पंजाबन बहन की सेक्सी चूत की चुदाई - Panjaban Bahen Ki Sexy Choot Ki Chudai

पंजाबन बहन की सेक्सी चूत की चुदाई - Panjaban Bahen Ki Sexy Choot Ki Chudai , बहन की चूत की जोरदार चुदाई , दीदी को चोदा , सेक्सी दीदी के साथ कामवासना का खेल , पजाबी लड़की की बुर चोदी.

मेरा नाम जसप्रीत है, और मैं पटियाला का रहने वाला हूँ।
यह बात बताते हुए मुझे थोड़ी शरम आ रही है क्योंकि यह कहानी है मेरी बड़ी बहन लवलीन की बुर चुदाई की है।

लवलीन कॉलेज के फ़ाइनल इयर में है, 20 साल की है मैं लवलीन से दो साल छोटा हूँ।
उस दिन से पहले तक मैंने लवलीन के लिये कभी ऐसा नहीं सोचा था लेकिन उस दिन जो भी हुआ वो कुछ ज्यादा ही मज़ेदार और उत्तेजक था।
हमारे पापा जी और झाईजी किसी शादी में चण्डीगढ़ गये हुए थे, वे रात को देर से लौटने वाले थे। घर में मैं, लवलीन और हमारी मेड सविता थे, सविता ने रात का खाना बनाया और वो अपने कमरे में चली गई जो रसोई के पीछे था। लवलीन सोफे पर बैठ कर टी वी देख रही थी, मैं बोर हो रहा था, मैंने सोचा कि एक-दो सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर दिल बहला लेता हूँ। अपने कमरे में जा कर मैंने लैपटॉप में सेक्सी कहानियाँ पढ़नी शुरू करीं। सेक्स कहानियाँ पढ़ते पढ़ते मेरा तो लंड खड़ा हो गया था मैंने सोचा कि चलो एक बार मुठ भी मार ही लूँ खाने से पहले ताकि यह लौड़ा मुझे तंग का करे !

मैं बाथरूम में गया और बाथटब को पानी भर लिया, गर्मियों के दिन थे, मैंने ठंडा पानी भरा था।

मेरे खड़े लौड़े की मुठ मारने की जल्दी में मैं बाथरूम का दरवाजा लॉक करना भूल गया। मैंने शॉवर से पहले अपने आप को भिगोया और फिर टब में घुस गया।
थोड़ी देर बाद मैं टब की एक साइड पर बैठ गया और अपने लौड़े को पकड़ कर हिलाना शुरु कर दिया, मन में समीम बानो की चुदाई वाली बातें और गालियाँ गूंज रही थी।

मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब बाथरूम का दरवाजा खुला और लवलीन अन्दर आ गई, मैं तो नंगा बैठा अपने लौड़े की मुठ मार रहा था कि दीदी की आवाज सुनाई दी- जसप्रीत… ये क्या कर रहा है?

‘माय गॉड…’ मेरे तो ट्टटे ऊपर चढ़ गये लवलीन की आवाज सुन कर… मैंने चेहरा ऊपर उठाया तो लवलीन दरवाजे पर खड़ी थी।
मैंने झट से बार पर टंगे तौलिये को खींच कर अपने लौड़े को ढका और बोला- अरे कुछ नहीं लवली, मुझे यहाँ खारिश लग रही थी तो खुजा रहा था।

‘चुप कर ओये खोत्या… मुझे इतना पता नहीं चलता कि खुजाना किसे कहते हैं? आज आने दे झाई जी को, तेरी शिकायत करनी पड़ेगी।
लवलीन एक ही सांस में बोल गई।

मैं तो एकदम डर गया क्योंकि झाई जी को पता चलने का मतलब कि वो मेरे फ़ट्टे चक देंगी।

मैं लवलीन को मनाने लगा, मैंने कहा- लवली, नहीं प्लीज़ झाई को कुछ मत बताना. वो बेकार में गुस्सा करेंगी। तू जो कहोगी, वो मैं करूँगा… प्लीज प्लीज !

लवलीन थोड़ी नर्म पड़ती दिखी, बोली- एक शर्त पर मैं तुझे बक्श सकती हूँ, तू मुझे अपनी लुल्ली दिखा दे एक बार!

मुझे गुस्सा आ गया लुल्ली सुन कर… 7 इंच के लण्ड को कैसे लवली लुल्ली बोल रही है?

लेकिन मेरा पलड़ा हल्का था, उसका भारी, इसलिए मैं कुछ नहीं बोल सका।
मैंने सोचा कि लवलीन को भला मेरा लण्ड देखने की क्या जरूरत है?
तभी मुझे लगा कि भाई बहन की चुदाई कहानियों की तरह ही कहीं लवली मुझसे चुदना ना चाहती हो?

मेरे मन में पहली बार यह बात आई… अपनी बड़ी बहन की चुदाई की…
इससे पहले कि मैं अपना तौलिया हटाऊँ, लवलीन ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरा तौलिया खींच लिया।

मेरा लण्ड लवलीन के आ जाने के डर से सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था, लवलीन ने हाथ आगे कर के मेरी लुल्ली, हां यह अब तो सिकुड़ कर लुल्ली सा हो गया था, को पकड़ा और ऊपर की ओर उठाया।

उसके नर्म मुलालय हाथ के छूने से मेरे लौड़े में धीरे धीरे जान आ रही थी और लवलीन की आँखों में एक अजीब सी चमक…
उत्तेजना, हवस, चुदास की चमक…

तो क्या मेरी बहन की मुझसे चुदने की मर्जी थी या यह मेरी कल्पना मात्र थी।

लवलीन ने लण्ड को मुट्ठी में पकड़ कर उसे हिलाया। उसके बाद लवलीन जो बोली उसे सुन कर ही मेरा लण्ड एक झटके से खड़ा हो गया।
लवलीन ने पूछा- ओये… सिर्फ लंड हिलाता है या कभी किसी की चूत भी मारी है?

मैं जवाब देने की हालत में नहीं था, लवलीन की आँखों में चुदास की हवस साफ़ दिख रही थी, शायद मेरे लण्ड का बड़ा होना इसका कार्ण था?

लवलीन आगे बोली- बोल ना… किसी कुड़ी नूँ चोदया के नई? मैंन्नू चोदेंगा अज्ज तूँ? अपणी भैन दी फ़ुद्दी मारेंगा?
लवलीन पंजाबी बोलने लगी थी।

मैं तो लवली का बातें सुन कर स्तब्ध सा रह गया, तब भी कुछ नहीं बोला तो लवलीन ने अपनी टी-शर्ट को ऊपर उठा दी, बोली- देख ओये अपणी वड्डी भैन दे चूच्चे ! फ़ड़ लै ऐन्ना नूँ…

अपनी सगी बड़ी बहन को पहली बार ब्रा में देखना क्या होता है… काश मैं आपको बता पाता…
लवलीन की पर्पल ब्रा और उसके अन्दर उसके मस्त गोल चूचे देख कर मेरा सिर भन्ना गया, लौड़े में खून का दबाव बढ़ गया और मेरे मुँह में अपनी बहन के चूचों को चूस लेने के लिए पानी आ गया लेकिन मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था क्योंकि हो सकता था कि ये लवलीन की चाल हो मुझे फ़ंसाने के लिये…
लेकिन जब लवलीन अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गई और मेरे लण्ड के ऊपर अपने गुलाबी होंठों से चुम्मियाँ लेने लगी तो मेरे मन का वहम गायब हो गया।

लवलीन का ये रूप मेरे लिये बिल्कुल अलग था, घर में तो वो सीधी-सादी भोली-भाली लड़की बन कर रहती थी और इस वक्त वह बाथरूम में वो अपने नंगे भाई का लौड़ा पकड़ कर चुम्मियाँ ले रही थी, मैंने भी सोच लिया- बहन है तो क्या… इसका यह रूप देख कर तो लगता है कि अब तक ना जाने कितने लौड़े गड़प चुकी होगी यह… अब तक नहीं भी चुदी होगी तो आह नहीं तो कल इसे चुदना ही है… चोद दे जसप्रीत… चूत ही तो है ना… चोद दे अपनी बहन को !

लवलीन मेरे लंड के चुम्मे लेने के साथ साथ अपने चूचे भी मसल रही थी, मैंने सोचा कि चलो, इसे कर लेने दो अपने मन की, गर्म हो जाने दो इसे थोड़ा… फिर मैं इसे लेता हूँ अपने लौड़े के नीचे…

लवलीन कोशिश कर रही थी मेरे लौड़े को पूरा अपने मुँह में लेने के लिए लेकिन वो उससे नहीं हो रहा था। मैंने अपने लण्ड को उसके होंठों से निकाला और लौड़े को उसके गालों के ऊपर थपथपाने लगा।
लौड़े से मेरा पानी और उसका थूक उसके गाल पर लग रहा था।
लवलीन ने फिर से अपने भाई के लौड़े को अपने मुख में भर लिया, मैंने उसका सिर अपने हाथों में पकड़ा और उसके मुँह में धक्के देने लगा।
लवलीन अपने चूचे पकड़ कर मसल रही थी, उसका मुँह मेरे लौड़े को खूब मज़ा दे रहा था। मैंने उसके मुँह को और भी जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया और वो भी अपने होंठों से मेरे लौड़े को दबा कर मस्त मज़ा दे रही थी।
तभी मेरे लौड़े ने अपनी औकात दिखा दी, इसकी गर्मी निकल गई, एक एक कर के मेरे लंड ने 5-6 पिचकारियाँ मारी, मेरा वीर्य लवलीन के मुँह में ही निकल गया।

आधा वीर्य तो लवली के गले में उतर गया और बाकी का उसने सिंक में थूक दिया।

वो खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट, कैपरी उतारने लगी, वो अंदर पर्पल पेंटी में थी, उसने ब्रा का हुक खोला, पहली बार मैंने उसकी गुलाबी चूचियाँ पूरी नंगी देखी। मैंने उससे पहले अपनी मेड सविता की चुदाई की थी लेकिन ऐसी गोरी गुलाबी खड़ी चूचियाँ मैंने सिर्फ़ इन्टरनेट पर ही देखी थी।

लवलीन ने बाथटब का सारा पानी बहा दिया और वो उसके अन्दर लेट गई, उसने अपनी टाँगें बाथटब की साइड के ऊपर रख कर फैला दी, वो बोली- आ जा ओये जसप्रीतया अपनी भैन दी कच्छी लाह के फ़ुद्दी चट्ट !

मैं तो लवली की गुलाबी चूत को देखने की कल्पना मात्र से पागल हुआ जा रहा था, उसको चाटने के विचार से तो सच में पागल हो जाऊँगा।

मैं लवलीन के पैरों के बीच में जाकर बैठ गया और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फ़ेरने लगा।

तभी लवली बोली- भैन दे लोड़या… अपणी भैण दी फ़ुद्दी नूँ नंगी तां कर लै !

मैंने घबरा कर फ़ट से उसकी पैन्टी उतार दी।
तब वो बोली- हुण्ण वेख लै अपनी भैण दी फ़ुद्दी !

लवली की चूत एकदम साफ़ थी, फ़ूली हुई थी, मैं चूत के ऊपर अपनी चार उंगलियाँ फेरने लगा, लवली की चूत गर्म थी और मस्त गीली हुई पड़ी थी।

लवलीन अपनी आँखे बन्द करके अपने होंठों को दांतों तले दबाने लगी और बोली- जल्दी कर जसप्रीत, चाट ना मेरी चूत… मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है।

मैंने अपने होंठों से लवलीन की चूत पर एक मस्त चुम्मी ली और फिर अपनी जीभ निकाल कर चूत के ऊपर घिसने लगा।
लवलीन अपने चूचे दबाने लगी और उसने अपनी टाँगें और फैला दी।
मैंने उसकी चूत की दरार में अपनी जीभ घुसाई और ऊपर नीचे हिलने लगा। लवलीन की ‘आह आहह…’ निकलने लगी और वो मेरे सिर को पकड़ के अपनी चूत पर दबाने लगी।

मैं तो जैसे स्वर्ग में था और लवलीन अपने चूतड़ ऊपर नीचे हिला कर अपनी चूत मेरे मुख पर घिसने लगी। लवलीन काफ़ी चुदासी हुई पड़ी थी, उसकी चूत पानी पर पानी बहाये जा रही थी।

मेरा लंड एक बार फिर से टाईट हो गया था।

लवलीन ने तभी मेरे हाथ को पकड़ा और बोली- चल जसप्रीत मेरे भाई, कमरे में चल कर मुझे चोद दे, अब मुझ से जरा भी नहीं जा रहा है।

मैंने उस हाथ से सहारा दिया, लवलीन खड़ी हो गई और मैं उसे खींच कर कमरे में ले गया।
वो एकदम से जाकर बिस्तर पर अपने घुटने मोड़ कर जांघें फ़ैला कर लेट गई, मैंने उसके दोनों घुटने पकड़ कर और फ़ैला दिये, ऐसा करने से उसकी चूत के जो होंठ चिपके हुये थे, वो खुल गये और अन्दर से गुलाबी लाल कच्चा मांस सा दिखाई देने लगा।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी फ़ुद्दी के छेद में घुसाई, तो लवली बोली- लया वीरे, मैंन्नूँ वी मेरी फ़ुद्दी दा स्वाद वखा दे!

लवली की चूत से निकली अपनी वो अपनी मैंने अपनी बड़ी बहन के होंठों पर लगा दी, लवली ने बड़े जोश से उसे चाटा।

फ़िर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के छेद के ऊपर सेट कर दिया, लवलीन को शायद चरमसुख मिला मेरे लौड़े के उसकी चूत को छूने से… उसने अपनी आँखें बंद की और थोड़ सा आगे होकर ऊपर को धक्का लगा दिया।
साथ ही मैंने एक हल्का झटका दिया और अब मेरा आधे से कुछ कम लंड उसकी चूत में था। लवलीन के मुख से आह निकली और उसने अपने दोनों हाथों से मेरे कन्धे पकड़ कर अपने ऊपर दबा लिया। ऐसा करने से मेरा लौड़ा उसकी गीली गर्म चूत में पूरा घुस गया।

फ़िर उसने अपने चूतड़ों को ऊपर को उछाला और बोली- चोद जोर जोर से मुझे जसप्रीत… निकाल दे मेरी चूत का पानी !

मैंने लवलीन की कमर को पकड़ा और उसकी चूत के अन्दर कभी धीरे कभी तेज झटके देने लगा।
लवलीन ने अपने हाथों से सिर के नीचे का तकिया पकड़ लिया और वो अपने कूल्हों को आगे पीछे करने लगी।
मुझे बहुत ही मजा आ रहा था लवलीन की ऐसी चुदाई करने में…

लवलीन भी पूरी मस्ती में आ गई थी अपने भाई का लंड अपनी चूत में लेकर, वो अपनी गांड हिला हिला कर चुदती रही और मैं भी अपनी सेक्सी बहन को अपने लंड का मज़ा देता रहा।

लवलीन की 8-10 मिनट ऐसी चुदाई के बाद और मेरा काम अब तमाम होने की कगार पर था, मैंने लवलीन के कान में कहा- मेरा निकलने वाला है, क्या करूँ?

‘जल्दी निकाल मादरचोद… अपने बच्चे का ही मामा बनेगा क्या! मेरे मुँह में निकाल दे अपना माल…’ लवलीन हंस कर बोली।

मैंने फच से अपना लौड़ा लवलीन की फ़ुद्दी से निकाला और उसके मुँह से एक बड़ी आह निकली। लवलीन ने अपना हाथ अपनी फ़ुद्दी में घुसा लिया और उसे मसल्ने लगी, मैं उसके चेहरे के पास अपना लण्ड ले गया, लवलीन ने अपना मुँह खोला और वो बेताबी से मेरे लौड़े को चूसने लगी, मेरे वीर्य के निकलने का इन्तजार करने लगी।

तभी एक पिचकारी छूटी और मेरे वीर्य से उसका मुँह भर गया। लवलीन ने मेरे वीर्य को अपने मुँह में थोड़ी देर झकोला, चलाया और फिर वो एक घूंट में उसे पी गई।
वो अब भी अपनी फ़ुद्दी को अपने हाथ से सहला रही थी, शायद उसका पानी अभी तक नहीं निकला था, उसे पूरा मज़ा देने के लिये मैं उसकी जांघों के बीच में आकर उसकी फ़ुद्दी को चाटने लगा और 2-3 मिनट बाद लवली का बदन अकड़ गया और वो अपने चरमसुख को पा गई।

मैं उसकी बगल में ही लेट गया और हमें नीन्द आ गई। कुछ देर बाद लवली के फ़ोन की घन्टी बजने पर हमारी नीन्द खुली।
हमारी मेड सविता का फ़ोन था।
लवली ने बात की तो वो पूछ रही थी कि कोई काम ना हो तो वो सो जाये। लवली ने उसे सो जाने को कहा और अपने कपड़े पहनने लगी और बोली- भाई, आगे भी मुझे अपने लंड का स्वाद देते रहना…
मैं हंस पड़ा और हम लोग कपड़े पहन कर खाना खाने बाहर आ गये।

अमीर भाभी की मस्त चूत का मजा लिया - Ameer Bhabhi Ki Mast Choot Ka Maja Liya

अमीर भाभी की मस्त चूत का मजा लिया - Ameer Bhabhi Ki Mast Choot Ka Maja Liya , पैसों वाली महिला को चोदा , धनी भाभी की चुदाई , अमीर औरत की गांड मारी , धनवान स्त्री से सेक्स किया.

