो अब मेरी कमर पर तेल लगाने लगी थी। दोस्तों में उसके मुलायम मुलायम हाथों का वो स्पर्श जो अहसास में उस समय महसूस कर रहा था, आप लोगों को अपने किसी भी शब्द में नहीं बता सकता। फिर वो कुछ देर बाद मुझसे बोली कि तुम अब सीधा घूम जाओ, में अब तुम्हारी जाँघ में तेल लगा देती हूँ। फिर में जल्दी से सीधा हुआ और वो अब मेरा थोड़ा सा टावल हटाकर अपने गोरे मुलायम हाथ में बहुत सारा तेल लेकर लगाने लगी थी और कुछ देर के बाद वो अब धीरे धीरे तेल लगाते लगाते ऊपर की तरफ आने लगी थी और फिर उसने गलती से अचानक से मेरे खड़े लंड को छुआ और झटके से अपना हाथ तुरंत पीछे हटा लिया और ना जाने क्या सोचने लगी और हल्का सा मुस्कुराने लगी। फिर मैंने कविता को बोला कि हाँ मेरे उसमें भी चोट लगी है, प्लीज वहां पर भी थोड़ा सा तेल लगा दो ना। अब वो मुझसे कहने लगी कि तुमने तो मुझसे कहा था कि तुम्हारी जाँघ में और कमर में चोट लगी है और तब मैंने मुस्कुराते हुए बोला कि हाँ उसमें भी चोट लगी है और वो भी मेरी तरफ देखकर हंसने लगी और अब वो टावल के अंदर से ही अपना हाथ डालकर तेल लगाने लगी और कुछ ही देर में मेरा लंड तनकर खड़ा होकर तंबू बन चुका था, जिसको उसने भी महसूस कर लिया था। तभी मैंने अचानक से अपना टावल खोल दिया, जिसकी वजह से मेरा लंड अब बाहर आकर खड़ा हो गया तो वो मेरे खड़े फनफनाते हुए लंड को देखकर एकदम से चकित हो गई, लेकिन फिर भी अपनी फटी हुई आखों से मेरे लंड को देखती रही।

दोस्तों अब मैंने सही मौका देखकर धीरे से उसकी मेक्सी के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया और फिर उसका बूब्स दबाने लगा और वो मुझसे बिना कुछ कहे अपनी आखों को बंद करके मेरे साथ मजा लेने लगी। फिर मैंने उसकी मेक्सी को पूरा उतार दिया और अब में कविता को किस करने लगा और वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी थी, वो अब मेरे सामने पूरी नंगी हो चुकी थी और बिल्कुल काम की देवी लग रही थी, वो ऊपर से लेकर नीचे तक बहुत सुंदर थी। फिर मैंने उसको अपनी बाहों में लेकर नीचे लेटा दिया और उसकी चूत को कुछ देर सहलाने के बाद अब मैंने उसके दोनों पैरों को फैलाकर गोरी, चिकनी, गीली चूत को हल्के हल्के चूमना और उसके बाद चाटना शुरू कर दिया, वो तो जैसे कि बिल्कुल पागल ही हो गई थी, वो पूरे जोश में आकर सिसकियाँ लेते हुए मेरे सर को अपनी चूत के मुहं पर पूरे जोश से दबाने लगी थी और मुझे अपनी चूत में घुसा रही थी और वो अपने चूतड़ को हवा में उठाकर मुझसे और अंदर तक अपनी जीभ को डालकर चूसने के लिए कहने लगी, उफ्फ्फ्फ़ हाँ थोड़ा सा और अंदर घुसा उईईईईइ हाँ डाल दे पूरा अंदर आअह्ह्ह्ह वाह मज़ा आ गया और में अब बहुत मजे लेकर उसकी चूत को चूस रहा था और फिर मैंने महसूस किया कि वो पांच मिनट के बाद झड़ गई, जिसकी वजह से मेरा पूरा उसके गरम लावे से भर गया और में उसका सारा स्पर्म पी गया और चाट चाटकर मैंने उसकी चूत को दोबारा चमका दिया। फिर कुछ देर बाद मैंने उससे कहा कि अब तुम मेरा लंड अपने मुहं में लो। दोस्तों वो तो झट से मान गई, जिसकी वजह से में तो एकदम चकित हो गया कि वो इतना जल्दी कैसे मान गयी? शायद वो खुद भी मेरा लंड अपने मुहं में लेकर उसके मजे लेना चाहती थी और फिर वो मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर बहुत मजे से लोलीपोप की तरह चूसने लगी और मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था, क्योंकि वो किसी अनुभवी की तरह बहुत आराम से पूरा अंदर बाहर करते हुए लंड को चूस रही थी, लेकिन थोड़ी ही देर के बाद में भी उसके मुहं में झड़ गया और वो भी मेरा पूरा स्पर्म पी गयी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर भी कविता ने मेरा लंड चूसना बंद नहीं किया। उसकी कुछ देर की मेहनत के बाद मेरा लंड एक बार फिर से तनकर खड़ा हो चुका था और अब उसने मुझसे कहा कि प्लीज अब तुम मुझे जल्दी से चोद दो, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा, प्लीज अब तुम मेरी प्यास को बुझा दो और मुझे शांत कर दो प्लीज। फिर मैंने उसे ज़ोर से धक्का देकर बेड पर पटक दिया और उसके दोनों पैरों को उठाकर अपना लंड चूत के मुहं पर सेट करके मैंने एक ही झटके में अपना पूरा का पूरा लंड अंदर डाल दिया, जिसकी वजह से वो बहुत ज़ोर से चिल्ला उठी, आह्ह्ह्हह आईईईईइ मार डाला उफ्फ्फफ्फ्फ़ स्ईईईईईईईइ प्लीज थोड़ा धीरे करो। अब में बिना सुने जोर जोर से धक्के लगाने लगा था और में पूरे जोश में था और अब उसकी सिसकियों की आवाज़ पूरे रूम में गूँज रही थी, वो उफ्फ्फ्फ़ आईईईईई मर गई आह्ह्ह्ह थोड़ा धीरे करो, में क्या कहीं भागी जा रही हूँ, आह्ह्ह्हह्ह और वो मुझसे कहने लगी कि में यहीं रहूंगी प्लीज थोड़ा धीरे धीरे करो आह्ह्हह्ह नहीं तो शोर सुनकर मेरा बेटा उठ जाएगा।

फिर में अब थोड़ा आराम आराम से धक्के देकर चोदने लगा था, में अब अपना लंड पूरा बाहर निकाल देता और फिर एक झटके में पूरा अंदर डाल देता और मेरे उस जोरदार धक्के से वो पूरी तरह से हिल जाती और ठप ठप हमारे दोनों के नंगे गरम बदन के टकराने की आवाज आने लगती। फिर कुछ देर धक्के देने के बाद मैंने उससे बोला कि अब हम पोजीशन बदलकर चुदाई करते है और मैंने अपने लंड को तुरंत खींचकर बाहर कर लिया। उसके बाद मैंने उसे डॉगी स्टाईल में बैठने के लिए कहा और उसने तुरंत वैसा ही किया, अब वो मेरे सामने डॉगी की तरह बैठ गई। मैंने उसके पीछे खड़े होकर अपने लंड को चूत के मुहं पर सेट किया और एक ही जोरदार धक्का देकर मैंने अपना पूरा लंड चूत में डाल दिया और फिर में उसको ताबड़तोड़ धक्के देकर चोदने लगा था और में बीच बीच में अपना पूरा लंड बाहर निकालकर दोबारा एक ज़ोर का झटका देकर पूरा अंदर डाल देता, जिसकी वजह से वो पूरा हिल जाती और चिल्ला उठती आआअहह आईईईईइ और फिर वो मेरा नाम लेने लगी और मुझसे कहने लगी उफ्फ्फ हाँ शंकर और ज़ोर से धक्का देकर चोदो मुझे उफफ्फ्फ्फ़ हाँ आज तुम मुझे अपनी रंडी बना दो हाँ और जोर से चोदो, आह्ह्ह्ह हाँ खून निकाल दो मेरी चूत से, मेरी चूत को पूरी तरह से संतुष्ट कर दो, आईईईईइ हाँ और ज़ोर से चोदो मुझे उफ्फ्फ्फ़ वाह मज़ा आ गया, में बहुत समय से प्यासी हूँ, तुम आज मेरी प्यास को बुझा दो। दोस्तों तब तक वो दो बार झड़ चुकी थी और वो मेरा नाम ले रही थी, जिसकी वजह से मुझे और भी जोश आ रहा था, अब में धीरे धीरे अपनी स्पीड को बढ़ा रहा था और फिर में कुछ देर और धक्के देने के बाद उसकी चूत में ही झड़ गया और कुछ धक्के देने के बाद में थक कर उसके ऊपर ही गिर गया और फिर हम दोनों वैसे ही लेटे रहे। फिर उसके थोड़ी ही देर बाद वो मेरे लंड से एक बार फिर से खेलने लगी थी, वो मेरे लंड को हिलाने सहलाने लगी थी, जिसकी वजह से मेरा लंड एक बार फिर से तनकर खड़ा हो गया और दोबारा चुदाई करने के लिए एकदम तैयार खड़ा था ।।

