खेत में माँ को चुदते देखा - Khet Me Maa Ko Chudte Dekha

खेत में माँ को चुदते देखा - Khet Me Maa Ko Chudte Dekha - Maa ki chudai , Tau ne Meri man chod di. मम्मी और ताऊ की अन्तर्वासना कहानी.

मेरा नाम राज है हमांरे परिवार में मैं, माँ और पापा हैं। मेरे पापा सेल्समैन हैं, वो कई कई दिनो तक बाहर रहते हैं…।

वैसे भी हमांरे सारे सम्बन्धी गांव में रहते हैं, हम साल में दो या तीन बार जाते हैं। वहाँ हमांरे ताऊ जी रहते हैं, उनकि पत्नी की मौत के बाद वो अकेले ही रहते हैं। हम नवरात्रि में गाँव जाने वाले थे। पापा भी आने वाले थे लेकिन उनको कुछ काम आ गया तब उन्होंने हम दोनों को गांव जाने के लिये कहा।

माँ ने कहा- ठीक है।

तब मैंने देखा कि माँ खुश थी और पैकिंग करने लगी। हम लोग सुबह की ट्रेन से गाँव पहुँच गये। वहाँ ताऊ जी हमें लेने के लिये आये हुये थे। माँ उनको देख कर खुश हो गई और ताऊ जी भी खुश हुए, उन्होंने पूछा- परिमल नहीं आया?

माँ ने कहा- उनको कुछ काम आ पड़ा है, वो दो तीन दिन बाद आयेंगे।

और ताऊ जी माँ को देखते रहे और माँ भी उनको देखते रही। मुझे कुछ दाल में काला नजर आया…

हम लोग बैलगाड़ी में बैठे और ताऊ जी ने मुझे कहा- तुम चलाओ।

मैंने कहा- ठीक है।

माँ और ताऊ जी पीछे बैठ गये। थोड़ी दूर चलने के बाद मैंने माँ की आवाज़ सुनी, पीछे देखा तो ताऊ जी का पैर माँ के साये में था और माँ ने मुझ से कहा कि सामने देख कर चलो।

हमें लोग घर पहुंचे तब माँ बाथरूम में चली गई और थोड़ी देर बाद बाहर आई…

ताऊ जी ने कहा- चलो, तुमको खेत में ले चलता हूँ।

माँ मुस्कुराते हुए बोली- हाँ चलिये।

मैं भी साथ था। हम लोग खेत में पहुँचे तो मैंने ताऊ को जी माँ की गाण्ड पर हाथ फिराते हुए देखा।

तब माँ ने कहा- लड़का इधर है, वो देख लेगा।

उनको पता नहीं था कि मैंने देख लिया था।

तब ताऊ जी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम दूर जा कर खेलो। मुझे तुम्हारी माँ से बातें करनी हैं।

तो मैंने माँ को देखा तो माँ ताऊ जी के सामने देख कर मुस्कुरा रही थी और मुझे कहा कि तुम यहाँ से जाओ…

मैं वहाँ से चलने लगा और माँ-ताऊ जी भी खेत के अन्दर दूर जाने लगे। मुझे दाल में काला नज़र आया। मैं भी उनके पीछे पीछे गया तो देखा कि ताऊ जी माँ की दोनों एक पेड़ की आड़ में चले गये और माँ पेड़ से लग कर खड़ी हो गई। अब ताऊ जी अपना हाथ माँ के साये में डालने लगे और माँ भी अपना साया उठा कर उनका साथ देने लगी। लेकिन मुझे उनकी कोई भी बातें सुनाई नहीं दे रही थी, इसलिये मैं और नज़दीक गया और सुनने लगा। तब वो दोनों पापा की बातें कर रहे थे।

माँ कह रही थी- कितने दिन बाद मुझे यह तगड़ा लौड़ा मिल रहा है, वरना परिमल का लौड़ा तो बेकार है।

अब माँ के बुर को दोनों हाथ से फैलाया। माँ थोड़ा सा विरोध कर रही थी लेकिन उनके विरोध में उनकी हामी साफ दिख रहा थी। इसके बाद ताऊ जी माँ के बुर पर लण्ड सटा कर हलका सा कमर को धक्का लगाया। माँ के मुँह से अह्हहह की आवाज निकल गई।

मैं समझ गया कि माँ के बुर में ताऊ जी का लण्ड चला गया है। ताऊ जी ने कमर को झटका देना शुरू किया। ताऊ जी जब जब जोर से झटका लगाते थे माँ के मुँह से आआअहह की आवाज सुनाई पड़ती थी। कुछ देर के बाद जब ताऊ जी ने माँ की चूचियों को मसलना शुरु किया तो उनका जोश और भी बढ़ गया। एक तरफ़ ताऊ जी बुर में जोर से झटके लगाने लगे तो दूसरी तरफ़ माँ के चूचियों को जोर जोर से मसलने लगे।

अब माँ की बुर में लण्ड जब आधे से ज्यादा चला गया तो माँ के मुंह से आआहह्ह नहीं आआ आह्हह की आवाज आने लगी। ताऊ जी ने माँ के होठों को चूसना शुरु कर दिया। लगभग आधे घण्टे चोदने के बाद ताऊ जी का बीज माँ की चूत में गिरा। माँ भी बहुत ही खुश थी। कुछ देर के बाद ताऊ जी ने लण्ड निकल लिया। माँ पांच मिनट तक लेटी रही।

माँ तब उठ कर जाना चाहती थी। ताऊ जी ने उनको रोक लिया, उन्होंने माँ से कहा- कहाँ जा रही हो?

तब माँ ने कहा- आज के लिये इतना बस!

ताऊ जी ने कहा- अभी तो और चुदाई बाकी है, रुक जाओ तुम।

तब ताऊ जी ने माँ के पीछे जा कर माँ की गाण्ड पर लण्ड रखा और कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका मारा। माँ के मुँह से आआ आअह्हह हह्ह की आवाज निकलते ही मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में लण्ड चला गया। अब ताऊ जी ने अपनी कमर को हिलाना शुरू किया और कुछ ही देर में पूरा लण्ड को माँ के गाण्ड में घुसा दिया। ताऊ जी माँ के गाण्ड को लगभद दस मिनट तक मारने के बाद जब धीरे धीरे शान्त पड़ गये तो मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में बीज गिर गया है।

ताऊ जी ने लण्ड को निकाल लिया तब माँ के पैर को थोड़ा सा फैला दिया क्योंकि माँ ने दोनों पैरों को पूरा सटा रखा था। ताऊ जी ने माँ की बुर को देखा, माँ से पूछा- पेशाब नहीं करोगी?

माँ ने गरदन हिला कर कहा- नहीं।

अब ताऊ जी ने जैसे ही लण्ड को माँ की बुर के ऊपर सटाया माँ ने अपने दोनों हाथों से अपनी बुर को फैला दिया। ताऊ जी ने लण्ड के अगले भाग को माँ की बुर में डाल दिया और माँ की चूचियों को पकड़ कर एक जोरदार झटके के साथ अपने लण्ड को अन्दर घुसा दिया।

माँ मुँह से आआह्ह फ़्फ़फ़ईई रीईई धीईई आआह्हह्स इस्सस्स स्सस्हह्हह कर रही थी। ताऊ जी पर उनके इस बात का कोई असर नहीं हो रहा था। वो हर चार पांच छोटे झटके के बाद एक जोर का झटका दे रहे थे। उनका लण्ड जब आधे से ज्यादा अन्दर चला गया तो माँ ने ताऊ जी से कहा- अब और अन्दर नहीं डालियेगा वरना मेरी बुर फट जायेगी।

ताऊ जी ने कहा- अभी तो आधा बाहर ही है।

माँ ने यह समझ लिया कि आज उनकी गोरी चूत फटने वाली है। माँ की हर कोशिश को नाकाम करते हुए ताऊ जी माँ के चूत में अपने लण्ड को अन्दर ले जा रहे थे। माँ ने जब देखा कि अब बरदाश्त से बाहर हो रहा है तो उन्होंने ताऊ जी से कहा- मैं आपसे बहुत छोटी हूँ आआह पल्लीईज़ आआह्हह… नहीईई उई आआअह्ह्ह ह्हह…

ताऊ जी ने लगातार कई जोरदार झटके मार कर पूरे लण्ड को माँ के बुर में घुसा दिया तथा माँ की चूचियों को मसला। अब माँ को भी मजा आने लगा था। शायद माँ को इसी का इन्तजार था। ताऊ जी ने अपने झांट को माँ की झाँट में पूरी तरह से सटा दिया और इस तरह से उन्होंने पूरे बीस मिनट तक माँ की चुदाई की। इसके बाद माँ और ताऊ जी शान्त पड़ गये तब मैं समझ गया कि माँ की बुर में ताऊ जी का बीज गिर गया है। वो दोनों पूरी तरह से थक चुके थे। अब ताऊ जी ने लण्ड को निकाल दिया और माँ की बगल में लेट गये। फ़िर दोनों ने कपड़े पहने और वहाँ से चलने लगे। तब मैं भी वहाँ से हट गया ताकि उनको पता ना चले कि मैंने सब कुछ देख लिया है। हम तीनों घर वापस आ गये।

ताऊ जी माँ को देख कर मुस्कुराने लगे कि तुम्हारे बेटे को कुछ नहीं पता चला। लेकिन मैंने भी उनको ऐसा ही दिखाया कि मुझे कुछ नहीं पता है।

दो नंगी स्कूल गर्ल्स को देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया - Lund khadaa ho gayaa

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मेरी बहन और उसकी सहेली मेरे सामने बिल्कुल नंगी बैठी थी. दो नंगी स्कूल गर्ल्स को देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया. मैंने ऋतु की तरफ देखा, उसके चूचों का तो मैं वैसे ही दीवाना था. मुझे अपनी तरफ देखते पाकर उसकी आँखें बंद सी होने लगी और अपनी एक उंगली अपने मुंह में डालकर वो बोली- चलो अब तुम्हारी बारी है.

मैंने एक गहरी सांस लेकर अपना पायजामा और चड्डी नीचे गिरा दी और अपनी टी-शर्ट भी उतार दी. फिर मैंने अपना तना हुआ लंड हाथ में लिया और उसे आगे पीछे करने लगा.
ऋतु ने कहा- इतना दूर नहीं… यहाँ हमारे पास आकर खड़े हो जाओ और फिर हिलाओ.
मैं खिसककर आगे आ गया और अब मेरे पैर बेड से टकरा रहे थे और उन दोनों के नंगे जिस्म आपस में रगड़ खा रहे थे और उन दोनों का चेहरा मेरे लंड से सिर्फ चार या पांच इंच की दूरी पर ही था.

मैं लंड हिलाने लगा. पूजा ने ऋतु की तरफ देखा और वो मुस्कुरा दी. जवाब में पूजा भी मुस्कुरा दी और वो अब अपने सामने के नज़ारे के मजे लेने लगी.

मेरा पूरा ध्यान अब पूजा की तरफ था. वो अपनी आँखें फाड़े मेरे लंड को देख रही थी, उसका होंठ थोड़े से खुले हुए थे, चूचे तन कर खड़े हो गए थे, लगता था वो अपनी सुध बुध खो चुकी है.

मैंने ऋतु की तरफ देखा तो वो बड़े ही कामुक स्टाइल से मेरी ही तरफ देख रही थी. उसका एक हाथ अपनी चूत की मालिश कर रहा था और वो अपने होंठों पर अपनी लाल जीभ फिरा रही थी जैसे वो मेरा लंड चूसना चाहती हो.
पर वो पूजा के सामने मेरा लंड कैसे चूस लेगी.

यही सब सोच सोच कर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैं छुटने के बिल्कुल करीब पहुँच गया. ऋतु को शायद इस बात का अंदाजा हो गया था, वो थोड़ी और आगे खिसक आई.
साली मेरे रस की भूखी!
और मेरे लंड ने अपना रस उबाल कर बाहर उड़ेलना शुरू कर दिया.

मेरी पहली धार सीधे ऋतु के चेहरे से टकराई और वो थोड़ा पीछे हटी और फिर दूसरी धार सीधे पूजा के खुले हुए मुंह के अन्दर और तीसरी और चोथी उसके गालों और माथे पर जा लगी.
फिर मैंने थोड़ा लेफ्ट टर्न लिया और बाकी की बची हुई पिचकारी अपनी बहन के चेहरे पर खाली कर दी.

पूजा तो अवाक रह गई.. जब मैंने अपना वीर्य उसके मुंह में डाला पर जब उसने अपना मुंह बंद करके स्वाद चखा तो उसे साल्टी सा लगा और वो उसे निगल गई.

पूजा ने शायद सोचा की इसका स्वाद ऋतु के रस से थोड़ा अलग है पर टेस्टी है तो फिर उसने अपने चेहरे से बहते हुए रस को अपनी उँगलियों से समेटा और निगल गई. पूजा ने देखा कि ऋतु बड़े मजे से अपना मुंह खोलकर मेरी धारें अपने चेहरे और मुंह पर मरवा रही है और बड़े मजे से पी भी रही है.

मेरा लंड धीरे से मुरझाने लगा और ऋतु ने पूजा की तरफ देखा और उसे गले से लगा लिया और बोली- देखा कितना मजा आया… कितना उत्तेजक था.
यह बोल कर ऋतु अपने चेहरे पर बचा हुआ रस चाटने लगी.
पूजा- हाँ… बड़ा ही मजेदार था, मुझे भी देखने में काफी अच्छा लगा.
ऋतु- क्या तुम्हें इसके रस का स्वाद पसंद आया?
पूजा शर्माते हुए- हाँ… ठीक था.

ऋतु- चलो फिर मेरे चेहरे से सारा रस चाट कर इसे साफ़ कर दो… जल्दी!
पूजा ने सकुचाते हुए कहा- ठीक है.
और अपनी लम्बी जीभ निकालकर ऋतु का चेहरा चाटना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में वो बिल्कुल साफ़ हो गया और पूजा चटखारे लेते हुए पीछे हो गई.

मैंने अपने मुरझाये हुए लंड को निचोड़ कर आगे किया और उसके सिरे पर बड़ी सी वीर्य की बूंद चमकने लगी तो मैंने दोनों से कहा- अब इसका क्या होगा?
ऋतु- पूजा तुम चाट लो इसे!
पूजा घबराते हुए बोली- मैं… नहीं मैं कैसे!?!
मैं- जल्दी करो… नहीं तो मैं जा रहा हूँ.

ऋतु- अरे चलो भी पूजा, अब क्यों शरमा रही हो… चूस लो.
पूजा- नहीं मैं नहीं कर सकती.
ऋतु- बिल्कुल कर सकती हो!
और उसने पूजा का चेहरा पकड़ कर आगे किया और दूसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसके मुंह में डाल दिया.

मैंने महसूस किया कि पूजा के होंठ मेरा लंड मुंह में लेते ही बंद हो गए और उसकी जीभ मेरे लंड के सिरे को कुरेदने लगी. एक दो बार चाटने के बाद उसने मेरे लंड को बाहर निकाल दिया.
ऋतु ने पूछा- कैसा लगा?

पूजा बोली- मजेदार… काफी नर्म और गर्म है ये तो… मुझे नहीं लगता ये जल्दी पहले जैसा कड़ा हो सकेगा.
मैंने कहा- थोड़ा और चूसो… तब बोलना!
ऋतु ने भी उसे उकसाते हुए कहा- हाँ हाँ चलो थोड़ा और चूसो पूजा… देखते हैं क्या होता है.

पूजा ने अपना मुंह जल्दी से खोला और मैंने आगे बढ़कर उसका मुख अपने लंड से भर दिया. वो उसे अब पहले से ज्यादा तेजी से चूसने लगी और अपनी जीभ का भी इस्तेमाल कर रही थी और अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर हलके से दबा भी रही थी.

मेरे लंड ने विशाल रूप लेना शुरू कर दिया. मैंने पूजा को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया. मेरा लंड अभी भी उसके मुंह में था और मैं उसके सख्त और गद्देदार चूचों पर हल्के भार से बैठ गया.
पीछे से ऋतु ने बिना कोई वक़्त गवाएं झुक कर अपना चेहरा उसकी काली चूत पर टिका दिया और चूसने लगी.

मैं अपने लंड से पूजा का मुंह चोद रहा था और ऋतु अपनी जीभ से उसकी चूत.
पूजा के लिए ये बहुत था, वो बेड पर लेटी हुई मचलने लगी और अपने एक हाथ से मुझे और दूसरे से ऋतु को धक्का देने लगी पर ऋतु ने उसकी दोनों टांगों को इस तरह से जकड़ रखा था कि वो छुड़ा ही नहीं पाई और मैं तो उसके चेहरे पर बैठा था और मेरे वजन को हटा पाना उसके बस का नहीं था.

पूजा सिसकार उठी… उसके शरीर में तरंगें उठने लगी और फिर उसे ऐसा लगा कि पूरे शरीर में करंट लग गया है. वो अकड़ गई और उसकी चूत हवा में उठ गई और वो झड़ने लगी और उसकी चूत में से रस दनादन बहकर बाहर आने लगा.

ऋतु ने उसे फिर भी नहीं छोड़ा और पूजा के उठते हुए चूतड़ों के साथ वो भी उठ गई और रसपान जारी रखा. ऋतु ने पीछे से एक हाथ आगे करके मेरी गांड में उंगली डाल दी. मेरे लिए यह काफी था, मेरा भी लंड अपना रस छोड़ने लगा और पूजा ने भी कोई गलती नहीं की और वो भी मेरा सारा रस पी गई.

जब सब कुछ शांत हो गया तो मैं उसके ऊपर से हट गया. ऋतु ने भी उसकी चूत से अपना मुंह हटा लिया और खड़ी हो गई.

ऋतु का पूरा चेहरा पूजा के रस से भीगा हुआ था. पूजा का चेहरा भी लाल सुर्ख हुआ पड़ गया था पर उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी.
मैंने कहा- वाह… ये तो बहुत ही मजेदार था, मुझे तो काफी अच्छा लगा.
पूजा ने भी खुश होते हुए कहा- मुझे तो ये विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हमने ये सब किया.

मैंने कहा- हाँ… बहुत मजेदार था.
और आगे बढ़ कर पूजा के होंठों को चूम लिया.

मेरे चूमते ही पूजा ने अपने हाथ मेरी गर्दन के चारों तरफ लपेट दिए और मुझे फ्रेंच किस करने लगी. उसके अधीर होठों ने मेरे होंठ पकड़ लिए और चूसने लगी. पूजा के होंठ काफी गर्म थे और उसकी जीभ मेरे मुंह के अन्दर जाकर मेरी जीभ को चाटने लगी.

पूजा के कठोर चूचे मेरे नंगे सीने से टकरा रहे थे. मेरा एक हाथ अपने आप उन पर चला गया. वो थोड़ा पीछे हुई और हम दोनों बेड पर गिर पड़े और उसका नाजुक सा शरीर मेरे नीचे मचलने लगा.

ये सब देखकर ऋतु आगे आई और हमें अलग करते हुए कहा- चलो चलो, बहुत हो गया. आज के लिए इतना ही काफी है. और भैया तुम अपने रूम में जाओ अब!
मैंने अनमने मन से अपने कपड़े पहने और अपने रूम में आ गया और छेद से देखने लगा.

ऋतु ने एक छलांग लगाकर अपना चेहरा पूजा की चूत पर टिका दिया था और अपनी चूत उसके चेहरे पर और फिर दोनों 69 के आसन में एक दूसरे की चूत को चूसने लगी.
मैंने भी अपना लंड निकालकर हिलाना शुरू कर दिया और सोचने लगा कि काश मैं भी वहीं पर होता!

पर जल्दी ही सभी झड़ गए और सोने चले गए.

अगली सुबह जब मैं उठा तो मैंने भाग कर अपनी आँख छेद पर लगा दी. मैंने देखा कि वो दोनों उठ चुकी हैं और दोनों के मुंह एक दूसरी की चूत में चिपके हुए हैं.
मैं अपने रूम से निकला और चुपके से उनके रूम में दाखिल हो गया.

