सगे मामा की लड़की से मेरे जिस्मानी रिश्ते Sage Mama ki ladki se mere jismani rishte

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दोस्तों नमस्कार , आज मैं आपको मेरी जिन्दगी की एक ऐसी कहानी से रूबरू करवा रहा हूँ जो मेरे और मेरी कजिन के बीच घटित हुई। वो देखने में बहुत ही सुंदर है और उसका बदन ऐसा है कि जो भी उसे देख लेता होगा, अपने को शांत करने के लिए मुठ जरुर मारता होगा। मुझे भी उसे चोदने का मौका आखिर मिल ही गया। मैंने एक अच्छा सा होटल बुक किया, मैंने उसमें बात कर ली- मेरी कजिन आएगी… कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना? मैनेजर बोला- कोई दिक्कत नहीं है।

फिर मैंने स्वीटी को फ़ोन किया और ऑटो लेकर आने को कहा।
वो बोली- बहुत भूख लगी है।
मैंने कहा- मैं कमरे में ही खाने का आर्डर दे दूँ क्या?
वो बोली- हाँ ठीक है।

वो आई और हम लोग एक-दूसरे के सामने बैठ गए, यहाँ-वहाँ की बातें शुरू हो गईं। शायद वो चुदाई के मूड में नहीं थी। मैंने अपनी बीवी का रोना शुरू कर दिया।

मैं कहने लगा- वो चुदाई करने ही नहीं देती.. दिन भर बीमार बनी रहती है। उसके हमेशा सम्भोग ना करने के बहाने ही बने रहते हैं। मैं ऐसा इंसान हूँ जो किसी के साथ ज़बरदस्ती करना सही नहीं समझता चाहे वो मेरी बीवी ही क्यों न हो। 

वो बोली- बीवी के साथ ज़बरदस्ती सही है ना। 
मैंने कहा- नहीं… मुझे चुदाई से ज्यादा भूख प्यार की है, मुझे बहुत सारा प्यार चाहिए। 

मैं रोने लगा.. वो मुझे चुप कराने के लिए मेरे आंसू पौंछने लगी। 

मैंने झूट कहा- शादी के बाद एक दिन भी बीवी से अच्छे से चुदाई नहीं की है.. यहाँ तक कि अब तक मेरे लंड की चमड़ी भी पीछे नहीं गई।वो मुझे सुनती रही।मैंने कहा- उसके साथ शादी करने की वजह तू ही है।वो मेरी इस बात से एकदम शॉक हो गई.. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
उसने पूछा- वो कैसे?
मैंने कहा- तू मेरी सब से अच्छी दोस्त है। मगर उस समय जब मेरी गर्ल-फ्रेंड ने मुझे धोखा दिया तब तूने मुझे नहीं संभाला.. और जब मेरी जिन्दगी में दूसरी लड़की आई.. तब कहा भी नहीं कि तू मुझसे प्यार करती है।
वो बोली- तुझे तो बचपन से ही पता है ना कि मैं तुझसे कितना प्यार करती हूँ। लेकिन क्योंकि कुछ नहीं हो सकता था इसलिए मैं मन बना चुकी थी। फिर भी मैं तेरे फेरों में रो रही थी और इसी कारण ज़्यादा देर तक ही मैं तेरे फेरे भी न देख पाई। फिर तेरी जिन्दगी में बीवी आ गई.. मुझे लगा अब तो तू मुझे जैसे भूल ही जाएगा। मैंने बचपन से आज तक सिर्फ तुझे ही प्यार किया है।

इतना बोल कर वो भी रोने लगी।

मैंने कहा- रो क्यों रही है? 

मैं उसके गले लग कर उसे चुम्बन करने लगा। हम दोनों एक-दूसरे को ‘आई लव यू’ कह रहे थे और पागलों की तरह एक-दूसरे को चूमने लगे। मैं उससे लिपट कर उसकी गर्दन और कन्धों पर चूमने लगा। मैंने उसको धक्का दे कर पलंग पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत पर अपना लण्ड जमा दिया और ऊपर से ही उसे चोदने जैसे धक्के देने लगा।

वो बोली- बस कर।
मैं बोला- प्लीज मुझे तेरे मम्मे देखने हैं।

वो गुस्से में आ गई और उसने मना कर दिया।

मैं बोला- तू इतनी गोरी है तो तेरे मम्मे कितने गोरे होंगे। मेरी बीवी के चूचे काले हैं जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं।
वो बोली- नहीं.. ये सब गलत है।
मैंने कहा- सिर्फ देखूँगा.. कुछ नहीं करूँगा.. तू सिर्फ एक बार दिखा दे.. प्लीज प्लीज।

मेरे बहुत बोलने पर वो बोली- ओके… लेकिन सिर्फ देखना। मैं खुश हो गया और बोला- पक्का.. कुछ नहीं करूँगा। उसने टॉप ऊपर कर दिया। फिर ब्रा भी ऊपर करके अपने मनमोहक स्तनों का और चूचुकों का थोड़ा सा दर्शन कराया। उसके चूचुक गुलाबी थे.. मैं तो बस देखता ही रह गया। मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके चूचुकों को चूसने आगे को हुआ तो वो कुछ नहीं बोली। मैंने चूसना शुरू ही किया था कि दरवाजे की घंटी बजी।
मेरी झांटें सुलग गईं, खाना लेकर वेटर आया था। हम दोनों ने अपने आप को ठीक किया। वेटर ने खाना लगा दिया, हम खाने बैठ गए। दोनों के मन में आग लग चुकी थी, मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था कि उससे क्या कहूँ। मैंने ‘सॉरी’ बोल दिया। वो कुछ नहीं बोली। मैं समझ गया कि यह चुप्पी हरी झंडी की निशानी है। 

फिर मैंने उससे कहा- मैं आज हैदराबाद सिर्फ तेरे लिए रुका हूँ। मुझे कल कोई भी काम नहीं है।
वो बोली- तुम बहुत होशियार हो।

मैंने देखा कि उसे बहुत ठण्ड लग रही थी। मैंने कहा कम्बल ओढ़ लो। उसने कम्बल ओढ़ लिया।

मैंने कहा- मुझे भी ठण्ड लग रही है। मैं भी कम्बल के अन्दर चला गया।फिर मैं उसकी टाँगों से अपनी टाँगों को रगड़ने लगा और धीरे-धीरे उसकी पटियाला सलवार को ऊपर करने लगा। वो भी टांग बचा रही थी और हँस रही थी। थोड़ी देर तक मैं यूँ ही खेलता रहा, फिर जोश में आकर उसकी दोनों टाँगों को दबा दिया। वो खुद को छुड़ा ही नहीं पा रही थी, मैंने उसे पकड़ कर फिर से चुम्बन करना शुरू कर दिया।  आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

वो बोली- विनय..ऊऊ.. ये क्या हो रहा है मुझे?
मैंने कहा- प्यार।

मैंने अपने हाथ उसके टॉप में डाल कर पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। वो डर भी रही थी और चुदना भी चाहती थी।

वो बोली- कुछ गलत हो जाएगा।
मैंने कहा- क्या तुझे मुझ पर भरोसा नहीं है क्या?
वो बोली- खुद से ज़्यादा है।
मैंने कहा- यकीन कर.. मैं तेरे साथ कुछ गलत नहीं करूँगा।
वो बोली- ठीक है।

मैंने उससे टॉप उतारने को कहा, वो मान गई। उसने हाथ ऊपर करके अपना टॉप उतार दिया। अब वो सिर्फ ब्रा में थी, जो सिर्फ लटक रही थी क्योंकि मैंने पहले ही पीछे से खोल दिया था। उसने अपनी ब्रा भी तुरंत हटा ली। अब वो मेरे सामने अधनंगी थी। उसके बड़े-बड़े मम्मे.. हाय.. क्या तने हुए थे और दिखने में सख्त और दबाने में बहुत ही मुलायम थे। उसके चूचुक गुलाबी रंगत लिए हुए थे। मैंने इतने सुन्दर मम्मों की ही उम्मीद की थी। मैं तो उसके ऊपर लपक पड़ा, उसके मम्मे दबाते हुए खूब चूसने लगा, उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने अपनी शर्ट निकाल दी और अपना नंगा बदन उसके बदन से रगड़ने लगा। उसके मम्मों से मेरी छाती जब चिपकी.. हायईईए क्या बताऊँ.. कितना मजा आया। मेरा लण्ड तो एकदम सख्त हो गया था। अब मैं उसे और वो मुझे बारी-बारी चूम रहे थे। मैंने कहा- हाय मेरी करीना.. तुम दुनिया की सब से सेक्सी लड़की हो… मैं आज का दिन कभी नहीं भूल पाऊँगा। यह तो मेरा नसीब है कि आज मैं तेरे साथ इस हालत में हूँ। तेरे जितनी सुन्दर लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। तू क्या चीज़ है तू खुद नहीं जानती। मैं उसे बहुत चूमने लगा।
मैं चूमते-चूमते उसकी चूत को भी उपर से ही चूमने लगा। वो तो कुँवारी थी, इसलिए उसे ये ठीक नहीं लगा, वो मना कर रही थी। 