धन्यवाद …

दोस्त ने मेरी माँ को ज़बरदस्ती चोदा - Dost Ne Meri Maa Ko Jabardasti Choda

दोस्त ने मेरी माँ को ज़बरदस्ती चोदा - Dost Ne Meri Maa Ko Jabardasti Choda, Antarvasna Story , Bur chodan , Chudwane ka irada , Chudkkad aurat , Ladki ki chudai , Chut ke Maje , Gand mari , khub choda , Masti se chod diya , maje me chodi , Lund chusa . Laude ki chusai , Jabardast manoranjan ke sath chudwayi.

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रणवीर है और में गुजरात से हूँ। मेरी उम्र 18 साल है और हम घर में तीन लोग है में मेरी माँ और मेरे पापा। मेरे पापा जिनका नाम योगेश पटेल है, वो एक किसान है और हम लोग राजकोट में रहते है, लेकिन हमारा फार्म बहुत दूर एक गाँव में है, इसलिए मेरे पापा ज़्यादातर वहीं पर रहते है और घर पर में और मेरी माँ रहती है। मेरी माँ का नाम टीना है, उसकी उम्र 37 है और वो दिखने में बड़ी ही हॉट सेक्सी लगती है, लेकिन वो चेहरे से उम्र में थोड़ी छोटी दिखती है, उसकी लम्बाई 5.5 है और उनका फिगर देखकर तो किसी का भी लंड टाईट हो जाए। उनका फिगर 36-30-38 है और उनके 36 के बड़े बड़े बूब्स है और वो हमेशा साड़ी पहनती है, जिससे उनके बूब्स हमेशा एक तरफ से बड़े दिखते है और जब वो चलती है तो उसके बड़े बड़े कूल्हे हिलते है, क्योंकि उनके कूल्हे बहुत बड़े है और सभी लोग उनको पीछे से घूरते रहते है और उनकी मटकती हुई गांड के बहुत मज़े लेते है और हर कोई उनको चोदना चाहता है। दोस्तों अब में अपनी कहानी पर आता हूँ और वो सच्ची घटना आप सभी कामुकता डॉट कॉम के सभी चाहने वालों को विस्तार से सुनाता हूँ, जिसमें मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त ने मेरे सामने मेरी माँ को चोदकर उसकी चुदाई के मज़े लिए और में बस देखता रहा और वो चोदता रहा।

दोस्तों यह घटना करीब एक महीने पहले की है। में 12th क्लास में पड़ता हूँ और मेरी क्लास में मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त है, जिसका नाम अमन है और वो दिखने में बहुत हट्टा कट्टा है और हम दोनों कुछ समय पहले तक बहुत पक्के दोस्त थे और हमारे बीच बहुत बनती थी। हम एक दूसरे के साथ बहुत अच्छी तरह से रहते और मज़े करते और घूमते फिरते थे, लेकिन एक दिन किसी बात को लेकर मेरा और उसका बहुत झगड़ा हुआ और उसने मुझे बहुत मारा, जिसकी वजह से मेरी नाक से खून निकलने लगा था। फिर जब में अपने घर पर गया तो मेरी माँ मुझे इस हालत में देखकर अचानक से बहुत परेशान हो गई और वो मुझसे बोली।

माँ : अरे रणवीर यह क्या हुआ तुम्हारा क्या कोई एक्सिडेंट हो गया? देखो कितना खून निकल रहा है क्या हुआ?

में : नहीं माँ, मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जैसा आप सोच रही हो, मुझे अमन ने बहुत मारा, मेरा और उनका झगड़ा हो गया था।

माँ : तुम यह क्या बोल रहे हो? में जाकर उनसे बात करूँगी।

में : नहीं माँ, तुम मत जाना, वरना वो मुझे फिर से मारेगा।

माँ : देखो तुम्हारी नाक से कितना खून निकल रहा है और तुम मुझसे कह रहे हो कि में ना जाऊँ, में अमन से जरुर बात करूँगी कि उसने तुम्हारे साथ ऐसा क्यों किया, तुम्हारी क्या गलती थी, जिसकी वजह से उसने तुम्हें इतना बेरहमी से मारा है।

फिर माँ मुझे पास ही के एक डॉक्टर के पास ले गई और उस डॉक्टर ने मेरा इलाज किया। फिर दूसरे ही दिन सुबह माँ अमन के घर पर जाने वाली थी और वो सुबह मुझे उठाने आई। दोस्तों में तो उसे देखकर एकदम दंग रह गया, क्योंकि माँ ने उस समय काली और लाल रंग की डिजाईन वाली साड़ी पहन रखी थी और उनका वो ब्लाउज पीछे से इतना छोटा था कि उनकी गोरी गोरी नंगी पीठ साफ साफ दिख रही थी। उनके बूब्स एकदम तने हुए थे, जिसको देखकर हर किसी की नियत खराब हो जाए। फिर वो मेरे मना करने के बाद भी मुझसे कहकर चली गई।

माँ : रणवीर में अमन के घर जा रही हूँ, क्या तुम भी मेरे साथ चलोगे?

में : नहीं माँ कोई कहीं नहीं जाएगा, मुझे नहीं आना आपके साथ।

माँ : नहीं मैंने बोला ना उठना।

माँ नहीं मानी और में भी तैयार हो गया और हम दोनों घर के बाहर निकले और जाने के लिए रिक्शा ढूँढने लगे और तब मैंने गौर किया कि सभी लोग मेरी माँ की गांड को देख रहे थे। उनके हिलते हुए कूल्हों पर सबकी नज़र थी। फिर हम ऑटो में बैठ गये और अमन के घर चले गये और उस समय अमन घर पर अकेला था, माँ ने बाहर से ही उसे आवाज़ लगाई।

माँ : अमन कहाँ गया तू बाहर निकल।

फिर अमन बाहर आ गया, उसने बनियान और पेंट पहनी हुई थी और उसकी नज़र मेरी माँ के ऊपर पड़ते ही वो तो बिल्कुल पागल ही हो गया और वो माँ को बहुत घूर रहा था, उसने इससे पहले कभी भी मेरी माँ को नहीं देखा था।

अमन : हाँ क्या हुआ आंटी?

दोस्तों यह बात पूछते ही माँ ने उसे दो जोरदार थप्पड़ लगाए, जिसकी वजह से वो तो बिल्कुल पागल हो गया और अब वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा।

अमन : यह क्या कर रही हो आप, आपने मुझे क्यों मारा?