ऋतु का चेहरा दरवाजे की तरफ था और वो पूजा के ऊपर लेटी हुई थी. पूजा का चेहरा ऋतु की मांसल जांघों के बीच पिस रहा था. ऋतु बड़ी बेरहमी से अपनी चूत पूजा के मुंह पर रगड़ रही थी. पूजा भी उसकी चूत चाटने में और अपनी चटवाने में व्यस्त थी.

मैं थोड़ा आगे आया और बेड के पास आकर खड़ा हो गया. ऋतु को मेरे आने का आभास हो गया और उसने चेहरा उठाकर मुझे देखा और मुस्कुरा दी. मैंने भी मुस्कुराते हुए अपना पायजामा नीचे गिरा दिया और अपना खड़ा हुआ लंड उसे दिखाया.

मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपना मुंह पूजा की चूत पर टिका दिया. ऋतु अपने एक हाथ से पूजा की चूत का दाना मसल रही थी और मैं पूजा की रसीली चूत को साफ़ करने में लग गया.
अपनी चूत पर हुए अलग तरह के हमले से पूजा सिहर उठी और उसने भी ऋतु की चूत पर दोगुने जोश से हमला बोल दिया और फिर दोनों झड़ने लगी.

मैंने अपने मुंह पर पूजा के रस का सैलाब महसूस किया और उसे पीने में जुट गया. पूजा भी ऋतु के रस से नहा चुकी थी और अपने मुंह से उसकी चूत को चाटने में लगी हुई थी. ऋतु झड़ कर साइड में हो गई पर मैंने पूजा की चूत को नहीं छोड़ा.

पूजा ने नोट किया कि ऋतु तो उसके ऊपर से उतर चुकी है फिर भी उसकी चूत पर किसी का मुंह लगा हुआ है तो वो झटके से उठी और मुझे देखकर उछल पड़ी और बोली- अरे तुम… तुम्म कब आये? और ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- नाश्ता!

तभी ऋतु ने पूजा की तरफ देखकर कहा- चलो भैया का लंड चूसती हैं.
और मेरे सामने आकर बैठ गई, अपना मुंह खोलकर मेरे फड़कते हुए लंड को अपने मुँह के अन्दर ले लिया और उसे चूसने और चाटने लगी.

पूजा बड़ी हैरानी से ये सब देख रही थी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ऋतु अपने सगे भाई का लंड इतने मजे से अन्दर ले रही है और वो अपना मुंह फाड़े ये सब अनहोनी होते देख रही थी.

ऋतु ने मेरे लंड के सिरे पर अपनी जीभ फिराते हुए पूजा से कहा- अरे देख क्या रही हो… इधर आओ और मेरी मदद करो.
पूजा थोड़ी हिचकिचाई पर मेरे लम्बे लंड को देखकर उसके मुंह में भी पानी आ गया और वो भी नंगी उठ कर ऋतु के साथ ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गई और दोनों ने एक साथ मेरे लंड को सताना शुरू कर दिया.
दोनों बारी-बारी से मेरे पप्पू को अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी. फिर उन्होंने दोनों तरफ से मेरे लंड के चारों तरफ अपने रसीले होंठ फेरने शुरू कर दिए. उनके गीले होंठों के बीच मेरा लंड पिस कर रह गया.

वो दोनों मेरे लंड को बाँसुरी की तरह बजा रही थी और मेरे लंड को अपने मुंह में रखकर दोनों ने फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया. मेरी तो टांगें ही कांपने लगी क्योंकि जिस तरह का इलाज वो दोनों मेरे लंड को दे रही थी… वो मुझसे सहन नहीं हुआ और मेरे लौड़े ने अपना गर्म लावा उगलना शुरू कर दिया.

दोनो में होड़ लग गई कि कौन ज्यादा से ज्यादा मेरा रस पीती है और इस तरह मेरी एक-एक बूंद निचोड़ ली कमीनियों ने… मेरा लंड मुरझा कर उनके होंठों से निकल कर बाहर आ गया पर फिर भी दोनों ने अपनी किस नहीं तोड़ी. वो शायद एक दूसरे के मुंह में मेरा रस ढूंढ रही थी.

मैंने धीरे से कहा- मैं चलता हूं अब!
और अपना पायजामा ऊपर करके बाहर निकल गया पर वो दोनों अभी भी एक दूसरी में व्यस्त थी.

नीचे नाश्ते पर दोनों बच्चों की तरह व्यवहार कर रही थी, बात बात पर हंस रही थी पर कुछ भी ऐसा बर्ताव नहीं कर रही थी कि हम सबके बीच रात को और सुबह में क्या-क्या हुआ.
मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था कि जैसा हमने सोचा था, सब वैसा ही हुआ बल्कि उससे भी अच्छा हुआ क्योंकि पैसों के साथ साथ पूजा ने मेरा लंड भी चूसा और अपनी चूत भी चुसवाई.
मुझे आज अपने आप पर गर्व हो रहा था.

शाम को मैं और ऋतु अपने कमरे में बैठ कर आगे के बारे में बातें कर रहे थे. मैंने ऋतु से कहा- मैं अपने दोस्तों को तुम्हारा और पूजा का शो दिखाने के ज्यादा पैसे चार्ज कर सकता हूँ या फिर दूसरा आप्शन यह है कि ऋतु अपनी चूत मेरे दोस्तों से चटवा ले.
ऋतु ने भी कहा कि क्यों न वो अपनी दूसरी सहेलियों को भी मेरा हस्तमैथुन करता हुआ शो दिखाए या फिर मैं उसकी सहेलियों की चूत चाटूं!
मैंने कहा- मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है.

ऋतु बोली- या फिर मुझे लगता है कि हमें दोनों काम करने चाहियें… हमें तो पैसों से मतलब है फिर जहाँ से मर्जी आयें… है न?
मैंने सोचते हुए कहा- ह्म्म्म… हाँ!
मैंने ऋतु से पूछा- पर क्या पूजा इन सबके लिए राजी होगी?
ऋतु ने हंसते हुए कहा- अगर तुम उसकी चूत फ्री में चाट कर झाड़ दो तो जरूर राजी हो जाएगी.

रात को डिनर के टाइम पापा ने एलान किया कि इस बार वो दोनों हमें भी अपने साथ जंगल कैंप पर ले जायेंगे क्योंकि पिछले साल भी कुछ लोग अपने बच्चों को लेकर आये थे. तो वो भी अपने बच्चों को अपने साथ लेकर जाना चाहते हैं.
साथ ही उन्होंने बताया कि उनका छोटा भाई अजय और उनकी पत्नी आरती, अपनी बेटी नेहा को भी साथ ला रहे हैं.

चाची के बारे में सुनकर मैं खुश हो गया. हम काफी समय से उनसे नहीं मिले थे, वो काफी आकर्षक थी… खासकर उनकी चूचियाँ बड़ी-बड़ी और उठी हुई थी. नेहा भी जवान हो गई थी. मैंने उसे भी काफी समय से नहीं देखा था. मैं मन ही मन उन दोनों को सोचकर खुश होने लगा.
ऋतु ने ख़ुशी के मारे उछलते हुए कहा- अरे वाह… क्या सच में आप हम दोनों को अपने साथ लेकर चलोगे?
पापा (संदीप) ने अपनी पत्नी यानि कि हमारी मम्मी पूर्णिमा की तरफ देखते हुए कहा- हाँ… बिल्कुल!
मैंने उठ कर पापा के गले लग गया- ओह्ह पापा यू आर ग्रेट!

ऋतु भी उठी और हम दोनों से लिपट गई. मेरा हाथ सीधा ऋतु की गांड से टकराया और मैं उसे दबाने लगा. मम्मी भी आकर हमारे साथ बीच में घुस गई. अब मेरे दूसरी तरफ मम्मी थी और मेरा हाथ सीधा उनकी नंगी कमर पर था. उन्होंने साड़ी पहन रखी थी. मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई अपनी माँ की नंगी कमर को पकड़ने मात्र से!

उस रात मैंने और ऋतु ने कुछ नहीं किया और सो गए.

अगले दिन ऋतु को स्कूल छोड़ने जाते समय मैंने उससे आगे के लिए बात की. हम सोच रहे थे कि जाने से पहले कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ. हम दोनों ने निष्कर्ष निकाला कि हम अपने दोस्तों से बात करेंगे और देखेंगे कि क्या हो सकता है.

शाम को मैंने ऋतु को बताया कि मैंने सन्नी और विकास से बात कर ली है और वो ऋतु और पूजा को एक साथ नंगी देखने के लिए ढाई हजार देने को तैयार हैं यानी एक शो के पांच हजार रूपए! और साथ ही साथ ये भी कहा है कि अगर वो ऋतु की चूत भी चाटना चाहते हैं तो उसके पांच हजार रूपए अलग लगेंगे.

उन दोनो ने पहली बात तो झट से मान ली पर पाँच हजार का नाम सुनकर बोले कि ये तो बहुत ज्यादा है, वो फिर कभी कर लेंगे. अभी तो सिर्फ दो नंगी लड़कियों को नंगी देखना चाहते हैं.
ऋतु बोली कि उसने भी एक-दो लड़कियों से बात की है पर किसी ने अभी तक पक्का नहीं किया है.

हमने तय किया कि अगले दिन दोपहर को स्कूल से आने के बाद हम ये शो करेंगे… मम्मी पापा के आने से पहले.

ये सब बातें करते करते हम दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे. मैंने उसकी स्कर्ट को उठाया और उसे डायनिंग टेबल के ऊपर झुकाकर उसकी कच्छी उतार दी और अपना मुंह उसकी रस टपकती चूत पर टिका दिया.
ऋतु मचल पड़ी और उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी- आआह… म्म्म्म ममम… जोऊऊर… से ए ए… आआहहह!

मेरी लम्बी जीभ ऋतु की चूत कुरेदने में लग गई. मैंने हाथ ऊपर करके उसकी शर्ट के बटन खोल दिए और झटके से उसके कंधों से शर्ट के साथ साथ उसकी ब्रा के स्ट्रेप भी उतार दिए. उसके गोरे चूचे बाहर उछल पड़े.

फिर ऋतु आगे की तरफ झुक कर टेबल पर आधी लेट गई. टेबल का ठंडा कांच उसके चूचों को मसल रहा था और उसके शरीर में सिहरन दौड़ा रहा था. उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मैं सारा रस पी ही नहीं पा रहा था. उसका रस बहकर जांघों से होता हुआ नीचे तक जा रहा था.

मैंने उसका रस टांहों के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी टाँगें रस से भीगकर लसीली हो चुकी थी. फिर मैंने अपनी जीभ से उसकी टाँगें चाटना शुरू कर दिया तो वो पागल ही हो गई, उसे गुदगुदी भी हो रही थी. उसने पलटकर मेरी तरफ मुंह किया और मेरा सर पकड़ कर जोर से चीख मारने लगी- ईईईई… क्याआआ… कर.. रहे होओ?

मैंने टाँगे चाटते हुए उसका पैर उठाकर अपने चेहरे के सामने किया और उसकी पैर की छोटी-छोटी उँगलियों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. वो उत्तेजना के मारे दोहरी हो गई और उसने उसी पैर को मेरे सीने पर दबाव देते हुए मुझे नीचे जमीन पर लिटा दिया और उछल कर मेरे मुंह पर बैठ गई और दूसरी तरफ झुककर मेरे लंड को आजाद किया और चूसने लगी.

मेरे लिए अब सहन करना मुश्किल हो रहा था, मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया.. वो समझ गई और अपने होंठ मेरे मुंह में देते हुए अपनी चूत मेरे लंड पर टिका दी और फिर जोरदार धक्कों के साथ मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया.

हम दोनों के मुंह से ‘गूंन्न… गूंन…’ की आवाज निकली और मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए. जल्दी ही मैं झड़ने के कगार पर आ गया, मैंने अपना चुम्बन तोड़ा और ऋतु से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ ऋतु, अपना मुँह खोलो!

ऋतु फिर पहली जैसे अवस्था में आ गई और अपनी गीली चूत मेरे मुंह में डालते हुए मेरा रसीला और अपने ही रस में डूबा लंड चूसने और चाटने लगी. मेरे लंड ने जल्दी ही फायरिंग करनी शुरू कर दी.
‘माआआआ… आआ आआआह…’ और वो सब कुछ निगलती चली गई.
मेरा मुंह भी उसके काम रस से लबालब भर गया और हम गहरी साँसें लेते हुए वहीं आधे नंगे लेटे रहे.
इस तरह मैंने अपनी बहन को चोदा.

तभी मैंने मम्मी की कार की आवाज सुनी और हमने जल्दी से अपने कपड़े समेटे और ऊपर की तरफ भाग गए.

बेल की आवाज सुनकर मैं सिर्फ अपनी शोर्ट्स जल्दी से पहन कर नीचे आया और दरवाजा खोला. मैंने ऊपर कुछ नहीं पहन रखा था. मम्मी ने मेरा गठीला शरीर देखा और बोली- ऐसे क्यों घूम रहे हो?
तो मैंने कहा- मम्मी, अपने रूम में कसरत कर रहा था.

मम्मी ने ऋतु के बारे में पूछा तो मैंने कहा शायद वो अपने रूम में पढ़ाई कर रही है.

शाम को खाना खाने के बाद हम दोनों अपने अपने रूम में जाकर सो गए.

अगली दोपहर मैं सन्नी और विकास तीन बजे घर आ गए. थोड़ी ही देर में हमने ऋतु और पूजा को भी घर में दाखिल होते देखा. हम पहले ही अपने कमरे में छुप गए थे और छेद से देख रहे थे.

उन दोनों ने आते ही अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया और दो मिनट में ही दोनों सहेलियाँ नंगी खड़ी हो गई. सन्नी और विकास बारी-बारी से देख रहे थे कि कैसे वो दोनों नंगी होने के बाद फ्रेंच किस कर रही हैं, एक दूसरी के चूचे दबा रहीं हैं.

वो दोनों तो पूजा का नशीला शरीर देखकर बिफर ही गए… उन्होंने ऐसी ‘ब्लैक ब्यूटी’ नहीं देखी थी. जिसके दूध इतने बड़े और गांड इतनी चौड़ी हो और साथ ही बला की खूबसूरत भी हो.
ऋतु की चमकती त्वचा के सामने वैसे तो पूजा कुछ भी नहीं थी पर हर किसी का अपना स्वाद है.

वो दोनों अब 69 की अवस्था में आ चुकी थी और एक दूसरे की चूत की रसमलाई चाटने में लगी हुई थी.

सन्नी ने ऋतु को देखते हुए कहा- अरे देख यार… कैसे साली ये दोनों एक दूसरे की चूत चाट रही हैं… भेनचोद… मेरा मन कर रहा है कि दोनों रंडियों को गली में ले जा कर चोद दूँ और पूरी दुनिया इनकी चुदाई देखे.

मैं अपनी बहन के बारे में ये सब सोचकर गुस्से होने के बजाय ये सब होने के बारे में सोचकर अपने ख्याल बुनने लगा.
मैंने धीरे से सन्नी के कान में कहा- तुम चाहो तो इसकी चूत तुम भी चाट सकते हो.
मैंने मौके की नजाकत को समझते हुए गर्म लोहे पर चोट मारी।

सन्नी ने कहा- इस बात की क्या गारंटी है कि ये तुम्हारी बात मान जायेंगी?
मैंने कहा- मैंने बोल दिया ना बस!
तभी विकास बोला- और दूसरी वाली के बारे में क्या ख्याल है… क्या वो भी चूसने देगी?
मैंने कहा- उसके बारे में मैं ये कह सकता हूँ कि उससे मैं अपना लंड चुसवा सकता हूँ. अगर तुम उसे मेरा लंड चूसते हुए देखना चाहते हो तो बताओ?

मैंने उन दोनों से अपनी बहन की चूत चटवाने के लिए और पूजा से लंड चुसवाने के लिए पांच हजार रुपये लेने के लिए बोला.

दोनों बोले- ठीक है, हमें मंजूर है, और अगर तुम ये सब ना कर पाए तो तुम्हें इसके दुगने पैसे हमें देने होंगे.
मैंने खुश होते हुए कहा- ठीक है…कल दोपहर को मैं तुम्हें ये सब होते हुए दिखा दूंगा.

तब तक दूसरे रूम में रस का सैलाब आ चुका था और दोनों ने बिना कोई वक़्त गंवाए सारा पानी चाट कर साफ कर दिया और फिर दोनों कपड़े पहन कर पढ़ने के लिए बैठ गईं.
थोड़ी देर बाद सन्नी विकास औऱ पूजा भी चली गई.

उसी रात मैं होले से ऋतु के कमरे मैं घुस गया और उसकी रजाई में जाकर लेट गया. वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी… पूरी नंगी.

मैंने अपना शोर्ट्स उतारा और वो मेरा लंड चूसने में लग गई. मैंने उसे बताना शुरू किया कि हमारी क्या-क्या बातें हुई और मैं ये सब कैसे करने वाला हूँ और कैसे मेरे दोस्त तेरी चूत को चूसेंगे.
ऋतु मेरी बात सुन रही थी और मेरा लंड चूसती जा रही थी. मेरे दोस्तों द्वारा अपनी चूत चाटने की बात सुनकर उसकी चूसने की स्पीड बढ़ गई और वो दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़कर अन्दर बाहर करने लगी.
मैंने अपना गाढ़ा वीर्य उसके दहकते हुए मुंह में झोंक दिया और वो सारा रस पी गई.
आज ऋतु काफी थक गई थी तो हमने चुदाई नहीं की.

अगले दिन सभी कुछ वैसे ही हुआ. हम तीनों उन दोनों का इन्तजार कर रहे थे. वो कल की तरह आईं और आते ही शुरू हो गई.
मैंने अपने दोस्तों से कहा कि वे छेद से देखते रहें और मैं धीरे से अपने कमरे से निकल कर अपनी बहन के रूम में आ गया.

ऋतु और पूजा ने देखा कि मैं रूम में पहुंचकर नंगा हो गया हूँ और मेरा लंड खड़ा हुआ है.
मैं धीरे से आगे आया और बेड पर 69 की अवस्था में लेटी हुई ऋतु और पूजा के पास आकर खड़ा हो गया. ऋतु ऊपर थी और पूजा नीचे!

मैंने एक हाथ बढाकर ऋतु की चूत को पूजा के मुँह से हटा दिया और अपना लंड लेटी हुई पूजा के खुले हुए मुंह में डाल दिया. पूजा पहले तो चौंक गई पर फिर उसने मेरा लंड जोर शोर से चूसना शुरू कर दिया.
ऋतु अभी भी पूजा की चूत चूसने में लगी हुई थी.

फिर मैंने सन्नी और विकास को इशारे से अंदर आने के लिए कहा तो ऋतु दरवाजे के पास खड़ी हुई नंगी ही उनका वेट कर रही थी.
उन दोनों के रूम में आते ही ऋतु ने दोनों को चुपके से दीवार के सहारे सटा दिया और बिना कोई आवाज करे अपने पीछे आने को कहा.

पूजा की आँखें और मुंह मेरे लंड और कमर के नीचे छिपा हुआ था जिस वजह से वह कुछ देख नहीं पा रही थी.

फिर वो दोनों आगे आये और बेड पर नंगी लेटी हुई पूजा की तरफ देखने लगे. उसकी गुलाबी रंग की चूत काली टांगों के बीच चमक रही थी और आँखें बंद करे वो मेरा लंड चूसने में लगी हुई थी. उसकी दोनों पहाड़ियाँ और उन पर चमकते दो मोती क़यामत ढा रहे थे.
विकास की नजरें तो पूजा के शरीर से हट ही नहीं रही थी और सन्नी ऋतु के नंगे शरीर का आँखों से चोदन करने में लगा हुआ था.

ऋतु की चूत भी अपने को चुसवाने के लिए मचल रही थी. उसने पूजा और अपनी चूत की तरफ इशारा करके दोनों को अपनी चोइस लेने को कहा.
विकास बिना वक़्त गंवाए पूजा की चूत को चाटने लगा और अपनी लम्बी जीभ से उसे कुरेदने लगा.

