पड़ोसन लड़की को चोद कर औरत बना दिया Padosan ladki ko chodkar aurat banaa diya

पड़ोसन लड़की को चोद कर औरत बना दिया Padosan ladki ko chodkar aurat banaa diya, कुँवारी लड़की की प्यासी चूत को मिला बड़ा लंड, झाठों वाली कुँवारी लड़की ने दिया चुदकर मजा, लिंग चूसा, चूमे दिए, होंठ चुसवाए.

यह आज से 6 माह पहले की घटना है.. जब मैंने पटना कॉलेज में दाखिला लिया था और मैं इससे पहले दिल्ली में रहता था और जून या जुलाई में मेरा दाखिला पटना कॉलेज में हो गया था। मैं छपरा का रहने वाला हूँ और मैंने दाखिले के बाद पटना में ही यहीं पर रूम लिया और मैं जहाँ पर रहता हूँ वहीं पर सभी अपनी अपनी फेमिली के साथ रहते है और उसमे मैं ही एक सिंगल लड़का हूँ जो कि एक सिंगल रूम वाला फ्लेट लेकर रह रहा हूँ। मेरा फ्लेट पहली मंजिल पर है और उस मंजिल पर दो और फ्लेट है जिसमे दो फेमिली रहती है.. एक जिनकी अभी नई नई शादी हुई.. मतलब नया शादीशुदा जोड़ा और एक अंकल आंटी है जिनकी एक ही बेटी है जिसका नाम रुनका है। वो एक मस्त माल है.. उसका फिगर 30-28-32 का होगा। वो इतनी मस्त है कि उसे देखने के बाद मुझे मुठ मारनी पड़ती है और उसे मैंने पहली बार अपने मकान की छत पर घूमते हुए देखा था..

जहाँ पर उसने एक पतली सी टॉप एक लोवर पहन रखा था। मैं तो उसके बूब्स का दीवाना हो गया था और मैंने मन ही मन यह सोच लिया था कि इसे मुझे कैसे भी करके इसे चोदना है। मैं बातें बहुत करता हूँ और मेरी इसी आदत के कारण रुनका के पापा से बहुत बनती थी और मैं उनका छोटा मोटा काम कर दिया करता था.. क्योंकि उनके घर में कोई लड़का नहीं था। एक बार रुनका छत पर टहल रही थी तो मैं भी छत पर चला गया और जैसे ही मैंने उसे देखा तो मेरा लंड खड़ा होने लगा और मैं उसे देखकर मुस्कुरा दिया, तो उसने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया। तभी मैं समझ गया कि हंसी तो फंसी। मैंने आगे बात बढाकर उससे उसका हाल चाल पूछा। तभी उसने बताया कि वह बिलकुल ठीक है। वो भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी और मैंने लोवर पहन रखा था इसलिए मेरा तना हुआ लंड उसे साफ साफ दिख रहा था और मैं अपने लंड को दीवार से रग़ड़ रहा था और वो अपनी नजरे झुकाए शरमा कर मुस्कुरा रही थी और फिर इसी तरह हम छत पर हर रोज मिलने लगे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

तभी मैंने एक दिन उससे उसका मोबाईल नंबर माँगा तो उसने मुझे अपना मोबाईल नंबर दे दिया। फिर हम रोज जब भी मौका मिलता फोन पर घंटो बातें करने लगे। फिर एक दिन मैंने उसे एक फिल्म देखने के लिए कहा लेकिन वो मना करने लगी शायद वो अपने घर वालो के डर से मना कर रही थी और मेरे बहुत समझाने पर वो थोड़ी देर बाद मान गई। फिर वो मेरे साथ फिल्म देखने के लिए सिनेमा हॉल गई। मैंने साइड की दो टिकट ली और हम लोग फिल्म देखने चले गये। फिर फिल्म चल रही थी और पूरे हॉल में अंधेरा था और एक बार एक चुंबन का सीन आया तो मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी और रुनका भी अपनी चूत को जीन्स के ऊपर से ही घिस रही थी। मुझसे ये देखकर रहा नहीं गया और मैंने भी अपना लंड सहलाना शुरू किया।

फिर फिल्म में एक और सीन आया जिसमे लड़के ने लड़की को बेड पर लेटा दिया और उसके टॉप को उतार रहा था। तभी मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और मैंने रुनका का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया.. लेकिन वो घबरा गई और उसने अपना हाथ हटा लिया। फिर भी मैं अपने लंड को अपने हाथ से रगड़ता रहा और इंटरवेल हो गया। तभी मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ तो मैंने सिनेमा हॉल के बाथरूम में जाकर मुठ मार ली। फिर हम लोगो ने फिल्म देखी और फिल्म खत्म होने के बाद हम घर की ओर चल दिए.. लेकिन रास्ते में उसने मुझसे बात नहीं की। फिर शाम को हम छत पर फिर से मिले तो मैंने उससे पूछा कि तुमने मुझसे आते समय बात क्यों नहीं की? तो उसने कहा कि तुम हॉल में तो खुद पर कंट्रोल कर लेते और इतना कहकर वापस नीचे चली गई। उसने मेरे फोन करने पर भी कोई संतुष्ट जवाब नहीं दिया ना ही ठीक से बात की। तभी अगले दिन रुनका के पापा मेरे पास आए और मुझसे बोले कि बेटा हम एक दिन के लिए कुछ काम से बाहर जा रहे है तो क्या तुम रुनका का ख़याल रख लोगे? और उसे किसी भी चीज़ की ज़रूरत होगी तो ला देना। 

फिर मैंने कहा कि अंकल आप टेंशन मत लो.. मैं सब संभाल लूँगा और फिर दिन में उनकी ट्रेन थी और उन्हे रेलवे स्टेशन छोड़ने मैं और रुनका भी गये थे और हम उन्हे रेलवे स्टेशन छोड़कर घर पर वापस आ गये और मैंने घर पर पहुंच कर रुनका से कहा कि किसी भी चीज़ की दिक्कत हो तो मुझे कॉल करना और इसी तरह शाम हो गई और मैंने रुनका को फोन किया और कहा कि मैं खाना होटेल से लाकर दे देता हूँ.. तुम खाना मत बनाना। शाम को 7 बजे मैं ख़ाना पेक करवा कर उसके घर गया उसने दरवाजा खोला तभी मैं उसे देखकर दंग रह गया। वो आज कुछ ज़्यादा ही हॉट और सेक्सी लग रही थी और उसे इस तरह से देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा.. उसका लोवर बहुत ही छोटा था जिससे उसकी जाँघ दिख रही थी। मैं तो पागल हो रहा था। फिर हमने साथ में खाना खाया और फिर उसने कहा कि उसे घर में अकेले डर लग रहा है इसलिए मैं आज उसी के यहाँ पर रुक जाऊँ। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

तभी मैंने कहा कि मैं चेंज करके आता हूँ और मैंने एक हॉलीवुड सेक्सी फिल्म की डीवीडी ले ली और उसके घर गया और हम लोग फिल्म देखने लगे और मैं बेड पर लेटकर फिल्म देख रहा था और धीरे धीरे मेरा लंड गरम हो गया और साथ साथ वो भी गरम हो गई और वो अपनी चूत को सहलाने लगी। तभी मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया.. लेकिन पहले तो उसने विरोध किया फिर मेरे कहने पर वो भी मेरा साथ देने लगी और मैं उसे गोद में उठाकर बेडरूम में ले गया और मैंने उस को बेड पर पटक कर उसके कपड़े उतार दिए और मैं उसके काले कलर की ब्रा में सफेद कलर के बूब्स को देखकर पागल हो गया और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स पर टूट पड़ा और मैं उसके बूब्स को दबाने और चूसने लगा। वो भी आँहे भरने लगी ऊऊऊऊऊऊ अह्ह्ह्हह और कहने लगी कि और ज़ोर से दबाओ खा जाओ मेरे बूब्स को और मैं पागल की तरह बूब्स को चूस रहा था। तभी मैंने ब्रा को बूब्स के ऊपर से हटा दिया.. लेकिन खोला नहीं। फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाया वो बहुत गीली थी। तभी मैंने उसका लोवर उतार दिया लेकिन उसने पेंटी नहीं पहन रखी थी। मैं तो चूत देखकर उसकी चूत का दीवाना हो गया क्योंकि मैंने आज तक कुवारीं लड़की की चूत नहीं देखी थी। 

तभी मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में लगा दी और चूसने लगा। वो जोर जोर से चिल्लाने लगी वो पागल हो रही थी और सिसकियाँ ले रही थी आआआअहह मैं मर जाऊंगी आआआहह आज चोद दो मुझे लड़की से अपनी रंडी बना दो। मैंने लगभग 15 मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद अपनी पेंट उतारी और अपना लंड दिखाया तो वो देखते के साथ ही उसे मुहं में लेकर चूसने लगी और 10 मिनट तक चूसती रही। मैंने अब अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का लगाया तो मेरा लंड चूत में 1 इंच अंदर चला गया और वो चीखने लगी.. लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और उसकी चूत में लगातार जोर जोर के धक्के लगाता रहा और फिर 3-4 शॉट के बाद मेरा आधा लंड उसकी चूत के अंदर था और वो दर्द से रो रही थी और कह रही थी कि प्लीज छोड़ दो मुझे और उसके बेड पर उसकी चूत से खून निकल कर गिर रहा था। फिर मैं उसका दर्द कम करने के लिए उसके बूब्स चूसने लगा। 10 मिनट बाद उसका दर्द कम हुआ। फिर मैंने दोबारा से धक्के लगाने शुरू किए मैं उसे सीधे लेटा कर चोद रहा था और 20 मिनट की जोरदार चुदाई में वो 2-3 बार झड़ गयी थी और अब मेरे झड़ने की बारी थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

तभी मैंने उससे कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ। तो उसने कहा कि प्लीज अंदर ही डालकर मेरी चूत की गर्मी को शांत कर दो। फिर जोर जोर के धक्को के साथ ही उसकी चूत में झड़ गया और 10 मिनट तक उसके ऊपर ही लेटा रहा। फिर हम दोनों उठकर बाथरूम गये और उसने मेरा लंड चाट चाटकर साफ किया और अपनी चूत को भी धोकर साफ किया। मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा था उसकी चुदाई करने के लिए और मैंने उसकी चूत को फिर से चोदा। उस रात हमने 3 बार चुदाई की और वो एक लड़की से एक औरत बन गई थी। फिर अगले दिन सुबह हम 9 बजे उठे और उसके पापा मम्मी शाम को आने वाले थे तो हम लोग एक साथ नहाए फिर हमने एक बार फिर चुदाई की और बेड को भी अच्छे से साफ़ किया ताकि किसी को कुछ पता ना चले। आज भी हमे जब मौका मिलता है हम चुदाई करते है ।

मेरी गांड और चूत मेरा पति नहीं चोद पाया Meri gand aur chut mera pati nahin chod paya

मेरी गांड और चूत मेरा पति नहीं चोद पाया Meri gand aur chut mera pati nahin chod paya, पति का लंड खड़ा नहीं होता है सेक्स कहानी. भाई के दोस्त से चुदवाई.