माँ : देख मेरे बेटे को कोई इस तरह किसी को मारता है, इसकी नाक से कल बहुत खून बह रहा था।

अमन : आप पहले एक बार सोच लो मुझसे दुश्मनी अच्छी नहीं है।

दोस्तों अब वो मेरी माँ पर बहुत गुस्सा करने लगा और वो मेरी माँ से बोला।

अमन : में इस दो थप्पड़ का बदला आपसे जरुर लेकर रहूँगा।

माँ : तू क्या मुझे धमकी दे रहा है, बुला बाहर कहाँ गये तेरे माता पिता, बुला उन्हें।

अमन का गुस्सा देखकर में बहुत डर गया, इसलिए में अपनी माँ को वहां से वापस ले आया। अब मुझे घर पर भी बहुत डर लग रहा था कि अमन मुझे वापस जरुर मारेगा, क्योंकि उसका गुस्सा बहुत खराब है और वो जो भी बात कहता है वो काम जरुर करता है। फिर दूसरे दिन रविवार था और सुबह के 10 बजे थे, माँ ने घर पर उस समय बड़े गले की मेक्सी पहनी हुई थी और उसने अंदर काली कलर की ब्रा पहनी हुई थी और जिसकी वजह से उसके बड़े बड़े बूब्स बहुत टाईट लग रहे थे, तभी अचानक घंटी बजी और मैंने दरवाज़ा खोलकर देखा तो बाहर अमन खड़ा हुआ था। उसने दरवाज़े पर ही मुझे ज़ोर की लात मारकर नीचे गिरा दिया और फिर उसने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया, वो मुझे अब बहुत गंदी गंदी गालियाँ देने लगा था और में बहुत डर रहा था।

अमन : साले मादरचोद बता मुझे तेरी वो रंडी माँ कहाँ है, आज तो में उसको बहुत मारूँगा और तुझे भी।

माँ : अरे यह सब क्या है रणवीर क्या हुआ है तुम्हें? अमन क्या तुमने मारा है रणवीर को?

अमन : साली भोसड़ी, आज तो में तुझे रुला रुलाकर मारूंगा और चोदूंगा भी।

दोस्तों अमन बहुत गुस्से में था और उसने आज अपने मन में ठान ही लिया था कि वो मेरी माँ से उसके थप्पड़ का बदला जरुर लेगा और वो मेरे साथ साथ आज उन्हें भी मारेगा।

माँ : तुम यह क्या बोल रहे हो बेशर्म हरामी?

दोस्तों अमन तो मेरी माँ को देखकर पागल ही हो रहा था। वो मेरी माँ के तने हुए बूब्स को लगातार गंदी गंदी नजरों से घूरता ही जा रहा था। वो मेरी माँ को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था और मुझे उससे बहुत डर लग रहा था। तभी उसने मुझे एक साईड में दोबारा धक्का देकर वो मेरी माँ पर टूट पड़ा और उसने तुरंत माँ को एक थप्पड़ मारकर नीचे ज़मीन पर गिरा दिया और वो अब उसके ऊपर लेट गया और वो मेरी माँ को अब मेरे ही सामने बहुत बेरहमी से चूमने लगा था, उसने एक ही जोरदार झटके से मेरी माँ की मेक्सी को फाड़कर निकाल दिया था, जिसकी वजह से अब मेरी माँ सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी और मुझसे यह सब देखा नहीं जा रहा था। में अमन को रोकने के लिए उसको पकड़कर दूर करने लगा, लेकिन उसकी ताक़त के सामने में कुछ भी नहीं कर सका और उसने मुझे एक मुक्का मार दिया। अब वो माँ को और मुझे घसीटकर बेडरूम में ले गया, वहां पर उसने माँ को बेड पर फेंक दिया और मुझे पकड़कर सामने वाली कुर्सी पर बाँध दिया, जिसकी वजह से में अब बिल्कुल भी हिल नहीं पा रहा था। फिर वो माँ को बेड पर ले जाकर वो खुद उनके ऊपर लेट गया और वो अब माँ को बहुत बेरहमी से मारने लगा, लेकिन में कुछ भी नहीं कर सकता था। फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए, वो सिर्फ़ अंडरवियर में था और उसका लंड इतना टाईट हो गया था कि उसकी अंडरवियर टेंट की तरह खड़ी हो गई थी और अब वो माँ के ऊपर कूद पड़ा और माँ ज़ोर ज़ोर से रोए जा रही थी।

माँ : प्लीज मुझे माफ़ कर दो, प्लीज मुझसे ग़लती हो गई थी, प्लीज तुम मेरे साथ ऐसा मत करो।

अमन : नहीं भडवी तेरे जैसी चीज़ मुझे कहाँ मिलेगी।

अब उसने माँ की ब्रा का हुक खोलने की कोशिश की, लेकिन माँ उसे नहीं खोलने दे रही, तभी उसने ब्रा को एक जोरदार झटका देकर तुरंत फाड़ दिया, जिसकी वजह से अचानक से उनके दोनों बड़े आकार के बूब्स बाहर निकल आए। दोस्तों जो मैंने उस समय देखा वो क्या मस्त नज़ारा था? मुझे बिल्कुल भी मालूम नहीं था कि मेरी माँ के इतने बड़े बड़े बूब्स होंगे, क्योंकि मैंने आज तक उन्हें कपड़ो के अंदर ही देखा था और बाहर से में आज पहली बार देख रहा था, मेरी आखें उन्हें देखकर बहुत चकित थी।

अमन : वाह मेरी रंडी तेरे यह बड़े बड़े बूब्स तो आज मेरी जान ही ले लेंगे, में आज पहली बार इतने सुंदर बड़े आकार के मुलायम बूब्स देख रहा हूँ, वाह मज़ा आ गया।

फिर उसने ज़ोर से बूब्स को पकड़ा और मसलने लगा, वो बहुत बेरहमी से बूब्स को निचोड़ने लगा था, जिसकी वजह से दोनों बूब्स एकदम लाल हो गये थे और माँ रोते हुए उससे बोल रही थी।

माँ : हुउऊउ आहहह प्लीज अब तो मुझे छोड़ दो, आह्ह्ह अब मत करो, मेरे बूब्स में बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज छोड़ दो उनको आईईइ माँ मर गई। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

दोस्तों लेकिन अमन ने माँ की एक भी बात नहीं सुनी और उसने दबाकर मसलकर उनके बूब्स को पूरे लाल कर दिए थे। तभी कुछ देर बाद उसने बूब्स का पीछा छोड़ दिया और अब वो नीचे की तरफ बढ़ने लगा और फिर उसने तुरंत मेरी माँ की पेंटी को उतार जिसकी वजह से मेरी माँ की चूत अब उसके ठीक सामने थी और वो लगातार चूत को घूर घूरकर देख रहा था, उसकी नजर चूत से हटने को तैयार नहीं थी और में भी अपनी माँ की चूत को देखकर चकित हो गया, क्योंकि वो एकदम साफ चमकती हुई और उभरी हुई थी, जिससे थोड़ा थोड़ा पानी बाहर आ रहा था।

अमन : अफ वाह क्या मजेदार है तेरी यह मुलायम चूत, आज देख में कैसे इसको चोद चोदकर इसका भोसड़ा बनाता हूँ, इसको चोदने में तो मुझे वाह मज़ा ही आ जाएगा, वाह क्या चूत है तेरी एकदम मस्त।

दोस्तों अब वो माँ की चूत में उंगली डालकर शुरू हो गया, वो बहुत बेरहमी से ज़ोर ज़ोर से अपनी उंगली को चूत में अंदर बाहर कर रहा था और माँ उस दर्द से चीखते हुए करहाते हुए तड़पने लगी थी, लेकिन उसके ऊपर कोई भी असर नहीं था, वो तो अपनी मस्ती में मस्त था।

माँ : आहहह उफ्फ्फ्फ़ में मर गई नहीं प्लीज अब बस करो, मुझे माफ़ कर दो माफ़ कर दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, आह्ह्ह अब में कभी भी ऐसा नहीं करूंगी, मुझे माफ़ कर दो।

दोस्तों अमन उसकी कोई भी बात को ना सुनते हुए चूत को लगातार चाटता, चूसता जा रहा था और उंगली भी कर रहा था, माँ आह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह माँ मर गई कि आवाजे निकालती हुई अपनी चूत को उससे चटवा रही थी। दोस्तों कुछ देर बाद मैंने गौर किया कि माँ का विरोध करना अब धीरे धीरे सिसकियों में बदल रहा था, वो अब शांत होती जा रही थी, शायद उनको अब अपनी चूत को उससे उसकी जीभ से चुदवाने में थोड़ा मज़ा आने लगा था और वो मेरे वहां पर होने की वजह से थोड़ा सा नाटक उछलकूद कर रही थी, क्योंकि उसने मेरी माँ की चूत को बहुत जमकर जोश में आकर चूसा, जिसकी वजह से अब माँ भी गरम होने लगी थी। फिर अमन ने सही मौका देखकर अपनी अंडरवियर को उतार दिया तो माँ की आखें एकदम से बाहर आ गई थी, क्योंकि अंडरवियर से बाहर निकला वो लंड करीब 7 इंच बड़ा था, जिसको देखकर उनकी आखें फटी की फटी रह गई थी।

