सगे मामा की लड़की से मेरे जिस्मानी रिश्ते, Sage Mama ki ladki se mere jismani rishte, Mama Ki Ladki ki Garam Chut, Mama Ki Ladki Ki Garam Chut, Mama Ke Ladki Ki Pyas Mama Ki ladki Ki chuchi Chusai, Mama Ki Ladki Ki Fudi Chudai Ki Kahaniya.
दोस्तों नमस्कार , आज मैं आपको मेरी जिन्दगी की एक ऐसी कहानी से रूबरू करवा रहा हूँ जो मेरे और मेरी कजिन के बीच घटित हुई। वो देखने में बहुत ही सुंदर है और उसका बदन ऐसा है कि जो भी उसे देख लेता होगा, अपने को शांत करने के लिए मुठ जरुर मारता होगा। मुझे भी उसे चोदने का मौका आखिर मिल ही गया। मैंने एक अच्छा सा होटल बुक किया, मैंने उसमें बात कर ली- मेरी कजिन आएगी… कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना? मैनेजर बोला- कोई दिक्कत नहीं है।
दोस्तों नमस्कार , आज मैं आपको मेरी जिन्दगी की एक ऐसी कहानी से रूबरू करवा रहा हूँ जो मेरे और मेरी कजिन के बीच घटित हुई। वो देखने में बहुत ही सुंदर है और उसका बदन ऐसा है कि जो भी उसे देख लेता होगा, अपने को शांत करने के लिए मुठ जरुर मारता होगा। मुझे भी उसे चोदने का मौका आखिर मिल ही गया। मैंने एक अच्छा सा होटल बुक किया, मैंने उसमें बात कर ली- मेरी कजिन आएगी… कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना? मैनेजर बोला- कोई दिक्कत नहीं है।
फिर मैंने स्वीटी को फ़ोन किया और ऑटो लेकर आने को कहा।
वो बोली- बहुत भूख लगी है।
वो बोली- बहुत भूख लगी है।
मैंने कहा- मैं कमरे में ही खाने का आर्डर दे दूँ क्या?
वो बोली- हाँ ठीक है।
वो आई और हम लोग एक-दूसरे के सामने बैठ गए, यहाँ-वहाँ की बातें शुरू हो गईं। शायद वो चुदाई के मूड में नहीं थी। मैंने अपनी बीवी का रोना शुरू कर दिया।
मैं कहने लगा- वो चुदाई करने ही नहीं देती.. दिन भर बीमार बनी रहती है। उसके हमेशा सम्भोग ना करने के बहाने ही बने रहते हैं। मैं ऐसा इंसान हूँ जो किसी के साथ ज़बरदस्ती करना सही नहीं समझता चाहे वो मेरी बीवी ही क्यों न हो।
वो बोली- बीवी के साथ ज़बरदस्ती सही है ना।
मैंने कहा- नहीं… मुझे चुदाई से ज्यादा भूख प्यार की है, मुझे बहुत सारा प्यार चाहिए।
मैं रोने लगा.. वो मुझे चुप कराने के लिए मेरे आंसू पौंछने लगी।
मैंने झूट कहा- शादी के बाद एक दिन भी बीवी से अच्छे से चुदाई नहीं की है.. यहाँ तक कि अब तक मेरे लंड की चमड़ी भी पीछे नहीं गई।वो मुझे सुनती रही।मैंने कहा- उसके साथ शादी करने की वजह तू ही है।वो मेरी इस बात से एकदम शॉक हो गई.. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
उसने पूछा- वो कैसे?
मैंने कहा- तू मेरी सब से अच्छी दोस्त है। मगर उस समय जब मेरी गर्ल-फ्रेंड ने मुझे धोखा दिया तब तूने मुझे नहीं संभाला.. और जब मेरी जिन्दगी में दूसरी लड़की आई.. तब कहा भी नहीं कि तू मुझसे प्यार करती है।
वो बोली- तुझे तो बचपन से ही पता है ना कि मैं तुझसे कितना प्यार करती हूँ। लेकिन क्योंकि कुछ नहीं हो सकता था इसलिए मैं मन बना चुकी थी। फिर भी मैं तेरे फेरों में रो रही थी और इसी कारण ज़्यादा देर तक ही मैं तेरे फेरे भी न देख पाई। फिर तेरी जिन्दगी में बीवी आ गई.. मुझे लगा अब तो तू मुझे जैसे भूल ही जाएगा। मैंने बचपन से आज तक सिर्फ तुझे ही प्यार किया है।
इतना बोल कर वो भी रोने लगी।
मैंने कहा- रो क्यों रही है?