जब ऋतु ने ये देखा तो वो धीरे से बेड पर पूजा के बगल में लेट गई और हवा में अपनी टांगें उठा कर अपने हाथों से पैरों को पकड़ लिया और उसकी चूत खुल कर सामने आ गई. सन्नी के लिए ये बहुत था. वो भी लपक कर अपने मुंह से ऋतु की चूत पर गिर पड़ा.

पूरे कमरे में तरह तरह की आवाजें गूंज रही थी ‘आआआ आअह.. अम्मम… चाआआआटो… चाआआअटो… मेरी चूत!
ऋतु की आवाज सुनकर पूजा ने नोट किया कि ऋतु तो बेड पर लेटी अपनी चूत चुसवा रही है फिर भी उसकी चूत कोई चाट रहा है और उसके भाई का लंड तो उसके मुंह में है.
वो थोड़ा उठी और उसने परिस्थितियों का अवलोकन किया. फिर सब समझ कर उसने सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ दिया और मेरा लंड और जोर से चूसने में लग गई.

मैं देख रहा था कि कैसे विकास उसकी चूत को खाने में लगा हुआ है, वो थोड़ा नीचे हुआ और अपनी नुकीली जीभ पूजा की गांड के छेद पर भी फिराने लगा. वो मेरा लंड मुंह में लिए मचल उठी।

दूसरी तरफ ऋतु की चूत पर नया मुंह लगने की वजह से वो कुछ ज्यादा ही गर्म हो चुकी थी और उसने अपने पैरों से सन्नी की गर्दन के चारों तरफ फंदा बना डाला था और अपनी चूत उससे चुसवाने में लगी हुई थी. उसने मेरी तरफ देखा और मेरी तरफ अपने होंठ गोल करके एक फ़्लाइंग किस किया.

मैं अपने चारों तरफ उत्तेजना का नंगा नाच देखकर झड़ने के करीब पहुँच गया और मेरा लंड फूलकर और लम्बा हो गया. मैं अब पूजा के कोमल चेहरे को बड़ी बेरहमी से चोदने लगा.

जब मेरा वीर्य निकला तो वो सारा ऐसे पी गई जैसे बच्चा दूध पीता है, वो कुतिया आखिरी बूंद भी निचोड़ कर ले गई मेरे लंड से!

‘तुम दोनों अब अपनी जगह बदल लो!’ मैंने सन्नी और विकास को कहा.

पूजा ने उठने की कोशिश की पर मैंने उसे वापिस लिटा दिया और कहा- घबराने की कोई बात नहीं है. ये सब किसी को पता नहीं चलेगा, तुम बस एन्जॉय करो.
और मैंने उसके कान में कहा- तुम्हें इसके पैसे भी नहीं देने होंगे.

पूजा कुछ कहना चाहती थी पर तभी सन्नी उठकर उसकी टांगो के बीच पहुँच चुका था, उसने पूजा की चूत पर अपनी जीभ रख दी और वो सब कुछ भूलकर फिर से चूत चुसवाने में मस्त हो गई.

विकास ने भी अपना मुंह मेरी बहन की चूत में दे मारा और उसे काफी तेजी से चाटने लगा. दोनों की चीखें गूंज रही थी कमरे में ‘आआआ आआआआ अहह ह हह हहह… सीईईई ईई… चाआआअटो… और तेज… और तेज… आआअह आआआह आआअह!

तभी ‘मैं तो गईईईईई ईईईई ईईईई’ बोलते हुए ऋतु झड़ने लगी और विकास ने सारा रस पी लिया.
सन्नी की मेहनत भी रंग लाई और पूजा की चूत ने भी पानी छोड़ दिया. वो दोनों आँखें बंद किये हांफ रही थी.

मैंने सन्नी और विकास को उठाया और उन्हें लेकर कमरे से बाहर आ गया.
ऋतु ने कहा- ऊह्ह पूजा… मजा आ गया! कैसे इन लड़कों ने हमारी चूत चाटी और हमें मजे दिए और बिना हमसे मिले कोई बात करे कमरे से चले गए… अपनी सेवा देकर!
पूजा ने हंसते हुए कहा- मैं तो डर ही गई थी… पर जब तुम्हारी चूत पर किसी की चूत का एहसास हो तो कुछ सोचने समझने की शक्ति ही नहीं रहती. मैं तो सब कुछ भूलकर बस चूत चटवाने में खो गई थी.

ऋतु ने उससे पूछा- क्या तुम्हें मेरे भाई का लंड चूसने में मजा आया?
पूजा ने कहा- हाँ… बहुत मजा आया.
फिर ऋतु ने कहा- क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारी कोई सहेली भी अपनी चूत चुसवाना चाहती है?
पूजा- तुम्हारा मतलब क्या है?

ऋतु ने सब डिटेल में बताया- मेरा मतलब कि अगर तुम अपनी सहेलियों को भी यहाँ ले आओ जो ये सब मजे लेना चाहती हैं तो मेरा भाई और उसके दोस्त ये सब कर सकते हैं और अगर तुम चाहो तो हम उनसे चार्ज भी कर सकते हैं फिर और भी मजा आएगा.

पूजा- हाँ… मेरी कई सहेलियाँ हैं जो अपनी चूत चुसवाना चाहती हैं, उन्हें ऐसे मौके मिलते नहीं और वो दुनिया के डर से खुद ही एक दूसरी की चूत चाटती रहती है. मैं भी कई बार उनके साथ ये सब कर चुकी हूँ.

ऋतु- तो ठीक है, तुम उन सबसे बात करना और फिर हम देखेंगे कि आगे क्या करना है.
फिर दोनों मम्मी पापा के आने से पहले कपड़े पहन कर तैयार हो गए और पढ़ने बैठ गए.

पूजा शाम को ही जा चुकी थी. रात को मैं खाना खाने के बाद सीधा ऋतु के रूम में आ गया. जब मैं अंदर घुसा तो ऋतु दरवाजे के पीछे छुपी हुई थी और मुझे पीछे से पकड़ कर मेरी पीठ पर चढ़ गई और मुझे पीछे से चूमने लगी.

जब मेरे हाथ पीछे गए तो मैंने पाया कि मेरी बहन बिल्कुल नंगी है.
मैंने उसे बेड पर ले जा कर पटक दिया. ऋतु मुझे कामुक निगाहों से देखते हुए एक हाथ अपनी चूत में डालकर अपना रस चाटने लगी.

मैंने अपने कपड़े उतारने शुरू किये और कुछ ही देर में अपनी बहन के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया. मैंने कोई देर किये बिना उसकी रसीली चूत के स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी और उसने मेरे कूदते ही अपनी टांगें मेरी कमर से लपेट ली.

मैंने अपना लंड बिना किसी चिकनाहट के ऋतु की चूत पर लगा दिया औऱ जोर से धक्का देते हुए अपना लंड उसकी गीली चूत में भर दिया. ऋतु एकदम से चीख पड़ी- माआअर डाआअला… आआअ… आआआ आआअह… चोदो… मममुझे… डाडाआआलो… हाँ हाँ… हाँ… हाआआअ!

आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित थी. ऋतु हाँफते हुए मुझे गाली देती हुई बोली- साआआअले बड़े मजे ले रहा था!
वो शायद दोपहर वाली बात कर रही थी.

मैंने कहा- तुम्हारी सहेली है ही इतनी पटाखा!
यह सुनकर ऋतु जल उठी और मुझे नीचे धक्का देकर मेरे ऊपर आ गई और जोर जोर से मेरे लंड के ऊपर कूदने लगी. मेरा लंड उसकी चूत से बिल्कुल बाहर आ रहा था और फिर वो हर बार अन्दर भी जा रहा था.
ऋतु मेरे लंड पर बैठी तरह तरह की आवाजें निकाल रही थी. उसकी वेलवेट जैसी चूत मेरे लंड को लपेटे हुए थी. ऋतु बड़े लम्बे धक्के ले रही थी. इस तरह से मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर तक जा रहा था. मेरे लंड के ऊपर का ये दवाब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरे मुंह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें निकलने लगी.

ऋतु समझ गई और हर बार की तरह हटी और मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी. तुरंत ही मैं झड़ गया औऱ ऋतु मेरा सारा माल हड़प कर गई. फिर उसने अपनी गीली चूत मेरे मुंह पर रख दी और मैंने भी अपना पेट उसके रस से भर लिया.

उसके बाद हम दोनो नंगे एक दूसरे की बाँहों में पड़े रहे और आगे की योजना बनाने लगे.

अगले दिन शाम को ऋतु ने बताया की पूजा की चार सहेलियाँ तैयार हो गई हैं अपनी चूत चटवाने के लिए… और वो इसके लिए दो-दो हजार रूपए देने को भी तैयार हैं.
हमने अगले दिन चार बजे का समय तय किया.

उस रात अगले दिन के बारे में सोच सोच कर मुझे नींद नहीं आई.

अगले दिन मैं उनका इन्तजार करने लगा. जब मैंने उनके आने की आवाजें सुनी तो छेद से देखा. ऋतु और पूजा के साथ उनकी चार और सहेलियाँ आई हुई थी.

उनमें से एक लड़की को तो मैं भी जानता था. वो ऋतु के बर्थडे पर पहले भी घर आई हुई थी. वो देखने में बिल्कुल सीधी-साधी लगती थी पर उसके नैन नक्श बहुत तीखे थे.
दूसरी लड़की काफी मोटी थी, उसकी कमर फैली हुई और छाती भरी हुई थी.

तीसरी उससे बिल्कुल विपरीत दुबली पतली और चुचे ना के बराबर पर उसके कूल्हे काफी भरे हुए और गुदाज दिख रहे थे.

पर चौथी लड़की को तो मैं देखता ही रह गया. वो बिल्कुल कैटरीना कैफ जैसी दिख रही थी. बिल्कुल वही हेयर स्टाइल… वैसा ही हंसमुख और लम्बा चेहरा… भरे हुए दूध के ग्लास और पतली कमर के नीचे मोटे-मोटे गद्देदार चूतड़… कुल मिलकर वो सेक्स बम्ब लग रही थी.

सभी लड़कियाँ अन्दर आते ही धीरे-2 अपने कपड़े निकाल कर नंगी हो गई और बेड पर लाइन से अपनी चूत को उभार कर लेट गई. ऋतु ने उनसे कुछ कहा और बाहर निकल गई.
फिर ऋतु मेरे रूम में आई और बोली- चल मेरे शेर..तेरे जलवे दिखाने का टाइम आ गया है.

मैं नंगा खड़ा था, ऋतु आगे आई और मेरा लंड पकड़कर मुझे अपने रूम में ले गई और अपनी नंगी सहेलियों के सामने ले जा कर खड़ा कर दिया.

मैंने इतना सुन्दर दृश्य कभी नहीं देखा था. पूजा साइड में नंगी खड़ी थी. बाकी चारों लड़कियाँ पूरी तरह से नंगी होकर बेड पर लेटी हुई थी. उन सभी की नजरें मेरे लंड को घूर रही थी. मैंने पहली लड़की को देखा, वो मोटी वाली थी. उसके पास जाकर मैं झुका और उसकी टांगों पर हाथ रखकर उन्हें ऊपर उठाया और उसे पीछे की तरफ धक्का दिया.. वो लेट गई और अपनी टांगें ऊपर हवा में उठा दी.

मैंने अपनी जीभ निकाली और सीधे उसकी चूत पर लगा दी. उसके मुंह से एक सिसकारी निकल गई, उसकी चूत काफी गर्म थी… बिल्कुल कसी हुई और छोटे-छोटे बाल भी थे. मैंने उसकी चूत चूसना और चाटना शुरू कर दिया. वो बिस्तर पर मचलने लगी और अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरे मुंह में अपनी चूत मारने लगी.

जल्दी ही वो झड़ने लगी और मेरे मुंह में उसका गर्मागर्म रस आ गया और मैंने सारा पी डाला. उसका रस अच्छा नहीं था पर बुरा भी नहीं था.

अब दूसरी लड़की की बारी थी. वो कटरीना कैफ जैसी थी. मैंने उसकी चूत को ध्यान से देखा… बिल्कुल चिकनी, बिना बाल की, लगता था आज ही उसने सफाई की हो.
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. उसके चुचे एकदम कड़क और उठे हुए थे. मैंने एक हाथ उसके कड़क चुचे पर रखा. दूसरा उसकी गांड पर रखकर उसे थोड़ा उठाया और उसकी आँखों में देखते हुए अपने होंठ उसकी चूत के होंठों से जोड़ दिए और उन्हें फ्रेंच किस करने लगा.

वो सिहर उठी और मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए अपने चुचे को दबाने लगी- आआहहह… ऊऊऊ उफ़…
मैंने चाटना जारी रखा.

मैंने नजर घुमाई तो पाया की बाकी सभी लड़कियाँ, पूजा और ऋतु भी… अपना मुंह फाड़े मुझे चूत चाटते हुए देख रही थी और उनका एक हाथ अपनी अपनी चूत पर था. मैंने अपना ध्यान वापिस कटरीना पर लगाया और उसकी चूत को जोर से चूसने और चाटने लगा. वो चीखने लगी और एक लम्बी सिसकारी के साथ मेरे मुंह पर झड़ने लगी.

फिर मैं उठा और अपनी अगली शिकार के सामने बैठ गया.
वो दुबली पतली लड़की थी. जैसा मैंने कहा था उसके सीने पर कोई भी उभार नहीं था. पर उसके निप्पल्स इतने बड़े थे कि मेरे हाथ खुद बा खुद उनके ऊपर जा टिके और मैंने उन्हें मसल दिया.

वो चिहुंक उठी और मेरा मुंह पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया. मैं तो उसकी चूत का चेहरा भी नहीं देख पाया था. पर उसकी उत्तेजना के आगे मैं कुछ न कर पाया और मैं उसे चाटने में लग गया.
उसका स्वाद बड़ा मीठा था. मुझे काफी मजा आ रहा था. कुछ देर की चुसाई के बाद वो भी जल्दी ही झड़ गई और मुझे अपना अमृत पिला कर हांफने लगी.

अंत में बची लड़की की निगाहें जब मुझसे मिली तो वो हौले से मुस्कुरा दी और पीछे सर करके लेट गई. मैंने देखा कि उसकी चूत पर घने बाल थे.
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी काली-काली झाटें साइड करी और उसकी पिंक चूत को बाहर निकाला. मैंने इतने बाल चूत पर आज तक नहीं देखे थे.

खैर… मुझे क्या करना था… सबकी अपनी-अपनी पसंद होती है.

मैंने अपनी जीभ निकाली और उसे भी चूस चूस कर झड़वा दिया.

मैं उठ खड़ा हुआ, मेरा पूरा मुंह गीला था और उस पर सभी लड़कियों का मिला जुला रस लगा हुआ था. वो चारों अपनी चूत फैलाये अपने ओर्गास्म का आनन्द लेती हुई आँखें बंद किये हुए गहरी सांसें लेती हुई पड़ी हुई थी.

ऋतु ने मेरे खड़े हुए लंड को अपने हाथों में लेकर कहा- और अगर तुम चाहो तो इसका भी आनन्द ले सकती हो.
फिर ऋतु ने पूजा की तरफ देखते हुए कहा- पूजा, जरा दिखाओ तो इनको कि ये कितना मजा देता है.

पूजा अपनी मोटी गांड मटकाती हुई नंगी मेरे सामने आकर बैठ गई और मेरी आँखों में देखते हुए मेरे लंड को पकड़कर अपने मुंह में लेकर आइस क्रीम की तरह चूसने लगी.

मेरी आँखें बंद होने लगी, मैं खड़ा हुआ पूजा से अपना लंड चुसवाने में लगा रहा. वो बड़े प्यार से मेरे लंड को अन्दर ले रही थी, जीभ से सहला रही थी और अपने होठों से चूस रही थी.
बाकी सभी लड़कियाँ उठी और गौर से हमें देखने लगी.

मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया. पूजा ने मेरे लंड को पूरा बाहर निकाला और अपना मुंह खोलकर लंड को जोर से हिलाने लगी.
मेरे लंड ने पिचकारी मारनी शुरू कर दी और अपने सामने बैठी पूजा के मुंह पर, आँखों पर, माथे पर, नाक पर निशाने लगा-लगा कर उसका सांवला चेहरा अपने सफ़ेद वीर्य से भिगो दिया.

वो अपने मुंह में आये रस को पी गई और फिर अपने चेहरे पर लगे हुए वीर्य को भी अपने हाथों से इकट्ठा करके चाट गई.

ऋतु ने सभी लड़कियों से कहा- अगर तुम में से कोई भी मेरे भाई का लंड चूसना चाहती है तो मुझे बता देना… पर अभी तुम सब कपड़े पहनो और जाओ यहाँ से, मेरे मम्मी पापा आने ही वाले हैं.

मैं जल्दी से अपने रूम में आ गया और बेड पर नंगा लेट गया. बिल्कुल संतुष्ट!
आज मैंने चार लड़कियों की चूत चाटी थी और पूजा ने मेरा लंड भी चूसा था और साथ ही साथ आठ हजार रूपए भी कमाए थे।

अगले दिन जैसा मैंने सोचा था, उन सभी लड़कियों ने आकर मेरा लंड एक-एक करके चूसा और मेरा वीर्य भी पिया. फिर मैंने उनकी चूत भी चाटी और हर रोज़ की तरह रात को ऋतु की चूत भी मारी.

अगले एक महीने तक हमने तरह तरह से… कभी मेरे दोस्तों ने ऋतु की चूत चाटकर और कभी मैंने ऋतु की सहेलियों की चूत चाटकर और अपना लंड चुसवा कर लगभग एक लाख रूपए जमा कर लिए.

अब छुट्टियों पर जाने का टाइम आ गया था. हमारे पास काफी पैसे जमा हो चुके थे इसलिए अब हम एन्जॉय करना चाहते थे.

और जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब हमारा पूरा परिवार सब एक साथ अपनी कार में बैठे और जंगल कैंप की तरफ निकल पड़े.