मैंने कहा- ओके।

फिर से मैं चूमते हुए ऊपर चला गया। हम दोनों नीचे सब कुछ पहने थे। मैंने उसके पिछवाड़े में हाथ डाल दिया और उसके चूतड़ सहलाने लगा। मैं उसकी गाण्ड की घाटी में हाथ डालते हुए ही उसकी चूत तक हाथ फेरने लगा था। हम दोनों बहुत कुछ समझ रहे थे, पर ना समझना हमें ठीक लगा। चूत पर हाथ बार-बार जाने लगा और हमारे जिस्मों का पारा बढ़ने लगा। मैंने उसकी बाँहों से ही अपना हाथ सामने से ही सीधा चूत पर डाल दिया। 

वो बोली- विनय प्लीज।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा।

मैंने उसकी चूत पर हाथ घुमाना चालू कर दिया। वो मजे के मारे सिसक रही थी और मेरा लंड बहुत तड़प रहा था। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो एकदम से झन्ना गई और मैंने ऊँगली रोक ली। जैसे ही वो सामान्य हुई मैंने ऊँगली को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। वो मुझे अपनी बाँहों से छोड़ नहीं रही थी। मैं बिना रुके उसकी चूत के छेद को देखने लगा जिसमें उंगली कर रहा था।

वो बोली- सिर्फ ऊँगली करना बस।
मैंने कहा- प्लीज यार.. कुछ नहीं होता।

वो मना करती रही और मैं उसे समझाता रहा। अंत में मैंने उसकी चड्डी नीचे कर दी, वो कुछ करती, इससे पहले मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर चुम्बन करने लगा। उसके मम्मों को चूमते हुए मैं नीचे चला गया। अब उसकी चूत मेरी आँखों के सामने थी। जितनी सुन्दर वो उतनी ही सुन्दर उसकी चूत थी। मैं उसकी चूत को चाटने लगा, लेकिन उसने हाथ छुड़ा कर चूत को ढक लिया। मैंने कहा- अब तो मैं देख चुका हूँ। पर वो मना करने लगी। 

मैंने कहा- प्लीज…पर वो मेरी एक नहीं सुन रही थी। 
मैंने कहा- ठीक है.. ऊपर से ही प्यार करूँगा। 
वो बोली- हाँ.. लेकिन नीचे भी सिर्फ ऊँगली।

मैं ऐसी लड़कियों का बहुत सम्मान करता हूँ.. मैंने उससे जिद नहीं की, हम लोग उस दिन और उसके बाद वाले दिन भी साथ में थे पर चुदाई नहीं की। हाँ.. मम्मे ज़रूर चूसे.. कई बार चुम्बन किए.. पर न उसने मेरा लौड़ा देखने की कोशिश की.. और ना ही मैंने चूत में अपना लौड़ा डालने की जिद की। अगली शाम हम दोनों अपने-अपने गंतव्य को चले गए। उसका अगले दिन सन्देश आया कि तुमने मेरे साथ जो भी किया मैं उससे बहुत खुश हूँ.. मुझे बहुत पसंद आया। पर मेरा नसीब ख़राब था, वो सन्देश मेरी बीवी ने पढ़ लिया और हमारे बीच बहुत झगड़ा हुआ। हालांकि मैंने अपनी बीवी को मना लिया कि उसे कोई गलतफहमी हुई है, पर मैं स्वीटी से वाकयी इतना प्यार करने लगा कि उसका नाम मेरे कारण ख़राब ना हो ये सोचकर उससे इसी छोटी सी बात पर रिश्ता भी तोड़ लिया।  आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मेरी बीवी को भी मैं धीरे-धीरे समझाने लगा कि वो मुझे नहीं देगी तो मैं उसको छोड़ सकता हूँ। उसने भी कोशिश की है, पर जो ख़ुशी मुझे चाहिए वो ख़ुशी आज 2 साल हो जाने तक नहीं मिली है। मैं किसी के साथ चुदाई तो करना चाहता हूँ पर वो कॉल-गर्ल न हो.. बस जिसको मेरे जैसे प्यार की कमी हो और वो भी मेरे जैसे प्यार की भूखी हो। मेरी तलाश अभी भी जारी है।

मेरे चचाजान ने मुझसे जबरन सेक्स किया Mere chacha ne mujhse jabran sex kiya

मेरे चचाजान ने मुझसे जबरन सेक्स किया, Mere chacha ne mujhse jabran sex kiya, चाचा बेटी की चुदाई की हिंदी सेक्स कहानी, चाचा ने लंड चूत में डाल दिया, चाचा ने मेरी फाड़ दी, चाचा का लंड बड़ा था और मेरी चूत बहुत छोटी थी.

मेरा नाम रिफ्सा है, मेरी उम्र अब 21 साल है। जब मेरी उम्र काफ़ी कम थी तब से मैं अपने चचाजान से बहुत डरती थी क्योंकि मेरे चचाजान मेरे साथ पता नहीं क्या क्या करकतें करते थे। तब मैं चचा को देखकर अपनी अम्मी से चिपट जाती थी। मेरी अम्मी कुछ नहीं समझ पाती थीं। वे मेरे चचा को सुनाते हुए कहती थीं कि भतीजी को प्यार नहीं करेंगे तो डरेगी ही। नफ़ीसा क्यों आपकी गोद में जाएगी? उस वक्त मैं कुछ सोच नहीं पाती थी कि अपनी अम्मी से क्या बताऊँ? मैं तो बस सहमी हुई चुप ही रह जाती थी।

मैं डर से अपने चाचा की तरफ देख भी नहीं पाती थी। पर चाचा के जाते ही मैं राहत की सांस लेती थी और शान्त हो जाती थी। उस वक्त मुझे ऐसा लगता था कि मैं बच्ची नहीं हूँ। मेरे चचा जिस तरीके से मुझे छूते थे, उनके गन्दे इरादों को भांपना मुश्किल नहीं था। उनकी वही हरकतें लगातार जारी रहीं।

अब वो टॉफी लेकर आने लगे और मुझे जबरदस्ती अपनी गोद में बैठा कर टॉफी थमा देते थे, मुझे मेरे गालों पर चूमते और पीछे गलत जगह मसलते थे। एक बार मैं ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ती थी, हमारे पड़ोस में एक निकाह में मेरे घर वाले शरीक हुए थे। मैं भी तैयार होकर जाने वाली थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

जैसे ही घर से निकलने को हुई कि मेरे चाचा ने मुझे पकड़ लिया। मैं कुछ बोल पाती कि उन्होंने मेरा मुँह बंद कर चुप करा दिया। फिर जो उन्होंने किया, मैं किसी को बता नहीं सकती। मन तो बहुत किया कि उसी वक्त चीख चीख कर सबको सब कुछ बता दूँ। लेकिन इससे पहले की मैं कुछ करती वो मुझे पास के बाथरूम में लेकर घुस गया और मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए और मेरे होंठ चूसने लगा. साथ ही वो मेरे बूब्स मसलने लगा। अब मुझे भी मेरे शरीर में कुछ हलचल महशुश होने लगी। लगभग 10 मिनट तक ऐसा करते हुए मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब उससे चिपक गई और अब मेरे हाथ में उसका लंड था और उसने अपनी पेंट और अंडरवियर ना जाने कब निकाल दिया था।

अब मेरी मुनिया में भी हलचल होने लगी और वो गीली भी हो चुकी थी। मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी मुनिया पर रख दिया। उसने झट से मुझे पूरी नंगी किया और खुद भी पूरा नंगा हो गया। मैंने उसका लंड पकड़ा और अपनी मुनिया पर रख दिया। उसने लगातार 3 धक्के लगाए जिससे उसका पूरा लंड मेरी मुनिया के अंदर घुस गया। मैंने आँखें बंद कर ली और यह भूल गई कि मुझे चोदने वाला कौन है? मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन एक अजीब सा मजा भी आ रहा था और उस मजे के लिए मैंने दर्द को भी सहन कर लिया। 20 मिनट की चुदाई में वो झड़ गया और इस बिच मैं कई बार झड़ चुकी थी। 

उसने जब अपना लंड बाहर निकाला तो उसके लंड पर खून लगा हुआ देखकर मैंने झट से अपनी मुनिया को संभाला और देखकर चकित रह गई मेरी मुनिया में से भी खून निकल रहा था। उसने मेरी मुनिया पर पानी डालना शुरू कर दिया और कुछ देर में ही खून बंद हो गया। अब हमने अपने कपड़े पहने और बाथरूम से बाहर आ गए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

वह अब भी मेरे घर वैसे ही आता है, मेरी अम्मी से वैसे ही बात करता है, अब्बू से वैसे ही मिलता है। मानो उसने कुछ गलत किया ही नहीं। वह आता तो जैसे मैं खुद को अपराधी महसूस करती हूँ। अब मैं 21 साल की हो चुकी हूँ। अब्बू मेरे निकाह के लिए लड़का ढूंढ रहे हैं। अब्बू के साथ वह भी जाता है।

शादी से पहले साली के साथ मेरी सुहागरात Shadi se pahle sali ke sath meri suhagraat

शादी से पहले साली के साथ मेरी सुहागरात, Shadi se pahle sali ke sath meri suhagraat, अकेली साली को जीजा ने जबरदस्ती पकड़कर ठोक दिया, मेरी हॉट साली की चूत में लंड दिया, Jija ne ki sali ki chudai, साली की चूत में लंड डाल उसे प्रेग्नेंट कर दिया.