नमस्ते मित्रो, मेरा नाम सौरभ है, मैं जब स्कूल में पढ़ता था, तब से हिंदी सेक्स कहानियाँ पड़ता हूँ।
मैं लखनऊ शहर उत्तर प्रदेश में रहता हूँ।

यह मेरी पहली सेक्सी कहानी है एक प्यासी भाभी की… अगर कुछ कमी हो तो माफ़ करना।

कहानी मेरी और एक 28 साल की विवाहिता स्त्री की है जिसका नाम विद्या है, यह काल्पनिक नाम है।

विद्या एक 28 साल सुन्दर मनमोहक, गोरी, हाइट 5’6″ के लगभग जवानी से भरपूर भाभी है, पतली सी पर उसके वक्ष मस्त सुडौल 32 साइज़ के हैं।
कमर तो पूछो मत इतनी नाजुक कि कोई देखे तो पागल हो जाए, चूतड़ वो मोटे मोटे…

उसका पति एक कम्पनी का मालिक है।

मैं हमेशा एक नेटवर्किंग साईट पे लखनऊ बॉय के नाम से कमेन्ट करता था कि किसी भाभी, आंटी, डिवोर्सी, विधवा को सेक्स या अच्छी फ्रेंडशिप की जरूरत हो तो लखनऊ बॉय से संपर्क करें।
और आगे मैं मेरा मोबाइल नंबर डालता था।

शुरुआत में मुझे बहुत दूर से मिस कॉल या मैसेज आते थे भाभी और लड़कियों के।

एक दिन मुझे रात को 9:30 को एक कॉल आई।
मैं समझ गया कि यह किसी लड़की या भाभी का होगा।
मैंने रिसीव किया।

उधर से एक महिला की आवाज आई, उसने पूछा- क्या मैं लखनऊ बॉय से बात कर सकती हूँ?
मैंने कहा- मैं क्या मदद कर सकता हूँ आपकी?

वो- जी मैंने आपका नंबर नेट से लिया है, क्या मेरे साथ आप फ्रेंडशिप करोगे?
मैं- जी बिल्कुल… जरूर करूँगा… आपका नाम और सिटी?

वो- जी मेरा नाम विद्या है और मैं लखनऊ की ही रहने वाली हूँ।
मैं- वाह… मैं भी लखनऊ का हूँ।

मैं बहुत खुश था क्यूँकि यह पहली महिला थी लखनऊ से…
मैं बोला- कहिये आपकी किस तरह सेवा करूँ?

विद्या और मैं उस रात बहुत देर तक बातें करते रहे।

उसने बताया कि उसका पति हमेशा काम की वजह से बाहर रहता है।
और आजकल वो अकेलापन महसूस करती है।

फिर हमारी रोज बातें होने लगी और कुछ दिनों में हम सेक्स की बाते करने लगे।

एक दिन उसने कहा- क्या तुम मुझे सेक्स का सुख दोगे?
मैंने हाँ कहा।

फिर उसने मुझे अपने घर का पता दिया जो मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं था, मस्त लखनऊ का पोश एरिया था।

मैं अगले ही दिन उसके घर पहुँचा, बेल बजाई।

जैसे ही दरवाजा खुला, मैं उसे देखत़ा रह गया।
क्या सुन्दर थी वो…

उसने मुझे अन्दर बुलाया।
उसका घर अन्दर से बहुत खूबसूरत और कीमती बनावट का था।

और विद्या को तो मैं देखता ही रहा।
उसका गोरा रंग, पतली कमर, मस्त टाईट बूब्स।
हे भगवान… मैं तो पागल हो गया।

फिर उसने मुझे जूस पिलाया, बातों बातों में घर दिखाया और आखिर में हम बेडरूम में आ गये।

वो मेरे पास आई, मैंने देर ना करते हुए उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया, उसके होटों को चूमने लगा, वो भी मेरा सहयोग दे रही थी।

पन्द्रह मिनट की चूमाचाटी के बाद मैंने उसके बूब्स दबाने शुरु किये।
क्या कड़क थे उसके बूब्स मस्त गोल…

हम दोनों का पूरा शरीर एक दूसरे पे घिस रहा था।

फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और अपने कपड़े निकाल दिए। उसने भी अपनी साड़ी ब्लाउज़ पेटीकोट निकाल दिया और अब वो सिर्फ लाल ब्रा और सफ़ेद पेंटी में थी। उसकी चमकदार जांघें, मस्त सपाट पेट, पेंटी जैसे सिर्फ उसकी चूत को ढके हुये थी।

उसका चहेरा लाल हो चुका था।

मैंने झट से उसकी पेंटी उतार फेंकी और मस्त छोटी दो इंच की चूत के साथ हाथ से खेलने लगा और फ़िर चाटने लगा।
उसकी चूत चाटने में मस्त खारी लग रही थी। बीस मिनट मैं विद्या की चूत चाटता रहा।

प्यासी विद्या भाभी अपने बूब्स खुद ही दबाती रही।
फिर वो झड़ गई।
मैं उसका सारा पानी साफ कर गया।

मैंने मेरा लंड इतना बड़ा कभी नहीं देखा था, फ़ूल के 7 इंच का हो गया था।

विद्या ने उसे कुछ देर मसला, चूमा, हिलाया और झट से मुख में लेकर चूसने लगी। वो चूसने में इतनी माहिर तो नहीं लग रही थी पर पूरी तरह खो चुकी थी लंड चूसने में…

मैं भी इतना एक्साईट हो चुका था कि कब उसके मुँह में पानी निकाल दिया, पता नहीं चला।

विद्या भाभी इतनी प्यासी थी कि वो पूरा पानी पी गई।
पूरा लंड साफ कर दिया।

कुछ देर बाद मेरा लंड टाईट हो गया था।

उसने अपने पैर फ़ैला करके मेरा लंड अपनी छोटी चूत पे रखा, मैंने धीरे धीरे अपना आधा लंड अन्दर घुसाया, थोड़ा अन्दर जाने के बाद अब नहीं जा रहा था आगे।

मैंने फिर लंड थोड़ा पीछे खींचा और आगे झटका दिया। वो चीख उठी और उसकी आँखों से आँसू आने लगे।
मैं थोड़ा रुका और धीरे धीरे झटके लगाने लगा।

उसकी चूत मस्त टाइट थी।

मैं उसे 20 मिनट तक चोदता रहा और बाद में पानी उसकी चूत में निकाल दिया।
उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव नजर आ रहे थे।

फिर एक घंटा हम चिपक कर सो गये।

बाद में उसने मुझे उठाया और एक ग्लास दूध दिया पीने को।

दूध पीने के बाद मैंने कपड़े पहने और उसके लबों पर चुम्बन किया और आने लगा।

उसने जाते जाते मुझे पांच हजार रुपये दिए जो मैंने वापस कर दिए।

और फिर हम दोनों जब भी वक्त मिलता, मस्त चुदाई करते।

भाभी को देख मन मचल गया - Bhabhi Ko Dekh Man Machal Gaya

भाभी को देख मन मचल गया - Bhabhi Ko Dekh Man Machal Gaya , भाभी ने चुदने के लिए चूत दिखाई , भाभी की मस्त चुदाई , भाभी की बड़ी गांड मारी , भाभी की चूत चाटकर पानी निकाला , लंड भी चुसाया.

अमिता मेरे बड़े साले की बीवी यानि मेरी सलहज है, दो बच्चों की माँ है, मुझसे करीब आठ साल बड़ी यानि कि 38 साल की लेकिन उसे देखकर लगता है कि उसकी उम्र 30 की होगी।
गोरा रंग, 34-30-36 का बदन, उसके बाल लम्बे हैं और कूल्हों तक आते हैं, खुले बाल लेकर जब वो चूतड़ मटकाती हुई चलती है तो आग सी लग जाती है।

मुझे उसकी नज़रों से लगता था कि मेरी तरफ़ उसका कुछ झुकाव है।
मेरे सामने उसकी हरकतें बड़ी मादक होती थी, छेड़छाड़ और मज़ाक वगैरह, कभी कभी व्यस्क चुटकले भी!

लेकिन उसने कभी भी अपनी सीमा नहीं लांघी थी और उसकी यही अदा मुझे उसकी तरफ खींचती थी।
उससे मिल कर आने के बाद मैं बेचैन हो जाता था और उस दिन सुरेखा (मेरी बीवी) को बुरी तरह चोदता था।
वो भी कहती थी ‘आज क्या हो गया है.. उफ़ मार डालोगे क्या..?’

वो बेचारी वैसे ही मेरे मोटे लंड से खौफ खाती थी, पहली रात की चुदाई के बाद ही उसने मुझसे वादा लिया था कि मैं उसके साथ आहिस्ता और सलीके से सेक्स करूँ।
बेचारी को क्या मालूम कि मैं उसे नहीं अमिता भाभी को चोद रहा हूँ।
मैं उन्हें भाभी कहता हूँ।

और अमिता भाभी को तो ऐसे ही चोदना होगा… तभी मजा आयेगा… मैं दिन-रात उस मौक़े की तलाश में रहता था…
और एक दिन वो मौका आ ही गया!

हुआ यों की मेरी बीवी और उसके भाई यानि अमिता भाभी के पति को अपने किसी प्रॉपर्टी के सिलसिले में अपने पुश्तैनी गाँव में जाना था, मुझे भी उन्होंने चलने के लिये कहा लेकिन मुझे ऑफ़िस में कुछ जरूरी काम था।

मैं उन्हें सुबह स्टेशन पर छोड़ने गया.. तब भाई साब ने कहा- अमिता अकेली है और बच्चे भी नाना के यहाँ गए हैं एक महीने के लिये, तुम शाम को एक फ़ोन कर लेना घर पर या फ़िर घर जाकर आना।

मैंने कहा- जी ठीक है!

और मैं वहीं से ऑफ़िस चला गया।

शाम को लौटने में देर हो गई, करीब सात बज चुके थे, अचानक सेल पर मेरी बीवी का फ़ोन आया- अरे भाभी का फ़ोन नहीं लग रहा.. तुमसे कोई बात हुई क्या?

मैंने कहा- नहीं!
‘प्लीज़ जरा उनके घर जाकर आओ!’
मैंने कहा- ठीक है..

लेकिन अचानक मेरे दिमाग में घंटी बजी, ‘यह गोल्डन चांस है, आज उसे उत्तेजित करो और मौका मिले तो… काम कर लो।’

मैंने घर आकर टीशर्ट और जींस पहने, एक अच्छा वाला सेंट स्प्रे किया और कार लेकर चल पड़ा उनके घर।

उनका घर दोमंजिला है। मैं वहाँ पहुँचा तो आवाज़ दी- भाभी…!!

कोई उत्तर नहीं आया।

फ़िर दरवाज़ा खटखटाया, तब हल्की आवाज़ आई- तुम रुको, मैं आती हूँ।

थोड़ी देर में दरवाजा खुला.. उफ़्फ़… भाभी के बाल थोड़े बिखरे हुये उनके चेहरे पर आ गए थे और सीने पर दुपट्टा नहीं.. क्या मस्त चूचियाँ हैं… मेरी बीवी की इनके सामने कुछ भी नहीं…

‘आओ!’
‘भाभी, आपका फ़ोन बंद है क्या?’
‘मालूम नहीं, वैसे बहुत देर से किसी का फ़ोन आया नहीं!’

मैं फ़ोन का रीसिवर उठाया.. ‘ओह भाभी, यह तो बंद है।’

मैंने अपने सेल पर सुरेखा का फ़ोन लगाया- हाँ सुरेखा, भाभी का फ़ोन बंद है.. लो भाभी से बात करो।

उन दोनों ने कुछ बात की फ़िर भाभी ने कहा- तुम थोड़ा बैठो, मैं ऊपर स्टोर में से कुछ समान और बिस्तर निकाल रही हूँ। अभी और भी थोड़ा काम है, फ़िर चाय बनाती हूँ..

मैं चुप रहा और उन्हें देखता रहा।

उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- लगता है सुरेखा की बहुत याद आ रही है?
और एक सेक्सी मुस्कान मेरी ओर फ़ेंक दी।

मैं तो तड़प गया, फ़िर वो अपने सेक्सी कूल्हे मटकाते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगी और कहा- तब तक तुम टीवी देखो!

मैं अपने को रोक नहीं सका और 5 मिनट बाद मैं भी सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर पहुँचा, वहाँ भाभी की पीठ मेरी तरफ थी और वो बेड को ठीक कर रही थी।

मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया।

‘क्या कर रहे हो?’
‘प्यार! अभी आपने कहा ना कि सुरेखा को मिस कर रहे हो? मैं उसे नहीं आपको मिस करता हूँ भाभी!’
‘बदमाशी मत करो!’

पर मैंने अपने लंड को उनके चूतड़ों पर दबाया.. जो अब थोड़ा कड़क हो रहा था.. वहाँ लगते ही उसकी आकार बढ़ने लगा।

वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी.. मेरा हाथ उनकी चूचियों पर पहुँच गया.. मैंने उनके गर्दन पर पीछे चूम लिया।

‘अखिलेश…!!! प्लीज़… यह गलत है!’
‘क्या गलत है भाभी?’
‘मैं सुरेखा की भाभी हूँ!’
‘तो क्या हुआ.. आप इतनी हसीं हो कि मेरा दिल मचल गया है आपके लिये!’

मैंने हाथों से उनकी चूचियाँ और जोर से दबाई।

‘नहींई कर…ओ… आआह्ह धीईरे…’

मेरा लौड़ा पूरा अकड़ कर उनके चूतड़ों में जैसे घुसा जा रहा था।

अमिता बोल रही थी- नहीं…ई…ई…

मैंने हाथों से उनकी चूची और जोर से दबाई।

‘आआह्ह… ह्ह्ह… धीरे…’

यह सुन कर मैं समझ गया कि भाभी चुदवाना तो चाहती हैं लेकिन नखरे कर रही हैं।

मेरा लंड पूरा खड़ा होकर उनकी गांड में घुसा जा रहा था।

अब वो भी अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी, मैंने उनकी कमीज़ के अंदर पीछे से हाथ डाल दिया.. नरम पीठ से होता हुआ मेरा हाथ सीधे ब्रा के हूक पर गया, मैंने उसे जोर से खींचा, वो टूट गया।

‘क्या कर रहे हो?’
‘आप प्यार से नहीं करने दे रही हैं।’
‘क्या नहीं करने दे रही हूँ??’

और वो घूम गई, मैंने इस मौक़े पर एकदम उनका चेहरा पास लाया और उनके रसीले लाल होंटों पर अपने होंठ चिपका दिये।
पहले तो वो मुँह इधर उधर करने लगी.. फ़िर थोड़ी देर बाद मेर होंठों को जगह मिल गई…
वो लम्बा चुम्बन.. गीला… ऊओह.. और भाभी मुझसे दूर हटने लगी.. मैंने फ़िर भी नहीं छोड़ा, उन्हें और अब उनके चूतड़ जोर से पकड़ कर खींचा.. मेरा लंड उनके पेट पर लगा… उनके हाथ झटके से मेरे गले पर आ गए..

फ़िर एक बोसा…

इस बार कूल्हे दबाते हुये और उन्होंने मुँह मेरे मुँह से नहीं हटाया।

मैंने भाभी के शर्ट को ऊपर करना शुरू किया और गले तक ले आया, उनके हाथ ऊपर किये और निकाल दिया।
‘क्या कर रहे हैं आप?’
‘प्यार भाभी!’
मैंने अपना कुरता भी अब उतारा…

वो जाना चाहती थी लेकिन कमीज़ निकल गई, वो ऊपर पूरी नंगी थी, जाली वाली ब्रा थी और उसमें से उनके अंगूर जैसे काले निप्पल दिख रहे थे।

मैंने देर नहीं की, झपट कर उन्हें पकड़ लिया और निप्पल पर मुँह लगाया।

‘आआह्ह हा… मैं तुमसे बड़ी हूँऊ.. ये मत करो..; लेकिन मेरा सिर उन्होंने अपनी छाती पर दबा लिया।

मैंने पीछे हाथ किये और ब्रा का हुक तोड़ दिया, बड़ी बड़ी दूधिया चूचियाँ बाहर मेरे हाथो में आ गई.. जोर से दबाया।

‘ऊऊफ़्फ़्फ़ फ्फ धीईरेएए… इतने ज़ोर से मत दबाओ…’

मैंने कुछ सुना नहीं, उनके बिस्तर पर धकेला… उनके पैर नीचे लटक रहे थे… मैंने सलवार की इलास्टिक खींची तो साथ में गुलाबी रंग की पैंटी भी नीचे आ गई।

‘जीईईजाजी, क्या कर रहे हओओ.. मुझे खराब मत करो…’

लेकिन उन्होंने गांड उठा दी और सलवार निकल आई और पैंटी भी…

चूत पर छोटे छोटे बाल थे.. मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा… भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दिया।

‘आआआअह्ह ह्ह्ह… प्लीज मत करो… वो उछल पड़ी… क्या गोरी और चिकनी गांड थी उनकी… मैंने अब अपने कपड़े उतारना शुरू किया.. इस मौक़े का फायदा उठा कर भाभी उठी और कपड़े उठा कर जल्दी से नीचे भागी।

मेरी पैंट आधी खुली थी.. मैंने पूरी खोली, उसे वहीं फेंका और अंडरवीयर में उनके पीछे भागा, वो अपने बेडरूम में घुस गई, दरवाजा बंद दिया… मैं दरवाजे के पास गया और हल्के से धकेला… दरवाजा खुल गया।

भाभी वैसी ही बेड पर उलटी लेटी हुई थी.. मैं समझ गया, मैं उनके पीछे गया, मैंने अपना अंडरवीयर भी निकाल दिया.. मेरा काला मूसल जैसा 7″ का लंड छिटक कर बाहर आ गया, मैंने पीछे से उनके बदन पर लण्ड छुआया।

वो चौंक कर पलटी- आआह्… ओह… मुझे क्यों परेशान कर रहे हो.. और यह क्या… हाय अल्ल्लाआह्ह्ह इतना बड़ा और मोटा… बाप रे… सुरेखा तो रोती होगी?

‘उसकी बात छोड़ दो भाभी!’ लेकिन आपको तो यह अच्छा लगेगा।

मैंने फ़िर से उन्हें दबोच लिया।

अब मेरा लंड उनके पेट के पास था, मैंने उनकी चूचियाँ ज़ोर ज़ोर से मसलन शुरू की और उनके होंठ चूमने लगा।

इस बार वो सिर्फ ‘आआह नहीं.. ऊऊओह्ह अखिलेश मत करो..’ बोल रही थी लेकिन साथ में मुझसे लिपटी जा रही थी, मेरे लंड का प्री-कम उनके पूरे पेट को गीला कर रहा था।

मैंने उनसे कहा- इसे पकड़ो ना…
और उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगाया..

उन्होंने बदमाशी की और उसे पकड़ के जोर से दबा दिया।

‘आआआह भाभी… प्यार से सहलाओ!’
‘क्या प्यार से इतना मोटा?’ भाभी पुरानी खिलाड़ी थी लेकिन फ़िर भी कहा- तुम्हारा बहुत लम्बा और मोटा है… तुम आज मुझे बर्बाद कर के छोड़ोगे!

