खेत में देसी लड़की की देसी लंड से चुदाई khet me desi ladki ki desi lund se chudai

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यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है; उम्मीद है कि आप सभी को पसंद आएगी; कुछ गलतियाँ दिखें तो माफ कीजिएगा.

हैलो.. मेरा नाम प्रह्लाद है, अभी मेरी उम्र 22 वर्ष है; मेरे परिवार में पापा-मम्मी, बहन है.

अपने बारे में बहुत अधिक तो नहीं लिखना चाहता हूँ.. पर एक बात जरूर लिखूंगा मित्रो कि सभी कहानियों में लंड का नाप लिखा होता है, लेकिन मैंने कभी अपना लंड को फीते से नापा नहीं है.. पर मेरा लंड इतना है कि किसी भी औरत व लड़की को सन्तुष्ट कर सकता है.

यह कहानी मेरी और हमारे खेत में काम करने वाले की लड़की की कहानी है; उसका नाम सुमन है, उसका फिगर 32-25-28 का है, वह एकदम मस्त माल थी; सुमन अपने परिवार के साथ हमारे यहाँ खेती का काम करती है.

एक दिन घर पर कोई नहीं था, मैं भी मेरे दोस्त की शादी में जाने की तैयारी कर रहा था; उसी वक्त घर पर सुमन आई, तो मैंने घर में अकेले होने का फायदा उठाकर उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया.

वह मुझ पर गुस्सा करने लगी और कहने लगी- मैं ऐसे काम नहीं करती हूँ और आज के बाद मुझ से ऐसा गंदा काम मत करना.

यह कहकर वह मुझे धमकाते हुए चली गई.

मैं दो दिन के बाद उसके पास गया, तो वह मुझ से बात भी नहीं कर रही थी.

मैं वापस घर आ गया और उसे चोदने के तरीके सोचने लगा; मैंने सोच लिया था कि इस साली को तो मैं चोदकर ही रहूँगा.

एक दिन मेरे नसीब ने मेरा साथ दिया; उस दिन घर के सभी लोग शादी में गए थे; वह घर पर टीवी देखने आ गई; मैंने उसे टीवी के कमरे में ही पकड़ लिया और उसे किस करने लगा; उसने विरोध किया, पर मैंने उसकी एक नहीं सुनी क्योंकि मेरे ऊपर चुदाई का भूत सवार था.

मैं उसे लगातार किस करता गया.. तो वह भी गर्म हो गई और मेरा साथ देने लगी; मैं समझ गया कि ये साली चुदने ही आई थी, नहीं तो अब तक चिल्लाने लगती.

मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी, अन्दर उसने काली ब्रा पहनी थी; काली ब्रा में उसका गोरा जिस्म बड़ा ही नशीला लग रहा था; इस समय वह एकदम कामदेवी लग रही थी; मैंने उसकी ब्रा निकाल दी.. उसकी चुची दूध के समान सफेद थीं और उन पर गुलाबी निप्पल बहुत ही सुन्दर लग रहे थे.

मैं उसकी एक चुची को चूसने लगा और एक हाथ से दूसरी चुची को दबा रहा था.

मैं हँस कर पूछा- मजा आ रहा है?

तो मेरे लंड को पकड़ते हुए बोली- मजा लेने ही तो आई हूँ मेरी जान.. अब तड़फा मत, अपना लंड मेरी कुंवारी चुत में डाल दे.. वर्ना मैं मर जाऊँगी.

ये सुनते ही मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया, उसकी चुत पर काले घने बाल थे; मैं उसकी टांगों के बीच अपना मुँह ले जाकर उसकी गुलाबी चुत चाटने लगा; मैं काफी देर तक उसकी चुत चाटता रहा.

इसके बाद मैंने अपना लंड जो अब तक पूरा खड़ा व लोहे की रॉड के समान हो गया था; उसके सामने लहराया;

वो मुस्कुरा दी, तो मैं अपना लंड उसकी चुत पर रखकर धक्का लगाने लगा; पर लंड तो चुत में अन्दर जा ही नहीं रहा था;

उसने कहा- कुछ तेल लगा लो.. क्या सूखा ही पेलोगे?

फिर मैंने अपने लंड पर तेल लगाकर दुबारा चुत पर टिकाया; इस बार थोड़ा सा धक्का लगाने पर लंड थोड़ा अन्दर घुस गया;

मोटे लंड के सुपारे के घुसते ही दर्द के मारे उसके मुँह से चीख निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह.

मैं अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर चूमने लगा, ताकि शोर न हो; थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम होने पर, मैंने एक और झटका लगाया और आधा लंड उसकी चुत में चला गया.

दर्द के मारे उसका बुरा हाल हो गया था.. लेकिन उसके होंठों पर मेरे होंठ चिपके हुए थे, इसलिए वह चीख नहीं पाई;

मैं उसके मम्मों को दबाने लगा.. वह मस्त हो उठी और कामुक सिसकारियां भरने लगी.

अब मैंने दुबारा एक धक्का लगाया, तो मेरा पूरा लंड उसकी चुत में चला गया; उसे फिर से दर्द होने लगा.. वह कहने लगी कि अपना लंड बाहर निकालो.. वरना मैं मर जाऊँगी.

मैं थोड़ी देर रुका रहा, जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैं उसे चोदने लगा; अब वह भी मस्ती में अपनी गांड उठा-उठा कर अपनी चुत चुदवाने लगी थी.

कुछ ही धक्कों में उसे बहुत मजा आने लगा था और वह पूरे जोश में आकर कहने लगी- मेरी चुत को चोद कर फाड़ दो.. इस चुत का भोसड़ा बना दो.. अह.. और जोर से चोदो.

मैं भी जोश में उसे चोदने लगा.. वह इस दौरान एक बार झड़ चुकी थी, पर मेरा छूटना अभी भी बाकी था.

फिर मैं जोर-जोर से चोदने के बाद उसकी चुत में ही झड़ गया और मैं निढाल होकर उसके ऊपर ही गिर गया.

बाद में जब मैं खड़ा हुआ तो देखा कि बिस्तर पर उसकी चुत से निकले खून के दाग लगे थे, तो मैंने चादर को साफ किया.

जब सुमन बिस्तर से उठी, तो दर्द के कारण उससे ठीक तरह से चला भी नहीं जा रहा था; मैंने उसको एक दर्द की टेबलेट दी.. उसके कुछ देर बाद मैं उसे उठाकर बाथरूम में ले गया; वहाँ हम दोनों साथ में नहाए बाद में वह चली गई.

इसके हम दोनों ने कई बार उसके पापा-मम्मी से नजर बचाकर रात को गेहूँ की खड़ी फसल के बीच में जाकर चुदाई का मजा लिया.

विधवा कामवाली की और मेरी अतृप्त वासना शांत हुई vidhva kamwali ki or meri atrupt vasna shant hui

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मेरी उम्र अभी 18 साल हे लेकिन लंड कुछ ज्यादा ही खड़ा होता हे मेरा. रोज रात को पोर्न देख के लंड हिलाना मेरी आदत हे. कितनी बार भी पोर्न देख के अपने लंड को हिला लूँ लेकिन मेरी प्यास बूझती ही नहीं हे. इसलिए मैंने सोचा की पोर्न देखना और लंड हिलाना बंद कर देता हु. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. पोर्न की अर्ज होती रही और मैं देख के लंड को हिलाता रहा. मेरी आँखों में हवस ही होती थी किसी भी औरत के लिए. मैं औरतो के पास होता तो होर्नी ही होता था.

मैं अपनी माँ को देख के भी लंड के अंदर अकड महसूस करता था. लेकिन मैं जानता था की वो कभी काम नहीं करेगा! लेकिन भगवान ने आखिर मेरी सुन ही ली. हुआ यु की हमारी कामवाली ने अपना काम छोड़ दिया. और मम्मी ने एक नयी कामवाली रख ली. वो गोरी थी. बॉडी भी सही थी. उम्र करीब 35 की होगी, नुकीले बूब्स, सेक्सी लिप्स थे उसके. और वो एक मस्त मिल्फ़ थी. वैसे कामवालियां काम में इतनी बीजी रहती हे की वो कभी मोटी होती ही नहीं हे.

अक्सर कामवालियां अपने बदन का ध्यान नहीं रखती हे और दिखने में गन्दी होती हे. लेकिन हमारी नयी कामवाली ऐसी नहीं थी. वो साफ़ सुथरी थी और कम ही बोलती थी. अगर मैं किसी को कहूँ की वो मेरी माँ की बहन हे तो भी अनजान आदमी मान ले वैसी थी वो.

वो मोर्निंग में आती थी. फिर दोपहर तक काम करती थी. वो हमारे घर में कपडे धोने का, बर्तन मांजने का और घर मर झाड़ू पोछा करने का काम देखती थी. मम्मी अगर उसे जरा भी एक्स्ट्रा काम करवाए तो उसके एक्स्ट्रा पैसे दे दिया करती थी. जब उसका पहला दिन था तभी से मेरी नजर उसके ऊपर थी.