यह एक सच्ची कहानी है, यह घटना मेरी शादी के कुछ ही दिन पहले हुई थी। मैं उस वक़्त 23 साल का था।5’7″ कद, वजन 60 किलो, खूबसूरत चेहरा और शिक्षित होने की वजह से मेरा व्यक्तित्व आकर्षक है। मेरी शादी की कोशिश चल रही थी और अमदाबाद से एक रिश्ता आया। लड़की की एक छोटी बहन प्रीति है और भाई नहीं है। बाकी सब बातें पसंद आने पर शादी लगभग चार महीने के बाद तय हुई। मेरी साली प्रीति उस वक़्त लगभग 20 साल की थी और राजकोट में रह कर कॉलेज में पढ़ रही थी। मुझे रिश्ते के बाद एक बार राजकोट काम पड़ा। शाम तक काम निपटाकर मैं अपनी साली को मिलने चला गया। मुझे देख कर प्रीति हैरान हुई और बहुत खुश भी हुई।

उसका 2 कमरों का फ्लैट था और मुझे दूसरे बेड रूम में ठहराया। फ्रेश होने के बाद मैं हॉल में आया। तब तक रात हो गई थी। मुझे बिना पूछे उसने मेरे लिए एक कप कॉफ़ी बना दी। मुझे अचरज हुआ लेकिन मैंने कहा- प्रीति, मैं अकेले कैसे पिऊँगा, क्या तुम कंपनी दोगी? उसने भी ना नहीं की और अपने लिए एक कप लेकर आई और हम दोनों ने कॉफ़ी शेयर की। हमने कॉफ़ी पीना शुरू किया। हम दोनों कॉफ़ी पीते पीते टीवी देख रहे थे और हमारी बातें आहिस्ते आहिस्ते सेक्स के विषय पर आ गई। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मेरी साली ने बड़ी ही सेक्सी स्टाइल में मुझसे पूछा- जीजू, आपने अब तक दीदी के साथ कुछ किया या नहीं? मैं उसका मतलब तो समझ गया लेकिन फिर भी मैंने उससे पूछा- क्या करने की बात कर रही हो तुम?

प्रीति- इतने भी भोले मत बनो जीजू, मैं सेक्स की बात कर रही हूँ।
मैंने शरमाते हुए कहा- मैंने तो सेक्स के बारे में सिर्फ़ पढ़ा है और कभी कभार ब्ल्यू फ़िल्म देखी है और तुम्हारी दीदी के साथ तो कभी मौका नहीं मिला लेकिन ऊपर-ऊपर से थोड़ा बहुत…

वो मुस्कुरा उठी।

प्रीति- जीजू, कोई ब्ल्यू फ़िल्म देखोगे?
मैं हैरान हो गया लेकिन बोला- चलेगी।

उसने शरारत भरी मुस्कुराहट से देखा और मैं भी उसकी इंटेन्शन समझ गया। उसने डीवीडी पर एक सीडी लगाई और जैसे ही फिल्म चालू हुई, मैं उत्तेजित हो गया, मेरी लुंगी तन गई और मेरा हाथ मेरे लौड़े पर चला गया। प्रीति ने मूवी देखी हुई थी और वह बिल्कुल सामान्य सा बर्ताव कर रही थी। जब मूवी आधी हो गई थी तो मैं उठ कर बाथरूम चला गया। आने पर साली की वही शरारत भरी मुस्कान! मैं थोड़ा शर्मा गया और उसे देखने लगा। इच्छा हो रही थी लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी! लेकिन वो समझ गई। प्रीति धीरे से मेरे पास आ गई और चिपक कर बैठ गई.. मैं और टाइट हो गया, मेरा लौड़ा एकदम तन कर खड़ा हो गया और मेरी लुंगी में टेंट बन गया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

उसने पूछा- जीजू, और कुछ चाहिए?
मैं भी मूड में था, मैंने भी शरारती मुस्कान से पूछा- क्या दोगी?
वो भी मूड में थी, बोली- जो आप माँगो!!
मैंने झटके से उसका हाथ पकड़ लिया और वह तो तैयार ही थी, झटके से मेरे गले लग गई और मुझे चूमने लगी।

यह मेरा पहला एक्सपीरियेन्स था और मुझे पता नहीं था कि चुम्बन कैसे करते हैं !!! उसने आहिस्ता से, प्यार से मुझे किस करना शुरू किया। अब मुझे मज़ा आने लगा। हम दोनों उठकर बेडरूम में चले गये। मैंने उसे गले लगा लिया और उसकी चूचियों का दबाव अपनी छाटी पर महसूस करने लगा। आह, क्या मज़ा आ रहा था ! इधर मेरा लंड टाइट हो गया था और उसके गाउन पर से उसकी जांघों के बीच में उसकी योनि पर चुभ रहा था और वह भी मज़े लेने लगी। थोड़ी देर के बाद, मैंने उसका गाउन उतार दिया। अब वह ब्रा और पैंटी में खड़ी थी।
सीन तो बहुत मज़ेदार लग रहा था… उसने भी मेरी शर्ट उतार दी और लुंगी खोल दी। मेरा फूला हुआ अंडरवीयर देखकर उसके चेहरे का रंग बदल गया… उसने झट से मेरे अण्डरवीयर को पकड़ लिया और मसलने लगी। मुझे अजीब मज़ा आने लगा। मैंने भी उसकी ब्रा उतार दी और उसके सुंदर सुंदर उरोज देखकर मैं बहुत खुश हुआ। मैं उसके स्तनों को ज़ोर से दबाने लगा।

प्रीति- धीरे जीजू, ज़रा प्यार से दबाओ, मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ!!!
मैं- ओके डियर ! और मैं आहिस्ते से दबाने लगा।

उसे भी मज़ा आने लगा। फिर उसने मुझे लिटा दिया और खुद भी बगल में लेट गई। मैं नीचे था और वह मेरे लेफ्ट साइड में, लेकिन उसकी छाती मेरी छाती पर थी। आहिस्ता से उसने उठ कर अपना बायाँ चूचा मेरे मुँह में दिया और कहा- चूसो जीजू, इसका सारा दूध आज निकाल दो… सब पी जाओ! और मैं चूसने लगा। उसने अपना दायाँ उभार मेरे बायें हाथ में दे दिया। अब उसकी आवाज़ निकालने लगी- …आह… हआआहह…! हम्म… मम्म… ! ऊऊओह…! मुझे और मज़ा आने लगा और मैं और मज़े से चूसने लगा… थोड़ी देर बाद दूसरा स्तन मुँह में लिया और हाथ भी बदल दिया… उसकी आवाज़ और गहेरी हो गई- …आआह… आहह… हम्म… ऊऊओह… कुछ देर बाद उसने मेरा अंडरवीयर उतार दिया और मुझे इशारा किया। मैंने भी उसकी कच्छी उतार दी और उसका खूबसूरत बदन, नाईट लैंप की रोशनी में देखने लगा।

वह आहिस्ता से मेरा बदन चूमते, चाटते हुए नीचे हुई और एक झटके से मेरे लंड को मुँह में ले लिया… अब मेरी बारी थी- …आआआहह…! कुछ देर बाद उसने अपनी दोनों टाँगे मेरी छाती के दोनों तरफ कर ली और मेरा लंड चूसने लगी। हम 69 पोज़िशन में थे और मैंने अपनी जीभ उसकी पुसी में घुसा दी। कुछ नमकीन सा स्वाद आया, पर मज़ा भी आया.. वह फिर आवाज़ करने लगी- …अहह… हम्म… ओह… लगभग दस मिनट के बाद वो सीधी गो गई और मुझे अपने ऊपर ले लिया और बोली- चलो जीजू, अब कर लो, अब नहीं रहा जाता…

मैंने पूछा- कभी किसी के साथ ऐसा किया है अब से पहले?
प्रीति- नहीं, आप ही पहले हो जो मुझे चोदोगे!

यह सुनते ही मैं पागल हो गया, मैंने सोचा कि मैं ही वो खुशनसीब हूँ जो अपनी साली की सील तोड़ूँगा और उसे एक लड़की से औरत बनाऊँगा! उसने अपनी टाँगे फैलाकर रखी थी, मैंने अपना लण्ड अंदर डालने की कोशिश की लेकिन कुंवारी चूत होने की वजह से मेरा लंड उसकी टाइट बुर में नहीं घुस रहा था। उसने मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ कर उसकी योनि पर रखा और बोली- पुश… नाओ! मैंने एक झटका दिया और लण्ड का टोपा उसकी बुर में घुस गया और वो चिल्ला उठी। मुझे भी दर्द महसूस होने लगा… मैं थोड़ी देर लंड को उसकी चूत में रखे हुए उसके ऊपर लेटा और उसके बूब्स दबाते हुए लब-चुम्बन करने लगा। उसने अपने आपको थोड़ा एड्जस्ट किया और धीरे धीरे झटके मारने लगी। फिर मैं भी झटके मारने लगा… अब मज़ा आने लगा.. थोड़ी देर बाद में एक जोरदार झटका फिर मारा और मेरा लगभग पूरा लंड उसकी टाइट चूत में घुस गया। और वो चिल्लाने लगी, उसकी आँखों से आँसू आ गये और गिड़गिड़ाने लगी- जीजू, प्लीज़ निकाल लो, मुझे नहीं चुदवाना! बहुत दर्द हो रहा है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैं- थोड़ी धीरज रखो प्रीति, बाद में बड़ा मज़ा आएगा।

