अपनी सगी माँ को घर में ही पटक के चोदा Apni sagi maa ko ghar me patak ke choda

अपनी सगी माँ को घर में ही पटक के चोदा Apni sagi maa ko ghar me patak ke choda, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.

मैं पिछले कई सालों से sex kahani का नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।

मैं कई दिनों से रात में रोज अपनी माँ को चुदते हुए देख रहा था। मैं २० साल का जवान मर्द हो गया था और मेरी ३६ साल की बड़ी खूबसूरत औरत थी। उसका जिस्म भरा हुआ था और फिगर 38 32 38 का था। मेरी माँ को सेक्स करना और चुदवाना बहुत पसंद था। मेरे पापा की जब कैंसर से मौत हो गयी थी तो माँ ने पास के शराबी को अपना दोस्त बना लिया था। वो रोज रात में मेरे घर आता है, शराब पीता था, खाना खाता था और मेरी माँ की चूत कसके मारता था। रोज माँ के कमरे से “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाजे आती थी। मुझे ये चुदाई वाली बाते बहुत देर में मालुम हुई। कई बार मेरी माँ का आशिक उसे गाल पर चांटे मार मारकर उसकी चूत मारता था, कभी दीवाल के सहारे खड़ा करके पीछे से माँ की चूत में लंड डालकर चोदता था। कभी तो वो माँ को गोद में बिठाकर चोदता था। धीरे धीरे ये बात सारे मोहल्ले में फ़ैल गयी थी और मेरी बदनामी होने लगी थी।

“तेरी माँ के तो ऐश है। तेरे बाप के ना होने के बाद भी खूब रात में चुदती है और मोटा लंड खाती है!!” मेरे दोस्त मुझसे कहने लगी। मुझे बहुत शर्म आती थी। मैंने माँ से कहा की ऐसा कोई काम ना करे जिससे समाज में बदनामी हो, पर माँ ने मेरी एक बात नही सुनी। रात में १० बजे तो पडोस वाला आदमी मेरे घर आ जाता था। शराब पीने के बाद वो माँ को बाहों में भरकर चुम्मा लेने लगा जाता था। फिर उसके होठ पीने लगा जाता था। फिर धीरे धीरे मेरी माँ की साड़ी उतार देता था। ब्लाउस और पेटीकोट खोलकर माँ के दोनों पैर खोलकर अपना १२” का लौड़ा माँ की चूत में डाल देता था और फिर चुदाई शुरू कर देता था। वो माँ को नंगा करके २ घंटे नॉन स्टॉप चोदता था फिर माँ उनकी चूत में गिरा देता था। फिर माँ से घंटो अपना लंड चुसाया करता था।

६ महीने तक यही सिलसिला चला। मेरी माँ अब एक रंडी राड़ आवारा औरत की तरह बर्ताव करने लगी थी। उसकी शर्म ह्या मर चुकी थी। माँ ने उस पड़ोस वाले मर्द से चुदने के लिए सारे व्यावहार खत्म कर दिए थे। क्यूंकि पास पड़ोस वाली औरतों ने माँ से सब बोलचाल बंद कर दी थी। जब ६ महीने तक माँ उसका लौड़ा खाती रही और कसके चुदवाती रही तो एक दिन मुझे गुस्सा आ गया। रात में जैसे ही वो मेरा माँ का आशिक आया मैंने एक डंडे से उसे मारना शुरू कर दिया और उसका सिर फट गया। वो अपनी जान बचा कर किसी तरह से भागा। पर मुझे अपनी माँ को भी सबक सिखाना जरूरी था। मैंने डंडे से माँ को खूब मारा। फिर चांटे मार मारकर अपनी माँ के गाल फुला दिए। तभी मारपीट के दौरान मेरी माँ का ब्लाउस फट गया और उनके गोरे गोरे मम्मे मुझे दिख गये। माँ कभी भी ब्रा नही पहनती थी सिर्फ ब्लाउस पहनती थी।

अब मेरा अपनी सगी माँ को चोदने का बड़ा मन कर रहा था। मैंने उनका हाथ पकड़कर उनको कमरे में ले गया। मैं बहुत गुस्सा था। क्यूंकि मेरी माँ की वजह से मेरी पुरे मोहल्ले में बहुत बदनामी हुई थी। मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए। मैं नंगा हो गया था। फिर मैंने माँ के साड़ी, ब्लाउस और पेटीकोट का हाथ से खीचकर फाड़ दिया और उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया।

“छिनाल! तुझे लंड खाना बहुत पसंद है ना। आज मैंने तुजे खूब लंड खिलाऊंगा!!” मैंने कहा और उसे ५ ६ चांटे मैंने फिर से उसके गाल पर मार दिए। फिर मैंने ८ १० लाते उसे मार पी। मैं गुस्से से जल और उबल रहा था। मेरी माँ की वजह से लोग आज हमारे पूरे खानदान पर कलंक लगाने लग गये थे। इसलिए मैं बहुत जादा क्रोधित था। अब माँ अब मेरे सामने नंगी हो गयी थी। वो बहुत खूबसूरत और गोरी माँ थी। अगर मेरी माँ इस तरह रात में नंगी होकर सड़क पर चली जाती तो उसका गैंगरेप हो गया होता। सब लोग उसे कसके चोद लेते।

मैंने अपनी माँ की बाल से पकड़ लिया और उसके गाल पर किस करने लगा। वो मुझसे डर रही थी। काँप रही थी क्यूंकि मैंने उसे आधे घंटे से पीट रहा था। फिर मैंने माँ को बिस्तर पर धकेल दिया। वो लड़खड़ाकर बिस्तर पर गिर पड़ी। मैंने भी उसके पास चला गया था। मैंने उसे २ चांटे और मार दिए। उसके बावजूद भी वो अपनी गलती नही मार रही थी। फिर मैंने अपनी सगी अल्टर और चुदकक्ड के रसीले होठ चूसना शुरू कर दिया। मेरी माँ का जिस्म भरा हुआ था। वो चोदने लायक मस्त माल लग रही थी। माँ की चूचियां 38” की बहुत ही खूबसूरत थी। 

क्या सफ़ेद सफ़ेद संगमरमर जैसे मम्मे थे। कोई मुर्दा भी अगर माँ को देख लेता तो उसका लंड खड़ा हो जाता और वो माँ को चोद लेता। दोस्तों मेरी माँ इतनी मस्त आइटम थी। आज मैं माँ को कसके चोदने वाला था क्यूंकि वो बहुत हरमपन दिखा रही थी। उसे रात में चाहे खाना ना मिले पर लंड जरुर मिल जाए वो इस तरह से छिनाल और रंडी बन गयी थी। ये सब गुस्सा दिलाने वाली बाते मुझे बार बार याद आ रही थी और मेरा खून का पारा बढ़ जाता था।

मैं बड़ी देर तक माँ के रसीले और गुलाबी होठो को चूसता रहा। फिर मैंने उस रंडी के दूध पीने लगा। 38” के दूध कितने बड़े बड़े होते है आप लोगो को तो पता ही होगा। मैं हाथ से माँ के मम्मो को दबा रहा था। वो “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। मैंने अपने हाथो से उसकी रसीली चूचियों को मींज रहा था। वो कसकसा रही थी और तडप रही थी। फिर मैं उसकी काली काली निपल्स को अपने ऊँगली से पकड़कर घुमाने लगा। वो अपनी गांड उठाने लगी।

“रंडी आज मैं तुजे इतना चोदूंगा की तेरी सारी चुदास आज खत्म हो जाएगा। दुबारा तू बाहरी मर्द से लौड़ा नही मांगेगी!!” मैने कहा। उसके बाद मैं जोर जोर से अपनी सगी चुदक्कड़ माँ के दूध को खूब कस कसके दबा रहा था। वो उसकी रंडी की जान निकाले दे रहा था क्यूंकि वो बहुत बड़ी अल्टर थी और सेक्स और चुदाई करना उसकी कमजोरी थी। मैं माँ पर लेट गया और उसके रसीले होठ फिर से चूसने लगा। वो मुझसे डरी हुई थी और काँप रही थी। फिर मैं उसकी चूचियों को मुंह में लेकर पीने लगा। और जोर जोर से दांत उसने गड़ाने लगा। 

वो “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” बोल बोलकर चीख रही थी। मैं उसकी चूचियों को मुंह से काट रहा था। वो तडप रही थी और सिसकियाँ ले रही थी। फिर २ ३ चांटे मैंने फिर से उसके गाल पर जड़ दिए। और फिर से उसके मैं दूध पीने लगा। फिर मैंने रात में १ घंटे तक उसकी चूचियां को मजे लेकर पिया। कुछ देर में मेरी माँ चुदने को तैयार हो गयी थी।

उसकी चूचियों का आकार अब और जादा बढ़ गया था। उसकी रसीली चूचियां अब और भी जादा टाईट और कड़ी लग रही थी। मैंने अपनी माँ की दोनों टाँगे खोल दी और उसकी रसीली चूत चाटने लगा। ना जाने कितने मर्दों ने मेरी माँ को चोदा था। कितने मोटे मोटे लंड उसकी चूत से खाए थे। आज मैं उसी चूत को जीभ लगाकर चाट रहा था। मैं किसी चूत के प्यासे कुत्ते की तरह अपनी माँ की गुलाबी चूत को पी रहा था। उसकी बुर बहुत गुलाबी और लाल लाल थी। मैं १५ मिनट तक अपनी माँ की चूत की पीया और भरपूर मजा लिया। उसके बाद मैंने अपना मोटा था १०” का लौड़ा हाथ में ले लिया और जल्दी जल्दी फेटने लगा। दोस्तों कुछ देर में मेरा लंड खूब टाईट हो गया। फिर मैं अपने लौड़े से माँ के चेहरे को मारने लगा। मैं कस कसके उसे गाल पर लंड से मार रहा था जैसे स्कूल में छोटे बच्चों की पिटाई डंडे से की जाती है। ऐसा ही लग रहा था।

loading... मैं काफी देर तक अपने १०” के लौड़े से माँ के चेहरे को पीटा और मारा। फिर मैंने उसके मुंह में लंड खोस दिया।

“ले राड़ आज जी भरकर चूस ले!!” मैंने कहा और जबरन अपना लौड़ा माँ के मुंह में डाल दिया। आज वो अल्टर बहुत सीधी बन रही थी। पर धीरे धीरे वो मेरा लंड चूसने लगी। आज मैं अपनी चुदासी माँ को चोदने जा रहा था। जिससे वो कभी भविष्य में किसी आस पास के मर्द से ना चुदवाए और जब उसे लौड़े की तलब लगे तो सिर्फ मुझसे ही चुदवाए। मैंने माँ के बाल वहशी अंदाज में पकड़ लिए और जल्दी जल्दी उसका मुंह चोदने लगा। मेरा लंड ३ इंच मोटा था। जैसे ही मैं इसे माँ के मुंह में घुसेड़ता था माँ को साँस आना बंद हो जाती थी। वो तड़पने लग जाती थी। मुझे अच्छा लग रहा था। जी तो कर रहा था की उसका गला दबाकर उसे जान से मार दूँ वरना वो जिन्दा रहेगी तो फिर से पड़ोस के मर्दों को बुलाकर चुदवा लेगी। पर मैं अपनी हसीन माँ को कसके चोदना भी चाहता था। इसलिए मैंने उसे नही मारा। और बड़ी बदतमीजी से उसके बाल पकड़कर मैं जल्दी जल्दी उसका मुंह अपने लौड़े से चोदने लगा।

