मकान मालिक की बीवी की चूत चाट के चुदाई Makan malik ki biwi ki chut chat ke chudai, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.
हाय, आप सब सेक्स स्टोरी को पसंद करने वाले साथियों को सानू का नमस्कार! मैं दिल्ली से इंजीनियरिंग कर रहा हूँ. मैं साढ़े पांच फुट का एक तगड़े हथियार का मालिक हूँ.. जो किसी भी बुर, चुत फ़ुद्दी को पूरी तरह से संतुष्टि देने की ताक़त रखता है.
बात उस टाइम की है जब मैं पढ़ाई करने हॉस्टल से बाहर एक किराए के कमरे में रहने आया था. मैं हमेशा अकेला ही रहना ज़्यादा पसंद करता हूँ, इसलिए मैंने एक सिंगल रूम ढूँढ कर किराए पर ले लिया. मेरे मकान-मलिक थोड़ा पैसों के अधिक लालची थे, उन्होंने मेरे रूम का किराया मुझसे 2 गुना लिया, जबकि यह कमरा और कमरों की तुलना में काफी छोटा था. चूंकि उस वक्त मुझे कमरे की सख्त जरूरत भी थी, इसलिए मैंने उनकी बात मान ली.
उनकी फैमिली में 2 बेटे और 2 बेटियां थीं. बड़ी बेटी तो दिखने में कोई खास नहीं थी, लेकिन छोटी वाली मीनू तो गजब की माल लगती थी. उसका कातिल फिगर और मासूम सा चेहरा मुझे बहुत ही मस्त लग रहा था.
वो इतना सुनते ही मेरे कमरे से जल्दी से भाग गई और मैंने भी जल्दी से अपनी पेंट ठीक की और किताब पढ़ने लगा. उसकी बहन का फोन आने से मुझे ये समझ आ गया था कि ये दोनों ही मुझे चुदवाने को एकदम रेडी हैं.
मीनू के जाते ही आंटी कमरे में आ गईं. मुझ पर चुदास चढ़ी हुई थी, सो मैं आंटी की उठी हुई चूचियों को देखने लगा.
क्या मस्त चूचियां तनी हुई थीं उनकी.. मेरा लंड फिर से अकड़ने लगा.
उन्होंने कमरे में आकर शक की नज़रों से इधर-उधर देखा, लेकिन जब उन्हें कुछ नहीं मिला तो वो जाने लगीं.
मैं उनकी मटकती हुई गांड देख कर पागल हो गया. फिर कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए, मुझे मुठ मार कर ही काम चलाना पड़ता था.
एक दिन किस्मत ने भी मेरा साथ दिया. आंटी के फ्लैट से जुड़ा हुआ एक रूम था, वो रूम खाली हो गया और मैं अंकल की सहमति से उस कमरे में शिफ्ट कर गया.
उस कमरे का एक दरवाजा आंटी के फ्लैट में खुलता था, मैंने उसे अपनी तरफ से अन्दर से बंद कर दिया ताकि उन लोगों को कभी कोई शक या दिक्कत न हो.
इसके कुछ दिन बाद में कमरे में लेटा हुआ था कि अचानक किसी ने मेरे उसी अन्दर वाले दरवाजे पर दस्तक दी. मैंने झट से खोल दिया और वो जल्दी से मेरे रूम में आ गई.
जब मैंने देखा तो वो मेरी जान मीनू नहीं थी.. बल्कि आंटी थीं. उन्होंने मुझे कुछ सोचने का मौका भी नहीं दिया और मेरे ऊपर चढ़ गईं. अब वो लगीं मेरे शरीर पर हर जगह किस करने.. जैसे जन्मों की प्यासी हों, मैं चित्त पड़ा मजा लेता रहा.
कुछ देर बाद जब वो कुछ शांत हुईं, तो मैंने पूछा- ये क्या कर रही हैं आप?
तो उन्होंने कहा- आज कुछ मत बोलो.. बस होने दो, मैं बहुत प्यासी हूँ. मेरे हज़्बेंड शराब के नशे में डूबे रहते हैं.. तो इस वजह से अब उनमें वो दम नहीं रह गया है.
आंटी की बातें सुनीं तो मेरी तो बांछें खिल गईं. अब मुझे क्या फ़र्क पड़ता.. लंड के नीचे कोई भी हो.
मैं भी उनकी सेवा में लग गया.. हम दोनों एक-दूसरे के होंठ को खा जाना चाहते थे. उनकी सांसें फूल रही थीं और बहुत और सिसकारियाँ लिए जा रही थीं.
उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उनके कपड़े उतारना शुरू किए और उन्होंने मेरे कपड़े उतारे. हम दोनों नंगे हो गए.. उन्होंने जैसे ही मेरे लंड को देखा तो खुशी से पागल हो गईं, आंटी कहने लगीं- हाय.. इतना मोटा लंड है तेरा.. तुम मेरी बेटी को चोदते तो वो तो मर ही जाती!
मुझे उनकी इस बात से अचानक से झटका लगा कि ये क्या बोल रही हैं, लेकिन वो अपने कंट्रोल में नहीं थीं. आंटी को बहुत चुदास चढ़ी हुई थी.
वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, कुछ मिनट तक अपना लंड चुसाते हुए मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड उनके मुँह से निकाल लिया और उनको बिस्तर पर पटक दिया.
फिर मैंने आंटी की चूत चाटनी शुरू की तो आंटी ने अपनी टांगें हवा में उठा दीं और अपने चूतड़ों को उठाते हुए अपनी चूत मेरे मुँह में ठेलते हुए चुत चुसवाने लगीं.
क्या मस्त चूत थी.. एकदम टाइट और सफाचट, चुत पर एक भी बाल नहीं था. ऐसा लग रहा था कि जैसे मुझसे चुदवाने आंटी पूरी तैयारी के साथ आई थीं.
फिर मैंने उनके दोनों मम्मों को बारी-बारी से चूसने लगा, क्या रसीले चूचे थे यार.. मज़ा आ गया.
अब वो कहने लगीं- चोद दो मुझे.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… भोसड़ा बना दो मेरी चूत का.. फाड़ दो इसे.. बहुत दिनों से परेशान किए जा रही थी.. आज इसकी पूरी गर्मी निकाल दो..!
मैंने भी उन्हें घोड़ी बना दिया और अपना लंड उनकी चूत पर सैट करते हुए धक्का मारा.. तो लंड फिसल गया. क्योंकि चूत बहुत दिनों से नहीं चुदाने की वजह से बहुत टाइट हुई पड़ी थी.
मैंने फिर से लंड सैट किया और धक्का मारा तो इस बार चूत को फाड़ता हुआ अन्दर तक घुस गया. उनके मुँह से आवाज़ निकली.. लेकिन मैंने अपने होंठों से उनके होंठों को दबा दिया वरना क़यामत आ जाती.
फिर मैं आंटी को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा.. और वो भी मेरे हर धक्के का जवाब अपनी गांड उठा-उठा कर दिए जा रही थीं.
करीब दस मिनट तक धक्कम-पेल चुदाई चलने के बाद मेरा माल अब गिरने वाला था, अब तक आंटी 2 बार झड़ चुकी थीं.
मैंने अपने धक्के और तेज कर दिए और 5 मिनट के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.
फिर आंटी ने कपड़े पहने.. लंड पर चूमा लिया और कहा- अब अगली बार पूरी तैयारी के साथ आऊँगी.
मैं कुछ समझा नहीं.. लेकिन मैं भी थक गया था, सो मुझे भी नींद आ गई.
दोस्तो, अब अगली हिंदी सेक्स कहानी में बताऊँगा कि उनकी वो तैयारी क्या थी और फिर उसकी बेटी मीनू को भी चोदने का मौका मिला. फिर बाद में दोनों माँ-बेटी को कैसे जमकर मसला.. ये सब बड़े ही रसीले अंदाज में लिखी हुई एक सेक्स स्टोरी में आप सभी को पढ़ने मिलेगी.. तब तक के लिए अलविदा.
हाय, आप सब सेक्स स्टोरी को पसंद करने वाले साथियों को सानू का नमस्कार! मैं दिल्ली से इंजीनियरिंग कर रहा हूँ. मैं साढ़े पांच फुट का एक तगड़े हथियार का मालिक हूँ.. जो किसी भी बुर, चुत फ़ुद्दी को पूरी तरह से संतुष्टि देने की ताक़त रखता है.
बात उस टाइम की है जब मैं पढ़ाई करने हॉस्टल से बाहर एक किराए के कमरे में रहने आया था. मैं हमेशा अकेला ही रहना ज़्यादा पसंद करता हूँ, इसलिए मैंने एक सिंगल रूम ढूँढ कर किराए पर ले लिया. मेरे मकान-मलिक थोड़ा पैसों के अधिक लालची थे, उन्होंने मेरे रूम का किराया मुझसे 2 गुना लिया, जबकि यह कमरा और कमरों की तुलना में काफी छोटा था. चूंकि उस वक्त मुझे कमरे की सख्त जरूरत भी थी, इसलिए मैंने उनकी बात मान ली.