माँ : उफ्फ्फ्फ़ नहीं नहीं यह मुझसे नहीं होगा, यह तो बहुत लंबा मोटा है, मुझे इससे बहुत दर्द होगा, में इसको नहीं ले सकती, प्लीज छोड़ दो मुझे, में मर जाउंगी।

दोस्तों यह शब्द बोलकर वो तुरंत उठ गई और अपने दोनों नंगे बूब्स को हिला हिलाकर भागने लगी, लेकिन अमन ने एकदम से उन्हें पकड़कर बेड पर बैठा दिया और फिर उसने अपना लंड मेरी माँ के मुहं के पास रख दिया और बोला।

अमन : साली मादरचोद ले मुहं मे पूरा।

फिर उसने माँ की नाक बंद कर दी और माँ का मुहं खुलते ही उसने अपना पूरा का पूरा लंड अंदर डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से उनका सर पकड़कर हिला रहा था और फिर मेरी तरफ अमन ने देखा और बोला।

अमन : देख मादरचोद तेरी माँ आज कैसे मज़े से लंड चूस रही है, यह बहुत ज़्यादा समझदारी दिखा रही थी। आज इसका हाल बहुत बेहाल होगा भड़वे साले।

में : नहीं अमन ऐसा मत करो, यह सब गलत है प्लीज अब मेरी माँ को छोड़ दो।

फिर वो नहीं माना। फिर लंड मुहं से बाहर निकाला और उसने माँ को उठाकर पटक दिया और वो उनके ऊपर चड़ गया, उसने बीच में आकर माँ की दोनों जांघो को कसकर पकड़ा और दूर कर दिया और अपने लंड को चूत के मुहं पर रख दिया और एक ही जोरदार धक्का देते हुए उसने चूत में अपना 6 इंच का लंड पूरा ही अंदर डाल दिया। लंड गीली चूत को फाड़ता हुआ अंदर चला गया। दोस्तों मेरी माँ बहुत दिनों से नहीं चुदी थी, इसलिए वो तो अचानक से हुए उस वार से कराह उठी और अब वो ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी और पूरे रूम में उनकी आवाज सुनाई दे रही थी, वो लंड को बाहर निकालने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

माँ : आह्ह्ह्हह हाए में मर गई प्लीज बाहर निकालो, आअहहहह उईईई माँ अमन नहीं नहीं अमन आहह्ह्ह में मर जाउंगी, प्लीज अब छोड़ दो मुझे आहहहह हटो दूर मुझसे ऊईईईइ।

दोस्तों वो अब अमन का उछल उछलकर विरोध करने लगी थी, लेकिन अमन बिना कुछ सुने ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को उसकी चूत पर धक्के मारे जा रहा था और उन्हें ऐसे ही चुदाई करते हुए पूरा आधा घंटा हो गया था, माँ शायद इस बीच झड़ जाने के बाद थोड़ी ढीली पड़ गई थी और वो अब उसके धक्को का मज़ा लेती हुई अपनी चूत को उससे चुदवा रही थी, मुझे वो बहुत संतुष्ट सी नजर आ रही थी, लेकिन अमन का लंड अभी भी बिल्कुल टाईट था।

अमन : आहहह चल भड़वी अब तू जल्दी से पीछे घूम जा।

दोस्तों यह बात कहकर उसने तुरंत माँ को उसी जगह पर उल्टा कर दिया और अब वो उनके बड़े बड़े कूल्हों पर लगातार थप्पड़ मारने लगा था। फिर माँ अब उसकी ऐसी हरकते देखकर समझ गई थी कि अब वो उनकी गांड को मारने वाला है। अब उनकी गांड भी उस मोटे लंड को लेने के लिए बिल्कुल तैयार उनके चेहरे से वो खुश नजर आ रही थी, लेकिन मेरे सामने वो मुझे दिखाने के लिए विरोध कर रही थी।

माँ : उह्ह्ह्ह अब मुझमें इतनी ताक़त नहीं है। में तुम्हारे इस जानवर जैसे हथियार को दोबारा अपने अंदर नहीं ले सकती, में मर जाउंगी प्लीज ऐसा मत करना, प्लीज मैंने आज तक कभी भी पीछे नहीं लिया है, अब बस करो।

अमन : मेरी जान, अभी तो तेरी गांड की ठुकाई बाकी है।

फिर ऐसा कहकर उसने सीधा अपने लंड को गांड के मुहं पर रख दिया और एक जोरदार धक्का मार दिया, जिसकी वजह से लंड अंदर चला गया और माँ उस दर्द से एक बार फिर से तड़पने लगी और चिल्ला उठी।

माँ : उउईईईईइइ माँ में मर गई, नहीं प्लीज ऐसा मत करो में तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ, आहह हाआहह ओईईइ माँ।

दोस्तों अमन अब बहुत ज़ोर ज़ोर से मेरी माँ की गांड को लगातार धक्के मारे जा रहा था। उसका लंड मुझे छेद से अंदर बाहर होता हुआ साफ साफ नजर आ रहा था। तभी कुछ देर बाद मैंने देखा कि लंड के अंदर बाहर होने के साथ साथ अब उनकी गांड से खून भी बाहर निकल रहा था और अब माँ बेहोश सी होने लगी थी और वो करीब 20 मिनट तक बिना रुके गांड में लंड को धक्के मारे जा रहा था। फिर कुछ देर बाद माँ धीरे धीरे अपने होश में आई तो उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपना वीर्य उसने मेरी माँ के चेहरे पर निकाल दिया। उसके लंड से बहुत सारा लावा निकला और माँ चेहरे से पूरी रंडी की तरह लग रही थी, वो बिल्कुल संतुष्ट एकदम निढाल होकर पड़ी हुई थी, उसने अपना मोबाईल एक कोने में रखकर वो सब कुछ रिकॉर्ड कर लिया था।

अमन : वाह भडवी मज़ा आ गया, अब तो तेरी वीडियो भी मेरे पास है, अब जब भी में तुम्हें बुलाऊँ तब तुम मुझे खुश करने चुपचाप आ जाना वरना में तुमको बदनाम कर दूँगा।

दोस्तों माँ रो रही थी और उनकी आखों से आंसू बाहर आ रहे थे, तभी अमन उठकर मेरे पास आ गया।

अमन : साले तेरी माँ मेरी रखेल है तू यह बात तेरे बाप को मत बोलना वरना वो तुझे बहुत मारेगा।

फिर उसने मुझे रस्सी खोलकर आजाद कर दिया और फिर मेरी माँ ने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए और अमन भी कपड़े पहनकर अपने घर पर चला गया ।।

धन्यवाद …

जुड़वा बहन की सील तोड़कर गांड फाड़ी - Judwaa Bahan Ki Seal Todkar Gaand Fadi

जुड़वा बहन की सील तोड़कर गांड फाड़ी - Judwaa Bahan Ki Seal Todkar Gaand Fadi, Antarvasna Story , Bur chodan , Chudwane ka irada , Chudkkad aurat , Ladki ki chudai , Chut ke Maje , Gand mari , khub choda , Masti se chod diya , maje me chodi , Lund chusa . Laude ki chusai , Jabardast manoranjan ke sath chudwayi.