मैंने कुछ नहीं कहा और उनके गोरे पेट को सहलाते हुए जीभ से गीला करने लगा।
भाभी मुझे धकेल रही थी लेकिन उन्होंने मेरा लंड नहीं छोड़ा।

मैंने अब सीधे उनके पैर फैला दिये, अपना मुँह उनके पैरों के बीच रखा और चूमा।

‘आआआअ अह्ह्हह… कितने गंदे हो.. वहाँ क्यों मुँह लगा रहे हो?’

‘भाभी, अभी आप कुछ मत कहो!’

‘तुम भाभी भाभी कहते हो, कहते हो ‘इज्जत करता हूँ!’ यह इज्जत का तरीका है? ..उईईई ईईइ…’

मेरी जीभ चूत के अंदर दाखिल हो गई और अंदर गोल गोल घुमाने लगा।

‘आआह्ह ह्ह्ह… अखिलेश… मैं पागल हो रही हूँ… मत करओ… प्लीज.. मैं तुम्हारी भाभी हूँऊ…’

लेकिन मुझे अब उनकी गुलाबी चूत और उसके अंदर का नमकीन पानी ही याद था.. मैंने तेजी से चाटना शुरू किया..

भाभी अपने चूतड़ उछालने लगी थी- अखिलेश… हरामीई ये क्या कर रह है… ईआआअह!
भाभी का बदन अकड़ने लगा था, उनका पानी निकलने वाला है, यह मैं समझ गया।

अब मैंने अपनी एक उंगली उनके मुँह में डाली, उन्होंने काट ली।
फ़िर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू किया.. मैंने पोजीशन बदली और उन्हें उठाया, किनारे पर मैं बैठ गया और उनसे कहा- नीचे आओ!

‘क्यों?’
‘आओ तो!’

वो नीचे आई मैंने उन्हें घुटनों पर बिठाया, मेरा लंड उनके मुँह के सामने था, वो तो तड़प रही थी, फ़िर भी उठ कर जाने लगी।

मैंने जबरदस्ती बिठाया और लंड को उनके गालों पर रगड़ा, फ़िर होंठों पर रख कर कहा- इसे किस करो !

वो मेरी तरफ देखने लगी।

मैंने उनके सिर को पकड़ा और लंड को होंठों पर रगड़ा।

चाहती तो वो भी थी…
पहले थोड़ा चाटा, जीभ से फ़िर होंठों को खोला और लंड का सुपारा मुँह में लिया।

मैंने देखा उनके छोटे मुँह में लंड नहीं जा रहा था.. बहुत मोटा जो है..
मैंने सिर को कस के पकड़ा और दबाया- ले साली… बहुत दिनों से तडपा रही है… अपनी चूची और चूतड़ दिखा दिखा के..

अब उन्होंने चूसना शुरू किया मैं तो जन्नत में पहुँच गया था.. ‘ऊओह्ह भाभीईईई… मज़ा आ रहा है…!

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरे गोटियों में सूजन आ रही है, मेरा हो जाएगा, मैंने भाभी को उठाया और बेड पर लिटा दिया।
पैर नीचे लटक रहे थे, पैरों को उठाया।

‘नहीं प्लीज़… अभी मैं सेफ नहीं हूँऊ.. मेरे ठहर सकता है.. नहीईई…’

मैंने कहा- फ़िक्र मत करो, मैं बाहर निकाल लूँगा।
और पैरों को फैलाया, अपने कंधे पर रखा, लंड को चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया- भाभी, कैसा लग रह है?

‘हरामजादे अपने लंड को मेरी चूत पे लगा के भाभी कह रहा है…? अब जल्दी कर जो करना है।’

यह सुन कर मुझे तो जोश आ गया और अपना लंड उनकी चूत पे धीरे धीरे रगड़ने लगा, रगड़ता रहा, रगड़ता रहा, भाभी को छटपटाता हुआ देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था!!

फ़िर मैं भाभी के मम्मे दबाने लगा !!

वो बोली- मादरचोद… और कितना तड़पायेगा?

मैं हंसा और अपना लंड उनके छेद पर रख कर दबाया।

भाभी तड़प उठी- ऊऊओह्ह ह्ह्ह मर गई मादरचोद निकाल… निकाआल… बहुत मोटा है.. अह… मैं मर जाऊँगीई!मैं रूक गया और लंड को बाहर खींच लिया।
भाभी ने आँखें खोली और पूछा- अब क्या हुआ?

मैंने कहा- आपने कहा ‘निकाल!’ इसलिए निकाल लिया।

‘हरामी, क्यों तड़पा रहा है… अब जो करना है कर…’

मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चूत पर रख कर जोर का झटका मारा।

भाभी का पूरा बदन ऐंठ गया- आआअ आआह्ह ह्ह्ह मार डालाआअ रे हरामीईईई… ये आदमी का है या घोड़े का, सुरेखा की क्या हालत करते हो, ऊऊफ़्फ़्फ़ पूरी भर गई मेरी…

मैं अब थोड़ा थोड़ा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा, निप्पल चूसने लगा.. वो थोड़ा नॉर्मल हुई और उनकी चूत ने भी अब फ़िर से पानी छोड़ा…

मैंने आधा लंड बाहर निकाल के इस बार तूफानी शॉट मारा और बिल्कुल धोनी के सिक्सर की स्पीड से लंड पूरा भाभी के चूत में पेल दिया।

‘आआआअ… उईईईइ ईईईई माआआआ… किस मनहूस घड़ी में मैं तुम्हारे हाथ लग गईईईई…!’

मैंने उनके बगल के नीचे से हाथ डालकर उनके कंधों को पकड़ा जिससे वो हिल नहीं पाए और फ़िर मैंने धोनी की स्टाइल बैटिंग शुरू की।

वो उफ़ उफ्फ्फ आआह अह्ह्ह कर रही थी, चूत से पानी की धार बहने लग गई।

उनकी गांड तक बहने लगी और नीचे चादर भी गीली हो रही थी।

मेरी स्पीड जोर की थी, भाभी के मुँह से निकला- वाह मेरे शेर !!! वाह… आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊऊ.. आज मेरी मुराद पूरी हो गईईइ… ऊऊह ऊओह्ह मेरा होने वालाआ हैईई ! और ज़ोर सेईई…

मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था, काट रह था.. उनके लंबे नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे।
‘फाड़ दे… मेरी फाड़ दीईईईए… आआ आआह्ह्ह!’

उन्होंने मुझे कस के पकड़ा और वो झड़ने लगी।

करीब दो मिनट उनका ओर्गैस्म चालू था।
इधर मेरा भी होने वाला था। उस तूफानी स्पीड में मैंने कहा- भाभी, मेरा झड़ने वाला है, मैं कहाँ निकालूँ।

‘मेरे अंदर डाल दो दओ.. आआह्ह !’

‘लो भाभी… ये लओ !’
और मैंने लंड को उनकी चूत के एकदम अंदर मुँह पर टिका दिया और मेरी पिचकारी शुरू हो गई।

दोनों ने एक दूसरे को कस के पकड़ा था.. इसी तरह हम करीब दस मिनट रहे।

उन्होंने फ़िर मुझे धकेला और मेरी तरफ देखा- कर दिया ना भाभी को खराब..?
और मुझे धकेला।

मैंने उनकी चूत से लंड बाहर खींचा, वो मासूम भाभी के और मेरे पानी से लिपटा हुआ था।
उसे देख कर भाभी ने कहा- देखो कैसे मासूम लग रहा है..!!
उन्होंने नीचे देखा, चूत फ़ूल गई थी।

उन्होंने हाथ लगाया और सिहर उठी- देखो क्या हालत की तुमने… छोटी सी थी.. कितना सूज गई है और कितना दर्द हो रहा है…
उनकी चूत से मेरा सफ़ेद पानी और उनका पानी बाहर टपक रह था, चूत का मुँह भी खुल गया था… वो उठ भी नहीं पा रही थी।

एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गई थी..
इस उमर में इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी, यः उन्होंने सोचा भी नहीं था लेकिन मुझे भी उनका वो गदराया बदन इतने सालों बाद मिला.. मैंने जम कर चोदा..
सबसे बड़ी बात.. मुझे पता था कि भाभी को मोटे और लंबे लंड से ज्यादा मजा आयेगा और वो मेरे पास है…
लेकिन मेरी बीवी मुझसे इस तरह चोदने नहीं देती, रोने लगती है और मुझे चुदाई में रहम से नफ़रत है…

खैर मैं उठा, लंड तो पूरा लथपथ था भाभी के योनि रस से और मेरे वीर्य से.. इतना माल तो मेरा कभी नहीं निकला था..
और भाभी की चूत भी मुँह खोले ‘O’ की आकृति की हो गई थी.. पूरी लाल दीख रही थी.. बाथरूम बाजू में था।

मैंने देखा कि भाभी ठीक से उठ नहीं पा रही हैं… मैंने उन्हें हाथ पकड़ कर उठाया.. मैंने देखा भाभी की कांख में बाल है.. और चूत पर भी बाल बढ़े हुए थे..

किसी तरह मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम ले गया।

मैं- भाभी, आप कांख के बाल क्यों साफ नहीं करती?

भाभी- नहीं, क्यों?

मैं- किया करो ना.. और स्लीव्लेस पहना करो!

भाभी- वहाँ शेव कैसे करूँ… डर लगता है, कट जाएगा तो?

मैं- शेविंग का सामान दो मुझे..

भाभी- क्यों?

मैं- मैं कर देता हूँ आपका जंगल साफ!

मैंने वहीं बाथरूम में रखा शेविंग का सामान लिया, भाभी को अपने सामने खड़ा किया, भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था।
उन्होंने एक हाथ ऊपर कर लिया, उनके कांख में साबुन लगा कर आराम से शेव किया, इस बीच मैं उनकी चूचियाँ भी सहला रहा था तो उनके निप्प्ल कड़क होने लगे थे।

भाभी- तुमने मुझे रंडी बना दिया.. मैंने पहली बार किसी दूसरे मर्द को नंगा देखा.. और खुद भी इतनी बेशरम जैसी तुम्हारे साथ नंगी खडी हूँ।

मैंने दोनों बगलों के बाल साफ़ करके पानी से धोया और उस पर चुम्बन करने लगा।
भाभी- आआअह… फ़िर से मुझे मत गर्म करो प्लीज… एक बार मैंने गुनाह कर लिया है… आआ आह्ह्ह…

मेरे होंठ उनके निप्प्ल पर आ गए और उन्होंने मेरा सिर जोर से दबा लिया.. मेरा खड़ा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर खड़ा था… वो अपनी चूत उसके साथ सटा रही थी- आआ ह्ह्ह… मत करो नाआह…

मैं- क्या मत करो?
भाभी- बहोत बदमाश हो तुम? अपने से बड़ी भाभी के साथ ये सब किया?

मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा… चूत का पानी अब भाभी की जांघों पर बह रहा था.. भाभी से नहीं रहा गया और खुद मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपने चूत के दाने पर रगड़ने लगी।

मैं तो बेकाबू होने लगा, वहीं दीवार पर उनकी पीठ टिका दी और उनके पैर खुद ही फ़ैल गए लंड को रास्ता देने के लिए…

मैंने वैसे ही खड़े खड़े अपना लंड सेट किया और क़मर हिला कर धक्का मारा।

भाभी- आआअह्ह ह्ह हरामीईई धीरे कर ना.. अपनी बीवी की चूत समझी है क्या?
मैं- बीवी की नहीं, मेरी सेक्सी भाभी की गदराई चूत है यह तो !
भाभी- अरे अभी तक दर्द हो रहा है.. आआअह्ह ह्ह…

उन्होंने हाथ लगा कर देखा- अभी तो इतना बाहर है.. हईईइ अल्लाह मैं तो मर जाऊँगी।
मैं- आपको दर्द हो रहा है तो मैं बाहर निकाल लेता हूँ?
मैंने तड़पाने के लिए कहा।

भाभी- अरे.. अब इतना डाल के बाहर निकालेगा…
और अब उन्होंने खुद चूत को लंड पर दबाया- कितना मोटा है!

मैं अब क़मर हिला कर आगे पीछे कर रहा था।

भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ दिया कि अब लंड आराम से जा रहा था और मैंने भी अब सनसना कर धक्का मारा और पुरा लंड अंदर!

‘मर्र गईई रे ! आप सच में मर्द हो… आज मुझे पता लगा कि असली मर्द क्या होता है… आई लव यू.. मेरे राजा… चोदो मुझे ज़ोर से चोदओ… फाड़ दो मेरीईइ…

मैं धक्के लगाते हुए और उनके निप्प्ल को काटते हुए- क्या फाड़ दूँ भाभी?
भाभी- जो फोड़ रहे हो…
मैं- उसका नाम बोलो?
भाभी- अपना काम करो!
मैं- अभी तो एक जगह और बची है उसे भी फाड़ना है… सबसे सेक्सी तो वो ही है तुम्हारे पास!
भाभी- क्या?

मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ लगाया और उनकी गांड के छेद में उंगली डाल कर- ये वाली फाड़नी है।

भाभी- आआह्ह्ह हह नहींईई वो नईइ.. वो तो मैंने उनको भी नहीं दी!
मैं- तो क्या हुआ.. मुझे तो पसंद है।
भाभी- नहीं नहीं..

मेरे धक्के चालू थे, मैंने देखा कि भाभी का बदन अकड़ने लगा है, वो पैर सिकोड़ कर लंड को कस रही थी और मेरे कंधे पर दांतों से काट रही हैं… नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा रही हैं- यह क्या किया.. आआह्ह मैं गयईईइ मेरा हो गया ओऊओह्ह अब नहीईईइ आआआह हाह!

और भाभी की चूत का पानी धार निकलने लगी, मैं गिरने लगा.. मैं रूक गया.. वो एकदम हल्की हो गई थी।

मैंने अब उन्हें दीवार से हटाया और बाथ टब के अंदर ले गया, उसमें पानी और साबुन भरने लगा..
मैंने देखा उनकी चूत पर भी बाल हैं, सोचा अगर इसे भी चिकनी कर लूँ तो..

मैंने उन्हें वहीं लिटा दिया..

भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- तुम्हारे खजाने को और खूबसूरत बाना रहा हूँ जान!
भाभी- क्या कहा.. जान.. फ़िर से कहो ..आह्ह मैं तुम्हारी जान..? लो कर लो साफ इसे भी!

मैंने चूत पर भी साबुन लगाया और उसे साफ करने लगा।
जब चूत पूरी साफ हो गई तो उसे मैंने गुनगुने पानी से धोया।
मेरा हाथ बार बारा उनके दाने से लग रहा था…

इधर मेरा अभी तक स्खलन नहीं हुआ, एक बार भी नहीं हुआ था.. तो वो तो उछल रहा था..
मैंने भाभी से कहा- इसे थोड़ा सहलाओ ना…!!

मैं उनके मुँह के पास लंड को ले गया, उन्होंने कुछ नहीं किया, मैंने उनकी चूत को देखा, दोनों जांघों के बीच एक लकीर.. लग रहा था की एक शर्माई हुई मुनिया..

मैंने हाथ फेरा… लकीर के बीच ऊँगली डाली.. फ़िर से गीली लबालब पानी.. मुझसे अब रहा नहीं गया!

मैंने भाभी के पेट को चूमना शुरू किया और दोनों पैर भाभी के दोनों तरफ डाले और उनकी पर मुँह रख दिया।

भाभी तड़प उठी- छीईः गंदे..
और पैर उठाने लगी…

मैंने जबरदस्ती पैरों को फैलाया और उनका रस चाटने लगा.. जीभ को दाने पर रगड़ा…

मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, वो उसे हाथ में पकड़ और खींच रही थी।

मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होंठों पर टिका दिया।

थोड़ी देर तो उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंठ खोलकर उसे अंदर लिया।

मैंने सिहरन सी महसूस की।

मैं- आआअह्ह्ह भाभी चूसओ मेरी जान… अआः मजा आ रहा है आईईइ!

मैं तो उनके गर्म होंठों के स्पर्श से पागल हो रहा था… अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी..

अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया, लंड एकदम उनके हल्क तक पहुँच गया।

उन्होंने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी सांस रूक जायेगी।
मैं- ओह भाभी जी, आप इतना अच्छा चूस रही हो!

इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी।
भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया, मैंने पूरा चाट लिया, उनकी गाण्ड तक बह रहा था तो गांड के छेद तक जीभ से पूरा चाटा।

इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा… मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल लिया, मेरा लवड़ा उनके थूक से गीला होकर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था।

मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा।

भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- आओ ना, दोनों पैर साइड में कर लो और सवारी करो!
भाभी- दिमाग खराब है क्या? मुझसे नहीं होगा!

मैंने उन्हें पकड़ कर पोजिशन में लिया, अब वो मेरी गुलाम थी..
और लंड के ऊपर भाभी की चूत को सेट करके कहा- बैठो…
उन्होंने कोशिश की- …आआह नहीं होगा..

मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का लगाया..
आधा लण्ड गप्प से अंदर!

अब मैंने उन्हें कहा- धीरे धीरे इस पर बैठो…
वो बैठने लगी.. फ़िसलन तो थी.. अंदर घुसने लगा!
फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था..

मैंने उनकी चूची और निप्पल चूसना शुरू किया, बहुत चूमाचाटी की और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली।

‘उईईईईई…’

और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बिठा लिया।

पूरा लंड अंदर… और भाभी की चीख नीकल गई- आआअह्ह ह्ह्ह मर गईई ऊओह…

अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था…

भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था।

भाभी बड़बड़ाने लगी- आआआअह, तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया… अह्ह्ह मुझे माँ बना दो..
और उनके उछलने की गति बढ़ गई।

‘आअह आआह्ह… मेरे अखिलेश… इतने दिन क्यों नहीं किया.. आआअह्ह्ह मेरा होने वाला है…’

और ऐसे ही उछलते हुए उनका पानी नीकल गया, वो मेरे सीने से लिपट गई, मैं उन्हें चूमने लगा।

अब मैंने भाभी को खड़ा किया, मेरे दिमाग में एक नया पोज़ आया, कमोड के ऊपर मैंने भाभी को झुकाया, उनके दोनों हाथ कमोड के ऊपर रखे।

भाभी- यह क्या कर रहे हो?
मैं- मैं तुम्हें और मजा दूँगा जानेमन..
मैं पीछे आ गया।

ऊऊओह क्या मस्त उभरे हुये चूतड.. और ऐसे में उनकी चूत का छेद एकगम गीला… और गांड का गुलाबी छेद…

मैंने पीछे से लंड को उनके चूतड़ों पर घुमाया… और गांड के छेद पर लगाया…
वो एकदम उठ कर खड़ी हो गई- नईई वहाँ नहींई… प्लीज़!
‘नहीं डार्लिंग, मैं सही जगह पर दूंगा!