उनकी फैमिली में 2 बेटे और 2 बेटियां थीं. बड़ी बेटी तो दिखने में कोई खास नहीं थी, लेकिन छोटी वाली मीनू तो गजब की माल लगती थी. उसका कातिल फिगर और मासूम सा चेहरा मुझे बहुत ही मस्त लग रहा था.
एक दिन मैंने उसे जब देखा तो ख्याल आया कि क्यों ना इसी से किराया वसूल किया जाए, तो मैं उसे पटाने में लग गया. उससे धीरे-धीरे बात शुरू हुई, तब पता चला कि उसका कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है.
मैंने उस पर डोरे डालने शुरू कर दिए. वो भी अब धीरे-धीरे मेरी तरफ आकर्षित होने लगी.
एक दिन उसका बर्थडे था.. तो वो एक मिठाई का डिब्बा और आइसक्रीम लेकर मेरे कमरे में आ गई.
मैंने तो सोचा कि लगता है.. अब बात बन जाएगी. मैंने उसे बर्थडे विश किया और फिर उससे नॉर्मल बात हुई.
फिर अचानक मैं उसके होंठों से अपने होंठ को लगाकर किस करने लगा. अचानक से चूमने से तो वो भी हैरान हो गई लेकिन फिर उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया और हम दस मिनट तक ऐसे ही चिपके रहे.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझसे ज़्यादा उसे ही अपनी चुत चुदवाने की जल्दी है, क्योंकि उसने अगले ही पल मेरी जीन्स का बटन खोलकर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और नीचे को बैठ कर मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया.
अब वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे लंड चूसने में उसने पीएचडी की हुई है.
तभी अचानक उसकी दीदी का फोन आया कि मम्मी को शक हो गया है और वो अब कमरे में आने वाली हैं, भागो वहाँ से.
एक दिन उसका बर्थडे था.. तो वो एक मिठाई का डिब्बा और आइसक्रीम लेकर मेरे कमरे में आ गई.
मैंने तो सोचा कि लगता है.. अब बात बन जाएगी. मैंने उसे बर्थडे विश किया और फिर उससे नॉर्मल बात हुई.
फिर अचानक मैं उसके होंठों से अपने होंठ को लगाकर किस करने लगा. अचानक से चूमने से तो वो भी हैरान हो गई लेकिन फिर उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया और हम दस मिनट तक ऐसे ही चिपके रहे.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझसे ज़्यादा उसे ही अपनी चुत चुदवाने की जल्दी है, क्योंकि उसने अगले ही पल मेरी जीन्स का बटन खोलकर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और नीचे को बैठ कर मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया.
अब वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे लंड चूसने में उसने पीएचडी की हुई है.
तभी अचानक उसकी दीदी का फोन आया कि मम्मी को शक हो गया है और वो अब कमरे में आने वाली हैं, भागो वहाँ से.
वो इतना सुनते ही मेरे कमरे से जल्दी से भाग गई और मैंने भी जल्दी से अपनी पेंट ठीक की और किताब पढ़ने लगा. उसकी बहन का फोन आने से मुझे ये समझ आ गया था कि ये दोनों ही मुझे चुदवाने को एकदम रेडी हैं.
मीनू के जाते ही आंटी कमरे में आ गईं. मुझ पर चुदास चढ़ी हुई थी, सो मैं आंटी की उठी हुई चूचियों को देखने लगा.
क्या मस्त चूचियां तनी हुई थीं उनकी.. मेरा लंड फिर से अकड़ने लगा.
उन्होंने कमरे में आकर शक की नज़रों से इधर-उधर देखा, लेकिन जब उन्हें कुछ नहीं मिला तो वो जाने लगीं.
मैं उनकी मटकती हुई गांड देख कर पागल हो गया. फिर कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए, मुझे मुठ मार कर ही काम चलाना पड़ता था.
एक दिन किस्मत ने भी मेरा साथ दिया. आंटी के फ्लैट से जुड़ा हुआ एक रूम था, वो रूम खाली हो गया और मैं अंकल की सहमति से उस कमरे में शिफ्ट कर गया.
उस कमरे का एक दरवाजा आंटी के फ्लैट में खुलता था, मैंने उसे अपनी तरफ से अन्दर से बंद कर दिया ताकि उन लोगों को कभी कोई शक या दिक्कत न हो.
इसके कुछ दिन बाद में कमरे में लेटा हुआ था कि अचानक किसी ने मेरे उसी अन्दर वाले दरवाजे पर दस्तक दी. मैंने झट से खोल दिया और वो जल्दी से मेरे रूम में आ गई.