मैं मिकी मेरी उम्र 32 साल है और मेरा रंग गौरा है। मेरा फिगर 36-30-36 है ये कहानी मेरे और मेरे भाई के दोस्त बीच हुए सेक्स की है। वो भी दिखने में गौरा था और अच्छा खासा लंबा और मज़बूत जिस्म था उसका। मेरी शादी 7 साल पहले हो चुकी है लेकिन मैं अभी मेरे माता पिता के घर में हूँ बच्चा ना होने की वजह से मेरे पति और उसके घर वालो ने मुझे मेरे माता पिता के पास भेज दिया था। फिर रोज बच्चे की बात से मेरे ससुराल वाले मुझसे बहस करते और झगड़ा हो जाता था। लेकिन अब उन्हे क्या पता था कि हम दोनों के बीच कभी कुछ हुआ ही नहीं वो साला मादरचोद नामर्द इंसान जो मुझे कभी भी संतुष्ट नहीं कर पाता था, वो बच्चे कहाँ से पैदा कर पाता।

लेकिन परिवार को अपनी चीज जैसी भी हो प्यारी लगती है.. लेकिन अब उंगली करके बच्चे तो नहीं हो सकते थे। तभी उन लोगो ने मुझे यहाँ पर भेज दिया था और फिर मैं तभी से अपने मायके में हूँ। फिर मेरा छोटा भाई जिसकी उम्र 30 साल की है और उसकी शादी हो चुकी है। उसकी बीवी उसके मायके गई हुई थी क्योंकि वो पेट से थी। फिर मेरे भाई का एक दोस्त अक्सर हमारे घर आता जाता था। वो मेरे बारे में सब कुछ जानता था और वो मुझसे हमेशा हंसी मजाक करता था। क्योंकि मैं हमेशा उदास रहती थी। वो क्या घर के सभी लोग मुझे खुश देखना चाहते थे.. लेकीन माँ बाप के घर रहना किसे अच्छा लगता है और वो भी शादी के बाद.. यही बात मुझे खाए जा रही थी। फिर एक दिन मेरे भाई के ससुराल से फ़ोन आया कि मेरी भाभी को अस्पताल में एडमिट किया गया है और डिलवरी कभी भी हो सकती है। तभी मेरा भाई जल्दी से अपने ससुराल चला गया क्योंकि भाभी ने उसे बुलाया था और दूसरे दिन उसने एक लड़के को जन्म दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

तभी भाई का फोन आया तो घर के सभी सदस्य भी जाने को तैयार हो गये और वो मुझे भी ले जाना चाहते थे..लेकिन मैंने मना कर दिया क्योंकि शायद इसके लिए मैं तैयार नहीं थी और मेरी माँ भी समझ गई थी.. लेकिन वो मुझे अकेले भी नहीं छोड़ना चाहती थी। तभी उतने में मेरे भाई का दोस्त घर पर आया। मेरे भाई का दोस्त जिसकी उम्र 28 साल की है और उसकी अभी शादी नहीं हुई थी.. क्योंकि वो अपने काम के सिलसिले में बहुत व्यस्त रहता था और फिर उनके घर में वो अकेला कमाने वाला था। तभी माँ ने उससे कहा कि बेटा हम लोग बाहर जाने के लिए सोच रहे है..

लेकिन ये घर पर अकेली रहेगी। तभी वो बोला कि आप चिंता ना करे मैं रुक जाऊंगा मिकी के साथ। तभी घर वालो को इसमे कोई दिक्कत नहीं थी.. क्योंकि वो हमेशा से मेरे घर आता जाता था और सबको उस पर पूरा पूरा भरोसा भी था और फिर सभी घर वाले चले गए। फिर शाम को भाई का फोन आया कि आज हम सभी को यहीं पर रुकना पड़ गया है और हम कल लौटेंगे। फिर मैंने कहा कि ठीक है और फिर शाम को मेरे भाई का दोस्त आया तो मैंने उसे ये बात बता दी। बारिश का समय था इसलिए वो रात में मेरे घर रुक गया, मैंने खाना बनाया और फिर हम दोनों ने खाना खाया और तभी बिजली कड़कने लगी और ज़ोर से बारिश शुरू हो गई थी और मुझे बहुत डर लगता था.. मैं थी ही इतनी डरपोक। 

थोड़ी देर बाद हम टीवी देख रहे थे और रात के 10:30 बज चुके थे और अचानक लाईट भी चली गई और फिर जोर से बिजली कड़कने लगी और फिर मैं डर के मारे उसके सीने से लिपट गई.. अंधेरा हो चुका था और दरवाजा पहले से ही बंद था। फिर मैं उससे ऐसे लिपट गयी कि हमारे शरीर से हवा भी पास नहीं हो सकती थी और मेरे बूब्स उसके सीने से दब रहे थे। फिर मैं हर बार बिजली की आवाज सुनकर उसे जोर से पकड़ लेती। तभी मेरी मजबूत पकड़ से मेरे बूब्स उसकी छाती पर और दब जाते.. ऐसा बार बार होने की वजह से वो भी अब गरम हो चुका था.. क्योंकि ठंडी हवा चल रही थी और उसमे मेरी गरम सांसे उसे मदहोश कर रही थी और वो मेरी पीठ पर हाथ घुमा रहा था और फिर मैं भी बेकाबू हो चुकी थी और शायद मैं बहुत दिनों से चुदी नहीं थी उसका भी असर था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर वो धीरे धीरे मेरी गर्दन तक पहुँच चुका था। वो अब मुझे आगे हाथ बड़ा कर मेरे बूब्स को छूने लगा और फिर धीरे धीरे मुझे सहलाने लगा। तभी वो मुझे उठाकर मेरे रूम में ले गया और फिर उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया.. मेरे चहरे से गले तक और गले से पेट तक.. मैं बहुत गरम हो चुकी थी। इस तरह का मेरी जिंदगी में पहला एहसास था। फिर वो मुझे चूमे जा रहा था। फिर सबसे पहले उसने मेरी साड़ी निकालकर अलग की और फिर वो मेरी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था। फिर ऐसे ही अंधेरे में दस मिनट वो ब्लाउज के ऊपर से मेरी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था और मैं सिसकियाँ ले रही थी। फिर उसने मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिए और फिर उसने मेरे ब्लाउज को निकालकर दूर फेंक दिया। फिर वो अपने मुहं से ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को चूसने लगा। 

ठंडी हवा में उसके मुहं का गरम स्पर्श मदहोश कर देने वाला था और इस तरह का मज़ा शायद मेरे पति ने भी कभी नहीं दिया था। मैं आनन्द के सागर में जैसे गोते लगा रही थी और उस पल के मज़े ले रही थी। फिर शायद ही मुझे इतना मज़ा पहले कभी किसी मर्द से आया हो और फिर मेरी ब्रा भी मेरे जिस्म से अलग हो गई थी और अचानक लाईट आ गई और फिर मुझे होश आया तो मैंने उसे अपने से दूर कर दिया.. लेकिन अचानक से ज़ोर से बिजली कड़कड़ाई तो मैं फिर उसी अवस्था में उससे लिपट गई। फिर उसने लाईट बंद कर दी और मुझ पर आकर गिर गया और मेरी चूचियों को जोर ज़ोर से भिचने लगा। मुझे इतना तेज दर्द हुआ कि मैंने उसे फिर अपने से अलग कर दिया।

तभी उसने कहा कि क्या हुआ तो फिर मैंने कहा कि तुम तो दरिंदो की तरह करते हो और फिर मैं बेड के कोने पर सो गई.. मैं ऐसे ही सोई थी मैंने अपने कपड़े भी नहीं पहने थे.. पता नहीं क्यों? शायद मैं भी चुदना चाहती थी.. लेकिन वो बहुत ईमानदार था उसने बाद में मुझे छूने की कोशिश भी नहीं की और वो दूसरे कोने में पड़ा रहा.. लेकिन आज की रात शायद मेरी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। अचानक बिजली कड़की और मैं उससे फिर चिपक गई.. लेकिन उसने तब भी मुझे नहीं छुआ। वो कहता था.. जब तक तुम नहीं कहोगी मैं आगे कुछ नहीं करूंगा। फिर हम ऐसे ही पड़े थे और अचानक जोरो से बिजली कड़की और मैं उससे और नज़दीक हो गई और कहा कि तुम्हे जो करना है कर लो.. बस मुझे अकेले मत छोड़ना। फिर उसने कहा कि सोच लो.. फिर मत पछताना कि मैंने अगाह नहीं किया। फिर मैंने कहा कि ठीक है.. 

तभी वो ज़ोर ज़ोर से दोबारा मेरी निप्पल चूसने और काटने लगा, दर्द तो हो रहा था.. लेकिन डर के मारे सब कुछ सहन कर रही थी और फिर कुछ ही पल में भाई के दोस्त ने मेरा पेटीकोट और पेंटी उतार दी और अपनी बड़ी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी मुझे इतना दर्द हुआ कि मेरी चीख निकल गई। तभी वो ये देखकर दंग रह गया कि मेरी सील भी नहीं टूटी थी। तभी मैंने कहा कि साला हिजड़ा था.. नामर्द मेरी सील भी नहीं तोड़ पाया था और उस हरामी को बच्चा चाहिए था.. मुझे बांझ कहता था। तभी वह अपने कपड़े उतार कर पूरी तरह नंगा हो गया और मुझे घुटनो पर बैठाकर अपने लंड से मेरे मुहं को चोदने लगा। उसका लंड इतना बड़ा था कि मेरे मुहं में भी पूरा नहीं आ रहा था।

फिर थोड़ी देर मुहं चोदने के बाद उसने मुझे बेड पर सुला दिया और मेरी टांगो के बीच मेरी चूत के पास बैठ गया और एक झटके में उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया मेरी तो चीख निकल गई और उसका लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर चला गया मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी चूत में खंजर घोप दिया हो। एक पल के लिए ऐसा लग रहा था मानो मेरी जान ही निकल गई हो और फिर वो ज़ोर ज़ोर से अपना लंड डाल रहा था और फिर थोड़ी देर बाद जैसे मैं राहत की साँस लेती तो कमबख्त लंड मेरी चूत से बाहर निकालता और ज़ोर से ठोक देता और मेरी चीख निकल जाती थी और फिर वो इस तरह चार बार मुझे चोद चुका था और मेरा दर्द बढता ही जा रहा था। वो कहता था कि जब तक लड़कियों की चीख नहीं निकलती.. चोदने में मज़ा ही नहीं आता। फिर मैंने कहा कि तुम सच में बड़े जालिम हो ऐसे भला कोई करता है क्या? और वो भी अपने दोस्त की बहन के साथ। वो बोला लेकिन मज़ा तो आ रहा है ना मेरी जान। उसकी ये बात सही थी और आज पहली बार मुझे चुदने का एहसास हो रहा था। दर्द और मज़ा दोनों ही आ रहा था।  आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

आज की रात शायद ही कभी भूल सकूँ और फिर करीब दस मिनट चोदते चोदते वो झड़ने वाला था तो उसने पूछा कि कहाँ पर निकालू मेरी जान अंदर या बाहर? तभी मैंने कहा कि इतनी मेहनत करने के बाद बाहर निकालने से क्या फ़ायदा तुम अंदर ही छोड़ दो वो साला हिजड़ा तो वैसे भी कुछ नहीं कर सकता.. तुम ही मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो। तभी उसने मेरी चूत में ही अपना सारा वीर्य निकाल दिया और मैं आज पहली बार संतुष्ट हुई थी और कितनी बार झड़ी थी ये मैं भी नहीं जानती और वो थकान की वजह से मुझ पर ही गिर पड़ा और हम थोड़ी देर पड़े रहे। फिर वो उठकर नंगा ही बाथरूम में चला गया और फ्रेश हो कर नंगा ही बाहर आ गया और फिर मैं भी उठकर बाथरूम गई और फ्रेश हो गई। 

मैंने देखा तो कपड़े सब बाहर ही थे तो मैं एक मेक्सी पहन कर बाहर आ गई। फिर उसने कहा कि ये क्या तुमने कपड़े क्यों पहने? तभी मैंने कहा कि अब क्या है? इतनी देर तो जालिम की तरह चोद चुके हो। फिर वो बोला कि अभी तो पूरी रात है अभी सेक्स का खेल खत्म कहाँ हुआ है। फिर उसने दोबारा मुझे बेड पर खींचा तब मैंने मना किया तुम जालिम हो आराम से नहीं करते और बहुत दर्द देते हो। फिर वो बोला कि अब आप जैसा चाहोगी वैसा ही करूँगा.. फिर मैं बेड पर से उठी और वापस मेक्सी उतार कर बिल्कुल नंगी उसके पास में सो गयी और वो फिर से मुझे चूमने लगा चाटने लगा। 