मेरी माँ बड़ी चालू आइटम थी। बार बार कह रही थी की वो दुबारा ऐसा काण्ड नही करेगी पर कुछ ही दिन में वो फिर से किसी न किसी मर्द को बुलवाकर चुदवा लेती थी। मैंने अपनी सेक्सी चुदक्कड़ माँ के सिर को पकड़ लिया और बहुत जल्दी जल्दी अपने लौड़े पर धकेलने लगा। अपने आप उसका मुंह जल्दी जल्दी चुदने लगा।

“बेटा!! मुझे छोड़ दो, मैं दुबारा ऐसा काम नही करूंगी। अब मैं किसी मर्द को रात में घर पर नही बुलाऊंगी और ना ही चुदवाउंगी!!” वो बार बार कह रही थी। पर ये सब उसका एक नाटक था। हर बार वो कुछ ही दिन में बदल जाती थी और किसी न किसी मर्द को घर में बुला लेती थी और अपनी चूत चुदवा लेती थी। पर मैंने उसकी कोई बात नही सुनी और बार बार मैंने उसके मुंह में अपना सांप जैसा लंड डाल देता था और अपनी सगी अल्टर माँ से चुसवा रहा था। बड़ी देर तक ये चलता रहा। फिर मैंने जल्दी से उसके गोरे गोरे पैर खोल दिए और अपना लंड मैंने उसकी चूत के छेद पर लगा दिया और अंदर डाल दिया और जल्दी जल्दी उसे चोदने लगा। आज मैं अपनी माँ की चूत को बेदर्दी से पेल रहा था। जिस चूत से मेरा जन्म हुआ था मैं उसी बुर को आज फाड़ रहा था। मेरी माँ को सेक्स का नशा एक बार फिर से चढ़ गया था। वो जल्दी जल्दी मुझसे चुदाने लगी और “आई…..आई….आई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” की आवाजे वो निकाल रही थी।

मैं जल्दी जल्दी उसे बजाने लगा। मेरी माँ आज अपने बेटे से ही चुद रही थी। आज उसे जरुर मजा आ रहा होगा। मैं हचक हचक के गहरे धक्के उसकी चूत में मार रहा था। मेरी छिनाल अल्टर माँ मजे लेकर चुद रही थी। मैंने उसके होठ को फिर से चूसने लगा। फिर मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा और जल्दी जल्दी अपनी आवारा सगी माँ की चूत में अपने लौड़े से साईकिल चलाने लगा। लगा की मैं किसी खेत को जोत रहा था। कुछ देर बाद मेरी माँ जल्दी जल्दी अपनी सेक्सी पतली कमर उछाल रही थी। उसका चेहरा बता रहा था की उसे बहुत मजा मिल रहा था। वो बार बार अपने मुंह से गर्म हवा निकाल रही थी। मेरी कमर गोल गोल नाच रही थी और माँ की चूत मार रही थी। मैं अब भी उसकी चूची की निपल्स को अंगूठे से घुमा रहा था। माँ “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी।

“ले आज मेरा लंड जी भरकर खा ले!!” मैंने अपनी लंड की प्यासी माँ से कहा और उसे जल्दी जल्दी लेने लगा। कुछ देर में मेरी माँ बिलकुल मस्त हो गयी थी। उसकी गर्म गर्म आवाजे, सिस्कारियां मुझे और जादा उतेज्जित कर रही थी। मेरी माँ चुदवाते हुए बहुत ही सुंदर सेक्सी माल लग रही थी। उसका जिस्म तो अब और जादा गोरा और सफ़ेद लग रहा था। मैं जल्दी जल्दी माँ की चूत में साइकिल चला रहा था। उसका जिस्म मेरे लौड़े की गमक पर हिल रहा था और झूम रहा था। मैं बिना रुके नॉन स्टॉप अपनी अल्टर माँ को चोद रहा था। उसकी चूत से जैसे पॉपकॉर्न चट चट की आवाज के साथ फूट रहे थे। उसकी दोनों ३८” की विशालकाय चूचियां भी जल्दी जल्दी हिल रही थी। दोस्तों मेरे लंड की गोलियां तो सेक्स की उतेज्जना में बहुत बड़ी बड़ी हो गयी थी।

मैं माँ की चूत को गहराई तक लेकर चोद रहा था। उसे किसी बाजारू रंडी की तरह जल्दी जल्दी मैं पेल रहा था। वो “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” की आवाज निकाल रही थी। बड़ी देर मैंने अपनी माँ की चूत का बाजा बजाया और फिर उसकी बुर में ही मैंने पानी छोड़ दिया। मेरी माँ अब हांफ रही थी। वो कुछ देर आराम करना चाहती थी। पर आज मैं बहुत गुस्सा था। 

आज मैंने उसे एक सबक देना चाहता था की बाहर के मर्दों को वो घर में ना बुलाए। इसलिए तुरंत मैंने अपनी माँ को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी गांड चाटने लगा। वो डर रही थी। कुछ देर में मैंने उसकी गांड में अपनी २ ऊँगली खोस दी और जल्दी जल्दी ऊँगली घुमाने लगा। मेरी चुदक्कड़ माँ को बहुत दर्द हो रहा था। पर मैं नही रुका और जल्दी जल्दी उसकी गांड में ऊँगली करना रहा। 

फिर मैंने अपना 8” लंड डालकर २ घंटे उसकी गांड चोदी। मेरी माँ रोने लगी पर मैं नही रुका। मैं उसकी गांड में लंड डालकर २ घंटे तक बजाता रहा। उसके बाद मैंने अपना माल गिरा दिया। दोस्तों अब मेरी माँ सुधर गयी है। जब भी उसे सेक्स की तलब लगती है मुझे मुझसे बुलाकर चुदा लेती है पर घर के बाहर शरीफ औरत की तरह पेस आती है।

भाभी के साथ एक रात बिताई - Bhabhi ke sath ek raat bitayi

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मेरे भैया की शादी २ साल पहले ही हुई है। भाभी का नाम अर्चना जैन है। भाभी बहुत ही सेक्सी ,गोरी, स्लिम है। उनका फ़ीगर वेल मेन्टेन है। भैया एक एम् एन सी में बोम्बे में सी ऐ हैं। वो कभी कभी आते है। भाभी को देख २ कर मैं तो जैसे पागल हुआ जा रहा था। किसी न किसी तरह भाभी को छूने की कोशिश करता रहता था। वो जब मेरे कमरे में झाडू लगाने आती तो जैसे ही झुकती तो मेरा ध्यान सीधे उनके ब्लाउज़ के अंदर चला जाता। क्या गजब बूब्स हैं उनके जी करता कि पकड़ कर मसल दूं। पर मैं तो सिर्फ़ उन्हे देख ही सकता था। भाभी और मुझ में बहुत ही अच्छी जमती थी। हम हंसी मजाक भी कर लेते थे। पर कभी भी घर में अकेले नहीं होते थे कोई न कोई रहता था। मैं सोचता था कि काश एक दिन मैं और भाभी अकेले रहे तो शायद कुछ बात बने।

सर्दी का मौसम था घर के सभी मेम्बर्स को एक रिश्तेदार कि शादी में चेन्नई जाना था। भैया तो रहते नहीं थे। मम्मी पापा, मैं और भाभी ही थे। पापा ने कहा कि शादी में कौन कौन जा रहा है। मैने कहा मेरे तो एक्ज़ाम्स आ रहे है। मैं तो नहीं जा पाउंगा। मुम्मी बोली के चलो ठीक है इसके मरजी नहीं है तो ये यहीं रहेगा पर इसके खाने का प्रोब्लम रहेगा। इतने में मैं बोला कि भाभी और मैं यहीं रह जायेंगे आप दोनो चले जायें।

सबको मेरा आइडिआ सही लगा। अगले दिन मम्मी पापा को मैं ट्रैन में बिठा आया। अब मैं और भाभी ही घर में थे। भाभी ने आज गुलाबी साड़ी और ब्लाज़ पहन रखा था ब्लाउज़ में से बरा जो के स्रीम कलर की थे साफ़ दिख रही थी। मैं तो कंट्रोल ही नहीं कर पा रहा था। पर भाभी को कहता भी तो क्या। भाभी बोली थन्क यू देवेर जी। मैने कहा किस बात का। भाभी बोली मेरा भी जाने का मूड नहीं था। अगर आपकि पढ़ायी डिस्टर्ब न हो तो आज मोवी चले। मैने कहा चलो। पर कोई अच्छी मोवी तो लग ही नहीं रही है सिर्फ़ मर्डर ही लगी हुई है। भाभी बोली वो ही चलते हैं। मैं चोंक गया। भाभी ड्रेस चेंज करने चली गयी। वापस आयी तो उन्होने डीप कट ब्लाउज़ पहना था उनके ब्रा और बूब्स के दर्शन हो रहे थे। मैने कहा भाभी अच्छी दिख रही हो भाभी बोली थैंक्स । हम सिनेमा हाल गये हमें इत्तेफ़ाक से सीट भी सबसे उपर कोने में मिली। फ़िल्म शुरु हुई मेरा लंड तो काबु में ही नहीं हो रहा था। अचानक मल्लिका का कपड़े उतारने वाला सीन आया। मैं देख रहा था कि भाभी के मुंह से सिसकिआं निकलने शुरु हो गैइ।

और भाभी मेरा हाथ पकड़ कर मसलने लगी। मेरा भी हौसला बढ़ा मैने भी भाभी के कंधे पर हाथ रका दिया और धीरे २ मसलने लगा। हाल में बिल्कुल अंधेरा था। मेरा हाथ धीरे २ भाभी के बूब्स पर आ गया भाभी ने भी कुछ नहीं कहा वो तो फ़िल्म का मज़ा ले रहे थी। अब मैं भाभी के बूबी को मसल रहा था और अब मैने उनके ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया भाभी सिर्फ़ सिसकरियां भरती रही और मुझे को ओपरेट करती रही। अब फ़िल्म एंड हो चुकी थी हम दोनो घर आये। मैने पूछा क्यों भाभी कैसि लगी फ़िल्म। भाभी बोली मस्त। मैने कहा भाभी भूख लगी है। हम दो नो ने साथ खना खया। मैं अपने कमरे में चला गया। इतने में भाभी की अवाज़ आई क्या कर रहे हो देवेर जी जरा इधर आओ न।

मैं भाभी के बेडरूम में गया तो भाभी बोली ये मेरी ब्रा का हुक बालों में अटक गया है प्लीज़ निकाल दो न। भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में ही थी। उसने क्रीम रंग की बरा पहन रखी थी। मैने ब्रा खोलने के बहाने उसके निप्पलों को भी मसल दिया और पूरी पीठ पर हाथ फ़िरा दिया मैने कहा भाभी लो खुल गयी ब्रा मैने बरा को झटके से नीचे गिरा दिया अब भाभी पूरी टोपलेस हो चुकी थी। हम दोनो फ़ुल फ़ोर्म में आ चुके थे भाभी बोली देवेर जी भूख लगी है तो दूध पीलो मैने भाभी को उठाया और बिस्तर पर ले गया उनका पेटीकोट भी खोल दिया अब वो पूरी नंगी हो चुकी थी और मैं भी। मैने शुरुआत उपर से ही करना मुनासिब समझा