रिश्तों में हुई चुदाई की शुरुआत - Riston Me Hui Chudai Ki Shuruaat

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मेरा नाम रोहन है और मेरी उम्र बीस साल की है। मेरे घर में मेरे अलावा मेरी मम्मी पापा और मेरी छोटी बहन ऋतु रहते हैं। मेरे पापा का अपना बिज़नेस है और हम मिडल क्लास में आते हैं।

मैंने आज कॉलेज से घर पहुँच कर जल्दी से अपनी अलमारी का दरवाजा खोला और उसमे बनाये हुए छेद के जरिये अपनी छोटी बहन के कमरे में झाँकने लगा।
यह छेद मैंने काफी मेहनत से बनाया था और इसका मेरे अलावा किसी और को पता नहीं था।

ऋतु अपने स्कूल से अभी अभी आई थी और अपनी ड्रेस बदल रही थी।
उसने अपनी शर्ट उतार दी और फिर गौर से अपने फिगर को आईने में देखने लगी, फिर उसने अपने दोनों हाथ पीछे ले जा कर अपनी ब्रा खोल दी।

ऋतु की ब्रा किसी बेजान पत्ते के समान जमीन की ओर लहरा गई और उसके 32 के बूब्स किसी अमृत कलश के समान उजागर हो गए… बिल्कुल तने हुए और उनके ऊपर गुलाबी रंग के दो छोटे छोटे निप्पल तन कर खड़े हो गए।

मैं ऋतु से दो साल बड़ा हूँ पर मेरे अन्दर सेक्स के प्रति काफी जिज्ञासा है और मैं घर पर अपनी जवान होती बहन को देख कर उत्तेजित हो जाता हूँ। इसलिए तक़रीबन दो महीने पहले मैंने ये छेद अपनी अलमारी में किया था जो उसके रूम की दूसरी अलमारी में खुलता था जिस पर कोई दरवाजा नहीं था और ऋतु उसमें कपड़े और किताबें रखती थी।

मैंने यह नोट किया कि ऋतु रोज़ अपने कपड़े चेंज करते हुए अपने शरीर से खेलती है, अपने स्तनों को दबाती है, अपने निप्पल को उमेठती है और फिर अपनी चूत में उंगली डाल कर सिसकारी भरते हुए मुठ मारती है।
यह सब देखते वक्त मैं भी अपना लंड अपनी पैंट से निकाल कर हिलाने लगता हूँ और ये ध्यान रखता हूँ कि मैं तभी झडूं जब ऋतु झड़ती है।

आज फिर मैं अपनी नंगी बहन को देख रहा था, ऋतु अपने जिस्म को बड़े गौर से देख रही थी… अपने चुचे अपने हाथ में लेकर उनका वजन तय करने की कोशिश कर रही थी और धीरे-धीरे अपनी लम्बी उंगलियों से निप्पल को उमेठ रही थी।
ऋतु के बूब्स फूलकर ऐसे हो रहे थे जैसे अन्दर से कोई उनमें हवा भर रहा हो, किसी बड़े मोती के आकार में आने में उनको कोई समय नहीं लगा।

फिर उसने अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर अपने दायें निप्पल को अपने मुंह में लेने की असफल कोशिश की पर बात बनी नहीं और ऋतु उन्हें फिर से मसलने लगी. उसने फिर से अपनी जीभ निकाली और इस बार वह सफल हो ही गई।

अब उसने अपनी स्कूल पैंट को अपने सांचे में ढले हुए चूतड़ों से आज़ाद किया और उसको उतार कर साइड में रख दिया। उसने अन्दर कोई पेंटी नहीं पहनी हुई थी।
यह मैं पिछले कई हफ्ते से नोटिस कर रहा था कि मेरी बहन हमेशा बिना पेंटी के घूमती रहती थी… यह सोच कर मेरा पप्पू तन कर खड़ा हो जाता था।

खैर पैंट उतारने के बाद वो बेड के किनारे पर अलमारी की तरफ मुंह करके बैठ गई और अपनी टाँगें चौड़ी करके फैला दी और अपनी चूत को मसलने लगी।

फिर उसने जो किया… उसे देख कर मेरा कलेजा मुंह को आ गया…
उसने अपनी चूत में से एक ब्लैक डिल्डो निकाला।

मैं उसे देख कर हैरान रह गया… ऋतु सारा दिन उसे अपनी चूत में रख कर घूम रही थी… स्कूल में… घर पर… सभी के साथ खाना खाते हुए भी ये डिल्डो उसकी चूत में था।

मुझे इस बात की भी हैरानी हो रही थी कि यह उसके पास आया कहाँ से… लेकिन हैरानी से ज्यादा मुझे उत्तेजना हो रही थी और उस डिल्डो से जलन भी… जो उस गुलाबी चूत में सारा दिन रहने के बाद… चूत के रस में नहाने के बाद चमकीला और तरोताजा लग रहा था।

फिर ऋतु ने उस डिल्डो को चाटना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को मसलना जारी रखा… कभी वो डिल्डो चूत में डालती और अन्दर बाहर करती… फिर अपने ही रस को चाट कर साफ़ करती।

मेरे लिए अब सहन करना मुश्किल हो रहा था और मैं जोर जोर से अपने लंड को आगे पीछे करने लगा, फिर मैंने वही अलमारी में जोर से पिचकारी मारी और झड़ने लगा।

वहाँ ऋतु की स्पीड भी बढ़ गई और एक आखिरी बार उसने अपनी पूरी ताकत से वो काला लंड अपनी चूत में अन्दर तक डाल दिया… वो भी अपने चरम स्तर पर पहुँच गई और निढाल हो कर वही पसर गई।

अब उसकी चूत में वो साला काला लंड अन्दर तक घुसा हुआ था और साइड में से चूत का रस बह कर बाहर रिस रहा था… फिर वो उठी और लाइट बंद करके नंगी ही अपने बिस्तर में घुस गई और इस तरह मेरा शो भी ख़त्म हो गया।

मैं भी अनमने मन से अपने बिस्तर पर लौट आया और ऋतु के बारे में सोचते हुए सोने की कोशिश करने लगा… मेरे मन में विचार आ रहे थे कि… क्या ऋतु का किसी लड़के के साथ चक्कर चल रहा है… या फिर वो चुद चुकी है?

लेकिन अगर ऐसा होता तो वो डिल्डो का सहारा क्यों लेती… ये सब सोचते सोचते कब मुझे नींद आ गई, मुझे पता ही नहीं चला।

अगली सुबह मैं जल्दी से उठ कर छेद में देखने लगा… ऋतु ने एक अंगड़ाई ली और सफ़ेद चादर उसके उरोजों से सरकती हुई निप्पलों के सहारे अटक गई पर उसने एक झटके से चादर साइड करके अपने चमकते जिस्म के दीदार मुझे करा दिए।

फिर अपनी टाँगें चौड़ी करके एक के बाद एक तीन उंगलियाँ अपनी चूत में डाल दी और अपना दाना मसलने लगी.
मेरा लंड ये मोर्निंग शो देखकर अपने विकराल रूप में आ गया और मैं उसे जोर से हिलाने लगा।

ऋतु के मुंह से एक आनन्दमयी सीत्कार निकली और उसने पानी छोड़ दिया। मैंने भी अपने लंड को हिलाकर अपना वीर्य अपने हाथ में लेकर अपने लंद पर वापिस रगड़ दिया और वीर्य से लंड को नहला दिया।

ऋतु उठी और टॉवेल लेकर बाथरूम में चली गई। मैं भी जल्दी से तैयार होने लगा… वो नीचे मुझे डाइनिंग टेबल पर मिली और हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए ऋतु ने मुझे ‘गुड मोर्निंग’ कहा और इधर उधर की बातें करने लगी।

उसे देखकर ये अंदाजा लगाना मुश्किल था की ये मासूम सी दिखने वाली… अपने फ्रेंड्स से घिरी रहने वाली… टीचर्स की चहेती और क्लास में अव्वल आने वाली लड़की इतनी कामुक और उत्तेजक भी हो सकती है जो रात दिन अपनी मुठ मारती है और काला डिल्डो चूत में लेकर घूमती है।

मेरी माँ पूर्णिमा… किचन में कुक के साथ खड़े होकर नाश्ता बनवा रही थी… वो एक आकर्षक शरीर की मालकिन है… चालीस की उम्र में भी उनके बाल बिल्कुल काले और घने हैं… जो उनकी कमर से नीचे तक आते हैं।

मेरे पिता भी जो डाइनिंग टेबल पर बैठे थे… सभी को हंसा-हंसा कर लोट पोट करने में लगे हुए थे… कुल मिला कर उनकी केमिस्ट्री मेरी मम्मी के साथ देखते ही बनती थी।
वो लोग साल में एक बार अपने फ्रेंड्स के साथ पहाड़ी इलाके में जाते थे और कैंप लगाकर खूब एन्जॉय करते थे।

मैंने कॉलेज जाते हुए ऋतु को अपनी बाइक पर स्कूल छोड़ा और आगे निकल गया। रास्ते में मेरे दिमाग में एक नई तरकीब आने लगी… मुझे और मेरी बहन को हमेशा एक लिमिटेड जेब खर्ची मिलती थी।
हमें मेरे दोस्तों की तरह ऐश करने के लिए कोई एक्स्ट्रा पैसे नहीं मिलते थे… जबकि मेरे दोस्त हमेशा ग्रुप पार्टी करते, मूवी जाते… पर कम पैसों की वजह से मैं इन सबसे वंचित रह जाता था।

मैंने अपनी बहन के बारे में कभी भी अपने फ्रेंड्स को नहीं बताया था। वो कभी भी ये यकीन नहीं करते कि ऋतु इतनी कामुक और वासना की आग में जलने वाली एक लड़की हो सकती है. उनकी नजर में तो वो एक चुलबुल और स्वीट सी लड़की थी।

मैं कॉलेज पहुंचा और अपने दो सबसे करीबी फ्रेंड्स विशाल और सन्नी को एक कोने में लेकर उनसे पूछा कि क्या उन्होंने कभी नंगी लड़की देखी है?
उनके चेहरे के आश्चर्य वाले भाव देखकर ही मैं उनका उत्तर समझ गया।

मैंने आगे कहा- तुम मुझे क्या दोगे… अगर मैं तुम्हें कुछ दूरी से एक नंगी लड़की दिखा दूँ तो?
विशाल- मैं तुम्हें सारी उम्र अपनी कमाई देता रहूँगा… पर ये मुमकिन नहीं है तो इस टोपिक को यहीं छोड़ दो।
मैंने कहा- लेकिन अगर मैं कहूँ कि जो मैं कह रहा हूँ… वो कर के भी दिखा सकता हूँ… तब तुम मुझे कितने पैसे दे सकते हो?
सन्नी बोला- अगर तुम मुझे नंगी लड़की दिखा सकते हो तो मैं तुम्हें एक हज़ार रूपए दे सकता हूँ।
‘मैं भी एक हज़ार दे सकता हूँ!’ विशाल बोला- पर हमें ये कितनी देर देखने को मिलेगा?
मैंने कहा- दस से पंद्रह मिनट!

‘अबे चुतिया तो नहीं बना रहा, कहीं कोई बच्ची तो नहीं दिखा देगा गली में नंगी घूमती हुई? हा… हा… हा…’ दोनों हंसने लगे।
मैं बोला- अरे नहीं… वो उन्नीस साल की है, गोरी, मोटे चुचे और तुम्हारी किस्मत अच्छी रही तो शायद वो तुम्हें मुठ भी मारते हुए दिख जाए।
सन्नी ने कहा- अगर ऐसा है तो ये ले!
और अपनी पॉकेट से एक हज़ार रूपए निकाल कर मुझे दिए और कहा- अगर तू ये ना कर पाया तो तुझे डबल वापिस देने होंगे, मंजूर है?
‘हाँ मंजूर है!’ मैंने कहा।

सन्नी को देखकर विशाल ने भी पैसे देते हुए कहा- कब दिखा सकता है?
‘कल… तुम दोनों अपने घर पर बोल देना कि मेरे घर पर रात को ग्रुप स्टडी करनी है और रात को वहीं रहोगे।’
‘ठीक है!’ दोनों एक साथ बोले।

अगले दिन दोनों मेरे साथ ही कॉलेज से घर आ गए, हमने खाना खाया और वहीं पढ़ने बैठ गए… शाम होते होते… पढ़ते और बात करते हुए हमने टाइम पास किया ओर फिर रात को जल्दी खाना खा कर मेरे रूम में चले गए।

वहाँ पहुँचते ही सन्नी बोला- अबे कब तक इन्तजार करवाएगा, कब देखने को मिलेगी हमें नंगी लड़की… सुबह से मेरा लंड नंगी लड़की के बारे मैं सोच सोचकर खड़ा हुआ है।
विशाल भी साथ हो लिया- हाँ यार, अब सब्र नहीं होता… जल्दी चल कहाँ है नंगी लड़की?
‘यहीं है…’ मैंने कहा।

वो दोनों मेरा मुंह ताकने लगे… मैंने अपनी अलमारी खोली और छेद में से देखा, ऋतु अभी अभी अपने रूम में आई थी और अपने कपड़े उतार रही थी… यह देखकर मैं मंद मंद मुस्कुराया और सन्नी से बोला- ले देख ले यहाँ आकर!
सन्नी थोड़ा आश्चर्य चकित हुआ पर जब उसने अपनी आँख छेद पर लगाई तो वो हैरान ही रह गया और बोला- अबे तेरी ऐसी की तैसी… ये तो तेरी बहन ऋतु है।

ऋतु का नाम सुनते ही विशाल सन्नी को धक्का देते हुए छेद से देखने लगा और बोला- हाँ यार, ये तो इसकी बहन ऋतु है और ये क्या… ये तो अपने कपड़े उतार रही है।
दोनों के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ रही थी और मेरे चेहरे पर विजयी।

विशाल- तो तू अपनी बहन के बारे में बात कर रहा था? तू तो बड़ा ही हरामी है।
विशाल बोला- अबे सन्नी, देख तो साली की चुची कैसी तनी हुई हैं।
सन्नी बोला- मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि तू अपनी बहन को छेद के जरिये रोज़ नंगी देखता है और पैसे लेकर हमें भी दिखा रहा है… तू सही में भेनचोद टाइप का इंसान है… कमीना कहीं ही…

मैंने कहा- तो क्या हुआ… मैं सिर्फ देख और दिखा ही तो रहा हूँ, और मुझे इसके लिए पैसे भी तो मिल रहे हैं और ऋतु को तो इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है और अगर हम उसको नंगी देखते हैं… तो उसे कोई नुक्सान नहीं है… तो मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बुराई है।

‘अरे वो तो अपने निप्पल चूस रही है!’ विशाल बोला और अपना लंड मसलने लगा।
‘मुझे भी देखने दे?’ सन्नी ने कहा।

फिर तो वो दोनों बारी बारी छेद पर आँख लगाकर देखने लगे।
विशाल बोला- यार, क्या माल छुपा रखा था तूने अपने घर पर अभी तक… क्या बॉडी है।
‘वो अपनी पैंट उतार रही है… अरे ये क्या, उसने पेंटी भी नहीं पहनी हुई… ओह माय माय…’ और उसने एक लम्बी सिसकारी भरते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और हिलाने लगा।

‘क्या चूत है… हल्के-2 बाल और पिंक कलर की चूत… अब वो अपनी चूत में उंगलियाँ घुसा कर सिसकारियाँ ले रही थी… और अपना सर इधर उधर पटक रही है…’

विशाल और सन्नी के लिए ये सब नया था… वो दोनों ये देखकर पागल हो रहे थे और ऋतु के बारे में गन्दी बातें बोल कर अपनी मुठ मारते हुए झड़ने लगे।
तभी ऋतु झड़ गई और थोड़ी देर बाद वो उठी और लाइट बंद करके सो गई।

विशाल और सन्नी अचंभित थे और मेरी तरफ देखकर बोले- यार मज़ा आ गया… सारे पैसे वसूल हो गए।
‘मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है… कि तूने अपनी मुठ मारती हुई बहन हमें दिखाई.’ सन्नी बोला।
‘चलो अब सो जाते हैं.’ मैंने कहा।

विशाल- यार… वो साथ वाले कमरे में नंगी सो रही है, यह सोचकर तो मुझे नींद ही नहीं आएगी।
मैं बोला- अगर तुम्हें ये सब दोबारा देखना है तो जल्दी सो जाओ और सुबह देखना… वो रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले अपनी मुठ मारती है फिर नहाने जाती है. लेकिन उसके लिए तुम्हें पांच सौ रूपए और देने होंगे।

‘हमें मंजूर है!’ दोनों एक साथ बोले।
मैं अपनी अक्ल और किस्मत पर होले होले मुस्करा रहा था।

सुबह उठते ही हम तीनों फिर से छेद पर अपनी नज़र लगा कर बैठ गए… हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा… दस मिनट बाद ही ऋतु उठी रोज़ की तरह पूरी नंगी पुंगी।
उसने अपने सीने के उभारों को प्यार किया, दुलार किया, चाटा, चूसा और अपनी उंगलियों से अपनी चूत तो गुड मोर्निंग बोला।

विशाल- यार क्या सीन है, सुबह सुबह कितनी हसीं लग रही है तेरी बहन!
फिर सन्नी बोला- अरे ये क्या, इसके पास तो नकली लंड भी है… और वो अब उसको चूस भी रही है… अपनी ही चूत का रस चाट रही है… बड़ी गर्मी है तेरी बहन में यार!

और फिर ऋतु डिल्डो को अपनी चूत में डाल कर जोर जोर से हिलाने लगी।

हम तीनों ने अपने लंड बाहर निकाल कर मुठ मारनी शुरू कर दी, हम सभी लगभग एक साथ झड़ने लगे… दूसरे कमरे में ऋतु का भी वो ही हाल था, फिर वो उठी और नहाने के लिए अपने बाथरूम में चली गई।

फिर तो ये हफ्ते में दो तीन बार का नियम हो गया… वो मुझे हर बार तीन हज़ार रूपए देते और इस तरह से धीरे धीरे मेरे पास लगभग साठ हज़ार रूपए हो गए।

अब मेरा दिमाग इस बिज़नेस को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने के लिए सोचने लगा। एक दिन मैंने सब सोच समझ कर रात को करीब आठ बजे ऋतु का दरवाजा खटकाया।
मैं अन्दर जाने से पहले काफी नर्वस था, पर फिर भी मैंने हिम्मत करी और जाने से पहले छेद मैं से देख लिया कि वो स्कूल होमवर्क कर रही है और बात करने के लिए यह समय उपयुक्त है।
मैंने दरवाज़ा खटखटाया… अन्दर से आवाज आई- कौन है?
‘मैं हूँ ऋतु’ मैंने बोला।
‘अरे रोहन तुम… आ जाओ!’

‘आज अपनी बहन की कैसे याद आ गई… काफी दिनों से तुम बिजी लग रहे हो… जब देखो अपने रूम में पढ़ते रहते हो, अपने दोस्तों के साथ ग्रुप स्टडी करते हो!’ ऋतु ने कहा।
‘बस ऐसे ही… तुम बताओ लाइफ कैसी चल रही है?’
‘ऋतु आज मैं तुमसे कुछ ख़ास बात करने आया हूँ!’ मैंने झिझकते हुए कहा।
‘हाँ हाँ बोलो, किस बारे में?’ ऋतु ने कहा।
‘पैसो के बारे में!’ मैं बोला.

ऋतु बोली- देखो रोहन… इस बारे मैं तो मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर पाऊँगी, मेरी जेब खर्ची तो तुमसे भी कम है।
‘एक रास्ता है… जिससे हमें पैसों की कोई कमी नहीं होगी!’

मेरे कहते ही ऋतु मेरा मुंह देखने लगी… बोली- ये तुम किस बारे में बात कर रहे हो, ये कैसे मुमकिन है?
‘मैं इस बारे में बात कर रहा हूँ!’ और मैंने उसके टेबल के अन्दर हाथ डाल के उसका ब्लैक डिल्डो निकाल दिया और बेड पर रख दिया।

‘ओह माई गॉड!’ वो चिल्लाई और उसका चेहरा शर्म और गुस्से के मारे लाल हो गया और उसने अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया… उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
‘ये तुम्हें कैसे पता चला, तुम्हें इसके बारे में कैसे पता चल सकता है… इट्स नोट पोस्सीबल!’ वो रोती जा रही थी।
‘प्लीज रोओ मत ऋतु!’ मैं उसको रोता देखकर घबरा गया।

‘तुम मेरे साथ ये कैसे कर सकते हो, तुम मम्मी पापा को तो नहीं बताओगे न? वो कभी ये सब समझ नहीं पांएगे!’ ऋतु रोते रोते बोल रही थी, उसकी आवाज में एक याचना थी।
‘अरे नहीं बाबा, मैं मम्मी पापा को कुछ नहीं बताऊंगा… मैं तुम्हें किसी परेशानी में नहीं डालना चाहता… बल्कि मैं तो तुम्हारी मदद करने आया हूँ… जिससे हम दोनों को कभी भी पैसों की कोई कमी नहीं होगी.’ मैं बोला।

ऋतु ने पूछा- लेकिन पैसों का इन सबसे क्या मतलब है?’ उसने डिल्डो की तरफ इशारा करके कहा।

मैंने डिल्डो को उठाया और हवा में उछालते हुए कहा- मैं जानता हूँ… तुम इससे क्या करती हो, मैंने तुम्हें देखा है।
‘तुमने देखा है?’ वो लगभग चिल्ला उठी- ये कैसे मुमकिन है?
‘यहाँ से…’ मैं उसकी अलमारी के पास गया और उसे वो छेद दिखाया और बोला- मैं तुम्हें यहाँ से देखता हूँ।

‘हे भगवान्… ये क्या हो रहा है, ये सब मेरे साथ नहीं हो सकता…’ और उसकी आँखों से फिर से अश्रु की धारा बह निकली।
‘देखो ऋतु… मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है, मैं सिर्फ तुम्हें देखता हूँ… मेरे हिसाब से इसमें कोई बुराई नहीं है, और सच कहूं तो ये मुझे अच्छा भी लगता है।’

ऋतु थोड़ी देर के लिए रोना भूल गई और बोली- अच्छा ! तो तुम अब क्या चाहते हो।’
‘तुम मेरे फ्रेंड्स को तो जानती ही हो… विशाल और सन्नी, मैं उनसे तुमको ये सब करते हुए देखने के तीन हज़ार रूपए चार्ज करता हूँ।’
‘ओह नो…’ वो फिर से रोने लगी- ये तुमने क्या किया, वो मेरे स्कूल में सब को बता देंगे… मेरी कितनी बदनामी होगी… तुमने ऐसा क्यों किया… अपनी बहन के साथ कोई ऐसा करता है क्या… मैं तो किसी को अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही!
ऋतु रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी।

‘नहीं वो ऐसा हरगिज नहीं करेंगे, अगर करें तो उनका कोई विश्वास नहीं करेगा, मेरा मतलब है तुम्हारे बारे में कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता!’ मैंने जोर देते हुए कहा- और उन्हें मालूम है कि अगर वो ऐसा करेंगे तो मैं उन्हें कभी भी तुमको ये सब करते हुए नहीं देखने दूंगा।
‘और तुमने उनका विश्वास कर लिया?’ ऋतु रोती जा रही थी- तुमने मुझे बर्बाद कर दिया।

‘हाँ… मैंने उन पर विश्वास कर लिया और नहीं, मैंने तुम्हें बर्बाद नहीं किया… ये देखो!’
और मैंने पांच पांच सौ के नोटों का बण्डल उसको दिखाया… ‘ये साठ हजार रूपए हैं, जो मैंने विशाल और सन्नी से चार्ज करें हैं तुम्हें छेद में से देखने के!’