उसने मेरे पूरे शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमा और फिर वो मेरी चूत में उंगली करने लगा और मेरी चूत चोदने लगा। फिर वो धीरे धीरे करते हुए दो उंगलियां मेरी चूत में डालने लगा और मेरी चूत अपनी जीभ से चाटने लगा। उसकी जीभ के स्पर्श से मैं फिर गरम हो गई थी और वो मेरी चूत को चाटे जा रहा था जैसे कोई आईसक्रीम चाट रहा हो। फिर उस दौरान मैं तीन बार झड़ चुकी थी और जितनी भी बार झड़ती वो मेरी चूत का पानी अपने मुहं में भरता और मेरी चूचियों पर छोड़ देता वैसे उसने मेरी दोनों चूचियाँ मेरी चूत के पानी से गीली कर दी और अपना लंड मेरे मुहं में दे दिया और चूसने को बोला.. वो जैसे जैसे बोलता मैं करती रही। फिर पहले कम से कम आधे घंटे वो नहीं झड़ा और जब झड़ने लगा तो मेरे मुहं से लंड निकालकर मेरे बूब्स के बीच में रख दिया और मेरे बूब्स को चोदने लगा।

अपने लंड का पूरा पानी मेरी चूचियों पर गिरा दिया और मेरे बूब्स पर मल दिया। मेरे बूब्स लाईट में उसके लंड के और मेरी चूत के पानी से चमक रहे थे और फिर उसने मेरी चूत को चाटकर चिकना किया और फिर से मुझे चोदने लगा। इस बार झड़ने की वजह से वो डेड़ घंटे तक मेरी चूत चोदता रहा। उस दौरान मैं पांच बार झड़ चुकी थी। अब तो शायद मैं खुद नहीं जानती थी कि उस एक रात में मैं कितनी बार झड़ चुकी थी.. लेकिन आज की रात जो चुदने का अनुभव हुआ था उससे मेरी जिंदगी बदल चुकी थी और आज मैं सही तरह से औरत बनी थी। फिर रात के 4:30 बजे हम दोनों नंगे ही एक दूसरो की बाहों में सो गये। सुबह करीब 10 बजे भाई का फोन आया। फिर हम ऐसे ही बेड पर पड़े थे उसने सुबह उठते ही मुझे किस किया और मैंने भाई का फोन उठाया तो उसने कहा कि वहाँ पर उसके ससुराल में सब मेरे लिए पूछ रहे है तो मैं वहाँ पर आ जाऊँ.. क्योंकि मेरा पति भी वहां गया था।  आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

तभी मुझे मेरे भाई के दोस्त ने कहा कि तुम्हे जाना चाहिए.. शायद तुम्हारी सारी परेशानियां खत्म हो गई हो। फिर मैंने भाई से कहा कि मैं शाम तक वहाँ पर पहुंच जाउंगी और फोन रख दिया। फिर उसने दोबारा मुझे चूमा और फिर कहने लगा कि अब तो इस ख़ुशी में जश्न होना चाहिए और तभी उसने मुझे पकड़ा और वहीं पर मुझे चोदने की तैयारी करने लगा और फिर मैं भी उसका साथ देने लगी। फिर उसने मेरे कपड़े उतार कर किचन से थोड़ा तेल लिया और मेरी गांड में लगाकर मेरी गांड मारने लगा। फिर करीब दस मिनट तक उसने मेरी ताबड़तोड़ चुदाई की। आज भाई के दोस्त ने मुझे चोद चोद कर पूरा सुख दिया और उसने मेरी गांड और चूत दोनों को फैला दिया जिसे कि अब तक मेरा पति नहीं चोद पाया था।

सड़क के किनारे खुलेआम मस्त मधु की चुदाई Sadak ke kinare khuleaam Madhu ki mast chudai

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम सुनीत है और मै एक गार्ड की नौकरी करता हु | मुझे रात की शिफ्ट मे काम करना पसंद है | अभी मै एक बाज़ार के बाहर पहरा देता हु | मेरी शिफ्ट रात को ८ बजे से लेकर सुबह ८ बजे तक की होती है और मार्केट सुबह ११ बजे से खुलता है | मै रात को बाहर एक कुर्सी रख लिया करता था, ताकि मै उस पर बैठ सकू | मुझे ज्यादा घुमने की जरुरत नहीं होती थी; क्योकि , मार्केट एक बंद बिल्डिंग मे था और एक ही गेट से कोई भी आ जा सकता था और अगर वो गेट बंद हो जाये, तो कोई भी बिल्डिंग के अन्दर नहीं आ जा सकता था | बिल्डिंग एक साइड मे छोटी सी गली थी, जिसमे मै अक्सर एक कम्बल डालकर सो जाया करता था | लेकिन, मै सोता जब ही था, जब थोडा सा दिन निकल जाता था और सड़क पर थोड़ी से चहल-पहल शुरू हो जाती थी | सुबह ४ बजे सड़क की सफाई होनी शुरू होती थी और उस समय एक औरत सड़क की सफाई करती थी | उसके पास, मेरा आसपास का एरिया था | सुबह ४ बजे काफी अँधेरा होता था, तो उसका पति भी उसके साथ आता था |

उस पूरी सड़क पर, अकेला मै ही होता था; तो उसका पति मेरे पास आकर बैठ जाता था | मैने उस गली मे, चाय बनाने का भी इंतजाम कर रखा था, तो वो और उसका पति मेरे पास आकर पहले चाय पीते थे और फिर उसकी पत्नी काम शुरू करती थी | बातो-बातो मे, मुझे उसका नाम मधु पता चला था और वो ३२ साल की मस्त और सुंदर औरत थी | उनके कोई भी बच्चा नहीं था और अब वो उसको चाहते भी नहीं थे, तो उसकी पत्नी ने अपना इलाज करवा लिया था | उसका पति काफी बड़ा दारूबाज़ था और हमेशा ही नशे मे धुत रहता था | सुबह भी, जब वो आता था तो उसकी आँखे नशे मे होती थी और उसका शरीर झूल रहा होता था | जब भी मै उन दोनों से मिलता था, तो मधु को बड़ी शर्म महसूस होती थी, कि उसका पति बेवड़ा है | कुछ दिनों से मधु का पति नहीं आ रहा था और मधु भी मेरे साथ चाय नहीं पी रही थी | आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। सर्दी का मौसम था और मुझे सुबह नीद आ जाती थी | मुझे सुबह मधु का पति ही जगाता था; उसके ना आने से मै थोडा देर तक सो लेता था | मुझे गंदे सपने देखने की आदत थी, तो शायद मधु ने मेरा खड़ा लंड देख लिया होगा और इसलिए वो मेरे साथ चाय पीने नहीं आयी | एक दिन कुछ खटपट से मेरी नीद खुल गयी, तो देखा कि मधु मेरी जगह को साफ़ कर रही थी |

मैने उसको देखकर चाय के लिए पूछा, तो उसने बोला, तुम मुझे सामान दे दो, मै बना देती हु | उस दिन उसकी आवाज़ मे कुछ उदासी थी | मुझे मधु अच्छी लगती थी और मैने अपने प्यार भरे हाथ उसकी जांघो और कंधे पर रखे; तो वो रो पड़ी और उसने बोला, कि मेरा पति आजकल ज्यादा दारु पीने लगा है और जुआ भी खेलने लगा है | एक दिन उसने किसी से पैसे लेकर जुआ खेला और हार गया, तो उसने मधु का शरीर उसको पेश कर दिया | उस रात उन्होंने मधु को नोचा और काटा, इसलिए मधु ३-४ नहीं आ पाई थी | मुझे उससे हमदर्दी होने लगी थी और मैने उसको अपनी तरफ खीच लिया और उसका सर अपने कंधे पर रख लिया | उसके चुचे के सही माप मुझे उस दिन पता लगा और मेरे हाथ अनायास ही उसके चूचो पर चले गये | उसने टेढ़ी नजरो से मुझे देखा और एक मुस्कराहट के साथ अपना चेहरा नीचे कर लिया | शायद, प्यास का स्पर्श आज उसे पहली बार मिला था और वो भी इस मौके को गवाना नहीं चाहती थी | हम दोनों गली की ओट मे चले गये, ताकि कोई हमें देख ना सके और जमीन पर कम्बल डाल दिया और उस पर मैने मधु को लिटा दिया और खुद अदा उसके ऊपर झुक गया |

हम दोनों एक दुसरे की आँखों मे देख रहे थे और मेरे हाथ उसके बालो से खेल रहे थे | हम दोनों की साँसे तेज होने लगी और फिर मैने अपने होठो को नीचे करके मधु के होठो पर रख दिया और मधु का बदन एक दम ऊपर उठ गया | हम दोनों की साँसे गरम हो चुकी थी और बहुत तेज चल रही थी | मधु के पैर कसमसा रहे थे और मैने अपने हाथो से मधु का चेहरा कसकर पकड़ा हुआ था और और हम दोनों एक दुसरे को मस्त मे चूम रहे थे | फिर, मधु ने मरे शर्ट के बटन खोल दिये और मेरी छाती को चूमने लगी | पता नहीं, कितने दिनों से वो प्यासी थी | मैने भी उसकी साड़ी को खोल दिया और उसका ब्लाउज उतार दिया और उसको आधा नंगा कर दिया |उसके चुचे मेरी उम्मीद से भी ज्यादा बड़े थी और उसके गोरे चूचो पर गुलाबी निप्पल मस्त लग रहे थे | फिर, मुझे जुआ खेलने वालो की याद आये | मधु को देखकर किसी की भी नियत ख़राब हो सकती थी | फिर, मैने अपने होठो से मधु के निप्पल को चुसना और खीचना शुरू कर दिया और मधु के होठो पर अपनी ऊँगली घुसा दी | हम दोनों ही हवस मे बह चुके थे और अब और नहीं रुकना चाहते थे | मै मधु के ऊपर से उठा और मधु के सारे कपडे उतार दिया और खुद भी नंगा हो गया | क्या बला की खुबसूरत थी मधु |

मेरा लंड तो बार-बार झटके मार रहा था और किसी की आनेका भी डर था | मैने मधु के पैर खोले और अपना मुह मधु की चूत मे घुसा दिया और मस्ती मे चाटने लगा | खुद देर तो मधु ने बर्दाश्त किया, लेकिन एक हद के बाद मेरे बाल खीच लिए और बोली, अब डाल दो ना राजा | मधु की प्यास देखकर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और मैने अपने घुटनों पर बैठकर मधु की टांग खोल दी और अपना लंड रगड़ने लगा और फिर, एक तेज दवाब से अपनी गांड को धक्का मारा |मेरा लंड एक ही बार मे, मधु की चूत को फाड़ता हुआ, उसकी चूत मे घुस गया | मधु की चीख निकल गयी और उसे दर्द होने लगा था | आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। वो काफी बार चुद चुकी थी, लेकिन मेरे बड़े लंड ने उसकी चूत की बैंड बजा दे थी | हम दोनों की गांड जोर से हिल रही थी और फट-फट करके हम दोनों के शरीर टकरा रहे थे | हम दोनों की झांट आपस मे उलझ गयी थी और बाल टूटकर गिर रहे थे | हम दोनों के ही झटके तेज होने लगे थे और एक साथ गरम पिचकारी के साथ हम दोनों ने अपना पानी छोड़ दिया | हम दोनों एक दुसरे के ऊपर गिर गये और काफी देर तक नंगे लेटे रहे | उस दिन मधु और मैने दोनों ने मज़ा किया और बाद मे मधु ने मुझे चाय बनाकर पिलाई | अब हम दोनों रोज़ सुबह चुदाई करते है, फिर चाय पीते है और फिर मधु काम पर जाती है |