और भाभी के लाल लिपस्टिक लगे रसीले होंथों को जम कर चूसा। उसके बाद बारी आई उनके छाती की जिस पर कि दो मोटे २ दूध की टंकिया लगी थी। उनके निप्पल का सबसे आग्गे का हिस्सा बिल्कुल भूरा था मैने भाभी के बूब्स को इतना मसला और चूसा कि सच में ही दूध निकल आया। मैने दोनो का जम कर आनंद लिया। भाभी के मुंह से तो बस सिसकरियं निकल रहे थी आह आआआअह आआआआआह्हह अब मैं बूब्स से नीचे भाभी की चूत पर आया क्या क्लीन चूत थी एक भी बाल नहीं। मैने पहले तो भाभी की चूत को खूब चाटा फिर एक्स एक्स एक्स फ़िल्मो की तरह जोर २ से उंगली करने लगा। भाभी आअह आआआह देवेर जी कर रहे थी। फिर मैने भाभी को घोड़ी बनने के लिये कहा भाभी घोड़ी बन गयी मैने अपना लंड चूत में डाल दिया और जोर जोर से चोदने लगा। इस तरह मैने ३० मिनट तक भाभी को अलग २ पोजिशन में चोदा (सोफ़े पर भी)। अब मैं थक गया था। भाभी बोली तुमने तो मेरे बहुत मज़े ले लिया मेरे शानदार फ़ीगर वाले बूब्स को चूस २ और मसल २ कर लटका और खाली कर दिया अब मेरी बारी है। मैं लेट गया

भाभी मेरे उपर चढ़ गयी और मेरे सीने पर मसलने और चूसने लगी और मेरे भी छोटे २ बोब निकाल दिये मैं भी भाभी के बूब्स को मसल रहा था फिर भाभी मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी करीब १५ मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा।अब हम दोनो को नींद आ रही थी हम उसी हालत में सो गये। सुबह उठ कर हम दोनो साथ ही टब में नहाये और मैने भाभी के एक एक अंग को रगड़ २ कर धोया। इसके बाद भी हम २ -३ दिन तक सेक्स का आनंद लेते रहे। अब भी कभी मौका मिलता है तो हम शुरु हो जाते हैं। साथ में घर पर ही नेट पर साइट्स देखते हैं।

मुझे तो साड़ी सेक्स बहुत पसंद है। एक एक कपड़ा ब्लाउज साडी ,ब्रा ,पेटीकोट खोलने का मज़ा कुछ और ही है। मैं अपनी ड्रीम गर्ल को भी साड़ी में ही देखना चाहता हूं।

मेरे जेठ ने मेरी मज़बूरी का फ़ायदा mere jeth ne meri majburi ka fayada

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नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम साक्षी सिंह है, मै अमृतसर की रहने वाली हूँ। मेरी कहानी बहुत दर्द भरी और मज़ेदार है। मै आज अपनी कहानी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर आप के सामने प्रस्तुत करती हूँ। मेरी कहानी जानने से पहले मै थोडा अपने बारे में बता दूँ। मै अभी 26 साल की हूँ। 5 साल पहले मेरी शादी जालंधर में हो गई। मेरे पति का नाम अभिषेक है। वो अभी 25 साल के होंगे। उनके घर में मेरी सास, ससुर, एक ननद और मेरी जेठानी और उनके पति रहते थे।
शादी के पहले मै बहुत हॉट और सेक्सी थी। मेरे बड़े बड़े और काले काले बाल, गोरे गोरे और लाल गाल, बड़ी बड़ी आंखे और मेरे सुडोल और सख्त जिस्म तो बहुत हो मस्त थी। चुचियाँ तो कमाल के थे ऐसा लगता था देखने पर की जैसे कोई मैदे के आटे को सान कर उसपे काले और हलके भूरे रंग की जामुन रख दिया हो। मेरी चूची बहुत ही गोरी और रुई की तरह मुलायम और साथ साथ सख्त और टाइट भी थी। मेरी चूत तो किसी जलते हुए कोयले से काम नही थी, मेरी कमसिन चूत बहुत रसीली बिल्कुल रसीले आम की तरह और बिल्कुल चिपकी हुई ऐसे लग रहा था की अभी इसका सील भी नही टूटा होगा, लेकिन मैंने बहुत बार अपनी चूत को अपने चाचा के लडको से मरवा चुकी थी।
मेरी शादी के बाद मेरे पति ने लगातार मेरी चुदाई करके मेरी चूत को फैला दिया और एक ही साल बाद मेरे एक लड़का भी हो गया। लड़का होने के बाद हमारा खर्चा बढनें लगा और मेरे पति कुछ काम नही करते थे, वो दिन भर घर पर रहते और जब भी मन करता मेरी चूत को बजाते।
मैंने एक दिन अपने पति से कहा – ”जानू तुम कुछ काम करो अब हमे पैसे की जरूरत है और कब तक हम किसी के सामने अपना हाथ फैलाएगें’’।
मेरे पति ने मुझसे कहा – ‘’हाँ मै जल्दी ही कुछ काम ढूंड लूँगा’’। थोडा दिन बीता अभिषेक ने एक काम करना शुरू किया लेकिन पैसे बहुत कम मिलता था। कुछ दिन उन्होंने वहां वो काम किया।
धीरे धीरे मेरे बेटा भी बड़ा हो रहा था, उसके पढ़ी का भी खर्चा बढ़ने वाला था। अभी तक तो मेरे ससुर जी हमारा खर्चा देते है लेकिन कब तक वो हमारा खर्चा उठाएंगे।
मेरे जेठ जी की नजर बहुत बुरी थी, वो औरतो को केवल चुदाई का सामान समझते थे, उन्होंने अपनी जिंदगी में इतनी औरतो को चोदा था की क्या बताऊँ। मेरे जेठ की नजर मेरे ऊपर भी थी लेकिन अभिषेक हमेसा घर पर ही रहता था इसलिए उनको मौका नही मिल पता था मुझ पे डोरे डालने को। अगर बात करे जेठ जी की तो दिखने में स्मार्ट और साथ ही साथ उनके पास पैसे की भी कमी नही थी। उनका काम बहुत तेजी से चल रहा था और खूब पैसे भी आ रहें थे।
कुछ दिन बाद मेरे ससुर की मौत हो गई, ससुर के मौत के बाद हमारा खर्चा किसी तरह से पूरा होता था। अभिषेक बहुत मेहनत भी करता तब भी हमारा खर्चा किसी तरह से चलता। कुछ दिन बाद बाद मेरे जेठ ने बटवारा कर दिया।
अब तो हमारा और भी बुरा हाल हो गया। अभिषेक और ज्यादा पैसे कमाने ले लिये अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली चले आये। अब मै और मेरा बेटा हम दोनों ही घर रहते थे, मेरे पति दिल्ली से पैसे भेजते थे, और खुद भी कभी चले आते थे। जब वो आते थे तो हम दोनों मिलके खूब चुदाई करते जितने दिन रहते, हम एक एक दिन पांच छः बार काम कर लेते थे। लेकिन उनके जाने के बाद मेरी चूत में सुखा पड़ जाता था। कोई मुझे चोदने वाला नही रहता था।
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मेरे पति के परदेस जाने के बाद मेरे जेठ जी ने मुझ पर चांस मारना शुरू कर दिया था। लेकिन मुझे उन्हें देख कर नफरत होती थी क्योकि उन्होंने मेरे पति को नौकरी नही दी थी।
मै एक दिन अपने घर के सामने बैठी थी, मेरे जेठ जी आए और उन्होंने मुझसे कहा – ‘’मै तुम्हारे पति को अपने काम में नौकरी दे सकता हूँ लेकिन पहले तुम मेरे लिये कुछ करो फिर मै भी तुम्हारे लिये कुछ कर सकता हूँ’’। मै समझ गई की ये मुझे चोदने के बारे में बात कर रहे है। मैंने उनसे कहा -‘’आप जो चाहते है वो कभी नही हो सकता है चाहे दुनिया इधर से उधर क्यों ना हो जाए’’।
मेरे जेठ ने कहा – मै तो तुम्हारा अकेलापन दुर करना चाहता हूँ, तुम्हारे पति को तुम्हारे पास बुला के और तुम कहा रही हो जो मै चाहता हूँ वो कभी नही हो सकता???
कुछ देर बाद मेरे जेठ वहां से चले गाये। मैंने उनके बातों के बारे में बहुत सोचा पर मै लेकिन मेरे मन उनसे चुदवाने को नही कर रहा था। धीरे धीरे कुछ दिन और बीता, अभिषेक घर आ गया। घर आते ही उसने मुझे गोदी में उठा लिया और बिस्तर में ले गया। उसने बहुत दिन बाद मेरी चूत को मज़े से चोदा और खूब पिया भी। चुदाई के बाद मैंने उससे कहा ¬– तुम यहीं कोई अच्छा काम क्यों नही कर लेते?? तो उसने कहा यहाँ पैसे अच्छे नही मिलते है। तुम्हारे बिना मै बहुत अकेली रही हूँ। तो उसने कहा – भैया मुझे काम पर रखेगे नही क्योकि उन्होंने मुझे एक बार पैसे चुराते हुए पकड़ लिया था। मुझे उस काम में अच्छे पैसे मिल जाते थे। मैंने सोचा अगर मै अपने जेठ से चुदवा लू तो अभिषेक को यहाँ काम के साथ साथ अच्छे पैसे भी मिल सकता है। लेकिन मैंने सोचा अभी नही वरना हो सकता है की अभिषेक को सक हो सकता है। थोड़े ही दिन बाद अभिषेक फिर से बाहर चला गया। मैंने पहले तो सोचा की अपने जेठ से चुदवा लूँ लेकिन फिर मेरे मन बदल गया।
मैंने अपने मन से जेठ जी से चुदने की बात को निकाल दिया। लेकिन मेरी और मेरे जेठ की चुदाई की कहानी तो भगवान खुद अपने हाथो से लिख रहा था।