और फ़िर से उन्हें झुकाया…

चूतड़ और ऊपर किये ताकि चूत ऊपर हो…
और फ़िर..
भाभी- अह्ह धीरे… आआ अह्ह!

मेरा लंड अंदर जा रहा था, लेकिन मैंने उसे बाहर खींचा और अब एक झटके में पूरा अंदर पेल दिया।
वो तो चिल्ला पड़ी- अररे… मार डालोगे क्या?

मैंने उनके चूतड़ सहलाये और आगे हाथ बढ़ा कर उनकी चूचियाँ दोनों साइड से दबाने लगा।

करीब 3-4 मिनट में भाभी फ़िर पानी छोड़ने लगी।

मैंने उसी पोज़ में उन्हें खड़ा किया, दीवार की तरफ मुँह किया और उनका एक पैर कमोड के ऊपर रखा।
और फ़िर तो मैंने भी राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदना शुरू किया।

भाभी उफ़ उफ़ आह अह्ह्ह कर रही थी।
मैंने उनके कानों के पास चूमा- जानू.. मजा आ रहा है ना?
भाभी- बहुत.. और जोर से करो!

अब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है… एक घंटे से ऊपर हो गया था.. मेरे अंडों में दबाव आ रहा था..

मैंने भाभी को वहीं बाथ टब के अंदर लिया और लिटाया, दोनों पैर फैलाये, घुटनों से ऊपर मोड़ कर एक झटके में अंदर डाला…

उनकी आँखें फ़िर बड़ी बड़ी हो गई लेकिन मैंने कुछ देखा नहीं और फ़िर ‘उफ्फ्फ़; वो धक्के लगाए कि भाभी की सांस फूलने लगी, वो सिर्फ अआह इश्ह्ह् इश्ह्ह्ह आआः कर रही थी।

मैं- जानू मेरा निकलने वाला है.. अंदर डालूँ या बाहर?
भाभी- एक बार तो अंदर डाल दिया है, अब बाहर क्यूँ? डाल अंदर तेरा माल!
मैं- तो लो आआह अह्ह्ह आह्ह ओह्ह ये लो मेरी जान…

और पूरा लंड उनके बच्चेदानी के ऊपर टिकाया और 1.. 2.. 3.. 4.. 5.. 6.. 7..
कितनी पिचकारी मारी कि मैं भूल गया और उनके ऊपर लेट गया।

करीब दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे.. मैंने फ़िर उठकर उन्हें चूमा।
उन्होने आँखें खोली- तुमने आज मुझसे बहुत बड़ा गुनाह करवा लिया.. आज के बाद मैं तुमसे बात भी नहीं करुँगी।
‘बात मत करना जान.. लेकिन ये काम तो करोगी ना?’
भाभी- बेशरम, अब मेरी जूती करेगी ये काम!

मैंने अपना लंड बाहर खींचा..
पूरा लथपथ.. उनकी चूत से सफ़ेद रस निकल रहा था और बाथ टब में फ़ैल रहा था।

मैंने उनकी गांड के छेद पर हाथ रख कर कहा- अभी तो इसका उदघाटन करना है.. अभी दो दिन और मैं यही रहूंगा.. तुम्हें माँ बना के ही जाऊँगा मैं।
वो बोली- ..क्क्या कहा? दो दिन में? मैं तो मर जाऊँगी!

मैंने धीरे से पूछा- जानेमन कैसा लगा?
वो कुछ बोली नहीं.. सिर्फ मुस्कुरा दी..

फ़िर हम दोनों ने एक दूसरे को नहलाया रगड़ रगड़ कर !
मेरा फ़िर खड़ा होने लगा था लेकिन भाभी जल्दी से तौलिया लपेट कर बाहर निकल गई।

तू मेरे पति से चुद ले मैं तेरे पति से चुद लुंगी - Tu Mere Pati Se Chud Le Main Tere Pati Se Chud Lungi

तू मेरे पति से चुद ले मैं तेरे पति से चुद लुंगी - Tu Mere Pati Se Chud Le Main Tere Pati Se Chud Lungi , पति बदलकर चुदाई , पत्नियों की अदला बदली में चोदा चादी.

मेरा नाम संगीता जैन है, मैं तेईस वर्षीया खूबसूरत और मांसल बदन की लड़की हूँ, मैं आधुनिक विचारों की हूँ और फैशनेबल तरीके से रहना मुझे अच्छा लगता है।
हम लोग चण्डीगढ़ शहर में अभी नए आए हैं, मेरे पति ॠषभ जैन एक दवा कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हैं और महीने में पंद्रह-बीस दिन बाहर के दौरे पर रहते हैं।

मेरे पति ॠषभ काफी खुले विचारों के इन्सान हैं, वे न केवल मेरे लिये सेक्सी और रोमांटिक किताबें खरीद कर लाते हैं बल्कि ब्ल्यू फिल्में भी मुझे दिखाते हैं, चुदाई के खेल में नये नये तरीके अपनाने के लिये उकसाते हैं, उनके कहने पर मैंने कई बार चुदाई के मामले में काफी मौज मस्ती की है, वे मेरी इस आदत का कभी बुरा नहीं मानते बल्कि खुश होते हैं।

हमने इस शहर में जो घर लिया है, इसके दो हिस्से हैं, जिसमें से एक में हम लोग रहते हैं और दूसरे हिस्से में एक अन्य नव दम्पति रहते हैं, उन दोनों के नाम नवीन और शीनू है, नवीन किसी ऑफिस में काम करते हैं, वे सुबह दस बजे घर से निकलते हैं और शाम को पाँच साढ़े पांच बजे के बीच वापस आते हैं, हाँ.. कभी कभी उन्हें भी दौरे पर बाहर भी जाना पड़ता है।

शीनू काफी सीधी-सादी युवती है, उसके साथ कुछ ही दिनों में मेरी अच्छी दोस्ती हो गई, हम लोग आपस में हर तरह की बातें कर लेती हैं, शीनू वैसे तो काफी संकोची स्वभाव की है लेकिन लड़कियाँ एक दूसरे को घर-बाहर की हर बात बता देती हैं, यही हाल शीनू का है, वह मुझे अपने परिवार की सारी बातें बता देती है, यहाँ तक कि हम दोनों अपनी सेक्स लाइफ के बारे में भी खुल कर बातें कर लेती हैं।

एक दिन शीनू ने मुझे बताया कि उसके पति नवीन को व्हिस्की पीने का शौक है और नशे में होने के बाद वे उसे काफी रात तक परेशान करते रहते हैं।

यह बात सुन कर मुझे उत्सुकता हुई, मैं उसे कुरेदने लगी कि वह इस बारे में और खुल कर बताए।

काफी कहने के बाद आखिरकार शीनू बताने को तैयार हुई, वह बोली- ये चाहते हैं कि हम लोग कमरे की लाईट जला कर पूरे नंगे होकर चुदाई करें, इतना ही नहीं, वे मुझे भी शराब पीने की भी जिद करते हैं, ताकि मैं भी उनकी तरह बेशर्म हो जाऊँ, कई बार ये मुझसे अपना लौड़ा चूसने को भी कहते हैं, लेकिन लौड़ा चूसना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता, लौड़ा चूसने में मुझे कई बार उबकाई आ जाती है।

शीनू ने बातों बातों में यह भी बताया कि नवीन का लौड़ा काफी मोटा और लम्बा है, चुदाई के दौरान वे काफी देर से झड़ते हैं, जितनी देर में वे एक बार झड़ते हैं, उतनी देर में शीनू दो बार झड़ जाती है।

‘मेरे पति ॠषभ की आदत उलटी है!’ शीनू की देखादेखी मैं भी बताने लगी- उन्हें अपना लौड़ा पिलाने में उतना मजा नहीं आता जितना की मेरी चूत चूसने में आता है, मुझे चित लिटा कर जब वे मेरी चूत पर जीभ फ़ेरते हैं और मेरी फांकों को अपने होंठों में दबा कर चूसते हैं तो मेरा पूरा बदन गर्म हो जाता है, यदि मर्द चूत को मुँह में रख कर औरत के साथ मुख मैथुन करे तो वाकई उसे बहूत मजा आता है।

शीनू बोली- संगीता तू कितनी खुश किस्मत है कि तेरा पति तेरी चूत को मुँह से चाटता और प्यार करता है, काश मेरे पति भी ऐसे होते, लेकिन उनकी निगाह में तो बीवी की चूत की सिर्फ इतनी ही अहमियत है कि उसे अपने डण्डे जैसे लौड़े से बुरी तरह ठोका पीटा जाये!

‘तू इतना निराश क्यों हो रही है शीनू?’ मैंने शीनू के गले में अपनी बाँहें डाल कर उसे अपने से चिपटाते हुए कहा- तेरी चूत चटवाने की ज्यादा इच्छा हो तो किसी दिन अपने ॠषभ से तेरी यह इच्छा पूरी करवा दूँ, बोल?

मेरी बात पर शीनू हंस कर रह गई।

लेकिन मैंने जब से उसके मुँह से यह सुना था कि उसके पति का लौड़ा काफी मोटा और लम्बा है और वह काफी देर से झड़ता है तब से मेरे मन में बार बार यह विचार पैदा हो रहा था कि काश एक बार किसी तरह मुझे नवीन का लौड़ा देखने को मिल जाये।

संयोग से कुछ दिन बाद ही मेरी यह इच्छा पूरी हो गई, शीनू ने एक दिन मुझे बताया कि उसकी शादी कि सालगिरह है और नवीन एक स्कॉच की बोतल लेकर आया है, वह रात में लाईट जला कर चुदाई भी करना चाहता है।

यह सुन कर मैंने शीनू को समझाया कि एक अच्छी बीवी की तरह आज की रात उसे यह सब करना चाहिये, जो कि उसका पति चाहता है।

मेरी बात शीनू की समझ में आ गई, वह बोली- तू ठीक कह रही है संगीता, पति को जिस चीज में ख़ुशी मिले औरत को वही काम करना चाहिये, मैंने सोच लिया है कि आज मैं स्कॉच भी पीऊँगी और इनके साथ खुल कर चुदाई भी करुँगी, आज मैं इनको पूरी तरह खुश कर देना चाहती हूँ।

शीनू की बात सुन कर मेरा दिमाग दौड़ने लगा, मैंने सोचा कि आज नवीन और शीनू अपने कमरे में लाईट जला कर चुदाई करेंगे, तो आज नवीन का लौड़ा देखने का काफी अच्छा मौका है।
यह इच्छा काफी दिन से मेरे मन में अंगडाई ले रही थी, लेकिन उसके पूरा होने का वक्त आज आया था।
शा
म को शीनू और नवीन घूमने चले गए, बाहर से पिक्चर और खाना खाने के बाद लगभग दस बजे वे लोग वापस आए, मैं उनके इन्तजार में अभी तक जाग रही थी।

शीनू और मेरे बैडरूम के बीच में सिर्फ एक खिड़की थी, जो बंद रहती थी लेकिन दूसरी तरफ लाईट जलती हो तो खिड़की की दरार से दूसरी और दिख जाता था, मैंने सोच लिया था कि मैं इसी दरार का फायदा उठाऊँगी।

करीब साढ़े दस बजे मैंने अपने कमरे की बत्ती बुझा दी और खिड़की के पास जम गई।

जैसे ही मैंने दरार से झाँका तो पता चला कि शीनू और नवीन के प्यार का खेल शुरू हो चुका है।
शीनू ने पूरा मेकअप कर रखा था और वह काफी सुन्दर लग रही थी, इस समय वह अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार चुकी थी और केवल लाल रंग का पेटीकोट और काले रंग की डिजाइनर ब्रा उसके बदन पर शेष थी।

उधर नवीन के जिस्म पर केवल अंडरवीयर था, उसका विशाल सीना और जाँघों के जोड़ पर उसका उठा हुआ अंडरवीयर साफ़ चमक रहा था।

नवीन ने पहले शीनू को अपनी गोद में बिठाया और उसके होंठों को चूसने लगा, जवाब में शीनू भी उसे चूमने लगी।

कुछ देर बाद वे पूरी तरह नंगे हो कर चुदाई में लग गये।

मैं हैरानी से नवीन के बदन की मजबूती देखती रह गई।
शीनू का कहना बिल्कुल सच था कि उसका पति देर से झड़ता है, उसके जबरदस्त धक्कों से शीनू तो थोडी देर में ही झड़ गई थी, लेकिन नवीन फिर भी उसकी चूत में लौड़ा डाले पड़ा रहा और अपनी बीवी की चूचियों को मसलता रहा और उसके होंठों को चूसता रहा।

कुछ ही देर में शीनू दोबारा गर्म हो गई और अपने पति के धक्कों का जवाब धक्कों से देने लगी, नवीन जोर जोर से लौड़ा उसकी चूत में अन्दर बाहर करता रहा।

करीब बीस मिनट की रगड़ाई के बाद दोनों बारी बारी से झड़ गये।
अब शीनू के साथ साथ नवीन भी पूरा संतुष्ट नजर आ रहा था।

नवीन का दमदार लौड़ा देख कर मेरा मन लालच में पड़ गया, दूसरे मर्दों के प्रति मेरे विचार काफी खुले हुए थे, क्योंकि मेरे पति ॠषभ जैन ने शादी के तुरन्त बाद से ही मुझे अपने दोस्तों से मिलवाना शुरु कर दिया था।
वे लोग ना केवल मेरे साथ हंसी मजाक करते थे बल्कि कई बार तो मेरे बदन से भी छेड़छाड़ कर लेते थे, यह सब चोरी छिपे नहीं होता था बल्कि खुले आम होता था और मेरे पति भी उस वक्त मौजूद रहते थे।
मेरे पति की तरह उनके सारे दोस्त भी काफी खुले दिमाग थे, ॠषभ उन लोगों की बीवियों के बदन पर खुलम-खुल्ला हाथ डाल देते थे, पर वे लोग बुरा नहीं मानते थे।

चूँकि मैं अपने पति ॠषभ का स्वभाव जानती थी, इसलिए नवीन के लौड़ा को देखने के बाद मैंने मन में ठान लिया था कि मैं ॠषभ को सब कुछ बता कर नवीन से चुदवाऊँगी।
मैंने यह भी सोच लिया था कि मैं किसी ना किसी बहाने शीनू को ॠषभ से चुदवाने के लिए राजी कर लूँगी, ताकि ॠषभ को यह सारा खेल एक तरफा ना लगे।

अपनी योजना पर चलते हुए मैंने शीनू के साथ सेक्सी मैगजीनों का आदान-प्रदान शुरू कर दिया। बीच बीच में मैं उसे बताती रहती कि मेरे पति ॠषभ उसे बहुत पसन्द करते हैं और मुझसे कहते रहते हैं कि शीनू कितनी सेक्सी औरत है।

यह सब सुन कर शीनू काफी खुश हो जाती थी, कई बार वह मजाक में कहती- संगीता, अगर मैं तेरे पति ॠषभ को फांस लूँ तो तू क्या करेगी?

‘करना क्या है, मेरी जान?’ मैं भी हंस कर बोल देती- तू ॠषभ को फंसाएगी तो मैं तेरे पति नवीन को फंसा लूँगी, कितना मोटा और सख्त लौड़ा है नवीन का, कितना मजा आयेगा जब तेरे पति मुझे अपनी जाँघों के बीच दबायेंगे और मेरे पति तेरी चुसवाने को बैचैन चूत को जम कर चूसने के बाद जम कर चोदेंगे। समझ ले, उसके बाद तो हम लोगों की दोस्ती और भी पक्की हो जायेगी।

इतना कह कर मैं और शीनू एक दूसरे से लिपट जाती।

चूँकि मैं अपने पति ॠषभ का स्वभाव जानती थी, इसलिए नवीन के लौड़ा को देखने के बाद मैंने मन में ठान लिया था कि मैं ॠषभ को सब कुछ बता कर नवीन से चुदवाऊँगी।
मैंने यह भी सोच लिया था कि मैं किसी ना किसी बहाने शीनू को ॠषभ से चुदवाने के लिए राजी कर लूँगी, ताकि ॠषभ को यह सारा खेल एक तरफा ना लगे।

अपनी योजना पर चलते हुए मैंने शीनू के साथ सेक्सी मैगजीनों का आदान-प्रदान शुरू कर दिया। बीच बीच में मैं उसे बताती रहती कि मेरे पति ॠषभ उसे बहुत पसन्द करते हैं और मुझसे कहते रहते हैं कि शीनू कितनी सेक्सी औरत है।

यह सब सुन कर शीनू काफी खुश हो जाती थी, कई बार वह मजाक में कहती- संगीता, अगर मैं तेरे पति ॠषभ को फांस लूँ तो तू क्या करेगी?

‘करना क्या है, मेरी जान?’ मैं भी हंस कर बोल देती- तू ॠषभ को फंसाएगी तो मैं तेरे पति नवीन को फंसा लूँगी, कितना मोटा और सख्त लौड़ा है नवीन का, कितना मजा आयेगा जब तेरे पति मुझे अपनी जाँघों के बीच दबायेंगे और मेरे पति तेरी चुसवाने को बैचैन चूत को जम कर चूसने के बाद जम कर चोदेंगे। समझ ले, उसके बाद तो हम लोगों की दोस्ती और भी पक्की हो जायेगी।

इतना कह कर मैं और शीनू एक दूसरे से लिपट जाती।

इसी बीच मेरे पति घर आये, मैंने उन्हें भी बताया की शीनू उन्हें बहुत पसंद करती है और जब भी मैं उसे बताती हूँ कि चुदाई के समय आप किस तरह से मेरी चूत को चूसते हैं तो वह बुरी तरह उत्तेजित हो जाती है।

ये बातें सुन कर ॠषभ बहुत खुश हुए और कहने लगे- डार्लिंग, शीनू है तो काफी खूबसूरत, किसी रोज उसे पटा कर बैडरूम में ले आओ तो उसे अपने लौड़ा का मजा चखा दूँ!