मैंने उसे उसी पोज़िशन में रख कर बूब्स दबाए और चुम्बन करता रहा और हाथ से उसकी क्लाइटॉरिस को चुटकी में लेकर मसल दिया। वो सिहर उठी और अपने चूतड़ उचकाने लगी। फिर मैंने स्पीड बढ़ा दी और मेरा लंड उसकी बुर में अंदर-बाहर होने लगा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा… और स्पीड बढ़ी और मज़ा आने लगा। लगभग दस मिनट की चुदाई में वो एक बार झड़ गई और कहने लगी- वाह जीजू!! आपने तो मुझे जन्नत की सैर करवा दी, बस अब जब भी मौका मिले, मुझे ऐसे ही चोदते रहना… मैं अब पूरी की पूरी आप की ही हूँ। मुझे यह सब सुन कर बड़ा जोश आया और मैं बड़ी तेज़ रफ़्तार से उसे चोदता रहा। 5 मिनट के बाद मैंने उसे घोड़ी बना कर पीछे से उसकी बुर में लण्ड घुसाया और बहुत तेज़ी से चोदने लगा। वो भी अपने कूल्हे आगे पीछे करके मेरा साथ दे रही थी। आख़िरकार… एक ज़ोर का झटका…

मैंने बहुत सारा वीर्य उसकी फ्रेश चूत में छोड़ दिया और वो भी शांत हो गई… रियली, एक वंडरफुल अनुभव…
लगभग एक घंटे के बाद हम फिर तैयार हो गये और अब मैं एक्सपीरियेन्स्ड था… अब ज़्यादा कॉन्फिडेन्स से मैं चुदाई करने लगा… फिर लगभग एक घण्टे बाद फ़िर… यही सिलसिला कई बार हुआ… सुबह कब हुई, हमें पता ही नहीं लगा। आज भी जब भी हम मिलते हैं, रियली एंजाय करते हैं.. वह भी खुश और मैं भी खुश…

घर वाले शादी में गए हुए थे मिला मौका Ghar wale shadi me gaye huye the mila mauka

घर वाले शादी में गए हुए थे मिला मौका, Ghar wale shadi me gaye huye the mila mauka, hindi sex stories, चूत को चाटा और चाटकर साफ कर दिया, झांठो वाली औरत को चोद दिया, चोदकर जवान बना दिया, चूची दबाई और गांड में ऊँगली डाली और लंड डालकर गांड मारी.

मेरा नाम लक्ष्य है और मेरा लंड 7 इंच का है. मेरी आंटी का नाम प्रियंका है और उनकी उम्र शायद 30 साल की रही होगी. उनका फिगर शायद 34-27-37 का होगा और वो देखने में बहुत सेक्सी लगती है. पहले मैने उनके बारे में कुछ गन्दा नहीं सोचा था, बट एक दिन ऐसा कुछ हुआ, कि हमारे घर के सभी मेम्बर शादी में गये हुए थे. मैं, आंटी और उनकी बेटी ही घर पर थे. ठण्ड का मौसम चला रहा था और मेरी भी विंटर वेकेशन चल रही थी. ठण्ड का मौसम था और सब लोग खूब तैयार हो कर गये थे. ठण्ड ज्यादा थी, तो मैं अगले दिन लेट तक सोता रहा और सुबह मुझे आंटी उठाने के आ गयी.

मैने नाश्ता किया और प्रेक्टिस के लिए चला गया. चूँकि, मैं एक क्रिकेटर हूँ और मुझे किसी भी मौसम में बिना नागा प्रेक्टिस के लिए जाना होता है. उस दिन, जब मैं मैदान से वापस घर आया, तो देखा कि घर का दरवाजा खुला हुआ है. मैं अन्दर गया और अपने रूम की तरफ जाने लगा, कि मेरी नज़र आंटी के रूम पर पड़ी. उनका दरवाजा खुला हुआ था और दरवाजे की झिरी में से लाइट बाहर आ रही थी, जिसने मेरा ध्यान अपनी तरफ खिंचा था. मैने उसमे उत्सुकतावश अन्दर झांककर देखा, तो आंटी कपडे बदल रही थी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

उनको देखकर, मैं तो एकदम भौचक्का रह गया, क्या मस्त बूब्स थे! लेकिन उस समय उन्होंने ब्लैक कलर की ब्रा पहनी हुई थी और अपने कपडे भी पहन लिए थे. वो मुझे ना देखा ले, इसलिए मैं भी जल्दी से अपने रूम में चला गया. मुझे रह-रहकर आंटी का बदन याद आ रहा था और मैं उनकी चुदाई के बारे में सोचने लगा. सारे घर वाले 2 दिन बाद घर वापिस आने वाले थे. तो मुझे जो भी करना था, उनके वापिस आने से पहले करना था.

उसी शाम हम सब मैं, आंटी और उनकी बेटी गार्डन में खेल रहे थे और उसी समय, मैने आंटी को बोला – आंटी, मुझे अकेले सोने की आदत नहीं है, डर लगता है. तो आज रात क्या मैं आपके साथ सो सकता हु. आंटी ने मेरे चेहरे को देखा और फिर हाँ कर दी. हम रात को टीवी देख रहे थे. मैने आंटी के हाथ से रिमोट लेकर मूवी वाला चॅनल चला दिया और मूवी देखते-देखते पता ही नहीं चला कब 8 बज गए? फिर हमने डिनर किया और सोने चले गये. हम तीनो एक ही बिस्तर पर लेटे थे. वो दोनों सो चुके थे, लेकिन मुझे नीद कहा आने वाली थी.

रात को 11 बजे, मैने देखा आंटी गहरी नीद में सो रही थी. मैं अपने हाथो को उनके बूब्स पर ले गया और उनको दबाने लगा और फिर मैने अपना एक हाथ नीचे लेजाकर उनकी चूत को टच करना चाहा. लेकिन, मैं डर गया और मेरी हिम्मत ही नहीं हुई और फिर मैने अपना हाथ पीछे खीच लिया और सो गया. हम सुबह उठे और सब कुछ नार्मल था और आंटी ने भी मुझे कुछ नहीं कहा था. मैं मन ही मन उधेड़बुन में था, क्युकि आंटी के साथ सेक्स करने के लिए मेरे पास सिर्फ आज का ही दिन था और उनकी बेटी भी उस दिन अपनी फ्रेंड के घर जा रही थी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैं उसको छोड़कर घर वापिस आ गया और आंटी और मैं दोनों टीवी देखने लगे. मैने मूवी का चैनल लगा दिया. कोई रोमेंटिक मूवी चल रही थी और उस पर किसिंग सीन आ रहा था. वो दोनों एक दुसरे का चुम्बन ले रहे थे और मस्त आवाज़े निकाल रहे थे. मैने मौके पर चौका मारने के इरादे से आंटी को बोला – आंटी आप बहुत अच्छी और सुंदर है. आंटी ने पूछा – मुझमें क्या अच्छा है? तो मैने कहा – आप उपर से लेकर नीचे तक सुंदर हूँ और परी जैसी लगती हो. बातो ही बातो में उन्होंने पूछा – कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या? मैने कहा – नहीं. तो वो बोली – ऐसा हो ही नहीं सकता. तुम इतने स्मार्ट हो, कोई ना कोई लड़की तो जरुर मेरी लाइफ में होगी.

तो मैने कहा – नहीं कोई नहीं है और फिर मैने कहा, कि आप बन जाओ मेरी गर्लफ्रेंड तो वो हँसते हुए कहने लगी, कि गर्लफ्रेंड बनाकर क्या करोगे? मैने कहा – “बहुत सारा प्यार”. उन्होंने मुझे देखा और पूछा – “कैसे”. तो मैने बिना किसी देरी के आंटी के पास आकर उनको हग कर लिया और उनके होठो पर अपने होठ रख दिए और उनको स्मूच करने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी.

उनको किस करते-करते मैने अपने हाथ उनके बूब्स पर रख दिए और उनको दबाने लगा. उनके मुह से कामुक आवाज़ निकल रही थी अहहः हाहाहाह ह्ह्हह्ह्ह्ह थोडा जोर से दबाओ ना. मैने उनकी कमीज़ उतार दी और उनकी ब्रा भी, क्या मस्त बूब्स थे! बिलकुल गोल और फिर मैं उन्हें चूसने लगा और उनके मुह से कामुक आवाज़े निकलने लगी अहहहः ऊऊऊ और चुसो ना और आह्ह्ह्ह मज़ा आ रहा है लक्ष्य अहहाह. उनकी आवाजो को सुनकर मैने और जोर से चूसने लगा और फिर मैने उनके पेट और कमर पर भी किस करने लगा. अब मैने उनकी उनकी सलवार उतार दी और चूत को चूसने लगा, क्या टेस्ट था, वो तड़प रही थी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

और आवाज़े निकलने लगी “अहहाह यायायायाय और चुसो और जोर से मेरे राजा..मुझे जन्नत में ले जाओ अहहहाह ह्ह्ह्हह्ह यायय्य्य्य और जोर से और मेरा सिर पर हाथ फेरने लगी और करीब ५ मिनट चूसने के बाद वो झड़ गयी. फिर उसने कहा – अब तुम अपने कपडे उतारो, तो मैने कहा – आप ही उतार दो पहले. तो फिर उन्होंने मेरी स्वेटशर्ट उतारी और फिर शर्ट, फिर पेंट और जब मेरा अंडरवियर उतारा तो मेरा लंड देखकर चौक गयी और बोली – ये तो बहुत बड़ा है! और उसने लगी. करीब १० मिनट चूसने के बाद मैने कहा – अब तेरी चूत की बारी.