उसका भरा गदराया हुआ बड़ा, उसके मोड़, उसके होंठो, उसकी मचलती और मटकती हुई गांड, उसका क्लीवेज सब कुछ मुझे चुदासी बना रही थी. और उन दिनों में मैं मुठ भी कम ही मारता था इसलिए एक्साइटमेंट कुछ ज्यादा ही रहता था. जब भी उसे देखता था तो मेरी चड्डी के अंदर प्रीकम की बूंद निकल जाती थी. मुझे उसकी गांड देखने में मजा आता था. अक्सर मैं अपने लंड को जानबूझ के उसकी गांड से लड़ा देता था. और तब चड्डी के फेब्रिक के घिसने से लंड का पानी छुट सा जाता था. ऐसे ही चलता रहा कुछ दिन और फिर उसे चोदने की लालसा सर पर चढ़ी थी.

मुझे अक्सर रातों में कामवाली की चुदाई के स्वप्नदोष होते थे. मैं सच में उसकी चूत का अहसास कर लेना चाहता था. उसके बुर के मसल अपने लंड के ऊपर प्रेशर बनाए ऐसी मेरी चाह थी. और एक औरत जब झडती हे तो मर्द को क्या फिलिंग होती हे वो मैं जानना चाहता था. मैं उसके बड़े देसी बूब्स को अपने चहरे के ऊपर घिसना चाहता था और उसके निपल्स से दूध पीना चाहता था. मुझे ऐसे भी होता था की मैं उसकी चूत को चाट के उसकी बुर के ज्यूस को चख लूँ. और ये सब सोच के मेरे लंड में जो हलचल होती थी उसे कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल था!

और फिर करीब एक महीने के बाद में वो दिन आ गया! हमारे रिश्तेदार के वहां पर शादी थी. और मेरे पेरेंट्स शादी अटेंड करने के लिए वो दो दिन के लिए वहां चले गए. वो लोग मोर्निंग में जल्दी ही निकल गए. और मैं दरवाजे को लोक कर के वापस सो गया. करीब 2 घंटे के बाद मुझे दरवाजे के ऊपर नोक सुनाई दी. और मैं समझ गया की मेरी चूत आ गई!

मैंने जा के दरवाजा खोला, वो वही खड़ी हुई मेरे बरमुडे के अन्दर बने हुए त्रिकोण को देख रही थी. वैसे भी साला लंड सुबह सुबह खड़ा होता हे और आज तो चोदने का प्लान था अपना! मेरालोडा पुरे 7 इंच का हे और वो किसी भी औरत को खुश करने के लिए काफी हे. मेरी कामवाली वैसे विधवा भी और वो भी शायद अपनी चूत में लंड लेने के लिए बेताब ही थी.

मैंने अपना खड़ा लंड उसको दिखा के अपनी पहली चाल चल दी थी. और उसके चहरे को देखा तो समझ गया की वो भी खुश थी लंड का उभार देख के. मैं उसके बर्तन मांजने के और कपडे धोने की वेट करने लगा. और फिर मैंने उसे मेरे लिए नाश्ता बनाने को कहा. जब वो किचन में गई तो मैं भी उसके पीछे चला गया. मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स में खड़ा हुआ था. उसके चहरे के एक्सप्रेसन को देख के मेरी हिम्मत खुली हुई थी. मैं उसके बदन के सेक्सी कर्व और उसकी बिग गांड को देख रहा था. मैंने बिना कुछ सोचे अपने शोर्ट को निचे सरका दिया और उसके पास में खड़ा हो गया.

उसको भी पता ही था की मैं वहां पर हूँ. मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी गांड की फांक पर घिसना चालू कर दिया. धीरे धीरे से मैं उसकी गांड की सॉफ्टनेस अपने लंड को फिल करवा रहा था. मैं उसके इतने करीब था की उसके माथे में से मुझे चिक शेम्पू की सुगंध भी आ रही थी. मैं एकदम क्रेजी था. मैं लंड को घिस रहा था लेकिन वो कुछ भी रिएक्ट नहीं कर रही थी. वो जोर जोर से साँसे ले रहा था और मैंने उसकी कमीज को ऊपर कर दिया और उसके पजामे के ऊपर से मैं लंड को टच करवाने लगा.

उसने अंदर एक पतली सी पेंटी पहनी हुई थी. मैं उसके ऊपर लंड घिसने का मजा ले रहा था. फिर मैंने अपनी कमर को हिलाई और उसके पजामे को चोदने लगा. बहुत ही मस्त फिलिंग थी वो और मेरा लंड प्रीकम उसके पजामे के ऊपर निकालने लगा.

उसने अपने हाथ मेरी कमर के ऊपर रखा और अपनी तरफ खिंच लिया. मैंने अपने हाथ उसकी कमर के ऊपर से उसके बूब्स के ऊपर रख दिए. मैंने उन्हें जोर जोर से दबा रहा था. उसके बूब्स ब्रा में से जैसे चिभने लगे थे. मैंने उसकी कमीज में हाथ डाल के उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और फिर उन्हें जोर जोर से हिलाने लगा. वो जोर से मोअन कर रही थी और उसकी साँसे भी तेज हो चुकी थी.

वो बोली, अह्ह्ह बेटे दबा उन्हें, घिस अपने लौड़े को मेरी गांड के ऊपर, तेरा लंड जब से देखा हे मेरी तो चूत पागल हो चुकी हे.

मैंने कहा, आंटी आप को देख के मैं भी पागल ही हुआ था, आप बहुत सुंदर हो!

मैंने उसके पजामे के ऊपर अपना माल निकालना नहीं चाहता था इसलिए मैंने उसके पजामे की नोट को खोला और उसे निचे कर दिया. उसकी पिंक पेंटी उसकी गांड के ऊपर मस्त लग रही थी. मुझे लगा की मैं जन्नत में हूँ. मैंने उसे झुकने के लिए कहा और वो मान गई. मैंने उसकी पेंटी को साइड में कर दिया और अपने लंड को उसकी गांड की फांक के ऊपर घिसने लगा.

वो बोली, अह्ह्ह डाल दो अंदर, इतनी तो गीली हुई हे, जल्दी कर दो उसको अंदर.

मैंने अपने लंड को अन्दर कर दिया. लंड जैसे कोई गरम गुफा में घुस रहा था. मैं हम्प कर के उसे चोदने लगा. वो फिलिंग बड़ी ही सेक्सी और अलग थी. वो 2 मिनिट के धक्को ही मेरे लंड के ऊपर झड़ गई और उसके ज्यूस मुझे लंड के ऊपर फिल होने लगे. मैं तो सातवें आसमान के उपर था जैसे!

मेरे टट्टे उसकी जांघो से टकरा के बड़ा ही सेक्सी साउंड बना रहे थे. और मैं उसके बूब्स मसल के उसे पेल रहा था. वो बोली, और जोर से बेटा अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह उईई अह्ह्ह्ह और जोर से!

जब भी मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुसता था तो मैं भी जैसे कराह उठता था. कुछ देर ऐसे ही मस्त झटको के बाद मैं उसकी चूत के अन्दर ही झड़ गया. वो भी जोर जोर से मोअन कर रही थी और मैं भी. मेरे पाँव में कम्पन आ रहा था उत्तेजना की वजह से. मैं थक सा गया था. मैंने अपने माथे को कामवाली की पीठ के ऊपर रख दिया. ये मेरी पहली चुदाई थी जो बड़ी हो मजेदार रही थी.

मैंने अपने लंड को धीरे से बहार खिंचा. उसकी चूत में से कुछ वीर्य की बुँदे बहार आ निकली. कुछ वीर्य उसकी जांघो के ऊपर भी बह निकला था. शायद बहुत सब वीर्य मैंने उसकी चूत में छोड़ा था जो बहार आ रहा था.

कामवाली ने कहा, बेटा तू सच में बड़ा चोदु हे. तेरा लंड भी कितना गरम हे.

उसने मुझे ये भी बताया की ऐसी चुदाई और ओर्गास्म उसने अपनी लाइफ में कभी भी फिल नहीं किया था. उसने अपनी चूत के ऊपर उंगलिया घिसी और मेरे वीर्य की फिल्म सी बनाई और मेरे सामने देख के बड़े सेक्सी ढंग से उसे चाट लिया. और फिर उसने कहा, तेरे मम्मी पापा दो दिन नहीं हे और तुझे दोनों दिन मुझे ऐसे ही चोदना हे!

मैं भी उसके लिए एकदम रेडी ही था. मैं नाहा के मेडिकल गया और आंटी के लिए गर्भपात की गोली और अपने लिए वायेग्रा ले आया. मैंने कामवाली को कहा आप फटाक से घर का काम निपटा लो फिर हम सेक्स की फिल्म देख के चोदेंगे. वो काम कर रही थी तो मैंने उसके साथ बैठ के देखने के एक लॉन्ग मल्लू पोर्न मूवी डाऊनलोड कर ली.