दोस्तों, कुछ दिन पहले की बात है मेरी जेठानी अपने मइके गयी हुई थी और मेरे पति भी घर नही थे। रात का समय था , मै लेटी हुई थी दोपहर से ही मेरे बेटे की तबीअत कुछ ठीक नही थी, लेकिन जब रात हुई तो उसकी तबीअत खराब होती गई। मैंने सोचा अब इतनी रात को किसको बुलाऊ?? फिर मैंने अपने जेठ जी कमरे के बाहर गई और उनको आवाज़ देने लगी। कुछ देर बाद वो बाहर आये। उन्होंने मुझसे कहा – ‘’इतनी रात को आई हो क्या बात है, कहीं तुम अपना अकेलापन तो दुर करने नही आई हो’’। मैंने कहा नही वो मेरे बेटे की तबीअत खराब है आप साथ चल कर डॉक्टर को दिखवा देते तो ठीक रहता रात भी हो चुकी है। मेरे जेठ ने कहा – तुमने तो मेरी बात नही मानी थी तो मै क्यों तुम्हारी बात मानू?? मैंने उनसे कहा – भगवान के लिये पहले आप मेरे बेटे को डॉक्टर को दिखा दीजिए फिर आप को जो करना है कर लेना लेकिन पहले मेरे बेटे की दवाई करवा दो।
जेठ जी ने मेरे बेटे को डॉक्टर को दिखाया और दिखाने के बाद घर ले आये। उसके ठीक होने तक वो मेरे कमरे में ही बैठे थे। जब मेरा बेटा ठीक हो गया तो मैंने जेठ जी कहा –‘’ पहले आप मुझसे वादा कीजिये की ये बात किसी से कहेगे नही और मेरे पति को काम भी देंगे’’।
मेरे जेठ जी मुझसे कहा ठीक है। लेकिन आज तो तुम्हारी चूदाई तो करूँगा ही और जब मेरा मन फिर किसी को चोदने को कहे तो तुम चुपके से आ जाना। मैंने उनकी शर्तो को मन लिया। मैंने अपने बेटे को एक कमरे में लेटा के मै और जेठ जी दोनों दूसरे कमरे में चुदाई करने के लिये चले गाये। आप ये कहानी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है
मैंने उस कमरे के दरवाजे को बाद कर लिया। और पड़े हुए बिस्तर पर बैठ गई। जेठ जी ने जल्दी से अपने कपडे को उतार दिय और केवल बड़े और ढीले वाले नेकर में मेरे सामने खड़े हो गाये। मैंने उस दिन काली रंग की साडी पहनी थी, जेठ जी ने कहा – ‘’मेरी जान आज तुम बहुत कमाल की लग रही हो’’। उन्होंने मेरे हाथो को पकड़ा और मुझे अपनी खीच लिया। मेरे मम्मे उनके सीने में जाके टकरा गाये और मुझको उन्होंने अपने बाहों में भर लिया। बाहों में भरते ही जेठ जी मेरे रसीले होठो को अपने मुह में भर कर चूसने लगे। वो लगातार मेरे होठो को काट काट कर मुझे कामोत्तेजित कर रहें थे। थोड़ी ही देर में मै कामोत्तेजना से पागल होके अपने जेठ जी को कस कर अपने बाहों में भर लिया और उनके होठो को अपने मुह में भर कर चूसने लगी। मेरा जीभ उनके मुह में और उनकी जीभ मेरे मुह में यही काम बहुत देर तक चलता रहा। बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे के चुम्बन में खोये रहें।
कुछ देर बाद जेठ जी का हाथ मेरी ब्लाउस पर आ कर रुक गया, उन्होंने मेरी साडी को निकाल दिया और मेरे मम्मो को आजाद करने के लिये मेरे ब्लाउस की एक एक बटन को खोल दिया और मेरे बड़े बड़े मम्मो को काले ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगे। फिर जेठ जी ने मेरे ब्रा में फसे हुए चुचियों को मेरे ब्रा को निकाल कर उसे आज़ाद कर दिया और मेरी 36 चुचचे को बड़े मस्ती से दबाना शुरू किया। वो मेरे मम्मो को दबा दबा के बहुत अधिक चुदासा हो गया थे और मेरे खूबसूरत सफ़ेद चिकने मम्मो को वो अपने हाथ में लेकर किसी आटे की तरह वो जोर जोर से मसले जा रहा था। मै भी चुदासी होकर अपने मम्मो को बड़े मस्ती से लगातार मसल रही थी। मेरा बेटा रोज मेरी दूध पीता था इसलिए मेरे चुचियों से अभी भी दूध निकालता है। मेरे जेठ जी अपने हाथो से मेरे चूची को जोर से दबाते और उसमे से जब दूध निकलता तो उसको पीकर मज़े ले रहें थे। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।
बहुत देर तक मेरे दूध को पीने के बाद जेठ जी ने मेरे बूब्स को मसलते हुए और मेरे पेट को पीते हुए मेरी नाभि से होते हुए मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगे।उन्होंने मेरे काले पेटीकोट के नारे को खोला और पेटीकोट को निकाल दिया। फिर उसने मेरी पैंटी भी निकाल दिया। अब मैं अपने जेठ जी के सामने पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। दोस्तों, मैं बहुत सुंदर और गोरी चिकनी थी किसी रानी की तरह। अब तो मै भी इतना कामातुर हो गई थी कि मै खुद ही अपने जेठ से चुदना चाहती थी। मेरे जेठ जी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे पैरों कि उंगलियों को चूसने लगा। और धीरे धीरे मेरे पैर को चूसते हुए मेरे चिकनी और सॉफ्ट जांघ कि तरफ बढ़ने लगा। मै तो पागल हो रही थी और …..सी सी सी ,,अहह … उह उहअहह … अह्हह्ह करने लगी थी। कुछ ही देर में वो मेरी जांघों को चकहते हुए मेरी चूत के पास पहुचे। उन्होंने अपनी नाक को मेरी चूत में रगड़ना शुरू किया और मै बड़ी मस्ती से अपने बदन को ऐंठ रही थी। नाक को रगड़ते हुए, मेरी चूत को अपने जीभ से जिस तरफ कोई कुत्ता चाट रहा हो उसी तरह सी मेरी चूत को चाट कर मेरी चूत कि मैल को साफ कर रहें थे। मुझे बहुत मजा आ रहा था,
मेरे जेठ जी ने मेरे बुर को बहुत देर तक पिया और अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को बार बार चाट रहें थे, जिससे मै मदहोश हो कर मै अपनी मुलायम सी चूची को अपने हाथो से दबा दबा के उसमे से दूध निकाल रही थी। कुछ देर तक मेरे चूत के दाने को चाटने से मेरे चूत का पानी नि़कने लगा और मेरे चूत के नमकीन पानी को मेरे जेठ ने जीभ से चाट कर साफ कर दिया। अब मै और मेरे जेठ दोनों चुदाई के वासना में जलने लगे और कुछ ही देर बाद जेठ जी अपने 7 के मोटे से लंड को बाहर निकाला और मेरी चूत की किनारों पर अपने लंड से घुमा रहे थे, मै तो इससे और भी कामुक हो उठी। थोड़ी देर मेरी चूत को अपने लंड से सहलाने के बाद जेठ जी ने मेरी चूत में अपने लंड डालने के लिये हल्का सा धक्का देने लगे, पहले तो उनका आधा लंड लगभग 4 मेरी चूत में घुस गया औए 3 इंच बाहर ही रह गया। जेठ जी ने एक बार फिर जोर लगाया और बाकि बचा हुआ लंड भी मेरी चूत को फाड़ते हुए मेरी चूत के गहरे में चला गया और मै अपने चीख को रोक नही पाई और मेरे मुह से …अहह ..औह्ह ….माँ … करने लगी। उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में अपना पूरा जोर लगा के डालने लगे जिससे मै ..,.. ‘’उ उ उ उ ऊऊऊ……ऊँ..ऊँ…ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो…….उंह्…उंह..उं…हहूँ..हूँ…हूँहअहह्ह्ह्हह.अई…अई….अई….’’ करके चीखने लगी।
मेरे जेठ ने कहा – चुप मादरचोद, मै चुप हो गई लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था और साथ साथ मजा भी आ रहा था। उनकी स्पीड बहुत तेज हो रही थी। और मै भी अपने मम्मो को तेजी से दबा रही थी। मेरे जेठ ने 1 घंटे तक मेरी लगातार चुदाई की और जब और मेरी चूत को फाड़ डाला। जब जेठ जी का माल निकलने वाला था, तो उन्होंने मेरे चूत से अपने लंड को निकाल लिया और मेरी मुह की तरफ अपना लंड करके मुठ मारने लगे। जेठ जी की सांसे बढ़ने लगी थी उनकी स्पीड तेज होती जा रही थी। कुछ देर में में जेठ जी के लंड से माल निकाल कर मेरी मुह और होठो पर पड़ गया। उनके लंड के माल से मेरा मुह गीला हो गया। मैंने उनके माल को अपने जीभ से चाट लिया। और जेठी जी भी अपने लंड से निकले माल को मेरे मुह पर चाट रहें थे। उस दिन तो बहुत मजा आया।
उस दिन की चुदाई तो मस्त थी, मेरा मन फिर चुदने को कर रहा था। इसलिए मैंने उन से पूछा – ‘’जेठ जी आप मेरे पति को काम दे दीजिए और आप जब भी कहेगे मै आप से चुदने के लिये तैयार हो जाउंगी’’। उन्होंने कहा – ठीक है।
उस रात के बाद मै बहुत बार अपने जेठ जी से चुदी और मै उनसे पैसे भी ले लेटी थी। मैंने अपने पतियो को घर बुला लिया। अब तो मै दिन अपने जेठ जी से चुदती हूँ और रात को मरे पति मेरे खूब चुदाई करते है। इस तरह से मेरी कहानी पूरी होती है।