मैने उनको सोफे पैर लिटा दिया और टांगो को खोला और अपना लंड उनकी चूत पर रखा और धक्का मारा तो सिर्फ थोडा सा ही अन्दर गया. मैने आंटी को पूछा, कि उनकी चूत इतनी टाइट क्यों है, तो उसने बताया कि मेरे अंकल ने ३ महीने से उनकी चुदाई नहीं की है. तो मैं बाथरूम से जाकर तेल लेकर आया और अपने लंड को और उनकी चूत पर तेल चिपड़ दिया और फिर से चूत को लंड पर लगाकर धक्का मारा, तो लंड आधा लंड अन्दर चले गया. आंटी चिल्लाई …ऊऊऊ…बाहर निकालो … निकालो …बस बस ..मर गयी.

फिर मैं रुक गया इर उन्हें स्मूच कर रहा था और उनके बूब्स दबाने लगा और थोड़ी देर बाद जब वो नार्मल हो गयी, तो मैने अपनी गांड हिलाकर एक जोरदार धक्का फिर से मार दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. मैं अपनी तेजी से गांड हिलाकर उसकी चूत चोद रहा था और वो भी अपनी गांड हिलाकर मज़े ले रही थी. उसके मुह से आअहहहह …ऊऊऊ … अहहहः आवाज़े निकल रही थी और वो बोल रही थी और तेज और तेज चोदो मुझे आज लक्षेय और तेज चोदो. आज मेरी मस्त चुदाई करो … बहुत मज़ा आ रहा है और चोदो अहहहः अहहहहः.

पुरे घर में आंटी की आवाज़े गूंज रही थी और उनकी आवाज़े सुनकर मुझे भी जोश आ गया और मैने अपनी स्पीड बड़ा दी. लगभग २५ मिनट चोदने के बाद, मैने उनको पोजीशन बदलने को बोला और नीचे ले गया और वो मेरे ऊपर आ गयी और उछल-उछल कर चुदवाने लगी. चूँकि, मैं एक क्रिकेटर हूँ और मेरी फिटनेस भी अच्छी है और स्टेमिना भी बहुत अच्छा है. अब मैने आंटी को डौगी पोजीशन में किया और पीछे से आकर उनकी चूत की मस्त चुदाई करने लगा..उनके मुह से अभी भी कामुक आहे निकल रही थी अहहः ..आआआअ …ऊऊऊऊऊओ … मर गयी मर गयी …मज़ा आ गया …ऊऊऊऊ आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

हम दोनों की आवाज़े पुरे घर में गूंज रही थी “अहाहहः और तेज और तेज .. जानू, अपनी आंटी को आज जन्नत की सैर करवा दे अहहहः आआआआअ ऊऊ एस एस ..एस …ऊऊ और १५ मिनट छोड़ने के बाद, मैं झड़ने वाला था और मैने अपना रस उनकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया और उनकी साइड में लेट गया. अब हमने स्मूच करना शुरू कर दिया और एक दूसरे को चाट कर साफ़ किया. फिर हमने कपड़े पहने और हम बातें करने लगे. उन्होंने बताया, कि चुदाई करते वक्त वो ४ बार झड़ी और बताया, कि उनके पति का सिर्फ ५ इंच का ही है और वो जल्दी झड़ जाते है. थोड़ी देर बाद उनकी बेटी का फ़ोन आ गया. मैं उसको उसकी सहेली के घर से वापिस ले आया और उस रात हमने ३ बार चुदाई की. आज भी अगर हमें मौका मिलता है, तो हम चुदाई करते है.

मेरी बुवा की लड़की मेरे लौड़े की दीवानी Meri Buaa ki Ladki mere lode ki diwani huyi

मेरी बुवा की लड़की मेरे लौड़े की दीवानी, Meri Buaa ki Ladki mere lode ki diwani huyi, बुआ की लड़की की चूत की प्यास बुझाई. बुआ की लड़की की चूत में लंड डालकर किया शांत, बड़े लंड से बुआ की लड़की की चूत को चोदा.

दोस्तो यह कहानी मेरी और मेरे दूर के रिश्ते के चाचा की बहन की लड़की की है. हमारे परिवार काफी घुलमिल गए है और हम सब एक दुसरे के यहाँ आते - जाते रहते है। उस लडकी का नाम डॉली है और उसने लगभग एक सप्ताह पहले ही अपनी जवानी की ओर पहला कदम बढ़ाया था.. मेरा मतलब है कि उसने अभी ही 18 वर्ष की आयु पूरी की थी। उसका फिगर लाजवाब था.. यही कोई 32-24-34 का भरा हुआ जिस्म था। उसकी जवानी देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। एक दिन मेरी बुआ जी का फ़ोन आया कि डॉली हमारे यहाँ गर्मी की छुट्टियों में आना चाहती है.. पर उसे लेने के लिए किसी को आना होगा। जैसे ही मम्मी ने मुझ से ये बताया.. मैं तैयार हो गया और दोस्त से उसकी बाइक लेकर बुआ की बेटी को लेने चला गया। उसी दिन शाम को मैं उसे लेकर अपने घर वापस पहुँच गया।

शाम को डॉली ने ही खाना बनाया। फिर खाना के बाद सभी लोग मम्मी.. भाई.. दादी सोने की तैयारी करने लगे। मेरे पापा जी अपने व्यापार के चक्कर में अक्सर शहर से बाहर ही रहते है। गर्मियों के दिन थे.. सभी लोग अलग-अलग जगह सो गए.. कोई छत पर.. कोई बरामदे में.. तो कोई घर के खुले आंगन में.. रात को करीब 1 बजे मेरी नींद खुली.. तो देखा डॉली कमरे में अकेली सोई हुई है.. और कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। मैंने देखा कि डॉली का सूट कुछ पेट से ऊपर तक उठा हुआ है। उसका गोरा चिकना बदन देख कर मेरा मन उसे चूमने को हुआ.. मैं उसके कुछ और करीब गया.. तो देखा कि ऊपर से उसके गोल-गोल उभार बड़े ही मस्त दिख रहे थे। उसके मस्त मम्मे देख कर तो मानो मेरे दिल में उन्हें पकड़ने के लिए सैलाब सा उठ रहा था पर डॉली बड़े कड़क स्वभाव की थी.. तो पास जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर मैंने इधर-उधर देखा.. सब सोये हुए थे। मैं धीरे से कमरे में और अन्दर गया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.. लाइट भी बंद कर दी और बिस्तर पर उसके पास में ही लेट गया। कुछ देर इन्तजार करने के बाद मैंने अपनी मर्दानगी को ललकारा और धीरे से उसके उभार पर हाथ रख दिया। हाथ रखते ही मेरे पूरे बदन में एक लहर से दौड़ गई.. दो मिनट इन्तजार के बाद मैंने अपने हाथ में थोड़ी से हरकत शुरू की.. डॉली सोई हुई थी या नाटक कर रही थी.. पता नहीं.. पर मेरी हिम्मत जरूर बढ़ गई थी। अब मैं डॉली को बिना चोदे नहीं छोड़ना चाहता था.. तो मैं अपनी हरकतों में थोड़ा सा इजाफा करते हुए उसके उभारों को थोड़ा जोर-जोर से दबाने लगा।
सके बाद भी मुझे उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.. तो मैंने उसके सूट में अन्दर हाथ डाल दिया और चूचे दबाने लगा।

अब मैं समझ गया था कि डॉली भी मुझसे चुदवाना चाहती है.. पर मुझसे छोटी होने और मेरी बहन होने की वजह से शरमा रही है। मैंने देर न करते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.. वो अभी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी। मैं उसके चूचे जोर-जोर से मसल रहा था और होंठों का रस पान भी कर रहा था। वो केवल सिसकारियों के सिवाय कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी। अब मैंने एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और उंगली से उसकी चूत टटोलने लगा और चूत के ऊपरी भाग को सहलाने लगा। कुछ देर सहलाने के बाद मुझे अहसास हुआ कि जैसे उसके जिस्म में कोई हरकत हुई.. जैसे ही मैंने उसकी चूत से ध्यान हटाया.. तो पाया कि उसका हाथ मेरे 7″ के लौड़े को सहला रहा है। मेरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह सख्त और बिलकुल गरम हो रहा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

तभी मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.. वो चिहुँक उठी। मैंने भी उंगली अन्दर-बाहर चलानी शुरू कर दी.. तो वो भी जोर-जोर से मेरे लण्ड के सुपारे को ऊपर-नीचे करने लगी। कुछ ही मिनटों में उसकी चूत पानी छोड़ गई। अब उसकी चूत में से पानी निकलने लगा था और मेरा पूरी उंगली उसमें भीग गई थी। उसने धीरे से मेरे कान में कहा- भैया.. अब तो चोद दो। मैंने तुरंत उसकी सलवार नीचे करके उसकी गरम चूत पर अपना लौड़ा रख दिया। उसने नीचे से गाण्ड उठा कर नाकाम कोशिश की। फिर मैंने टेबल से उठा कर थोड़ा सा सरसों का तेल उसकी चूत पर भी और लौड़े पर भी लगाया और एकदम से उसकी बुर के छेद पर लौड़ा टिका दिया।