‘शीनू तो कब से बैचैन है डार्लिंग!’ मैंने अपने पति से झूठमूठ कहा- वह कई बार कह चुकी है कि किसी रोज अपने हसबेंड से मेरा क्रॉस करवा दो, लेकिन मैंने हामी नहीं भरी, आखिर तुमसे पूछना भी तो जरूरी था।

‘कमाल करती हो डार्लिंग!’ ॠषभ बोले- ऐसे कामों के लिये भी पूछने की जरूरत होती है क्या? अरे यार, शीनू जैसी मांसल और गठीली औरत को चोदने के लिये तो मैं आधी रात को घने जंगल तक में जा सकता हूँ।

‘तो फिर ठीक है, मैं आज ही शीनू को हरा सिगनल दे देती हूँ!’ मैंने कहा- लेकिन डीयर, मेरी भी एक शर्त है, अगर तुम शीनू के साथ धक्कम धक्का करोगे तो मैं भी उसके हसबेंड नवीन के साथ चुदाई का मजा लूँगी, तुम्हें इसमें कोई आपत्ति तो नहीं?

‘कमाल करती हो संगीता, यह भी कोई आपत्ति करने लायक बात है? अरे यार, हम पढ़े लिखे और मॉडर्न लोग हैं, हमें अपना जीवन पूरी आज़ादी के साथ गुजारने का हक़ है, मेरी तरफ से तुम्हें पूरी आज़ादी है कि तुम नवीन के साथ जम कर चुदाई का मजा लूटो, चार दिन की यह जवानी है, हमें इसका भरपूर मजा लेना चाहिये।’ ॠषभ बोले।

फ़िर तो मैं नवीन को फंसाने को पूरी तरह तैयार हो गई, नवीन दो तीन दिन बाद ही दौरे पर चले गये, संयोग से इसी बीच शीनू की माँ की बिमारी का फोन आ गया, उसे फौरन अपने मायके जाना पड़ा, जाते जाते वह अपने पति के खाने पीने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर डाल गई जिसे मैंने ख़ुशी ख़ुशी मान ली।

अगले दिन मैंने अपनी कामवाली को पूरे दिन कि छुट्टी दे दी, वह रविवार का दिन था, नहा धोकर मैंने जींस और स्लीवलेस शर्ट पहनी और होंठों पर कॉफी कलर की लिपिस्टिक लगा ली।

दोपहर में नवीन को मैंने अपने घर पर बुला कर खाना खिलाया, खाना खाते समय वह बार बार कनखियों से मुझे देख रहा था, मैं समझ गई मेरी खूबसूरती उसे घायल कर दे रही है।

जब वह खाना खाकर जाने लगा तो मैं उससे लिपट गई और बोली- मेरा जी बहुत घबरा रहा है नवीन, प्लीज, इस वक्त मुझे छोड़ कर मत जाओ।

उससे लिपटते वक्त मैंने इस बात का खास ध्यान रखा था कि ब्रा में तनी हुई मेरी गोल गोल चूचियाँ नवीन के सीने से अच्छी तरह सट जायें।

मेरी बात मान कर नवीन वहीं बैठ गया, उसने इस समय केवल बनियान और लुंगी पहन रखी थी।
मेरा मन हो रहा था कि उसके ये दोनों कपड़े हटा कर उसके लौड़े को बाहर निकाल लूँ और उसे जी भर कर प्यार करूँ।

नवीन मुझे एकटक देख रहा था, मैंने उसकी ओर मादक निगाहों से देख कर अपनी आँख मार दी।
अब तो नवीन को जोश आ गया, शायद उसे मेरे मनोभावों का अंदाज हो गया था, उसने अपनी बनियान उतार दी और मेरे पास आकर बैठ गया, मैं अपनी हथेली उसके सीने पर फिराने लगी, फ़िर अचानक मैंने उसे चूम लिया।

फिर तो नवीन पूरा मर्द बन गया, उसने मेरी शर्ट जींस ब्रा और पेंटी तक उतार डाली और अपनी लुंगी भी खोल फेंकी।
मैंने जैसे ही उसकी दोनों जाँघों के बीच लटकते उसके लण्ड को देखा तो अपने नंगेपन का ख्याल छोड़ कर मैं उस पर झपट पड़ी और अपने हाथों से उसे दबोच लिया, फिर उसे अपने होंठों से चूमती चाटती हुई मैं चटखारे लेने लगी।

फ़िर हम दोनों जोरदार धक्का मुक्की में लग गए, कुछ ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया लेकिन नवीन अभी भी पूरी तरह मजबूती से मैदान में डटा हुआ था, वह मेरा पानी छुट जाने के बाद भी मेरी चूचियों को प्यार से सहलाता रहा और मेरी जाँघों और मेरी चूत को हौले हौले मसलता रहा।
कुछ देर में मेरे बदन में दोबारा आग लग गई, मैं भी नवीन के लण्ड से खेलने लगी।

फिर तो नवीन ने मुझे दोबारा चित कर दिया और मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया।
मैं उछल उछल कर उसका उत्साह बढ़ाने लगी और वह कमर हिला हिला कर मेरी चूत पर जोरदार धक्के मारने लगा, मैंने अपने आप को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन नवीन के लौड़ा ने मेरी कसी हुई चूत में ऐसी खलबली मचा दी थी की थोडी ही देर में मैं दोबारा झड़ गई,

इस बार नवीन ने मेरा पानी छूटने के बाद भी मुझे छोड़ा नहीं और मेरी चूत पर जोर जोर से धक्के मारता चला गया। शायद वह भी झड़ने के करीब आ चुका था, कई जोरदार धक्के मारने के बाद वह अपने आठ इंच के लौड़ा को जड़ तक मेरी चूत में घुसा कर मेरे ऊपर औंधा पड़ गया, उसके बदन में काफी जोर की सिहरन हुई और उसके साथ ही उसके लौड़े ने मेरी चूत में गर्मागर्म लावा उगल दिया।
मैंने खुशी में उसको अपनी मांसल बाँहों में बाँध लिया और उसके चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर दी।

अब मेरा मकसद तो पुरा हुआ, लेकिन मुझे अब अपने पति से किया वायदा पूरा करना था।
इसलिए कुछ दिन के बाद जब नवीन घर में नहीं था, मैंने उसकी बीबी शीनू को अपने घर बुला कर ॠषभ के हवाले कर दिया, हालांकि काफी दिनों से शीनू का मन ॠषभ के साथ चुदाई का आनन्द लेने का था क्योंकि मैंने उसे बता रक्खा था कि ॠषभ को औरत की चूत चूसने और चाटने का महारत हासिल है।
लेकिन कुछ तो वह शर्माती थी और कुछ वह अपने पति से डरती थी, इसलिए मैंने नवीन के बाहर ज़ाने पर ही रंगारंग कार्यक्रम का प्रोग्राम रखा था और शीनू की शर्म दूर करने के लिये मैंने उससे वायदा किया था कि जिस वक्त ॠषभ उसके साथ चुदाई करेगा, मैं उसके करीब मौजूद रहूँगी।

आपने कभी किसी औरत के बारे में नहीं पढ़ा या सुना होगा कि कोई औरत खुद किसी पराई औरत को अपने पति के बिस्तर पर ले जाकर उन दोनों का यौन सम्बन्ध कराया हो?
लेकिन मैंने खुद इस काम को अंजाम दिया, अपनी पड़ोसन शीनू को ॠषभ के बिस्तर पर ले जाकर मैंने खुद अपने हाथों से बारी बारी उन दोनों के कपड़े खोले, फिर मैं अपने कपड़े भी उतारने लगी।

चूँकि मैंने ॠषभ को बता रखा था कि शीनू को अपनी चूत चुसवाने का काफी शौक है,लेकिन उसका पति नवीन उसकी चूत चाट कर उसे वह सुख नहीं देता, अतः शीनू के नंगे होते ही ॠषभ उसकी कमर की ओर चेहरा करके लेट गया और दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर जमा कर उसकी चूत चूसने लगा, फिर उसने अपनी जुबान बाहर निकाली और शीनू की मलाई जैसी त्वचा पर फिराने लगा।

चूत पर ॠषभ की जुबान लगते ही शीनू बेचैन हो गई, वह दोनों हाथों से ॠषभ के सिर और चेहरे को सहलाने लगी और गांड उचका कर अपनी चूत उसके होंठ पर छुआने लगी। इससे ॠषभ का जोश बढ़ता चला गया, उसने शीनू की चूत की सुडौल मोटी मोटी फांकों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हें चोकलेट की तरह चबाने लगा।

शीनू का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया, वह अपने पूरे बदन को बुरी तरह तोड़ने मरोड़ने लगी।
मैं औरत होने के नाते उसकी बैचैनी को समझ सकती थी, इस वक्त तक मैंने खुद को भी पूरी तरह नंगा कर लिया था, उसी हालत में मैं शीनू के पास जाकर घुटनों के बल बैठ गई और उसकी चूचियों को हाथ से धीमे धीमे सहलाने लगी।

शीनू की चूचियाँ उत्तेजना के कारण पूरी तरह तन गई थी और उसके दोनों निप्पल भी सख्त हो गये थे, मैं झुक कर उसकी चूचियों पर जुबान फिराने लगी, फिर उसके एक निप्पल कों दांतों के बीच रख कर काटने लगी।

‘हाय संगीता, कितनी अच्छी है तू!’ शीनू ने सिसिया कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया- तेरे जैसी प्यारी सहेली मुझे पहले क्यों नहीं मिली?

तभी ॠषभ का हाथ मेरे कूल्हों पर आ गया और गांड को टटोलते टटोलते उन्होंने एक अंगुली मेरी चूत में घुसेड़ दी, उनकी इस हरकत से मैं भी उत्तेजित हो गई और पलट कर उन्हें देखती हुई बोली- अंगुली से काम नहीं चलेगा डार्लिंग, मुझे तो तुम्हारी तीसरी टांग चहिये, यही मेरी प्यास बुझा पायेगी।

‘सॉरी, डार्लिंग, मेरी तीसरी टांग की बुकिंग तो आज शीनू ने करवा रखी है, अगर तीसरी टांग से मैंने तुम्हारी सेवा की तो बेचारी शीनू प्यासी रह जायेगी, मैं नवीन तो हूँ नहीं जो की खुद झड़ने के पहले औरत को दो दो बार झडवा दूँ।’ ॠषभ बोले और मेरी ओर देख कर मुस्कुराने लगे।

मैं ॠषभ का यह कहने का मतलब तुरन्त समझ गई, दरअसल नवीन के साथ चुदाई करने के बाद अपने पति से उसकी मर्दानगी और मजबूती की काफी तारीफ़ की थी, इसी लिये उन्होंने इस समय यह बात मजाक में कही थी लेकिन उनके इस नहले का जवाब मैंने दहले से दिया, मैं बोली- डार्लिंग, तुम नवीन भले ना हो, लेकिन उससे कम भी नहीं हो, मैं जानती हूँ कि तुम अपनी पर उतर जाओ तो दो क्या, चार चार औरतों को पानी पिला सकते हो।

‘थेंक यू, मेरी जान, तुम्हारी इस बात ने मेरा जोश दस गुना बढ़ा दिया है।’ ॠषभ बोले।

‘अब तुम मेरा कमाल देखो, मैं पहले शीनू को चोदूँगा, फिर तुम्हारी चूत की आग ठंडी करूँगा।’ इतना कह कर उन्होंने शीनू की दोनों टांगों को उपर की ओर मोड़ दिया और उसकी चूत को चुटकियों से मसलने लगे।

ॠषभ के मुँह से चूत चटवाने का स्वाद ले चुकने के कारण उसकी चूत पहले ही गीली हो चुकी थी अतः कुछ देर हाथ से मसलने के बाद ज्यों ही अपना लौड़ा उसकी चूत में डाल कर चोदना शुरू किया, वह बार बार काँपने लगी।
उसकी हालत देख कर मैं समझ गई कि वह ज्यादा देर तक ॠषभ की मर्दानगी का सामना नहीं कर पायेगी और आखिरकार यही हुआ, ॠषभ ने मुश्किल से बारह चौदह धक्के ही मारे होंगे की शीनू बुरी तरह सिसियाती हुई उनसे चिपक गई, उसकी हालत दीवार पर चिपकी छिपकली जैसी दिख रही थी।

शीनू को अपने से अलग करने के बाद ॠषभ ने मेरी जाँघों के बीच आसन लगा लिया, काफी देर तक लौड़ा चूत की आपस की लड़ाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गये।

उस दिन के बाद से शीनू और मेरा एक दूसरे के पतियों के साथ चुदाई का सम्बन्ध बराबर बना हुआ है, जब भी हम में से किसी का पति किसी काम से बाहर जाता है तो उसकी बीवी दूसरे के पति से अपनी चूत की गर्मी शांत करती है, आपसी सहमति का यह खेल पिछले दो सालों से चल रहा है, केवल शीनू के पति नवीन इस पूरी हकीकत से अनजान है, वह यही समझता है कि मैंने उसके साथ सम्बन्ध बना रखे हैं, लेकिन उसकी बीवी शीनू बिल्कुल सीधी सादी और शरीफ है।

अभी हमने नवीन को हकीकत बताया नहीं है, शीनू डरती है उसके बताने से कोई गड़बड़ ना हो जाये।

सफर में सेक्सी भाभी की मस्त चुदाई - Safar Me Sexy Bhabhi Ki Mast Chudai

सफर में सेक्सी भाभी की मस्त चुदाई - Safar Me Sexy Bhabhi Ki Mast Chudai , सफ़र के दौरान भाभी को चोदा , गांड मारी , चूत गांड का बाजा बजाया , चोद कर खुश कर दी.

मिताली और उनके पति पंकज सहारनपुर में रहते थे, पंकज सरकारी बैंक में नौकरी करते थे, लेकिन उनका तबादला पटियाला हो गया था तो वे अपना कुछ सामान पटियाला लेकर जा रहे थे, वैसे तो काफ़ी सामान उन्होंने छोटे ट्रक से भेज दिया था पर कांच की कुछ चीज़ें, क्रॉकरी आदि अपनी कार से लेकर जा रहे थे।

हर्षित नाम का एक युवक उनके पड़ोस में ही रहता था। सामान कुछ ज़्यादा था इसलिये पंकज ने हर्षित को भी साथ चलने को कहा ताकि वहाँ जाकर सामान गाड़ी से उतारकर रखवाने में ज़्यादा दिक्कत ना हो।

रविवार का दिन होने के कारण हर्षित के कॉलेज की छुट्टी थी और वैसे भी हर्षित मिताली भाभी का कहा हुआ कभी नहीं टालता था। उनका बात करने का तरीका ही इतना लुभावना था कि जब भी वो प्यार से कोई भी काम कहती, हर्षित मना ना कर पाता था।

सितम्बर का महीना था। हर्षित की पूरी सुबह मिताली भाभी और उनके पति पंकज का सामान उनकी गाड़ी में रखवाने में निकल गई थी।

पंकज और मिताली की शादी को अभी ढाई साल ही हुए थे, अभी तक उनके कोई बच्चा नहीं हुआ है।
मिताली भाभी पंजाबी परिवार से हैं और बला की खूबसूरत हैं, उनका गोरा रंग, नीली आँखें, गदराया बदन और गुलाबी होंठ किसी भी उम्र के मर्द को पागल कर दें, और फ़िर हर्षित तो एकदम युवा है, सिर्फ़ उन्नीस साल का, उस पर मिताली भाभी का जादू चलना लाज़मी था।

वो हर्षित के पड़ोस में दो सालों से रह रही थीं, इतने समय में हर्षित और मिताली भाभी काफ़ी घुलमिल गए थे।

हर्षित तो पहले दिन से ही मिताली भाभी के हुस्न का दीवाना था।

उस दिन सुबह से ही हर्षित, मिताली भाभी और उनके पति गाड़ी में सामान रखते-रखते पसीने से लथपथ हो चुके थे।

गाड़ी सामान से लगभग भर ही चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे सारा सामान रखने के बाद किसी और के बैठने की जगह ही नहीं बचेगी।
तभी पंकज घर के अन्दर गए ताकि आखिरी बचा हुआ सामान ला सकें।

हर्षित और मिताली भाभी ने जैसे ही उन्हें घर से बाहर आने की आहट सुनी तो मुड़ कर देखा तो दोनों हैरान रह गये।
पंकज अपना 42 इंच का टीवी उठाए आ रहे थे।

‘अब इस टीवी को कहाँ रखेंगे?’ हर्षित ने मिताली भाभी को बोलते सुना।

‘मुझे नहीं पता, पर इसके बिना मेरा काम नहीं चलने वाला। इसे तो मैं लेकर ही जाऊँगा। थोड़ा बहुत सामान इधर-उधर खिसका कर जगह बन ही जायेगी।’ पंकज बोले।

हर्षित ने पिछली सीट पर देखा और कहा- पीछे तो जगह नहीं है। मेरे ल्ह्याल से आगे वाली सीट पर ही रखना पड़ेगा?
‘अच्छा? तो फ़िर तुम्हारी भाभी कहाँ बैठेंगी?’ पंकज बोले।

उनके चेहरे से लग रहा था जैसे वो गहन चिंतन में डूबे हुए हैं और कोई न कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने टीवी आगे वाली सीट को लेटाकर इस तरह से रखा कि आधा टीवी आगे ड्राईवर के साथ वाली सीट पर और आधा ड्राईवर के ठीक पीछे वाली सीट पर आ गया।

फ़िर हर्षित से पीछे वाली सीट पर बैठने को कहा।

हर्षित के बैठते ही उन्होंने मिताली भाभी को भी हर्षित के साथ बैठने को कहा और गाड़ी का दरवाज़ा बन्द करने की कोशिश करने लगे, पर काफ़ी कोशिश करने के बाद भी दरवाज़ा बन्द नहीं हुआ।

भाभी कहने को मोटी तो नहीं थी पर जगह ही इतनी कम थी कि किसी भी हालत में दो जने वहाँ नहीं बैठ सकते थे।

भाभी ने अपने पति को समझाने की कोशिश की- एक काम करते हैं, आज टीवी यहीं छोड़ दीजिये। आप जब अगली बार जायेंगे तो ले जाना।

‘बिल्कुल भी नहीं… कल से क्रिकेट के मैच शुरू हो रहे हैं, मेरा काम नहीं चलने वाला टीवी के बिना!’ वो बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थे।

भाभी पहले ही गर्मी से परेशान थीं, उनके चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिखाई देने लगा था, उन्होंने झल्ला कर कहा- देखिये, फ़टाफ़ट फ़ैसला कीजिए, इतनी कम जगह में दो लोग नहीं आ सकते।

या तो आप अपना टीवी छोड़ दीजिये, या फ़िर हर्षित को मेरी गोद में बैठना पड़ेगा और मुझे नहीं लगता कि मैं हर्षित का वज़न झेल पाऊँगी!