मनचाही चुदाई दिव्या ने मचाई man chahi chudai divya ne machai

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मित्रो सालो तुमने अपना टाइम मेरी इस कहानी को पढ़ने के लिए जवाब नहीं कमीनो तुम्हारा झाड़ने के लिए क्या क्या करते हो सालो और सालियों मैं इस कहानी पढ़ने वालो का नमन करता हूँ और जो इसे नहीं पढ़ रहे है उनके लिए अपनी गांड उठा के एक बमछोड़ता हूँ l मैं हूँ गरुण टिक्कू और मेरा बहुत है बहता l मैं लोखंडवाला का रहने वाला हूँ और मैं देखने में भी स्मार्ट दिखता हूँ l मैं बहुत ही भला इंसान हूँ और एक नंबर का कमीना भी l मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच है और लंड 6 इंच लम्बा है l मेरा मानना है कि सांप, भूत और चूत जहाँ मिले मार दो वरना कोई और मार देगा l मैं दिल का बहुत साफ हूँ लेकिन जब कोई चीज़ खुद मेरे पास आए तो मैं उसे मना नहीं करता l ये कहानी है ऐसी ही एक चुदाई की जो मैंने करी थी अपने दोस्त की बहन के साथ l
मेरा एक दोस्त जो मेरे घर के सामने ही रहता है और उसका नाम है मनीष मिश्रा और उसकी एक बहन है दिव्या मिश्रा l मनीष मेरे से एक साल बड़ा है और दिव्या मेरे ही साथ की है पर मनीष मेरा बहुत अच्छा दोस्त है l इसलिए मैंने दिव्या को कभी उस नज़र से नहीं देखा और कभी भी उसके बारे में गलत नहीं सोचा l कभी कभी हमारे घर में नहीं रहता था तो मैं उनके यहाँ चला जाता था और वहीँ पर खाना खाता था और वहीँ सो जाता थाl ये गर्मी की बात है जब हमारे मोहल्ले में लाइट चली गई थी और मैं उनके घर चला गया और मनीष के साथ बैठ के बात कर रहा था l तभी मनीष के घर में जो छोटे बच्चे है वो एक दुसरे को पकडे वाला खेल खेल रहे थे l तो उन्होंने मनीष को बुलाया और मनीष ने मना कर दिया l तो बच्चों ने उसे जबरदस्ती खींच लिया और खेलने को बोला तो वो खेलने लग गया l फिर उसने मुझे भी बुला लिया और दिव्या तो उनके साथ खेल ही रही थी l तो खेलते खेलते एक समय ऐसा आया की मैं और दिव्या ही बस बचे थे और मैं दाम दे रहा था l
फिर दिव्या भागी और मैं उसके पीछे भगा l सच में दोस्तों वो तेज़ भाग रही थी और थोड़ी आगे जाके थक गई और हम थोड़ी दूर आ गए थे l जैसे ही मैं उसके पास पहंचा तो वो पलट गई और मैंने उसके दूध पकड़ के दबा दिए l मैंने फ़ौरन ही उसके दूध से हाँथ हटाया और कहा सॉरी दिव्या l वो इट्स ओके पीकू (मेरे घर का नाम) l अब मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था और हम धीरे धीरे पैदल वापस आ रहे थे l तभी उसने कहा कि पीकू कोई बात नहीं ऐसे मत शर्माओ गलती से हुआ है l मैंने कहा यार लेकिन मुझे सही में बहुत बुरा लग रहा है l उसने कहा कोई बात नहीं छोडो जाने दो, तुम मेरे भाई के नहीं मेरे भी अच्छे दोस्त हो और तुम जीत गए हो ये खेल l फिर चलते चलते हम घर पहुँच गए और फिर थोड़ी देर बाद लाइट आई और मैं अपने घर चला गया l
फिर एक दिन मैं अपने कॉलेज से घर वापस आ रहा था तो मुझे मनीष का फ़ोन आया और उसने कहा कि क्या तू दिव्या के कॉलेज से उसको घर ले आएगा , मैं थोडा काम में फसा हूँ l तो मैंने कहा ठीक है और मैं उसके कॉलेज चला गया l वो कॉलेज के गेट पर ही खड़ी थी अपने दोस्तों के साथ खड़ी थी l जैसे ही मैं वहाँ पहुंचा तो उसकी सारी दोस्त मुझे देखने लगीं और दिव्या ने मुझे स्माइल दी और कहा हाय l
मैंने कहा तुम्हारे भाई का कॉल आया था तो कहा हाँ मुझे पता है चलें क्या ? मैंने कहा हाँ l तो वो आ के मेरी गाड़ी में बैठ गई और वो मुझसे बहुत चिपके के बैठी थी l मुझे थोडा अटपटा सा लगा लेकिन मैंने गाड़ी स्टार्ट की और वहाँ से चल दिया l रास्ते में उसने मुझसे से पूछा की क्या हो गया है तुम्हें पीकू ? उस दिन के बाद से तुम मुझसे ठीक से बात नहीं करते , क्यों ? मैंने कहा कि नहीं ऐसा कुछ नहीं है l उसने कहा ठीक है लेकिन क्या तुम मुझे कल भी कॉलेज से लेने आ जाओगे l मैंने कहा की ठीक है आ जाऊंगा l
फिर हम थोड़ी देर बाद घर पहुँच गए l फिर अगले दिन जब मैं उसके कॉलेज पहुंचा तो सिर्फ उसकी सहेलियां ही बाहर खड़ी थी तो मैंने पूछा कि दिव्या कहाँ है ? तभी उसकी एक सहेली ने वो बस आ ही रही है जीजा जी और सब हसने लगीं l फिर रास्ते में मैंने दिव्या से पूछा कि तुमने मेरे बारे में अपने दोस्तों को क्या बताया है और मुझे जीजा जी क्यूँ बोल रहीं थी ? तो उसने कहा की बुरा मत मानना पीकू लेकिन मैंने तुम्हे अपना बॉयफ्रेंड बताया है l तो मैंने कहा कि तुमने ऐसा क्यूँ कहा ? उसने कहा क्यूँ तुम मुझे अच्छे लगते हो l
मैं शांत हो गया तो उसने पूछा कि क्या मैं तुम्हे अच्छी नहीं लगती l तो मैंने कहा ऐसा नहीं है पर मैंने कभी ऐसा सोचा नहीं l उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और कहा कि पीकू तुम कितने क्यूट हो और मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ l मैं फिर शांत था और मनीष और अपनी दोस्ती के बारे में सोच रहा था l तभी रास्ते में उसने गाड़ी रुकवाई और कहा बोलो पीकू l मैंने कहा क्या बोलूं यार l उस वक़्त वो रास्ता बिलकुल खाली था तो उसने मुझे होंठ पर किस कर दिया l दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।
मैं गाड़ी पर बैठा और कहा चलो घर चलतें हैं और उसने कहा कोई जवाब नहीं दोगे l मैंने कहा हाँ वो बहुत खुश हुई और हम घर आ गए l फिर ऐसा ही कभी कभी हम लोग घुमने जाते थे और लिप किस किया करते और कभी कभी मैं उसके दूध दबा दिया करता था l फिर एक बार मेरे घर पर कोई नहीं था और वो मेरे घर आ गई और मुझे जोर जोर से किस करने लगी l मैं भी उसे किस करने लगा और वो मेरे लंड को छुने लगी l
मैं तभी समझ गया की ये पुरे चुदाई के मूड से आई है l उसने मेरी पैन्ट उतारी और चड्डी नीचे करके मेरा लंड हाँथ में लेके हिलाने लगी l मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था क्यूंकि मेरे लंड को मेरे हाँथ के आलवा कोई और हिला रहा था l उसने मेरा लंड मुंह में लिया तो मुझे तो मज़ा ही आ गया l वो प्यार से मेरा लंड चूस रही थी जैसे ब्लू फिल्म में लड़कियां चूसती है वैसे ही l
फिर उसने मेरा गोटियों को मसलते हुए कहा कि आज तो तुम्हे जन्नत के दर्शन कराऊंगी l फिर वो मुझे बेडरूम में ले गई और बिस्तर पर धक्का दे दिया और अपने कपडे उतारने लगी l उसने अपने पुरे कपडे उतर दिए और कहा किस कैसा लगा ? दोस्तों सच बता रहा हूँ उसका फिगर बहुत ही स्लिम था और उसके दूध बड़े थे और बीच में गैप भी नहीं था और उसकी चूत को उसने शेव किया था तो बाल होने का कोई चांस भी नहीं था l
फिर मैंने कहा कि सच में तुमने जन्नत के दर्शन करा दिए फिर वो मेरा लंड चूसने लगी l फिर मैंने उसे उठाया और कहा चलो अब मेरी बारी और उसके दूध चूसने लगा और दबाने लगा l उसके दूध बहुत ही सॉफ्ट थे और उसके दूध मेरे हाँथ में ओउरी तरह से आ रहे थे तो उन्हें दबाने में बहुत मज़ा आ रहा था l मैं 10-15 मिनिट तक उसके बस दूध दबाता रहा और चूसता रहा l
फिर मैंने उसकी नाभि मैं जीभ करी तो वो बोली की नहीं करो गुदगुदी हो रही है l फिर मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और कहा कि जन्नत के दर्शन तो हो गए अब स्वाद चख लूँ क्या ? तो उसने हस्ते हुये कहा की हाँ शुरू हो जाओ l मैंने चूत को देखा और उसको भूखे भेड़ियों की तरह चाटने लगा l उसकी चूत से पानी आ रहा था मैं वो पानी पीता जा रहा था फिर और जमके के उसकी चूत को चाटता जा रहा था l फिर मैं उठ के बैठ और उसकी चूत को रगड़ने लग गया और फिर मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाल दी l वो आअह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह अहहहा की आवाज़े निकलने लगी l
फिर मैंने अपना लुंड उसकी चूत पर रखा और एक ज़ोरदार झटका मारा जिससे मेरे 3 इंच अन्दर चला गया और वो कहने लगी नहीं निकालो बाहर पर मैं लगा रहा और उससे चोदने लगा l फिर मैंने उसको अलग अलग तरीके से चोदा और वो भी मेरा साथ देते जा रही थी l फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकालकर उसके मुंह के पास ले गया और उसके हाँथ में दे दिया और फिर वो हिलाने लगी l फिर मेरा मुट्ठ उसके मुंह पर ही झड गया और मैं जा के उसके ऊपर लेट गया l फिर हमने किस किया और फिर वो कपडे पहन के अपने घर चली गई l फिर हमने कई बार चुदाई मचाईl