‘और मैं उन दोनों से इससे भी ज्यादा चार्ज कर सकता हूँ अगर तुम मेरी मदद करो तो?’ मैं अब लाइन पर आ रहा था।
‘तुम्हें मेरी हेल्प चाहिए?’वो गुर्राई- तुम पागल हो गए हो क्या?
‘नहीं, मैं पागल नहीं हुआ हूँ… तुम मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर ठंडे दिमाग से सोचना… देखो मैं तुमसे सब पैसे बांटने के लिए तैयार हूँ और इनमे से भी आधे तुम ले सकती हो।’ ये कहते हुए मैंने बण्डल में से लगभग तीस हजार रूपए अलग करके उसके सामने रख दिए।

‘लेकिन मेरे पास एक ऐसा आइडिया है जिससे हम दोनों काफी पैसे बना सकते हैं.’ मैं दबे स्वर में बोला।
‘अच्छा… मैं भी तो सुनूँ कि क्या आइडिया है?’ वो कटु स्वर में बोली।
फिर मैं बोला- क्या तुम्हारी कोई फ्रेंड है जो ये सब जानती है कि तुम क्या करती हो? तुम्हें मुझे उसका नाम बताने की कोई जरुरत नहीं है, सिर्फ हाँ या ना बोलो?
‘हाँ… है… मेरी एक फ्रेंड जो ये सब जानती है और ये डिल्डो भी उसी ने दिया है मुझे!’

‘अगर तुम अपनी फ्रेंड को यहाँ पर बुला कर उससे ये सब करवा सकती हो… तो मैं अपने फ्रेंडस से ज्यादा पैसे चार्ज कर सकता हूँ, और तुम्हारी फ्रेंड को कुछ भी पता नहीं चलेगा.’ मैंने उसे अपनी योजना बताई।

‘लेकिन मुझे तो मालूम रहेगा ना… और वो ही सिर्फ मेरी एक फ्रेंड है जिसके साथ मैं सब कुछ शेयर करती हूँ… अपने दिल की बात, अपनी अन्तरंग बातें सभी कुछ… मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती.’ ऋतु ने जवाब दिया।
‘तुम्हें तो अब मालूम चल ही गया है और हम दोनों इसके बारे में बातें भी कर रहे हैं… है ना…?’
‘मैं तो तुम्हें सिर्फ पैसे बनाने का तरीका बता रहा हूँ… जरा सोचो… छुट्टियाँ आने वाली हैं… मम्मी पापा तो अपने दोस्तों के साथ हमेशा की तरह पहाड़ों में कैंप लगाने चले जायेंगे और पीछे हम दोनों घर पर बिना पैसो के रहेंगे… अगर ये पैसे होंगे तो हम भी मौज कर सकते हैं, लेट नाईट पार्टी, और अगर चाहो तो कही बाहर भी जा सकते हैं। छुट्टियों के बाद अपने दोस्तों से ये तो सुनना नहीं पड़ेगा कि वो कहाँ कहाँ गए और मजे किये, हम भी ये सब कर सकते हैं… हम भी अपनी छुट्टियों को यादगार बना सकते हैं, जरा सोचो…’

‘अगर मैं मना कर दूँ तो?’ ऋतु बोली- तो तुम क्या करोगे?
‘नहीं तुम ऐसा नहीं करोगी,’ मैंने कहा- ये एक अच्छा आईडिया है, और इससे किसी का कोई नुक्सान भी नहीं हो रहा है, विशाल और सन्नी तो तुम्हें देख देखकर पागल हो जाते हैं… वो ये सब बाहर बताकर अपना मजा खराब नहीं करेंगे… मेरे और उनके लिए ये सब देखने का ये पहला और नया अनुभव है।

‘और अगर मैंने मना कर दिया तो मैं ये सब नहीं करूंगी और ये छेद भी बंद कर दूँगी और आगे से कभी भी अपने रूम में ये सब नहीं करूंगी… फिर देखते रहना मेरे सपने…’ ऋतु बोली।

‘प्लीज ऋतु…’ मैं गिड़गिड़ाया- ये तो साबित हो ही गया है कि तुम काफी उत्तेजना फील करती हो और अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए अपनी मुठ मारती हो और इस डिल्डो से मजे भी लेती हो। अगर तुम्हें और कोई ये सब करते देखकर उत्तेजना में अपनी मुठ मारता है तो इसमें बुराई ही क्या है… तुम भी तो ये सब करती हो और तुम्हें देखकर कोई और भी मुठ मारे तो इसमें तुम्हें क्या परेशानी है?’

‘मेरे कारण वो मुठ मारते हैं, मतलब विशाल और सन्नी…’ वो आश्चर्य से बोली।
‘मेरे सामने तो नहीं, पर मुझे विश्वास है घर पहुँचते ही वो सबसे पहले अपनी मुठ ही मारते होंगे.’ मैंने कुछ बात छिपा ली।
‘और तुम? क्या तुम भी मुझे देखकर मुठ मारते हो?’
‘हाँ… मैं भी मारता हूँ!’ मैंने धीरे से कहा- मुझे लगता है कि तुम इस दुनिया की सबसे खूबसूरत और आकर्षक जिस्म की मलिका हो।

‘तुम क्या करते हो?’ उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।
‘मैं तुम्हें नंगी मुठ मारते हुए देखता हूँ और अपने ल… से खेलता हूँ.’ मैं बुदबुदाया।
‘और क्या तुम…’ उसने पूछा- क्या तुम्हारा निकलता भी है जब तुम मुठ मारते हो?
‘हाँ, हमेशा… मैं कोशिश करता हूँ कि मेरा तब तक ना निकले जब तक तुम अपनी चरम सीमा तक नहीं पहुँच जाओ… पर ज्यादातर मैं तुम्हारी उत्तेजना देखकर पहले ही झड़ जाता हूँ.’

‘मुझे इस सब पर विश्वास नहीं हो रहा है.’ ऋतु ने अपना डिल्डो उठाया और उसको वापिस ड्रावर में रख दिया।

‘देखो ऋतु… मैं तुम्हें इसमें से आधे पैसे दे सकता हूँ, बस जरा सोच कर देखो, वैसे भी मेरे हिसाब से ये रूपए तुमने ही कमाए हैं।’
‘हाँ ये काफी ज्यादा पैसे हैं, मैंने तो इतने कभी सपने में भी नहीं सोचे थे।’
‘तुम ये आधे रूपए रख लो और बस मुझे ये बोल दो कि… तुम इस बारे में सोचोगी?’ मैंने कहा।
‘लेकिन सिर्फ एक शर्त पर?’ ऋतु बोली।
‘तुम कुछ भी बोलो?’ मैं ख़ुशी से उछल पड़ा- मैं तुम्हारी कोई भी शर्त मानने को तैयार हूँ।

‘तुम मुझे देखते रहे हो, ठीक!’ ऋतु ने कहा।
‘हाँ तो?’
‘मैं भी तुम्हें हस्तमैथुन करते देखना चाहती हूँ.’ ऋतु बोली- तुम अभी हस्तमैथुन करो… मेरे सामने!’

मैंने कहा- नहीं, ये मैं नहीं कर सकता… मुझे शर्म आएगी…
ऋतु बोली- तो फिर भूल जाओ, मैं इस बारे में सोचूंगी भी नहीं!
मैंने कहा- अगर मैंने करा तो तुम्हारी तरफ से हाँ होगा?
‘हाँ! बिल्कुल’- ऋतु ने अपनी गर्दन हाँ में हिलाई।

मैंने एक और शर्त रखी… कि कभी कुछ भी हो जाए, तुम ये अलमारी का छेद कभी बंद नहीं करोगी।
ऋतु ने कहा- अगर तुम मुझे बिना बताये अपने दोस्तों को यहाँ लाये तो कभी नहीं…
मुझे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ.

फिर ऋतु ने पूछा- तो क्या तुम अभी मेरे सामने हस्तमैथुन करोगे?
मैंने ‘हाँ’ कह दिया तो ऋतु ने मुस्कुराते हुए कहा- तो ठीक है… फिर शुरू हो जाओ।

मैंने शर्माते हुए अपनी जींस उतारी और अपनी चड्डी भी उतार कर साइड में रख दी और अपने लंड को अपने हाथ में लेकर मन ही मन में बोला… चल बेटा तेरे कारनामे दिखाने का टाइम हो गया… धीरे धीरे मेरे लंड ने विकराल रूप ले लिया और मैं उसे आगे पीछे करने लगा.

मैंने ऋतु की तरफ देखा तो वो आश्चर्य से मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी. उसकी आँखों में एक ख़ास चमक आ रही थी.

मैं अपने हाथ तेजी से अपने लंड पर चलाने लगा. ऋतु भी धीरे-धीरे मेरे सामने आ कर बैठ गई, उसका चेहरा मेरे लंड से सिर्फ एक फुट की दूरी पर रह गया.
उसके गाल बिल्कुल लाल हो चुके थे और उसके गुलाबी लरजते होंठ देखकर मेरा बुरा हाल हो गया… वो उन पर जीभ फिरा रही थी और उसकी लाल जीभ अपने गीलेपन से उसके लबों को गीला कर रही थी.

मेरा लंड ये सब देखकर दो मिनट के अन्दर ही अपनी चरम सीमा तक पहुँच गया और उसमें से मेरे वीर्य की पिचकारी निकल कर ऋतु के माथे से टकराई.
वो हड़बड़ा कर पीछे हुई तो दूसरी धार सीधे उसके खुले हुए मुंह में जा गिरी और पीछे होते होते तीसरी और चौथी उसकी ठोड़ी और गले पर जा लगी.

‘अरे वाह… मुझे इसका बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था.’ ऋतु ने चुप्पी तोड़ी.
‘मतलब तुमने आज तक ये… मेरा मतलब असली लंड नहीं देखा?’ मैंने पूछा तो उसने ना में गर्दन हिला दी.

ऋतु ने अपने मुंह में आये वीर्य को निगलते हुए चटखारा लिया और मुझसे बोली- और मुझे इस बात का भी अंदाज़ा नहीं था कि ये पिचकारी मारकर अपना रस निकालता है.
मैंने पूछा- मैंने भी तुम्हें डिल्डो को अपनी योनि में डालने के बाद चाटते हुए देखा है… क्या इसका स्वाद तुम्हारे रस से अलग है?
ऋतु ने कहा- हाँ… थोड़ा बहुत… तुम्हारा थोड़ा नमकीन है… पर मुझे अच्छा लगा.

ऋतु ने मुझसे पूछा- मेरा इतना गाढ़ा नहीं है पर थोड़ा खट्टा-मीठा स्वाद आता है… क्या तुम टेस्ट करना चाहोगे?
मैंने कहा- हाँ… बिल्कुल… क्यों नहीं… पर कैसे?
ऋतु मुस्कुराती हुई धीरे धीरे अपने बेड तक गई और अपना डिल्डो निकालकर उसको मुंह में डाला और मेरी तरफ हिला कर फिर से पूछा- क्या तुम सच में मेरा रस चखना चाहोगे?
मैंने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई.

उसको डिल्डो चूसते देखकर मेरे मुरझाये हुए लंड ने एक चटका मारा… जो ऋतु की नजरों से नहीं बच सका.
फिर उसने आहिस्ता से अपनी जींस के बटन खोले और उसको उतार दिया. हमेशा की तरह उसने पेंटी नहीं पहनी थी. उसकी बुर मेरी आँखों के सामने थी. मैंने पहली बार इतनी पास से उसकी बुर देखी थी.

उसमें से रस की एक धार बह कर उसकी जींस को गीला कर चुकी थी और वो काफी उत्तेजित थी. फिर वो अपनी टाँगे चौड़ी करके बेड के किनारे पर बैठ गई और डिल्डो अपनी बुर में डाल कर अंदर बाहर करने लगी.
मैं ये सब देखकर हैरान रह गया.
वो आँखें बंद किये मेरे सामने अपनी बुर में डिल्डो डाल रही थी. जब डिल्डो उसके अन्दर जाता तो उसकी बुर के गुलाबी होंठ अन्दर की तरफ मुड़ जाते और बाहर निकालते ही उसकी बुर के अन्दर की बनावट मुझे साफ़ दिखा देते.

मैं तो उसके अंदर के गुलाबीपन को देखकर और रस से भीगे डिल्डो को अन्दर बाहर जाते देखकर पागल ही हो गया.
मैं मुंह फाड़े उसके सामने बैठा था.

उसने अपनी स्पीड बड़ा दी और आखिर में वो भी जल्दी ही झड़ने लगी. फिर उसने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और अपनी बुर में से भीगा हुआ डिल्डो मेरे सामने करके बोली- लो चाटो इसे… घबराओ मत… तुम्हें अच्छा लगेगा… चाटो.

मैंने कांपते हाथों से उससे डिल्डो लिया और उसके सिरे को अपनी जीभ से छुआ. मुझे उसका स्वाद थोड़ा अजीब लगा पर फिर एक दो बार चाटने के बाद वही स्वाद काफी मादक लगने लगा और मैं उसे चाट चाटकर साफ़ करने लगा.
यह देखकर ऋतु मुस्कराई और बोली- कैसा लगा?

मैंने कहा- टेस्टी है ऋतु…

ऋतु ने डिल्डो मेरे हाथ से लेकर वापस अपनी बुर में डाला और खुद ही चूसने लगी और बोली- मज़ा आया?
मैंने कहा- हाँ!
फिर ऋतु बोली- मुझे भी मज़ा आता है अपने रस को चाटने मैं… कई बार तो मैं सोचती हूँ कि काश मैं अपनी बुर को खुद ही चाट सकती!

ऋतु ने मुझसे पूछा- क्या तुमने कभी अपना रस चखा है?
मैंने कहा- नहीं… क्यों?
ऋतु बोली- ऐसे ही… एक बार ट्राई करना!
फिर उसने कहा- आज रात सब के सोने के बाद तुम मेरे लिए एक बार फिर से मुठ मारोगे और अपना रस भी चाट कर देखोगे!

मैंने पूछा- मैं अपना वीर्य चाटूं… पर क्यों?
ऋतु ने अपना फैसला सुनाया- क्योंकि मैं चाहती हूँ और अगर तुमने ये किया तभी मैं तुम्हें अपना जवाब दूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
ऋतु- अब तुम जल्दी से यहाँ से जाओ, मुझे अपना होमवर्क भी पूरा करना है.

मैंने जल्दी से अपनी चड्डी और जींस पहनी लेकिन मेरे खड़े हुए लंड को अन्दर डालने में जब मुझे परेशानी हो रही थी तो वो खिलखिलाकर हंस रही थी और उसके हाथ में वो काला डिल्डो लहरा रहा था.
मैं जल्दी से वहाँ से निकल कर अपने रूम में आ गया. अपने रूम में आने के बाद मैंने छेद से देखा तो ऋतु भी अपनी जींस पहन कर पढ़ाई कर रही थी.

रात को सबके सोने के बाद मैंने देखा कि ऋतु के रूम की लाइट बंद हो चुकी है. थोड़ी ही देर मैं मैंने अपने दरवाजे पर हल्की दस्तक सुनी. मैंने वो पहले से ही खुला छोड़ दिया था तो ऋतु दरवाजा खोलकर अन्दर आ गई उसने गाउन पहन रखा था.
अंदर आते ही ऋतु बोली- चलो शुरू हो जाओ.

मैं चुपचाप उठा और अपना पायजामा उतार कर खड़ा हो गया और अपने लंड के ऊपर हाथ रखकर आगे पीछे करने लगा. ऋतु मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी. इस बार वो और ज्यादा करीब से देख रही थी.
उसके होठों से निकलती हुई गर्म हवा मेरे लंड तक आ रही थी.

मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया, तभी ऋतु बोली- अपना वीर्य अपने हाथ में इकट्ठा करो.

मैंने ऐसा ही किया… मेरे लंड के पिचकारी मारते ही मैंने अपनी मुठ से अपने लंड का मुंह बंद कर दिया और सारा माल मेरी हथेली में जमा हो गया.

फिर ऋतु बोली- वाह… मजा आ गया, तुम्हें मुठ मारते देखकर सच में मुझे अच्छा लगा… अब तुम इस रस को चख कर देखो.
मैंने झिझकते हुए अपने हाथ में लगे वीर्य को अपनी जीभ से चखा.
ऋतु ने पूछा- कैसा लगा?
मैंने जवाब दिया- तुम्हारे रस से थोड़ा अलग है.
ऋतु- कैसे?
मैं- शायद इसमें मादकता कम है.

ऋतु मुस्कुराते हुए बोली- चलो मुझे भी चखाओ.
मैं- ये लो…
और मैंने अपना हाथ ऋतु की तरफ बढ़ा दिया. वो अपनी गर्म जीभ से धीरे धीरे उसे चाटने लगी फिर अचानक वो मेरा पूरा हाथ साफ़ करने के बाद बोली- यम्मी… मुझे तुम्हारा रस बहुत स्वाद लगा और काफी मीठा भी… क्या तुम मेरे रस के साथ अपने रस को चखना चाहोगे?
मैं- हाँ हाँ… क्यों नहीं!

फिर वो थोड़ा पीछे हठी और उसने अपना गाउन आगे से खोल दिया… मैं देख कर हैरान रह गया… वो अन्दर से पूरी तरह नंगी थी. उसकी 34 बी साइज़ की सफ़ेद रंग की चूचियाँ तन कर खड़ी थी और उन स्तनों की शोभा बढ़ाते दो छोटे निप्पल किसी हीरे की तरह चमक रहे थे.

उसने अपने हाथ अपनी जांघों के बीच में घुसाए और अपनी बुर में से वो काला डिल्डो निकाला. वो पूरी तरह से गीला था… उसका रस डिल्डो से बहता हुआ ऋतु की उंगलियों तक जा रहा था.
मैंने उसके हाथ से डिल्डो लिया और उसको चाटने लगा.
उसका रस एकदम गर्म और ताज़ा था. मैं जल्द ही उसे पूरी तरह से चाट गया और वो ये देखकर खुश हो गई.

मैं- मुझे भी तुम्हारा रस अच्छा लगा.
ऋतु बोली- अब मुझे भी तुम्हारा थोड़ा रस और चखना है… तुम अपना लंड अपने हाथ में पकड़ो.

मेरे लंड के हाथ में पकड़ते ही वो झुकी और मेरे लंड के चारों तरफ अपने होंठों का फंदा बना कर उसमें बची हुई आखिरी बूँद को झट से चूस गई.
मैं तो सीधा स्वर्ग में ही पहुँच गया… मैंने कहा- ये तो और भी अच्छा है.
ऋतु बोली- तुम्हारा लंड भी इस नकली से लाख गुना अच्छा है.