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम इरफ़ान है और मेरी उम्र 18 साल है। में सीकर का रहने वाला हूँ और हम लोग सीकर में ही रहते है, क्योंकि मेरे पापा एक सरकारी टीचर और मेरी मम्मी नर्स है। दोस्तों में और मेरी जुड़वा बहन आयशा बचपन से ही साथ साथ रहे, लेकिन अब वो जयपुर से अपनी पढ़ाई कर रही है और में एक कॉलेज में अपनी दूसरे साल की पढ़ाई कर रहा हूँ। दोस्तों आयशा एक होस्टल में रहती है तो उस होस्टल का असर कुछ उस पर भी हुआ और वो मुझे सब कुछ बताती रहती है कि होस्टल में क्या क्या होता है? हम आपस में इतने खुले हुए थे कि जब पापा रात को मम्मी की चुदाई करते थे तो हम दोनों छुपकर एक साथ उनका काम देखते, जिसकी वजह से मेरा लंड खड़ा हो जाता था, लेकिन हमने कभी भी सेक्स नहीं किया था।

दोस्तों में आज आप सभी कामुकता डॉट कॉम के चाहने वालों को अपनी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ और अब भी जिसके बारे में सोचकर मुझे ऐसा लगता है कि यह मेरा कोई देखा हुआ सपना होगा और अब में अपनी कहानी की तरफ आगे बढ़ता हूँ। दोस्तों उस समय आयशा 15 दिन पहले ही जयपुर से अपने सेमेस्टर खत्म करके सीकर आई हुई थी। मुझे उसको देखकर बहुत अच्छा लगा, क्योंकि में उससे बहुत दिनों के बाद मिल रहा था और वैसे आयशा दिखने में बहुत ही हॉट है और उसका फिगर 32-28-34 है और वो जीन्स और टॉप में बहुत ही मस्त नज़र आती है। फिर उसने मुझे बताया था कि उसके साथ के कुछ लड़के उसे कैसे छेड़ते है और कैसे कैसे ताने मारते है, वो होस्टल में अपनी दोस्तों के साथ ब्लूफिल्म भी देखती थी और कॉलेज में हम दोस्त कभी कभी ब्लूफिल्म एक दूसरे के मोबाईल से भी ले लेते थे। दोस्तों मुझे और आयशा दोनों को ही सेक्सी वीडियो देखने का भी बहुत चस्का लग चुका था। फिर मैंने बाथरूम में उसकी लटकी हुई पेंटी देखी तो वो भी बिल्कुल छोटी सी गुलाबी कलर की जालीदार थी, उस पेंटी को देखकर मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया।

फिर मैंने आयशा की पेंटी पर मुठ मारकर मेरे लंड का पानी निकाल दिया और बाद में सोचने लगा कि आयशा ने मेरे लंड के पानी से सनी हुई पेंटी को पहने वो जब चलती थी तो उसके दोनों कुल्हे अलग अलग नज़र आते थे, जिनको देखकर मेरा मन करता था कि में अपना लंड इसकी गांड में डाल दूँ। एक दिन मेरे पापा और मम्मी किसी ज़रूरी काम से दो दिन के लिए जयपुर चले गये और यह 15 दिन पहले की बात है। उस समय घर पर में और मेरी जुड़वा बहन आयशा दोनों ही थे, पापा और मम्मी सुबह जल्दी निकल गये, उस समय आयशा सो रही थी तो पापा और मम्मी को मैंने ही स्टेशन तक छोड़ दिया और में वापस आकर चुपके से आयशा के पास सो गया था और अब मेरा लंड खड़ा हो गया था, जो मेरी पेंट में से नज़र आ रहा था और आयशा उस समय लाल कलर की केफ्री पहने हुए थी, जो पीछे से उसकी चूतड़ में पूरी घुसी हुई थी और वो मस्त होकर सो रही थी। इतने में उसकी नींद खुली तो उसकी नज़र सीधी मेरे खड़े लंड पर गई। फिर में अपनी चोर नज़र से उसे देख रहा था, तभी मेरे लंड को देखकर उसने कुछ देर अपनी चूत को सहलाया और फिर वो अचानक से उठकर सीधी बाथरूम में चली गई और उसने कुछ देर बाद वापस आकर मुझे आवाज़ लगाकर मुझसे पूछा कि क्या मम्मी और पापा चले गये? तो मैंने नींद में ही बड़बड़ाकर उससे कहा कि हाँ तो वो मेरी बात को सुनकर समझ गई कि में अभी पूरी तरह से जगा हुआ नहीं हूँ, इसलिए उसने मेरे सामने ही अपनी केफ्री को उतारकर अपनी पेंटी को मेरे पास चुपके से रख दिया और फिर वो वापस अपनी केफ्री पहनकर मेरे पास सो गई और वो मेरे लंड को देखने लगी। में उसकी पेंटी की खुशबू से में एकदम पागल हो गया और नींद में होने का नाटक करते हुए मैंने अपना एक पैर उसके कूल्हों पर टिका दिया तो वो भी गरम हो गयी और उसने अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया और उसके बाद अब हम दोनों समझ चुके थे कि इसके आगे क्या होने वाला है?

फिर मेरा लंड भी धीरे धीरे फड़फड़ाने लगा, जिसकी वजह से उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था, वो मेरे लंड को अपने एक हाथ से दबा रही थी और फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये और में आयशा के चूतड़ और बूब्स को दबाने लगा। फिर वो भी मेरे होंठो से अपने होंठ मिलाकर मुझे किस करने लगी और मेरी पेंट का हुक खोलकर उसने मेरी पेंट को उतार दिया और मैंने उसका टॉप उतार दिया तो मैंने देखा कि उसने टॉप के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी और मुझे उसके बिल्कुल सुडोल से बूब्स हल्के गुलाबी कलर की निप्पल के साथ बहुत मस्त लग रहे थे। अब आयशा ने मेरी टी-शर्ट को भी उतार दिया और अब में केवल अंडरवियर में था, जिसमें से मेरा लंड एक तरफ से बाहर निकल गया था और फनफना रहा था। दोस्तों मेरे लंड का साईज़ खड़ा होने के बाद 7 इंच है और मेरा बिल्कुल गुलाबी कलर का लंड है और आगे का टोपा करीब तीन इंच का है और मेरा टोपा पूरा विकसित होकर आगे से मशरूम की तरह नज़र आता है।

तभी अचानक से आयशा मेरी अंडरवियर को नीचे उतारकर मेरा लंड को चूसने लगी और मैंने भी सही मौका देखाकर उसकी केफ्री को उतार दिया और वो भी बिल्कुल नंगी हो गई। मैंने देखा कि उसकी चूत बिल्कुल चमक रही थी, जिस पर हल्के भूरे कलर के बाल थे और उसके चूतड़ बहुत टाईट थे, लेकिन उसकी चूत अभी तक पूरी तरह से कच्ची थी। फिर मैंने भी उसकी चूत पर अपना मुहं लगा दिया और चूत को अपने एक हाथ से फैलाकर अंदर तक अपनी जीभ को डालकर चाटने लगा और फिर मेरी जीभ से उसकी चूत के होंठो के बीच उसके दाने को रगड़ा तो वो सिसकियाँ भरने लगी। दोस्तों उसकी चूत की झिल्ली अभी तक फटी नहीं थी और जो यह बता रही थी कि मेरी बहन को अभी तक उसके साथ के किसी भी लड़के ने नहीं चोदा और मैंने उसकी कुंवारी चूत के साथ साथ उसकी कुवारी गांड को भी चाटा और उसने भी मेरी गांड को चाटा और अब हम दोनों एक दूसरे में पागल हो गये थे। फिर इतने में आयशा अचानक उठी और उसने अपना मोबाईल लेकर उसमें ब्लूफिल्म चला दी और उस फिल्म को देख देखकर हम एक दूसरे के अंगो से खेलते रहे, ब्लू फिल्म में जैसा जैसा हो रहा था हम भी ठीक वैसे ही कर रहे थे, तभी अचानक उसने मुझे चूतड़, लंड, जांघो, छाती पर काट खाया तो में एकदम मदहोश हो गया और मैंने भी उसके निप्पल और चूतड़ पर काट लिया। अब में उसकी चूत को चूसने लगा और वो भी मेरा लंड चूसने लगी। फिर करीब 15 मिनट बाद उसकी चूत में से पानी निकल गया और उसके साथ साथ मेरे लंड से भी वीर्य निकल गया तो आयशा मेरे लंड का वीर्य पी गयी और मैंने भी उसकी चूत का जूस पी लिया। उसका स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा। हम दोनों दस मिनट तक उसी पोज़िशन में चिपक कर लेटे रहे और फिर हम दोनों पूरे नंगे ही किचन में चले गये और चाय बनाई तो वहां पर भी हम एक दूसरे से मस्ती करते रहे और मैंने अपना लंड उसके चूतड़ों के बीच में फंसा दिया।