इतना सुनते ही उनके पति ने झट से कहा- अरे हाँ! यह तो मैंने सोचा ही नहीं था। एक काम करो, तुम हर्षित की गोद में बैठ जाओ। वैसे भी तुम हल्की सी ही तो हो, हर्षित को ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी। रास्ता भी इतना लम्बा नहीं है, बस कुछ घण्टों की तो बात है।

पंकज हर्षित को बच्चा ही समझते थे, इसलिए उन्हें इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी कि उनकी बीवी हर्षित की गोद में बैठे।

‘आपका दिमाग तो ठीक है? इतनी गर्मी में यह परेशान हो जायेगा।’ भाभी ने अपने पति को गुस्से से घूरते हुए कहा।

‘कोई दिक्कत नहीं है भाभी! वैसे भी रास्ता इतना लम्बा नहीं है और ऊपर से दूसरा कोई तरीका नहीं है।’ हर्षित ने कहा।

तभी पंकज भी बोले- सही बात है मिताली, मान जाओ ना?

मिताली भाभी के पास पंकज की बात मान लेने के सिवा कोई चारा नहीं था, उन्होंने कहा- चलो ठीक है। अगर हर्षित को दिक्कत नहीं है तो ऐसे ही कर लेते हैं। लेकिन अगर रास्ते में हर्षित को दिक्कत हुई तो थोड़ी देर गाड़ी रोक लेंगे।

भाभी ने हर्षित की ओर देखा तो उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।

भाभी ने कहा- तो ठीक है। चलो सब नहा लेते हैं, गर्मी बहुत है। फ़िर चलेंगे।

हर्षित अपने घर गया और फ़टाफ़ट नहा-धोकर वापिस आ गया। रास्ता साढ़े तीन से चार घण्टे का था और काफ़ी गर्मी होने वाली थी इसलिए हर्षित ने थोड़े आरामदायक कपड़े पहनने का फ़ैसला किया और अपनी टी-शर्ट और निकर ही पहन ली।

मिताली और पंकज भी थोड़ी देर में तैयार होकर आ गए।

भाभी ने भी गर्मी को ध्यान में रखते हुए एक पतला सा कुर्ता और सलवार ही पहनी थी। पंकज ड्राईवर सीट पर बैठ गए और हर्षित पीछे की सीट पर बैठ गया। भाभी भी पीछे वाली सीट पर हर्षित की गोद में बैठ गई और गाड़ी का दरवाज़ा बन्द कर दिया।

‘तुम ठीक से बैठे हो ना?’ भाभी ने हर्षित से पूछा।

‘जी भाभी, आप चिन्ता मत करो। मुझे कोई दिक्कत नहीं है। आप तो एकदम हल्की सी हैं!’ हर्षित ने जवाब दिया तो भाभी मुस्कुराए बिना न रह सकी।

तभी उन्होंने अपने पति को चलने को कहा। उनके पति को सिर्फ़ उनका सिर ही दिखाई दे रहा था क्योंकि सारी जगह उनके टीवी ने घेर रखी थी।

‘तुम ठीक से बैठी हो ना?’ उनके पति ने पूछा।

भाभी अपनी जगह पर थोड़ा हिली और बोली- हाँ! एकदम ठीक हूँ।

गाड़ी चल पड़ी और चलते ही पंकज ने गाने चला दिये।
सफ़र लम्बा था। करीब एक घण्टा बीत गया था और गाड़ी अपनी पूरी रफ़्तार से चली जा रही थी।
मिताली आराम से बैठी गाने सुन रही थी कि तभी उन्हें अपने नीचे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ।

उन्होंने खुद को थोड़ा हिलाकर ठीक करने की कोशिश की पर अभी भी उन्हें कुछ चुभ रहा था।

वो थोड़ा ऊपर उठी और फ़िर ठीक से बैठ गई, पर अभी भी मिताली को अपने नीचे कुछ महसूस हो रहा था।

हर्षित साँस रोके चुपचाप बैठा था कि अब तो भाभी को पता लग ही जायेगा कि क्या हो रहा है।

‘मैं जब बैठी थी तब तो यहाँ ऐसा कुछ नहीं था तो अब कहाँ से…’ मिताली खुद से बातें कर रही थी और तभी अचानक से उन्हें अंदाज़ा हुआ कि वह चुभने वाली चीज़ क्या है।

मिताली के गोद में बैठने के कारण हर्षित के लंड में तनाव आ रहा था और वही मिताली की गांड की दरार में चुभ रहा था।

‘हे भगवान! हर्षित का लंड मेरे बैठने के कारण खड़ा हो गया है।’ मिताली ने मन ही मन सोचा, ‘मुझे उम्मीद नहीं थी के आज भी मेरी वजह से किसी जवान लड़के का लंड खड़ा हो सकता है। कितना बड़ा होगा हर्षित का लंड? क्या सोच रहा होगा वह मेरे बारे में मन ही मन? क्या उसे भी मेरे चूतड़ों के बीच की खाई महसूस हो रही है?’ मिताली का मन ऐसे रोमांचक सवालों से प्रफ़ुल्लित हो उठा था।

मिताली ने नीचे कि ओर देखा तो उनका कुर्ता भी खिसक कर ऊपर उठ गया था और उनकी नाभि साफ़ दिखाई दे रही थी। एक बार तो मिताली ने सोचा कि कुर्ता नीचे कर लिया जाये, पर फ़िर मिताली ने हर्षित को थोड़ा तंग करने के इरादे से उसे वैसा ही रहने दिया।

मिताली को यह विचार बड़ा रोमांचित कर रहा था कि उनकी वजह से हर्षित उत्तेजित हो रहा है।

हर्षित के हाथ उनके दोनों तरफ़ सीट पर टिके हुए थे।
चलते-चलते एक घण्टे से ज़्यादा हो चुका था, पर अभी भी कम से कम दो ढाई घण्टे का सफ़र बाकी था।

मिताली जानती थी कि पंकज को उनके सिर के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था कि नीचे क्या हो रहा है। उनके टीवी के आड़ में सब कुछ छुपा हुआ था।

तभी मिताली ने महसूस किया कि हर्षित थोड़ा उठकर अपने आप को व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा था।

जैसे ही हर्षित दोबारा बैठा तो उसका लण्ड ठीक भाभी के चूतड़ों के बीच में आ गया।

मिताली का मन इस एहसास से और भी रोमांचित हो उठा और वो मन ही मन कामना करने लगी कि हर्षित कुछ ना कुछ और करे।

‘तुम ठीक से बैठे हो ना हर्षित?’ मिताली ने पूछा।

‘हाँ भाभी! मैं तो एकदम ठीक हूँ। आपको तो कोई दिक्कत नहीं हो रही ना?’ हर्षित ने इस उम्मीद में पूछा कि अगर भाभी को उसके लंड की वजह से कोई दिक्कत होगी तो वो इशारों में कुछ कहेंगी।

लेकिन मिताली ने कहा- ‘बिल्कुल नहीं! बल्कि मुझे तो अच्छा ही महसूस हो रहा है ऐसे बैठकर। तुम्हारे दोनों हाथ एक ही जगह रखे-रखे थक तो नहीं गए ना?’
हर्षित को भरोसा नहीं हो रहा था कि भाभी ने सच में वो सब कहा है, उसने जवाब दिया- हाँ भाभी, थोड़ा सा..

‘एक काम करो, तुम अपने दोनों हाथ यहाँ रख लो।’ कहकर मिताली ने हर्षित के दोनों हाथ अपनी दोनों जांघों पर रखवा लिये।

‘अब ठीक है?’

‘हाँ, अब तो पहले से बहुत बेहतर है।’ हर्षित ने खुश होकर कहा।

मिताली ने नीचे की ओर देखा तो पाया कि हर्षित ने अपनी दोनों हथेलियाँ उनकी दोनों जांघों पर रख ली थी और उसके दोनों अँगूठे मिताली की चूत के बहुत पास थे।

मिताली मन में सोचने लगी के अगर हर्षित थोड़ा सा भी अपने अँगूठों को अन्दर की ओर बढ़ाए तो उनकी चूत को सलवार के ऊपर से छू सकता है, पर मिताली जानती थी कि हर्षित इतनी आसानी से इतनी हिम्मत नहीं करने वाला।

हर्षित की छुअन से मिताली की चूत से रस निकलने लगा था और उनकी पैंटी भीगने लगी थी, उन्हें लग रहा था कि थोड़ी ही देर में यह गीलापन उनकी सलवार तक पहुँच जायेगा और तब अगर हर्षित ने उसे छू लिया तो वह समझ जायेगा भाभी के मन में क्या चल रहा है और वो कितनी गर्म हो चुकी हैं।

मिताली ने खुद ही हिम्मत करके बात आगे बढ़ाने की सोची और अपने दोनों हाथ हर्षित के हाथों पर रख लिये।

देखने में भाभी की यह हरकत बड़ी ही स्वाभाविक सी लग रही थी। फ़िर उन्होंने हर्षित के हाथों को ऊपर से धीरे-धीरे मसलना शुरू किया।

मिताली ने एक बार सिर उठाकर अपने पति की ओर देखा। अपने पति के इतनी पास होते हुए हर्षित के साथ ऐसी हरकतें करना उन्हें बड़ा ही रोमांचित कर रहा था।
मिताली ने हर्षित के हाथों को मसलते-मसलते उन्हें धीरे-धीरे ऊपर की ओर खिसकाने की कोशिश की ताकि हर्षित के हाथों को अपने चूत के ठीक ऊपर ला सके।

हर्षित भी अब तक समझ चुका था कि भाभी क्या चाह रही हैं, वह खुद भी वासना से भर कर पागल हुआ जा रहा था।

मिताली ने नीचे की ओर देखा तो हर्षित अपने दोनों हाथ भाभी की टाँगों के ठीक बीच में ले आया था और अपने दोनों अँगूठों से भाभी की चूत को उनकी सलवार के ऊपर से हल्के-हल्के सहलाने लगा था।

मिताली ने हर्षित का एक हाथ पकड़कर अपनी चूत के बिल्कुल ऊपर रख लिया और अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया जिससे हर्षित अच्छे से भाभी की चूत को उनकी गीली हो चुकी सलवार और पैंटी के ऊपर से सहला पा रहा था।

मिताली ने हर्षित का हाथ पकड़कर ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया तो हर्षित ने भी भाभी की चूत को थोड़ा और ज़ोर से रगड़ना शुरू कर दिया।

अब मिताली भी वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी, उन्होंने अपने हाथ हर्षित के हाथों के ऊपर से हटा लिए थे पर हर्षित ने अपने हाथ वहीं रखे और भाभी की चूत को रगड़ना बन्द कर दिया।

मिताली बेसब्री से इंतज़ार करने लगी कि हर्षित कुछ करे, पर शायद हर्षित आगे बढ़ने में अभी भी डर रहा था।

लेकिन मिताली जानती थी कि उसका डर कैसे दूर करना है, मिताली ने हर्षित का एक हाथ पकड़ा और उसे उठाकर अपने पेट पर अपनी सलवार के नाड़े के ठीक ऊपर रख दिया और उसके हाथ को दबा दिया और दूसरे हाथ से अपना नाड़ा खोलने लगी।

नाड़ा खोलते ही मिताली ने हर्षित का हाथ अपनी सलवार के अंदर की ओर कर दिया जिससे हर्षित का हाथ भाभी की बुरी तरह भीग चुकी पैंटी पर आ गया।

हर्षित ने भाभी की चूत को गीली पैंटी के ऊपर से रगड़ना शुरू किया। वह अब भाभी की चूत की फ़ाँकों को अच्छे से महसूस कर सकता था।

मिताली ने थोड़ी देर तक तो उसी तरह हर्षित के हाथ का मज़ा लिया, फ़िर उसे पकड़कर अपनी पैंटी की इलास्टिक की तरफ़ ले जाकर उसके अन्दर की ओर धकेल दिया।

भाभी की पैंटी हर्षित और भाभी दोनों के हाथों के लिए बहुत छोटी थी, इसलिए मिताली ने अपना हाथ बाहर ही रखा और सिर्फ़ हर्षित के हाथ को ही आगे बढ़ने दिया।

हर्षित ने भाभी की चूत के होंठों को पहली बार छुआ तो उसके पूरे शरीर में गर्मी सी आती हुई महसूस हुई।
हर्षित ने भाभी की चूत की दोनों फ़ाँकों के ठीक बीच में अपनी उंगलियों से सहलाना शुरू किया तो मिताली के मुख से ज़ोर की सिसकारी निकल गई पर गाड़ी के शोर में और गानों की आवाज़ में मिताली की आवाज़ दब कर रह गई।

मिताली की चूत एकदम गर्म होकर तप रही थी और पूरी तरह से भीगकर चिकनी हो चुकी थी।

तभी मिताली ने अपने चूतड़ ऊपर की ओर उठाए और अपनी पैंटी की इलास्टिक के दोनों ओर अपने दोनों हाथों के अँगूठे फ़ंसाकर उसे नीचे की ओर खिसका दिया जिससे उनकी पैंटी और साथ ही उनकी सलवार उनके घुटनों तक नीचे खिसक गई।

मिताली के ऐसा करते ही हर्षित ने एक बार भाभी के चूतड़ सहलाए और फ़िर अपने दूसरे हाथ की उंगली भाभी की चूत में घुसा दी और उसे धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, पर पैंटी के कारण मिताली की टाँगें ज़्यादा खुल नहीं पा रही थी इसलिए मिताली अपनी पैंटी पूरी तरह उतारने के लिए थोड़ा नीचे झुकने ही लगी थी कि हर्षित ने अपने दूसरे हाथ से उनकी पैंटी को पकड़कर नीचे की ओर खींच दिया जिससे वो भाभी के टखनों तक आ गई।

तभी मिताली ने अपने पाँव ऊपर उठाए ताकि हर्षित उन्हें पूरी तरह निकाल दे।

हर्षित ने भाभी की पैंटी के साथ-साथ उनकी सलवार भी खींचकर नीचे उतार दी।

अब मिताली ने आराम से अपनी टाँगें पूरी खोल ली थीं, जितना वो खोल सकतीं थीं।

हर्षित को तो जैसे इसी मौके का इंतज़ार था, उसने तुरन्त अपनी दो उंगलियाँ भाभी की चूत में घुसा दीं।

मिताली के मुँह से हल्की सी ‘आह’ निकल गई।

‘तुम ठीक तो हो ना?’ अचानक पंकज ने पूछा।

वो मिताली के चेहरे को ही देख रहे थे।

मिताली मुस्कुराई और बोली- मैं तो एकदम ठीक हूँ। मुझे लगा था हर्षित की गोद में बैठने से दिक्कत होगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं है। मुझे लगता है यह सफ़र काफ़ी अच्छा जाने वाला है।

मिताली अपने पति से बड़े आराम से बात कर रही थी और हर्षित की उंगलियाँ भाभी की चूत को चोद रही थी।

‘और कितनी देर चलने के बाद विराम लेना है?’ पंकज ने पूछा।

‘मैं अभी रुकना नहीं चाहती, थोड़ा और आगे बढ़ना चाहती हूँ।’ मिताली ने जवाब दिया- तुम्हारा क्या विचार है हर्षित?