लण्ड निशाने पर रखते ही मैंने उसकी चूत के द्वार पर जोर से एक धक्का मारा.. लगभग आधा लण्ड उसकी चूत में उतर गया था। उसकी चीख निकल गई। मैंने तुरंत उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा। कुछ देर यही सिलसिला चलता रहा.. वो भी कुछ नॉर्मल होने लगी और मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने 2-3 धक्कों में बाकी बचे हुए लण्ड महाराज को भी धीरे-धीरे उसकी चूत में दाखिल किया और धीरे-धीरे धक्कों की बौछार शुरू की। अब डॉली भी गाण्ड उठा-उठा कर जोर लगा रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए। हम दोनों थक चुके थे लेकिन हमारा उत्साह बढ़ चुका था। कुछ देर बाद अलग होकर अपनी अपनी जगह जाकर सो गए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

वो 20 दिन हमारे यहाँ पर रही और मैंने उसे घर के हर कोने में रोज मौका मिलते ही चोदा। अब उसकी शादी हो चुकी है.. पर जब भी मौका मिलता है हम खूब मस्ती करते हैं।

चाची की भाभी की रसभरी चूत की चुदाई Chachi ki bhabhi ki rasbhari chut ki chudai

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दोस्तो यह कहानी मेरे और मेरे चाचा के साले की पत्नी अथवा मेरी मामी के साथ की है, उसका नाम सुषमा है.. उसकी उम्र 35 की है.. लेकिन वो दिखने मैं सिर्फ 25 की लगती है। क्या झकास माल है यार.. जो भी देखे.. वो उसे चोदने की सोचने लगेगा। एक बार छुट्टी के दिनों में मैं उसके घर गया था। उस वक्त ठंड का मौसम चल रहा था। मेरी मामी के दो बेटे हैं एक 17 का और एक 15 साल का है वे दोनों अभी स्कूल में पढ़ते हैं। मैंने उनके घर जाकर उनके बारे में पूछा तो मामी बोली- वो दोनों अपनी छुटियों में घूमने गए हैं। उस वक्त मामा काम पर गए थे। मैं उनके यहाँ कुछ दिन रुकने गया था।

एक दिन मैं सुबह 4 बजे पेशाब करने उठा.. तो मामा और मामी आराम से सो रहे थे। मैंने जो देखा उससे मेरी नींद उड़ गई थी, मैंने देखा कि मामी की साड़ी उठ कर उसकी जांघ नंगी हो गई थी। यह देख कर मेरा तो बुरा हाल हो गया था.. तभी पहली बार मेरे मन में मामी को लेकर खराब विचार आए थे। मैं बाथरूम चला गया और वहाँ जाकर मुठ्ठ मारी.. तब कुछ शान्ति मिली.. फिर मैं वापस आकर लेट गया। मामी की जांघ देखने के बाद मेरी नींद उड़ गई थी, मुझे रात में नींद ही नहीं आई। मैं तो अपने मन में मामी को चोदने का प्लान बना रहा था। मेरे और मामी के बीच मज़ाक-मस्ती कुछ ज़्यादा ही होती रहती थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

दिन भर यूं ही सोचता रहा.. ऐसे ही रात हो गई। तभी शाम को मामा ने घर आकर बताया कि वो 5 दिनों के लिए ऑफिस के काम से बाहर जा रहे हैं.. तो मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.. लेकिन मैं भी दिखावे के लिए बोला- मैं भी कल वापस जा रहा हूँ। तो मामा बोले- तुम मेरे आने तक यहीं रुक जाओ.. क्योंकि घर का ध्यान रखने के लिए एक से दो ठीक रहेंगे… और तेरी मामी को भी अकेला नहीं लगेगा। उन्होंने एक ही बार कहा और मैं मान गया.. फिर सब सो गए। मैं सुबह उठा तो मामा जा चुके थे और मामी रसोई में नाश्ता बना रही थी। मैं हॉल में बैठ कर मामी को देख रहा था.. उनकी उठी हुई गाण्ड देख कर मेरा बुरा हाल हो रहा था।

आखिर मुझसे रहा नहीं गया और फिर मैं रसोई में चला गया, मैं उसको पीछे से पकड़ कर बोला- मैं मदद करूँ मामी? मेरा पूरा लौड़ा उसकी गाण्ड की दरार में रगड़ने लगा था.. तो वो उसे मज़ाक समझीं और बोली- नहीं रहने दे.. उन्होंने मुझे नाश्ता दिया और अपने काम में लग गई। मैं उनको चोदने का बार-बार प्लान बनाता रहा। रात का खाना खाने के बाद हम सोने चले गए। हम गद्दा लगा कर सो रहे थे। हम दोनों में थोड़ी दूरी थी।
मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैंने देखा कि मामी सो रही थीं, मैंने अपना गद्दा उसके गद्दे की ओर सरकाया.. फिर लेट गया। थोड़ी देर के बाद मैंने धीरे से करवट करके खुद को उसके नजदीक किया और एकदम उसके पास हो गया। मैं उसकी चादर में घुस गया और उसके पीछे से उसकी गाण्ड में अपना लौड़ा रगड़ने लगा। वो गहरी नींद में सो रही थी।

कुछ देर बाद वो जागी तो देखा कि मैं उसके साथ चिपका हुआ हूँ। वो कुछ नहीं बोली और मुँह फेर कर सो गई। मेरी हिम्मत बढ़ी.. और मैं फिर से अपने काम पर लग गया। तो मामी बोली- यही करते रहोगे या फिर कुछ आगे भी करोगे? मैं तो एकदम से हड़बड़ा गया.. फिर मामी मेरी तरफ़ घूमी और मेरा लौड़ा हाथ में लेकर बोली- तुम्हारा तो कितना मोटा और बड़ा है रे.. तेरे मामा का तो इससे बहुत छोटा और पतला है.. मैं अब सब समझ चुका था और मैंने मामी को अपनी तरफ खींच लिया, मामी के होंठों पर अपने होंठों को रख दिए और उसको मस्ती से चूमने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। बाद में मैं उसके मम्मे ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा और फिर बटन खोल कर उसके चूचे चूसने लगा। धीरे-धीरे मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए और मैंने खुद के भी सारे कपड़े उतार दिए।

अब हम दोनों एक-दूसरे के गुप्तांगों से खेलने लगे। थोड़ी देर मामी बोली- बस अब जल्दी से अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल दे। मैं मामी के ऊपर सवार हो गया और उसकी चूत में अपना सुपारा घुसेड़ दिया। वो ‘अहह.. अहह..’ की आवाजें निकालने लगी। मैंने एक तगड़ा झटका दिया और मेरा आधा लौड़ा उसकी चूत घुस गया।
मामी चिल्लाई- उई… मार डाला.. तूने तो.. मैं उसे किस करने लगा और फिर धीरे से एक और झटका मारा.. और इस बार पूरा 7 इंच ला लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया। अब मैं उसे धीरे-धीरे ठोकने लगा। फिर मामी भी मुझे नीचे से अपनी गाण्ड उठाकर मेरा साथ देने लगी। करीब 5-7 मिनट बाद उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और इठते हुए कहा- आह्ह.. मैं झड़ने वाली हूँ.. चोद.. साले.. आह्ह.. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैंने अभी दो धक्के और मारे होंगे कि वो झड़ गई लेकिन मैं तो उसे चोदता ही रहा। लगभग 5 मिनट बाद मेरा भी पानी निकल गया। मैंने अपना माल उसकी चूत में ही डाल दिया। अब मामी को पेशाब करने की लगी तो वो उठकर बाथरूम में पेशाब करने चली गई और फिर पेशाब करने के बाद वापिस आकर मेरे पास लेट गई। अब उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में मेरा लंड खड़ा हो गया। मेरे लंड को खड़ा देखकर वह मुस्कुराते हुए बोली - अरे ये तो अब भी प्यासा है आ और इसकी प्यास बुझा लें। मैंने उसे कुतियाँ पोजीशन में किया और अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और तेज तेज धक्के मारकर चोदने लगा। वो आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्  ऊओएओईऊ ऊहुहुहुहूह्हू ईईईईईईईएस्सस्सस्सस्सस्सस्स की आवाजें निकालने लगी। उसकी ये आवाजें मुझमें जोश भर रही थी और मैं लगातार उसकी चूत में अपने औजार को घुसाए जा रहा था। 20 - 25 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और एक दुसरे की बाँहों में ही सो गए। 

बस अब मेरी और मामी की चुदम-चुदाई खुल कर होने लगी, मामा के आने तक रोज हम एक-दूसरे को खूब चोदते रहे और फिर मैं अपने गाँव आ गया। मामी की चूत को याद करके आज भी मुठ्ठ मार लेता हूँ।