मैं उसके गले लग कर उसे चुम्बन करने लगा। हम दोनों एक-दूसरे को ‘आई लव यू’ कह रहे थे और पागलों की तरह एक-दूसरे को चूमने लगे। मैं उससे लिपट कर उसकी गर्दन और कन्धों पर चूमने लगा। मैंने उसको धक्का दे कर पलंग पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत पर अपना लण्ड जमा दिया और ऊपर से ही उसे चोदने जैसे धक्के देने लगा।
वो बोली- बस कर।
मैं बोला- प्लीज मुझे तेरे मम्मे देखने हैं।
वो गुस्से में आ गई और उसने मना कर दिया।
मैं बोला- तू इतनी गोरी है तो तेरे मम्मे कितने गोरे होंगे। मेरी बीवी के चूचे काले हैं जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं।
वो बोली- नहीं.. ये सब गलत है।
मैंने कहा- सिर्फ देखूँगा.. कुछ नहीं करूँगा.. तू सिर्फ एक बार दिखा दे.. प्लीज प्लीज।
मेरे बहुत बोलने पर वो बोली- ओके… लेकिन सिर्फ देखना। मैं खुश हो गया और बोला- पक्का.. कुछ नहीं करूँगा। उसने टॉप ऊपर कर दिया। फिर ब्रा भी ऊपर करके अपने मनमोहक स्तनों का और चूचुकों का थोड़ा सा दर्शन कराया। उसके चूचुक गुलाबी थे.. मैं तो बस देखता ही रह गया। मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके चूचुकों को चूसने आगे को हुआ तो वो कुछ नहीं बोली। मैंने चूसना शुरू ही किया था कि दरवाजे की घंटी बजी।
मेरी झांटें सुलग गईं, खाना लेकर वेटर आया था। हम दोनों ने अपने आप को ठीक किया। वेटर ने खाना लगा दिया, हम खाने बैठ गए। दोनों के मन में आग लग चुकी थी, मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था कि उससे क्या कहूँ। मैंने ‘सॉरी’ बोल दिया। वो कुछ नहीं बोली। मैं समझ गया कि यह चुप्पी हरी झंडी की निशानी है।
मेरी झांटें सुलग गईं, खाना लेकर वेटर आया था। हम दोनों ने अपने आप को ठीक किया। वेटर ने खाना लगा दिया, हम खाने बैठ गए। दोनों के मन में आग लग चुकी थी, मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था कि उससे क्या कहूँ। मैंने ‘सॉरी’ बोल दिया। वो कुछ नहीं बोली। मैं समझ गया कि यह चुप्पी हरी झंडी की निशानी है।
फिर मैंने उससे कहा- मैं आज हैदराबाद सिर्फ तेरे लिए रुका हूँ। मुझे कल कोई भी काम नहीं है।
वो बोली- तुम बहुत होशियार हो।
मैंने देखा कि उसे बहुत ठण्ड लग रही थी। मैंने कहा कम्बल ओढ़ लो। उसने कम्बल ओढ़ लिया।
मैंने कहा- मुझे भी ठण्ड लग रही है। मैं भी कम्बल के अन्दर चला गया।फिर मैं उसकी टाँगों से अपनी टाँगों को रगड़ने लगा और धीरे-धीरे उसकी पटियाला सलवार को ऊपर करने लगा। वो भी टांग बचा रही थी और हँस रही थी। थोड़ी देर तक मैं यूँ ही खेलता रहा, फिर जोश में आकर उसकी दोनों टाँगों को दबा दिया। वो खुद को छुड़ा ही नहीं पा रही थी, मैंने उसे पकड़ कर फिर से चुम्बन करना शुरू कर दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
वो बोली- विनय..ऊऊ.. ये क्या हो रहा है मुझे?
मैंने कहा- प्यार।
मैंने अपने हाथ उसके टॉप में डाल कर पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। वो डर भी रही थी और चुदना भी चाहती थी।
वो बोली- कुछ गलत हो जाएगा।
मैंने कहा- क्या तुझे मुझ पर भरोसा नहीं है क्या?