उन्होंने हर्षित से पूछा।

‘हाँ भाभी, मेरा भी अभी और आगे चलते रहने का मन है।’ हर्षित ने कहा।

‘अच्छा है, जितना आगे तक चलें, उतना ही बेहतर है।’ मिताली मुस्कुराते हुए बोली।
‘ठीक है ना?’ मिताली ने अपने पति से पूछा।

‘हाँ मुझे भी लगता है बिना रुके जितना आगे पहुँच जायें, उतना ही बेहतर है।’ उन्होंने जवाब दिया।

मिताली पीछे की ओर मुड़ी और हर्षित की ओर देखते हुए बोली- मुझे भी! मैं नहीं चाहती कि तुम्हें रुकना पड़े।
मिताली ने धीमी आवाज़ में कहा।

‘हर्षित?’ पंकज बोले- तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं ना तुम्हारी भाभी के गोद में बैठने से?
‘बिल्कुल नहीं! भाभी थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर अपना स्थान बदल लेती हैं जिस से एक ही जगह ज़्यादा देर भार नहीं रहता और मुझे भी आसानी रहती है।’ हर्षित पंकज से बात कर रहा था और भाभी की फ़ुद्दी में अपनी उंगलियाँ और भी गहराई में उतारे जा रहा था।

हर्षित ने फ़िर से अपनी उंगलियाँ भाभी की योनि में तेज़ी से अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी थी।

मिताली को अपनी सिसकारियाँ रोके रखने के लिए अपने होंठों को कसकर दबाए रखना पड़ रहा था।
मिताली ने कसकर हर्षित की कलाई पकड़ ली थी। ऐसा करके मिताली हर्षित को यह एहसास दिलाना चाह रही थी कि उन्हें कितना आनन्द आ रहा है और वे चाहती हैं कि हर्षित अपनी उंगलियाँ और अन्दर तक घुसाता रहे।
हर्षित भाभी का इशारा समझ कर अपनी उंगलियों को भाभी की चूत में जितनी अन्दर तक घुसा सकता था, घुसाने लगा।

मिताली ने हर्षित की उंगलियों के साथ-साथ धीरे-धीरे अपने कूल्हे भी हिलाने शुरू कर दिये।
उँग ने अपने पति की ओर देखा, खुशकिस्मती से उनके टीवी की वजह से वो कुछ नहीं देख पा रहे थे।
अगर उन्हें पता होता कि हर्षित की उंगलियाँ उनकी बीवी की चूत में घुसी हुई हैं तो जाने क्या होता।

मिताली का पूरा बदन हर्षित की उंगलियों की गति के हिसाब से सिहर रहा था।

तभी हर्षित ने अचानक से अपनी उंगलियाँ भाभी की चूत से बाहर निकाल ली।

मिताली को थोड़ी निराशा हुई, पर उन्हें ज़्यादा देर इंतज़ार नहीं करना पड़ा।

हर्षित ने तुरन्त भाभी के कुर्ते के बटन खोलने शुरू कर दिये।

मिताली ने गर्मी के कारण ब्रा नहीं पहनी थी।
जैसे-जैसे हर्षित भाभी के कुर्ते के ऊपर से नीचे तक के बटन खोल रहा था, मिताली को गाड़ी के ए.सी. की ठंडी हवा के झोंके अपनी चूचियों पर लगते महसूस हुए जिससे उनके निप्पल सख्त होने लगे।

हर्षित ने भाभी के कुर्ते का आखिरी बटन खोलकर कुर्ता सामने से पूरा खोल दिया।

अब मिताली आगे से भी बिल्कुल निर्वस्त्र हो गई थीं। हर्षित ने भाभी के नंगे बदन पर अपने हाथ ऊपर से नीचे तक फ़िराने शुरू कर दिये।
वो भाभी की चूचियों को मसल-मसल कर उनसे खेलने लगा।

मिताली ने अपनी चूचियाँ आगे की तरफ़ धकेल दी ताकि हर्षित अच्छे से उन्हें दबा सके।

मिताली ने अपने चूतड़ उठाए और अपना कुर्ता नीचे से निकाल कर हटा दिया।

हर्षित भाभी का इशारा समझ गया, वह अपने हाथ नीचे ले जाकर अपनी निकर के हुक खोलने लगा।
मिताली को एक बार फ़िर थोड़ा ऊपर उठना पड़ा ताकि हर्षित ठीक से अपनी निकर का हुक और चेन खोल सके।

हर्षित का लंड अभी भी भाभी के चूतड़ों के ठीक बीच में सटा हुआ था, मिताली ने अपने कूल्हे थोड़े और ऊपर उठा लिये।

‘सब ठीक है ना मिताली?’ उनके पति ने पूछा- क्या तुम्हें हर्षित की गोद में बैठने में दिक्कत हो रही है? क्या मैं गाड़ी रोक दूँ ताकि तुम दोनों को थोड़ी देर आराम मिल सके?

‘अरे नहीं! सब ठीक है। वो तो मैं थोड़ी जगह बदल रही थी ताकि हर्षित को दिक्कत ना हो। अगर मैं ठीक जगह पर बैठ जाऊँ तो हम दोनों के लिए बड़ा आराम हो जायेगा।’

भाभी के यह कहते ही हर्षित ने अपने निकर और अंडरवियर खींच कर नीचे उतार दिये।

मिताली को हर्षित का लंड अपने नंगे चूतड़ों के बीचोंबीच फंसता हुआ महसूस हुआ।

‘हर्षित, क्या मैं अपनी जगह थोड़ी बदलूँ ताकि तुम्हें आराम मिल सके?’ मिताली भाभी ने हर्षित से पूछा।

हर्षित ने अपने दोनों हाथ भाभी के चूतड़ों के दोनों ओर रखे और कहा- भाभी अगर आप थोड़ा ऊपर उठें तो मैं खुद को सही जगह पर ले आऊँ। फ़िर हम दोनों के लिए सब ठीक हो जायेगा।’

मिताली समझ गई कि हर्षित ऐसा क्यों कह रहा है, वो जितना ऊपर उठ सकती थीं उतना उठ गई।
हर्षित का एक हाथ उनके चूतड़ से हट गया, वो समझ गई हर्षित उस हाथ से क्या करने वाला है।
हर्षित ने अपना लंड पकड़कर भाभी की चूत के मुँह पर सेट किया और दूसरे हाथ से भाभी के चूतड़ को नीचे की ओर धकेल कर उन्हें नीचे आने का इशारा किया।

मिताली ने धीरे-धीरे अपने चूतड़ नीचे की ओर करने शुरू कर दिये।
मिताली को हर्षित के लौड़े का ऊपरी हिस्सा अपनी चूत के प्रवेशद्वार पर लगता हुआ महसूस हुआ।

मिताली और नीचे होने लगी तो हर्षित का लंड बड़ी आराम से उनकी चूत मे फ़िसलते हुए घुसने लगा।

जैसे-जैसे मिताली अपने चूतड़ नीचे ला रही थी, वैसे-वैसे हर्षित का लंड भाभी की चूत को चौड़ा करता हुआ और अंदर घुसे जा रहा था।
भाभी की गर्म और चिकनी हो चुकी चूत में लंड घुसाने से होने वाले एहसास से हर्षित के आनन्द की सीमा ना रही।

तभी मिताली खुद को रोक नहीं पाई और उनके मुँह से ज़ोर की सिसकारी निकल गई- आआह्ह्ह!!

उनके पति ने तुरन्त उनकी ओर देखा और कहा- मुझे लगता है हमें थोड़ी देर आराम करने के लिए रुक जाना चाहिये।

मिताली खुद को तब तक और नीचे करती रही जब तक कि हर्षित का लिंग पूरी जड़ तक उनकी चूत की गहराइयों में नहीं उतर गया और फ़िर अपने पति पंकज से बोली- नहीं, नहीं, रुको मत। मैं चाहती हूँ अभी तुम चलते रहो। फ़िलहाल अगले एक घण्टे तक भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं सही कह रही हूँ ना हर्षित?

‘हाँ भाभी! अब जब आप दोबारा बैठने लगीं तो मैंने खुद को सही जगह पर सेट कर लिया ताकि हमें कोई दिक्कत ना हो। बस मुझे एक बार थोड़ा ऊपर और उठना है अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो। ठीक है ना भाभी?’

‘क्या मैं भी तुम्हारे साथ-साथ ऊपर उठूँ, हर्षित?’

‘नहीं, आप बस मेरी गोद में बैठी रहिए और मैं आपको अपने साथ-साथ खुद ऊपर उठा लूँगा।’ इतना कहकर हर्षित ने खुद को थोड़ा ऊपर उठाया और अपना लंड भाभी की चूत में और भी गहराई में घुसा दिया।

मिताली को एक बार तो लगा जैसे वो उसी पल स्खलित हो जाएँगीं।

‘चलो मैं भी खुद को थोड़ा ठीक कर लेती हूँ।’ कहकर मिताली ने अपनी गाण्ड आगे पीछे हिलाई जिससे हर्षित का लण्ड भाभी की चूत में और अच्छी तरह अन्दर-बाहर हो गया।

हर्षित के लौड़े की सवारी करते-करते मिताली ने अपने पति की ओर देखा।
हर्षित अभी भी अपना लंड पूरा ज़ोर लगाकर भाभी की चूत में घुसा रहा था और पूरी गति के साथ अपनी मिताली भाभी को चोद रहा था।

मिताली मन ही मन सोचने लगी- मेरे बेवकूफ़ पति को क्या पता कि उसकी बीवी कैसे लगभग नंगी होकर, उसके इतनी पास होकर भी एक जवान लड़के से चुदाई का आनन्द ले रही है।
अपने पति के इतनी पास होते हुए हर्षित से चुदना मिताली को बहुत ज़्यादा रोमांचित कर रहा था।

तभी हर्षित ने एक ज़ोरदार धक्का लगाकर भाभी को उनके विचारों की कैद से बाहर निकाला।

हर्षित ने धीरे से मिताली से पूछा- आपका कितनी देर में हो जायेगा भाभी?

‘बहुत जल्द हर्षित, बहुत जल्द!!’ मिताली ने उत्तर दिया।

तभी भाभी को महसूस हुआ कि उनका स्खलन होने ही वाला है, उन्होंने हर्षित के दोनों हाथ अपने चूतड़ों से हटाकर अपनी चूचियों पर रख लिए और ज़ोर से दबा दिया।

हर्षित ज़ोर से भाभी की चूचियाँ मसलने लगा और तेज़ी से अपना लंड भाभी की चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

तभी उसे महसूस हुआ भाभी का पूरा बदन अकड़ने लगा और उनकी चूत की अंदरूनी दीवारें उसके लंड को ऐसे दबाने लगीं जैसे वो उसे निचोड़ लेना चाहती हों।

काफ़ी क्षणों तक ऐसे ही चलता रहा।
हर्षित समझ गया कि भाभी स्खलित हो गई हैं।

यह शायद मिताली का आज तक का सबसे लम्बे समय तक चलने वाला और सबसे आनन्ददायक स्खलन था।

थककर मिताली हर्षित के सहारे टेक लगाकर पीछे की ओर लेट गई।

हर्षित अभी भी स्खलित नहीं हुआ था, वह लगातार अपने लंड को अन्दर-बाहर करते हुए भाभी की चूत चोदे जा रहा था।

तभी हर्षित ने अपनी गति बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करते-करते एक ज़ोर का धक्का लगाकर अपना लंड भाभी की चूत की गहराई में पूरा अंदर तक घुसा दिया और अपने वीर्य का फ़व्वारा भाभी की चूत में छोड़ दिया।

हर्षित का गर्मागर्म वीर्य मिताली को अपनी चूत को पूरा भरता हुआ महसूस हुआ।
मिताली तब तक ऐसे ही पड़ी रही जब तक कि हर्षित ने अपने लंड से वीर्य की आखिरी बूँद उनकी चूत में नहीं खाली कर दी।

हर्षित और मिताली भाभी दोनों ही अब तक थक चुके थे।

‘एक बोर्ड लगा हुआ है, जिस पर लिखा हुआ है लगभग दस किलोमीटर दूर एक रेस्टोरेंट है। क्या तुम दोनों को भूख लग गई है?’ मिताली के पति पंकज ने पूछा।

‘हाँ, मेरे ख्याल से हमें कुछ खा लेना चाहिये।’ हर्षित ने कहा।

मिताली ने पीछे मुड़कर हर्षित की ओर देखा तो वह मुस्कुरा दिया- आप क्या कहती हो भाभी?’ हर्षित ने पूछा।

‘वैसे तो मैं एकदम फ़ुल हूँ, पर मेरे खयाल से कुछ हल्का-फ़ुल्का खाया जा सकता है।’ मिताली ने शरारती अंदाज़ में हर्षित की ओर आँख मारते हुए कहा।

मिताली झुकी और अपनी पैंटी उठाने लगी जो काफ़ी देर से नीचे पड़ी थी।

उसी समय हर्षित का लंड उनकी चूत से फ़िसल कर बाहर निकल गया।

मिताली ने अपने पाँव अपनी पैंटी में डाले और उसे ऊपर की ओर खींच लिया।

जैसे ही उनकी पैंटी उनकी चूत को ढकने वाली थी, तभी हर्षित ने एक बार फ़िर अपनी उंगली उनकी चूत में घुसा दी।

मिताली ने प्यार भरे अंदाज़ में हर्षित के हाथ पर थपकी दी और हर्षित ने अपनी उंगली बाहर निकाल ली।

फ़िर मिताली ने अपनी सलवार पहन कर नाड़ा बांध लिया और फ़िर अपने कुर्ते के बटन बन्द करने लगीं।

हर्षित ने भी अपनी निकर और अण्डरवीयर फ़िर से पहन लिए और अपना लौड़ा अन्दर करके ज़िप बन्द कर ली।

‘खाना खाने के बाद कितना रास्ता और बचा है?’ मिताली ने अपने पति से पूछा।

‘बस आधा घण्टा और, मेरे ख्याल से तब तक तो तुम दोनों काम चला ही लोगे?’ उनके पति ने कहा।

‘मुझे कोई दिक्कत नहीं है।’ मिताली ने अपने पति से कहा- अगर हर्षित को मेरे गोद में बैठने से दिक्कत ना हो तो मैं तो चार घण्टे और इस तरह से बैठ सकती हूँ।

‘तुम्हारा क्या कहना है हर्षित? तुम्हें तो अपनी भाभी को गोद में आधा घण्टा और बैठाए रखने में कोई दिक्कत नहीं होगी ना? मुझे लगा था तुम दोनों में से कोई एक तो अब तक परेशान हो ही गया होगा।’

‘अरे नहीं भैया! मुझे भी कोई परेशानी नहीं है। अगर भाभी चार घण्टे और मेरी गोद में बैठी रहें तो भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है।’ यह कह कर उसने भाभी की ओर देखा, वह पहले से ही हर्षित की ओर देखकर मुस्कुरा रही थीं।

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यह कहानी मेरे ससुराल की है, जहाँ एक रात मैंने उस गाँव देहात में छत पर चाँदनी रात में रसीली चटपटी चूत का आनन्द लिया।
मेरा नाम प्रशान्त है और मैं आप लोगों को यह अनुभव अपने शब्दों में पात्रों के नामों में कुछ फेर बदल के साथ सुना रहा हूँ जिससे किसी की गोपनीयता भंग न हो और आपकी छुपी अन्तर्वासना जाग उठे।

मैं ससुराल अक्सर आता जाता रहता हूँ क्योंकि मेरे साले रितेश की बीवी अत्यंत खूबसूरत और दिल-चोर हसीना है।
ऊपर वाले ने उसे फुर्सत से दिलों का कत्ल करने के लिए बनाया है, उसके आकर्षक, गठीले पर मुलायम छत्तीस इंच के चूतड़ों का प्लेटफार्म जिन्हें मटकते देख कर लंड से पानी अपने आप निकलने लगता है, उसकी छ्त्तीस की ही चूचियाँ, जिनको हिलते देख कर कच्छे की पूरी कायनात हिल जाती है और जिसकी अठ्ठाइस की कंटीली कमर देख दीवाने हो जाते हैं हर उम्र के लोग।

ऐसी सलहज मीनाक्षी को चोदने के लिए कौन नहीं दीवाना हो जाएगा।
तो उस दिन मैं शाम को फिर से इस शादीशुदा पर हुस्न की मलिका, चूत की रानी को चोदने की आस में ससुराल गया।
सच तो यह है कि उसका पति रितेश भी करियाने की दुकान पर दिन भर नून-तेल बेचता, एकदम कछुए जैसा मोटा और भोंदू हो गया है, शादी के तीन साल बाद तक उसे कोई बच्चा नहीं हुआ और होता भी कैसे, दुकान से आकर वो जवानी का ताला खोलता ही नहीं, थक कर सो जाता है और खर्राटे लेने लगता है।
उस रात पूर्णिमा की चाँदनी थी और मेरा बिस्तर छत पर ही लगाया था मीनाक्षी ने।

दोनों पति पत्नी भी छत पर ही बने एक कमरे में सो गये थे।
मुझे नींद नहीं आ रही थी और मैं बस उपर वाले से सही मौके पर चूत देने की दुआ कर रहा था कि मीनाक्षी मुझे पेटीकोट और ब्लाउज में कमरे से बाहर निकल के पेशाब करने के लिए आती दिखाई दी।

मैंने अपनी आँखें मूंद लीं, रात को वो बेधड़क पेटीकोट उठा कर मूतने जा रही थी, उसकी चिकनी कदलीतरु सरीखी जंघाएँ व संकीर्ण कटि प्रदेश देख कर मेरा लौड़ा एकदम उन्नत हो रहा था कि उसने पेटीकोट पूरा उपर उठा दिया।

उफ्फ !! बिना बालों वाली हसीन चूत देख कर मेरा जी ललचा गया, वो मेरे जगने से बेखबर मेरी तरफ अपने खूबसूरत विशाल कूल्हे करके मूत रही थी।
मूतने से ‘शर्र शर्र’ सीटी की आवाज सी मेरे कानों में टकरा रही थी और लंड को चौकन्ना कर रही थी।
यह सब मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, मैं दबे पांव उठा और जाकर उसे मूतते हुए ही दबोच लिया। वो आधा ही मूत पाई थी कि मैंने उसे पीछे से पकड़ कर बैठे हुए मुद्रा में ही गोद में उठा लिया और वो अपना पेशाब ना रोक पाई, मेरे ऊपर मूतती मुझे भिगोती चली गई।

इससे पहले कि वो चिल्लाती मैंने अपने होंठ उसके होंटों में सटा के चुम्बन करना शुरू कर दिया।
वो आश्चर्यचकित भयभीत और आनन्दमयी हो गयी थी, ऐसी कल्पना शायद उसने की नहीं थी।

मैंने उसे अपनी खाट पर लाकर लिटा दिया, उसका पेटीकोट उलट गया था और भीगी चूत मेरे सामने थी।
मैंने पेशाब लगा होने की परवाह न की और उसके जांघों के बीच घुस गया, अपनी जीभ से उसके जांघों के बीच चूत के होटों में मुँह लगाकर जीभ ऊपर नीचे करते हुए मैंने उसके दोनों चूचे पकड़ लिए।

‘वह आह्ह्ह ! जीजा जी ! प्लीज ऐसा ना करिये !’ कह कर अपनी गर्दन आनन्द के मारे दायें बाएं कर रही थी और बदन ऐंठ रही थी। मैंने अपनी मुखमैथुन क्रिया जारी रखी।

उसका गुप्तांग मारे पानी पानी के लबालब किसी प्याले की तरह भर चुका था और मैं प्याले का रस किसी आदी शराबी की तरह पी रहा था।
हम दोनों ही वासना के नशे में बह रहे थे और वो पांच मिनट के गहन मुखमैथुन क्रिया के बाद मेरे मुख में स्खलित होकर निढाल पड़ गई।
इतना सुखद अनुभव उसकी काम जीवन में शायद ही कभी हुआ हो।

उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और थोड़ी देर के लिए शिथिल पड़ गई पर मुझे चैन कहाँ था, मैंने अपना लंड जो कि फूल कर लौकी की तरह हो चुका था, उसके मुख में दे दिया।

वो आराम से किसी लाइमचूस की तरह चूसती रही और मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा।
अब मैंने दो उंगलियाँ निकाल कर बड़ी वाली उसकी गाण्ड में और तर्जनी उंगली उसकी चूत में करनी शुरु कर दी।
सच तो यह है कि इस तरह से चूत से निकले कामरस से गाण्ड में भी चिकनाई आ गई थी।

मैंने मीनाक्षी की गाण्ड की सेवा पहले लेने की सोची, चूंकि कुँवारी इंडियन गाण्ड भी काम जीवन को परम सुख देती है।
मैंने उसकी टांगें पकड़ कर खटिया के किनारे खींच लिया, अब उसकी गांड खटिया के सहारे थी और दोनों पैर मेरे कंधे पर !