पेंटर ने मेरी चूत को रंग दिया panter ne meri chut ko rang diya

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मैंने दरवाजा बंद किया. मेरे पति ने झट से मेरा गाउन निकाल लिया, मेरी पेंटी को निकाल दिया और खुद अपने सारे कपड़े उतार कर, अपना लंड मेरे मुँह के पास लाया, मुझे उनका गोरा लंड अब छोटा और पतला लगने लगा, मेरा मन अब पति और पेंटर के लंड की तुलना करने लगा था, मेरे पति का गोरा पतला और छोटा था तो पेंटर का काला लंबा और मोटा था.
‘क्या देख रही हो लंड की तरफ?’ पति ने पूछा.
कुछ जवाब देने के बजाय मैं उसका लंड चूसने और चाटने लगी, उसको शक ना हो इसलिए दुगने जोश में उसका लंड चूसने लगी.
‘हाऽऽई नीतू डार्लिंग, आज क्या कमाल चूस रही हो तुम!’ पति खुश होकर बोला.
बैडरूम के की-होल से पेंटर हमें देख रहा था और हमारी बातें सुन रहा था.
‘धीरे से चूसो, नहीं तो मेरा हो जायेगा.’
मुझे भी यही चाहिए था पर मैं रुक गई, उनके लंड पर कंडोम चढ़ाया और खुद पीठ के बल लेट गई- जल्दी डालो!
मैंने जानबूझ कर ‘मुझे जल्दी है’ ऐसा दिखाया.
उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.
‘आज तो एकदम से चला गया लंड चूत में?’ उसने आश्चर्य से कहा.
मैंने मन में बोला ‘जायेगा नहीं तो क्या… कितना बड़ा लंड लिया है मेरी चूत ने!’
उसके धक्कों से मेरी चूत का दर्द और बढ़ने लगा पर सहन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था.
‘जोर से करो ना जानू!’ मैंने उसे प्यार से कहा तो वो मुझे जोर से धक्के देने लगा, पर वो धक्के भी पेंटर के धक्के के सामने कुछ भी नहीं थे.
कुछ देर के बाद वो थक कर पीठ के बल लेट गया और मुझे ऊपर बुला लिया, उसको शक ना हो इसलिए मैं उस पर सवारी करने लगी, मुझे दर्द हो रहा था फिर भी जोर से ऊपर नीचे हो रही थी, मेरी स्पीड के वजह से उसने अपना वीर्य मेरे अंदर, कंडोम में उड़ेल दिया.
‘क्यों इतनी जल्दी झड़ गए, मेरा अभी बाकी था!’ मैं उसे दोष देते हुए उसके ऊपर से नीचे उतरी, उसने लंड से कंडोम निकाल कर टेबल लैंप के टेबल पर रखा.
‘दो घंटे बाद की फ्लाईट है, खाना खाते हैं.’
मैंने उठा कर गाउन पहना, दरवाजे पर कुछ हलचल दिखी, शायद पेंटर नीचे चला गया था.
खाना खाते वक्त मैं बोली- घर का कलर का काम चल रहा है, आप भी जा रहे हो, काम कैसे होगा?
‘खाना खाने के बाद पेंटर से बात करता हूँ!’ पति ने मुझसे कहा.
खाना खाने के बाद पति ने पेंटर को बोला- मोहन काम जल्दी खत्म करो!
‘हाँ साहब, लेकिन क्या करें, आदमी लोगों का प्रॉब्लम है, देखता हूँ नहीं तो नाईट शिफ्ट में भी काम करता हूँ.’
‘हाँ चलेगा, दो तीन नाईट शिफ्ट में हो जायेगा क्या?’
‘देखते हैं लेकिन पूरा जोर लगा दूंगा सहाब, नाईट शिफ्ट में कोई डिस्टर्ब करने वाला भी नहीं रहता न!’ वो डबल मीनिंग बोल रहा था.
दो घंटे बाद पति एयरपोर्ट चले गए, पेंटर जल्दी जल्दी हाथ चला रहा था, उसको नाईट शिफ्ट करने में काफी इंटरेस्ट था.
लगभग 8 बजे वो चला गया और दस बजे फिर से आ गया, मैंने मेन डोर लॉक किया, वो तो तैयारी में ही आया था, उसने मेरी गांड पर चपत लगाई.
‘अब कुछ नहीं हाँ… चुपचाप अपना काम करो!’ मैंने उसे ना बोलने का प्रयास किया.
‘हाँ काम ही करना है!’
मैं गाउन मैं थी, पति से सेक्स के बाद मैंने सिर्फ गाउन पहना था, अंदर कुछ भी नहीं पहना था.
उसने हॉल में ही गाउन निकाल कर फेंक दिया और मुझे पूरी नंगी कर दिया, उसने मुझे धक्का देकर सोफे पर गिरा दिया और मेरे पैर फैला कर मेरी बुर को चाटने लगा, उसके लपालप चूसने के वजह से मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया- उई माँआआ आआ… स्सस्स…
‘देखा कितनी चुदासी है तू… आज तेरी चुदास मिटाता हूँ!’ ऐसा कह कर उसने जीभ का हमला मेरे चूत पर जारी रखा, मेरी चूत का कोना कोना वो चाट रहा था.
मैं उसके बालों में हाथ डाल कर उसका सिर अपनी चूत पे दबा रही थी और ख़ुशी मेरे सिर को इधर उधर घुमा रही थी.
‘ऊपर बैडरूम में चल!’ मुझे उठाते हुए वो बोला, मैं भी उसके पीछे चल पड़ी.
उसका तगड़ा शरीर, उसका सेक्स करने का जोश देख कर मैं उसका गुलाम हो गई थी, उसके लंड की, उसके गंदे बोलने की मुझे लत लग गई थी.
बैडरूम में जाकर उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया, मुझे घोड़ी बना कर पीछे से मेरी चूत चाटने लगा.
‘ इऽऽऽऽय… ये क्या कर रहे हो…’ जिंदगी में पहली बार किसी ने मेरी चूत को पीछे से चाटा था, पर वो रुकने वाला नहीं था, मेरी बुर चाटने के बाद उसने मेरी गांड के छेद को चाटना शुरू कर दिया.
‘इऽऽऽऽ गंदा… उधर क्या कर रहे?’ मैंने उसे रोकते हुए कहा.
‘लगता है तेरी गांड भी बहुत चुदासी है, जरा जबान लगाने से साली को करंट लगता है!’ मेरी गांड चाटने के बाद उसने मुझे बेड पर बिठाया और खुद बेड पर खड़ा हो गया, मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ लिया, थोड़ी देर हिलाने के बाद चूसने लगी.
‘माँ कसम क्या चूसती है!’
वो मेरे मुँह में धक्के देने लगा, थोड़ी देर मैंने मेरे मुँह से लंड को बांहर निकाल लिया.
‘यहाँ पे डालो!’ मैं बुर की तरफ हाथ दिखा कर बोली.
‘मतलब?’ उसने जानबूझ कर पूछा.
‘मतलब चूत में डाल भोंसड़ी के !’ मैं उसे बोली.
‘और अंदर डाल कर क्या करूँ?’ वो मुझे परेशान कर रहा था.
मुझे भी चुदाई का खुमार छा गया था, मैंने उसे उसके अंदाज से जवाब देने के बारे में सोचा- अरे तेरा मूसल जैसा लंड मेरी चूत में डाल और चोद मुझे!
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वो सुन कर खुश हुआ- अब आ गई न औकात पर रंडी साली, गन्दी बातें करने में ही मजा आता है.
वो मुझे चुदाई ज्ञान सिखाने लगा, उसने मुझे पीठ पे लेटाया, अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और पूरी ताकत से अंदर डाला.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… हरामखोर… फड़ेगा क्या मेरी चूत!’ उसने दोपहर के जैसे मेरी तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दिया और जोरदार धक्के देना चालू कर दिया, उसके बलवान शरीर के नीचे मैं पिस गई थी, पर उसके विशाल लंड की जोरदार चुदाई से मैं सातवें आसमान में पहुंच गई थी.
उसने मुझे उठाया और खुद पीठ के बल लेट गया, मैं उसके ऊपर चढ़ गई.
‘ऐसे ही चुद रही थी न अपने पति से? अब मैं दिखाता हूँ इस पोजीशन में कैसे चुदाई करते हैं.’
मैंने ऊपर नीचे होना शुरू किया, वो नया कुछ भी नहीं कर रहा था, फिर मैंने उसके छाती पे हाथ रखकर स्पीड बढ़ाई और उसने मेरे स्तनों को कस से पकड़ा और नीचे से धक्के देना शुरू कर दिया.
‘तू स्पीड कम मत कर!’ मुझे बोल कर उसने नीचे से जोरदार धक्के देने शुरू कर दिए.
मैं ऊपर होती थी तब मेरे पति ने कभी भी नीचे से धक्के नहीं दिए थे, यह नई बात मुझे मोहन पेंटर से पता चली, मुझे इस आसन में अजीब सा मजा मिल रहा था, मेरा ऊपर नीचे होना और उसका नीचे से जोरदार धक्कों की वजह से मैं जोरदार तरीके से झड़ गई.
वो अब एक सी स्पीड में धीरे धीरे से मुझे नीचे से चोद रहा था, मुझे अब उसके धक्के सहन नहीं हो रहे थे, मुझे ऐसा लगा कि वो भी झड़ने वाला है- अरे, तुमने कंडोम नहीं पहना?
‘मुझे अच्छा नहीं लगता!’
‘पर कुछ हो गया तो?’
‘अपुन फुल कण्ट्रोल में है, दोपहर को भी बाहर ही माल गिराया था.’
‘पर मुझे अंदर लेने में मजा आएगा, ऐसे करो अंदर ही पिचकारी मार दो!’
‘पर कुछ हुआ तो?’
‘कुछ नहीं होगा, मैं गोली खा लूँगी.’
उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो मैंने उसे रोका और नीचे पीठ के बल लेट गई, वो अपने जंगली तरीके से मुझको चोदने लगा और मेरी चूत के अंदर ही पिचकारी मार दी, उसके साथ ही मैं भी फिर से झड़ गई.
वो पूरी रात मुझे नये नये आसनों में मुझे चोदता रहा.
उसके बाद के दो दिन और दो रातें वो मुझे हर तरह से यूज़ करता रहा, मैंने भी उसका पूरा साथ दिया.
‘दीवारों के कलर शेड से ज्यादा शेड सेक्स में होते हैं!’ यह बात मुझे मोहन पेंटर से पता चली.