मोटी की काली चूत में काला लंड moti ki kali chut me kala lund

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दोस्तों हेल्लो मेरे साथ एक बहुत की खतरनाक चीज़ हुयी है जिंदगी में और वो खतरनाक चीज़ है चूत की बीमारी | मेरा नाम हिर्देश है और मेरी एक दोस्त है अर्पणा वो एक मस्त लड़की है बिंदास टाइप की | पर उसका रंग काला है इसलिए मैं उससे बात नहीं करता था | मेरा भी रंग साफ़ नहीं है पर मुझे गोरी लडकियां पसंद है क्यूंकि उनकी चूत चाटने में बहुत मज़ा आता है | दोस्तों एक बात कहना चाहता हूँ आपसे “आपकी माँ का भोसड़ा” जो यहाँ आ जाते हो बहनचोद कोई काम नहीं है बस लंड चूत करते रहते हो | जाओ कही और माँ चुदवाओ अपनी | भाई लोग दिल पे मत लेना ज्यादा बुरा लगा हो तो गांड में लेना ज्यादा मज़ा आएगा | पर सच में मैंने यह सब अर्पणा पर अपनी भड़ास निकलने के लिए कहा था | साली मेरे लंड चूसते चूसते काट लेती थी | खैर अब उसका किस्सा ख़तम हो चुका है |
तो अब मैं अपनी कहानी आपको सुनाता हूँ जो की शुरू हुयी थी मेरे घर से | अर्पणा मेरी दूर की रिश्तेदार है और उसका मेरे घर आना जाना होता रहता है | मेरी मम्मी और उसकी मम्मी दोनों एक साथ पढ़ते थे और वो लोग काफी अच्छे दोस्त हैं आज भी | इसी चीज़ का फायदा अर्पणा को मिला क्यूंकि जिस कॉलेज में मैं जाता था उसने भी वहीँ पर दाखिला लिया हुआ था | वहां से मेरी कहानी आगे बढ़ी क्यूंकि उसकी कुछ लडकियां रैगिंग ले रही थी और मैं रिश्तेदार होने के नाते उसे बचाने चला गया | वो तो बच गयी पर मैं फस गया क्यूंकि इसी एक बात से उसको मुझसे प्यार हो गया और वो मेरे पीछे दीवानी सी हो गयी | पहले तो मैंने सब कुछ ऐसे ही हलके में लिया पर जब एक दिन मैंने उसकी डायरी देखी तब मेरा दिमाग खराब हो गया |
उसमे लिखा उन्होंने मेरी हर जगह मदद की है और अब तो मैं उनके प्यार में पागल सी हो गयी हूँ | “आई लव यू हिर्देश” ये देख कर मेरा दिमाग ख़राब हुआ और मैं सीधे उससे मिलने चला गया | मैंने उससे कहा देखो अर्पणा ये सब गलत है में बस तुम्हे एक अच्छा दोस्त मानता हूँ और कुछ नहीं मेरा ख़याल अपने दिमाग से निकाल दो | उसने कहा क्यूँ ऐसा क्या पाप किया है मैंने जो आप ऐसा बोल रहे हो मुझसे | मैंने कहा मुझे गोरी लडकियां पसंद है और तुम काली हो | वो रोने लगी और मेरा भी दिल पिघल गया क्यूंकि किसी के रंग से क्या फर्क पड़ता है बस उसका दिल अच्छा होना चाहिए | पर फिर मैंने सोचा कि मेरा चूत चाटने का सपना तो बिलकुल अधूरा रह जाएगा | उसके बाद मैंने कॉलेज जाना कम कर दिया और जब वो और उसकी मम्मी घर आते तो मैं घर घर में नहीं होने का बहाना बना देता और मम्मी से कहता की बताना मत | यही करते करते काफी समय बीत गया और अब मुझे लगा की सब कुछ सामान्य हो गया होगा |
यही सोच मुझे बहुत महंगी पड़ गयी क्यूंकि अर्पणा का प्यार और भी गहरा हो चुका था और वो अब मोटी हो गयी थी | उसके दूध मस्त बड़े हो गये थे पर थी तो वो काली | इसलिए मुझे लगा की यार अब क्या करूँ ? अब तो ऐसी हालत थी की अगर मैं उसके बारे में सोच भी लूँ तो डर लगने लगता था | फिर मेरा कॉलेज ख़तम हो गया और मैं आज़ाद हो गया और मुझे एक नौकरी भी मिल गयी थी पढ़ाने की तो मैं उसमे व्यस्त हो गया | पर मुझे मालूम नहीं था कि अर्पणा मेरा पीछा वह भी नहीं छोड़ेगी | मेरे पहले दिन मुझे पता चला कि वो भी वहां पढ़ाती है और मेरा दिमाग एक बार फिर से ख़राब हो गया | अब मैंने सोचा कि क्यूँ न नौकरी छोड़ दी जाए पर फिर लगा की यार मुझे इतनी आसानी से नौकरी मिल गयी है तो इसको लात क्यों मारो |
यही सोचकर मैं रुक गया पर अर्पणा से कम बात करता था और उससे दूर दूर रहता था | पर आपको तो पता ही है की अगर कोई इंसान नज़रों के सामने रहता है तो उससे लगाव हो ही जाता है और मेरे साथ भी यही हो रहा था | धीरे धीरे मैं उसके साथ बात करने लगा था और उसकी तरफ आकर्षित हो रहा था | मैं भी हैरान था कि ये सब हो कैसे रहा है | तब मुझे समझ आया की ये सब उसके सच्चे प्यार का सर है और इसी की वजह से मैं उसकी तरफ जा रहा हूँ | पर यह समझना बिलकुल भी मुस्किल नहीं था कि आगे होने क्या वाला है | मैंने भी सोच ही लिया था की जब इसी काली और मोटी चूत से ही काम चलाना पड़ेगा तो क्यों न मैं भी इससे प्यार कर ही लूँ | तब मैंने अर्पणा को अपने पास बुलाया और कहा की चाल यार तू जीती मैं हारा | उसने भी झट से मुझे अपने गले लगा लिया और कहा की देखा आखिर आ ही गये न मेरे पास | मैंने कहा हाँ अब ज्यादा भाव मत खाओ और बताओ कि करना क्या है इसके बाद | उसने कहा अब क्या करना है बस इसके बाद हमे शादी करनी है और बच्चे पैदा करने है | मैंने कहा तुझे आता है बच्चे पैदा करना तो वो बोली माना कि कभी सेक्स नहीं किया पर बच्चे पैदा करना तो पता ही न |
मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और कहा अच्छा तो चल मुझे सिखा दे बच्चे कैसे पैदा करते है और वो एकदम से चौंक गयी | उसने कहा अभी यही पे बता दूँ क्या | तो मैंने कहा नहीं पागल है क्या यहाँ कैसे बताएगी | मैंने कहा कल तेरी और मेरी मम्मी दोनों बाहर जा रही हैं और मेरा घर खाली रहेगा | तो उसने कहा ठीक है पर बिना कंडोम के नहीं करना कुछ | मैंने कहा यार पहले तू आ तो सही फिर देखते है जो करना होगा वो कर लेंगे | वो भी मुस्कुराई और वहां से चली गयी और मैं भी बच्चों को पढ़ाई करवाने लगा | फिर अगले दिन सुबह हुयी और मैं फ्रेश होकर सोफे पर लेटा था और मम्मी जा चुकी थी | एकदम मेरे दरवाज़े पर दस्तक हुयी और मुझे पता चल गया की ये आ गयी है | अब मुझे भी लगने लगा था की आज कुछ न कुछ ज़रूर होगा | मैंने भी साड़ी तैयारी कर ली थी और कंडोम ले आया था |
वो आई और सीधा मेरे ऊपर लेट गयी | मैंने कहा मोटी इतनी भारी है तू उठ मेरे ऊपर से और उसने तुरंत अपना एक निप्पल मेरे मुह में दे दिया और कहा चुप बच्चे दूध पीते है फिर खेलना शुरू करते हैं | मैं भी मज़े में उसका दूध पी रहा था और धीरे धीरे उसके दोनों निप्पल मेरे मुह में थे | उसने अपने सारे कपडे उतार दिए थे और में उसके दूध जो अब काफी बड़े हो चुके थे उन्हें दबा रहा था | अब तो मेरा लंड भी तन के खड़ा हो गया था और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था | मुझे पता चल गया था की बदन गोरा हो या काल मज़ा चुदाई में होता है |
मैंने उठ कर अपने सारे कपडे उतारे और अपना लंड सीधा उसके हाथ में दे दिया पर उसने नहीं चूसा | बोली की अभी नहीं पहले तुम मेरी चूत को चाटो फिर मैं करुँगी | मुझे लगा यार इसकी चूत पे बाल होंगे और काली भी होगी तो केसे करूँगा | मन मारते हुए मैंने उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाली और चाटने लगा पर जेसे ही उसकी चूत की महक मेरी नाक में गयी मैंने क्या चूत चाटी उसकी | वो सिस्कारियां लेने लगी थी | उफ्फफ्फ्फ़ आआआअह आअह्ह्ह्ह उम्म्म्मम्म्म्मम्म पीलो मेरी चूत का पानी खा जाओ इसको | ऐसा करते करते में भी झड़ने वाला था क्यूंकि हम दोनों बहुत गरम हो गये थे |
अब वो मेरा लंड चूसने लगी थी और मेरे सुपाडे पर अपनी जीभ से चाट रही थी | मुझे ठंडा लग रहा था और एक अजीब सा मज़ा भी आ रहा था | उसने दस मिनट तक मेरे लंड को चूसा और सारा माल अपने दूध पर गिरा लिया | मैंने कहा चलो यार अब तुम्हरी चूत में अपना लंड डालता हूँ तो बोली हाँ जल्दी करो | मैं उठा और एक धक्का मारा कस के उसकी में और मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ते हुए अन्दर तक चला गया | आआआअह आअह्ह्ह्ह आआआअह आअह्ह्ह्ह ऐसे चोदोगे मुझे | मैंने कहा चुप और जोर जोर से पेलने लगा उसे | ऊऊउम्म्म्म ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ और कर फाड़ दे आज तो | ये कहके वो उठी और बोली अब मेरी गांड के छेद को फाड़ दो और मैंने भी तुरंत एक झटके में उसकी गांड के अन्दर लंड पेला और अन्दर बाहर करने लगा | वो पूरा दिन और पूरी रात मुझसे चुद्वाती रही जब तक मम्मी नहीं आ गयी 