जब मैंने देखा तो वो मेरी जान मीनू नहीं थी.. बल्कि आंटी थीं. उन्होंने मुझे कुछ सोचने का मौका भी नहीं दिया और मेरे ऊपर चढ़ गईं. अब वो लगीं मेरे शरीर पर हर जगह किस करने.. जैसे जन्मों की प्यासी हों, मैं चित्त पड़ा मजा लेता रहा.
कुछ देर बाद जब वो कुछ शांत हुईं, तो मैंने पूछा- ये क्या कर रही हैं आप?
तो उन्होंने कहा- आज कुछ मत बोलो.. बस होने दो, मैं बहुत प्यासी हूँ. मेरे हज़्बेंड शराब के नशे में डूबे रहते हैं.. तो इस वजह से अब उनमें वो दम नहीं रह गया है.
आंटी की बातें सुनीं तो मेरी तो बांछें खिल गईं. अब मुझे क्या फ़र्क पड़ता.. लंड के नीचे कोई भी हो.
मैं भी उनकी सेवा में लग गया.. हम दोनों एक-दूसरे के होंठ को खा जाना चाहते थे. उनकी सांसें फूल रही थीं और बहुत और सिसकारियाँ लिए जा रही थीं.
उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उनके कपड़े उतारना शुरू किए और उन्होंने मेरे कपड़े उतारे. हम दोनों नंगे हो गए.. उन्होंने जैसे ही मेरे लंड को देखा तो खुशी से पागल हो गईं, आंटी कहने लगीं- हाय.. इतना मोटा लंड है तेरा.. तुम मेरी बेटी को चोदते तो वो तो मर ही जाती!
मुझे उनकी इस बात से अचानक से झटका लगा कि ये क्या बोल रही हैं, लेकिन वो अपने कंट्रोल में नहीं थीं. आंटी को बहुत चुदास चढ़ी हुई थी.
वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, कुछ मिनट तक अपना लंड चुसाते हुए मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड उनके मुँह से निकाल लिया और उनको बिस्तर पर पटक दिया.
फिर मैंने आंटी की चूत चाटनी शुरू की तो आंटी ने अपनी टांगें हवा में उठा दीं और अपने चूतड़ों को उठाते हुए अपनी चूत मेरे मुँह में ठेलते हुए चुत चुसवाने लगीं.
क्या मस्त चूत थी.. एकदम टाइट और सफाचट, चुत पर एक भी बाल नहीं था. ऐसा लग रहा था कि जैसे मुझसे चुदवाने आंटी पूरी तैयारी के साथ आई थीं.
फिर मैंने उनके दोनों मम्मों को बारी-बारी से चूसने लगा, क्या रसीले चूचे थे यार.. मज़ा आ गया.
अब वो कहने लगीं- चोद दो मुझे.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… भोसड़ा बना दो मेरी चूत का.. फाड़ दो इसे.. बहुत दिनों से परेशान किए जा रही थी.. आज इसकी पूरी गर्मी निकाल दो..!
मैंने भी उन्हें घोड़ी बना दिया और अपना लंड उनकी चूत पर सैट करते हुए धक्का मारा.. तो लंड फिसल गया. क्योंकि चूत बहुत दिनों से नहीं चुदाने की वजह से बहुत टाइट हुई पड़ी थी.
मैंने फिर से लंड सैट किया और धक्का मारा तो इस बार चूत को फाड़ता हुआ अन्दर तक घुस गया. उनके मुँह से आवाज़ निकली.. लेकिन मैंने अपने होंठों से उनके होंठों को दबा दिया वरना क़यामत आ जाती.
फिर मैं आंटी को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा.. और वो भी मेरे हर धक्के का जवाब अपनी गांड उठा-उठा कर दिए जा रही थीं.
करीब दस मिनट तक धक्कम-पेल चुदाई चलने के बाद मेरा माल अब गिरने वाला था, अब तक आंटी 2 बार झड़ चुकी थीं.
मैंने अपने धक्के और तेज कर दिए और 5 मिनट के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.
फिर आंटी ने कपड़े पहने.. लंड पर चूमा लिया और कहा- अब अगली बार पूरी तैयारी के साथ आऊँगी.
मैं कुछ समझा नहीं.. लेकिन मैं भी थक गया था, सो मुझे भी नींद आ गई.
दोस्तो, अब अगली हिंदी सेक्स कहानी में बताऊँगा कि उनकी वो तैयारी क्या थी और फिर उसकी बेटी मीनू को भी चोदने का मौका मिला. फिर बाद में दोनों माँ-बेटी को कैसे जमकर मसला.. ये सब बड़े ही रसीले अंदाज में लिखी हुई एक सेक्स स्टोरी में आप सभी को पढ़ने मिलेगी.. तब तक के लिए अलविदा.