अब वो वहीं पर झुककर मेरे लंड को पकड़कर अपनी गांड के छेद में धक्का देने लगी, लेकिन मेरा लंड उसकी टाईट और कुंवारी गांड में नहीं गया। अब वो तुरंत किचन में ही मेरे सामने घोड़ी बन गई और वो अब पीछे से अपनी चूत में मेरा लंड पकड़कर अंदर लेने के लिए तैयार हो गयी। फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत में डालने की कोशिश की, लेकिन लंड आगे नहीं गया और में उठकर खड़ा हो गया। दोस्तों उस समय हम दोनों चाय पीना भूल गये, जो अब तक बिल्कुल ठंडी हो गई थी। फिर से चाय को गरम किया और दोबारा रूम में अपने बेड पर आ गये और हमने अपनी चाय को खत्म किया, लेकिन हम दोनों के अंदर की हवस अभी भी बुझी नहीं थी और में आयशा की चूत और गांड के छेद में लंड डालने को बहुत बैताब था। फिर में उठकर गया और ड्रेसिंग रूम से क्रीम लेकर आ गया और उसे आयशा की चूत और गांड पर लगाकर मैंने उसकी चूत, गांड की मालिश की और फिर उसने भी बहुत सारी क्रीम मेरे लंड और दोनों आंड पर लगाई और फिर मेरी गांड पर भी लगाई।

दोस्तों हम दोनों एक दूसरे को बहुत मज़ा देते हुए मज़ा ले रहे थे, क्योंकि उस समय घर पर हम दोनों बिल्कुल अकेले थे और इसलिए हमे किसी के आने का डर भी नहीं था, तभी अचानक से मुझे याद आया कि जब मेरी मम्मी के पीरियड आते है तो वो एक क्रीम काम में लेती थी, वो मैंने चुपके से देख लिया था और मुझे यह भी पता था कि वो क्रीम कहाँ पर रखती है। मैंने मम्मी का वो क्रीम लिया और वो आयशा की चूत और गांड पर रगड़ने लगा और मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली को डाल दिया, लेकिन जैसे ही मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाली तो उसको एकदम से झटका लगा और बहुत ज़्यादा मज़ा आने लगा। फिर उसकी गांड में भी क्रीम लगाकर मैंने अपनी उंगली डाल दी और रगड़ने लगा। अब में आयशा के दोनों छेदो को अपनी दोनों उंगली से चोद रहा था और मेरा लंड तो फनफना रहा था। फिर वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर ले गई। मैंने अपने लंड को उसकी चूत और गांड की दरार में रगड़ा और फिर क्रीम लगाकर उसकी चूत पर मेरे लंड का टोपा रख दिया। दोस्तों मेरी उम्र से मेरा लंड कुछ ज़्यादा ही बड़ा और मोटा था, जो उसकी चूत को फाड़ने के लिए अब एकदम तैयार खड़ा था और हम आज पहली बार ही चुदाई कर रहे थे, क्योंकि आयशा कभी किसी से चुदी नहीं थी और ना ही मैंने कभी किसी को चोदा था, लेकिन ब्लूफिल्म देखकर हमे चुदाई के बारे में बहुत अनुभव था। फिर मैंने आयशा को सीधा लेटाकर उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर उठा लिया और पैरों को चौड़ा करने से उसकी चूत के होंठ पूरे खुल गये और छेद साफ साफ दिख रहा था। फिर मैंने क्रीम लेकर उसकी चूत और मेरे लंड के टोपे पर लगाई और सही पोज़िशन बनाकर उसके पैरों को मजबूती से पकड़ा और थोड़ा सा रुककर पूरी ताक़त के साथ ज़ोर का धक्का दिया, जिसकी वजह से मेरे लंड का टोपा उसकी चूत को फाड़कर उसमें घुस गया और आयशा ज़ोर से चिल्लाकर रोने लगी। फिर में उसी पोज़िशन में वैसे ही रुक गया और उसके बूब्स की मालिश करने लगा। मैंने उसको लिप किस किया। फिर जब वो थोड़ा शांत हुई तो मैंने दोबारा तीन चार धक्के मारे तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया और वो दर्द से तड़प रही थी और अब उसकी चूत से खून निकल गया था। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

अब में उसको पकड़कर उसके निप्पल को चूसने लगा। मैंने उसकी चूत पर क्रीम लगाकर सहलाया, लेकिन मैंने अपना लंड बाहर नहीं निकाला था और वो मुझे धक्का देकर मेरा लंड बाहर निकालना चाह रही थी, लेकिन मैंने नहीं निकालने दिया। फिर थोड़ी देर बाद उसको भी अच्छा लगने लगा और वो भी अब चुदाई में मेरा साथ देने लगी। दोस्तों आज एक जुड़वा भाई और बहन आपस में चुदाई कर रहे थे और यह ख्याल आते ही में फिर से पागल हो रहा था और मुझे जोश आ रहा था। मैंने उसकी चूत में पहली बार लंड डाला था तो इस बात से भी में गरम हो रहा था और ऐसा सोचते हुए मैंने उसको चोदना शुरू कर दिया और वो भी अपने चूतड़ों को हिला हिलाकर मेरा पूरा साथ दे रही थी। फिर मैंने अब अपनी चुदाई की स्पीड को तेज कर दिया और ताबड़तोड़ चुदाई से वो सिसकियाँ निकालने लगी और ऐसे ही चुदते चुदते मैंने उसके हाथों से मेरी गर्दन को पकड़वाया और मेरे दोनों हाथों से उसके पैरों को पकड़कर उसको गोद में उठा लिया और फिर में उसको खड़े खड़े चोदने लगा।

फिर कुछ देर चोदने के बाद मैंने उसे अचानक से बेड पर पटककर एक ज़ोर से धक्का दे दिया तो उसकी चूत का कचूमर निकल गया। दोस्तों चुदाई में कोई रिश्ते नहीं होते इस बात को ध्यान में रखकर में अपनी सग़ी बहन को धमाधम धक्के देकर चोद रहा था। फिर कुछ देर बाद मैंने उसको डॉगी बनाकर पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर मैंने उसे चोदना शुरू कर दिया, करीब 25-30 मिनट बाद वो अचानक अकड़ने लगी और झड़ गई। फिर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि उसकी चूत ने मेरे लंड को अंदर से पकड़ लिया हो और मैंने ज़ोर से कुछ धक्के मारे तो मेरा भी पानी निकल गया और हम इस पोज़िशन में निढाल होकर बेड पर ही लेट गये और कुछ देर बाद मैंने उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला और 69 की पोज़िशन में आकर उसने मेरे लंड को और मैंने उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा और उसने मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसा। फिर हम दोनों नंगे ही बाथरूम में चले गये और हम नहाने लगे। नहाने के समय भी हम छेड़खानी करते रहे और वो मेरे लंड को पकड़कर मुझे चिड़ा रही थी कि में मेरी सभी फ्रेंड्स को बताउंगी कि मेरे भाई का लंड कैसा है और कितना बड़ा है? नहाने के बाद हम वापस रूम में आ गये तो देखा कि बेडशीट पूरी खराब हो चुकी थी और चूत के फटने की वजह से आयशा सही तरह से नहीं चल पा रही थी, उसको बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन उसकी गांड तो अभी भी कुंवारी थी और उसकी गांड की खुजली भी तो मुझे ही ख़त्म करनी थी। अब मैंने उसको पकड़ लिया और उसकी गांड की दीवारों के बीच क्रीम लगाई और हाथ से रगड़ना शुरू किया तो वो अब मुझसे अपनी गांड को मरवाने के लिए अपनी गांड को उठा उठाकर तड़पने लगी और फिर उसने मेरे लंड पर भी क्रीम लगाई।

दोस्तों तब मैंने महसूस किया कि मेरे लंड में भी बहुत दर्द हो रहा था और हम दोनों एक दूसरे में समाये जा रहे थे और मैंने उसकी गांड में उंगली करके पहले तो गांड को खोला और फिर लंड को छेद पर रख दिया और बहुत सारी क्रीम लगाई। फिर उसके पैरों को अपने कंधे पर लेकर उसकी गांड में ज़ोर के धक्के से लंड का टोपा अंदर घुसा दिया और फिर में वहीं पर रुक गया, क्योंकि मेरी सग़ी और प्यारी बहन अब उस दर्द से रोने लगी थी और उसकी आंख से आँसू निकल आए थे, जो में नहीं देख सकता था, क्योंकि में आयशा से बहुत प्यार करता हूँ और मेरे मम्मी, पापा भी उसको बहुत प्यार करते है, वो अलग बात है कि में इस समय उसकी बेरहमी से चुदाई कर रहा था।