मैंने शर्माते हुए ऋतु से पूछा- क्या मैं भी टेस्ट कर सकता हूँ?
ऋतु बोली- तुम्हारा मतलब है… जैसे मैंने किया… क्यों नहीं… ये लो!
और इतना कहकर वो मेरे बेड पर अपनी कोहनी के बल लेट गई और अपनी टाँगें चौड़ी कर के मोड़ ली.

उसकी गीली बुर मेरे बिल्कुल सामने थी. मैं अपने घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और उसकी जांघों को पकड़ कर अपनी जीभ उसकी बुर में डाल दी.
वो सिसक पड़ी और अपना सर पीछे की तरफ गिरा दिया.

उसकी मादक खुशबू मेरे नथुनों में भर गई.
फिर तो जैसे मुझे कोई नशा सा चढ़ गया, मैं अपनी पूरी जीभ से अपनी बहन की बुर किसी आइसक्रीम की तरह चाटने लगा.
ऋतु का तो बुरा हाल था, उसने अपने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए और खुद ही मेरे मुंह को ऊपर नीचे करके उसे नियंत्रित करने लगी. मेरी जीभ और होंठ उसकी बुर में रगड़ कर एक घर्षण पैदा कर रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी गर्म मखमल के गीले कपड़े पर अपना मुंह रगड़ रहा हूँ.

मेरी बहन की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंज रही थी.

और फिर वो एक झटके के साथ झड़ने लगी और उसकी बुर में से एक लावा सा बहकर बाहर आने लगा. मैं जल्दी से उसे चाटने और पीने लगा और जब पूरा चाटकर साफ़ कर दिया तो पीछे हटकर देखा तो ऋतु का शरीर बेजान सा पड़ा था और उसकी अधखुली आँखें और मुस्कुराता हुआ चेहरा हल्की रोशनी में गजब का लग रहा था.

मेरा पूरा चेहरा उसके रस से भीगा हुआ था. वो हंसी और बोली- मुझे विश्वास नहीं होता कि आज मुझमें से इतना रस निकला… ऐसा लग रहा था कि आज तो मैं मर ही गई.

मैंने पूछा- तो तुम्हारा जवाब क्या है?
वो हँसते हुए बोली- हाँ बाबा हाँ, मैं तैयार हूँ.
वो आगे बोली- लेकिन वो भी पहली बार सिर्फ तुम्हारे लिए… तब तुम अपने दोस्तों को नहीं बुलाओगे… फिर बाद में हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है.
मैंने कहा- ठीक है, मुझे मंजूर है.

मैंने उसे खड़ा किया और उसे नंगी ही गले से लगा लिया और उसे कहा- तुम्हें ये सब करना काफी अच्छा लगेगा.
ऋतु कसमसाई और बोली- देखेंगे!

अपना गाउन पहन कर उसने अपने डिल्डो को अंदर छुपा लिया और बोली- मुझे भी अपनी बुर पर तुम्हारे होंठों का स्पर्श काफी अच्छा लगा… ये अहसास बिल्कुल अलग है… और मुझे इस बात की भी ख़ुशी है कि मेरा अब कोई सिक्रेट भी नहीं है.
मैंने कहा- हम दोनों मिलकर बहुत सारे पैसे कमाएंगे और बहुत मज़ा भी करेंगे.

फिर मैंने बोला- गुड नाईट.
तो ऋतु भी ‘गुड नाईट’ कहकर वो अपने रूम में चली गई.

मैं भी ऋतु के बारे में और आने वाले समय के बारे में सोचता हुआ अपनी आगे की योजनायें बनाने लगा.

अगले दिन जब मैं उठा तो कल रात की बातें सोचकर मुस्कुराने लगा, फिर कुछ सोचकर झटके से उठा और छेद में देखने लगा. पहले तो मुझे कुछ दिखाई ही नहीं दिया पर जब गौर से देखा तो हैरान रह गया क्योंकि ऋतु की बुर मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी. वो छेद के पास खड़ी हुई अपनी बुर में डिल्डो अन्दर बाहर कर रही थी… बिल्कुल नंगी.

मैं तो यह देखकर पागल ही हो गया, मैंने झट से अपना तना हुआ लंड बाहर निकाला और उसे तेजी से आगे पीछे करने लगा. मेरा मन कर रहा था कि मैं अपनी जीभ छेद में डाल कर अपनी बहन की बुर में डाल दूँ और उसे पूरा चाट डालूं.
मैं ये सोचते-2 जल्दी ही झड़ने लगा.

तभी छेद में से ऋतु को अपनी तरफ देखते हुए मैं पास गया तो उसने पूछा- क्या तुम्हारा हो गया?
मैंने जवाब दिया- हाँ और तुम्हारा?
वो मुस्कुरा कर बोली- हाँ मेरा भी!
मैंने कहा- मुझे तो बड़ा ही मजा आया!
ऋतु बोली- मुझे भी… चलो अब नीचे नाश्ते पर मिलते हैं!
और यह कह कर वो अपनी गांड मटकती हुई बाथरूम में चली गई.

आज मेरे दिल में एक अजीब सी ख़ुशी मचल रही थी. जिंदगी के ये नए रंग मुझे सचमुच अच्छे लग रहे थे. हालांकि भाई बहन के बीच ये सब पाप की नजर से देखा जाता है पर ना जाने क्यों ये पाप करना मुझे अच्छा लग रहा था.

मैं नाश्ता करके अपनी बाइक पर ऋतु को स्कूल छोड़ने चल दिया. रास्ते भर हम अपने इस नए ‘बिज़नेस’ के बारे में बातें करते रहे कि कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ. अगर हफ्ते में दो बार हम दो लोगों को या फिर चार लोगों को ये ‘स्पेशल शो’ दिखाएँ तो कितने पैसे मिलेंगे… और इस हिसाब से पैसे हमेशा बढ़ते जा रहे थे.
यह देखकर ऋतु काफी खुश हो रही थी.

उसी रात डिनर के टाइम ऋतु ने मम्मी पापा से कहा कि उसकी सहेली पूजा कल रात यहीं पर रहेगी क्योंकि उनकी परीक्षाएं आ रही है और वो उसकी तैयारी करना चाहती हैं.

पूजा का नाम सुनते ही मैं चौंक गया. मैंने कई बार पूजा को अपने घर पर ऋतु के साथ देखा है. वो एक पंजाबी लड़की है… थोड़ी सांवली जैसे पुराने जमाने की एक्ट्रेस रेखा हुआ करती थी.
पर उसके मम्मे और गांड ग़जब की है, एकदम टाइट और फैली हुई गांड और तने हुए छोटे खरबूजे जैसे मम्मे… मैंने उनके बारे में सोचकर कई बार मुठ भी मारी थी.
पूजा ही वो लड़की है जिसने ऋतु को डिल्डो दिया था. तब तो वो काफी एडवांस होगी और मुझे भी काफी मौज करने को मिलेगी.

मैं यह सोचकर हल्के मुस्कुराने लगा. मुझे मुस्कुराते देखकर ऋतु भी रहस्यमयी हंसी हंस दी.

अपने कमरे में आने के बाद मैंने छेद में से झाँकने की कोशिश की पर वहाँ तो बिलकुल अँधेरा था. ऋतु ने लाइट बंद कर दी थी और वो अपने बिस्तर पर सो रही थी. मैं भी अपने बिस्तर पर जा कर सोने की कोशिश करने लगा.

क़रीब एक घंटे के बाद मुझे अपने दरवाजे पर हलचल महसूस हुई और मैंने देखा कि ऋतु चुपके से मेरे कमरे मैं दाखिल हो रही है, उसने कल वाला ही गाउन पहन रखा था.
मैंने पूछा- क्या हुआ ..इतनी रात को तुम्हें क्या चाहिए?
ऋतु ने कहा- क्या तुम फिर से मेरी बुर चाट सकते हो जैसे कल चाटी थी. मुझे सच में बड़ा मजा आया था.
मुझे तो खुद पर विश्वास ही नहीं हुआ तो मैंने कहा- क्या सच में?
ऋतु भी बोली- हाँ… और अगर तुम चाहो तो बदले में मैं तुम्हारा लंड चूस दूंगी क्योंकि मेरे डिल्डो में से रस नहीं निकलता.
मैंने कहा- ठीक है, मैं तैयार हूँ.

फिर ऋतु ने एक झटके से अपना गाउन उतार फेंका… उसने कल की तरह अन्दर कुछ भी नहीं पहन रखा था, एकदम नंगी… मैंने अपने बेड के साइड का बल्ब जला दिया. सफेद रोशनी में उसका गोरा बदन चमक उठा, वो आकर मेरे बेड पर अपनी टाँगें फैला कर लेट गई.

मैंने भी अपना मुंह उसकी बुर पर टिका दिया और उसके निचले अधरों का रसपान करने लगा. आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी. उसकी गीली बुर में मुंह मारने में काफी मजा आ रहा था. वो लम्बी-2 सिसकारियाँ ले रही थी और बड़बड़ा रही थी ‘आआ… आआह… रोहन…म्म्म्म म्म्म…’

मैंने उसके दाने को अपने दांत में लेकर काटना शुरू कर दिया तो ऋतु पागल ही हो गई. मैंने सांस लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया, उसने एक झटके से मेरे सर को दोबारा अपनी बुर पर टिका दिया और बोली- बसस्स्स थोड़ा आआआआ और… म्म्मम्म्म.. चूसो मेरी बुर को… पी जाओ मेरा रस… माआआ…

फिर तो जैसे एक सैलाब आया और मैं दीवानों की तरह उसकी बुर में अपनी जीभ और दांत से हमले करता चला गया. अंत में जब वो धराशायी हुई तो उसका पूरा बदन कांपने लगा और शरीर ढीला हो गया. मैंने जल्दी से उसका रस पीना शुरू कर दिया.
अंत में वह बोली- बस करो रोहन, वरना मैं मर जाऊँगी… बस करो.

मैं हटा तो उसकी आँखों में मेरे लिए एक अलग ही भाव था.

मैंने कहा- मुझे तो तुम्हारी बुर का रस काफी अच्छा लगता है, काफी मीठा है, मुझे तो अब इसकी आदत ही हो गई है.
ऋतु उठी और बोली- लाओ अब मैं तुम्हारा लंड चूस देती हूँ!

मैं तेजी से उठा और अपना पायजामा चड्डी सहित उतार दिया और बेड के किनारे पर लेट गया. वो मेरे सामने बैठी और बोली- मेरे पास डिल्डो सिर्फ एक वजह से है क्योंकि मेरे पास ये चीज असली में नहीं है.
उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और मसलने लगी. नर्म हाथों में आते ही मेरा लंड अपनी औकात पर आ गया और फूल कर कुप्पा हो गया.

ऋतु बोली- ये कितना नर्म और गर्म है.
फिर उसने मेरे लंड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. जल्दी ही मेरे लंड के सिरे पर वीर्य की बूँद चमकने लगी. वो थोड़ा झुकी और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसे चाट गई और फिर धीरे धीरे अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिराने लगी.

मैं कोहनियों के बल बैठा आँखें फाड़े ये सब देख रहा था.

फिर ऋतु ने अपने होंठ खोले और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल लिया. वो तब तक नहीं रुकी जब तक मेरा सात इंच का लंड उसके गले से नहीं टकरा गया. फिर उसने अपने लब बंद कर लिए और अन्दर ही अन्दर अपनी जीभ मेरे लंड के चारों तरफ फिराने लगी.

मेरा तो बुरा हाल हो गया. उसके मुंह के अन्दर जाते ही वो कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा हो गया था. मैं अपने लंड की नसें चमकते हुए देख सकता था.

फिर उसने धीरे-2 लंड को बाहर निकाला और बोली- ये तो बहुत टेस्टी है.
और यह कह कर दुगने जोश के साथ ऋतु मेरे लंड को फिर मुंह में लेकर चूसने लगी. वो अपने एक हाथ से मेरे टट्टों को भी मसल रही थी.

मैं जल्दी ही झड़ने के कगार पर पहुँच गया और जोर-2 से साँसें लेने लगा. वो समझ गई और जोर से मेरा लंड चूसने लगी.
तभी मेरे लंड ने पिचकारी मार दी जो सीधे उसके गले के अन्दर टकराई पर वो रुकी नहीं और हर पिचकारी को अपने पेट में समाती चली गई और अंत में जब कुछ नहीं बचा तभी उसने मेरा लंड छोड़ा.

ऋतु बोली- मजा आ गया… लंड चूसने में तो मजा है ही… रस पीने का मजा भी अलग ही है.
मैंने उखड़ी सांसों से कहा- मुझे भी बहुत मजा आया.

ऋतु बोली- चलो… गुड नाईट.
और उठते हुए मेरे लंड पर एक किस दे दी. फिर वो अपना गाउन पहन कर चुपके से अपने रूम में चली गई और मैं कल के बारे में सोचकर रंगीन सपने बुनने लगा.

अगले दिन ऋतु को स्कूल छोड़कर जब मैं कॉलेज गया तो मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगा. सारा दिन मैं होने वाली रात के बारे में सोचता रहा.
जब सन्नी और विकास ने भी मुझसे बात करने की कोशिश की तो उन्हें भी मैंने कहा- बाद में बात करेंगे.
वो दरअसल अगले ‘शो’ के बारे में जानना चाहते थे.

शाम को जब मैं घर पहुंचा तो मुझे ऋतु का इन्तजार था. थोड़ी देर में ही दरवाजे की बेल बजी और मैं भाग कर गया, दरवाजा खोला तो ऋतु अपनी सहेली पूजा के साथ खड़ी थी.

मुझे देखते ही ऋतु ने मुझे आँख मारी और बोली- भाई, दरवाजे पर ही खड़े रहोगे या हमें अन्दर भी आने दोगे?
और ये कह कर वो पूजा की तरफ देख कर जोर से हंस दी.

पूजा ने अन्दर जाते हुए मुझे मुस्कुराकर धीरे से ‘हैल्लो’ बोला. मैं तो उसकी सफेद शर्ट में फंसी हुई चूचियाँ ही देखता रह गया जो शर्ट फाड़ कर बाहर आने को तैयार थी. मैंने मन में सोचा ये लड़कियाँ इतना भार अपने सीने पर संभालती कैसे हैं?

अन्दर जाकर दोनों ने कपड़े बदल लिए और डिनर के टाइम पर दोनों आपस में बातें करती रही, फिर दोनों अपने रूम में चली गई.
मैंने जल्दी से जाकर छेद से देखा तो दोनों बेड पर बैठकर पढ़ाई कर रही थी.

मैं वापिस आकर लेट गया.
उसके बाद कई बार चेक किया पर हर बार उन्हें पढ़ते हुए ही पाया.

एक घंटे बाद मम्मी पापा ने सबको गुड नाईट बोला और अपने कमरे में सोने चले गए.

मैंने फिर से छेद में झाँका तो देखा कि दोनों अपनी किताबें समेट रही हैं. फिर थोड़ी देर बैठकर बातें करने के बाद ऋतु ने धीरे से अपना गाउन खोल दिया लेकिन आज उसने अन्दर ब्रा और पेंटी पहन रखी थी.

फिर पूजा ने भी अपनी टी शर्ट और केप्री उतार दी. उसने अन्दर ब्लैक कलर का सेट पहन रखा था. फिर दोनों ने बारी बारी से बाकी बचे कपड़े भी उतार दिए.

मेरी नजर अब सिर्फ पूजा पर ही थी. क्या ग़जब के चूचे थे उसके… एकदम गोल और तने हुए… ऐसा लग रहा था जैसे कोई ताकत उन्हें ऊपर खींच रही है और वो तन कर खड़े हुए हैं. उसके निप्पस डार्क ब्लैक कलर के थे, पेट एकदम सपाट, नाभि अन्दर की ओर घुसी हुई, बुर पर काले रंग के बाल थे, मोटी टाँगें और कसी हुई पिंडलियाँ!
वो पलटी तो उसकी गांड देखकर ऐसा लगा कि शायद उसने अपनी गांड में गद्दा लगा रखा है.

तभी ऋतु ने बेड के नीचे से अपना काला डिल्डो निकाला और मुंह में चूस कर पूजा को दिखाया… फिर दोनों हंसने लगी.
ऋतु बेड पर लेट गई और अपनी उंगलियों से अपनी बुर मसलने लगी. फिर पूजा लेटी और वो भी अपनी उंगलियाँ अपनी बुर में डालकर आँखें बंद करके मजे लेने लगी.
दोनों सिसकारियाँ ले लेकर अपनी उंगलियाँ अपनी बुर में डाल रही थी.

फिर ऋतु ने डिल्डो उठाया और अपनी बुर में डालकर तेजी से अन्दर बाहर करने लगी. पूजा अभी भी अपनी उंगलियों से मजे ले रही थी.
थोड़ी देर बाद ऋतु अपकी बुर रस से भीगा हुआ डिल्डो पूजा की बुर पर रगड़ने लगी.

पूजा ने आँखें खोली और साँस रोककर ऋतु की तरफ देखा. ऋतु आगे बढ़ी और अपने होंठ पूजा के खुले हुए लबों पर रख दिए. दोनों के होंठ एकदम गीले थे.
फिर ऋतु ने एक ही झटके में पूरा डिल्डो पूजा की नाजुक बुर में उतार दिया.
पूजा झटपटाने लगी पर ऋतु ने उसके होंठ जकड़े हुए थे तो उसकी सिर्फ गूऊऊओ… गूऊऊऊऊ… की आवाज ही सुनाई दी.

मैंने भी अपना लंड बाहर निकाला और जोर जोर से मुठ मारने लगा.

फिर ऋतु ने उसके होंठ छोड़ दिए. वो एकदम लाल हो चुके थे. उसके खुले मुंह से एक लार निकल कर पूजा के चूचे पर गिर गई. ऋतु थोड़ा झुकी और लार के साथ साथ उसके चूचे भी चाटने लगी. बड़ा ही कामुक दृश्य था.
पूजा अपने निप्पल पर हुए इस हमले से मचलने लगी. उसके निप्पल एकदम सख्त हो चुके थे और लगभग एक इंच बाहर नजर आ रहे थे.

फिर ऋतु ने अपना पूरा ध्यान पूजा की बुर में लगा दिया, वो तेजी से डिल्डो अन्दर बाहर करने लगी. थोड़ी ही देर में एक आनंदमयी सीत्कार के साथ पूजा झड़ने लगी. उसका शरीर कांपते हुए बुर के जरिये अपना अनमोल रस छोड़ने लगा.

पूजा ने ऋतु का हाथ पकड़कर उसे रोक दिया. डिल्डो अभी भी पूजा की बुर में धंसा हुआ था और पूजा का रस बुर में से रिस रहा था. ऋतु ने उसे निकाला और उस पर लिपटा हुआ जूस चाटने लगी.
फिर वही डिल्डो अपनी बुर में डालकर पूजा के मुंह के आगे कर दिया.
पूजा भी उसे चाटने लगी.

तब तक ऋतु बेड पर लेट गई.
अब पूजा ने धीरे-2 पूरा डिल्डो ऋतु की बुर में उतार दिया. वो भी उसके मजे लेने लगी, वो पहले से ही उत्तेजित थी तो झड़ने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा.

झड़ते ही ऋतु ने झटके से पूजा की गर्दन पकड़ी और एक गहरा चुम्बन उसके होंठों पर जड़ दिया. पूजा ने डिल्डो निकाल कर उसे चाटना शुरू कर दिया.
रस खत्म होने के बाद फिर से उसने बुर में डिल्डो घुसाया और निकाल कर फिर चाटने लगी.

थोड़ी देर बातें करने के बाद दोनों बेड पर लेट गई और एक दूसरी की बुर पर हाथ रखकर उन्हें मसलने लगी. दोनों की आँखें बंद थी.