वर्जिन कामवाली की चूत का खून निकाला vergin kamwali ki chut ka khun nikala

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दोस्तों मेरा नाम अग्निश हे और मैं पटियाला का हूँ. और ये बात आज से बहुत समय पहले की हे. जब मैं 12वी में था तब की ये बात हे. हमारे घर में एक कामवाली थी उसकी दो बेटियाँ थी. और दोनों में जो छोटी थी, रोहिणी, उसका फिगर एकदम ही सेक्सी था. उसको देख के किसी के मुहं में भी पानी आ जाए. मैं उसे काफी दिनों से लाइन मार रहा था.
एक बार ये जवान कामवाली झाड़ू लगा रही थी और मैं उसके पीछे से निकला. मैंने धीरे से उसकी गांड के ऊपर हाथ रख दिया. वो थोड़ी चौंकी लेकिन कुछ बोली नहीं. मैं ऐसे अब बार बार करने लगा था. वो कुछ नहीं कहती थी इसलिए मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी. लेकिन मुझे डर सा था की कही वो मेरी मम्मी को ना बोल दे इसलिए मैं आगे नहीं बढ़ रहा था.
लेकिन एक दिन मैंने सही हिम्मत दिखा ही दी. घर के बाकी के लोग बहार हाल में थे और वो मेरे कमरे में झाड़ू लगाने के लिए गई. मैं उसके पीछे गया. वो आगे की और झुक के झाड़ू लगा रही थी. मैं उसके पीछे दबे पाँव गया. और मैंने उसे ले दबोचा. वो घबरा गई लेकिन कुछ नहीं बोली. वो बोलती भी कैसे मैंने सीधे ही उसके होंठो को अपने होंठो से लगा के थूंक की लेनदेन चालु भी कर दी थी. और फिर मैंने अपने एक हाथ से उसके बूब्स के लड्डू दबाये. तभी मुझे किसी के कदमो की आवाज आती लगी तो मैंने उसे छोड़ दिया.
वो उसकी माँ थी जो कहने के लिए आई थी की बहार का झाड़ू पहले लगा दो मुझे पोछा करना हे. मैंने मन ही मन कहा तेरी माँ की चूत मारू साली कुछ देर लेट आती तो तेरी माँ चुदती थी.
वो मेरे तरफ देख के चली गई. लेकिन एक बात थी की उसके चहरे के ऊपर स्माइल थी. और मुझे लगा की अब तो इसको चोदना ही हे कुछ भी कर के.
शाम को मुझे फिर से मौका मिल गया रोहिणी के साथ में. शाम को वो कमरे में आई तो मैंने उसे वापस पकड़ लिया. और कपड़ो के साथ ही उसके साथ सेक्स करने लगा. वो पोछा करने के लिए निचे बैठी थी तो मैंने उसके बालों को पकड के उसके चहरे पर पेंट के साथ ही लंड को घिसा. वो मुझे छोड़ने के लिए कह रही थी पर मैं तो चोदने के मुड में था. मैने अपने एक हाथ को उसके ढीले कुरते में डाला और उसके लड्डू मसलने लगा. मैंने उसकी एक चुन्ची को बहार निकाल के अपने होंठो से चाट ली. साला फिर से कोई आ गया और मेरा काम बिगड़ गया.
फिर तो मैं जब भी मौका मिलता था उसे पकड़ के किस कर लेता था. और उसके हाथ से अपने लंड को पकड़ा देता था. उसके बूब्स मसलता था और वो निचे झुके तो उसकी गांड पर अपना लंड टच करता था. पर चोदने के लिए सही मौका मुझे नहीं मिल रहा था.
मैं वर्जिन लड़कियों की चुदाई की कहानियाँ पढने लगा था. और एक दिन मैंने उसे पूछा की झांट साफ़ करती हो क्या तुम?
रोहिणी एकदम से शर्मा के अन्दर के रूम में भाग खड़ी हुई. मैं उसके पीछे गया और उसके हातथ को पकड़ के अपने लंड पर रख दिया. आज मौका था कुछ टाइम के लिए. मम्मी छत पर कपडे लेने गई थी अपने.
मैंने फिर से पूछा, रोहिणी झांट साफ़ करती हो क्या तूम?
वो बोली, वो क्या होता हे?
मैंने कहा, जो चूत के ऊपर बाल उगे होते हे उसे झांट कहते हे. निकाले हे कभी?
वो हंस के बोली, नहीं!
मैंने कहा एक बार दिखाओ ना अपनी चूत.
वो बोली, मेडम आ जायेंगी.
मैंने कहा., मेडम के आने से पहले तू बंद कर लेना चूत को.
वो डर सी रही थी. मैं उसे ले के दरवाजे के पीछे आ गया. उसने अपना नाडा खोला और अपनी घाघरी को निचे किया. उसने सच कहा था उसकी चूत झांटदार थी और एकदम कडक और कसी हुई देसी वर्जिन चूत थी वो. उसे देख के ही मेरे मुहं में पानी आ गया. मैंने अपने हाथ से उसे सहलाया तो रोहिणी के मुहं से सिसकी निकल गई. तभी सीड़ियों की तरफ से मम्मी की चप्पल की आवाज आई. मैंने दरवाजा खोला और वो भाग गई.
अब मैंने इस नादान कामवाली की बेटी को चोदने के लिए एक प्लान बनाया. मेरे एक दोस्त के पास ब्ल्यू गंदे फोटोस की एक मेग्जिन थी. उसे मेग्जिन के अन्दर बड़े लंड से बुर चुदाई के पिक्स थे. मैंने दोस्त से कहा की मुझे एक हफ्ते के लिए दे दे. वो बोला, साले एक हफ्ते तक मुठ मारेगा क्या!
मैंने कहा, अरे वो बाद में बताऊंगा.
दोस्त की मैगज़ीन मैंने अपने कमरे में तकिये के निचे रख दी. दुसरे दिन रोहिणी जब कमरे की सफाई कर रही थी तो मैं छिप गया. उसने तकिये को उठा के बिस्तर साफ़ करने का अपना रोज का काम चालू किया. मैंने मैगज़ीन ऐसे रखा था की तकिया उठाते हुए बुर के अन्दर घुसा हुआ लंड दिखे. रोहिणी वो देख के एकदम से खड़ी हो गई. उसने मैगज़ीन को उठा ली और एक एक कर के सब फोटो देखने लगी. वो एकदम हार्डकोर पिक्स थे जिसमे बड़े 9-10 इंच के लंड से भी चुदाई होती दिखाई गई थी. रोहिणी ने पन्ने पलटे और मैंने पीछे से उसके पास आ गया. मैंने उसे पकड लिया.
वो बोली, साहब मेडम हे घर पर.
मैंने कहा वो अपने कमरे में हे मैं देख के आया हूँ.
फिर मैं उसे अलग अलग फोटो दिखाने लगा. एक फोटो में एक लड़की को लंड चूसते दिखाया गया था. मैंने कहा, ऐसे करो ना!
वो बोली, नहीं नहीं साहब कोई आ जाएगा!
साला फिर से वो भाग गई!
मैं दुखी हो रहा था और रोज उसके नाम की मुठ मारने लगा था. फिर एक दिन आशा का किरन निकला. मम्मी ने एक दिन कहा की मैं कल नाना जी के वहां जा रही हूँ तू आएगा?