वो बोली- खुद से ज़्यादा है।
मैंने कहा- यकीन कर.. मैं तेरे साथ कुछ गलत नहीं करूँगा।
वो बोली- ठीक है।
मैंने उससे टॉप उतारने को कहा, वो मान गई। उसने हाथ ऊपर करके अपना टॉप उतार दिया। अब वो सिर्फ ब्रा में थी, जो सिर्फ लटक रही थी क्योंकि मैंने पहले ही पीछे से खोल दिया था। उसने अपनी ब्रा भी तुरंत हटा ली। अब वो मेरे सामने अधनंगी थी। उसके बड़े-बड़े मम्मे.. हाय.. क्या तने हुए थे और दिखने में सख्त और दबाने में बहुत ही मुलायम थे। उसके चूचुक गुलाबी रंगत लिए हुए थे। मैंने इतने सुन्दर मम्मों की ही उम्मीद की थी। मैं तो उसके ऊपर लपक पड़ा, उसके मम्मे दबाते हुए खूब चूसने लगा, उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने अपनी शर्ट निकाल दी और अपना नंगा बदन उसके बदन से रगड़ने लगा। उसके मम्मों से मेरी छाती जब चिपकी.. हायईईए क्या बताऊँ.. कितना मजा आया। मेरा लण्ड तो एकदम सख्त हो गया था। अब मैं उसे और वो मुझे बारी-बारी चूम रहे थे। मैंने कहा- हाय मेरी करीना.. तुम दुनिया की सब से सेक्सी लड़की हो… मैं आज का दिन कभी नहीं भूल पाऊँगा। यह तो मेरा नसीब है कि आज मैं तेरे साथ इस हालत में हूँ। तेरे जितनी सुन्दर लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। तू क्या चीज़ है तू खुद नहीं जानती। मैं उसे बहुत चूमने लगा।
मैं चूमते-चूमते उसकी चूत को भी उपर से ही चूमने लगा। वो तो कुँवारी थी, इसलिए उसे ये ठीक नहीं लगा, वो मना कर रही थी।
मैंने कहा- ओके।
फिर से मैं चूमते हुए ऊपर चला गया। हम दोनों नीचे सब कुछ पहने थे। मैंने उसके पिछवाड़े में हाथ डाल दिया और उसके चूतड़ सहलाने लगा। मैं उसकी गाण्ड की घाटी में हाथ डालते हुए ही उसकी चूत तक हाथ फेरने लगा था। हम दोनों बहुत कुछ समझ रहे थे, पर ना समझना हमें ठीक लगा। चूत पर हाथ बार-बार जाने लगा और हमारे जिस्मों का पारा बढ़ने लगा। मैंने उसकी बाँहों से ही अपना हाथ सामने से ही सीधा चूत पर डाल दिया।
वो बोली- विनय प्लीज।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा।
मैंने उसकी चूत पर हाथ घुमाना चालू कर दिया। वो मजे के मारे सिसक रही थी और मेरा लंड बहुत तड़प रहा था। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो एकदम से झन्ना गई और मैंने ऊँगली रोक ली। जैसे ही वो सामान्य हुई मैंने ऊँगली को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। वो मुझे अपनी बाँहों से छोड़ नहीं रही थी। मैं बिना रुके उसकी चूत के छेद को देखने लगा जिसमें उंगली कर रहा था।
वो बोली- सिर्फ ऊँगली करना बस।
मैंने कहा- प्लीज यार.. कुछ नहीं होता।
वो मना करती रही और मैं उसे समझाता रहा। अंत में मैंने उसकी चड्डी नीचे कर दी, वो कुछ करती, इससे पहले मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर चुम्बन करने लगा। उसके मम्मों को चूमते हुए मैं नीचे चला गया। अब उसकी चूत मेरी आँखों के सामने थी। जितनी सुन्दर वो उतनी ही सुन्दर उसकी चूत थी। मैं उसकी चूत को चाटने लगा, लेकिन उसने हाथ छुड़ा कर चूत को ढक लिया। मैंने कहा- अब तो मैं देख चुका हूँ। पर वो मना करने लगी।
मैंने कहा- प्लीज…पर वो मेरी एक नहीं सुन रही थी।
मैंने कहा- ठीक है.. ऊपर से ही प्यार करूँगा।
वो बोली- हाँ.. लेकिन नीचे भी सिर्फ ऊँगली।
मैं ऐसी लड़कियों का बहुत सम्मान करता हूँ.. मैंने उससे जिद नहीं की, हम लोग उस दिन और उसके बाद वाले दिन भी साथ में थे पर चुदाई नहीं की। हाँ.. मम्मे ज़रूर चूसे.. कई बार चुम्बन किए.. पर न उसने मेरा लौड़ा देखने की कोशिश की.. और ना ही मैंने चूत में अपना लौड़ा डालने की जिद की। अगली शाम हम दोनों अपने-अपने गंतव्य को चले गए। उसका अगले दिन सन्देश आया कि तुमने मेरे साथ जो भी किया मैं उससे बहुत खुश हूँ.. मुझे बहुत पसंद आया। पर मेरा नसीब ख़राब था, वो सन्देश मेरी बीवी ने पढ़ लिया और हमारे बीच बहुत झगड़ा हुआ। हालांकि मैंने अपनी बीवी को मना लिया कि उसे कोई गलतफहमी हुई है, पर मैं स्वीटी से वाकयी इतना प्यार करने लगा कि उसका नाम मेरे कारण ख़राब ना हो ये सोचकर उससे इसी छोटी सी बात पर रिश्ता भी तोड़ लिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मेरी बीवी को भी मैं धीरे-धीरे समझाने लगा कि वो मुझे नहीं देगी तो मैं उसको छोड़ सकता हूँ। उसने भी कोशिश की है, पर जो ख़ुशी मुझे चाहिए वो ख़ुशी आज 2 साल हो जाने तक नहीं मिली है। मैं किसी के साथ चुदाई तो करना चाहता हूँ पर वो कॉल-गर्ल न हो.. बस जिसको मेरे जैसे प्यार की कमी हो और वो भी मेरे जैसे प्यार की भूखी हो। मेरी तलाश अभी भी जारी है।