फिर ऋतु धीरे से उठी और सीधे पूजा की बुर पर अपना मुंह लगा दिया. उसने पूजा की दोनों जांघें पकड़ रखी थी. पूजा ने ऋतु के बालों में अपनी उंगलियाँ फंसा दी और बेड पर जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी.

ऋतु उसकी बुर नीचे से ऊपर तक चाट रही थी और फिर अपनी जीभ से उसकी बुर कुरेदने लगी.
पूजा अपने कूल्हे हवा में उठा कर सिसकारी ले रही थी ‘आआआअ… रीईईइतूऊऊउ… मैं माआआर गईईई… आआआ आआह्ह्ह… जऊऊर सीईईई… अह्हह्ह… हाआआआन हाआआन चाआआटो मेरीईई चूऊत… आआआह…’ और फिर वो झड़ने लगी.

ऋतु ने सारा रस ऐसे पिया जैसे जूस पी रही हो और फिर वो खड़ी हो गई… उसका पूरा चेहरा भीगा हुआ था.
पूजा का चेहरा एकदम लाल सुर्ख हो गया था. आँखें नशे में डूबी हुई लग रही थी और वो हौले से मुस्कुरा रही थी. फिर उसने ऋतु को धक्का देकर बेड पर लिटाया. पूजा अब ऋतु के सामने आकर लेट गई.

ऋतु की फूली हुई बुर देखकर पूजा के मुंह में पानी आ रहा था. वो थोड़ा झुकी और ऋतु की बुर के चारों तरफ अपनी जीभ फिराने लगी. पर ऋतु की वासना की आग इतनी भड़की हुई थी कि उसने उसका मुंह पकड़ कर सीधे अपनी बुर पर लगा दिया.

पूजा भी समझ गई और अपनी जीभ ऋतु की बुर में डाल कर उसे चूसने लगी. ऋतु के मुंह से ‘आआआअह… आआआह…’ की आवाजें निकल रही थी. उसका एक हाथ पूजा के सर के ऊपर और दूसरा अपनी चूचियों को मसलने में लगा था.

जब ऋतु झड़ने को हुई तो ‘आआआह… माआआर दाआआआ… और तेज… और तेज… हाँ चाआअट मेरीईईई चूऊउत…’ और वो तेजी से झड़ने लगी.
पूजा को काफी रस पीने को मिला.

मेरे मुंह में भी पानी आने लगा… और लंड में भी… मैं जल्दी से अपने लंड को झटके देने लगा और आखिर मैंने भी कुछ लम्बी धार अपनी अलमारी के अन्दर मार दी.

फिर थोड़ी देर बाद दोनों नंगी ही चादर के अन्दर घुस गई और अपनी लाइट बंद कर दी. मैं थोड़ी देर वही खड़ा रहा पर जब लगा कि अब कुछ और नहीं होगा तो अपने बेड पर आकर लेट गया.

पोर्न देखकर नौकर से चुदी - Porn Dekhkar Apne Naukar Se Chudi

पोर्न देखकर नौकर से चुदी - Porn Dekhkar Apne Naukar Se Chudi , लंड के कारनामे, Apni Chut Ke Liye Mota Lund Pa Liya, चूत ने लंड निचोड़ दिया, मेरे लंड को चुत की कमी नहीं, Hindi Sex Stories, Hindi Porn Stories, मोटा लंड अपनी चूत और गांड की गहराइयो तक.

आकाश ने घर की खिड़की खोली तो वह कहने लगे बाहर से शोर सुनाई दे रहा है हम लोग बाहर गए तो बाहर देखा कुछ लोग आपस में झगड़ रहे थे आकाश कहने लगे मैं जरा नीचे देख कर आता हूं। मैंने आकाश को कहा आप बीच मे मत जाइए रहने दीजिए आकाश कहने लगे शगुन कोई बात नहीं मैं देख कर आता हूं मैंने आकाश से कहा ठीक है आप जल्दी आ जाइएगा।

आकाश भी नीचे चले गए और मैं सब बालकोनी से देख रही थी मैंने देखा वह लोग आपस में कुछ ज्यादा ही झगड़ा कर रहे थे सब लोगों को उनको समझाना पड़ा तब जाकर उन लोगों का समझौता हो पाया। वहां पर पुलिस भी आई हुई थी मामला अब सुलझ चुका था और आकाश जब घर पर आए तो मैंने उनसे पूछा क्या हुआ था। आकाश कहने लगे अरे वही पार्किंग को लेकर झगड़ा तुम्हें तो मालूम ही है कि हर रोज यहां पर पार्किंग को लेकर झगड़े होने लगे हैं।

मैंने आकाश से कहा हां यहां पर कुछ समय से कुछ ज्यादा ही झगड़े होने लगे हैं और तुम तो देख ही रहे हो, ना जाने लोग क्यों इतना झगड़ते रहते हैं। आकाश बहुत ही शांत स्वभाव के है वह कभी भी जल्दी से गुस्सा नहीं होते आकाश से मैने कहा मैं नाश्ता बना देती हूं वह कहने लगे ठीक है तुम मेरे लिए नाश्ता बना दो। मैं नाश्ता बना रही थी तब तक आकाश बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चले गए वह जब बाहर आये तो मैं तब तक नाश्ता तैयार कर चुकी थी।

आकाश और मैं नाश्ता कर रहे थे हम दोनों नाश्ता करते हुए बात कर रहे थे आकाश कहने लगे कि कुछ दिनों के लिए मम्मी पापा यहां आने वाले हैं मैंने आकाश को कहा वह लोग कब आने वाले हैं। आकाश कहने लगे कि वह लोग अगले हफ्ते तक यहां आ जाएंगे मैंने आकाश से कहा चलो यह तो बहुत अच्छी खबर है आकाश कहने लगे वह लोग कुछ समय के लिए आने वाले हैं।

आकाश और मैं मुंबई में रहते हैं और आकाश के माता पिता आकाश के बड़े भैया के साथ जयपुर में रहते हैं हम लोगों को मुंबई में दो वर्ष हो चुके हैं। आकाश की एक बहु अंतर्राष्ट्रीय कंपनी में जॉब लगी थी तो उसके बाद से हम लोग मुंबई में ही रह रहे हैं आकाश को अपनी कंपनी की तरफ से ही फ्लैट मिला हुआ है।

हम लोग आपस में बात कर रहे थे तो मैंने आकाश से कहा क्यों ना आज हम लोग घर का सामान ले आए आकाश कहने लगे ठीक है हम लोग शाम के वक्त चलते हैं। आकाश मेरी बात मान चुके थे और हम लोग शाम के वक्त घर का सामान लेने के लिए चले गए हम लोग जब अपने पड़ोस में ही डिपार्टमेंटल स्टोर में गए तो वहां पर हम लोग शॉपिंग कर रहे थे।

आकाश और मैं सोच रहे थे कि क्या क्या लिया जाए क्योंकि मेरे सास ससुर लंबे अरसे के लिए आने वाले थे इसलिए घर में सारा सामान रखवाना था। पहले तो हम दो लोग ही थे लेकिन अब पापा मम्मी के आने पर हमें सारी तैयारी करवानी पड़ रही थी आकाश और मैंने सारा घर का सामान ले लिया था ताकि कोई भी परेशानी ना हो। जब हम लोग घर लौटे तो हम लोग काफी थक चुके थे मैंने आकाश से कहा मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूं। आकाश कहने लगे हां मुझे चाय पिला दो लगता है तभी थोड़ा आराम मिल पाएगा और फिर हम दोनों साथ में बैठकर चाय पी रहे थे मुझे भी अच्छा लग रहा था और आकाश को भी अच्छा लग रहा था।

उस दिन हमारा दिन कैसे बीता कुछ पता ही नहीं चला अगले दिन आकाश के लिए मैं नाश्ता बना रही थी उसके बाद आकाश और मैंने नाश्ता किया नाश्ता करने के बाद आकाश अपने ऑफिस चले गए। ऐसे ही कब एक हफ्ता बीत गया कुछ पता ही नहीं चला एक हफ्ते बाद आकाश के माता पिता आ गए जब वह लोग आए तो आकाश ने उस दिन छुट्टी ले ली थी और उस दिन आकाश ने उन्हीं के साथ समय बिताया। आकाश को ऑफिस चले जाया करते थे लेकिन घर पर मैं ही उनकी देखभाल करती थी।

एक दिन मेरी सहेली बबीता घर पर आई हुई थी जब वह घर पर आई तो मैंने उससे कहा मैं तुम्हें अपने सासू जी से मिलवाती हूं। मैंने जब बबीता को उनसे मिलाया तो वह लोग बहुत ही खुश हुए मेरी सास तो बबीता के साथ काफी देर तक बैठी रही और वह बबीता से बात कर रही थी। एक दिन मैं और मेरी सासू मां बैठे हुए थे तो वह बोल उठी यहां पर तो कोई आस पड़ोस में बात भी नहीं करता है और हमारे शहर में देखो सब लोग एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं और सब आपस में बात करते हैं।

मैंने उनसे कहा माजी यह महानगर है और यहां पर किसी को किसी से मिलने का समय ही नहीं है वह कहने लगी यह फ्लैट ऐसे लगते हैं जैसे कि एक ही घर हो और घर में दरवाजे बीच में लगा दिए गए हो। मैंने उन्हें कहा हां सासु जी आप बिल्कुल ठीक कह रही है हम लोग आपस में बात कर रहे थे तो मेरे ससुर जी अंदर से हंसने लगे मेरी सासू मां भी अंदर चली गई। जब वह अंदर गई तो वह लोग आपस में बात करने लगे मैंने भी सोचा कि आज अपने भैया से बात कर लेती हूं काफी समय हो गया था जब उनसे मेरी बात नहीं हो पाई थी।

मैंने अपने भैया को फोन कर दिया मैंने जब भैया को फोन किया तो भैया कहने लगे शगुन आज तुमने कैसे फोन कर दिया। मैंने भैया से कहा बस भैया सोच रही थी कि काफी दिनों से आप लोगों से बात नहीं हो पाई है तो आज बात कर लेती हूं वैसे आप लोग कैसे हैं।

भैया कहने लगे मैं तो ठीक हूं लेकिन तुम बताओ तुम कैसी हो मैंने भैया से कहा मैं भी ठीक हूं। भैया कहने लगे तुम घर कब आ रही हो मैंने उन्हें कहा भैया अभी तो कुछ कह नहीं सकती लेकिन देखती हूं जब आकाश फ्री हो जाएंगे तो तब हम लोग आ जाएंगे। भैया कहने लगे अभी तो मैं ऑफिस में हूं लेकिन जब घर जाऊंगा तो तुम्हारी मम्मी पापा से बात करवाता हूं।

मैंने भैया से कहा ठीक है भैया उसके बाद मैंने फोन रख दिया था और मैं रसोई में खाना बनाने के लिए चली गई। जब मैं रसोई में खाना बना रही थी तो मेरे हाथ पर तेल गिर पड़ा तेल इतना ज्यादा गर्म था कि वह जैसे ही मेरे हाथ में गिरा तो मैं चिल्ला उठी मेरी सासू मां दौड़ती हुई आई और कहने लगी शगुन बेटा क्या हुआ। मैंने उन्हें बताया गर्म तेल मेरे हाथ में गिर गया है वह कहने लगे रुको मैं अभी तुम्हारी मरहम पट्टी कर देती हूं।

उन्होंने मेरे हाथ पर थोड़ा सा डेटॉल लगाया उसके बाद मुझे थोड़ा आराम मिला लेकिन मेरे हाथ में जलन हो रही थी। वह कहने लगी कि खाना मैं ही बना देती हूं, उन्होंने मेरी मदद की और उन्होंने ही खाना बनाया। वहीं अब खाना बनाया करती थी और मुझे बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि मेरा हाथ बहुत ज्यादा जल चुका था।

आकाश ने भी मेरी बड़ी देखभाल की और आकाश मुझसे कहते कि तुम अपना ध्यान रखा करो वह चाहते थे कि हम घर में किसी नौकर को रख ले। उन्होंने घर में एक नौकर को रख लिया क्योंकि वह बिल्कुल भी नहीं चाहते थे की मां काम करें इसलिए उन्होंने नौकर को रखा नौकर का नाम रामू है रामू अच्छा काम किया करता। रामू मुझे कहता भाभी आप चिंता मत किया कीजिए मैं सारा काम कर लूंगा।

उसके काम में कोई भी दिक्कत नहीं थी और वह बड़े अच्छे से काम किया करता घर की साफ सफाई से लेकर खाना बनाने तक का काम किया करता था। एक दिन मैंने अपने मोबाइल में पोर्न मूवी देख ली मेरे अंदर बड़ी गर्मी पैदा हो गई मैं समझ नहीं पा रही थी कि गर्मी को कैसे बुझाया जाए तभी मुझे रामू दिखा मैंने उसे अपने पास बुला लिया।

रामू को मैं अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी और वह भी मेरी तरफ देखे जा रहा था। उसकी नजरें मेरे स्तनों से हट ही नहीं रही थी मैं भी पूरी तरीके से मचलने लगी थी। मैंने जैसे ही रामू के लंड पर हाथ लगाया तो वह कहने लगा आप यह क्या कर रही है लेकिन मैं उसके लंड को हिलाने लगी थी और वह मुझे कहने लगा आप ऐसा मत कीजिए।

देखते ही देखते मैंने उसके काले और मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया और उसे चूसने लगा। मैं बड़े ही अच्छे तरीके से उसके लंड को मुंह के अंदर बाहर कर रही थी और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था काफी देर तक मैंने ऐसा ही किया। जब मैंने रामू के लंड से पानी बाहर निकाल दिया तो उसकी उत्तेजना जाग चुकी थी और उसने मेरे साड़ी के ऊपर करते हुए मेरी योनि को चाटना शुरू कर दिया।

वह मेरी चूत को बढ़िया तरीके से चाट रहा था मुझे बड़ा मजा आ रहा था काफी देर तक उसने ऐसा ही किया। जब मेरी योनि से पानी बाहर निकलने लगा तो वह अपने आप को नहीं रोक पाया। वह मुझे कहने लगा आपकी योनि बहुत ही ज्यादा गरम हो चुकी है मैंने उसे कहा तो फिर तुम अपने लंड को डालकर ठंडा कर दो।

वह कहने लगा अभी डाल देता हूं उसने अपने मोटे लंड को बाहर निकाल लिया और जैसे ही उसने मेरी योनि के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू किया तो मैं मचलने लगी। मेरी चूत के अंदर से पानी निकल रहा था मुझे क्या मालूम था कि वह इतना ज्यादा चोदू किस्म का होगा।

वह मुझे तेजी से धक्के मार रहा था मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी। मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया मैंने अपने पैरों को चौड़ा किया तो वह मुझे कहने लगा काफी मजा आ रहा है। रामू का मोटा लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था अब मैं उसके लंड को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

मैंने उसे अपने दोनों पैरों के बीच में जकड़ते हुए कहा तुम मेरी इच्छा को पूरा कर दो उसने भी अपनी गति को पकड़ लिया और इतनी तेज गति से मुझे धक्के देने लगा मेरी योनि का बुरा हाल हो चुका था और मेरी योनि का भोसडा बन चुका था। मैंने रामू से कहा तुमने मेरा बुरा हाल कर दिया है वह कहने लगा भाभी बस रुक जाओ कुछ ही देर बाद उसने अपने वीर्य की पिचकारी से मेरे तन बदन को भिगा दिया।

अय्याश सहेली के भाई से पट के चुदी - Ayyash Saheli Ke Bhai Se Pat Ke Chudi

अय्याश सहेली के भाई से पट के चुदी - Ayyash Saheli Ke Bhai Se Pat Ke Chudi , सहेली के भैया ने चोदा , चूत की चुदाई की , गांड मारी , लंड चुसाया , चोदा चादी की कहानी , बुर के मजे.

हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम नेहा है. मैं अपनी एक दूसरी कहानी आपको बता रही हूँ. इस कहानी में मैं अपनी सहेली से दोस्ती की और हम दोनों में इतनी अधिक दोस्ती हो गयी कि मैं अपनी सहेली के भाई से चुद गयी.

मेरे पड़ोस में एक लड़की रिम्पी रहती है. उसका परिवार भी उसके साथ रहता है. हम दोनों लोग कभी कभी एक दूसरे से बात करते थे. पहले हम दोनों में कोई खास दोस्ती नहीं थी, सिर्फ नार्मल बातें ही होती रहती थीं.
रिम्पी थोड़ी अमीर है, लेकिन वो मेरे सामने कभी भाव नहीं मारती थी इसलिए हम दोनों की दोस्ती हो गई थी. धीरे धीरे मैं उसके घर जाने लगी और वो भी मेरे घर आने लगी. मुझे ये बात तो पता थी कि अमीर लोग अय्याश किस्म के होते हैं. रिम्पी भी वैसी निकली.

जब मैं उससे बहुत ज्यादा क्लोज हो गई, तो मालूम हुआ कि उसके भी बहुत ब्वॉयफ्रेंड थे. शुरुआत में तो उसने मुझे कुछ नहीं बताया था, लेकिन धीरे धीरे उसकी अपने ब्वॉयफ्रेंड्स से फ़ोन पर बातों से मुझे समझ आने लगा. फिर जब कभी उसका कोई ब्वॉयफ्रेंड उसके घर आ जाता, तो रिम्पी मेरे सामने ही अपने उस ब्वॉयफ्रेंड को किस कर लेती थी.

मुझे थोड़ा अजीब लगता था, लेकिन उसके परिवार में सब लोग खुले विचार के थे. इसलिए उसके लिए ये सब सामान्य था.

अब संगत का असर कब तक नहीं होता, रिम्पी की दोस्ती का असर मेरे ऊपर भी होने लगा और मैं भी रिम्पी के साथ रहते रहते उसके भाई कुलीन से पट गयी.

हालांकि रिम्पी इस बात से अनजान थी कि मैं उसके भाई कुलीन से बात करती हूँ. कुलीन भी निकम्मा था, लेकिन था बहुत स्मार्ट. वो मुझे पहले दिन से लाइन मार रहा था. मैं रिम्पी के साथ जब भी उसके घर जाती थी, तो वो मेरे सामने बहुत बार आता था.

दिखने में मैं अपनी सहेली से भी ज्यादा सेक्सी थी क्योंकि मेरी चूची और गांड का आकार काफी सुडौल और बहुत बड़ा था. रिम्पी की चूचियों और गांड का उभार बहुत छोटे साइज़ का था.

तो कुलीन मुझ पर लाइन मारने लगा था और ऐसे ही हम दोनों लोग की दोस्ती भी हो गयी. जब कभी मैं रिम्पी के घर जाती और वो घर में न होती, तो मैं कुलीन से बैठ कर बात करने लगती. यदि रिम्पी मुझसे ये कहती कि जब मैं घर में नहीं थी, तो तुम देर तक क्या करती रहीं. तो मेरे पास उसके पास बैठ कर बात करने का एक बहाना ये था कि कुलीन ने कहा था कि तुम बस आने वाली हो, इसलिए थोड़ी देर बैठ कर इन्तजार कर लो. हालांकि ये सब बातें मेरे दिमाग में ही आती थीं. जबकि रिम्पी के दिमाग में ये सब बातें नहीं आती थीं कि मैं उसके घर में इतनी देर से क्यों बैठी हूँ. खैर आगे चलते हैं.

उसके भाई से मेरी बढ़ती नजदीकियों से अनजान मेरी सहेली रिम्पी अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ ही लगी रहती थी. मैं कुलीन के साथ बात करती रहती थी. हम दोनों में बातें काफी बोल्ड किस्म की भी होने लगी थीं. इस बातों में अब सेक्स वाली डिस्कशन भी होने लगी थी.

आप खुद सोचो, जब उसकी बहन अपने ब्वॉयफ्रेंड से बात करने में लगी हो और मैं उसके साथ न होकर उसके भाई के साथ बातचीत कर रही होऊं, तो चर्चा में सेक्स का मसाला कब तक नहीं आएगा.