सोनम की चूत चुदाई की मस्त सेक्सी कहानी Sonam ki chut chudai mast sexi kahani

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मेरी बी-टेक की परीक्षा का अन्तिम से पहला सेमेस्टर बजाय दिसंबर जनवरी के अप्रैल महीने में समाप्त हुआ। तभी ताऊ जी की बेटी का फोन आ गया कि घर जाने से पहले तीन-चार दिन के लिए आ जाओ। मैं बचपन से ही उनसे लगा था। लेकिन इधर कई साल हो गये उन्हें देखा भी नहीं था, उधर गांव से भी फोन आ गया कि गोरखपुर हो कर आना। दीदी की शादी हुए लगभग दस साल हो गये थे। जीजा जी बिजली विभाग में क्लर्क हैं, ऊपरी आमदनी का प्रभाव घर के रखरखाव से तुरन्त ही लग गया। स्कूल से लौटे तो मैंने देखा कि टीना और अनिकेत तो इतने बड़े हो गये कि पहचान में ही नहीं आ रहे थे, लेकिन अनुमान लगाने में को कठिनाई नहीं हुई, मगर उनके आने के कुछ देर बाद जो अजनबी लड़की आई उसे देखकर मैं चौंका। सामान्य से अधिक लम्बी, स्कर्ट के नीचे मेरी निगाह गई तो उसकी लम्बी और पतली सुन्दर और चिकनी टांगे देख कर मन अजीब सा हुआ।

उसने 'मामा जी नमस्ते' कहा तो मेरी दृष्टि ऊपर गई। देखा आंखें फट सी गईं। शरीर के अनुपात से कहीं भारी, लम्बी और भारी उसकी दोनों छातियां उसके खूबसूरत प्रिन्टेड ब्लाउज फाड़कर बाहर निकलने को आतुर दिखीं। उसने संभवतः मुझे देखते हुए देख लिया। वह शरमाई तो मैंने निगाहें नीचे कर लीं। तभी अन्दर वाले कमरे से दीदी आ गईं। मैंने तब उनको भी ध्यान से देखा। जो दीदी पहले दुबली पतली थी अब उनका शरीर भर गया था और काफी सुन्दर लगने लगी थीं। दीदी ने बताया कि यह सोनम है मेरे जेठ की बेटी। अबकी बार बी ए के प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रही थी और आज ही अन्तिम पेपर था। शाम तक सोनम मुझसे काफी घुलमिल गई। वह बेहद बातूनी और चंचल थी। अब तक कई बार वह किसी न किसी बहाने अपने शरीर को मेरे शरीर से स्पर्श करा चुकी थी। उसकी बातों के केन्द्र में गर्लफ्रेन्ड और लड़के ही अधिक थे। दोनों बच्चे भी परीक्षा देकर अगली कक्षाओं में आ गये थे, अभी पढ़ाई का दबाव भी अधिक नहीं था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

जीजा जी इधर काम के कारण काफी देर से आने लगे थे इसलिए सब्जी लेने दीदी ही जातीं। शाम में वह अनिकेत को लेकर मार्केट चली गई तो घर में मैं टीना और सोनम ही थे। टीना अभी नादान थी। फर्श पर बिछे गद्दे पर मैं लेटा था। टीना मेरे पैर की उंगलियों को चटका रही थी। बातें करते सोनम ने कहा,'' लाओ मैं सिर दबा दूं।'' फिर मेरे बिना कुछ कहे ही मेरे सिर के पास आकर बैठ गई। और सिर में अपनी उंगलियां धीरे-धीरे चलाने लगी। धीरे-धीरे उसके शरीर की सुगंध मुझे मस्त करने लगी। मैंने आंखें ऊपर उठाकर देखा तो उसकी बड़ी नुकीली चूचियां मेरे सर पर तनी थी। संभवतः वह भी उत्तेजित सी थी, क्योंकि मुझे लगा कि उसके चूचुक भी तने हैं। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने अंगड़ाई लेने के बहाने हाथ पीछे किया तो मेरे पंजे उसकी चूचियों से छू गये। लेकिन मैंने रुकने नहीं दिया और टीना से कहा, '' अब बस, जाओ''

वह जाकर टीवी देखने लगी। सोनम उसी तरह मेरे बालों में उंगली किये जा रही थी। मैंने फिर सामने टीना की तरफ देखते हुए फिर हाथों को पीछे ले जाकर उसकी चूचियों से स्पर्श कराते हुए वहीं रोक दिया। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, हां हाथ अवश्य रुक गये। एक पल रुकने के बाद मैं हौले हौले उसकी चूचियों पर हाथ फिराने लगा। कुछ क्षणों बाद उसने मेरे हाथ को वहां से हटाकर धीरे से कहा, ''टीना छोटी नहीं है यदि देख लिया तो!''
उसके इस उत्तर से मेरी बांछें खिल उठीं। मैंने हाथ को अंगड़ाई के बहाने ले जाकर उसकी जांघों पर रख दिया। वह चिकनी और संभवतः बरफी की तरह सफेद थीं। मैं रह-रह कर उसके पेड़ू को भी छू देता। उसने कच्छी नहीं पहन रखी थी। उसकी झांटों और मेरे हाथों के बीच उसकी सलवार का झीना कपड़ा ही था। सामने मेरा लिंग अकड़कर खड़ा हो गया और मेरे लोअर के अन्दर बांस की तरह तनकर उसे उठा दिया। जब सोनम की दृष्टि उस पर पड़ी तो वह मुस्कुराने लगी।

मैंने अपने हाथों को फिर ऊपर लेजा कर उसकी चूचियों से स्पर्श कराया तो लगा कि उसकी घुंडियां बिल्कुल तन कर खड़ी हो गई हैं। छुआ-छुई का यह खेल चल ही रहा था तभी टीना फिर आ गई और पास बैठ गई। हम दोनों रुक गये। मैंने झट अपनी लम्बी टी-शर्ट को नीचे खींच दिया, लेकिन हमारे महाराज जी झुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे तो मैं झट से उठ गया। सोनम भी मेरे साथ ही उठ गई। उसने चुन्नी अपने सीने पर नहीं रखी थीं। चूचियां कपड़े के ऊपर से ही वह पूरी तनी बिल्कुल स्तूप की तरह लग रही थीं। रसोई की तरफ जाते हुए मैंने कहा, '' चाय पीने का मन हो रहा है।'' '' चलो बना दूं।'' कहते हुए वह मेरे पीछे रसोई में आ गई। अन्दर जाते ही मैंने उसे कचकचाकर लिपटा लिया और पूरी शक्ति से उसके शरीर को जकड़ लिया। वह कसमसाकर कुछ कहती इससे पहले ही अपने होठ उसके होठों पर रखकर जबरदस्ती उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी।
वह गों-गों कर उठी तो जीभ को निकाला। तब वह कांपते स्वर में बोली, ''छोड़ो अभी टीना आ जाये तो !''
मैंने उसे छोड़कर कहा, ''भगवान कसम अभी तक मैंने इतनी कसी और सुन्दर चूंचियां तो फिल्मों की हीरोइनों तक की नहीं देखी!''
वह अब स्थिर हो चुकी थी। बोली, '' तुम तो बहुत हरामी हो मामा !''
मैंने धीरे से कहा, '' सोनम मैं बिना तुम्हारी लिए छोड़ूंगा नहीं !''
उसने ठेंगा दिखाते हुए कहा,'' बड़े आये लेने वाले !'' और फिर मेरे अभी तक खड़े लन्ड को ऊपर से नौच कर भाग गई।

दीदी सामान लेकर आईं और रसोई में चली गईं। दोनों बच्चे पढ़ने बैठ गये तो मैं छत पर चला गया और कुछ देर बाद सोनम को भी पुकारकर ऊपर बुला लिया। हमारी दीदी का मुहल्ला निम्न-मध्यवर्गीय मुहल्ला था। छतें एक दूसरे से सटी थीं। अंधेरा पूरी तरह से घिर आया था, इसलिए इक्का-दुक्का लोग ही अपनी छत पर थे।

'' सोनम दोगी नहीं?''
'' क्या?''
'' बुर, मेरा मतलब चूत!''
'' मतलब?''
'' मतलब यह कि अगर किसी से चुदवा चुकी हो तो चूत हो गई होगी नहीं तो अभी बुर ही होगी ! बताओ क्या है?''
'' हट !''
'' हट नहीं ! नहीं प्लीज सोनम ! दे दो न!'' मैंने उसे फसाने के लिए कहा।
'' बहुत बड़ा पाप है। फिर तुम तो मामा हो !''
'' मैं कोई सगा मामा थोड़ी न हूं?''

''चाहे जो हो, मैं यह काम नहीं करूंगी। मुझे डर लगता है !''
उसने इस अन्दाज में कहा कि मुझे लग गया कि अभी तो बात बनने वाली नहीं, तो मैंने बातो को दूसरी तरफ मोड़कर कहा, ''अच्छा सच बताओ किसी से करवाया है कि नहीं?''
'' भगवान कसम नहीं।''
'' मिंजवाई हो?''
'' भला कौन लड़की होगी जिसकी किसी न किसी ने कभी मींजी न हो।''
फिर उसने कहा, '' तुमने मामा ? तुमने मींजी हैं?''
'' हां, तुम्हारी ही !''
'' धत! पहले?''