सगे भैया ने मुझे भाभी समझ चौदा sage bhai ne mujhe bhabhi samaj kar chouda

सगे भैया ने मुझे भाभी समझ चौदा sage bhai ne mujhe bhabhi samaj kar chouda, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.
हेल्लो दोस्तों, मैं पूजा आप सभी का #सेक्सकहानी2017 में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी की नियमित पाठिका रहीं हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी।
मेरे अमर भैया की नई नई शादी हुई थी। दोस्तों मेरी भाभी बहुत खूबसूरत औरत थी। जिस दिन भैया की सुहागरात होनी थी उस दिन वो भाभी के हुस्न पर पूरी तरह से पागल थे। उन्होंने सारी रात भाभी की चूत मारी थी। धीरे धीरे मेरे भैया भाभी के पीछे पूरी तरह से पागल हो गये है और सारा दिन कमरे में ही घुसे रहते है और भाभी की मस्त मस्त चूत चोदा करते थे। जैसे ही रात हो जाती थी मैं चुपके से बड़े भैया के दरवाजे पर चली जाती थी और लॉक वाले छेद से मैं सारी चुदाई देख लिया करती थी। धीरे धीरे मुझे भैया भाभी की चुदाई देखने का नशा सा हो गया। रोज रात में मैं भैया के कमरे के दरवाजे पर खड़ी हो जाती और अंदर का सारा चुदाई वाला सीन देख लिया करती थी।
दोस्तों धीरे धीरे मेरा भी चुदने का और मोटा लंड खाने का दिल करने लगा। पर मेरे पास कोई बॉयफ्रेंड नही था। इसलिए मैं अपनी वासना और काम की हवस को शांत करने के लिए खुद ही अपनी चूत में अपनी ऊँगली, मूली और बैगन डाल लिया करती थी और चूत को फेट लिया करती थी। पर मुझे वो असली वाला मजा नही मिल रहा था। मुझे असली लंड खाने का बड़ा दिल कर रहा था। मैं भाभी की तरह चुदना चाहती थी। और भरपूर मजा लेना चाहती थी।
एक शाम भाभी मार्केट गयी हुई थी। मैं उनके कमरे में थी और अपनी एक साड़ी ढूढ़ रही थी। मेरी भाभी मेरी साड़ी में फाल लगा रही थी इसलिए मैं वही साड़ी लेने आई थी। इत्तेफाक से मैंने भी उस दिन शौक शौंक में साड़ी पहन रखी थी। तभी लाईट चली गयी। उसी समय भैया आ गये और मुझे कमर से पकड़ लिया और प्यार करने लगे। मेरे भैया सोच रहे थे की मैं उनकी बीबी हूँ। वो मुझे किस करने लगे।
“जान…आओ जल्दी से चूत दे दो। आज बजार में एक बड़ी सुंदर लड़की को देख लिया। बस उसे देखते ही मेरा मूड खराब हो गया। मेरा लौड़ा खडा हो गया है अब मुझे बस तुम्हारी रसीली चूत मारनी है!!” मेरे भैया बोले। उधर मेरा भी लंड खाने का मन कर रहा था इसलिए मैंने कोई आवाज नही निकाली। वरना अमर भैया मुझे पहचान जाते और मुझे नही चोदते। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और धीरे धीरे मेरी साड़ी निकालने लगे। लाईट चली गयी थी इसलिए कमरे में अँधेरा था। भैया मुझे भाभी समझ रहे थे। कुछ देर में उन्होंने मेरी साड़ी निकाल दी और फिर मेरी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। मैं बिलकुल चुप थी और कोई आवाज नही कर रही थी। फिर मेरे भैया ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरे रसीले होठ चूसने लगे। मैं पिछले कई महीने से भैया को भाभी का गेम बजाते हुए देख रही थी इसलिए मैं भी उनका मोटा लंड खाने के लिए तडप रही थी।
दोस्तों मेरे अमर भैया बहुत ही स्मार्ट और खूबसूरत थे। वो मर्दाना जिस्म के मालिक थे और उसकी मस्त बॉडी बनी हुई थी। उनका लंड तो ९” लम्बा था और बहुत मोटा और रसीला लौड़ा था मेरे भाई का। कमरे में अँधेरा था और वो मुझे भाभी समझ कर मेरे सेक्सी होठ पी रहे थे। मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर अमर भैया मेरे उपर आ गये और मेरे दूध को अपने हाथ से दबाने लगे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया मेरे खूबसूरत मम्मो को जोर जोर से अपने हाथो से दबा रहे थे और फुल मजा ले रहे थे। मेरे मम्मे बहुत ही खूबसूरत थे। बिलकुल सफ़ेद सफ़ेद और गोरे रंग के थे। अमर भैया जान ही नही पाए की वो अपनी बीबी को नहीं बल्कि अपनी बहन के दूध को दबा रहे है। मुझे भी खूब मजा मिल रहा था। फिर अमर भैया मुंह लगाकर मेरे नशीले दूध को पीने लगे और मजा मारने लगे। मैं आप लोगो को बता नही सकती हूँ की मुझे कितना मजा मिल रहा था। आज पहली बार मैं किसी मर्द को अपने मस्त मस्त दूध पिला रही थी। मैं भी जवानी के मजे लूट रही थी। अमर भैया मुझे भाभी समझ के मेरी नर्म नर्म कोमल छातियों को चूस रहे थे। उनको बहुत अच्छा लग रहा था।
वो मेरी एक छाती को १० मिनट तक चूसते फिर दूसरी छाती को मुंह में भर लेते है पीने लग जाते। आधे घंटे तक यही खेल चलता रहा। अधेरे में मेरा हाथ उनके लंड से टकरा गया तो मैं जान गयी की उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है और मुझे चोदने के लिए बिलकुल तैयार हो गया है। मेरे सगे भैया ने मेरी दोनों नर्म मुलायम छातियों को बहुत देर तक चूसा।
“जान….मेरे लौड़े को अपने हाथ से फेटो!!” अमर भैया बोले और मेरे हाथ में उन्होंने अपना ९” का मोटा और रसीला लंड पकड़ा दिया। आज पहली बार मैंने किसी असली लौड़े को हाथ में लिया था। इससे पहले तो मैं बस मूली, गाजर, बैगन को ही हाथ में लेती थी पर आज मुझे अमर भैया का असली लंड हाथ में लेने का मौक़ा मिला था। मैं जल्दी जल्दी उसके लौड़े को फेटने लगी। अमर भैया …..आआआआअह्हह्हह…. करने लगे। फिर मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड फेट रही थी। मेरा उनका लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था क्यूंकि मेरी भाभी रोज रात में मेरे भैया का लंड चूसती थी। इसलिए आज मेरा भी भैया का लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था। मैंने भैया को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके उपर लेट गयी और उनका लंड चूसने लगी।
उनको बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे ताजे गुलाबी होठ उनके लंड पर जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहे थे। अमर भैया के हाथ मेरी बड़ी बड़ी ३६” की छातियों पर चले आये थे और वो मेरे बूब्स को हल्का हल्का दबा रहे थे। मैं उनके लौड़े को मुंह में लेकर चूस रही थी। और हाथ से जल्दी जल्दी फेट भी रही थी। कुछ देर बाद तो मुझे बहुत जादा मजा मिलने लगा और मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड चूसने लगी और हाथ से फेटने लगी। उनको सेक्स और चुदाई का भरपूर नशा चढ़ गया था। वो हाथ ने मेरी निपल्स को घुमा रहे थे और ऊँगली से ऐठ रहे थे। ऐसा करने से मुझे सेक्स का नशा चढ़ रहा था। फिर मैं बिलकुल से पागल हो गयी और अमर भैया के लौड़े को मैं लील जाना चाहती थी।
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इसलिए मैं जल्दी जल्दी उनके लंड को चूस रही थी। भैया का सुपाड़ा तो बहुत खूबसूरत था और काफी नुकीला था। दोस्तों मैंने आधे घंटे तक अमर भैया का लंड चूसा। आज मैं किसी देसी रंडी की तरह पेश आ रही थी। फिर अमर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों पैरों को उसने अपने कंधे पर रख दिया। फिर उन्होंने मेरी चूत के दरवाजे पर अपना लंड रखा और जोर से धक्का मारा। उनका ९” का रसीला लौड़ा मेरी चूत में उतर गया और अमर भैया दनादन मुझे चोदने लगे। इससे पहले मैं अपनी बुर को बैगन और गाजर से चोद लिया करती थी। पर उसमे वो मजा नही आता था जो आज मैं उठा रही थी। मेरे सगे अमर भैया मुझे गच्चक गचाक चोद रहे थे। मैं “आआआअह्हह्हह……ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई..अई..अई…..अई..मम्मी….” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। भैया मुझे भाभी समझ के पेल रहे है। मुझे बहुत जादा यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी। मैं अपने अमर भैया को सीने से चिपका लिया था और मजे से चुदवा रही थी।
मैं किसी तरह का नाम नही ले रही थी वरना अमर भैया जान जाते की मैं उनकी बीबी नही बल्कि सगी बहन हूँ। वो चुदाई के नशे में बार बार मेरे गोरे चिकने गालों पर काट लेते थे और मुझे दनादन चोद रहे थे। मैं पूरी तरह से उनके कब्जे में थी और उन्होंने मुझे दोनों हाथों से कसकर पकड़ रखा था। अमर भैया का लंड इतना मोटा था की जब वो अंदर मेरी चूत में जाता था जो मैं आगे की तरफ खिसक जाती थी। वो जल्दी जल्दी मुझे चोदकर मेरी बुर फाड़ रहे थे। मैं अँधेरे में मजे से अपने सगे भैया से चुदवा रही थी और जन्नत का मजा ले रही थी। आज मेरी चूत चुद गयी थी और आज पहली बार मैंने असली लंड खा लिया था। कुछ देर बाद बड़े भैया को और जादा जोश चढ़ गया और वो मेरे दूध पीते पीते मुझे बजाने लगे। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।
एक तो वो मेरे नर्म स्तनों को पी और चूस रहे थे और उधर मेरी चूत में जल्दी जल्दी लंड सरका रहे थे। मैं “उ उ उ उ उ।।।।।।अअअअअ आआआआ।।। सी सी सी सी।।।। ऊँ।।ऊँ।।।ऊँ।।। बोल बोलकर चुदवा रही थी। कुछ देर बाद अमर भैया का माल छूट गया और उन्होंने मेरे भोसड़े में ही अपना माल गिरा दिया। मैंने उनको सीने से लगा लिया और उनके होठ चूसने लगी। दोस्तों १० मिनट बाद अमर भैया का लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो मेरी चूत पर आ गये और मेरी चूत पीने लगा। वो मुंह लगाकर मेरी हसीन बुर को चाट और चूस रहे थे। मेरे चूत के दाने को वो बार बार अपनी जीभ से चाटते थे और छेड़ते थे। मुझे चूत में सनसनी लग रही थी। फिर अमर भैया मेरी चूत के होठो को जीभ से चाटने लगे। मैं पागल हो रही थी।
मैं चुदाई के नशे में उनके सिर को बालों को अपने हाथ से नोच लिया। अमर भैया बहुत ही एक्सपर्ट आदमी थे। उनको मालुम था की एक खूबसूरत लड़की की खूबसूरत चूत को किस तरह से अच्छे से चाटा जाता है। वो जल्दी जल्दी मेरी चूत पर अपनी जीभ हिलाने लगे। मैं बेकाबू हुई जा रही थी। मेरी चूत में आग लग गयी थी। जैसे मेरी चूत जल रही हो। फिर अमर भैया ने अपनी ३ उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी। मैंने अपनी गांड हवा में उपर उठा दी। क्यूंकि मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। अमर भैया आज बड़े कायदे से मेरी चूत का शिकार कर रहे थे। वो मेरी चूत को अपनी ३ उँगलियों से चोद रहे थे। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। मुझे लग रहा था की मैं मरजाउंगी। अमर भैया की ३ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी बुर को चोद रही थी। फच्च फच्च की पनीली आवाज मेरे गुलाबी भोसड़े से आ रही थी। मेरी तो दोस्तों जान ही निकल रही थी। मैं बार बार अपने पेट और कमर को उपर उठा देती थी। क्यूंकि मुझे बहुत तेज यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी।
अमर भैया ने ४० मिनट मेरी चूत को अपनी ऊँगली से चोदा और भरपूर मजा लिया। इसी बीच मेरे सब्र का बाँध आखिर टूट गया और मेरी चूत का पानी झर्र झर्र निकलने लगा। शायद अमर भैया मेरी चूत का पानी पीना चाहते होंगे। वो अभी भी नही रुक रहे थे और मेरी चूत में से पानी निकाल रहे थे और मुंह में लेकर पी रहे थे। मेरी चूत में खलबली मच गयी थी। मेरा तो बुरा हाल था। फिर अमर भैया ने मेरी दोनों टांगो को खोल दिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे ह्पाहप चोदने लगे। ये मेरा दूसरा राउंड था। अमर भैया इस बार मेरे सेक्सी पतले पेट को सहला रहे थे और मेरी चूत को बजा रहे थे। वो मेरे उपर लेते हुए थे और मेरी चूत बजा रहे थे। मैं उनकी गिरफ्त में थी।
उनका पेट मेरे छरहरे पेट से लड़ रहा था जिससे चटर चटर की आवाज हो रही थी। एक बार फिर से अमर भैया विराट कोहली की तरह मेरी चूत की पिच पर अपने लौड़े से बैटिंग कर रहे थे। मैं एक बार फिर से चुद रही थी। और अपने सगे भाई का लंड खा रही थी। आज तो अमर भैया ने मेरी रसीली और चिकनी बुर फाड़कर रख दी थी। मैं “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया का लंड बड़ी आराम से सट सट मेरी गुलाबी चूत में सरक रहा था। मैं मजे से चुद रही थी। मैंने जोश में आकर अपने नाख़ून अमर भैया की पीठ में गड़ा दिया था। हम दोनों भाई बहन गरमा चुदाई का मजा ले रहे थे। अमर भैया बार बार मेरी चिकनी जांघो को सहला रहे थे। मैं उनके सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी। वो मेरे पुरे जिस्म को अपने हाथ से सहला रहे थे। मैं बहुत गजब का चिकना माल थी। आज मेरे सगे भाई ही मेरे साथ सम्भोग कर रहे थे। मेरी चिकनी और सेक्सी योनी में उनका लंड घुसा हुआ था और मुझे जल्दी जल्दी चोद रहा था। मैं तो जैसे सातवे आसमान की सैर कर रही थी। अमर भैया तो एक भी सेकेंड के लिए रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। मुझे जल्दी जल्दी वो चोद रहे थे। ऐसा लग रहा था की वो कोई कद्दू काट रहे है। कुछ देर बाद उनका बदन अकड़ने लगा और उन्होंने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। उसके बाद मैं बड़ी देर तक उनका लंड चूसती रही। जब मैं चुदवाकर चली आई तो लाईट आ गयी। कुछ देर में मेरी भाभी बाजार से आ गयी। मेरे भैया अपने कमरे में पूरी तरह से नंगे होकर लेटे थे। जब अमर भैया ने भाभी को देखा तो बिलकुल चौंक गये।
“तुम कहाँ गयी थी????” अमर भैया से हैरान होकर पूछा
“मैंने तो ३ घंटे से बजार गयी थी कुछ समान खरीदना था!!” भाभी बोली

उसके बाद भैया जान गये की उन्होंने गलती से मुझे अपनी बीवी समझ कर चोद लिया है। पर ये बात उन्होंने भाभी को नही बतायी। आज भी मुझे अपने अमर भैया की ठुकाई बार बार याद आती है। 