फिर थोड़ा रुक रुककर में दो तीन धक्कों के साथ पूरा लंड उसकी गांड में डालने में सफल हो गया और अब उसकी गांड में बहुत दर्द हो रहा था, जो धीरे धीरे कम हुआ और वो मज़े करने लगी। फिर मैंने अपनी चुदाई की स्पीड को भी बढ़ा दिया और 15-20 मिनट की चुदाई के बाद में झड़ गया और मैंने उसकी गांड को अपने गरम गरम लावे से भर दिया और हम दोनों कुछ समय के लिए ऐसे ही रहे। फिर उसने मेरे लंड को और मैंने उसकी गांड को मुहं से चाटकर साफ किया और फिर हम सो गये, क्योंकि हमें चुदाई करते करते बहुत समय हो गया था। दोस्तों मैंने उस रात और अगले दिन भी आयशा की चूत और गांड की बहुत जमकर चुदाई की और उसको बहुत मज़ा आया और फिर वो मुझसे कहने लगी कि तू जब अगली बार होस्टल में मुझसे मिलने आएगा, तब भी हम बहुत जमकर चुदाई करेंगे, क्योंकि मेरी अधिकतर फ्रेंड्स होस्टल के रूम में अपने अपने दोस्त से चुदवाती रहती है। अब में भी उसकी यह बातें सुनकर मन ही मन होस्टल में जाकर मेरी बहन को चोदने के सपने देखने लगा। अब मुझे मेरी बहन का किसी और लड़के से चुदने का डर बिल्कुल ख़त्म हो गया था, क्योंकि उसने अपनी चूत और गांड में मेरा लंड ले लिया था और अब वो मेरे लंड के बारे में ही सोचती रहती थी और अब में उससे मिलने होस्टल जाऊंगा तो उसे ज़रूर चोदकर आऊंगा ।।

धन्यवाद …

नवरात्रि में आंटी के साथ संभोग किया - Navratri Me Aunty Ke Saath Sambhog

नवरात्रि में आंटी के साथ संभोग किया - Navratri Me Aunty Ke Saath Sambhog, Antarvasna Story , Bur chodan , Chudwane ka irada , Chudkkad aurat , Ladki ki chudai , Chut ke Maje , Gand mari , khub choda , Masti se chod diya , maje me chodi , Lund chusa . Laude ki chusai , Jabardast manoranjan ke sath chudwayi.

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम करण है। यह कहानी मेरी और मेरी आंटी की बीच में घटी एक सच्ची घटना है, जिसको मैंने अपने घर में ही चोदा। दोस्तों मेरी आंटी की उम्र 33 साल है और वो एक बच्चे की माँ है। वैसे में गुजरात का रहने वाला हूँ और गुजरात की आंटियों की गांड बहुत सेक्सी होती है और वैसी ही मेरी आंटी की भी थी। उनका फिगर का आकार 36-32-36 और में शुरू से ही उनकी गांड का बहुत दीवाना था, वो दिखने में बहुत सुंदर और उनका गोरा रंग गदराया हुआ बदन मुझे हमेशा अपनी तरफ आकर्षित करता था और अब ज्यादा समय ना बर्बाद करते हुए सीधा में अपनी कहानी पर आता हूँ। दोस्तों मेरी अपनी आंटी से मुलाक़ात करीब एक साल पहले हुई थी। वो हमारे पड़ोस वाली बिल्डिंग में रहती थी और में उनको अपनी बालकनी से बहुत बार कपड़े सुखाते हुए देखा करता था और वो मेरी इस हरकत पर गौर भी करती थी और मेरे पापा हमारी बिल्डिंग की सोसाईटी के प्रेसीडेंट थे तो हमारी वहां पर बहुत इज़्ज़त थी। मेरी और आंटी की हर दिन मुलाक़ात होती थी और हम हर रात को हमेशा साथ में घूमने जाते थे और ऐसे ही घूमते हुए बातचीत करते करते हमारी दोस्ती अब बहुत अच्छी हो गई थी और अब में उनका मूड देखकर उनसे बातें करते समय कभी कभी ऐसे वैसे मज़ाक भी कर लेता था। उनसे दो मतलब की बातें भी करता, लेकिन वो मुझसे कुछ ना कहते हुए शरारती स्माईल देती थी।

दोस्तों गुजरात में नवरात्रि सबसे बड़ा पर्व है और उस त्यौहार को यहाँ के लोग बहुत धूमधाम से मनाते है और बहुत अच्छी रोनक होती है। फिर वो समय भी नवरात्रि का था, इसलिए मेरे घर वाले भी उस दिन कुछ जरूरी काम से सभी लोग तीन दिनों के लिए कहीं बाहर गये हुए थे और मेरे लिए यही एक बहुत अच्छा समय था, जिसमें में आंटी के साथ वो सब कुछ कर सकता था, क्योंकि में बहुत समय से आंटी को चोदना चाहता था, इसलिए वो सभी बातें सोचकर पूरा विचार बनाकर में अब मन ही मन बहुत खुश था। दोस्तों आंटी के पति हर दिन बहुत दारू पीते थे और इस वजह से आंटी और अंकल के बीच हमेशा हर कभी बहुत झगड़ा होता था और यह बात मुझे भी पता थी। फिर उस रात को में और आंटी गरबा खेलकर फ्री हुए थे और रात बहुत हो गई थी और अब हम दोनों बहुत थक भी गये थे और हांफ रहे थे, पसीने से पूरे भीगे हुए थे, क्योंकि उन दिनों गरमी भी बहुत थी। फिर मैंने सही मौका देखकर आंटी को मेरे घर पर चलने के लिए कहा और वो भी मेरा कहा तुरंत मान गयी और फिर हम दोनों वहां से चुपके से किसी को बिना बताए अपने घर चले गये और घर में जाते ही मैंने सबसे पहले ए.सी. चालू कर दिया था और फिर कुछ देर में रूम एकदम मस्त ठंडा हो गया।