'' मींजी तो कइयों की है, और ली भी है, लेकिन पूछना नहीं किसकी। कभी बाद में बताऊंगा। अच्छा बताओ तुम इसके बारे में ठीक से जानती हो?''
उसने मुस्कुराकर कहा, '' किसके?''
मैंने खीजकर कहा, '' बुर की पेलाई या कहो चुदाई के संबंध में!''
'' हाय राम यह भला कौन नहीं जानती होगी? इतना तो टीना को भी पता होगा !''
'' अच्छा अपनी बताओ कि तुम को कैसे पता चला?''
'' क्यों बताऊं?''
मैंने अन्त में कहा, ''सोनम मैं बिना लिए तुम्हारी छोड़ूंगा नहीं !'' आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

और फिर इधर उधर की बातें होने लगीं। बात फिर आकर पेलने, चोदने और लन्ड, बुर पर रुक गई। अन्त में सोनम ने यह वादा किया कि ऊपर से मैं चाहे जो कर लूं, लेकिन वह किसी भी कीमत पर मेरा लन्ड अपनी बुर में डालने नहीं देगी। बाद के दो दिनों तक वह दीदी के कमरे में सोई क्योंकि दीदी को माहवारी आ रही थी। यह भी उसी ने बताया, लेकिन दिन में जैसे ही अवसर मिलता हम दोनो एक दूसरे को नोचने, चूसने में लग जाते। एकाध बार तो वह बुरी तरह से उत्तेजित भी हो गई, लेकिन उचित अवसर ही नहीं मिला। दीदी भी न जाने क्यों हमें अकेला नहीं छोड़ रही थीं।

यद्यपि मुझे अन्त तक यह लगने लगा कि अगर अकेले मिल जाए तो करवा लेगी। अवसर देखकर कामुक बातें भी होती रहीं। मुझे उसकी जानकारियाँ सुनकर आश्चर्य हुआ। उसने बताया कि दीदी और जीजा कभी कभी गंदी फिल्म देखते हैं। जिसमे कभी दो आदमी एक की लेते हैं तो कभी एक दो की !
कहने लगी कि चाचा चाची निरोध लगाकर ही करते हैं। उसने यह भी बताया कि उसने दरवाजे में एक छेद ऐसा कर रखा है कि जिससे वह जब चाहे उन लोगों की चुदाई देखे, मगर वह जान नहीं सकते।

एक दिन दीदी अनिकेत को लेकर किसी काम से बाहर चली गई और बोल गई कि घर पर ही रहना। टीना सो रही थी, मैं अपना हाथ सोनम के कंधे पर रखकर बगल से उसकी चूचियों को सहलाने लगा। वह कड़ी होने लगीं तो और तेज मलने लगा। वह उत्तेजित होकर मुझसे चिपकने लगी। चूचियां बड़े लम्बे आम का रूप धारण करने लगीं। मैंने रुककर मुंह में सटाकर अपनी जीभ उसके मुंह में डालकर जो चूसा तो बोली, '' मामा लगता है कि आज तुम मुझे खराब करके ही छोड़ोगे !''
" मतलब?''
'' मतलब न पूछो!'' - उसने कहा।
उसने अपने बाल खोल दिए। उसकी कड़ी होकर पत्थर बनी चूचियां मेरे सीने से टकराकर मेरे अन्दर आग भर रही थीं। मैंने हाथ को पीछे ले जाकर उसके उभरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मुंह को उसके मुंह से लगाकर उसके चेहरे और होंठों को चूसने लगा। उसने भी मुझे जकड़ लिया। मेरा लंड खड़ा होकर सलवार के ऊपर से उसकी चूत को चूमने लगा।

वह थोड़ी देर बाद अलग होकर बोली, '' बस करो मुझे डर लग रहा है।''
मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसे लेता दिया और कहा, '' अब न तो मैं बिना चोदे रह सकता हूं और नहीं तुम बिना चुदाये"। मैं उसके ऊपर लेटकर उससे लिपट गया। उसने भी मुझे कस लिया। पांच मिनट की लिपटा-लिपटी के बाद मैं उठा और उसे उठाकर उसकी कुरती को शमीज़ सहित ऊपर खींच कर उतार दिया। वह ऊपर से नंगी हो गई। दोनों छातियां ऐसी गोरी चिकनी और फूलकर खड़ी हो गई थीं मानो उन्हें अलग से चिपका दिया गया हो। उन्हें नीचे से ऊपर मींजते सहलाते हुए कहा, '' सच बताओ सोनम मेरे अतिरिक्त तुम्हारे दो पपीतों को किसी और मींजा है?''

''भगवान कसम नहीं। जब मैं गांव में थी तो संध्या भाभी जरूर मींजती और कभी कभी चूसतीं भी थीं, लेकिन तब यह छोटी थीं। कामता भैया कलकत्ता रहते थे। वह अपनी चूचियां चुसाती भी थीं। यहां किसी ने कभी नहीं कुछ किया।'' " तो आज मैं सब कुछ करूंगा !'' कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को चूसना आरम्भ कर दिया। उसका सीना मेरे थूक से भीग गया। वह वहीं लेट गई और अकड़ने लगी। तब मैं उठा और अपनी पैंट और चड्ढी साथ उतार दी। मेरा लंड सामने आ गया। वह उसे ही देखने लगीं। मेरी झांटे काफी बड़ी हो गईं थीं। नसें तनकर अकड़ गई थीं। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। वह वैसे ही पकड़े रही। उसकी खड़ी चूचियां मेरे होंठों के सामने तनी थीं। तब मैंने कहा, '' सहलाओ।'' वह बोली, '' शरम आती है।'' '' लो अभी मैं शरम मिटाता हूं।'' कहकर मैंने उसके सलवार का नाड़ा पकड़कर खींच दिया। सलवार खुल गई। नीचे से पकड़कर खींचा तो उतर गई। वह शरमाने लगी। उसकी भी झांटे काफी बड़ी थीं। उसकी बुर उसी में छुपी थी।

'' कभी-कभी इसे साफ कर लिया करो।'' कहकर मैं हथेली से उसकी बुर सहलाने लगा। सोनम सिसियाते हुए बोली, '' तुम्हारी भी तो बड़ी है।'' और फिर मेरे लंड पर अपनी हथेलियां चलाने लगी। मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई, लगा कि अब मैं कही झड़ न जाऊं। उसकी बुर भी गीली हो गई थी। उसकी बुर का दाना उभर आया था। यद्यपि मैंने तो रास्ते में सोचा तो बहुत कुछ करने के लिए था, लेकिन लगा कि अब मैं कहीं बिना अन्दर डाले ही न झड़ जाऊं तो उससे कहा, '' टांगें फैलाकर लेटो।'' वह लेटते हुए बोली, '' छोड़ दो न मामा!''

'' पागल हूं मैं !'' कहकर मैंने अपनी शर्ट उतार दी ओर उसके पूरे शरीर को सहलाया और फिर उसकी टांगों के बीच में जाकर उसकी बुर के छेद को हाथों से टटोलकर उसपर अपने लंड का सुपाड़ा रखकर औंधे मुंह उसपर लेट गया और कमर पर दबाव डाला तो भीग चुकी उसकी बुर में मेरा लंड सक से चला गया।
'' हाय राम मैं मरी!'' उसने कहा।
मैंने कहा, '' झिल्ली फट गई?''
उसने कहा - '' पता नहीं!''

मैं एक पल के लिए रुका फिर कुहनियों को निचे टिका कर उसकी चूचियों को मलते हुए कमर चलाते हुए सोनम को हचर-हचर चोदने लगा। सात आठ धक्के के बाद वह भी कमर चलाने लगी और अपने हाथों से मुझे कस लिया। मैं उसे चोदे ही जा रहा था। उसका शरीर महकने लगा। उसके मुंह से हों-हों का स्वर निकलने लगा।
मेरी कमर और तेज चलने लगी। उसने किचकिचाकर मुझे दबोच लिया। अन्त में मैं भल्ल से उसकी चूत में झड़ गया। मैं कुछ देर बाद उसके ऊपर से उठा। मेरा लंड बीज से सना था। उसकी चूत भी वैसे ही बीज से भरी थी। वह लम्बी लम्बी सांसे भर रही थी। मैंने पास पड़ी पैंट से रुमाल निकालकर पहले अपने गीले लंड को पौंछा फिर उसकी बुर को। अब वह स्थिर हो गई थी। बोली, '' मामा अगर कहीं बच्चा ठहर गया तो?''
'' पागल एक बार में बच्चा नहीं ठहरता है। उठो ! बैठकर मूत दो ! बीज नीचे गिर जायेगा।'' आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मूत कर वह उठी तो मैंने अपनी टांगों को सीधे फैला लिया और उसकी टांगों को अपनी कमर के दोनो तरफ करवा कर बैठा लिया। उसकी चूत से मेरा सिकुड़ा लंड स्पर्श कर रहा था। मांसल चूचियां मेरे सीने से पिस रही थीं। उसके खुले बाल उसकी पीठ पर फैलकर वातावरण को मादक बना रहे थे। वह बोली, '' अब बस करो। मैंने कहा - ऐसा सुनहरा अवसर अब तो कभी नहीं मिलेगा। थोड़ी देर में फिर मेरा लंड कड़ा हो गया और मैंने उसे उसकी चूत ऊपर निचे करने के लिए कहा और वह मेरे ऊपर बैठी हुई ऊपर निचे होने लगी और थोड़ी देर में ही थककर मेरे ऊपर लेट गई. अब मैंने उसे कुतियाँ पोजीशन में किया और पीछे से लंड उसकी चूत में डालकर उसे चोदने लगा। 15 - 20 मिनट की चुदाई में हम दोनों ही एक बार फिर झड़ गए। हमने अपने कपड़े पहने और टीना के पास जाकर लेट गए।
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