मैंने कहा नहीं मम्मी मेरी क्रिकेट की मेच हे कल.
दुसरे दिन मम्मी सुबह में ही निकल गई. उसने जाते हुए कहा रोहिणी आये तो उन्हें कहना की आज काम नहीं हे.
मैंने कहा ठीक हे.
माँ के जाने के कुछ देर में पापा भी ऑफिस चले गए. मैंने कहा आज तो रोहिणी का बुर पेलूँगा ही. मैंने रोहिणी के आते ही उसे अपने कमरे में ले जा के बहुत किस दिए. वो बोली, साहब मेडम देख लेंगी.
मैंने कहा आज घर में सिर्फ हम दोनों ही हे!
ये सुनते ही उसके अन्दर भी अजीब सी हिम्मत आ गई. मैंने उसके कपडे फटाक से खोल के उसके बाल वाले बुर को देखा. मैंने फिर अपनी पेंट को खोली, मेरे लंड को वो एकदम अजीब नजरों से देख थी. मैं फिर समझा. मैंने कहा, अरे वो फोटो में जो होते हे वो तो बहुत बड़े होते हे ऐसे असली में बहुत कम होते हे.
वो हंस पड़ी. मैंने उसकी बुर को खोल के देखा. वो ऊपर से काली और अन्दर से डार्क लाल थी. मैंने एक ऊँगली अन्दर की तो वो हिल उठी. मैंने फिर अपने लंड को उसके मुहं के पास रख के कहा, फोटो के जैसे इसे चुसो. रोहिणी ने फट से लंड को मुहं में ले लिया और चूसने लगी. रोहिणी सिर्फ सुपाडे को और निचे के एक इंच जितने लंड को चूस रही थी. लेकिन मेरे लिए उतना भी काफी था. साला बहुत दिनों से हाथ से काम चलाना पड रहा था.
फिर मैंने रोहिणी को कहा चलो अब मैं बुर चाटूं. वो पलंग के ऊपर लेट गई. मैंने उसकी टांग को पूरा खोला और अपने हाथ से उसकी मुनिया सहलाने लगा. वो सेक्स के नशे में चढ़ सी गई थी. मैंने अपनी ऊँगली से उसकी बुर हिलाई और फिर अपनी जबान से उसके दाने वाले हिस्से को चाटने लगा. रोहिणी की बुर से एकदम गन्दी मूत यानी की पेशाब की जैसी स्मेल आ रही थी पर चाटने में तो मजा आ ही रहा था मुझे. मैंने कुछ देर उसकी चूत चाटी.
मैंने फिर से अपने लंड को उसके मुहं में दिया और कहा अब थोडा अंदर तक ले लो इसे और चुसो.
वो समझ गई की मैं क्या कहना चाहता था. उसने लंड तिन इंच जितना अन्दर ले के चूसा. मैंने उसके माथे को पकड़ के अपनी तरफ दबाया और आधा इंच जितना और अन्दर किया लंड. वो मजे से लंड को चुस्से लगा रही थी.
मैंने कुछ देर लंड चूसा के उसकी टाँगे खोली. वो बोली, दर्द तो नहीं होगा ना?
मैंने कहा तुझे किसने बताया की दर्द होता हे.
वो बोली, बाबा जब माँ की टाँगे खोल के ये सब करते हे तो माँ रोने लगती हे.
मैंने कहा, फिर कुछ देर बाद माँ हंसती भी होगी ना?
वो बोली, हां.
मैंने कहा तेरे साथ भी ऐसे ही होगा.
मैंने अपने लंड के ऊपर एक कंडोम चढ़ाई. मैंने सब इंतजाम कर के ही रखा था. फिर धीरे से अपने लंड को उसकी बुर पर लगाया. ग्लिसरीन की बोतल से थोडा निकाल के लंड के ऊपर लगाया और उसकी चूत पर भी. फिर एक हौले से झटका दिया. सुपाड़ा ही अन्दर घुसा था पर वो ऐसे चिल्लाई की जाने क्या हो गया हो उसके साथ में.
मैंने उसके कंधे पकड के एक कस के धक्का लगाया. आधा लंड अन्दर गया और उसकी बुर से खून निकल गया. उसकी सिल टूट चुकी थी. और वो एकदम रोने लगी थी और कह रही थी, अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह निकाल लो बाबु जी बड़ा दर्द हो रहा हे.
,मैंने कहा अभी मजा आएगा जानेमन.
और ये कह के मैं उसके छोटे छोटे बूब्स को चूसने लगा. वो कुछ देर तक गिडगिडाती रही और मैं हौले हौले से आधे लंड से उसे चोदता रहा. कुछ देर के बाद उसे भी सेक्स के अन्दर मजा आने लगा था. मैंने उसके होंठो को अपने होंठो से जकड़ के फिर ऐसा झटका लगाया की पूरा 6 इंच का लंड उसकी देसी बुर के आरपार निकल गया. वो छटपटा उठी लेकिन मैंने उसे हिलने नहीं दिया. ;लंड को कुछ देर ऐसे ही रोहिणी के बुर में रहने दिया मैंने. जब उसे थोड़ी शांति हुई तो उसने रोना कम कर दिया. फिर मैंने धीरे धीरे से अपने खून से सने हुए लंड को उसकी चूत में हिलाने लगा. वो मचल उठी थी. अब उसे भी अच्छा लग रहा था लंड लेना.
कुछ देर की मस्त चुदाई के बाद मैंने रोहिणी की दोनों टांगो को अपने हाथ में ले लिया. और उन्हें उठा के अपने कंधे के ऊपर चढ़ा दिया. वो बोली, साहब दर्द चालू हो गया वापस.
मैंने कहा, लंड पूरा जो घुसा तेरे झांटवाले बुर में जानेमन.
वो हसं पड़ी.
मैंने धक्के लगाने चालू कर दिए. वो भी अब अपनी कमर को थोडा ऊपर कर के गांड को हिला रही थी. मेरा लंड उसके सेक्सी बुर को ठोक रहा था. बहुत दिनों के बाद रोहिणी को चोदने का सपना पूरा हो रहा था मेरा इसलिए मैं भी बहुत खुश था.
पांच मिनिट की बेबाक और मस्त चुदाई के बाद मेरे लंड का पानी छुट गया. कंडोम के आगे के हिस्से में चिकना कम निकाल दिया मैंने. फिर धीरे से कंडोम ना फटे ऐसे लंड को आराम से उसकी चूत से निकाल लिया. हमारी चद्दर पूरी लाल हो गई थी. उसकी चूत से खून निकल के वहाँ गिरा था. उसने खून देखा तो बोली, ये कहा से आया?
मैंने कहा, मेरी जान आज मेरे लंड ने तुम्हारी चूत को लड़की से औरत बनाया न उसका ही खून हे.
वो बोली, मेरी माँ ऐसा करती हे उसे तो नहीं आता.
मैंने कहा अब हम करेंगे तो तुझे भी नहीं आएगा.
फिर मैंने उसे कहा जाओ ये चद्दर धो के अपने घर पर चली जाओ आज काम की छुट्टी.
वो बोली, मेरे से भी आज काम नहीं होना हे.
मैंने उसे 200 रूपये दिए और कहा, आगे भी मौका मिला तो मैं ये करूँगा तुम्हारे साथ.
वो बोली, हां बाबु जी मुझे भी मजा आ गया.