फिर आंटी अपने बाल ठीक कर रही थी, जो कि पूरे गीले हो गये थे और मेरा यह सब देखकर और भी दिमाग़ खराब हो गया। में जैसे तैसे वहां से अपना खड़ा लंड लेकर दूसरे रूम में गया और फिर मैंने अपने कपड़े बदल लिए और अब पजामे में बाहर आ गया। फिर मैंने देखा कि आंटी किचन में कुछ कर रही थी और उन्होंने भी ज्यादा गरमी होने की वजह से अपनी चुनरी को खोल दिया था। अब वो केवल मेरे सामने ब्लाउज और पेटिकोट में खड़ी हुई थी। अब में उनको घूर घूरकर देख रहा था और मुझे बिल्कुल भी पता नहीं चला कि आंटी ने कब मुझे चार बार आवाज़ दी और फिर मैंने होश में आकर सुना। उन्होंने मुझसे बोला कि ऐसे घूरकर क्या देख रहे थे। मैंने तुम्हें कितनी बार आवाज लगा दी? तो मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और फ्रीज़ से में एक ठंडे पानी की बोतल लेकर बाहर हॉल में आ गया। उसके बाद में बैठकर पानी पी रहा था और तभी आंटी ने मेरे पास आकर मुझसे पूछ लिया कि तुम्हारी क्या कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? अब मैंने उनको तुरंत ना का जवाब दे दिया तो उन्होंने दोबारा पूछा कि क्यों? फिर मैंने बोल दिया कि मुझे अब तक आपके जैसी कोई मिली ही नहीं। दोस्तों मेरे मुहं से यह बात सुनकर आंटी शरमा गयी, लेकिन थोड़ी उदास भी हो गई थी, वो अब अपना उदास सा चेहरा बनाकर नीचे देखने लगी। तब मैंने उनसे पूछा कि आपको क्या हुआ है, आपका चेहरा एकदम से इतना क्यों उतर गया? तो उन्होंने मुझसे बोला कि तेरे अंकल को मेरी कोई भी परवाह नहीं है। वो हर दिन दारू पीकर आते है और वो मुझसे बहुत झगड़ा करते है और फिर वो इतना कहते हुए रोने लगी। फिर मैंने तुरंत उनका गोरा, मुलायम हाथ पकड़कर उसे थोड़ा सा समझाया और फिर मैंने उनको अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स को बदलने के लिए दे दिया और सो गये, क्योंकि हम घर पर बिल्कुल अकेले थे, इसलिए हम एक ही रूम में सो रहे थे। मैंने रात को उठकर देखा कि उनकी टी-शर्ट पूरी ऊपर थी और उन्होंने उसके अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी और उनके बड़े बड़े 36 के बूब्स अब बाहर आकर झूल रहे थे, जिनको देखकर में जोश में आ गया और मैंने थोड़ी हिम्मत की और एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और फिर धीरे धीरे दबाने लगा और कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि वो सोने का नाटक कर रही थी, लेकिन उसने मुझे रोका नहीं और तब में समझ गया कि वो आग अब दोनों तरफ बराबर लगी हुई है। फिर मैंने सही समय देखते हुए उस मौके का फायदा उठाना उचित समझा और अब में धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए उनकी चूत पर अपना हाथ ले गया और फिर मैंने अपनी एक उंगली को जल्दी से अंदर डाल दिया। तब मैंने महसूस किया कि उनकी चूत पूरी तरह से गीली थी और मैंने छूकर महसूस किया कि उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, वो बिल्कुल चिकनी थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर कुछ देर बाद उनकी आंख खुली और वो मेरी तरफ अपनी आखें फाड़ फाड़कर देखने लगी, लेकिन वो मुझसे कुछ भी बोलती उससे पहले मैंने उनको किस करना चालू कर दिया था, उन्होंने थोड़ा सा नाटक किया, लेकिन कुछ देर बाद वो भी अब गरम हो गयी थी और वो मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी थी। हम दोनों पूरे नंगे हो गए और 69 की पोज़िशन में एक दूसरे का चाट रहे थे। फिर मैंने महसूस किया था कि तब तक वो एक बार झड़ चुकी थी और में उनका पूरा पानी पी गया और करीब 15 से 20 मिनट तक मेरा लंड चूसने के बाद उन्होंने अब मुझसे लंड को उनके अंदर डालने के लिए कहा। फिर में उनके कहने पर अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा था, जिसकी वजह से वो अब तड़प रही थी और उनकी वो आईईईईईई आअहह की आवाज़े पूरे रूम में गूँज रही थी, जिसको सुनकर में अब बहुत जोश में आ चुका था और फिर मैंने पूरे लंड को एक झटका देकर अंदर डाल दिया, उनकी आंख से आंसू बाहर निकलने लगे थे और वो उस दर्द के मारे बहुत ज़ोर से चिल्ला रही थी, आअहह ऊफ्फ्फ्फ प्लीज थोड़ा धीरे करो, में मर गई आह्ह्ह।

अब मैंने अपने धक्को की स्पीड को धीरे धीरे बढ़ा दिया था और वो भी अब उछल उछलकर मेरा पूरा सपोर्ट करने लगी, आअहह आईईईइ आधे घंटे तक में उनको लगातार धक्के देकर चोदता रहा और अब मेरा वीर्य निकलने वाला था, इसलिए मैंने कुछ देर और हल्के हल्के धक्के देकर अपना पूरा वीर्य उनकी चूत में ही डाल दिया और फिर लंड को बाहर निकालते ही आंटी ने मेरे लंड को अपने मुहं में ले लिया और लोलीपोप की तरह चूसने लगी, वो बहुत धीरे से आराम से किसी अनुभवी रांड की तरह मेरा लंड चूस रही, उन्होंने करीब दस मिनट तक मेरा लंड चूसा और उसके बाद अब मेरा लंड एक बार फिर से तनकर खड़ा हो गया। अब लंड अपने पूरे जोश में था और अब आंटी की गांड मारने का समय था, वो इस बात को तुरंत समझ गई थी और मुझसे ऐसा करने से साफ मना कर रही थी, लेकिन मैंने उनकी एक नहीं सुनी और थोड़ा सा वेसलीन अपने लंड और उनकी गांड पर लगाया और एक ही जोरदार धक्का देकर पूरा लंड उनकी गांड में उतार दिया। दोस्तों एक बार तो मानो वो उस दर्द से मर ही गई थी, क्योंकि अंकल उन्होंने कभी ऐसे चोदते नहीं थे और उन्होंने अपनी गांड तो आज तक नहीं मरवाई थी, इसलिए वो फुल टाईट थी। फिर कुछ देर बाद उनका थोड़ा दर्द कम हुआ और आंटी को अब मज़ा आने लगा और पूरे 40 मिनट की गांड चुदाई के बाद मेरा अब निकलने वाला था और इस बार आंटी ने वीर्य को उनके मुहं में डालने के लिए कहा, वो मेरा वीर्य पीकर चखना चाहती थी और फिर मैंने उनकी वो इच्छा को पूरा किया। मैंने अपना पूरा वीर्य आंटी के मुहं में निकाल दिया और वो उसे पी गई। दोस्तों वो अपने चेहरे से मेरी चुदाई की वजह से पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी और इस तरह हमने उस रात को तीन बार चुदाई की और फिर हम पूरे नंगे ही एक दूसरे की बाहों में लिपटकर सो गये।

फिर दूसरे दिन सुबह में जब उठा तो मैंने देखा कि आंटी किचन में पूरी नंगी खड़ी थी और वो हमारे लिए कॉफी बना रही थी, शायद उन्हें उनकी गांड का दर्द अभी तक महसूस हो रहा था, क्योंकि वो थोड़ा सा लंगड़ाकर चल रही थी, उनका गोरा, सेक्सी बदन देखकर मेरा लंड एक बार फिर खड़ा हो गया और मैंने तुरंत उठकर चुपचाप उनके पास पीछे से जाकर आंटी के बूब्स को दबाने लगा था, फिर उन्होंने भी मुझे किस किया और मेरे खड़े लंड को पकड़कर हिलाने लगी। फिर हम कॉफी लेकर हॉल में आ गए और आंटी किचन से कुछ चोकलेट लेकर आ गई और वो अब मेरे लंड पर चोकलेट लगाकर लंड को चूसने लगी। में तो उस समय जैसे जन्नत में था। फिर मैंने भी उनके बूब्स पर चोकलेट लगाकर बूब्स को चूसना शुरू कर दिया और बीच बीच में काट लेता, जिसकी वजह से उनके मुहं से आअहह आईईईइ की आवाज़ निकल जाती। फिर मैंने वहीं सोफे पर ही उनको गोद में बैठा लिया और अब मैंने उनकी चूत में लंड को अंदर तक पूरा डालकर चूत को मारना शुरू कर दिया, वो भी अब मेरे ऊपर उछल उछलकर मेरा पूरा साथ दे रही थी। फिर करीब 20 से 25 मिनट ऐसे ही चुदाई के मज़े लेने के बाद अब मेरा वीर्य निकलने वाला था और इस बीच आंटी दो बार झड़ चुकी थी और अब हॉल में फच फच और आहह उफ्फ्फ आवाज़ गूँज रही थी और कुछ धक्के देने के बाद मैंने भी आंटी की चूत में अपना वीर्य डाल दिया और हम दोनों वैसे ही निढाल होकर पड़े रहे। फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों उठकर खड़े हुए और एक साथ में नहाने चले गये और बाथरूम में मैंने एक बार फिर से उनकी गांड मारी और अब नहाकर बाहर निकले। फिर कुछ देर लेटकर आराम करने के बाद आंटी के घर से फोन आ गया और वो उठकर अपने घर पर चली गई। उसके बाद मैंने आंटी को तीन दिन तक लगातार हर रोज बहुत मज़े से चोदा और उसके बाद जब भी मुझे अच्छा मौका मिलता है तो में उनके घर पर जाकर उनकी चुदाई जरुर करता हूँ और वो कभी कभी मेरे घर पर आकर मुझसे चुदवाती है और हमारी चुदाई ऐसे ही चल रही है ।।

धन्यवाद …

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