पड़ोस की छत पर की पड़ोसन गर्लफ्रेंड की चुदाई Pados ki chat par ki padosan girlfriend ki chudai

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हैल्लो दोस्तों में रजत दिल्ली का रहने वाला हूँ। ये कहानी मेरी पड़ोस मैं रहने वाली फॅमिली की है उस फॅमिली मैं एक लड़की थी जिसका नाम नेहा था जो मेरी गर्लफ्रेंड थी। पहले मैं आपको उसकी फॅमिली के बारे मैं बता देता हूँ।

उनकी फॅमिली मैं संजय (मेरी गर्लफ्रेंड के पापा) उम्र 48 साल हाइट 5’8. पूजा (गर्लफ्रेंड की माँ ) उम्र 44 साल हाइट 5’5. राकेश (गर्लफ्रेंड का भाई) उम्र 26 साल हाइट 5’6. सोनिया (गर्लफ्रेंड की भाभी) उम्र 23 साल हाइट 5’4
नेहा (मेरी गर्लफ्रेंड) उम्र 20 साल हाइट 5’5. पहले मैं अपनी और गर्लफ्रेंड की कहानी बताता हूँ की कैसे वो मेरी गर्लफ्रेंड बनी ये कहानी 2008 की है मैं 22 साल का हूँ और एक कंपनी मैं कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब कर रहा हूँ मेरे पड़ोस मैं कोई फॅमिली नहीं थी। मेरी और पड़ोस की छत आपस में जुड़ी हुई थी और हमारे घर के दो तरफ प्लॉट खाली थे और एक तरफ गली और सामने रोड और रोड के सामने पार्क था। मैं गर्मियो मैं अपनी बाजू वाली छत पर ही सोता था क्योकि उसकी बाउंड्री बहुत छोटी थी जिससे वहाँ हवा अच्छी लगती थी।

कुछ दिनो के बाद वहां पर एक फॅमिली आई और मैं बाहर ही बैठा अपने एक दोस्त के साथ बात कर रहा था। उनके साथ उनका बहुत सारा समान था जो एक ट्रक मैं था उन्होने मुझे और मेरे दोस्त को बुलाया और उनकी मदद करने के लिए कहा मेरे पापा भी वही थे तो उन्होने भी उनका समान उतारने मैं उनकी मदद की और घर मैं रख दिया। उन्होने हमे शाम को अपने घर पर खाने के लिए बुलाया मेरी मम्मी और पापा किसी के घर खाना नहीं खाते इसलिए मैं और मेरा भाई और मेरा दोस्त उनके घर गये और हमने वहाँ पर खाना खाया।

फिर हम घर आ गये में अब रोज की तरह खाना खाकर छत पर घूम रहा था। अचानक वो लड़की और उसकी बहन और भाई छत पर आ गये और हम बाते करने लगे वो लड़की मुझे देख रही थी मैं भी उसे बार बार देख रहा था और हमे बाते करते करते बहुत समय हो गया फिर वो दोनो बहने नीचे चली गई और मैं अपना बिस्तर लेकर ऊपर आ गया और सोने लगा तो उसका भाई भी मेरे पास आ गया और हम बाते करते करते सो गये ऐसे ही कुछ दिन बीत गये मैं और वो लड़की बहुत घुल मिल गये थे और हम बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अब हमारे बीच फोन पर भी बात होने लगी एक दिन उसने मुझे छत पर बुलाया बहुत धूप थी मैं छत पर गया और तो उससे पूछा की उसने मुझे क्यों बुलाया है तो उसने कहा की उसे मुझसे कुछ बात करनी है मैने कहा कहो आप बुरा तो नहीं मानोगे वो बोली मैने कहा  नहीं मानूँगा बोलो।

मुझे लगता की है मुझे आपसे प्यार हो गया है उसने नज़र नीचे करते हुए कहा। ये तुम क्या कह रही हो मैने कहा। तभी वो बोली क्या मैं आपको अच्छी नहीं लगती उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा नहीं ऐसी बात नहीं है आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा। तभी उसने कहा की में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और अचानक मेरे गले लगते हुए थोड़ी देर मैं मैने उसे हटाया और कहा में भी तुम से बहुत प्यार करता हूँ और फिर हम नीचे आ गये। नीचे आते ही उसका फोन आया और हम बाते करने लगे।

मैं रोज़ की तरह छत पर ही सोता था और ये वो भी जानती थी लेकिन अब मैं अकेला ही सोता था उसका भाई नीचे ही सोता था। मैं ऐसे ही लेटा हुआ था रात के 10 बजे थे अचानक मेरे फोन पर मेसेज आया मैंने देखा तो वो मेसेज उसका ही था मैने फोन किया और हम बात करने लगे। हम धीरे धीरे बहुत रोमेंटिक बाते करने लगे और मैने उससे कहा की प्लीज़ नेहा मुझे आपसे मिलना है। सुबह मिलते है उसने कहा नहीं मुझे अभी मिलना है मैने उससे कहा।

नेहा: लेकिन अभी कैसे मिल सकते है।

मैं: अभी क्यों नहीं मिल सकते है।

नेहा: लेकिन अभी रात हो चुकी है और घर मैं सब है अगर किसी को कुछ पता चल गया तो।

मैं: मैं कुछ नहीं जनता आपको मुझसे अभी मिलना है या नहीं।

नेहा: जानू मैं मिलना तो चाहती हूँ लेकिन।

मैं: लेकिन क्या अगर आप नहीं आई तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगा।

नेहा: प्लीज जानू तुम समझने की कोशिश करो मैं आना चाहती हूँ लेकिन अभी नहीं आ सकती हूँ।

मैं: तो ठीक है मत आओ मैं जनता था की आप मना करोगी क्योकि आप तो मुझसे प्यार करती ही नहीं हो।

नेहा: मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ लेकिन प्लीज समझा करो मैं अभी नहीं आ सकती हूँ।

मैं: ठीक है मत आओ और मैने फोन काट दिया।

उसने मुझे कई बार फोन किया पर मैने उठाया नहीं। हमे बात करते हुए 12:15 हो गये थे फिर उसने मुझे मैसेज किया सॉरी जानू प्लीज फोन उठाओ ना और वो फिर मुझे फोन करने लगी लेकिन मैने फोन नहीं उठाया और सोने की कोशिश करने लगा। तभी वो ऊपर आ गयी और मुझे उठाने लगी मैं वैसे ही आँख बंद करके लेट रहा वो मुझे उठाने लगी और कहा प्लीज जानू आँखे खोलो ना मैं एक दम उठ कर बैठ गया और उसे प्यार से देखने लगा।

नेहा: क्या हुआ क्यों बुलाया ऊपर मुझे।

मैं: कुछ नहीं कहा “गुस्से से।

नेहा: तो फिर आप मुझसे ऐसे क्यों बात कर रहे हो और “उसकी आँखो मैं आंसू छलक आए थे।

मैं: मुझे नींद आ रही है हटो सोने दो मुझे और मैं सोने लगा।

नेहा: प्लीज़ जानू सॉरी और वो अपने कान पकड़ के रोने लगी।

मैं: उठा और कहा नेहा आप इस तरह रो क्यों रहे हो।

नेहा: आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे थे।

मैं: मैने उसके आँसू पोछे और कहा मैं नाराज़ नहीं हूँ आप रोना बंद करो प्लीज।

नेहा: प्लीज़ जो कहना है जल्दी कहिये मुझे नीचे जाना है अगर कोई आ गया तो बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी।

मैं: कुछ नहीं कहना मुझे आप जाओ।

नेहा: आप तो कह रहे थे कि…

में: मुझे कुछ नहीं कहना अब जाओ और मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ।

नेहा मेरे गले लगी और कहा में आपसे बहुत प्यार करती हूँ और प्लीज आप मुझसे नाराज़ मत हुआ कीजिए। मैने उसे हटाया और कहा ठीक है अब आप जाओ और वो वहां से चली गई और में सोने की कोशिश करने लगा और मुझे नींद आ गयी सुबह मैं नाश्ता करके ऑफीस चला गया और 2 बजे के करीब उसका फोन आया। मैं लंच के लिए जाने वाला था तो मैंने उसे बाद मे फोन करने को कहा और लंच पर से आते ही मैंने उसे फोन किया और हम बात करने लगे मैं थोड़ा रूड़ली बात कर रहा था।

नेहा: आप मुझसे नाराज़ है अभी तक

मैं: ऐसी कोई बात नहीं है।

नेहा: तो आप ऐसे क्यों बात कर रहे है।

मैं: ऐसी कोई बात नहीं है में तुम से नाराज़ नहीं हूँ।

नेहा: अच्छा कल तो आपकी छुट्टी है तो हम कहीं बाहर मिल सकते है।

मैं: नहीं मुझे कल बहुत काम है।

नेहा: प्लीज जानू मैं जानती हूँ आप मुझसे बहुत नाराज़ है इसलिए आप ऐसे कह रहे है।

हमारी ऐसे ही बात होने लगी वो मुझसे बार बार मिलने के लिए कहती रही तो मैने गुस्से मैं कह दिया आप सच मैं मिलना चाहती है।

नेहा: हाँ

मैं: लेकिन हमे बाहर किसी ने देख लिया तो।

नेहा: हम छुप कर मिलेंगे।

मैं: और अगर किसी ने बाहर देख लिया तो।

नेहा: गुस्से मैं आपको मुझसे मिलना है या नहीं बताओ।

मैं: नहीं जब आप मिलना ही नहीं चाहती तो क्या फायदा।

नेहा: मैं तो आपसे मिलना चाहती हूँ।

मैं: तो मैं जब आपको कल मिलने के लिए कह रहा तो आप मना कर रही थी और अब….

नेहा: ओके बाबा रात के लिए सॉरी अब तो हम मिल सकते है।

मैं: लेकिन आज ही।

नेहा: आज कुछ सोचने के बाद ठीक है कहा मिलूं बताओ।

मैं: रात को छत पर।

नेहा: आप समझते क्यों नहीं मैं रात को छत पर नहीं मिल सकती।

मैं: तो ठीक है तो बात करने का क्या फायदा अच्छा मुझे वापस जाना है मेरा लंच टाइम खत्म हो गया है ओके बाय।

नेहा: सुनो प्लीज।

और मैने फोन काट दिया और फोन साइलेंट पर कर दिया उसने मुझे कई बार ट्राई किया लेकिन मुझे पता नहीं चला। मुझे ऑफीस मैं देर तक रूकना पड़ा क्योकि महीने का लास्ट था इसलिए सारा काम खत्म करना था मैं रात को 11:30 बजे घर पहुँचा और खाना ख़ान के बाद छत पर आ गया मैने देखा नेहा अपनी छत पर अकेली अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी मुझे देखकर वो मेरे पास आ गयी और कहा इतनी देर कहा थे मैने कहा वो ऑफीस मैं आज काम ज्यादा था।

लेकिन आप आज ऊपर कैसे उसने कहा आपको छत पर मिलना था इसलिए मैं मम्मी से कहकर आई हूँ की मुझे आज छत पर ही सोना है क्योकि मुझे नीचे घुटन सी हो रही है और हम बिस्तेर बिछा कर बैठ गये मेरे छत की दीवार थोड़ी उँची है इसलिए वहां बैठने पर कोई भी हमे नहीं देख सकता था और आजू बाजू मैं कोई घर भी नहीं था और थोड़ी दूर थे। हम बाते करने लगे वो मुझसे थोड़ी दूर बैठी थी मैने अपना सिर उसकी गोदी मैं रख दिया और उसकी आँखो मैं देखने लगा वो भी मुझे देख रही थी।

नेहा: तुम ऐसे क्या देख रहे हो शरमाते हुए।

मैं: आपकी आँखो मैं देख रहा हूँ।

नेहा: ऐसा क्या है मेरी आँखो मैं।

मैं: मैं अपने आप को ढूंड रहा हूँ।

नेहा: क्या आप मिले इनमे?