कामवाली को दूकान में नोंचा और घर पर चोदा kamwali ko dukan me naucha or ghar par choda

कामवाली को दूकान में नोंचा और घर पर चोदा kamwali ko dukan me naucha or ghar par choda , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan, Lund chusa, chut chati, gand marvai, chut chudwayi ke articles.
दोस्तों मेरा नाम चिंची (मेरा पेट नेम) हे और आज मैं आप को एक पुरानी बात बताने के लिए आया हु, आज की ये सेक्स कहानी मेरे 12-13 साल पहले के सेक्स अनुभव के ऊपर आधारित हे. अभी मेरी उम्र 38 साल हे और मैं बंगलौर में रहता हूँ. आज की ये कहानी में मैं आप को मेरी कामवाली के सेक्स के बारे में बताऊंगा. वो हमारे घर में कामवाली का काम तो करती ही हे. साथ में वो पड़ोस की हमारी दूकान में केशियर का काम भी करती हे.
सच कहूँ तो पहले मेरा कोई इरादा नहीं था उसके साथ में सेक्स करने का. लेकिन सब कुछ उतनी जल्दी और बिना किसी प्लान के हो गया की मुझे सच में समझने का कोई मौका ही नहीं मिला. जब ये काण्ड हुआ तब वो 23 साल की थी और मेरी उम्र 26 साल की थी.
कामवाली की हाईट 5 फिट 3 इंच की थी. और उसके बूब्स 32 इंच के थे. उसके निपल्स एकदम नुकीले थे और उसके होंठ एकदम चूसने लायक थे. उस दिन मैं दूकान पर गया था कुछ घंटो के लिए. मेरे पापा को कुछ काम था गवर्नमेंट ऑफिस में इसलिए वो वहां पर गए हुए थे.
मैं केशियर की चेयर पर बैठा हुआ था. और वो भी मेरे पास ही उसी टेबल के ऊपर बैठी हुई थी. मैंने अपने हाथ टेबल के ऊपर रखे हुए थे सपोर्ट के लिए. और तब अनजाने में मेरे हाथ उसके बूब्स को टच कर गए. मुझे हाथ में सॉफ्ट और स्पोंजी लगा. मैं भूल ही गया था जैसे की वो उसके बूब्स थे.
जब मुझे रिअलाइज हुआ की वो उसके बूब्स हे तो मैंने थोडा पुश किया और मैंने उसे दबाये. और उसके चहरे के भाव थोड़े बदल गए. मैंने उसके चहरे के ऊपर बदले हुए भाव को देखा. मैं उतना होर्नी हो चूका था की मैं बार बार दबा रहा था. उस दिन उस से ज्यादा कुछ भी नहीं हुआ.
अगले दिन मैंने जानबूझ के अपने हाथ को उसके बूब्स के ऊपर रखा और दबाया. और आज उसकी मोअन निकल गई हलकी सी. दूकान के साइड में एक छोटी सी जगह हे जहाँ पर हम लोग ज्यादा सामान यानी की स्टॉक रखते हे. मैं उधर गया और कुछ ढूंढने की एक्टिंग करने लगा. फिर मैंने उसे आवाज दी तो वो भी अन्दर आ गई. हमारे सामने खिड़की थी जहा से अगर कोई दूकान की तरफ आये तो पता चले ऐसा था. उसके अंदर आते ही मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया. और मैंने अपने हाथ को उसके बूब्स पर रख के दबा दिए. उसने जरा भी विरोध नहीं किया. लेकिन सपोर्ट भी नहीं किया.
फिर मैंने उसे अपनी तरफ घुमा दिया और उसके होंठो को अपने होंठो में भर लिया. हम दोनों किस करने लगे. और अब की वो भी थोडा थोडा रिस्पोंस दे रही थी मुझे. मैंने उसके बूब्स को दबा दिए और उसके निपल्स को पिंच करने लगा. उसके निपल्स एकदम हार्ड हो चुके थे.
मैंने उसके टॉप में हाथ डाला और डायरेक्ट टच कर के उसके बूब्स को दबाने लगा. साथ में मैं उसको एकदम हार्ड किस भी दे रहा था.  वो भी एकदम उत्तेजित हो चुकी थी और मेरी किस का अच्छे से रिस्पोंस दे रही थी. वो भी मेरी जबान को चूस रही थी. मैंने अब हाथ को उसके लोअर में डाला और उसकी गीली चूत का अहसास हुआ मेरे हाथ के ऊपर. मैंने उसके टॉप को खोला दिया और उसकी चूत में ऊँगली करते हुए उसके बूब्स को जोर जोर से चूसने लगा.
वो बहुत जोत से मोअन कर रही थी. मुझे डर भी लग रहा था की कही कोई आ ना जाए. और सच में ऐसा ही हुआ. हम लोग जल्दी से कपडे ठीक कर के बहार आ गए. फिर मैं अपने घर आ गया क्यूंकि मेरे पापा भी आ चुके थे. फिर कुछ देर में वो भी घर का काम करने के लिए आ गई. उसके आते ही मैं उसे पकड़ के अपने कमरे में ले गया. मैंने उसके टॉप को खोल के उसके बूब्स को ऐसे चुसे जैसे कल होना ही नहीं था. फिर मैंने बिना अपनी अंडरवेर निकाले अपने लंड को उसके चहरे के ऊपर घिसा.
वो भी एकदम होर्नी हो चुकी थी. वो मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से ही चूसने लगी और अपनी गीली जबान घिसने लगी. अब मैंने उसे बिस्तर के ऊपर लिटा दिया. मैंने उसकी कमर और जांघो के ऊपर मजे से मसाज किया और किस भी कर दी.
फिर उसने मुझे पीछे धक्का दे के मेरी अंडरवेर दांतों से खोल दी . फिर उसने लंड की टिप को अपने मुहं में ले के लोल्लिपोप के जैसे चुसना चालू कर दिया. उसने इतना सेक्सी ब्लोव्जोब दिया की मेरी हालत खराब हो चुकी थी. ये मेरे लिए सब से बेस्ट ब्लोव्जोब था. मैंने उसे खिंच के उसकी चूत को सुंघा और फिर उसकी चूत के दाने को चूसने लगा. वो जोर जोर से मोअन कर रही थी. मैं उसकी चूत को मस्त फिंगर कर रहा था और चाट भी रहा था. मैंने उसकी चूत को 15 मिनिट तक चूसा.
फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को मैंने उसकी चूत पर लगा के घिसा. मैं लंड को चूत में घुसाने की ट्राय कर रहा था. लेकिन मेरा लंड जरा भी अन्दर नहीं गया. और मैं समझ गया की वो वर्जिन थी. मैंने धीरे से इंटर किया और उसे एडजस्ट करने के लिए टाइम दिया. मैंने और धक्का दे दिया और अपने लंड को अन्दर कर दिया. उसकी चूत की झिल्ली फट गई और वो रोने लगी.
मैंने उसे कहा की क्या मैं वापस निकाल दूँ. तो उसने कहा नहीं मत निकालो. मुझे खून की खुसबू आ रही थी उसकी चूत से. मैं धीरे धीरे उसे चोद रहा था. और फिर मैंने अपनी स्पीड को बढ़ा दिया. 15 मिनिट तक मैं उसे मस्त चोदता रहा. मेरा पानी अब निकलने को था. फिर मैंने लंड को बहार निकाला और उसकी चूत के ऊपर माल निकाल दिया. फिर मैं उसके ऊपर गिर पड़ा और उसके बूब्स को चूसने लगा.
इस बिच में वो भी दो बार झड़ चुकी थी. उसने मेरे लंड को पकड़ के हिलाया. मैं बाथरूम में गया और अपने लंड को साफ़ किया. वो भी मेरे पीछे आ गई. और वहां पर उसने मेरे लंड को मुहं में ले के मस्त ब्लोव्जोब दे दिया. अब की मैंने अपने माल को उसके मुहं में ही निकाला. फिर हमने एक दुसरे को साबुन से घिस घिस के नहला दिया.
अगले दिन दुकान के अन्दर वो मेरी ही वेट कर रही थी. मैं उसे वही जगह पर ले गया. और घुटनों के ऊपर बिठा के उसके मुहं को मस्त चोदा. वहाँ पर चुदाई तो नहीं कर सकते थे इसलिए मैंने उसके मुहं में ही पानी छोड़ दिया. और फिर मेरी और उसकी चुदाई का काम ऐसे ही चलता रहा. दूकान पर टचिंग और सकिंग होती थी और घर पर उसकी फकिंग होती थी.
हमने पुरे 2 साल तक एक दुसरे के साथ एन्जॉय किया. लेकिन फिर मेरी जॉब सिटी से बहार हो गई और मैं कम ही शहर मर रहता था. उसकी भी शादी उसके नेटिव में किसी लड़के के साथ हो गई!

वंदना ने मुझे नौकर से चुदवाया vandana ne mujhe naukar se chudvaya - SEX KAHANI IN HINDI

वंदना ने मुझे नौकर से चुदवाया vandana ne mujhe naukar se chudvaya - SEX KAHANI IN HINDI , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan, Lund chusa, chut chati, gand marvai, chut chudwayi ke articles.