मैंने कठोर मोटे लंड का सुपारा उसकी गाण्ड के नन्हे संकीर्ण छेद पर रख कर उसकी दोनों चूचियाँ मसलनी शुरु कीं, जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को जोर से मसला, वो छटपटाई और कराही, उसी दौरान एक तेज धक्के ने लंड के मोटे सुपाड़े को गाण्ड की गहराई में पहुँचा दिया।

मैंने अपने होंटों से उसके होटों को बंद कर दिया था।
चुम्बन करते हुए और स्तन मर्दन करते हुए मैंने उसकी गाण्ड की गहराई में उतरना जारी रखा और फिर पूरे जोश से गाण्ड को पंद्रह मिनट तक चोदा।
जब मुझे लगा कि मैं अब उसकी गांड में ही स्खलित हो जाऊँगा तो मैंने लंड को बाहर खींच थोड़ी देर के लिए उसके मुह में दे दिया। उसने फिर उसे किसी लॉलीपॉप की तरह चूषण करने में जरा भी हिचक ना दिखाई।

अब मैं उसकी योनि की थाह लेने को तैयार था, उसे इतना मोटा लंड कभी नसीब न हुआ था और वो आनन्द की पूर्वानुभूति में अपनी आँखें बंद करके अपने को समर्पित कर चुकी थी।

मैंने उसकी गाण्ड तले तकिया रख चूत को पोजिशन में लिया और ऊपर आकर मिशनरी स्टाइल में उसके जांघों के बीचोंबीच लण्ड को रास्ता दिखाया।
चमकती चाँदनी में चाँद सा हुस्न और जवान हसीना को चोदने के अनुभूति में मेरा बदन का रोम रोम खड़ा था।

मैंने हल्के हल्के उसकी चूत में लंड को उतारना शुरु किया और वो कराहते हुए अपने गर्दन को ऐंठने लगी, मानो कोई उसे चीर रहा हो बीचो बीच।
बीस मिनट तक मैं उसे चोदता रहा इस तरीके से और वो कराहती रही पर धीरे धीरे उसकी सहभागिता बढ़ती चली गई और उसने अपने नितम्ब ऊपर नीचे करके ताल-लय में चुदाई करवानी शुरु कर दी।

मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया और उसके चूचे पकड़ कर मसलते हुए नीचे से पचाक पचाक पचाक धचाक उसकी चूत में झटके मारने शुरु किये, वह खुद ही कमर लचका लचका कर मुझे चोद रही थी।

उसने मुझे गहरे चुम्बन देते हुए चोदा और आखिर मैं स्खलित हो ही गया क्योंकि उसने अपनी स्पीड लगातार बेतहाशा बढ़ा दी थी। उसने अपनी वीर्य से भरी लबालब चूत से जिसमें कि उसका खुद का भी कामरस मिला हुआ था, मेरा लण्ड निकाल कर मेरे मुँह पर रख दी।
मैं उसे पी गया और फिर एक नई ताजगी प्राप्त की।

उस पूरी रात सुबह तक मैंने कइ बार चाँदनी रात में चूत विहार किया।

दो चूतों को चोदने का सुख - 2 Do Chooton Ko Chodne Ka Sukh

दो चूतों को चोदने का सुख - 2 Do Chooton Ko Chodne Ka Sukh, लड़की को चरम सुख तक पहुचाने के लिए चोदा, फटी निक्कर से मिला चोदने का मौका Fati nikkar se mila chodne ka mauka.

मैंने गुलाबो का ब्लाउज ऊपर किया.. छोटे-छोटे गुन्दाज़ मम्मों पर गुलाबो के दोनों अंगूरी निप्पल.. इतने मस्त दिख रहे थे.. कि मेरे लण्ड की गोटियों में खून जोर से बहने लगा।
मैं भी अपना मूसल लण्ड गुलाबो के चूतड़ों के बीच में जोर-जोर से घिसने लगा।

साली थी तो बड़ी मस्त माल.. साली के चूतड़.. मेरे लण्ड को अन्दर तक ले रहे थे। ऊपर कमली मेरे होंठों को चूस रही थी!
दो फूल मेरे पास थे और उनका एक माली उन दोनों पौधों को सींच रहा था।
आज तो मेरा दिन मस्त बीतने वाला था.. पर पता नहीं क्यों मुझे कोई खटका सा लग रहा था।
अब आगे..

इसकी आगे की कहानी के पहले मैं आपको गुलाबो के विषय में लिखना चाहता हूँ कि मैं इसको अपने लौड़े के नीचे कैसे लाया।
हुआ ये कि एक दिन मैंने कमली से पूछा- अरे कमली मेरे लण्ड में तूने ऐसा क्या देखा कि तू मेरे लण्ड की दीवानी हो गई?

तो उसने जो कहा.. वो मेरे ध्यान में आ गया। उसने कहा- साहब चोदता तो मेरा मर्द भी है.. लेकिन चूत की शांति तुम्हीं करते हो साहब.. क्या मस्त चोदते और चाटते-चूसते हो.. अपना हथियार चुसवाते हो.. कि कोई भी औरत पानी-पानी हो जाए.. और फिर जो लौड़ा डाल कर धकापेल करते हो.. तो बदन का रेशा-रेशा तार-तार हो जाता है.. बदन टूटने लगता है। भगवान करे आपके जैसा लण्ड सबको मिले.. साला मेरा मरद तो पांच मिनट में सुस्त पड़ जाता है। क्या चोदते हो साहब.. वाह..वाह.. मेरी चूत तो साली पानी मांगने लगती है। गले में ठंडक पहुँचती है।

इसके बाद उस दिन कमली को मैंने जो चोदा.. वो ‘धक्कमपेल’ की.. कि साली आधा घंटा तक सुस्त पड़ी रही।
फिर उसने उठकर मुझे बाँहों में लिया। मैं सोया था.. उसने मेरे लण्ड को चूमकर अपने होंठों में भर लिया।
‘साली चुदक्कड़.. रांड.. छिनाल..’ कहकर मैंने उसके मम्मों को हाथों से दबाते हुए उसके बाल पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में पूरा डाल दिया।

साली क्या मस्त माल थी.. चुदने को तैयार और चुदाने में पहला नंबर.. मेरी बीवी तो कुछ भी नहीं थी उसके सामने।
सामने आती तो कपड़े निकाल कर लाश की तरह बेड पर गिर जाती और पैर उठा कर लण्ड अन्दर ले लेती।
ना कोई पहल.. ना कोई शुरआत.. सिर्फ डालो और निकालो..
इसका तो रंग ही अलग था.. अब तो इसके साथ गुलाबो भी थी.. एक पका हुआ सेब था.. तो दूसरा एक अभी अभी खिला हुआ ताजा गुलाब! उसकी शादी को सिर्फ दो साल हुए थे.. लेकिन उसके मर्द ने सिर्फ दो-चार बार ही चोदा था।

कमली बता रही थी कि-
यह रोज रात उदास होती हुई कमरे में जाती, एक बार उससे पूछ ही लिया- क्यों रज्जो क्या हुआ.. कुछ करता नहीं क्या.. तेरा चोदू?
तो उसने उदास होकर कहा- क्या दीदी तुम भी.. मैं तो पहले ही परेशान हूँ।
‘क्यों री.. क्या हुआ..?’ कमली ने उससे पूछा तो कहने लगी- क्या बताऊँ दीदी रात भर चाटते रहते हैं.. चूचियाँ चूसते रहते हैं.. पर करते कुछ नहीं हैं.. उनका तो सिर्फ तीन इन्च का ही है।

मेरी समझ में सब आ गया, उसका मरद शायद पूरा नहीं पड़ रहा था। तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों न अपने साहब से मतलब आपसे इसे चुदवा दूँ। तो मैंने उससे बात की.. पहले तो बड़ी नानुकर कर रही थी छिनाल.. फिर जब मैंने उसको आपके लण्ड का का जादू बताया.. तो तैयार हो गई। फिर मैं आज आपके लिए तैयार कर लाई हूँ। अब पेलो न साहब.. आपका जी चाहे तब तक चोदो। ये तो पहले से ही चुदासी है उस पर लण्डका चस्का लगाना है रांड को..।

मैंने देखा कि पहले तो गुलाबो बिदक-बिदक कर मुँह में ले रही थी.. लेकिन जैसे कमली ने पीछे से उसकी चूत में अपनी उंगली डाली.. ऊपर हो कर पूरा का पूरा लण्ड उसने मुँह में ले लिया। जब मेरा लण्ड उसके गले में जाकर वापस आया.. तो वो खांसी- बाप रे.. मेरी तो साँस ही अटक गई थी।
कमली ने गुलाबो को गाली दी- साली रांड.. चुदाने आती है और नखरे जमाने के दिखाती है। मैं देख.. कैसे पूरा लेती हूँ साहब का..
मैं हँस दिया।

‘चोदो.. मुझे चोदो.. मेरी साली चूत बहुत चुदासी हो रही है साहब.. मेरी इस परपरी चूत को फाड़ दो साहब.. क्या बात है तुम्हारे लण्ड ने मेरी सारी गर्मी निकाल कर मुझे तो तुम्हारे लण्ड का दीवाना बना दिया है जानू।’
‘क्यों रांड.. अब तेरी चूत में खुजली हो रही है क्या.. मेरे लण्ड के सिवाय?’
‘हाय मेरे राजा.. चल आज मैं सोई तेरे सामने.. तू मेरे ऊपर सो जा..’
‘कमली तू तो हरदम मेरे लण्ड से चुदाती रहती है.. आज इसको मेरे लण्ड का प्रसाद दे दूँ क्या?’

‘चलो साहब.. आप भी क्या याद करोगे.. किस चुदक्कड़ से पाला पड़ा है.. चोद दो साली को.. उसकी गाण्ड भी मारो ना.. तो भी वो नानुकुर नहीं करेगी।’
‘क्या बात करती हो.. क्या इतनी चुदासी हो गई है ये.. कि मेरे लण्ड का प्रोग्राम करे?’
‘हाँ साहब जी.. आप शुरू तो करो.. फिर देखो क्या होता है..’

मैंने उसकी गाण्ड के छेद पर थोड़ा सा थूका और अपना लण्ड उसके गाण्ड के छेद पर लगाया.. मेरा सुपाड़ा जैसे ही अन्दर किया.. उसने ‘स्स्स्स्स्स्स.. हा.. आराम से..’ कह कर मुझे पीछे धकेलने की कोशिश की।

मैंने उसके बाल पकड़ लिए और फिर एक झटका मार दिया, मेरा आधा लण्ड उसकी गाण्ड के छेद में घुस गया, उसकी आँखों से आँसू आ गए लेकिन साली कुछ बोली नहीं.. उसने जैसे-तैसे सहन किया, फिर अपनी गाण्ड मेरी तरफ धकेली।
‘खप्प..’ से मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में लैंड कर गया।

‘आआआअह.. साले.. पूरा डाल दिया क्या.. मादरचोद.. फाड़ दे साली को.. बड़ी खुजाती है.. मादरचोद.. तेरी माँ की चूत में लण्ड..’
‘साली.. गाली देती है.. आज मैं तेरी गाण्ड फाड़ ही डालता हूँ।’

ऐसा कहते हुए मैंने जैसे उसको पूरी खुन्नस से चोदना शुरू किया।
‘स्स्स्सस्स्स्स.. हाय बाप रे..’

उसकी गाण्ड तो जैसे एक ब्लॉक बन गई थी.. मेरा पिस्टन अन्दर ऐसे आ-जा रहा था कि वो कुनमुनाई.. फिर चिल्लाने लगी।
‘बाप रे.. मादरचोद.. साले.. लौड़े.. क्या बीवी समझ लिया है क्या रे.. मेरे को?’
कमली ने उसके मुँह में अपना स्तन दिया.. तो उसने उसके थन को काट लिया।
कमली चिल्लाई, ‘साली रांड.. क्या गाण्ड चुदा रही है.. और मुझे काट रही है.. तेरी माँ की चूत में लौड़ा.. साली छिनाल.. तेरी लण्ड खाऊ चूत में मेरे साहब का पूरा लौड़ा।’

करीबन आधा घंटा हुआ था तभी अचानक डोर बेल बजी।

मैं घबराया.. मुझे लगा कि मेरी घर वाली आ गई शायद? वैसे ही कपड़े ठीक करते हुए मैं दरवाजे पर भाग कर पहुँचा। दरवाजा खोला तो देखा सुनील मेरा जिगरी दोस्त था।
मेरे मन में विचार आया कि इस साले को अभी ही आना था.. अभी तो मजा आ रहा था।
वैसे सुनील मेरा हमराज भी था, हम दोनों ने मिलकर कई लड़कियों को ‘थ्रीसम’ करते हुए.. चोदा था।

सुनील मेरे कपड़े देखकर कुछ-कुछ समझ गया।
बोला- साले मलाई चाटी जा रही है.. अकेले-अकेले?
उसने मजाक में कहा।

‘यार कमली है.. मेरी काम वाली.. बीवी घर पर नहीं है.. तो कमली से ही काम चला रहा हूँ।’
‘अच्छा.. चल मुझे बता..’
मुझे तो जैसे काटो तो खून नहीं.. अब इसको सारे बातें बतानी पड़ेगीं.. या फिर शेयरिंग करनी पड़ेगी।

हाय यह क्या हुआ.. अब मैं इस परिस्थिति की सामने बेबस सा हो गया क्योंकि कोई चारा ही नहीं था। सुनील मेरे जमाने का खाया खिलाया खिलाड़ी था, उसे मेरी आदत मालूम थी कि मैं चूत का कितना बड़ा रसिया हूँ। यह बात तो हम दोनों में कोई छुपी नहीं थी।

कमली ने उसका लण्ड भी खाया था… आज साला आया था तो मुझे मिलने.. लेकिन आज उसकी तो निकल पड़ी थी। आज कुछ नया करने की सोच कर हम दोनों अन्दर बेडरूम में गए तो वहाँ कमली और गुलाबो चूत सिकोड़ कर खड़ी थीं।

कमली ने जैसे ही सुनील को देखा.. तो उसकी बांछें खिल गईं, उसने तपाक से गुलाबो से कहा- अरे आज तो तेरी निकल पड़ी साली.. आई थी एक लण्ड का मजा लेने.. अब तो दो-दो खाने मिलेंगे..

सुनील बोला- कमली तू तो खाई खिलाई है.. आज तेरे साथ वाली को मजा देता हूँ। यार, तू एक काम तो करना.. जरा फ़्रिज से बर्फ लेकर आना..
मैंने पूछा- क्यों?
तो उसने कहा- अभी नई है.. तो जरा अलग तरीके से मजा देंगे।

मैंने फ़्रिज में से बर्फ निकाली और बेडरूम में आया.. तो देखा कि सुनील दोनों को नंगी कर रहा था।
यह देख कर मेरे लण्ड में भी हलचल होने लगी।
साली ये दोनों थीं भी बड़ी सेक्सी.. दोनों के पिछवाड़े जैसे बड़े गागर हों।

सुनील ने बरफ का एक टुकड़ा लिया। गुलाबो को बेड पर लिटाया। उसके पेट के बल लिटाकर उसने उसके पिछवाड़े में अपनी उंगली डाली।
मेरी उंगली से उसकी उंगली बड़ी थी।

तेल लगाकर उसने जो गुलाबो की गाण्ड में उंगली की.. तो गुलाबो सिसियाई, उसने गाण्ड हिलाई.. तो सुनील की पूरी उंगली गुलाबो की गाण्ड के छेद में घुसती चली गई।
‘हाय मादरचोद.. साले.. लौड़े के बाल.. तेरी माँ की चूत.. साले.. धीरे-धीरे कर ना भोसड़ी के.. जान लेगा क्या मेरी?’
उसकी ये गालियाँ सुनकर सुनील को गुस्सा आया.. उसने आव देखा न ताव अपना लौड़ा गुलाबो की गाण्ड के छेद पर लगाया और जोर का धक्का मारा.. तो सुनील का पूरा लण्ड गुलाबो की गाण्ड में घुस गया।

गुलाबो की आँखों में पानी उतर आया.. वो जोर से चिल्लाई.. तो मैंने सामने से उसके मुँह में अपना लौड़ा दे दिया।
‘ले छिनाल.. तेरी चूत तो तेरा घरवाला भी मारता होगा.. मैं तेरी गाण्ड फाड़ता हूँ आज..’
गुलाबो ने तुनक कर कहा- ए बाबू छिनाल न कह.. तेरे लण्ड को ले रही हूँ मैं रांड जरूर हूँ.. तुम दोनों तो मेरी फाड़ने पर तुले हो।
‘लेकिन इधर छिनाल तो हरेक लण्ड अपनी चूत में लैंड करवाती है।’

‘मैंने तो मेरे घरवाले के सिवा तुम दोनों का ही लण्ड अपने चूत में लिया है। दबा दबा के मार मेरी गाण्ड भड़वे.. तेरे लण्ड में कितना दम है.. मैं भी देखती हूँ मादरचोद..’

गालियाँ देती गुलाबो मस्त गाण्ड मरवा रही थी, उसकी गाण्ड मरवाने का सीन देख कर कमली भी गरमा गई थी, उसने मेरे लण्ड को अपनी ओर खींचा और अपने मुँह में पकड़ कर जोर से चूसने लगी।

मैंने जैसे ही उसके दूध के लोटे दबाते हुए उसको कुतिया के पोज में किया तो वह खुद ही समझ गई कि अब क्या होने वाला है। उधर गुलाबो गाण्ड मरवा कर मस्त हो रही थी.. साथ में गालियों का आदान-प्रदान भी हो रहा था।

काफ़ी देर बाद हम दोनों का पानी गिरा तो गुलाबो ने अपनी गाण्ड में ही पानी लिया और उसकी गाण्ड के पानी को कमली ने मस्त होकर चाटा।

यह थी हमारे चोदने और गुलाबो व कमली के चुदने की कहानी।
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