मैं: हाँ तो आपने हमे अपनी आँखो मैं छुपा कर रखा है।

नेहा: हाँ शायद ठीक कहा अपने।

मैं: अच्छा क्या और कहीं भी छुपा कर रखा है।

नेहा: हाँ

मैं: और कहाँ।

नेहा: अपने दिल मैं।

मैं: अच्छा देखूं और मैने उसके सीने पर हाथ रख दिया।

नेहा: मेरा हाथ हटाते हुए तुम ये क्या कर रहे हो।

मैं: आपके दिल मे देख रहा हूँ क्या मैं नहीं देख सकता हूँ।

नेहा: नहीं।

मैं: क्यों नहीं देख सकता।

नेहा: मुझे गुदगुदी होती है।

मैं: अच्छा और उठकर उसकी तरफ देखने लगा वो सफेद सूट मे थी वो बहुत खूबसूरत लग रही।

नेहा: क्या हुआ?

मैं: कुछ नहीं बस आपको देख रहा हूँ एक बात कहूँ।

नेहा: कहो।

मैं: मुझे आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।

नेहा: शरमाते हुए आप मेरी झूठी तारीफ मत कीजिए और नीचे देखने लगी।

मैं: आपको लगता है मैं आपकी झूठी तारीफ कर रहा हूँ इसका मतलब मैं आपसे हमेशा झूठ बोलता हूँ।

नेहा: मेरी तरफ देखते हुए मेरा मतलब ये नहीं था मे तो बस।

फिर हम एक दूसरे को देखने लगे फिर मैने अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और किस करने लगा। हम दोनो की साँसे तेज होने लगी हम दोनो एक दूसरे को फ्रेंच स्टाइल मे पागलो की तरह किस कर रहे थे। मैने एक हाथ उसके बूब्स पर रख दिया और धीरे धीरे प्रेस करने लगा वो मुझे पागलो की तरह किस करते हुए मेरे बालो मे अपनी उंगलियां फेर रही थी उसकी तेज होती साँसे मुझे महसूस हो रही थी मे उसे किस करते करते नीचे आने लगा और उसके गले के दोनो तरफ किस करने लगा।

अब उसने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे होंठो को किस करने लगी थी। थोड़ी देर किस करने के बाद मैने उसे दूर किया और उसके सूट को उतार दिया वो अब सिर्फ़ ब्रा मे थी। फिर मैं ब्रा के उपर से ही उसके बूब्स को चूमने लगा वो मेरे बालो मे उंगलियां घुमाते हुए अपने बूब्स पर मेरे सिर को प्रेस करने लगी। मैं उसके बूब्स को उसके ब्रा के ऊपर से ही चूमने चाटने लगा था।

वो सिसकारियाँ लेते हुए मेरे सिर को अपने बूब्स पर प्रेस कर रही थी। फिर मैं उसके पीछे होते हुए उसकी ब्रा के हुक को चूमते हुए उसकी पीठ को चूमने लगा उसकी धड़कन और तेज होने लगी और फिर मैने उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और मैने सामने आ कर उसके बूब्स पर से ब्रा को भी हटा दिया और उसके बूब्स देखने लगा उसके गोरे बूब्स साइज़ लगभग 36 मेरी आँखों के सामने थे।

मैं उसके एक बूब्स को हाथ मैं लेकर दबाने लगा और दूसरे बूब्स के ऊपर के गुलाबी दाने को मुहं मे लेकर चूसने लगा वो जोश मे मुहं से सिसकारियाँ निकालने लगी अया आअहह ऊ ह हह और अपने बूब्स पर मेरा सिर प्रेस करने लगी मे उसके बूब्स चूसते हुए कभी कभी उसे धीरे से अपने दांतो से काट लेता और वो सिहर उठती उसके मुहं से हल्की की चीख उठती। मैं उसके बूब्स चूसते हुए उसके पेट तक उसे चूमने लगा था। फिर मैने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और नीचे खींचने लगा उसने अपने चूतड़ उठाकर उसे निकालने में मेरी मदद की फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को उसकी पेंटी के ऊपर से सहलाने लगा था।

वो अब फुल जोश में हो चुकी थी। अब मैंने उसकी पेंटी को नीचे कर दिया और उसकी टांगो से अलग कर दिया था। उसने अपनी टांगे आपस मैं जोड़ ली थी मैने उसकी टांगो को खोला और उसकी चूत को देखने लगा उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था। मैने जैसे ही उसकी चूत पर अपना हाथ रखा उसके मुहं से हल्की सी सिसकियां निकलने लगी थी।

मैं उसकी गुलाबी चूत पर उगे बालो पर अपनी उंगलिया फेरने लगा वो पहले की तरह मचलने लगी फिर मैने उसकी चूत का मुहं खोलकर उसे देखने लगा क्या खूबसूरत चूत थी उसकी मैं पागल हुआ जा रहा था चाँद की चाँदनी रात मैं वो बहुत खूबसुरत लग रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर मैने धीरे से उसकी चूत मे अपनी एक उंगली डाल दी वो चीख उठी और उसके मुहं से अहह आअअहह निकलने लगी। फिर में उसे अपनी उंगली से चोदने लगा उसे बहुत मज़ा आ रहा था मैं भी अब बहुत जोश मैं था मैं ज़ोर ज़ोर से अपनी उंगली उसकी चूत मे अंदर बाहर कर रहा था।

वो सिसकियां ले रही थी अब उसका शरीर बहुत ऊपर नीचे हो रहा था और वो बहुत हाफ़ भी रही थी मैं समझ गया की उसे अब क्या चाहिए फिर मैने अपनी उंगली उसकी चूत से निकाली और अपने कपड़े निकाल दिए मैं बहुत उत्सुक था और जोश से मेरे लंड बहुत कड़क हो गया था।

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा वो पागलो की तरह अपने चूतड़ ऊपर नीचे कर रही थी। मैं अपना लंड उसकी चूत से रग़ड़ रहा था अब हम दोनों से रहा नहीं जा रहा था मैने अब धीरे से अपना लंड उसकी चूत के मुहं पर टिका दिया और एक हल्का सा एक झटका मारा मेरा लंड उसकी चूत में जाने का नाम नहीं ले रहा था। उसकी चूत बहुत टाईट थी लंड नहीं जा रहा था चूत में मैने दोबारा कोशिश की लेकिन बहुत दर्द हुआ हम दोनों को मैने एक जोरदार धक्का मारा लंड चूत में चला गया और वो बहुत जोर से चीखी मैने उसके मुहं पर अपना हाथ रख दिया और रुक गया और थोड़ी देर के बाद फिर से धीरे धीरे से लंड को चूत में आगे पीछे करने लगा लेकिन हमारी हालत बहुत खराब थी इस चुदाई से हमे मजा भी बहुत आ रहा था। 

अब उसने मुझे कसकर पकड़ लिया था। में नहीं रुका और चोदता गया अब मैने नीचे देखा उसकी चूत से खून निकल रहा था तभी वो बोली प्लीज आज मुझे ऐसे चोदो कि में आज पूरी आपकी हो जाऊं। मिटा दो इस चूत कि आग को चोदो और चोदो जोर से प्लीज अब मैने लंड के साथ अपनी एक ऊँगली भी उसकी चूत में डाली और उसे सहलाने लगा था। अब मेरी स्पीड कुछ कम हो गई थी क्योंकि में भी झड़ने वाला था लेकिन तभी कुछ देर के बाद मुझे लगा की में अब झड़ने लगा हूँ तो मैने और स्पीड बड़ा दी थी और वो चुदने का मजा ले रही थी मुझसे बिना कुछ कहे और फिर मेरे लंड से भी वीर्य निकल गया था और उसकी चूत भी बहुत पानी छोड़ चुकी थी। उसने मेरी तरफ देखा और कहा प्लीज अब कुछ देर लंड को चूत में रहने दो और वो खुद ही चूत को हिला कर चुदाई का मजा लेने लगी और कहने लगी आज तुमने ये क्या किया मेरी चूत को फाड़ दिया अब मुझे रोज कौन चोदेगा तुम फ़िक्र मत करो जब कहोगी में चोदूंगा इस चूत को और हम जब भी जी करता एक दूसरे की आग को बुझा देते है। मैने कई बार मौका देखकर उसे छत पर ही चोदा था।

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मेरा नाम अजमेर-बॉय (बदला हुआ), वैशाली नगर अजमेर राजस्थान में मेरा घर है। हमारे घर के पास एक आंटी रहती हैं। उनके पति दुबई में काम करते हैं। मैं पैसों के लिए सेक्स करता हूँ पर पेशेवर नहीं हूँ। एक दिन मैं अपनी गाड़ी से बाज़ार जा रहा था, उसी समय आंटी भी बाज़ार के लिए निकलीं। मैंने भी उनसे बाज़ार जाने की बात की और उन्हें भी गाड़ी पर बैठने का आग्रह किया, तो आंटी ने ‘हाँ’ कह दी और वो गाड़ी पर बैठ गईं। मैंने उन्हें चूड़ी बाज़ार छोड़ दिया। मैं अपने काम से गया था सो काम करके वापस घर आ गया। अगले दिन उन्होंने मुझे कल के लिए ‘थैंक्स’ कहा और कभी घर पर आकर चाय पीने का बोला और चली गईं।

मैं एक दिन कालोनी मैं मॉर्निंग में पांच बजे मॉर्निंग-वाक पर निकला और आंटी भी वाक पर निकलीं। मैं उन्हें गुड-मॉर्निंग कह कर आगे बढ़ गया। बाद में आंटी से मेरी मुलाकात गार्डन में हुई। तब ही मुझे मालूम हुआ था कि उनके पति दुबई में हैं और वहीं पर काम करते हैं। आंटी और मैं वापस घर के लिए चल दिए, तब आंटी ने मुझ चाय के लिए कहा, मैं भी ‘हाँ’ कह कर उनके घर की तरफ चलने लगा। घर पर आने के बाद मैंने उनका घर अन्दर से देखा, तब मुझ वो घर किसी राजा का महल सा लगा।

आंटी ने चाय बनाई और चाय पीते-पीते बात होने लगी और हम आपस में घुल-मिल गए। आंटी ने मुझ रात के खाने का ऑफर दिया और कहा- शाम का खाना यहीं पर खा लेना। मैं हाँ करके वापस घर आ गया। दिन में एक ग्राहक के पास गया और उसकी जोरदार चुदाई के बाद मुझे दो हजार रूपए मिले। मैं घर आ गया। रात में आंटी का फ़ोन आया मुझे याद दिलाने के लिये कि मुझे खाना उनके घर पर खाना था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं रात 8 बजे आंटी के घर पर गया और आंटी ने मेरा स्वागत किया और मुझे बैठने को कह कर रसोई में चली गईं और काम करने लगीं। मैं भी उनकी मदद करने के लिए रसोई में चला गया और उनकी मदद करने लगा, वहाँ और बातें हुईं। तब बातों ही बातों में मालूम चला कि आंटी शराब की भी शौकीन हैं।

मैंने उनसे पूछा- आपको क्या पीना पसंद है?

उन्होंने कहा- मुझे बीयर पसंद है।

मैंने आग्रह के साथ पूछा- अगर आप कहें तो मैं बीयर लेकर आऊँ?

आंटी ने कहा- ठीक है।

और मैं गाड़ी लेकर गया, बीयर ले आया। आंटी और मैंने बीयर पीना चालू किया। बीयर पीने पर आंटी को कुछ ज्यादा ही नशा हो गया। मैंने आंटी को किसी तरह खाना खिलाया और आंटी को बेडरूम में सुलाने ले गया और आंटी को सुला कर मैं वापस जाने के लिया तैयार हुआ।

तभी आंटी ने कहा- तुम चाहो तो आज यहीं सो जाओ।

इस पर मैंने कहा- आंटी, मैं यहाँ पर?