बहन और उसके बॉयफ्रेंड का गुलाम बना Bahan or uske boyfriend ka gulam bana

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मेरी एज 19 साल हे और मैं हैदराबाद में इंजीनियरिंग कर रहा हूँ. मैं 5 फिट 11 इंच लम्बा हूँ और मेरा वजन 50 किलो हे. वैसे मैं पतला हूँ और रंग में गोरा हूँ. मेरा लंड उतना बड़ा नहीं हे, करीब 4.5 इंच का हे.
मेरी बहन की उम्र 23 साल हे और उसका फिगर कर्वी हे. उसका फिगर 34D 30 34 हे. वैसे उसके बहुत बॉयफ्रेंड रहे हे और वो एक इजी गोइंग लड़की हे. और दूसरी तरफ मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं रही हे. दोस्तों ये कहानी एक फिक्शन हे और वास्तविक जिन्दगी में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. मेरी कल्पना के घोड़े दौड़ा के मैंने ये कहानी लिखी हुई हे बस.
इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने वालो को वैसे भी गर्लफ्रेंड का सुख कम ही मिलता हे. अपनी सेक्स की भावनाओं को शांत करने के लिए पोर्न ही सब से अच्छा दोस्त हे. मैं बहुत छोटी सी उम्र में पोर्न देखने लगा था. पहले मैं इन्सेस्ट पोर्न और इबोनी यानी की ब्लेक लड़कियों का पोर्न देखता था. लेकिन फिर मुझे बीडीएसएम सेक्स में इंटरेस्ट हो चला. मैं बीडीएसएम पोर्न देख के उत्तेजित हो जाता हूँ.
मेरा लंड 4.5 इंच का हे. और मुझे औरतों को मर्दों को डोमिनेट और ह्यूमिलीएट करते हुए देखना अच्छा लगता हे. मेरा लंड भी वो मर्दों के जितना ही बड़ा हे जो ह्यूमिलेट होते हे. वैसे मेरा लंड छोटा हे ये मैंने किसी को भी बताया नहीं हे.
मैं मोस्टली पोर्न अपने कमरे में डेस्कटॉप के ऊपर ही देखता हूँ. मैं पढाई के बहाने से अपने कमरे के दरवाजे को बांध कर देता हूँ. और फिर कमरे में पोर्न देख के ही मुठ भी मार लेता हूँ. एक दिन सन्डे के दिन मेरे मम्मी पापा बहार गए हुए थे किसी फंक्शन के लिए. और मैं बड़ा खुश था क्यूंकि मेरे पास अच्छा समय था लंड को हिलाने के लिए. क्यूंकि उनके ना होने से मैं सुकून से मुठ मार सकता था.
वैसे मेरी बहन का सभी सामान उसके अपने कमरे में ही हे. लेकिन उसकी कुछ बुक्स मेरे शेल्फ के ऊपर थी. मैंने दरवाजे को उत्तेजना से बंद किया और गलती से और जल्दबाजी में मैं सही तरह से बंद करना भूल गया. फिर मैं बीडीएसएम लगा के बैठ गया. उसमे एक औरत ने एक मर्द को केज में यानी की पिंजरे में बंद कर दिया हुआ था. और वो उसे मार भी रही थी. वो उसके ह्यूमिलिएट कर रही थी और मार भी रही थी.
और तभी मेरी बहन मेरे कमरे में अपनी बुक्स लेने के लिए आ गई. वैसे तो वो मेरे कमरे में आने से पहले दरवाजे को दस्तक देती हे. लेकिन आज पता नहीं क्यूँ उसने दरवाजे को पुश किया और वो खुल भी गया. मैं अपने लंड को बीडीएसएम पोर्न देख के स्ट्रोक कर रहा था. मैं एकदम शोक हो गया और मैंने अपने लंड को पेंट में डाल दिया. लेकिन तब तक बहुत लेट हो चूका था. मेरी बहन ने सब कुछ देख लिया था.
वो चिल्लाने लगी, क्या कर रहे थे तुम? पढ़ाई के बहाने से अन्दर बैठ के पोर्न देख रहे हो! और फिर उसने मुझे कहा की पापा को बोल दूंगी और वो तुम्हे पनिश करेंगे. मैं उसके सामने गिडगिडाने लगा और उसको कहा की ये उम्र में ऐसा होता हे बहन.
वो बोली, शट अप, पोर्न देखना भी हे तो कभी कभी देखो ऐसे देख के पूरा दिन खराब मत करो. मैं फिर से गिडगिडा पड़ा और मैंने उसे कहा की प्लीज़ तुम जो कहोगी मैं वो करूँगा लेकिन किसी को भी मत बोलना प्लीज़.
ये सुन के उसकी आँखे चमक गई और वो बोली, सच में?
मैंने आगे पीछे सोचे बिना हां कह दिया. वो बोली, आज से मैं जैसे कहूँगी वो तुम्हे करना पड़ेगा देख लो. मैंने कहा हां ठीक हे दीदी.
उसने मुझे न्यूड होने के लिए कहा. मैं थोडा कन्फ्यूज था और मैंने कहा क्या? वो बोली, अबे साले कुत्ते अपने कपडे निकाल ना. मैंने धीरे से अपने कपडे खोलना चालू कर दिया. मेरा लंड सिकुड़ के 2 इंच का हो चूका था.
जैसे ही मैंने अपनी अंडरवेर को खोला वो एकदम जोर जोर से हंसने लगी. मैं एकदम एम्ब्रास हो गया था. वो बोली, अरे ये क्या चीज हे! इतना छोटा लंड! मेरे बॉयफ्रेंड का सोया हुआ लंड भी इस से बड़ा होता हे! मैं सर झुका के उसके सामने खड़ा हुआ था.
वो आगे बोली सच कहूँ तुम कभी भी किसी औरत को खुश नहीं कर सकते हो. और फिर उसने मुझे पोर्न दिखाने के लिए कहा. वो बोली, मुझे अब पता चला की तुम फेमडोम पोर्न देख के लंड क्यूँ हिलाते हो. अब उसने मुझे उसके जूते निकाल के सूंघने के लिए कहा. मैंने उसके जूते निकाले और उसके लेग्स को सूंघने लगा. फिर मैं उसके पैरों को चाटने लगा. वो थोडा अजीब था लेकिन मुझे अच्छा लग रहा था.
फिर उसने खड़े हो के अपनी पेंट और पेंटी निकाल दी. और फिर उसने पेंटी मुझे दे के सूंघने के लिए कहा. और पेंटी को सूंघ के अब मेरा लंड खड़ा होने लगा था. लेकिन उतना भी खड़ा नहीं हुआ. 4.5 इंच जितना लम्बा होने के बाद में वो हार्ड हो गया. मेरी बहन ने हंस के कहा, शिट तुम्हे तो पेंटी की स्मेल अच्छी लगती हे. कितने विकृत हो तुम! अब उसने मुझे कहा की मेरी पेंटी को सूंघते हुए अपने लंड को हिलाओ. मैंने बिना कुछ कहे ऐसे करना चालू कर दिया. 2 मिनिट के अंदर ही मेरे लंड से वीर्य झड़ गया.
वो बोली, तुम्हारा तो लंड टिकता भी नहीं हे लम्बे समय तक. तुम तो हरेक जगह पर लूजर हो. मुझे शर्म आती हे तुम्हारे ऊपर.
मेरा वीर्य निचे फर्श के ऊपर ही पड़ा हुआ था. मेरी बहन ने मुझे वो चाट के साफ़ करने के लिए कहा. वो मेरे लिए एकदम ह्यूमिलीइटिंग था. लेकिन मैंने चाट लिया अपने वीर्य को. फिर मेरी बहन ने मुझे पेंटी दे दी और बोली इसे पहन लो मेरी सिस्सी!
फिर दीदी ने मेरी गांड में ऊँगली डाली और बोली तुझे चोदने नहीं चुदवाने की जरूरत हे भाई.
उस दिन फिर बहन का बॉयफ्रेंड आ गया. मेरी बहन ने कहा मेरी पेंटी और ब्रा पहन के रम दरवाजा खोलो. मैंने कहा प्लीज़ ऐसे मत करो. वो नहीं मानी. मैंने कहा ठीक हे लेकिन प्लीज़ ये किसी को बोलना मत. वो बोली अगर मैंने किया वैसे नहीं किया तो मम्मी पापा को बता दूंगी. मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं था उसकी बात माने बिना.
मैं बहन की पिंक पेंटी और ब्रा पहन के दरवाजा खोलने के लिए गया. जैसे ही मैंने दरवाजे को खोला तो बहन का बॉयफ्रेंड मुझे देख के एकदम से हंसने लगा. और वो खुद को रोक ही नहीं पा रहा था. मैंने उसे ग्रिट किया और फिर वो अन्दर आ गया. वो अन्दर आया और मेरी बहन को किस कर के बोला अरे ये सब क्या हे?
वो बोली, ये मेरी सिस्सी बिच हे और विकृत भी. हमारे लिए गुलाम का काम करेगा ये. कुछ भी आर्डर करो और वो करेगा तुम जो कहोगे!
और फिर वो दोनों एक दुसरे को मजे से किस करने लगे. बॉयफ्रेंड ने मुझे कहा मेरी तलवे चाटो. मैंने उसके जूते निकाले और उसके पाँव को चाटने लगा. उसने अपनी एक ऊँगली मेरे मुहं में डाली जिसे मैं चूसने लगा. मेरी बहन हंसने लगी. फिर उसने मेरी बहन के कपडे निकालने के लिए कहा मुझे. मेरी बहन के कपडे खोले मैंने और मेरी बहन ने अपने बॉयफ्रेंड के कपडे निकाले.
मैं उसको लंड को देख के एकदम चौंक गया. उसका लंड पूरा 8 इंच का था जो एकदम कडक था और हिल रहा था. मेरी बहन ने लंड को पकड़ा और बोली, देख इसे असली मर्द का लंड कहते हे ऐसे दिखता हे लोडा. फिर मेरी बहन ने कहा यहाँ आओ. फिर मेरी बहन ने मुझे उसके बॉयफ्रेंड के टट्टे चूसने के लिए कहा.
मैंने बिना कुछ कहे उसे अपने मुहं में ले लिया. और मेरी बहन लंड को चूसने लगी. मेरी बहन ने गले तक लंड को भर लिया. और फिर उसने लंड को मुहं से निकाला और मुझे चूसने के लिए कहा. बहन के बॉयफ्रेंड ने जबरन पूरा लंड मेरे मुहं में ठूंस के चोदना चालू कर दिया.
ये सब 10 मिनिट तक चलता रहा. और फिर उसके लंड से निकला हुआ वीर्य मेरे मुहं में भर गया. मेरी बहन ने मेरा मुहं पकड़ के सब वीर्य को पिने के लिए कहा. फिर मेरी बहन ने वापस उस लंड को चूसा और बहन ने मुझे बॉयफ्रेंड की गांड चाटने के लिए कहा. मैंने वैसे ही किया. बहन के बॉयफ्रेंड का लंड फिर से खड़ा हो गया.
उसने फिर मेरी बहन को बिस्तर पर फेंक दिया और चूत के अन्दर लंड डाल दिया. मैं नजदीक से बहन की चूत में बड़ा लैंड घुसते हुए देख रहा था. उसने अब अपनी स्पीड को बढ़ा दिया और मेरी बहन जोर जोर से मोअन करने लगी.
मेरी बहन जोर जोर से अह्ह्ह अह्ह्ह फक मी अह्ह्ह्ह अह्ह्ह मोअन कर रही थी. मेरी बहन ने मुझे देख के कहा, देख ऐसे चोदते हे औरत को, तू सिर्फ लंड ही हिलाएगा हरामी! और फिर उसने कहा तू हम दोनों को चोदते हुए देख के अपने लंड को हिला ले.
मैंने अपने लंड को पकड के हिलाया. और मेरा पानी फिर से 2 मिनिट में ही निकल गया. वो दोनों मुझे देख के हंस रहे थे. वो और जोर जोर से बहन की चूत मार रहा था. उसके बॉल्स हवा में इधर उधर हो रहे थे. मेरी बहन ने अब मुझे उसके बॉल्स चाटने के लिए कहा. मैं टट्टे चाटने लगा. और तभी बॉयफ्रेंड ने ढेर सारा वीर्य चूत के अन्दर ही निकाल दिया.
अब उसने खड़े हो के मुझे चूत को चाटने के लिए कहा. मैंने अपनी बहन की चूत के ज्यूस को और उसके अन्दर के वीर्य को चखा. और मैंने चाट चाट के चूत को साफ़ कर दिया.
कुछ देर बाद फिर से वो दोनों ने काम चालू कर दिया. फिर वो जाने लगा. जाते हुए उसने कहा आज से तू हम दोनों का गुलाम हे और अब तू मुझे सर कहेगा और अपनी बहन को मेडम.
उसके जाने के बाद मेरी बहन ने मुझे नाइटी पहनाई और घर साफ़ करने के लिए कहा!
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