दोस्तों में एक बार फिर से अपनी एक और दूसरी नई कहानी के साथ आप लोगों के सामने आई हूँ. अब में पहली बार अपनी चुदाई किसी मर्द से कर रही हूँ और यह मेरा पहला सेक्स अनुभव है, जिसको आज में सुनाने जा रही हूँ.
दोस्तों में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियों को पढ़कर उनके मज़े लेने लगी, जिसकी वजह से मेरा जोश पहले से ज्यादा बढ़ गया और मुझे अपनी चूत में किसी लंड की कमी महसूस होने लगी थी, इसलिए में अब अपने गोरे सेक्सी जिस्म की आग को ठंडा करने के लिए अपनी बहुत अच्छी दोस्त वंदना को कहा कि में किसी मर्द से अपनी चुदाई करवाना चाहती हूँ, मुझे अब बिल्कुल भी रहा नहीं जाता.
तब उसने बहुत ध्यान से मेरी परेशानी को सुनकर समझकर कुछ सोचकर मुझसे कहा कि में तुम्हारे लिए जरुर उसका इंतजाम करूंगी और फिर मैंने उसको पूछा कि वो कौन है? तब उसने मुझसे कहा कि वो हमारा नौकर है और उसका नाम रवि है, उनको में अंकल कहकर पुकारती थी, उसकी उस बात को सुनकर पहले में बहुत चकित थी, लेकिन फिर मैंने अपने ठंडे दिमाग से सोचा कि वो मुझे बात तो एकदम सही कह रही थी.
दोस्तों वो एक 40 साल के हट्टेकट्टे बहुत दमदार इंसान थे और वो हर रोज सवेरे जल्दी उठकर कसरत किया करते थे, वो अब तक अकेले थे, मतलब उसकी शादी भी नहीं हुई थी और वैसे में सच कहूँ तो मुझे उसके साथ अपनी चुदाई का विचार अच्छा भी लगा और में अब उसको अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए ऐसे काम करने लगी कि उनकी नजर हमेशा मुझे खा जाने के लिए तैयार रहने लगी थी, वो अब मेरे पास आने मुझे किसी भी बहाने से छूने के मौके देखने लगे थे, मुझे घूर घूरकर देखने लगे थे.
दोस्तों रवि अंकल को में कई बार कसरत करते हुए देख चुकी थी, वो सिर्फ़ अंडरवियर पहनकर ही कसरत किया करते थे, उनके अंडरवियर में होने की वजह से उनका लंड का उभार भी मुझे साफ साफ दिखता था.
फिर एक दिन उस रात को वंदना अपने घरवालों से मेरे साथ रात में रुकने के लिए कहकर वो मेरे घर पर आ गई और उसको मैंने अपनी बाहों में भर लिया और में उसको प्यार करने लगी थी.
कुछ देर बाद उसने एक एक करके मेरे पूरे कपड़े उतार दिए और देखते ही देखते उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया. उसके बाद मैंने भी वंदना को नंगा कर दिया और उसके बाद हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गये और हम दोनों एक दूसरे की चूत को चाटने चूसने लगे थे और मुझे बहुत अच्छी तरह से पता था कि अंकल हमें छुपकर यह सब करते हुए देख रहे है, क्योंकि पहले भी में उनको मेरे ऊपर नजर रखते हुए देख चुकी थी और इसलिए में अब उनको दिखने के लिए जोश में आकर ज़्यादा ज़ोर से वंदना की चूत चाट रही थी.
थोड़ी देर बाद अंकल अपने आपको रोक ना सके और वो अब मेरे पीछे आ गए और मेरी गांड को सहलाने चाटने लगे थे. फिर में एकदम से चौंक गयी, क्योंकि वो अब मेरी चूत और गांड दोनों को एक साथ पागलों की तरह चाटे जा रहे थे, जिसकी वजह से मेरे शरीर में बिजली का करंट दौड़ने लगा था और में उउउफ़्फुफुफुउ ओह्ह्ह्हह हाँ और ज़ोर से चूसो अंकल कहने लग गयी और कुछ ही देर बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और उसको वंदना ने पी लिया.
कुछ देर बाद वंदना भी झड़ गई और मैंने उसका पानी पी लिया और फिर में पीछे मुड़ी और में देखकर बिल्कुल हैरान रह गई, क्योंकि मैंने देखा कि अब अंकल पूरे नंगे होकर खड़े हुए थे और उनका लंड तो एकदम तना हुआ था. उनका लंड करीब 5 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था. अब मैंने तुरंत झपटकर उसको अपने मुहं में ले लिया और में पागलों की तरह उसको लोलीपॉप समझकर चूसने लगी थी और यह मेरा पहला मौका था कि में किसी आदमी का लंड इतने पास से देख रही थी और आज उसको चूसकर उसके मज़े भी ले रही थी.
अब मेरे साथ साथ अंकल को भी बड़ा मज़ा आ रहा था, वो आह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ़ और ज़ोर से निशा तुम कितना अच्छा लंड चूसती हो, में तो एकदम पागल हो रहा हूँ, वो ऐसा कह रहे थे. अब वंदना भी उनकी गांड के छेद को चाट रही थी.
हम सब लोग 69 की पोज़िशन में आ गए और में अंकल का लंड चूस रही थी और अब अंकल वंदना की चूत को चूस रहे थे और वंदना मेरी चूत को चूस रही थी और हम तीनों को बहुत मज़ा आ रहा था, में तो हवा में उड़ रही थी, आह्ह्ह्हह्ह ऊईईइईईई उूउुफ़ुउऊुुउुफुफूफ और ज़ोर से चूसो इस तरह की आवाज़े निकाल रहे थे और कुछ देर बाद में वंदना के मुहं में झड़ गयी और वंदना अंकल के मुहं में झड़ गयी और अब अंकल भी झड़ने वाले थे, लेकिन कुछ देर धक्के देने के बाद वो भी मेरे मुहं में झड़ गये.
वंदना और अंकल मेरे मुहं को किस करने लगे. दोस्तों मुझे वो स्वाद बड़ा अच्छा लग रहा था, क्योंकि मुझे उस दिन पहली बार एक साथ लंड और चूत का पानी पीने को मिल रहा था. फिर कुछ देर मेहनत करके अंकल का लंड वंदना ने चूसकर एक बार फिर से खड़ा कर दिया और फिर अंकल ने अपने खड़े लंड को ज्यादा देर ना करके तुरंत मेरी चूत में डाल दिया.
अब में उस असहनीए दर्द की वजह से ज़ोर से चिल्ला उठी, ऊईईईई माँ में मर गई उफ्फ्फ्फ़ प्लीज अंकल अब आप बाहर निकालो, आह्ह्ह्हह मुझे बहुत दर्द हो रहा है. दोस्तों वो मेरे दर्द को देखकर रुक गए और मैंने अपने हाथ से छूकर देखा कि अंकल का लंड अभी मुश्किल से मेरी चूत में बस तीन इंच भी नहीं गया था, अभी भी उनका दो इंच लंड मेरी चूत से बाहर ही था, लेकिन अपनी पहली चुदाई और अंकल का मोटा लंड होने की वजह से में एकदम तड़प गई थी. फिर अंकल ने अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसको वंदना चाट रही थी. अब अंकल ने अपनी तरफ से दोबारा एक ज़ोर का झटका लगा दिया. फिर उनका लंड अब मेरी चूत में कुछ इंच तक चला गया.
मुझे बहुत ज़ोर से दर्द हो रहा था और में उसकी वजह से चिल्ला भी नहीं सकती थी, क्योंकि अब वंदना ने उसकी चूत को मेरे मुहं पर रख दिया था और फिर अंकल ने दोबारा ज़ोर का धक्का देकर अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और में उस दर्द से तड़प रही थी. मुझे कुछ देर बाद मज़ा भी आने लगा, इसलिए में अब अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी थी और कहने लगी थी आह्ह्ह्ह हाँ और ज़ोर से चोदो अंकल अपनी इस रांड को उफ्फ्फ्फ़ फाड़ दो मेरी चूत को, मुझे चुदाई का पूरा मज़े दो जमकर चोदो.
मुझे दोस्तों में अब गंदे शब्द काम में ले रही थी, जिसको सुनकर अंकल भी अब जोश में आ गए और वो मुझे धक्के देते हुए कहने लगे, हाँ ले मेरी रंडी में आज तेरी चूत को पूरा फाड़ दूँगा, तुझे में अपना वीर्य भी पिलाऊंगा, वो मुझसे यह कह रहे थे.
कुछ देर बाद में सिसकियाँ लेने लगी और में आह्ह्ह्हह उऊफ्फुफ़्फुफु अंकल में अब गई काम से इतना कहकर में झड़ गयी, लेकिन अब भी अंकल नहीं झड़े थे, बाद में वो झड़ गये तो सारा पानी मेरे वंदना के मुहं में डाल दिया और में बहुत तेज़ी से अंकल का लंड चूस रही थी और उसके लंड पर लगे बचे हुए वीर्य को अपनी जीभ से चाटकर साफ कर रही थी और वंदना भी अब अंकल का लंड चूस रही थी.
फिर मैंने वंदना की गांड को चटाना शुरू कर दिया और अब अंकल वंदना की गांड को मारना चाहते थे और फिर अंकल मेरी चूत और गांड दोनों को ही बारी बारी से चाट रहे थे. में वंदना की गांड में अपनी जीभ को अंदर डालकर चाट रही थी.
अब अंकल ने अपने लंड पर वेसलीन लगाकर एकदम चिकना कर लिया और फिर वंदना को अपने सामने घोड़ी बनाकर उसकी गांड में अपने लंड को घुसाया और उस दर्द की वजह से वंदना चिल्ला उठी, में उसके बूब्स को दबा रही थी और मेरी चूत उसके मुहं में थी, अंकल उसका चीखना चिल्लाना नहीं सुन रहे थे और वो बिल्कुल बेरहम बनकर उसकी कमर को अपनी मजबूत पकड़ से पकड़कर उसकी गांड को बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहे थे.
फिर मैंने एक रबर के लंड को अपनी चूत पर बाँध लिया और में अंकल की गांड को अपनी जीभ से कुतिया की तरह चाटने लगी. दोस्तों अंकल की गांड एकदम साफ थी और उस पर एक भी बाल नहीं थे और फिर मैंने अपनी एक उंगली को उनकी गांड के अंदर डाली तो अंकल चकित हो गये. उसके बाद में अपनी जीभ से उनकी गांड को चाट रही थी.
कुछ देर के बाद मैंने उस लंड को अंकल की गांड के अंदर डाल दिया. दोस्तों वो लंड दस इंच का था और वो मेरे एक ही जोरदार झटके में आधा अंदर चला गया, अंकल दर्द की वजह से चीख उठे और वो कहने लगे, उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्ह निशा तुम यह क्या कर रही हो? अब मैंने उनसे पूछा क्या आपको दर्द होता है?
अंकल बोले हाँ रे मुझे बहुत दर्द हो रहा है. तब वंदना बोली हरामी क्या तूने मेरी गांड मारते समय भी ऐसा सोचा था? और फिर वंदना बोली कि जल्दी से अब तुम मेरी गांड को धक्के मारना चालू करो हरामी उफ़फफफफफ्फ़ आईईईईईइ आह्ह्ह्हह्ह हाँ और ज़ोर से मारो, फाड़ डालो आज मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और अब अंकल ज़ोर से वंदना की गांड को मार रहे थे और में अंकल की गांड मार रही थी और हम दोनों मज़े ले रहे थे.
इतने में अंकल वंदना की गांड में झड़ गए और में वंदना की गांड जो कि अंकल के वीर्य से भरी हुई थी, वो चाट रही थी आह्ह्हह्ह्ह्ह वाह बहुत मज़ा आ रहा है ओह्ह्ह्ह उूउफ्फ्फ क्या मस्त स्वादिष्ट मजेदार है और फिर दोस्तों उस रात को हम तीनों ने रात भर बहुत जमकर चुदाई के मज़े लिए.
अंकल ने एक एक करके हम दोनों को चोदा और हम दोनों ने भी रबर का लंड लगाकर बारी बारी से उसकी गांड मारकर मज़े लिए, जिसकी वजह से हम तीनों ही बहुत खुश होकर वैसे ही पूरे नंगे सो गए और सीधे दूसरे दिन सुबह उठे.