तब आंटी ने कहा- मैं तुम्हारी फीस पे कर दूँगी।

मैं एकदम से दंग रह गया और आंटी का मुँह देखने लगा।

आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझसे कहा- मैं जानती हूँ कि तुम पैसों के लिए प्यासी औरतों की चुदाई करते हो।

और मैं सन्न रह गया।

“आपको कैसे मालूम?” मैं उल्लुओं की तरह अपनी पलकें झपका रहा था।

आंटी ने कहा- तुम्हारी अजय नगर वाली ग्राहक मेरी सहेली है। वो एक बार यहाँ आई थी, तब उसने तुम को यहाँ पर देख लिया था। तब उसने ही तुम्हारे बारे में बताया था।

मैं चूतिया सा अपना मुँह बाये खड़ा, मैं अवाक था !

और आंटी ने फिर से कहा- तुम अपनी फीस बोलो।

तब आंटी उठी और मेरा हाथ पकड़ा और कहा- चलो। तब मैं आंटी के साथ उनके बेडरूम में गया और उनका बेडरूम देख कर मेरा दिमाग हिल कर रह गया। आंटी का बेडरूम किसी होटल के रूम से भी ज्यादा अच्छा और मस्त था। बेडरूम में आंटी ने मुझ अपने पास बुला कर कहा- तुम तो पैसों के लिए चुदाई करते हो तो शरमा क्यों रहे हो !

मैं आंटी के पास गया और आंटी के कपड़े उतारने लगा। तब आंटी के मस्त उरोज देख कर मेरा दिमाग भन्ना गया और मैंने उनके और अपने भी कपड़े उतार दिया। आंटी नशे में थीं। मैंने आंटी को ऊंचाई पर बिठा दिया और उनकी चूत चाटने लगा। आंटी ‘उई माँ… उई माँ…’ चिल्लाने लगीं और उनकी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया। मैं आंटी की चूत का पानी पीने लगा।

“मादरचोद… बहन के लंड… चूस ले मेरी चूत !” उन्होंने मुझे गालियां देनी चालू कीं, तब मैंने अपना 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड निकाल कर आंटी के सामने खोल कर हिलाया। आंटी ने मेरा लंड देख कर अपनी आँखें हैरत से फैला लीं।

आंटी बोलीं- यह लंड है या मोटा मूसल !!

और आंटी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, उन्होंने मुझ पलंग पर पटक दिया और लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। आंटी ने लंड को चूस-चूस कर मार डाला था। ‘हाँ’ मार ही डाला था जब किसी लौड़े का पानी निकल जाता है वो मृत कहलाता है। आंटी ने मेरा लण्ड चूस-चूस कर उसका पानी निकाल दिया और पानी को पीना चालू किया। कुछ देर बाद आंटी ने चोदने के लिए कहा और बेड पर आकर लेट गईं। मैंने अपना मोटा लंड आंटी की चूत पर टिकाया और एक जोर का झटका दिया और मेरा मोटा लंड उनकी चूत में घुस गया।

‘फाड़ दी… माँ के लौड़े…’ आंटी दर्द के मारे जोर से चिल्लाईं और मुझ गालियाँ देने लगीं।

मैंने आंटी की गालियों की परवाह किए बगैर उन्हें हचक कर चोदने लगा। कुछ ही पलों में आंटी भी मेरा मोटा लंड आराम से लेने लगीं और चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई करवाने लगीं। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। आंटी ने चुदाई के दौरान मुझे गंदी-गंदी गालियाँ दीं और मुझे थप्पड़ भी मारे। मैं आंटी की चुदाई जोर-जोर से करने लगा। कुछ ही देर बाद जब मैं झड़ने को हुआ तो आंटी को बोला- मेरा तो होने वाला है।

तब आंटी ने मेरा लंड निकाल कर उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं और मेरे वीर्य को पी लिया। मेरा लंड पूरा खाली हो चुका था और आंटी तब भी लंड को जोर-जोर चूसे जा रही थीं। आंटी ने लण्ड को मुँह से बाहर निकाल कर कहा- मेरी ऐसी चुदाई 4 साल बाद मेरे पति के दुबई जाने के बाद पहली बार हुई है। आंटी और मैं एक बार नहा लिए और बाथरूम में मैंने आंटी की चूत चाटी और उनकी चूत का पानी भी पिया और आंटी को घोड़ी बना कर और एक बार चोदा। नहा कर बाहर आकर आंटी से थैंक्स कह कर मैं अपने घर पर जाने लगा तो आंटी ने मुझ से रुकने को कहा और खुद भी बैठ गईं।

मैंने आंटी से पूछा- उनको चुदाई कैसी लगी?

तो बोलीं- तुम हो ही घोड़े, तो मस्ती तो आएगी ही न !

मैंने आंटी के साथ इतना गंदे तरीके से चुदाइयाँ की हैं कि आप सोच भी नहीं सकते। आंटी की चुदक्कड़ सहेलियाँ भी गन्दी चुदाई ही पसंद करती हैं। मैं अपना काम करता हूँ पैसे कमाने का ! जिगोलो का काम करना जितना मजेदार होता है उतना ही गन्दा भी होता है। आपके विचारों का स्वागत है।

अनाज मंडी में चलती फिरती लड़की की चुदाई Anaj mandi me anjan ladki ki chudai raat ke samay

अनाज मंडी में चलती फिरती लड़की की चुदाई Anaj mandi me anjan ladki ki chudai raat ke samay, लड़की को अनाज मंदी में चोदा, अनाज मंडी में लड़की की चूत को चोदकर लंड को शांत किया, महिला ने रण्डी की तरह चुदवाया, चलती फिरती चूत ने लंड को खोज ही लिया, किस्मत में चुदाई है तो कोई रोक नहीं सकता है.

हेल्लो दोस्तों कैसे हो? उम्मीद करता हूँ ठीक ही होंगें. अरे भाई इतनी मस्त कहानी जो पढ़ रहे हो. तो चलो लगे हाथों एक कहानी मैं भी आपसे शेयर कर ही लूँ. ये बात पिछली साल की है. मैं कपास लेकर अनाज मंडी में बेचने गया हुआ था. कपास की बिक्री तो हो गई थी लेकिन ज्यादा भीड़ होने के कारण तुलाई होनी अभी बाकि थी इसलिए मुझे रात को कपास के ढेर पर ही रजाई लेकर सोना पड़ा. रात के 10 बजे तक तो अनाज मंडी में काम चलता रहा लेकिन 10 बजे सभी मजदुर अपने - अपने घरों में चले गए और बाकि किसान भी अपने - अपने आढ़तियों की दुकानों में जाकर सो गए लेकिन मेरी कपास मंडी के गेट से बाहर थी इसलिए मुझे पूरी रात इसकी रखवाली करनी जरुरी थी नहीं तो कोई भी आवारा पशु इसे खराब कर सकता था.

रात के ठीक 11 बजे वहां दो लडकियां आई. उनमे से एक आगे चली गई और एक मेरे पास बैठ गई. 

मैंने कहा - कौन हो तुम.
वो बोली - मेरा नाम रीता है.
मैंने कहा - क्या बात है?
वो बोली - कुछ नहीं.
मैंने कहा - तो जाओ अपने घर.
वो बोली - थोड़ी देर आराम करके चली जाउंगी.
मैंने कहा - वो दूसरी तो चली गई.
वो बोली - मैं तुमसे कुछ काम हूँ.
मैंने कहा - मुझसे, क्यों तुम मुझे जानती हो?
वो बोली - नहीं
मैंने कहा - तो बिना जान - पहचान मुझसे क्या काम.
वो बोली - मुझे चुदवाना है, चोदोगे क्या.

मैं चकित रह गया. वो मेरे बिलकुल करीब आ गई. मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी. मैं कुछ बोल ही नहीं पाया, इतने में उसने मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया. फिर उसने मेरी पैंट की चैन खोलकर लंड को पैंट से बाहर निकाल लिया और उसे चूसने लगी. अब मुझे भी मजा आने लगा और मेरा डर भी कम हो गया. थोड़ी देर लंड चूसने के बाद रीता ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. फिर उसने मुझसे कहा कि तुम भी अपने कपड़े उतार दो और पूरे नंगे हो जाओ. फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अब हम दोनों पुरे नंगे थे. 

अब उसकी भरपूर जवानी देखकर मेरा लंड पूरा 8 इंच खड़ा हो चुका था. हाए-हाए क्या मस्त चूचे थे? उसके गोल-गोल चूचे 36 साईज के थे. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। अब में उनको अपने मुँह में लेकर चूसे जा रहा था. अब वो आअहह आअहह हाईईई की आवाज़ करने लगी थी. अब वो मेरे लंड को ज़ोर-जोर से दबाने लगी थी. फिर मैं धीरे-धीरे उसकी चिकनी चूत में अपनी उंगली डालने लगा.

अब रीता भी अपने पूरे जोश में आ गई थी और अब वो मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से मसल रही थी. मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. अब उसे मेरा इतना बड़ा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था. फिर वो 5 मिनट तक ऐसे ही मेरा लंड लॉलीपोप की तरह चूसती रही. फिर उसने कहा कि मुझे चोदो.

उसने मुझे एक कंडोम दिया फिर मैंने झट से कंडोम पहना और उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया और उसकी टाँगो को अपने कंधे पर रख लिया और फिर उसकी चूत के छेद पर निशाना लगाकर अपने लंड को उसकी चूत में सट से घुसा दिया. फिर उसने थोड़ा सा आईई माँ किया और फिर मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया. अब मैंने धीरे-धीरे धक्के देने चालू कर दिए थे और अब रीता को मज़ा आने लगा था और वो भी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी थी.

फिर कुछ देर तक चुदने के बाद रीता ने कहा कि तुम नीचे आओ में ऊपर आती हूँ. फिर रीता मेरे ऊपर आ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में डलवा लिया और ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड के ऊपर कूदने लगी. अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था, अब वो उफफफफ्फ़ आहि आईईई आहह फुक्ककक मी हाडरर्र आहह बेबी करके आवाज़े भर रही थी. अब वो अपनी चूत को मेरे बड़े लंड पर मानो पटक रही थी. अब मैंने नीचे से अपने लंड की रफ़्तार तेज कर रखी थी.

फिर रीता ऐसे करते-करते झड़ गई और मेरे ऊपर गिर गई. फिर मैंने कहा कि बस? तो रीता ने कहा कि मुझे पहली बार में खुद की चूत का पानी गिराने में मज़ा आता है और दूसरे राउंड में हम और भी तरीके से चुदाई करेंगे. फिर मैंने कहा कि ठीक है और अब में रीता के बूब्स को लगातार दबा रहा था और चूम रहा था और उसके साथ उसकी चूचीयों को चूस भी रहा था, ताकि वो जल्दी से जोश में आ जाए.

फिर हम दोनों 69 पोजिशन में हो गये और अब वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी और में उसकी चूत को जोर-जोर से चूस रहा था. फिर जैसे ही में उसकी चूत में अपनी जीभ को अंदर करता तो वो मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से काट लेती, ऐसा लगता है कि जैसे खा जाएगी. फिर थोड़ी देर के बाद रीता ने कहा कि बस करो अब आओ चोदो मुझे. फिर मैंने देरी ना करते हुए उससे पूछा कि तुम अब कैसे चुदवाना चाहोगी? अब वो मेरी तरफ उसकी बड़ी गांड करके बिस्तर पर अपनी गांड को हिलाने लगी थी.

अब में समझ गया था कि वो डॉगी स्टाइल में चुदवाना चाहती है. फिर मैंने एक और कंडोम पहना और पीछे से मेरा बड़ा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्का लगाने लगा. अब वो आहहह आहहईईईई उफ़फ्फ़ करने लगी थी और अपनी चूत को मेरे लंड पर ज़ोर-ज़ोर से मारने लगी थी. अब वो आहहह आईईईई की सिसकियाँ भर रही थी और में पूरे जोश में उसको चोद रहा था.