यही हुआ, कुलीन मुझसे सेक्सी बातें करके रिझाने में लगा रहता. मुझे तो वो शुरू से ही अय्याश लगता था एक तो वो हमेशा बियर पीने के लिए बार में जाता था. मैं उससे पूछती थी तो बोलता था कि वो कभी कभी बियर पीने जाता था. लेकिन कुलीन इतना अधिक स्मार्ट था कि मैं उसको पसंद करने लगी थी. तब भी मैं आदतों को पसंद नहीं करती थी, बाकी उसके अन्दर सब कुछ ठीक था.

अब हम दोनों आपस में चिपका चिपकी भी करने लगे थे. कुलीन मेरी उठी हुई गांड में ज्यादा दिलचस्पी लेता था. क्योंकि हम दोनों लोग जब भी अकेले में मिलते थे, तो वो मुझे अपने गले से लगा लेता था और मुझसे बात करते करते अपना हाथ मेरी गांड पर फेरने लगता था. हम दोनों लोग ब्वॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड भी बन गए थे, इसलिए मैं भी उसका साथ देती थी. हम दोनों लोग के बीच अब चुम्मा चाटी भी शुरू हो गयी थी.

अब मैं रिम्पी के घर में जब भी जाती थी, तो हम दोनों लोग मौका देखकर एक दूसरे को किस करने का मौका तलाशते रहते थे. कुछ ही दिनों में मुझे उसके साथ इस तरह से चूमाचाटी करने में मजा आने लगा था. हम दोनों पहले से ज्यादा बदतमीज हो गए थे. हम दोनों के बीच सेक्स की आग भड़क गई थी. कभी कभी तो हम दोनों एक दूसरे को बहुत देर तक किस करते थे.

मैं अपनी सहेली से बहुत कुछ सीख गयी थी क्योंकि वो कभी कभी अपने ब्वॉयफ्रेंड से मिलने के लिए जाती थी, तो मुझे भी अपने साथ ले जाती थी. मैं उन लोगों की बातें तो नहीं सुन पाती थी क्योंकि मैं कुछ दूर पर खड़ी रहती थी और वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से बात करती रहती थी.

जब वो वापस आती, तो मुझे सब कुछ बताती थी. मुझे महसूस होने लगा था कि अपनी सहेली के साथ रहकर मुझे भी कुछ कुछ अमीरों की तरह रहना आ गया था. मुझे उसके साथ रहकर लड़कों से बात करने का भी अनुभव हो गया था.

अब तो मैं भी कभी कभी अपनी सहेली के ब्वॉयफ्रेंड से बात कर लेती थी, लेकिन इतना ख्याल रखती थी कि उसके ब्वॉयफ्रेंड से बात की लिमिट उतनी ही रहे, जिससे मेरी सहेली को बुरा न लगे. फिर मैं तो कुलीन को पसंद करती थी, इसलिए मैं उससे ही ज्यादा बात करती थी.

एक दिन रिम्पी ने मुझे अपने घर बुलाया, तो मैं उससे मिलने के लिए उसके घर गयी. वो अपने ब्वॉयफ्रेंड के बारे में मुझसे सारी बातें बताती रहती थी. आज भी बातों के चलते उसने मुझे बताया कि वो अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ डेट पर जा रही है, इसलिए मैं उसको स्कूटी से छोड़ दूँ.

मैं रिम्पी को स्कूटी से एक होटल के सामने छोड़ के आ गयी. उसने मुझे कहा कि मैं इसके बारे में उसके घरवालों को कुछ नहीं बताऊं और वो जब फ़ोन करेगी, तो मैं उसको स्कूटी से लेने के लिए आ जाऊं.

रिम्पी के मम्मी पापा दोनों लोग जॉब करते थे इसलिए वो बस अपने भाई से बचती थी. मैं उसको उसके भाई से बचाने में सहायता भी करती थी. मैं अपनी सहेली को होटल में छोड़ कर आई, तो कुलीन ने मुझसे पूछा कि रिम्पी कहाँ है?
तो मैं उससे झूठ बोल गई कि वो डॉक्टर के पास गयी है.

अब चूंकि उस समय घर में सिर्फ हम दोनों ही थे, तो कुलीन मुझे हवस भरी नजरों से देखने लगा था. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और मुझसे बोला कि आज तो घर में कोई नहीं है. मम्मी पापा जॉब पर गए हैं और मेरी बहन को तुम डॉक्टर के पास छोड़कर आई हो. हम दोनों लोग आज अकेले हैं. आज तो मैं तुमको बहुत प्यार करूँगा. मैं तुम्हारे कब से अकेले में ये सब करना चाहता था.

मैं भी सेक्स के मूड में थी क्योंकि मैं रिम्पी को होटल में छोड़कर आई थी और वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से होटल में चुदवाने के लिए गयी थी. ये सब बातें जानकर मेरा भी चुदवाने के लिए मूड बन गया था.

मैं और कुलीन एक दूसरे को किस करने लगे. लक्किली मैंने अपनी चूत को भी उसी दिन साफ़ किया था.

अब सीन ये था कि मेरी सहेली अपने ब्वॉयफ्रेंड से चुदवाने के लिए होटल में गयी थी और इधर मैं उसके भाई से चुदवाने के लिए उसके घर आ गयी थी.

हम दोनों एक दूसरे को किस करते करते एक दूसरे के कपड़े निकालने लगे. जल्द ही मैं ब्रा और पेंटी में हो गयी. मैं ब्रा-पेंटी में एकदम क़यामत लग रही थी. कुलीन मेरे बूब्स को दबाने लगा. मेरे बूब्स बड़े साइज़ के हैं तो उसके हाथ में नहीं आ रहे थे. उसने मेरी ब्रा को निकाल दिया और मेरे मम्मों को चूसने लगा.

अगले दो मिनट बाद कुलीन ने मेरी पेंटी को भी निकाल दिया और मुझे नंगी करके बिस्तर पर लिटा दिया. मैं भी चूत खोल कर दाना रगड़ने लगी तो वो मेरी चूत को चाटने लगा. उसके चूत चाटने से मैं भी एकदम से उत्तेजित हो गयी. उसके बाद मैंने भी नीचे बैठ कर उसका लंड चूसा. हम दोनों ने एक दूसरे को ओरल सेक्स देने के बाद एक दूसरे को किस किया और उसके बाद चुदाई की कबड्डी शुरू होने की स्थिति बन गई.

उसने मुझे फिर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी चूत में अपना लंड डालने लगा. मेरी मदभरी सिसकारियां निकलने लगीं. कुछ ही देर में कुलीन ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा.

मेरी चूत में मेरी सहेली के भाई का लंड जा रहा था और मेरी चूत उसका लंड पूरा अन्दर ले रही थी. हम दोनों लोग धकापेल चुदाई करने लगे. उसके लंड पर झांटें उगी थीं, लेकिन मेरी चूत साफ़ थी. मुझे उसकी झांटें भी रगड़ सुख दे रही थीं. हम दोनों बड़ी मदहोशी से सेक्स कर रहे थे. जब कभी मैं जोर से सिसकारी लेती थी तो वो मुझे और तेजी से चोदने लगता था. वो मुझे चोदते चोदते खूब किस भी कर रहा था.

जब वो मुझे चोद रहा था तो मेरी चूचियां हिल रही थीं. इससे वो और अधिक सांड जैसा होकर मुझे चोदने लगता था. अब वो मुझे इतनी तेजी में चोद रहा था कि मेरी चीख निकल जा रही थी. कुछ ही देर में मेरी चूत से पानी निकलने लगा और मेरी चूत चिकनी हो गयी. वो मेरी चिकनी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को फचाफच चोदे जा रहा था.

उधर मेरी सहेली अपने ब्वॉयफ्रेंड से होटल में चुदवा रही थी और इधर मैं अपनी सहेली के भाई से चुदवा रही थी. हम दोनों लोग चुदाई का मजा ले रहे थे.

कुलीन अब तेजी में झटके मारने लगा और मैं आह आह करने लगी. हम दोनों सेक्स के चरम पर आकर मजा लेने में लगे थे. हम दोनों ही तेज तेज आवाजों में कामुक सिसकारियां ले रहे थे. हमको किसी के सुन लेने का कोई डर नहीं था.

तभी वो मुझे तेजी में चोदने लगा और कुछ ही शॉट्स में उसके लंड से पानी निकल गया. उसी वक्त मेरी चूत से भी पानी निकल गया. हम दोनों झड़ने के बाद बिस्तर पर ढेर हो गए और आराम करने लगे.

मजेदार सेक्स करने के बाद कुछ देर के लिए हम दोनों सो गए थे. बाद में मैं जब उठी, तो देखा कि मेरी सहेली का भाई मेरी चूत को चाट रहा था. मेरी टांगों को वो अपने कंधे पर रखे था और मेरी चूत को चाट रहा था.

तभी मेरी सहेली रिम्पी ने मुझे फ़ोन किया कि मैं उसको कुछ देर के बाद होटल में लेने आ जाऊं. मैंने उससे कुछ देर इन्तजार करने का कहा.
इधर कुलीन मेरी चूत चाट रहा था. मेरी चूत को चाटने के बाद उसने मुझे घोड़ी बना दिया और अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा. लेकिन उसका लंड मेरी चूत में नहीं जा रहा था. मेरी चूत में चिकनी हो गयी थी इसलिए उसका लंड मेरी चूत पर से फिसल जा रहा था. उसने मेरी चूत को एक कपड़े से साफ़ किया और उसके बाद वो अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदने लगा. वो मुझे घोड़ी बनाकर मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोद रहा था. इस बार उसने मुझे जल्द ही चोद कर लंड झाड़ दिया और हम दोनों का पानी निकल गया.

मैं अपनी चूत को साफ़ करने के लिए बाथरूम में गयी और अपनी चूत को साफ़ करने के बाद मैं अपने कपड़े पहनकर रिम्पी को लेने के लिए जा रही थी कि उसका भाई मुझे अपनी बांहों में लेकर मुझे किस करने लगा.

मैंने कैसे भी करके उसको मनाया और उसके बाद मैं रिम्पी को लेने के लिए होटल में गयी. मेरी सहेली भी बहुत खुश लग रही थी और उसको देखकर ही लग रहा था कि उसके ब्वॉयफ्रेंड ने उसको बहुत अच्छे से चोदा है. मैं भी अपनी सहेली के भाई से चुदकर बहुत खुश थी.

चुदाई की ख़ुशी के बाद हम दोनों सहेलियां बाजार में गई और एक होटल में जाकर खाना खाया और उसके बाद हम दोनों घर आ गई.
इस बीच हम दोनों में इतना अधिक बहनापा सा हो गया था कि मैं कभी कभी अपनी सहेली के घर भी रुक जाती थी और वो भी कभी कभी मेरे घर रुक जाती थी.

अब सीन ये हो गया था कि मेरी सहेली जब भी अपने ब्वॉयफ्रेंड से चुदवाने के लिए होटल में जाती थी, तो मैं अपनी सहेली के भाई से चुदवा लेती थी. आज भी ये सिलसिला चल रहा है. बस अब कुलीन के सामने उसकी बहन रिम्पी का भेद खुल गया है कि सहेली डॉक्टर के यहां नहीं, बल्कि अपनी चुदाई के लिए जाती थी.

मेरी बीवी की मस्त कामुक जवानी - Meri Biwi Ki Mast Kamuk Jawani

मेरी बीवी की मस्त कामुक जवानी - Meri Biwi Ki Mast Kamuk Jawani , पति पत्नी की चुदाई , मियां ने अपनी बीवी को चोदा. सैयां के साथ चुदाई का खेल , घरवाला बना लंड वाला , चूत गांड और मुंह की चुदाई.

मेरा नाम ऋषभ जैन है, मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र 34 साल है.. मेरी शादी हुए दस साल हो चुके हैं। मेरे वाइफ का नाम जूही जैन है.. उसकी उम्र 31 साल है.. लेकिन लगती 25 की है। वो बहुत ही सेक्सी दिखती है। गोरा रंग.. ऊंचा कद.. बड़े-बड़े बूब्स.. पतली कमर और उभरे हुए नितंब यानि चूतड़..
उसकी बात ही कुछ और है, उसे जो भी देखे.. उसका लण्ड तन जाए.. और उस देखने वाले के मन में उसे चोदने की इच्छा हो जाए।

अपने जीवन की एक रोचक कामुकता भरी घटना पाठकों के लिये लिख रहा हूँ।
उस वक्त मेरी और जूही की शादी हुए 4 साल चुके थे, हमारी लाइफ बड़े आराम और मस्त चल रही थी। जूही एक सीधी-सादी घरेलू औरत थी, अपने पति यानि कि मेरा पूरा ख्याल रखती थी।

हमारी लाइफ में अलग मोड़ आया और हमारी लाइफ और भी रंगीन हो गई।
मेरा ट्रान्सफर दूसरे शहर में हो गया, मैंने अपने दोस्त रवि की मदद से उसके घर के बाजू में ही एक घर किराये पर ले लिया।
घर बहुत बढ़िया था.. हॉल.. रसोई और बेडरूम..

हमने वहाँ शिफ्ट कर लिया, उसी दिन हमने पूरे घर की साफ-सफाई करके सारा समान सैट कर दिया।
घर की सफाई करते वक़्त जूही को वहाँ पर एक सीडी का एलबम मिला, वो मेरे पास लेकर आई और उसने मुझे दिखाया।
मैंने देखा और सोचा कि पुराने किराएदार का छूट गया होगा, मैंने उसको साइड में रख दिया।

हमें घर का समान सैट करते-करते रात हो गई, मैंने होटल से खाना मंगवाया और हमने खाना खाया और सोने लगे।
तभी मुझे वो सीडी एलबम की याद आई और मैंने उसे टीवी पर लगाया.. और जो हमने देखा हमारी दोनों की आँखें फटी की फटी रह गईं। वो ब्लू-फिल्म की सीडियाँ थीं। इसके पहले हम दोनों ने साथ में कभी ब्लू-फिल्म नहीं देखी थी।

ब्लू-फिल्म देखने के बाद हमारी जबरदस्त चुदाई हुई।

उस दिन से हमारा जीवन ही बदल गया। अब हम हर रोज वो सीडियां देखने लगे और चुदाई करने लगे, हमें चुदाई में बहुत मज़ा आने लगा।
इसके पहले हम खामोशी से चुदाई करते थे और सो जाते थे, अब हम सेक्सी बातें करने लगे।

एक दिन ऐसे ही सेक्स करते समय मैंने जूही से कहा- जूही जब तुम्हें कोई मर्द प्यासी नज़रों से देखता है.. तो मुझे बहुत मज़ा आता है।
जूही मेरी बात सुनकर हैरान हो गई.. वो बोली- क्या जानू.. अक्सर मरदों को उनकी वाइफ को कोई देखे.. तो गुस्सा आता है.. और आप हैं कि आपको मज़ा आता है?

मैंने कहा- क्या करूँ जान.. मैं हूँ ही ऐसा.. वैसे भी तुम्हें नहीं अच्छा लगता अगर तुम्हें कोई प्यासी नज़रों से देखे तो.. सच सच बताना?
वो मेरी बात सुन कर चुप हो गई।

‘बताओ ना जान.. चुप क्यों हो गईं?’
उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और बोली- सच कहूँ तो मुझे भी बड़ा अच्छा लगता है..
मैंने कहा- यह हुई ना बात.. मुझे भी मज़ा आता है और तुम्हें भी.. फिर क्यों ना मज़े किए जाएं।

हम दोनों हँसने लगे और चुदाई करके सो गए।

दूसरे दिन सबेरे जब मैं उठा.. तो जूही रसोई में काम कर रही थी.. मैं उठा और रसोई में गया.. जूही को पीछे से बाँहों में भर लिया और किस किया- जूही मेरी चाय..
जूही बोली- जानू चाय के लिए तुम्हें थोड़ा रुकना पड़ेगा..
मैंने कहा- क्यों?
जूही- वो दूध वाला अभी तक आया नहीं है.. बस अभी आता ही होगा।

यह बात सुनकर मेरे दिमाग़ में एक आईडिया आया और मैं जूही का हाथ पकड़ कर सीधा उसे बेडरूम में लेकर गया।
वो बोली- अरे यह क्या कर रहे हो.. मुझे काम करने दो.. रात में दिल नहीं भरा क्या?
मैंने कहा- तुम पहले यह गाउन उतारो।
वो- तुम क्या चाहते हो?
मैं- जल्दी करो जानू.. तुम्हें बाद में समझाता हूँ.. अभी सिर्फ़ वैसा करो.. जैसा मैं कह रहा हूँ।

उसने गाउन उतारा.. जूही ने काले रंग की पैन्टी और ब्रा पहनी हुई थी।
मैंने उसे ब्रा भी उतारने के लिए कहा। उसने अपनी ब्रा भी उतार दी। मैंने कपबोर्ड में से एक ट्रांसपेरेंट पिंक कलर की नाईटी निकाली और उसे पहनने को कहा। उसने झट से नाइटी पहन ली।

वाउ.. क्या बताऊँ दोस्तों.. उस नाईटी में जूही क्या माल लग रही थी.. उसके बड़े-बड़े चूचे उसमें से साफ नज़र आ रहे थे। वो नाईटी उतनी ट्रांसपेरेंट थी.. कि वो ना के बराबर थी। ऐसा लग रहा था कि जूही मेरे सामने सिर्फ़ ब्लैक-पैन्टी में खड़ी है।
उसे ऐसा देखकर तो मेरा भी लण्ड खड़ा हो गया।

तभी हमारे दरवाजे की घण्टी बजी, मैंने कहा- जूही.. लो जिस समय का मैं इंतज़ार कर रहा था.. वो आ गया… दूध वाला आ गया.. जाओ दूध ले लो..
वो बोली- ऐसे ही? इस हालत में?
मैंने कहा- हाँ जानू.. ऐसे ही.. आज दूध वाले का मज़ा लेना है।

जूही मेरे तरफ़ देखकर मुस्कराई और दूध लेने चली गई, मैं बेडरूम में से छिपकर देख रहा था।

जैसे ही जूही ने दरवाजा खोला.. दूधवाला उसे देखते ही रह गया।
जूही- क्या देख रहे हो भईया.. दूध दे दो..
‘हाँ मेमसाब… आज आप बहुत सुंदर लग रही हो..’

और वो जूही के संतरों को घूरते हुए दूध देने लगा और साथ ही एक हाथ से अपने लण्ड को भी मसल रहा था।
मैंने देखा कि उसके पैन्ट में टेंट बन चुका था, उसका लण्ड ऊपर से देखने में काफ़ी बड़ा लग रहा था।
जूही भी उसके लण्ड को देख रही थी.. और मुस्कुरा रही थी।

जूही ने दूध ले लिया और पीछे मुड़ गई.. दूधवाला अभी भी वहीं खड़ा था और जूही की उभरी हुई गाण्ड को निहार रहा था।
तभी जूही फिर से मुड़ी और कहा- हाँ भैया.. कल जल्दी आना.. आज तुम देर से आए हो।
‘ज्ज…जी मेमसाब..’

दूध वाला लण्ड मसलते हुए चला गया।

जैसे ही वो गया.. मैं बाहर आया और जूही को गले लगा लिया और कहा- जूही तुमने तो दूधवाले का बुरा हाल कर दिया। देखा तुम्हें देख कर कैसे लण्ड मसल रहा था.. उसका लण्ड भी काफ़ी बड़ा लग रहा था..
‘हाँ जान.. उसका काफ़ी बड़ा लग रहा था.. उसका लण्ड का नाप देख कर तो मेरी चूत में भी कुछ-कुछ होने लगा था..’

मैंने कहा- क्या हो रहा था जान?
वो बोली- मेरा मन कर रहा था कि उसको छूकर देखूं।
मैं मुस्काराया और बोला- चिंता मत करो जान.. बहुत जल्द मौका आएगा कि वो लण्ड तुम्हें छूने के लिए ही बल्कि चूसने और तुम्हारी चूत में डालने के लिए भी मिलेगा।

हम दोनों काम-पिपासु हो चले थे.. जल्दी से बेडरूम में गए और मैंने जूही की जमकर चुदाई की।

इसी तरह हम दोनों मजा लेते हुए अपनी जिन्दगी का लुत्फ़ लेते हैं..
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