चूत में घुसा लंड फिर भी चूत को था घमंड chut me ghusa lund fir bhi chut ko tha ghamand

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यहाँ पे जो भी लोग मेरी ये स्टोरी पढ़ रहें है उन सभी हवस के पुजारियों को मेरा सलाम | और ये स्टोरी एक बहुत बड़े मादरचोद प्रकार के व्यक्ति के ऊपर लिखी गई है जिसका नाम है संजीव मिश्र है और जो की मै हूँ |
मै और मेरे कुछ दोस्तों का ग्रुप है | हम सब बेहद शौक़ीन है नयी नयी चूत के दर्शन करने के और ये बात है कुछ 3 – 4 महीने की है | हम सभी को सेक्स करने की बहुत इच्छा हो रही थी , अगर सीधे तरीके से कहा जाए तो हम सभी को बहुत मस्ती छाई हुई थी | उस समय हम लोग मुंबई में रहते थे और कुछ दिन छुट्टियाँ बिताने के लिए एक होटल का रूम बुक किये हुए थे | हम लोगो को रूम में रुके हुए लगभग 2-3 दिन हो रहे थे और हम “भोसड़ी वाले लोग वहां भी अपना अश्लील काम करना नहीं छोड़े“ हमारी हवश भरी नजर हमारे रूम के ठीक सामने के बगल वाले रूम में रहने वाली दो हसीनो पे जा रुकी और हम लोग मिलकर उन दोनों की दिल से गांड मरने के पीछे लग गए थे |
अब हम सब अपने अपने काम पर लग गए मेरे तीन दोस्त उन दो लडकियों में से एक लड़की को चोदने के पीछे लग गए थे जिसका नाम आरोही था और मैं दूसरी वाली के पीछे लगा था जिसका नाम मानसी था और हम लोगो के बीच मै शर्त भी लग गई की तू पहले चोदेगा की हम लोग | मैंने भी हां कर दिया मुझे क्या पता था की कुछ दिनों के बाद मेरी गांड फटने वाली है |
ऐसे ही 2 दिन निकल गए बाद में मुझ गांडू को पता चला की जिसके पीछे मेरे दोस्त लोग लगे हुए थे वो बहनचोद तो वेसे ही पहले से रंडी थी | वो तो बड़ी ही आसानी से उन लोगो की बातो में भी आने लगी | और दूसरी तरफ मै था हालांकि मै उससे बातचित तो करने लगा था वो मेरी फ्रेंड भी बन चुकी थी पर फिर भी मुझे उसे चोदना था , वो इतनी सीधी थी कि जैसे उसने कभी किसी बच्चे का भी लंड नहीं देखा हो , उसको लाइन मार मार के मेरी माँ चुदे जा रही थी पर उसे समझ में ही नहीं आता था की तेरा ये फ्रेंड तेरे साथ बस एक रात सोना चाहता है |
और दूसरी तरफ मेरे दोस्त लोग आरोही के साथ मजे ले रहे थे उसके साथ पूल में नहाते थे डिनर करते थे और उसके साथ हर प्रकार की बाते कर लेते थे फिर चाहे वो खाने की हो या चूत की चुदाई की | ये सब सुन के मेरी झांटे जल जाती थी मैंने भी सोचा की कुछ तो करना पड़ेगा ऐसे तो कुछ नहीं हो पाएगा , और फिर मै उसके रूम में गया और बात की क्या कर रही हो , वो बोली कुछ नही बस बैठी ही हूँ तुम सुनाओ क्या हो रहा है मैंने कहा कुछ नहीं तुमसे बात करने का मन हो रहा था इसलिए चला आया , वो बोली सच में मैंने कहा हाँ एकदम सच | फिर मैंने उससे कुछ और बात की और मौका देखते हुए अपने दिल की बात बोल ही दिया की मानसी मुझे तुम बहुत पसंद हो मैं तुमे प्यार करने लगा हूँ स्वीटहार्ट | वो थोडा शरमाई फिर बोली मैं भी तुम्हे पसंद करती हूँ | मैंने कहा सच , वो बोली हां बिलकुल फिर मैंने कहा कि क्या तुम मुझसे प्यार करती हो | वो इस बार शर्मा के कुछ नहीं बोली और मन ही मन मुस्कुरा रही थी और यहाँ मेरे मन में लड्डू फूटे जा रहे थे , और साथ ही साथ उसके चूत के दर्शन भी होने की सम्भावना नजदीक दिखाई दे रही थी |
इसके बाद कुछ दिनों तक सब ऐसे ही चलता रहा और वो मेरे काफी करीब आ चुकी थी पर फिर भी मेरे दिल को सुकून नहीं मिल रहा था क्योंकि मैंने अब तक उसके साथ बस किस ही कर पाया था और मेरी रातों की नींद उडी हुई थी | एक तो वो मुझे देने को राज़ी नहीं थी और मै उससे जबरदस्ती भी नहीं करना चाहता था और दूसरी तरफ मेरे दोस्त लोग और मेरी झांटे जलाए जा रहे थे कि तेरे से कुछ नहीं हो पाएगा , मेरा दिमाग ख़राब हो रखा था | एक तो इन मादरचोद दोस्तों ने मिलकर उस रंडी लड़की को फसा लिया था |
मै रोज मानसी के फुले हुए ढूध उसके कपड़ो के ऊपर से देख कर और सपनो में उसकी चूत चाट कर सो लिए करना था पर सपनो में भी न नींद आती थी ढंग से और न ही हकीक़त में वो अपने कपड़े उतरती थी | पर इसके बाब्जुत भी में हिम्मत नहीं हार रहा था और अपने लंड को हाथ से सहला कर आराम कर लिया करता था | पर इसके बाद मेरी झांटे तो तब लाल हुई जब मेरे दोस्तों ने मेरे से आकर बताया की भाई आज तो जन्नत के दर्शन कर के आए है | मैंने पूछा के ऐसा क्या हुआ ? उन्होंने ने बोला वही जो होना था तू शर्त हार चूका है और हम लोग तेरी भाभी की चूत के दर्शन कर के आ चुके है | मैंने बोला ऐसा नहीं हो सकता तो उन्होंने ने मुझे वीडियो दिखाया आरोही की चुदाई का | वो गांडू सही में आरोही की गांड मार कर आ चुके थे , फिर उन लोगो ने बताना शुरू किया की कैसे उन लोगो ने उसको चोदा … बताया की रंडी तो थी ही वो |
हम लोगो ने भी उसको बातो बातो में फसाया और बोला की हम लोग को तुम बहुत पसंद हो हम लोगो को तुम्हारी चूत चाहिए , वो बोली ये कैसा मजाक है ? हम लोग बोले की मजाक नहीं है सच है हम लोगो का लंड तुम्हारी चूत के दर्शन करने को कब से बेताब है , हम लोगो के हाथो में कब से खुजली हो रही है तुम्हारे ढूध को दबाने के लिए , उसने मना कर दिया | तो हम लोगो ने उसे जबरदस्ती चोदा और उसका वीडियो बना लिया | फिर क्या था उसे मानना ही पड़ा उसने कहा ठीक है जैसा तुम बोलोगे वैसा ही करुँगी फिर हम लोगो ने उसके दोबारा कपड़े उतार दिए और पूरी नंगी कर दिए और बिस्तर पर लिटा दिए | फिर हम लोगो ने उसको बारी बारी से चोदना शुरू कर दिया | हम लोगों ने उसको चोद चोद कर उसकी चूत फाड़ डाली वो भी कम से कम 6 – 7 बार झाड़ चुकी थी |
उसके दूध के निप्पल एकदम लाल हो गए थे और उसके मुंह पर मुट्ठ गिरा दिए थे , वो बार बार चुदवाते समय आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह चिल्ला रही थी और वो भी बहुत गरम हो गई थी | हम लोगो से चुदवाने से पहले और बाद में वो रोने भी लगी थी | भाई मेरे , हम लोगो को तो बहुत मजा आया पर तेरा क्या होगा अब इतना सुन के तो मेरे झांटे ही लाल हो राखी थी,,, अब तो मेरी उसके साथ पलंग तोड़ चुदाई करने की इच्छा होने लगी …
शाम को 5 बजे के समय, मै उसके रूम में गया उससे बात की थोड़ी देर और उसे किस किया तो उसने बोला बेबी चलो अपन कहीं घुमने चलते है मैंने कहा कभी और चल चलेंगे आज थोडा प्यार कर लेते है | पर वो नहीं मान रही थी और मुझे तो उसको चोदने की हवस सवार थी तो मैंने भी बोला ठीक है पहले कॉफ़ी तो पिला दो अपने हाथो की फिर वो कॉफ़ी बना के ले के आई ,, मैंने एक घुट पिया और बोला की इसमें मुझे शक्कर कम लग रही है , उसे शक्कर लेने के बहाने अंदर भेजा और उतने में मैंने उसकी कॉफी में स्टे ऑन “ जोश की दवाई “ मिला दी फिर हम लोगो ने कॉफी पी और फिर मैंने उससे कहा जाओ तैयार होकर आओ वो करीब 15 मिनट के बाद आई तैयार हो कर | उसने ग्रीन कलर का टॉप और यल्लो लैगी पहनी हुई थी | तब तक दवाई का भीं असर हो राह था | फिर मैं उसे फिर से किस करने लगा और इस बार वो भी खूब मजे लेते हुए मुझे किस कर रही थी |
फिर मैंने उसके टॉप और लैगी को उतार दिया | वो भी गोली के कारण गरम हो गई थी और उसने अन्दर ब्लैक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी | मैंने उसे भी उतार दिया क्या ढूध और चूत थी उसकी उसे देखकर मेरी हवस और बढ़ गई और मैं उसके ढूध के निप्पलो को जोर जोर से काटने लगा और उसकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा | वो भी बहुत गरम हो गई थी फिर मैंने अपने भी पूरे कपड़े भी उतार दिए और उसकी गुलाबी चूत में अपना लंड डाल दिया | वो चीखने लगी मैंने उसकी चूत फाड़ डाली और जोर जोर से अपनी कमर हिलाने लगा और मैं उसे चोदने लगा 10 मिनट बाद उसका भी दर्द कम हो गया | वो भी अपनी गांड उठा उठा के मुझसे चुदवा रही थी और आःह्ह्ह आह्ह्ह उह्ह्ह्ह ऊउह्ह्ह कर रही थी | मैं उसे किस किये जा रहा था और चोदे जा रहा था २० मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसकी चूत में ही झाड दिया और मुझे जन्नत मिल गई | 15 मिनट बाद मैंने उसकी फिर चुदाई की उसको उस दिन मैंने दो बार चोदा और वो 3 बार झड़ी | फिर मैंने जब अपनी कहानी दोस्तों को बताई तो उनका चेहरा देखने लायक था |
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