अब में भी जोर जोर से धक्के दिए जा रहा था. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर रीता ने कहा कि तुम थोड़ी देर रुक जाओ, में खुद चुदती हूँ. अब रीता ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड पर अपनी गांड को पटकने लगी थी और में इस तरह सीधा खड़ा था और उसकी चूत मेरे लंड को चोद रही थी, अब में सिर्फ़ उसकी कमर को पकड़े हुए था. अब वो बड़े अच्छे से चुदवा रही थी और मज़े ले रही थी और आहह आहह की आहें भर रही थी. अब में पीछे से उसकी चूत को अपने लंड से दनादन पेल रहा था. अब में कभी-कभी उसकी चिकनी चूत को मसल भी लेता था, जिससे वो और मज़े लेकर चुद रही थी.

अब मज़े से उसकी आँखों में से आसूं भी निकल आए थे, लेकिन वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी. फिर मैंने उसकी टांगे ऊपर कर दी और उसे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा और पूरे जोश से पेलने लगा. अब उसकी चूत से पच-पच की आवाज़े आ रही थी और वो नीचे से अपनी कमर हिला रही थी और ज़ोर से चोदो मुझे बेबी बोले जा रही थी. अब ऐसा लग रहा था कि में भी झड़ जाऊंगा तो मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए और नीचे से रीता भी ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगी. फिर उसने मुझे एका एक अपनी बाहों में ज़ोर से जकड़ लिया और झड़ने लगी. अब में भी अंतिम कगार पर पहुँच गया था, फिर मैंने भी अपना आखरी धक्का मारा और झड़ गया.

फिर हम दोनों लेट गये और फिर थोड़ी देर के बाद उसने मुझे किस किया और वहां से चली गई.

दोस्त की बेटी मेरे साथ नंगी लेटी मैंने उसकी माँ चोद दी Dost Ki Beti Mere Sath Nangi Leti Maine Uski maa chodi

दोस्त की बेटी मेरे साथ नंगी लेटी मैंने उसकी माँ चोद दी Dost Ki Beti Mere Sath Nangi Leti Maine Uski maa chodi, दोस्त की बेटी की चुदाई, दोस्त की बेटी चुद गई, दोस्त की बेटी को चोद दिया, दोस्त की बेटी की कामवासना, दोस्त की बेटी के साथ बिताई रात, चुद्क्कड़ दोस्त की बेटी और सेक्सी, दोस्त की बेटी की चूत में लंड, दोस्त की बेटी की चूत की प्यास बुझाई. चूत में लंड डालकर किया शांत, बड़े लंड से दोस्त की बेटी की चूत को चोदा.

दोस्तो आज अपने एक मित्र की कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ। बड़ा विचित्र सा संयोग था, मेरा एक परम मित्र जो बचपन का मित्र था, उसकी बेटी के साथ मेरा एक तजुरबा मैं आपके सामने रखने जा रहा हूँ। कहानी काल्पनिक है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है, सिर्फ मेरे मन की इच्छा थी, जो मैंने कहानी के रूप में आपके सामने पेश की है। बात तब की है जब मेरा तबादला जयपुर से दिल्ली हो गया। मैंने अपने किसी वाकिफ की मदद से एक पीजी में कमरा ले लिया। घर का खाना और आराम मिल गया। जिनके घर में मैं रहता था, उनके साथ भी अच्छा दोस्तना हो गया। सोनी साहब के एक बेटी थी लवली, करीब 19-20 साल की, अच्छी सुंदर, पतली दुबली, मगर ज़रूरत का सामान पूरा था उसके पास।

श्रीमती सोनी भी बहुत अच्छी थी, मेरा खयाल रखती थी, टाइम से खाना, चाय सब देती। मेरी अच्छी मित्र भी बन गई थी। अक्सर घर परिवार की बातें कर लेती थी मेरे साथ। अब मैं ठहरा अकेला आदमी। अब जिसे बीवी से दूर रहना पड़े उसके लिए तो हर औरत, सिर्फ एक सुराख लगती है जिसमें वो अपना लंड डाल सके। सो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं थी कि श्रीमती सोनी मुझसे चुदती या उनकी बेटी, मेरे लिए दोनों सिर्फ एक चूत थी, सिर्फ अपनी अन्तर्वासना को शांत करने का साधन।

यूं दुनिया के सामने मैं दोनों माँ बेटी को बहुत सम्मान देता, बहुत प्यार से भाभीजी, बेटा बेटा कह कर पुकारता, मगर अंदर मन ही मन मैं उन दोनों की ढलती और चढ़ती जवानी को भोगने के लिए मर रहा था। जब काम दिमाग में बहुत ज़्यादा चढ़ जाता तो बहुत बार मैंने उन दोनों के नाम की मुठ भी मारी थी। जब घर वापिस जाता तो बीवी को भी उन दोनों के रूप में ही चोदता।

एक दिन वैसे ही बैठे बैठे दिमाग में एक आइडिया आया। मैं केमिस्ट की दुकान पे गया और वहाँ से एक जोड़ी सर्जिकल दस्ताने ले आया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। घर आकर मैंने एक चौड़े मुँह वाली प्लास्टिक की बोतल ली जिसमें हम फ्रिज में पानी भर के रखते हैं। मैंने एक दस्ताना पानी भरी बोतल में डाला और उसका कलाई वाला हिस्सा बाहर को मोड़ कर उस पर रबर चढ़ा दी। अब दस्ताना बोतल के अंदर नहीं गिर सकता था।

मैंने अपना लंड थोड़ा सा हिलाया, थोड़ा सा खड़ा हुआ तो थूक लगा कर लंड को चिकना किया और बोतल में डाला। अब चिकना होने के वजह से लंड बोतल में घुस गया और सर्जिकल दस्ताने की वजह से बहुत ही चिकनी चूत जैसे फीलिंग आई। मैंने बोतल को चोदना शुरू किया, लंड टाइट हो गया और बोतल में पूरा अंदर तक डाल कर मैंने बोतल को दो तकियों के नीचे दबा दिया और बिल्कुल किसी औरत को चोदने की तरह से चोदा।
‘अरे वाह…’ मैंने कहा- यह तो रेडीमेड चूत बन गई।

उसके बाद मैंने उस बोतल को स्खलित होने तक चोदा। जब वीर्य छूट गया तो बोतल से लंड निकाला, बाथरूम में जा कर लंड, दस्ताना और बोतल तीनों अच्छी तरह से धोकर अगली बार इस्तेमाल के लिए रख दिये। अब जब भी दिल करता मैं ऐसे ही सेक्स करता, इसमें फायदा यह कि मुठ मारने से ज़्यादा मज़ा, चुदाई की पूरी फीलिंग और किसी तरह का कोई डर भय नहीं।

अब जब मेरा पानी निकलता हो गया तो उन दोनों माँ बेटी के आगे मैं और ज्याआ शराफत से पेश आने लगा। समय के साथ मैं जैसे उनके घर का मेम्बर ही बन गया। सोनी भाई साहब के साथ अक्सर पेग शेग भी चलता था। धीरे धीरे वो अपने घर की हर बात मुझे बताने लगे। मैंने श्रीमती सोनी से भी दोस्ती बढ़ा ली। अब हालात ये हो गए कि अगर सोनी साहब ज़्यादा टाइम लगाते तो भी मुझे पता होता और अगर सोनी साहब जल्दी आउट हो जाते तो भी मुझे पता होता। मियां बीवी दोनों एक दूसरे के रिपोर्ट मुझे दे जाते।

मगर एक खास बात जो थी, वो यह कि इतना सब कुछ के बावजूद श्रीमती सोनी ने कभी मुझे लिफ्ट नहीं दी, मतलब बेशक वो मुझसे अपने बेडरूम की बातें शेयर कर लेती, मगर कभी मुझे इस बात का फायदा उठाने का मौका नहीं दिया और मैं उनको अपने सेक्स पार्टनर के रूप में हासिल नहीं कर पाया। दोस्त थी, मगर शरीफ औरत थी, मैंने भी कभी उन्हें बेवजह छूने की हिमाकत नहीं की। हाँ, उनकी बेटी को मैं कई बार बाहों में भर लेता, प्यार से उसकी पीठ सहला देता, मगर वो सब एक बाप जैसा प्यार था, हाँ मन ही मन मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरता हुआ उसके ब्रा के स्ट्रैप को छूकर मधुरांचित हो लेता।

ऐसे ही एक दिन दोनों मियां बीवी कहीं गए हुये थे किसी शादी में और रात को देर से आने वाले थे। लवली मुझे खाना दे गई। खाना खा कर मैं छत पे टहलने चला गया। एक बार दिल में खयाल आया कि लवली घर में अकेली है कुछ हिम्मत करके देखूँ। अगर किसी तरह से बात बन जाए यह मान जाए तो उनके दोनों के आने से पहले पहले मैं लवली को चोद लूँ। मगर यह भी बात थी कि लवली अपने बाप की उम्र के आदमी के साथ क्यों सेट होगी, उसे तो अपनी ही उम्र का कोई लड़का पसंद आएगा।

10 बजे के करीब मैंने अपने कमरे की बत्ती बंद की, बोतल रानी में दस्ताना फिट करके दो तकियों के बीचा फंसाया, और लवली का नाम ले ले कर चोद दिया, लंड से वीर्य के फव्वारे छूट पड़े जो सर्जिकल दस्ताने की उँगलियों में बह गए। मैं शांत होकर लेट गया और थोड़ी देर बाद मुझे नींद भी आ गई। करीब 12 बजे मेरी आँख खुली, सोनी साहब के घर से बड़ी आवाज़ें सुनाई दे रही थी, जैसे झगड़ा हो रहा हो। मैंने अपना पाजामा पहना और उठ कर उनके कमरे में गया। मैंने देखा, लवली दीवार के पास खड़ी रो रही थी, श्रीमती सोनी नीचे फर्श पे बैठी रो रही थी और सोनी साहब एक लड़के का हाथ पकड़ के उसके चांटे लगा रहे थे।

समझते देर न लगी कि यह लड़का लवली का बॉय फ्रेंड है। जब मैं सामने आया तो सोनी साहब ने मुझे सारी बात बताई कि जब वो शादी से वापिस आए तो उस वक़्त लवली और यह लड़का दोनों आपत्तिजनक हालत में थे। मैंने सोनी साहब को समझाया और लड़के से उसके घर का पता मोबाइल नंबर वगैरह लेकर उसको जाने दिया और सोनी साहब को शांत रहने के लिए कहा। श्रीमती सोनी को उठा कर सोफ़े पे बैठाया, उसने इतने प्यार और विश्वास से मेरे कंधे पे अपना सर रखा कि मज़ा आ गया। जी तो किया के अभी इसका चेहरा ऊपर उठाऊँ और लिपस्टिक से रंगे सुर्ख होंठों को चूम लूँ। मगर…

उसके बाद मैंने गिलास में पानी डाल कर दोनों मियां बीवी को पिलाया। जब सब शांत हो गया तो लवली जो दीवार से लग कर रो रही थी, अपनी तरफ घुमाया। वो तो एकदम मुझे चिपक गई और फूट फूट कर रोई। मगर उसके नाज़ुक बदन के मुझसे चिपकने के कारण मेरे मन में शैतान ने अट्टाहस कर दी। कितने नर्म स्तन थे उसके, मेरी बगल से लगे हुये। मैंने उसकी पीठ पे हाथ फेरा, अरे वाह… कोई ब्रा कोई अंडर शर्ट नहीं पहने थी लवली। मैंने उसे थोड़ा और प्यार जताते हुये उसे अपने साथ और भींच लिया ताकि मैं उसके नर्म कुँवारे स्तनों और अच्छे से अपने बदन पे महसूस कर सकूँ।

वो भी मुझसे लिपट गई, उसका पेट और जांघें भी मुझसे सट गई। एक कुँवारी लड़की के बदन की छूअन सच में बहुत ही मधुरांचक थी। वो रो रही थी और मैं उसे चुप करने के बहाने उसकी पीठ सहला सहला कर अपनी ठरक मिटा रहा था। थोड़ा सा पुचकारने के बाद मैंने उसे अपने पास ही सोफ़े पे बैठा लिया। मैंने सोनी साहब को समझने की कोशिश की मगर उन्होने तैश में आ कर 2-4 और झांपड़ लवली के लगा दिये। मैंने उसे बचाया और भाभी जी से कहा कि भाई साहब इस वक़्त बहुत गुस्से में हैं, आप उन्हें संभालिए, लवली को मैं ले जाता हूँ। भाभी ने वैसा ही किया।

लवली को अपने साथ लिपटाए मैं उसे अपने कमरे में ले आया। कमरे में लाकर मैंने उसे बेड पर बैठाया, उसे पानी दिया और कमरे की कुंडी लगा ली। मैं मन में सोच रहा था कि काश यह लड़की मुझसे पटी होती तो इसी तरह कुंडी लगा कर मैं इसकी कसी चूत की चुदाई करता। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं जाकर लवली के पास बैठ गया- लवली, बेटा देखो मुझे अपना दोस्त समझो और बताओ, असल में हुआ क्या था? मैंने थोड़ी सांत्वना देने के बाद लवली से पूछा। पूछना क्या था, दरअसल मैं तो यह जानना चाहता था कि लड़की ने कुछ किया भी है, और अगर किया है तो क्या किया है।

वो अपनी रुलाई रोक के बोली- अंकल ऐसा कुछ नहीं हुआ, पापा को गलतफहमी हो गई है।

मैंने कहा- मगर बेटी, ऐसा कुछ तो देखा ही होगा उन्होंने जो वो इतना गुस्सा हो गए और अपनी इतनी प्यारी बेटी पे हाथ उठाया, बोलो, क्या कर रहे थे तुम?

मैंने उसको कुरेदा।

वो बोली- अंकल, वो मधुर, मेरा बॉयफ्रेंड है, उसको पता था कि आज मॉम डैड घर पे नहीं होंगे, वो ज़बरदस्ती घर में घुस आया।

‘तो?’ मैंने पूछा।

‘उसके बाद उसने मुझे प्यार करना शुरू कर दिया, मैंने भी उसका साथ दिया, बस!’ वो बोली।

मगर मेरे मन को शांति नहीं मिल रही थी, मैंने फिर पूछा- देखो बेटा, अगर सच का पता नहीं चलेगा तो मैं भी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊँगा, शादी करोगी, मधुर से?

उसने मेरी आँखों में देखा और बोली- जी!

मैंने कहा- मान लो अगर तुम्हारे बीच सब कुछ हो चुका है, और कल को मधुर शादी से इंकार कर दे तो?

वो तपाक से बोली- नहीं अंकल, हमने कुछ नहीं किया।

मैंने मन ही मन खुश होते हुये बोला- तो तुम बिल्कुल वैसी ही हो जैसे शादी से पहले लड़की को होना चाहिए।

उसने हाँ में सर हिलाया।

मैंने उसको अपनी आगोश में लिया और माथे पर चूमा, मतलब लड़की बिल्कुल कुँवारी थी। मैं उठ कर मेडिकल बॉक्स उठा लाया और एक गोली निकाल कर उसे दी- लो यह गोली खा लो, तुम्हारी सब टेंशन दूर कर देगी। उसने बड़े विश्वास से वो गोली लेकर खा ली। उसके बाद मैंने दो गोलियाँ और ली और सोनी साहब और उनकी पत्नी को एक एक गोली खिला दी। थोड़ी देर उनके पास बैठ कर उनको भी सांत्वना दी और बताया- बच्ची ने कोई गलत काम नहीं किया है, वो बिल्कुल ठीक ठाक है, बस इतनी गलती की कि अपने बॉयफ्रेंड के बारे में आपको नहीं बताया। दोनों को समझा बुझा कर मैं अपने कमरे में आ गया।

जब मैं अंदर आया तो गोली अपना असर दिखा चुकी थी और लवली सो गई थी। मैंने उसके ऊपर चादर ओढा दी और उसके साथ ही बेड पे लेट गया। कोई घंटा भर मैं सोचता रहा, इंतज़ार करता रहा, मेरे मन में बहुत कुछ चल रहा था, यह तो पक्का था कि मैं उस लड़की के बदन से खेल केर देखूंगा जब वो गहरी नींद में सो जाएगी। जब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हो गया के लवली गहरी नींद में चली गई है तो मैं भी उसकी ही चादर में घुस गया। मेरी तरफ उसकी पीठ थी।

मैंने अपनी कमर उसके साथ लगा दी, और अपने हाथ से उसके लोअर को टटोल कर देखा, उसने नीचे से कोई पेंटी भी नहीं पहन रखी थी।मैंने उसे हिला डुला कर जगाने की कोशिश की मगर नींद के नशे में वो बेसुध पड़ी थी।
मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी टी शर्ट के अंदर डाला और ऊपर ले जा कर उसका स्तन पकड़ा, ‘अरे वाह…’ क्या मुलायम स्तन थे, एकदम सॉफ्ट, रुई का गोला, मेरी हथेली में पूरा समा गया।

मैंने धीरे धीरे से उसको दबाया और यह भी देखता रहा के कहीं वो जाग तो नहीं रही। उसके बाद उसका दूसरा स्तन भी दबा कर देखा। अपने को मैंने उसकी कमर से बिल्कुल सटा लिया और अपना लंड उसकी चूतड़ों की दरार में सेट किया। कुँवारी बुर की खुशबू पा कर लंड महाशय भी अकड़ गए।

मैंने धीरे से उसके लोअर को नीचे खिसकाया और जांघों तक उतार दिया, और अपना पाजामा भी उतार कर लंड को उसकी दोनों जांघों के बीच में रख दिया। इस तरह से मेरा लंड उसकी कुँवारी चूत के साथ घिस रहा था, मैंने अपनी कमर आगे पीछे चालानी शुरू की, सच में मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था मगर मुझे तो और मज़ा चाहिए था।

मैंने चादर उतार दी, लवली को सीधा करके लेटाया और उसका लोअर पूरा ही उतार दिया और अपने भी सारे कपड़े उतार कर मैं भी पूरा नंगा हो गया। लंड मेरा लोहे का हुआ पड़ा था। मैंने लवली की टी शर्ट ऊपर उठा कर उसके दोनों बूब्स बाहर निकाले, नाइट लेंप की धीमी रोशनी में मुझे उसके बूब्स चूसने और सहलाने, दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं अपना लंड उसकी चूत पे घिसा रहा था।

मैं उठा और मैंने उठ कर बड़ी बत्ती जला ली क्योंकि यह नज़ारा मैं दुबारा ज़िंदगी में नहीं देखने वाला था, मैंने लवली की टी शर्ट भी पूरी तरह से उतार दी और उसके ऊपर लेट कर उसे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने उसके होंठ गाल, माथा, गला, कंधे सब जगह चूमा और चाटा, अपना लंड उसके मुँह पे होंठों पे घिसाया, उसके बूब्स चूसे, उसकी टाँगें चौड़ी करके उसकी कुँवारी चूत भी चाटी, नीचे गांड के छेद से लेकर ऊपर तक उसके बदन के हर एक हिस्से पर मैंने अपनी जीभ फेर चुका था।

मगर मैं तो चुदाई चाहता था। अब लवली तो कुँवारी थी, उसे मैं कैसे चोद सकता था। मेरे मन में एक और ख्याल आया। मैं उठा कर बाहर आया और सोनी साहब के कमरे की ओर गया, मैंने दरवाजा धकेला, ‘अरे…’ यह तो खुला था, मेरी तो किस्मत चमक उठी, मैं कमरे के अंदर गया, बेडरूम में दोनों मियां बीवी खर्राटे मार रहे थे।

मैंने कमरे की बत्ती जलाई, सोनी भाभी सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में सो रही थी। लाल लो कट ब्लाउज़ में उनकी आधी से ज़्यादा छातियाँ बाहर आ रही थी। मैंने उनका पेटीकोट ऊपर उठाया, नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी।

मैंने उनको सेट किया, उनके ऊपर लेट गया और उनको अपनी बाहों में भर लिया।

मैंने कहा- “जानती हो शशि?” तुम्हारी बेटी बिल्कुल नंगी मेरे बिस्तर पे पड़ी है, मैं उसे चोदना चाहता हूँ, मगर अभी वो कुँवारी है और सिर्फ 20 साल की है, इसलिए मैंने सोचा क्यों ना उसकी माँ चोद दूँ, तो तुम्हारे पास आया हूँ, अब तुम इंकार मत करना और मुझसे चुदवा लेना प्लीज़! कह कर मैंने अपना लंड उसकी चूत पे सेट किया और अंदर डाल दिया।

थोड़ी सी मशक्कत के बाद मेरा पूरा लंड भाभीजी की चूत में चला गया। सच में बड़ा आनंद आया, जिस औरत को मैं कितने महीनों से देख रहा था और उसे चोदने के सपने बुन रहा था आज वो मेरा लंड लेकर लेटी पड़ी थी। मैंने धीरे धीरे से उसकी चुदाई शुरू की और आराम से लगा रहा। मुझे कोई जल्दी नहीं थी, मुझे कोई अपनी मर्दानगी या जोश नहीं दिखाना था। मुझे नहीं पता घंटा या उससे भी ज़्यादा देर मैं शशि को धीमे धीमे चोदता रहा। बीच बीच में उसने करवट बदली तो मैंने दो तीन पोज़ भी बदले।

जब मुझे लगा कि बहुत हो गया अब मुझे अपना वीर्य झाड़ देना चाहिए तो मैंने सोचा के वीर्य किस पर न्योछावर करूँ, माँ पर या बेटी पर। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर सोचा यह तो बेटी के लिए ही है! मैं वापिस अपने कमरे में आ गया। लवली वैसे ही लेटी पड़ी थी, मैं उसके ऊपर आ बैठा और लंड हाथ में पकड़ के मुठ मारने लगा। थोड़ी ही देर में मेरे लंड से वीर्य के फव्वारे छूट पड़े, वीर्य की पिचकारियाँ लवली के पेट, सीना, स्तन और मुँह तक जा पहुंची। मैंने अपनेहाथों से अपना सारा वीर्य उसके बदन पे ही मल दिया। बहुत सा उसकी कुँवारी चूत और जांघों पे भी मल दिया।

वीर्यपात होने के बाद मैं शांत हो गया, मैंने खुद अपने हाथों से लवली को वापिस कपड़े पहनाए, खुद भी पहने और सो गया। सुबह हुई, मेरे उठने से पहले लवली जा चुकी थी, भाभी जी आई और मुझे चाय दे गई। मैं भी नहा धोकर दफ्तर चला गया। शाम को मैंने सोनी साहब को बताया के अच्छा हो अगर हम लवली बेटी के लिए कोई अच्छा सा लड़का देख कर उसके हाथ पीले कर दें। सोनी साहब ने मेरी हाँ में हाँ मिलाई। मुझे शक था कि हो सकता है, भाभीजी को या लवली को मेरी हरकत का पता चल जाए, मगर उन दोनों के व्यवहार से ऐसा कुछ नहीं लगा।

आज 8 महीने हो गए उस बात को, मैं आज भी उस घर के एक सदस्य की तरह रहता हूँ, दोनों माँ बेटी के नाम पर बोतल को चोदता हूँ और याद करता हूँ उस हसीन वक़्त को जब एक ही रात में मैं माँ बेटी दोनों के जिस्म से खेला था।
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